थैंक गॉड फिल्म रिव्यू: बेहद बोर करती हैं अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की ये फिल्म!

रेटिंग: एक स्टार

निर्माताः टीसीरीज, अषोक ठाकरिया,  दीपक मुकुट, मार्कंड अधिकारी व सुनील ख्ेात्रपाल

लेखक: आकाष कौषिक, मधुर षर्मा

निर्देशकः इंद्र कुमार

कलाकार: अजय देवगन,  सिद्धार्थ मल्होत्रा,  रकुल प्रीत सिंह,  किआरा खन्ना, किकू षारदा, सीमा पाहवा,  कंवलजीत सिंह, उर्मिला कोठारे, सुमित गुलाटी, महेष बलराज, सौंदर्या षर्मा, नोरा फतेही व अन्य. 

अवधि: दो घंटे इक्कीस मिनट

हम अत्याधुनिक वैज्ञानिक युग यानी कि इक्कीसवीं सदी में अत्याधुनिक जीवन शैली जीते हुए जिंदगी में आने वाली तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. तो वहीं फिल्म सर्जक इंद्र कुमार अभी भी स्वर्ग व नर्क, पाप व पुण्य के बीच ही फंसे हुए हैं और वह हर इंसान को इसी भ्रमजाल में फांसने के मकसद से ‘‘थैंग गॉड’’ जैसी अति नीरस व बेवकूफी वाली फिल्म लेकर आए हैं.  यह एक नार्वे/ दानिश फिल्म ‘‘सोरटे कुगलेर’’ का आधिकारिक भारतीयकरण है. जिसमें पाप,  पुण्य, इंसान के कर्मों का हिसाब के साथ ही जीवन व मृत्यू का मजाक बनाकर रख दिया है.

इस फिल्म को देखते हुए सलमान खान अभिनीति व निर्मित असफल फिल्म ‘जय हो’ के अलावा हौलीवुड फिल्म ‘‘ब्रूस आलमाइटी’ की भी याद आ जाती है. फिल्म ‘थैंक गौड’ इतनी बेकार है कि इस फिल्म को देखते हुए यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि इस फिल्म के निर्देशक इंद्र कुमार ने ही अतीत में ‘दिल’, ‘बेटा’, ‘राजा’,  ‘इश्क’, ‘मन’,  ‘मस्ती’, ‘धमाल’ और ‘टोटल धमाल’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था.

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में एक रियल स्टेट एजेंट अयान कपूर (सिद्धार्थ मल्होत्रा) हैं. जिसने बाद में बहुत बड़े भवन निर्माता बन ढेर सारा काला धन कमाया. उनकी पत्नी रूही (रकुल प्रीत सिंह) पुलिस इंस्पेक्टर है और वह एक बेटी की पिता हैं. प्रधानमंत्री मोदी के ‘नोटबंदी’ ने उन्हे कंगाल कर दिया. उन्हें बैंक से कर्ज भी नही मिल रहा. तो अब वह अपना आलीषान मकान बेच रहे हैं. मगर मकान भी बिक नही रहा है. एक दिन जब वह कार चलाते हुए जा रहे होते हैं, तब रास्ते में आने वाले एक मोटर साइकिल चालक को बचाने का प्रयास करते हुए उनकी कार दूसरी कार से टकरा जाती है और वह अस्पताल पहुंच जाते हैं.

अब कहानी दो स्तर पर चलती है. एक तरफ अस्पताल में डाक्टर,  अयान कपूर का आपरेशन कर रहा है, तो दूसरी तरफ जब अयान होश में आते हैं, तो वह खुद को एक ऐसे व्यक्ति के सामने पाते है, जो खुद को सीजी उर्फ चित्रगुप्त (अजय देवगन) के रूप में पेश करता है,  और जो मूक गवाहों की पंक्तियों के साथ बिंदीदार अखाड़े पर राज करता है. सीजी के समाने अयान कैसे यमदूत लेकर गए हैं. अब केबीसी की तर्ज पर चिगुप्त, अयान कपूर के साथ गेम खेलते हुए अयान की जिंदगी का विवरण पेश करते हुए बताते है कि वह कितना झूठा, सच्चा, नेक या गलत इंसान हैं. अब अयान अनंत काल तक नरक में भुनने का हकदार है या अपना शेष जीवन पुनः अपनी प्यारी पत्नी (रकुल प्रीत सिंह) और छोटी बेटी के साथ बिताएंगे?

लेखन व निर्देशनः

कभी संगीत प्रधान रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों के सर्जक के रूप में पहचान रखने वाले निर्देशक इंद्र कुमार ने अचानक सेक्स प्रधान घटिया ‘मस्ती’ व ‘ग्रैंड मस्ती’ जैसी फिल्में बनायी. उसके बाद ‘धमाल‘ फ्रेंचाइजी के तहत ओवरसेक्स पुरुषों और दोहरे अर्थ वाले संवादों से भरी हुई फिल्में पेश की. अब जीवन और मृत्यु के बीच लटके हुए इंसान को सुधारते हुए हर इंसान को नेक इंसान बनने व दूसरों की मदद करने का संदेश देने वाली फैंटसी कौमेडी फिल्म ‘‘थैंक गौड’’ लेकर आए हैं, जो कि दस मिनट बाद ही दर्शकों से अपना नाता तोड़ लेती है.

