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हर्ष बहुत प्यार से त्रिशा के बालों में उंगलियां फेर रहा था और वह उस की गोद में लेटी आंखें बंद किए मंदमंद मुसकरा रही थी.

पार्क के उस कोने वाली बैंच पर दोनों दिनदुनिया से बेखबर अपनेआप में ही मगन थे.

“हर्ष, आगे का क्या सोचा है?” आंखें बंद किए ही उस के हाथों को चूमते हुए आतुरता से त्रिशा बोली,“ अगर तुम्हें स्कौलरशिप मिल जाती है, तो तुम तो विदेश चले जाओगे. लेकिन कभी सोचा है कि यहां अकेली मैं क्या करूंगी तुम्हारे बिना?”

“यह तो मैं ने सोचा ही नहीं,” गंभीरता से हर्ष बोला, “एक काम करना, तुम शादी कर लेना. लाइफ में व्यस्त हो जाओगी. जब तक मैं आऊंगा, 1-2 बच्चों की मां तो बन ही चुकी होगी. क्या कहती हो?”

किसी तरह अपनी हंसी को रोकते हुए हर्ष बोला,“ मैं तुम्हारे बच्चों के लिए विदेशी खिलौने ले कर आऊंगा देखना.“

उस की बातें सुन त्रिशा झटके से उठ बैठी और बोली, “तो तुम यही चाहते हो की मैं किसी और से शादी कर लूं? तो ठीक है. रिश्ते तो आ ही रहे हैं कई, उन में से 1 को मैं हां बोल देती हूं,“ बोल कर गुस्से से वह जाने ही लगी कि हर्ष ने उस का हाथ पकड़ लिया.

”वह तो ठीक है लेकिन यह तो बताती जाओ कि तुम मुझे अपनी शादी में बुलाओगी या नहीं? चलो कोई बात नहीं, शादी की बधाइयां मैं तुम्हें अभी ही दे देता हूं, किसी तरह अपनी हंसी रोकते हुए हर्ष बोला.

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“थैंक यू सो मच…” त्रिशा ने मुंह बनाया, “अब छोड़ो मेरा हाथ और अपनी बकवास बंद करो.”

“अरे, ऐसे कैसे छोड़ दूं? जीवनभर साथ निभाने का वादा किया है,” हर्ष की बांहों ने उसे घेरा तो वह रुक गई. उस का चेहरा हर्ष से इंच भर की दूरी पर ही था. फिर हर्ष के होंठों ने उस के होंठों को छुआ, तो त्रिशा की नजरें अपनेआप ही शर्म के मारे झुक गई.

हर्ष ने त्रिशा का चेहरा ऊपर उठाते हुए कहा, “बेकार में समुंद्र मथा गया क्योंकि 14 रत्न तो तुम्हारी आंखों में हैं. एक और सच कहूं, गुस्से में तुम और भी हसीन लगती हो.“

“अच्छा, तो वैसे मैं बदसूरत दिखती हूं, यही कहना चाहते हो न तुम ?” अपनेआप को हर्ष की बांहों से छुड़ाते हुए त्रिशा बोली,“कितनी बार कहा है कि ऐसी बातें मत किया करो. मुझे नहीं पसंद, फिर भी क्यों करते हो ऐसी बातें?”

“अच्छा बाबा सौरी,अब से नहीं करूंगा ऐसीवैसी बातें,” कह कर हर्ष अपना कान पकड़ कर उठकबैठक करने लगा.

“अच्छाअच्छा बस करो अब. बहुत हो चुकी नौटंकी. पहले तो गुस्सा दिलाते हो और फिर यह सब…” मुसकराते हुए त्रिशा बोली, “मैं तुम्हें अपने मम्मीडैडी से मिलवाना चाहती हूं. वे तुम से मिल कर बहुत खुश होंगे. आखिर वह भी तो देखें मैं ने उन के लिए कितना हैंडसम और समझदार दामाद पसंद किया है,” त्रिशा की बात पर हर्ष भले ही मुसकरा पड़ा. लेकिन उसे उस के मम्मीडैडी से मिलने में बहुत संकोच महसूस हो रहा था कि जाने वे उस से मिल कर कैसे रिऐक्ट करेंगे क्योंकि कहां वे लोग और कहां हर्ष का परिवार. जमीनआसमान का फर्क था दोनों में.

लेकिन त्रिशा के सामने वह यह बात बोल भी तो नहीं सकता था, वरना वह फिर से गुस्सा हो जाती.

एक बार ऐसे ही हर्ष ने बोल दिया था कि क्या उस के मम्मीडैडी उन के रिश्ते को स्वीकारेंगे? तो गुस्से में नाक फुलाती हुई त्रिशा बोली थी, “क्यों नहीं स्वीकारेंगे? एक इंसान में जो चीजें होनी चाहिए, जैसे 2 आंखें, 2 कान, 1 नाक, हाथपैर, दिमाग सबकुछ तो है तुम्हारे पास. स्मार्ट भी बहुत हो और सब से बड़ी बात कि उन की इकलौती बेटी तुम्हें पसंद करती है, तो फिर क्यों नहीं स्वीकारेंगे तुम्हें बोलो? मेरे मम्मीडैडी मेरे लिए कुछ भी कर सकते हैं,” सीना तानते हुए त्रिशा बोली थी.

