Anupama: पाखी की बद्तमीजी के लिए ट्रोल हुई Muskan Bamne, कही ये बात

स्टार प्लस के हिट सीरियल्स में से एक ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां शो के प्रोमो ने फैंस की नींद उड़ा दी है तो वहीं सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक को देखकर पाखी पर अनुपमा फैंस का गुस्सा बढ़ गया है. वहीं इस गुस्से का शिकार पाखी के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस मुस्कान बामने (Muskan Bamne) को भी झेलना पड़ रहा है. हालांकि एक्ट्रेस ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

 लोगों ने कहा बद्तमीज

 

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अब तक आपने देखा कि पाखी की बेइज्जती के कारण अनुपमा टूट जाती है. वहीं वनराज उससे दोबारा शाह हाउस में कदम रखने से मना करता है. जहां इस सीन को देखकर अनुपमा के लिए दर्शक बेहद दुखी हैं तो वहीं पाखी पर गुस्सा करते हुए बद्तमीज का टैग देते दिख रहे हैं. हालांकि इन सब का असर अब एक्ट्रेस मुस्कान बामने पर भी पड़ने लगा है. सोशलमीडिया पर उनके किरदार के लिए लोग उन्हें खरीखोटी सुना रहे हैं. हालांकि एक्ट्रेस को इस बात से फर्क नहीं पडता है.

एक्ट्रेस ने दिया जवाब

 

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ट्रोलिंग का शिकार होते ही एक्ट्रेस मुस्कान बामने ने अपनी एक वीडियो फैंस के साथ शेयर की है, जिसमें वह सीरियल के सेट पर टीवी देख रही हैं और पाखी के हाल ही में एयर हुए एपिसोड का मजाक बनाती दिख रही हैं. वहीं इस वीडियो के साथ एक्ट्रेस ने एक कैप्शन शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि ‘कितनी बदतमीज है पाखी (मुस्कान नहीं)’ @bhosalelatika @muskanbamne इस पर रिएक्शन दे रहे हैं. एक्ट्रेस की इस वीडियो पर फैंस जमकर कमेंट कर रहे हैं. हालांकि लोग उनकी एक्टिंग की भी काफी तारीफ करते दिख रहे हैं.

 

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बता दें, हाल ही में एक्ट्रेस ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने इस सीन पर बात करते हुए कहा था कि ‘जब मैंने अपने अगले सीन की स्क्रिप्ट पढ़ी तो मैं शॉक्ड थी कि एक बेटी अपनी मां पर गुस्सा दिखाने के लिए कैसे हदें पार कर सकती है. मां से मिसबिहेव करने की बात तो छोड़िए, कोई इतना रूड भी कैसे हो सकता है. हालांकि मेरे लिए ये सीन करना काफी एक्साइटिंग था.’ वहीं अपकमिंग एपिसोड की बात करें तो सीरियल में पाखी को अपनी गलती का पछतावा होते हुए दिखने वाला है और वह अनुपमा से माफी मांगने की बात कहेगी. हालांकि वनराज इस काम के लिए रोकता नजर आएगा. वहीं अनुपमा अब शाह परिवार से दूर रहने का फैसला करेगी.

तलाक की खबरों के बीच Charu Asopa के नए पोस्ट पर भड़के ट्रोलर्स, पढ़ें खबर

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन और उनकी भाभी यानी टीवी एक्ट्रेस चारु असोपा की पर्सनल लाइफ आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. हाल ही में जहां राजीव और चारु असोपा के तलाक की खबरें छाई हुई थीं तो वहीं एक्ट्रेस का नया पोस्ट सोशलमीडिया पर छा गया है, जिसके चलते वह ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

फोटो के चलते ट्रोल हुई एक्ट्रेस

 

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तलाक की खबरों के बाद सोशलमीडिया पर एक्टिव रहने वाली एक्ट्रेस चारु असोपा ने अपनी नई फोटोज फैंस के साथ शेयर की हैं. इन फोटोज में एक्ट्रेस मांग में सिंदूर और 16 श्रृंगार करके बैठीं हुई नजर आ रही हैं. वहीं इस फोटो के साथ कैप्शन में एक्ट्रेस ने लिखा है कि उनकी बेटी जियाना 8 महीने की हो गई हैं. फोटो को देखते हीं जहां फैंस उन्हें बधाई दे रहे हैं तो वहीं ट्रोलर्स एक बार फिर गुस्से में आ गए हैं.

 

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लोगों ने की ये बात

 

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बेटी जियाना संग फोटोज के अलावा एक्ट्रेस Charu Asopa ने एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें वह रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के रोमांटिक ‘केसरिया’ पर डांस करती हुई दिख रही हैं. वहीं इस वीडियो पर ट्रोलर्स जमकर कमेंट कर रहे हैं और एक्ट्रेस को ड्रामेबाज बता रहे हैं. एक यूजर ने वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा, ‘उसने तलाक भी दायर किया है… क्या हैं ये लोग?’

राजीव सेन कर चुके हैं तारीफ

ट्रोलर्स के अलावा बात करें तो हाल ही में राजीव सेन (Rajeev Sen) ने चारु असोपा की तारीफ करते हुए कहा था कि वह उनकी बेटी का अच्छी तरह ख्याल रख रही हैं. जबकि वह साथ नहीं हैं. वहीं चारु असोपा अपने पति पर इल्जाम लगाने के बावजूद और तलाक की खबरों के बाद भी एक्ट्रेस ने सोशलमीडिया पर अपने नाम सेन सरनेम नहीं हटाया है.

निवेश से पहले बरतें सावधानी

लोग अक्सर दूसरों की सफलता की कहानियां सुनकर पैसा कमाने के लिए तत्पर हो जाते हैं और इसी चक्कर में गलत जगह निवेश कर देते हैं. गलत निवेश आपके लिए फायदेमंद कम और नुकसानदेह ज्यादा साबित हो सकता है. लोगों को पता नहीं होता है कि उनके निवेश का लक्ष्य क्या है और पैसा लगा देते हैं. आमतौर पर निवेशक ऐसी ही पांच गलतियां करते हैं. आज हम आपको ऐसी ही गलतियों से बचने के टिप्स बता रहे हैं, जिससे आप नुकसान से तो बचेंगे ही साथ ही आपको निवेश का सही तरीका भी पता चल जाएगा.

लक्ष्य पता हो तभी करें निवेश

निवेश का पहला कदम है लक्ष्य को निर्धारित करना. लक्ष्य का मतलब है कि आप किस उद्देश्य से निवेश करना चाहते हैं? जैसे घर खरीदना या बच्चों की पढ़ाई का खर्च इत्यादि. लक्ष्य पता होने पर ही आप तय कर सकते हैं कि भविष्य में आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी. लक्ष्य पता होगा तभी आप सही विकल्प चुन पाएंगे और आपकी जरूरतें पूरी हो पाएंगी.

