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आग और धुआं- भाग 1: क्या दूर हो पाई प्रिया की गलतफहमी

करीब 2 साल तक अमित और मेरा रोमांस चला और फिर हम ने शादी कर ली. सुखद वैवाहिक जीवन के लिए दोनों तरफ के परिवारजनों ने अपने आशीर्वाद हमें खुश हो कर दिए.

जिंदगी में रोमांस करने का अपना मजा है. बहुत खूबसूरत थे वे दिन जब हम घंटों घूम कर ढेर सारी बातें करते. भविष्य के रंगीन सपने तब हमारे मन को रातदिन गुदगुदाते थे.

‘‘मैं तुम्हें बहुत खुश और सुखी रखूंगा, प्रिया. कितनी प्यारी, कितनी सुंदर और समझदार हो तुम,’’ अमित की ऐसी बातें सुन कर मैं हवा में उड़ने लगती.

‘‘जिंदगी के सफर में तुम हर कदम पर मेरे साथ बने रहोगे, तो मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए,’’ दिल की गहराइयों से ऐसे शब्द मेरे होंठों तक आते.

शादी के बाद मैं ने रंगीन सपनों को सचाई बनते देखा. अमित की मजबूत बांहों के घेरे में मैं ने आनंद और मस्ती की असीम ऊंचाइयों को छुआ. मेरे रात और दिन महक उठे. मैं उन के साथ चलती तो प्रतीत होता मानो नाच रही हूं. उन्हें छू कर, निहार कर भी दिल नहीं भरता.

‘‘शादी से पहले मुझे कभी अंदाजा तक नहीं हुआ कि तुम जादूगर भी हो,

अमित. मुझे पूरी तरह से वश में कर के दिल जीत लिया है तुम ने,’’ मैं ने अपने दिल की यह बात मनाली में बिताए 10 दिनों के हनीमून के दौरान शायद 100 से ज्यादा बार अमित से कही होगी.

शादी के करीब 2 महीने बाद ससुराल छोड़ कर दिल्ली से हम नोएडा के छोटे से किराए के फ्लैट में रहने चले आए. ट्रैफिक जाम के कारण अमित को घर से आफिस तक आनेजाने में बहुत ज्यादा वक्त लगता था. उन्हें थकावट और चिड़चिड़ेपन से बचाने के लिए सब बड़ों की सलाह पर हम ने यह कदम उठाया था.

नोएडा में बिताए पहले 2 महीनों में मेरी वैवाहिक जिंदगी के सारे सुख और खुशियां धीरेधीरे तबाह होती चली गईं. मेरी जिंदगी में तबाही मचाने वाला यह तूफान निशा के रूप में आया.

निशा अमित के साथ काम करती थी. हमारे फ्लैट में अकसर अमित के सहयोगी दोस्त छुट्टी वाले दिन इकट्ठे हो कर मौजमस्ती करते थे. निशा ऐसे मौकों पर हमेशा उपस्थित रहती. निशा के मातापिता सहारनपुर में रहते थे. नौकरी के लिए उसे नोएडा आना पड़ा तो आरंभ में वह अपने एक रिश्तेदार के घर में रही.

कुछ दिनों में आपसी अनबन के कारण उसे वह जगह छोड़नी पड़ी. अब वह अपनी एक सहेली के साथ आफिस के पास ही हमारे जैसा फ्लैट किराए पर ले कर रह रही थी. घर  पासपास होने की वजह से वह अकसर मार्केट जाते समय फ्लैट के सामने से गुजरती तो बस हाय, हैलो ही हो पाती.

मुझे उस का व्यक्तित्व से बड़ा दिलचस्प लगता. उस का कद लंबा और फिगर बड़ी जानदार थी. मैं ने उसे हमेशा टाइट जींस और टीशर्ट पहने देखा. साधारण नैननक्श होने के बावजूद वह खूब खुल कर सब से हंसनेबोलने वाले दोस्ताना स्वभाव के कारण काफी आकर्षक नजर आती.

विवाह के तोहफे के रूप में उस ने हमें सैल से चलने वाला एक सुंदर शोपीस दिया. उस में एक प्रेमीप्रेमिका बालरूम डांस की मुद्रा में सट कर खड़े थे. ‘औन’ करने पर वे गोलगोल घूमने लगते और हलके कर्णप्रिय संगीत की लहरें हर तरफ बिखर जातीं.

‘‘प्रिया, तुम कितनी सुंदर हो. काश, मैं भी तुम जैसी होती तो कोई अमित मुझे भी अपने दिल की रानी बना लेता,’’ मेरी यों प्रशंसा कर के निशा ने पहली मुलाकात में ही मेरा दिल जीत लिया.

उस के पास वक्त की कमी नहीं थी. कार्य दिवसों मेें भी वह शाम को घूमते हुए हमारे घर पर दूसरेतीसरे दिन चली आती. कुछ दिनों में हम अच्छी सहेलियां बन गईं. किसी भी विषय पर अगर अमित और मेरे नजरिए में अंतर होता तो वह हमेशा मेरा पक्ष लेती. हम दोनों मिल कर अमित की खूब टांग खींचते.

हमारे बीच दोस्ती की जडें मजबूत हो जातीं, उस से पहले ही मुझे उस के असली रूप व मकसद की जानकारी मिल गई.

अमित के एक सहयोगी ने अपने प्रमोशन की पार्टी बैंक्वेट हाल में दी. इसी पार्टी के दौरान कविता और शिखा ने मुझे निशा के प्रति खबरदार किया. ये दोनों अमित के आफिस में ही काम करती थीं और हम पहले भी कई बार मिल चुके थे.

‘‘मैं ने सुना है कि निशा तुम्हारे घर खूब आतीजाती है,’’ कविता ने जब यह चर्चा की तब हमारे आसपास ऐसा कोई न था जो हमारी बातें सुन सके.

‘‘उस के साथ हमारा समय अच्छा गुजर जाता है,’’ मैं ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

‘‘प्रिया, जो तुम्हारे वैवाहिक जीवन की खुशियों को उजाड़ने पर तुली है, उस लड़की को तुम्हें अपने घर में कदम नहीं रखने देना चाहिए,’’ शिखा की आंखों में चिंता व गुस्से के मिलेजुले भावों को पढ़ कर मैं बेचैन हो उठी.

‘‘ऐसा क्यों कह रही हैं आप?’’ मैं ने परेशान लहजे में पूछा.

‘‘सारा आफिस जानता है कि अमित उस के चक्कर में फंसा हुआ है. उस का

तो शौक है दूसरों के पतियों पर डोरे डालने का. तुम बहुत भोली हो और तभी हम ने आज तुम्हें आगाह करने का फैसला किया.’’

‘‘मैं ने तो आज तक अमित के साथ उसे कुछ गलत ढंग से व्यवहार करते कभी नहीं देखा,’’ मैं ने अपने पति व निशा का पक्ष लिया.

‘‘तुम्हारे सामने उन्हें कुछ करने की जरूरत ही क्या है, यार. अरे, निशा का फ्लैट है न और तुम्हारा अमित शादी के बाद भी उस से मिलने वहां जाता रहता है, प्रिया.’’

‘‘मुझे अमित ने बताया है कि कभीकभी आफिस समाप्त होने के बाद वह उस के फ्लैट पर चाय पीने निशा के साथ चले जाते हैं, लेकिन ऐसा करने में बुराई क्या है?’’

मेरे इस सवाल के जवाब में वे दोनों कुछ ऐसे अंदाज में हंसी कि अमित पर मेरा विश्वास एकदम डगमगा गया. अचानक ही मेरे मन में असुरक्षा और डर के भाव पैदा हो गए.

‘‘प्रिया, इस निशा ने जो सुंदर गोल्ड के टौप्स पहन रखे हैं, ये कुछ महीने पहले अमित ने उसे उस के जन्मदिन पर दिए थे. अब तुम ही बताओ कि कोई युवक क्या अपनी सहयोगी युवती को सोने के टौप्स उपहार में देता है?’’

‘‘निशा ने जो शोपीस तुम्हें दिया है, उस में जो लड़का है, वह अमित है, पर लड़की तुम नहीं हो. निशा सब को बताती फिरती है कि वह खुद ही वह लड़की है, क्योंकि तुम्हारा कद उस शोपीस वाली लड़की की तरह लंबा नहीं है. अमित उस शोपीस को देख कर उसे याद करता रहे, इसलिए दिया है उस ने वह उपहार.’’

