गलती किस की

देश में शिक्षा मंहगी होने लगी है. एक या दो बच्चे होने के कारण मांबाप सारी कमाई व बचत बच्चों की पढ़ाई पर लगाने लगे हैं. उन शातिरों की गिनती भी बढ़ रही है जो ऊंची शिक्षा दिलाने के नाम पर ठगी का धंधा कर रहे हैं. राजस्थान की विधानसभा में लगभग पारित होने वाले एक यूनिवर्सिटी के गठन के विधेयक को वापस लेना पड़ा जब पता चला कि जहां यूनिवर्सिटी के होने का दावा किया जा रहा था वहां तो जमीन एकदम खाली पड़ी थी.

किसी भी यूनिवर्सिटी के साथ गुरुकुल शब्द जुड़ा हो तो सब जांच करने वालों को भय लगने लगता है कि उस के पीछे अवश्य केंद्र सरकार का समर्थन होगा और फाइलों पर अनुमतियां मिलने लगती हैं. 80 एकड़ क्षेत्र में बनी होने का दावा की जाने वाली यूनिवर्सिटी की जमीन पर केवल घासफूस पाई गई.

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यूक्रेन से लौटे 20,000 छात्र वैसे तो किसी ठग के शिकार नहीं थे पर यह दर्शाता है कि किस तरह गांवों के लोग भी जैसेतैसे पैसा जुटा कर बच्चों को न जाने कहांकहां पढऩे को भेज रहे हैं. काठमांडू में पढ़ रहे मैडिकल के छात्रों को पढ़ाई मृत शरीर पर नहीं, प्लास्टिक की डमी पर कराई जाती है. इस से साफ है कि ऐसे डिग्री पाने वाले डाक्टर कितनों को मारेंगे और आखिरकार पढ़ाई में लगा पैसा व्यर्थ जाएगा. यह ऐडमीशन मिलने के बाद की ठगी है, जो शिक्षा दिलाने के नाम पर जम कर की जा रही है.

शिक्षा जरूरी है पर इसे निजी हाथों में सौंप कर सरकार ने एक आफत खड़ी कर दी है. सरकारी शिक्षक आलसी, बेपरवाह होते हैं, इस में संदेह नहीं है, लेकिन उन में 10 में से 2-3 अच्छे निकल आते हैं. वे छात्रों के पैसे के बदले उन्हें बहुत काबिल बना देते हैं. ऐसे शिक्षकों को लोग जीवनभर याद रखते है. शिक्षा पर खर्च तो बराबर ही होगा, चाहे सरकारी हो या निजी, पर सरकारी शिक्षा में पैसा करदाता के माध्यम से आएगा, सो, लूट के चांस नहीं होंगे.

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ये जीना भी कोई जीना है लल्लू…

कोविड की वजह 10 साल का सौरभ ऑनलाइन पढाई करना तो सीख लिया है, पर अब स्कूल खुलने के बाद वह स्कूल से आकर थका हुआ महसूस करता है, मोबाइल पर गेम्स खेलने लगता है, माँ की बात सुनता ही नहीं, उसे अब किताब कॉपी लेकर पढना या लिखना मंजूर नहीं. वह कम्प्यूटर या मोबाइल पर ही पढाई करना चाहता है. उसकी माँ किंजल इसे लेकर परेशान है, कहाँ जाए और क्या करें, ताकि बच्चे की ये आदत छूट जाय. स्कूल से भी टीचर की शिकायत आ रही है, क्योंकि वह पढ़ाई में मन नहीं लगाता.

ये सही है कि कोविड ने बच्चों से लेकर वयस्कों को मानसिक और शारीरिक रूप से इतना नुकसान पहुँचाया है, जिसकी क्षतिपूर्ति करने में शायद सालों लग जायेंगे, क्योंकि कई महीनों की पूरी लॉकडाउन और किसी का घर से बाहर न निकलने का संकल्प, बच्चों और बुजुर्गों के जीवनशैली पर अब खास असर होता दिखाई पड रहा है. अभी स्कूल और कॉलेज खुल चुके है, ऐसे में बच्चों का फिर से बाहर निकल कर स्कूल जाना, पढाई करना, दोस्तों के साथ दोस्ती करना आदि के लिए फिर से उन्हें प्रयास करना पड़ेगा. बहर जाकर खेलना- कूदना तो उन्हें अब जरा भी पसंद नहीं, क्योंकि करीब दो साल बच्चों की पढाई ऑनलाइन हुई है, आब उससे निकलना उन्हें मंजूर नहीं.

इस बारें में स्टोन सफायर इंडिया की चाइल्ड एक्सपर्ट नीना सिंह कहती है कि बच्‍चे जब पज़ल्‍स, पीकाबू, घर-घर खेलने जैसी गतिविधियों में शामिल होते है, तब वे कुछ नया सोचते है,क्योंकि ये खेल एक दूसरे के साथ बातचीत से होता है. साथ ही उनका सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है. खेल-कूद बच्‍चे के विकास के लिए बहुत आवश्‍यक है, क्‍योंकि इससे वे शारीरिक रूप से मजबूत होते है और उन्‍हें कई भावनात्‍मक चीजों से निकलने का तरीका मिलता है. इसके अलावा उन्‍हें आगे चलकर दुनिया को सामना करने की सीख मिलती है. खेल-कूद से बच्‍चे को नई चीजों को सिखने में मदद मिलती है, जिससे वे मायूस नहीं होते और खुश रहते है.