एक तरह के विकल्प में ना लगाएं पैसा

निवेशक आमतौर पर एक तरह के विकल्प में पैसे लगाने की गलती करते हैं. जैसे कई लोग सारा पैसा बैंक में रखना पसंद करते हैं या फिर प्रॉपर्टी में लगा देते हैं. अगर आपने पैसा एक विकल्प में लगा रखा है तो नुकसान होने की संभावना ज्यादा है. निवेश के जोखिम को कम करने के लिए हमेशा अलग-अलग तरह के एसेट में पैसा लगाना चाहिए. अच्छा पोर्टफोलियो वह होता है, जिसमें सभी तरह के निवेश विकल्पों में पैसा डाइवर्सिफाइ हो.

निवेश से पहले नुकसान का गणित जरूर समक्ष लें

लोग अधिक और जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में जोखिम को भूल जाते हैं और दूसरों की सलाह पर अपना पूरा पैसा लगा देते हैं. निवेश का नियम है कि पहले जोखिम को अच्छे से समझ लें. शेयर बाजार, प्रॉपर्टी, सोना, कमोडिटी सभी के साथ जोखिम जुड़ा है. इसलिए सबसे पहले ये समझ लें कि नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. अगर आप में जोखिम उठाने की क्षमता है तो ही निवेश करें.

घाटे के समय तुरंत बदलें अपना निवेश

लोग अपने निवेश को लेकर भावनात्मक हो जाते हैं, जबकि निवेश से जुड़े फैसले दिमाग से लेने पड़ते हैं, न कि दिल से. अगर आपके निवेश पर घाटा हो रहा है तो आपको जल्द से जल्द अपना पैसा निकाल लेना चाहिए. किसी शेयर में पैसे लगाकर फंस गए हैं तो उछाल लौटने की उम्मीद में शेयर में इतने वक्त के लिए न बने रहें कि आपका सारा पैसा ही डूब जाए. समय रहते बाहर निकलकर आप अपना पूरा पैसा खोने के बजाये कुछ पैसा बचा सकते हैं.

एसआईपी निवेश का सही तरीका

निवेशकों के लिए शेयर बाजार की चाल समझना काफी मुश्किल भरा काम है. तेजी को देखते हुए जबतक निवेशक शेयरों में निवेश करना शुरू करते हैं, तब तक बाजार की चाल बदल जाती है. इसलिए छोटे निवेशकों के लिए सिस्टेमेटिक इन्‍वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का तरीका सबसे अच्छा रहता है.

सिर दर्द और उलटियां क्या गंभीर बीमारी की संकेत है?

सवाल-

मैं 46 वर्षीय शिक्षिका हूं. पिछले कई दिनों से मुझे सिर में तेज दर्द हो रहा है. आराम करने और दवा लेने पर भी सिरदर्द ठीक नहीं होता. कई बार सिरदर्द के साथ उलटियां भी आती हैं. क्या यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत है?

जवाब-

सिरदर्द एक बहुत ही सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो कई कारणों से हो सकता है. मामूली सिरदर्द को थोड़ी देर आराम कर के या पेन किलर ले कर ठीक किया जा सकता है. कभीकभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं. लेकिन अगर सिरदर्द लगातार रहने लगे, रात में या सुबहसुबह तेज सिरदर्द होने से नींद खुल जाए, चक्कर आने लगे, सिरदर्द के साथ जी मिचलाना और उलटियां होने की समस्या हो तो सम?िए कि आप के मस्तिष्क में प्रैशर बढ़ रहा है. मस्तिष्क में प्रैशर बढ़ने का कारण ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डायग्नोसिस कराएं.

ये भी पढ़ें-

सिर दर्द होना इतना सामान्य हो गया है कि अब हम इसे हेल्थ प्रॉब्लम की तरह देखते ही नहीं हैं. सिर दर्द होना, है तो सामान्य बात लेकिन अगर दर्द बढ़ जाए तो पूरा दिन बर्बाद हो जाता है.

हममें से ज्यादातर लोग सिर दर्द बर्दाश्त नहीं होने पर पेन-किलर ले लेते हैं लेकिन हर बार दवा लेना सही तो नहीं है. इसके कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. दर्द दबाने के लिए इन दवाओं में एस्टेरॉएड का इस्तेमाल किया जाता है. हो सकता है आपको शुरू में इन दवाओं से फायदा हो जाए लेकिन भविष्य में इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं.

ऐसी स्थिति में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपायों का रुख करें. सामान्य सिर दर्द के लिए ये उपाय बहुत ही फायदेमेद हैं लेकिन अगर सिर दर्द किसी मेडिकल कंडिशन की वजह से है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

1. विनेगर या सिरका

सिरका एक औषधि है. इसका इस्तेमाल पेट दर्द में भी किया जाता है और यह सिर दर्द में भी फायदेमंद है. हल्के गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिला लें. इसे पीकर कुछ देर के लिए लेट जाएं. सिर दर्द कम हो जाएगा और धीरे-धीरे गायब.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सिर दर्द दूर करने के लिए घरेलू उपाय

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Raksha bandhan Special: हेयरस्टाइल हो ऐसा

अपने पुराने लुक से अगर आप बोर हो चुकी हैं तो अपनाइए कुछ ऐसे हेयरस्टाइल, जो आप के व्यक्तित्व में एक नई ताजगी भर दें और आप पहले से ज्यादा हसीन और स्मार्ट लगें. लेकिन यह तभी संभव है जब आप अपनाएंगी कुछ डिफरैंट हेयरस्टाइल.

फ्लिक स्टाइल: केशों की अच्छी तरह से कौंबिंग कर के हेयर स्प्रे डालें और फिर कौंबिंग कर के सीरम लगाएं. इस के बाद फिर कौंबिंग कर के केशों को नीचे से बराबरी से कट करें. अब केशों की छोटीछोटी लटों को ले कर बराबरी से उंगलियों में फंसा कर उन की कटिंग करें. इस में पहले एक बेस कटिंग करें फिर वन लैंथ कटिंग करें. फिर स्प्रे डालें और बीच की मांग निकाल कर कौंबिंग करें.

अब क्राउन एरिया में एक बौक्स बना कर उसे आगे चेहरे की तरफ ला कर स्टे्रट कौंब में फंसा कर काटें. कान के ऊपर के केशों को स्लाइन में काटें. ऐसा ही कट कान के दूसरी तरफ के केशों का भी करें.

अब पीछे की तरफ के केशों को ऊपर की तरफ करते हुए स्लाइन में दोनों तरफ से काटें. कटिंग के बाद हेयर ड्रायर लगा कर केशों को अच्छे से सैट करें.

