माता-पिता को डायबिटीज होने से क्या मुझे भी खतरा है, इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 43 वर्षीय महिला हूं. मेरा स्वास्थ्य सामान्य है. पर मेरे मातापिता दोनों को ही डायबिटीज थी, जिस के कारण उन्हें ढेरों परेशानियां उठानी पड़ीं. क्या परिवार में मातापिता, भाईबहन को यह रोग हो तो इस के होने का खतरा बढ़ जाता है? मुझे डायबिटीज न हो, इस के लिए मुझे क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

जवाब-

यह बात सच है कि जैनेटिक कारणों से डायबिटीज कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी पाई जाती है. रक्त संबंधियों जैसे मातापिता और सगे भाईबहन को डायबिटीज हो तो व्यक्ति को डायबिटीज होने का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है. टाइप 2 डायबिटीज में पिता के डायबिटिक होने पर संतान में डायबिटीज की दर 14%, मां के डायबिटिक होने पर 19% और मातापिता दोनों के डायबिटिक होने पर 25% आंकी गई है. भाई या बहन को डायबिटीज हो तो 75% मामलों में दूसरे भाईबहनों को भी डायबिटीज होती है. डायबिटीज होने का यह रिस्क कई दूसरी चीजों के साथ भी बढ़ जाता है. जैसेजैसे उम्र बढ़ती है और 45 पार करती है, वैसेवैसे डायबिटीज का खतरा बढ़ता जाता है. इसी प्रकार शरीर पर चरबी बढ़ने, पूरापूरा दिन बैठेबैठे बिताने और शारीरिक कामकाज, व्यायाम के लिए समय न देने, ब्लडप्रैशर 140/190 अंकों से अधिक हो जाने, एचडीएल कोलैस्ट्रौल का प्रतिशत 35 मिलीग्राम से कम होने व ट्राइग्लिसराइड का प्रतिशत बढ़ कर 250 मिलीग्राम के पार जाने और धमनियों में रुकावट के लक्षण उपजने पर डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है. जिस स्त्री को पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज रही होती है या जिस स्त्री की प्रैगनैंसी में ब्लडशुगर बढ़ने की हिस्ट्री होती है या जिस स्त्री ने पहले कभी 9 पाउंड से अधिक वजन के बच्चे को जन्म दिया होता है, उसे भी ब्लडशुगर पर खास निगरानी रखने की जरूरत होती है.

लेकिन इन जानकारियों को पा कर आप न तो घबराएं ही, न ही परेशान हों. अगर आप सही जीवनशैली अपना लें, तो बहुत संभव है कि आप इस रोग से साफ बच जाएं. संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम और वजन पर विशेष ध्यान रखने से टाइप 2 डायबिटीज की दर 50-60% घटाई जा सकती है. संतुलित खानपान का माने है कि रोजाना कैलोरी जरूरत के मुताबिक ही लें. फैट कम मात्रा में लें यानी जंक फूड और फास्ट फूड को तिलांजलि दे दें और घी, मक्खन सीमित मात्रा में प्रयोग करें. खाना पकाने के लिए सूरजमुखी, सरसों और मूंगफली का तेल मिला कर इस्तेमाल करें और भोजन में प्राकृतिक रेशेदार चीजों पर जोर रखें. रोजाना नियम से शारीरिक कसरत करें. चुस्त चाल से की गई सैर, तैराकी, साइक्लिंग और बैडमिंटन जैसा कोई खेल इस दृष्टि से अच्छा होता है. तीसरी बात यह है कि यदि वजन अधिक है, तो उसे घटाने की पूरी कोशिश करें. मात्र 5% वजन कम करने से भी डायबिटीज का जोखिम घट जाता है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मुझे डायबिटीज है तो क्या मुझे फल खाना बंद कर देना चाहिए?

सवाल

मुझे फल खाना बहुत पसंद है, लेकिन मुझे डायबिटीज है. ऐसे में क्या मुझे इन्हें खाना बंद कर देना चाहिए?

