Mumbai Businesss Hub : आज बड़ीबड़ी गगनचुंबी इमारतें, लंबीलंबी सड़कों का जाल और करोड़ों की भीड़भाड़ वाले शहर मुंबई जो कभी बांबे के नाम से जाना जाता था पहले ऐसा न था. समुद्र की ऊंचीऊंची लहरें, जो खूबसूरत संगीत की धुन का एहसास कराती थीं, सुंदर वातावरण, सुकून भरी जिंदगी, चलचित्र जगत का केंद्र, सड़कों पर चलते ट्राम, बसों और लोकल ट्रेन के अलावा चालों में रहने वाले लोग आपस में भाईचारे के साथ और खुश रहना जानते थे. समय के साथसाथ इस में परिवर्तन इतनी जल्दी हुआ कि आज मुंबई में कहीं जाना एक समस्या बन चुका है. कहीं भी जाएं लोगों का हुजूम सड़कों से ले कर लोकल ट्रेन, मैट्रो तक में इतना अधिक है कि पांव रखना भी मुश्किल हो जाता है. आखिर सपनों की इस मायानागरी मुंबई की इस दुर्दशा की वजह क्या है?
मायानगरी मुंबई
असल में यह एक सपनों का शहर है, जिसे मायानगरी कहा गया क्योंकि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति इसे छोड़ कर नहीं जाता क्योंकि यहां हर व्यक्ति के लिए भोजन और शैल्टर मिल जाता है. इस के बारे में यह भी प्रचलित है कि यह शहर कभी सोता नहीं. यह एक ऐसा शहर है जो हमेशा आगे बढ़ना चाहता है. 7 टापुओं को जोड़ कर बनाए गए इस शहर की कहानी बहुत दिलचस्प है.
मुंबई का इतिहास
पहले मुंबई 7 टापुओं का समूह था, जिन के नाम छोटा कोलाबा, वरली, माजगांव, परेल, कोलाबा, माहिम और बांबे टापू था. ओंकार करंबेलकर बीबीसी के एक आर्टिकल में मुंबई के इतिहास से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं. 1930 की बात है, जब ब्रिटिश फौज के एक अधिकारी कोलाबा के पास बीच पर टहल रहे थे. जब उन की नजर एक पत्थर पर पड़ी तो उन्होंने पत्थर को गौर से देखा. यह कोई सामान्य पत्थर नहीं था. यह स्टोन एजके मनुष्यों का हथियार था. थोड़ी और खोजबीन हुई तो पता चला वहां बहुत से ऐसे पत्थर थे, जिन्हें हमारे पूर्वज हथियारों के रूप में इस्तेमाल करते थे अर्थात मुंबई जो पहले महज कुछ द्वीपों का समूह था यहां स्टोन एज से लोग रहते आए थे. सभ्यता के विकास के बाद जो इतिहास दर्ज किया गया उस की बात करें तो
मुंबई के विकास, इस की स्थापना के 4 चरण माने जाते हैं.
हुआ समुद्र का अतिक्रमण
उस समय मुंबई में कोली और आगरी लोग रहते थे. 18वीं सदी के मध्य में मुंबई एक अहम व्यापारिक शहर बन गया था. 1817 के बाद मुंबई को बड़े पैमाने पर सिविल कार्यों से नया रूप दिया गया. मुंबई के सभी 7 टापुओं को जोड़ कर एक शहर बनाने की परियोजना हार्नबी वेलार्ड नाम के एक पुल ने की थी. मुंबई को मुंबई बनाने के लिए समुद्र का अतिक्रमण भी किया गया. उमरखेड़ी की खाड़ी, जो बांबे को माजगांव से अलग करती थी, आज इस इलाके का नाम पायधोनी है,समुद्र यहां चट्टानों के पैर धोता था. यह समंदर से जमीन वापस लेने का पहला केस था. इस सारी प्रक्रिया में खूब उठापटक हुई. पहाडि़यों को समतल किया गया, दलदले इलाकों में मलबा भर कर उन्हें पक्का बनाया गया. यों धीरेधीरे मुंबई के अलगअलग टापुओं को जोड़ कर एक सुंदर शहर की शक्ल दी गई.
बना प्रमुख बंदरगाह
मुंबई पर कई राजवंशों ने शासन किया है, जिन में सातवाहन, अभिरस, वाकाटक, कलचुरी, कोंकण मौर्य, चालुक्य, राष्ट्र कूट, सिल्हारा और चोल प्रमुख हैं. इन के अलावा मुंबई पर पुर्तगालियों, गुजरात के सुलतानों और ब्रिटिशों ने भी शासन किया है. करीब साढ़े तीन सौ साल तक अंगरेजों ने मुंबई पर एकछत्र राज किया. उस दौरान मुंबई को प्रमुख बंदरगाह शहर बनने के लिए एक बड़ा स्टेशन बनाया गया. इस का नाम तत्कालीन भारत की महारानी रानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया टर्मिनस रखा गया. स्टेशन का डिजाइन सलाहकार ब्रिटिश वास्तुकार फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस ने तैयार किया था. इस शहर को पहले बांबेबांबे प्रैसिडैंसी के नाम से जाना जाता था और आजादी के बाद बांबे नाम दिया गया.
