तीज 2022: Ankita Lokhande के साड़ी कलेक्शन से नहीं हटेगी नजर

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. जहां बीते दिनों एक्ट्रेस की प्रैग्नेंसी की खबर चर्चा में थी तो वहीं अब अंकिता लोखेंडे के शादी के बाद साड़ियों के कलेक्शन देखकर फैंस नजरें नहीं हटा पा रहे हैं. इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं तीज 2022 पर एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे के साड़ी कलेक्शन की झलक…

तीज पर ट्राय करें लाइट कलर

अक्सर महिलाएं तीज सेलिब्रेशन के लिए डार्क या ब्राइट कलर का चुनाव करती हैं. लेकिन अगर आप इस सेलिब्रेशन पर कुछ नया ट्राय करने की सोच रही हैं तो अंकिता लोखंडे की ये लाइट ग्रीन शेड वाली ये साड़ी ट्राय करना ना भूलें. ये स्टाइलिश के साथ-साथ आपके ट्रैडिशनल लुक पर चार चांद लगा देगी.

ग्रीन साड़ी करें ट्राय

तीज के सेलिब्रेशन में ग्रीन कलर के आउटफिट महिलाएं ज्यादा ट्राय करती हैं. वहीं अगर उन्हें मनचाहा कलर मिल जाए तो कहने ही क्या. इसीलिए हम लेकर आए हैं आपके लिए एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे की ग्रीन कलर की बनारसी साड़ी का औप्शन, जो इन दिनों ट्रैंड में हैं. वहीं एक्ट्रेस का ये लुक फैंस काफी पसंद कर चुके हैं. बालों में गजरा और मैचिंग ज्वैलरी फैंस को काफी पसंद आ रही है.

ब्लू कलर कर सकती हैं ट्राय

अपने तीज लुक को स्टाइलिश बनाने के लिए आप अंकिता लोखंडे की ये ब्लू कलर की साड़ी ट्राय कर सकती हैं. बनारसी पैटर्न की इस साड़ी के साथ आप मैचिं ज्वैलरी या गोल्ड ज्वैलरी आसानी से कैरी कर सकती हैं. ये रंग आपको रौयल लुक देने में मदद करेगा.

सी ग्रीन का चुनें औप्शन

अगर आप ग्रीन के दूसरे कलर और साड़ी के पैटर्न की तलाश कर रही हैं तो एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे की ये नेट से बनें कपड़े वाली साड़ी ट्राय कर सकती है. ये स्टाइलिश के साथ-साथ आपको कंफर्टेबल महसूस कराने में मदद करेगी.

GHKKPM: बेटी सवी को बचाएगा विराट, सई के सामने आएगा विनायक का सच!

सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में जल्द ही मेकर्स कई नए ट्विस्ट एंड टर्न्स लाने वाले हैं, जिसके चलते फैंस काफी एक्साइटेड हैं. वहीं फैंस विराट और सई को साथ देखने के लिए तरस रहे हैं. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में फैंस का ये सपना पूरा होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सवी होगी खुश

अब तक आपने देखा कि विराट अपने बेटे विनायक से मिलने उसके समर कैंप के लिए जाता है. जहां वह सवी का पेड़ पर अपने बाबा के लिए लिखा मैसेज देखता है, जिसके चलते वह जवाब में लिखता है कि बाबा जल्दी आएंगे. अपकंमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सवी, विराट का लिखा मैसेज पढ़ेगी और सई को दिखाएगी, जिसे देखकर सई इमोशनल होती नजर आएगी.

सवी को बचाएगा विराट

इसके अलावा आप देखेंगे कि विनायक और सवी पर कुछ गुंडे हमला करेंगे, जिसे देखकर विराट उन्हें बचाने के लिए आएगा. विराट गुंडे सवी को ले जाने की कोशिश करेगें, जिसके चलते वह उसे बचाता दिखेगा. इसी के चलते सवी और विराट के बीच दोस्ती हो जाएगी.

विनायक से बढ़ेगा सई का लगाव

 

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नए ट्विस्ट के साथ-साथ विनायक और सई की दोस्ती भी गहरी होगी और सई का उससे लगाव होता दिखेगा. वहीं खबरों की मानें तो सई, विनायक के पैरों का इलाज करेगी, जिसके चलते विराट और सई का आमना सामना होता हुआ भी दिखेगा. इसके अलावा सई के जिंदा होने की खबर, विराट चौह्वाण परिवार को देगा, जिससे उन्हें बड़ा झटका लगेगा. वहीं पाखी को हैरानी होगी.