कविता और शिखा की इन बातों को सुन कर मेरे मन की सुखशांति उसी वक्त खो गई. उन के जाने के बाद मैं ने अमित को ढूंढ़ने के लिए अपनी दृष्टि हाल में चारों तरफ घुमाई. अमित जिस समूह में खड़ा हो कर बातें कर रहा था, उस में निशा भी उपस्थित थी. मेरे देखते वे सब लोग अचानक किसी बात पर हंस पड़े. शायद निशा की टांग खींची थी अमित ने, क्योंकि मैं ने उसे अपने पति की पीठ पर नकली नाराजगी के साथ हलकी ताकत से घूंसे मारते देखा. उस की इस हरकत पर एक और सामूहिक ठहाका सब ने लगाया.

तेजाब- भाग 2: प्यार करना क्या चाहत है या सनक?

‘‘प्यार नहीं तो साथ रहने की क्या तुक? आज मु झे अपने पिता की रत्तीभर याद नहीं आती. उम्र के इस पड़ाव पर मैं सोचती हूं मेरी जिंदगी है, चाहे जैसे जिऊं. उन्होंने भी अपने समय में यही सोचा होगा? पर तुम इतना सीरियस क्यों हो?’’

‘‘क्रिस्टोफर, मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. ताउम्र तुम्हारा साथ चाहिए मु झे,’’ मैं भावुक हो गया. क्रिस्टोफर हंसने लगी.

‘‘मैं भाग कहां रही हूं? इंडिया आतीजाती रहूंगी. अभी तो मेरा प्रोजैक्ट अधूरा है.’’

‘‘यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है. तुम्हारे बगैर जी नहीं सकूंगा.’’

‘‘तुम इंडियन शादी के लिए बहुत उतावले होते हो. शादी का मतलब भी जानते हो?’’ क्रिस्टोफर का यह सवाल मु झे बचकाना लगा. अब वह मु झे शादी का मतलब सम झाएगी? मेरा मुंह बन गया. मेरा चेहरा देख कर क्रिस्टोफर मुसकरा दी. मैं और चिढ़ गया.

‘‘क्यों अपना मूड खराब करते हो. यहां हम लोग एंजौय करने आए हैं. शादी कर के बंधने से क्या मिलने वाला है?’’

‘‘तुम नहीं सम झोगी. शादी जिंदगी को व्यवस्थित करती है.’’

‘‘ऐसा तुम सोचते हो, मगर मैं नहीं. मेरी तरफ से तुम स्वतंत्र हो.’’

‘‘तुम अच्छी तरह सम झती हो कि मैं सिर्फ तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘तब तो तुम को इंतजार करना होगा. जब मु झे लगेगा कि तुम मेरे लिए अच्छे जीवनसाथी साबित होगे, तो मैं तुम से शादी कर लूंगी. मैं किसी दबाव में आने वाली नहीं.’’

‘‘मैं तुम पर दबाव नहीं डाल रहा.’’

‘‘फिर इतनी जल्दबाजी की वजह?’’

‘‘मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता. क्या तुम मु झ से प्रेम नहीं करतीं?’’

‘‘प्रेम और शादी एक ही चीज है?’’

‘‘प्रेम की परिणति क्या है?’’

‘‘शादी?’’ वह हंस पड़ी. जब रुकी तो बोली, ‘‘मैं तुम्हें एक अच्छा दोस्त मानती हूं. एक बेहतर इंडियन दोस्त.’’

‘‘और कुछ नहीं?’’

‘‘और क्या?’’

‘‘हमारे बीच जो शारीरिक संबंध बने उसे किस रूप में लेती हो?’’

‘‘वे हमारी शारीरिक जरूरतें थीं. इस को ले कर मैं गंभीर नहीं हूं. यह एक सामान्य घटना है मेरे लिए.’’

क्रिस्टोफर के कथन से मेरे मन में निराशा के भाव पैदा हो गए. इस के बावजूद मेरे दिल में उस के प्रति प्रेम रत्तीमात्र कम नहीं हुआ. वह भले ही मु झे पेरिस न ले जाए, मैं ने कभी भी इस लोभ में पड़ कर उस से प्रेम नहीं किया. मैं ने सिर्फ क्रिस्टोफर की मासूमियत और निश्च्छलता से प्रेम किया था. आज के समय में वह मेरे लिए सबकुछ थी. मैं ने उस के लिए सब को भुला दिया. मेरे चित्त में हर वक्त उसी का चेहरा घूमता था. एक क्षण वह आंखों से ओ झल होती तो मैं भाग कर उसे खोजता.

‘‘यहां हूं बारामदे में,’’ क्रिस्टोफर बोली तो मैं तेजी से चल कर उस के पास आया और उसे बांहों में भर लिया.

‘‘बिस्तर पर नहीं पाया, इसलिए घबरा गया था,’’ मैं बोला.

‘‘चिंता मत करो. मैं पेरिस में नहीं, तुम्हारे साथ नैनीताल के एक होटल में हूं. तुम्हारे बिना लौटना क्या आसान होगा?’’ वह हंसी.

‘‘आसान होता तो क्या अकेली चली जाती?’’ मेरा चेहरा बन गया. क्रिस्टोफर ने मेरे चेहरे को पढ़ लिया.

‘‘उदास मत हो. वर्तमान में रहना सीखो. अभी तो मैं तुम्हारे सामने हूं, डार्लिंग.’’ क्रिस्टोफर ने मु झे आलिंगनबद्ध कर लिया. मेरे भीतर का भय थोड़ा कम हुआ. एक हफ्ते बाद हम दोनों बनारस आए. 2 दिनों बाद क्रिस्टोफर ने बताया कि उसे पेरिस जाना होगा. 10 दिनों बाद लौटेगी. सुन कर मेरा दिल बैठ गया. उस के बगैर एक क्षण रहना मुश्किल था मेरे लिए. 10 दिन तो बहुत थे. क्रिस्टोफर अपना सामान बांध रही थी. इधर मैं उस की जुदाई में डूबा जा रहा था. क्या पता क्रिस्टोफर न लौटे? सोचसोच कर मैं परेशान हुआ जा रहा था. जब नहीं रहा गया तो पूछ बैठा, ‘‘लौट कर आओगी न,’’ कहतेकहते मेरा गला भर आया.

‘‘आऊंगी, जरूर आऊंगी,’’ उस ने आऊंगी पर जोर दे कर कहा.

वह चली गई. मैं घंटों उस की याद में आंसू बहाता रहा. 10 दिन 10 साल की तरह लगे. न खाने का जी करता न ही सोने का. नींद तो जैसे मु झ से रूठ ही गई थी. ऐसे में स्कैचिंग का प्रश्न ही नहीं उठता. मेरी दुर्दशा मेरे मम्मीपापा से देखी नहीं गई. उन्होंने मु झे सम झाने का प्रयास किया. उसे भूलने को कहा. क्या यह संभव था? मैं ने अपनेआप को एक कमरे में बंद कर लिया था. क्रिस्टोफर की फोटो अपने सीने से लगाए उस के साथ बिताए पलों को याद कर अपना जी हलका करने की कोशिश करने लगा.

पूरे एक महीने बाद एक सुबह अचानक क्रिस्टोफर ने मेरे घर पर दस्तक दी. उसे सामने पा कर मैं बेकाबू हो गया. उसे बांहों में भर कर चूमने लगा. क्रिस्टोफर को मेरा यह व्यवहार अमर्यादित लगा.

‘‘यह क्या बदतमीजी है?’’ क्रिस्टोफर ने खुद को मु झ से अलग करने की कोशिश की.

‘‘क्रिस्टोफर, अब मु झे छोड़ कर कहीं नहीं जाओगी,’’ मेरा कंठ भर आया. आंखें नम हो गईं.

‘‘क्या हालत बना रखी है. बेतरतीब बाल, बढ़ी दाढ़ी. जिस्म से आती बू.’’ क्रिस्टोफर मु झ से छिटक कर अलग हो गई. यह मेरे लिए अनापेक्षित था. होना तो यह चाहिए था कि वह भी मेरे प्रति ऐसा ही व्यवहार करती.

‘‘तुम पहले अपना हुलिया ठीक करो.’’ मैं भला क्रिस्टोफर का आदेश कैसे टाल सकता था. थोड़ी देर बाद जब मैं उस के पास आया तो वह खुश हो गई.

