व्यवस्था के खिलाफ एक आदमी की बेबसी के साथ साथ हर इंसान के अंदर के हीरो को जगाने की बात करने वाली फिल्म ‘मदारी’ को लेकर इरफान की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. एक आम इंसान अपनी निजी जिंदगी में हर कदम पर तमाम मुश्किलों का सामना करता है. इरफान की फिल्म ‘मदारी’ के साथ भी वैसा ही हो रहा है. इरफान के लिए फिल्म मदारी बहुत मायने रखता है.

2012 में प्रदर्शित फिल्म पानसिंह तोमर के बाद ‘मदारी’ एक ऐसी फिल्म है, जिसकी कथा पूरी तरह से इरफान के इर्दगिर्द घूमती है. ‘मदारी ’एक ऐसी फिल्म है, जिसकी कथा खुद इरफान ने चुनी और वह इस फिल्म के निर्माता भी हैं. पिछले दो महीने से इरफान अपनी इस फिल्म को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए जोर शोर से प्रचार कर रहे हैं. वह देश के तमाम शहरों में जा चुके हैं.

उन्होंने कुछ दिन पहले जयपुर में मुस्लिम धर्म और रमजान को लेकर अपने विचार भी रखे, जिससे कुछ मौलवी नाराज भी हो गए. पर वह अपने बयान से पीछे नहीं हटे. तो वहीं वह 7 जुलाई को ईद के मौके पर पटना में जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव के घर जाकर उनसे मिले. लालू यादव के संग डमरू भी बजाया. लालूप्रसाद यादव का इंटरव्यू भी लिया. वह यह सारा काम अपनी फिल्म ‘मदारी’ के प्रचार को ध्यान में रखकर ही कर रहे हैं.

यह सब करने के पीछे उनकी मंशा अपनी फिल्म ‘मदारी’ के लिए ज्यादा से ज्यादा दर्शक जुटाकर फिल्म को सफल बनाना है. एक तरफ आम आदमी (इरफान) अपनी कोशिशों में लगे हुए हैं, तो व्यवस्था (फिल्म उद्योग) से जुड़े लोग अपना काम कर रहे हैं. हर बार इस व्यवस्था से खुद और अपनी फिल्म ‘मदारी’ को बचाने के लिए इरफान को नए कदम उठाने पड़ रहे हैं.

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