Social Media : एक वह दौर था जब प्रेम पत्रों पर स्याही से लिखा एक पूर्णविराम आप की कहानी कह देता था, किसी की कविता हाल ए दिल बयां कर जाती थी. कभी चिट्ठी का इंतजार किसी की धड़कनों से जुड़ा होता था फिर दौर बदला, तरीके बदले.

आज जब हम भावनाओं को जाहिर करने की सोचते हैं तो हमारे फोन के कीबोर्ड में शब्दों और इमोजी का विकल्प होता है. आज के इस डिजिटल समाज में व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि मैसेजिंग ऐप्स ने पत्रों की जगह ले ली और इमोजी के आने से लोगों के अंदर शब्दों में भावनाओं को पिरोने की रचनात्मकता खत्म सी हो गई.

शब्दों की तुलना में इमोजी

बुलेट ट्रेन की स्पीड से झटपट दौड़ते समाज ने भावनाओं से भी सम?ाता करना सीख लिया है. क्या बूढ़े क्या नौजवान सब जिंदगी से रेस लगा रहे है. इस बीच समय के साथ भागती दुनिया में इंसान हर काम कम समय में करने की चाहत रखता है, फिर चाहे वह भावनाओं को जाहिर करने की बात ही क्यों न हो. इसी का एक उदहारण है इमोजी. इमोजी कम समय में ज्यादा बातें कह जाने का एक माध्यम बन चुका है.

जब शब्दों में भाव व्यक्त करना लोगों को समय की बरबादी लगती है तब एक इमोजी उन की बात को एक हद तक स्पष्ट करने की ताकत रखती है. किंतु यह इमोजी आप की बात की गंभीरता को दर्शाने में कितना कामयाब होती है यह तो सामने वाले के विवेक पर निर्भर करता है.

वहीं अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरो कर जाहिर करना इंसान की रचनात्मकता के साथसाथ उस की स्थिति को भी स्पष्ट करता है. शब्दों के जरीए हम भावनाओं को अपनी बात की गंभीरता और मनोस्थिति को भी जाहिर कर सकते हैं जैसे खुशी में छिपी हुई चिंता या हंसी के पीछे का दर्द.

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