Relationship : मेरे पिताजी पति को खरीखोटी सुनाते रहते हैं… मैं क्या करूं?

Relationship : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. 2 वर्ष पहले मेरे पिता मेरे लिए एक विवाह प्रस्ताव लाए थे. लड़का पढ़ा लिखा और काफी योग्य था, पर परले दर्जे का घमंडी था. मैं ने उस के लिए मना कर दिया. फिर मेरे चाचा ने एक लड़का तलाशा. लड़का हर तरह से ठीक था. अकसर हमारे यहां आता जाता था.

मैं उस से प्यार करने लगी. इसी बीच हम से गलती हो गई. हम ने संबंध बना लिया और मैं गर्भवती हो गई. घर में कोई बताने वाला नहीं था. क्या करें, क्या न करें सोचते सोचते 3 महीने बीत गए. हमें कुछ समझ नहीं आया, तो हम घर से भाग गए.

वहीं मैं ने एक बेटे को जन्म दिया. खबर मिलने पर पिता आ कर बच्चे का नामकरण वगैरह कर के हमें घर ले आए. अब वे बात बात पर मुझे और मेरे पति को खरीखोटी सुनाते रहते हैं. हम माफी भी मांग चुके हैं. बताएं क्या करें?

जवाब

माता पिता अपने बच्चों का हमेशा भला चाहते हैं. इसीलिए आप के द्वारा 2 बार गलती पहली विवाहपूर्व गर्भधारण करना और दूसरी घर से भाग जाने की करने पर भी वे आप को आप के बच्चे सहित घर ले आए. हमेशा सामने देख कर पिता यदि गुस्से में कभी कड़वी बात कह देते हैं, तो आप को उसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए.

यदि आप से सहन नहीं होता, तो आप को पति के साथ रहने की कहीं और व्यवस्था कर लेनी चाहिए. दूर होने से मन की कड़वाहट कम हो जाती है और संबंधों में मधुरता लौट आती है.

ये भी पढ़ें…

प्यार का चसका

शहर के कालेज में पढ़ने वाला अमित छुट्टियों में अपने गांव आया, तो उस की मां बोली, ‘‘मेरी सहेली चंदा आई थी. वह और उस की बेटी रंभा तुझे बहुत याद कर रही थीं. वह कह गई है कि तू जब गांव आए तो उन से मिलने उन के गांव आ जाए, क्योंकि रंभा अब तेरे साथ रह कर अपनी पढ़ाई करेगी.’’

यह सुन कर दूसरे दिन ही अमित अपनी मां की सहेली चंदा से मिलने उन के गांव चला गया था.

जब अमित वहां पहुंचा, तो चंदा और उन के घर के सभी लोग खेतों पर गए हुए थे. घर पर रंभा अकेली थी. अमित को देख कर वह बहुत खुश हुई थी.

रंभा बेहद खूबसूरत थी. उस ने जब शहर में रह कर अपनी पढ़ाई करने की बात कही, तो अमित उस से बोला, ‘‘तुम मेरे साथ रह कर शहर में पढ़ाई करोगी, तो वहां पर तुम्हें शहरी लड़कियों जैसे कपड़े पहनने होंगे. वहां पर यह चुन्नीवुन्नी का फैशन नहीं है,’’ कह कर अमित ने उस की चुन्नी हटाई, तो उस के हाथ रंभा के सुडौल उभारों से टकरा गए. उस की छुअन से अमित के बदन में बिजली के करंट जैसा झटका लगा था.

ऐसा ही झटका रंभा ने भी महसूस किया था. वह हैरान हो कर उस की ओर देखने लगी, तो अमित उस से बोला, ‘‘यह लंबीचौड़ी सलवार भी नहीं चलेगी. वहां पर तुम्हें शहर की लड़की की तरह रहना होगा. उन की तरह लड़कों से दोस्ती करनी होगी. उन के साथ वह सबकुछ करना होगा, जो तुम गांव की लड़कियां शादी के बाद अपने पतियों के साथ करती हो,’’ कह कर वह उस की ओर देखने लगा, तो वह शरमाते हुए बोली, ‘‘यह सब पाप होता है.’’

‘‘अगर तुम इस पापपुण्य के चक्कर में फंस कर यह सब नहीं कर सकोगी, तो अपने इस गांव में ही चौकाचूल्हे के कामों को करते हुए अपनी जिंदगी बिता दोगी,’’ कह कर वह उस की ओर देखते हुए बोला, ‘‘तुम खूबसूरत हो. शहर में पढ़ाई कर के जिंदगी के मजे लेना.’’

इस के बाद अमित उस के नाजुक अंगों को बारबार छूने लगा. उस के हाथों की छुअन से रंभा के तनबदन में बिजली का करंट सा लग रहा था. वह जोश में आने लगी थी.

रंभा के मांबाप खेतों से शाम को ही घर आते थे, इसलिए उन्हें किसी के आने का डर भी नहीं था. यह सोच कर रंभा धीरे से उस से बोली, ‘‘चलो, अंदर पीछे वाले कमरे में चलते हैं.’’ यह सुन कर अमित उसे अपनी बांहों में उठा कर पीछे वाले कमरे में ले गया. कुछ ही देर में उन दोनों ने वह सब कर लिया, जो नहीं करना चाहिए था.

जब उन दोनों का मन भर गया, तो रंभा ने उसे देशी घी का गरमागरम हलवा बना कर खिलाया. हलवा खाने के बाद अमित आराम करने के लिए सोने लगा. उसे सोते हुए देख कर फिर रंभा का दिल उसके साथ सोने के लिए मचल उठा.

वह उस के ऊपर लेट कर उसे चूमने लगी, तो वह उस से बोला, ‘‘तुम्हारा दिल दोबारा मचल उठा है क्या?’’

‘‘तुम ने मुझे प्यार का चसका जो लगा दिया है,’’ रंभा ने अमित के कपड़ों को उतारते हुए कहा. इस बार वे कुछ ही देर में प्यार का खेल खेल कर पस्त हो चुके थे, क्योंकि कई बार के प्यार से वे दोनों इतना थक चुके थे कि उन्हें गहरी नींद आने लगी थी.

शाम को जब रंभा के मांबाप अपने खेतों से घर लौटे, तो अमित को देख कर खुश हुए.

रंभा भी उस की तारीफ करते नहीं थक रही थी. वह अपने मांबाप से बोली, ‘‘अब मैं अमित के साथ रह कर ही शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी.’’

यह सुन कर उस के पिताजी बोले, ‘‘तुम कल ही इस के साथ शहर चली जाओ. वहां पर खूब दिल लगा कर पढ़ाई करो. जब तुम कुछ पढ़लिख जाओगी, तो तुम्हें कोई अच्छी सी नौकरी मिल जाएगी. तुम्हारी जिंदगी बन जाएगी.’’

‘‘फिर किसी अच्छे घर में इस की शादी कर देंगे. आजकल अच्छे घरों के लड़के पढ़ीलिखी बहू चाहते हैं,’’ रंभा की मां ने कहा, तो अमित बोला, ‘‘मैं दिनरात इसे पढ़ा कर इतना ज्यादा होशियार बना दूंगा कि फिर यह अच्छेअच्छे पढ़ेलिखों पर भारी पड़ जाएगी.’’

रंभा की मां ने अमित के लिए खाने को अच्छेअच्छे पकवान बनाए. खाना खाने के बाद बातें करते हुए उन्हें जब रात के 10 बज गए, तब उस के सोने का इंतजाम उन्होंने ऊपर के कमरे में कर दिया.

जब अमित सोने के लिए कमरे में जाने लगा, तो चंदा रंभा से बोली, ‘‘कमरे में 2 पलंग हैं. तुम भी वहीं सो जाना. वहां पर अमित से बातें कर के शहर के रहनसहन और अपनी पढ़ाईलिखाई के बारे में अच्छी तरह पूछ लेना.’’

