Toxic Friendship: अच्छी दोस्ती कब टौक्सिक हो जाए, पता नहीं चलता. उस पर मुसीबत यह कि यह दोस्ती न निगलते बने न उगलते. फ्रैंड की इतनी आदत हो चुकी है कि उस के बिना रहना भी नहीं आता और उस के साथ रहा भी नहीं जा रहा. ऐसे में क्या करें?
ये वही फ्रैंड होते हैं जो कल तक आप के सगे थे, आप की पौकेटमनी पर मौज करते थे, आप के नोट्स से पढ़ कर पास हुए लेकिन अब अचानक से ही उन के इंट्रैस्ट बदल गए, अब आप को वे चीट करने लगे. आप को मैंटली, इमोशनली और फाइनैंशियली नुकसान पहुंचाने लगे, आप के राज खोलने लगे, बुरे वक्त में मदद करने से मुकरने लगे, पीठपीछे बुराई करने लगे. यही होती है टौक्सिक फ्रैंडशिप जिस से बाहर आना बहुत जरूरी होता है, वरना डिप्रैशन का शिकार होते देर नहीं लगेगी.
टौक्सिक फ्रैंड की पहचान कैसे करें
-जब फ्रैंड बेवजह हर बात पर मुंह बनाए और आप का ज्यादातर वक्त उसे मनाने में बीतने लगे, तो वह हानिकारक है.
-आप महसूस करने लगें कि फ्रैंड आप को धोखा दे रहा है. आप के पीठ पीछे साजिश करने लगे.
-हर वक्त आप का इस्तेमाल अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए करे. दूसरे शब्दों में, आप सिर्फ उस के लिए एक बैंक बैलेंस का काम कर रहे हों.
-अपने मन की बातें फ्रैंड से कहने में जब कंफर्टेबल न लगे. और मन की बात मन में ही रह जाए.
-फ्रैंड सहभागी न हो कर मालिक बनने लगे. जिस के साथ होने पर आप का कौन्फिडैंस कम होने लगे.
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