Pandya Store: धरा की सासूमां के साथ हुई छेड़छाड़, एक्ट्रेस ने शेयर किया वीडियो

महिलाओं के लिए छेड़छाड़ होना आम बात हो गई है. वहीं स्टार्स भी इनसे अछूते नहीं रह गए हैं. हाल ही में ‘पंड्या स्टोर’ (Pandya Store) सीरियल में धरा की सासूमा के रोल में नजर आ रहीं एक्ट्रेस कृतिका देसाई खान (Kruttika Desai) भी छेड़छाड़ का शिकार हुई हैं, जिसका वीडियो उन्होंने फैंस के साथ शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्ट्रेस के साथ हुई छेड़छाड़

 

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धरा की सास यानी कृतिका देसाई खान (Kruttika Desai) ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, मुझे यकीन नहीं हो रहा है. मैं शूटिंग खत्म करके अपने घर जा रही थी. तभी बाइक सवार तीन लोगों ने मुझे रास्ते में रोक लिया और मेरे ड्राइवर को रुकने के लिए कहा. इसी के साथ उन्होंने दावा किया कि वो मेरी कार में ड्रग्स को सर्च करेंगे. इसीलिए मैंने उनसे आई मांगी और उन्होंने मुझे अपनी नकली आईडी दिखाई. उन लोगों ने मेरे साथ बादतमीजी करनी शुरू कर दी. मैंने उनसे लेडी कॉन्सटेबल को लाने के लिए कहा. जब इन लोगों ने मेरी नहीं सुनी तो मैंने इनकी वीडियो बना ली. ये घटना फिल्मसिटी के पास हुई थी. ये लोग मुझसे रुपए लूटना चाहते थे. जब मैंने हंगामा मचाना शुरू किया तो ये लोग भाग गए. मैं कल इन लोगों की शिकायत पुलिस थाने में करने वाली हूं. मैं आप सबसे कहना चाहती हूं कि इस तरह के फ्रॉड लोगों से सावधान रहें. ये लोग मुंबई की और जगहों पर भी लोगों को लूटने की कोशिश करेंगे.

वीडियो में नजर आए लोग

 

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एक्ट्रेस की शेयर की गई वीडियो में लीन लोग नजर आ रहे हैं, जो उनसे बहस कर रहे हैं. फैंस और स्टार्स ये वीडियो देखकर हैरान हो गए हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. बता दें, एक्ट्रेस कृतिका देसाई खान 54 साल की हैं और कई हिट सीरियल्स का हिस्सा रह चुकी हैं. वहीं सीरियल पांड्या स्टोर में भी उनकी एक्टिंग को काफी पसंद किया जाता है.

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Anupama के परिवार की बेइज्जती करेगी ‘अनुज की भाभी’, देखें वीडियो

सीरियल अनुपमा (Anupama) में अनुज (Gaurav Khanna) की फैमिली की एंट्री हो चुकी है, जिसके चलते सीरियल में कई नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां धीरे धीरे अनुज की भाभी बरखा प्रौपर्टी अपने नाम करवाने का प्लान कर रही है तो वहीं अनुज को अनुपमा के खिलाफ भड़काने की भी कोशिश करती नजर आ रही है. इसी बीच अनुज की भाभी बरखा कुछ ऐसा काम करने वाली है, जिसके कारण अनुपमा को गुस्सा आने वाला है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शाह परिवार के बेइज्जती करेगी बरखा

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि मीडिया वाले अनुज को अपना नया घर दिखाने के लिए कहेंगे, जिसके चलते बरखा एक्साइटेड होकर हां कह देगी. हालांकि अनुज उसे रोककर परिवार के आने का इंतजार करने के लिए कहता है. लेकिन बरखा पता नहीं वे कब आएंगे कहकर रिपोर्टर्स को घर के अंदर ले जाएगी. वहीं सिक्योरिटी गार्ड शाह फैमिली को घर में घुसने से रोकंगे, जिसके बाद बरखा उनका अपमान करती दिखेगी. हालांकि अनुपमा आकर गुस्से में कहेगी कि ये उसके बापूजी हैं, जिसे सुनकर बरखा चौंक जाएगी.

बिजनेस छीनने का प्लान बनाएगी बरखा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज शाह हाउस पहुंचेगा और नए घर में गृहप्रवेश के लिए परिवार को न्योता देगा. दूसरी तरफ बरखा, अंकुश से कहेगी कि वह अनुज के घर के साथ-साथ कपाड़िया बिजनेस में भी एंट्री करेंगे. वहीं अनुपमा, अनुज से शाह हाउस में अकेलापन महसूस करने की बात कहेगी. हालांकि अनुज उसे समझाएगा और एक प्यार सा तोहफा देगा.

अनुज से नाराज हुई बरखा

अब तक आपने देखा कि बरखा, अनुज से साइनिंग अथॉरिटी किसी और को भी देनी चाहिए. हालांकि अनुज इस बात से इंकार कर देता है, जिसके चलते बरखा गुस्से में नजर आती है. वहीं अनुज का भाई अंकुश उसे जल्दबाजी करने के लिए डांटता है. दूसरी तरफ अनुपमा शाह परिवार के साथ वक्त बिताती हुई नजर आती है.