यह सुन कर रंभा मुसकराते हुए बोली, ‘‘जब से अमित घर पर आया है, तब से मैं उस से खूब जानकारी ले चुकी हूं. पहले मैं एकदम अनाड़ी थी, लेकिन अब मुझे इतना होशियार कर दिया है कि मैं अब सबकुछ जान चुकी हूं कि असली जिंदगी क्या होती है?’’

यह सुन कर चंदा खुशी से मुसकरा उठी. वे दोनों ऊपर वाले कमरे में सोने चले गए थे. कमरे में जाते ही वे दोनों एकदूसरे पर टूट पड़े. शहर में आ कर अमित ने रंभा के लिए नएनए फैशन के कपड़े खरीद दिए, जिन्हें पहन कर वह एकदम फिल्म हीरोइन जैसी फैशनेबल हो गई थी. अमित ने एक कालेज में उस का एडमिशन भी करा दिया था.

जब उन के कालेज खुले, तो अमित ने अपने कई अमीर दोस्तों से उस की दोस्ती करा दी, तो रंभा ने भी अपनी कई सहेलियों से अमित की दोस्ती करा दी. गांव की सीधीसादी रंभा शहर की जिंदगी में ऐसी रम गई थी कि दिन में अपनी पढ़ाई और रात में अमित और उस के दोस्तों के साथ खूब मौजमस्ती करती थी.

जब रंभा शहर से दूसरी लड़कियों की तरह बनसंवर कर अपने गांव जाती, तब सभी लोग उसे देख कर हैरान रह जाते थे. उसे देख कर उस की दूसरी सहेलियां भी अपने मांबाप से उस की तरह शहर में पढ़ने की जिद कर के शहर में ही पढ़ने लगी थीं.

अब अमित उस की गांव की सहेलियों के साथ भी मौजमस्ती करने लगा था. उस ने रंभा की तरह उन को भी प्यार का चसका जो लगा दिया था.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz . सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Society : पति की पिटाई करने वाली महिलाओं को मीडिया में हाईलाइट करना समाज की मानसिक चाल

Society : इन दिनों ये देखा जा रहा है कि पत्नी द्वारा पति पर अत्याचार किया जा है, कई वायरल वीडियो में पत्नी अपने पति को पिटते हुए और अपशब्द कहते हुए नजर आ रहीं है. हमारे समाज में जब भी कोई महिला अपने पति पर हाथ उठाती है या घरेलू हिंसा का आरोपी बनती है, तो यह खबर तेजी से फैलती है. मीडिया इसे सनसनीखेज बनाकर परोसता है और समाज में यह नैरेटिव गढ़ा जाता है कि महिलाएं अब अत्याचार कर रही हैं. लेकिन क्या यह एक संयोग है, या फिर महिलाओं के खिलाफ एक सोचीसमझी मानसिक चाल?

यह कोई नई बात नहीं है कि महिलाओं को नियंत्रित करने के लिए समाज ने हमेशा नएनए तरीके अपनाए हैं. कभी उन्हें शिक्षा से दूर रखा गया, कभी उन के पहनावे पर सवाल उठाए गए, तो कभी उन के कार्यक्षेत्र को सीमित किया गया. एक बार इतिहास में झांकर देखे तो यह मालूम होता है कि महिलाओं की आवाज को हमेशा ही दबाया गया है. सती प्रथा जैसी चलन ने समाज में महिलाओं के लिए डर का माहौल तैयार किया और उन के पति के मरने के बाद उन से जिंदगी जीने तक का अधिकार छीन लिया था. विधवा औरतों की दूसरी शादी से समाज आज भी उतना ही असहज है जितना आज से सौ साल पहले हुआ करता था. अगर कोई आदमी किसी विधवा औरत से शादी कर ले तो समाज उसे ऐसी हीन भावना से देखता है जैसे कि उस ने कोई अपराध कर दिया हों. आज भी छोटे शहर से लड़कियां बड़े शहरों में अपनी पढ़ाई और नौकरी के लिए कम ही आती है. मांबाप के अन्दर एक अलग ही डर आज भी मौजूद है कि कहीं उनकी बेटी के साथ बड़े शहर में कुछ अप्रिय घटना न घट जाएं. बलात्कार के मामले हर रोज आप को सुनने को मिल ही जाएंगे. इस से कोई शहर अछूता नहीं रह गया है. ऐसे में मांबाप की चिंता एक तरफ तो जायज नजर आती है वहीं दूसरी तरफ एक बेटी के सपने उस के आंखों में ही रह जाते है और कभी भी हकीकत की शक्ल नहीं ले पाते है. अब जब महिलाएं कहीं हिम्मत करके शिक्षा और रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर हो रही हैं, तो उन्हें ‘दमनकारी’ या ‘हिंसक’ बताने का प्रयास किया जा रहा है. अगर कहीं किसी छोटे कस्बे की कोई लड़की अपनी हक के लिए बगावत कर दें तो समाज उसे डराने से बाज नहीं आता.

सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात तो करती है लेकिन उसी बेटी के एजुकेशन को और महंगा कर देती है. सरकारी विश्विद्यालयों और कालेजों की बात करें इनमें उतनी सीट तो होती है नहीं कि पुरे भारतवर्ष की बेटियां पढ़ लें, ऐसे में कई बेटियों की पढ़ाई या तो छुट जाती है या फिर उन्हें किसी के घर ब्याह दिया जाता है. क्योंकि प्राइवेट कालेजों में मांबाप बेटे को पढ़ाने के लिए प्राथमिकता देते है. प्राइवेट कालेजों में पढ़ाई इतनी महंगी है कि ज्यादातर परिवार अपनी बेटी को पढ़ाने से बचते है. रही बात छोटे शहरों में सरकारी कालेजों की तो यहां अब भी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर शिक्षा विभाग को बहुत काम करना है. ज्यादातर कालजों को हालत खस्ता हो चली है. इस के साथ ही इन कालेजों में शिक्षकों की भी भारी कमी है.

समाज में कुछ अपवादस्वरूप घटनाएं होती हैं, जहां कुछ महिलाएं अपने पति के प्रति हिंसक हो सकती हैं, लेकिन इन्हें पूरे महिला समाज पर थोपना न केवल अनुचित बल्कि दुष्प्रचार भी है. जब कोई पुरुष घरेलू हिंसा करता है, तो इसे ‘निजी मामला’ या ‘सामाजिक समस्या’ कहकर टाल दिया जाता है, लेकिन जब कोई महिला अपने पति के खिलाफ हिंसा करती है, तो इसे बढ़ाचढ़ाकर दिखाया जाता है. आज भी अगर तुलना की जाए तो पुरषों द्वारा महिलाओं पर किए गए हिंसा के मामले ही ज्यादा होंगे. समाज हमेशा से ही पुरुषप्रधान रहा है और आज भी ज्यादा कुछ नहीं बदला है. गिनी चुनी महिलाएं है जो अपना मुकाम हासिल कर पाईं हैं. कार्यस्थलों पर न महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान मिलता है और न ही वेतन. खेलों में भी पुरुषों के खेल को ज्यादा तवज्जों दी जाती है. उन्हें मार्केट किया जाता है और अच्छा खासा बिजनेस बनाया जाता है. वहीं महिलाओं के खेल को न दर्शक भारी मात्रा में देखने जाते है और न ही मिडिया इन्हें ज्यादा तरजीह देती है. ऐसे में समानता का अधिकार संविधान में सिमटता नजर आता है.

