मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री चित्रांगदा साल 2003 में फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ से चर्चा में आईं थीं. उन्होंने इस फिल्म में बेहतरीन भूमिका निभाकर अपनी उपस्थिति फिल्म इंडस्ट्री में दर्ज करवाई. हालांकि इसके बाद उनकी कुछ फिल्में सफल और कुछ असफल हुईं, पर वह कभी मायूस नहीं हुईं. उन्होंने हर फिल्म को एक चुनौती समझा और हर फिल्म को अच्छा करने की कोशिश की. उसके हिसाब से फिल्मों का सफल और असफल होना किसी के हाथ में नहीं होता, लेकिन हर बार बेहतर परफौर्मेंस देने की कोशिश कलाकार के हाथ में होती है.
चित्रांगदा की शादी गोल्फ प्लेयर ज्योति रंधावा से हुई थी लेकिन कुछ कारणों से उनका रिश्ता टूट गया. दोनों का बेटा जोरावर रंधावा है, जो अभी चित्रांगदा के साथ रहता है. चित्रांगदा ने कभी कोई प्लानिंग अपने जीवन में नहीं की, जो जैसे आता गया, वैसे काम करती गयीं. उन्हें हर नया काम और भूमिका पसंद है. अभी वह रियलिटी फूड शो ए एक्स एन की अल्टीमेट कुक औफ – द मैरियट चैलेंज की जज बनी हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है अंश.
प्र. इस शो को करने की वजह क्या है ?
मैंने इस तरह का कुकिंग शो कभी नहीं किया है. इसका कांसेप्ट मुझे बहुत पसंद आया. इस शो में कुकिंग की जो क्रिएटिविटी है, उसे देखने का मौका मिलेगा, क्योंकि इसमें भाग लेने वाले सभी शेफ हैं और अपने क्षेत्र में माहिर हैं.
प्र. आजकल के यूथ खाना बनाने से बहुत दूर भागते हैं, पर आप व्यस्त जीवन में खुद भी खाना कभी-कभी बनाती हैं, क्या खाना बनाने से मेंटल स्ट्रेस दूर होता है?
मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ है कि खाना बनाने के बाद वह खराब हो जाता है, क्योंकि जो बनाना चाहा, वह बना ही नहीं. तब तनाव अधिक बढ़ जाता है, लेकिन ये सही है कि खाना बनाना एक कला है जो आपके किसी भी मेंटल स्ट्रेस को दूर भगाती है. इसे हर व्यक्ति को जानने की जरुरत है.
प्र. क्या कामकाजी महिलाओं पर खाना बनाने का प्रेशर रहता है?
होता है और महिलाओं को भी लगता है कि वे अपने परिवार को खाना बनाकर नहीं खिला पातीं. वे अपराधबोध से ग्रस्त होती हैं, लेकिन उन्हें मायूस नहीं होना चाहिए और जब भी समय मिले, उनको पसंदीदा कुछ बना लेना चाहिए.
प्र. त्योहारों में आप किस तरह के व्यंजन बनाना पसंद करती हैं?
मैंने अभी कुछ प्लान नहीं किया है, पर त्योहारों पर मैं पूरी और हलवा अवश्य बनाती हूं. कभी कोई अधिक प्लानिंग नहीं करती. जितना समय मिलता है, उसमें ही कुछ बना लेती हूं.
प्र. बचपन में त्यौहार कैसे मनाती थीं?
बचपन में मुझे याद आता है कि त्योहारों में मेरी मां नान खटाई घर पर ही बनाती थी. तब गोल ओवन हुआ करता था. मैं जब स्कूल से घर आती थी, तो उसकी महक से मुझे पता चल जाता था कि आज नान खटाई बनी है और मैं खुश हो जाती थी, क्योंकि वह मुझे बहुत पसंद है. इसके अलावा मेरी मां केक भी बनाती थी, क्योंकि आर्मी एरिया में ऐसी चीजें मिलना मुश्किल था.
प्र. आपने अपने बेटे के लिए क्या खास बनाया है?
हां, मैंने उसे काफी बार खाना बनाकर खिलाया है. मैं बेकिंग अधिक करती हूं. ब्रेकफास्ट मैं अधिकतर खुद बनाती हूं. इसके अलावा मेरी स्पेशलिटी एक हेल्दी स्टू है, जिसमें मैं दाल, चिकन, सब्जियां, थोड़ी टोबेस्को और ब्राउन राइस डाल देती हूं. ये खाने में टेस्टी और हेल्दी भी होते हैं.
प्र. मां के हाथ की बनी हुई कौन सी डिश आपको पसंद है?
मुझे उनके हाथ का बना हुआ कड़ी चावल बहुत पसंद है. कड़ी की थिकनेस और टेस्ट दोनों ही बहुत अच्छे होते हैं. इसके अलावा उनके हाथ की बनी काली दाल, मसूर की दाल, राजमा, आलू बैंगन आदि सब मुझे पसंद हैं.
प्र. आप कई जगहों में घूमी हैं, किस जगह का व्यंजन आपको सबसे अधिक पसंद है?
मुझे राजस्थान के जोधपुर शहर का खाना बहुत पसंद आया. वहां का लाल मांस, मिस्सी रोटी, दही का कबाब आदि सब मुझे बहुत अच्छा लगा था.
प्र. आपने न्यूट्रीशन में डिग्री ली है, क्या उस दिशा में कुछ करने की इच्छा है?
मैं डाइटीशियन बनना चाहती थी इसलिए होमसाइंस पढ़ने भी गयी थी. वहां पर मौडलिंग के औफर मिलने शुरू हो गए थे, जिससे पैसे भी मिलने लगे थे. इसलिए उस क्षेत्र को छोड़ना पड़ा.
प्र. दिवाली अपने बेटे के साथ कैसे मनाने वाली है?
मैं घर पर ही दिवाली मनाना पसंद करती हूं, लेकिन परिवार और दोस्तों से उस दिन मिलना खास होता है. इसके अलावा घर को दिए और रौशनी से सजाती हूं.
प्र. आपकी आगे आने वाली फिल्में कौन सी हैं?
अभी फिल्म ‘बाज़ार’ आने वाली है, इसके अलावा एक तैराकी की बायोपिक पर काम कर रही हूं.
प्र. क्या आप अपनी जर्नी से खुश हैं?
मैंने लाइफ में कोई प्लानिंग नहीं की, जैसे जो आता गया, उसे करती रही, एक्टिंग से लेकर फिल्म प्रोड्युसिंग किसी के भी बारे में सोचा नहीं था. जो नया लगे उसे ही करना पसंद करती हूं. इस तरह मेरी जिंदगी हमेशा सरप्राइज से भरी होती है.
प्र. गृहशोभा पढ़ने वाली महिलाओं को दिवाली पर क्या संदेश देना चाहती हैं?
ये सही है कि दिवाली को हम सभी एंजौय करते हैं और बहुत अधिक खाते हैं. महिलाओं का काम है कि उसे ऐसे बैलेंस करें कि ओवर ईटिंग न हो और सभी खुशी-खुशी त्यौहार को परिवार के साथ मनायें.