जवाब

यह एक सामान्य लेकिन पूरी तरह से गलत धारणा है. जिन्हें डायबिटीज है वे सामान्य लोगों की तरह सभी फल खा सकते हैं, लेकिन उन्हें केवल मात्रा का ध्यान रखना चाहिए. आप रोज 150-200 ग्राम फल बिना किसी परेशानी के खा सकती हैं. जिन्हें डायबिटीज है उन्हें ऐसे फल खाना चाहिए जिन का ग्लाइसेमिक इंडैक्स कम हो, जैसे सेब, संतरा, पपीता, नाशपाती, अमरूद, अनार. अंगूर, आम, चीकू, पाइनऐप्पल से परहेज करना चाहिए, लेकिन अगर बहुत मन करे तो कभीकभार बिलकुल थोड़ी मात्रा में इन्हें ले सकते हैं.

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सवाल

मेरे 12 वर्षीय बेटे को डायबिटीज है. मैं जानना चाहती हूं जुवेनाइल डायबिटीज के प्रबंधन में कैसे करूं?

जवाब

टाइप 1 डायबिटीज टाइप 2 डायबिटीज से ज्यादा गंभीर होती है क्योंकि इस का प्रबंधन मुश्किल होता है. जब एक बार बच्चे इंसुलिन पर निर्भर हो जाते हैं, तो फिर हमेशा उन्हें इस की जरूरत पड़ती है. लेकिन खानपान में बदलाव ला कर इंसुलिन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है. डाक्टर से मिल कर डाइट चार्ट तैयार कराएं और अपने बच्चे को इस का कड़ाई से पालन करने के लिए प्रेरित करें. अपने खानपान में भी बदलाव लाएं ताकि बच्चा खुद को अलगथलग महसूस न करे. उसे अपने साथ वाक पर ले जाएं, ऐक्सरसाइज और योग करने के लिए प्रेरित करें. जुवेनाइल डायबिटीज से पीडि़त बच्चों में कभीकभी रक्त में शुगर का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है. इसलिए स्कूल में भी बताएं कि आप का बच्चा जुवेनाइल डायबिटीज से पीडि़त है. उस के दोस्तों को भी इस बारे में बताएं ताकि किसी आपातकालीन स्थिति से निबटने में परेशानी न हो.

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सवाल

मेरे पति को पिछले 10 साल से डायबिटीज है. मैं आजकल डायबिटीज रिवर्सल के बारे में बहुत सुन रही हूं. डायबिटीज रिवर्सल क्या होता है? क्या अब डायबिटीज से छुटकारा पाना संभव है?

जवाब

डायबिटीज रिवर्सल उस स्थिति को कहते हैं जब मरीज का शुगर लैवल सामान्य रेंज में है और उसे दवाइयां लेने की जरूरत नहीं होती है. लेकिन इसे क्योर नहीं रिवर्सल इसलिए कहा जाता है क्योंकि शरीर में डिजीज मैकेनिज्म और पैथोलौजी बनी रहती है. किसी भी बीमारी के लिए क्योर शब्दावली तभी इस्तेमाल की जाती है जब यह कभी दोबारा न हो. लेकिन डायबिटीज रिवर्सल में दोबारा होने का खतरा बना रहता है. डायबिटीज रिवर्सल टाइप 2 डायबिटीज में होता है. यह टाइप 1 डायबिटीज में नहीं होता है क्योंकि यह इंसुलिन डिपैंडैंट होता है.

डायबिटीज रिवर्सल तभी हो पाता है, जब मरीज डाक्टर की देखरेख में एक अत्यधिक अनुशासित जीवनशैली का पालन करता है, संतुलित भार बनाए रखता है, नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करता है और खानपान पर नियंत्रण रखता है.

डा. ए.के. झिंगन

चेयरमैन, डेल्ही डायबिटीज रिसर्च सैंटर,

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डायबिटीज के चपेट में परिवार भी

भारत में हर व्यक्ति किसी न किसी ऐसे व्यक्ति को जानता होगा जिसे डायबिटीज की बीमारी होगी क्योंकि यहां 6.20 करोड़ लोग इस मर्ज से पीडि़त हैं. अनुमान है कि 2030 तक पीडि़तों की संख्या 10 करोड़ तक पहुंच जाएगी. अस्वस्थ खानपान, शारीरिक व्यायाम की कमी और तनाव डायबिटीज का मुख्य कारण बनते हैं.