महिला आयोग तो बना दिया गया है, लेकिन यह आयोग कितनी महिलाओं की आवाज सुन पाता है? अगर आवाजें सुनी जाती तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाते. बेटियां स्वतंत्र होकर अपने सपनों को पंख लगाती और एक नई दुनिया का निर्माण होता. मगर ऐसा होना आज की इस सरकार में तो बहुत मुश्किल लगता है. सरकार और मिडिया दोनों ने वास्तविक मुद्दों से अपना मुंह फेर लिया है और लोगों को आपस में लड़ाकर खुद सत्ता और शक्ति की मलाई खा रही है. ऐसे दौर में भी अगर कोई महिला समाज से लड़कर, हर पड़ाव को पार कर जब इतिहास लिखती है तो सभी नेतागण और मिडिया की टीआरपी नाम की दानव उस महिला के सम्मान में कसीदे पढ़ते नहीं थकते है. वहीं कोई महिला के साथ अगर बलात्कार हो जाए तो इनके मुंह से सिवाय निंदा के और कुछ नहीं निकलता है. ओलंपिक में मेडल लाने वाली बेटियां भी यौन उत्पीड़न और यौन शोषण की शिकार हुईं. वे न्याय के लिए चीखतीं रहीं और एक सांसद संसद में मुस्कुराता रहा और सरकार मौनव्रत रख सब देखती रही. प्रधानमंत्री दुनिया भर के हर विषयों पर भाषण देते है, लेकिन ऐसे मामलों में पता नहीं उन्हें कानों में समस्या हो जाती है, क्योंकि उन के पार्टी में ही कुकर्मी मौजूद है.

महिलाओं से जुड़े कानून और उन की स्थिति

भारत में महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन पुरुषवादी मानसिकता वाले समाज में इन्हें भी गलत ढंग से पेश किया जाता है.

1. घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005
– यह कानून महिलाओं को उन के पति और ससुराल पक्ष द्वारा की गई हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है. इसमें शारीरिक, मानसिक, यौन और आर्थिक हिंसा को अपराध माना गया है.

2. दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961
– इस कानून का उद्देश्य दहेज प्रथा को खत्म करना था, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश कर यह नैरेटिव बनाया गया कि महिलाएं झूठे केस दर्ज कर पुरुषों को फंसाती हैं. जबकि असल में ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम होती है.

3. आईपीसी की धारा 498A
– यह कानून महिलाओं को दहेज प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे लेकर भी दुष्प्रचार किया गया कि महिलाएं इस धारा का दुरुपयोग कर रही हैं. जबकि सच यह है कि अधिकांश महिलाएं डर और सामाजिक दबाव के कारण इस की शिकायत तक दर्ज नहीं कर पातीं.

4. कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013
– यह कानून महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देने के लिए बना था, लेकिन इस के खिलाफ भी यह तर्क दिया जाता है कि पुरुषों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है.

महिला सशक्तिकरण को दबाने की कोशिश

जब भी कोई महिला किसी क्षेत्र में प्रगति करती है, तो उस के खिलाफ कुछ न कुछ नैरेटिव गढ़ा जाता है. पहले कहा जाता था कि महिलाएं पढ़ लिखकर भी घर ही संभालेंगी, फिर जब वे नौकरी करने लगीं, तो कहा गया कि वे परिवार को समय नहीं देतीं. अब जब महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ी हो रही हैं, तो उन्हें हिंसक बताने की कोशिश की जा रही है और ये सब नैरेटिव गढ़ने के पीछे उसी विचारधारा के लोग खड़े है, जिन्हें महिलाओं की तरक्की शुरू से ही रास नहीं आई. ये वही लोग है जिन्होंने हमेशा ही महिलाओं को वस्तु समझा और उन्हें वस्तु की तरह ही इस्तेमाल किया. रेल गाड़ी से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक का सफ़र तय करने वाली माहिलाओं की सफलता इन्हें कभी रास नहीं आई. ऐसे लोग बस एक बिंदु ढूंढते है कि आखिर कैसे माहिलाओं को बदनाम किया जाएं. महिलाएं भले ही अपने क्षेत्र में कितना भी अच्छा काम कर लें, लेकिन समाज के दकियानूसी लोग हाथ से सलाम करने के बजाए उंगली उठाना पसंद करते है. इन्हें दुनिया में महिला की तरक्की पसंद नहीं, ये दुनिया को उन्हीं बेड़ियों में फिर जकड़ना चाहते है जहां सिर्फ मर्दों की हुकूमत चलती थी और औरतों को किसी तरह का कोई अधिकार नहीं था. समाज में पुरुषों द्वारा की जाने वाली हिंसा को सामान्य मान लिया गया है. लेकिन जब महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाती हैं या किसी हिंसा का जवाब देती हैं, तो उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है. यह न केवल पितृसत्तात्मक मानसिकता को दर्शाता है, बल्कि महिला सशक्तिकरण को रोकने का एक षड्यंत्र भी है.

समाज को बदलना होगा, कैसे हो शुरुआत ?

मीडिया को निष्पक्ष रिपोर्टिंग करनी चाहिए – महिलाओं से जुड़े अपराधों को सनसनीखेज बनाने के बजाय, उन्हें उचित संदर्भ में दिखाया जाना चाहिए, क्योंकि मिडिया वह माध्यम है जिसके परोसे गए कंटेंट को लोग सच मान लेते है. ऐसे में मिडिया का निष्पक्ष होना बहुत जरुरी हो जाता है. मिडिया अगर खबर को लेकर थोड़ा भी एंगल चेंज करती है तो इससे उस महिला के मानसिक हालत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, इससे उबरने में उस महिला को बरसो का समय लग जाता है. निष्पक्ष रिपोर्टिंग न होने की वजह से मिडिया और पुरे देश ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का जिम्मेदार रिया चक्रवर्ती को मान लिया था. अब जब सीबीआई की रिपोर्ट आई है तो एक बड़े चैनल के बड़े पत्रकार ने सोशल मिडिया के माध्यम से सार्वजनिक रूप से रिया चक्रवर्ती से माफी मांगी है.

घरेलू हिंसा के सभी मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए – चाहे हिंसा पुरुष करे या महिला, दोनों ही मामलों में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. हालांकि हमारे समाज में अगर पत्नी अपने पति के खिलाफ घरेलु हिंसा की शिकायत पुलिस को करती है तो समाज उसे अपना दुश्मान मान लेता है उस पर तरहतरह के आरोप लगा कर उसे बद्चलन तक करार देता है. वहीं अगर कोई पति अपनी पत्नी के खिलाफ केस कर देता है तो पुरे समाज को पहली नजर में मामला सच नजर आने लगता है और वे सभी पति को पत्नी पीड़ित कह देते है.

महिला सुरक्षा कानूनों का सम्मान किया जाए – यह समझने की जरूरत है कि महिलाओं के लिए बने कानूनों की आवश्यकता क्यों पड़ी और समाज में इनका सही तरीके से क्रियान्वयन हो. कानून का अगर सही से क्रियान्वयन न हुआ तो महिलाओं का न्याय से विश्वास उठ जाएगा. ऐसे ही लंबी कानूनी प्रक्रिया और अदालतों की सुनवाई से महिलाओं को और गहरा सदमा लगता है. अदालत में उन के केस पर जिरह कम उन के अंगों के बारे में ज्यादा सवाल किया जाता है. इस तरह के केस में कई महिलाएं अंदर से टूट जाती है और जिंदा लाश बनकर अपनी जिंदगी जीती है.

