Anupama को पता चलेगा तोषू के अफेयर का सच, वनराज भी होगा हैरान

टीआरपी चार्ट में नंबर 1 पर रहने वाला सीरियल अनुपमा (Anupama) फैंस के दिलों पर भी राज करता है, जिसके चलते मेकर्स सीरियल में नए-नए ट्विस्ट लाने के लिए तैयार हैं. हालांकि अब मेकर्स ने शो का नया प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें तोषू के अफेयर का सच जानकर अनुपमा और वनराज हैरान रह गए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…(Anupama Latest Promo)

अनुपमा का फूटा गुस्सा

 

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हाल ही में सीरियल अनुपमा के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें अनुपमा और वनराज को तोषू के अफेयर का सच पता चलता हुआ दिख रहा है. दरअसल, प्रोमो में पारितोष के अफेयर की बात पर अनुपमा को भरोसा नहीं होता और वह तोषू से सवाल करती है कि यह झूठ है? हालांकि राखी दवे कहती है कि “यह क्या जवाब देगा, इसकी सारी रंगरलियों के सबूत मेरे पास हैं”. वहीं तोषू जवाब देते हुए कहता है कि “आप लोग समझते क्यों नहीं हैं. किंजल प्रैग्नेंट थी और ऐसे में किसी दूसरी औरत की तरफ अट्रैक्शन होना आम बात है.” इसी के चलते अनुपमा का गुस्सा बढ़ जाता है और वह तोषू का कॉलर पकड़कर खरी खोटी सुनाती है. वहीं किंजल को ये सच कैसे बताए इसकी टेंशन में नजर आ रही है.

तोषू पर भड़के फैंस

 

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सीरियल का नया प्रोमो देखने के बाद फैंस का तोषू पर गुस्सा बढ़ गया है. वह तोषू के बिहेवियर को देख खरी खोटी सुना रहे हैं और सोशलमीडिया पर एक्टर को ट्रोल कर रहे हैं. हालांकि फैंस सीरियल के अपकमिंग ट्विस्ट को देखने के लिए बेताब हैं और किंजल और अनुपमा का क्या फैसला होगा. ये जानने के लिए बेताब दिख रहे हैं.

बता दें, सीरियल अनुपमा से हाल ही में पारस कलनावत के बाद सारा कपाड़िया के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस अल्मा हुसैन ने भी शो को अलविदा कह दिया है. हालांकि इसे लेकर एक्ट्रेस ने अपना बयान भी दिया है कि वह अपनी मर्जी से शो को छोड़ रही हैं.

टूटा गरूर- भाग 2: छोटी बहन ने कैसे की पल्लवी की मदद

लिहाजा पल्लवी को चुप रह जाना पड़ा. फिर तो जब तक दोनों नाश्ता करती रहीं, पारुल मैसेज पढ़ती रही और जवाबी मैसेज भेजती रही. उस ने एक बार भी मुंह ऊपर नहीं उठाया. उलटे हाथ से लैटर टाइप करते हुए सीधे हाथ से एक कौर उठाती और मुंह में डाल लेती. क्या खा रही है, कैसा स्वाद है, मैसेज में मगन पारुल को कुछ पता नहीं चल रहा था.

पल्लवी मन ही मन खीज रही थी कि उस के इतने कीमती और ढेर सारे नाश्ते पर पारुल का ध्यान ही नहीं है.

पारुल के लगातार बेवजह हंसते रहने को पल्लवी उस की आंतरिक खुशी नहीं उस की दुख छिपाने की चेष्टा ही समझी. पल्लवी जैसी बुद्धिहीन और समझ ही क्या सकती थी. तभी तो यह सुन कर कि पारुल के यहां खाना बनाने को बाई या रसोइया नहीं, पल्लवी अवाक उसे देखती रही.

‘‘इस में इतना अचरज करने की क्या बात है दीदी? 2 ही तो लोग हैं. पीयूष को भी खाना बनाने का शौक है. हम दोनों मिल कर खाना बना लेते हैं और जरूरी बातचीत भी हो जाती है,’’ पारुल ने सहज रूप से उत्तर दिया.

अब तो पल्लवी के आश्चर्य की सीमा नहीं रही. पुरुष और किचन में? यह तो जैसे दूसरी दुनिया की बात है. उस ने न तो अपने पिताजी को कभी किचन में जाते देखा न कभी प्रशांत ने ही कभी वहां पैर रखा. पुरुष तो छोडि़ए, पल्लवी ने तो अपने घर की औरतों यानी मां या दादी को भी सिवा रसोइए को क्या बनेगा के निर्देश देने के और किसी काम से किचन में पैर रखते नहीं देखा.

‘‘पर तूने खाना बनाना कहां से सीखा?’’ पल्लवी ने प्रश्न किया.

‘‘पीयूष से ही सीखा दीदी. वे बहुत अच्छा खाना बनाते हैं,’’ पारुल ने उत्तर दिया.

रसोईघर की गरमी में पारुल खाना बनाती है, रोटियां बेलती है सोच कर ही पल्लवी को पहली बार बहन से सचमुच सहानुभूति हो आई.

‘‘असिस्टैंट प्रोफैसर की तनख्वाह इतनी भी कम नहीं होती कि एक रसोइया न रखा जा सके. इतना कंजूस भी क्यों है पीयूष?’’ पल्लवी विषाद भरे स्वर में बोली.

‘‘वे कंजूस नहीं हैं दीदी, उन्होंने तो बहुत कहा था कि रसोइया रख लो, लेकिन जिद कर के मैं ने ही मना किया. हाथपैर चलते रहते हैं तो शरीर पर बेकार चरबी नहीं चढ़ती. वरना बैठेबैठे खाते रहो तो मोटे हो कर सौ परेशानियों को निमंत्रण दो.’’

पारुल तो सहज बात बोल गई लेकिन पल्लवी को लगा पारुल उस पर व्यंग्य कर रही है. सचमुच कम उम्र में एक के बाद एक 2 बच्चे और उस पर तर माल खा कर बस सारा दिन आराम करना. घूमने के नाम पर गाडि़यों में घूमना, पार्टियों में जाना और मौल में शौपिंग करना. और करती ही क्या है पल्लवी. तभी तो जगहजगह थुलपुल मांस की परतें झांकने लगी हैं. शरीर बड़ी मुश्किल से कपड़ों में समाता है.

पहली बार पारुल के छरहरे कसे शरीर को देख कर ईर्ष्या का अनुभव किया पल्लवी ने. वह पारुल से मात्र 6 वर्ष बड़ी है,  लेकिन मांस चढ़ जाने के कारण 20 वर्ष बड़ी लग रही है. जबकि पारुल के चेहरे और शरीर पर आज भी 20-22 की उम्र वाली कमनीयता बरकरार है.

पल्लवी भी कपड़े बदल कर पलंग पर लेट गई. एक ही दिन हुआ है पारुल को आए. लेकिन सुबह से पीयूष के न जाने कितने फोन और मैसेज आ गए होंगे. अब भी शायद दोनों एकदूसरे को मैसेज ही कर रहे होंगे. 4 साल हो गए शादी को, लेकिन लग रहा है मानो महीना भर पहले ही ब्याह हुआ है. कितनी दीवानगी है एकदूसरे के लिए.