‘‘आई लव यू,’’ कह कर उस ने मु झे चूम लिया. उस शाम हम दोनों खूब घूमे. घूमतेघूमते हम दोनों अस्सी घाट पर आए. वहां बैठे शाम का नजारा ले रहे थे कि उस का फोन बजा. क्रिस्टोफर उठ कर एकांत में चली गई. थोड़ी देर बाद आई.

‘‘किस का फोन था?’’ मैं ने पूछा.

‘‘पेरिस के मेरे एक दोस्त का था. मेरे पहुंचने की खबर ले रहा था.’’ क्रिस्टोफर के कथन ने एक बार फिर से मु झे सशंकित कर दिया. मैं भी दोस्त वह भी दोस्त. वह भी इतना अजीज कि उस का हाल पूछ रहा था. क्या वह मु झ से भी ज्यादा करीबी था जो क्रिस्टोफर ने एकांत का सहारा लिया. बहरहाल, मैं इस वक्त को पूरी तरह से जी लेना चाहता था. रात 10 बजने को हुए तो क्रिस्टोफर ने घर चलने के लिए कहा. घर आ कर उस ने मु झे गुडनाइट कहा. उस के बाद हम दोनों अपनेअपने कमरे में चले गए.

सर्दियों में ड्राय स्किन के साथ रंग काला पड़ने से हमेशा परेशान रहती हूं?

सवाल-

मैं सर्दियों में ड्राई स्किन के साथ रंग के काला पड़ने से हमेशा परेशान रहती हूं. क्या कोई ऐसा घरेलू उपाय है जिसे अपना कर मेरी स्किन सर्दियों में भी ग्लो कर सके?

जवाब-

अगर आप त्वचा को मौइस्चराइज रखने के साथसाथ उस का रंग भी निखारना चाहती हैं, तो यह मौइस्चराइजर आप के लिए बैस्ट है. इसे बनाना भी आसान है. इस में विटामिन ई का प्रयोग किया जाता है, जिस से त्वचा को पोषण मिलता है.इसे बनाने के लिए आप को 1/2 कप और्गेनिक कोकोनट औयल, 1 चम्मच विटामिन ई औयल या 3 विटामिन ई के कैप्सूल लें.एक कटोरी में नारियल के तेल को धीमी आंच पर पिघलाएं. फिर उस में विटामिन ई कैप्सूल फोड़ कर डालें और चम्मच से अच्छी तरह मिलाएं. इस मौइस्चराजर का प्रयोग दिन में 2 बार करें.

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सर्दियों का मौसम फिर से दस्तक दे रहा है और इस मौसम में जरूरी है हम अपनी त्वचा की देखभाल अच्छी तरह से करें. सर्दियों में त्वचा को चमकदार बनाए रखने के लिए विशेष देखभाल की जरूरत होती है. हम आप को कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जो आप की त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं:

मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें

सर्दियों में हमें क्रीम बेस्ड थिक मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहिए. इस के साथसाथ ऐसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जो त्वचा की नमी को भी बरकरार रखें.

ऐलो वेरा युक्त स्किन क्रीम लगायें

ऐलो वेरा युक्त स्किन क्रीम का प्रयोग आप की त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है. देश विदेश के कई शाही परिवारों में सदियों से ऐलो वेरा का इस्तेमाल खूबसूरती के लिए किया जाता रहा है. माना जाता है कि क्लियोपैट्रा अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए हर दिन ऐलो वेरा का इस्तेमाल करती थीं. इस में ऐसे गुण हैं, जो आप की त्वचा को प्राकृतिक चमक देते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- इस सर्दी रखें अपनी स्किन का खास खयाल

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

टीनेएजर्स के ऐसे हों इनरवियर

इनरवियर चाहे पुरुषों के हों या महिलाओं के विशेष महत्त्व रखते हैं. लेकिन जब बात महिलाओं द्वारा इस्तेमाल होने वाले इनरवियर की हो तो बहुत ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती है. पहनावा बुटीक की गुरलीन संधू की सलाह है कि आमतौर पर 13-14 साल की होते ही लड़की को अपने शारीरिक बदलावों के चलते इनरवियर का चुनाव करते समय विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि यदि उन की फिटिंग और आकार ठीक नहीं होगा तो उन्हें पहनने पर असुविधा होगी. इस की हर मां को जानकारी होनी चाहिए कि उस की बेटी के लिए क्या ठीक रहेगा. शरीर के सही विकास के लिए भी सही फिटिंग के इनरवियर का चुनाव जरूरी है.

सही इनरवियर चुनें ऐसे

इनरवियर में ब्रा और लिंजरी के चुनाव में खास सावधानी बरतनी चाहिए. वैसे यह साधारण बात लगती है लेकिन है नहीं. यह एक जटिल काम है. इस के लिए सब से पहले तो अपनी नाप का सहीसही पता होना जरूरी है. विकसित होेते शरीर के लिए तो उचित नाप का पता होना बहुत आवश्यक है. सही नाप पता होने पर ही सही ब्रा का चुनाव हो पाता है. कहने को तो यह मात्र अंडरवियर ही होता है, लेकिन यदि इस का आकार गलत हो तो इस से कमर में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है, जो अंत में सिरदर्द तक जा पहुंचता है. यदि कपड़ा अनावश्यक रूप से टाइट होगा तो सारे शरीर में दर्द कर सकता है. शारीरिक बदलाव के दौर में विकसित होती लड़कियों को ट्रेनिंग ब्रा की जरूरत होती है. ट्रेनिंग ब्रा परफैक्ट फिटिंग वाली नहीं होती, लेकिन उसे पहनने से शरीर का विकास सही होता है. यह दुबलीपतली लड़कियों के लिए होती है जिन का कप साइज कम होता है. लेकिन शहरी माहौल में पलीबढ़ी लड़कियों का शरीर भराभरा होता है, अत: उन का कप साइज रैग्युलर होता है. उन्हें रैग्युलर ब्रा पहननी चाहिए. लेकिन टीनएजर्स के लिए स्पोर्ट्स ब्रा ही ठीक रहती है क्योंकि इसे पहनने से खेलकूद के दौरान ब्रैस्ट पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता.

अमूमन 50% स्त्रियां गलत साइज की ब्रा पहनती हैं. इस से उम्र के बढ़ने के साथ ब्रा का ढलकना आम बात हो जाती है. लेकिन यदि शुरू से ही कप साइज ठीक रखेंगी तो ब्रैस्ट की शेप काफी उम्र तक ठीक रहेगी.

लिंजरी के प्रकार

स्ट्रैपलेस: अगर आप बस्टियर नहीं पहनना चाहतीं तो स्ट्रैपलेस ब्रा फिगर को उभारने के लिए उचित चुनाव होगा.

बस्टियर: यह ब्रा बस्ट और वेस्ट दोनों को सपोर्ट करती है.

सीमलेस: लाइट कलर्स और लाइट फैब्रिक के साथ सीमलेस ब्रा ठीक रहती है क्योंकि उस की स्टिचिंग नजर नहीं आती.

निपल कवर: बैकलैस ड्रैस के साथ इन का उपयोग अच्छा लगता है. ये ड्रैस के भीतर रखे जा सकते हैं.

पारदर्शी बैकलेस ब्रा: स्किन कलर की होने की वजह से यह नजर नहीं आती. इसे बैकलेस ड्रैस के साथ पहन सकती हैं.

लिंजरी आमतौर पर हौजरी कौटन की बनी होती है, लेकिन पहनने वाली अगर स्पोर्ट्स में हिस्सा लेती है तो उस के लिए सिंथैटिक फाइबर से बनी लिंजरी ठीक रहेगी. ट्रैक ऐक्टिविटीज, वर्कआउट, ऐरौबिक्स करने वाली अंडरगारमैंट का चयन बहुत ध्यान से करें. मोटी लाइनिंग या चौड़ी लाइनिंग वाले अंडरगारमैंट पहनने से बचें क्योंकि ये वर्कआउट के दौरान लोअर से झलकते रहेंगे यदि बस्ट लाइन और टमी एरिया हैवी है तो ऐसी लिंजरी का चुनाव करें, जो भारी हिस्सों को छिपाए. टू पीस लिंजरी और पारदर्शी लिंजरी पहनने से बचें.

तेजाब- भाग 3: प्यार करना क्या चाहत है या सनक?

