अपनी-अपनी जिम्मेदारियां: भाग 3- आशिकमिजाज पति को क्या संभाल पाई आभा

नवल का गुस्सा देख रिनी सहम गई कि मां ने तो समझा कर छोड़ दिया पर पापा तो जान ही ले लेंगे उस

की, क्योंकि नवल का गुस्सा वह अच्छी तरह जानती थी.

अब नवल की नींद और उड़ गई. सोचने लगा जवान लड़की है. अगर कदम

बहक गए तो क्या होगा? सचेत तो किया था आभा ने कितनी बार, पर वही उस की बात को आईगई कर दिया करता था. पता चला कि रिनी अपने ही कालेज के एक लड़के से प्यार करती है और उस से छिपछिप कर मिलती है. आभा के समझाने के बाद भी जब वह लड़का रिनी से मिलता रहा, तो वह उस के घर जा कर वार्निंग दे आईर् कि अगर फिर कभी दोबारा वह रिनी से मिला या फोन किया, तो पुलिस में शिकायत कर देगी. रिनी को भी उस ने खूब फटकार लगाई थी. कहा था कि अगर नहीं मानी, तो नवल को बता देगी. तब रिनी का ध्यान उस लड़के से हट गया था, लेकिन आभा के न रहने पर वह फिर मनमानी करने लगी थी.

जो बाबा आभा के डर से घर में आना बंद कर चुका था, क्योंकि वह अंधविश्वास विरोधी थी, वह फिर से उस के घर में डेरा जमाने लगा. घर की सुखशांति के नाम पर वह हर दिन कोई न कोई पूजापाठ, जपतप करवाता रहता और निर्मला से पैसे ऐंठता. समझाता कि उस के घर पर किसी का बुरा साया है. कितनी बार कहा नवल ने कि ये सब फालतू की बातें हैं. न पड़ें वे इन बाबाओं के चक्कर में. मगर निर्मला कहने लगी कि वह तो घर की सुखशांति और आभा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ही ये सब कर रही है.

इधर सोनू का मन भी पढ़ाईलिखाई से उचटने लगा था. जब देखो, मोबाइल, लैपटौप में लगा रहता. और तो और दोनों भाईबहन छोटीछोटी बातों पर लड़ पड़ते और ऐसे उठापटक करने लगते कि पूरा घर जंग का मैदान नजर आता. औफिस से आने के बाद घर की हालत देख नवल का मन करता उलटे पांव बाहर चला जाए. एक आभा के न रहने से घर में सब अपनीअपनी मनमानी करने लगे थे. घर की हालत ऐसी बद से बदतर हो गई कि क्या कहें. ऐसी विकट समस्या आन खड़ी हुई थी जिस का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था नवल को.

उधर औफिस में भी कुछ ठीक नहीं चल रहा था. नवल के औफिस में ही एक दोस्त थी रंभा. खूब पटती थी दोनों की. साथ में खानापीना हंसनाबोलना होता था. भले ही घर में आभा इंतजार कर आंखें फोड़ लें, मगर जब तक रंभा मैडम जाने को न कहती, नवल हिलता तक नहीं. रंभा को देखदेख कर ही वह रसिकभाव से कविताएं बोलता और वह इठलाती, मचलती. चुटकी लेते हुए दूसरे कुलीग कहते कि क्या भाभीजी को देख कर भी मन में कविताएं उत्पन्न होने लगती हैं नवल भाई?

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तब बेशर्मों की तरह हंसते हुए कहता नवल, ‘‘अब भाभी तो घर की मुरगी है न, दाल बराबर.’’

उस की बात पर जहां सब ठहाके लगा

देते, वहीं रंभा और उस के करीब सरक आती. लेकिन आज वही रंभा उसे छोड़ कर दीपक से मन के तार जोड़ बैठी थी. मुंह से चाहे कुछ

न कहे, पर उस के व्यवहार से तो रोज यही झलकता था कि अब नवल में उसे कोई दिलचस्पी नहीं रह गई.

अब नवल भी इतना बेहया तो था नहीं, जो उस के पीछेपीछे चल पड़ता. रंभा का कुछ साल पहले अपने पति से तलाक हो चुका था और अब वह सिंगल थी. वैसे भी ऐसी औरतों का क्या भरोसा, जो वक्त देख कर दोस्त बदल लें.

‘भाड़ में जाए मेरी बला से’, मन में सोच उसी दिन से नवल ने रंभा से किनारा कर लिया, क्योंकि अब उसे अपने घरपरिवार को देखना था. अपनी पत्नी को समय देना था.

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कितनी बार आभा ने चेताया था कि रिनी पर ध्यान दो, लड़की है. जरा भी पैर फिसला, तो बदनामी हमारी होगी. मगर हर बार ‘पागलों सी बातें मत करो’ कह कर नवल उसे ही चुप करा दिया करता था. कहता, वह बच्चों के पीछे पड़ी रहती है. क्या कोई मां अपने बच्चों के पीछे पड़ सकती है कभी? वह तो बच्चों के भले के लिए ही उन्हें डांटतीफटकारती थी. परंतु यह बात आज नवल को समझ में आ रही थी कि आभा कितनी सही थी और वह कितना गलत. सुविधाएं और आजादी तो दी उस ने बच्चों को, पर वह नहीं दे पाया जो उन्हें देना चाहिए था. संस्कार, अच्छी सीख, जिम्मेदारी.

पूछने पर डाक्टर ने बताया कि अब आभा पहले से काफी बेहतर है और

2-4 दिन में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. लेकिन उस का पूरा खयाल रखना पड़ेगा, क्योंकि अभी भी बहुत कमजोर है.

जब वार्ड में गया, तो आभा सो रही थी, सो उसे जगाना सही नहीं लगा. धीरे से स्टूल खींच कर बैड के समीप ही नवल बैठ गया और एकटक आभा को निहारने लगा. बेजान शरीर, पीला पड़ा चेहरा, धंसी आंखें देख कर सोचने लगा कि क्या यह वही आभा है जिसे कभी वह ब्याह कर लाया था. कैसा फूल सा मुखड़ा था इस का और आज देखो, कैसा मलिन हो गया है. अगर आज मैं इस की जगह होता, तो यह दिनरात एक कर देती. पागल हो जाती मेरे लिए लेकिन मैं क्या कर पा रहा हूं इस के लिए, कुछ भी तो नहीं? सोच कर नवल की आंखें सजल हो गईं.

जब आभा की आंखें खुलीं और सामने नवल को देखा, तो उस के चेहरे पर ऐसा तेज आ गया जैसे अग्नि में आहुति पड़ गई हो. इधरउधर देखने लगी. लगा बच्चे भी आए होंगे. कितने दिन हो गए थे उसे अपने बच्चों को देखे हुए. लग रहा था एक बार आंख भर कर बच्चों को देखे. उठने की कोशिश करने लगी, पर कमजोरी के कारण उठ नहीं पा रही थी.

नवल ने उसे सहारा दे कर बैठाया और पूछा, ‘‘कैसी तबीयत है अब?’’

उस ने इशारे से कहा कि ठीक है.

‘‘डाक्टर कह रहे थे 2-4 दिन में अब तुम घर जा सकती हो.’’

नवल की बात पर वह मुसकराई.

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‘‘कुछ खाओगी?’’ नवल ने पूछा, तो उस ने न में सिर हिला दिया.

‘‘सब ठीक है तुम चिंता मत करो,’’ यह भी नहीं कह सकता था कि तुम ने ही सब को बिगाड़ा है, क्योंकि बिगाड़ा तो उस ने ही है. अब सब को ठीक करना पड़ेगा, समझानी पड़ेगी उन्हें अपनीअपनी जिम्मेदारी, यह बात नवल ने मन में ही कही.

‘‘तुम अब ज्यादा चिंताफिकर करना छोड़ दो. खुद पर ध्यान दो. यह लो सुमन भाभी भी आ गईं. तो तुम दोनों बातें करो. तब तक मैं घर हो आता हूं,’’ कह कर नवल उठ खड़ा हुआ तो आभा उसे प्रेमभाव से देखते हुए बोली कि वह अपन ध्यान रखे. नवल को लगा कि अभी भी इसे मेरी ही चिंता है.