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ममता: भाग 3- कैसी थी माधुरी की सास

‘क्या एक लड़की और लड़के में सिर्फ मित्रता नहीं हो सकती. यह शादीविवाह की बात बीच में कहां से आ गई?’ पल्लव ने तीखे स्वर में कहा था.‘मैं मान ही नहीं सकता. नर और मादा में बिना आकर्षण के मित्रता संभव ही नहीं है. भला प्रकृति के नियमों को तुम दोनों कैसे झुठला सकते हो? वह भी इस उम्र में,’ शांतनु ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा.शांतनु तो कह कर चला गया, किंतु नदी की शांत लहरों में पत्थर फेंक गया था. पिछली बातों पर ध्यान गया तो लगा कि शांतनु की बातों में दम है, जिस बात को वे दोनों नहीं समझ सके या समझ कर भी अनजान बने रहे, उस आकर्षण को उस की पारखी निगाहों ने भांप लिया था. गंभीरतापूर्वक सोचविचार कर आखिरकार माधुरी ने ही उचित अवसर पर एक दिन पल्लव से कहा, ‘यदि हम अपनी इस मित्रता को रिश्ते में नहीं बदल सकते तो इसे तोड़ देना ही उचित होगा, क्योंकि आज शांतनु ने संदेह किया है,

कल दूसरा करेगा तथा परसों तीसरा. हम किसकिस का मुंह बंद कर पाएंगे. आज हम खुद को कितना ही आधुनिक क्यों न कह लें किंतु कहीं न कहीं हम अपनी परंपराओं से बंधे हैं और ये परंपराएं एक सीमा तक ही उन्मुक्त आचरण की इजाजत देती हैं.’ पल्लव को भी लगा कि जिस को वह अभी तक मात्र मित्रता समझता रहा वह वास्तव में प्यार का ही एक रूप है, अत: उस ने अपने मातापिता को इस विवाह के लिए तैयार कर लिया. पल्लव के पिताजी बहुत बड़े व्यवसायी थे. वे खुले विचारों के थे इसलिए अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक उच्च मध्यवर्गीय परिवार में करने को तैयार हो गए. मम्मीजी ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि जातिपांति पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यदि उन्हें लड़की पसंद आई तभी वे इस विवाह की इजाजत देंगी.माधुरी के मातापिता अतिव्यस्त अवश्य थे किंतु अपने संस्कारों तथा रीतिरिवाजों को नहीं छोड़ पाए थे इसलिए विजातीय पल्लव से विवाह की बात सुन कर पहले तो काफी क्रोधित हुए थे और विरोध भी किया था, लेकिन बेटी की दृढ़ता तथा निष्ठा देख कर आखिरकार तैयार हो गए थे तथा उस परिवार से मिलने की इच्छा जाहिर की थी.

दोनों परिवारों की इच्छा एवं सुविधानुसार होटल में मुलाकात का समय निर्धारित किया गया था. बातों का सूत्र भी मम्मीजी ने ही संभाल रखा था. पंकज और पल्लव तो मूकदर्शक ही थे. उन का जो भी निर्णय होता उसी पर उन्हें स्वीकृति की मुहर लगानी थी. यह बात जान कर माधुरी अत्यंत तनाव में थी तथा पल्लव भी मांजी की स्वीकृति का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.बातोंबातों में मां ने झिझक कर कहा था, ‘बहनजी, माधुरी को हम ने लाड़प्यार से पाला है, इस की प्रत्येक इच्छा को पूरा करने का प्रयास किया है. इस के पापा ने तो इसे कभी रसोई में घुसने ही नहीं दिया.’‘रसोई में तो मैं भी कभी नहीं गई तो यह क्या जाएगी,’ बात को बीच में ही काट कर गर्वभरे स्वर के साथ मम्मीजी ने कहा. मम्मीजी के इस वाक्य ने अनिश्चितता के बादल हटा दिए थे तथा पल्लव और माधुरी को उस पल एकाएक ऐसा महसूस हुआ कि मानो सारा आकाश उन की मुट्ठियों में समा गया हो. उन के स्वप्न साकार होने को मचलने लगे थे तथा शीघ्र ही शहनाई की धुन ने 2 शरीरों को एक कर दिया था.पल्लव के परिवार तथा माधुरी के परिवार के रहनसहन में जमीनआसमान का अंतर था. समानता थी तो सिर्फ इस बात में कि मम्मीजी भी मां की तरह घर को नौकरों के हाथ में छोड़ कर समाजसेवा में व्यस्त रहती थीं.

