सदियों से यह चलन है कि महिला के गर्भवती होते ही घर की अन्य औरतें उस के खानेपीने का खास खयाल रखने लगती हैं. पुराने वक्त में चना, गुड़, दूध, मावा, फल, पंजीरी का सेवन करना गर्भवती के लिए जरूरी था ताकि उस के शरीर में खून की कमी न होने पाए, मगर आजकल जब संयुक्त परिवार टूट चुके हैं और शहरों और महानगरों में महिलाएं एकल परिवार में हैं और ऊपर से नौकरीपेशा हैं तो किचन में अपने लिए इतना  झं झट करने का न तो उन के पास वक्त होता है और न जानकारी.

इस के अलावा आज की महिलाएं अपनी फिगर को ले कर ओवर कौंशस रहती हैं. उन्हें यह डर सताता रहता है कि अगर वेट बढ़ गया तो सारी खूबसूरती जाती रहेगी. इस चक्कर में महिलाएं प्रैगनैंसी के वक्त भी ठीक से खातीपीती नहीं हैं और बच्चा होने के वक्त ऐनिमिक हो जाती हैं.

प्रैगनैंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए शरीर अधिक मात्रा में खून बनाता है और अगर इस दौरान आप पर्याप्त आयरन या अन्य पौष्टिक तत्त्व नहीं ले रही हैं तो आप के शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण रुक जाता है. ऐनीमिया होने पर उस के शरीर के ऊतकों और भू्रण तक औक्सीजन ले जाने के लिए खून पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है. प्रैगनैंसी में हृदय को भू्रण के लिए जरूरी पोषण प्रदान करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

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गर्भावस्था के दौरान शरीर में खून का वौल्यूम 30 से 50 फीसदी बढ़ जाता है. गर्भावस्था के दौरान खून की आपूर्ति के लिए और हीमोग्लोबिन का स्तर संतुलित रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी है. हीमोग्लोबिन ही लाल रक्त कणिकाओं तक पर्याप्त मात्रा में औक्सीजन ले जाता है. प्रैगनैंसी में ऐनीमिया होना सामान्य बात है. शरीर महिलाओं में प्रैगनैंसी के वक्त खून की कमी होना आजकल आम हो गया है.

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