Mother-Daughter : मां तो हमेशा से ही अपनी बेटी का खयाल रखती आई है, उसे संभालती आई है. लेकिन बेटियां जब बड़ी हो जाती हैं, तो बेटियां भी अपनी मां को ले कर बहुत प्रोटैक्टिव हो जाती हैं. वे खुद उन की मां बन बैठती हैं. उन की हर बात का खयाल रखना, उन के सारे गम बांटना आदि करने लगती हैं. वह मां की हमराही बन जाती है. मां अपनी हर छोटीबड़ी शिकायत बेटी से कहने लगती है. जब बेटी अपनी मां की देखभाल करने वाली बन जाती है, तो यह एक मजबूत मांबेटी के बंधन का प्रतीक है.
यह एक ऐसी स्थिति है जहां बेटी अपनी मां की भावनात्मक और व्यावहारिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है, खासकर जब मां को मदद की आवश्यकता होती है. और ऐसे में मांबेटी का रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत हो जाता है. आइए, जानें कैसे :
मातापिता का सैपरेशन होता है, तो बेटी मां को संभालती है
मातापिता के अलगाव के दौरान बेटी के द्वारा मां को संभालने का अर्थ है कि बेटी अपनी मां को भावनात्मक और व्यावहारिक रूप से सहारा देती है. अलगाव की कठिन अवधि के दौरान मां को भावनात्मक और शारीरिक रूप से समर्थन देती है, जिस में मां को अपने अलगाव के बाद अपनी जिम्मेदारियों को संभालने में मदद करना भी शामिल है। वह मां को एहसास दिलाती है कि आप का परिवार टूटा नहीं है, मैं हूं आप का परिवार. वह अपने और भाईबहनों को भी मां के साथ संभालती है.
अगर मातापिता में डिवोर्स की प्रक्रिया चल रही है तो भी बेटी ऐसे में मां का साथ देती है, उस के कोर्टकचहरी के काम कराती है. उसे अच्छा वकील ढूंढ़ने में मदद करती है.
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