फ्रिंज स्टाइल: केशों की कौंबिंग कर के हेयर स्प्रे डालें. फिर टौप से एक सैक्शन ले कर केशों को आगे नाक के पास ला कर काटें. इस कटिंग में सिर्फ आगे से ही कट किया जाएगा. पीछे के केशों का अपनी इच्छानुसार छोटा या लंबा कट किया जा सकता है या बराबर कट भी कर सकते हैं.

साइड फ्लिक स्टाइल: केशों की अच्छी तरह से कौंबिंग कर के स्प्रे डालें. फिर आधे केशों का एक बौक्स सैक्शन बना कर कट करें. आगे के केशों की इयर टू इयर पार्टिंग करें और उसे पिन से फोल्ड कर दें. पीछे के केशों की एक गाइड लाइन बना कर ऊपर की तरफ लेते हुए कट करें. इस में केशों के 3 बौक्स बनाएं.

अब पहले वाले बौक्स को खोल कर कट करें. टौप क्राउन एरिया के केशों को एक साइड में करते हुए कट करें. इयर टू इयर केशों को फेस के अनुसार ही आगे से काटें. अब ड्रायर की मदद से केशों को अच्छी तरह से सैट करें. यह स्टाइल आप के लुक में चार चांद लगाएगा.

स्टे्रट हेयर में वी कट: स्टे्रट हेयर में कोई भी कट बहुत ध्यान से करना होता है, क्योंकि ऐसे केशों में कोई भी कट फ्लैट ही लगता है. इस में लंबे केश ही खूबसूरत लगते हैं, अगर सिरे से उन की कटिंग अच्छी हो.

स्ट्रेट हेयर में अपने सिर को नीचे कर के केशों को आगे की तरफ पूरा झुका कर ही कट करें. इस से नीचे के केश छोटे फिर उस से बड़े फिर उस से थोड़े बड़े केश कटेंगे.

कान की तरफ के केशों को कौंब में फंसा कर नीचे से ऊपर की तरफ तिरछा कट करें. अब सिर सीधा करने पर पीछे से पूरा वी लुक ही नजर आएगा.

फेब वर्कशौप में यूनीसैक्स सैलून के हेयर डिजाइनर सलीम अहमद से आभा यादव द्वारा की गई बातचीत पर आधारित.

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40+ महिलाओं के लिए हैल्थ टिप्स

उम्र का एक ऐसा पड़ाव आता है जब महिलाएं प्रजनन की उम्र को पार कर रजोनिवृत्ति की ओर कदम बढ़ाती हैं. यह उम्र का नाजुक दौर होता है, जब शरीर कई बदलावों से गुजरता है. इस में ऐस्ट्रोजन हारमोन का लैवल कम होने से हड्डियों की कमजोरी, टेस्टोस्टेरौन हारमोन के कम होने के कारण मांसपेशियों की कमजोरी तथा वजन बढ़ने से मधुमेह व उच्च रक्तचाप होने की संभावना बढ़ जाती है.

ऐसे में चालीस पार महिलाएं कैसे अपने शरीर का ध्यान रखें? अपनी नियमित दिनचर्या में क्या बदलाव लाएं ताकि स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें? ऐसे ही और कई प्रश्नों के उत्तरों के लिए स्त्रीरोग विशेषज्ञ डा. निर्मला से मुलाकात की:

40+ की उम्र में महिलाओं के अंदर क्या क्या बदलाव आते हैं?

40+ उम्र में शारीरिक बदलाव में प्रमुख है वजन का बढ़ना. महिलाओं के कूल्हों, जांघों के ऊपरी हिस्सों और पेट के आसपास चरबी जमा होने लगती है. वजन बढ़ने के कारण उच्च रक्तचाप व मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है. इस के अलावा ऐस्ट्रोजन हारमोन का लैवल घटने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, जिस से बचाव के लिए स्वस्थ आहार (कम कैलोरी का भोजन, प्रोटीन भोजन में शामिल करना, फल, सब्जियां, अंकुरित व साबूत अनाज) अपनाना चाहिए.

वजन पर नियंत्रण रखने के लिए कम से कम 30 मिनट तक नियमित व्यायाम जरूर करना चाहिए. व्यायाम कार्डियो ऐक्सरसाइज, ऐरोबिक्स आदि रूप में हो सकता है. टेस्टोस्टेरौन हारमोन स्राव की कमी मांसपेशियों पर असर डालती है, जिस के कारण फ्रोजन शोल्डर (कंधों में तेज दर्द होना व जाम की स्थिति) की परेशानी भी हो सकती है.

व्यायाम के द्वारा ही इस पर काबू पाया जा सकता है.

दूसरा बदलाव मानसिक तौर पर होता है, जिस में हारमोन की गतिविधियों के कारण मूड स्विंग होता है. कभीकभी चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है, गुस्से पर काबू खोने लगता है. ऐसे में यदि उन के साथ सहानुभूति, प्रेम का वातावरण स्थापित न हो तो कई महिलाएं डिप्रैशन की शिकार भी हो जाती हैं.

आजकल ब्रैस्ट कैंसर व गर्भाशयमुख कैंसर के केस बहुत आम हो गए हैं. इस से बचाव व स्वयं सतर्कता जांच कैसे करें?

स्तन कैंसर का इलाज मौजूद है, बशर्ते महिलाएं इस की शुरुआत होते ही इलाज शुरू कर दें. सर्वप्रथम स्नान के समय अपने एक हाथ को ऊपर उठा कर  दूसरे हाथ से स्तन की जांच स्वयं करनी चाहिए. किसी भी प्रकार की गांठ या स्राव निकलने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए.

इसी प्रकार योनि से किसी भी प्रकार का स्राव, मासिकचक्र के अतिरिक्त समय पर होने पर सजग हो जाना चाहिए. इसकी जानकारी डाक्टर को जरूर देनी चाहिए. जिन के परिवार में कैंसर के मरीज पूर्व में रहे हों जैसे नानी या मां को कैंसर हुआ हो, उन्हें नियमित तौर पर वीआईए टैस्ट, पीएपी टैस्ट जरूर करवाना चाहिए.

ऐनीमिया यानी महिलाओं में खून की कमी भी हो जाती है. इसके बचाव के क्या उपाय हैं?

हमारे देश में यह परेशानी बहुत आम हो गई है. इसके प्रमुख लक्षण हैं कमजोरी, शरीर पीला पड़ना, सांस फूलना. गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं में यह कमी ज्यादा देखने को मिलती है. सरकारी अस्पतालों में आयरन की गोलियां मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं, अत: इनका सेवन कर आयरन की कमी पर काबू पाया जा सकता है, इस के अतिरिक्त हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़, काले चने, खजूर, सेब, अनार, अमरूद इत्यादि में आयरन की प्रचुर मात्रा होती है. लोहे के बरतनों में खाना पकाने से भी शरीर को आयरन की पूर्ति होती है. इसके अलावा 6 माह के अंतराल में कीड़ों की दवा जरूर लेनी चाहिए.