बता दें, सीरियल Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin में कहानी जहां दिलचस्प मोड़ लेती दिख रही है तो वहीं सीरियल के सेट पर बच्चों की एंट्री से पूरी टीम काफी खुश हैं. वहीं सई और पाखी के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस आयशा सिंह और ऐश्वर्या शर्मा अपने औनस्क्रीन बच्चों संग मस्ती करती दिख रही हैं.

तीज 2022: इस तरह बनाएं Nails को खूबसूरत

एक औरत की खूबसूरती यानी लुक तब तक पूरी नहीं होती जब तक की उनके नेल्स खूबसूरत न दिखें. इसलिए अपने नाखूनों को नजरअंदाज न करें. आपकी स्किन और बालों की तरह आपके नाखूनों को भी एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है. कुछ टिप्स अपना कर आप अपने नाखूनों को सुन्दर व स्वस्थ रख सकती हैं.

बदलते समय के साथ अब फैशन की डिक्शनरी में नेल ट्रेंड की जगह भी बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है. यही वजह है कि अच्छे से अच्छे मेनीक्योर्स- पेडिक्योर्स और नेल आर्ट एक ट्रेंड-कान्शियस लड़की की लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा बन गया है.

नेल्स के शेप

पिछले साल नेल्स में सबसे पापुलर स्क्वेयर शेप था. स्क्वेयर शेप के नेल्स को सबसे ज्यादा बौलीवुड अभिनेत्रियां रखती नजर आईं. लेकिन अब एकबार फिर से ट्रेंड में नया बदलाव आया है. इस बार नेल्स के शेप को नेचुरल रखने का ट्रेंड चलन में है. इसके लिए आप अपने नेल्स को प्राकृतिक शेप के अनुसार ही फाइलर से फाइल कर सकती हैं.

नाखूनों की लंबाई

फैशन के इस दौर में लड़किया अब नाखूनों की लंबाई को फिंगर टिप्स से थोड़ी ज्यादा रखने लगी हैं. आप इन्हें थोड़ा लंबा भी रख सकती हैं, लेकिन ऐसे में आपको नेल पालिश का विशेष ध्यान रखना जरूरी हैं.

नाखूनों की देखभाल कैसे करें

अपने नाखूनों पर नियमित रूप से नेल आयल या क्यूटिकल आयल से मसाज करें. अगर ये आयल आसानी से न मिलें तो आप पेट्रोलियम जेली या कोको बटर का भी प्रयोग कर सकती हैं .

हर रात अपने नाखूनों को गुनगुने आलिव आयल में भिगो कर हल्की मसाज करें. इससे आपके नाखून स्वस्थ रहेंगे.

नियमित रूप से थोड़ी-सी नरिशिंग क्रीम नाखूनों के बेस पर लगाकर गोल-गोल मोशन में हल्के हाथों से मसाज करें.

जरूरत से ज्यादा मैनीक्योर करने से बचें.

मैनीक्योर के दौरान अपने हाथों को सुखाने के बाद ही हल्के हाथों से क्यूटिकल्स को पुश करें. हाथ धोने के बाद अच्छा मायस्चराइजर लगाना न भूलें.

नेल पालिश के कलर्स

फैशन से इंस्पायर्ड यह सीजन इस बार नेल पालिश के ब्राइट कलर्स की ओर इशारा कर रहे हैं. इस सीजन में डार्क प्लम और इंकी रेड शेड्स चलन में हैं.

मैचिंग नेल पेंट्स

ग्रे और चारकोल के शेड्स के अलावा डार्क पर्पल्स, नेवी ब्ल्यूज, डार्क ब्राउन्स, डार्क आरेंज, कापर, लैवेंडर और वाइन के शेड्स इस समय बेहद पापुलर है. इस सीजन में स्वस्थ राउंड शेप्ड नेल्स पर डार्क शेड की नेल पालिश आपको ज्यादा ट्रेंडी और आकर्षक लुक देंगी. इसके अलावा गोल्ड और सिल्वर के शेड्स भी आपको अक नया लुक देती है.