इस बीमारी से भविष्य में मरीजों के साथसाथ उन के परिवारों और देश पर पड़ने वाले आर्थिक व मानसिक बोझ को देखते हुए इस से बचाव और समय पर इस का प्रबंधन बेहद जरूरी है. एक अध्ययन के मुताबिक, डायबिटीज और इस से जुड़ी बीमारियों के इलाज व मैनेजमैंट का खर्च भारत में 73 अरब रुपए है.

पेनक्रियाज जब आवश्यक इंसुलिन नहीं बनाती या शरीर जब बने हुए इनसुलिन का उचित प्रयोग नहीं कर पाता तो डायबिटीज होती है जो कि एक लंबी बीमारी है. इंसुलिन वह हार्मोन है जो ब्लडशुगर को नियंत्रित करता है. अनियंत्रित डायबिटीज की वजह से आमतौर पर ब्लडशुगर की समस्या हो जाती है. इस के चलते आगे चल कर शरीर के नाड़ी तंत्र और रक्त धमनियों सहित कई अहम अंगों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

रोग, रोगी और बचाव

डायबिटीज बचपन से ले कर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में हो सकती है. गोरों के मुकाबले भारतीयों में यह बीमारी 10-15 साल जल्दी हो जाती है. चूंकि इस का अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं है और नियमित इलाज पूरी उम्र चलता है, इसलिए बाद में दवा पर निर्भर होने से बेहतर है अभी से बचाव

कर लिया जाए. जीवनशैली में मामूली बदलाव कर के डायबिटीज होने के खतरे को कम किया जा सकता है, कुछ मामलों में तो शुरुआती दौर में इसे ठीक भी किया गया है.

परिवार पर मार

दूसरी बीमारियों के मुकाबले डायबिटीज एक पारिवारिक रोग सरीखा है. इस के प्रभाव एक व्यक्ति पर नहीं पड़ते. घर के किसी सदस्य के डायबिटीज से पीडि़त होने पर पूरे परिवार को अपने खानपान व जीवन के अन्य तरीके बदलने पड़ते हैं. रोग का परिवार के बजट पर भी गहरा असर पड़ता है.

पर्सन सैंटर्ड केयर इन द सैकंड डायबिटीज एटीट्यूड, विशेज ऐंड नीड्स: इंसपीरेशन फ्रौम इंडिया नामक एक मल्टीनैशनल स्टडी में पता चला कि डायबिटीज की वजह से शारीरिक, आर्थिक व भावनात्मक बोझ पूरे परिवार को उठाना पड़ता है. इस के तहत दुनियाभर के 34 प्रतिशत परिवार कहते हैं कि किसी परिवारजन को डायबिटीज होने से परिवार के आर्थिक हालात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जबकि भारत में ऐसे परिवारों की संख्या 93 से 97 प्रतिशत तक है.

दुनियाभर में 20 प्रतिशत पारिवारिक सदस्य मानते हैं कि डायबिटीज की वजह से लोग उन के अपनों से भेदभाव करते हैं. दरअसल, जिस समाज में वे रहते हैं उसे डायबिटीज पसंद नहीं है जबकि भारत में ऐसे 14-32 प्रतिशत परिवार ऐसा ही महसूस करते हैं.

वक्त पर इस का प्रबंधन करने के लिए डायबिटीज के रोगी के परिवार की भूमिका अहम होती है. यह साबित हो चुका है कि परिवार का सहयोग न मिलने पर रोगी अकसर अपनी दवा का नियमित सेवन और ग्लूकोज पर नियंत्रण नहीं रख पाता. इसलिए जरूरी है कि परिवार का एक सदस्य शुरुआत से ही इन सब बातों का ध्यान रखने में जुट जाए. डाक्टर के पास जाते वक्त साथ जा कर पारिवारिक सदस्य न सिर्फ काउंसलिंग सैशन का हिस्सा बन सकता है बल्कि यह भी समझ सकता है कि इस हालत को वे बेहतर तरीके से कैसे मैनेज कर सकते हैं.

कैसे करें शुगर प्रबंधन

डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है. अगर उचित कदम उठाए जाएं तो इस के रोगी लंबा व सामान्य जीवन गुजार सकते हैं. प्रबंधन के लिए कुछ कदम इस प्रकार हैं :

–  पेट के मोटापे पर नियंत्रण रख के इस से बचा जा सकता है क्योंकि इस का सीधा संबंध टाइप 2 डायबिटीज से है. पुरुष अपनी कमर का घेरा 40 इंच और महिलाएं 35 इंज तक रखें. सेहतमंद और संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम मोटापे पर काबू    पाने में मदद कर सकता है.