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नए रिश्ते: भाग 2- क्या हुआ था रानो के साथ

लेखिका- शशि जैन

प्रदीप क्षणभर को शर्मिंदा सा हो उठा, ‘‘नहीं, बूआ, यह ठीक नहीं है. रानो नंदा से मिलेगी तो उस की कमी और भी ज्यादा महसूस करेगी. उसे भूल नहीं सकेगी. जो मिल नहीं सकता, उसे भूल जाना ही अच्छा है.’’

सरला चुप हो गई. बहस करना बेकार था. मानअपमान का प्रश्न इस घर को तोड़ चुका था, पर वह अब भी खत्म नहीं था. सबकुछ देखतेबूझते भी वह मन ही मन यह उम्मीद करती रहती है कि किसी तरह इस टूटे घर में फिर से बहारें आ जाएं.

बूआ की बात से प्रदीप के दिमाग में उबलता हुआ लावा कुछ ठंडा होने लगा था, परंतु फिर भी वह नंदा के व्यवहार से जरा भी प्रसन्न नहीं था. उस ने नंदा का फोन मिलाया :

‘‘नंदा.’’

‘‘कौन? आप?’’

‘‘तुम रानो के स्कूल गई थीं?’’

‘‘हां,’’ नंदा का सूक्ष्म उत्तर था.

‘‘तुम जानती हो, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. रानो स्कूल से लौटी तो बेहद उत्तेजित थी. वह रोतेरोते सो गई. कम से कम अब तो तुम्हें हम लोगों को शांति में रहने देना चाहिए,’’ न चाहने पर भी प्रदीप के स्वर में सख्ती आ गई थी.

उत्तर में उधर से दबीदबी सिसकियां सुनाई पड़ रही थीं.

‘‘हैलो, हैलो, नंदा.’’

नंदा रोती रही. प्रदीप का भी दिल सहसा बहुत भर आया. उस का दिल हुआ कि वह भी रोने लगे. उस ने कठिनाई से अपने को संयत किया.

‘‘नंदा, क्या कुछ देर को मौडर्न कौफीहाउस में आ सकती हो?’’

‘‘वहां क्या कहोगे? कहीं तमाशा न बन जाए?’’

‘‘जरा देर के लिए आ जाओ, जो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं. वह फोन पर न हो सकेगा.’’

‘‘अच्छा, आती हूं.’’

कौफीहाउस के वातानुकूलित वातावरण में भी प्रदीप के माथे पर पसीना उभर रहा था. उसे लगा कि उस का सख्ती से सहेजा गया जीवन फिर उखड़ने लगा है और भावनाओं की आंधी में सूखे पत्ते सा उड़ता चला जा रहा है. दिमाग विचित्र दांवपेंच में उलझने लगा. वह नंदा के साथ बिताए गए जीवन में घूमने लगा. उसे लगा सभी कुछ उलटपुलट गया है.

उसे अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. शीघ्र ही नंदा उस के सामने बैठी थी. पहले से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक, हमेशा की तरह आसपास के लोगों की दृष्टि उस के इर्दगिर्द चक्कर काटने लगी. और हमेशा की तरह उस के हृदय में ईर्ष्या की नन्ही चिनगारी जलने लगी. उस ने तुरंत अपने को संयत किया. नंदा का सौंदर्य व आकर्षण और उस की स्वयं की ईर्ष्या प्रवृत्ति एक घर को नष्ट कर के काफी आहुति ले चुकी थी. उसे अब स्वयं को शांत रखना था.

यत्नपूर्वक छिपाने पर भी नंदा के चेहरे पर रुदन के चिह्न मौजूद थे. वह अनदेखे की चेष्टा करने पर भी बारबार नंदा को देखता रहा. नंदा की बड़ीबड़ी आंखें उस पर स्थिर हो गई थीं और वह बेचैनी सी महसूस करने लगा था.

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अस्थिरता की दशा में उस ने काफी चीजों का और्डर दे दिया था. वह उस से बात शुरू करने के लिए कोई सूत्र ढूंढ़ने लगा.

‘‘रानो ठीक रहती है?’’  नंदा ने ही झिझकते हुए पूछा.

‘‘हां.’’

‘‘ज्यादा याद तो नहीं करती?’’ नंदा का स्वर भीगने लगा था.

‘‘तुम से मिलने से पहले तो नहीं करती.’’

नंदा को देख कर उसे लगा कि अब वह रो देगी.

‘‘मुझे पता नहीं था कि मैं रानो को इतना याद करूंगी. हर समय उसी के बारे में सोचती रहती हूं. उसे देख कर मन को कुछ शांति मिली, पर क्षणभर को ही.’’

‘‘यह सब तो पहले सोचना चाहिए था,’’ प्रदीप का स्वर बेहद ठंडा था.

‘‘उस समय तो हर चीज, हर व्यक्ति और हर भाव के प्रति मन में कटुता व्याप्त हो गई थी. रानो मुझ से इस तरह छिन जाएगी, यह स्वप्न में भी नहीं सोचा था. कभीकभी मन बेहद भटक जाता है. वह नन्ही सी जान कैसे अपनी देखभाल करती होगी?’’ नंदा की आंखों से आंसू टपकने लगे थे.

नंदा से मिलना पूर्णतया सामान्य नहीं हो सकेगा, इस की तो प्रदीप को संभावना थी. परंतु फिर भी एक सार्वजनिक स्थान पर इस तरह से भाव प्रदर्शन के लिए वह तैयार नहीं था. वह काफी परेशान सा हो उठा.

‘‘आजकल क्या कर रही हो,’’ वह रानो की बात छोड़ कर व्यक्तिगत धरातल पर उतर आया.

‘‘मुंबई की एक फर्म में प्रौडक्ट मैनेजर हूं.’’

‘‘तनख्वाह तो खूब मिलती होगी?’’

‘‘बड़ी फर्म है, अच्छा देते हैं. फिर भी रुचि अच्छी तनख्वाह में नहीं, काम में है. मुझ अकेली को कितना चाहिए. काम अच्छा है. नएनए चेहरे, काफी लोगों से मुलाकात, मन की भटकन से बची रहती हूं.’’

‘‘दोबारा शादी करने की सोची?’’

‘‘एक बार का अनुभव क्या काफी नहीं?’’ स्वर में व्यंग्य छिपा था.

‘‘फिर भी, कभी तो सोचा होगा. तुम अभी जवान हो, खूबसूरत भी, कुछ समय बाद यह स्थिति नहीं रहेगी.’’

‘‘जवान दिखने पर भी इस तरह के अनुभव स्त्री को मन से बूढ़ी बना देते हैं. फिर जो कभी न सोचा था वह हो गया, अब सोच कर ही क्या कर पाऊंगी?’’

‘‘काम भी ऐसा है. लोग तुम्हारी ओर आकर्षित तो होते होंगे,’’ प्रदीप अपनी बात पर अड़ा रहा. न चाहने पर भी ईर्ष्या की बेमालूम चिनगारी हवा पाने लगी.

नंदा उदास सी हंसी हंस दी, ‘‘मेरातुम्हारा चोरसिपाही वाला रिश्ता तो खत्म हो चुका है, फिर छिपा कर भी क्या करना है. मैं स्वयं किसी की तरफ आकर्षित नहीं हूं, पर मेरे चारों ओर घूमने वालों की कमी नहीं है. जैसा कि तुम ने कहा, मैं अभी खूबसूरत भी हूं, जवान भी.’’

‘‘इस के लिए तुम क्या करती हो?’’

‘‘कुछ नहीं. मैं उन्हें घूमने देती हूं.’’

‘‘शादी के पैगाम भी आते होंगे?’’

‘‘हां, कई,’’ नंदा नेपकिन को खोल लपेट रही थी.

‘‘फिर शादी क्यों नहीं की?’’ चिनगारी को फिर हवा मिली.

‘कहा न, अनुभव कड़वा है. विवाह में आस्था नहीं रही.’’