सुबह की पहली किरण पड़ते ही क्रिस्टोफर की एक झलक के लिए मैं ऊपर उस के कमरे में आया. संयोग से दरवाजा खुला था. क्रिस्टोफर बाथरूम में थी. एकाएक मेरी नजर उस के लैपटौप पर गई. वह किसी से चैटिंग कर रही थी. मैं पढ़ने लगा.

‘एक इंडियन मेरे पीछे पड़ा था. उस से कुछ काम निकलवाने हैं.’ क्रिस्टोफर.

‘काम जल्दीजल्दी खत्म कर के आ जाओ,’ फिलिप.

यानी उस दोस्त का नाम फिलिप है? मैं ने मन ही मन सोचा.

‘एक हफ्ते और इंतजार करो. आते ही हम दोनों शादी कर लेंगे,’ क्रिस्टोफर.

पढ़ कर ऐसा लगा जैसे मेरे पैरोंतले जमीन खिसक गई हो. मैं ने किसी तरह अपनेआप को संभाला. इस के पहले कि वह बाथरूम से निकले, मैं वहां से खिसक गया.

क्रिस्टोफर ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा किया. यह सोच कर लगा मेरा सिर फट जाएगा. मु झे सपने में भी भान नहीं था कि क्रिस्टोफर मेरा इस्तेमाल कर रही है. मेरा मन उस के प्रति घृणा से भर गया. जी किया अभी जा कर क्रिस्टोफर का गला घोंट दूं. मगर नहीं, मैं उसे ऐसा दंड देना चाहता था कि वह ताउम्र अभिशापित जीवन जिए.

इस निश्चय के साथ मैं उठा. एक सुनार के पास गया. मनमानी कीमत दे कर एक छोटे से जार में तेजाब खरीदा. उसे सभी की नजरों से छिपा कर अपने कमरे की अलमारी में रख दिया. अब मु झे मौके की तलाश थी. आज क्रिस्टोफर अकेले शोधकार्य के लिए बाहर निकली. मु झे साथ नहीं लिया. जाहिर है मेरे रहने से उस की निजता बाधित होती. इस बार एक महीने पेरिस में रह कर आई है, तो वह काफी बदलीबदली सी लगी. फिलिप से प्रेम का असर साफ उस के तौरतरीकों में दिख रहा था. मु झ से आई लव यू बोलना महज एक पाखंड था ताकि मु झे आभास न हो उस के मन में क्या चल रहा है.

दिनभर घूमने के बाद रात क्रिस्टोफर अपने कमरे में आ कर लेट गई. मेरा मन उस के रवैए से दुखी था. इसलिए उस के पास हालचाल लेने नहीं गया. ऐसा पहली बार हुआ जब क्रिस्टोफर ने मेरी उपेक्षा की. तभी क्रिस्टोफर का फोन आया.

‘‘कहां हो तुम?’’ न चाहते हुए मु झे उस के सवाल का जवाब देना पड़ा, ‘‘नीचे कमरे में.’’

‘‘नाराज हो?’’ अब मैं क्या कहूं. नाराज तो था.

‘‘मेरे पास नहीं आओगे?’’

इस तरीके से उस ने मनुहार किया कि मैं अपनेआप पर नियंत्रण न रख सका. तेज कदमों से चल कर उस के पास आया. उस की सूरत देखते ही मेरा सारा गुस्सा ठंडा पड़ गया. उस ने प्यार से मेरे बालों को सहलाया. ‘‘मु झे माफ कर दो, आज तुम्हें अपने साथ नहीं ले गई.’’

मैं एकटक उस के चेहरे को देख रहा था. नीली आंखें, सुर्ख अधर, गुलाबी कपोल, निश्च्छल मुसकराहट जिस से वशीभूत हो कर मैं खुद से बेखबर हो गया. आने वाले दिनों में उस पर किसी और का अधिकार होेगा, सोच कर मेरा दिल भर आया. मन मानने के लिए तैयार ही नहीं था कि क्रिस्टोफर मेरे साथ छल कर सकती है. लाख  झुठलाने की कोशिश करता मगर हर बार लैपटौप की चैटिंग मेरी आंखों के सामने तैर जाती. जख्म फिर से हरे हो जाते.

तभी क्रिस्टोफर ने सहजभाव से कहा, ‘‘मैं परसों पेरिस जा रही हूं. तुम्हारा दिल से शुक्रिया अदा करती हूं. तुम न होते तो मेरा यह काम अधूरा ही रहता. मैं तुम्हें एक अच्छे दोस्त की तरह हमेशा याद रखूंगी.’’ मैं निशब्द था. क्या जवाब दूं? मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई थी. मु झे चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आने लगा. क्रिस्टोफर के बगैर जिंदगी का क्या अर्थ रह जाएगा मेरे लिए. वह मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी. सोचने लगा, वह न आती तो अच्छा था. आई तो यों जा रही है मानो जिस्म से कोई दिल निकाल कर ले जा रहा हो. असहनीय पीड़ा महसूस हो रही थी मु झे. मैं घोर निराशा में डूब गया. जब कुछ नहीं सू झा तो क्रिस्टोफर के गले लग कर फफकफफक कर रो पड़ा. ‘‘मु झे छोड़ कर मत जाओ क्रिस्टोफर.’’

‘‘मैं मजबूर हूं.’’

‘‘तुम्हारे बगैर मैं जी नहीं पाऊंगा. मु झ पर रहम करो.’’

एकाएक क्रिस्टोफर मु झे अपने से अलग करते हुए किंचित नाराज स्वर में बोली, ‘‘क्या पागलपन है?’’ उस की बेरुखी मेरे सीने में नश्तर की तरह चुभी. मु झ में प्रतिशोध की भावना दोगुनी हो गई.

रात में ट्रांसफार्मर जल गया. गरमी के चलते क्रिस्टोफर छत पर सो रही थी. सुबह के 4 बज रहे थे. वह गहरी नींद में थी. मौका अच्छा था. मैं ने कमरे से तेजाब का जार उठाया, उड़ेल दिया क्रिस्टोफर के चेहरे पर. उस वक्त मेरे दिमाग में सिवा उस का चेहरा बदरंग करने के कुछ नहीं सू झ रहा था. वह चेहरा जिस से वशीभूत हो कर मैं ने क्रिस्टोफर को दिल दिया. हमेशा के लिए विकृत हो जाएगा. यही उचित दंड था उसे देने के लिए.

एकाएक नींद से उठ कर वह जोरजोर से चिल्लाने लगी. वह दर्द से छटपटा रही थी. मेरी कुछ सम झ में नहीं आया कि ऐसी स्थिति में क्या करूं. घबरा कर अपने कमरे के एक कोने में छिप गया. भोर होतेहोते सारा नजारा बदल चुका था.

वह अस्पताल में थी और मैं जेल में. एक क्षण में सबकुछ खत्म हो गया. जब मेरा क्रोध शांत हुआ तो मैं गहरे संताप में डूब गया. उस समय तो और ज्यादा जब मेरी मां ने बताया कि क्रिस्टोफर की एक आंख की रोशनी चली गई. उफ, यह मैं ने क्या कर दिया. मांबाप, पासपड़ोस, रिश्तेदार सभी के लिए मैं घृणा का पात्र बन गया. पापा तो मेरी सूरत तक नहीं देखना चाहते थे.

मैं बिलकुल अकेला पड़ गया. जेल की कोठरी में सिवा पश्चात्ताप के मेरे लिए कुछ नहीं था. मां से रुंधे कंठ से बोला, ‘‘क्रिस्टोफर को मेरी आंख दे दो.’’ मां तो मां, उन्हें मु झ से हमदर्दी थी. मगर वे भी मेरे कुकृत्य से आहत थीं. कहने लगीं, ‘‘उस ने जो किया वह उस के संस्कार थे. मगर मेरे संस्कारों ने तु झे क्या सिखाया? तुम ने अपनी मां की कोख को कलंकित किया है.’’ उन की आंखें भर आईं. इस से पहले क्रिस्टोफर तक मेरी इच्छा पहुंचती, वह अपने मांबाप के साथ सात समंदर पार हमेशा के लिए अपने देश चली गई, एक दुखद एहसास के साथ.