बनी आर्थिक राजधानी
मुंबई विश्व के सर्वोच्च 10 वाणिज्यिक केंद्रों में से एक है. भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्त्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, बंबई स्टौक ऐक्सचेंज, नैशनल स्टौक ऐक्सचेंज एवं अनेक भारतीय कंपनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुंबई में स्थित हैं. इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं. हिंदी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी यहां पर स्थित है जो बौलीवुड नाम से प्रसिद्ध है. मुंबई की व्यावसायिक औपरच्युनिटी और उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष के लोगों को आकर्षित करता है, जिस के कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है. मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है. मुंबई महानगरपालिका में करीब 227 नगरसेवक हैं. मुंबई महानगर पालिका पूरे विश्व में पैसों के मामले में सब से अधिक अमीर महानगरपालिका मानी जाती है.
खिसकने लगे बिजनैस हब
पिछले कई सालों से साउथ मुंबई से बिजनैस हब नार्थ मुंबई की ओर शिफ्ट होने लगा. इस की वजह वहां जगह की कमी और रियल स्टेट के बढ़ते दाम का होना है.
इस बारे में 75 वर्षीय साउथ मुंबई के रहने वाले सातारा संपर्क प्रमुख दगड़ू सकपाल कहते हैं कि मुंबई की लाइफ पहले बहुत शांत और सुकून वाली हुआ करती थी. यहां बड़ीबड़ी बिल्डिंग्स नहीं थीं. रास्ते पर ट्राम चलती थीं, बाद में बैस्ट की बसें आईं, साथ में लोकल ट्रेनें शुरू हुईं. उस समय मुंबई बहुत खाली हुआ करता था. यहां के लोग चाल में रहते थे. यहां बड़ी इमारतें नहीं थीं. पब्लिक बहुत कम थी और चारों तरफ हरियाली थी, कई प्रकार के पक्षी और जानवर आसपास रहते थे.
महंगी जमीन बड़ी वजह
दगड़ू सकपाल कहते हैं कि इस से इमारतों की संख्या बढ़ने लगी, हर जातिधर्म के लोगों ने अपने लिए अलगअलग इमारतें बनानी शुरू कीं, जिस से जमीन के दाम आसमान छूने लगे और जितने भी व्यवसायी और औफिस वाले साउथ मुंबई में थे, उन की जमीन अच्छी कीमतों पर बिकने लगी. उन्हें अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए जगह मिलनी बंद हो गई. इस से वे साउथ मुंबई से आगे की ओर शिफ्ट होते गए, जिस में साउथ मुंबई, अंधेरी, फिर बांद्रा कुर्ला कौंप्लैक्स, गोरेगांव और दहिसर जहां कम दाम में लोगों को व्यवसाय करने की बड़ी जगह मिलती रही और उन में काम करने वाले कर्मचारियों को भी अधिक ट्रैवल नहीं करना पड़ता क्योंकि पहले कर्मचारियों को दूरदराज से ट्रैवल कर साउथ मुंबई की तरफ आना पड़ता था, लेकिन अब वे कम समय और कम खर्च में अपने औफिस जाने लगे. इसलिए सभी कंपनियों ने अपनी ब्रांचेज बांद्रा कुर्ला कौंप्लैक्स, मालाड, गोरेगांव और नवी मुंबई में खोल लीं. आज यहां भी जगह की कमी होने लगी है, इसलिए वे दहिसर की तरफ जाने लगे हैं.
बढ़ती आबादी सिसकती मुंबई
सकपाल का कहना है कि आज मुंबई में पानी की कमी है क्योंकि सारे पाइपलाइन पुराने हो चुके हैं, उन्हें बदलने की जरूरत है जो नहीं बदले जाते. प्रदूषण अधिक है क्योंकि पूरा साल कंस्ट्रक्शन का काम चलता है. जनसंख्या का भार इस शहर पर बहुत अधिक है. मुंबई की आबादी में लगातार वृद्धि हो रही है. 2001 की जनगणना के मुताबिक, मुंबई की आबादी 1,19,14,398 थी, जो 2011 तक 1,24,42,373 हो चुकी थी. अगस्त 2024 तक मुंबई की अनुमानित आबादी 21.67 करोड़ हो चुकी है, जो पिछले साल से 1.77त्न ज्यादा है. यही वजह है कि हर साल मुंबई बरसात के मौसम में पानीपानी हो जाता है.