दर्शक इंतजार करने लगता है कि उसे नरक रूपी फिल्म ‘थैंक गौड’ से कब छुटकारा मिलेगा. कमजोर पटकथा के चलते ही फिल्म अति धीमी गति से आगे बढ़ती है. आकाश कौशिक व मधुर शर्मा लिखित पटकथा इसकी सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है. दर्शकों को हंसाने के लिए इसमें जो चुटकुले या संवाद है, वह लोगों के व्हाट्सअप पर दिन भर आने वाले संदेशों से भी बदतर हैं.  जबकि इंसान के कर्म को लेकर सषक्त, रोचक,  मनोरंजक व बेहतरीन फिल्म बनायी जा सकती थी. निर्देशक इंद्र कुमार को अपने सिनेमा की सोच व स्वभाव को बदलने की आवष्यकता है. यमलोक में यमराज के किरदार का नाम चित्रगुप्त के नाम पर ‘सीजी‘ रखना अखरता है. इतना ही नहीं विवादों से अपने दामन को बचाने के लिए यमदूत को भी ‘वाईडी‘ कहकर पुकारा जाता है.  हालांकि इस फिल्म के बहाने फिल्मसर्जक इंद्रकुमार ने तमाम धार्मिक रूढ़ियों व धार्मिक मान्यताओं पर चोट करने की कोशिश की है, पर कमजोर पटकथा व संवादों के चलते वह इसमें सफल नही हो पाए. वैसे क्लायमेक्स में यह फिल्म इंसान को अपनी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने की बात करती है. अब तक इंद्र कुमार की हर फिल्म का सबसे सशक्त पक्ष संगीत रहा है, पर इस फिल्म का संगीत पक्ष भी काफी कमजोर है.

अभिनयः

अपनी फिल्मों की असफलता का लगातार दंश झेल रहे अभिनेता अजय देवगन चित्रगुप्त उर्फ सीजी के किरदार में इससे बेहतर अभिनय कर सकते थे. मगर वह हर जगह पूरी तरह से मैकेनिकल या रोबोट ही नजर आते हैं. अयान कपूर के किरदार में सिद्धार्थ मल्होत्रा को देखकर फिल्म ‘शेरशाह’ में सिद्धार्थ मल्होत्रा के अभिनय की तारीफ करने वाले दर्शक अपना माथा पीट लेते हैं. इसके लिए कुछ हद तक कमजोर पटकथा भी जिम्मेदार है. अयान की विचित्रताएं अस्वाभाविक नजर आती हैं. रकुल प्रीत सिंह यहां भी केवल सुंदर नजर आयी हैं. वह अपने अभिनय से प्रभावित करने में विफल रही हैं. सीमा पाहवा और कंवलजीत सिंह की प्रतिभा को जाया किया गया है. बेचारी मिस फतेही ठहाका लगाने आती हैं.

रामसेतू फिल्म रिव्यू: क्या अक्षय कुमार को श्रीराम का सहारा मिलेगा…?

रेटिंग: दो स्टार

निर्माता: लायका प्रोडक्षन, केप आफ गुड फिल्मस, अम्बुदुतिया इंटरटेनमेंट, अमेजान प्राइम वीडियो व स्कायवॉक फिल्मस

रचनात्मक निर्माता: डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी

निर्देशकः अभिषेक शर्मा

कलाकार: अक्षय कुमार,नुसरत भरूचा, जैकलीन फर्नाडिज, सत्यदेव कंचरण, प्रवेश राणा, नासर

अवधिः दो घंटे 22 मिनट

‘तेरे बिन लादेन’,‘द शौकीन्स’,‘तेरे बिन लादेनः डेड आर एलाइव’, ‘परमाणु’, ‘द जोया फैक्टर’, ‘सूरज पे मंगल भारी’ जैसी असफल फिल्मों के सर्जक अभिषेक शर्मा ने इस बार नकली हिंदुत्व, नकली राष्ट्वाद व ‘श्रीराम’ के सहारे अपनी नैय्या पार करने का असफल प्रयास किया है. फिल्मकार जब जब किसी खास ‘अजेंडे’ के तहत फिल्म बनाता रहा है, तब तब वह सिनेमा को बर्बाद करने का काम करता रहा है. अब यही काम फिल्मकार अभिषेक शर्मा ने फिल्म ‘‘रामसेतु’’ के माध्यम से किया है.

अभिषेक शर्मा के सिर पर पहली फिल्म के साथ ही आतंकवादी ओसामा बिन लादेन व आतंकवाद का ऐसा भूत सवार हुआ था कि वह ‘रामसेतु’ तक सवार ही है. इसी के साथ अब उनके उपर ‘श्रीराम’ व ‘राष्ट्रवादका भी भूत सवार हुआ है. इसलिए उन्होने अपनी फिल्म ‘रामसेतु’ में आतंकवाद, तालीबान, राष्ट्वाद व ‘श्रीराम’ का ऐसा कचूमर परोसा है कि दर्शक ने इस फिल्म से दूरी बना ली है. जबकि फिल्म के निर्माता एक टिकट खरीदने पर एक टिकट मुफ्त में दे रहा है.

वास्तव में अभिषेक शर्मा अब तक अधूरे ज्ञान, अधूरे शोधकार्य व अधूरी प्रामाणिकता के साथ ही ‘तेरे बिन लादेन’ से लेकर ‘पोखरण’ तक फिल्में परोसते रहे हैं. वही काम उन्होने ‘रामसेतु’ के साथ भी किया है. ‘राम सेतु’ प्राकृतिक है या इंसान ने बनवाया था, इसका सच एजागर करने के लिए फिल्मकार अभिषेक शर्मा अफगानिस्तान से भारत होते हुए श्रीलंका तक की यात्रा कर डालते हैं. पर परिणाम वही ढाक के तीन पात. उन्हे भारतीय इतिहास, राष्ट्वाद या धर्म किसी की कोई न समझ है और न ही वह समझना चाहते हैं.

फिल्मकार को लगता है कि फिल्म में ‘श्रीराम’ के नारे लगवा ‘राष्ट्रवाद के अजेंडे वाली सफल फिल्म बना लेंगें, तो यह उनका भ्रम है. राम सेतु क्या है? भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम तट के मन्नार द्वीप के बीच समुद्र में बने 35 किलोमीटर लंबे पुल को भारतीय राम सेतु, मगर कुछ लोग एडम ब्रिज भी कहते हैं.

भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र पार कर लंका पहुंचकर रावण से युद्ध करने के लिए श्रीराम ने अपनी वानर सेना की मदद से ‘राम सेतु’ का निर्माण करवाया था. वहीं ब्रिटिश इतिहासकार इसे एडम पुल कहते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार रामसेतु एक कुदरती संरचना है.

