हाल ही में आई फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में नशे का, नशाखोरों का जो रूप दिखाया गया है, वह सिर्फ पंजाब की ही समस्या नहीं है. ‘बल्ली’ सिर्फ पंजाब का ही स्कूल जाने वाला नशेबाज छात्र नहीं है, मुंबई में भी हजारों ‘बल्ली’ हैं. बिहार की मजदूर बनी आलिया भट्ट सिर्फ पंजाब में ही अपनी इज्जत नहीं गंवाती, मुंबई में भी हजारों लड़कियां नशाखोरों के हाथों पड़ कर या खुद नशे की चपेट में आ कर अपना जीवन बरबाद कर रही हैं या कर चुकी हैं. ‘उड़ता पंजाब’ ही नहीं, उड़ता मुंबई भी आज हजारों लोगों को नशे की चपेट में ला कर बरबाद कर रहा है. पता नहीं किस खुशी को ढूंढ़ते हजारों लोगों को मुंबई भी नशे के धुएं में उड़ा रहा है.

महाराष्ट्र में सब से ज्यादा नशाखोर हैं. पिछले 3 सालों में यहां नशे से छुटकारा पाने के लिए सब से ज्यादा लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. पिछले 3 सालों में मुंबई में डिएडिक्शन के लिए लगभग 10 हजार नशाखोरों की संख्या बताई गई है. डीएआईआरआरसी के अध्यक्ष डाक्टर युसूफ मर्चेंट ने बताया कि अधिकतर मामले 16 से 20 साल की उम्र के होते हैं. उन के अनुसार म्याऊंम्याऊं ऐसा पावरफुल ड्रग है जिसे नशेबाज आजकल सब से ज्यादा ले रहे हैं.

नशे के लिए कुछ भी

28 मई, 2014 को मुंबई के एक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, युवा छात्रछात्राएं, मेथमफेटामाइन जो बहुत ऐडिक्टिव ड्रग है और मुंबई में बड़ी मात्रा में स्मगल होता है, की गिरफ्त में खूब आ रहे हैं. 20 वर्षीय कोलाबा निवासी छात्र ने कल्याण के पास रिहैब सैंटर में ‘मेथ’ की अपनी लत से छुटकारा पाने के लिए 1 साल बिताया. उस ने बताया कि उस ने प्रसिद्ध यूएस टीवी सीरीज ‘ब्रेकिंग बैड’ देखने के बाद ड्रग लेने का मन बनाया. फर्स्ट ईयर कौमर्स के इस छात्र ने बताया कि उसे टीवी पर ड्रग लेना इतना प्रभावकारी लगा कि वह यह अनुभव करने के लिए अति उत्साहित हो गया, फिर उसे धीरेधीरे आदत ही पड़ गई और एक समय ऐसा आया कि वह क्व8,000 में एक ग्राम ‘मेथ’ खरीदने के लिए तैयार था. यह 3 दिन चलता था पर धीरेधीरे प्रतिदिन वह 1 ग्राम लेने लगा. फिर वह ‘मेथ’ खरीदने के लिए अपने मातापिता का कैश और ज्वैलरी भी चुराने लगा. वह अपनी डेली खुराक लेने के लिए कुछ भी करने को तैयार था.

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