प्रभाव विडियो गेम्स का

आज बच्चों के लिए वीडियो गेम्‍स का आकर्षण साउंड वैल्‍यू पर आधारित है. ये गेम्‍स मजेदार होने के साथ-साथ बहुत तेज एक्शन वाले होते है. इन गेम्‍स में दिए गए चैलेंज बच्‍चों को आकर्षित करते है, ऐसे में जब उन्हें छोटी स्‍क्रीन के सामने, कम्‍प्‍यूटर या फिर मोबाइल पर कई घंटे बिताते है, तो वे ट्रेडिशनल खिलौनों से धीरे-धीरे दूर होकर खेलना बंद कर देते है, जिससे उन्‍हें कुछ नई प्रतिभा सीखने का समय नहीं मिल पाता. लगातार कम्‍प्‍यूटर गेम्‍स  खेलने से इंस्‍टैंट एंटरटेनमेंट पाने की इच्‍छा विकसित हो जाती है. उन्‍हें लगता है कि कम्‍प्‍यूटर गेम्‍स ही मनोरंजन का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है. इससे किसी दूसरी चीज को ज्‍यादा ध्‍यान से देखने की उनकी क्षमता घटती है और उनके सुनने की शक्ति पर भी असर पड़ता है. जरूरत से ज्‍यादा गेम्‍स खेलने का असर पढ़ाई पर भी पड़ता है, बच्‍चों में तनाव, एंग्‍जाइटी और सोशल फोबिया जैसी स्थितियां देखने को मिलती है. इसके अलावा ऑनलाइन गेम्‍स पर अधिक समय बिताने से बच्‍चे के स्वास्थ्य विकास पर भी असर पड़ता है, ऐसे में माता-पिता का लक्ष्‍य यह होना चाहिए कि उनका बच्‍चा इन सब आदतों से छोड़कर मानसिक और शारीरिक विकास वाली खेल पर ध्यान दें.

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विकसित होती है क्रिएटिविटी

कई बार पढाई को आसान बनाने के लिए शिक्षक संबंधित खिलौनों का इस्‍तेमाल करते है, जिससे बच्चे समझने के साथ उनकी छुपी हुई प्रतिभा को भी आगे लाने का मौका मिलता है, मसलन समस्‍या को हल करने वाले गेम्‍स, क्रिएटिविटी को बढ़ाने वाले गेम्स आदि से बच्चे कई प्रकार चीजे सीखते है. शुरू में शिशु खिलौनों के रंग और आवाज को सुनकर खेलता है. इसके बाद लाइट्स और कलर्स उन्हें समझ में आती है.

भूमिका किताबों की

किताबों से बच्‍चे में नाम को पहचानने और उन्हें पढ़ने  की रूचि विकसित  होती है. इस तरह बच्‍चे को एक पिक्‍टोरियल वर्जन मिलता है, जिससे उन्हें उस अक्षर को याद रखना आसान होता है. इसलिए ये जरुरी होता है कि बच्‍चों को  छोटी उम्र में ऐसी किताबें पढाई जाय, जिनमें हर पन्‍ने पर तस्‍वीरें और कुछ शब्‍द हों. इससे वे जानेंगे कि जिन शब्‍दों को वह सुन रहे है, वे पन्‍नों पर कैसे दिखते है. इसमें पढाई के किताब के अलावा कॉमिक बुक्स, फिक्शन वाली कहानियाँ अधिक आकर्षित करती है. जटिल बिल्डिंग सेट और ब्‍लॉक्‍स से उनकी रचनात्‍मकता और समस्‍या को हल करने के कौशल को सहयोग मिलेगा, साथ ही वे बॉक्‍स पर दी गई तस्‍वीर के अनुसार वही स्‍ट्रक्‍चर बनाने की कोशिश करेंगे या फिर कुछ दूसरी आकृति बनाने की कोशिश करेंगे.

खेलना है जरुरी

खेलने से बच्‍चे मजबूत, तंदुरुस्‍त और आत्‍मनिर्भर बनते है. यही नहीं, वे भावनात्‍मक रूप से भी विकसित होते है, इससे उनमें बचपन में होने वाला तनाव कम होता है. हालांकि, यदि बच्‍चे खेलेंगे नहीं, तो उनमें अवांछनीय और लम्बे प्रभाव नजर आ सकते है. एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जब बच्‍चों को खेलने का मौका नहीं मिलता, तब उनके व्‍यवहार और ध्‍यान संबंधी समस्‍याओं के अधिक होने का खतरा होता है.  यदि बच्‍चों को केवल तकनीकी गेम्‍स ही खिला रहे है और उनके साथ किसी प्रकार के दूसरे गेम नहीं खेल रहे है, तो बच्‍चों को उनकी कल्‍पना, रचनात्‍मकता को पंख देने का मौका गंवा सकते है. जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए उनमें स्किल्स को विकसित करना मुश्किल होता है.