पहली बार पल्लवी के मन में एक गहरी टीस उठी. शादी के इतने बरसों में कभी याद नहीं किया काम के सिवा प्रशांत ने. उन के टूअर पर जाने पर यदि कभी अकेलेपन से ऊब कर पल्लवी ही बातचीत के उद्देश्य से फोन मिलाती तो प्रशांत झल्ला जाता कि मेरे पास गप्पें मारने के लिए फालतू समय नहीं है.

दिन में न सही, लेकिन रात में भी प्रशांत का कोई न कोई बहाना रहता कि पार्टी के साथ मीटिंग में हूं या डिनर पर काम की बातें हो रही हैं या फिर सो रहा हूं.

हार कर पल्लवी ने फोन करना बंद कर दिया. लेकिन आज पारुल और पीयूष को एकदूसरे के कौंटैक्ट में रहते देख कर पल्लवी के अंदर एक टीस सी उठी. इस बार तो 4 दिन हो गए प्रशांत को गए हुए. पहुंचने के फोन के बाद से कोई खबर नहीं है. देर तक छटपटाती रही पल्लवी. सुबह से पारुल के फोन को चैन नहीं है और पल्लवी… उस का फोन इतना खामोश है कि पता ही नहीं चलता कि फोन पास है या नहीं.

हाथ में पकड़े मोबाइल को देर तक घूरती रही पल्लवी और फिर प्रशांत को फोन लगाया. 1 2 3 … 10 बार लगातार फोन किया पल्लवी ने, लेकिन प्रशांत ने फोन नहीं उठाया. लगता है फोन साइलैंट मोड पर कर के सो गए हैं.

पारुल सो रही है या… सहज कुतूहल और ईर्ष्या के वशीभूत हो कर पल्लवी उठ कर पारुल के कमरे तक गई. दरवाजा बंद नहीं था. केवल परदे लगे थे. पल्लवी ने बहुत थोड़ा सा परदा सरका कर देखा. पलंग के सिरहाने वाले कोने पर एक मद्धिम रोशनी झिलमिला रही थी. उस रोशनी को देख कर पल्लवी के मन का अंधेरा घना हो गया.

आ कर चुपचाप पलंग पर लेट कर देर रात तक अपनेआप को तसल्ली देती रही. पल्लवी कि कल सुबह उठते ही उस की इतनी मिस कौल देख कर प्रशांत खुद ही फोन लगा लेंगे.

दूसरे दिन नाश्ता करते हुए पारुल ने टोक ही दिया, ‘‘कल से देख रही हूं, दीदी जीजाजी का एक बार भी फोन नहीं आया.’’

जले मन पर मानो नमक छिड़क दिया पारुल ने. तिलमिला कर कहने जा रही थी कि बहुत काम रहता है प्रशांत को… इतना बड़ा बिजनैस हैंडल करना आसान नहीं है. पीयूष की तरह फुरसतिया नहीं हैं कि चौबीसों घंटे मोबाइल पर बीवी से बातें या मैसेज करते रहें. लेकिन हड़बड़ा कर झूठ ही बोल गई, ‘‘सुबह ही तो तेरे आने से पहले बहुत देर तक बातें हुई थीं. फिर रात में भी बहुत देर तक बातें करते रहे. आखिर मैं ने ही कहा कि अब सो जाओ तब बड़ी मुश्किल से फोन काटा,’’ कहते हुए पल्लवी पारुल से आंखें नहीं मिला पाई. नाश्ता परोसने के बहाने आंखें यहांवहां घुमाती रही.

मोबाइल को हाथ में पकड़े पल्लवी घूर रही थी. सुबह के 10 बज गए हैं. क्या अब तक प्रशांत सो कर नहीं उठे होंगे? क्या उन्होंने मेरी मिस कौल नहीं देखी होंगी? क्या एक बार भी वे फोन नहीं लगा सकते? पता नहीं क्यों अचानक पल्लवी का मन तेजी से यह इच्छा करने लगा कि काश प्रशांत का फोन आ जाए. हमेशा से इस अकेलेपन को आजादी मानने वाली पल्लवी आज पारुल के सामने बैठ कर अचानक ही क्यों इस अकेलेपन से ऊब उठी है? क्यों किसी से कोने में जा कर बात करने को उस का मन लालायित हो उठा.

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दीनानाथ का वसीयतनामा- भाग 2: दीवानजी की वसीयत में क्या था

वे भी ऐसे ही तड़पें जैसे मैं तड़पता रहा हूं. तभी उन्हें कुछ अक्ल आएगी. मेरे मरने पर कुछ लंबाचौड़ा करने की आवश्यकता नहीं है. उसी मंदिर में मेरे सभी क्रियाक्रम किए जाएं,

जहां मैं हर मंगल और इतवार को जाता था.

आशा है लोकेश, तुम सब जानते हुए मेरी इच्छा पूरी करोगे और हां नूरां और राजपाल को उन

के अधिकार अवश्य दिलाना नहीं तो मुझे शांति नहीं मिलेगी.

रमन ने प्रश्नभरी निगाह से बख्शी की ओर देखा तो बख्शी ने कहा, ‘‘हाथ से लिखी हुई वसीयत को कोई कोर्ट भी नहीं नकार सकता, पर हैरानी की बात तो यह है कि दीनानाथ ने अपनी औलाद के लिए कुछ नहीं छोड़ा.’’

इंस्पैक्टर रमन ने कहा, ‘‘बच्चे इसे चैलेंज भी तो कर सकते हैं.’’

‘‘यह बड़ा लंबा प्रोसैस है. सालों लग सकते हैं और खर्चा अलग से,’’ बख्शी ने कहा.

‘‘आप तो दीवानजी के बड़े घनिष्ठ मित्र

थे, आप को तो सब पता होगा?’’

रमन ने पूछा.

‘‘हां, पता तो सब है. हम रोज शाम को मिलते थे. मंदिर में भी हर इतवार को इकट्ठे होते थे, पर 2 साल से दीनानाथ बहुत बीमार था और चुप लगा गया था. दिल की बात तो वह मेरे से भी कभीकभार ही करता था,’’ बख्शी ने कहा.

‘‘आप नूरां के बारे में क्या जानते हैं?’’ रमन ने पूछा.

दोनों टहलतेटहलते कमरे से बाहर निकल कर बरामदे में आ पहुंचे थे. लोगों का आनाजाना शुरू हो चुका था. दाहसंस्कार शाम तक हो जाना था, क्योंकि बच्चे बहुत दूर थे और यहां पर कोई सगासंबंधी भी न था. ‘‘नूरां करीब 10 सालों से दीनानाथ के यहां काम कर रही है. नूरां के बाप को, परिवार को दीनानाथ जानते थे… पहले तो नूरां सफाई कर के चली जाती थी, पर जब दीनानाथ बीमार हुआ तो उस ने सारे दिन की जिम्मेदारी ले ली. पिछले 2 सालों से तो लगभग सारा काम कर रही है. उस के परिवार की बुरी हालत है, पति शराब की भेंट चढ़ गया, बेटा घर से भाग गया पर बेटी अच्छी है. उस की  नर्सिंग की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है,’’ बख्शी ने कहा.

‘‘नूरां की बेटी कहां है?’’ रमन ने उत्सुकता से पूछा.