अगर आपको लगता है कि ये शेड आपके स्किन टोन को ज्यादा सूट नहीं कर रहे हैं, तो आप ग्लिटरी नेल पालिश का भी चुनाव कर सकती हैं.

अगर आप अपने स्टाइल के साथ एक्सपेरिमेंट करने के मूड में नहीं हैं तो क्लासिक रेड शेप रिपीट कर सकती हैं. रेड के शेड्स हर बार की तरह इन सर्दियों में भी फेवरेट रहेंगे.

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वजन घटाने के लिए लाइफस्टाइल चेंज कैसे करुं?

सवाल-

मैं घरेलू महिला हूं, मेरा वजन काफी बढ़ गया है. मैं थोड़ा सा काम करने में ही काफी थक जाती हूं. मैं अपने खानपान में क्या बदलाव लाऊं कि मेरा वजन भी कम हो जाए और थकान से निढाल भी न रहूं?

जवाब-

आप अपने खानपान पर नियंत्रण रख कर और ऐक्सरसाइज कर के अपना वजन कम कर सकती हैं और थकान से भी छुटकारा पा सकती हैं. आप को रोजाना 1 घंटा तेज चलना चाहिए या ऐक्सरसाइज करना चाहिए. दिन में कम से कम

5 बार मिनी मील खाएं. नाश्ता हैवी करें, लंच और डिनर हलका लें. खाने के बीच में थोड़ा सलाद और फल खाएं. चीनी, आलू, नमकीन बिस्कुट का सेवन न करें. नाश्ते में डबल टोंड मिल्क, कौर्नफ्लैक्स या ओट्स आदि ले सकती हैं. व्हाइट ब्रैड के बजाय मल्टी ग्रेन ब्रैड खाएं. अब तो मल्टी ग्रेन आटा भी मिलने लगा है. सामान्य आटे के बजाय इसे प्राथमिकता दें.

आप को कुछ रूटीन टैस्ट जैसे थायराइड फंक्शन, ब्लड शुगर, विटामिन डी, विटामिन बी12 आदि कराने चाहिए.

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जब थायराइड ग्रंथि में थायराक्सिन हार्मोन कम बनने लगता है, तब उसे हाइपोथाइरॉयडिज्‍म कहते हैं. ऐसा होने पर शरीर का मेटाबॉलिज्‍म धीमा पड़ने लगता है और आप अपना वजन नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाते हैं.

इस बीमारी से अक्‍सर सबसे ज्‍यादा महिलाएं ही पीड़ित होती हैं. जो लोग हाइपोथाइरॉयडिज्‍म से पीडित हैं, उन्‍हें वजन घटाने में काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है.

मगर डॉक्‍टरों के अनुसार अगर एक स्‍वस्‍थ दिनचर्या रखी जाए तो आप अपना बढ़ा हुआ वजन आराम से घटा लेंगी. आइये जानते हैं कुछ उपाय :

अपना पोषण सुधारिये: आप दिनभर में जो कुछ भी खाते हैं, उसके पोषण का हिसाब रखिये. आपकी डाइट में लो फैट वाली चीजें होनी चाहिये. ऐसे आहार शामिल करें जिसमें आयोडीन हो. आप, बिना वसा का मीट, वाइट फिश, जैतून तेल, नारियल तेल, साबुत अनाज और बीजों का सेवन कर सकते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- Hypothyroidism: कैसे कम करें वजन

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

योग: नए दौर का धार्मिक कर्मकांड

अगर कोईर् यह कहे कि योग कोई धार्मिक कृत्य नहीं है, तो उस की नादानी पर या तो हंसा जा सकता है या फिर बेहिचक यह कहा जा सकता है कि वह नए दौर के पनपते धार्मिक पाखंडों के साजिशकर्ताओं में से एक है. हर साल सरकार अरबों रुपए खर्च कर के देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनवाती है. इसे मोदी सरकार की सफलता के बजाय इस नए नजरिए से देखा जाना मौजूं है कि यह जनता पर गैरजरूरी बोझ है. आखिरकार योग के प्रचारप्रसार और इसे सरकारी स्तर पर मनाने के लिए हमारे योगाचार्यों को अब खूब पैसा मिल रहा है, कुछ सरकार से तो कुछ अंधभक्तों से.