टेक्‍नोलॉजिकल खिलौने है नुकसानदायक

टेक्‍नोलॉजिकल ट्वॉएज़ बच्‍चे के मनोरंजन के लिए असाधारण विकल्‍प होते है और सभी बच्चे इसे पसंद करते है, इन खिलौनों में काफी रोशनी और तरह-तरह के मूवमेंट या आवाज होते है. इन्‍हें अधिक समय के लिए इस्‍तेमाल करने पर बच्चे को कई प्रकार के नुकसान हो सकता है, जो निम्न है,

अस्‍वस्‍थ जीवनशैली

बच्‍चे अपने रोबोट या वी-टेक टैबलेट से खेल रहे होते है, तो कई बार वे उससे घंटों खेलते रहते है,  इतनी देर तक बैठे रहने से बच्‍चों में मोटापा बढ़ सकता है और वह डायबिटीज के भी शिकार हो सकते है. बच्‍चे लगातार लंबे समय तक टैबलेट या टीवी  देखने पर उनकी आंखों को भी नुकसान हो सकता है. इसलिए, पेरेंट्स अपने बच्‍चों के टीवी देखने या मोबाइल या कम्‍प्‍यूटर पर गेम खेलने के समय को सीमित करे, ताकि बच्‍चे एक समन्वित स्‍वस्‍थ लाइफस्‍टाइल जी सकें.

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एकाकीपन   

वीडियो गेम्‍स जैसे कुछ ऑनलाइन गेम्‍स और ऐप्‍स के कारण आपके बच्‍चे के दूसरों के साथ बातचीत करना बिल्‍कुल बंद हो जाता है. लंबे समय तक वीडियो गेम खेलने से बच्चा दूसरों से दूर हो सकता है, इस तरह उसके बातचीत करने के तरीके पर असर पड़ता है। यदि पेरेंट्स यह नोटिस करते है कि उनका बच्‍चा वीडियो गेम खेलते समय खुद को अपने कमरे में ही सीमित कर रहा है तो उन्‍हें समझाकर फैमिली रूम में लायें, ताकि बच्‍चों के साथ रिश्‍ते को मजबूत  बनाना संभव हो, उन्‍हें बच्‍चे को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग होकर एक बंद कमरे में खेलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

सामाजिकता का अभाव

बच्चों के साथ पेरेंट्स को क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए, ताकि उन्हें परिवार के लोगों से  बातचीत करना, बड़ों से बर्ताव करना सीख लें, वीडियों गेम्स खेलने पर बच्चे इतना व्यस्त हो जाते है कि बच्‍चों के साथ बातचीत शुरू करना लगभग मुश्किल ही होता है, इसलिए अपने परिवार और दोस्‍तों के साथ सामाजिक होना और उनसे बात करना बच्‍चों के लिए काफी कठिन हो जाता है.

ह्यलुरोनिक एसिड सीरम फोर फेस 

हर महिला चाहती है कि उसकी स्किन का टेक्सचर सोफ्ट , स्मूद होने के साथ हमेशा जवां नजर आए. इसके लिए कभी घरेलू टिप्स अपनाती हैं , तो कभी पार्लर का रुख करती हैं . मन में यही चाहा होती है कि उनकी स्किन बस हर दम चमकती दमकती रहे. लेकिन सिर्फ कभी कभार स्किन की देखभाल करने से स्किन की हैल्थ ठीक नहीं होती है, बल्कि उसके लिए रेगुलर स्किन को पैंपर करने की जरूरत होती है. ऐसे में लेटेस्ट स्किन केयर प्रोडक्ट में आजकल ह्यलुरोनिक एसिड सीरम काफी डिमांड में है, जो न सिर्फ स्किन को स्मूद बनाने में सक्षम है, बल्कि इसके रेगुलर इस्तेमाल करने से मात्र कुछ ही हफ्तों में स्किन अंदर से खिल भी उठती है. तो आइए जानते हैं इसके बारे में.

क्या है ह्यलुरोनिक एसिड

ह्यलुरोनिक एसिड एक हुमेक्टैंट के रूप में प्रयोग किया जाता है. जो एक ऐसा पदार्थ है , जो स्किन में पानी को होल्ड करने का काम करता है और  स्किन की आउटर लेयर को हाइड्रेट करके स्किन की रंगत को इंप्रूव करता है. जिससे स्किन ज्यादा ग्लोइंग व यूथफुल लगने लगती है. बता दें कि ह्यलुरोनिक एसिड त्वचा को संरचना देने वाला मुख्य घटक होता है. जो स्किन को प्लंप व हाइड्रेट करता है. ह्यलुरोनिक एसिड के मोलिकुलिस में ये प्रोपर्टी होती है कि वे पानी को अपने से 1000 गुना ज्यादा सोखने की क्षमता रखते हैं, जिसके कारण ये स्किन को हाइड्रेट रखते हैं.

