“रिया की माँ आज दिल्ली से राम नाथ जी का phone आया था .उन्होंने रिया के लिए बहुत ही अच्छा लड़का बताया है ,” दयाशंकर जी ने चहकते हुए कहा.

सरिता जी रसोई से बहार निकलकर आई और उत्सुकता से पूछा ,”क्या करता है लड़का..?कैसा है देखने में....?नाम क्या है....?

“सारे सवाल एक ही बार में पूछ लोगी ,अरे सांस तो ले लो जरा .......,”,दयाशंकर जी ने हँसते हुए कहा .
लड़का तो इंजिनियर है और नाम है ‘अविनाश ‘.बस मुझे एक चीज़ की चिंता है की हम इतना दहेज़ कैसे दे पाएंगे?उन्होंने 15 लाख रूपए कैश बोले है .

सरिता जी ने कहा कि पहले लड़का देख लें ,कुंडली मिला लें ,फिर देखते हैं .आखिर हमारी गुडिया(रिया) से बढ़कर कुछ है क्या ?कहीं न कहीं से इंतज़ाम कर लेंगे.वैसे भी मेरे पास थोड़े जेवर पड़े है ,मैं इस बुढ़ापे में अब क्या करूंगी उनका. और जो आपने FD करा रखी थी हम दोनों के नाम से उसे भी तुडवा देंगे.बस हमारी गुडिया खुश रहे हमें और क्या चाहिए?

जब रिया शाम को कॉलेज से लौट कर आई तब उसके छोटे भाई ने उसे सारी बात बताई .रिया अपने पापा के पास गयी और गुस्साते हुए बोली की मुझे नहीं करनी ये शादी. मै अभी आपको छोड़कर कहीं नहीं जाउंगी.क्या मैं आप लोगों को बोझ लगती हूँ?जो आप मुझे पराये घर भेज रहे हो.

दयाशंकर जी ने उसके सर पर हाँथ फेरते हुए कहा,”नहीं मेरी गुडिया ...ऐसा सोचना भी मत !बेटी तो पराई होकर भी परायी नहीं होती.एक बेटी ही तो है जिसकी याद माँ बाप के मरते दम तक उनके साथ रहती है.बेटे तो भाग्य से होते हैं पर बेटियां तो सौभाग्य से होती है.

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