‘‘बौस कैसा है?’’

‘‘अच्छा है. वह भी मुझ से विवाह के लिए निवेदन कर चुका है.’’

‘‘मान लेतीं. बड़ा बिजनैस है, रुपएपैसे की बहार रहती.’’

उन के आपसी अनेक मतभेदों में एक कारण नंदा का बेहद खर्चीला स्वभाव भी था.

‘‘खयाल बुरा नहीं. वह 55 वर्ष का  है. विधुर और गंजा. 1 लड़का और 2 लड़कियां हैं.’’

‘‘फिर?’’

‘‘उस के बच्चों को यह विचार पसंद नहीं. सोचते हैं कि मैं उन के पिता के धन की ताक में हूं. वे लोग इस विचार से काफी परेशान रहते हैं.’’

‘‘तुम क्या सोचती हो?’’

‘‘कुछ सोचती नहीं, सिर्फ हंसती हूं. अच्छा, अपनी बताओ, क्या कर रहे हो आजकल?’’

‘‘बस, नौकरी.’’

‘‘विवाह?’’

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‘‘अभी तक तो चल रहा है. नहीं चलेगा तो मजबूरी है. रानो के खयाल से डर लगता है. उस ने रानो को पसंद न किया तो वह मासूम मारी जाएगी. मैं तो दिनभर दफ्तर में रहता हूं. उसे देख नहीं पाता. अभी तो बूआ उस की देखरेख करती हैं, पता नहीं बाद में बूआ रहना पसंद करें या न करें.’’

‘‘तुम यह नहीं कर सकते कि रानो को मुझे दे दो. तुम शादी कर लो. इस से सभी सुखी होंगे,’’ नंदा का स्वर काफी उत्तेजित हो आया था.

‘‘रानो को तुम्हें दे दूं? कभी नहीं, हरगिज नहीं. तुम उस की ठीक से देखभाल नहीं कर सकोगी. अदालत में इतना झगड़ा कर के रानो को लिया है, तुम्हें नहीं दे सकता.’’

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Bigg Boss 15 की विनर बनीं Tejasswi तो गौहर समेत सेलेब्स ने मारा ताना, पढ़ें खबर

टीवी के पौपुलर रियलिटी शो बिग बॉस 15 का ग्रैंड फिनाले हो गया है. वहीं शो को जीतकर एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश (Tejasswi Prakash) ने ट्रॉफी अपने नाम कर ली है. हालांकि सोशलमीडिया पर फैंस और सेलेब्स काफी नाराज नजर आ रहे हैं. वहीं टॉप 2 में रहने वाले प्रतीक सहजपाल को सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

विनर बनने पर गौहर खान ने कसा तंज

एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश के Bigg Boss 15 की ट्रॉफी अपने नाम करते ही एक्ट्रेस गौहर खान ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘LOL… विनर का नाम घोषित होने पर स्टूडियो में  पसरे सन्नाटे ने सबकुछ कह दिया. बिग बॉस 15 जीतने का सिर्फ एक हकदार था, जिसे पूरी दुनिया ने देखा है. #pratiksehejpal तुमने दिल जीते हैं. हर कोई मेहमान बनकर जाने वालों के फेवरेट तुम थे. तुम्हें लोगों ने प्यार दिया. अपना सिर ऊंचा रखो.’ वहीं बिग बॉ ओटीटी का हिस्सा रहे जीशान ने गौहर खान का साथ देते हुए लिखा,  बीबी विजेता की घोषणा पर ऐसा सन्नाटा, मैंने कभी नहीं सुना!


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दूसरे सेलेब्स ने किया प्रतीक को सपोर्ट

वहीं इसके अलावा एक्ट्रेस काम्या पंजाबी ने प्रतीक सहजपाल के लिए लिखा, ‘प्रतीक तुम मेरे विनर थे और हमेशा रहोगे. तुमने बहुत अच्छा खेला है. खेल में तुम्हारा सफर और इसके लिए तुम्हारे जुनून ने दिल जीत लिया. आशीर्वाद, बहुत सारा प्यार और शुभकामनाएं.’ वहीं मुनमुन दत्ता और गुरमीत चौधरी ने भी प्रतीक सहजपाल को सपोर्ट करते हुए ट्वीट किया हैं. हालांकि तेजस्वी प्रकाश के सपोर्ट में भी इंडस्ट्री के कई सितारे सामने आए हैं, जिनमें नमीश तनेजा, अदा खान जैसे सितारे शामिल हैं.

नागिन में नजर आएंगी तेजस्वी

दूसरी तरफ, बिग बॉस 15 की विनर बनने के बाद तेजस्वी प्रकाश जल्द ही नागिन 6 में नजर आने वाली हैं, जिसका खुलासा उन्होंने बिग बॉस के ग्रैंड फिनाले में किया है. इसके अलावा तेजस्वी को सरप्राइज देते हुए करण कुंद्रा और उनकी फैमिली ने सेलिब्रेशन भी किया है, जिसकी फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

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नए साल का दांव: भाग-2

कपिल बच्चों पर बिना बात के चिल्लाता रहता. वंदिता की बातबात में इंसल्ट करता. खाने की थाली उठा कर फेंक देता. वंदिता ने दिल्ली में रहने वाले अपने भाई और मां से यह दुख शेयर किया तो उन्होंने फौरन कपिल को छोड़ कर आने की सलाह दी. वे बेहद नाराज हुए. उन्होंने कपिल से बात की तो कपिल ने उन की खूब इंसल्ट करते हुए जवाब दिए. संजय और साक्षी सब जान चुके थे. दोनों ने गुस्से में कपिल से बात करना बंद कर दिया था.

उस दिन वंदिता ने सारी स्थिति पर ठंडे दिमाग से सोचा. हर बात पर बारीकी से ध्यान दिया. उस ने सोचा कपिल को छोड़ कर मायके जाना तो समस्या का हल नहीं है. वह कोई नौकरी तो करती नहीं है… वहां जा कर भाई और मां कितने दिन खुशीखुशी उसे सहारा देंगे और वह स्वयं को इतनी कमजोर, मजबूर क्यों सम झ रही है? कपिल बेवफाई कर गया, इस की सजा वह क्यों परेशान, दुखी रह कर भुगते? वह क्यों अपनी हैल्थ इस धोखेबाज के लिए खराब करे और बच्चे? दोनों सुबह के गए रात को आते हैं. व्यस्त हैं, अपने पैरों पर खड़े हैं. नई जौब है. कपिल से नाराज रह कर उन का काम चल ही रहा है. कपिल अपनी ऐयाशियों में मस्त है, सिर्फ वही क्यों इस पीड़ा का दंश सहे?

वह 12वीं कक्षा तक के बच्चों को मैथ की ट्यूशन पढ़ती थी. पूरी सोसाइटी में उस के जैसी मैथ की टीचर नहीं थी. बच्चों से घिरी इतने रोचक ढंग से पढ़ाती कि बच्चों को मैथ जैसा विषय कभी मुश्किल ही न लगता उन के पेरैंट्स भी बहुत खुश रहते. मैथ की ट्यूशन की फीस भी उसे अच्छी मिलती. दिन के 4 घंटे तो उस के ट्यूशन में ही बीतते थे. अपनी जरूरतों के लिए वह इन पैसों को आराम से खर्च करती. नहीं,

वह रोरो कर तो नहीं जाएगी. यह जीवन बारबार नहीं मिलता. वह छोड़ कर कहीं नहीं जाएगी,

जो गलत काम कर रहा है. वह दुखी रहे. वह खुश रहेगी.

हफ्ते में 2 दिन सुबह 6 बजे वंदिता सोसाइटी में ही चलने वाले जिम में जाती थी, वहां उस का एक अलग ही ग्रुप था. सुबह सब के साथ व्यायाम करना उस के मन को खूब भाता था. शिनी भी उस के साथ रहती थी.

अगले दिन जिम में मिलने पर वंदिता के रिलैक्स्ड चेहरे को देख कर शिनी हंसी, ‘‘वाह, क्या बात है… बड़ी खुश लग रही हो… कपिल से कुछ बात हुई क्या?’’