क्या हैं इसके फायदे 

एंटी एजिंग 

आपको जानकर हैरानी होगी कि शरीर के कुल ह्यलुरोनिक एसिड का लगभग 50 पर्सेंट स्किन में मौजूद होता है. लेकिन ज्यादा यूवी किरणों के संपर्क में आने की वजह से इस मात्रा में कमी आती है, जो झुर्रियों का कारण बनती है. अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जिन भी महिलाओं ने लगातार कुछ महीनों तक ह्यलुरोनिक एसिड युक्त सीरम का इस्तेमाल किया है, उनमें झुर्रियों की समस्या बहुत कम दिखने के साथसाथ उनकी स्किन की इलास्टिसिटी भी काफी इम्प्रूव हुई है. क्योंकि इसकी हाइड्रेशन प्रोपर्टीज स्किन को ज्यादा प्लंप करने का काम करती है. और ऐसी स्किन पर झुर्रियां व फाइन की समस्या बहुत कम होती है.

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अनक्लोग पोर्स 

जब स्किन की प्रोपर केयर नहीं होती है, तो स्किन पर जमी डेड स्किन सेल्स स्किन में जम कर पोर्स को क्लोग करने का काम करते हैं , जो एक्ने, ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स का कारण बनते हैं. लेकिन ह्यलुरोनिक एसिड में ऐसे गुण हैं , जो पोर्स को क्लोग होने से रोकने के साथ स्किन को ज्यादा क्लीन व स्मूद बनाए रखते हैं. साथ ही पोर्स के ओपन रहने से स्किन में ओक्सीजन का फ्लो आसानी से हो जाता है, जो स्किन की रौनक को बढ़ाने में भी मददगार है.

आयल को कंट्रोल करे 

जब हमारी स्किन में मोइस्चर की कमी होती है, तो वो स्किन में आयल के अत्यधिक उत्पादन का कारण बनता है. लेकिन ह्यलुरोनिक एसिड युक्त सीरम का इस्तेमाल करके आप अपनी स्किन में मोइस्चर को बढ़ाकर सीबम के उत्पादन को नियंत्रण में रख सकते हैं. ये स्किन में एक्सेस आयल, पसीना और सीबम को कम करता है, जो आपकी स्किन को ब्रेकआउटस से भी बचाने का काम करता है.

यूथफुल स्किन 

ड्राई स्किन जहां रूखी व बेजान लगती है, वहीं ऐसी स्किन ज्यादा प्रोब्लम्स की गिरफ्त में भी आती है. ऐसे में स्किन को नौरिश करने व न्यू हैल्दी स्किन सेल्स के निर्माण करने वाले इंग्रीडिएंट्स से युक्त ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना जरूरी होता है, ताकि स्किन एक्सफोलिएट होकर यंग लुक में नजर आने लगे. ऐसे में ह्यलुरोनिक एसिड सीरम को अपने स्किनकेयर रूटीन में शामिल करने से स्किन पर काफी अमेजिंग रिजल्ट देखने को मिलते हैं. क्योंकि ये स्किन को हाइड्रेट करने के साथ स्किन की हैल्थ को अंदर से इम्प्रूव करती है, जिससे धीरेधीरे स्किन डलनेस से यंग लुक में नजर आने लगती है.

डार्क स्पोट्स को कम करे 

हाइपर पिगमेंटेशन की वजह से स्किन पर डार्क स्पोट्स की समस्या देखने को मिलती है. जबकि ह्यलुरोनिक एसिड यूवी किरणों के कारण होने वाली हाइपरपिगमेंटेशन से स्किन को बचाने का काम करता है. साथ ही ये स्किन पर प्रोटेक्टिव लेयर का काम करके उसे धूलमिट्टी , पोलूशन से भी बचाकर स्किन को डार्कस्पोट्स से दूर रखता है.

बेस्ट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम 

– लोरियल पेरिस का 1.5 पर्सेंट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम सभी स्किन टाइप पर सूट करने के साथ आपकी स्किन को तुरंत फ्रेश व ग्लोइंग बनाने का काम करता है. इसका लाइटवेट फॉर्मूला स्किन में मोइस्चर को बनाए रखकर आपकी स्किन पर रेडियंट ग्लो लाने का काम करता है. साथ ही चेहरे की झुर्रियां भी धीरेधीरे कम होने लगती है. इजी टू यूज़ के साथ इजी टू अवेलेबल भी है.

– डर्मडॉक 2 पर्सेंट प्योर ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, नार्मल से ड्राई स्किन सभी के लिए परफेक्ट है. ये स्किन में तुरंत अब्सोर्ब होकर स्किन को हाइड्रेट रखता है. साथ ही ये फ्रैग्रैंस व सिलिकोन फ्री भी है. यानि बेटर रिजल्ट के साथ सेफ फोर स्किन.

– प्लम 2 पर्सेंट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, जिसका अल्ट्रा हाइड्रेटेड फेस सीरम , जो स्किन को इंस्टेंट हाइड्रेट करके स्किन को प्लंप व बाउंसी बनाने का काम करता है. ये ड्राई व इन्फ्लेमेड स्किन से भी राहत पहुंचाता है. ये सीरम काफी पौकेट फ्रैंडली भी है.