40+ महिलाओं में कैल्सियम की कमी क्यों बढ़ जाती है?

हां, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, गर्भवती महिलाओं के अलावा यह कमी 40+ महिलाओं में ऐस्ट्रोजन हारमोन घटने के कारण भी होने लगती है. इसे दूर करने के लिए दूध, पनीर और दूध से बने पदार्थों का नियमित सेवन करना चाहिए. गर्भवती महिला को 3 माह के गर्भ के बाद से ही कैल्सियम की गोली रोज खानी शुरू कर देनी चाहिए. शिशु को स्तनपान कराने वाली मांएं 3-4 गिलास दूध का नियमित सेवन करें. 40+ महिलाओं को विटामिन डी युक्त कैल्सियम खाना चाहिए. धूप का सेवन भी लाभदायक रहता है. समयसमय पर कैल्सियम व विटामिन डी का टैस्ट भी करवाना चाहिए.

शुगर यानी डायबिटीज भी महामारी का रूप लेती जा रही है. इस से बचाव के क्या उपाय हैं?

गर्भावस्था में उन महिलाओं को मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है, जिनके माता या पिता को यह पहले से हो या महिलाओं को पौलिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की बीमारी हो. 40+ में भी यह उन महिलाओं को होती हैं, जिनके परिवार में यह बीमारी पहले से हो. इस के अलावा खानपान में लापरवाही और शारीरिक निष्क्रियता भी इस बीमारी के होने के प्रमुख कारणों में हैं. इस के लक्षणों में प्रमुख हैं- वजन बढ़ना, अधिक भूख व प्यास लगना और बारबार पेशाब जाना.

इस के बचाव के लिए 40+ होने पर वर्ष में एक बार अपना रूटीन चैकअप कराना चाहिए और खून की जांच (ब्लड शुगर फास्टिंग) और (ब्लड शुगर पीपी) खाना खाने के डेढ़ घंटे के बाद करवानी चाहिए.

इस समस्या के प्रकट होने पर अपने आहार एवं दिनचर्या में बदलाव ला कर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. नियमित व्यायाम व खाने में मीठी चीजों, शकरकंद, आलू, केला, आम, अरबी, चावल आदि का परहेज करना चाहिए. समस्या बढ़ने पर दवा व इंसुलिन के इंजैक्शन भी उपलब्ध हैं, जिन्हें डाक्टर की सलाह एवं निगरानी में लेना चाहिए.

थायराइड की समस्या उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?

अकसर किशोरावस्था व गर्भवती महिलाओं में जो थायराइड की समस्या देखने को मिलती है उसे हाइपोथाइरोडिज्म कहते हैं. इसके लक्षणों में प्रमुख हैं गले में सूजन, वजन का बढ़ना, मासिकधर्म की अनियमितता आदि.

किशोर युवतियों को शारीरिक विकास के लिए आयोडीन की जरूरत होती है, जिसकी कमी होने से प्यूबर्टी गोइटर हो जाता है. इसके अलावा किसी विशेष क्षेत्रवासियों में भी यह कमी देखने को मिलती है. इसका कारण वहां की जमीन में ही आयोडीन की कमी होना है.

खून की जांच कराने पर इसकी कमी पता चल जाती है. आयोडीन नमक का प्रयोग एवं अपने डाक्टर की सलाह लेकर नियमित दवा का सेवन करना चाहिए. अकसर लड़कियों में यह कमी 20-21 वर्ष के बाद ठीक हो जाती है तो गर्भवती महिलाओं में प्रसव के बाद इस के लक्षण समाप्त हो जाते हैं.

मेनोपौज की शुरुआत किस उम्र से शुरू होती है?

मेनोपौज महिलाओं की उस अवस्था को कहते हैं जब अंडाशय में अंडाणुओं के बनने की क्रिया समाप्त होने लगती है और मासिक धर्म बंद हो जाता है. जब लगातार 12 महीने मासिकधर्म न आए तो इसे हम रजोनिवृत्ति कहते हैं. मेनोपौज होने का मतलब है प्रजनन क्षमता का खत्म हो जाना. यह 40 से 50 वर्ष के बीच की उम्र में हो सकती है.

सभी महिलाओं में अंडाणु के निर्माण होने और फिर इस चक्र के बंद हो जाने का एक अलग समय होता है. महिला के गर्भधारण करने के लिए प्रोजेस्टेरौन और ऐस्ट्रोजन हारमोन का बनना जरूरी होता है. जब ये दोनों हारमोन बनने बंद होने लगते हैं तो महिलाओं के मासिक धर्म और डिंबोत्सर्जन से नियंत्रण हट जाता है और मासिक धर्म अनियमितता व मासिक धर्म बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. महिला की 40 से 50 वर्ष की उम्र भी एक कारक है.

मेनोपौज के कारण शरीर में निम्न परिवर्तन आते हैं जैसे गर्भाशय का आकार छोटा होना, शरीर में थकावट, अचानक तीव्र गरमी लगना, जोड़ों में दर्द होना, शरीर में अतिरिक्त वसा का जमाव, नींद में खलल बढ़ जाना आदि. इन लक्षणों के कारण व्यग्रता या अवसाद की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है.

मेनोपौज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिस के लिए किसी प्रकार की दवा की जरूरत नहीं होती है, किंतु योनि के सूखेपन या बारबार होने वाली तीव्र गरमी को कम करने के लिए डाक्टर से परामर्श ले सकती हैं.

दोहराव: क्या हुआ था नेहा और कुसुम के साथ

शाम का धुंधलका सूर्य की कम होती लालिमा को अपने अंक में समेटने का प्रयास कर रहा था. घाट की सीढि़यों पर कुछ देर बैठ अस्त हो रहे सूर्य के सौंदर्य को निहार कर कुसुम खड़ी हुईं और अपने घर की ओर चलने लगीं. आज उन के कदम स्वयं गति पकड़ रहे थे…जब फूलती सांसें साथ देने से इनकार करतीं तो वह कुछ पल को संभलतीं मगर व्याकुल मन कदमों में फिर गति भर देता. बात ही कुछ ऐसी थी. कल सुबह की टे्रन से वह अपनी इकलौती बेटी नेहा के घर जा रही थीं. वह भी पूरे 2 साल बाद.

