मुंबई के शो वर्ल्ड में प्रेम और ब्रेकअप आम बात है पर अब यह खतरनाक भी बनता जा रहा है क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की तरह कोई भी ऐक्टर या ऐक्ट्रेस अगर सूसाइड कर ले तो उस के साथवालों पर पुलिस बड़ी मुस्तैदी से पीछे पड़ जाती है मानो देश व सोसायटी के साथ कोई साजिश का हिस्सा था यह सूसाइड. सुशांत सिंह राजपूत के मामले में धर्मभक्त टीवी चैनलों ने हफ्तों तक उस का गाना बजाबजा कर उसे राष्ट्रीय शोक साबित करने की कोशिश की. ऐसा ही अब टीवी सीरियलों में काम करने वाली तुनिशा शर्मा सूसाइड से हो सकता है जिस का अफेयर शीजान मोहम्मद खान और पार्थ जुत्शी के साथ चल रहा था. तूनिशा शर्मा ने कोई सूसाइड नोट नहीं छोड़ा. वसई में शूटिंग के दौरान ही वह एक बाथरूम में घुसी और वहां फांसी लगा कर जाने दे दी.

अब उस की मां इन दोनों ऐक्टरों को दोषी ठहरा रही है. और पुलिस को शो बिजनैस में दखल देने का एक अच्छा मौका मिला है जिसे वह पूरी तरह भुनाएगी. फिल्म और शो वर्ल्ड में कंपीटिशन बहुत ज्यादा होता है. ऐक्टर व ऐक्ट्रेस तुनकमिजाज भी होते हैं और अंदर से डरे भी रहते हैं कि कहीं शो या फिल्म पिट न जाए. वहीं, उन को खराब रोल न दे दिया जाए, कहीं उन का फ्रैंड किसी और के साथ गलबहियां न डालने लगे. यह दुनिया ऐसी ही है जिस में सफलता की गारंटी नहीं है. अच्छे से अच्छे को बुरे दिन देखने पड़ते है और ये बुरे दिन फाइनैंशियल स्ट्रैस भी डालते हैं और इमोशनल भी. जब भी बुरा वक्त होता है तब प्रेमी या प्रेमिका, जो रातभर बांहों में रहने को तैयार हो, अचानक फोन न उठाए तो बड़ी बात नहीं है. तुनिशा शर्मा इतनी बड़ी स्टार नहीं थी कि लोगों को उस के बारे में पहले से सबकुछ पता हो. पर अब सूसाइड करने के बाद खोदखोद कर पुरानी बातें निकाली जाएंगी और टीवी व प्रिंट मीडिया पर खूब मामला उछलेगा. असल में प्रेम में सूसाइड एक बहुत आम बात है क्योंकि प्रेमीप्रेमिका साथी को ले कर बहुत इमोशनल और पजैसिव हो जाते हैं. उन्हें एकदूसरे में न सुनने की आदत ही नहीं रहती है. इमोशनल मामलों में उन की डिपैंडेंसी बहुत ज्यादा होती है खासतौर पर जब साथी लोकप्रिय हो, जिस के साथ चलने पर लोग रश्क करते हों, जैलेसी से भर उठते हों. इन तीनों में से कौन ज्यादा पौपुलर है या था, इस बात को जाने दें. बात तो यह है कि तीनों स्मार्ट थे और जिन 2 की गहरी छन रही थी उन का मतभेद दूसरे या तीसरे को खाए, तो यह स्वाभाविक है. ऐसी आत्महत्याएं आम लोगों में भी होती रहती हैं. पर परिवार के सदस्य रोधो कर चुप हो जाते हैं क्योंकि किसी के ऊपर दोष लगाने में अपने प्रिय की ही मौत के बाद खिल्ली उड़ाना होता है. प्रेम करना अच्छा है पर प्रेम भी सोचसमझ कर करना चाहिए, फिल्मी या किताबी नहीं कि किसी को देखा और प्रेम हो गया और एकदूसरे के लिए जान हाजिर हो जाए. प्रेम बेस जमीन पर टिका होगा तो ही आनंददायक होगा और स्थिर होगा. दूसरे की सीमाएं समझना भी जरूरी है और ब्रेकअप के लिए तैयार रहना भी.

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