– एअर्थ rhythm का मल्टी मोलिक्युलर ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, स्किन को नौरिश करने के साथ डैमेज स्किन को रिपेयर करने का भी काम करता है. ये सीरम स्किन लेयर्स में आसानी से जाकर स्किन को डीपली हाइड्रेट करके सोफ्ट फील देने का काम करता है . ये सीरम आपको अंडर 1000 में मिल जाएगा.

– न्यूट्रोजेना का हाइड्रो बूस्ट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, जिसमें हैं 17 पर्सेंट हाइड्रेशन काम्प्लेक्स. ये ड्राई स्किन पर बहुत ही अमेजिंग रिजल्ट देता है. साथ ही आयल व फ्रेग्रेन्स फ्री होने के कारण स्किन पर किसी भी तरह की एलर्जी का डर नहीं रहता.

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कैसे अप्लाई करें 

किसी भी ब्यूटी प्रोडक्ट का रिजल्ट तभी बेस्ट आता है जब आपकी स्किन क्लीन हो. इसलिए जरूरी है कि आप फेस सीरम को अप्लाई करने से पहले चेहरे को अच्छे से क्लीन कर लें. उसके बाद सीरम की 3 – 4 ड्रोप्स को चेहरे पर अप्लाई करें और फिर उंगलियों की मदद से पूरे फेस पर इसकी मसाज करें. इसके बाद मॉइस्चराइजर जरूर अप्लाई करें, ताकि मोइस्चर स्किन में आसानी से लौक हो सके. आप रोजाना इसे सुबह व शाम दो बार अप्लाई करके हैल्दी व हाइड्रेट स्किन पा सकती हैं.

कैसे बनें अच्छे अभिभावक

अगर कोई बच्चा कोई शरारत करे, तो मांबाप क्या करेंगे? उसे 1-2 चपत लगा देंगे, डांट देंगे या अधिक से अधिक एक समय का खाना बंद कर देंगे.

मगर जापान के टोक्यो शहर में एक मांबाप ने अपने 7 साल के बच्चे को सजा के तौर पर घने जंगल में छोड़ दिया, जहां जंगली जानवरों का बोलबाला था. मांबाप को अपनी गलती का भान तब हुआ जब 5 मिनट बाद वे वापस बच्चे को लेने पहुंचे. मगर वह कहीं नहीं मिला. 1 हफ्ते तक घने जंगल में बच्चे की तलाश की गई. पूरी दुनिया में यह खबर आग की तरह फैल गई और पेरैंट्स को खूब कोसा जाने लगा.

3 जून, 2016 को यामातो तानूका नामक यह बच्चा एक मिलिटरी कैंप में मिला. वहां उस ने एक झोंपड़ी में शरण ली थी. पानी पी कर और जमीन पर सो कर उस ने खुद को जिंदा रखा था.

एक इंटरव्यू में उस बच्चे के पिता ने रुंधे गले से कहा कि उस ने यामातो से माफी मांगी.

दरअसल, कुछ पेरैंट्स बच्चे को परफैक्ट बनाने के चक्कर में कभीकभी इतनी अधिक सख्ती कर बैठते हैं कि बाद में उन्हें पछताना पड़ता है.

2011 में एमी चुआ नाम की येल प्रोफैसर ने अपनी किताब ‘बैटल हाइम औफ द टाइगर मदर’ में टाइगर मौम की अवधारणा का जिक्र किया. टाइगर मौम पेरैंट्स से तात्पर्य ऐसे स्ट्रिक्ट और डिमांडिंग पेरैंट्स से है, जो अपने बच्चों पर हर क्षेत्र में बेहतर परफौर्मैंस देने का दबाव डालते हैं. पढ़ाई के साथसाथ दूसरे अवार्ड विनिंग क्षेत्रों में भी अव्वल रखने का प्रयास करते हैं ताकि आज के प्रतियोगी युग में बच्चे अपना स्थान सुरक्षित कर सकें.

जब टाइगर पेरैंट्स के बच्चे अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, तो वे बच्चों को भावनात्मक धमकियों के साथसाथ हलके शारीरिक दंड भी देते हैं. ऐसे पेरैंट्स बच्चों को कभी अपने फैसले स्वयं लेने की अनुमति नहीं देते.

एमी चुआ ऐसी ही स्ट्रिक्ट टाइगर मौम थी. वह स्वीकार करती है कि अपनी दोनों बेटियों लुलु और सोफिया को सब के सामने कूड़ा कहने में भी उसे कोई गुरेज नहीं था. उस का मानना है कि बच्चों की सफल परवरिश उन के मांबाप की कुशलता को दर्शाती है और बच्चों की कामयाबी मांबाप के कद को ऊंचा करती है.

य-पि आज उस की दोनों बेटियां अपने कैरियर के लिहाज से अच्छी जगह पर हैं. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतने से बच्चों को स्कूल में ऐडजस्ट करने में दिक्कत आती है. उन का आत्मविश्वास कम होता है और उन के अवसादग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है.

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चाइना के हैंगझोऊ नामक स्थान पर किए गए एक यूथ सर्वे, जिस में 589 हाई और मिडिल स्कूल के बच्चों को शामिल किया गया, में पाया गया कि टाइगर मौम टाइप पेरैंटिंग लाभदायक नहीं. जरूरत से ज्यादा नियंत्रण बच्चों में हताशा पैदा कर सकता है.