वह लुधियाना में जौब कर रही है. नूरां की बूढ़ी मां जो अपनी याददाश्त खो चुकी हैं उस के साथ रहती हैं.

दाहसंस्कार के बाद वसीयत की 2 कापियां बनाई गईं. एक रमन ने अपने पास रखी और औरिजनल बख्शी के पास रही. तय यह किया गया कि जब बच्चे आएंगे तो बख्शी जो उन के पारिवारिक वकील भी हैं वे उन्हें इस वसीयत से अवगत कराएंगे.

2 दिन बाद जब दीनानाथ दीवान का लड़का घर पहुंचा तो उस दिन दीनानाथ का उठाला था उसी मंदिर में जहां वे ट्रस्टी भी थे. उपासना और आनंद तो दाहसंस्कार वाले दिन ही रात को पहुंच गए थे. उन का प्लेन लेट था सो वे रात तक ही आ पाए.

उपासना को सचमुच रुलाई आ रही थी उमा (दूसरी पत्नी व उस की मां) ने उसे सदा अपने पिता से दूर रखा और उस के कान भरती रही पर पिता के देहांत ने उसे दुखी कर दिया था. आनंद 2 दिन में ही इस माहौल से उकता चुका था. उस का उद्देश्य तो केवल पैसा लेना था. उसे ‘ओल्ड मैन’ के मरने का कतई अफसोस न था.

अतुल दुखी तो था. उसे अपनी पिछली विजिट याद आ रही थी जब पहली बार उस के पिता दीनानाथ ने उस के बच्चों की शिक्षा के बारे में उस से पूछा था, पर बापबेटे में इतना भी तालमेल नहीं था कि वे घड़ीभर एकदूसरे के पास बैठ कर किसी विषय पर एक राय हो सकें. इतनी दूर कनाडा से आ कर भी वह केवल 1 हफ्ता रुक पाया. सोच रहा था चलो जिंदगी का एक अध्याय खत्म हुआ. अब जो पापा छोड़ गए हैं उस से वह अपना बिजनैस नए सिरे से जमाएगा.

दूसरी तरफ उपासना का पति आनंद भी अंदर से तो कर्ज उतार कर उपासना को छोड़ देने के सपने देख रहा था, पर ऊपर से अपनी पत्नी को गले लगा कर सांत्वना दे रहा था, ‘‘जान देखो तुम बीमार पड़ जाओगी, अपना खयाल रखो. मुझे और बच्चों को तुम्हारी बहुत जरूरत है.’’

नूरां ने अच्छी तरह से मेहमानों की देखभाल की. हवेली के सारे कमरे साफसुथरे कर के सभी के ठहरने का पूरा बंदोबस्त कर दिया था. ऊपर वाला भाग हमेशा बच्चों के ठहरने के लिए प्रयोग होता था.

शाम को उठाले पर छोटा सा कार्यक्रम हुआ, जिस में दीनानाथ को श्रद्धांजलि दी गई.

दूसरे दिन उपासना व अतुल में बैठक हुई और तय किया गया कि अब नूरां और

राजपाल की छुट्टी कर दी जाए, कोई नई कामवाली रखी जाए, एक कुक रख लिया जाए, राजपाल की जगह कोई नया स्मार्ट चुस्तदुरुस्त अकाउंटैंट रखा जाए जो दफ्तर का, जंगलों का कारोबार देख सके. अतुल ने कहा कि अब तो वह आताजाता रहेगा. उसे ढंग का खाना पसंद है, इसलिए सारी व्यवस्था बदलनी होगी.

अभी यह बातचीत चल ही रही थी कि इंस्पैक्टर रमन और बख्शी आ पहुंचे. हैलोहाय के बाद उन्हें बड़े आदर से बैठाया गया, क्योंकि अतुल और उपासना को पता था कि आज वसीयत पढ़ी जाएगी. नूरां को चाय लाने के लिए कह दिया गया.

नूरां जब चाय बना रही थी, अतुल ने बख्शी से कहा, ‘‘अंकल, मैं ने सोचा है घर की व्यवस्था मैं अपने हाथ में ले लूं, पापा के बाद मुझे ही तो सब देखना है. हम ने तय किया है कि नूरां और राजपाल को अब फ्री कर देना चाहिए. वैसे भी दोनों हम लोगों को पसंद नहीं. नूरां तो मालकिन की तरह सब तरफ घूमती फिरती है.’’

रमन और बख्शी ने एकदूसरे को देखा जैसे कह रहे हों इन बेचारों को क्या पता कि क्या होने वाला है?

‘‘क्यों अंकल आप कुछ बोलेंगे नहीं?’’ उपासना ने पूछा.

जवाब रमन ने दिया, ‘‘देखो, तुम से जो कहने जा रहे हैं उसे ध्यान से सुनो. तुम्हारे पापा का पत्र जो हमें उन के पास मिला था, वह तुम्हें पढ़ कर सुनाना है.’’

दोनों अंदर से खुश थे, पर ऊपर से उपासना और अतुल ने संयम कायम रखते हुए दुखी दिखने की कोशिश जारी रखी. रमन ने पत्र पढ़ कर ज्यों का त्यों सुना दिया.

सेविंग में न करें ये 4 गलतियां

हर आदमी के जीवन में पैसे की अहम भूमिका होती है. अगर आप जीवन में पैसे की टेंशन से बचना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप कुछ गलतियों से बचें. इससे आप जीवन में किसी भी स्थिति का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगे.

1. अपनी सेविंग से कर्ज चुकाना

पैसा निकालना, पैसा जमा करने की तुलना में आसान है. अक्‍सर लोग यह गलती  करते हैं कि अपनी सेविंग से कर्ज चुकाते हैं. शुरुआत में इस गलती का अहसास नहीं होता है लेकिन बाद में आपको इसका महत्‍व समझ में आता है. इससे बचने का तरीका यह है कि आप अपने कर्ज के पेमेंट को ऑटो मोड में डाल दें. इससे आपके कर्ज का भुगतान हर माह होता रहेगा और आप कर्ज के जाल में नहीं फंसेंगे.

2. इमरजेंसी फंड न मेनेटेन करना

ज्‍यादातर परिवार एक मासिक खर्च पर अपना जीवन गुजारते हैं. ऐसे में अगर खर्च थोड़ा भी बढ़ता है तो दिक्‍कत हो जाती है. ऐसे में अगर आपको मेडिकल इमरजेंसी का सामना कर पड़ जाए तो यह परिवार पर काफी भारी पड़ता है. इसके अलावा अगर शार्ट नोटिस पर आपकी नौकरी चली जाए तो महीने के जरूरी खर्च का इंतजाम करना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप एक इमरजेंसी फंड जरूरी मेनेटेन करें.

3. बिना बजट के खर्च करना

वित्‍तीय तौर पर आपका फ्यूचर कैसा होगा यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप पैसा किस तरह से खर्च करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप खर्च करने से पहले बजट बनाएं. वरना आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपका पैसा कहां खर्च हो रहा है.

4. दोस्‍तों को कर्ज देना

आपको अपने रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों की जरूरत पड़ने पर पैसे से मदद करनी चाहिए लेकिन अपने मासिक बजट या सेविंग की कीमत पर नहीं. आम तौर पर रिश्‍तेदार या दोस्‍त वादा करके भी समय पर पैसा वापस नहीं करते हैं. ऐसे में आप उतना ही कर्ज दे जिसे देकर आप भूल जाएं. इससे ज्‍यादा कर्ज देना आपकी वित्‍तीय सेहत पर भारी पड़ सकता है.