वजह सिर्फ इतनी है कि ‘भारत माता की जय’ बोलने के टोटके के बाद योग ऐसा धार्मिक कृत्य है जो ऊपरी तौर पर कर्मकांड से मुक्त है यानी एक ऐसा काम है जिस के एवज में आप को पंडों को सीधे कोई भुगतान नहीं करना पड़ता. सरकार बताना यही चाह रही है कि कर्मकांडों से इतर भी हिंदू धर्म है जिसे अब गैर शुद्ध दुकानदार भी बेच कर अपनी रोजीरोटी चला सकते हैं.

योग की आड़ में बिजनैस

यहां यह जानना बेहद दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटरी उन बाबाओं से नहीं बैठती, जो पूजापाठ, यज्ञ, हवन वगैरह को पूर्णकालिक रोजगार या उद्योग बना चुके हैं, बल्कि उन की पटरी उस किस्म के बाबाओं से बैठती है, जो धर्म के कारोबार में नएनए आइडिए लाते हैं, वे भी ऐसे कि ग्राहक हिंदुत्व से मुंह न मोड़े. इन में रामदेव भी शामिल हैं जिन का प्रचार 2014 में मोदी के खूब काम आया और अब पतंजलि के उद्योग में पनप रहा है.

खुशियां बेचने वाले ‘आर्ट औफ लिविंग’ के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर और योग की आड़ में अब हेयर रिमूवर छोड़ कर सबकुछ बेचने बाले योग गुरु के खिताब से ख्वाहमख्वाह नवाज दिए गए बाबा रामदेव बेवजह मोदी की पसंद नहीं हैं, जो गैरहिंदुओं से भी सूर्य पूजा करवाने और ओम भी कहलवाने की कूबत रखते हैं. विश्वभर में योग का प्रचार किया गया जबकि जो व्यायाम योग के नाम किए जाते हैं उन का तो पुराणों में जिक्र ही नहीं है.

धर्म के माने संकुचित क्यों

बात सही है कि धर्म के माने इतने संकुचित भी नहीं होने चाहिए कि वे अगरबत्ती के धुएं और 5-10 रुपए की भगवान की तसवीर में गुंथ कर रहे जाएं. धर्म की व्यापकता दिखाने के लिए सरकार योग के रैपर को भी एक प्रोडक्ट की तरह ले आई है, जिस का बाकायदा पिछले सालों से शुद्धिकारण किया जा रहा है और उम्मीद की जानी चाहिए कि योग पैसे वाले होते जा रहे अमीर हिंदुओं में इफरात से बिकेगा.

अभी करो योग रहो निरोग का दावा ठीक एक चमत्कार के रूप में किया जा रहा है जैसे कभी यह कहा जाता था कि हनुमान का नाम लेने भर से प्रेतात्माएं नजदीक नहीं फटकतीं. इस पर अंधविश्वासी लोगों ने सहज ही भूतप्रेतों के वजूद पर भरोसा कर लिया था. आज भी ये बुरी और भटकती आत्माएं गांवदेहातों के पीपल और पुराने पेड़ों पर लटकती मिल जाएंगी, जिन से बचाने का ठेका पंडितों ने दक्षिणा के एवज में ले रखा है.

धार्मिक लालसा

योग से बीमारियां दूर होती हैं इसीलिए कोविड-19 के दौरान रामदेव ने अपनी दवा जारी की. और कोई करता तो ड्रग कंट्रोलर उसे जेल में डलवा देता. अभिजात्य और शिक्षित हो चले नव हिंदुओं की धार्मिक लालसा को पकड़े मोदीजी यह दावा किए जा रहे हैं कि यह लालसा मुक्ति और मोक्ष की है जो योग से ही संभव है, स्वास्थ्य तो शुरुआती प्रलोभन भर है.

आप खुद योग करेंगे तो देरसवेर सीधे भगवान से कनैक्ट हो जाएंगे, फिर जीवन में कोई मोह या वासना नहीं रह जाएगी. आप देह से एक प्रकाशपुंज में परिवर्तित हो जाएंगे, जो कभी भी देह का धारण और त्याग इच्छा से कर सकता है यानी अतिमानव या ईश्वर बनने के लिए अब किसी को हिमालय की तरफ जाने की जरूरत नहीं रहेगी.