फौल के इस्तेमाल से फैशन को बनाएं स्टाइलिश

साड़ी का फौल साड़ी की हिफाजत करता है, उस की उम्र बढ़ाता है. यह लंबा व मजबूत रंगीन या सफेद कपड़ा होता है, जिस में कोई जोड़ नहीं होता. यह टैरीकौट, कौटन, रूबिया और सिल्क के कपड़ों में हर रंग में उपलब्ध होता है. क्यों न हम इस के और उपयोग कर के देखें.

गर्भावस्था में कमर व पेट बढ़ने लगते हैं. कभीकभी तो प्रसव के बाद भी ये बहुत समय तक बढ़े रहते हैं. आप ने बहुत शौक से पेटीकोट, सलवार आदि अपनी नाप के बनवाए थे. अब सब टाइट होते जा रहे हैं. एक पेटीकोट 100 से 200 तक में बनता है. कभीकभी तो और भी महंगा होता है. घबराइए नहीं, मैचिंग कलर का एक फौल खरीद लीजिए. उसे रात भर पानी में भिगो कर रखिए और सुबह प्रैस कर लीजिए.

पेटीकोट की कली की एक सिलाई उधेड़ लीजिए. उस कली से 1 या 2 पट्टियां फौल की जोड़ लीजिए. यदि कमर पर पेटी/बैल्ट है, तो उसे भी इसी फौल के कपड़े से बढ़ा लीजिए. बस, थोड़ी सी मेहनत और बहुत कम कीमत में आप का पेटीकोट चौड़ा हो जाएगा. मशीन का भी झंझट नहीं. हाथ से ही रनिंग स्टिच द्वारा जोड़ लीजिए. इसी प्रकार सलवार के घेरे को भी बढ़ाया जा सकता है.

ड्रैस को बनाएं आकर्षक

आप का ड्रैसिंग गाउन या कुरता कमर से टाइट हो गया है, तो उस में भी छाती से नीचे दोनों ओर (आगेपीछे) 4 कट्स लगा लें. मैचिंग रंग के फौल से 4 कलियां काट कर इन कट्स में सिल लें. उन पर कढ़ाई कर लें. लेस या सितारे टांक लें. कुरते/डै्रसिंग गाउन में नई जान आ जाएगी.

आजकल छोटे कुरतों का फैशन है, परंतु फैशन बदलते देर नहीं लगती. अगर लंबे कुरतों का फैशन आ गया, तब क्या आप अपने सारे कुरते बेकार कर देंगी? लंबे कुरतों को छोटा करना आसान है, पर छोटों को लंबा कैसे करें? फौल है न. फौल से उस की लंबाई बढ़ाइए उस पर कढ़ाई कर के या लेस, सितारे लगा कर उस की सुंदरता बढ़ाइए और कुरतें का नया लुक पाइऐ. चाहें तो उसी में से बांहों में भी 1-11/2 इंच की पट्टी लगा दीजिए. अलग तरह का शानदार कुरता तैयार है.

ब्लाउज को दें नया लुक

इसी प्रकार ब्लाउज की बांहों को बढ़ा कर सुंदर बनाया जा सकता है. गले की पाइपिंग बदलने पर तो ब्लाउज नया ही हो जाएगा. ब्लाउज की बांहें बगलों से सब से पहले फटती हैं, क्योंकि ब्लाउज में बांहें टाइट पहनी जाती हैं.

बच्ची का फ्रौक ऊंचा हो गया है, तो मैचिंग फौल से झालर बना कर लगा दें. झालर बांहों पर भी लगाएं. इसी प्रकार लहंगे के छोटे होने पर उस की भी लंबाई बढ़ाई जा सकती है.

आप के पलंग की चादर बीच में से कमजोर हो गई है. इस से पहले कि वह फटे, उस पर जिस रंग का डिजाइन या प्रिंट है उसी रंग का या 2 रंगों का बीच में ‘+’ के निशान का फौल टांक दीजिए. बस, चादर मजबूत हो जाएगी और सुंदर भी लगेगी. इसी प्रकार मेजपोश की भी लाइफ बढ़ाई जा सकती है. इस में आप पुराने फौल भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

तौलिए किनारों पर से जल्दी फटते हैं. बस, पुराने या नए फौल से तौलियों के किनारों पर बौर्डर बना दीजिए. चाहें तो बीच में फौल की पतली कटिंग से बच्चों के नाम का पहला अक्षर जैसे ए, बी, सी या डी बना कर टांक दें. बच्चे अपने नाम का तौलिया पा कर प्रसन्न हो उठेंगे.

किन्हीं भी 4 मनपसंद रंगों के फौल ले कर उन्हें आपस में मिला कर कुशन कवर बनाएं. नीचे के भाग व अस्तर के लिए मनपसंद नया या पुराना कपड़ा लगाएं. कलरफुल कुशन कवर तैयार है.

आप अपनी जरूरत के अनुसार फौल पट्टी से बहुत कुछ बना सकती हैं. बस, जरूरत के समय अपने नएपुराने फौल्स को याद रखिए

जानें क्या है प्यार की झप्पी के 5 फायदे

पतिपत्नी के बीच छोटेमोटे झगड़े उन के डेली रूटीन का हिस्सा होते हैं, जहां वे बिना सोचेसमझे झगड़ पड़ते हैं. वहीं ऐसे में प्यार की एक छोटी सी झप्पी बड़ा कमाल दिखा सकती है. वह छोटे से झगड़े को बड़ा झगड़ा बनने की स्पीड में बे्रक लगा सकती है.

ऐसा नहीं कि प्यार की झप्पी सिर्फ झगड़ों को ही सुलझाती है. दरअसल, प्यार की छोटी सी झप्पी पतिपत्नी के रिश्ते में बड़ेबड़े कमाल भी दिखाती है.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब हम किसी को गले लगाते हैं, तो हमारे शरीर से गुस्से को बढ़ाने वाले हारमोन तेजी से कम होने लगते हैं. सामने वाला गुस्से को भूल कर आप के प्यार को महसूस करता है यानी आप की प्यार की झप्पी उस के गुस्से को पल भर में दूर कर देती है और वह आप को माफ कर देता है.

बिना बोले सब कुछ बोले

पतिपत्नी के बीच प्यार को प्रकट करने का सब से अनूठा व कारगर तरीका है प्यार की झप्पी, जिस में बिना बोले आप अपनी भावनाएं प्रकट कर सकते हैं. पत्नी ने अगर अच्छा खाना बनाया हो तो पति दे उसे प्यार की एक झप्पी और अगर पति ने किसी अच्छी इनवैस्टमैंट पौलिसी में इनवैस्ट किया हो तो पत्नी दे उसे एक प्यार की झप्पी. पतिपत्नी के बीच हैल्दी और हैप्पी मैरिड लाइफ का अचूक नुसखा है प्यार की झप्पी, जिसे कभी भी और कहीं भी दिया जा सकता है.

पतिपत्नी का एकदूसरे के प्रति अपने प्यार का प्रदर्शन का तरीका है प्यार की झप्पी, जिस का अर्थ होता है कि तुम मुझे सब से प्यारे हो. प्यार की झप्पी देते समय यह हरगिज न सोचें कि आप कहां हैं किस के सामने हैं. दोस्तों के समक्ष जब आप पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करने के लिए एकदूसरे को गले लगाते हैं, तो दोस्तों की नजरों में आप का सम्मान और अधिक बढ़ जाता है. आप दोनों की नजदीकी और प्यार जगजाहिर हो जाता है.

दुखसुख का साथी

ऐसा नहीं कि सिर्फ खुशी के मौकों पर पतिपत्नी एकदूसरे को गले लगा कर अपना प्यार और नजदीकी जाहिर कर सकते हैं. वे परेशानी और दुख के पलों में भी एकदूसरे को गले लगा कर एकदूसरे के और करीब आ सकते हैं और दुख साझा कर सकते हैं.

आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान के बाद निष्कर्ष निकाला है कि जब हम किसी को दुख या तकलीफ में गले लगाते हैं, तो वह राहत महसूस करता है. रिपोर्ट में इस बात को मां व बच्चे के उदाहरण से स्पष्ट किया गया है कि जब बच्चे को चोट लगती है और मां उसे गले लगाती है तो उस का दर्द व तकलीफ दूर हो जाती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, दरअसल होता यह है कि जब हम अपने साथी को गले लगाते हैं तो खून में औक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जिस से उच्च रक्तचाप में कमी आती है, तनाव व बेचैनी कम होती है और स्मरण शक्ति भी बेहतर होती है.

