Relationship : एक दिलचस्प वाकेआ याद आ रहा है. मैं उस वक्त एक न्यूज पेपर औफिस में जर्नलिस्ट थी और फीचर सैक्शन का काम देखती थी. वहां काम करने वाली नीरजा के साथ धीरेधीरे मेरी दोस्ती हो गई और मैं उस के सुखदुख की साथी भी बन गई.

नीरजा का एक बौयफ्रैंड था जो एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में सैक्शन हैड था. ठीक है, थोड़ा गुरूर और रुतबे में रहता था लेकिन नीरजा को उस के प्यार में कोई कमी नहीं दिखती थी. सुयश उसी शहर का था जहां नीरजा नौकरी करती थी लेकिन नीरजा पास के शहर से यहां आ कर किराए के फ्लैट में रहती थी. दोनों की उम्र 27-28 के आसपास होगी.

औफिस के बाद कभीकभी मैं यों ही मन बहलाने के लिए नीरजा के साथ उस के फ्लैट जाया करती थी. कुछ देर बैठ गपशप करती. इस समय औफिस के बाद सुयश आ जाता और देर रात तक रुकता या कभीकभी पूरी रात भी रुकता. हम लोग चूंकि पहले ही पहुंच कर कौफी और गपशप का आनंद उठा चुके होते तो सुयश के आने के बाद मैं कुछ ही मिनटों में रवाना हो जाती.

उस दिन आते ही सुयश मेरे सामने ही नीरजा पर बरस पड़ा कि फील्ड वर्क में तुम्हारे साथ शैलेश क्यों था? अपनी गाड़ी में तुम अकेली क्यों नहीं गई? उस के साथ पीछे बैठ कर जाने में बहुत मजा आ रहा था क्या?

मैं तो हैरान थी. मुझे उठ कर जाने का मौका भी नहीं मिल रहा था, फिर सहेली के लिए मैं चिंता में पड़ गई कि यह कैसा लड़का है, प्रेमिका का अपना भी एक वजूद और व्यक्तित्व है, नौकरी करते हुए फील्ड वर्क में किसी के साथ जाने की जरूरत हो सकती है.

नीरजा शांत हो कर उसे सम झाने की जितनी कोशिश कर रही थी, सुयश उतना ही उत्तेजित हो रहा था. अंतत: उस ने नीरजा को इस बहाने एक थप्पड़ जड़ दिया कि वह उस के साथ जबान लड़ा रही है.

मैं ने उन दोनों के बीच कुछ कहा नहीं और नीरजा को इशारा कर निकल आई. दूसरे दिन जब मैं ने नीरजा से इस बारे में बात की तो उस के अंदर का दर्द फूट कर बाहर आ गया यानी इस रिश्ते के पहाड़ के नीचे ज्वालामुखी बड़े दिनों से तैयार हो रहा था. पता चला सुयश उसे आए दिन किसी न किसी बात को ले कर टोकता रहता है. उस ने अपने फ्लैट में अपने ही पैसे से फ्रिज लिया, सुयश ने उस की कलर चौइस को ले कर 4 बातें सुना दीं. कहांकहां नीरजा ने अपने रुपए इन्वैस्ट किए हैं, उस की सारी खबर सुयश को चाहिए होती है. घर वालों को क्याक्या उस ने खरीद कर दिया इस की पूरी जानकारी लेने के बाद नीरजा को इतना खर्च करने के लिए फटकारता है.

हां, जब शारीरिक संबंध बनाने की उस की इच्छा होती तब बड़े प्यार से फुसलाता कि वह अपनी गर्लफ्रैंड को इतना प्यार करता है कि उस के भलेबुरे का बिना सोचे वह रह ही नहीं पाता. बड़ी बात नीरजा को उस का यह व्यवहार पसंद न आने के बावजूद वह यह भ्रम पाले थी कि यह सुयश के उस के प्रति प्यार की अभिव्यक्ति है. क्या वास्तव में ऐसा था?

ट्यूलिप के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. वह और उस का बौयफ्रैंड दोनों उस समय साथ अपनेअपने घर से दूर दूसरे शहर में एमबीए कर रहे थे. इस बार ट्यूलिप को जन्मदिन पर उस के घर वाले घर बुला रहे थे. उस ने तब तक अपने इस रिश्ते के बारे में घर पर नहीं बताया था. उसे थोड़ा समय चाहिए था. ट्यूलिप के बौयफ्रैंड ने शर्त लगा दी कि उसे छोड़ वह अगर अपने घर चली गई तो वह इसे ब्रेकअप मान लेगा. बर्थडे यानी इस पर सिर्फ उस के बौयफ्रैंड का अधिकार है. ट्यूलिप कशमकश में पड़ गई. उस ने घर जाना टाल तो दिया लेकिन आगे भी यही होता रहा. कब तक  झेलती. बौयफ्रैंड की इस जबरदस्ती की आदत के कारण आखिर ट्यूलिप को इस रिश्ते से पीछे हटना पड़ा.