सरोज सुपर स्पैश्यलिटी अस्पताल दिल्ली के डा. संदीप गोविल कहते हैं कि जब मांबाप तानाशाह की तरह बच्चों पर अपनी पसंद और अनुशासन थोपते हैं और उन्हें बोलने का मौका नहीं देते हैं, तो वे यह नहीं समझ पाते कि ऐसा कर वे अपने बच्चों का आत्मविश्वास खत्म कर रहे हैं. आप अपने बच्चों को अनुशासन में रखें, लेकिन जहां प्यार और आप के साथ की जरूरत हो, उन्हें यह उपलब्ध कराएं. चाहे प्यार हो या अनुशासन, एक सीमा निर्धारित करना बहुत जरूरी है. जब आप कोई भी चीज सीमा से अधिक करेंगे, तो उस का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. अगर बच्चे को बिहेवियर प्रौब्लम है, तो आप को इस ओर ध्यान देना होगा कि आप का अपने बच्चे से रिश्ता कैसा है.

अच्छी परवरिश वह है, जिस में सहानुभूति, ईमानदारी, आत्मविश्वास, आत्मनियंत्रण, दयालुता, सहयोग, मानवता आदि गुण विकसित हों. ऐसी परवरिश बच्चे को ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन, ईटिंग डिसऔर्डर, असामाजिक व्यवहार और नशे आदि का शिकार होने से बचाती है.

अच्छा अभिभावक बनने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

अत्यधिक अनुशासित पालनपोषण के नुकसान

डा. संदीप गोविल बताते हैं कि जो मातापिता अपने बच्चों को अत्यधिक अनुशासन में पालते हैं, वे हर चीज के लिए कड़े नियम बना देते हैं. पढ़ाई और सुरक्षा के नियम होने ठीक हैं, लेकिन अगर आप अपने बच्चे के जीवन के हर पहलू के लिए कड़े नियम बना देंगे तो निम्न समस्याएं खड़ी हो जाएंगी:

विद्रोह: जो बच्चे अत्यधिक कड़े नियमों में पलते हैं, उन्हें अपनी स्वतंत्रता नहीं मिलती, जो उन के लिए जिम्मेदार इनसान बनने के लिए जरूरी है. वे खुद कभी यह नहीं सीख पाते कि सही क्या है और गलत क्या है. उन में आंतरिक स्वअनुशासन विकसित नहीं हो पाता, क्योंकि उन्हें केवल नियमों का पालन करना सिखाया जाता है, खुद को नियंत्रित करना नहीं. ऐसे में कई बार बच्चों में विद्रोह करने की प्रवृत्ति पनपने लगती है.

संवाद की समस्या: स्ट्रिक्ट पेरैंट्स और बच्चों में संवाद की कमी होती है. जब बच्चों को इस बात का डर होता है कि यदि वे अपनी भावनाएं, विचार या कार्य अपने मातापिता से साझा करेंगे तो उन्हें डांट या मार पड़ेगी, तो ऐसे में वे उन से बातें छिपा लेते हैं. जब बच्चों के समक्ष कोई ऐसी समस्या आती है, जिस का समाधान वे स्वयं नहीं ढूंढ़ पाते तब भी वे अपने मातापिता से उस समस्या को साझा नहीं करते हैं.

निर्णय लेने की क्षमता: जो मातापिता अपने बच्चों को कड़े अनुशासन में रखते हैं, स्वयं निर्णय नहीं लेने देते वे बच्चे बड़े हो कर भी अपने निर्णय स्वयं नहीं ले पाते और अगर ले लेते हैं, तो उन पर डटे नहीं रहते. उन में हमेशा अपने से शक्तिशाली का अनुसरण करने की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है.

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उदाहरण प्रस्तुत करें: याद रखें, बच्चे अपने मातापिता को देख कर ही सीखते हैं. आप के कार्यों की गूंज आप के शब्दों से तेज होती है. पहले खुद अच्छे व्यवहार के द्वारा सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करें. फिर बच्चों से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करें.

अत्यधिक प्यार न दें: अत्यधिक प्यार दे कर बच्चों को बिगाड़ें नहीं, बच्चों की हर बात न मानें, क्योंकि उन की समझ विकसित नहीं हुई होती है.

हमेशा साथ होने का एहसास कराएं: बच्चों की हर जरूरत के समय उन के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से उपलब्ध रहें. लेकिन उन्हें थोड़ा स्पेस भी दें. हमेशा उन के साथ साए की तरह न रहें.

परवरिश में बदलाव लाते रहें: बच्चे जैसेजैसे बड़े होते हैं, उन के व्यवहार में बदलाव आता है. आप 3 और 13 साल के बच्चे के साथ एकसमान व्यवहार नहीं कर सकते. जैसेजैसे बच्चों के व्यवहार में बदलाव हो, उस के अनुरूप उन के साथ अपने संबंधों में बदलाव लाएं.

नियम बनाएं: प्यार के साथ अनुशासन की भी जरूरत होती है. कड़े नियम न बनाएं. लेकिन बचपन से ही उन में जिम्मेदारी की भावना विकसित करें. उन्हें आत्मनियंत्रण के गुर सिखाएं.