झड़ते बाल: समय पर करें इलाज

थोड़े बहुत बालों का झड़ना तो प्राकृतिक है और हर किसी के साथ ऐसा होता है. 60-100 बाल रोजाना झड़ें तो कोई बात नहीं. लेकिन जब बालों का झड़ना लंबे समय तक जारी रहे और झड़ने वाले बालों की मात्रा भी बढ़ जाए तो यह चिंता की बात है. यदि बालों का झड़ना आप के पूरे परिवार में दिखाई दे रहा है तो यह समस्या वंशानुगत हो सकती है. इस से पहले कि गंजापन दिखने लगे, आप को चिकित्सकीय मदद की जरूरत है.

अगर बालों का झड़ना सामान्य से ज्यादा है और सिर के किसी खास स्थान से अन्य हिस्सों के मुकाबले ज्यादा बाल झड़ रहे हैं तो इस में विशेषज्ञ की सहायता लें. पुरुषों और महिलाओं में गंजेपन के कई कारण हैं, जैसे पोषक तत्वों की कमी, हेयरकेयर उत्पादों का अत्यधिक उपयोग, वंशानुगत समस्या, चल रही दवाओं का साइड इफैक्ट, प्रोटीन की कमी, हार्मोन का असंतुलन, तनाव, एनीमिया, सिर की त्वचा का संक्रमण और कई अन्य कारण शामिल हैं. भारी मात्रा में बालों के झड़ने या गंजेपन का वास्तविक कारण जानने के लिए बेहतर है डाक्टर से मिलें और इस के लिए उचित इलाज लें.

किस के लिए कौन सा इलाज बेहतरीन काम करता है, यह समस्या और उस के संभावित परिणामों पर निर्भर करता है. आमतौर पर प्रोटीन, मैग्नीशियम या जिंक सप्लीमैंट्स युक्त पौष्टिक आहार लेने से बालों के झड़ने की समस्या दूर हो सकती है.

जो व्यक्ति ज्यादा विश्वसनीय, सुरक्षित और दीर्घावधि समाधान चाहते हैं उन के लिए हेयर ट्रांसप्लांट सब से अच्छा विकल्प है. अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल, अत्याधुनिक क्लीनिक्स की आसान उपलब्धता और कुशल सर्जनों की विशेषज्ञता के चलते और सिर पर बालों को फिर से उगाना संभव है जो असली बालों जितने ही अच्छे दिखते हैं. आमतौर पर, हेयर ट्रांसप्लांट की यह प्रक्रिया जनरल एनेस्थेसिया के अंतर्गत की जाती है और अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं होती. इस से कोई भी व्यक्ति बिना किसी दर्द के अपना युवा लुक फिर से हासिल कर सकता है.

हेयर ट्रांसप्लांट की आसान प्रक्रिया और संतोषजनक परिणाम देने की क्षमता ने इसे मनोरंजन उद्योग और क्रिकेट जगत में भी लोकप्रिय बना दिया है. कई जानीमानी शख्सीयतों जैसे अभिनेता गोविंदा, परमीत सेठी और क्रिकेटर युसुफ पठान, निखिल चोपड़ा, वीवीएस लक्ष्मण, रोजर बिन्नी, दिलीप वैंगसरकर, सौरव गांगुली, कमैंटेटर हर्षा भोगले, चारू शर्मा और अरुण लाल आदि ने भी इस प्रक्रिया को अपनाया है और कैमरे के सामने अपना चेहरा रखने का आत्मविश्वास पाया.

हेयर ट्रांसप्लांट की 2 तरह की प्रक्रियाएं फिलहाल लोकप्रिय हैं-फोलिक्यूलर यूनिट ट्रांसप्लांट यानी एफयूटी पद्घति या स्ट्रिप मैथड और फोलीक्यूलर यूनिट एक्सट्रैक्शन यानी एफयूई या पंच मैथड. एफयूटी या स्ट्रिप पद्घति को दुनियाभर में 90 फीसदी सर्जन इस्तेमाल करते हैं.

इस प्रक्रिया में सिर के बालों को सावधानीपूर्वक फिर से उगाया जाता है. इस में मरीज को लोकल एनेस्थेसिया दिया जाता है और सिर के पिछले हिस्से और साइडों से त्वचा की एक पट्टी बालों एवं बालों के रोम सहित हटाई जाती है.

इस पट्टी को सिर के उन हिस्सों पर ग्राफ्ट (लगाया) किया जाता है जहां बाल नहीं हैं और उसे ‘ट्रिकोपैथिक क्लोजर’ से सील कर दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में 6-8 घंटे का समय लगता है और उसी समय 8-10 डाक्टरों की टीम औपरेशन पर काम करती है. मरीज उसी दिन घर जा सकता है और अगले दिन से अपना काम शुरू कर सकता है. इसी सहूलियत की वजह से ज्यादातर मामलों में यह पद्घति काम करती है.

एक नहीं अनेक कारण

बालों का झड़ना इन दिनों हर उम्र के लोगों में लगातार रहने वाली समस्या बन गई है. युवा हो, वयस्क हो या फिर बुजुर्ग, कोई भी इस अनचाही स्थिति से नहीं बच सकता. रोजाना 100 बालों का झड़ना तो सामान्य है, लेकिन जब झड़ते बालों की संख्या इस आंकड़े को पार कर जाए तो यह चिंता का विषय है.

बालों के झड़ने के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं, जैसे खानपान में पौष्टिकता एवं विटामिन की कमी, संक्रमण, दवाइयां, आनुवंश्किता और वह वातावरण जिस में व्यक्ति रहता है. विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है, ऐसे में बालों का अत्यधिक झड़ना एक प्रोटीन बोटुलिनम टौक्सिन की मदद से रोका जा सकता है जिस को बोटोक्स भी कहते हैं.

बोटुलिनम टौक्सिन कौस्मेटिक इंडस्ट्री में लोकप्रिय नाम है और यह दुनियाभर के एस्थेटिक (सौंदर्य) क्लीनिक्स में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाला उत्पाद है. यह चेहरे के हावभाव व्यक्त करते समय पड़ने वाली झुर्रियों को अस्थायी रूप से कम कर देता है.

इस के अलावा, यह मांसपेशियों में होने वाले दर्द, पुराने माइग्रेन, यूरिनरी इनकंटीनेंस (मूत्र असंयम), ब्लैफेरोस्पाज्म (पलकों का उद्वेष्ट) और अंडरआर्म से अत्यधिक पसीने जैसी बीमारियों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है. इन सब के अलावा, हाल ही के अध्ययन बताते हैं कि बोटुलिनम टौक्सिन झड़ते बालों के इलाज में भी बहुत ही मदद कर सकते हैं.

