स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa Update) की कहानी में लगातार नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां एक तरफ पाखी और अधिक शादी की जिद करके बैठे हैं तो वहीं अनुज ने अनुपमा को पढ़ाई करने का तोहफा दिया है, जिसके चलते अनुपमा एक बार फिर अपने सपने और परिवार के बीच फंसती दिख रही है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा की मुश्किलें और बढ़ने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे’ (Anupamaa Upcoming Episode In Hindi).
अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बापूजी के कहने पर अनुपमा शाह हाउस में जाएगी. जहां एक बार फिर बा और वनराज, अनुपमा को ताना देते हुए दिखेंगे कि वह मां का फर्ज निभाने की बजाय कॉलेज में मस्ती कर रही है. हालांकि वह दोनों की क्लास लगाती दिखेगी. वहीं अनुपमा अपनी फैमिली के साथ दीवाली की तैयारियां करते हुए दिखेगी.
इसके अलावा आप देखेंगे कि दीवाली की पूजा से पहले ही पाखी घर से गायब हो जाएगी. वहीं अनुपमा और परिवार के लोग मिलकर पाखी को ढूंढने की कोशिश करते नजर आएंगे. हालांकि इसी बीच पाखी और अधिक शाह हाउस में एंट्री लेंगे, जिसे देखकर सभी चौंक जाएंगे. दरअसल, पाखी मांग में सिंदूर और वरमाला पहनकर अधिक के साथ एंट्री लेगी, जिसे देखकर सभी समझ जाएंगे कि दोनों ने मंदिर में शादी कर ली है.
कॉलेज लाइफ एंजाय करती दिखी अनुपमा
अब तक आपने देखा कि अनुज के कॉलेज में एडमिशन कराने के बाद अनुपमा अपनी कॉलेज लाइफ को एंजॉय करती दिखती है. हालांकि वनराज और बा उसे फोन कर करके परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. दरअसल, बरखा, अधिक के बारे में वनराज और शाह फैमिली को सच बता देती है कि वह अनुपमा को परेशान करने के लिए प्यार का नाटक कर रहा था, जिसे सुनकर वह अनुपमा को शाह हाउस बुलाने के लिए कहता है.
सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में इन दिनों सवि और विनायक की दोस्ती से पाखी परेशान नजर आ रही है. वहीं विराट का सई के लिए गुस्सा बढता जा रहा है और वह सवि के पिता के बारे में जानने की कोशिश कर रहा है. दूसरी तरफ सई को परेशान देखकर अपकमिंग एपिसोड में जगताप, विराट के सामने सच लाने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि विराट को लेकर परेशान सई को समझाने की कोशिश जगताप करेगा और वह उसे समझा भी देगा कि वह पुरानी सई की तरह सच्चाई का सामना करे और विराट को सच बता दे, जिसके लिए वह मान जाएगी. हालांकि विराट का पाखी की तारीफ करने से सई टूट जाएगी और शहर छोड़ने का फैसला करेगी.
इसके अलावा आप देखेंगे कि विराट, जगताप के साथ लड़ाई करेगा और उसका कॉलर पकड़कर सबक सिखाने की बात करेगा. जबकि जगताप उसे सच बताएगा कि सवि उसकी बेटी है, जिसे सुनकर विराट चौंक जाएगा. वहीं सई, सवि के साथ शहर छोड़ने का फैसला करेगी. लेकिन विराट उसे रोक लेगा और सवि से बात करता दिखेगा.
अब तक आपने देखा कि सवि का विराट और चौह्वाण फैमिली से लगाव बढता जा रहा है, जिसके चलते सई काफी परेशान नजर आ रही है. इसी के साथ पाखी भी सवि के पिता के बारे में जानने के लिए बेताब नजर आ रही है. दरअसल, दशहरे के कार्यक्रम में सवि, विराट को अपना पिता बताती है, जिसे सुनकर सई गुस्से में दिखती है और उसे डांटती है. दूसरी तरफ वह जगताप पर भी अपना गुस्सा निकालती दिखती है.
त्योहारों के समय घर पर काफी काम होते हैं व्यस्तता के चलते अपने सौंदर्य को मैंटेन करना थोड़ा कठिन हो जाता है. आइए जानते हैं कि त्योहारों के समय भी कैसे रखें अपने सौंदर्य को निखरानिखरा.
– यदि स्किन पर कोई दागधब्बा है तो अपनी स्किन टोन से मैच करते कंसीलर की मदद से उसे कंसील कर लें. फैस्टिव मूड ऐक्साइटमैंट से भरा होता है, जिस कारण हर किसी को पसीना आने लगता है, इसलिए अपने फेस पर वाटरप्रूफ फाउंडेशन लगाएं और उसे सैट करने के लिए कौंपैक्ट का इस्तेमाल जरूर करें. कौंपैक्ट को अपने साथ जरूर रखें ताकि बीचबीच में टचअप कर सकें.
– अपनी ड्रैस से मैचिंग या कौंप्लिमैंटिंग ग्लिटर बेस्ड शेड अपनी आईज पर ब्लैंड करें और आईलिड पर कंट्रास्टिंग ब्लैक आईलाइनर से आंखों को शेप दें. यदि आप आईशैडो नहीं लगाना चाहती हैं तो कलरफुल लाइनर से आंखों को ड्रामैटिक अंदाज में भी सजा सकती हैं. पलकों को कर्लर से कर्ल कर वाटरप्रूफ मसकारे के कोट लगा कर आंखों को बड़ा व सुंदर दिखाएं. आंखों के अंदर यानी वाटर लाइन पर जैल काजल लगाएं.
– फैस्टिव सीजन में लड़कियां अकसर बैकलैस, क्रौसलैस और फैशनेबल हाल्टर लुक अपनाती हैं. ऐसे में अपनी पीठ, गरदन व अन्य खुले भागों पर फैंटेसी मेकअप करवा सकती हैं. हाथों में चूडि़यों के बजाय फैंटेसी मेकअप अपना सकती हैं. अपनी ड्रैस से मैच करते रंगों का फैंटेसी मेकअप इस माहौल में आप को आकर्षण का केंद्र बना देगा.
