सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि तलाक या अलगाव के बाद भी औरत का स्त्रीधन का पूरा अधिकार बना रहता है. जो उपहार औरत को पत्नी बनने से पहले या बाद में मिलते हैं वे स्त्रीधन कहलाते हैं और पति की आय व संपत्ति से अलग होते हैं चाहे वे पति या पति के घर वालों ने ही क्यों न दिए हों. यह निर्णय वैसे तो कानून में कोई नई बात नहीं जोड़ता पर पहले के कानून की पुष्टि जरूर करता है. तलाक या अलगाव अपनेआप में एक दर्दनाक प्रक्रिया है और जिन हालात में एक औरत इसे स्वीकारती है, उस की कल्पना पुरुष नहीं कर सकते. यह एक तरह से अनाथ हो जाने के बराबर है जब एक औरत का न मायका रह जाता है, जहां से वह विदा हो चुकी होती है न ससुराल रह जाती है, जहां से वह निकाली जा चुकी होती है. ऐसी स्थिति में उसे जो भी पैसा मिल जाए वह उसे कम से कम भटकने और भूखों मरने से तो बचाता है. हो सकता है तलाक औरत की गलती से हुआ हो पर दर्द तो रहता ही है. आप का हाथ भूकंप में कटे या गुस्से में आप उस पर छुरी चला दें, दर्द में फर्क नहीं होगा. तलाक के लिए जिम्मेदार कोई भी हो, यह प्रक्रिया एक दुखद हिस्सा है और उस में औरतों को जो मिल जाए वह अच्छा है, क्योंकि आज भी एक अकेले आदमी को समाज सहज स्वीकार कर लेता है पर एक औरत को पगपग पर मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
स्त्रीधन पर औरतों का हक सदा बना रहता है. पति दिवालिया हो जाए या पत्नी भी अपने व्यवसाय में नुकसान कर बैठे, लेनदार स्त्रीधन को नहीं छू सकते. इस दृष्टि से इस सुरक्षित धन को पति के साथ रहने वाली या अलग चली जाने वाली औरत को अपने सीने से चिपका कर रखना चाहिए, क्योंकि यह जीवन के लिए अति आवश्यक है और जब पिता या पति दोनों का सहारा न हो तो इसे संबल मानना चाहिए और इस में से खर्च कम से कम करना चाहिए. तलाकों के बढ़ते मामलों को देखते हुए जोड़ों को यह जरूर सोचना चाहिए कि तलाक के बाद क्या होगा? यदि दोनों में से एक ने भी किसी और को पसंद कर रखा है तो ही तलाक का रास्ता अपनाना चाहिए वरना मतभेदों पर अलग रह लो पर तलाक बिलकुल न लो. पति से झगड़ा है, तो अलग मकान ले लो, मायके चले जाओ पर तलाक जैसा सारे संबंधों को समाप्त करने वाला रास्ता न अपनाओ, क्योंकि इस से कानूनी स्तर भी बदलता है और आर्थिक समस्याएं भी आ खड़ी होती हैं. एक छत के नीचे दुश्मनों की तरह रहने में दिक्कत है तो भी अदालतों के काले बरामदों में न जाओ, क्योेंकि वहां के स्याह अंधेरे में जिंदगी गुमनाम सी हो जाती है.