दरअसल, यह आधुनिकतम पद्घति है जिस का इस्तेमाल सर्जन उन महिलाओं व पुरुषों के इलाज में करते हैं जो बाल झड़ने या कमजोर होने की समस्या से जूझ रहे हैं. अनुसंधान इस बात को साबित कर चुके हैं कि सिर के उन हिस्सों पर बाल उड़ने की संभावना ज्यादा रहती है जहां रक्त व औक्सीजन की आपूर्ति कम रहती है और डीहाइड्रोटेस्टोस्टीरोन यानी डीएचटी का स्तर ज्यादा होता है. बोटुलिनम टौक्सिन का इंजैक्शन लगा कर बालों के रोमों में खून और औक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है, जिस के चलते नए बालों के विकास और मौजूदा बालों को मजबूती मिलती है. इस के अलावा, यह बालों की जड़ों को पौष्टिक तत्त्वों की आपूर्ति भी बढ़ाती है और किसी भी क्षेत्र में औक्सीजन का स्तर ऊंचा होने से बनने वाले डीएचटी को रोकती है.

क्या है प्रक्रिया

टौक्सिन को सिर के अग्रभाग, टैंपल्स और शिखर में लगाया जाता है. एक पतली सुई के जरिए 15 मिनट के लिए 20-30 माइक्रोइंजैक्शंस लगाए जाते हैं. यह उपचार एक एनेस्थेटिक क्रीम के तहत शुरू किया गया है जो किसी भी तरह के दर्द से बचने के लिए सिर की त्वचा पर लगाया जाता है. बोटुलिनम टौक्सिन सिर की मांसपेशियों को आराम पहुंचाती है और तनाव को दूर करती है. रक्तवाहिनियों को आराम पहुंचा कर तनाव को दूर करती है और बालों के रोमों में रक्त की आपूर्ति बढ़ाती है.

हालांकि बोटुलिनम टौक्सिन को बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देने में सहायक माना गया है लेकिन गंजेपन के इलाज में इस की सुरक्षा और दक्षता पर और अधिक क्लीनिकल रिसर्च व अध्ययन की जरूरत है. एक बार कौस्मेटिक्स इंडस्ट्री इस बात का पुख्ता प्रमाण जुटा ले तो बालों को उगाने में टौक्सिन का इस्तेमाल हेयरलौस ट्रीटमैंट में एक लंबी छलांग होगा.

(लेखिका कौस्मेटिक डर्मेटोलौजिस्ट ऐंड लेजर सर्जन हैं.)

रेडी टू वीयर साड़ी बनाने के 8 टिप्स

फेस्टिव सीजन प्रारम्भ हो चुका है. भारतीय संस्कृति में उत्सव सुंदर सुंदर वस्त्र, मिठाईयां और भांति भांति के व्यंजन अपने साथ लेकर आते हैं. इन दिनों महिलाएं भी विभिन्न पर्वों पर सज धज कर तैयार होतीं हैं. साड़ी हर महिला को पसन्द होती है यूं भी साड़ी भारतीय महिलाओं का  एक ऐसा परिधान है जो प्रत्येक उम्र, शेप और वर्ग पर फबती है क्योंकि इसमें पहनने वाले के अनुकूल ढल जाने की क्षमता होती है. आजकल साड़ी ऑकेजन पर पहने जाने वाला परिधान हो गया है…परन्तु अक्सर महिलाएं ऑकेजन पर भी साड़ी पहनने से कतराती हैं क्योंकि उन्हें साड़ी पहनना बहुत मुश्किल काम लगता है यद्यपि बाजार में आजकल रेडी टू वीयर साड़ी उपलब्ध हैं परन्तु एक तो इनकी कीमत अधिक होती है दूसरे आप अपनी मनचाही साड़ी भी नहीं पहन पातीं इसलिए आज हम आपको घर पर ही रेडी टू वीयर साड़ी बनाना बता रहे हैं जिसे आप पहले से बनाकर रख लीजिए और फेस्टिवल के समय मिनटों में पहन लीजिए इसे बनाना भी बहुत आसान है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

स्टेप 1-साड़ी को खोलकर साड़ी के प्रारंभिक सिरे और पल्लू के 1-1 मीटर भाग को छोड़कर 1 सेफ्टी पिन लगा दें इस प्रकार बीच का लगभग 3.50 मीटर साड़ी का हिस्सा अलग हो जाएगा.

स्टेप 2-अब बीच के छूटे हुए लगभग साढ़े तीन मीटर साड़ी की उंगलियों की सहायता से प्लीट्स बनाकर अंदर की तरफ से बड़ा सेफ्टी पिन लगा दें.

स्टेप 3-इन प्लीट्स पर आप फ्रंट साइड से  मनचाहे डिजाइन का फैंसी पिन भी लगा सकतीं हैं.

स्टेप 4-पल्लू के छुटे हिस्से की भी लंबाई में प्लीट्स बनाकर पिन लगाएं. पल्लू के नीचे की साइड पर भी पिन लगा दें ताकि पल्लू की प्लीट्स पहनते समय आपको कन्फ्यूज न करें. प्लीट्स में बीच में भी 2-3 जगह पर सेफ्टी पिन लगाएं ताकि आसानी से आप पहन सकें.

स्टेप -5-पल्लू की प्लीट्स बनाते समय ध्यान रखें कि ऊपरी प्लीट अन्य प्लीट्स से थोड़ी चौड़ी रहे ताकि ब्लाउज का फ्रंट पोर्शन पूरी तरह कवर हो जाये.

स्टेप 6-जब भी आपको पहनना हो आप पेटिकोट में शुरू के छोड़े हिस्से को खोंसे, पल्लू की प्लीट्स को पीछे से घुमाकर सामने लाएं और ब्लाउज में अटैच करें, फ्रंट प्लीट्स को भी पेटिकोट में खोंसे 5 मिनट में आप साड़ी पहनकर तैयार हो जाएंगी.

स्टेप-7-अंत में शोल्डर पर आ रही पल्ले की प्लीट्स को एक पिन की सहायता से ब्लाउज में अटैच कर लें, पल्लू के शेष सभी पिन्स को निकाल दें.

-स्टेप 8-ध्यान रखें कि साड़ी को साइड से ब्लाउज और सामने से पेटिकोट से अटैच अवश्य कर लें ताकि साड़ी इधर उधर न खिसके.

मैरिड लाइफ बनाएं पहले जैसी खुशहाल

विवेक कई दिनों से अपनी पत्नी आशु के साथ अंतरंग संबंध बनाना चाह रहा था, पर आशु कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. रोज की नानुकर से तंग आ कर एक दिन आखिर विवेक ने झल्लाते हुए आशु से कहा कि आशु, तुम्हें क्या हो गया है? मैं जब भी तुम्हें प्यार करना चाहूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती हो. कम से कम खुल कर तो बताओ कि आखिर बात क्या है?

यह सुन कर आशु रोते हुए बोली कि ये सब करने का उस का मन नहीं करता और वैसे भी बच्चे तो हो ही गए हैं. अब इस सब की क्या जरूरत है?

यह सुन कर विवेक हैरान रह गया कि उस की बीवी की रुचि अंतरंग संबंध में बिलकुल खत्म हो गई है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो गया जबकि उस की पत्नी पहले इस सब में बहुत रुचि लेती थी?

यह परेशानी सिर्फ विवेक की ही नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से पति हैं, जो मिडिल ऐज में आने पर या बच्चों के हो जाने पर इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं.