महिलाओं की छवि धूमिल करने वाली घटनाओं को तूल न दिया जाए – किसी एक दो मामलों के आधार पर पूरे महिला समाज को कलंकित करना बंद किया जाना चाहिए. महिलाओं की छवि को धूमिल कर समाज आपस में बहुत ज्ञान का आदान प्रदान करता है. समाज के सबसे ज्ञानी लोग अपना कीमती समय इस काम के लिए तो जरुर ही निकालते है कि महिला ने किस तरह के वस्त्र पहने है, वह कैसे बात करती है, कैसे हंसती है और उस महिला के कितने पुरुष मित्र है! लेकिन ये बुद्दजीवी लोग अपने आप को कभी ऐसी संज्ञा नहीं देते है और न ही अपने गुंडागर्दी और नालायकी हरकतों से बाज आते है.

महिलाओं के खिलाफ बनाई जा रही हर मानसिक चाल को समझना जरूरी है. कुछ अपवादस्वरूप घटनाओं की आड़ में पूरे महिला समाज को कलंकित करना गलत है. जब समाज में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं, तो उन्हें दमनकारी या हिंसक बताने के प्रयास किए जा रहे हैं. हमें इस नैरेटिव को तोड़ने और महिलाओं के वास्तविक संघर्ष को समझने की जरूरत है ताकि वे अपने अधिकारों से वंचित न रह जाएं. हम सभी को हमेशा ये याद रखना चाहिए कि महिला ही समाज की असली जन्मदाता है.

Family Bond : मेरी सास की रोकटोक के कारण मैं परेशान हो गई हूं…

Family Bond : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 25 वर्षीय महिला हूं. हाल ही में शादी हुई है. पति घर की इकलौती संतान हैं और सरकारी बैंक में कार्यरत हैं. घर साधनसंपन्न है. पर सब से बड़ी दिक्कत सासूमां को ले कर है. उन्हें मेरा आधुनिक कपड़े पहनना, टीवी देखना, मोबाइल पर बातें करना और यहां तक कि सोने तक पर पाबंदियां लगाना मु झे बहुत अखरता है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप घर की इकलौती बहू हैं तो जाहिर है आगे चल कर आप को बड़ी जिम्मेदारियां निभानी होंगी. यह बात आप की सासूमां सम झती होंगी, इसलिए वे चाहती होंगी कि आप जल्दी अपनी जिम्मेदारी सम झ कर घर संभाल लें. बेहतर होगा कि ससुराल में सब को विश्वास में लेने की कोशिश की जाए. सासूमां को मां समान सम झेंगी, इज्जत देंगी तो जल्द ही वे भी आप से घुलमिल जाएंगी और तब वे खुद ही आप को आधुनिक कपड़े पहनने को प्रेरित कर सकती हैं.

घर का कामकाज निबटा कर टीवी देखने पर सासूमां को भी आपत्ति नहीं होगी. बेहतर यही होगा कि आप सासूमां के साथ अधिक से अधिक रहें, साथ शौपिंग करने जाएं, घर की जिम्मेदारियों को समझें, फिर देखिएगा आप दोनों एकदूसरे की पर्याय बन जाएंगी.

ये भी पढ़ें- 

अकसर देखा जाता है कि घर में सासबहू के झगड़े के बीच पुरुष बेचारे फंस जाते हैं और परिवार की खुशियां दांव पर लग जाती हैं. पर यदि रिश्तों को थोड़े प्यार और समझदारी से जिया जाए तो यही रिश्ते हमारी जिंदगी को खुशनुमा बना देते हैं.

जानिए, कुछ ऐसे टिप्स जो सासबहू के बीच बनाएं संतुलन रखेंगे.

कैसे बनें अच्छी बहू

1. मैरिज काउंसलर कमल खुराना के मुताबिक, बेटा, जो शुरू से ही मां के इतना करीब था कि उस का हर काम मां खुद करती थीं, वही शादी के बाद किसी और का होने लगता है. ऐसे में न चाहते हुए भी मां के दिल में असुरक्षा की भावना आ जाती है. आप अपनी सास की इस स्थिति को समझते हुए शुरू से ही उन से सदभाव का व्यवहार करेंगी तो यकीनन रिश्ते की बुनियाद मजबूत बनेगी.

2. बहू दूसरे घर से आती है. अचानक सास उसे बेटी की तरह प्यार करने लगे, यह सोचना गलत है. प्यार तो धीरेधीरे बढ़ता है. यदि आप धैर्य रखते हुए अपनी तरफ से सास को मां का प्यार और सम्मान देती रहेंगी, तो समय के साथ सास के मन में भी आप के लिए प्यार गहरा होता जाएगा.

3. सास के साथ कम्यूनिकेशन बनाए रखें. नाराज होने पर भी बातचीत बंद न करें.

4. यदि आप से कोई गलती हुई है, आप ने सास के प्रति गलत व्यवहार किया है या कोई काम गलत हो गया है तो सहजता से उसे स्वीकार करते हुए सौरी कह दें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Relationship Tips : सासबहू के बनतेबिगड़ते रिश्ते, मौडर्न सोच से कम होंगे झगड़े

Relationship Tips : सास और बहू का बेहद नजदीकी रिश्ता होते हुए भी सदियों से विवादित रहा है. तब भी जब महिलाएं अशिक्षित होती थीं खासकर सास की पीढ़ी अधिक शिक्षित नहीं होती थी और आज भी जबकि दोनों पीढि़यां शिक्षित हैं और कहींकहीं तो दोनों ही उच्चशिक्षित हैं. फिर क्या कारण बन जाते हैं इस प्यारे रिश्ते के बिगड़ते समीकरण के संयुक्त परिवारों में जहां सास और बहू दोनों साथ रह रही हैं वहां अगर सासबहू की अनबन रहती है तो पूरे घर में अशांति का माहौल रहता है. सासबहू के रिश्ते का तनाव बहूबेटे की जिंदगी की खुशियों को भी लील जाता है. कभीकभी तो बेटेबहू का रिश्ता इस तनाव के कारण तलाक के कगार तक पहुंच जाता है.

हालांकि, भारत की महिलाओं का एक छोटा हिस्सा तेजी से बदला है और साथ ही बदली है उन की मानसिकता. उस हिस्से की सासें अब नई पीढ़ी की बहुओं के साथ एडजैस्टमैंट बैठाने की कोशिश करने लगी हैं. सास को बहू अब आराम देने वाली नहीं बल्कि उस का हाथ बंटाने वाली लगने लगी है. यह बदलाव सुखद है. नई पीढ़ी की बहुओं के लिए सासों की बदलती सोच सुखद भविष्य का आगाज है. फिर भी हर वर्ग की पूरी सामाजिक सोच को बदलने में अभी वक्त लगेगा.

ऐसे बिगड़ते हैं रिश्तों के समीकरण

भले ही आज की सास बहू से खाना पकाने व घर के दूसरे कामों की जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद नहीं करती. बहू पर कोई बंधन नहीं लगाती और न ही उस के व्यक्तिगत मसलों में हस्तक्षेप करती है. पर फिर भी कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जो अधिकतर घरों में इस प्यारे रिश्ते को बहुत सहज नहीं होने देते. अभी भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है क्योंकि आज भी कहीं सास तो कहीं बहू भारी है.

वे कारण जो शिक्षित होते हुए भी इन 2 रिश्तों के समीकरण बिगाड़ते हैं-

आज की बहू उच्चशिक्षित होने के साथसाथ आत्मनिर्भर भी है. मायके से मजबूत भी है क्योंकि अधिकतर 1 या 2 ही बच्चे हैं. अधिकतर लड़कियां इकलौती हैं, जिस के कारण वे सास से क्या किसी से भी दब कर नहीं चलतीं.

आज के समय में लड़की के मातापिता सास व ससुराल से क्या पति से भी बिना कारण समझौता करने की पारंपरिक शिक्षा नहीं देते जो सही भी है.

बहुओं को आज के समय में खाना बनाना न आना एक स्वाभाविक सी बात है और बनाना आना आश्चर्य की.

गेंद अब सास के पाले से निकल कर बहू के पाले में चली गई.