उधर नीरजा को उस के इस हाल में छोड़ना मुनासिब नहीं था और उसे सही दिशा की जरूरत थी. इधर ट्यूलिप जैसी लड़कियों के लिए भी कुछ पौइंट्स थे जिन से इन जैसी लड़कियों को अपनी जिंदगी का फैसला सही तरीके से लेने में आसानी हो.

यद्यपि भारतीय समाज का पति अकसर या ज्यादातर पत्नी को अपनी मिल्कियत समझता है और हर वक्त पत्नी को कंट्रोल में रखने की कोशिश करता है. मगर यह भी सच है कि भारतीय समाज में परिवार के मुखिया के रूप में पति की अहम भूमिका होती है और कानूनी और सामाजिक रूप से पति को अधिकारों के साथसाथ कुछ कर्तव्यों का भी निर्वाह करना होता है. कहा जाए तो पतिपत्नी के अधिकार और कर्तव्यों के सुनियोजित उपयोग से इन का रिश्ता जन्मभर बना रहता है.

लेकिन बौयफ्रैंड का रिश्ता और अधिकार तब तक ही होता है जब तक प्रेमिका उस के भाव और प्रभाव को माने. सामाजिक, कानूनी और पारिवारिक तौर पर बौयफ्रैंड को वे अधिकार नहीं होते कि वह अपनी गर्लफ्रैंड की स्वतंत्रता नष्ट करे या अनाधिकार उस के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करे.

जब बौयफ्रैंड दोस्त सा न रहे: एक दोस्त को उस की दोस्ती का अधिकार सामने वाले की स्वतंत्रता का सम्मान बनाए रखने पर ही मिलता है. अगर बौयफ्रैंड अपनी गर्लफ्रैंड पर अपने विचार और पसंद थोपता है अथवा अपनी उस की इच्छा का सम्मान नहीं करता अथवा रूढि़वादी सोच से उसे आंकता है तो यह बौयफ्रैंड कभी रिश्ता सही नहीं निभा पाएगा.

जब प्रेमी बातबात पर प्रेमिका को गलत कहे या सुधारे: जो चीजें एक लड़के को गलत लग रही हैं, कभीकभी एक लड़की की परिस्थितियों में वह सही हो सकती हैं. पति की तरह अगर बौयफ्रैंड अपनी फ्रैंडको बातबात पर गलत ठहराने और सुधारने की कोशिश करे तो रिश्ता आगे नहीं टिकेगा क्योंकि लड़की जैसी है उसे वैसा ही स्वीकार नहीं पा रहा बौयफ्रैंड.

प्रेमिका के घर वालों से हो परेशानी: जब बौयफ्रैंड खुद का प्रेमिका पर ज्यादा हक जताता है और वह लगभग खुद को उस का पति ही समझ लेता है तो प्रेमिका के घर वालों के मामले में भी प्रेमिका को नसीहत देने लगता है या उन से कुछ ईर्ष्याग्रस्त हो जाता है. ऐसे बौयफ्रैंड से भी तोबा करें जो प्रेमिका का फायदा भी उठाता है और उस के घर वालों से बैर भी रखना नहीं छोड़ता.

प्रेमिका के पैसों पर हक जताए: प्रेमिका के पिता की संपत्ति हो या उस की खुद की अर्जित संपत्ति अपनेपन के बहाने अगर बौयफ्रैंड उस की संपत्ति और डिपोजिट के बारे में जानकारी रखना अपना हक समझे या बिन मांगे कोई आर्थिक सलाह दे और उसे मानने को मजबूर करे तो बौयफ्रैंड के तौर पर उस का यह अपने दायरे का उल्लंघन माना जाएगा. प्रेमिका को अपने रिश्ते को ले कर सचेत हो जाना चाहिए.

