Sherlyn Chopra: बौलीवुड की कई टौप ऐक्ट्रैस अपनी बौडी को खूबसूरत दिखाने के लिए काफी जतन करती हैं, जिस से वे अक्ट्रैक्टिव दिख सकें. इस के लिए वे प्लास्टिक सर्जरी की भी हैल्प लेती हैं. यहां तक कि कई ऐक्ट्रैस ने ब्रैस्ट इंप्लांट भी कराया है और इस लिस्ट में शिल्पा शेट्टी, कंगना रनौत, सुष्मिता सेन, बिपाशा बसु, मल्लिका शेरावत के अलावा शर्लिन चोपड़ा का नाम भी शामिल हैं.

हाल ही में बोल्ड ऐक्ट्रैस शर्लिन चोपड़ा ने फेक ब्रैस्ट को निकलवाने के लिए सर्जरी करवाई है और खुद ब्रैस्ट इंप्लांट के दर्द को एक वीडियो के जरीए शेयर किया है.

इंस्टाग्राम पर किया खुलासा

मौडल और बोल्ड ऐक्ट्रैस शर्लिन चोपड़ा अपने बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस बार उन्होंने एक ऐसा खुलासा किया है, जिस ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया है. उन्होंने यह खुलासा एक वीडियो के माध्यम से किया है. इस वीडियो में शर्लिन ने बताया कि उन्होंने अपने ब्रैस्ट इंप्लांट हटवा दिए हैं और उन का यह डिसीजन उन की जिंदगी का सब से मुश्किल लेकिन जरूरी कदम था.

असहनीय दर्द से रहीं पीड़ित

शर्लिन चोपड़ा का कहना है कि उन को बहुत दर्द सहना पड़ा. इस की वजह से कई और असहनीय दर्द को झेलना पड़ा जैसे- क्रोनिक बैक पेन, नैक पेन, चेस्ट पेन, शोल्डर पेन आदि. दर्द से परेशान हो कर उन्होंने मैडिकल जांच करवाई और पता चला की हैवी ब्रैस्ट इंप्लांट्स की वजह से ये सारी दिक्कतें हुई हैं. ऐसे में डाक्टरों की ऐडवाइस पर उन्होंने यह डिसीजन लिया है.

वे कहती हैं, “मैं चाहती हूं कि खुद को अपने नैचुरल रूप में अपनाऊं और हैल्दी लाइफस्टाइल जिऊं.”

क्या है ब्रैस्ट इंप्लांट

ब्रैस्ट इंप्लांट एक तरह की कौस्मेटिक सर्जरी होती है, जिस में सिलिकन या सलाइन जैल से बने फेक इंप्लांट को ब्रैस्ट के अंदर फिट किया जाता है ताकि उन का शेप बड़ा या परफैक्ट दिखे. लेकिन कई बार यह सर्जरी बौडी पर अपोजिट इफैक्ट डाल सकती है.

सर्जरी के बाद अगर सही तरीके से केयर न की जाए, तो बैक्टीरियल इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इस से स्वेलिंग, पेन और फीवर भी हो सकता है.

ब्रैस्ट इंप्लांट कितनी बार बदलना चाहिए

ब्रैस्ट इंप्लांट हमेशा के लिए नहीं टिकते. अगर आप के ब्रैस्ट इंप्लांट हैं, तो आप को लाइफ में कभी न कभी उन्हें निकलवाना या बदलवाना पड़ेगा. ब्रैस्ट इंप्लांट औसतन 10 साल तक चलते हैं. लेकिन 10 साल बाद इन के फटने की दर बढ़ जाती है. कुछ ज्यादा समय तक चल सकते हैं, कुछ कम समय तक.

ब्रैस्ट इंप्लांट रिप्लेसमैंट के कारण

इस के 2 कारण होते हैं- एक कैप्सुलर संकुचन दूसरा कैप्सुलर संकुचन. यह तब होता है जब ब्रैस्ट के चारों ओर हार्ड स्कैर टिश्यू बन जाते हैं. इस की गंभीरता थोड़ी हार्ड और पेनफुल तक हो सकती है. हम सोचते हैं कि यह सामान्य से ज्यादा  स्वेलिंग के कारण होता है, जिस के परिणामस्वरूप शरीर में ज्यादा स्कैर टिश्यू बन जाते हैं. सर्जरी के बाद हेमटोमा होना ज्यादा आम है यानि इंप्लांट के आसपास रक्तस्राव जमा हो जाता है. यह बैक्टीरिया के इन्फैक्शन से भी जुड़ा हो सकता है, भले ही यह सबक्लीनिकल इन्फैक्शन हो यानि बिना किसी लक्षण वाला.