बच्चों को स्वतंत्रता दें: हमेशा अपनी पसंदनापसंद बच्चों पर न थोपें. उन्हें थोड़ा स्पेस दें ताकि उन का अपना व्यक्तित्व विकसित हो सके.

बच्चों से अच्छा व्यवहार करें: बच्चों से विनम्रता से बात करें. उन के विचारों को  ध्यान से सुनें. उन से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें. ध्यान रखें, आप के बच्चों के साथ आप का व्यवहार दूसरों के साथ उन के व्यवहार की आधारशिला है.

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बच्चों से ये बातें कभी न कहें

कभीकभी मातापिता बच्चों को ऐसी बातें कह देते हैं, जो उन के मन में घर कर जाती हैं, इसलिए ये बातें कहने से बचें:

– मैं जब तुम्हारी उम्र की थी तो अधिक जिम्मेदार थी.

– तुम तो हमेशा गलत फैसले लेते/लेती हो.

– तुम अपने भाई/बहन की तरह क्यों नहीं बनते?

– तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए.

– तुम्हारे जैसी औलाद होने से तो अच्छा होता मैं बेऔलाद होती.

– अपने गंदे दोस्तों का साथ छोड़ो.

गरमियों में बारबार पीलिया हो जाता है, इसका कारण बताएं?

सवाल-

मेरे पति की उम्र 45 साल के करीब हैं. उन्हें गरमी के मौसम में बारबार पीलिया हो जाता है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इसे रोकने का कोई उपाय है?

जवाब-

आप के पति को बारबार पीलिया होना इस बात का संकेत हो सकता है कि उन का लिवर ठीक काम नहीं कर रहा अथवा उन के हैपेटोबिलिअरी सिस्टम में संक्रमण है. बारबार पीलिया होना लिवर में किसी रोग का लक्षण है. इस का कारण जानने के लिए किसी गैस्ट्रोऐंटरोलौजिस्ट से जांच करवाएं. गरमी के मौसम और मौनसून में दूषित जल व गंदे भोजन के कारण यह बीमारी होना आम बात है. अत: केवल उबला पानी पीएं और मसालेदार, तैलीय भोजन का सेवन न करें.

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दाल जैसे, राजमा, उरद, मूंग आदि में खूब सारा प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और आयरन आदि जैसे ढेर सारे पोषक तत्‍व मिले होते हैं. अगर आप वेजिटेरियन हैं तो दालों को अपने खाने में हर रोज शामिल कीजिये. आइये देखते हैं कि कौन सी दाल में कौन से गुण छुपे हुए हैं.

1. प्रोटीन का भंडार राजमा

राजमा (किडनी बीन्स) में बहुत सारा प्रोटीन होता है. यही नहीं इसमें आयरन, फौसफोरस, मैगनीशियम और विटामिन बी9 पाया जाता है. साथ ही यह सोडियम और पोटैशियम में सबसे लो आहार हैं. राजमा में सोया प्रोडक्‍ट के मुकाबले अधिक प्रोटीन होता है.

2. मसूर दाल

मसूर दाल की प्रकृति गर्म, शुष्क, रक्तवर्द्धक एवं रक्त में गाढ़ापन लाने वाली होती है. इस दाल को खाने से बहुत शक्‍ति मिलती है. दस्त, बहुमूत्र, प्रदर, कब्ज व अनियमित पाचन क्रिया में मसूर की दाल का सेवन लाभकारी होता है. सौदर्य के हिसाब से भी यह दाल बहुत उपयोगी है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- इन 5 दालों में छिपा है आप की सेहत का राज

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Hunarbaaz के सेट पर Bharti Singh ने किया बच्चे के नाम का खुलासा!

टीवी की पौपुलर कौमेडियन में से एक भारती सिंह (Bharti Singh) इन दिनों अपनी प्रैग्नेंसी के चलते सुर्खियों में हैं. वहीं जल्द ही अप्रैल में वह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया (Haarsh Limbachiyaa) पेरेंट्स बनने की तैयारी करने में जुटे हैं, जिसके चलते दोनों ने अपने बच्चे का नाम भी चुन लिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

जज से मांगा बच्चे के नाम का सुझाव

 

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इन दिनों कलर्स के रियलिटी शो  ‘हुनरबाज’ (Hunarbaaz) को होस्ट कर रहीं भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया हाल ही में सेट पर अपने होने वाले बच्चे का नाम का सुझाव मांगती नजर आईं थीं, जिसके जवाब में शो के जज करण जौहर ने एक सुझाव दिया, जिस पर एक्ट्रेस भारती का मजेदार रिएक्शन देखने को मिला.

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भारती सिंह ने बताया बच्चों का नाम

 

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दरअसल, भारती सिंह के सुझाव मांगने पर करण जौहर कहते नजर आते हैं कि उनके और परिणीति चोपड़ा के पास बच्चों के नाम हैं. वहीं करण जौहर और परिणीति चोपड़ा कहते हैं कि अगर बेटा हुआ तो नाम हुनर होगा और अगर बेटी होगी तो नाम बाज होगा. इस पर भारती सिंह अपने अंदाज में कहती हैं कि वह अपने बच्चों के नाम यश और रूही रख चुकी हैं और वह उनके बच्चे के नाम के लिए ऐसे सुझाव दे रहे हैं. हालांकि करण जौहर कहते हैं कि हुनर प्यारा नाम है, जिस पर भारती के पति हर्ष लिंबाचिया सहमति दिखाते हुए नजर आते हैं.