दुख व तकलीफ के क्षणों में जब पतिपत्नी एकदूसरे को प्यार वाली झप्पी देते हैं, तो सारी तकलीफ दूर हो जाती है, क्योंकि उन में बढ़ता है प्यार और जुड़ जाता है अटूट बंधन.

गिलेशिकवे मिटाती

औफिस से घर पहुंचने में देर हो गई. पत्नी ने बाजार से जरूरी सामान लाने को बोला था लेकिन आप भूल गए या फिर पत्नी ने अच्छी साड़ी पहनी, लेकिन आप तारीफ करना भूल गए तो पत्नी की नाराजगी जायज है. ऐसे में पत्नी की नाराजगी दूर करने का सब से अच्छा तरीका है प्यार की झप्पी. फिर देखिएगा कि कैसे उस की नाराजगी पल भर में दूर हो जाएगी. पत्नी के गुस्से को शांत करने का सब से बेहतर माध्यम है उसे गले लगा कर उस से माफी मांगना और अपने प्यार का प्रदर्शन करना. आप की यह झप्पी उस के गुस्से को बर्फ की तरह पिघला देगी, क्योंकि उस में होगी आप के प्यार की गरमाहट.

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार आलिंगन और स्पर्श का संबंध ऐसे कई स्वास्थ्य गुणों से है, जो तनाव और पीड़ा को कम करते हैं. शोध के अनुसार इस का सब से अधिक असर महिलाओं पर होता है यानी अगर पत्नी नाराज हो तो उसे प्यार की झप्पी से पल भर में मनाया जा सकता है.

कीजिए प्यार का इजहार

जब शाहरुख खान, गौरी खान, अरबाज व मलाइका जैसी सैलिब्रिटीज पब्लिक प्लेस में एकदूसरे को गले लगाते हैं, तो आप कितना रोमांचित महसूस करते हैं. अपने रिश्ते में भी उसी रोमांस को लाइए. अपने प्यार को सार्वजनिक कीजिए. एकदूसरे को प्यार की झप्पी देते समय उस में झिझक, दुविधा या संशय को कोई स्थान न दीजिए, क्योंकि जब आप सार्वजनिक स्थल पर सब के सामने अपनी पत्नी को गले लगाते हैं, तो वह आप दोनों के बीच एक सुरक्षा चक्र बना देता है और आप का प्यार का प्रदर्शन आप की प्रबल मानसिकता के साथसाथ आप के सच्चे प्यार को प्रदर्शित करता है.

वैसे भी जब आप दोनों के पास विवाह का सर्टिफिकेट है तो फिर खुल्लमखुला प्यार किया तो डरना क्या की तर्ज पर अपने प्यार का इजहार कीजिए.

पुराने दिन ताजा कीजिए

विवाह के कुछ वर्षों बाद जब घर व औफिस की जिम्मेदारियों के बीच पतिपत्नी के रिश्तों में बोझिलता आ जाती है, तो ऐसे में प्यार की झप्पी पुराने दिनों की यादों को ताजा करती है और पतिपत्नी के प्यार में रोमांस का तड़का लगाती है. जिंदगी में मिठास घोलती है. जब आप एकदूसरे के अच्छे काम से और परेशानी में प्यार की झप्पी देते हैं, तो सैंस औफ टुगेदरनैस का एहसास होता है. प्यार की झप्पी एक ऐसा रामबाण है जिस से पतिपत्नी के जीवन में पुरानी यादों के खुशनुमा लमहों को दोबारा लाया जा सकता है.

तेजाब- भाग 1: प्यार करना क्या चाहत है या सनक?

पेरिस की क्रिस्टोफर से मेरी मुलाकात बनारस के अस्सी घाट पर हुई. उम्र यही कोई 25 वर्ष के आसपास  की होगी. वह बनारस में एक शोधकार्य के सिलसिले में बीचबीच में आती रहती थी. मैं अकसर शाम को स्कैचिंग के लिए जाता था. खुले विचारों की क्रिस्टोफर ने एक दिन मु झे स्कैचिंग करते देख लिया. दरअसल, मैं उसी की स्कैचिंग कर रहा था. वह घाट पर बैठे गंगा की लहरों को निहार रही थी. उस के चेहरे की निश्च्छलता और सादगी में एक ऐसी कशिश थी जिस से मैं खुद को स्कैचिंग करने से रोक नहीं पाया. इस दरम्यान बारबार मेरी नजर उस पर जाती. उस ने देख लिया. उठ कर मेरे पास आई. स्कैचिंग करते देख कर मुसकराई. उस समय तो वह कुछ ज्यादा ही खुश हो गई जब उसे पता चला कि यह उसी की तसवीर है. ‘‘वाओ, यू आर ए गुड आर्टिस्ट,’’ तसवीर देख कर वह बहुत प्रसन्न थी.

‘‘आप को पसंद आई?’’

‘‘हां, बहुत सुंदर है.’’

यह जान कर मु झे खुशी हुई कि उसे थोड़ीबहुत हिंदी भी आती थी. भेंटस्वरूप मैं ने उसे वह स्कैच दे दिया. यहीं से हमारे बीच मिलनेजुलने का सिलसिला चला, जो बाद में प्रगाढ़ प्रेम में तबदील हो गया. वह एक लौज में रहती थी. घरवालों के विरोध के बावजूद मैं ने उसे अपने घर में रहने के लिए जगह दी. जिस के लिए वह सहर्ष तैयार हो गई. अब उस से क्या किराया लिया जाए. जिस से प्रेम हो उस से किराया लेना क्या उचित होगा. मैं तो उस पर इस कदर आसक्त था कि उस से शादी तक का मन बना लिया था.

क्रिस्टोफर को इस शहर की सांस्कृतिक विरासत की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी, जो उस के शोधकार्य का हिस्सा थी. मैं ने उस की मदद की. अपनी क्लास छोड़ कर उस के साथ मैं मंदिरों, घाटों, गलियों तथा ऐतिहासिक स्थलों पर जाता. कई नामचीन संगीत कलाकारों से मिलवाया मैं ने उसे.

रात 8 बजे से पहले हम घर नहीं आते. उस के बाद मैं उस के कमरे में रात 11 बजे तक इधरउधर की बातें करता. उसे छोड़ने का नाम ही नहीं लेता. जी करता क्रिस्टोफर को हर वक्त निहारता रहूं. बेमन से अपने कमरे में आता. फिर अपने प्रेम के मीठे एहसास के साथ सो जाता.

एक रात मु झे नींद नहीं आ रही थी. क्रिस्टोफर को ले कर मन बेचैन था. घड़ी देखी रात के 1 बज रहे थे. मैं आहिस्ता से उठा. दबेपांव ऊपर क्रिस्टोफर के कमरे में आया. खिड़की से  झांका. वह कुछ लिख रही थी. इतनी रात तक वह जाग रही थी. यह देख कर मु झे आश्चर्य हुआ. मेरे आने की उसे आहट नहीं हुई. मैं ने धीरे से कहा, ‘‘क्रिस्टोफर.’’ उस ने नजर मेरी तरफ उठाई. उस समय वह गाउन पहने हुई थी. उस का गुलाबी बदन पूर्णिमा की चांद की तरह खिला हुआ था. जैसे ही उस ने दरवाजे की चिटकनी हटाई, मैं तेजी से चल कर कमरे में घुसा. दरवाजा अंदर से बंद कर उसे अपनी बांहों में भर लिया. वह थोड़ी सी असहज हुई, फिर सामान्य हो गई. उस रात हमारे बीच कुछ भी वर्जित नहीं रहा. खुले विचारों की क्रिस्टोफर के लिए संबंध कोई माने नहीं रखते. ऐसा मेरा अनुमान था. मगर मेरे लिए थे. जाहिर है वह मेरे लिए पत्नी का दर्जा रखने लगी थी. सिर्फ सात फेरों की जरूरत थी या फिर अदालती मुहर. मैं उस पर इस कदर फिदा था कि उस के बगैर जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था.

एक दिन क्रिस्टोफर ने मु झ से नैनीताल चलने के लिए कहा. भला मु झे क्या एतराज हो सकता था. घरवाले मेरे तौरतरीकों को ले कर आपत्ति जता रहे थे, मगर मैं उन्हें यह सम झाने में सफल हो गया कि पेरिस के कलाकारों की बड़ी कद्र है. उस की मदद से मैं एक ख्यातिप्राप्त चित्रकार के रूप में स्थापित हो सकता हूं. उन्होंने हमारे रिश्ते को बेमन से मंजूरी दे दी.