ब्रैस्ट इंप्लांट रिमूवल सर्जरी के बाद की प्रौब्लम्स

मैडिकल ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्रैस्ट इंप्लांट रिमूवल सर्जरी के बाद कुछ महिलाओं को स्किन लूज पड़ने, शेप बदलने और सैंसेशन लौस जैसी प्रौब्लम्स का सामना करना पड़ सकता है.

ब्यूटी से अधिक जरूरी हैल्थ

शर्लिन चोपड़ा का यह कदम महिलाओं में बौडी पौजिटिविटी और हैल्थ अवेयरनैस को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है. उन्होंने अपने अनुभव के जरीए यह संदेश दिया है कि ब्यूटी से अधिक जरूरी है हैल्थ और सैल्फ कौन्फिडेंस.

आमतौर पर ब्रैस्ट इंप्लांट का वेट उन के शेप पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, 100 सीसी इंप्लांट का वेट लगभग 100 ग्राम होता है. शेप 100 सीसी से शुरू हो कर 800 सीसी या उस से भी ज्यादा हो सकते हैं.

सिलिकन का मैडिकल नाम

ब्रैस्ट इंप्लांट में इस्तेमाल होने वाले सिलिकन का कोई एक मैडिकल नाम नहीं है, लेकिन इस के मुख्य घटक का रासायनिक नाम डाईमिथाइलसिलोक्सेन है. यह एक मैडिकल ग्रेड सिलिकन इलास्टोमर है, जिसे विभिन्न रूपों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे सिलिकन जैल, सिलिकन तेल और विभिन्न प्रकार के अनाकार सिलिका पाउडर जैसे सिलिका एरोजेल, सिलिका स्मोक.

स्कैर टिशू क्या हैं

स्कैर टिशू  डैमेज्ड स्किन या अन्य टिश्यू पर बनने वाला रेशेदार टिश्यू  है, जो घाव भरने की नैचुरल हीलिंग प्रोसेस का हिस्सा है. यह नौर्मल टिश्यू की जगह लेता है, लेकिन यह कम लचीला और मोटा होता है और मुख्य रूप से कोलेजन से बना होता है. चोट, सर्जरी या बीमारी के बाद बौडी इस नए टिश्यू  का निर्माण कर के इंजर्ड एरिया को ठीक करता है.

स्कैर टिशू विशेषताएं

यह कोलेजन प्रोटीन से बना होता है, जो रेशेदार और मजबूत होता है. इस का टैक्स्चर नौर्मल स्किन की तरह लचीला या चिकना नहीं होता है, बल्कि यह अकसर मोटा और कठोर होता है. यह चोट को बंद करने और आसपास के टिश्यूज को ठीक करने में मदद करता है.

भविष्य में आने वाली प्रौब्लम्स

अगर स्कैर टिशू बहुत मोटा हो जाता है, तो यह दर्द, अकड़न और प्रभावित अंग की गतिशीलता को सीमित कर सकता है. कभीकभी, यह आसंजन बना सकता है, जो टिश्यू की एक पट्टी की तरह होता है और एक क्षेत्र को दूसरे से चिपका सकता है. इस की शुरुआत चोट लगने के 24 घंटे के भीतर स्कार टिशू बनना शुरू हो सकता है.

ब्रैस्ट इंप्लांट रिप्लेसमैंट के 2 मुख्य कारण हैं :

कैप्सूलर कौन्ट्रैक्चर : यह तब होता है जब इंप्लांट के चारों ओर का स्कैर टिश्यू हार्ड हो जाता है, जिस से ब्रैस्ट  सख्त और असहज महसूस हो सकते हैं.

इंप्लांट का फटना या लीक होना : इस में इंप्लांट का बाहरी आवरण फट सकता है, जिस से सीलेंट लीक हो सकता है या सलाइन इंप्लांट के मामले में यह हवा बाहर निकल सकती है. इंप्लांट का फटना/लीक होना और बौडी में बदलाव जैसे-

प्रैगनैंसी, वेटलौस या वेट गेन के कारण ब्रैस्ट के रूप में बदलाव.

अन्य जटिलताएं

इस में कई जटिलताएं भी हैं जैसे इन्फैक्शन, तरल पदार्थ का जमा होना या इंप्लांट का अपनी जगह से हिल जाना. इस से भी रिप्लेसमैंट की आवश्यकता हो सकती है.

Sherlyn Chopra

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