बहू नई टैक्नोलौजी की अभ्यस्त है, इसलिए बेटा उसे अधिक तवज्जो देता है जो सास को थोड़ा उपेक्षित सा कर देता है.

सास शिक्षित होते हुए भी और नए जमाने के अनुसार खुद को बदलने का दावा करने के बावजूद बहू के इस बदले हुए आधुनिक, आत्मविशासी व बिंदा सरूप को सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रही है.

पतिपत्नी के बंधे हुए पारंपरिक रिश्ते से उतर कर बहूबेटे के दोस्ताने रिश्ते को कई सासों को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है.

बहू के बजाय बेटे को घर संभालना पड़े तो सास की पारंपरिक सोच उसे कचोटती है.

बहू की आधुनिक जीवनशैली त्रस्त करती है.

सास सोचती है वह तो अपनी सास का विकल्प बनी पर उस का कोई विकल्प नहीं आया.

ये कुछ ऐसे कारण हैं जो आज की सासबहू दोनों शिक्षित पीढ़ी के बीच अलगाव व तनाव का कारण बन रहे हैं. फलस्वरूप विचारों व भावनाओं की टकराहट दोनों तरफ से होती है. दोनों के बीच शीत युद्ध प्रारंभ हो जाता है. बेटे व पति से दोनों शिकायतें कर अपने पक्ष में करने की कोशिश करने लगती हैं, जिस से बेटेबहू के रिश्तों के बीच धीरेधीरे अव्यक्त तनाव पसरने लगता है क्योंकि बेटा अपनी मां के प्रति भी कठोर नहीं हो सकता, जिस से पत्नी नाराज रहती है. छोटीछोटी बातें चिनगारी भड़काने का काम करती हैं, जिस की परिणति कभीकभी बेटेबहू को कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा कर होती है.

सासबहू का रिश्ता

‘यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज’ की सीनियर प्रोफैसर राइटर और नोचिकित्सक डा. टेरी आप्टर ने अपनी किताब, ‘व्हाट डू यू वांट फ्रौम मी’ के लिए की गई अपनी रिसर्च में पाया कि 50त्न मामलों में सासबहू का रिश्ता खराब होता है. 55त्न बुजुर्ग महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे खुद को बहू के साथ असहज और तनावग्रस्त पाती हैं. जबकि करीब दोतिहाई महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें उन की बहू ने अपने ही घर में अलगथलग कर दिया.

नई पीढ़ी की बहुओं की सोच

नई पीढ़ी की लड़कियों की सोच बहुत बदल गई है. वे पारंपरिक बहू की परिधि में खुद को किसी तरह भी फिट नहीं करना चाहतीं. उन की सोच कुछकुछ पाश्चात्य हो चुकी है. उन्हें ढोंग व दिखावा पसंद नहीं है. वे विवाह पश्चात अपने घर को अपनी तरह से संवारना चाहती हैं. वे अपने जीवन में किसी की भी दखलंदाजी पसंद नहीं है. उन के लिए उन का परिवार, उन के बच्चे व पति हैं. बेटी ही बहू बनती है. आज बेटियों को पालनेपोषने का तरीका बहुत बदल गया है. लड़कियां आज विवाह, ससुराल, सासससुर के बारे में अधिक नहीं सोचतीं. उन के लिए उन का कैरियर, खुद के विचार व व्यक्तित्व प्राथमिकता में रहते हैं.

सास की सोच

सास की पारंपरिक सामाजिक तसवीर बेहद नैगेटिव है. समाजशास्त्री रितु सारस्वत के अनुसार, सास की इमेज के प्रति ये ऐसे जमे हुए विचार हैं, जो इतनी आसानी से मिटाए नहीं जा सकते. आज की शिक्षित सास ने बहू के रूप में एक पारंपरिक सास को निभाया है. बहुत कुछ अच्छाबुरा झेला है. बड़ेबड़े परिवार निभाए हैं. नौकरी करते हुए या बिना नौकरी किए ढेर सारा काम किया है. बहुत अदबकायदे में रही है. लेकिन एक ही जैनरेशन में सास और बहू की स्थिति में इतना फर्क आ गया. बहू का रूप इतना बदल गया कि खुद को बहुत बदलने के बावजूद सास के लिए बहू का यह नया रूप आत्मसात करना आसान नहीं हो रहा है, जिस के कारण न चाहते हुए भी दोनों के रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं.

सास का डर

सासबहू के तनावपूर्ण रिश्ते का सब से बड़ा कारण है- सास में ‘पावर इनसिक्युरिटी’ का होना. सास बेटे की शादी होने के बाद इस चिंता में पड़ जाती है कि कहीं मेहनत से तैयार किया हुआ उन का बसाबसाया साम्राज्य छिन न जाए. जो सासें इस इनसिक्युरिटी के भाव से ग्रस्त रहती हैं, उन के अपनी बहू से रिश्ते अधिकतर खराब रहते हैं क्योंकि बहू उन के इस भाव को पोषित नहीं करती. लेकिन जिन मांओं ने इस पर विजय पा ली, उन के संबंध अपनी बहू से सहज व खुशहाल रहते हैं. अकसर सास को बहू से एक अच्छी बहू न होने की शिकायत रहती है. वैस्ट वर्जीनिया की डाक्टर क्रिस्टी ने बहुओं के नजरिए से किए गए अपने अध्यन में पाया कि बहू को बहुत अच्छा लगता है जब सास उसे बेटी कहती है और मां सा बरताव करती है, जब सास बहू को अपने घर का हिस्सा समझ कर, पति से उस के रिश्ता मजबूत करने में सहयोग करती है. ऐसी सासबहू का रिश्ता हमेशा खूबसूरत होता है.

मां की अहम भूमिका

विवाह से पहले बेटा अपनी मां के ही सब से नजदीक होता है. विवाह के बाद बेटे की प्राथमिकता में बदलाव आता है. जहां सास चाहती है कि बेटा तो विवाह के बाद उस का रहे ही अपितु बहू भी उस की हो जाए. यह सुंदर भाव व अभिलाषा है. हर मां ऐसा चाहती है. लेकिन इस के लिए कुछ बातों का पहले ही दिन से बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है:

सब से पहले तो बहू को अपनी अल्हड़ सी बेटी के रूप में स्वीकार करने की जरूरत है. उस की हर उपलब्धि पर खुशियों व तारीफ के पुल बांधे जाएं व हर गलती को मुसकराकर प्यार से टाल दिया जाए क्योंकि एक सुकुमार लाडली सी बेटी विवाह होते ही बहू की जिम्मेदारी के खोल में नहीं सिमट सकती.

सास और बहू के बीच जलन

यह बात थोड़ी अजीब लगती है क्योंकि दोनों का रिश्ता अच्छा हो या बुरा होता तो मांबेटी का ही है. लेकिन इन दोनों के बीच जलन कहां, किस रूप में जन्म ले ले, कहा नहीं जा सकता. लड़के ने अपनी मां को ज्यादा पूछा, उन के लिए बिना पत्नी को बताए कुछ खरीद लाये, किसी मसले पर उनसे सलाह मांग कर उन्हें तवज्जो दे, मां के बनाए खाने की अधिक तारीफ कर दी, पत्नी को मां से खाना बनाना व गृहस्थी चलाने के गुर सीखने की सलाह दे डाली तो बहू के दिल में सास के प्रति जिद्द व जलन के भाव आ जाते हैं. वहीं सास भी इन्हीं सब कारणों से बहू के प्रति ईष्यालु हो सकती है.

सास के जमाने में बहू के लिए अदबकायदे व जिम्मेदारियां बहुत थीं. आज की लड़की के लिए अदबकायदे व जिम्मेदारियों के माने बदल गए हैं. उस के बदले हुए तरीके को सहर्ष स्वीकार करें. बेमन से स्वीकार करने पर रिश्ता हमेशा भार बना रहेगा. सासबहू के बीच की सहजता खत्म होगी तो इस का असर बेटेबहू के रिश्ते पर पड़ेगा.