अंतर इतना था कि वहां एक नौकर था तथा यहां 4, मां नौकरी करती थीं तो ससुराल में सास समाजसेवा से जुड़ी थीं.मम्मीजी नारी मुक्ति आंदोलन जैसी अनेक संस्थाओं से जुड़ी हुई थीं, जहां गरीब और सताई गई स्त्रियों को न्याय और संरक्षण दिया जाता था. उन्होंने शुरू में उसे भी अपने साथ चलने के लिए कहा और उन का मन रखने के लिए वह गई भी, किंतु उसे यह सब कभी अच्छा नहीं लगा था. उस का विश्वास था कि नारी मुक्ति आंदोलन के नाम पर गरीब महिलाओं को गुमराह किया जा रहा है. एक महिला जिस पर अपने घरपरिवार का दायित्व रहता है, वह अपने घरपरिवार को छोड़ कर दूसरे के घरपरिवार के बारे में चिंतित रहे, यह कहां तक उचित है? कभीकभी तो ऐसी संस्थाएं अपने नाम और शोहरत के लिए भोलीभाली युवतियों को भड़का कर स्थिति को और भी भयावह बना देती हैं. उसे आज भी याद है कि उस की सहेली नीता का विवाह दिनेश के साथ हुआ था. एक दिन दिनेश अपने मित्रों के कहने पर शराब पी कर आया था तथा नीता के टोकने पर नशे में उस ने नीता को चांटा मार दिया. यद्यपि दूसरे दिन दिनेश ने माफी मांग ली थी तथा फिर से ऐसा न करने का वादा तक कर लिया था, किंतु नीता, जो महिला मुक्ति संस्था की सदस्य थी, ने इस बात को ऐसे पेश किया कि उस की ससुराल की इज्जत तो गई ही,

साथ ही तलाक की स्थिति भी आ गई और आज उस का फल उन के मासूम बच्चे भोग रहे हैं.ऐसा नहीं है कि ये संस्थाएं भलाई का कोई काम ही नहीं करतीं, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि किसी भी प्रतिष्ठान की अच्छाइयां छिप जाती हैं जबकि बुराइयां न चाहते हुए भी उभर कर सामने आ जाती हैं.वास्तव में स्त्रीपुरुष का संबंध अटूट विश्वास, प्यार और सहयोग पर आधारित होता है. जीवन एक समझौता है. जब 2 अजनबी सामाजिक दायित्वों के निर्वाह हेतु विवाह के बंधन में बंधते हैं तो उन्हें एकदूसरे की अच्छाइयों के साथसाथ बुराइयों को भी आत्मसात करने का प्रयत्न करना चाहिए. प्रेम और सद्भाव से उस की कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए, न कि लड़झगड़ कर अलग हो जाना चाहिए.मम्मीजी की आएदिन समाचारपत्रों में फोटो छपती. कभी वह किसी समारोह का उद्घाटन कर रही होतीं तो कभी विधवा विवाह पर अपने विचार प्रकट कर रही होतीं, कभी वह अनाथाश्रम जा कर अनाथों को कपड़े बांट रही होतीं तो कभी किसी गरीब को अपने हाथों से खाना खिलाती दिखतीं.

वह अत्यंत व्यस्त रहती थीं. वास्तव में वह एक सामाजिक शख्सियत बन चुकी थीं, उन का जीवन घरपरिवार तक सीमित न रह कर दूरदराज तक फैल गया था. वह खुद ऊंची, बहुत ऊंची उठ चुकी थीं, लेकिन घर उपेक्षित रह गया था, जिस का खमियाजा परिवार वालों को भुगतना पड़ा था. घर में कीमती चीजें मौजूद थीं किंतु उन का उपयोग नहीं हो पाता था.मम्मीजी ने समय गुजारने के लिए उसे किसी क्लब की सदस्यता लेने के लिए कहा था किंतु उस ने अनिच्छा जाहिर कर दी थी. उस के अनुसार घर की 24 घंटे की नौकरी किसी काम से कम तो नहीं है. जहां तक समय गुजारने की बात है उस के लिए घर में ही बहुत से साधन मौजूद थे. उसे पढ़नेलिखने का शौक था, उस के कुछ लेख पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हो चुके थे. वह घर में रहते हुए अपनी इन रुचियों को पूरा करना चाहती थी.यह बात अलग है कि घर के कामों में लगी रहने वाली महिलाओं को शायद वह इज्जत और शोहरत नहीं मिल पाती है जो बाहर काम करने वाली को मिलती है. घरेलू औरतों को हीनता की नजर से देखा जाता है लेकिन माधुरी ने स्वेच्छा से घर के कामों से अपने को जोड़ लिया था. घर के लोग, यहां तक कि पल्लव ने भी यह कह कर विरोध किया था कि नौकरों के रहते क्या उस का काम करना उचित लगेगा. तब उस ने कहा था कि ‘अपने घर का काम अपने हाथ से करने में क्या बुराई है, वह कोई निम्न स्तर का काम तो कर नहीं रही है. वह तो घर के लोगों को अपने हाथ का बना खाना खिलाना चाहती है. घर की सजावट में अपनी इच्छानुसार बदलाव लाना चाहती है और इस में भी वह नौकरों की सहायता लेगी, उन्हें गाइड करेगी.

