केरल के अर्नाकुलम शहर में समुद्र के किनारे बने 343 बहुमंजिला फ्लैट किसी के लिए भी ईर्ष्या का मामला था. इन 343 फ्लैट्स में समुद्र की ठंडी हवा थी, दूर तक विहंगम नजारा था, बेहतरीन सुविधाएं थीं और 3 बिल्डरों द्वारा बनाए गए ये टौवर केरल की शान थे. बुरा हो पर्यावरणवादियों का कि उन्हें पता चल गया कि ये फ्लैट्स

तो उस जमीन पर बने हैं जहां कुछ भी निर्माण नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाई और घर वालों की न सुनते हुए पर्यावरण के साथ समझौते से इनकार कर दिया. फ्लैट्स जितने में भी बिके हों, जितनी भी आज उन की कीमत हो, सिर्फ क्व25 लाख पकड़ा कर खरीदारों को बाहर निकाल दिया गया है और शायद 10-20 दिनों में फ्लैट्स को टौवर को कंट्रोल्ड विस्फोट से गिरा भी दिया जाए.

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एक टौवर का नाम था होली फेथ अपार्टमैंट, एक का गोल्डन कायालोरम और एक जैंस कोरल केव. नाम से फ्लैट्स के टौवरों के धर्मजाति का भी पता चल रहा था. हरेक अपने ही इलाके में रहें, यह भी सुनिश्चित कर लिया गया था.1 से डेढ़ एकड़ में बनी बहुमंजिला इमारतें पानी को छूती हुई हैं. इन में कार पार्किंग है, जिम है, क्लब हाउस है, पौवर बैकअप, सुंदर बाग हैं, स्वीमिंग पूल हैं. 2013 के आसपास बने ये फ्लैट्स अब भी डेढ़दो करोड़ में बिक रहे थे.

देशभर में जंगलों, नदियों, खेतों, समुद्र के पास बने मकानों की मांग बढ़ रही है. शहरों की घिचपिच से उबे लोग पर्यावरण की चिंता करे बिना अपने लिए जंगलों में मकानों को बनाने का रिस्क ले रहे हैं. नेता, अफसर और लोकल लोग इन्हें वरदान समझते हैं, क्योंकि उन की कौडि़यों की जमीनें महीनों में लाखों की हो जाती हैं.

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