भाईबहन का रिश्ता जीवन के उतारचढ़ाव से गुजरते हुए भी एक गहरे एहसास के साथ हमेशा ताजा और जीवंत बना रहता है. मन के किसी कोने में बचपन से ले कर युवा होने तक की, स्कूल से ले कर बहन के विदा होने तक की और एकदूसरे से लड़ने से ले कर एकदूसरे के लिए लड़ने तक की असंख्य स्मृतियां परत दर परत रखी रहती हैं. बचपन का प्यार, रूठनामनाना, एकदूसरे के साथ खेलना, मम्मी की डांट के बावजूद भाई को चुपके से औरेंज, टौफी खिलाना और जब छोटी के मार्क्स कम आएं तो भाई का पापा को उस के रिपोर्टकार्ड पर साइन करने के लिए मना लेना. एकदूसरे से झगड़ना, इस बात को ले कर होड़ करना कि स्कूल में होने वाली प्रतियोगिता में किस के पास ज्यादा ट्रौफियां आएंगी, पापा भाई को ज्यादा प्यार करते हैं या बहन को, इस बात को ले कर भी लड़ना, कुछ ऐसा ही होता था बचपन में. लेकिन जैसेजैसे वक्त बीता भाईबहन के रिश्ते ने अनोखा मोड़ ले लिया. आपस में प्रतियोगिता करने की जगह अब दोनों एकदूसरे को अपने कैरियर में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने लगे हैं और एकदूसरे के ऐसे मित्र बन जाते हैं, जो जिंदगी की सिर्फ मुश्किल घड़ी में ही एकदूसरे का साथ नहीं देते, बल्कि हर फर्ज निभाते हैं. आइए, जानें कैसे:
भाई दोस्त है अब
वे दिन गए जब बड़ा भाई मौका मिलते ही बहन की जिंदगी में ताकझांक करता था और उस पर कई पाबंदियां लगाने की कोशिश करता था. यह ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब बहन अपने बड़े भाई से बहुत सी बातें छिपाती थी. बाहर कहीं जाने से पहले वह मां को बता कर जाती थी कि कहीं बाहर भाई ने देख लिया तो उस की चुगली घर आ कर कर देगा. लेकिन अब बात कुछ और है. अब भाई खुद अपने लवअफेयर, अपनी गर्लफ्रैंड की बातें अपनी बहन से करता है और उन मुद्दों पर उस से सलाह भी लेता है. बहन भी खुल कर अपने बौयफ्रैंड के बारे में भाई से डिस्कस करती है. भाई के कुछ सुझाव देने पर वह यह स्वीकार करने से भी नहीं चूकती कि वह तो सिर्फ टाइमपास कर रही है. उसे अपनी सीमारेखा पता है. भाई को भी इस पर कोई एतराज नहीं होता, क्योंकि कई बार वह खुद ऐसा करता है. दोनों ही एकदूसरे को अच्छी तरह समझते हैं.
एकदूसरे के सलाहकार भी हैं
अपनी जिंदगी की निजी और प्रोफैशनल परेशानियों का हल भी वे एकदूसरे से डिस्कस कर के निकालते हैं. भाई भी बहन से अपनी परेशानी डिस्कस करता है और बहन की सलाह को अच्छी लगने पर मानता भी है. दोनों ही एकदूसरे पर अपनी राय नहीं थोपते हैं. अगर बात अच्छी लगती है तो अमल करते हैं वरना नहीं. और यह दोनों ही एकदूसरे को बेबाक बता भी देते हैं और बुरा भी नहीं मानते.
बिजनैस भी साथ करते हैं
वह जमाना गया जब भाई को लगता था कि वह बहन से ज्यादा काबिल है. लेकिन अब वे एकदूसरे के साथ काम भी करते हैं. जैसेकि मोनापाली ब्रैंड को शुरू किया था मोना लांबा, परमजीत खरबंदा और पाली ने. परमजीत बताते हैं, ‘‘मैं ने सीए किया था और मेरी बहन के पास डिजाइनिंग का हुनर था. हम ने किसी और पर निर्भर होने से यह बेहतर समझा कि हम भाईबहन मिल कर कोई नई शुरुआत करें. हम ने मोनापाली का पहला शोरूम कोलकाता में शुरू किया और आज वह भारतीय कशीदाकारी की चीजों के लिए पहचान बन चुका है और यह सब कुछ संभव हुआ मेरी बहनों के प्रयास और मेरी मेहनत से.’’
जिम्मेदारियां भी बांटते हैं
भाई अगर विदेश में सैटल है या अन्य किसी कारण से मातापिता को अपने साथ नहीं रख पा रहा है, तो स्वेच्छा से यह जिम्मेदारी बेटी निभा रही है और इस में भाईबहन दोनों की सहमति होती है. सच तो यह है कि आज भी भाई का मन बहन के लिए पहले जितना ही पिघलता है, तो बहन का प्यार भी भाई के लिए पहले जितना ही मचलता है. बस तरीके बदल गए हैं, भावाभिव्यक्ति के अंदाज बदल गए हैं. मगर भाव वही है. शगुन देना हो, ग्रीटिंग कार्ड भेजना हो या फिर मोबाइल पर भावुक सा मैसेज भेजना, यह रिश्ता अपनी गंभीरता और गहराई कभी नहीं भूलता.