कहानीः

पुरातत्व विभाग के एक मिशन के तहत भारतीय पुरातत्वविद डॉ. आर्यन (अक्षय कुमार) अफगानिस्तान में भगवान बुद्ध की मूर्ति के अवशेषों के साथ ऐतिहासिक धरोहर का पता लगा लेते हैं. मगर अफगानिस्तान में तालीबानियों द्वारा गौतम बुद्ध की प्रतिमा को तोड़ने से व्यथित वह टूट जाते है. भारत वापस लौटने पर डॉ. आर्यन कुलश्रेष्ठ (अक्षय कुमार) को सरकार द्वारा गठित राम सेतु परियोजना का हिस्सा बनाया जाता है, जो कि इस बात की जांच करते हैं कि भारत व श्रीलंका के बीच बना राम सेतु प्राकृतिक है या इंसान यानी कि भगवान ‘श्री राम’ द्वारा निर्मित है.

डॉ.आर्यन को नास्तिक व धर्मनिरपेक्ष माना जाता है. वहीं डॉ. आर्यन की पत्नी व इतिहास की प्रोफेसर गायत्री (नुसरत भरूचा) धार्मिक हैं और मानती है कि राम सेतु का निर्माण सात हजार वर्ष पहले भगवान श्रीराम ने करवाया था. राम सेतु को तोड़ने की इजाजत का मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. डॉ.आर्यन कुलश्रेष्ठ अपनी रिपोर्ट अदालत में देते हैं कि ‘राम सेतू’ प्राकृतिक है और इसे तोड़ने से धार्मिक भावनाएं आहत नही होगी. मगर उनके तर्क से सुप्रीम कोर्ट सहमत नही है और इस संबंध में अधिक सबूत मांगता है. इससे नाराज होकर सरकार डॉ. कुलश्रेष्ठ को बर्खास्त कर देती है.

वास्तव में पुष्पक शिपिंग कंपनी का मालिक (नासर) शिपिंग नहर परियोजना के उद्देश्य से गहरे पानी के चैनल का निर्माण करके भारत और श्रीलंका के बीच एक शिपिंग रूट बनाना चाहता है, जिससे भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच सफर का समय भी कम हो जाएगा. इस परियोजना में नासर का बहुत कुछ दांव पर लगा है.

उधर इस परियोजना की घोषणा होते ही धार्मिक आस्था रखने वाला पक्ष विरोध के स्वर मुखर कर देता है कि भगवान राम से जुड़ी संस्कृति के साथ छेड़छाड़ नहीं होने देंगे. सरकार द्वारा बर्खास्त किए जाने पर निजी कंपनी के मालिक अपनी कंपनी की तरफ से डॉ. आर्यन को सेंड्रा रीबेलो (जैकलीन फर्नांडिस), राणा (प्रवेश राणा), जेनिफर जैसे लोगों टीम के साथ रिसर्च के लिए भेजते हैं.

डॉ. आर्यन इस बात को लेकर कटिबद्ध है कि वह पुल भगवान राम ने नहीं बनाया है. लेकिन जैसे-जैसे वह शोध करते हुए आगे बढ़तें है और जो तथ्य उन्हें मिलते है, उससे आर्यन भी हैरान हो जाते हैं. डॉ. आर्यन गहरे समुद्र में रामसेतु जाकर एक तैरने वाला पत्थर लेकर आते हैं और कहते हैं कि इस पत्थर से साबित होता है कि इसे भगवान श्री राम ने बनवाया था.

इससे नासर के इशारे पर राणा, डॉ. आर्यन समेत उसकी पूरी टीम को मारने का षड्यंत्र रचता है. पर आर्यन और उसकी टीम को एपी (सत्यदेव) का साथ मिलता है. ए पी के दोस्त श्रीलंका में गृहयुद्ध कर रहे लिट्टे से भी है. एपी उनकी जिंदगी बचाने के साथ ही डॉ. आर्यन को शोध करने में श्रीलंका के अंदर मदद करता है. अंत में एपी अपनी जान गंवाकर डां. आर्यन को सबूत दिलवा देता है. आर्यन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए सबूतों से पुष्पक शिपिंग कंपनी को झटका लगता है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म देखकर इस बात का अहसास होता है कि इसका लेखन ऐसे इंसान ने किया है, जिसका ज्ञान अधकचरा है और उसके अंदर कहानी कहने के कौशल का घोर अभाव है. बिखरी हुई पटकथा पर यह फिल्म बनायी गयी है, जिसमें तालिबान, धूर्त व्यापारी, पौराणिक कथा, श्रीलंका का गृहयुद्ध, पुरूष व महिला वैज्ञानिक, समुद्र मे डूबी हुई गुफा व रावण का राजमहल, संजीवनी पौधा, बिना पासपोर्ट समुद्री रास्ते से श्रीलंका में श्रीलंका के सुरम्य द्वीपों व लायब्रेरी में घूमना और सकुशल भारत वापस आ जाना सहित सब कुछ है.

फिल्मकार ने विषय तो अच्छा चुना, जिस पर वह एक बेहतरीन फिल्म बना सकते थे. मगर जब उन्होंने इसे एक खास अजेंडें के तहत बनाने का निर्णय किया, वहीं वह भटक गए और फिल्म का सत्यानाश हो गया. यह एक वैज्ञानिक रोमांचक फिल्म है. मगर अफसोस इसमें न विज्ञान है, न रोमांच है और न ही मनोरंजन है.

इंटरवल से पहले फिल्म पूरी तरह से डाक्यूमेंट्री नजर आती है. उसके बाद कहानी अलग ढर्रे पर चलती है. इतना ही नहीं जिस अजेंडे और जिस संदेश को घर घर तक पहुंचाने के लिए फिल्मकार ने यह फिल्म बनायी है, उसमें वह सफल रहे हों, ऐसा नही लगता. फिल्म की शुरूआत में ही दर्शक फिल्मकार के अजेंडे को भांप जाता है. यह लेखक निर्देशक की सबसे बड़ी कमजोरी है.