योगासनों को बेचने के लिए डाक्टरों और विचारकों की भी एक फौज तैयार की गई है. विदेशों में जो ईसा की मूर्ति के सामने बैठ कर अपने दुखों को दूर करने की कामना करते हैं, वे योग को भी ऐसे ही लपक रहे हैं जैसे संडे को चर्च में जाना. साधारण व्यायाम ज्यादा कारगर हैं तभी फिजियोथेरैपी और जिम चलाए जाते हैं जो शरीर विज्ञान के अनुसार चलते हैं.

हाथ से धो रही हैं बर्तन तो ध्यान रखें ये 5 बातें

इन दिनों बर्तन धोना एक ट्रेंड बन गया है, डिशवाश लिक्विड के विज्ञापनों ने बर्तन धोने के कामों को एक ग्‍लोबल इमेज दे दी है. अब लोगों को खुद से घर के बर्तन धोना कोई गंदा काम नहीं लगता है. वैसे अब बर्तन धोना उतना कठिन काम नहीं रह गया है जितना पहले समय में होता था. अगर आप रोज बर्तन धोती हैं या थोड़े समय बाद कहीं सेटल होने वाली हैं, जहां धोना पड़ सकता है, तो कई बातों का ध्‍यान रखना आवश्‍यक होता है.

बर्तनों को धोने से पहले एक स्‍क्रबर से साफ कर दें, ताकि सारी जूठन निकल जाएं. बर्तनों को धोने के बाद उन्‍हें ऐसे रखें कि वो सूख सकें, वरना उनमें बदबू आने लगती है. बर्तनों को रैक में पोंछकर ही लगाएं. ऐसी ही कई और बातों को बर्तन धोते समय ध्‍यान में रखना चाहिए, जो कि निम्‍न प्रकार हैं.

1. बर्तन एक जगह इक्‍ट्ठा कर लें

बर्तनों को धोने से पहले एक जगह इक्‍टट्ठा कर लें. बार-बार भाग-दौड़ न करें. बाकी सारी सामग्री जैसे- साबुन, स्‍क्रबर और तौलिया को भी रख लें.

2. नाजुक बर्तन पहले धुलें

भारी या बड़े बर्तनों को धोने से पहले हल्‍के या क्रॉकरी वाले बर्तन पहले धोयें. वरना उनके टूटने का डर बना रहता है. चम्‍मचें, कांटे और छुरियां भी पहले धो लें.

3. चिकने बर्तन भिगो दें

बर्तनों को धोने से पहले चिपकने वाले बर्तनों को एक जगह रख कर उनमें गर्म पानी और साबुन डाल दें, ताकि उनकी चिकनाई छूट जाए और उन्‍हें धोने में ज्‍यादा मशक्‍कत न करनी पड़े.

4. बर्तन धोना

बर्तनों को मांजने के बाद उन्‍हें छोटे से लेकर बड़े के क्रम में धोना शुरू करें. इससे पानी की खपत कम होगी और वो अच्‍छे से साफ भी हो जाएंगे.

5. बर्तनों को सुखाना

बर्तनों को धोने के बाद एक साथ घुसाकर न रखें बल्कि डलिया आदि में अलग-अलग रखें. बाद में उन्‍हें तौलिया से पोंछकर सूखने रख दें. अगर बर्तन अच्‍छी तरह नहीं सूखते हैं तो पेट में संक्रमण होने की संभावना रहती है.

कब करें सैकंड बेबी प्लानिंग

पेरैंट्स बनने का सपना हर किसी का होता है. जिस के लिए वे काफी ऐक्साइटेड रहते हैं और जैसे ही घर में पहले बच्चे की किलकारियां गूंजती हैं तो मेहमान, फ्रैंड्स यही बोल कर उन्हें और ब्लैस्सिंग्स देते हैं कि जल्द ही दूसरे बच्चे की भी खुशखबरी सुना कर अपनी फैमिली को कंपलीट कर लें, जिस के लिए कुछ पेरैंट्स तो पहले बच्चे के 2 से 3 साल के अंदर ही दूसरा बच्चा प्लान कर लेते हैं, तो कुछ पेरैंट्स सालों तक इस बारे में सोचते ही नहीं है.