यद्यपि नेहा के विवाह को 2 साल से ऊपर हो चले थे मगर कुसुम को लगता था जैसे कल की बात हो. कुसुम के पति नेहा के जन्म के कुछ सालों के बाद ही चल बसे थे. उन के निधन के बाद कुसुम नन्ही नेहा को गोद में ले कर प्राकृतिक छटा से भरपूर उत्तराखंड के एक छोटे से कसबे में आ गईं. इस जगह ने कुसुम को वह सबकुछ दिया जो वह खो चुकी थीं. मानप्रतिष्ठा, नौकरी, घर और नेहा की परवरिश में हरसंभव सहायता.

कुसुम ने भी इन एहसानों को उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने छोटा सा स्कूल खोला, जो धीरेधीरे कालिज के स्तर तक पहुंच गया. उन्हीं की वजह से कसबे में सर्वशिक्षा अभियान को सफलता मिली.

कुसुम के पड़ोसी घनश्यामजी जब भी नेहा को देखते कुसुम से यही कहते, ‘बहनजी, इस प्यारी सी बच्ची को तो मैं अपने परिवार में ही लाऊंगा,’ और समय आने पर उन्होंने अपनी बात रखते हुए अपने भतीजे अनुज के लिए नेहा का हाथ मांग लिया.

अनुज एक संस्कारी और होनहार लड़का था. वह उत्तर प्रदेश सरकार के बिजली विभाग में इंजीनियर था. कुसुम ने नेहा को विवाह में देने के लिए कुछ रुपए जोड़ कर रखे थे, मगर अनुज ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि मुझे आप के आशीर्वाद के सिवा और कुछ नहीं चाहिए. मेरी पत्नी को मेरी कमाई से ही गृहस्थी चलानी होगी, अपने मायके से लाई हुई चीजों से नहीं. और उस की इस बात को सुन कर पल भर के लिए कुसुम अतीत में खो गई थीं.

उन के अपने विवाह के समय उन के पति ने भी ऐसा ही कुछ कह कर दहेज लेने से साफ मना कर दिया था. अपने दामाद में अपने दिवंगत पति के आदर्श देख कर कुसुम अभिभूत हो उठी थीं.

नेहा के विवाह के 2 महीने बाद कुसुम को कालिज के किसी काम से दिल्ली जाना था. लौटते हुए वह कुछ समय के लिए मेरठ में बेटीदामाद के घर रुकी थीं. बड़ा आत्मिक सुख मिला था कुसुम को नेहा का सुखी घरसंसार देख कर. हालांकि देखने में उन का घर किसी भी दृष्टि से सरकारी इंजीनियर का घर नहीं लग रहा था, फर्नीचर के नाम पर कुल 4 बेंत की कुरसियां थीं, 1 मेज और पुराना दीवान था. सामने स्टूल पर रखा छोटा ब्लैक एंड वाइट टीवी रखा था जो शायद अनुज के होस्टल के दिनों का साथी था. उन का घर महंगे इलेक्ट्रोनिक उपकरणों और फर्नीचर  से सजाधजा नहीं था मगर उन के प्रेम की जिस भीनीभीनी सुगंध ने उन के घर को महका रखा था उसे कुसुम ने भी महसूस किया था और वह बेटी की तरफ से पूरी तरह संतुष्ट हो खुशीखुशी अपने घर लौट आई थीं. आज वह एक बार फिर अपनी बेटी के घर की उसी सुगंध को महसूस करने जा रही थीं.

स्टेशन पर उतरने के बाद कुसुम की बेचैन आंखें बेटीदामाद को खोज रही थीं कि तभी पीछे से नेहा ने उन की आंखों पर हाथ रखरख कर उन्हें चौंका दिया. अनुज तो नहीं आ पाया था मगर नेहा अपनी मां को लेने ठीक समय पर पहुंच गई थी.

कुसुम ने बेटी को देखा तो वह कुछ बदलीबदली सी नजर आई थी, गाढ़े मेकअप की परत चढ़ा चेहरा, कीमती परिधान, हाथों और गले में रत्नजडि़त आभूषण. इन 2 सालों में तो जैसे उस का पूरा व्यक्तित्व ही बदल गया था. कुसुम सामान उठाने लगीं तो नेहा ने यह कहते रोक दिया,  ‘‘रहने दो, मम्मी, ड्राइवर उठा लेगा.’’

नेहा, मां को लेने सरकारी जीप में आई थी. जीप में बैठ नेहा मां को बताने लगी, ‘‘मम्मी, अनुज आजकल बड़े व्यस्त रहते हैं इसलिए मेरे साथ नहीं आ सके. हां, आप को लेने के लिए इन्होंने सरकारी जीप भेज दी है…हाल ही में इन का प्रमोशन हुआ है, बड़ी अच्छी जगह पोस्टिंग हुई है…उस जगह पर पोस्टिंग पाने के लिए इंजीनियर तरसते रहते हैं मगर इन को मिली…खूब कमाई वाला एरिया है…’’ इस के आगे के शब्द कुसुम नहीं सुन सकीं. नेहा के बदले व्यक्तित्व से वह पहले ही विचलित थीं. उन के मुंह से निकला, ‘कमाई वाला एरिया.’

नेहा की हर एक हरकत…हर एक बात उस की सोच में आए बदलाव का संकेत दे रही थी. उस की आंखों में बसी सादगी और संतुष्टि की जगह कुसुम को पैसे की चमक और अपने स्टेटस का प्रदर्शन करने की चाह नजर आ रही थी.

घर पहुंच कर कुसुम ने पाया कि घर भी नेहा की तरह उन के बढ़े हुए स्टेटस का खुल कर प्रदर्शन कर रहा है. आधुनिक साजसज्जा से युक्त घर में ऐशोआराम की हर एक चीज मौजूद थी.

‘‘लगता है, अनुज ने इन 2 सालों में काफी तरक्की कर ली है,’’ कुसुम ने चारों ओर दृष्टि घुमाते हुए पूछा.

‘‘अनुज ने कहां की है मम्मी, मैं ने जबरन इन के पीछे पड़ कर करवाई है… जब मैं ने देखा कि कभी इन के नीचे काम करने वाले कहां के कहां पहुंच गए और यह वहीं अटके पड़े हैं तो मुझ से रहा न गया…वैसे इन का बस चलता तो अभी तक हम उसी कबूतरखाने में पड़े रहते…’’

कुसुमजी समझ गईं कि उन की बेटी, शहर आ कर काफी सयानी हो गई है और पैसे बनाने की अंधी दौड़ में शामिल हो चुकी है. इस बात को ले कर वह गहन चिंता में डूब गईं.

‘‘अरे, मम्मी, आप अभी तक यों ही बैठी हैं, जल्दी से हाथमुंह धो कर फे्रश हो जाइए…खाना तैयार है…आप थकी होंगी, सो जल्दी खा कर सो जाइए…कल आराम से बातें करेंगे.’’