कम क्यों हो जाती है दिलचस्पी

सैक्सोलौजिस्ट डा. बीर सिंह का कहना है कि कई बार पतिपत्नी के बीच प्यार में कोई कमी नहीं होती है, फिर भी उन के बीच सैक्स को ले कर समस्या खड़ी हो जाती है. विवाह के शुरू के बरसों में पतिपत्नी के बीच सैक्स संबंधों में जो गरमाहट होती है, वह धीरेधीरे कम हो जाती है. घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण सैक्स को ले कर उदासीनता आ जाती है. इस की वजह से आपस में दूरी बढ़ने लगती है. इस समस्या से बाहर आने के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे से अपने सैक्स अनुभव शेयर

करने चाहिए. अपनी सैक्स अपेक्षाओं पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस के अलावा उन कारणों को भी ढूंढ़ें जिन की वजह से साथी

सैक्स में रुचि नहीं लेता, फिर उन्हें दूर करने की कोशिश करें. ये कारण हर कपल के अलगअलग होंगे. आप को बस उन्हें दूर करना है, तब आप की सैक्स लाइफ फिर से पहले जैसी खुशहाल हो जाएगी.

यह भी एक कारण

उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी क्यों नहीं लेती है? अमेरिका में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की पूरी टीम इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने में जुट गई. इस में एक अहम जानकारी सामने आई, जो निश्चित तौर पर एक स्त्री की सैक्स संबंधी दिलचस्पी की पड़ताल करती है. दरअसल, यह सवाल स्त्री की उम्र और सैक्स के रिश्ते से जुड़ा है. कई लोग मानते हैं कि स्त्री की उम्र उस की सैक्स संबंधी दिलचस्पी पर काफी असर डालती है. यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेती.

हालांकि शोध से यह बात साफ हो गई कि मध्य आयुवर्ग की महिलाओं में संभोग के प्रति दिलचस्पी होना अथवा न होना सिर्फ बढ़ती उम्र पर निर्भर नहीं करता. यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन के लाइफपार्टनर का स्वास्थ्य कैसा है? और सैक्स संबंधी गतिविधियों में वे कितनी रुचि लेते हैं.

भावनात्मक कारण

आम धारणा के विपरीत शोध में यह पाया गया कि मध्य आयु में भी महिलाएं न सिर्फ सैक्सुअली सक्रिय होती हैं, बल्कि कई मामलों में उन की दिलचस्पी बढ़ती हुई नजर आई. शोध के दौरान जब यह जानने की कोशिश की गई कि जो महिलाएं सैक्स में सक्रिय नहीं हैं उस के पीछे क्या वजह है तो पता चला कि कई भावनात्मक कारणों से उन की सैक्स और अपने पार्टनर में दिलचस्पी खत्म हो चुकी होती है. पार्टनर में दिलचस्पी घटना या किसी प्रकार की अक्षमता का सीधा असर महिलाओं की यौन सक्रियता पर पड़ता है. ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन की सैक्स में दिलचस्पी खत्म होने की और भी वजहें हैं. मगर उन की संख्या कम है.

उम्र से नहीं है कोई संबंध

इस शोध में मध्य आयुवर्ग की सैक्स संबंधी हर दिलचस्पी को शामिल किया गया था, जिस में हस्तमैथुन भी शामिल था. शोध के दौरान महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सैक्सुअल ऐक्टिविटीज में उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा सक्रिय होता पाया गया. शोध से यह स्पष्ट सामने आया कि किसी भी स्त्री की सैक्स संबंधी सक्रियता का उस की उम्र से कोई सीधा संबंध नहीं है. इस आधार पर मनोवैज्ञानिकों और सैक्स सलाहकारों ने कुछ कारण और सुझाव भी रखे:

– ध्यान दें कि आप का पार्टनर किसी दवा के साइड इफैक्ट की वजह से भी सैक्स में दिलचस्पी खो सकता है. यदि ऐसा है तो डाक्टर से सलाह लें.

– कई महिलाएं मानसिक दबाव के चलते भी सैक्स में रुचि नहीं लेतीं.

– बच्चों में ज्यादा व्यस्त हो जाने और सामाजिक मान्यताओं के चलते महिलाओं को लगता

है कि सैक्स में बहुत दिलचस्पी लेना उचित नहीं है.

– कई बार बच्चों के हो जाने के बाद महिलाएं अपने शरीर को ले कर असहज हो जाती हैं और हीनभावना का शिकार हो जाती हैं. इस के चलते भी वे सैक्स से जी चुराने लगती हैं.

– बढ़ती उम्र में घरपरिवार और कामकाज की बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण वे थकने लगती हैं और सैक्स के लिए उन में पर्याप्त ऐनर्जी नहीं बचती.

– कई महिलाएं अपने पति के साथ एकांत चाहती हैं और ऐसा न होने पर सैक्स के प्रति उन की रुचि घटने लगती है.

– अगर पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और रिश्ता आपस में सही नहीं है तो इस से भी सैक्स लाइफ पर विपरीत असर पड़ता है.

गाइनोकोलौजिस्ट, डाक्टर अंजली वैश के अनुसार कुछ बीमारियां भी होती हैं, जिन की वजह से सैक्स में रुचि कम हो जाती है. ड्रग्स, शराब, धूम्रपान का सेवन करने से भी सैक्स में रुचि कम हो जाती है, डाइबिटीज की बीमारी भी महिलाओं में सैक्स ड्राइव को घटाती है, गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद हारमोन चेंज के कारण सैक्स में महिला कम रुचि लेती है, अगर डिप्रैशन की समस्या हो तो हर समय अवसाद में डूबी रहती हैं. वे ऊटपटांग बातें सोचने में ही अपनी सारी ऐनर्जी लगा देती हैं. सैक्स के बारे में सोचने का टाइम ही नहीं मिलता है.

कई महिलाएं बहुत मोटी हो जाती हैं. मोटापे के कारण सैक्स करने में उन्हें काफी दिक्कत होती है. अत: वे सैक्स से बचने लगती हैं.

दवा भी कम जिम्मेदार नहीं

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कई ऐसी दवाएं हैं जिन से सैक्स लाइफ पर असर पड़ता है. सैक्स के लिए जरूरी हारमोंस शरीर की जरूरत व संदेशों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले तत्त्व डोपामाइन व सैरोटोनिन और सैक्स अंगों के बीच तालमेल बहुत जरूरी होता है. डोपामाइन सैक्स क्रिया को बढ़ाता है और सैरोटोनिन उसे कम करता है. जब दवाएं इन हारमोंस के स्तर में बदलाव लाती हैं तो कामेच्छा में कमी आती है. पेनकिलर, अस्थमा, अल्सर की दवा, हाई ब्लडप्रैशर और हारमोन संबंधी दवा से कामेच्छा में कमी हो सकती है.

मगर यह जरूरी नहीं कि आप की सैक्स लाइफ में अरुचि सिर्फ दवा की वजह से ही हो. इसलिए अगर आप को अपनी सैक्स लाइफ में बदलाव महसूस हो रहा है, तो दवा बंद करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

सैक्स में रुचि कैसे पैदा करें

सैक्स में जरूरी है मसाज: जब आप पार्टनर के नाजुक अंगों पर हाथों से हौलेहौले तेल लगा कर मसाज करेंगे तो यह उस के लिए बिलकुल नया अनुभव होगा. तेल आप के और पार्टनर के बीच जो घर्षण पैदा करता है उस से प्यार में बढ़ोतरी होती है और सैक्स की इच्छा जाग उठती है. मसाज एक ऐसी थेरैपी है, जिस से न सिर्फ शरीर को आराम मिलता है, बल्कि अपनी बोरिंग सैक्स लाइफ को भी फिर से पहले जैसी बना सकती हैं.