–  गुड कोलैस्ट्रौल 50 एमजी रखने से दिल के रोग और डायबिटीज से बचा जा सकता है.

–  ट्रिग्सीसाइड एक आहारीय फैट है जो मीट व दुग्ध उत्पादों में होता है जिसे शरीर ऊर्जा के लिए प्रयोग करता है और अकसर शरीर में जमा कर लेता है. इस का स्तर 150 एमजी या इस से ज्यादा होने पर यह डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है.

–  आप का सिस्टौलिक ब्लडप्रैशर 130 से कम और डायस्टौलिक ब्लडप्रैशर 85 से कम होना चाहिए. तनावमुक्त रह कर ऐसा किया जा सकता है.

–  खाली पेट ग्लूकोज 100 एमजी या ज्यादा होने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.

–  दिन में 10,000 कदम चलने की सलाह दी जाती है.

परिवार मिल कर सप्ताह में 6 दिन सेहतमंद खानपान और रविवार को चीट डे के रूप में अपना सकते हैं ताकि नियमितरूप से हाई ट्रांस फैट और मीठा खाने से बचा जा सके. रविवार को बाहर जा कर शारीरिक व्यायाम करने के लिए भी रखा जा सकता है. परिवार में तनावमुक्त जीवन जीने की प्रभावशाली तकनीक बता कर सेहतमंद व खुशहाल जीवन जीने के लिए उत्साहित कर के एकदूसरे की मदद की जा सकती है.

(लेखक एंडोक्राइनोलौजिस्ट हैं.)

डाईबेसिटी को नियंत्रित करने के लिए 7 डाइट टिप्स

एक रिसर्च के मुताबिक जवान बच्चों में डायबिटीज अधिक पाई जा रही है. इन बच्चों में डायबिटीज के साथ साथ मोटापे की समस्या भी देखने को मिलती है. अतः इन दोनों चीजों को साथ मिलाकर डाईबेसिटी नाम दिया गया है. यह ज्यादातर 20-79 साल के लोगों में अधिक देखी जाती है.

आपकी डाइट आपकी बीमारी को ठीक करने या उसे और बढ़ाने की जिम्मेदार होती है. अतः यदि आप डाईबेसिटी के मरीज हैं तो आपको अपनी डाइट का खास ख्याल रखना होता है. तो आइए जानते हैं कुछ डाइट टिप्स के बारे में जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं.

1. स्वयं को हाइड्रेटेड रखें :

स्वयं को हाइड्रेटेड रखने के लिए सोड़ा या अन्य प्रकार की ड्रिंक्स को अवॉइड करें और सादे पानी का प्रयोग करें. आपको अपनी शुगर लेवल नियंत्रण में रखनी होती है इसलिए किसी भी शुगर ड्रिंक का प्रयोग न करें अन्यथा आपकी डायबिटीज और अधिक भयंकर रूप ले सकती है. अतः स्वयं को हाइड्रेटेड रखें और इसके लिए केवल पानी ही पिएं.

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2. हेल्दी कार्ब्स खाएं :

आपको अपनी डाइट में कम से कम कार्ब्स रखने चाहिए. और जितने कार्ब्स आप अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं उन्हें हेल्दी रखें. बहुत ज्यादा कार्ब्स से भी आपका डायबिटीज का खतरा और अधिक बढ़ सकता है.

3. अपनी डाइट में होल ग्रेंस शामिल करें :

अपनी डाइट में होल ग्रेन जैसे ब्राउन चावल, होल ओट्स आदि चीजों को शामिल करें. आपको उन चीजों को अपनी डाइट से हटा देना चाहिए जिनमें कम फाइबर होता है जैसे सफेद ब्रेड, सफेद चावल व बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड.

4. फाइबर से युक्त डाइट रखें :

आपको हर चीज एक सीमित मात्रा में ही खानी चाहिए और केवल हेल्दी चीजें ही खानी चाहिए. आप अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर चीजें शामिल कर सकते हैं. इससे आपकी डायबिटीज़ नियंत्रित होने में मदद मिलेगी और आपकी ब्लड शुगर भी नियंत्रित होगी. इसके लिए आप ब्रोकली, स्प्राउट, गाजर, फूल गोभी व फलियां आदि चीजें शामिल कर सकते हैं.