पोर्टेबल टौयलेट: शर्म नहीं शान से चलिए

अकसर महिलाएं हैल्थ और हाइजीन में लापरवाही कर जाती हैं. ऊपरी साफसफाई के बावजूद उन के बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है और इस की वजह है पब्लिक टौयलेट का इस्तेमाल जो आमतौर पर गंदे यानी अनहाइजीनिक होते हैं.

पब्लिक टौयलेट का साफ न होना बीमारियों का सब से बड़ा कारण है. अकसर जब औरतें और लड़कियों घर से बाहर जाती हैं तो पब्लिक टौयलेट का इस्तेमाल करना मजबूरी हो जाती है. पब्लिक टौयलेट सीट पर कईर् तरह के कीटाणु मौजूद रहते हैं, जिस से महिलाओं को वैजाइनल इन्फैक्शन और कई अन्य तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है.

पब्लिक टौयलेट में गंदगी के कारण महिलाएं पानी का सेवन भी कम से कम करती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए कतई सही नहीं होता है. घंटों यूरिन को रोकने और पानी का कम सेवन करने से किडनी पर नकारात्मक असर पड़ता है.

पब्लिक टौयलेट के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए महिलाएं अब पोर्टेबल टौयलेट का इस्तेमाल कर सकती हैं. महिलाओं की परेशानी को देखते हुए बाजार में पोर्टेबल टौयलेट की जरूरत महसूस की गई.

जानिए क्या हैं पोर्टेबल टौयलेट

आज अधिकतर पब्लिक टौयलेट में वैस्टर्न टौयलेट का इस्तेमाल ज्यादा किया जा रहा है. एक दिन में पब्लिक टौयलेट का कोईर् तरह के लोग इस्तेमाल करते हैं, जिन में से कईर् रोगी भी होते हैं. ऐसे में पब्लिक टौयलेट से हाइजीन की उम्मीद करना बेकार है. पोर्टेबल टौयलेट एक ऐसा प्रौडक्ट है जिस का इस्तेमाल महिलाएं स्कूल, कालेज अस्पतालों, हवाईजहाज और टे्रेन में टौयलेट में कर सकती हैं. इस को इस्तेमाल करना बहुत आसान है.

पोर्टेबल टौयलेट का इस्तेमाल करते वक्त टौयलेट सीट पर बैठने की जरूरत नहीं पड़ती. इस का इस्तेमाल महिलाएं खड़े हो कर भी आरामपूर्वक सकती हैं. यह प्रैगनैंट महिलाओं के लिए भी बेहद मददगार प्रौडक्ट है. प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा  झुकने के लिए मना किया जाता है. ऐसे में पोर्टेबल टौयलेट उन्हें ज्यादा  झुकने के लिए साथसाथ इन्फैक्शन से भी बचाता है.

हर किसी के लिए सहज

बुजुर्ग महिलाएं भी इस का इस्तेमाल आसानी से कर सकती हैं. दरअसल, अधिकतर बुजुर्ग महिलाएं घुटनों के दर्द से पीडि़त होती हैं. ऐसे में जब वे बाहर जाती हैं तो पोर्टेबल टौयलेट का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस से उन्हें पब्लिक टौयलेट इस्तेमाल करने में आसानी होगी और वे बीमारियों से भी दूर रहेंगी.

मार्केट में कई तरह के पोर्टेबल टौयलेट मौजूद हैं. उन में पेशाब की जगह एक प्लास्टिक का फनल सा इक्विमैंट लगाया जाता है, जो खड़े हो कर पेशाब करने की सुविधा देता है. इस में एक पी बड़ी भी होती है. उस की मदद से महिलाएं पब्लिक टौयलेट को आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं. यह एक बेहतरीन फीमेल यूरिनेशन किट के रूप में मिलता है. इस किट की खास बात यह है कि इस में इंटिमेट वाइप्स भी है जो पूरी तरह से नौनअल्कोहलिक है.

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डिलीवरी के बाद क्या कौपर टी लगवाना सही है?

सवाल-

मैं 28 वर्ष की हूं. पिछले साल मेरी नौर्मल डिलिवरी हुई थी और डाक्टर ने मुझे कौपर टी लगवाने की सलाह दी थी. लेकिन उस के बाद मुझे बहुत ज्यादा पीरियड्स हो रहे हैं. क्या यह चिंता की बात है?

जवाब-

कौपर टी या कौपर आईयूडी एक गर्भनिरोधक उपकरण है जिसे गर्भाशय में डाला जाता है और इस में हारमोंस नहीं होते हैं. इसलिए इस में हारमोनल बर्थ कंट्रोल विधियों के कारण कभीकभी होने वाले जोखिम या साइड इफैक्ट्स नहीं होते हैं. लेकिन कौपर आईयूडी के कारण खून ज्यादा निकलता है और आप को माहवारी यानी पीरियड्स के दौरान विशेषकर पहले 3 से 6 महीनों के दौरान मरोड़ महसूस होता है. अन्य लक्षणों में पीरियड्स के बीच समय का अंतर होना, पीरियड्स का अनियमित होना या फिर काफी लंबे समय तक पीरियड्स रहने या भारी रक्तस्राव होना और पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ऐंठन होना शामिल हैं. लेकिन इन में से कई लक्षण समय के साथ कम होते जाते हैं. यह सब से बेहतरीन गर्भनिरोधक उपायों में से एक है और आप को दुर्घटनावश होने वाले गर्भधारण के जोखिम से सुरक्षित रखता है. इसलिए आप को थोड़ा इंतजार करना चाहिए. हां ज्यादा लंबे समय तक बहुत अधिक माहवारी की समस्या रहती है तो स्त्री रोग विशेषज्ञा के पास जाएं और इस के उपचार एवं गर्भनिरोध के दूसरे विकल्पों पर चर्चा करें.