– गालों पर पिंक या पीच कलर का ब्लशऔन इस्तेमाल करें. नाक की दोनों तरफ चीकबोंस और डबल चिन को छिपाने के लिए डार्क ब्राउन शेड के ब्लशऔन से कंटूरिंग कर लें. ऐसा करने से नैननक्श शार्प नजर आएंगे और फेस भी पतला नजर आएगा. रात के जश्न में ब्लशऔन के साथसाथ चीकबोंस पर भी हाईलाइटर जरूर यूज करें.
– नेल्स पर खूबसूरती जगाने के लिए नेल आर्ट करवा सकती हैं. अपने पहनावे से मैच करती गोल्डन बीड्स, सिल्वर बीड्स, स्टड या स्वरोस्की नेल्स पर सजा सकती हैं. किसी खास फिंगर को स्पैशल लुक देने के लिए नेल पियर्सिंग भी करवा सकती हैं. इस में नेल्स में छेद कर के बाली या घुंघरू से सजाया जाता है. जिस से नाखून बेहद अट्रैक्टिव नजर आते हैं. फैस्टिवल में पूरा हफ्ता अपने हाथों की खूबसूरती को बनाए रखने के लिए नेल्स पर ऊपर से टौप कोट लगा सकती हैं. इस से नेल आर्ट 7 से 10 दिनों तक टिका रहेगा.
– यदि नाखून छोटे हैं या बढ़ते ही टूट जाते हैं, तो नेल कल्चर तकनीक का सहारा ले सकती हैं. इस तकनीक के तहत टूटे नाखून को फिर से नैचुरल शेप में लाया जा सकता है. नेल कल्चर किए गए नाखून दिखने में और काम करने में बिलकुल नैचुरल नाखूनों की ही तरह नजर आते हैं. इस से आप के नेल्स को मनचाहा आकार व लंबाई मिल जाती है. बारबार नेल पेंट लगाने के झंझट से बचने के लिए कलरफुल नेल ऐक्सटैंशन भी करवा सकती हैं.
– आमतौर पर ऐसे मौकों पर लड़कियां बाल खुले रखना पसंद करती हैं, लेकिन इस सीजन में ब्रेड्स यानी चोटियां इन हैं. ऐसे में आप फिशटेल, फ्रैंच चोटी, फ्रंट फ्रैंच या साइड चोटी बना कर उसे स्वरोस्की जडि़त हेयर ऐक्सैसरीज से सजा सकती हैं.
– होंठों पर बोल्ड शेड्स जैसे रैड, औरेंज, चैरी, प्लम आदि की लिपस्टिक लगाएं. लेकिन अगर आई मेकअप काफी वाइब्रैंट है तो लिप्स पर लाइट पिंक या पीच कलर की लिपस्टिक लगाएं. ऐसे मौकों पर आप को बारबार टचअप करने का मौका नहीं मिलता, इसलिए लिप्स को लौंगलास्टिंग लिपस्टिक से ही सील करें.
– बालों में कलरफुल क्लिपऔन ऐक्सटैंशन भी एक अच्छा औप्शन है. ये हर कलर में मार्केट में उपलब्ध हैं. आप अपनी ड्रैस से मैचिंग किसी भी कलर का ऐक्सटैंशन बालों में लगा सकती हैं. इस कलर को स्टाइलिश अंदाज में दिखाने के लिए चोटियां भी बना सकती हैं. स्टाइलिश व फैशनेबल ब्रेड्स के बीच कलरफुल स्ट्रैंड्स बेहद खूबसूरत दिखेंगे.
– इन दिनों ड्रैस के बजाय पर्स व फुटवियर से मैचिंग हेयर ऐक्सैसरीज का ट्रैंड है. आप पहनावे से कौंप्लिमैंट करते किसी भी ब्राइट कलर को अपने लिए चुन सकती हैं. इस से आप महफिल में अलग दिखेंगी.
अपना कोर्ई अजीज बीमार हो और सरकारी आल इंडिया इंस्टीट्यूट औफ मैडिसिन जैसे सरकारी अस्पताल में जा पहुंचा हो और न डाक्टर बात करने को तैयार हो, न लैब अस्सिटैंट तो कितनी घुटन और परेशानी होती है यह युक्तभोगी ही जानते है. देशभर में सरकारी अस्पतालों का जाल बिछा है पर जहां मंदिर में जाने पर तुरंत प्रवेश मिल जाता है (या कुछ घंटों में सही) अस्पताल अभी भी इतने कम हैं कि उन में बैड मिलना और इलाज का समय निकालना एवेस्ट पर चढऩे समान होता है.
दिल्ली एम्स ने सर्कुलर जारी किया है कि वहां कौरीडोरों में मरीजो, उन के रिश्तेदारों के अलावा जो भी उसे यूनिफौर्म और आईडी का डिस्पले करते रहना होगा क्योंकि कौरीडोर प्राइवेट लैबों, क्लीनिकों के एजेंटों से भरे हैं. ये लोग पहले मरीज में रिजल्ट सप्ताहों में आएगा, सर्जरी महीनों में होगी, डाक्टर के लिए नंबर दिनों में आएगा तो क्यों न प्राइवेट जगह चला जाए.
यह बहुत बड़ी देश की दुर्गति है कि हर नागरिक को समय पर इलाज न मिल पाए. गरीब को अनाज मिले, सही इलाज मिले और जेंब में पैसे हो या न हों, इलाज हो ही, यह तय करना सरकार का पहला काम न कि फला जगह मंदिर के लिए कौरीडोर बनाना और फलां जगह दूसरे धर्म स्वाच को ले कर डिस्प्यूट खड़ा करना. सरकार को 4 लेन, 6 लेन सडक़ों से ज्यादा अस्पतालों को ठीक करना होगा.
आज जो भी मेडिकल इलाज वैज्ञानिकों की शोध से मिल रहा है, वह कुछ को 5 स्टार के पैसे देने पर ही मिले, देश के लिए सब से ज्यादा दर्दनाक स्थिति है.
