Bigg Boss 16: Kamya Punjabi ने शो को बताया बोरिंग, कही ये बात

कलर्स के पॉपुलर रियलिटी शो बिग बॉस 16 (Bigg Boss 16) का आगाज हो चुका है. वहीं धीरे-धीरे शो के कंटेस्टेंट फैंस के दिलों पर राज कायम कर रहे हैं. हालांकि अभी शो की टीआरपी का कमाल देखना बाकी है. इसी बीच एक्ट्रेस काम्या पंजाबी (Kamya Punjabi) ने शो के 16वें सीजन पर अपना रिएक्शन देते हुए फ्लॉप बताया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

16वें सीजन को लेकर कही ये बात

बिग बॉस के हर सीजन पर अपनी राय फैंस के साथ शेयर करने वाली एक्ट्रेस काम्या पंजाबी ने इस सीजन को फ्लॉप बताते हुए एक ट्वीट किया है. दरअसल, एक्ट्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, बिग बॉस 16 तो डिजास्टर है. बिग बॉस अगर ऐसा अलग होने वाला है तो भगवान जनता को बचाए. ये सीजन सबको रूला देगा. मैंने कल का एपिसोड नहीं देखा था लेकिन आज मैंने बिग बॉस देखना शुरू ही किया है और मैं पहला एपिसोड देखकर ही बोर हो गई हूं.

अबदू मलिक की फैन हुईं गौहर

एक तरफ जहां एक्ट्रेस काम्या पंजाबी ने शो के 16वें सीजन को बोर बताकर फैंस को हैरान कर दिया है तो वहीं शो के कंटेस्टेंट अबदू मलिक की क्यूटनेस फैंस को बेहद पसंद आ रही है. वहीं आम आदमी ही नहीं सेलेब्स भी सिंगर अबदू के फैन हो गए हैं. हाल ही में एक्ट्रेस गौहर खान ने ट्रॉफी सिंगर को देने की बात कही थी. वहीं सोशलमीडिया पर भी सिंगर की कई वीडियो वायरल हो रही हैं.

बिग बॉस लगा रहे हैं कंटेस्टेंट की क्लास

बिग बॉस 16 की बात करें तो इस बार शो में कई बदलाव देखने को मिले हैं. जहां हाल ही में हुई एलिमनेशन की प्रक्रिया के चलते कई सदस्य को दंड का सामना करना पड़ा तो वहीं कई लोगों की बहस भी होना शुरु हो गई है, जिसके चलते शो को दर्शक पसंद करने लगे हैं.

प्रश्नचिह्न- भाग 4: निविदा ने पिता को कैसे समझाया

सुलेखा किचन से गिरतीपड़ती बाहर निकल आईं. अपने कमरे में बैठी निविदा को अपने पापा की इतनी ऊंची दहाड़ का कारण समझ नहीं आया पर मालिनी को सब समझ आ रहा था. वह अपना सामान पैक कर चुकी थी. आज वह निर्णय ले चुकी थी कि नाटक से परदा उठाना है.

‘‘जा तेरे पापा बुला रहे हैं,’’ मालिनी बोली.

‘‘पर क्यों… इतना गुस्सा?’’ निविदा डर के कारण थरथर कांप रही थी, ‘‘तूने फिर कुछ कर दिया क्या?’’

‘‘कुछ नहीं किया मैं ने… तू जा तो सही,’’ उस ने निविदा को कमरे से बाहर धकेल दिया.

‘‘जी पापा,’’ निविदा हकलाते हुए बोली.

‘‘कौन है यह?’’

‘‘क… कौन?’’

‘‘यह लड़का. इसीलिए भेजा है तुझे चंडीगढ़ कि तू लड़कों के साथ गुलछर्रे उड़ाए? ऐसी बिगड़ैल, संस्कारहीन आवारा लड़कियों के साथ दोस्ती करे?’’

‘‘कौन लड़का पापा? मुझे नहीं पता आप किस की बात कर रहे?’’ पर फिर

पापा के हाथ अपना मोबाइल देख कर निविदा का सिर चकरा गया.

‘‘बुला अपनी उस सहेली को बाहर. बहुत हो गई बाहर रह कर पढ़ाई. अब तू यहीं रह कर पढ़ेगी. तेरी मम्मी के उलटेसीधे अरमान हैं ये. यहां कालेज नहीं हैं क्या?’’

पापा का गुस्सा देख कर निविदा थरथर कांप रही थी. सबकुछ समझ गई थी…

मालिनी ने उस का भविष्य खत्म कर दिया…

‘‘मैं इस लड़के की अभी पुलिस में रिपोर्ट करता हूं,’’ निविदा के पापा बोले.

‘‘ऐसा क्यों कर रहे हैं आप? पहले निविदा को आराम से बैठा कर पूछ तो लीजिए कि कौन है यह,’’ सुलेखा बोलीं.

‘‘तू चुप रह. तेरी सह पर ही बिगड़ी है,’’ एकाएक निविदा के पापा का एक झन्नाटेदार थप्पड़ सुलेखा के गाल पर पड़ गया.

अब तक मालिनी भी लौबी में आ चुकी थी. वह बोली, ‘‘यह क्या कर रहे हैं अंकल आप… शर्म आनी चाहिए आप को.’’

‘‘तुम चुप रहो. मेरे परिवार के बीच में बोलने का तुम्हें कोई हक नहीं है. मेरी बेटी को बिगाड़ कर रख दिया है तुम ने. नौकर बना कर रखा है इसे इतने दिनों से,’’ निविदा के पापा भी उतने ही गुस्से में चिल्लाए.

‘‘नीचे सुर में बात कीजिए अंकल मुझ से. निविदा की तरह दहाड़ सुनने की

आदत नहीं है मुझे,’’ मालिनी तैश में बोली, ‘‘अभी आप मुझे संस्कारहीन कह रहे थे. आप में कौन से संस्कार हैं. निविदा को मैं ने नहीं बिगाड़ा है, बल्कि मैं तो उसे मजबूत बनाना चाहती हूं. बिगाड़ा तो आप ने है उस का भविष्य. कभी सोचा है जिस बेटी के मनमस्तिष्क में इतना डर भर दिया है, जो अपने ही घर में हर कदम पर हारती रहती है वह घर से बाहर की दुनिया से कैसे जीतेगी? आज मेरा उस से नौकरों जैसा व्यवहार आप को चुभ रहा है, लेकिन आप ने उसे जितना आत्महीन व डरपोक बना दिया है, कल जमाना दबाएगा उसे.

‘‘विवाह के बाद आप जैसा ही कोई पुरुष उस का फायदा उठाएगा. कैसे लड़ेगी निविदा? अपने जीवन की छोटी सी भी कठिनाई से, परेशानी से… हर जगह आप खुद तो नहीं खड़े रहेंगे न उस के साथ. आंटी का जीवन नर्क बना दिया आप ने. आप की पत्नी हैं ये. क्या कुसूर है इन का? शरीर पर पड़ी आप की मार, इन के मनमस्तिष्क को उस से भी ज्यादा घायल कर देती होगी? बेटी के सामने और कर गई होगी… आज बेटी की सहेली के सामने. अगर इतना ही जोर से आंटी मार दे आप को इस समय तो कैसा लगेगा आप को?

‘‘सिर्फ पुरुष हैं. शारीरिक ताकत है. इस ताकत पर कूद रहे हैं आप? घर का माहौल इतना दमघोटू बना रखा है आप ने. मैं 2 ही दिनों में उकता गईर्. ये दोनों जिंदगी कैसे बिता रही होंगी? किसी विषय पर बात नहीं कर सकती निविदा आप के सामने. कहां जाए वह किसी विषय पर बात करने? इकलौती बेटी. पहले भरेपूरे परिवार होते थे अंकल, आजकल 1-2 बच्चे, मातापिता ही सरपरस्त, मातापिता ही दोस्त. अगर मातापिता दोस्त नहीं बनेंगे तो बच्चे बाहर भटकेंगे… इतनी अकल 20 साल की उम्र में मुझे भी है, फिर आप को क्यों नहीं है… सैक्स, समलैंगिकता, लिव इन रिलेशन, लड़कों से दोस्ती… क्या है इन बातों में ऐसा, जो आप से बात नहीं कर सकती निविदा? किसी लड़के से दोस्ती कोई गुनाह क्यों है आप की नजरों में? कौन सी सदी में जी रहे हैं आप?

‘‘और मुझे क्या निकालेंगे आप घर से. मैं खुद यहां रहना नहीं चाहती पर निविदा को समेट लीजिए अंकल, हर जगह मालिनी नहीं मिलेगी इसे… यहां पर तो मैं इस के साथ ऐक्टिंग कर रही थी… पर कालेज में जब मुझे यह पहली बार मिली थी तब ऐक्टिंग नहीं की थी मैं ने. इसे मिलने वाला हर इंसान मालिनी नहीं होगा, जो इस की असलियत जान कर गलत फायदा न उठाए और जिस लड़के के मैसेज निविदा के लिए आ रहे हैं वह मेरा भाई है. मैं ने ही कहा था उसे. स्वस्थ दोस्ती कोई गुनाह नहीं होती. अब नहीं आएंगे मैसेज… इतना मत दबाइए निविदा को कि उबरने में उस की पूरी जिंदगी खप जाए.

‘‘कमजोर पुरुष हैं आप… जिस बात का समाधान नहीं सूझा, आप ने आंटी को पीट कर निकाला और आप की मारपीट व झगड़े ने निविदा को मानसिक रोगी बना दिया था. आंटी ने छिपछिप कर इस का इलाज कराया… ऐसा न हो आप की ये हरकतें से फिर मानसिक रोगी बना दें और इस बार शायद हमेशा के लिए…’’ कहतेकहते मालिनी की आंखों में आंसू आ गए. कंठ अवरुद्ध हो गया. उस ने निविदा को एक बार गले लगाया और फिर भरी आंखों से एक प्रश्नचिह्न मालिनी के पापा की तरफ उछालती हुए अपना बैग कंधे पर डाल अटैची ड्रैग करती हुए बाहर निकल गई. रोती हुई निविदा अपने कमरे में चली गई.

निविदा के पापा हारे हुए खिलाड़ी की तरह अपनी जगह खड़़े रह गए. सुलेखा भी एक घृणित नजर उन पर डालती हुईं निविदा के पीछे चली गईं. मालिनी वह सब कह गई थी जो वे दोनों वर्षों से कहना चाहती थीं.

निविदा के पापा काफी देर हताश से वैसे ही खड़े रहे. इतने कड़े और स्पष्ट शब्दों में उन्हें आईना कोई नहीं दिखा पाया था. फिर अचानक उन की आंखों से आंसू निकले कि सचमुच बड़ी गलती कर गए जीवन में. उन की फूल सी बच्ची मनोचिकित्सक के चक्कर काट चुकी है नन्ही सी उम्र में और उन्हें पता ही नहीं. मालिनी उन के सामने एक प्रश्नचिह्न टांग गई थी. वे उठे और मालिनी के कमरे की तरफ चल दिए… जो कुछ बचा था उसे समेटने के लिए… मालिनी के प्रश्नचिह्न का जवाब लिखने के लिए.

तालमेल- भाग 3: आखिर अभिनव में क्या थी कमी

‘‘सौरी शेखर, तुम्हें डिस्टर्ब किया.’’

‘‘अरे ऋतु… माफ करना तुम्हें रिसीव करने नहीं आ सका,’’ उस ने आवाज पहचान कर कहा.

‘‘मैं तुम्हारी दुविधा समझ रही हूं शेखर इसीलिए मैं ने तुम्हें लतिका और राशि के घर पहुंचने से पहले फोन किया है. मेरा तुम से अकेले में मिलना बहुत जरूरी है. प्रणव के औफिस जाने के बाद मैं तुम्हें फोन करूंगी.’’

ऋतु ने रिसीवर रखा ही था कि बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज आई. शेखर बाहर आ गया.

‘‘सास कैसी लगी राशि?’’

‘‘बहुत थकी हुई और कुछ हद तक डरी हुई,’’ राशि हंसी, ‘‘प्रणव बता रहा था कि उन्होंने पहली बार इतना लंबा सफर अकेले किया है, महज मुझे देखने के लिए.’’

‘‘मगर थकान और घबराहट की वजह से ठीक से देख भी नहीं सकीं,’’ शेखर हंसा.

‘‘बहुत अच्छी तरह से देखा पापा और मम्मी से फोन नंबर भी लिया कि सुबह आप का धन्यवाद करेंगी कि आप ने उन के बेटे को मेरे लिए पसंद किया है,’’ राशि इतराई.

‘‘ज्यादा न इतरा,’’ लतिका बोली, ‘‘उस का बेटा तुम से इक्कीस ही होगा उन्नीस नहीं.’’

‘‘यह उन्नीसइक्कीस का चक्कर छोड़ कर सो जाओ अब,’’ शेखर बोला.

मगर वह खुद सो नहीं सका. यही सोचता रहा कि क्यों मिलना चाह रही है ऋतु उस से?

अगले दिन ऋतु ने प्रणव के औफिस जाते ही शेखर को फोन कर के अपने घर बुला लिया. ऋतु को देखते ही शेखर को लगा कि प्रणव ने सिर्फ कदकाठी और चेहरे की लंबाई बाप की ली है अन्य नैननक्श तो ऋतु के ही हैं यानी वह शतप्रतिशत प्रणव की मां है. अपनी गलती का सही सुबूत मिलते ही वह ग्लानि और अपराधबोध से ग्रस्त हो गया.

‘‘मेरा यकीन करो शेखर, मैं ने प्रणव को भारत आने से बहुत रोका, लेकिन वह नहीं माना और भारत आ गया. वह भी इसी शहर में और उसी कंपनी में माल बेचने जिस में तुम्हारी बेटी काम करती है. इस सब से तुम्हें जो तकलीफ पहुंची है उस का अंदाजा मुझे है और उसी की क्षमायाचना के लिए मैं ने तुम्हें यहां…’’

‘‘तुम ने अभी कहा ही क्या है ऋतु जिस की तुम क्षमा मांग रही हो,’’ शेखर बीच में ही बोला, ‘‘तुम जो भी चाहे कहो, क्योंकि तुम्हारी व्यथा जो तुम ने मेरी गलत रिपोर्ट जानने के बाद झेली…’’

‘‘कौन सी गलत रिपोर्ट?’’ ऋतु ने हैरानी से पूछा.

‘‘वही जो प्रणव के रूप में मेरा मुंह चिढ़ा रही है और मुझे मजबूर कर रही है कि मैं अपने पेशे से संन्यास ले लूं. अगर अपने दोस्त की ही सही जांच नहीं कर सका तो गैरों की क्या करूंगा?’’

‘‘ओह, अब समझी,’’ ऋतु ने उसांस ले कर कहा, ‘‘यानी तुम और मैं दोनों ही अलगअलग अपराध भावना से ग्रस्त हैं. उस से मुक्त होने के लिए तो सब विस्तार से बताना होगा.’’

‘‘तुम्हें याद है शेखर, जब मैं रिपोर्ट लेने आई थी तो मैं ने बताया था कि प्रभव पहुंचने वाला है. उस के आने के बाद जो चखचख होनी थी वह हुई. मांजी ने दोनों भाइयों की तुलना करते हुए कहा कि अभिनव तो ब्याहता के साथ भी संयम से रह रहा है और प्रभव को परायी लड़की के साथ भी ऊंचनीच का खयाल नहीं है. इस पर प्रभव बड़ी बेशर्मी से हंसा कि लगता है अभिनव के हिस्से का लिबिडो भी मुझे ही मिल गया है. यह बात एक बार फिर मुझे कहीं गहरे कचोट गई. उस रात मुझे नींद नहीं आई. प्रभव भी वहां बेचैनी से टहल रहा था. जाहिर है वह भी तनावग्रस्त था क्योंकि मांबाबू जी ने उस की समस्या सुनने से पहले ही उसे कोसना शुरू कर दिया था.

‘‘परसों तक अगर रेशमा के भाई को शादी की तारीख नहीं बताई तो उन लोगों के लोकल कौंटैक्ट हम सब की जिंदगी दुश्वार कर देंगे… और वैसे भी जब मुझे शादी करनी ही रेशमा से है तो क्यों न सब की रजामंदी और हंसीखुशी से करूं. लेकिन मां और बाबूजी कुछ सुनने को ही तैयार नहीं हैं,’’ प्रभव ने हताश स्वर में कहा.

‘‘मैं ने प्रभव से कहा कि वह भी तो अपनी बात शांति से समझाने के बजाय चिल्लाने लगता है तब उस ने जवाब दिया कि जब भी वह तनाव में होता है सिवा चिल्लाने के और कुछ नहीं कर सकता और उस का तनाव दूर होता है सैक्स करने से. उस के बाद प्रभव ने सैक्स पर भाषण ही दे डाला. उस के अनुसार सैक्स भी जीवन में उतना ही आवश्यक है जितना खानापीना या बाथरूम जाना.

‘‘कह नहीं सकती प्रभव के तर्क से प्रभावित हो कर या अभिनव को नपुंसक होने के दंश से बचाने के लिए मैं ने उस रात स्वयं को प्रभव को सौंप दिया. अगली सुबह प्रभव वाकई शांत हो गया और उस ने बड़े धैर्य से मांबाबूजी को स्थिति से समझौता करने को मना लिया.

‘‘रेशमा अधिक छुट्टियां लेना नहीं चाहती थी और शादी की तारीख तय होने पर ही आने वाली थी. लेकिन अचानक उस का ब्लडप्रैशर इतना बढ़ गया कि डाक्टर ने उस के सामान्य होने तक रेशमा को सफर करने से रोक दिया. इस से पहले कि रेशमा सफर करने लायक होती मेरे गर्भवती होने की पुष्टि हो गई.

‘‘अभिनव बेहद खुश हुआ. किसी को कुछ शक होने का सवाल ही नहीं था, क्योंकि उस रिपोर्ट के बारे में तो सिवा मेरे व तुम्हारे किसी को पता ही नहीं था. बस मुझे यह फिक्र थी कि तुम से सचाई कैसे छिपाऊंगी, इसलिए मैं ने हालात का फायदा उठाया.

‘‘मैं ने प्रभव को उकसाया कि बजाय रेशमा को यहां बुलाने के हम सभी क्यों न वहां जा कर उस की शादी करवा दें. यों भी अभिनव और मेरे जाने की औपचारिकता तो पूरी हो ही चुकी थी और अपने बच्चे को अमेरिका की नागरिकता दिलवाने की दुहाई दे कर मैं अभिनव को तुम्हारे लौटने से पहले ही वहां ले गई. वहां जा कर मांबाबूजी को बहुत अच्छा लगा और मैं ने उन्हें हमेशा वहीं रहने को मना लिया.

‘‘उस के बाद मैं बेफिक्र हो गई थी. मगर प्रणव ने यहां आ कर मेरे पैरों तले से जमीन खिसका दी. पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव या अभिनव को सचाई का कड़वा एहसास न होने देने का दर्प, मैं कह नहीं सकती कि हकीकत क्या है पर उस रात मेरे और प्रभव के बीच जो भी हुआ था उस की मुझे कोई ग्लानि नहीं है. लेकिन यह सोच कर कि तुम खासकर लतिका इस सचाई को कतई स्वीकार नहीं करेगी और इस से पहले कि तुम बेटे या बाप से कोई पूछताछ करो मैं ने तुम से मिल कर तुम्हें सब साफसाफ बताना बेहतर समझा.’’

‘‘तुम्हारे जीवट की दाद देता हूं ऋतु. एक बार हिम्मत कर के तुम ने अभिनव को डिप्रैशन से बचाया था और इस बार हिम्मत कर के मेरा नर्वस ब्रेकडाउन होने से रोका है. लतिका को इस बारे में कुछ मालूम नहीं है. उसे कह दिया था कि बेटी परायी हो जाएगी यह सोच कर व्यग्र हूं. असलियत सिर्फ तुम्हें और मुझे मालूम है और आज के बाद हम भी कभी इस का जिक्र नहीं करेंगे.’’

‘‘यानी तुम ने मुझे माफ कर दिया?’’

‘‘माफ करने से अगर तुम्हारा मतलब यह है ऋतु कि तुम ने जो कुछ किया उसे मैं ने सही मान लिया है तो समाज के मूल्यों या मान्यताओं को बदलने या उन का मूल्यांकन करने का मुझे कोई अधिकार नहीं है, न ही अभिनव को असलियत बता कर उस की बसीबसाई दुनिया उजाड़ने का हक,’’ शेखर ने सपाट स्वर में कहा, ‘‘तुम ने उस समय जो कुछ किया था वह महज हालात के दबाव में किया था. आज अभिनव के सुखचैन और बच्चों की खुशी की खातिर उसे चुपचाप स्वीकार कर लेना मेरा महज गलत और सही के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास है.’’

तालमेल- भाग 2: आखिर अभिनव में क्या थी कमी

ऋतु उस का धन्यवाद कर के चली गई. उस के बाद फिर उस से कभी मुलाकात नहीं हुई. लौटने पर पता चला कि प्रभव के साथ पहले तो अभिनव व ऋतु और फिर मांबाप भी अमेरिका चले गए हैं.

शेखर ने सोचा कि प्रभव की भावी गर्भवती बहू को यहां बुला कर शादी करवाने के बजाय सब ने वहीं जा कर शादी करवाना बेहतर समझा होगा.

‘‘घर आ गया शेखर,’’ लतिका की आवाज पर उस का ध्यान टूटा. गाड़ी से उतरते ही राशि आ कर उस से लिपट गई.

‘‘पापा, आप के लिए टब में क्लोन डाल कर गरम पानी भर दिया है ताकि जल्दी से आप की थकान उतर जाए,’’ राशि ने कहा.

‘‘पापा की थकान तो आप को देखते ही उतर जाती है,’’ शेखर हंसा.

तभी बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई.

‘‘लगता है प्रणव आ गया,’’ कह कर राशि बाहर भागी. शेखर भी उस के पीछेपीछे गया.

प्रणव को देख कर उसे लगा जैसे कालेज के दिनों के अभिनव या प्रभव में से कोई उस के सामने खड़ा हो. शेखर उस से बड़ी खुशी से मिला और सब का हालचाल पूछा.

‘‘प्रभव अंकल और रेशमा आंटी तो अलबामा, अमेरिका में हैं और मम्मीपापा कनाडा के वैनकूवर में.’’

‘‘कब से?’’

‘‘मेरे जन्म के कुछ ही महीनों बाद चले गए थे. मैं ने तो होश ही वहीं संभाला,’’ प्रणव ने बताया.

‘ऋतु समझदार है उस ने बच्चे को असली मांबाप से दूर रखना ही बेहतर समझा होगा,’ शेखर ने सोचा.

‘‘तुम्हारे मम्मीपापा कब तक आएंगे?’’

‘‘आप लोगों के बारे में सुनते ही मम्मी तो यहां आने को छटपटाने लगी हैं, लेकिन पापा को तो बिजनैस और घर वगैरह बेचने को समय चाहिए, इसलिए मम्मी अगले हफ्ते अकेली ही आ रही हैं.’’

‘‘बहुत खूब… मजा रहेगा फिर तो,’’ लतिका बोली.

‘‘हां आंटी, मगर उस से पहले मुझे यह पता चल जाए कि अंकल ने मुझे पसंद कर लिया तो अच्छा रहेगा,’’ प्रणव धीरे सेबोला.

‘‘वह तुम अभी पूछ लो न शेखर से,’’ लतिका ने कहा.

‘‘कहिए अंकल, क्या आप ने मुझे पसंद कर लिया?’’ प्रणव ने धीमी आवाज में पूछा.

शेखर चौंक पड़ा कि प्रणव की आंखों में वही याचना है, जो रिपोर्ट छिपाने को कहते हुए ऋतु की आंखों में थी. कैसे भूल सकता था शेखर उन आंखों को… और वही आंखें आज प्रणव के चेहरे पर थीं यानी प्रणव ऋतु का ही बेटा था. मगर यह कैसे मुमकिन हुआ?

‘‘कहिए न अंकल?’’ प्रणव ने मनुहार किया.

‘‘तुम्हें यह गलतफहमी कैसे हो गई कि मैं तुम्हें पसंद नहीं करूंगा?’’ शेखर हंसा.

‘‘मेरी बेटी की पसंद ही मेरी पसंद है और फिर तुम्हें नकारने की कोई वजह भी नहीं है.’’

प्रणव ने राहत की सांस ली. फिर बोला, ‘‘मम्मी ने तो मुझे डरा ही दिया था कि आप मानेंगे नहीं.’’

‘‘प्रणव, तुम चाहो तो मेरी रजामंदी सैलिबे्रट करने के लिए राशि को कहीं डिनर पर ले जा सकते हो, क्योंकि मैं तो आज रात कुछ खाना नहीं चाह रहा और फिलहाल तो टब में लेटने जा रहा हूं,’’ शेखर मुसकराया.

‘‘घंटे भर के लिए,’’ लतिका ने कहा, ‘‘मगर वह खुशखबरी तो सुनाओ जो तुम एअरपोर्ट पर सुनाने वाले थे.’’

‘‘वह तो मैं मजाक कर रहा था,’’ कह कर शेखर अपने कमरे में चला गया.

वाकई अब तो वह बात मजाक ही बन गई थी. पैथोलौजी में उस की विशिष्ट उपलब्धियों के कारण ही उसे विजिटिंग प्रोफैसर बनने का मौका मिल रहा था और आज वही उपलब्धियां प्रणव के रूप में उस के मुंह पर तमाचे मार रही थीं. अभिनव के वीर्य की जांच उस ने स्वयं एक बार नहीं कई बार की थी. अगर एक मित्र की जांच में उस से भूल हो सकती है तो अन्य लोगों की जांच में न जाने कितनी खामियां रहती होंगी?

शेखर फिर बाहर आया. राशि अपने कमरे में तैयार हो रही थी और प्रणव लतिका के साथ बैठा था.

‘‘मैं ने प्रभव के बालबच्चों के बारे में तो पूछा ही नहीं प्रणव. कितने बच्चे हैं उस के?’’

‘‘1 लड़की और 1 लड़का अंकल. तान्या मुझ से कुछ महीने बड़ी है और गौरव कुछ साल छोटा. लेकिन हम दोनों में बहुत दोस्ती है. गौरव की पढ़ाई खत्म होने वाली है. इसलिए मैं उस के लिए कोई अच्छी नौकरी ढूंढ़ रहा हूं, क्योंकि प्रभव अंकल की तरह उस की भी बिजनैस में कोई दिलचस्पी नहीं है.’’

‘‘और तुम्हें अपने पापा की तरह नौकरी पसंद नहीं है,’’ लतिका बोली.

‘‘ऐसी बात नहीं है आंटी, अमेरिका में तो मैं भी नौकरी ही करता था और यहां मेरी कंपनी ने मुझे मार्केट सर्वे के लिए भेजा था. यहां आ कर मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैं ने सोचा कि कोई और एजेंट नियुक्त करने के बजाय मैं खुद ही क्यों न एजेंसी ले लूं, क्योंकि जो काम मैं नौकरी में करता हूं यानी कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री वही एजेंसी लेने पर करूंगा.’’

‘‘फैसला तो वाकई बहुत सही है. तुम्हारी उम्र कितनी होगी बरखुरदार यानी डेट औफ बर्थ क्या है?’’ शेखर ने बड़ी सफाई से प्रणव की जन्मतिथि पूछ ली.

राशि तैयार हो कर आ गई तो प्रणव जाने के लिए उठ खड़ा हुआ. शेखर आ कर टब में लेट गया. यह तो पक्का हो गया था कि शादी से पहले रेशमा के गर्भ में आई बच्ची तान्या है और जन्मतिथि के मुताबिक प्रणव ऋतु और अभिनव का बेटा है, जो उस की जांच के बाद पैदा हुआ है. उस की बारबार की जांच बिलकुल गलत थी, उसे ऋतु के सामने यह हार तो स्वीकार करनी ही होगी, यह सोच कर वह बेचैन था और कोशिश के बावजूद भी लतिका से वह अपनी बेचैनी छिपा नहीं सका.

‘‘जिस उत्साह से तुम आए थे शेखर वह तो बिलकुल गायब ही हो गया, ऐसा क्यों?’’ लतिका उस से बोली.

‘‘तुम भी कमाल करती हो लतिका. बेटी परायी हो रही है यह सुन कर किसे दुख नहीं होगा?’’ शेखर ने बड़ी कुशलता से बात छिपाई.

लतिका की भी आंखें भर आईं, ‘‘बेटी तो होती ही पराया धन है लेकिन दुखी होने से कैसे चलेगा? बेटी की शादी नहीं करनी?’’

‘‘बड़ी शान से करेंगे. फिलहाल और सब कुछ भूल कर शादी की तैयारी ही करते हैं.’’

शेखर के उत्साह से लतिका आश्वस्त हो गई.

तालमेल- भाग 1: आखिर अभिनव में क्या थी कमी

विमान से उतरने के बाद भी डाक्टर शेखर को लग रहा था कि वह अभी भी हवा में उड़ रहा है. लगे भी क्यों न. एक तो करीब 3 महीनों बाद घर लौटने की खुशी, फिर इस दौरान विदेश में मिला मानसम्मान और चलते समय विश्वविख्यात लंदन के किंग्स मैडिकल कालेज में हर वर्ष कुछ महीनों के लिए बतौर विजिटिंग प्रोफैसर आने का अनुबंध. यह खबर सुन कर लतिका तो खुश होगी ही, राशि भी खुशी से नाचने लगेगी. मगर बाहर खड़े लोगों में उसे सिर्फ लतिका ही नजर आई. उस ने बेचैनी से चारों ओर देखा.

‘‘राशि को ढूंढ़ रहे हो न शेखर? मगर मैं उसे जानबूझ कर नहीं लाई, क्योंकि मुझे अकेले में तुम्हें एक खुशखबरी सुनानी है,’’ लतिका चहकी.

‘‘मैं भी तो राशि को खुशखबरी सुनाने को ही ढूंढ़ रहा हूं. खैर जहां इतना इंतजार किया है कुछ देर और सही… तब तक तुम्हारी खबर सुन लेते हैं.’’

‘‘गाड़ी में बैठने के बाद.’’

‘‘वहां ड्राइवर की मौजूदगी में अकेलापन कहां रहेगा?’’ शेखर शरारत से हंसा.

‘‘मैं ड्राइवर को भी नहीं लाई,’’ लतिका ने ट्रौली पार्किंग की ओर मोड़ते हुए कहा.

‘‘मैं समझ गया तुम्हारी इतनी पोशीदा खुशखबरी क्या है,’’ शेखर ने गाड़ी में बैठते ही उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा, ‘‘तुम मां बनने वाली हो.’’

‘‘घर पहुंचने तक तो सब्र करो… वैसे तुम्हारा अंदाजा सही है. मैं फिर मां बनने वाली हूं और इस मां को सास भी कहते हैं.’’

‘‘यानी तुम ने मेरी गैरमौजूदगी का फायदा उठा कर मेरी हार्ड कोर प्रोफैशनल बेटी का शादी करने को ब्रेन वाश कर ही दिया.’’

‘‘मैं ने तो बस उसे इतना आश्वासन दिया है कि जिसे उस ने मन में बसाया है उसे तुम सिरआंखों पर बैठाओगे, क्योंकि प्रणव तुम्हारे अभिन्न मित्र अभिनव का बेटा है.’’

‘‘अभिनव का बेटा? मैं नहीं मान सकता,’’ शेखर ने अविश्वास से कहा.

‘‘देख कर मान जाओगे. मजे की बात यह है शेखर कि जिस बच्चे के गर्भ में आते ही उसे अमेरिका का नागरिक बनाने के लिए ऋतु और अभिनव अमेरिका चले गए थे, उसी प्रणव को भारत इतना पसंद आया कि वह यहां से वापस ही नहीं जाना चाहता. उस ने यहीं एक अमेरिकन कंप्यूटर कंपनी की एजेंसी ले ली है. अब अभिनव और ऋतु भी हमेशा के लिए भारत लौट रहे हैं.’’

‘‘प्रणव की उम्र क्या होगी?’’

‘‘अपनी राशि से तो बड़ा ही है, क्योंकि वह तो मेरे गर्भ में तुम्हारे विदेश से लौटने के बाद आई और अभिनव व ऋतु तो तुम्हारे विदेश जाते ही चले गए थे. ऋतु उस समय गर्भवती थी.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता कि ऋतु उस समय गर्भवती थी? तुम तो तब नई दुलहन थीं, ऋतु तुम्हें यह सब बताए इतनी घनिष्ठता तो तुम्हारी उस से नहीं थी?’’

‘‘लेकिन अम्मांजी की उस की सास से तो थी. जब उन से उन्हें यह पता चला कि ऋतु गर्भवती है तो मैं ने भी जाना.’’

‘‘अच्छा,’’ कह कर शेखर ने सीट से सिर टिका कर आंखें बंद कर लीं. अतीत चलचित्र की भांति उस की आंखों के सामने तैरने लगा…

पड़ोस में रहने वाले जुड़वां भाइयों प्रभव और अभिनव से उस की बहुत दोस्ती थी, खासकर अभिनव से. शेखर की सहपाठिन ऋतु से अभिनव को प्रेम था और उस से मिलने वह अकसर शेखर के साथ कालेज जाता था. अभिनव से शादी करने के चक्कर में ऋतु ने डाक्टरी की पढ़ाई पूरी नहीं की थी. अभिनव ने भी पिता के साथ उन के होटल में बैठना शुरू कर दिया था. लेकिन प्रभव की व्यापार में दिलचस्पी नहीं थी अत: वह अमेरिका चला गया.

एक दिन ऋतु और अभिनव शेखर के डायग्नोस्टिक सैंटर गए. अभिनव बोला, ‘‘यार अपनी शादी को 3-4 साल हो गए, लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ. तू सब टैस्ट वगैरह कर के देख कि सब ठीक तो है न.’’

शेखर ने दोनों के सभी जरूरी टैस्ट किए. रिपोर्ट लेने ऋतु अकेली आई थी. पहले तो शेखर थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन ऋतु की परिपक्वता देखते हुए उस ने सच बताना ही बेहतर समझा. बोला, ‘‘तुम मां बनने के लिए पूरी तरह सक्षम हो ऋतु, लेकिन अभिनव कभी बाप नहीं बन सकेगा.’’

ऋतु कुछ पलों के लिए हैरान रह गई. फिर संयत हो कर पूछा, ‘‘इलाज के बाद भी नहीं?’’

शेखर ने मायूसी से कहा, ‘‘उस के शरीर में वीर्य के शुक्राणु बनाने का स्रोत नहीं है… जुड़वां बच्चों में कभीकभी ऐसी कमी रह जाती है… एक ही इलाज है कि तुम लोग बच्चा गोद ले लो.’’

‘‘यह बाद में सोचेंगे शेखर. फिलहाल तो यह बात अभि से छिपाने में तुम्हें मेरी मदद करनी होगी. करोगे न?’’ ऋतु ने पूछा.

‘‘जरूर ऋतु, लेकिन एक न एक दिन तो बताना पड़ेगा ही.’’

‘‘अभी नहीं प्रभव के जाने के बाद.’’

‘‘प्रभव आया हुआ है?’’

‘‘आ रहा है, अभिनव को उसे लेने एअरपोर्ट जाना था इसीलिए रिपोर्ट लेने नहीं आ सका.’’

‘‘प्रभव तुम्हें और अभिनव को साथ ले जाने को आ रहा है न?’’ शेखर ने पूछा.

‘‘हां, मगर फिलहाल उस के आने की वजह कुछ और है,’’ ऋतु ने उसांस ले कर कहा, ‘‘प्रभव का वहां किसी सिक्ख लड़की से अफेयर है और अब वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है. लड़की के घर वाले इसी शहर में रहते हैं और अड़े हुए हैं कि तुम अपने घर वालों की मौजूदगी में बाकायदा रेशमा से शादी करो वरना हम तुम्हारे सारे खानदान को तबाह कर देंगे. मांबाबूजी डर कर या प्रभव के जिद्दी स्वभाव के कारण शादी के लिए तो मना नहीं कर रहे, लेकिन यह सोच कर बौखलाए हुए हैं कि 3-4 महीने की गर्भवती दुलहन के बारे में रिश्तेदारों से क्या कहेंगे. मांजी ने तो यहां तक कह डाला कि ब्याहे के तो कुछ हुआ नहीं और कुंआरा बाप बन रहा है. यह बात अभि को चुभ गई और वह फौरन तुम्हारे पास टैस्ट करवाने आ गया. इस समय यह रिपोर्ट उसे बुरी तरह आहत कर देगी. घर में वैसे ही बहुत तनाव है तो प्रभव के आते ही और भी ज्वलंत हो जाएगा. शेखर, क्या तुम अभि से यह नहीं कह सकते कि उस की रिपोर्ट कहीं खो गई है?’’

‘‘कह दूंगा सीमन कम था इसलिए बराबर जांच नहीं हो सकी. वैसे तो सब ठीक ही लग रहा है, फिर भी दोबारा जांच करना चाहूंगा. प्रभव के आने के चक्कर में आज तो वह आने से रहा और कल मैं एक खास कोर्स करने के लिए यूरोप जा रहा हूं.’’

ऋतु उस का धन्यवाद कर के चली गई. उस के बाद फिर उस से कभी मुलाकात नहीं हुई. लौटने पर पता चला कि प्रभव के साथ पहले तो अभिनव व ऋतु और फिर मांबाप भी अमेरिका चले गए हैं.

शेखर ने सोचा कि प्रभव की भावी गर्भवती बहू को यहां बुला कर शादी करवाने के बजाय सब ने वहीं जा कर शादी करवाना बेहतर समझा होगा.

‘‘घर आ गया शेखर,’’ लतिका की आवाज पर उस का ध्यान टूटा. गाड़ी से उतरते ही राशि आ कर उस से लिपट गई.

‘‘पापा, आप के लिए टब में क्लोन डाल कर गरम पानी भर दिया है ताकि जल्दी से आप की थकान उतर जाए,’’ राशि ने कहा.

‘‘पापा की थकान तो आप को देखते ही उतर जाती है,’’ शेखर हंसा.

तभी बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई.

‘‘लगता है प्रणव आ गया,’’ कह कर राशि बाहर भागी. शेखर भी उस के पीछेपीछे गया.

GHKKPM: सई की जिंदगी में होगी नए प्यार की एंट्री! विराट को लगेगा शॉक

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी लीप के बाद से दर्शकों को अट्रैक्ट कर रही है. जहां सीरियल में पाखी का बिहेवियर बदलने से फैंस हैरान हैं तो वहीं विराट की सई के लिए नफरत देखकर फैंस गुस्से में हैं और शो में सई के लिए नए शख्स को लाने की बात कर रहे हैं. वहीं अब खबरे हैं कि मेकर्स जल्द शो में नए लीड की एट्री करवाने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सई के साथ रोमांस करेगा ये एक्टर

 

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खबरों की मानें तो सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में ‘इश्क में मर जावां 2’ के लीड एक्टर राहुल सुधीर (Rrahul Sudhir) की एंट्री होती हुई दिखने वाली है. राहुल सुधीर इससे पहले सीरियल  में नजर आ चुके हैं. कहा जा रहा है कि  सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में राहुल सुधीर लीड रोल निभाते हुए दिखने वाले हैं, जिसके चलते वह सई के लव इंट्रेस्ट के तौर पर नजर आएंगे.

विराट की बढ़ी जलन

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Upcoming Episode) के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो सई के पास जगताप को देखकर विराट का गुस्सा और जलन सातवें आसमान पर पहुंच गई है और वह पाखी के साथ रोमांस करके सई को परेशान करता दिख रहा है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में अगर सई की जिंदगी में नए शख्स की एंट्री होती है तो विराट और पाखी की जिंदगी में कई बदलाव नजर आएंगे.

बता दें, विराट और पाखी के किरदार में एक्टर नील भट्ट और उनकी वाइफ एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा को कई बार ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा है. वहीं हाल ही में एक्टर नील भट्ट की एक्टिंग पर भी फैंस ने सवाल उठाए थे और जगताप के रोल में नजर आने वाले एक्टर सिद्धार्थ बोडके को सई के लिए परफेक्ट बताया था.

विद्रोह- भाग 3: क्या राकेश को हुआ गलती का एहसास

राकेश ने दोनों बच्चों को कपड़ों व अन्य जरूरी सामान की ढेर सारी खरीदारी खुशीखुशी करा कर उन का मन और ज्यादा जीत लिया.

बच्चों को उन के वापस होस्टल लौटने में जब 4 दिन रह गए तब सीमा ने राकेश से कहा, ‘‘मेरी सप्ताह भर की छुट्टियां अब खत्म हो जाएंगी. बाकी 4 दिन बच्चे नानानानी के पास रहें, तो बेहतर होगा.’’

‘‘बच्चे वहां जाएंगे, तो मैं उन से कम मिल पाऊंगा,’’ राकेश का स्वर एकाएक उदास हो गया.

‘‘बच्चों को कभी मुझ से और कभी तुम से दूर रहने की आदत पड़ ही जानी चाहिए,’’ सीमा ने भावहीन लहजे में जवाब दिया.

राकेश कुछ प्रतिक्रिया जाहिर करना चाहता था, पर अंतत: धीमी आवाज में उस ने इतना भर कहा, ‘‘तुम अपने घर बच्चों के साथ चली जाओ. उन का सामान भी ले जाना. वे वहीं से वापस चले जाएंगे.’’

नानानानी के घर मयंक और शिखा की खूब खातिर हुई. वे दोनों वहां बहुत खुश थे, पर अपने पापा को वे काफी याद करते रहे. राकेश उन के बहुत जोर देने पर भी रात को साथ में नहीं रुके, यह बात दोनों को अच्छी नहीं लगी थी.

अपने मातापिता के पूछने पर सीमा ने एक बार फिर राकेश से हमेशा के लिए अलग रहने का अपना फैसला दोहरा दिया.

‘‘राकेश ने अगर अपने बारे में तुम्हें सब बताने की मूर्खता नहीं की होती, तब भी तो तुम उस के साथ रह रही होंती. तुम्हें संबंध तोड़ने के बजाय उसे उस औरत से दूर करने का प्रयास करना चाहिए,’’ सीमा की मां ने उसे समझाना चाहा.

‘‘मां, मैं ने राकेश की कई गलतियों, कमियों व दुर्व्यवहार से हमेशा समझौता किया, पर वह सब मैं पत्नी के कर्तव्यों के अंतर्गत करती थी. उन की जिंदगी में दूसरी औरत आ जाने के बाद मुझ पर अच्छी बीवी के कर्तव्यों को निभाते रहने के लिए दबाव न डालें. मुझे राकेश के साथ नहीं रहना है,’’ सीमा ने कठोर लहजे में अपना फैसला सुना दिया था.

अगले दिन बच्चे अपने पापा का इंतजार करते रहे पर वह उन से मिलने नहीं आए. इस कारण वे दोनों बहुत परेशान और उदास से सोए थे. सीमा को राकेश की ऐसी बेरुखी व लापरवाही पर बहुत गुस्सा आया था.

उस ने अगले दिन आफिस से राकेश को फोन किया और क्रोधित स्वर में शिकायत की, ‘‘बच्चों को यों परेशान करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है. कल उन से मिलने क्यों नहीं आए?’’

‘‘एक जरूरी काम में व्यस्त था,’’ राकेश का गंभीर स्वर सीमा के कानों में पहुंचा.

‘‘मैं सब समझती हूं तुम्हारे जरूरी काम को. अपनी रखैलों से मिलने की खातिर अपने बच्चों का दिल दुखाना ठीक नहीं है. आज तो आओगे न?’’

‘‘अपनी रखैल से मिलने सचमुच आज मुझे नहीं जाना है, इसलिए बंदा तुम सब से मिलने जरूर हाजिर होगा,’’ राकेश की हंसी सीमा को बहुत बुरी लगी, तो उस ने जलभुन कर फोन काट दिया.

राकेश शाम को सब से मशहूर दुकान की रसमलाई ले कर आया. यह सीमा की सब से ज्यादा पसंदीदा मिठाई थी. वह नाराजगी की परवा न कर उस के साथ हंसीमजाक व छेड़छाड़ करने लगा. बच्चों की उपस्थिति के कारण वह उसे डांटडपट नहीं सकी.

राकेश दोनों बच्चों को बाजार घुमा कर लाया. फिर सब ने एकसाथ खाना खाया. सीमा को छोड़ कर सभी का मूड बहुत अच्छा बना रहा.

बच्चों को सोने के लिए भेजने के बाद वह राकेश से उलझने को तैयार थी पर उस ने पहले से हाथ जोड़ कर उस से मुसकराते हुए कहा, ‘‘अपने अंदर के ज्वालामुखी को कुछ देर और शांत रख कर जरा मेरी बात सुन लो, डियर.’’

‘‘डोंट काल मी डियर,’’ सीमा चिढ़ उठी.

‘‘यहां बैठो, प्लीज,’’ राकेश ने बडे़ अधिकार से सीमा को अपनी बगल में बिठा लिया तो वह ऐसी हैरान हुई कि गुस्सा करना ही भूल गई.

‘‘मैं ने कल पुरानी नौकरी छोड़ कर आज से नई नौकरी शुरू कर दी है. कल शाम मैं ने अपनी ‘रखैल’ से पूरी तरह से संबंध तोड़ लिया है और अपने अतीत के गलत व्यवहार के लिए मैं तुम से माफी मांगता हूं,’’ राकेश का स्वर भावुक था, उस ने एक बार फिर सीमा के सामने हाथ जोड़ दिए.

‘‘मुझे तुम्हारे ऊपर अब कभी विश्वास नहीं होगा. इसलिए इस विषय पर बातें कर के न खुद परेशान हो न मुझे तंग करो,’’ न चाहते हुए भी सीमा का गला भर आया.

‘‘अपने दिल की बात मुझे कह लेने दो, सीमा, सब तुम्हारी प्रशंसा करते हैं, पर मैं ने सदा तुम में कमियां ढूंढ़ कर तुम्हें गिराने व नीचा दिखाने की कोशिश की, क्योंकि शुरू से ही मैं हीनभावना का शिकार बन गया था. तुम हर काम में कुशल थीं और मुझ से ज्यादा कमाती भी थीं.

‘‘मैं सचमुच एक घमंडी, बददिमाग और स्वार्थी इनसान था जो तुम्हें डरा कर अपने को बेहतर दिखाने की कोशिश करता रहा.

‘‘फिर तुम ने मेरी चरित्रहीनता के कारण मुझ से दूर होने का फैसला किया. पहले मैं ने तुम्हारी धमकी को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि तुम कभी मेरे खिलाफ विद्रोह करोगी, ऐसा मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था.

‘‘पिछले दिनों मैं ने तुम्हारी आंखों में अपने लिए जो नाराजगी व नफरत देखी, उस ने मुझे जबरदस्त सदमा पहुंचाया. सीमा, मेरी घरगृहस्थी उजड़ने की कगार पर पहुंच चुकी है, इस सचाई को सामने देख कर मेरे पांव तले की जमीन खिसक गई.

‘‘मुझे तब एहसास हुआ कि मैं न अच्छा पति रहा हूं, न पिता. पर अब मैं बदल गया हूं. गलत राह पर मैं अब कभी नहीं चलूंगा, यह वादा दिल से कर रहा हूं. मुझे अकेला मत छोड़ो. एक अच्छा पति, पिता व इनसान बनने में मेरी मदद करो.

‘‘तुम मां होने के साथसाथ मुझ से कहीं ज्यादा समझदार व सुघड़ स्त्री हो. औरतें घर की रीढ़ होती हैं. मेरे पास लौट कर हमारी घरगृहस्थी को उजड़ने से बचा लो, प्लीज,’’ यों प्रार्थना करते हुए राकेश का गला भर आया.

‘‘मैं सोच कर जवाब दूंगी,’’ राकेश के आंसू न देखने व अपने आंसू उस की नजरों से छिपाने की खातिर सीमा ड्राइंगरूम से उठ कर बच्चों के पास चली गई.

अपने बच्चों के मायूस, सोते चेहरों को देख कर वह रो पड़ी. उस के आंसू खूब बहे और इन आंसुओं के साथ ही उस के दिल में राकेश के प्रति नाराजगी, शिकायत व गुस्से के सारे भाव बह गए.

कुछ देर बाद राकेश उस से कमरे में विदा लेने आया.

‘‘आप रात को यहीं रुक जाओ कल बच्चों को जाना है,’’ सीमा ने धीमे, कोमल स्वर में उसे निमंत्रण दिया.

राकेश ने सीमा की आंखों में झांका, उन में अपने लिए प्रेम के भाव पढ़ कर उस का चेहरा खिल उठा. उस ने बांहें फैलाईं तो लजाती सीमा उस की छाती से लग गई.

फैस्टिव सीजन में ट्राय करें ये 17 झटपट किचन टिप्स

फैस्टिवल सीजन में किचन का काम अचानक बढ़ जाता है. घर में अचानक मेहमान आ जाएं और झटपट खाना तैयार करना हो, तो निम्न टिप्स अपना कर मेहमानों की तारीफ सुने बिना नहीं रह पाएंगी:

1. अंडे झटपट उबालने हों तो कुकर में 1 कप पानी 1 चुटकी नमक के साथ अंडे चढ़ा दें.

2. 1-2 सीटियां आने पर उतार कर 2-3 मिनट यों ही रहने दें. फिर ढक्कन खोलें. छिलके भी बड़ी आसानी से उतर जाएंगे.

3. आलुओं को अच्छी तरह धो लें. फिर चाकू से छिलके सहित पतलेपतले स्लाइस काट लें. फिर उन्हें चुटकी भर सोडा डाल कर चटपटे बेसन के घोल में 1-1 कर के चम्मच से डिप करें और गरम तेल में डीप फ्राई कर लें. कम समय में बेहद कुरकुरे पकौड़े तैयार हैं.

4. छोले बनाने हैं तो उन में थोड़ी अजवाइन और थोड़ी चना दाल डालना न भूलें. अजवाइन पेट नहीं दुखने देगी और चना दाल गाढ़ी ग्रेवी के लिए बढि़या रहेगी.

5. चीजें कई बनानी हों और राजमा भीगे हुए हों, तो आप सारे मसाले, टमाटर, तेल, नमक, पानी के साथ राजमा कुकर में चढ़ा दें. अब आराम से दूसरी चीजें बनाएं. आधे घंटे बाद खोल कर देखें. कुछ कसर हो तो थोड़ा पानी डाल कर 10 मिनट के लिए फिर चढ़ा दें. यह आइटम तो तैयार ही समझो. बस धनियापत्ती बुरकना ही बाकी है.

6. 1 कटोरी चावल में 1 कटोरी पानी और सिर्फ 2 सीटियां. बस चावल तैयार. कुकर को प्रैशर निकलने के बाद खोलें.

7. ग्रेवी गाढ़ी करने के लिए, उबले मसले आलू, थोड़ा भुना बेसन, काजू अथवा अंडे का पीला भाग झटपट काम करता है.

8. 4 बड़े उबले आलुओं में 2 ब्रैडस्लाइस, चौथाई कप कटा हुआ बारीक अदरक, हरीमिर्च, धनियापत्ती व प्याज और चौथाई कप दूध मिला कर लंबे कटलेट्स का आकार दे कर सुबह ही फ्रिज में रख दें. मेहमानों के आने पर फटाफट फ्राई कर उन्हें चाय के साथ पेश कर चौंका दें.

9. परांठे की स्टफिंग गीली हो तो थोड़ा आटा उस में मिला लें. आटा गूंधने के लिए 1 कटोरी आटा 1/2 कटोरी पानी से थोड़ा अधिक का अनुपात रखें.

10. दलिया, सूजी पहले से ही भून कर रखें ताकि कभी भी तुरंत बनाए जा सकें. डिशआउट करने से पहले व्यंजन चख अवश्य लें ताकि कोई कमी हो तो दूर की जा सके.

11. गुलाबजामुन या रसगुल्ले का शीरा पड़ा हो तो हलवे, खीर या सेंवई में इस्तेमाल कर लें. काम भी जल्दी हो जाएगा और बढि़या भी.

12. गाजरें पड़ी हों और अचानक मेहमान आ धमकें तो उन्हें फटाफट धो कर बड़ेबड़े टुकड़े काट कर चौथाई कप तेल और चौथाई कप पानी डाल कर कुकर में चढ़ा दें. मीडियम आंच पर 2-3 सीटियां आने दें. प्रैशर निकलने पर मैशर से दबा लें. मावा, देशी घी डाल कर 5 मिनट भून लें. आंच बंद कर चीनी/शीरा, कटे मेवे, इलायची मिलाएं. काजू या बादाम के टुकड़ों से सजा कर सर्व करें.

13. साग छांट कर हमेशा गहरे बरतन में धोएं ताकि मिट्टी नीचे बैठ जाए और पत्ते भी इधर उधर गिरे नहीं. पत्तों को नल के नीचे धो कर अलग हटाती जाएं.

14. टीवी देखते समय धुली सब्जियां छील, काट लें. साग चुनने का बोरिंग काम भी उस समय कर डालें. लहसुन, प्याज, अदरक भी छील व काट कर रख लें. नमक ज्यादा पड़ गया हो तो आटे की छोटी गोली उबलती ग्रेवी में डाल दें. थोड़ा अमचूर और चीनी भी नमक की तेजी को कम करती है.

15. 2 चुटकी अमचूर, 4 चुटकी चीनी, 1 चम्मच गरम किया देशी घी, सब्जी को और टेस्टी बना देगा. पर ध्यान रखें हार्ट पेशैंट घर में हों तो देशी घी न डालें.

16. सेबों का फ्रैश जूस निकालना हो और आप जूसर की सफाई के झंझट से बचना चाहती हैं, तो सेबों को रात भर फ्रीजर में रहने दें. सुबह धूप में रख दें. सेब का रस आराम से निकल जाएगा.

17. मसाला भूनते समय छोटा चम्मच दही भी सब्जियों का स्वाद बढ़ा देता है. गरम तेल में तड़का डाल कर आंच बंद कर दें. थोड़ा ठंडा होने पर सब्जी डालें. इस से खुशबू उड़ेगी नहीं बनी रहेगी. जलने का खतरा भी नहीं होगा, साथ ही छींटों की गंदगी भी नहीं होगी.

गरबा 2022: ब्यूटी पौइंट्स को करें हाईलाइट और पाएं गौर्जियस लुक

अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए हाईलाइट करें अपने चेहरे के उन फीचर्स को जिन की तारीफ लोग ज्यादा करते हैं. इस के लिए फौलो करें इन सिंपल टिप्स को:

आईज हाईलाइटिंग: चेहरे के मेकअप के साथसाथ आंखों का मेकअप भी बहुत जरूरी है. अगर आप अपनी आंखों को सही तरह से हाईलाइट कर लेती हैं, तो आधा मेकअप वैसे ही पूरा हो जाता है. आईशैडो आंखों को हाईलाइट करने और उन्हें सुंदर बनाने में बड़ी भूमिका निभाती है.

आंखों को हाईलाइट करने के लिए सही ब्रश का चुनाव भी आवश्यक है. आंखों के कोनों को बारीक करने के लिए पतले तथा नुकीले ब्रश की जरूरत होती है. आंखों की क्रीज के लिए भी सौम्य तथा कठोर डोम ब्रश की आवश्यकता होती है. अगर आप पलकों के काफी पास आईशैडो लगा रही हैं, तो इस के लिए एक नर्म पैंसिल ब्रश का प्रयोग करें.

आईशैडो तो ज्यादातर महिलाएं प्रयोग करती हैं, पर इसे लगाने का तरीका हर किसी को पता नहीं होता. ब्रश स्ट्रोक्स सही होने चाहिए ताकि आईशैडो नैचुरल लगे. अगर आप गलत या उल्टे ब्रशस्ट्रोक्स लगाती हैं तो पूरा मेकअप बिगड़ सकता है. आईशैडो को इस तरह लगाएं कि आंखों की लाइनिंग तथा पलकें एक ही रेखा में रहें.

आप को इस के विभिन्न शेड्स के बारे में पता होना चाहिए. सब से पहले सब से हलका रंग प्रयोग में लाएं. उस के बाद बीच का रंग लगाएं, जोकि आप के द्वारा प्रयोग किए गए हलके रंग से 1 शेड गाढ़ा होना चाहिए. फिर एक समतल ब्रश का प्रयोग कर इन्हें पूरी आंखों पर फैलाएं. आंखों की क्रीज पर ज्यादा न जाएं.

कई महिलाओं की आईब्रोज हलकी होती हैं. ऐसे में उन्हें आईब्रोज को डार्क करना पसंद होता है. अगर आप अपनी उम्र से कम दिखना पसंद करती हैं तो आईब्रोज को हाईलाइट न करें. इस से आप को माथे का हिस्सा एकदम उभरा हुआ और बनावटी नहीं लगेगा. नैचुरल लुक में रहें.

चीक्स हाईलाइटिंग: चीक्स हाईलाइटिंग में लाइट कलर के मेकअप प्रोडक्ट्स फेस को स्लीक लुक देने में मदद करते हैं. चीकबोंस हाईलाइटिंग का बैस्ट तरीका चेहरे के उस हिस्से को हाईलाइट करना है, जो मुंह के कोने से शुरू हो कर इयर्स के ऊपर तक जाता है. परफैक्ट हाईलाइटिंग के लिए अच्छे ब्रश की मदद से शेड को मुंह के पास हलका छोड़ते हुए इयर्स के पास डार्क किया जाना चाहिए. चीकबोंस हाईलाइटिंग का बैस्ट इंपैक्ट तब आता है जब आप फिश फेस बनाते हुए गालों को अंदर कर लेते हैं.

चीक्स हाईलाइटिंग में चेहरे को लालिमा देने वाला ब्लश आप के चेहरे को तुरंत फ्रैश लुक दे सकता है, बशर्ते आप को इस के प्रयोग करने का सही प्रोसीजर पता हो. यहां आप को चूजी होना पड़ेगा, क्योंकि हर स्किन टाइप पर हर तरह का ब्लश सूट नहीं करता. ड्राई स्किन के लिए क्रीम ब्लश अच्छा होता है तो औयली स्किन के लिए पाउडर ब्लश, ब्लश के लिए राउंडेड क्लीन ब्रश का ही प्रयोग करें और हाईलाइटिंग को अपने चेहरे का नैचुरल पार्ट बनाने के लिए इसे ब्लैंड करना न भूलें.

माथे और नोज की हाईलाइटिंग: माथे की हाईलाइटिंग के लिए माथे के बीच में नोज के एज के ऊपर का हिस्सा हाईलाइट किया जाता है. एक अन्य उलटे ट्राइऐंगल की तरह दिखने वाली रचना कर के अपनी भौंहों के बीच के हिस्से को हाईलाइट करें. ऐसा करते हुए ध्यान रखें कि इसे ऊपर की ओर अपनी हेयरलाइन से मिलाएं.

फिर नोज हाईलाइटिंग के लिए माथे से अपनी नाक के मध्य भाग तक एक पतली और लंबी नीचे तक जाती हुई लाइन बनाने के लिए पतले ब्रश का प्रयोग करें. इस लाइन को बहुत मोटा न बनाएं वरना आप की नाक बहुत चौड़ी दिखेगी.

लिप्स हाईलाइटिंग: अगर होंठ फ्लैट हों तो उन्हें लिप मेकअप से हाईलाइट करना चाहिए. इस के लिए लिपस्टिक से एक टोन डार्क शेड के लाइनर से आउटलाइन बनाएं और उस में लिपस्टिक लगाएं. अब लिप को हाईलाइटर से फिनिश करें. फ्लैट होंठों के लिए आउट लाइन बनाएं पर इस बात का ध्यान रखें कि यह लिपस्टिक से पूरी तरह फिल हो जाएं वरना आप का लुक बिगड़ सकता है.