5. रेड मीट खाएं :

यदि आप कुछ प्रकार का रेड मीट जैसे बेकन, बीफ आदि खाना पसंद करते हैं तो इनसे आपको हृदय से सम्बन्धित समस्याएं हो सकती हैं जिससे आपको कैंसर का भी खतरा हो सकता है. इसलिए इन रेड मीट की बजाए आप अंडे, मछली व पोल्ट्री के पदार्थ खा या पी सकते हैं. बीन्स, मटर व दाल आदि भी फाइबर से भरपूर होते हैं और अपने ग्लूकोज को भी ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं. अतः आप इनको भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

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6. हेल्दी फैट्स को शामिल करें :

यह तो आपको पता ही होगा कि यदि आप ज्यादा फैट खाते हैं तो आप ज्यादा मोटे होते हैं और जिन लोगों को डायबिटीज होती है उन्हें अपने मोटापे का भी खास ख्याल रखना पड़ता है. इसलिए मोटापे को कंट्रोल करने के लिए आपको केवल वहीं फैट्स खाने चाहिए जो आपकी सेहत को ज्यादा नुक़सान न पहुंचाएं और जो आपके शरीर के लिए हेल्दी हों. ऐसे फैट का उदाहरण अन सैचुरेटेड फैट होता है.

7. एडेड शुगर को खाएं :

यदि आप ज्यादा शुगर खाते हैं तो आप बहुत ही बड़ी गलती कर रहे हैं. अपनी डाइट से जितना हो सके उतना शुगर को कट कर दें. आप चाहें तो ऐसी चीजें खा सकते हैं जिनमें नेचुरल शुगर होती है जैसे कुछ फल. लेकिन आप इन चीजों को भी केवल सीमित मात्रा में ही खाए. अन्यथा आपकी शुगर बढ़ सकती है. यदि आप जूस, काफी आदि ड्रिंक्स के ज्यादा आदी हो गए हैं तो आप इन्हें बिना शुगर एड किए पी सकते हैं. इससे आपको ज्यादा नुक़सान नहीं होगा. इसके अलावा आप स्नैक्स भी वही खाएं जिनमे शुगर की मात्रा बहुत ही कम हो.

डॉ दीपक वर्मा, इंटरनल मेडिसिन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गाजियाबाद

डायबिटीज में फायदेमंद है नैचुरल डाइट

डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है. इस में शर्करा का सतर उच्च हो जाता है. इस का सही इलाज न हो तो यह कई बीमारियों का कारण बन सकती है. डायबिटीज में व्यक्ति का अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 350 मिलियन लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. शुगर को  नियंत्रित करने के लिए ऐलोपैथिक दवाओं के साथसाथ आयुर्वेदिक का भी प्रयोग किया जाता है. आयुवे्रद में डायबिटीज को मधुमेह कहा गया है. डायबिटीज का प्रमुख कारण आनुवंशिकता भी होता है. डायबिटीज के लिए समय पर न खाना या अधिक जंक फूड खाना और मोटापा बढ़ना इस के कारण हैं. वजन बहुत ज्यादा बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है और रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर भी बहुत बढ़ जाता है जिस कारण डायबिटीज हो सकती है.

बहुत अधिक मीठा खाने, नियमित रूप से जंक फूड खाने, कम पानी पीने, ऐक्सरसाइज न करने, खाने के बाद तुरंत सो जाने, आरामपरस्त जीवन जीने और व्यायाम न करने वाले लोगों में डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है.

बच्चों में होने वाली डायबिटीज का मुख्य कारण आजकल का रहनसहन और खानपान है. आजकल बच्चे शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहते हैं और अधिक समय तक टीवी या वीडियो गेम खेलने में व्यतीत करते हैं. इस कारण डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है. इस से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है. डायबिटीज 2 तरह के होते हैं- टाइप-1 डायबिटीज के रोगी के शरीर में इंसुलिन का निर्माण आवश्यकता से कम होता है.

