Golden Chariot: क्या आप ने कभी सोचा है कि रेल की खिड़की से बाहर  झांकते हुए आप किसी साधारण डब्बे में नहीं बल्कि किसी महाराजा के महल में बैठे हों? सामने रंगीन परदे, चारों ओर कर्नाटक की कला से सजे दरवाजे और आप के सामने चांदी की थाली में परोसे गए व्यंजन हों. यह सपना मात्र नहीं बल्कि हकीकत है. गोल्डन चैरियट दक्षिण भारत की शाही रेलगाड़ी. यह रेल केवल पटरियों पर दौड़ती गाड़ी नहीं बल्कि वह मंच है जहां इतिहास, संस्कृति, कला और आधुनिकता एकसाथ सफर करते हैं.

नाम तथा निर्माण

2008 में जब कर्नाटक पर्यटन विभाग और भारतीय रेल ने मिल कर इस ट्रेन की शुरुआत की तो उन का उद्देश्य था दक्षिण भारत की असली धरोहर को नए अंदाज में दुनिया के सामने लाना.

इस का नाम ‘गोल्डन चैरियट’ इसलिए रखा गया क्योंकि विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हंपी में स्थित प्रसिद्ध स्टोन चैरियट (पत्थर का रथ) इस की प्रेरणा बना. यह रथ दक्षिण भारत की स्थापत्य कला और वैभव का प्रतीक है.

शाही महल जैसा डब्बा

गोल्डन चैरियट के डब्बों में कदम रखते ही यात्री खुद को किसी महल में पाते हैं. हर डब्बे का नाम दक्षिण भारत की ऐतिहासिक राजधानियों पर रखा गया है. कैबिन में गुलाबी, सुनहरी और नीली सजावट, कर्नाटक की पारंपरिक लकड़ी की नक्काशी और आधुनिक सुविधाओं का अद्भुत संगम है. एसी, इंटरनैट, टीवी, अटैच बाथरूम हर सुविधा मौजूद.

सिर्फ यही नहीं इस ट्रेन में नल और रुचि नामक 2 रेस्तरां भी हैं, जहां महलनुमा झूमरों के नीचे पांचसितारा भोजन परोसा जाता है. मदिरा नाम का बार यात्रियों को मैसूर पैलेस की याद दिलाता है. वहीं आयुष, स्पा शरीर और मन को सुकून देते हैं.

यात्रा की रूपरेखा

गोल्डन चैरियट यात्रियों को दक्षिण भारत की विरासत का साक्षात अनुभव कराती है. इस के कई पैकेज हैं:

– प्राइड औफ कर्नाटक: बैंगलुरु, मैसूर, हम्पी, बदामी और काबिनी जैसे ऐतिहासिक व प्राकृतिक स्थल.

– ज्वैल्स औफ साउथ: महाबलीपुरम, पांडिचेरी, तंजावुर, मदुरै, कोचीन, कुमारकोम और गोवा की अद्भुत यात्रा.

– ग्लिंप्सेस औफ कर्नाटक: छोटा पैकेज, जिस में मैसूर और हंपी का वैभव दिखाया जाता है.

हर ठहराव पर पारंपरिक नृत्य, लोक संगीत और गाइडेड टूर यात्रियों का स्वागत करते हैं.

अनुभव का रंग

सोचिए, खिड़की के बाहर नारियल के पेड़ों की कतारें हों, कहीं मंदिरों की घंटियां बज रही हों, कहीं समुद्र की लहरें किनारों से टकरा रही हों और भीतर आप रेशमी परदों वाले कैबिन में चाय का आनंद ले रहे हों, यही है गोल्डन चैरियट का असली जादू. यह ट्रेन यात्रियों को केवल स्थानों तक नहीं ले जाती बल्कि उन्हें इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से भी जोड़ती है.

महत्त्व और प्रभाव

– पर्यटन को नई पहचान: गोल्डन चैरियट ने दक्षिण भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का केंद्र बनाया.

– आर्थिक योगदान: स्थानीय होटल, हस्तशिल्प, गाइड और कलाकारों को रोजगार मिला.

– संस्कृति का संरक्षण: यात्रियों के सामने लोक नृत्य, संगीत और परंपराओं की  झलक प्रस्तुत होती है.

किराया और विशिष्टता

गोल्डन चैरियट का किराया लाखों में है. 7 दिन की यात्रा का मूल्य लगभग क्व34 लाख प्रति व्यक्ति पड़ता है. यद्यपि यह हर किसी की पहुंच में नहीं, लेकिन जो भी इस सफर को करता है, वह जीवन भर इसे याद रखता है.

चुनौतियां

महंगा किराया इसे सीमित वर्ग तक बांध देता है. कोविड-19 काल में यह कई महीनों तक बंद रही.

विदेशी सैलानियों पर अधिक निर्भरता भी एक चुनौती है. फिर भी सरकार और पर्यटन मंत्रालय लगातार इसे पुन: लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं.

गोल्डन चैरियट केवल एक रेलगाड़ी नहीं बल्कि दक्षिण भारत का चलताफिरता महल है. यह हमें बताती है कि भारत की धरोहरें कितनी जीवंत और बहुमूल्य हैं.

यही कारण है कि गोल्डन चैरियट आज भी भारत की सब से प्रतिष्ठित लग्जरी ट्रेनों में गिनी जाती है और इसे सचमुच ‘दक्षिण भारत का शाही रेल अनुभव’ कहा जा सकता है.

-विभा कनन

Golden Chariot

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