‘‘अनुज को आने दे…साथ ही डिनर करेंगे…वैसे बहुत देर हो गई है, कब तक आता है?’’

‘‘उन का तो कुछ भरोसा नहीं है, मम्मी, जब से प्रमोशन हुआ है अकसर देर से ही आते हैं…मैं तो समय पर खाना खा कर सो जाती हूं, क्योंकि ज्यादा देर से सोने से मेरी नींद उचट जाती है. वह जब आते हैं तो उन्हें नौकर खिला देता है.’’

‘‘मैं अनुज के साथ ही खाऊंगी, वैसे भी मुझे अभी भूख नहीं है, तुम चाहो तो खा कर सो जाओ…’’ कुसुम ने जवाब दिया.

थोड़ी ही देर में अनुज घर आया और आते ही कुसुम के चरण स्पर्श कर अभिवादन करते हुए बोला, ‘‘क्षमा करें, मम्मीजी, कुछ जरूरी काम आ गया था सो आप को लेने स्टेशन नहीं पहुंच सका.’’

‘‘कोई बात नहीं, बेटा,’’ कुसुमजी बोलीं, ‘‘मगर यह तुम्हें क्या हो गया है… तुम्हारी तो सूरत ही बदल गई है…माना काम जरूरी है पर अपना ध्यान भी तो रखना चाहिए…’’

सचमुच इस अनुज की सूरत 2 साल पहले वाले अनुज से बिलकुल मेल नहीं खाती थी…निस्तेज आंखें, बुझा चेहरा, झुके कंधे, निष्प्राण सा शरीर…उस का पूरा व्यक्तित्व ही बदल गया था.

‘‘बस, मम्मीजी, क्या कहूं…काम कुछ ज्यादा ही रहता है,’’ इतना कह कर वह नजरें झुकाए अपने कमरे में चला गया और वहां जा कर नेहा को आवाज लगाई, ‘‘नेहा, ये 20 हजार रुपए अलमारी में रख दो, ये घर पर ही रहेेंगे…बैंक में जमा मत कराना.’’

अनुज के कमरे से आ रही पतिपत्नी की धीमी आवाज ने कुसुम पर वज्रपात कर दिया. 20 हजार रुपए, वह भी महीने के आखिर में…कहीं ये रिश्वत की कमाई तो नहीं…नेहा कह भी रही थी कि खूब कमाई वाले एरिया में पोस्टिंग हुई है…तो इस का अर्थ है कि इन दोनों को पैसे की भूख ने इतना अंधा बना दिया है कि इन्होंने अपने संस्कार, नैतिकता और ईमानदारी को ताक पर रख दिया. नहीं…मैं ऐसा हरगिज नहीं होने दूंगी…कुछ भी हो इन्हें सही राह पर लाना ही होगा. मन में यह दृढ़ निश्चय कर वह सोने चली गईं.

आज रविवार था. अनुज घर पर ही था. उस के व्यवहार से कुसुमजी को लग रहा था जैसे वह घरपरिवार की तरफ से उदासीन हो कर अपने में ही खोया…गुमसुम सा…भीतर ही भीतर घुट रहा है…घर की हवा बता रही थी कि उन दोनों का प्यार मात्र औपचारिकताओं पर आ कर सिमट गया है, मगर नेहा इस माहौल में भी बेहद सुखी और संतुष्ट नजर आ रही थी और यही बात कुसुम को बुरी तरह कचोट रही थी.

‘‘मम्मी, आज इन की छुट्टी है. चलो, कहीं बाहर घूम कर आते हैं और आज लंच भी फाइव स्टार होटल में करेंगे,’’ नेहा ने चहकते हुए प्रस्ताव रखा.

‘‘नहीं…आज हम तीनों कहीं नहीं जाएंगे बल्कि घर पर ही रह कर ढेर सारी बात करेंगे…और हां, आज खाना मैं बनाऊंगी,’’ कुसुमजी ने नेहा के प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए कहा.

‘‘वाह, मम्मीजी, मजा आ जाएगा, नौकरों के हाथ का खाना खाखा कर तो मेरी भूख ही मर गई,’’ अनुज ने नेहा पर कटाक्ष किया.

‘‘हां…हां, जब घर में नौकरचाकर हैं तो मैं क्यों रसोई का धुआं खाऊं,’’ नेहा ने प्रतिवाद किया.

‘‘तुम्हें मसालेदार छोले और भरवां भिंडी बहुत पसंद हैं न…वही बनाऊंगी,’’ कुसुमजी ने बात संभाली.

‘‘अरे, मम्मीजी, आप को मेरी पसंद अभी तक याद है…नेहा तो शायद भूल ही गई,’’ अनुज के एक और कटाक्ष से नेहा मुंह बनाते हुए वहां से उठ कर चली गई.

‘‘चलो, बाहर लौन में बैठ कर कुछ देर धूप सेंकी जाए. मुझे तुम दोनों से कुछ जरूरी बातें भी करनी हैं,’’ लंच से निबट कर कुसुम ने सुझाव रखा.

बाहर आ कर बैठते ही कुसुम की भावमुद्रा बेहद गंभीर हो गई. उन की नजरें शून्य में ऐसे ठहर गईं जैसे अतीत के कुछ खोए हुए लमहे तलाश कर रही हों. कुछ देर खुद को संयत कर उन्होंने बोलना शुरू किया, ‘‘आज मैं तुम दोनों के साथ अपनी कुछ ऐसी बातें शेयर करना चाहती हूं जिन का जानना तुम्हारे लिए बेहद जरूरी है. बात उन दिनों की है जब मैं नेहा के पापा से पहली बार मिली थी. वह भी अनुज की तरह ही सरकारी विभाग में इंजीनियर थे. बेहद ईमानदार और उसूलों के पक्के. वह ऐसे महकमे में थे जहां रिश्वत का लेनदेन एक आम बात थी मगर वह उस कीचड़ में भी कमल की तरह निर्मल थे. हम ने एकदूसरे को पसंद किया और शादी कर ली. उन की जिद के चलते हमारी शादी भी बड़ी सादगी से और बिना किसी दानदहेज के हुई थी. पहले उन की पोस्टिंग उत्तरकाशी में थी.

‘‘साल भर बाद उन का तबादला गाजियाबाद हो गया. वह एक औद्योगिक शहर है, जो ऊपरी कमाई की दृष्टि से बहुत अच्छा था. वहां हमें विभाग की सरकारी कालोनी में घर मिल गया. उन्होंने मुझे शुरू  से ही हिदायत दी थी कि मैं वहां सरकारी कालोनी में रह रहे बाकी इंजीनियरों की बीवियों और उन के रहनसहन की खुद से तुलना न करूं क्योंकि उन का उच्च स्तरीय जीवन उन के काले धन के कारण है, जो हमारे पास कभी नहीं होगा.