2 दिन नैनीताल में रहने के बाद हम दोनों कौसानी घूमने आए. गांधी आश्रम के चबूतरे पर बैठे. हम दोनों पहाड़ों की खूबसूरत वादियों को निहार रहे थे. क्रिस्टोफर को अपनी बांहों में भर कर मैं रोमांचित था. उन्मुक्त वातावरण पा कर मानो मेरे प्रेम को पर लग गए. कब शाम ढल गई, पता ही नहीं चला. वापस होटल पर आया. कौफी की चुस्कियों के बीच क्रिस्टोफर का मोबाइल बजा. वह बाहर मोबाइल ले जा कर बातें करने लगी. तब तक कौफी ठंडी हो चुकी थी. मैं ने वेटर से दूसरी कौफी लाने को कहा. ‘‘किस का फोन था?’’ मैं ने पूछा.

‘‘मौम का.’’

‘‘क्रिस्टोफर, मैं ने आज तक तुम्हारे परिवार के बारे में कुछ नहीं पूछा. क्या तुम बताओगी कि तुम्हारे मांबाप क्या करते हैं?’’

‘‘फादर मोटर मैकेनिक हैं. मौम एक अस्पताल में नर्स हैं. 5 साल की थी जब मेरे फादर से मेरी मां का तलाक हो गया. ये मेरे सौतले फादर हैं. मैं अपने फादर को बहुत चाहती थी,’’ कह कर वह उदास हो गई.

‘‘तलाक की वजह?’’

‘‘हमारे यहां जब तक प्यार की कशिश रहती है तभी तक रिश्ते निभाए जाते हैं. तुम लोगों की तरह नहीं कि हर हाल में साथ रहना ही है. मेरे फादर मेरी मौम से बोर हो गए, उन का लगाव दूसरी औरत की तरफ हो गया. वहीं मौम, फादर के ही एक दोस्त से शादी कर के अलग हो गईं.’’

‘‘इसे तुम किस रूप में देखती हो? क्या तुम ने चाहा कि तुम्हारे मांबाप तुम से अलग हों?’’

कुछ सोच कर क्रिस्टोफर बोली, ‘‘शायद नहीं.’’

‘‘शायद क्यों?’’ मैं ने पूछा.

‘‘शायद इसलिए कि एक बेटी के रूप में मैं कभी नहीं चाहूंगी कि मु झे मेरे फादर के प्यार से वंचित रहना पड़े. मगर…’’ कह कर वह चुप हो गई.

‘‘बोलो, तुम चुप क्यों हो गईं,’’ मैं अधीर हो गया.

ये 4 आदतें बढ़ाती हैं आपका मोटापा

अपने चारों ओर मोटापा या मोटे लोगों को देखना एक सामान्य बात है, पर मोटापा कोई आम बात नहीं है बल्कि यह एक बीमारी का नाम है जिसे नियंत्रण में करना और रखना बहुत ही मुश्किल है. मोटापे के लिए कौन जिम्मेदार है. आप स्वयं ही इस बामारी के लिए उत्तरदीयी होते हैं.

यूं तो मोटापे के कई कारण होता हैं. जंक फ़ूड, अनियमित भोजन, तनाव, पूरी नींद न ले पाना आदि वजन को बढ़ाने के कारण होते हैं. मोटापे के कारण शरीर को कई अन्य बीमारियाँ घेर लेती हैं. आप जानते हैं कि मोटापा कई बीमारियों की जड़ होता है, आज हम आपको बताएंगे मोटापे के बढने के कारण .

कई लोग मोटे होने के बाद सोचते हैं कि कल से अपनी डाइटिंग और एक्सरसाइज शुरुआत कर देंगे, लेकिन सभी में कुछ गंदी आदते होती हैं जो कि आपको पतला नहीं होने देती. यदि आप अपने खाने-पीने पर कंट्रोल नहीं करते तो आप भले ही कितनी भी कोशिश कर लें, मोटापा कम नहीं कर सकेगें.

अगर आप मोटापा कम करना चाहते हैं, तो आपको अपनी कुछ आदतों को सुधारना चाहिए. यहां हैं कुछ गंदी आदते जिन्हें सुधार कर आप मोटापे से बच सकते हैं..

1. अधिक मीठा खाना

अगर नाश्ते की बात करें तो पैक्ड दही, चाय या कॉफी हर चीज में आपको शुगर या मीठे की मात्रा मिल ही जाती है. जो आपके शरीर में इकट्ठा होकर चर्बी का रूप धारण कर लेती है, इसलिए जब भी आप बाजार जाएं तो कुछ भी खरीदने से पहले उसमें उसका शुगर लेवल चेक कर लें.

2. रोज मिठाई का सेवन

आज के समय में कुछ लोगों को मीठा खाने की इतनी आदत पड़ चुकी है कि वे खाने के बाद मीठा जरूर खाते हैं. किसी-किसी डेजर्ट में काफी अधिक मात्रा में शुगर होती है जिसे रात में खाने से मोटापा तेजी से बढ़ता है .

3. हर समय खाते रहना

कुछ लोग फ्री टाइम में या अपने ऑफिस में बैठकर कुछ न कुछ खाते ही रहते हैं. ऐसी आदतों के चलते आप कभी पतले नहीं हो सकेंगे.यदि आप पैकिट में बंद स्नेक्स वगैरह लेते हैं तो उनमें काफी मात्रा में सोडियम, कार्बोहाइड्रेट और शुगर होता है, जो मोटापा बढ़ाने में मददगार होता है. अगर आप स्नैक्स ही खाना चाहते हैं तो घर पर बने हुए फाइबर युक्त आहार का सेवन करें.

दिनभर मुंह में कुछ लेकर चबाते रहना भी एक बहुत ही गंदी आदत होती है. ये आपको मोटापे को और अधिक बढ़ाती है.

4. रोजाना शराब की आदत

जो लोग डिनर के साथ में शराब भी लेते हैं उनके पेट में सीधे तौर पर शक्कर जाती है, जो उन्हें चाहकर भी पतला नहीं होने देती. यदि आप अपनी आदत को थोड़ा काबू में कर लेंगे तो कुछ ही दिनों में आप अपना वजन कम कर सकते हैं.

व्यायाम न करना

अपने शरीर से लगातार काम लेते रहिए. अगर आप अपने शरीर से लगातार काम नहीं लेतो हैं और खाना खाने के बाद लेटे ही रहते हैं, तो आप कभी भी पतले नहीं हो पाएंगे. मोटापे को घटाने के लिए शरीर का वर्कआउट करना जरुरी है. शरीर से रोज खूब सरा पसीना बहाने पर आपका फेट अपने आप कम हो जाता है.

निर्मल आनंद: क्यों परेशान थी नीलम

‘‘मां, मुझे क्यों मजबूर कर रही हो? मैं यह विवाह नहीं करूंगी,’’ नीलम ने करुण आवाज में रोतेरोते कहा. ‘‘नहीं, बेटी, यह मजबूरी नहीं है. हम तो तेरी भलाई के लिए ही सबकुछ कर रहे हैं. ऐसे रिश्ते बारबार नहीं आते. आनंद कितना सुंदर, सुशील और होनहार लड़का है. अच्छी नौकरी, अच्छा खानदान और अच्छा घरबार. ऐसे अवसर को ठुकराना क्या कोई अक्लमंदी है,’’ नीलम की मां ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.

‘‘नहीं, मां, नहीं. यह कभी नहीं हो सकता. मां, तुम तो जानती ही हो कि मैं गठिया रोग से पीडि़त हूं. हर तरह का इलाज कराने पर भी मैं ठीक नहीं हो पाई हूं. उन्होंने तो बस मेरा चेहरा और कपड़ों से ढके शरीर को देख कर ही मुझे पसंद किया है. क्या यह उन के साथ विश्वासघात नहीं होगा?’’ नीलम ने रोंआसा मुंह बनाते हुए कहा.

मां पर नीलम की बातों का कोई असर नहीं हुआ. वह तनिक भी विचलित नहीं हुईं. वह तो किसी भी तरह नीलम के हाथ पीले कर देना चाहती थीं.