“तुम कहां इतने बड़े मांबाप की इकलौती बेटी हो. तुम्हें ऐशोआराम में जीने की आदत है और मैं ठहरा एक साधारण परिवार का लड़का. तो क्या तुम्हारे मम्मीडैडी मुझ जैसे लड़के…” बोलतेबोलते हर्ष चुप हो गया था लेकिन त्रिशा सारी बात समझ गई कि वह कहना क्या चाहता है.

“अच्छा, तो तुम यह कहना चाहते हो कि मैं एक पैसे वाले बाप की बेटी हूं और तुम एक साधारण परिवार से, तो हमारा मिलन कैसे हो सकता है? लेकिन जब हम एकदूसरे से मिले थे, जब हमें एकदूसरे से प्यार हुआ था, तब क्या तुम्हें या मुझे पता था कि तुम गरीब हो और मैं अमीर? नहीं न, फिर? हम एकदूसरे से प्यार करते हैं और यही सब से बड़ी सचाई है हर्ष. हमारे बीच न तो कभी पैसा आएगा, न धर्म और न ही जातपात की दीवारें खड़ी होंगी, वादा करती हूं तुम से,” बड़ी दृढ़ता से बोल कर त्रिशा ने हर्ष को चूम लिया था.

त्रिशा का चुंबन हर्ष के होंठों के साथसाथ उस के मन के भीतर किसी गहराई तक गतिशील हुआ था. दोनों घंटों एकदूसरे में खोए रहे थे.

“कहां खो गए हर्ष,” त्रिशा ने जब उसे झंझकोरा तो वह अतीत से वर्तमान में पहुंच गया.

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“मैं कल तुम्हें लेने आऊंगी तैयार रहना, और हां, वह लाइट ग्रीन वाली शर्ट पहनना, जो मैं ने तुम्हारे जन्मदिन पर गिफ्ट किया था. उस में तुम बहुत अच्छे लगते हो,“ त्रिशा बहुत खुश थी कि पहली बार वह अपने मम्मीडैडी से हर्ष को मिलवाने जा रही है और उसे पूरा विश्वास था कि हर्ष उन्हें जरूर पसंद आएगा. खासकर त्रिशा के डैडी अशोक तो उस से मिल कर बहुत खुश होंगे, क्योंकि उन का विचार हर्ष से काफी मिलताजुलता है.

दोनों जिंदादिल इंसान हैं, एकजैसे ही. हां, त्रिशा की मम्मी थोड़ी अलग टाइप की इंसान हैं, पर वे भी हर्ष को देख कर ना नहीं कह पाएंगी.

हर्ष और त्रिशा की मुलाकात न तो किसी कालेज में हुई थी और न ही किसी दोस्त की पार्टी में, बल्कि दोनों संयोग से मिले थे.

कुछ महीने पहले, एक रोज अचानक त्रिशा की गाड़ी बीच सड़क पर खराब हो गई थी. आसपास कोई मैकेनिक भी नजर नहीं आ रहा था जिस से वह अपनी गाड़ी ठीक करवा सके.

यह सोच कर ही वह परेशान हो रही थी कि ऐसी सुनसान जगह पर कुछ देर और रुकना पड़ा तो खतरा हो सकता है क्योंकि आजकल जिस तरह से लड़कियों के साथ वारदातें हो रही हैं, सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

वह मम्मीडैडी को फोन लगा रही थी ताकि वे आ कर उसे ले जाएं. मगर नेटवर्क क्षेत्र से बाहर होने के कारण उस का फोन भी नहीं लग रहा था.

“अब मैं क्या करूं, किसी का फोन भी नहीं लग रहा है,” अपनेआप में ही बुदबुदाते हुए त्रिशा इधरउधर देखे जा रही थी कि शायद कोई उस की मदद के लिए आ जाए. मगर कोई भी ऐसा इंसान नहीं दिख रहा था जिसे वह मदद के लिए पुकारे.

नीले रंग की ड्रैस और बालों को इकठ्ठा कर बनाई गई एक हाई पोनीटेल वाली लड़की को सड़क के किनारे खड़े देख हर्ष को समझते देर नहीं लगी कि वह कोई मुसीबत में है.

“कोई समस्या है क्या? अचानक पीछे से किसी की आवाज सुन त्रिशा चौंक कर मुड़ी. लेकिन सामने जब हट्ठेकट्ठे नौजवान को देखा, तो वह बुरी तरह से डर गई।

“लगता है आप की गाड़ी खराब हो गई है. मैं कुछ मदद करूं?” बाइक को साइड में रोकते हुए हर्ष ने पूछा, तो डर के मारे त्रिशा की रूह कांप उठी कि जाने यह लड़का उस के साथ क्या करेगा?

‘इस सुनसान जगह में अकेली लड़की जान कर कहीं यह मेरा रेप कर के मुझे मार तो नहीं डालेगा? कुछ महीने पहले ऐसे ही तो मदद के नाम पर कुछ लड़कों ने एक लड़की का रेप कर उसे जला कर मार डाला था, तो कहीं मेरे साथ भी ऐसा कुछ हो गया तो मैं क्या करूंगी?’

“हैलो मैडम, कहां खो गईं आप?” हर्ष ने त्रिशा के चेहरे के सामने हवा में हाथ लहराते हुए पूछा, “कोई मदद चाहिए या मैं निकलूं?”

“नहींनहीं, कोई मदद नहीं चाहिए, तुम जाओ,” घबराते हुए वह फिर से अपने घर वालों को फोन लगाने लगी कि शायद कोई फोन उठा ले और उसे लेने आ जाए. लेकिन फोन लगे तब न. त्रिशा को अकेले लौंग ड्राइव पर जाना बहुत पसंद था.

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