वंदिता खुल कर हंसी, सुबहसुबह किस का नाम ले दिया? वह तो टूर पर गया है.’’

‘‘तो इतनी रिलैक्स्ड क्यों लग रही हो?’’

‘‘बाद में बताऊंगी. आज अमायरा और सिम्मी नहीं आई हैं.’’

‘‘ठीक है,’’ शिनी बोली.

वंदिता घर आई तो बच्चे औफिस के लिए तैयार हो रहे थे. मां को आज खुश देख साक्षी ने कहा, ‘‘मम्मी, पापा आजकल टूर पर जाते हैं तो अच्छा लगता है न?’’

वंदिता हंस पड़ी, ‘‘हां, बहुत.’’

संजय बोला, ‘‘मेरा मन ही नहीं होता उन से बात करने का. आप कैसे बरदाश्त कर रही हैं, मम्मा?’’

‘‘छोड़ो बच्चो, मैं अब उस पर अपनी ऐनर्जी वेस्ट करने वाली नहीं.

मैं ने सोच लिया है कि मु झे कैसे जीना है. वह चाहे कुछ भी करे, मैं अपना मैंटल पीस खत्म नहीं होने दूंगी.

मैं ने कुछ गलत नहीं किया न, फिर दुखी मैं क्यों रहूं?’’

बच्चों ने उसे गले लगा लिया, ‘‘प्राउड औफ यू मम्मी.’’ उस दिन बढि़या

वर्कआउट करने के बाद चारों सहेलियां क्लब हाउस के एक कोने में बैठ गई. सिम्मी ने कहा, ‘‘यार, तू कुछ बदलीबदली सी अच्छी लग रही है.’’

‘‘हां, मैं अब कपिल में उल झ कर दुखी नहीं रहने वाली और भी बहु कुछ है मेरी लाइफ में जिसे मैं ऐंजौय कर सकती हूं… अब बैठ कर एक बेवफा के लिए तो हरगिज नहीं रोऊंगी. जितना रोना था रो ली, अब नहीं. अब तक उस पर मेरे रोने का न असर हुआ है न होगा, उलटा वह धोखेबाज इंसान मु झे रोते देख मेरा मजाक उड़ाता है.’’

अमायरा ने खुश हो कर कहा, ‘‘प्राउड औफ यू यार, आज मोहना का लैंडलौर्ड सुधीर सुबह आया था. कुछ गुस्से में दिख रहा था. कुछ तेज आवाजें आ रही थीं,’’ अमायरा मोहना के फ्लोर के सामने वाले फ्लोर पर रहती थी.

शिनी चौंकी, ‘‘अच्छा?’’

‘‘हां, कुछ ऐसा सुना कि किराया टाइम पर नहीं दिया गया है.’’

सिम्मी ने कहा, ‘‘मु झे अभीअभी आइडिया आया है. यह मोहना ही इस सोसाइटी से चली जाए तो अच्छा रहेगा न? इसे ही भगाते हैं. अमायरा. तुम इस के लैंडलौर्ड को जानती हो?’’

‘‘हां, मोहना को फ्लैट देने के समय काम करवाने कई बार यहां आता था. हमारी उम्र का ही होगा. मेरे पति नितिन से आमनासामना होने पर अच्छी जानपहचान हो गई है. भला इंसान है.’’

‘‘उस का फोन नंबर है?’’

‘‘हां, नितिन के पास है. मेरे सामने ही उस ने अपना नंबर दिया था.’’

फिर चारों सिर जोड़े बहुत देर तक प्लानिंग करतीं रहीं. उस के बाद संतुष्ट हो कर अपनेअपने घर चली गई.

उसी रात सुधीर को नितिन ने फोन किया. दोस्ताना लहजे में हालचाल पूछा  फिर कहा, ‘‘तुम्हारा फ्लैट तो मशहूर हो गया.’’

‘‘कैसे?’’

नितिन ने उसे सब बता दिया कि मोहना का सोसाइटी के ही किसी पुरुष से संबंध हैं

और वह पुरुष रातदिन खूब आताजाता है और मोहना के फ्लैट से काफी डिस्टरबैंस सी रहने लगी हैं.

सुधीर बहुत सभ्य आदमी था, वह आजकल वैसे ही किराया समय पर न मिलने से परेशान था. विनय उस का फोन उठाता नहीं था. 2 महीने का किराया इकट्ठा हो चुका था. नितिन ने यह भी बताया कि विनय का कोई काम है ही नहीं. हर समय शराब में डूबा रहता है. मोहना ही पैसा ऐंठने का काम करती है, किसी से भी. वह तो अच्छा था, सुधीर ने ऐडवांस में डिपौजिट लिया हुआ था. सारी बात सुन कर सुधीर ने एक फैसला ले लिया.

अगले दिन सुबह ही सुधीर को घर आया देख विनय और मोहना हड़बड़ा गए. सुधीर ने कहा, ‘‘1 हफ्ते के अंदर मु झे अपना फ्लैट खाली चाहिए.’’

मोहना गुर्राई, ‘‘यह कोई रूल नहीं है… ऐडवांस नोटिस क्यों नहीं दिया?’’

‘‘रूल की बात तो करना मत तुम लोग… गैर के साथ रातदिन रंगरलियां मनाने वाली रूल की बात करेगी? विनय, आप अपने नशे में इन बातों से आंखें बचा सकते हैं, बिल्डिंग में रहने वाले इन चीजों को बरदाश्त नहीं करेंगे और मु झे इतना भी शरीफ मत सम झ लेना… 1 हफ्ते में फ्लैट खाली नहीं किया तो सामान उठवा कर बाहर फिंकवा दूंगा.’’

नए साल का दांव: भाग-3

काफी बहस हुई पर सुधीर ने दोनों की बोलती बंद कर दी और वार्निंग दे कर चला गया. अमायरा ने अपने फ्लैट की बालकनी से अपने बेटे को स्कूल जाते हुए बाय करते समय सुधीर को आते देख लिया था सो मोहना के फ्लैट के पास खड़े हो कर पूरी बात सुन कर अपने घर चली गई थी.

खुशी के मारे उस की आवाज वंदिता को फोन पर बताते हुए कांप गई, ‘‘बस,

अब तो यह यहां से चली जाएगी… एक मुश्किल तो, खत्म हुई.’’

वंदिता ने शांत स्वर में कहा, ‘‘यह तो तुम लोगों ने बहुत अच्छा किया पर अब कपिल पर मु झे कभी विश्वास नहीं होगा. अब मेरे दिल में उस के लिए कोई जगह नहीं… यह चली जाएगी कोई और आ जाएगी. यही होता रहा है. खैर, थैंक्स यार.’’

उस दिन जब चारों जिम में मिलीं तो सब खुश थीं. वंदिता हंसी, ‘‘तो अमायरा ने मोहना को भगा ही दिया.’’

शिनी ने कहा, ‘‘अब तुम से पार्टी चाहिए.’’

वंदिता जोर से हंसी, ‘‘शर्म करो तुम लोग. इस बात की पार्टी कौन मागता है?’’

‘‘अरे, हम आज की मौडर्न फ्रैंड्स हैं.झ्र ऐसी बातों से निबटेंगे, तो पार्टी तो बनती ही है यार.’’

‘‘ठीक है, पहले इसे आने तो दो.’’

‘‘ठीक है.’’

कपिल 1 हफ्ते के लिए टूर पर था. अब जब तक कुछ बहुत ही जरूरी न हो, उस की और वंदिता की बात ही नहीं होती थी. इस बार जब कपिल टूर से आया तो उस का मूड बहुत ही खराब था. वंदिता ने अंदाजा लगा लिया कि उसे मोहना के फ्लैट खाली करने की टैशन है. कपिल औफिस न गया. बस बैड पर था. कोई काम नहीं कर रहा था. लगातार चैट कर रहा था… मोहना से फोन पर धीरेधीरे बातें कर रहा था. वंदिता प्रत्क्षत: अपने रोज के कामों में व्यस्त थी… ट्यूशन पढ़ा रही थी पर उस की नजरें लगातार कपिल की हरकतों पर थीं. इस आदमी ने उसे बहुत मानसिक कष्ट दिया था. फिर भी उस ने बहुत धैर्य बनाए रख था.