अभिनयः

नास्तिक पुरातत्ववादी से आस्तिक बन जाने वाले डॉ.आर्यन कुलश्रेष्ठ के किरदार में कई अक्षय कुमार निराश ही करते हैं. वह लगातार घटिया काम करते हुए असफल फिल्में देने का रिकार्ड बनाते जा रहे हैं. ओटीटी पर अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी’, ‘अतरंगी रे’ और ‘कठपुतली’ के अलावा सिनेमाघरो में ‘बेलबॉटम’,‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘रक्षाबंधन’ जैसी फिल्में धराशायी हो चुकी हैं.

इस फिल्म के प्रमोशन में भी अक्षय कुमार ने मीडिया से दूरी बनाकर रखी. शायद उनके पास मीडिया के सवालों के जवाब नहीं है. सैंड्रा के किरदार में जैकलीन फर्नांडिस ठीक ठाक हैं. गायत्री के किरदार में नुसरत भरूचा के हिस्से करने को कुछ खास रहा ही नहीं. एपी के किरदार में सत्यदेव जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.

प्रैग्नेंसी एक महिला के शरीर में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का समय है, पढ़ें खबर

गीता बाफना

फाउंडर, हॉलिस्टिक प्रेगनेंसी

मैं बच्चों के माटेसरी हाउस, वीस्कूल की निदेशक और संस्थापक हूं. मैंने वाणिज्य में विशेषज्ञता रखते हुए चेन्नई से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. इसके अलावा, मैंने बच्चों को उनकी अधिकतम क्षमता तक बढ़ने में मदद करने की इच्छा के साथ भारतीय माँटेसरी प्रशिक्षण केंद्र (आईएमटीसी) से प्राथमिक मोंटेसरी डिप्लोमा भी उत्तीर्ण किया है.

बच्चों की व्यापक सीखने की प्रक्रिया को बदलना और शैक्षिक विधियों में प्रारंभिक दृष्टिकोण विकसित करने, हमने एक ऑनलाइन गर्भावस्था का कोर्स बनाया है. गर्भावस्था, प्रसव और पितृत्व जीवन के प्रमुख विकल्प हैं जो चीजों को कई तरह से बदलते हैं. जब आप माता-पिता बनते हैं तो जीवन नाटकीय रूप से बदल जाता है, इसलिए केवल यह सम झ में आता है कि जब आप प्रसव पूर्व देखभाल के बारे में सोच रहे हों तो आप गर्भावस्था के भौतिक पक्ष से अधिक पर विचार करना चाहेंगे. समग्र दृष्टिकोण वह है जिस पर महिलाएं बढ़ती संख्या में विचार कर रही हैं, क्योंकि इस दृष्टिकोण में शरीर, मन और आत्मा शामिल है, जिससे महिलाओं को एक से अधिक तरीकों से स्वस्थ गर्भावस्था का आनंद लेने में मदद मिलती है.

कॉन्शियस कॉन्सेप्शन

‘कॉन्शियस कॉन्सेप्शन’ शब्द आपके बच्चे को बुलाने के लिए एक प्यार भरा स्थान बनाने और धारण करने के इरादे को स्थापित करने का विचार रखता है. यह विचार इस बात को स्वीकार करता है कि आज हम जिन बच्चों का सपना देखते हैं- हमारे पूर्वज और भविष्य के नेता, कार्यकर्ता, माता-पिता और कल के पृथ्वी प्रबंधक, हमारे वर्तमान विकल्पों से प्रभावित हैं. यह भोजन से लेकर भागीदारों तक, विचारों से लेकर पर्यावरण तक और उससे आगे तक होता है. हमारा मानना है कि जब आप गर्भधारण की तैयारी के बारे में सोचते हैं, तो आपको अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को और भी अधिक परिवर्तनकारी अनुभव के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए.

‘हमारा आदर्श वाक्य’, ‘चेतना मानवता का निर्माण’ है और हम आप में सर्वश्रेष्ठ लाने का प्रयास करते हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके गर्भ में आत्मा शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ है. हमारा लक्ष्य आपकी गर्भावस्था के दौरान आपका अच्छी तरह से मार्गदर्शन करना है, और वास्तव में हम मानते हैं कि गर्भावस्था की अवधि ठीक उसी दिन से शुरू होती है जब आप माता-पिता बनने के बारे में सोचते हैं. हमारा मानना है कि प्लानिंग या प्री-कॉन्सेप्शन बहुत जरूरी है.

जैसा कि हम स्वस्थ शरीर बनाने के लिए खुद को समर्पित करते हैं, अपने आंतरिक और बाहरी वातावरण की देखभाल करते हैं, यह गर्भसंस्कार पाठ्यक्रम आपको यह सम झने में मदद करेगा कि शारीरिक रूप से गर्भधारण करने से पहले भी प्रसव पूर्व देखभाल समान रूप से महत्वपूर्ण है. हमारे वीडियो पाठों के माध्यम से, आप प्रसवपूर्व संबंध के महत्व को सम झ सकेंगे, हम सा झा करते हैं कि अंदर रहने वाली नई जान से कैसे जुड़ना है.

गर्भावस्था के दौरान

आपको यह सोचने की ज़रूरत है कि आप क्या खा रहे हैं, आप कैसा महसूस कर रहे हैं और आपका शरीर आपको क्या बता रहा है. एक सचेत गर्भावस्था के दौरान, आप अपने बच्चे से जुड़ती हैं और आप अपने भावनात्मक जीवन को सम झने में सक्त्रिय भूमिका निभा रही हैं क्योंकि आप स झती हैं कि यह न केवल आपको, बल्कि आपके जन्म के अनुभव और बच्चे को कैसे प्रभावित कर सकता है.

गर्भ संस्कार के अनुसार (संस्कृत में गर्भ का अर्थ है भ्रूण और संस्कार का अर्थ है मन की शिक्षा), आपका बच्चा बाहरी प्रभावों को सम झने और प्रतिक्रिया करने में सक्षम है. इसलिए, हम आपको यह सम झाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि अपने शरीर, आदतों और उन परिवर्तनों का अध्ययन कैसे करें जो आपको एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए हर तरह से लाने की आवश्यकता है.