‘‘धीरेधीरे मेरा पासपड़ोस में मेलजोल बढ़ने लगा और न चाहते हुए भी मैं उन के ठाटबाट से प्रभावित होने लगी. मेरे मन में भी उन सब की देखादेखी ऐशोआराम से रहने की इच्छा जागने लगी. मुझे लगने लगा कि यह लेनदेन तो जगत व्यवहार का हिस्सा है, जब इस दुनिया में हर कोई पैसे बटोर कर अपना और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर रहा है तो हम ही क्यों पीछे रहें…

‘‘बस, मैं ने अपनी सहेलियों के बहकावे में आ कर उन पर दबाव डालना शुरू कर दिया मगर उन्होंने अपने आदर्शों के साथ समझौता करना नहीं स्वीकारा. मैं उन्हें ताने देती, उन के सहकर्मियों की तरक्की का हवाला देती, यहां तक कि मैं ने उन्हें एक असफल पति भी करार दिया, मगर वह नहीं झुके.

‘‘इन्हीं उलझनों के बीच मैं गर्भवती हुई तो वह तमाम मतभेदों को भूल कर बेहद खुश थे. मैं ने उन से स्पष्ट कह दिया कि मैं इस हीनता भरे दमघोंटू माहौल में किसी बच्चे को जन्म नहीं दूंगी. हमारे घर संतान तभी होगी जब तुम अपने खोखले आदर्शों का चोगा उतार कर बाकी लोगों की तरह ही घर में हमारे और बच्चे के लिए तमाम सुखसुविधाओं को जुटाने का वचन दोगे. मुझे गर्भपात कराने पर उतारू देख तुम्हारे पिता टूट गए और धीरेधीरे धन पानी की तरह बरसने लगा…घर सुखसुविधाओं की चीजों से भरता चला गया.

‘‘मैं ने जो चाहा सो पा लिया, मगर तुम्हारे पिता का प्यार खो दिया. उस समय मेरी आंखों पर माया का ऐसा परदा पड़ा था कि मुझे इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ा कि वह किसी मशीन की भांति काम करते जा रहे थे और मैं अपने ऊंचे स्टेटस के मद में पागल थी.

‘‘फिर तुम्हारा जन्म हुआ, तुम्हारे आने के बाद तुम्हारे भविष्य के लिए धन जमा करने की तृष्णा भी बढ़ गई. सबकुछ मेरी इच्छानुसार ही चल रहा था कि एक दिन अचानक…’’

कुसुमजी की वाणी कुछ पल के लिए थम गई और उन की आंखें नम हो गईं….

‘‘एक दिन क्या हुआ, मम्मी?’’ नेहा ने विस्मित स्वर से पूछा.

‘‘…आफिस से खबर आई कि तुम्हारे पिता को भ्रष्टाचार विरोधी दस्ते ने धर दबोचा. अखबार में नाम आया…खूब फजीहत हुई और फिर मुकदमे के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया…जेल जाते हुए उन्होंने मुझ को जिस हिकारत की नजर से देखा था वह मैं कभी भूल नहीं सकती…वह चुप थे, मगर उन की चमकती संतुष्ट नजरें जैसे कह रही थीं कि वह मुझे यों असहाय, भयभीत और अपमानित देख कर बेहद खुश थे.

‘‘बाद में पता चला कि उन्होंने अपनी इच्छा से ही खुद को गिरफ्तार करवाया था और अपना सब कच्चा चिट्ठा अदालत में खोल कर रख दिया था…मुझे दंडित करने का यही तरीका चुना था उन्होंने…जेल में वह कभी मुझ से नहीं मिले और एक दिन पता चला कि वहां उन का देहांत हो गया है…’’

इतना बता कर कुसुमजी फूटफूट कर रो पड़ीं…बरसों से बह रहे पश्चाताप के आंसू अभी भी सूखे नहीं थे…

‘‘मम्मी, इतनी तीक्ष्ण पीड़ा आप ने इतने साल कैसे छिपा कर रखी…मुझे तो कभी आभास भी नहीं होने दिया.’’

‘‘मन में अपार ग्लानि थी. बस, यही साध थी मन में कि बाकी जीवन उन के आदर्शों पर चल कर ही बिताऊं और तुम्हें भी तुम्हारे पिता के संस्कार दूं. मैं अब बूढ़ी हो चली हूं, पता नहीं कितने दिनों की मेहमान हूं…और कुछ तो नहीं है मेरे पास, बस यह आपबीती तुम दोनों को धरोहर के रूप में दे रही हूं…

‘‘वैसे, मैं ने देखा है कि  जो रिश्वत लेते हैं वे शराबीकबाबी हो जाते हैं और रातरात भर गायब रहते हैं. उन पर काम का भरोसा नहीं किया जा सकता है. और उन्हें छोटेमोटे प्रमोशन ही मिल पाते हैं. बेटी, इंजीनियरिंग ऐसा काम नहीं कि दोचार घंटे गए और हो गया. घंटों किताबों में मगजमारी करनी होती है और जिस को रिश्वत मिलती है, वह किताबों में नहीं पार्टियों में समय बिताता है, हो सकता है तुम्हें ये बातें बुरी लग जाएं पर मेरा अनुभव है. तुम्हारे पिता के जाने के बाद मैं यही तो देखती रही कि मैं गलत थी या तुम्हारे पिता,’’ कुसुम ने बात खत्म करते हुए कहा.

‘‘जरूर काम आएंगी मम्मी,… तुम्हारी यह धरोहर अब कभी मेरे कदम लड़खड़ाने नहीं देगी,’’ नेहा अपनी मां से लिपट गई. उस की आंखों से झरझर आंसू बह रहे थे जिन के साथ उस के भीतर छिपी न जाने कितनी तृष्णाएं भी बही जा रही थीं.

Raksha bandhan Special: यूं बनाएं पनीर तवा मसाला

पनीर तो सभी को खाना पसंद होता है चाहे वह जिस तरह भी खाई गई हो. पनीर से कई तरह के पकवान और मिठाई बनाई जाती है जिसे हम बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन आज हम आपको पनीर की बनी डिश के बारे में बता रहें है जो खाने में बहुत टेस्टी और हेल्दी है.

सामग्री

1. 300 ग्राम छोटे टुकडों में कटा हुआ पनीर

2. चार टमाटर का पेस्ट

3. एक बारीक काटा शिमला मिर्च

4. पांच चम्मच दही

5. एक बारीक कटा प्याज

6. तीन चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट

7. एक चम्मच हल्दी पाउडर

8. दो चम्मच लाल मिर्च पाउडर

9. एक चम्मच जीरा

10. एक चम्मच गरम मसाला

11. एक चम्मच चाट मसाला

12. आधा चम्मच मेथी

13. स्वादानुसार नमक

14. अवश्यकतानुसार तेल

15. हरा धनिया पत्ता

ऐसे बनाएं पनीर तवा मसाला

– सबसे पहलें एक बड़ा बाउल लें और उसमें पनीर, दही, थोड़ा-थोड़ा नमक, गरम मसाला, मेथी, हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाए 30 मिनट के लिए रख दें, फिर एक तवा में थोड़ा सा तेल डाल कर इस मिश्रण को ब्राउन होने तक तलें. इसके बाद इसे एक बाउल में निकाल लें.