15 दिनों में मोहना ने फ्लैट खाली कर दिया. उस की मेड से ही अमायरा को पता चला कि अब उस ने काफी दूर एक छोटी सी सोसाइटी में एक छोटा सस्ता फ्लैट किराए पर लिया. जिस दिन मोहना का सामान गया, कपिल बैड से उठा ही नहीं. वंदिता ने भी कुछ नहीं पूछा.

चारों सहेलियां मिलीं तो वंदिता ने कहा, ‘‘थैंक्स दोस्तो, तुम लोग सच में मेरी दोस्त हैं.’’

सिम्मी ने कहा, ‘‘पार्टी कब दे रही है?’’

‘‘चलो, अब हम लोग न्यू ईयर पर 2 रातों के लिए माथेरान चलते हैं. आनाजाना, होटल, खानापीना सब मेरी तरफ से. न्यू ईयर पर वहीं धमाल कर के आते हैं. एक चेंज की मु झे सख्त जरूरत है.’’

सब चौंक पड़ी, ‘‘सच?’’

‘‘और क्या, तुम लोग अपनी फैमिली से न्यू ईयर पर छुट्टी ले लो.’’

‘‘हां यार, अब बच्चे बड़े हैं… हमारे हस्बैंड तो जानते ही हैं तुम किस दौर से गुजरी हो.

तुम्हारे साथ न्यू ईयर की ऐसी शुरुआत करने से हमें कोई नहीं रोकेगा पर कपिल का क्या होगा?’’

‘‘उसे माशूका के जाने का दुख मनाने दो. संजय गोवा और साक्षी महाबालेश्वर

जा रही हैं. वे भी न्यू ईयर पर फ्रैंड्स के ही साथ हैं. उन्हें पूरी बात बताई तो वे बहुत खुश हुए.

असल में तुम लोगों के साथ मेरा यह ट्रिप वे दोनों ही स्पौंसर कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि मैं तुम लोगों के साथ ऐंजौय कर के जाऊं.’’

‘‘वाह, क्या बात है. मतलब आशिक साहब अकेले रहेंगे. वह है ही इसी लायक.’’

वंदिता बच्चों के साथ अब खूब खुश रहती. कपिल सूजा मुंह ले कर घूमता. वंदिता नाश्ता, खाना चुपचाप टेबल पर रख देती. वह खा कर चला जाता. रात को फिर ऐसे ही खा कर टीवी देखने बैठ जाता.

कभीकभी रात देर से लौटता. वंदिता अंदाजा लगाती मोहना से मिलने गया होगा. पर कपिल अब परेशान था. उस ने मोहना के साथ बहुत रंगरलियां मनाई थीं. अब वह जिस फ्लैट में गई थी, वह वन बैडरूम ही था. यहां वाला टू बैडरूम था.

विनय के बाहर जाने पर यश को दूसरे रूम में सुला कर रातभर मस्ती की जाती थी. अब इस फ्लैट में जगह बहुत कम थी. फ्लोर पर भी प्राइवेसी नहीं थी. मोहना चिढ़ीचिढ़ी रहने लगी थी. वह नाराज भी थी कि कपिल ने ही उस का किराया क्यों नहीं भर दिया था. कपिल उस पर खर्च तो खूब करता था पर किराए की रकम हर महीने क्व32 हजार देना आसाना नहीं था.

मोहना कपिल से अब बहुत कम मिलने लगी थी. यहां से जाने के बाद दोनों के रिश्ते में ठंडापन भर रहा था जो कपिल को बरदाश्त नहीं हो रहा था. इधर वंदिता का केयर फ्री अंदाज उसे और चिढ़ा रहा था. 31 दिसंबर को वंदिता को बैग पैक करते देख कपिल बुरी तरह चौंका, ‘‘कहां जा रही हो?’’

‘‘माथेरान.’’

‘‘क्या?’’ करंट सा लगा कपिल को, ‘‘क्यों? किस के साथ?’’

‘‘तुम भी तो जा रहे न, पर चिंता मत करो, मैं तुम्हें वहां डिस्टर्ब नहीं करूंगी और न ही पूछूंगी किस के साथ जा रहे हो? हां, मैं तुम्हें बता सकती हूं कि मैं किस के साथ जा रही हूं… अपनी सहेलियों के साथ जा रही हूं.’’

कपिल का चेहरा देखने लायक था. कुछ बोल ही नहीं पाया. तभी संजय और साक्षी भी अपनाअपना बैग ले कर आ गए. वंदिता को गले लगा कर खूब प्यार किया और कहा, ‘‘मम्मी, खूब ऐंजौय करना. हम टच में तो रहेंगे ही,’’ और फिर तीनों घूमने निकल गए.

संजय ने चारों सहेलियों के लिए अच्छे होटल में 2 रूम बुक करवा दिए थे. चारों ने जीभर कर ऐंजौय किया. न्यू ईयर की रात

होटल में ही खूब मस्ती की. होटल के खुले गार्डन में म्यूजिक, डांस का आयोजन था. सब ने खूब डांस किया. शानदार खाने का लुत्फ उठाया. कपिल की 2 मिस्ड कौल्स देख चारों खूब हंसीं. वंदिता ने कपिल को वापस फोन नहीं किया.

संजय, साक्षी और वंदिता अपनेअपने फ्रैंड्स के साथ न्यू ईयर का टाइम ऐंजौय कर के जब वापस घर आए तो कपिल बुरी तरह खी झता हुआ टीवी देख रहा था. वे तीनों दूसरे कमरे में नए साल पर कई गई मस्ती शेयर कर रहे थे. उन के खिलखिलाने की आवाजों से कपिल के कान जैसे फट रहे थे. जब तक की अपनी हरकतें वह भी जानता था, कुछ कहने का मुंह था ही नहीं. पैर पटकते हुए उन लोगों के कमरे का दरवाजा बंद कर आया ताकि उन सब के हंसने की आवाजें उसे सुनाई न दें.

कहां कपिल मोहना के साथ न्यू ईयर पर माथेरान जा कर जश्न मनाने वाला था,

पर अकेला खी झता,  झुंझलाता घर में बैठा रह गया था. अकेला होने पर उस ने मोहना को घर आने के लिए बहुत कहा, पर वह नहीं आई. उसे नया आशिक मिल चुका था. कपिल उसे किसी और पुरुष के साथ 1-2 जगह देख चुका था. मोहना ने बहुत जल्दी उसे भुला दिया. अब वह घर में अपनी बिगड़ी स्थिति कैसे संभाले, इसी उधेड़बुन में बेचैन था. वंदिता नए साल के इस दांव से बहुत खुश, उत्साहित हो कर जीवन में आगे बढ़ने के लिए एकदम तैयार थी.

‘‘नितिन ने उसे सब बता दिया कि मोहना का

सोसाइटी के ही किसी पुरुष से संबंध हैं और वह

पुरुष रातदिन खूब आताजाता है…’

बहन पर गुस्सा

भाई बहन के रिश्ते में बड़ा ही अपनापन होता है. इस अनमोल रिश्ते को संजोए रखना भाईबहन दोनों का ही कर्तव्य है, लेकिन कभीकभी इस रिश्ते में खटास उत्पन्न हो जाती है, जो दोनों के लिए जान देने को तैयार रहते थे वे एकदूसरे से ख्ंिचेख्ंिचे रहने लगते हैं. भाइयों का अपनी बहनों से खास लगाव होता है. अगर बहन छोटी है तो भाई जहां उस के हर नाजनखरे सहता है वहीं यह भी प्रयास करता है कि वह उस से रूठ न जाए. लेकिन कभीकभी जानेअनजाने ऐसी बात बन जाती है कि भाई को बहन पर गुस्सा आ जाता है. किशोर भाईबहनों में कुछ बातें हैं जिन के चलते भाई को बहन पर गुस्सा आता है.