मन और आत्मा के विषहरण पर ध्यान केंद्रित करने से लेकर अपने भावनात्मक भागफल में सुधार करने तक, सही आहार योजना बनाने से लेकर स्वस्थ वजन सीमा बनाए रखने तक, हर मुद्दे की पहचान करने से लेकर सभी संभावित समाधानों को सूचीबद्ध करने तक, स्वस्थ आदतों के निर्माण से लेकर चिंतन अभ्यास में संलग्न होने तक खेती करने के लिए अपने स्वयं के अस्तित्व, तनाव से निपटने के तरीके खोजने से लेकर दिमाग को मजबूत बनाने तक, हम आपको शुरुआती और जन्म से पहले के अनुभवों की सराहना करने के लिए और अधिक खोलने के लिए सचेत करते हैं.

हम, एक टीम के रूप में, भावी माता-पिता में सर्वोत्तम प्रथाओं को आत्मसात करने की इच्छा रखते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नवजात शिशु एक आदर्श बच्चा बन सके जो माता-पिता चाहते हैं. हमारी दृष्टि समग्र गर्भावस्था की अवधारणा पर हमारे वीडियो पाठों के

माध्यम से माता-पिता का मार्गदर्शन करना है. हमारा दृढ़ विश्वास है कि मनुष्य की शिक्षा जन्म से पहले शुरू होनी चाहिए और जीवन भर जारी रहनी चाहिए. और हम जो विश्वास करते हैं उसे हासिल करने के लिए आपका मार्गदर्शन करने के लिए हम यहां हैं.

जब बच्चा गर्भ में हो

आपको एक गहरे और व्यक्तिगत परिवर्तन में बुलाया गया है क्योंकि गर्भ में नई जान आपको महसूस करने और उन चीजों को सीखने में सक्षम होगी जो आप पहले से कर रहे हैं. जब बच्चा गर्भ में होता है तो आप जो करते हैं वह मायने रखता है और इसलिए गर्भाधान से पहले ही अवचेतन रूप से अतिरिक्त देखभाल विकसित करने से हमारे हावभाव अपने आप गिर जाएंगे.

आपकी सहायता टीम आपके प्रसवपूर्व और जन्म के अनुभव को बढ़ाने के लिए यहां है. हमारा मिशन है कि आप अपने, अपने बच्चे और अपने परिवार के लिए सबसे अच्छा काम करने के लिए सशक्त महसूस करें.

अपनी सुविधानुसार किसी भी समय, किसी भी उपकरण से संपूर्ण पाठ्यक्रम देखें. ठीक वहीं से फिर से शुरू करें जहां आपने छोड़ा था. गर्भावस्था मॉड्यूल के माध्यम से, हम आपके बीजों को उनकी लंबी उम्र, स्वास्थ्य, सद्भाव और उद्देश्य की स्पष्टता के लिए पोषण देना चाहते हैं.

‘‘हम अपने बच्चों के लिए किस तरह की दुनिया छोड़ रहे हैं’’ के बारे में जागरूक होना न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सम झना और विचार करना भी महत्वपूर्ण है कि हम इस दुनिया के लिए किस तरह के बच्चे छोड़ रहे हैं.

जिस 9-10 महीने में शिशु मां के गर्भ में भू्रण के रूप में रहता है, वह मानव-जाति का आधार है. हर इंसान की पहली पाठशाला उसकी मां की कोख होती है. सबसे बड़ी शिक्षक अपेक्षित मां है. हमारे पाठ्यक्रम वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं, समकालीन प्रथाओं के साथ प्राचीन पद्धति शामिल हैं. हमारा विजन 11 मिलियन जोड़ों तक पहुंचकर जागरूक मानवता का निर्माण करना है और इसे आगे बढ़ाना है.

हम नियमित रूप से गर्भ संस्कार कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, ज्यादातर हर पखवाड़े, जहां कई जोड़े आध्यात्मिकता का अनुभव करने के लिए जुड़ते हैं. हम 21 दिनों की दिनचर्या कार्यशाला भी आयोजित करते हैं जो एक 6 सप्ताह का कार्यक्रम है जिसमें एक गर्भवती जोड़े के आवश्यक कार्यान्वयन सिखाया जाता है. हमारे द्वारा समग्र पाठशाला ‘‘हर घर में गुरुकुल’’ एक 30 सप्ताह का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें सभी नामांकित गर्भवती जोड़े सप्ताह में एक बार विशेष रूप से एक साथ शामिल होते हैं.

हम ‘माइंड मैप’ नाम से एक कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं जिसमें सभी व्यक्ति जो अपने भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं, भाग लेते हैं और बेहतर व्यक्ति बनने का प्रयास करते हैं.

9 Tips: लिविंग रूम को बनायें आरामदायक

लिविंग रूम या बैठक का कमरे में बैठकर हम अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं. इसलिए लिविंग रूम का कम्फर्टेबल होना बहुत जरूरी है. घर के बैठक के कमरे (लिविंग रूम) को बनाना जरूरी है. इसके साथ ही इसमें मौसम के अनुसार बदलाव करना भी जरूरी है, ताकि हर मौसम में घर आने वाले मेहमान भी आपके लिविंग रूम की तारीफ करें.

इन टिप्स को अपनाकर आप अपने लिविंग रूम को कम्फर्टेबल बना सकती हैं.

1. सोफे और कुर्सियों को दीवारों के साथ लगा कर रखने से बचें. इन्हें सेंटर टेबल या लकड़ी से बने कॉफी टेबल के आसपास रखें. यह आपके घर को आरामदायक सहज माहौल देगा.

2. अगर आपका घर बड़ा है तो फिर आप टेबल व सोफा के बीच पर्याप्त खाली स्थान छोड़ सकती हैं.

3. आंतरिक साज-सज्जा के लिए रंगीन गद्देदार सोफा सेट के साथ वुडन टेबल रखें. आधुनिक डिजाइन के सोफे और कालीन से भी आप अपनी बैठक को सजा सकती हैं.