– अब एक कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करें और जब गर्म हो जाए तो थोड़ा जीरा,प्याज और हरी मिर्च डालें. इसके बाद लहसुन-अदरक पेस्ट, शिमला मिर्च, थोड़ा नमक, थोड़ी हल्दी डाल कर 1 मिनट तक फ्राई करें.

– इसके बाद टमाटर का पेस्ट आधा कप पानी में मिलाकर इसमें डालें और तीन से चार मिनट पकाएं.

– इसके बाद इसमें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में  लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर, चाट मसाला पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिलाए फिर पनीर को डाले और थोड़ा पकाने के बाद गैस बंद कर दें. अब इसे सर्विंग बाउल में निकालकर हरा धनिया डालकर गरमा-गरम सर्व करें.

’ महिलाओं का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना है जरूरी’- स्मिता मिश्रा, शिक्षाविद्

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले देवरिया की रहने वाली स्मिता मिश्रा के पिता पेशे से टीचर थे. वह चाहते थे कि उनकी बेटी पढलिख कर आगे बढे. स्मिता बचपन से ही बेहद समझदार थी. उन्हें बचपन से ही ज़रूरतमंद और बेसहारा लोगों की सहायता करना अच्छा लगता है. बचपन में जो भी पैसा मिलता था उसे गुल्लक में रखती थी और दीपावली के त्यौहार मॆ इकट्ठा किए गए पैसों को गरीब बच्चों में बांट देती थी. 12 वीं की पढाई के बाद स्मिता मिश्रा ने वाराणसी और इलाहाबाद से आगे की पढाई पूरी की. वह अपने पिता की तरह ही टीचर बनकर समाज की सेवा करना चाहती थी. अपनी शिक्षा पूर्ण कर प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से उच्च शिक्षा में अर्थशास्त्र विषय मे असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित होकर वर्तमान में आजमगढ जिले के श्री अग्रसेन महिला महाविद्यालय में लडकियों को पढाने का काम कर रही है. लडकियों की शिक्षा और समाज की हालत पर पेश  है स्मिता मिश्रा के साथ एक खास बातचीत:-

सवाल- आमतौर पर लडकियां अर्थशास्त्र जैसे विषय में पढाई कम ही करती है. आपको यह शौक़ कैसे हुआ ?

0 – मेरे पिता टीचर से रिटायर हुये है. उनका मेरे जीवन पर बहुत प्रभाव रहा है. उनका मानना था कि लडकियों को अपनी शिक्षा पूरी करने के साथ ही साथ आत्मनिर्भर होना चाहिये. लडकियां जब खुद आत्मनिर्भर होगी तो उनको कोई आगे बढने से रोक नहीं पायेगा. वह अपने पसंद के फैसले खुद कर सकती है।मेरा भी यही मानना है.हर लड़की को शिक्षित होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना बहुत आवश्यक है.

सवाल- लड़कियों को अर्थशास्त्र विषय पढ़ने के क्या फ़ायदे हैं ?

0 – लड़कियाँ बीए (ऑनर्स) इकनॉमिक्स के बाद इसी विषय में मास्टर्स भी करती हैं तो बैंकिंग, फाइनैंशल और इन्वेस्टमेंट सेक्टर, इंश्योरेंस, टीचिंग, मैनेजमेंट, आदि क्षेत्रों में जॉब के अवसर हो सकते हैं। इसके अलावा

घर को चलाने का सबसे बडा जिम्मा महिलाओं पर ही होता है. बैंक के काम हो या होम लोन या और भी जरूरी काम. जब फाइनेंस में महिलाओं की रूचि होगी तो वह बेहतर तरह से अपनी जिम्मेदारी संभाल सकती है. इससे पति की भी मदद हो सकेगी. गणित विषय में रूचि कम होने के कारण महिलाओं को फाइनेंस और अर्थशास्त्र जैसे विषय पसंद नहीं आते है. पर महिलाओं को इनमें रूचि लेनी चाहिये।

सवाल- गांव और पिछडे जिलों में लडकियों की शिक्षा की क्या स्थिति है ?

0 – पहले के मुकाबले आज लडकियों की शिक्षा काफी बेहतर हालत में है.लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हायर एजूकेशन में लडकियां पीछे है. इसके लिये सरकार बेहतर प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार में लडकियों की पढाई को प्रोत्साहित करने के लिये अनेकों योजनाएँ चलाई हैं.लडकियों को टैबलेट, स्मार्टफोन और लैपटाप देने का काम किया है ताकि उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने में मदद मिल सके. उन्हें कॉलेज आने में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिये कानून व्यवस्था का मजबूत किया गया है. इसका प्रभाव दिख रहा है. स्कूल कालेज में लडकियों की तादाद बढती दिखने लगी है.

सवाल- सोशल मीडिया का लडकियों पर क्या प्रभाव पड रहा है ?

0 – सोशल मीडिया ने लडकियो को आजादी दी है. इसके जरीये वह तमाम जानकारियां घर बैठे हासिल कर सकती है. जो उनके कैरियर को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है. साथ ही वह अपने हुनर को लोगो तक पहुँचा सकती है

जिन लडकियां की रूचि गाना और डांस में होती है उनको भी सोशल मीडिया से मदद मिलती है. जरूरी यह है कि लडकियां इसका सही तरह से प्रयोग करें.

सवाल- – आपकी हौबीज क्या है ?

0 – मुझे गाडर्निग, फ़ोटोग्राफ़ी , गजल सुनने और किताबे पढने का शौक है. मैं लडकियों से कहती हॅू कि वह अपने कोर्स की किताबों के साथ ही साथ समाचारपत्र और पत्रिकाएं ज़रूर पढे.बाग़वानी करें.

सवाल- आप कालेज में पढाती है, दो छोटे बच्चे है एक साथ घर परिवार सब कैसे मैनेज कर लेती है. ?

0 – पौजिटिव सोच और टाइम मैनेजमेंट के जरीये ही यह सब मैनेज हो रहा है. मेरा मानना है कि महिलाएँ अत्यंत क्षमतावान एवं ऊर्जावान होती हैं जिसका सदुपयोग करके वह कठिन से कठिन राह को भी सरल बना सकतीं हैं.

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