बेटा तो अपना ही है. अगर कभी पक्ष लेने की जरूरत पड़े तो बहू का लें वरना उन दोनों के बीच तटस्थ बने रहिए.

बहू के मातपिता भाईबहन को पूरा आदर, प्यार व सम्मान दें. लडकियां अपने मायके वालों से बहुत भावुकता से जुड़ी रहती हैं और यह स्वाभाविक भी है. उन की अवहेलना वे बिलकुल भी बरदाश्त नहीं कर पातीं.

नौकरीपेशा बहू अपने मायके वालों पर खूब खर्च करे तो उसे उतना ही अधिकार है अपनी कमाई पर जितना बेटे को. बेटा जब आप पर खर्च करता है तो खुशी होती है. लेकिन जब बहू अपने मायके वालों पर खर्च करती है तो ससुराल वालों को अकसर खल जाता है.

पहले बहुत सारे भाईबहन होते थे. बहू जरूरत पड़ने पर भी अपने घर वालों के काम नहीं आ पाती थी तो चल जाता था. लेकिन आजकल 1-2 बच्चे हैं, इसलिए बहू को अपने मातापिता की देखभाल करने संबंधी निर्णय का न केवल खुले दिल से स्वागत करें बल्कि उस का साथ भी दें.

Family Issues : मैं अपनी ननद की आदतों से परेशान हो गई हूं? क्या करूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

Family Issues : मैं 27 साल की शादीशुदा और 2 बच्चों की मां हूं. घर में हम अपने ससुर और सासूमां के साथ रहते हैं. एक ननद हैं जो मुझ से 2 साल बड़ी हैं और अभी हाल ही में परिवार सहित हमारे घर आई हैं. वे बहुत मिलनसार व समझदार हैं और हमारा आपस में कभी कोई विवाद नहीं हुआ है. मगर समस्या उन का हद से अधिक सामाजिक होना है. वे अकसर घर में अपनी स्थानीय सहेलियों को बुला लेती हैं और अकसर ही खानेपीने का दौर चलता रहता है.  मम्मीपापा (सासससुर) का बेटी के प्रति प्रेम है और मैं भी उन का सम्मान करती हूं, मगर कुछ कहते नहीं बनता. मैं क्या करूं..

जवाब

आप की चिंता जायज है. अगर आप की ननद जरूरत से  ज्यादा दोस्तों को घर बुलाती हैं अथवा उन के घर जाती हैं, तो. बेहतर होगा कि आप इस बारे में अपने पति से बात करें और उन्हें अपनी बहन को समझाने को कहें. जैसाकि आप ने बताया कि आप की ननद समझदार हैं, तो वे अपने भाई की बात को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगी और वही करेंगी जिस में परिवार का हित हो.

इस दौरान आप भी उन्हें इशारोंइशारों में समझा सकती हैं. से उन्हें बुरा भी नहीं लगेगा.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सलाह दें कि मैं अपने प्रति भाई की नफरत को कैसे कम करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं और अपने भाई भाभी के साथ रहती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरा भाई मुझ से नफरत करता है. मैं नहीं जानती मेरे प्रति उस के इस व्यवहार का क्या कारण है? सलाह दें कि मैं अपने प्रति भाई की नफरत को कैसे कम करूं क्योंकि भाई की नफरत के साथ उस घर में रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है.

जवाब

सब से पहले आप अपने भाई से उस के मन में आप के प्रति नफरत का कारण जानने की कोशिश करें. भाई की नफरत का कारण बचपन की कोई घटना हो सकती हैं. जिस की वजह से भाई के दिल पर आप के प्रति नाराजगी पैदा हो गई हो. भाइयों को कई बार लगता है कि बहन संपत्ति में हिस्सा मांगेगी और बिना मांगे ही उसे शत्रु मान लेते हैं.

वैसे भी हमारे देश में पुरुष अपने को बहन का रखवाला मानते हैं और लड़के पिता की तरह पेश आते हैं. आप भाई के अच्छे मूड को देख कर उस से बात करें. भाभी को अपनी समस्या बताएं और आप उस कड़वाहट को आमनेसामने बैठ कर सुलझाने का प्रयास करें. बात करने से ही नफरत का कारण पता चलेगा और समस्या का समाधान भी तभी निकल पाएगा.

ये भी पढ़ें…

जलन नहीं हो आपस में लगन

यों तो पैदा होते ही एक शिशु में कई सारी भावनाओं का समावेश हो जाता है, जो कुदरती तौर पर होना भी चाहिए, क्योंकि अगर ये भावनाएं उस में नजर न आएं तो बच्चा शक के दायरे में आने लगता है कि क्या वह नौर्मल है? ये भावनाएं होती हैं प्यार, नफरत, डर, जलन, घमंड, गुस्सा आदि.

अगर ये सब एक बच्चे या बड़े में उचित मात्रा में हों तो उसे नौर्मल समझा जाता है और ये नुकसानदेह भी नहीं होतीं. लेकिन इन में से एक भी भाव जरूरत से ज्यादा मात्रा में हो तो न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए समस्या का कारण बन जाता है, क्योंकि किसी भी भावना की अति इंसान को अपराध की तरफ ले जाती है. जैसे कुछ साल पहले भाजपा के प्रसिद्ध नेता प्रमोद महाजन के भाई ने अपनी नफरत के चलते उन्हें गोली मार दी.

कहने का तात्पर्य यह है कि जलन और द्वेष की भावना इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती. अगर द्वेष और जलन की यही भावना 2 बहनों के बीच होती है, तो उन से जुड़े और भी कई लोगों को इस की आग में जलना पड़ता है. ज्यादातर देखा गया है कि 2 बहनों के बीच अकसर जलन की भावना का समावेश होता है. अगर यह जलन की भावना प्यार की भावना से कम है, तो मामला रफादफा हो जाता है, लेकिन इस जलन की भावना में द्वेष और दुश्मनी का समावेश ज्यादा है, तो यह काफी नुकसानदेह भी साबित हो जाती है.

द्वेष व जलन नहीं

अगर 2 बहनों के बीच जलन का कारण ढूंढ़ने जाएं तो कई कारण मिलते हैं. जैसे 2 बहनों में एक का ज्यादा खूबसूरत होना, दोनों बहनों में एक को परिवार वालों का ज्यादा अटैंशन मिलना या दोनों में से किसी एक बहन को मां या पिता का जरूरत से ज्यादा प्यार और दूसरी को तिरस्कार मिलना, एक बहन का ज्यादा बुद्धिमान और दूसरी का बुद्धू होना या एक बहन के पास ज्यादा पैसा होना और दूसरी का गरीब होना. ऐसे कारण 2 बहनों के बीच जलन और द्वेष के बीज पैदा करते हैं.

इसी बात को मद्देनजर रखते हुए 20 वर्षीय खुशबू बताती हैं कि उन के घर में उस की छोटी बहन मिताली को जो उस से सिर्फ 3 साल छोटी है, कुछ ज्यादा ही महत्ता दी जाती है. जैसे अगर दोनों बहनें किसी फैमिली फंक्शन में डांस करें, जिस में खुशबू चाहे कितना ही अच्छा डांस क्या करें, लेकिन उस की मां तारीफ उस की छोटी बहन की ही करती हैं.