4. सौम्यता, गर्माहट का पुट देने के लिए दीवारों की पेंटिंग दो टोन वाले रंगों से कराएं. सर्दियों में आप गर्म रंगों जैसे लाल, पीला, क्रीम, नारंगी आदि रंगों से दीवारों को पेंट करा सकती हैं. खुशनुमा माहौल को दर्शाने वाले रंग सफेद या हरा भी पेंट करा सकते हैं.

5. बैठक की आतंरिक साज-सज्जा में प्रकाश की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. सर्दियों के दौरान आप कमरे में छोटे-छोटे लाइट्स के जरिए बैठक की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही गर्माहट भी ला सकती हैं.

6. बैठक कमरे की छत पर लाइट्स, फ्लोर लैंप या टेबल लैंप के जरिए प्रकाश की उचित व्यवस्था कर आप लिविंग रूम की शोभा बढ़ा सकती हैं. आकर्षक व खुबसूरत सुगंधित मोमबत्तियों से आसपास का माहौल सहज और खुशनुमा बन जाता है.

7. गर्म कवर वाले तकिए, प्रिंटेड कुशन आदि स्वेटर की तरह गर्माहट महसूस कराते हैं. सर्दियों में टाइल्स लगे फर्श काफी ठंडे होते हैं, इसलिए गर्म पायदान या कोई गर्म कपड़ा फर्श पर डाल दें.

8. पारिवारिक सदस्यों के साथ ली गई तस्वीर को बैठक के कमरे की दीवार पर लगाएं. आप फोटो गैलरी बना कर अपने कॉफी टेबल पर भी रख सकते हैं.

9. अलमारी में किताबें या यादगार चीजों को रखें. कमरे के कोनों में लकड़ी से बने स्टैंड या प्लांट रखें जिससे आपका कमरा सबसे आकर्षक लगे.

मैरिड लाइफ की इस प्रौब्लम से पाएं छुटकारा

अंजली के पति अजय को अधिकतर अपने व्यवसाय के सिलसिले में दौरे पर रहना पड़ता है. जब भी वे दौरे से लौटने वाले होते हैं, अंजली को खुशी के बजाय घबराहट होने लगती है, क्योंकि लंबे अंतराल के बाद सेक्स के समय उसे दर्द होता है. इस कारण वह इस से बचना चाहती है. इस मानसिक तनाव के कारण वह अपनी दिनचर्या में भी चिड़चिड़ी होती जा रही है. अजय भी परेशान है कि आखिर क्या वजह है अंजली के बहानों की. क्यों वह दूर होती जा रही है या मेरे शहर से बाहर रहने पर कोई और आ गया है उस के संपर्क में? यदि शारीरिक संबंधों के समय दर्द की शिकायत बनी रही तो दोनों ही इस सुख से वंचित रहेंगे.

दर्द का प्रमुख कारण स्त्री का उत्तेजित न होना हो सकता है, जब वह उत्तेजित हो जाती है तो रक्त का प्रवाह तेज होता है, सांसों की गति तीव्र हो जाती है और उस के अंग में गीलापन आ जाता है. मार्ग लचीला हो जाता है, संबंध आसानी से बन जाता है.

फोरप्ले जरूरी

बगैर फोरप्ले के संबंध बनाना आमतौर पर महिलाओं के लिए पीड़ादायक होता है. फोरप्ले से संबंध की अवधि व आनंद दोनों ही बढ़ जाते हैं. महिलाओं को संबंध के लिए शारीरिक रूप से तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. उसे इसे सामान्य बात मानते हुए किसी दवा आदि लेने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. यह देखा गया है कि कुछ दवाएं महिलाओं के गीलेपन में रुकावट पैदा करती हैं. इसीलिए सेक्स को भी एक आम खेल की तरह ही लेना चाहिए. जिस तरह खिलाड़ी खेल शुरू करने से पहले अपने शरीर में चुस्ती व गरमी लाने के लिए अभ्यास करते हैं उसी तरह से वार्मअप अभ्यास करते हुए फोरप्ले की शुरुआत करनी चाहिए. पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इस का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के शरीर में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन्हें हाथों या होंठों के स्पर्श से स्पंदित किया जा सकता है. हलके स्पर्श से सहला कर उन की भावनाओं को जाग्रत किया जा सकता है.

अगर पर्याप्त फोरप्ले के बावजूद गीलापन न हो, उस स्थिति में चिकनाई वाली क्रीम इस्तेमाल की जा सकती है, जो एक प्रकार की जैली होती है. इस को लगाने के बाद कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. कुछ कंडोम ऐसे होते हैं, जिन के बाहरी हिस्से में चिकना पदार्थ लगा होता है. इस से पुरुष का अंग आसानी से प्रवेश हो जाता है.

चिकनाईयुक्त कंडोम

यहां यह सावधानी बरतने योग्य बात है कि यदि सामान्य कंडोम प्रयोग किया जा रहा हो तो उस स्थिति में तेल आधारित क्रीम का प्रयोग न करें, क्योंकि तेल कंडोम में इस्तेमाल की गई रबड़ को कमजोर बना देता है व संबंध के दौरान कंडोम के फट जाने की संभावना बनी रहती है. कई बार कंडोम का प्रयोग करने से योनि में दर्द होता है. जलन या खुजली होने लगती है. इस का प्रमुख कारण कंडोम में प्रयोग होने वाली रबड़ से एलर्जी होना हो सकता है. पुरुषों के ज्यादातर कंडोम रबड़ या लैटेक्स के बने होते हैं. आमतौर पर 1 से 2% महिलाओं को इस से एलर्जी होती है. वे इस के संपर्क में आने पर बेचैनी, दिल घबराना यहां तक कि सांस रुकने तक की तकलीफ महसूस करती हैं. अत: यदि पति द्वारा इस्तेमाल कंडोम से ये लक्षण दिखाई पड़ें तो बेहतर है उन्हें अपने कंडोम का ब्रांड बदलने को कहें. इस का कारण कंडोम के ऊपर शुक्राणुओं को समाप्त करने के लिए जो रसायन लगाया जाता है, वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है. सामान्य कंडोम का प्रयोग कर के भी इस एलर्जी से नजात पाई जा सकती है. इस के बावजूद यदि समस्या बनी रहे तो पुरुष कंडोम की जगह पत्नी स्वयं महिलाओं के लिए बनाए गए कंडोम का प्रयोग करे.