प्रेमिका के खर्च पर कंट्रोल: शादी के बाद जब परिवार की प्लानिंग और बजट की बात आती है तब पति अगर पत्नी के अनुचित खर्चे पर रोकटोक करे तो यह सर्वथा मान्य है लेकिन बौयफ्रैंड जिस की अभी अगर प्रेमिका से शादी की बात काफी दूर है और तब भी वह उस के खुद के पैसे के खर्च को ले कर हमेशा रोकटोक करे या प्रेमिका को पैसे और खर्च के बारे में पूछताछ कर के उस पर अपना कंट्रोल बनाना चाहे तो यह पूरी तरह अमान्य है और ऐसे लड़के लालची भी हो सकते हैं, जिन्हें प्रेमिका के पैसों में हो सकता है ज्यादा रुचि हो.

प्रेमिका के रंगरूप और साजसज्जा पर नैगेटिव कमैंट: यह तो सही है कि प्रेमिका किस तरह और ज्यादा खूबसूरत लग सकती है या उस पर क्या ज्यादा मैच करता है यह बौयफ्रैंड बता ही सकता है और ऐसा बताने पर प्रेमिका के साथ उस का अपनापन बढ़ता ही है लेकिन यहां बात हो रही है नैगेटिव कमैंट की. यानी प्रेमिका के रंगरूप या साजसज्जा पर ऐसा मंतव्य करना जिस से प्रेमिका का दिल दुखे और वह खुद को छोटा महसूस करे. मसलन, अरे तुम में ड्रैस सैंस ही नहीं है. तुम आजकल ज्यादा मोटी लग रही हो? इतना मेकअप क्यों थोपती हो? किसी लड़की का उदाहरण दे कर कहना कि उस लड़की को देखो कितनी अच्छी लगती है, खुद को कितना अच्छा मैंटेन करती है आदि इस तरह कहने वाला बौयफ्रैंड प्रेमिका के साथ अपनापन महसूस नहीं करता बल्कि उसे अपने भोग की चीज सम झता है और कोई कमी महसूस होने पर उसे नीचा दिखाने में कसर नहीं छोड़ता. ऐसा बौयफ्रैंड आगे चल कर चीट भी कर सकता है. अत: सावधान होने की जरूरत है.

प्रेमिका को उस के नएपुराने दोस्तों से दूर करे: यदि बौयफ्रैंड अपनी प्रेमिका को उस के दोस्तों से कट कर सिर्फ उसके साथ ही रिश्ता रखने को बाध्य करता है या लड़की का उस के दूसरे परिचित लड़कों के साथ सामान्य बातचीत रखने पर भी वह खफा होता है तो बौयफ्रैंड के साथ लड़की का रिश्ता ज्यादा स्वस्थ नहीं माना जाएगा.

शारीरिक संबंध बनाने पर जोर: यदि लड़कालड़की दोनों बालिग हैं और लड़की की भी इच्छा है कि शारीरिक संबंध बने तो लड़की अपने रिस्क पर यह चयन करती है लेकिन शादी होने तक अगर प्रेमिका शारीरिक संबंध से बचना चाहती है और तब यदि प्रेमी यह कह कर दबाव बनाए कि अगर शारीरिक संबंध नहीं बना तो बौयफ्रैंड लड़की से शादी नहीं करेगा या रिश्ता नहीं रखेगा तो यह बहुत बड़ा रैड फ्लैग है. इस रिश्ते पर फिर से विचार करने की दरकार होगी.

घर वालों की सेवा या खुशामद में लगाए: थोड़ाबहुत मेलजोल या प्रेमिका को अपने घर वालों के स्वभाव के बारे में बताना तक सही है लेकिन प्रेमिका की व्यस्तता के बावजूद शादी से पहले प्रेमिका को अपने घर वालों के लिए हाजिर रहने को मजबूर करना या अपने घर वालों का खयाल न रखने के लिए प्रेमिका को उलाहने देना एक तरह से प्रेमिका को कंट्रोल में रखने जैसा ही है. इस बात को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

गर्लफ्रैंड से हमेशा उम्मीद रखना: घरगृहस्थी बसा लेने के बाद पति और पत्नी दोनों को एकदूसरे से कुछ उम्मीदें होती हैं, चाहतें होती हैं यह स्वाभाविक है क्योंकि एकदूसरे को अपनी जरूरत सम झाना और एकदूसरे की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए एकदूसरे को प्रेरित करना परिवार की नींव है. मगर बौयफ्रैंड अगर प्रेमिका से हमेशा उस की उम्मीदों पर खरा उतरने की चाहत रखता है या ऐसा नहीं होने पर मुंह फुलाता है तो यह सरासर प्रेमी की नासम झी है.

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