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इस कमी को बाहर से इंसुलिन दे कर नियंत्रित किया जा सकता है. इस में रोगी के अग्न्याशय की बीटा कोशिकाएं इंसुलिन नहीं बना पातीं, जिस का उपचार लगभग असंभव है. टाइप-2 डायबिटीज में रोगी का शरीर इंसुलिन का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. इस में शरीर इंसुलिन बनाता तो है, लेकिन कम मात्रा में और कई बार वह इंसुलिन अच्छे से काम नहीं करता. टाइप-1 डायबिटीज को उपचार और उचित खानपान से नियंत्रित किया जा सकता है.

डायबिटीज के लक्षण

डायबिटीज में शरीर का ग्लूकोस बढ़ने के साथ और भी लक्षण महसूस होते हैं. इन में अधिक भूख एवं प्यास लगना, अधिक पेशाब आना, हमेशा थका महसूस करना, वजन बढ़ना या कम होना, त्वचा में खुजली होना या अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं इस का प्रमुख कारण है. इस के अलावा नेत्र संबंधी समस्याएं जैसे धुंधला दिखना भी इस का प्रमुख कारण होता है. डायबिटीज के कारण कोई घाव होने पर उस के ठीक होने में समय लगता है. डायबिटीज में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरह से काम नहीं करती. महिलाओं में अकसर योनि में कैंडिड इन्फैक्शन होने का खतरा रहता है. व्यक्ति अपने हाथ और पैरों में झनझनाहट महसूस करता है, साथ ही हाथपैरों में दर्द एवं जलन भी हो सकती है.

डायबिटीज से बचाव

खानपान, जीवनशैली और घरेलू उपचारों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है. सब्जियों में करेला, ककड़ी, खीरा, टमाटर, शलगम, लौकी, तुरई, पालक, मेथी, गोभी आदि खाना चाहिए. फलों में सेब, अनार, संतरा, पपीता, जामुन, अमरूद का सेवन करें.

चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ने का रस, चौकलेट का सेवन बिलकुल न करें. एक बार में अधिक भोजन न करें, बल्कि भूख लगने पर थोड़ी मात्रा में भोजन करें. डायबिटीज के रोगी को प्रतिदिन आधा घंटा सैर करनी चाहिए और व्यायाम करना चाहिए. जितना हो सके तनावयुक्त जीवन जीना चाहिए.

शुगर के लक्षण नजर आएं तो तुरंत डाक्टर से मिलें.

डायबिटीज का इलाज

डायबिटीज में मेघदूत का मधुशून्य भी बेहद असरकारी होता है.

यह आयुर्वेदिक औषधियों का मिश्रण होता है. इस में करेला, विजयसार, गुड़मार, जामुन जैसी कई जड़ीबूटियां शामिल होती हैं. तुलसी में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट और जरूरी तत्त्व शरीर में इंसुलिन जमा करने और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते हैं. डायबिटीज के रोगी को रोज 2-3 तुलसी के पत्ते खाली पेट खाने चाहिए. इस से डायबिटीज के लक्षणों में कमी आती है. इस से इम्युनिटी बूस्ट होती है. करेले का जूस शुगर की मात्रा को कम करता है. डायबिटीज को नियंत्रित में लाने के लिए करेले का जूस नियमित रूप से पीना चाहिए.

सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लें. अलसी के बीज डायबिटीज के मरीज की भोजन के बाद की शुगर को लगभग 28% तक कम कर देते हैं. डायबिटीज में मेथी का सेवन लाभकारी है. मेथी के दानों को रात को सोने से पहले एक गिलास पानी में डाल कर रख दें. सुबह उठ कर खाली पेट इस पानी को पीएं और मेथी के दानों को चबा लें. नियमित रूप से इस  का सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रण में रहती है.

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क्या डायबिटीज से भविष्य में मुझे हड्डियों से जुड़ी तकलीफ होने की आशंका है?

सवाल

मैं 36 साल की हूं. मुझे मधुमेह (डायबिटीज) है. क्या इस वजह से भविष्य में मुझे हड्डियों से जुड़ी तकलीफ होने की आशंका है? अगर हां, तो उस का सामाधान बताएं?