केंद्र सरकार अपनी नाक के नीचे एम्स को दलालों से मुफ्त नहीं करा सकती तो इडी (एनफोर्समैड डायरक्योरेट) सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) एनआईए (नैशन इंटैलिजैंस एजेंसी) जैसी संस्थाएं जनता के लिए बेकार हैं जब अपना कोई मर रहा हो, कराह ही रहा हो सिर पर पैसे बनाने वाले दलाल चढ़ हो क्योंकि सरकारी इलाज न जाने कब मिलेगा. सरकार को ईडीफीडी पर गर्व नहीं करना चाहिए, सरकारी अस्पतालों में घूम रहे दलालों पर शर्म से गढ़ जाना चाहिए.
इतने सालों तक आपने विभिन्न आहार नियम और क्या सही है व क्या नहीं, क्या खाना ठीक होता है क्या नहीं, इस पर बहुत कुछ पढ़ा है और बहुत सी बातें की है. पर आज भी आप या हम में से कोई भी यह नहीं कह सकता कि कौन सा डाइट रुटीन वाकई उचित और लाभकारी है. आज हम बात करेंगे आपकी डाइट को लेकर, भोजन संबंधी कुछ नए दिशा निर्देश और नियमों की जो वास्तव में आपको, आपके लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करेगा..
भोजन करने से पहले :
दोनों हाथ और पैरों को अच्छी तरह से धोकर ही खाना खाने बैठना चाहिए. वैसे ऐसा जरूरी नहीं पर प्रयास यही करना चाहिए कि भोजन, किचन में बैठकर परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर हो.
भोजन का समय :
ऐसा माना जाता है कि पाचनक्रिया सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2.30 घंटे पहले तक अच्छी होती है, इसीलिए समयानुसार खाना खा लेना चाहिए.
ऐसे में न करें भोजन :
खड़े-खड़े और लेट कर कभी खाना नहीं खाना चाहिए. आराम से बैठकर भोजन करना, शरीर और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. लैपटॉप, फोन आदि चलाते समय खाना नहीं खाना चाहिए.
ऐसा भोजन न करें :
बहुत तीखा, बहुत मीठा या तेज मिर्च मसाले वाला खाना नहीं खाना चाहिए. आधा खाया हुआ फल, मिठाइयां आदि फिर नहीं खाना चाहिए.
खाना खाते समय, खाना कभी भी बीच में छोड़कर नहीं उठना चाहिए.
खाना खाते वक्त क्या करें :
मौन रहें.
भोजन को अच्छे से चबा-चबाकर खाएं.
अगर आपक बोलना वाकई बहुत जरूरी हो तो, खाते वक्त सिर्फ सकारात्मक बातें ही करें. प्रसन्न मन से किया गया भोजन शरीर को जल्दी लगता है.
किसी भी प्रकार की समस्या पर चर्चा, खाना खाने वक्त नहीं करनी चाहिए.
भोजन के बाद :
खाने के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए.
घुड़सवारी करना, दौड़ना आदि मेहनत के काम, खाना खाने के बाद करने से आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है.
दिन में और रात में खाना खाने के बाद टहलना चाहिए. रात में भी टहलकर बाईं करवट लेट कर सोने से पाचन अच्छा होता है. खाने के एक घंटे बाद मीठा दूध एवं फल खाने से भी भोजन का पाचन अच्छा होता है .
क्या क्या है हानिकारक :
रात को दही, सत्तू, तिल जैसा भोजन नहीं करना चाहिए.
दूध के साथ नमक, दही, खट्टे पदार्थ, मछली, कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए.
इसके अलावा शहद व घी को एक साथ, एक समान मात्रा में लेकर खाने के साथ नहीं खाना चाहिए.
मैं 25 साल की कामकाजी महिला हूं. सर्दियों में आंखों में खुजली शुरू हो जाती है. कई उपाय ट्राय कर लिए, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. बताएं मैं क्या करूं?
जवाब-
ठंड के मौसम में आंखों में नमी की कमी के कारण उन में सूखापन और खुजली होना आम समस्याएं हैं. इन से घबराने की जरूरत नहीं है. चूंकि इस मौसम में ज्यादातर लोग ठंड से बचने के लिए हीटर का प्रयोग करते हैं, इसलिए आंखों की त्वचा अधिक रूखी हो जाती है. खुजली की समस्या से बचने के लिए हीटर का कम से कम इस्तेमाल करें. आंखों की नमी बरकरार रखने के लिए मौइस्चराइजर लगाएं. बाहर जाते वक्त चश्मा लगाएं. फिर भी समस्या ठीक न हो तो किसी डर्मेटोलौजिस्ट से संपर्क करें.
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मौनसून में होने वाली आंखों की प्रमुख समस्याएं हैं:
कंजक्टिवाइटिस: कंजक्टिवाइटिस में आंखों के कंजक्टाइवा में सूजन आ जाती है. उन में जलन महसूस होती है. आंखों से पानी जैसा पदार्थ निकलने लगता है.
कारण: फंगस या वायरस का संक्रमण, हवा में मौजूद धूल या परागकण, मेकअप प्रोडक्ट्स.
उपचार: अगर आप कंजक्टिवाइटिस के शिकार हो जाएं तो हमेशा अपनी आंखों को ठंडा रखने के लिए गहरे रंग के ग्लासेज पहनें. अपनी आंखों को साफ रखें. दिन में कम से कम 3-4 बार ठंडे पानी के आंखों को छींटे दें. ठंडे पानी से आंखें धोने से रोगाणु निकल जाते हैं. अपनी निजी चीजें जैसे टौवेल, रूमाल आदि किसी से साझा न करें. अगर पूरी सावधानी बरतने के बाद भी आंखें संक्रमण की चपेट में आ जाएं तो स्विमिंग के लिए न जाएं. कंजक्टिवाइटिस को ठीक होने में कुछ दिन लगते हैं. बेहतर है कि किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ को दिखाया जाए और उचित उपचार कराया जाए.
कौर्नियल अल्सर: आंखों की पुतलियों के ऊपर जो पतली झिल्ली या परत होती है उसे कौर्निया कहते हैं. जब इस पर खुला फफोला हो जाता है, तो उसे कौर्नियल अल्सर कहते हैं. कौर्नियल अल्सर होने पर आंखों में बहुत दर्द होता है, पस निकलने लगता है, धुंधला दिखाई देने लगता है.
अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.bizसब्जेक्ट में लिखे… गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
हम अत्याधुनिक वैज्ञानिक युग यानी कि इक्कीसवीं सदी में अत्याधुनिक जीवन शैली जीते हुए जिंदगी में आने वाली तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. तो वहीं फिल्म सर्जक इंद्र कुमार अभी भी स्वर्ग व नर्क, पाप व पुण्य के बीच ही फंसे हुए हैं और वह हर इंसान को इसी भ्रमजाल में फांसने के मकसद से ‘‘थैंग गॉड’’ जैसी अति नीरस व बेवकूफी वाली फिल्म लेकर आए हैं. यह एक नार्वे/ दानिश फिल्म ‘‘सोरटे कुगलेर’’ का आधिकारिक भारतीयकरण है. जिसमें पाप, पुण्य, इंसान के कर्मों का हिसाब के साथ ही जीवन व मृत्यू का मजाक बनाकर रख दिया है.
इस फिल्म को देखते हुए सलमान खान अभिनीति व निर्मित असफल फिल्म ‘जय हो’ के अलावा हौलीवुड फिल्म ‘‘ब्रूस आलमाइटी’ की भी याद आ जाती है. फिल्म ‘थैंक गौड’ इतनी बेकार है कि इस फिल्म को देखते हुए यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि इस फिल्म के निर्देशक इंद्र कुमार ने ही अतीत में ‘दिल’, ‘बेटा’, ‘राजा’, ‘इश्क’, ‘मन’, ‘मस्ती’, ‘धमाल’ और ‘टोटल धमाल’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था.
कहानीः
फिल्म की कहानी के केंद्र में एक रियल स्टेट एजेंट अयान कपूर (सिद्धार्थ मल्होत्रा) हैं. जिसने बाद में बहुत बड़े भवन निर्माता बन ढेर सारा काला धन कमाया. उनकी पत्नी रूही (रकुल प्रीत सिंह) पुलिस इंस्पेक्टर है और वह एक बेटी की पिता हैं. प्रधानमंत्री मोदी के ‘नोटबंदी’ ने उन्हे कंगाल कर दिया. उन्हें बैंक से कर्ज भी नही मिल रहा. तो अब वह अपना आलीषान मकान बेच रहे हैं. मगर मकान भी बिक नही रहा है. एक दिन जब वह कार चलाते हुए जा रहे होते हैं, तब रास्ते में आने वाले एक मोटर साइकिल चालक को बचाने का प्रयास करते हुए उनकी कार दूसरी कार से टकरा जाती है और वह अस्पताल पहुंच जाते हैं.
अब कहानी दो स्तर पर चलती है. एक तरफ अस्पताल में डाक्टर, अयान कपूर का आपरेशन कर रहा है, तो दूसरी तरफ जब अयान होश में आते हैं, तो वह खुद को एक ऐसे व्यक्ति के सामने पाते है, जो खुद को सीजी उर्फ चित्रगुप्त (अजय देवगन) के रूप में पेश करता है, और जो मूक गवाहों की पंक्तियों के साथ बिंदीदार अखाड़े पर राज करता है. सीजी के समाने अयान कैसे यमदूत लेकर गए हैं. अब केबीसी की तर्ज पर चिगुप्त, अयान कपूर के साथ गेम खेलते हुए अयान की जिंदगी का विवरण पेश करते हुए बताते है कि वह कितना झूठा, सच्चा, नेक या गलत इंसान हैं. अब अयान अनंत काल तक नरक में भुनने का हकदार है या अपना शेष जीवन पुनः अपनी प्यारी पत्नी (रकुल प्रीत सिंह) और छोटी बेटी के साथ बिताएंगे?
लेखन व निर्देशनः
कभी संगीत प्रधान रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों के सर्जक के रूप में पहचान रखने वाले निर्देशक इंद्र कुमार ने अचानक सेक्स प्रधान घटिया ‘मस्ती’ व ‘ग्रैंड मस्ती’ जैसी फिल्में बनायी. उसके बाद ‘धमाल‘ फ्रेंचाइजी के तहत ओवरसेक्स पुरुषों और दोहरे अर्थ वाले संवादों से भरी हुई फिल्में पेश की. अब जीवन और मृत्यु के बीच लटके हुए इंसान को सुधारते हुए हर इंसान को नेक इंसान बनने व दूसरों की मदद करने का संदेश देने वाली फैंटसी कौमेडी फिल्म ‘‘थैंक गौड’’ लेकर आए हैं, जो कि दस मिनट बाद ही दर्शकों से अपना नाता तोड़ लेती है.
दर्शक इंतजार करने लगता है कि उसे नरक रूपी फिल्म ‘थैंक गौड’ से कब छुटकारा मिलेगा. कमजोर पटकथा के चलते ही फिल्म अति धीमी गति से आगे बढ़ती है. आकाश कौशिक व मधुर शर्मा लिखित पटकथा इसकी सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है. दर्शकों को हंसाने के लिए इसमें जो चुटकुले या संवाद है, वह लोगों के व्हाट्सअप पर दिन भर आने वाले संदेशों से भी बदतर हैं. जबकि इंसान के कर्म को लेकर सषक्त, रोचक, मनोरंजक व बेहतरीन फिल्म बनायी जा सकती थी. निर्देशक इंद्र कुमार को अपने सिनेमा की सोच व स्वभाव को बदलने की आवष्यकता है. यमलोक में यमराज के किरदार का नाम चित्रगुप्त के नाम पर ‘सीजी‘ रखना अखरता है. इतना ही नहीं विवादों से अपने दामन को बचाने के लिए यमदूत को भी ‘वाईडी‘ कहकर पुकारा जाता है. हालांकि इस फिल्म के बहाने फिल्मसर्जक इंद्रकुमार ने तमाम धार्मिक रूढ़ियों व धार्मिक मान्यताओं पर चोट करने की कोशिश की है, पर कमजोर पटकथा व संवादों के चलते वह इसमें सफल नही हो पाए. वैसे क्लायमेक्स में यह फिल्म इंसान को अपनी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने की बात करती है. अब तक इंद्र कुमार की हर फिल्म का सबसे सशक्त पक्ष संगीत रहा है, पर इस फिल्म का संगीत पक्ष भी काफी कमजोर है.