महिलाओं के कंडोम रबड़ की जगह पोलीयूरेथेन के बने होते हैं. वैसे बाजार में पुरुषों के लिए पोलीयूरेथेन कंडोम भी उपलब्ध हैं. इन के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि यह आम रबड़ के बने कंडोम की तुलना में कमजोर होते हैं, संबंध के दौरान इन के फटने की आशंका बनी रहती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंध के दौरान कंडोम के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं. इसके कारण अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता ही है, रोगों के संक्रमण से भी नजात मिल जाती है.

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लो ब्‍लड प्रेशर होने पर करें ये 5 उपाय

शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए दिल का स्‍वस्‍थ होना बहुत जरूरी है. लेकिन वर्तमान में अनियमित खानपान और अस्‍वस्‍थ दिनचर्या के कारण उच्‍च रक्‍तचाप और निम्‍न रक्‍तचाप की समस्‍या बढ़ रही है.

जब किसी के शरीर में रक्त-प्रवाह सामान्य से कम हो जाता है तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं. सामान्‍यतया ब्लड प्रेशर 120/80 होता है. यदि ब्‍लड प्रेशर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं. इसे अगर गंभीरता से न लिया जाये तो इसका असर शरीर के दूसरे अंगों पर पड़ता है.

ऐसे में शरीर में ब्लड का दबाव कम होने से आवश्यक अंगों तक पूरा ब्लड नहीं पहुंच पाता जिससे उनके कार्यो में बाधा पहुंचती है. ऐसे में दिल, किडनी, फेफड़े और दिमाग आंशिक रूप से या पूरी तरह से काम करना भी बंद कर सकते हैं. लो ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या होने पर तुरंत ये काम करें.

1. लेमन जूस पियें

लेमन जूस उच्च रक्तचाप में काफी फायदेमंद होता है लेकिन ये निम्‍न रक्तचाप में भी फायदेमंद होता है. जब डीहाइड्रेशन की समस्‍या हो तो यह बहुत ही उपयोगी है. कई बार लेमन जूस में हल्का सा नमक और चीनी डालकर पिया जा सकता है. इससे शरीर को एनर्जी मिलेगी. साथ ही लीवर भी सही से काम करता है.

2. नमक का पानी

नमक का पानी लो ब्‍लड प्रेशर के लिए बड़े काम का है. इससे ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है. नमक में सोडियम मौजूद होता है और यह ब्‍लड प्रेशर बढ़ाता है. ध्यान रहे, नमक की मात्रा इतनी भी ना दें कि इससे स्वास्‍थ्य पर बुरा असर पड़े. बहुत ज्यादा मात्रा में नमक सेहत के लिए फायदेमंद नहीं माना जाता. कम ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में डेढ़ चम्मच नमक मिलाकर पी सकते हैं.

3. गुणकारी है तुलसी

तुलसी कम होते ब्‍लड प्रेशर को सामान्य करने में मददगार साबित होती है. इसमें विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे कई तत्व पाए जाते हैं जो दिमाग को संतुलित करते हैं और तनाव को भी दूर करते हैं. जूस में 10 से 15 प‌त्तियां डाल दें. एक चम्मच शहद डाल दें और रोजाना खाली पेट इसका सेवन करें.

4. कैफीन का सेवन करें

कॉफी भी बड़े काम की है. ब्‍लड प्रेशर कम होने पर स्ट्रांग कॉफी, हॉट चॉकलेट, कोला और कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से रक्तचाप सामान्‍य हो जाता है. यदि आपको अक्सर निम्न रक्तचाप रहता है तो आपको रोजाना सुबह एक कप कॉफी पीना चाहिए. लेकिन यह भी ध्‍यान रखें कि इसके साथ कुछ न कुछ जरूर खायें.

5. फायदेमंद है किशमिश

किशमिश को पारंपरिक आयुर्वेदिक दवा के रूप में देखा जाता है. लो ब्‍लड प्रेशर होने पर किशमिश खाना बहुत फायदेमंद होता है. रात में 30 से 40 किशमिश भिगो दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. जिस पानी में किशमिश भिगोई थी आप उस पानी को भी पी सकते हैं. महीने में आप ऐसा एक बार कर सकते हैं. इसके अलावा एक गिलास दूध में 4-5 बादाम, 15-20 मूंगफली और 10 से 15 किशमिश भी मिलाकर ले सकते हैं.

हेल्‍दी खानपान और हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल अपनाने से भी लो ब्लड प्रेशर की समस्‍या नहीं होती है.

मसकारा की प्रौब्लम के लिए सुझाव दें?

सवाल-

मैं जब भी मसकारा लगाती हूं मेरी आंखों से पानी आने लगता है. मु झे क्या करना चाहिए?

जवाब-

मु झे लगता है कि इस के 2 कारण हो सकते हैं. एक तो हो सकता है जो मसकारा आप इस्तेमाल कर रही हों उस के अंदर कोई ऐसा कैमिकल हो जो आप को सूट नहीं कर रहा और दूसरा कारण हो सकता है कि आप को मसकारा लगाना सही से नहीं आता.

मसकारा का ब्रश आप को चुभने लगता है, इसलिए आप की आंखों से पानी आने लगता है. जब मसकारा लगाने लगें तो ऊपर देखें और ब्रश को आंखों के एकदम पास न लाएं. नीचे वाली पलकों पर मसकारा लगाते वक्त सामने की तरफ देखें और ब्रश को आंखों के साथ न लगने दें. वैसे आजकल मसकारा का एक बहुत अच्छा अल्टरनेटिव आ गया है आईलैश ऐक्सटैंशन.