वैसे तो दूसरा बच्चा चाहिए या नहीं, यह हर पेरैंट्स की अपनी चौइस पर निर्भर करता है, लेकिन अगर आप के मन में सैकंड बेबी का प्लान है तो ऐसे में सवाल यह है कि दोनों बच्चों के बीच में सही में कितना गैप होना चाहिए, आइए जानते हैं इस बारे में:

पहला बच्चा लेट होने पर चौइस नहीं

आज सब अपना कैरियर बनाने में इतने अधिक बिजी हो गए हैं कि न तो शादी को अधिक प्राथमिकता देते हैं और न ही बच्चों को, जिस कारण एक तो लेट मैरिज करते हैं और दूसरा फिर बच्चे भी लेट होते हैं. ऐसे में अगर आपका पहला बच्चा 32 या फिर 33 साल की उम्र में हो रहा है तो आप के पास सैकंड बच्चे की प्लानिंग के लिए ज्यादा चौइस या फिर सोचने का समय नहीं होता है क्योंकि ज्यादा लेट होने पर शारीरिक चैलेंजेज होने के साथसाथ जरूरी नहीं कि जब आप बच्चा प्लान करें, तब हो ही जाए क्योंकि बढ़ती उम्र में महिलाओं की ओवरीज में अंडे बहुत कम हो जाते हैं, जिस के कारण कंसीव करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

इसलिए पहला बच्चा 32 या फिर 33 साल की उम्र में होने पर अगर आप सैकंड बेबी चाहते हैं तो अगले डेढ़दो साल में दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर लें ताकि बढ़ती उम्र में कंसीव करने में दिक्कत न है और आप का सैकंड बेबी का सपना भी पूरा हो सके.

तुरंत कंसीव करने पर भी कई शारीरिक चैलेंजेस

कई बार जानकारी के अभाव में या फिर घर वालों के ज्यादा प्रैशर के चक्कर में पेरैंट्स पहले बच्चे के होने के 1 साल के भीतर ही दूसरा बच्चा प्लान कर लेते हैं, जो महिलाओं के लिए किसी बड़े शारीरिक चैलेंज से कम साबित नहीं होता है क्योंकि पहले बच्चे को जन्म देने के कारण उन के शरीर में हीमोग्लोबिन की काफी कमी हो जाती है. ऐसे में अगर वे 1 साल के अंतराल में ही दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर लेती हैं, तो न तो शरीर को उस तरह से उबरने का समय मिल पाता है और साथ ही अनेक स्टडीज में यह भी साबित हुआ है कि 1 साल में दोबारा प्रैगनैंट होने वाली महिलाओं में कमियां रहने के कारण ऐसे बच्चों का वजन कम होने के साथसाथ प्रीमैच्योर डिलिवरी का भी डर बना रहता है. इसलिए सैकंड बेबी के लिए तुरंत कंसीव करने की भी भूल न करें.

6-7 साल से ज्यादा का गैप न रखें

सैकंड बेबी चाहिए लेकिन कब चाहिए यह सवाल पेरैंट्स के मन में बना रहता है. ऐसे में कई पेरैंट्स जौब में बिजी रहने के कारण इस बारे में सालोंसाल नहीं सोचते हैं, जो बिलकुल सही नहीं है क्योंकि बढ़ती उम्र में बायोलौजिकल क्लौक जिसे महिलाओं में ओवुलेशन कहते हैं, जो एक समय सीमा तक होता है और अगर 35 के बाद होता भी है तो स्लो होने के साथ एग और स्पर्म की क्वालिटी काफी डाउन हो जाती है. इसलिए जब सैकंड बेबी के बारे में प्लान करें तो बायोलौजिकल क्लौक का ध्यान रखने के साथसाथ दोनों बच्चों में 6-7 साल से ज्यादा का गैप न रखें क्योंकि इस से दोनों बच्चों पर अच्छी तरह ध्यान देने के साथसाथ सिबलिंग्स भी एकदूसरे को अच्छी तरह सम?ा पाते हैं वरना ज्यादा साल का गैप सिबलिंग्स अंडरस्टैंडिंग में प्रौब्लम का कारण बनता है. इसलिए बेहतर है कि समय पर बच्चा होने से आप उस की अपब्रिंगिंग में भी हैल्दी रोल निभा सकें.

