प्रकाश सेखानी

ग्रुप चेयरमैन, सेखानी ग्रुप

भारतीय सैनिटरी नैपकिन के निर्माता होने के नाते हम भारतीय मौसम के कारण पीरियड्स में होने वाली परेशानी को जानते हैं और हमारे उत्पाद इस दौरान होने वाली समस्याओं में महिला को आराम देने के लिए बनाए गए हैं. हम भारत में बेहतर मैंस्ट्रुअल प्रैक्टिसिस के पक्षधर हैं और पर्सनल हाइजीन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं...

भारत में आज भी अधिकांश महिलाएं माहवारी के दौरान पर्सनल हाइजीन से जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण बातों से अनजान हैं. कई जगहों पर तो महिलाएं पीरियड्स  के दौरान कपड़ा इस्तेमाल करती हैं, जिस से उन के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इतना ही नहीं वे बारबार उसी कपड़े को इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करतीं. उन्हें इस बात का अंदाजा तक नहीं होता कि ऐसा करना उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी का भी शिकार बना सकता है. पर्सनल हाइजीन और सैनिटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता की कमी इस की बड़ी वजह है. ऐसे में सेखानी ग्रुप के चेयरमैन प्रकाश सेखानी की पहल इस दिशा में काफी महत्त्वपूर्ण कदम है. आइए जानते हैं उन से हुए कुछ सवालजवाब:

सैनिटरी नैपकिन के व्यवसाय में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

कुछ समय पहले नीलसन के एक अध्ययन में काफी चौकाने वाली बात सामने आई थी कि सिर्फ 12% भारतीय महिलाएं ही सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं, जबकि 23% किशोरियां माहवारी शुरु होते ही स्कूल जाना छोड़ देती हैं. दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों में 27% मौत सिर्फ भारत में होती हैं. भारत में अधिकांश ग्रामीण महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का ही इस्तेमाल करती हैं, जो उन के प्रजनन तंत्र में संक्रमण का कारण बनता है, क्योंकि उन के लिए उपयोग किए गए कपड़े को साफ और बैक्टीरिया मुक्त रखना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में पर्सनल हाइजीन और सही सैनिटेशन की कमी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती है. भारतीय महिलाओं के लिए मासिकधर्म एक सामान्य शारीरिक क्रिया से बढ़ कर उन के प्रति लिंगभेद को दर्शाने का एक और तरीका मात्र है. पीरियड्स से जुड़े अंधविश्वास और वर्जनाएं महिलाओं के स्वास्थ्य के हित में सही नहीं हैं.

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