पतिपत्नी का रिश्ता बहुत संवेदनशील और भावनात्मक होता है. पहले जब संयुक्त परिवारों का चलन होता था तो उस समय इस रिश्ते में थोड़ा उतारचढ़ाव चल जाता था. मगर अब संयुक्त परिवारों के टूटने के बाद से पूरे परिवार का बोझ केवल पति और पत्नी के ऊपर ही आ गया है. ऐसे में अब पत्नी का छुईमुई बने रहना घरपरिवार के लिए ठीक नहीं होता है. आज के समय में पत्नी की जिम्मेदारियां पति से कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं.

पति के पास सही मानों में केवल पैसा कमा कर लाने का ही काम होता है. पैसे का सही ढंग से उपयोग कर के घरपरिवार, बच्चे, नातेरिश्तेदार और पड़ोसियों तक से सहज रिश्ता रखने का काम पत्नी का होता है. स्मार्ट पत्नी महंगाई के इस दौर में पति के कमाए पैसों को सहेज कर रखने का और बचत की नईनई योजनाओं की जानकारी देने का भी काम करती है. आज की स्मार्ट वाइफ केवल हाउसवाइफ बन कर रहने में ही संतोष महसूस नहीं करती, वह अच्छी हाउस मैनेजर भी बन गई है.

गृहस्थी की गाड़ी की सफल ड्राइवर

भावना और भूपेश शादी के बाद रहने के लिए अपने छोटे से शहर गाजीपुर से लखनऊ आए थे. यहां भूपेश को एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिली थी. करीब ₹15 हजार उसे वेतन मिलता था. भूपेश ने ₹2 हजार प्रतिमाह किराए पर फ्लैट लिया. 1-2 महीने बीतने के बाद भावना को लगने लगा कि किराए के मकान में रहना समझदारी का काम नहीं है. मगर वह भूपेश से कुछ कहते हुए संकोच कर रही थी. वह पढ़ीलिखी थी. अत: उस ने सरकारी योजनाओं में मिलने वाले मकानों पर नजर रखनी शुरू कर दी. अपने आसपास के लोगों को भी इस बारे में जानकारी देने के लिए कहा.

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1 माह में ही भावना को पता चल गया कि सरकार की आवास योजना में कई मकान ऐसे हैं, जिन्हें कुछ लोगों ने बुक तो करा दिया था, लेकिन उन्हें वे खरीद नहीं पाए. सरकार ऐसे मकानों को दोबारा बेचने के लिए तैयारी कर रही थी. उस के लिए मकान की कुल कीमत का 25 फीसदी पहले देना था. बाकी की रकम किश्तों में अदा की जा सकती थी.

भावना ने भूपेश को पूरी बात बताई तो वह बोला, ‘‘सब से छोटे मकान की कीमत ₹3 लाख से ऊपर है. इस हिसाब से हमें ₹75 हजार तत्काल देने होंगे. इस के बाद हर माह किश्त अलग से देनी होगी. इतना पैसा कहां से आएगा?’’

इस पर भावना बोली, ‘‘परेशानी केवल शुरू के 75 हजार की है. इस के बाद की मासिक किश्त तो केवल ₹2 हजार के आसपास आएगी. इतना तो किराया हम अभी भी देते ही हैं. 75 हजार की व्यवस्था में 50 हजार का इंतजाम मैं कर सकती हूं. ₹25 हजार का इंतजाम तुम कर लो तो हमारा भी इस शहर में अपना एक मकान हो जाएगा.’’

भूपेश ने भावना की बात मान ली. कुछ ही दिनों में उन का अपना मकान हो गया. नए मकान को थोड़ा सा ठीक करा कर दोनों रहने लगे.

एक दिन भूपेश और भावना को एक शादी की पार्टी में जाना था. भावना को बिना गहनों के तैयार होता देख कर जब भूपेश ने पूछा कि तुम्हारे गहने कहां गए? तो भावना बोली कि उन्हें बेच कर ही तो मकान के लिए ₹50 हजार का इंतजाम किया था. यह सुनते ही भूपेश ने भावना को बांहों में भर लिया. उसे लगा कि सही मानों में भावना ही स्मार्ट वाइफ है.