जब नीलम सीधी तरह मानने को तैयार नहीं हुई तो उन्होंने डांट कर उसे समझाते हुए कहा, ‘‘बेटी, तुझे मालूम है कि तेरे पिता नहीं हैं. भाई भी अमेरिका में रंगरेलियां मना रहा है. उसे तो तेरी और मेरी कोई चिंता ही नहीं है. जो पैसा था वह मैं ने उस की पढ़ाई में लगा दिया. मेरे भाइयों ने तो सुध भी नहीं ली कि हम जिंदा हैं या मर गए. राखी का भी उत्तर नहीं देते कि कहीं मैं कुछ उन से मांग न लूं.

‘‘बेटी, जिद नहीं करते. थोड़े से छिपाव से सारा जीवन सुखी हो जाएगा. डाक्टरों का कहना है कि विवाह के बाद यह रोग भी दूर हो जाएगा. फिर आनंद के परिवार वाले कितने अच्छे हैं. उन्होंने दहेज के लिए साफ मना कर दिया है.’’

नीलम मां की बातें और अधिक देर तक नहीं सुन सकी. वह वहां से उठी और अपने कमरे में जा कर पलंग पर औंधी लेट गई. उस के मन में भयंकर तूफान उठ रहा था. अपने विचारों में उलझी हुई वह अपने अतीत में खो गई.

वह जब 7 साल की थी तो उस के सिर से पिता का साया उठ गया था. वह एक संपन्न परिवार की सब से छोटी संतान थी. उस के अलावा एक भाई और 2 बहनें थीं. नीलम मां की लाड़ली थी. पिता भी उसे बहुत प्यार करते थे और अकसर उसे अपने कंधे पर बिठा कर घुमाया करते थे. नीलम की बड़ी बहन इला दिल्ली रेडियो स्टेशन पर उद्घोषिका थी. वह भी नीलम से अत्यधिक स्नेह करती थी.

इला, नीलम को अपने साथ दिल्ली ले आई और उस की पढ़ाई का सारा जिम्मा अपने ऊपर ले लिया. इला ने नीलम को अपनी बच्ची की तरह प्यार किया. उस की हर इच्छा पूरी करने का भरसक प्रयास किया. जब इला ने अपने एक सहयोगी करुणशंकर से प्रेम विवाह किया तो उस ने नीलम को भी अपने साथ रखने की शर्त रखी थी.

करुणशंकर स्वभाव से विनम्र, शांत  स्वभाव के और पत्नीभक्त थे. घर में इला का रोब चलता था और वह उस के इशारे पर नाचते रहते थे. उन के एक छोटे भाई भी दिल्ली में ही सरकारी नौकरी में थे, परंतु उन्हें अपनी पत्नी की छोटी बहन नीलम की देखरेख की ही ज्यादा चिंता थी.

एम.ए. पास करने के बाद नीलम एक प्राइवेट कंपनी में प्रचार अधिकारी के पद पर नियुक्त हो गई. अपने कार्यक्षेत्र में उसे अनेक पुरुषों के साथ उठनाबैठना पड़ता था, परंतु कोई उस के चरित्र की ओर उंगली तक नहीं उठा सकता था. वह हंसमुख और चंचल अवश्य थी परंतु एक हद तक तहजीब और खातिरदारी उस के चरित्र के विशेष गुण थे. उस के अधिकारी उस के व्यवहार और सुंदरता दोनों से ही प्रभावित थे. कंपनी के प्रबंध निदेशक तो उसे अपनी कंपनी की गुडि़या कहा करते थे.

मां उस से विवाह के लिए अनेक बार अनुरोध कर चुकी थी, परंतु वह हर बार टाल देती थी. वह हर समय सोचती कि विवाह से भला वह कैसे किसी की जिंदगी में विष घोल सकती है. मां भी जानती थीं कि उसे गठिया की बीमारी है. नीलम इस बीमारी के कारण रात में सो नहीं पाती थी. एलोपैथी, आयुर्वेद और होमियोपैथी के इलाज का भी उस की इस बीमारी पर कोई असर नहीं पड़ा.

कई बार तो उस के पैर और हाथ इतने सूज जाते थे कि वह परेशान हो उठती थी. उस की देखभाल उस के जीजा ही करते थे, क्योंकि उस की बहन का तबादला दूसरी जगह हो गया था.

नीलम ने बिस्तर पर लेटेलेटे ही अपने मन को समझाने की कोशिश की. वह निश्चय कर चुकी थी कि वह यह विवाह कदापि नहीं करेगी पर मां थीं कि उस की बात मान ही नहीं रही थीं.

विवाह की तारीख नजदीक आ रही थी. नीलम को ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वह बहुत बड़ा विश्वासघात करने जा रही है. वह अपनी मां, बहन और जीजाजी सभी से विनती कर चुकी थी, परंतु कोई भी उस की मदद करने को तैयार नहीं था.

आखिर नीलम से नहीं रहा गया. उस ने हिम्मत बटोरी और स्वयं ही इस समस्या का समाधान करने का निश्चय कर लिया.

विवाह की तारीख से 3 दिन पहले शाम को उस ने सब से बढि़या साड़ी पहनी. पूरा शृंगार किया और बिना किसी को बताए अपने होने वाले पति आनंद के घर की ओर चल दी.

संयोग से आनंद घर पर ही था. नीलम को इस प्रकार आते देख कर वह कुछ हैरान हुआ. उस ने अपनेआप को संभाला और मुसकराते हुए नीलम का स्वागत किया.

नीलम बहुत पसोपेश में थी. वह बात को कैसे चलाए. आखिर आनंद ने ही बात का सिलसिला छेड़ते हुए कहा, ‘‘नीलम, 3 दिन पहले ही विवाह की शुभकामनाएं अर्पित करता हूं.’’

आनंद के ये शब्द सुनते ही नीलम सिसकसिसक कर रोने लगी. उस ने आनंद के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘‘आनंद, मैं तुम से प्रार्थना करती हूं कि इस विवाह को तोड़ दो. मेरे ऊपर कोई दोष लगा दो. तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि मैं गठिया रोग से पीडि़त हूं. मैं किसी भी तरह तुम्हारी पत्नी बनने के काबिल नहीं हूं. मैं तुम्हें धोखे में नहीं रखना चाहती.’’

आनंद हैरानी से उस की ओर देख रहा था. उस ने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए कहा, ‘‘नीलू, तुम चिंता न करो. जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा. मुझे कुछ समय की मुहलत दे दो. मैं आज ही तुम्हारे यहां आ कर अपना फैसला बता दूंगा.’’

गुमसुम सी नीलम आनंद को नमस्कार कर हलके मन से अपने घर की ओर चल दी.

आनंद ने नीलम के जाने के तुरंत बाद अपने एक परिचित डाक्टर प्रशांत से संपर्क स्थापित किया और सारी बात बताई. आनंद की बात सुन कर प्रशांत हंसने लगा. उस ने कहा, ‘‘आनंद यह बीमारी इतनी संगीन नहीं है. मैं ने तो देखा है कि विवाह के बाद यह अकसर समाप्त हो जाती है. नीलम बेकार इसे ज्यादा गंभीरता से ले कर भावनाओं में बह रही है. तुम नीलम को स्वीकार कर सकते हो. इस में कोई डर नहीं.’’

आनंद डाक्टर प्रशांत के यहां से आश्वस्त हो कर सीधा नीलम के यहां गया. नीलम दरवाजे पर खड़ी उस का ही इंतजार कर रही थी. आनंद को घर में घुसते देख कर नीलम की मां का कलेजा धकधक करने लगा. वह किसी खराब समाचार की कल्पना करने लगीं.

नीलम ने आनंद का रास्ता रोकते हुए उत्सुकता से पूछा, ‘‘बोलो, क्या निर्णय लिया?’’

आनंद ने अपने चेहरे पर बनावटी गंभीरता ला कर कहा, ‘‘मैं मांजी से बात करूंगा.’’

आनंद ने अपने सामने मां को खड़े देखा तो उस ने झुक कर चरणस्पर्श किए. फिर आनंद ने कहा, ‘‘मांजी, नीलम की बातों पर ध्यान न दें. आप विवाह की तैयारी शुरू कर दें.’’

नीलम थोड़ी दूर खड़ी विस्मित सी आनंद को देखे जा रही थी. उस की आंखों में बहते आंसू उसे निर्मल आनंद का आभास दे रहे थे.

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