आप एक बार आईलैश ऐक्सटैंशन करा लें तो वह 20 दिन तक बना रहता है. इस में 1-1 लेश को आप की लैशेज के साथ जोड़ा जाता है न कि स्किन पर. इसलिए इस से कोई परेशानी नहीं होती. फिर 20 दिन के बाद 1-1 कर के लैशेज गिरने लगती हैं. यह आप की लैशेज नहीं होतीं बल्कि लगाई हुई लैशेज होती हैं क्योंकि लगाते वक्त जो ग्लू इस्तेमाल होता है वह धीरेधीरे कर के ढीला पड़ने लगता है. इसलिए जब भी आईलैश ऐक्सटैंशन लगवाएं तो पैकेज ले लें ताकि इस दौरान जो लैशेज गिरें उन्हें बीचबीच में फिल करवाती रहें.

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आईलाइनर और आईशैडो ही नहीं, मार्केट में यलो से ले कर ब्लू, पिंक से ले कर ग्रीन शेड के मसकारों के कलैक्शन में कोई कमी नहीं है. ऐसे में अगर आप भी नियमित ब्लैक और ट्रांसपैरेंट शेड का मसकारा लगा कर ऊब चुकी हैं, तो एक बार कलरफुल मसकारा जरूर ट्राई करें. मसकारा के कलरफुल शेड्स आंखों को बिग और ब्राइट लुक देते हैं. ब्लैक मसकारे के मुकाबले ये काफी आकर्षक भी नजर आते हैं, बशर्ते इन का चुनाव करते वक्त अपनी स्किनटोन के साथसाथ आंखों के रंग का भी खास खयाल रखा जाए.

टौप 5 कलरफुल मसकारा

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Bigg Boss 16: नॉमिनेशन टास्क में आएगी दोस्ती में दरार, Nimrit और Tina में होगी बहस

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 16’ (Bigg Boss 16) में दिवाली के मौके पर सलमान खान नहीं बल्कि करण जौहर घरवालों की क्लास लगाते आए. इसी के साथ शो से एक और कंटेस्टेंट मान्या सिंह बेघर हो गईं हैं. हालांकि आने वाले हफ्तों में शो और धमाकेदार होने वाला है. क्योंकि दोस्तों के बीच लड़ाई होते हुए दिखने वाली है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

नॉमिनेशन टास्क से पड़ेगी रिश्तों में दरार

 

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हाल ही में शो के नए प्रोमो की झलक देखने को मिली है, जिसके चलते पहली बार शो में आमने सामने नॉमिनेशन देखने को मिला है. दरअसल, प्रोमो में बिग बॉस नॉमिनेशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे, जिसमें दो जोड़ियां नजर आएंगी. एक जोड़ी मिलकर दूसरी जोड़ी में से किसी एक को बचाएगी और किसी एक को नॉमिनेट करेगी. वहीं इस टास्क में Nimrit Kaur Ahluwalia और टीना दत्ता के सामने Shalin Bhanot और Gautam Vig में से किसी एक को नॉमिनेट करने की चुनौती होगी. वहीं इसी के चलते दोनों के बीच बहस होती दिखेगी.

फंसेंगे अब्दू और साजिद

 

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निमृत और टीना के अलावा अब्दू और साजिद भी फंसते हुए नजर आएंगे. दरअसल, दोनों के सामने अंकित गुप्ता और निमृत कौर आहलूवालिया में से किसी एक नॉमिनेट करने की चुनौती आएगी. हालांकि देखना होगा कि वह किसे नॉमिनेट करते दिखेंगे.

बता दें, बिग बॉस के दीवाली स्पेशल वीकेंड के वार में जहां अर्चना संग गोरी के बर्ताव को लेकर करण जौहर ने उनकी क्लास लगाई थी तो वहीं गौतम और सौंदर्य के रिश्ते पर भी सवाल उठाए थे. इसी के साथ मान्या सिंह के साथ सौंदर्या की तगड़ी बहस भी देखने को मिली थी.

मां के कॉलेज जाने पर बढ़ेगा पाखी का पारा, वनराज को पता चलेगा अधिक का सच!

सीरियल अनुपमा की कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए मेकर्स नए नए ट्विस्ट ला रहे हैं. जहां बीते दिनों अनुपमा से हटकर सीरियल की कहानी तोषू और पाखी पर फोकस करती दिखी थी तो वहीं अब कहानी में एक बार फिर अनुपमा की कामयाबी की कहानी पर जोर देते हुए दिखाया जाने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा को मिला धनतेरस का तोहफा

 

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अब तक आपने देखा कि पाखी और अधिक के ड्रामे के बाद शाह और कपाड़िया फैमिली दीवाली की तैयारियां करती है. वहीं अनुज इस खास मौके पर अनुपमा को फाइनेंस की पढ़ाई का तोहफा देता है. वहीं उसे कॉलेज छोड़ता दिखता है. दूसरी तरफ, अनुपमा की पढ़ाई और उसके कॉलेज में एडमिशन लेने से पाखी, कॉलेज जाने से मना कर देती है और दोबारा शाह फैमिली में अनुपमा को लेकर ड्रामा करती है.

बरखा बताएगी वनराज को सच

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बरखा, अंकुश और अधिक से पूछेगी कि उनका प्लान क्या है. साथ ही अधिक के खिलाफ बोलने की बात करेगी और कहेगी कि वह पाखी से शादी केवल कपाड़िया अंपायर पर राज करने के लिए कर रहा है. वहीं वनराज से मिलकर उसे अधिक के बारे में सच बताने की कोशिश करेगी. ताकि पाखी का रिश्ता अधिक से टूट जाए. दूसरी तरफ, कॉलेज में अनुपमा के पढ़ाई करने पर स्टूडेंट हंसते हैं तो वहीं अनुज के साथ कुछ लड़कियां फ्लर्ट करने की कोशिश करेगी.

अनुपमा देगी पढ़ाई पर ध्यान

इसके अलावा आप देखेंगे कि अनुपमा लाख मुश्किलों के बाद अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने का फैसला करेगी. हालांकि वनराज, अनुपमा से पाखी के बारे में बात करने की कोशिश करेगा. दूसरी तरफ अनुज और अनुपमा का कॉलेज रोमांस जारी रहेगा. हालांकि देखना होगा कि अनुपमा के शाह फैमिली और पाखी को अधिक के प्लान के बारे में बताने पर क्या होगा.

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