खुशबू बताती है कि वह अपने घर में अपने सभी भाईबहनों में कहीं ज्यादा होशियार और बुद्धिमान है, बावजूद इस के उस को कभी प्रशंसा नहीं मिलती. वहीं दूसरी ओर उस की बहन में बहुत सारी कमियां हैं बावजूद इस के वह हमेशा सभी के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इस की वजह हैं खासतौर पर खुशबू की मां, जो सिर्फ और सिर्फ खुशबू की छोटी बहन की ही प्रशंसा करती हैं. इस बात से निराश हो कर कई बार खुशबू ने आत्महत्या तक करने की कोशिश की, लेकिन उस के पिता ने उसे बचा लिया.

वजह दौलत भी

खुशबू की तरह चेतना भी अपनी बहन की जलन का शिकार है, लेकिन यहां वजह दूसरी है. चेतना छोटी बहन है और उस की बड़ी बहन है आशा. जलन की वजह है चेतना की खूबसूरती. बचपन से ही चेतना की खूबसूरती के चर्चे होते रहते थे वहीं दूसरी ओर आशा को बदसूरत होने की वजह से नीचा देखना पड़ता था, जिस वजह से आशा चेतना को अपनी दुश्मन समझने लगी. चेतना की गलती न होते हुए भी उस को अपनी बहन के प्यार से न सिर्फ वंचित रहना पड़ा, बल्कि अपनी बड़ी बहन की नफरत का भी शिकार होना पड़ा.

कई बार 2 बहनों के बीच जलन, दुश्मनी, द्वेष का कारण जायदाद, पैसा व अमीरी भी बन जाती है. इस संबंध में नीलिमा बताती हैं, ‘‘हम 2 बहनों ने एक जैसी शिक्षा ली, लेकिन मैं ने मेहनत कर के ज्यादा पैसा कमा लिया. अपनी मां के कहे अनुसार बचत करकर के मैं ने अपनी कमाई से कार और फ्लैट भी खरीद लिया जबकि मेरी बहन ज्यादा पैसा नहीं कमा पाई और गरीबी में जीवन निर्वाह कर रही थी. इसी वजह से उस की मेरे प्रति जलन की भावना इतनी बढ़ गई कि वह दुश्मनी में बदल गई. आज हमारे बीच जलन का यह आलम है कि हम बहनें एकदूसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करतीं. बहन होने के बावजूद वह हमेशा मेरे लिए गड्ढा खोदती रहती है. हमेशा इसी कोशिश में रहती है कि मेरे घरपरिवार वाले मेरे अगेंस्ट और उस की फेवर में हो जाएं.’’

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरे हसबैंड अपनी भाभी से ज्यादा क्लोज हैं, ऐसा लगता है कि वह मुझसे प्यार नहीं करते…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी को 6 महीने हुए है, मेरे पति मुझसे ज्यादा अपनी भाभी के क्लोज हैं. दोनों एक दूसरे के पसंदनापसंद का ख्याल रखते हैं. दरअसल मेरे पति के भाई दूसरे शहर में रहते हैं, तो भाभी किसी भी काम के लिए मेरे पति पर ही निर्भर रहती हैं. हालांकि वह मेरी मदद करती है. लेकिन मेरे पति और उनके बीच स्ट्रौंग बौन्डिंग है. मेरे पति हर बात अपनी भाभी से शेयर करते हैं. मैं चाहती हूं कि पति अपनी भाभी के बजाय मुझ से अपने दिल की बातें करें. मैं उन के ज्यादा करीब रहूं. मुझे कभीकभी लगता है कि वे मुझे प्यार ही नहीं करते. उन्हें अपनी भाभी का साथ ज्यादा अच्छा लगता है. समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं?

जवाब

देखिए अभी आपकी नईनई शादी हुई है. हो सकता है घर के तौरतरीके सिखने में आपको थोड़ा टाइम लगे और जैसा कि आपने बताया कि आपके पति के भाई घर से बाहर रहते हैं, तो अभी भाभी आपके घर की बड़ी सदस्य हैं और ये भी बात सच है कि आपसे पहले उन की भाभी बरसों से उस परिवार का हिस्सा हैं, तो आपको बेवजह ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए बल्कि आपको अपने पति का साथ देना चाहिए, उनका भरोसा जीतना चाहिए.

अभी आपको अपने पति के साथ रोमांटिक पल बिताना चाहिए. बेकार के घर की बातों को दिल से नहीं लगाना चाहिए. आप अपने पति के साथ नाइट आउट पर जाएं. आप अपने लुक पर ध्यान दें. शादी के शुरुआती दिनों को यादगार बनाएं न कि भाभी के साथ आपके पति के कैसे रिश्ते हैं.. इस तरह की बातों पर ध्यान न दें.

ये भी पढ़ें-

आप भले ही बोलें के मेरा बौयफ्रैंड मुझसे कुछ नहीं छुपाता और हर बात शेयर करता, वह बहुत आपेन है. लेकिन ऐसा नहीं है. कुछ बातें ऐसी होती हैं जो बौयफ्रैंड दिल में होती हैं लेकिन उसे वह जुबान पर लाना नहीं चाहता.

1. साथ का अहसास

लड़के देखने में बड़े तेज होते हैं. वह हमेशा अपनी गर्लफ्रैंड की तुलना करते रहते हैं. ऐसे में जब आप अपने पार्टनर के साथ कहीं डिनर में जा रही होती हैं तो पूरी तरह से सज संवरकर जाना चाहती हैं. बड़ी सी गाउन और बेहद फैशन के साथ निकलने की कोशिश करती हैं. बौयफ्रैंड को आपका हमेशा सरल लिबास और कम फैशन भाता है जिससे कि साथ चलने में एक दूसरे का अहसास हो सके. भारी कपड़ों के साथ दूर रहना पड़ता है. उस वक्त आपकी खुशी और घंटों ड्रेस को लेकर बिताए समय का लिहाज कर वह कुछ नहीं बोलता लेकिन दिल में यही होती है सिंपल और सोबर ही आप ज्यादा सुंदर दिखती हैं.

2. शायद रिश्ता गहरा नहीं है

रिलेशनशिप में आने के बाद लड़कों को बातोंबातों में यह अहसास होता है कि शायद उसकी गर्लफ्रैंड की ओर से यह रिश्ता अभी पक्का नहीं है. वह इस कदर अटैच नहीं है जितना की बौयफ्रैंड. ऐसे में वह अक्सर इस रिश्ते को जांचने की कोशिश करता है लेकिन इस बात को बोलता नहीं. इमोशनली वह अंदर से घुटता रहता है. इसे जांचने के लिए अक्सर वह फिजिकल रिलेशन या किस का सहारा लेता है कि आप क्या बोल रही हैं.

3. फिजिकल रिलेशन

भले ही आपका बौयफ्रैंड यह बोले की वह रिश्ते में सैक्स को ज्यादा अहमियत नहीं देता लेकिन लड़के ऐसा कतई नहीं हो​ते. अपनी गर्लफ्रैंड के साथ वो सेक्स के बारे में सोचते ही हैं. यह कोई जरूरी नहीं कि हर रोज ही सेक्स करें लेकिन कभीकभी की तो चाहत होती ही है. इन चीजों को आप खुद भी नोटिस कर सकते हैं. नए रिश्ते में भले ही वह कुछ न बोले लेकिन जैसे ही रिश्ता पुराना होता है. वह अपने घर पर अकेला होने पर ​बुलाता है या फिर आपको यह जरूर बताएगा कि उसके दोस्त का कमरा अक्सर खाली होता है. इन सब बातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह क्या चाहता है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मैं दकियानूसी विचारों वाली जेठानी से परेशान हो गई हूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 31 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं. हमारे 2 बच्चे हैं और हम एक ही छत के नीचे सासससुर, जेठजेठानी व उन के बच्चे के  साथ रहते हैं. मेरी जेठानी बातबेबात मु झ से  झगड़ती हैं  और सासूमां के कान भी भरती रहती हैं. मैं खुले विचारों वाली महिला हूं जबकि जेठानी दकियानूसी विचारों वाली और कम पढ़ीलिखी हैं. वे आएदिन मु झ से  झगड़ती रहती हैं. घर में जेठानी से बारबार लड़ाई होने की वजह से क्या हमें अलग घर में रहना चाहिए? सासूमां इस के लिए मु झे मना करती हैं पर जेठानी की बात सहते रहने के लिए भी कहती हैं. पति से इस बारे में बात करना चाहती हूं पर कभी कर नहीं पाई क्योंकि, वे अपने मातापिता को छोड़ अलग रहना नहीं चाहते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सुलह के सभी रास्ते बंद हों और गृहक्लेश आएदिन हो तो अलग रहने में कोई बुराई नहीं मगर इस से पहले अगर आप एक सार्थक पहल करें तो घर में सुकून और शांति का वातावरण स्थापित हो सकता है.