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किसी भी युवती के लिए पहले सैक्स के दौरान उस की वर्जिनिटी सब से ज्यादा माने रखती है. युवती की योनि के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली होती है जो उस के वर्जिन होने का प्रमाण देती है, लेकिन किसी भी युवती की योनि और उस के ऊपरी सिरे में स्थित हाइमन झिल्ली को देख कर यह पता लगाना कि वह वर्जिन है कि नहीं न तो संभव है न ही ठीक. सैक्स के दौरान अकसर पार्टनर द्वारा युवती की योनि से रक्तस्राव की उम्मीद की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पहली बार सैक्स के दौरान युवती के वर्जिन होने के बावजूद उस की योनि से रक्तस्राव नहीं होता, फिर भी साथी  द्वारा यह मान लिया जाता है कि युवती पहले भी सैक्स कर चुकी है, जबकि पहली बार सैक्स के दौरान युवती की योनि से स्राव होने या न होने को उस के वर्जिन होने का सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली बार में बहुत सी युवतियों को इसलिए रक्तस्राव नहीं होता, क्योंकि खेलकूद, साइकिल चलाना आदि की वजह से उन की योनि में स्थित झिल्ली कब फट जाती है उन्हें स्वयं नहीं पता चलता. इस का कारण हाइमन झिल्ली का बहुत पतला व लचीला होना है. कभीकभी युवती में जन्म के समय से ही यह झिल्ली मौजूद नहीं होती. ऐसे में पहले सैक्स के दौरान योनि से रक्तस्राव न होने के आधार पर युवती के चरित्र पर संदेह करना गलत होता है.

पहली बार सैक्स के दौरान युवक अपने साथी से उस के कुंआरी होने का सुबूत भी मांगते हैं, जबकि वह खुद के कुंआरे होने का सुबूत देना उचित नहीं समझते. इस वजह से पहला सैक्स जिसे हम वर्जिनिटी का नाम देते हैं, आगे चल कर सैक्स संबंधों में बाधा बन जाता है. युवती की वर्जिनिटी पर शक की वजह से कई तरह की गलतफहमियां जन्म लेती हैं. इस का प्रमुख कारण कुंआरेपन को ले कर लोगों से सुनीसुनाई बातें हैं.

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Summer Special: लंच में बनाएं ब्रेड बिरयानी

परिवार के लिए कुछ स्पेशल खाना बनाने की प्लानिंग कर रही हैं तो इस बार अपनी फैमिली के लिए बनाएं ब्रेड बिरयानी. यह फटाफट तैयार होने वाली बिरयानी है जो बासमती चावल के साथ ही ब्रेड को मिलाकर बनायी जाती है.

सामग्री

बासमती चावल- 1 कप

नारियल का दूध- डेढ़ कप

मटर- एक चौथाई कप

मूली- एक चौथाई कप (घिसी हुई)

गाजर- एक चौथाई कप (घिसा हुआ)

नारियल- एक चौथाई कप (घिसा हुआ)

प्याज- 2 (बारिक कटे)

ब्रेड स्लाइस- 4

काजू- 4-5

बादाम- 4-5 (भीगे हुए)

काली मिर्च- आधा छोटा चम्मच

जीरा पाउडर- आधा छोटा चम्मच

इलायची- 2 (हरी वाली)

लौंग- 1

दालचीनी- 1

अदरक का पेस्ट- आधा चम्मच

लहसुन का पेस्ट- आधा चम्मच

घी- 3 चम्मच

करी पत्ता- 5-6

धनिया पत्ता- बारीक कटा हुआ

नमक स्वादानुसार

विधि

इलायची, लौंग और दालचीनी को हल्का सा भूनकर अच्छी तरह से पीसकर सूखा पाउडर बना लें. एक पैन में घी गर्म करें और उसमें बासमती चावल को करीब 45 सेकंड तक अच्छी तरह से भून लें.

अब इसी पैन में थोड़ा और घी डालकर ब्रेड के टुकड़ों को भी क्रिस्प होने तक भून कर अलग रख लें. बादाम, काजू और नारियल को पीसकर स्मूथ पेस्ट बना लें.

अब एक प्रेशर कूकर में घी गर्म करें. इसमें इलायची-लौंग-दालचीनी का पाउडर, अदरक-लहसुन का पेस्ट, प्याज, नमक और करी पत्ता डालकर अच्छी तरह से मिलाएं.