परीक्षा की तैयारी में लापरवाही

अकसर लड़कियां पढ़ाई में लापरवाही करती हैं. सालभर तो वे सहेलियों के साथ मौजमस्ती करती रहती हैं और जब परीक्षा आने वाली होती है तो वे किताब उठाती हैं. ऐसे में पूरा कोर्स याद कर पाने में उन्हें परेशानी होती है और वे सिर पकड़ कर बैठ जाती हैं.

ऐसे में जब वे भाई से हैल्प करने को कहती हैं तो भाई को गुस्सा आना स्वाभाविक है. रश्मि की बोर्ड की परीक्षा थी. उस का भाई रमेश हमेशा उस से कहता रहता कि पढ़ ले, लेकिन रश्मि एक कान से सुनती, दूसरे से बाहर निकाल देती. यही नहीं वह भाई को कहती तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे. मैं तो पास हो ही जाऊंगी.

परीक्षा में जब एक महीना बचा तो रश्मि भाई के पास साइंस की किताब ले कर आई और बोली, ‘‘भैया, बस तुम मुझे साइंस के कुछ चैप्टर्स समझा दो. मेरी समझ में नहीं आ रहे हैं.’’

इतना सुनना था कि रमेश का पारा चढ़ गया.  उस ने न केवल उस की किताब दूर फेंक दी बल्कि एक चांटा भी मार दिया.

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मिसबिहेव करना

ज्यादातर लड़कियां अपनी ईगो में रहती हैं. कब, कहां और किस से कैसा व्यवहार करना चाहिए, इस का उन्हें ध्यान नहीं रहता. कुछ तो इतनी बिगड़ी होती हैं कि घर आए मेहमानों से भी बदतमीजी से पेश आती हैं. ऐसी लड़कियों को देख कर ऐसा लगता है जैसे उन के मातापिता ने उन्हें तमीज सिखाई ही नहीं.

मोनिका भी कुछ इसी तरह के स्वभाव की लड़की थी. अपनी सहलियों के साथ तो वह मिसबिहेव करती ही थी अपने कजिंस के साथ भी उस का व्यवहार ठीक नहीं था. बातबात में उन की खिंचाई करना उस की आदत थी. छोटीछोटी चीजों के लिए पेरैंट्स से जिद करती थी.

मोनिका का भाई दिनकर जो उस से 4 साल बड़ा था, उसे हमेशा समझाता कि वह अपनी यह आदत छोड़ दे, पर वह भाई से भी लड़ जाती और कहती कि तू कौन होता है मुझे तमीज सिखाने वाला.

एक दिन तो मोनिका ने हद ही पार कर दी. घर में चाचाजी आए हुए थे. उन्होंने मोनिका से बड़े प्यार से कहा कि बेटी, गरमियों की छुट्टियों में हमारे घर मम्मीपापा के साथ जरूर आना. मोनिका ने चाचाजी को टका सा जवाब देते हुए कहा, ‘‘चाचाजी, आप के घर एसी तो है नहीं, मैं एसी के बिना एक पल भी नहीं रह सकती इसलिए मैं आप के घर नहीं आऊंगी.’’

ऐसा मुंहफट जवाब सुन कर चाचाजी का मुंह उतर गया. उन्हें देख कर ऐसा लगा कि उन्हें मोनिका का व्यवहार पसंद नहीं आया. चाचाजी के जाने के बाद दिनकर ने मोनिका की जम कर क्लास ली. मम्मीपापा ने भी उसे बहुत फटकारा. दिनकर ने तो उस से बात तक करनी छोड़ दी.

लेटनाइट पार्टी में जाने की जिद

कोई भी भाई यह बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस की बहन अपने फ्रैंड्स के साथ लेटनाइट पार्टी में जाए. अगर कोई बहन लेटनाइट पार्टी में जाने की जिद करती है तो भाई को गुस्सा आना स्वाभाविक है. आज जमाना कितना खराब है. लेटनाइट पार्टी में जाना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है. इन पार्टियों में अकसर फ्रैंड्स लड़कियों को नशीला पदार्थ खिला कर मनमानी कर सकते हैं. देर से आने पर रास्ते भर डर भी बना रहता है.

लेकिन कुछ लड़िकयां अपनेआप को इतना बोल्ड समझती हैं कि वे लेटनाइट पार्टी में जाने के लिए अपने मातापिता व भाई से लड़ जाती हैं. डेजी भी इसी तरह की बोल्ड लड़की थी. एक दिन वह भाई के  मना करने पर भी अपने बौयफ्रैंड और उस के दोस्तों के साथ डिस्कोथैक चली गई. वहां उस के साथ जो हुआ वह भूल नहीं पाती. जब वह घर आई तो रोरो कर उस ने सारा किस्सा घर वालों को सुनाया.

ऐसे में भाई को डेजी पर बहुत गुस्सा आया. कितना मना किया था वहां जाने को. डेजी ने भाई से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘भैया, अब यह गलती कभी नहीं करूंगी.’’ भाई ने डेजी को माफ तो कर दिया लेकिन जो हादसा हो गया वह कैसे रिवर्स होता. लड़कियां जब ऐसी हरकत करती हैं तो भाई को गुस्सा आता है, क्योंकि वह बहन की बदनामी बरदाश्त नहीं कर सकता.

व्हाट्सऐप, फेसबुक पर दोस्ती

लड़कियों को व्हाट्सऐप औैर फेसबुक का चसका लग गया है. वे अपने सारे काम छोड़ कर चैटिंग में लगी रहती हैं. वे अनजान लोगों से भी चैट करती हैं. कभीकभी यह चैट दोस्ती में बदल जाती है, पर लड़कियों को इस बात का ध्यान नहीं रहता कि वे जिस से फ्रैंडशिप कर रही हैं, उस का पताठिकाना क्या है, क्योंकि अकसर लड़के बहुत सी बातें गुप्त रखते हैं या गलत जानकारी दे कर लड़कियों को इंप्रैस करते हैं.

वनीता को भी चैटिंग का शौक लग गया था. उस का भाई अकसर उसे टोक कर पूछता कि वह इतनी देरदेर तक किस से चैटिंग करती है? तो वह कोई न कोई बहाना बना देती कि वह किसी सहेली से पढ़ाई के बारे में चैट कर रही थी. एक दिन वनीता का मोबाइल उस के भाई के हाथ लग गया. मोबाइल पर किसी लड़के ने उसे बहुत गंदे मैसेज भेज रखे थे. भाई को वनीता पर बहुत गुस्सा आया और उस ने उस का मोबाइल तोड़ दिया.

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ऊटपटांग फैशन करना

हर भाईर् चाहता है कि उस की बहन अच्छे कपड़े पहने और जहां भी जाए लोग उस की ड्रैस सैंस की तारीफ करें पर आज लड़कियां ऊटपटांग फैशन करने लगी हैं. वे ऐसे कपड़े पहनती हैं जिन में उस का पूरा शरीर झलकता है. ऐसे में मनचले उन पर फबतियां कसें तो कोई भाई बिलकुल बरदाश्त नहीं करेगा इसलिए भी भाईबहन में अकसर तकरार हो जाती है.

अकसर लड़कियों को अपने भाइयों से यह भी शिकायत रहती है कि वे उन की निजी जिंदगी में दखलंदाजी करते हैं और उन्हें अपनी मरजी से जीने नहीं देते, पर इस के पीछे भाई की जो मानसिकता होती है उस का अंदाजा शायद वे नहीं लगा पातीं. हर भाई को अपनी बहन से प्यार होता है और जब बहन उस की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती तो भाई को गुस्सा आना स्वाभाविक है.

बहनों को भी चाहिए कि वे मर्यादा में रहें. भाईबहन के रिश्ते को अच्छी तरह निभाएं. ऐसा कोई काम न करें, जिस से भाई को गुस्सा आए और परिवार की बदनामी हो.

धर्म के हिसाब से पहनावा क्यों

हम क्या पहनें और क्या खाएं, क्या यह तय करने वाला कोई और होना चाहिए. आमतौर पर एक समाज में सब एक से कपड़े पहनते हैं. आदमियों के कपड़े एक से तय हैं, खास दिनों के लिए एक से. जब से संचार क्रांति हुई है और न केवल फोटो और विडियों इधर से उधर घूम रहे हैं. पहनावे में फर्क आने लगा है पर हर बार पायनियरों को, शुरुआत करने वालों को विद्रोही माना जाता रहा है.