3-4 साल का गैप आइडियल

अगर आप के मन में सैकंड बेबी की प्लान में शुरू से ही है तो आप को सैकंड बेबी के लिए

3-4 साल के बीच में ही प्लानिंग कर लेनी चाहिए क्योंकि यही गैप आइडियल होता है. ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों बच्चों में इतना गैप होने से पहले बच्चे को प्रौपर केयर मिलने के साथसाथ वह थोड़ा सम?ादार हो जाता है, जिस से मां को दूसरे बच्चे को संभालने व उस की केयर करने में आसानी होती है. साथ ही आगे के बारे में भी अच्छी तरह प्लानिंग हो जाती है वरना बच्चों के बीच में ज्यादा गैप किसी भी लिहाज से सही नहीं होता है.

डाक्टर की सलाह जरूर लें

आप जब भी सैकंड बेबी प्लान करने के बारे में सोचें तो उस से कुछ समय पहले इस बारे में डाक्टर की सलाह जरूर लें. अपने और अपने हस्बैंड की मैडिकल कंडीशंस से उन्हें अवगत करवाएं, फर्स्ट प्रैगनैंसी में किस तरह की परेशानियां फेस करनी पड़ीं ताकि समय से पहले आप दोनों के सभी जरूरी टैस्ट्स हो सकें और आप को समय पर सही सलाह मिलने के साथसाथ सैकंड प्रैगनैंसी में किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो.

एकमत होना जरूरी

बहुत सारे मामलों में देखने में आया है कि महिलाएं ही अपने पार्टनर पर सैकंड बेबी का प्रैशर डालती हैं, जिस की वजह से कई बार आपस में तनातनी का माहौल भी पैदा हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इस मामले में दोनों की एक राय जब तक न बने तब तक जबरदस्ती सैंकंड बेबी की प्लानिंग के बारे में नहीं सोचना चाहिए.

प्रौपर स्पेस

जब घर में सदस्य बढ़ते हैं तो स्पेस की भी ज्यादा जरूरत होती है खासकर के बच्चों को तो ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है. इसलिए जब भी सैकंड बेबी के बारे में प्लान करें तो इस बात का ध्यान रखें कि भले ही ज्यादा नहीं, लेकिन घर में बच्चों के खेलने के लिए थोड़ीबहुत स्पेस होनी बहुत जरूरी है.

उम्र का ध्यान रखना

रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जिस तरह से 35 के बाद महिलाओं के एग कम होने के साथसाथ उन की क्वालिटी भी प्रभावित होने लगती है, ठीक उसी तरह पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी भी 35 के बाद लो होने लगती है. ऐसे में अगर आप सैकंड बेबी के बारे में प्लान कर रहे हैं तो दोनों पार्टनर अपनी उम्र का ध्यान जरूर रखें ताकि जब सही समय पर प्लानिंग करें तो गड़बड़ न हो.

फाइब्रोमायल्जिया: इस दर्द से बचना है जरूरी

फाइब्रोमायल्जिया एक पुराने दर्द की स्थिति है, जिस वजह से पूरे शरीर में दर्द फैल जाता है. यह आमतौर पर 20 से 55 वर्ष की महिलाओं की मांसपेशियों और हड्डियों में होने वाले दर्द के कारण होता है. इस में कई महिलाएं थकान, नींद में व्यवधान, सिरदर्द, अवसाद तथा चिंता जैसी मानसिक तकलीफ भी अनुभव करती हैं. इस में थोड़ाबहुत मांसपेशियों का दर्द हमेशा बना रहता है. दर्द की तीव्रता कम ज्यादा होती रहती है. चिंता, तनाव, अनिद्रा, थकान, ठंड या नमी के कारण दर्द बढ़ जाता है.

करीब 90% महिलाओं को लगातार थकान के साथसाथ तरोताजा न रहने या पूरी नींद न लेने जैसी शिकायत रहती है. मरीज को बांहों तथा टांगों में सुन्नपन, सिहरन या असामान्य खिंचाव भी महसूस हो सकता है. इस स्थिति में माइग्रेन या मस्क्युलर सिरदर्द, पेट में गड़बड़ी या बारबार पेशाब आना जैसी समस्याएं आम हैं.