जवाब

अगर आप डायबिटिक हैं, तो आप को डाक्टर से मिल कर सटीक डाइट चार्ट का अनुसरण करना चाहिए. आप को हड्डियों और जोड़ों से संबंधित कई तरह की तकलीफें होने की आशंका ज्यादा है. शोध बताते हैं कि ऐसे लोगों को आर्थ्राइटिस और जोड़ों का दर्द जैसी समस्या होने का खतरा दोगुना रहता है. आप को जब जोड़ों में दर्द का एहसास हो तो ‘हौट ऐंड कोल्ड अप्रोच’ आजमाएं. व्यायाम से भी प्रभावित मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी और दर्द के साथसाथ सूजन भी कम होगी.

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डायबिटीज मरीजों में बढ़ रहा है कैंसर का खतरा

अगर आप डायबिटीज मरीज हैं तो ये खबर आपके लिए जरूरी है. हाल ही में हुए शोध में ये बात सामने आई कि डायबीटिज यानी मधुमेह के मरीजों में कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है. स्वीडिश नेशनल डायबिटीज रजिस्टर (SNDR) ने अपने शोध के बाद दुनिया भर के लोगों को सेहत के प्रति सजग रहने के लिए आगाह किया है.

SNDR के शोधकर्ताओं ने ये बताया है कि डायबिटीज मरीजों में कैंसर की संभावना बढ़ रही है. इसके साथ ही व्यक्ति की उम्र भी काफी कम हो जाती है. इन मरीजों में आम लोगों के मुकाबले कोरेलेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, वहीं महिला मरीजों में स्तन कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है.

इस अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले जोर्नस्डोटिर ने कहा कि उनका शोध इस बात की पुष्टि नहीं करता कि सभी डायबिटीज मरीजों को कैंसर का खतरा है. बल्कि उनके शोध में ये बात सामने आई कि पिछले 30 साल में ‘टाइप 2 डायबिटीज’ से पीड़ितों की संख्या बढ़ी है जो उनके अध्ययन में इसके देखभाल के महत्व पर जोर देता है. डायबीटिज केवल भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों के लिए चुनौती है.

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डायबिटीज में रहें इन 6 सब्जियों से दूर

डायबिटीज आजकल लोगों में होने वाली आम समस्या है, लेकिन कईं बार केवल दवाई खाने के बावजूद आपका डायबिटीज कंट्रोल नही होता. डायबिटीज कंट्रोल न होने के कई कारण है, जिनमें रोजाना खाने वाला फूड भी है. अक्सर हम डायबिटीज होने के बावजूद कई ऐसी सब्जियां खा लेते हैं, जो आपकी हेल्थ को ज्यादा खराब कर देती है. इसीलिए आज हम आपको डायबिटीज की प्रौब्लम में दूर रहने वाली सब्जियों के बारे में बताएंगे…

डायबिटीज में रहें चुकंदर से दूर

चुकंदर भले ही सलाद के रूप में एक बेहतरीन चीज मानी जाती है लेकिन डायबिटीज रोगी के लिए यह सही नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मिठास ज्यादा होती है. ऐसा नहीं कि आप चुकंदर एकदम नहीं खा सकते लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम या वीक में एक बार हो सकती है.

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बींस को बिना उबाले न खाएं

बींस भले ही मीठा न होता हो लेकिन ये स्टार्च से भरा होता है. डायबिटीज में मीठा ही नहीं स्टार्च भी खाना मना होता है. ऐसे में ये हरी सब्जी भले ही हो लेकिन स्टार्च ज्यादा होने के कारण इसे भी खाने से बचना चाहिए। अगर बहुत पसंद हो बीन्स तो आप इसे उबाल कर खा सकते हैं.

टमाटर और कौर्न से भी रहें दूर

टमाटर सिट्रिक एसिड सेभरा होता है लेकिन मीठा भी. ऐसे में इसे भी खाने से बचना बहुत जरूरी है. स्वीट कौर्न भी मीठास से भरा होता है साथ ही इसमें स्टार्च भी भरपूर होता है. ऐसे में ये किसी भी रूप में ये हेल्थ के लिए सही नहीं होता. खास कर डायबिटीज मरीजों के लिए तो बिलकुल नहीं.

सूरन और अरबी

आलू की प्रजाति का होने के कारण अरबी और सूरन भी स्टार्च युक्त सब्जी होती है. मीठा भी ये काफी होता है, इसलिए डायबिटीज रोगी को इससे दूर रहना चाहिए.

आलू या शकरकंदी

आलू और शंकरकंदी स्टार्च और मीठास से भरा होता है. इसे भी खाने से डायबिटीज रोगियों को परहेज करना चाहिए। उबाला हुआ कभी कभार खाया जा सकता है.