उस का कारण यह है कि तय परंपरा लागू  करने में धर्म की भूमिका बड़ी रहती है. हर धर्म ने दूरदूर तक अपनी पहचान बनाई तो पहनावे से. अगर ईसाई हो तो इस तरह का पहने. मुसलिम हो तो इस तरह का और हिंदू हो तो इस तरह का. क्षेत्रीय प्रभाव रहा है पर उस में धर्म का रौव फिर रहा है. इस से धर्म को लाभ यह रहता है कि जैसे ही कोई बिचकने लगे, वे उसे घेर सकते हैं. लोगों को इकट्ठा कर के उसे धर्म के हिसाब से पहनने को तो मजबूर करते ही हैं. उस की सोच में तर्क का कोई कीड़ा घुसने लगे तो उस पर तुरंत वार करो और उसे मार डालो. धर्म जानता है कि कपड़ों से शुरू हो कर बात धाॢमक रीतिरिवाजों तक जाएगी और फिर सवालजवाब शुरू हो जाएंगे.

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विधवा सफेद पहने यह हिंदू धर्म आज भी अपनाया जा रहा है. अच्छी भली पढ़ीलिखी औरतें भी पति को खोने के बाद जो पहनती हैं उस में सफेद कुछ ज्यादा होता है. अगर वे न पहनें तो तुरंत पंडे टोकने लगते हैं. माहौल की भारी बेचारी विधवा अब विद्रोह करे तो कैसे करे. उसे अपने तन और धन को बचाना हो मुश्किल होता है, मन की कैसे चलाए.

भारत सरकार ने सेंसर बोर्ड बना रखा है जो वर्षों तक फिल्मों में नग्नता व फुहड़ता की आड़ में औरतों की पोशाकों को धार्मिक नियमों में दबाता रहा है. ईसाई एक तरह की पहनें, मुसलिम एक तरह की, हिंदू एक तरह की. पश्चिम में जब मानसिक क्रांति ने बिकनी का हक दिया और सैंकड़ों की संख्या में औरतें समुद्र बीच में बिकनी में घूमने लगीं तो फिल्मों में छूट मिली. उस से पहले तो केवल खलनायिका ही इसे पहन सकती थी.

आज भी हर रोज विवाद उठते हैं. हैडलाइनें दिखती है कि फला एक्ट्रेस की कोल्ड तस्वीरें आई हैं. बोल्ड का मतलब सिर्फ कम कपड़े क्यों? कम कपड़ों  का मतलब बोल्डनेस क्यों? इसलिए कि हैडलाइन लिखने वाला आज भी कहता है कि समझदार लडक़ी कंधे, पेट और पैर ढंक कर रखेगी. मुसलिम है तो सिर भी ढकेगी. यह अन्याय है जो असल में मानसिक सोच के हक को कुंद करता है. औरतें स्वतंत्र है कि वे मौसम के हिसाब से चाहे जो पहनें. ड्रेस फार्मूले स्कूलों तक या फौज तक रहें तो ही अच्छा है.

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REVIEW: जानें कैसी वेब सीरिज ‘बरूण राय एंड द हाउस औन द क्लिफः’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः युनीकोर्न मोशन पिक्चर प्रोडक्शन

निर्देशकः सैम भट्टाचार्यजी

कलाकारः प्रियांशु चटर्जी,नायरा बनर्जी,सिड मक्कर,

अवधिः लगभग दो घंटे 45 मिनट , छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ

इन दिनों छोटे परदे के साथ साथ ओटीटी प्लेटफार्म पर भी हॉरर यानी कि डरावनी कहानियंा व घटनाक्रम काफी पसंद किए जा रहे हैं. यह एक अलग बात है कि इस तरह के सीरियल, वेब सीरीज व फिल्में अंधविश्वास,आत्मा व भूतप्रेत आदि को बढ़ावा ही देती हैं. बहरहाल,इंग्लैंड के एक तट पर पहाड़ी पर नदी के किनारे बसे एक गांव में हो रही रहस्यमयी आत्महत्याओं का सच जानने के लिए पुलिस एक परामनोवैज्ञानिक की मदद लेता है. क्योंकि इन आत्महत्याओं के पीछे कोई स्पष्ट संदिग्ध नहीं है और परिस्थितियां समझ से परे हैं. पर इस वेब सीरीज को देखकर डर पैदा नही होता.

कहानीः

कहानी इंग्लैंड के एक टापू  कोर्विड्स हेड के एक छोटे से गांव में लगातार पुरूषों द्वारा आत्महत्या करने का सिलसिला जारी है. इन आत्महत्याओं को कोई स्पष् ट कारण भी समझ से परे है. ऐसे में इसकी जांच पड़ताल के लिए पुलिस  इंस्पेक्टर जेनी जोन्स (एम्मा गैलियानो), परामनोवैज्ञानिक जासूस बरुण राय (प्रियांशु चटर्जी) को कॉर्विड्स हेड के छोटे से गाँव में बुलाती है. बरूण राय परामनोविज्ञान में महारत रखते हैं. जेनी जोम्स की सोच के अनुसार ऐसे में बरुण की विशेष योग्यताएं असाधारण वजहों को जानने में मदद कर सकती हैं.

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इधर नवविवाहित जोड़ा  हरमेश (सिड मक्कड़) और शौमिली (नायरा बनर्जी) भारत से इंग्लेंड पहुॅचते हैं. वह कॉर्विड्स क्लिफ में एक घर में रहने पहुॅचते हैं. शौमिली नर्स के तौर पर कार्यरत है. दो दिन के अंदर ही शौमिली को घर के अंदर आसामान्य गतिविधियां घटित होने का अहसास होने लगता है. पुलिस को कुछ भी गलत नजर नहीं आता. उधर डौक्टर शौमिली कोे डिप्रेशन की दवा देने लगते हैं. पर हरमेश व शौमिली की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है. उधर ब्रायन(जौर्ज डावसन ) छिप कर इनकी तस्वीरें खींचता रहता है. धीरे धीरे यह स्पष्ट होता है कि एक बुरी आत्मा ही लोगों की इस तरह हत्या कर रही है कि वह आत्महत्या लगे. अब यह बुरी आत्मा हरमेश को भी मारना चाहती है.

स्थानीय चर्च के पादरी फादर पॉल (टोनी रिचर्डसन) और उनके गुरु (डेविड बेली) को इस आत्मा के बारे में कुछ ज्ञान है,जो इस घर के साथ ही हरमेश व शौमिल को प्रताड़ित कर रही है. फादर पॉल अतीत में कई बार इस बुराई से लड़ने का असफल प्रयास कर चुके हैं. अब वह शौमिली व हरमेश की मदद करने इनके घर पहुॅचते हैं,पर किसी तरह अपनी जान बचाकर वापस आ जाते हैं.

इधर बरूण रौय को भी असफलता ही मिल रही हे. एक दिन ‘मिली,बरूण राय को एक किताब देती है. बरूण राय उस किताब को पढ़कर कुछ तो समझता है,पर इस किताब में ‘कोड वर्ड’ में भी कुछ लिखा है,जिसके लिए बरूण राय सुखबीर की मदद लेता है. इस किताब से बरूण की समझ में आता है कि किसी समय एलेक्जेंडर व पोली पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में शादी करने वाले थे,मगर अलेक्जेंडर ने पोली को धो दिया था. इन सारी बातों को पोली ने इस किताब में लिखा है और यह भी लिखा है कि वह हर पुरूष से अपना बदला लेती रहेगी. इस बीच हरमेश भी नदी में कूदकरी आतमहत्या कर लेता है और बुरी आत्मा लगातार शौमिली को परेशान कर रही है. ब्रायन भी मारे जाते हैं.