अभिनयः
अपनी फिल्मों की असफलता का लगातार दंश झेल रहे अभिनेता अजय देवगन चित्रगुप्त उर्फ सीजी के किरदार में इससे बेहतर अभिनय कर सकते थे. मगर वह हर जगह पूरी तरह से मैकेनिकल या रोबोट ही नजर आते हैं. अयान कपूर के किरदार में सिद्धार्थ मल्होत्रा को देखकर फिल्म ‘शेरशाह’ में सिद्धार्थ मल्होत्रा के अभिनय की तारीफ करने वाले दर्शक अपना माथा पीट लेते हैं. इसके लिए कुछ हद तक कमजोर पटकथा भी जिम्मेदार है. अयान की विचित्रताएं अस्वाभाविक नजर आती हैं. रकुल प्रीत सिंह यहां भी केवल सुंदर नजर आयी हैं. वह अपने अभिनय से प्रभावित करने में विफल रही हैं. सीमा पाहवा और कंवलजीत सिंह की प्रतिभा को जाया किया गया है. बेचारी मिस फतेही ठहाका लगाने आती हैं.
कलाकार: अक्षय कुमार,नुसरत भरूचा, जैकलीन फर्नाडिज,सत्यदेव कंचरण, प्रवेश राणा,नासर
अवधिः दो घंटे 22 मिनट
‘तेरे बिन लादेन’,‘द शौकीन्स’,‘तेरे बिन लादेनः डेड आर एलाइव’, ‘परमाणु’, ‘द जोया फैक्टर’, ‘सूरज पे मंगल भारी’ जैसी असफल फिल्मों के सर्जक अभिषेक शर्मा ने इस बार नकली हिंदुत्व, नकली राष्ट्वाद व ‘श्रीराम’ के सहारे अपनी नैय्या पार करने का असफल प्रयास किया है. फिल्मकार जब जब किसी खास ‘अजेंडे’ के तहत फिल्म बनाता रहा है, तब तब वह सिनेमा को बर्बाद करने का काम करता रहा है. अब यही काम फिल्मकार अभिषेक शर्मा ने फिल्म ‘‘रामसेतु’’ के माध्यम से किया है.
अभिषेक शर्मा के सिर पर पहली फिल्म के साथ ही आतंकवादी ओसामा बिन लादेन व आतंकवाद का ऐसा भूत सवार हुआ था कि वह ‘रामसेतु’ तक सवार ही है. इसी के साथ अब उनके उपर ‘श्रीराम’ व ‘राष्ट्रवादका भी भूत सवार हुआ है. इसलिए उन्होने अपनी फिल्म ‘रामसेतु’ में आतंकवाद, तालीबान, राष्ट्वाद व ‘श्रीराम’ का ऐसा कचूमर परोसा है कि दर्शक ने इस फिल्म से दूरी बना ली है. जबकि फिल्म के निर्माता एक टिकट खरीदने पर एक टिकट मुफ्त में दे रहा है.
वास्तव में अभिषेक शर्मा अब तक अधूरे ज्ञान, अधूरे शोधकार्य व अधूरी प्रामाणिकता के साथ ही ‘तेरे बिन लादेन’ से लेकर ‘पोखरण’ तक फिल्में परोसते रहे हैं. वही काम उन्होने ‘रामसेतु’ के साथ भी किया है. ‘राम सेतु’ प्राकृतिक है या इंसान ने बनवाया था, इसका सच एजागर करने के लिए फिल्मकार अभिषेक शर्मा अफगानिस्तान से भारत होते हुए श्रीलंका तक की यात्रा कर डालते हैं. पर परिणाम वही ढाक के तीन पात. उन्हे भारतीय इतिहास, राष्ट्वाद या धर्म किसी की कोई न समझ है और न ही वह समझना चाहते हैं.
फिल्मकार को लगता है कि फिल्म में ‘श्रीराम’ के नारे लगवा ‘राष्ट्रवाद के अजेंडे वाली सफल फिल्म बना लेंगें, तो यह उनका भ्रम है. राम सेतु क्या है? भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम तट के मन्नार द्वीप के बीच समुद्र में बने 35 किलोमीटर लंबे पुल को भारतीय राम सेतु, मगर कुछ लोग एडम ब्रिज भी कहते हैं.
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र पार कर लंका पहुंचकर रावण से युद्ध करने के लिए श्रीराम ने अपनी वानर सेना की मदद से ‘राम सेतु’ का निर्माण करवाया था. वहीं ब्रिटिश इतिहासकार इसे एडम पुल कहते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार रामसेतु एक कुदरती संरचना है.
कहानीः
पुरातत्व विभाग के एक मिशन के तहत भारतीय पुरातत्वविद डॉ. आर्यन (अक्षय कुमार) अफगानिस्तान में भगवान बुद्ध की मूर्ति के अवशेषों के साथ ऐतिहासिक धरोहर का पता लगा लेते हैं. मगर अफगानिस्तान में तालीबानियों द्वारा गौतम बुद्ध की प्रतिमा को तोड़ने से व्यथित वह टूट जाते है. भारत वापस लौटने पर डॉ. आर्यन कुलश्रेष्ठ (अक्षय कुमार) को सरकार द्वारा गठित राम सेतु परियोजना का हिस्सा बनाया जाता है, जो कि इस बात की जांच करते हैं कि भारत व श्रीलंका के बीच बना राम सेतु प्राकृतिक है या इंसान यानी कि भगवान ‘श्री राम’ द्वारा निर्मित है.