2-3 मिनट तक अच्छी तरह से पकाएं. अब इसमें गाजर, मूली, हरी मटर और नारियल का पेस्ट मिलाएं. अच्छी तरह से मिलाने के बाद इसमें नारियल का दूध डाल दें.

जब एक उबाल आ जाए तो इसमें बासमती चावल डालकर कूकर का ढक्कन बंद कर दें और 2 सीटी आने तक पकाएं.

जब बिरयानी बन जाए तो उसमें जीरा पाउडर, काली मिर्च पाउडर, ब्रेड के टुकड़े और हरी धनिया डालकर गर्मा गर्म सर्व करें.

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पाप धोना हो तो संपत्ति लुटाएं

भारतीय जनता पार्टी की अधिकृत प्रवक्ता नूपुर शर्मा और एक दूसरे मीडिया प्रभारी नवीन कुमार एक टीवी डिबेट में इस्लाम पर कुछ ऐसी फब्तियां कस दी कि सारे मुसलमानों की ही नहीं, सारी दुनिया के मुसलिम देशों की भौंहें तन गईं. नूपुर शर्मा और नवीन कुमार ने जो भी कहा वह भारतीय जनता पार्टी समर्थक अपने व्हाट्सएप गु्रपों में अर्से से कहते रहे हैं और इस्लाम हिंदू विवाद में खुद को श्रेष्ठ दिखाने के लिए पैगंबर को अपमानित करने के लिए फौरवर्ड कर के अपने को हिंदू योद्धा मानते रहे हैं.

इस बार जोश में ज्ञानवापी मसजिद पर चल रही बहस में नूपुर जोश में आ गई और एंकर ने उसे टोका तक  नहीं. एंकर की सोच भी ऐसी ही है कि हिंदू ही सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि वही उसे टीआरपी दिला रहा है.

हर धर्म के अपने ग्रंथों में अपने ही आराध्यों के बारे में न जाने क्याक्या कहां गया है और हर धर्म के अपने सुधारक कई बार अपने धर्म के लोगों को असलियत बताते रहते हैं. लगभग सभी देशों में ईशिनदा, कानून बने हुए हैं ताकि लोग अपने धर्म की पोल न खोलें. दूसरे धर्म की पोलपट्टी मौका देख कर खोली जाती है जब अपने धर्म पर होते आक्रमण से बचाना हो चाहे. वह स्वाधर्मी का हो या विधर्मी का. भारतीय जनता पार्टी की सत्ता चूंकि धर्म पर टिकी है जिस की मुख्य घुटी 1000 साल का मुसलिम राज है, वे प्राइवेट में बहुत अनर्गल बोलते रहते हैं. इस बार टेलीविजन बहस में बोल दिया गया और वह भी औफिस बीयरर द्वारा, पटाखा फूट गया और कई मुसलिम देशों की सरकारों ने भारतीय दूत को बुला कर सफाई देनेको कहा.

नूपुर शर्मा और नवीन कुमार का दोष नहीं है क्योंकि अपनी 1000 वर्षों की गुलामी की खीज उतारने का उन के पास और कोई चारा नहीं है कि वे मुसलिम जमात को बदनाम करें. इस्लाम चाहे जैसा भी हो, उन के ग्रंथों में जो भी लिखा हो, यह तो स्पष्ट है न कि हिंदू राजा बारबार, सैंकड़ों बार, मुट्ठी भर इस्लामी हमलावरों के हाथों हारते रहे क्योंकि हमारा अपना धर्म हमें सब को बांट कर रखता है ताकि ब्राह्मïण शिरोमणि सब से ऊपर बन रहें और निरंतर दानदक्षिणा पाते रहें. आजकल दान में वोट भी जम कर ली जा रही है कि इस वोट के दान से हर घर में सोना बरसेगा, पैट्रोल, डीजल 35 रुपए लीटर होगा, 15 लाख रुपए हरेक के खाते में जाएंगे, पाकिस्तान से कश्मीर वापिस लिया जाएगा, चीन को कातिल आंखें दिखाई जाएंगी और आम हिंदू को धर्म काज करने के हर 4 कदम पर नया नवेला मंदिर मिलेगा जहां वह पाप धोने के लिए अपनी संपत्ति लुटा सके.

आज जब इतना मिल रहा हो और पुरानी कालिख धुल रही हो तो विरोधी के पुरखों को कोसने में क्या जाता है? 7 पीढिय़ों तक जाने की परंपरा हमारे यहां हर परिवार में है ही. ये शब्द व्हाट्सएप यूनिवॢसटी हर रोज औन लाइन क्लासों में पढ़ाती रहती है. बस वह डाला. पहले 2-3 दिन तो छोटीमोटी शिकायतें हुई तो नुपूर शर्मा ने कह डाला कि गृहमंत्री, प्रधानमंत्री, पार्टी के औफिसों को उस का पूरा समर्थन है. अब बचे पीछें दुपक रहे हैं.