ऐक्सपैरिमैंट कर सकते हैं: अगर आप का पार्टनर सैक्सुअल ऐक्सपैरिमैंट नहीं करता है या ऐक्सपैरिमैंट करने से बचता है तो फेंटैसी की दुनिया में आप का स्वागत है. अगर आप सैक्स के बारे में अच्छी फेंटैसी कर सकती हैं तो अपने बैडरूम से बाहर निकले बिना आप अपने पार्टनर के साथ जंगल में मंगल कर सकती हैं. आप अपने पार्टनर के साथ जो चाहती हैं उसे फेंटैसी के जरीए महसूस करिए. आप की अपने पार्टनर से सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी, क्योंकि आप का पार्टनर आप को खयालों में जो मिल गया है.

बारबार हनीमून मनाएं: सैक्स संबंधों में बोरियत न हो, इस के लिए पतिपत्नी को चाहिए कि हर साल वे हनीमून पर जाएं और इसे वे आपस में घूमने जाना न कह कर हनीमून पर जाना कहें. इस से उन के बीच ऐक्साइटमैंट बना रहता है. जब हनीमून पर जाएं तो एकदूसरे को वहां पहली बार बिताए लमहे याद दिलाएं. इस तरह घूमने और हनीमून के बारे में बात करने पर सैक्स संबंधों की याददाश्त ताजा हो जाएगी.

सैक्स में नयापन लाएं: कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के सैक्स करने का एक ही तरीका हो और उस तरीके से आप की पत्नी बोर हो गई हो? अत: उस से इस विषय पर बात करें और सैक्स करने के परंपरागत तरीके छोड़ कर नएनए तरीके अपनाएं. इस से सैक्स संबंधों में एक नयापन आ जाएगा.

अपने साथी को समय दें: शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़ों को लगता है कि सहवास में उन की रुचि कम होती जा रही है. सहवास उन्हें एक डेली रूटीन जैसा उबाऊ कार्य लगता है. इसलिए सहवास को डेली रूटीन की तरह न लें, बल्कि उसे पूरी तरह ऐंजौय करें. रोज करने के बजाय हफ्ते में भले ही 1 बार करें लेकिन उसे खुल कर जीएं और अपने पार्टनर को एहसास दिलाएं कि ऐसा करना और उस के साथ होना आप के लिए कितना खास है.

सैक्स ऐसा जिसे दोनों ऐंजौय करें: सिर्फ आप अपने मन की बात ही पार्टनर पर न थोपते रहें, बल्कि सैक्स में उस की इच्छा भी जानें और उस का सम्मान करें. जिन तरीकों में आप दोनों कंफर्टेबल हों और ऐंजौय कर सकें, उन्हें अपनाएं.

नियमित करें सैक्स: यह सच है कि तनाव और थकान का पतिपत्नी के यौन जीवन पर बुरा असर पड़ता है. मगर वहीं यह भी सच है कि सैक्स ही आप के जीवन में पैदा होने वाले दबावों और परेशानियों से जूझने का टौनिक बनता है. इसलिए कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम 3 बार संबंध जरूर बनाएं. इस से सैक्स लाइफ में मधुरता बनी रहेगी.

एकदूसरे के प्रति प्यार को बढ़ावा दें : अधिकतर जोड़ों के शादी के बाद कुछ सालों तक संबंध अच्छे रहते हैं, लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसे काम व अन्य कारणों से उन के बीच दूरी बढ़ती जाती है, जिस से उन्हें आपस में प्यार करने का मौका नहीं मिलता. इस से उन के बीच सैक्स संबंधों में खटास आने लगती है. वैवाहिक जीवन में उत्पन्न हुई इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में बातचीत करने के लिए कुछ समय निकालें. एकदूसरे से अच्छी बातें करें और एकदूसरे की बातों को सुनें, शिकायतों को दूर करने की कोशिश करें. एकदूसरे का सम्मान करें, इस से सैक्स लाइफ भी काफी बेहतर होगी.

पहल करें: अकसर महिलाएं सैक्स के लिए पहल करने में हिचकिचाती हैं, इसलिए आप द्वारा पहल करने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आप का पहल करना महिला को सुखद एहसास में डुबो देता है. यदि बच्चे छोटे हैं तो सैक्स लाइफ में मुश्किलें तो आती ही हैं और महिलाएं इतनी खुली व रिलैक्स भी नहीं रह पातीं. ऐसे में बच्चों के सोने का इंतजार करने से अच्छा है कि जब मौका मिले प्यार में खो जाएं.

फिटनैस का भी खयाल रखें: अच्छी सैक्स लाइफ के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना भी जरूरी है. इस के लिए बैलेंस्ड डाइट लें. थोड़ीबहुत ऐक्सरसाइज करें. भरपूर नींद लें. सिगरेट, शराब का सेवन न करें.

कल्पना करें: अगर आप को सैक्स करते समय किसी और पुरुष की या फिर किसी बौलीवुड ऐक्टर आदि की कल्पना उत्तेजित करती है और सैक्स का आनंद बढ़ाती है तो ऐसा करें. इस के लिए मन में किसी तरह का अपराधबोध न आने दें. ऐसा करना गलत नहीं है क्योंकि सब का सैक्स करने और उस के बारे में सोचने का तरीका अलग होता है.

फ्रैश मूड में आनंद उठाएं: अगर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, व्यस्त हैं, रात को देर से आते हैं, तो उन की सैक्स लाइफ न के बराबर होती है और महिला ऐसे में इसे बोझ की तरह लेती है. इसलिए अगर वह थकी हुई है तो जबरदस्ती न करें. सुबह उठ कर फ्रैश मूड में सैक्स का आनंद उठाएं.

गंदी बातें अच्छी हैं: सैक्स के लिए मूड बनाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है.

आप को लगता है कि कहीं आप की डर्टी टौक्स और डार्क फेंटैसी सुन कर पार्टनर का मूड न बिगड़ जाए, इसलिए आप चाहते हुए भी उन से यह सब शेयर नहीं करते हैं तो जान लें कि ऐसा नहीं है. सच तो यह है कि हर लड़की अपने पार्टनर से ऐसी बातें सुनने के लिए बेकरार रहती है. इसलिए बेझिझक उन से ऐसी बातें करें. जैसे ही आप की बातें शुरू होंगी उन की बेचैनी भी बढ़ती जाएगी.

सैक्स लाइफ का अंत नहीं है बच्चे का आना

अगर आप का मानना है कि बच्चे के आने के बाद सैक्स लाइफ खत्म हो जाती है तो जरा रुकिए. दुनिया भर में हो रही स्टडी के मुताबिक मां बनने के कुछ समय बाद कामेच्छा स्वाभाविक रूप से लौट आती है. आमतौर पर बच्चे के जन्म के 6 हफ्ते बाद डाक्टर महिलाओं को सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं. लेकिन इतने समय में भी सब महिलाएं सहज नहीं हो पातीं. कई महिलाओं की सैक्स संबंध इच्छा को लौटने में साल भर तक का समय लग जाता है. शुरू में अंतरंग पलों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है. लेकिन धीरेधीरे गाड़ी ट्रैक पर लौटने लगती है, इसलिए बच्चे का होना सैक्स पर पूर्णविराम नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है.