बचत से संवरती है जिंदगी

महंगाई के इस युग में गृहस्थी की गाड़ी चलाने का मूलमंत्र बचत ही है. जिन परिवारों में अनापशनाप पैसा आता है, वहां भी पैसों की बचत का पूरा खयाल रखना चाहिए. एक स्मार्ट वाइफ को वित्तमंत्री की तरह अपने घर का बजट तैयार करना चाहिए. पूरा माह होने वाले खर्चों को एक जगह लिखना चाहिए ताकि माह के अंत में यह पता चल सके कि माह में कितना खर्च हुआ. इस से यह भी पता चल जाता है कि कहां पर खर्च कम कर के पैसा बचाया जा सकता है. हर माह एक निश्चित रकम इमरजैंसी में होने वाले खर्चों के लिए बचा कर जरूर रखनी चाहिए ताकि इमरजैंसी में होने वाले खर्च के समय परेशानी न उठानी पड़े.

हर माह तय रकम बैंक या डाकघर में जरूर जमा करें. सालभर के बाद इसे बैंक में फिक्स डिपौजिट कराया जा सकता है. आजकल म्यूचुअल फंड में भी जमा कर के अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है. स्मार्ट वाइफ हर माह के तय खर्च में भी कुछ न कुछ बचत कर के दिखा देती है. इस तरह वह पति को सहयोग भी दे देती है.

पति, परिवार और बच्चों की सेहत अच्छी रहती है तो दवा का खर्च भी कम हो जाता है. यह भी एक तरह की बचत होती है. बहुत सारी बीमारियों को साफसफाई के द्वारा दूर रखा जा सकता है. घर की खरीदारी समझदारी से करें तो भी बचत हो सकती है. पूरी खरीदारी एक बार में ही करें. सामान ऐसी जगह से खरीदें जहां कम कीमत पर अच्छा मिलता हो. आजकल मौल कल्चर आने से कई तरह का सामान सस्ता मिल जाता है.

स्मार्ट वाइफ बनाए समाज में पहचान

अब बहुत सारे लोग शहरों में अपने नातेरिश्तेदारों से अलग रहते हैं. ऐसे में उन के पास दोस्तों से मिलने का समय ज्यादा होता है. इन्हीं लोगों के बीच दुखदर्द और हंसीखुशी का बंटवारा भी होता है. आपस में मिलनेजुलने के लिए लोग पार्टियों का आयोजन किसी न किसी बहाने करते रहते हैं. यहां पर पत्नियों के बीच एक अघोषित प्रतिस्पर्धा सी होती है, जिस के चलते एकदूसरे के बारे में कई तरह के सवाल भी उठते रहते हैं. किस की पत्नी कैसी दिख रही है? उस ने किस तरह के कपड़े पहन रखे हैं? उस का व्यवहार कैसा है? उस के बच्चे कितने अनुशासित हैं? स्मार्ट पत्नी वही कहलाती है जो इन सवालों पर खरी उतरे.

पार्टी में जान डालने के लिए पार्टी के तौरतरीकों को समझना और उन के हिसाब से काम करना पड़ता है. इस तरह की पार्टियों में कई बार बहुत अच्छे रिश्ते भी बन जाते हैं, जो आगे बढ़ने में भी मदद करते हैं. स्मार्ट पत्नी को काफी सोशल होना चाहिए. कई बार पति चाहते हुए भी सोशल रिश्तों को बेहतर ढंग से नहीं निभा पाता है.

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स्मार्ट पत्नी इस कमी को पूरा कर के पति को तरक्की की राह में आगे बढ़ने में मदद करती है. स्मार्ट वाइफ को पति के दोस्तों, औफिस के सहयोगियों की घरेलू पार्टियों में जरूर जाना चाहिए. इस से आपस में बेहतर रिश्ते बनते हैं. आजकल आपस में बातचीत करते रहना मोबाइल, इंटरनैट और फोन के जरीए और भी आसान हो गया है. इस का लाभ उठाना चाहिए. हर जगह रिश्तों की मर्यादा का पूरा खयाल रखना चाहिए. कभीकभी रिश्ते बनते कम और बिगड़ते ज्यादा हैं.

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