यह विवाद बिलकुल निरर्थक है क्योंकि आज की विश्व की िचता रूस यूक्रेन युद्ध है, ग्लोबल वार्मिंग है. कोविड माहमारी है, खानेपीने की चीजों में हो रही कमी है, औरतों के साथ शिक्षा और आजादी के बावजूद न रुकता भेदभाव व हिंसक व्यवहार है. इन समस्याओं की जगह किस के अपराध ने कब क्या किया, यह बाल की खाल निकाल कर सिर्फ धर्म की दुकान चलवाना है.

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..तो आने वाला है हार्ट अटैक

हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

2. थकान

बगैर किसी मेहनत या काम के थकान होना भी हार्ट अटैक की दस्तक हो सकती है. जब हृदय धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद या संकुचित हो जाती हैं, तब दिल को अधि‍क मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होने लगती है. ऐसी स्थि‍ति में कई बार रात में अच्छी खासी नींद लेने के बाद भी आप आलस और थकान का अनुभव करते हैं, और आपको दिन में भी नींद या आराम की जरुरत महसूस होती है.

3. सूजन

जब दिल को शरीर के सभी आंतरिक अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए अधि‍क मेहनत करनी पड़ती है, तो शि‍राएं फूल जाती हैं और उनमें सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है. इसका असर खास तौर से पैर के पंजे, टखने और अन्य हिस्से में सूजन के रूप में नजर आने लगता है. इसके कभी-कभी होंठों की सतह पर नीला होना भी इसमें शामिल है.

4. सर्दी का बना रहना

लंबे समय तक सर्दी या इससे संबंधि‍त लक्षणों का बना रहना भी दिल के दौरे की ओर इशारा करता है. जब दिल, शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तसंचार के लिए ज्यादा मेहनत करता है, तब रक्त के फेफड़ों में स्त्रावित होने की संभावना बढ़ जाती है. सर्दी में कफ के साथ सफेद या गुलाबी रंग का बलगम, फेफड़ों में स्त्रावित होने वाले रक्त के कारण हो सकता है.

5. चक्कर आना

जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, तो उसके द्वारा होने वाला रक्त का संचार भी सीमित हो जाता है. ऐसे में दिमाग तक आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे निरंतर चक्कर आना या सिर हल्का होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार एक गंभीर लक्षण है, जिस पर आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए.

6. सांस लेने में दिक्कत

इनके अलावा सांस लेने में अगर आपको किसी प्रकार का परिवर्तन या कमी का एहसास होता है, तो यह भी दिल के दौरे का लक्षण हो सकता है. जब दिल अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता तो फेफड़ों तक उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जितनी आवश्यकता होती है. इस वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है. अगर आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है, तो बगैर देर किए डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

इन 6 लक्षणों में से किसी लक्षण के सामने आने या महसूस होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं या फिर यथासंभव सलाह लें.

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6 Tips: ग्लोइंग स्किन के लिए नहीं करनी पड़ेगी मेहनत

निखरी और खूबसूरत त्वचा पाना हर किसी का सपना होता है, खासतौर पर लड़कियों का. शायद ही कोई लड़की होगी जो अपने लुक्स को लेकर गंभीर न हो. मनचाही त्वचा पाने के लिए वे बहुत कुछ करती भी हैं. पार्लर जाना, घरेलू उपाय करना और न जाने क्या-क्या. पर वहीं कुछ लड़कियां ऐसी भी होती हैं जिन्हें निखरी त्वचा तो चाहिए होती है पर वे उसके लिए मेहनत करने से कतराती हैं.

अगर आप भी ऐसी ही लड़कियों में से हैं तो दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है. अगर आप चाहें तो बिना किसी मेहनत के भी खूबसूरत और निखरी त्वचा पा सकती हैं. अगर आप अब भी इस बात पर यकीन नहीं कर पा रही हैं तो आपको बता दें कि ये किसी तरह का मजाक नहीं है और खूबसूरत त्वचा पाना कोई मुश्किल काम नहीं है. बस आपको करना ये है कि खुद के प्रति संवेदनशील बने रहें.

अगर आपकी त्वचा ड्राई या फिर ऑयली है तो आपको थोड़ा अधिक गंभीर होने की जरूरत है.

1. जितना ज्यादा हो सके उतना अधिक पानी पिएं. जी हां, ये खूबसूरत त्वचा पाने का एक नुस्खा है. इससे त्वचा की नमी बनी रहती है. साथ ही पानी पीने से त्वचा कोमल और ग्लोइंग बनती है.

2. जितनी बार भी आप बाहर से घर आएं उतनी बार चेहरे को साफ, ठंडे पानी से धोएं. जरूरी नहीं है कि आप हर बार फेसवॉश से ही चेहरा धोएं. पानी से भी चेहरा धोना फायदेमंद रहता है. इससे चेहरे पर मौजूद गंदगी धुल जाती है और सूक्ष्म रंध्र बंद नहीं होते हैं.

3. अगर आपने चेहरे पर मेकअप लगा रखा है तो कोशिश कीजिए कि उसे साफ करने के बाद ही सोएं. चेहरे पर बहुत देर तक मेकअप लगा रहना सही नहीं है. इससे त्वचा का नेचुरल ग्लो फीका पड़ने लगता है.