कैसे पहचानें इसे

फाइब्रोमायल्जिया के बारे में समझा जाता है कि यह दर्द के एहसास में होते रहने वाले बदलाव का परिणाम होता है. इस स्थिति को सैंट्रल सैंसेशन कहा जाता है, जो आनुवंशिक प्रवृत्ति, शारीरिक या भावनात्मक चोट सहित तनाव बढ़ाने वाले कारकों, अनिद्रा या अन्य चिकित्सा स्थितियों के कारण हो सकती है. फाइब्रोमायल्जिया की पहचान के लिए कोई विशेष लैबोरेटरी या इमेजिंग टैस्ट नहीं है, क्योंकि मांसपेशियों में कोई असामान्य स्थिति पकड़ में नहीं आती है.

इलाज

फाइब्रोमायल्जिया का इलाज संभव है. इस के इलाज का मकसद दर्द में कमी लाना, नींद में सुधार लाना, शारीरिक गतिविधियों को सुचारु बनाना, सामाजिक मेलजोल बरकरार रखना और भावनात्मक संतुलन स्थापित करना है. इन की प्राप्ति के लिए मरीज का सामाजिक सहयोग, शिक्षा, शारीरिक सुधार और दवा से इलाज किया जाता है.

इस के लिए जहां मरीज में सकारात्मक बदलाव लाने की जरूरत पड़ती है वहीं परिवार के सदस्यों, नियोक्ताओं, नीतिनिर्धारकों की मदद भी मरीज की स्थिति पर बड़ा प्रभाव डालती है. मरीजों को शिक्षित करना और यह समझाना जरूरी है कि उचित व्यवहार बनाए रखने और उपचारात्मक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करने से उन्हें लाभ मिल सकता है.

ऐरोबिक ऐक्सरसाइज से न सिर्फ हर किसी की सक्रियता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि उन के दर्द में कमी, अच्छी नींद, संतुलित मिजाज, मानसिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है. हौट बाथ, हौट वाटर बोतल या इलैक्ट्रिक हीट पैड जैसी हीट प्रक्रिया मांसपेशियों को आराम पहुंचाती है, व्यायाम करने के योग्य बनाती है और बेहतर सेहत का एहसास कराती है. इस स्थिति से उबरने के लिए आजमाई गई कुछ नई चिकित्सा पद्घतियां भी उपलब्ध हो गई हैं, जिन में एनलजेसिक, ऐंटीडिप्रैजेंट की अल्प मात्रा दी जाती है. इस स्थिति से उबारने के लिए ऐंटीकनवल्सैंट दवा भी कारगर साबित हुई है.

इस प्रकार फाइब्रोमायल्जिया पीडि़तों को बहिष्कृत कर डायग्नोज नहीं करना चाहिए. प्रबंधन और मरीज के लिए बहुआयामी उपाय करते हुए परिवार को शिक्षित करना और उसे इस में भागीदार बनाना ही इस की सही डायग्नोसिस है. इस से मरीज को बेहतर जिंदगी जीने में मदद मिल सकती है.

-पुष्पेंदर सिंह मेहता

ऐसोसिएट कंसल्टैंट, पेन मैडिसिन,

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सैंटर, नई दिल्ली

Food Special: स्नैक्स में बनाएं बंगाली झाल मूड़ी

बंगाली झाल मूड़ी मिनटों में तैयार हो जाने वाला स्नैक है. इसे बनाना बहुत आसान है और यह हर उम्र वर्ग को पसंद आने वाली डिश है. अगर आप या आपके घर का कोई शख्स पिकनिक पर जा रहा है तो आप उसे झाल मूड़ी दे सकती हैं. सफर के लिहाज से यह बहुत अच्छा विकल्प है.

सामग्री

200 ग्राम पफ्ड राइस या मूड़ी

एक मध्यम आकार का उबला हुआ आलू

बारीक कटा हुआ आधा खीरा

चार हरी मिर्च कटी हुई

दो चम्मच मिक्स्ड स्प्राउट्स

एक छोटा प्याज, बारीक कटा हुआ

एक छोटा टमाटर बारीक कटा हुआ

2 छोटा चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक

नमक स्वादानुसार

2 चम्मच कच्ची मूंगफली

4 चम्मच सरसों का तेल

विधि

सरसो तेल और नमक को छोड़कर सारी चीजों को एक साथ एक बड़े बर्तन में मिला लें. फोर्क की मदद से मिलाएं और इसके बाद इसमें तेल और नमक मिलाएं. एक बार फिर सारी चीजों को अच्छी तरह से मिलाएं. और इसे सर्व करें.

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