डॉ.आर्यन को नास्तिक व धर्मनिरपेक्ष माना जाता है. वहीं डॉ. आर्यन की पत्नी व इतिहास की प्रोफेसर गायत्री (नुसरत भरूचा) धार्मिक हैं और मानती है कि राम सेतु का निर्माण सात हजार वर्ष पहले भगवान श्रीराम ने करवाया था. राम सेतु को तोड़ने की इजाजत का मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. डॉ.आर्यन कुलश्रेष्ठ अपनी रिपोर्ट अदालत में देते हैं कि ‘राम सेतू’ प्राकृतिक है और इसे तोड़ने से धार्मिक भावनाएं आहत नही होगी. मगर उनके तर्क से सुप्रीम कोर्ट सहमत नही है और इस संबंध में अधिक सबूत मांगता है. इससे नाराज होकर सरकार डॉ. कुलश्रेष्ठ को बर्खास्त कर देती है.
वास्तव में पुष्पक शिपिंग कंपनी का मालिक (नासर) शिपिंग नहर परियोजना के उद्देश्य से गहरे पानी के चैनल का निर्माण करके भारत और श्रीलंका के बीच एक शिपिंग रूट बनाना चाहता है, जिससे भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच सफर का समय भी कम हो जाएगा. इस परियोजना में नासर का बहुत कुछ दांव पर लगा है.
उधर इस परियोजना की घोषणा होते ही धार्मिक आस्था रखने वाला पक्ष विरोध के स्वर मुखर कर देता है कि भगवान राम से जुड़ी संस्कृति के साथ छेड़छाड़ नहीं होने देंगे. सरकार द्वारा बर्खास्त किए जाने पर निजी कंपनी के मालिक अपनी कंपनी की तरफ से डॉ. आर्यन को सेंड्रा रीबेलो (जैकलीन फर्नांडिस), राणा (प्रवेश राणा), जेनिफर जैसे लोगों टीम के साथ रिसर्च के लिए भेजते हैं.
डॉ. आर्यन इस बात को लेकर कटिबद्ध है कि वह पुल भगवान राम ने नहीं बनाया है. लेकिन जैसे-जैसे वह शोध करते हुए आगे बढ़तें है और जो तथ्य उन्हें मिलते है, उससे आर्यन भी हैरान हो जाते हैं. डॉ. आर्यन गहरे समुद्र में रामसेतु जाकर एक तैरने वाला पत्थर लेकर आते हैं और कहते हैं कि इस पत्थर से साबित होता है कि इसे भगवान श्री राम ने बनवाया था.
इससे नासर के इशारे पर राणा, डॉ. आर्यन समेत उसकी पूरी टीम को मारने का षड्यंत्र रचता है. पर आर्यन और उसकी टीम को एपी (सत्यदेव) का साथ मिलता है. ए पी के दोस्त श्रीलंका में गृहयुद्ध कर रहे लिट्टे से भी है. एपी उनकी जिंदगी बचाने के साथ ही डॉ. आर्यन को शोध करने में श्रीलंका के अंदर मदद करता है. अंत में एपी अपनी जान गंवाकर डां. आर्यन को सबूत दिलवा देता है. आर्यन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए सबूतों से पुष्पक शिपिंग कंपनी को झटका लगता है.
लेखन व निर्देशनः
फिल्म देखकर इस बात का अहसास होता है कि इसका लेखन ऐसे इंसान ने किया है, जिसका ज्ञान अधकचरा है और उसके अंदर कहानी कहने के कौशल का घोर अभाव है. बिखरी हुई पटकथा पर यह फिल्म बनायी गयी है, जिसमें तालिबान, धूर्त व्यापारी, पौराणिक कथा, श्रीलंका का गृहयुद्ध, पुरूष व महिला वैज्ञानिक, समुद्र मे डूबी हुई गुफा व रावण का राजमहल, संजीवनी पौधा, बिना पासपोर्ट समुद्री रास्ते से श्रीलंका में श्रीलंका के सुरम्य द्वीपों व लायब्रेरी में घूमना और सकुशल भारत वापस आ जाना सहित सब कुछ है.
फिल्मकार ने विषय तो अच्छा चुना, जिस पर वह एक बेहतरीन फिल्म बना सकते थे. मगर जब उन्होंने इसे एक खास अजेंडें के तहत बनाने का निर्णय किया, वहीं वह भटक गए और फिल्म का सत्यानाश हो गया. यह एक वैज्ञानिक रोमांचक फिल्म है. मगर अफसोस इसमें न विज्ञान है, न रोमांच है और न ही मनोरंजन है.
इंटरवल से पहले फिल्म पूरी तरह से डाक्यूमेंट्री नजर आती है. उसके बाद कहानी अलग ढर्रे पर चलती है. इतना ही नहीं जिस अजेंडे और जिस संदेश को घर घर तक पहुंचाने के लिए फिल्मकार ने यह फिल्म बनायी है, उसमें वह सफल रहे हों, ऐसा नही लगता. फिल्म की शुरूआत में ही दर्शक फिल्मकार के अजेंडे को भांप जाता है. यह लेखक निर्देशक की सबसे बड़ी कमजोरी है.
अभिनयः
नास्तिक पुरातत्ववादी से आस्तिक बन जाने वाले डॉ.आर्यन कुलश्रेष्ठ के किरदार में कई अक्षय कुमार निराश ही करते हैं. वह लगातार घटिया काम करते हुए असफल फिल्में देने का रिकार्ड बनाते जा रहे हैं. ओटीटी पर अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी’, ‘अतरंगी रे’ और ‘कठपुतली’ के अलावा सिनेमाघरो में ‘बेलबॉटम’,‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘रक्षाबंधन’ जैसी फिल्में धराशायी हो चुकी हैं.
इस फिल्म के प्रमोशन में भी अक्षय कुमार ने मीडिया से दूरी बनाकर रखी. शायद उनके पास मीडिया के सवालों के जवाब नहीं है. सैंड्रा के किरदार में जैकलीन फर्नांडिस ठीक ठाक हैं. गायत्री के किरदार में नुसरत भरूचा के हिस्से करने को कुछ खास रहा ही नहीं. एपी के किरदार में सत्यदेव जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.
मैं बच्चों के माटेसरी हाउस, वीस्कूल की निदेशक और संस्थापक हूं. मैंने वाणिज्य में विशेषज्ञता रखते हुए चेन्नई से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. इसके अलावा, मैंने बच्चों को उनकी अधिकतम क्षमता तक बढ़ने में मदद करने की इच्छा के साथ भारतीय माँटेसरी प्रशिक्षण केंद्र (आईएमटीसी) से प्राथमिक मोंटेसरी डिप्लोमा भी उत्तीर्ण किया है.