4. खूबसूरत त्वचा के लिए पर्याप्त नींद लेना भी बहुत जरूरी है. हमारी नींद हमारी बॉडी को रीचार्ज करने का काम करती है. ऐसे में फ्रेश त्वचा पाने के लिए पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है.

5. दोपहर के समय सूरज की रोशनी में खुले बदन जाने से परहेज करना चाहिए. इससे त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है.

6. आपका खान-पान अच्छा होना चाहिए. साथ ही ये बेहद जरूरी है कि आप जो कुछ भी खाएं वो फ्रेश हो और अगर वो पौष्ट‍िक है तो इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता.

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इन बेकार सामानों से बनाएं ट्रैंडी ज्वैलरी

घर, दफ्तर या किसी भी जगह बेकार पड़े सामानों को अब फेंकने के बजाए उसका विभिन्न तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. आप बेकार पड़े सामानों से खुद ही आकर्षक आभूषण बना सकते हैं. इसके लिए आपको अपने बजट की चिंता करने की भी कोई जरूरत नहीं है. इसे स्वयं ही बड़ी आसानी से बनाया जा सकता है.

“इंटरनेशनल स्कूल ऑफ डिजाइन” के छात्र आपको घर में पड़े बेकार सामान जैसे पेपर, प्लास्टिक, तार, मोती और बटन की मदद से अद्भुत और रचनात्मक ज्वेलरी बनाने में मार्गदर्शन कर रहे हैं.

1. पेपर ज्वेलरी/ब्रेसलेट

– एक पुराना अखबार लेकर स्केल की मदद से पेपर के सबसे ऊपरी भाग पर अल्टरनेटिव इंच का उपयोग कर निशान लगा लें. इसी तरह, पेपर के तल पर यानी नीचे की ओर आधे इंच के अंतराल पर निशान लगायें. ऊपर के अल्टरनेटिव निशान से नीचे के निशान तक (कोण की तरह) लाइन बना लें.

– अब इस कोण को काट लें और दो रंग की मदद से पेपर पर अल्टरनेटिव रूप से रंग करें. सूखने के बाद, इसे विस्तृत से संकीर्ण तक रोल बना लें और और गोंद की मदद से इसके टिप को सुरक्षित करें. आप इसे पूरा करने के लिए रोल पर पारदर्शी नेल पेंट लगा दें. इसी तरह आप और बीड्स (मोती) भी बना सकते हैं.

– ब्रेसलेट बनाने के लिए, एक इलास्टिक धागा लें और मोतियों को एक के बाद एक डालकर और अंत में दोनों कोनों को टाई करके बंद कर दें.

2. साटन रिबन पर्ल नेकलेस

– एक रिबन लेकर उसे दो हिस्सों में फोल्ड कर दें. फिर फोल्डेड अंत में एक गांठ बनाये. एक साइड का किनारा लेकर उस पर गांठ बना लें.

– अब सिरों में से एक के माध्यम से मोती डालना शुरू करें और दूसरी गांठ से मोती को सुरक्षित करें. अब अन्य साइड को किनारा लेकर उस पर गांठ बना लें. अब इसमें मोती को जोड़े और गांठ की मदद से इसे सुरक्षित कर लें और ऐसा ही दूसरी तरफ से भी करें. अब दोनों सिरों को एक साथ पकड़कर उसमें गांठ बांध दें.

– अब जहां से मोती डालना शुरू किया था उसी अंत में गांठ बना लें. बस गांठ के नीचे एक मोती जोड़ कर इसे फिर से सुरक्षित करने के लिए एक गांठ बना लें. एक और मोती जोड़ कर गांठ बना लें. दूसरे किनारे पर एक मोती जोड़ें. दोनों सिरों को एक साथ रखने के लिए एक गांठ बना दें.

– इसे तब तक करें जब तक आप इच्छित आकार नहीं पा लेते.

– रिबन के दो और हिस्से लेकर उसे दो टुकड़ों में फोल्ड कर लें. नेकलेस के दोनों साइट पर इस साटन रिबन जोड़ दें, इस तरह आपका साटन पर्ल नेकलेस तैयार है.

3. सेफ्टी पिन ब्रेसलेट

– दो से तीन पैकेट सेफ्टी पिन और अलग-अलग रंगों के मोती ले लें. अब पिन को खोलकर, हर रंग के मोती को एक-एक करके उसमें डालें और मोती को सुरक्षित रखने के लिए पिन को बंद कर दें. ऐसा सभी पिनों के साथ करें.

– अब पिन की आंख के माध्यम से सबसे पहले इलास्टिक तार और अगले पिन के नीचे के छेद से वैकल्पिक रूप से डालें. एक बार जब सभी पिन के माध्यम से तार गुजर जाये तो इसे बाहर ले लें और वैकल्पिक रूप से पिन के दूसरे छोर के माध्यम से डालें जैसे की आपने पहली जगह में किया था.

– अंत में इलास्टिक के दोनों सिरों को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त तार को काट दें. हमारा सेफ्टी पिन ब्रेसलेट तैयार है.

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