अब पूर्णमासी की रात आ रही है. और बरूण राय,फादर पॉल व उनके गुरू के पास इस शहर के निवासियों को पोली की बुरी आत्मा से बचाने का एक आखिरी मौका है, इससे पहले कि आत्मा इतनी शक्तिशाली हो जाए कि कोई भी रोक न सके. बरूण व फादर पॉल पूरी तैयारी के साथ शौमिली के घर पहुंचते और इन्हें अपने लक्ष्य में सफलता मिल जाती है.

लेखन व निर्देशनः   

वेब सीरीज का हर एपीसोड बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता है. पटकथा काफी गड़बड़ है. किसी भी किरदार को सही ढंग से विकसित नही किया गया है. एक भी दृश्य ऐसा नही है,जिससे दर्शक के अंदर भय का अहसास हो. कहानी का कोई प्रवाह नजर नही आता. कई दृश्यों के समय आदि की भी सही व्याख्या नही की गयी है. इस सीरीज की खासियत यह है कि इसमें बौलीवुड फिल्मों में दिखायी जाती रही बुरी आत्माएं या भूतप्रेत नजर नही आते.

कई दृश्य तो दर्शकों को भी द्विविधा में डालते हैं. निर्देशक ने अचानक  फर्नीचर के टकराने व हिलने या हवा से अचानक खिड़की के खुलने जैसे बहुप्रचलित साधनों का उपयोग कर डर व रहस्यमय माहौल पैदा करने का असफल प्रयास किया है. क्लायमेक्स तो काफी घटिया है.

मगर इस सीरीज में इंग्लैंड के ग्रामीण इलाकों की सुंदरता के साथ-साथ शानदार चट्टानों और तट को बेहतरीन तरीके से कैद करने में फिल्मकार सफल रहे हैं. यानी कि लोकेशन काफी सुंदर व खूबसूरत चुनी गयी है. हॉरर फिल्म या सीरीज  में आम तौर पर जिस तरह का संगीत परोसा जाता है,उससे इसका संगीत काफी अलग है.

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अभिनयः

परामनोवैज्ञानिक बरूण के किरदार में प्रियांशु चटर्जी काफी सुस्त नजर आते हैं. शोमिली के किरदार में कुछ दृश्यों में डर की भावनाओं को चित्रित करने में नायरा बनर्जी सफल रही हैं. नायरा बनर्जी अपने आस पास होने वाली घटनाओ को बेहतर अहसास दिलाती हैं. शौमिली के किरदार में उन्होने इस बात के संकेत दिए हैं कि उनके अंदर अभिनय प्रतिभा की कमी नही है. जरुरत है एक बेहतरीन निर्देशक की,जो उनके अंदर की कला को निखार सके. एम्मा गैलियानो, सिड मक्कर, टोनी रिचर्डसन और जॉर्ज डावसन के हिस्से करने को कुछ खास नही रहा.

आखिर श्वेता तिवारी ने क्यों मांगी माफी, जानें मामला

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) आए दिन अपनी पर्सनल लाइफ के चलते सुर्खियों में रहती हैं. जहां बीते दिनों एक्ट्रेस का बयान विवाद बन गया था तो वहीं अब श्वेता तिवारी ने अधिकारिक बयान देते हुए माफी मांगी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

श्वेता तिवारी ने मांगी माफी

 

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दरअसल, वेब सीरीज ‘शो स्टॉपर’ का प्रमोशन के दौरान एक्ट्रेस श्वेता ने अपने इनरवियर के बारे में एक बयान दिया था, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर काफी ट्रोल भी हुई थीं. वहीं ट्रोलिंग के बाद श्वेता तिवारी ने माफी मांगते हुए एक स्टेटमेंट जारी किया है, जिसमें उन्होंने लिखा कि यह मुझे पता चला है कि एक कोस्टार की पिछली भूमिका का जिक्र करते हुए मेरे बयान को गलत तरह से दिखाया गया और गलत समझा गया है. क्योंकि मैं ‘भगवान’ की नहीं बल्कि सौरभ राज जैन के बारे में बात कर रही थीं, जिन्होंने एक शो में भगवान का पौपुलर रोल अदा किया था. लोग किरदारों के नामों को एक्टर्स से जोड़ते हैं और इसलिए मैंने मीडिया के साथ अपनी बातचीत के दौरान इसे एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया.’  ‘हालांकि लोगों ने इसे पूरी तरह से गलत समझा, जिसे देखकर दुख होता है. ‘भगवान’ को मानने वाली मैं जानबूझकर या अनजाने में ऐसी कोई बात नहीं कहूंगी, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे. हालांकि मुझे पता चला है कि इसे गलत तरीके से लेने के कारण अनजाने में लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा है. लेकिन मेरा किसी को हर्ट करने का इरादा कभी नहीं रहा है. इसलिए मैं विनम्रतापूर्वक उन सभी से माफी मांगना चाहती हूं जो मेरे बयान से अनजाने में हर्ट हुए हैं.’

 

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ये था मामला

 

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दरअसल, एक फिल्म प्रमोशन के दौरान एक्ट्रेस श्वेता तिवारी ने बयान दिया था कि मेरी ब्रा का साइज भगवान ले रहे हैं, जिसके बाद उन्हें काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था. वहीं उन पर एफआईआर भी दर्ज हो गई थी. वहीं कई नेताओं ने उनके खिलाफ बयान भी दिया था.

बता दें, एक्ट्रेस श्वेता तिवारी सुर्खियों के बीच बिग बौस 15 के ग्रैंड फिनाले में नजर आने वाली हैं.

photo and video credit-Viral Bhayani

Bigg Boss 15 Finale: सिद्धार्थ को याद कर इमोशनल हुए सलमान और शहनाज, देखें वीडियो

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 15’ का ग्रैंड फिनाले (Bigg Boss 15 Grand Finale) आ गया है. जहां शो के विनर का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं तो वहीं #sidnaaz के फैन्स शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) के शो में आने की राह देखते नजर आ रहे हैं. इसी बीच शो का नया प्रोमो रिलीज हो गया है, जिसमें बिग बौस 13 में सिद्धार्थ और उनकी यादों को एक बार फिर तरोताजा करने वाली हैं. वहीं इस दौरान शो के होस्ट और शहनाज गिल इमोशनल होते हुए नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शहनाज ने दिया ट्रिब्यूट

 

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Bigg Boss 15 के Grand Finale में जहां सितारों की महफिल जमा होने वाली है तो वहीं शहनाज गिल अपने गाने ‘तू यहां है’ से एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला को ट्रिब्यूट देने वाली हैं. वहीं इस परफौर्मेंस का वीडियो आने के बाद सिडनाज के फैंस जमकर वीडियो की तारीफ कर रहे हैं. इसी बीच शो के दूसरे प्रोमो में सलमान खान और शहनाज गिल सिद्धार्थ शुक्ला को याद करते हुए इमोशनल होते हुए नजर आ रहे हैं.

 

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शमिता शेट्टी और तेजस्वी के बीच होगी लड़ाई

 

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इसके अलावा शो में एक बार फिर कंटेस्टेंट तेजस्वी प्रकाश और शमिता शेट्टी के लड़ाई होने वाली है, जिसका प्रोमो रिलीज हो गया है. दरअसल, शमिता शेट्टी के बौयफ्रेंड राकेश बापट, तेजस्वी के आंटी कमेंट पर बात करेंगे, जिसके चलते दोनों के बीच एक बार फिर लड़ाई होते हुए नजर आएगी.

बिग बौस के पुराने विनर आएंगे नजर

शहनाज गिल के अलावा Bigg Boss 15 Grand Finale में शो के पुराने सीजन के विनर भी नजर आने वाले हैं, जिसके चलते शो में धमाल मचने वाला है. वहीं खबरों की मानें तो फिनाले की दौड़ से रश्मि देसाई जहां बाहर हो गई हैं तो वहीं निशांत भट्ट ने 15 लाख की रकम लेकर विनर की रेस छोड़ दी है. हालांकि प्रतीक सहजपाल भी बैग उठाने वाले थे. लेकिन निशांत भट्ट ने पहले ही बजर बजाकर बैग अपने नाम कर दिया.

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