बच्चों की व्यापक सीखने की प्रक्रिया को बदलना और शैक्षिक विधियों में प्रारंभिक दृष्टिकोण विकसित करने, हमने एक ऑनलाइन गर्भावस्था का कोर्स बनाया है. गर्भावस्था, प्रसव और पितृत्व जीवन के प्रमुख विकल्प हैं जो चीजों को कई तरह से बदलते हैं. जब आप माता-पिता बनते हैं तो जीवन नाटकीय रूप से बदल जाता है, इसलिए केवल यह सम झ में आता है कि जब आप प्रसव पूर्व देखभाल के बारे में सोच रहे हों तो आप गर्भावस्था के भौतिक पक्ष से अधिक पर विचार करना चाहेंगे. समग्र दृष्टिकोण वह है जिस पर महिलाएं बढ़ती संख्या में विचार कर रही हैं, क्योंकि इस दृष्टिकोण में शरीर, मन और आत्मा शामिल है, जिससे महिलाओं को एक से अधिक तरीकों से स्वस्थ गर्भावस्था का आनंद लेने में मदद मिलती है.
कॉन्शियस कॉन्सेप्शन
‘कॉन्शियस कॉन्सेप्शन’ शब्द आपके बच्चे को बुलाने के लिए एक प्यार भरा स्थान बनाने और धारण करने के इरादे को स्थापित करने का विचार रखता है. यह विचार इस बात को स्वीकार करता है कि आज हम जिन बच्चों का सपना देखते हैं- हमारे पूर्वज और भविष्य के नेता, कार्यकर्ता, माता-पिता और कल के पृथ्वी प्रबंधक, हमारे वर्तमान विकल्पों से प्रभावित हैं. यह भोजन से लेकर भागीदारों तक, विचारों से लेकर पर्यावरण तक और उससे आगे तक होता है. हमारा मानना है कि जब आप गर्भधारण की तैयारी के बारे में सोचते हैं, तो आपको अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को और भी अधिक परिवर्तनकारी अनुभव के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए.
‘हमारा आदर्श वाक्य’, ‘चेतना मानवता का निर्माण’ है और हम आप में सर्वश्रेष्ठ लाने का प्रयास करते हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके गर्भ में आत्मा शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ है. हमारा लक्ष्य आपकी गर्भावस्था के दौरान आपका अच्छी तरह से मार्गदर्शन करना है, और वास्तव में हम मानते हैं कि गर्भावस्था की अवधि ठीक उसी दिन से शुरू होती है जब आप माता-पिता बनने के बारे में सोचते हैं. हमारा मानना है कि प्लानिंग या प्री-कॉन्सेप्शन बहुत जरूरी है.
जैसा कि हम स्वस्थ शरीर बनाने के लिए खुद को समर्पित करते हैं, अपने आंतरिक और बाहरी वातावरण की देखभाल करते हैं, यह गर्भसंस्कार पाठ्यक्रम आपको यह सम झने में मदद करेगा कि शारीरिक रूप से गर्भधारण करने से पहले भी प्रसव पूर्व देखभाल समान रूप से महत्वपूर्ण है. हमारे वीडियो पाठों के माध्यम से, आप प्रसवपूर्व संबंध के महत्व को सम झ सकेंगे, हम सा झा करते हैं कि अंदर रहने वाली नई जान से कैसे जुड़ना है.
गर्भावस्था के दौरान
आपको यह सोचने की ज़रूरत है कि आप क्या खा रहे हैं, आप कैसा महसूस कर रहे हैं और आपका शरीर आपको क्या बता रहा है. एक सचेत गर्भावस्था के दौरान, आप अपने बच्चे से जुड़ती हैं और आप अपने भावनात्मक जीवन को सम झने में सक्त्रिय भूमिका निभा रही हैं क्योंकि आप स झती हैं कि यह न केवल आपको, बल्कि आपके जन्म के अनुभव और बच्चे को कैसे प्रभावित कर सकता है.
गर्भ संस्कार के अनुसार (संस्कृत में गर्भ का अर्थ है भ्रूण और संस्कार का अर्थ है मन की शिक्षा), आपका बच्चा बाहरी प्रभावों को सम झने और प्रतिक्रिया करने में सक्षम है. इसलिए, हम आपको यह सम झाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि अपने शरीर, आदतों और उन परिवर्तनों का अध्ययन कैसे करें जो आपको एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए हर तरह से लाने की आवश्यकता है.
मन और आत्मा के विषहरण पर ध्यान केंद्रित करने से लेकर अपने भावनात्मक भागफल में सुधार करने तक, सही आहार योजना बनाने से लेकर स्वस्थ वजन सीमा बनाए रखने तक, हर मुद्दे की पहचान करने से लेकर सभी संभावित समाधानों को सूचीबद्ध करने तक, स्वस्थ आदतों के निर्माण से लेकर चिंतन अभ्यास में संलग्न होने तक खेती करने के लिए अपने स्वयं के अस्तित्व, तनाव से निपटने के तरीके खोजने से लेकर दिमाग को मजबूत बनाने तक, हम आपको शुरुआती और जन्म से पहले के अनुभवों की सराहना करने के लिए और अधिक खोलने के लिए सचेत करते हैं.
हम, एक टीम के रूप में, भावी माता-पिता में सर्वोत्तम प्रथाओं को आत्मसात करने की इच्छा रखते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नवजात शिशु एक आदर्श बच्चा बन सके जो माता-पिता चाहते हैं. हमारी दृष्टि समग्र गर्भावस्था की अवधारणा पर हमारे वीडियो पाठों के
माध्यम से माता-पिता का मार्गदर्शन करना है. हमारा दृढ़ विश्वास है कि मनुष्य की शिक्षा जन्म से पहले शुरू होनी चाहिए और जीवन भर जारी रहनी चाहिए. और हम जो विश्वास करते हैं उसे हासिल करने के लिए आपका मार्गदर्शन करने के लिए हम यहां हैं.