पहले आप के लिए यह जानना जरूरी होगा कि आपसी  झगड़े की असल वजह क्या है? आमतौर पर गृहक्लेश बजट की हिस्सेदारी को ले कर, रसोई में कौन कितना काम करे, घर के कामकाज के बंटवारे आदि को ले कर होता है. कभीकभी एकदूसरे से ईर्ष्या रखने पर भी आपसी मनमुटाव का वातावरण पैदा हो जाता है.

बेहतर होगा कि  झगड़े की असल वजह जान कर सुलह की कोशिश की जाए. सास और पति से जेठानी के  झगड़ालू बरताव की वजह जानने की कोशिश भी आपसी संबंधों को सही कर सकती है. जेठानी कम पढ़ीलिखी हैं तो संभव है यह भी एक वजह हो. आप को ले कर उन में हीनभावना हो सकती है. आप के लिए बेहतर यह भी होगा कि जेठानी से उपयुक्त समय देख कर बात करें. अगर सास आप को अलग घर लेने से मना कर रही हैं तो जाहिर है वे आप को व जेठानी को बेहतर रूप से जानतीसम झती हैं, इसलिए सही निर्णय आप की सास ही ले सकती हैं. यदि 1-2 बातों को नजरअंदाज कर दें तो संयुक्त परिवार आज की जरूरत है, जहां रहते हुए हरकोई अपने सपनों के पंखों को उड़ान दे सकता है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मैं पत्नी के गुस्से से परेशान हो गया हूं, क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 33 साल का विवाहित पुरूष हूं. बीवी पढ़ीलिखी और केयरिंग है. समस्या उस के गुस्सैल स्वभाव को ले कर है. वह छोटीछोटी बात पर गुस्सा हो जाती है और झगङा करने लग जाती है. इस से घर का माहौल बेहद बोझिल हो जाता है. हां, गुस्सा उतरने के बाद वह सौरी भी बोलती है पर फिर कब किस बात पर झगङने लगे यह कहा नहीं जा सकता. मैं उस के इस व्यवहार से बहुत दुखी रहने लगा हूं. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब-

पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार के साथ तकरार होना लाजिम है. शायद तभी तो कहते हैं कि जहां प्यार होता है वहां झगड़ा होना कोई बड़ी बात नहीं है, अलबत्ता पतिपत्नी के बीच होने वाली नोकझोंक से प्यार कम होने के बजाय और बढ़ता ही है. इसलिए अधिक परेशान न हों.

यह सही है कि जिन महिलाओं का स्वभाव गुस्सैल और झगड़ालू किस्म का होता है वे अकसर छोटीछोटी बातों पर तूफान खड़ा कर देती हैं, मगर इस का मतलब यह भी नहीं होता कि वे घरपरिवार को ले कर संजीदा नहीं होतीं. पति को ऐसे समय समझदारी और सूझबूझ से काम लेना चाहिए.

यदि आप की बीवी को किसी बात पर गुस्सा आ जाए तो यह आप की जिम्मेदारी बनती है कि घर का माहौल न बिगड़ने दें. इस स्थिति में बीवी के लिए समय निकाल कर उन्हें कहीं घुमाने ले जाएं ताकि उन का मन परिवर्तित हो जाए.

यह भी सही है कि घर की अधिक जिम्मेदारियों के चलते वे परेशान हो जाती हों. इस स्थिति में बीवी के साथ खास पलों को ऐंजौय करें ताकि रिश्ते में मधुरता बनी रहे.

बीवी के गुस्से को शांत करने के लिए समयसमय पर उन की तारीफ करना न भूलें साथ ही कोशिश करें कि जितना संभव हो घर के कामों में उन का हाथ बटाएं.

इस से बीवी को थोङा आराम मिलेगा और वे भी समझने लगेंगी कि आप न सिर्फ उन्हें प्यार करते हैं, बल्कि उन का केयर भी करते हैं.

कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि बीवी के साथ आप की बौंडिंग पहले से अधिक अच्छी हो जाएगी और घर में आएदिन किचकिच भी नहीं होगा.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

भाभी की वजह से मेरा भाई झगड़ा करता है, मैं क्या करूंं ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं अपने भाई और भाभी के साथ रहती हूं. मैं अभी ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरी भाभी हर वक्त मुझ पर नजर रखती है. मैं फोन पर भी किसी से बात करती हूं, तो वह भाई से मेरी शिकायत करती है. भाभी की वजह से मेरा भाई भी मुझ पर शक करता है, उसे लगता है कि मैं पढ़ाई नहीं कर रही, मैं परिवार को धोखा दे रही हूं और वह मुझे अक्सर सुनाता रहता है, अब मैं क्या करूं?

जवाब

जैसा कि आपने बताया कि आप अपने भाई के साथ पढ़ाई के लिए रहती हैं. हो सकता है आपकी भाभी नहीं चाहती हैं कि आप उनदोनों के साथ रहें इसलिए वह आपके भाई से आपकी शिकायत करती है. इन बातों से आपके पढ़ाई पर भी असर पड़ता होगा. ऐसे में आपको अपने भाई से समझदारी से बात करनी होगी. आप अलग पीजी या हौस्टल में भी रहकर अपनी पढ़ाई कर सकती हैं. घर में रहने से अगर माहौल खराब होता है, तो अलग भी रहकर आप अपने लाइफ पर फोकस करें. रही बात शक की, तो बौयफ्रैंड रखना कोई गलत बात नहीं बशर्ते आप अपने करियर पर भी ध्यान दें.

भाईबहन के रिश्ते को इस तरह बनाएं स्ट्रौंग

कई बार भाईबहन में इतना झगड़ा बढ़ जाता है कि दोनों एकदूसरे के दुश्मन बन जाते हैं. लेकिन अगर आप भाईबहन के रिश्ते को मजबूत करना चाहते हैं, तो इन टिप्स को फौलो कर सकती हैं.

  • इसके लिए सबसे पहले ये सोचना बंद करना होगा कि मैं ही सही हूँ क्योंकि किसी भी लड़ाई में थोड़ी थोड़ी ग़लती दोनों पक्षों की होती है.ऐसे में बजाय दूसरे की कमी पर ध्यान रखने के अपनी कमी को पहचानने का प्रयास करें .
  • भाई बहन एक दूसरे के सबसे बड़े राजदार होते हैं ऐसी कई बातें होती हैं जो वो सिर्फ एक दूसरे से शेयर करते हैं पर कई बाद क्रोध या आवेश में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए वो राज की बात किसी के सामने भी बोल देते हैं .ऐसा करने से कुछ समय को तो मानसिक संतुष्टि होती है पर बाद में अपराधबोध होने लगता है.
  • इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि ये लड़ाई तो कुछ समय की है पर रिश्ता तो जीवन भर का है इसलिए लड़ाई के झोंके में एक दूसरे के राज सार्वजनिक करने से बचें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें