प्रीति दीक्षित भोपाल का बहुत जानामाना नाम नहीं था, लेकिन एकदम अनजाना भी नहीं. 36 वर्षीय इस आकर्षक और महत्त्वाकांक्षी महिला की मित्रता शहर के आभिजात्य वर्ग से थी. खुशमिजाज स्वभाव की प्रीति लायंस क्लब की सक्रिय सदस्य और समाजसेवी थी. वह छोटेबड़े का भेदभाव नहीं करती थी. हमेशा सभी से अपनेपन से मिलती थी.
कम ही लोग जानते थे कि प्रीति की जिंदगी में भी एक दुख है जिसे वह हर किसी के सामने प्रकट नहीं करती थी. यह दुख था अपने पति सिवनी निवासी पुनीत दीक्षित से करीब 7 साल पहले अलग हो जाने का. 2 बच्चों के जन्म के बाद जब पुनीत से उस की अनबन रहने लगी तो वह ससुराल छोड़ भोपाल आ कर बस गई. लेकिन मायके वालों पर बोझ नहीं बनी. प्रीति के पिता माधो प्रसाद दुबे पुलिस विभाग से हवलदार के पद से रिटायर हुए थे.
भोपाल आ कर प्रीति ने खुद को जमाया और देखते ही देखते अपनी पहचान भी बना ली. लायंस क्लब में तो सक्रिय रही ही पर अपना एक एनजीओ भी उस ने शुरू कर दिया. मेहनती होने के कारण वह चल निकला तो जल्द ही विश्वकर्मा नगर में खुद का शानदार मकान भी बनवा लिया. इस दौरान वह अपने दोनों बच्चों 16 वर्षीय मुसकान और 10 वर्षीय विनायक की परवरिश भी बेहतर ढंग से करती रही.
भारी चूक
पति से अलग होने के बाद 7 सालों में प्रीति खुद को साबित और स्थापित कर चुकी थी. ऊंची सोसाइटी में उस का उठनाबैठना था. उस की हर मुमकिन कोशिश लायंस क्लब के कार्यों और समाजसेवा में खुद को व्यस्त रखने की रहती थी ताकि अतीत वर्तमान पर हावी न हो. मगर एक जगह प्रीति भारी चूक कर गई, जो आखिरकार जानलेवा साबित हुई. यह भूल अपने से बेहद छोटी हैसियत व कम उम्र के नौजवान को मुंह लगाने की थी. आमिर सैटरिंग का काम करता था.
प्रीति ने जब 2 साल पहले मकान बनवाया था तब सैटरिंग का काम आमिर ने ही किया था. इसी दौरान वह प्रीति के काफी नजदीक आ गया था. मकान के ऊपरी हिस्से में प्रीति बच्चों के साथ रहती थी और नीचे के हिस्से में उस ने 2 किराएदार रखे थे, जो बीती 12 जुलाई को अपनेअपने काम से शहर से बाहर गए हुए थे.
उस दिन दोपहर प्रीति की हत्या हुई तो सारा शहर चौंक पड़ा. वजह भोपाल महिलाओं के लिहाज से अब सुरक्षित नहीं रह गया है, यह बात हादसों और आंकड़ों दोनों से आए दिन उजागर होती रहती है.
उस दिन बच्चों को तैयार कर स्कूल भेज कर प्रीति 11 बजे के लगभग अपनी मोपेड से लायंस क्लब की मीटिंग में गई और 1 घंटे में लौट भी आई. मुसकान और विनायक 2 बजे स्कूल से वापस आए तो रोजाना की तरह मां को दरवाजे पर इंतजार न करता देख कर चौंके. ‘शायद कोई आ गया होगा’ यह सोच मुसकान सीढि़यां चढ़ कर ऊपर पहुंची तो घर का दरवाजा खुला था. दोनों बच्चे घर में दाखिल हुए पर मां को कहीं न पा कर हैरान हो उठे.
अति विश्वास ने ली जान
आवाज लगाती मुसकान बाथरूम तक पहुंची तो उस के होश उड़ गए. वहां मां की लाश पड़ी थी. प्रीति की लाश उसी की साड़ी से बंधी हुई थी और मुंह में कपड़ा ठुंसा था. चिल्लाती हुई मुसकान अपने भाई को घसीट कर बाहर लाई और तुरंत अपने मामा अखिलेश दुबे को फोन कर हादसे की जानकारी दी. थोड़ी देर बाद निशातपुरा पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी.
घर का सारा सामान अस्तव्यस्त पड़ा था और अलमारियां खुली हुई थीं. इस से अंदाजा यही लगाया गया कि हत्यारे लूट के इरादे से आए थे और विरोध करने पर प्रीति की हत्या कर दी. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज जब पुलिस ने उस की कालडिटेल्स निकलवाईं तो यह जानकर हैरानी हुई कि हत्या के पहले उस की बातचीत करोंद निवासी आमिर नाम के युवक से हुई थी. जांच में आमिर के बारे में पता चला.
आमिर को हिरासत में ले कर पुलिस ने जब अपने अंदाज में पूछताछ की तो जल्द ही उस ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया और अपने साथियों गुफरान, इमरान और सलीम का भी वारदात में शामिल होना कुबूल कर लिया.
कत्ल के दिन आमिर अपने साथियों को ले कर प्रीति के घर पहुंचा था और 1 लाख मांगे थे. उस का अंदाजा था कि रईस प्रीति न नहीं करेगी. लेकिन प्रीति ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो इन चारों ने उस की हत्या कर दी और अलमारी में रखे जेवर और नक्दी ले कर भाग गए. इन्हें मालूम नहीं था कि जेवर नकली हैं. हत्या के बाद भागते वक्त आमिर प्रीति का मोबाइल भी साथ ले गया.
कोई इतना न जाने आप को
आमिर मोबाइल इसलिए ले गया था क्योंकि वह जानता था कि मैडम जब भी किसी से बात करती हैं, तो बातचीत रिकौर्ड करती हैं. अत: उसे डर था कि मोबाइल बरामद हुआ तो पुलिस बातचीत के आधार पर पकड़ लेगी. वह यह भी जानता था कि प्रीति मैडम पति से अलग रहती हैं और उन का बड़े लोगों के साथ में उठनाबैठना है. यानी कम पढ़ालिखा, लेकिन अपराधी प्रवृत्ति का आमिर काफी कुछ प्रीति के बारे में जानता था.
आमिर ने ये सारी बातें तजरबे के आधार पर नहीं समझी थीं. कुछ प्रीति ने भी बताई थीं, बिना यह सोचेसमझे कि इस से कुछ गलत भी हो सकता है.
अपनी भावनाओं को हर किसी से साझा करना घाटे का सौदा ही साबित होता है. कई दफा महिलाएं थोड़े से फायदे के लिए भी ऐसे लोफरों को मुंह लगा लेती हैं और बाद में पछताती हैं.
बेहतर यह है कि अकेली रह रही महिलाएं हर तरह के पुरुषों से दूर रहें. उन से अंतरंग बातें, दुखतकलीफें कतई साझा न करें. याद रखें, कोई असामान्य रिश्ता आप का अकेलापन और दुख दूर नहीं कर सकता उलटे और बढ़ा सकता है. कोई अच्छा, बराबर की हैसियत वाला दोस्त मिल जाए तो बात अलग है.