जब बच्चा गर्भ में हो
आपको एक गहरे और व्यक्तिगत परिवर्तन में बुलाया गया है क्योंकि गर्भ में नई जान आपको महसूस करने और उन चीजों को सीखने में सक्षम होगी जो आप पहले से कर रहे हैं. जब बच्चा गर्भ में होता है तो आप जो करते हैं वह मायने रखता है और इसलिए गर्भाधान से पहले ही अवचेतन रूप से अतिरिक्त देखभाल विकसित करने से हमारे हावभाव अपने आप गिर जाएंगे.
आपकी सहायता टीम आपके प्रसवपूर्व और जन्म के अनुभव को बढ़ाने के लिए यहां है. हमारा मिशन है कि आप अपने, अपने बच्चे और अपने परिवार के लिए सबसे अच्छा काम करने के लिए सशक्त महसूस करें.
अपनी सुविधानुसार किसी भी समय, किसी भी उपकरण से संपूर्ण पाठ्यक्रम देखें. ठीक वहीं से फिर से शुरू करें जहां आपने छोड़ा था. गर्भावस्था मॉड्यूल के माध्यम से, हम आपके बीजों को उनकी लंबी उम्र, स्वास्थ्य, सद्भाव और उद्देश्य की स्पष्टता के लिए पोषण देना चाहते हैं.
‘‘हम अपने बच्चों के लिए किस तरह की दुनिया छोड़ रहे हैं’’ के बारे में जागरूक होना न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सम झना और विचार करना भी महत्वपूर्ण है कि हम इस दुनिया के लिए किस तरह के बच्चे छोड़ रहे हैं.
जिस 9-10 महीने में शिशु मां के गर्भ में भू्रण के रूप में रहता है, वह मानव-जाति का आधार है. हर इंसान की पहली पाठशाला उसकी मां की कोख होती है. सबसे बड़ी शिक्षक अपेक्षित मां है. हमारे पाठ्यक्रम वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं, समकालीन प्रथाओं के साथ प्राचीन पद्धति शामिल हैं. हमारा विजन 11 मिलियन जोड़ों तक पहुंचकर जागरूक मानवता का निर्माण करना है और इसे आगे बढ़ाना है.
हम नियमित रूप से गर्भ संस्कार कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, ज्यादातर हर पखवाड़े, जहां कई जोड़े आध्यात्मिकता का अनुभव करने के लिए जुड़ते हैं. हम 21 दिनों की दिनचर्या कार्यशाला भी आयोजित करते हैं जो एक 6 सप्ताह का कार्यक्रम है जिसमें एक गर्भवती जोड़े के आवश्यक कार्यान्वयन सिखाया जाता है. हमारे द्वारा समग्र पाठशाला ‘‘हर घर में गुरुकुल’’ एक 30 सप्ताह का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें सभी नामांकित गर्भवती जोड़े सप्ताह में एक बार विशेष रूप से एक साथ शामिल होते हैं.
हम ‘माइंड मैप’ नाम से एक कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं जिसमें सभी व्यक्ति जो अपने भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं, भाग लेते हैं और बेहतर व्यक्ति बनने का प्रयास करते हैं.
लिविंग रूम या बैठक का कमरे में बैठकर हम अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं. इसलिए लिविंग रूम का कम्फर्टेबल होना बहुत जरूरी है. घर के बैठक के कमरे (लिविंग रूम) को बनाना जरूरी है. इसके साथ ही इसमें मौसम के अनुसार बदलाव करना भी जरूरी है, ताकि हर मौसम में घर आने वाले मेहमान भी आपके लिविंग रूम की तारीफ करें.
इन टिप्स को अपनाकर आप अपने लिविंग रूम को कम्फर्टेबल बना सकती हैं.
1. सोफे और कुर्सियों को दीवारों के साथ लगा कर रखने से बचें. इन्हें सेंटर टेबल या लकड़ी से बने कॉफी टेबल के आसपास रखें. यह आपके घर को आरामदायक सहज माहौल देगा.
2. अगर आपका घर बड़ा है तो फिर आप टेबल व सोफा के बीच पर्याप्त खाली स्थान छोड़ सकती हैं.
3. आंतरिक साज-सज्जा के लिए रंगीन गद्देदार सोफा सेट के साथ वुडन टेबल रखें. आधुनिक डिजाइन के सोफे और कालीन से भी आप अपनी बैठक को सजा सकती हैं.
4. सौम्यता, गर्माहट का पुट देने के लिए दीवारों की पेंटिंग दो टोन वाले रंगों से कराएं. सर्दियों में आप गर्म रंगों जैसे लाल, पीला, क्रीम, नारंगी आदि रंगों से दीवारों को पेंट करा सकती हैं. खुशनुमा माहौल को दर्शाने वाले रंग सफेद या हरा भी पेंट करा सकते हैं.
5. बैठक की आतंरिक साज-सज्जा में प्रकाश की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. सर्दियों के दौरान आप कमरे में छोटे-छोटे लाइट्स के जरिए बैठक की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही गर्माहट भी ला सकती हैं.
6. बैठक कमरे की छत पर लाइट्स, फ्लोर लैंप या टेबल लैंप के जरिए प्रकाश की उचित व्यवस्था कर आप लिविंग रूम की शोभा बढ़ा सकती हैं. आकर्षक व खुबसूरत सुगंधित मोमबत्तियों से आसपास का माहौल सहज और खुशनुमा बन जाता है.
7. गर्म कवर वाले तकिए, प्रिंटेड कुशन आदि स्वेटर की तरह गर्माहट महसूस कराते हैं. सर्दियों में टाइल्स लगे फर्श काफी ठंडे होते हैं, इसलिए गर्म पायदान या कोई गर्म कपड़ा फर्श पर डाल दें.
8. पारिवारिक सदस्यों के साथ ली गई तस्वीर को बैठक के कमरे की दीवार पर लगाएं. आप फोटो गैलरी बना कर अपने कॉफी टेबल पर भी रख सकते हैं.
9. अलमारी में किताबें या यादगार चीजों को रखें. कमरे के कोनों में लकड़ी से बने स्टैंड या प्लांट रखें जिससे आपका कमरा सबसे आकर्षक लगे.