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कद्दू से बचना है जरूरी

कद्दू भी बेहद मीठास से भरा होता है ऐसे में पका कद्दू मो बिलकुल भी डायबिटीज रोगियों को नहीं खाना चाहिए. हरा कद्दू कभी कभार खाया जा सकता है. इन सब्जियों से दूर रहकर आप अपने आप को डायबिटीज से होने वाली खतरनाक बीमारियों से दूर रह पाएंगे. साथ ही एक हेल्दी लाइफ बिना किसी टेंशन के जी पाएंगे.

कोरोना वायरस और डायबिटीज के बारे में आपको क्या-क्या पता होना चाहिए?

यदि आपका स्वास्थ्य सही नहीं रहता है तो आपको बीमार होने की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में यदि आप को डायबिटीज जैसी बीमारी हो जाती है तो आपको अन्य बीमारियों होने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. इसको ठीक होने में भी बहुत अधिक समय लग जाता है. जैसा कि आप जानते है कि कोविड 19 महामारी चल रही है ऐसे में आपको इंफेक्शन फैलने का खतरा और भी अधिक हो जाता है.

यदि आपको डायबिटीज की समस्या है तो आपको कोविड-19 से और भी ज्यादा सतर्क रहने की आवश्कता है. ऐसा किन वजहों से होता है, आइए जानते हैं.

 कारण

कोरोना महामारी के दौरान वैसे तो हर किसी को ही अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए और किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहिए परन्तु यदि किसी को डायबिटीज है तो उसके लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है. आपको कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं.

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आपका शरीर उतना स्वस्थ रहता है जितना कि आपका इम्यून सिस्टम. जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज हो जाती है तो इससे न केवल बॉडी के ग्लूकोज लेवल पर प्रभाव पड़ता है बल्कि इंसुलिन के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है जिससे हमारी रोग प्रति रोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. जिन लोगो का ब्लड सुगर लेवल अधिक होता है उनमें रक्त बहाव साधारण लोगो की तुलना में कम होता है जिसकी वजह से उनकी बॉडी कई तरह के पोषक तत्त्व पाचन करने में असमर्थ हो जाती है. इस कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे उन्हें बीमारियां व इंफेक्शन बहुत जल्दी होने की संभावना होती है.

इसलिए डायबिटीज के मरीजों को ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है. उनके कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से उन्हें कोरोना या अन्य तरह के इंफेक्शंस होने की संभावना आम आदमियों से ज्यादा होती है. डायबिटीज के मरीजों को हस्पताल में भी लंबे समय तक रहना पड़ सकता है क्योंकि उनको ठीक होने में अधिक समय लगेगा.

 आपको क्या करना चाहिए ?

कारोना के कैसे दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं ऐसे में आपको अपने हाइजीन, सामाजिक दूरी का ध्यान रखना चाहिए. यदि जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें. यदि आपको या आपके किसी प्रिय जन को डायबिटीज है तो आपको सामाजिक दूरी का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा. और आपके लिए बनाई गई स्वास्थ्य गाइडलाइंस का सावधानीपूर्वक पालन करना होगा. किसी भीड़ भाड़ वाली जगह में जाने से खुद को बचाएं.

आपको छोटे से छोटा व बड़े से बड़े लक्षण का भी ध्यान रखना है. आपको समय समय पर अपना ब्लड सुगर लेवल चैक करते रहना चाहिए. यदि आपको इंफेक्शन का कोई भी लक्षण दिख रहा है तो तुरन्त अपने डॉक्टर से चैक कराएं और अपना सख्ताई से ख्याल रखे.

यदि समय रहते ही आप बीमारी का पता लगा लेते हैं तो आपको भविष्य में ज्यादा मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता है. डायबिटीज के मरीजों को तो अपने शरीर में आने वाले हर छोटे से छोटे बदलाव का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कोई भी बदलाव इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है. आपको बहुत बुद्धिमता से काम लेने की आवश्यकता है. अपनी किसी भी दवाई को लेना न भूलें और किसी भी तरह का स्वास्थ्य से जुड़ा रिस्क न लें वरना आपकी स्थित बहुत गम्भीर हो सकती है.

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