एक जमाना था जब मूंछें मर्दों की आन, बान और शान समझी जाती थीं. मूंछ की सब से पहली तसवीर एक  प्राचीन ईरानी की बताई जाती है जो घोड़े पर सवार था, हालांकि उस की दाढ़ी नहीं थी. यह तसवीर ईसापूर्व 300 बीसी की है. इस के बाद अनेक देशों और संस्कृतियों में कई प्रकार की मूंछें देखी गई हैं.

पहले तो मूंछों के साथसाथ पुरुष दाढ़ी भी रखते थे, पर 19वीं सदी के अंत तक दाढ़ी का सफाया होने लगा. इस की खास वजह नई पीढ़ी की सोच थी कि दाढ़ी के लंबे बालों में बैक्टीरिया व जर्म्स होते हैं. कुछ समय तो उत्तरी अमेरिका और यूरोप में दाढ़ी रखने वालों पर होटलों में भोजन बनाने व परोसने पर प्रतिबंध था. अस्पतालों में दाढ़ी वाले रोगियों की दाढ़ी भी जबरन कटवाई जाती थी. धीरेधीरे दाढ़ी के साथ मूंछ भी गायब होने लगी.

अधिकतर भारतीय पुरुष पहले मूंछें रखते थे. कहा जाता है कि ब्रिटिश सेना को भी भारतीय सैनिकों की देखादेखी मूंछ रखनी पड़ी थी. धीरेधीरे युवा पीढ़ी में मूंछ रखने का प्रचलन समाप्त होने लगा, उन्हें क्लीनशेव्ड, चिकना चेहरा सुंदर लगता था और शायद आधुनिक लड़कियों की भी यही पसंद है.

मूंछ बनाम क्लीनशेव्ड

आजकल अधिकतर भारतीय युवाओं ने मूंछ को अलविदा कह दिया है. कुछ हद तक अब यह सैनिकों व पुलिसकर्मियों के बीच सिकुड़ कर रह गई है. भारत में आधुनिकता और फैशन के प्रतीक माने वाले ज्यादातर बौलीवुड स्टार्स भी क्लीनशेव्ड हैं. पर यहां एक अंतर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच देखने को मिलता है. उत्तर भारत और बौलीवुड में भले ही मूंछ रखना आउट औफ फैशन हो गया हो, पर दक्षिण में और दक्षिण की फिल्म इंडस्ट्री टौलीवुड व कालीवुड में अभी भी मूंछें रखने का चलन है.

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