रिसर्च बताती है कि बच्चों के जन्म के बाद क्लाइमैक्स की तीव्रता बढ़ जाती है. इस का कारण है नर्व एंडिंग का ज्यादा सैंसिटिव होना.

बनाएं पत्नी का मूड ऐसे

– महिलाओं की पीठ काफी सेंसिटिव होती है. थोड़ा सा अंधेरा कीजिए, म्यूजिक प्ले कीजिए और पत्नी की पीठ पर हौलेहौले हाथ फिराते हुए मसाज कीजिए. फिर आगे का जादू खुद ही चल जाएगा.

– पार्टनर के कानों से खेलिए और हौले से कुछ कहिए. एकदम से यह न कहें कि आप का करने का मन है.

– गले में गुदगुदी कीजिए. देखिएगा कुछ ही देर में पत्नी आंहें भर रही होगी.

– फुट मसाज दीजिए. पत्नी के पैरों को सहलाते हुए बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. बस वह एकदम से आप को बांहों में भर लेगी और उस के लिए पत्नी का तुरंत मूड बन जाएगा.

Festive Special: फैमिली के लिए बनाएं हरियाली कबाब

फेस्टिव सीजन में अगर आप हेल्थ और टेस्ट का कौम्बिनेशन बनाकर नई रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो हरियाली कबाब की ये रेसिपी ट्राय करना ना भूलें. ये आसान और टेस्टी रेसिपी है, जिसे आप अपनी फैमिली और मेहमानों को खिला सकते हैं.

सामग्री

250 ग्राम पालक ब्लांच किया

1/4 कप चने की दाल 1/2 घंटा पानी में भिगोई हुई

1/4 छोटा चम्मच गरममसाला

1 बड़ा चम्मच चावल का आटा

100 ग्राम पनीर चूरा किया

20 किशमिश

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

2 छोटे चम्मच धनियापत्ती कटी

कबाब सेंकने के लिए पर्याप्त रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

चने की दाल को 1/4 कप पानी और 1/4 छोटा चम्मच नमक डाल कर प्रैशरकुकर में गलने तक पकाएं. पानी सुखा दें. दाल को ठंडा कर के मैशर से मैश करें. ब्लांच किए पालक से पानी अच्छी तरह निकाल कर पालक को पीस लें. इस में मैश की दाल, गरममसाला, 1/4 छोटा चम्मच नमक और चावल का आटा अच्छी तरह मिक्स करें. पनीर में कालीमिर्चचूर्ण, किशमिश, धनियापत्ती और चुटकीभर नमक मिलाएं. अब पालक का थोड़ाथोड़ा मिश्रण लें. बीच में पनीर वाली भरावन भर कर बंद कर दें. जब सारे कबाब तैयार हो जाएं तो नौनस्टिक तवे पर तेल डाल कर उलटपलट कर लाल होने तक सेंक लें. स्वादिष्ठ कबाब तैयार है.

क्या आपकी आखों के नीचे भी हैं काले घेरे, ऐसे पाएं छुटकारा

मुरझाऐ और सुस्त चेहरे को ठीक करने के लिए आप ना जानें क्या-क्या अपनाते हैं और किन-किन चीजों का इस्तेमाल करते हैं. चाहे महिला हो या पुरूष हर कोई हमेशा यंग और फ्रेश दिखना चाहता है. अकसर आप चेहरे की असली सुंदरता जो आपकी आंखें हैं उन्हें तो भूल ही जाते हैं. आपका चेहरा भले ही बहुत सुंदर बन जाए लेकिन अगर आंखों के नीचे धब्बा नज़र आता है तो आपकी सुंदरता अधूरी ही रह जाती है.

आपके आंखों के नीचे काले धब्बे हो जाने के प्रमुख कारण:

आज की जेनरेशन के लिए गैजेट्स जैसे कि लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल के बिना नहीं रह सकते. क्या आप जानते हैं यूं दिन-रात लैपटॉप या मोबाइल के इस्तेमाल से आपकी आंखों के नीचे काले निशान, जिसे आप डार्क सर्कल्स का नाम देते हैं, उसके शिकार हो जाते हैं.

दूसरा प्रमुख कारण है आपकी नींद पूरी न होना. आम तौर पर एक व्यक्ति को पूरे दिन में 7से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.

सिगरेट पीने से भी आपकी आंखों के नीचे काले धब्बे बन जाते हैं. जो लोग पानी कम और चाय या कॉफी ज्यादा पीते हैं उनकी आंखों के नीचे भी काले निशान बनने में देर नहीं लगती. और अगर आपकी आंखों के नीचे भी है गहरे और काले धब्बे हैं तो बिल्कुल चिंता ना करें.

ये कुछ उपायों को अपनाएं और अपनी आंखों से हमेशा के लिए इन काले धब्बों को दूर कर दें.

आपके घर की रसोई में चम्मच तो होगा ही तो, सोने से पहले रोज़ रात को एक खाली चम्मच, अपने फ्रीज के फ्रीजर में जमने के लिए रख दें. सुबह फ्रीजर में रखें चम्मच को आंखों के नीचे लगाएं. यह नुस्खा आपके त्वचा को ठंडक भी प्रदान करेगा और आंखों के नीचे काले घेरे भी हल्के होने लगेंगे

खीरे और आलू के प्रयोग से भी डार्क सर्कल्स दूर हो सकते हैं. आलू को सब्जियों का राजा कहते हैं तो पूरे बारह महिनें ये आसानी से बाजार में मिल जाता है. अपनी थकी और काले निशान वाली आंखों पर खीरे या आलू के गोल गोल टुकड़े कर 5-10 मिनट के लिए रखके छोड़ दे और फिर ठंडे पानी से आंखें धो लें.

हमारे शरीर में पानी का सही मात्रा में होना जरूरी होता है. वे लोग जो पानी कम पीते हैं, उनकी त्वचा में गंदगी जमने की संभावना ज्यादा होती है. इसके कारण भी डार्क सर्कल्स हो जाते हैं. इनसे निजात पाने के लिए हर दिन कम से कम 10 गिलास पानी रहें. इससे आपके चेहरे में भी निखार आएगा.

टमाटर का रस डार्क सर्कल्स दूर करने का एक बेहतर उपाय है. हम आपसे यही कहेंगे कि सिर्फ, खाने में सलाद के तौर पर ही टमाटर का इस्तेमाल ना करें बल्कि एक चम्मच टमाटर का रस लेकर, उसमें नींबू की कुछ बूंदें डालकर उसमें चुटकी भर हल्दी और थोड़ा सा आटा मिलाकर एक पेस्ट जैसा बना लें. अब इस पेस्ट को आंखों के काले धब्बो पर लगाऐं और 15 मिनट के बाद धो डाले.

घर में चाय का शौकीन तो कोई न कोई होता ही है, ऐसे में आसान है कि इस्तेमाल किए गए टी बैग्स का इस्तेमाल करें. इनसे आंखों से डार्क सर्कल दूर भागते हैं और औंखो को ठंडक भी पहुंचती है.

सोच से आगे: आखिर कौन था हत्यारा

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