चिन हाईलाइटिंग: थोड़ा सा हाईलाइटिंग पाउडर ठोड़ी पर भी डस्ट करें. इस के लिए एक बड़े फ्लप्पी ब्रश का प्रयोग करें. यह होंठों पर बड़ा आकर्षक लगेगा और आप का चेहरा अधिक लंबा दिखाई देगा. अगर आप की ठोड़ी पहले से ही बहुत नुकली है, तो आप इस स्टैप को छोड़ सकती हैं या फिर बहुत पतली लाइन बना सकती हैं.

– भारती तनेजा, फाउंडर डाइरैक्टर, एल्प्स कौस्मैटिक क्लिनिक

कैसे प्रभावित करती हैं बच्चों की ओरल हेल्थ को खाने की आदतें और न्यूट्रिशन

सामान्य स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिए ओरल हेल्थ (मुँह का या मौखिक स्वास्थ्य) महत्वपूर्ण है. बीते वर्षों में यह साबित हो चुका है कि मौखिक स्वास्थ्य और सामान्य स्वास्थ्य परस्पर सम्बंधित होते हैं. मुँह की अनेक गड़बड़ियां और असंचारी दीर्घकालिक रोग काफी हद तक एक-दूसरे से जुड़े हैं. इसके अलावा, पोषण और मौखिक स्वास्थ्य के बीच सकारात्मक सह-सम्बन्ध है. खाने की कार्यात्मक क्षमता पर मौखिक लक्षणों और भोजन तथा पोषण सम्बन्धी परिस्थितियों के साथ मुँह के संक्रामक रोगों, और तीव्र, दीर्घकालिक, और असाध्य शारीरिक खराबी का प्रभाव पड़ता है.

डॉ. अमित गुप्ता, सीनियर कंसल्‍टेंट पीडियाट्रीशियन एवं नियोनैटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा का कहना है कि आहार और पोषण मुख गुहिका की वृद्धि के साथ-साथ मुख गुहिका के रोगों की प्रगति को प्रभावित कर सकते हैं. ये तत्व ऑरो-फेशियल (मुँह और चेहरा) रोगों और विकारों के एटियलजि और रोगजनन में महत्वपूर्ण बहुक्रियात्मक पर्यावरणीय कारक भी हैं.

बच्चों में मुँह के खराब स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक-

आपके बच्चे के लिए कौन से खाद्य पदार्थ स्वास्थ्यप्रद हैं, यह जानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं. किराना दुकान पर स्मार्ट पैकेजिंग की वजह से आपकी पसंद भी मुश्किल हो सकती है. एक बार जब आप जान जाते हैं कि क्या देखना है, तो किराने की गलियों में घूमते समय कुछ आहार अपराधियों की पहचान करना आसान हो जाता है. भोजन और पोषण के अलावा कई अन्य कारक हैं जो आपके बच्चे के मुँह के स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्रभावित करते हैं.

पोषण और मुँह का स्वास्थ्य-

किशोरों में खाने से सम्बंधित खराब आदतें आम हैं, जिससे दांतों में सड़न हो सकती है. वे अक्सर फास्ट फूड, मिठाई और मीठे पेय पदार्थ ग्रहण करते हैं. भोजन के बाद या अधिक चीनी युक्त पदार्थ/स्नैक्स के बाद, बैक्टीरिया एसिड का उत्सर्जन होता हैं जो दांतों के इनेमल को नष्ट कर देते हैं. इनेमल के खराब होने पर कैविटी बन सकती है. कैविटी के कारण दर्द, चबाने में कठिनाई और दांतों में फोड़ा हो सकता है. कैंडी दांतों से चिपक जाती है और आपके किशोर के मुँह के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से हानिकारक होती है क्योंकि वे दाँतों के कोनों और दो दाँतों के बीच दरारों में फंस जाती हैं.

खाने में गड़बड़ी  (भोजन विकार)-

लड़कों की तुलना में किशोर लड़कियों में खाने को लेकर समस्या होने की संभावना अधिक होती है, जो लड़कों में भी बढ़ रही है. तीन सबसे प्रचलित हैं जल्दी-जल्दी बहुत ज्यादा खाना, बहुत ज्यादा भूख महसूस करना और वजन बढ़ने के मानसिक डर के कारण भोजन में कमी करना. भोजन विकार के कारण आपके बच्चे की दंतपंक्ति में विसंगति, मुँह में सूखापन, दाँतों का क्षरण, गले में लाली और तालू छिल जाने से नुकसान हो सकता है .

चीजों को चबाना-

कुछ किशोर अपने नाखूनों को काटते हैं या पेन और पेंसिल जैसी वस्तुओं को चबाते हैं. इन चीजों के परिणामस्वरूप मसूड़े खराब हो सकते हैं या दांत टूट सकते हैं. इसके अतिरिक्त, उन पर कीटाणु होते हैं जो मुंह में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. शक्कर रहित गम देकर, जो दांतों की सड़न को रोकने में मदद कर सकता है, आप अपने बच्चे को इन बुरे व्यवहारों से लड़ने में मदद कर सकते हैं.

दांतों की सफाई के गलत तरीके-

अनेक युवा यह याद नहीं रखते कि नियमित रूप से फ्लॉस करना और दिन में कम से कम दो बार अपने दाँत साफ करना ज़रूरी है. मुँह में स्वच्छता और आरोग्य का ठीक से पालन नहीं करने से मसूढ़े के रोग और दांत पर तथा दाँतों के बीच कैविटी बनने का खतरा बढ़ जाता है.

आपको क्या करने की आवश्यकता है ?

यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे का दंत स्वास्थ्य सबसे अच्छा है, अपने बच्चे को मुँह की आरोग्यकारी स्वच्छता की आदतों का पालन करने, जैसे कि दिन में दो बार ब्रश करने और अच्छी तरह से फ़्लॉस करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. उन्हें विशेष रूप से मीठा खाने के बाद अपने दाँत ब्रश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, अपने किशोरों के दाँतों को साल में दो बार जाँच और सफाई के लिए समय निर्धारित करना महत्वपूर्ण है.

छोटे बच्चों के माता-पिता हैं तो अपने बच्चे के आहार से कुछ वस्तुओं को हमेशा के लिए नकार देना व्यावहारिक नहीं है, लेकिन उनमें से वे कितना खाते हैं इसे आप सीमित कर सकते हैं. आपने वह अच्छी कहावत जरूर सुनी होगी कि “संतुलन में सब कुछ ठीक रहता है”. अक्सर मीठा खाने के बजाय, छुट्टियों या जन्मदिन जैसे विशेष आयोजनों पर ही मीठा खाने के लिए समझाएँ. भोजन  के प्रति सचेत दृष्टिकोण से दाँतों को अच्छी तरह स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी.

सीमित प्रयोग वाले खाद्य पदार्थ

निम्नलिखित खाद्य पदार्थों पर सतर्कता के साथ नज़र रखें :-

शर्करायुक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि आइसक्रीम, फलों के रस, सोडा, कैंडीज, केक, और फलों के जेल

अम्लीय और खट्टे फल, जैसे कि संतरा, अंगूर, लाइम और लेमन

स्टार्चयुक्त भोजन, जैसे कि पास्ता, ब्रेड, चिप्स और स्पगेटी.

चिपचिपे और चबाने वाले खाद्य पदार्थ, जैसे कि च्यूईंग गम, टॉफ़ी और कैरामेल

स्वास्थ्यकर भोजन और नाश्ता चुनने की प्रक्रिया

मन में सवाल उठ सकता है, “अच्छा, मेरे बच्चे को क्या खाना चाहिए?” निम्नलिखित खाद्य पदार्थ एक संतुलित आहार का हिस्सा होने चाहिए;

शामिल करने योग्य खाद्य पदार्थ-

साबुत अनाज

सब्जियाँ और फल युक्त आहार

दुग्ध उत्पाद

स्वास्थ्यकर प्रोटीन

बच्चों को मीठा भोजन और स्नैक्स आकर्षित करते हैं, लेकिन उनका बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से ओरल हेल्थ और सामान्य स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. आपका बच्चा क्या खाता है, इसका पूरी सावधानी के साथ चयन करने, उसे अच्छी तरह से ब्रश करवाने और फ्लॉस करने के लिए प्रोत्साहित करने और प्रत्येक छह महीने पर नियमित रूप से दाँतों की सफाई कराने से आपके बच्चे के मुँह को स्वस्थ स्थिति में रखने में मदद मिल सकती है.

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