प्रैग्नेंसी में भी कर रही हैं काम

 

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हंसी मजाक के अलावा बात करें तो भारती सिंह प्रैग्नेंसी के नौंवे महीने में भी हुनरबाज के सेट पर पति संग काम करती हुई नजर आ रही हैं. हालांकि फैंस उनके इस काम की तारीफ करते हुए नजर आ रहे हैं.

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औनस्क्रीन ननद के बर्थडे में रियल लाइफ पति के साथ पहुंची अनुपमा

सीरियल अनुपमा में बीते दिनों मालविका के किरदार को खत्म करने का फैसला लिया गया, जिसके चलते इन दिनों अनेरी वजानी  (Aneri Vajani) सीरियल के सेट से दूर नजर आ रही हैं. इसी बीच एक्ट्रेस ने अपनी अनुपमा फैमिली के साथ मिलकर बर्थडे सेलिब्रेट किया. वहीं बर्थडे सेलिब्रेशन में अनुपमा यानी रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) अपने रियल लाइफ पति और अनुज यानी गौरव खन्ना के साथ नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं बर्थडे सेलिब्रेशन की झलक (Aneri Vajani birthday)…

ननद के बर्थडे में पहुंची

हाल ही में 26 मार्च को मालविका यानी एक्ट्रेस अनेरी वजानी ने अपना जन्मदिन सेलीब्रेट किया, जिसमें उनकी ऑनस्क्रीन होने वाली भाभी अनुपमा यानी रुपाली गांगुली अपने औनस्क्रीन पति और औफस्क्रीन होने वाली पति यानी गौरव खन्ना के साथ पहुंची जमकर फोटोज क्लिक करवाई.

फोटोज क्लिक करवाती दिखीं एक्ट्रेस

अनुपमा यानी रुपाली गांगुली ने सोशल मीडिया पर अनेरी वजानी के बर्थडे की कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह औनस्क्रीन ननद अनेरी वजानी संग जमकर मस्ती करती नजर आ रही हैं. वहीं इस मस्ती में सीरियल अनुपमा के और सितारे भी नजर आ रहे हैं. फैंस जमकर एक्ट्रेस की इन फोटोज पर कमेंट करते नजर आ रहे हैं.

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मौर्डर्न अंदाज में दिखीं बा

 

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फोटोज की बात करें तो अनेरी वाजनी के बर्थडे बैश में रुपाली गांगुली स्टारर सीरियल अनुपमा की टीम के अलावा एक्ट्रेस के रियल लाइफ हस्बैंड भी नजर आए. वहीं इस दौरान सीरियल में बा के रोल में नजर आने वाली अल्पना बलुच मौर्डर्न अंदाज में पोज देती दिखीं.

सीरियल में आएगा ट्विस्ट

 

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सीरियल अनुपमा में इन दिनों अनुज से शादी के फैसले पर पूरा शाह परिवार अनुपमा के खिलाफ खड़ा हो गया है. हालांकि किंजल, समर और बापूजी, अनुपमा के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. वहीं अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा अपनी खुशी का ऐलान करती हुई नजर आएगी और अपने फैसले पर अड़ी रहेगी, जिसके चलते उसे बा, वनराज और अपने बच्चों से बेइज्जती का सामना करना पड़ेगा.

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महिलाओं का शोषण

बेटे पैदा करने का दबाव औरतों पर कितना ज्यादा होता है इस का नमूना दिल्ली के एक गांव में मिला जिस में एक मां ने अपनी 2 माह की बेटी की गला घोंट कर हत्या कर दी और फिर उसे कुछ नहीं सुझा तो एक खराब ओवन में छिपा कर बच्ची के चोरी होने का ड्रामा करने लगी. इस औरत के पहले ही एक बेटा था और आमतौर पर औरतें एक बेटे के बाद और बेटी से खुश ही होती हैं.

हमारा समाज चाहे कुछ पढ़लिख गया हो पर धार्मिक कहानियों का दबाव आज भी इतना ज्यादा है कि हर पैदा हुई लडक़ी एक बोझ ही लगती है. हमारे यहां पौराणिक कहानियों में बेटियों को इतना अधिक कोसा जाता है कि हर गर्भवती बेटे की कल्पना करने लगती है. रामसीता की कहानी में राम तो सजा बने पर सीमा के साथ हमेशा भेदभाव होता रहा. महाभारत काल की कहानी में कुंती हो या द्रौपदी या हिडिवा सब को वे काम करने पड़े थे जो बहुत सुखदायी नहीं थे.

ये कहानियां अब हमारी शिक्षा का अंग बनने लगी हैं. औरतों को त्याग की देवी का रूप कहकह कर उन का जम कर शोषण किया जाता है और वे जीवन भर रोती कलपति रहती हैं. कांग्रेसी शासन में बने कानूनों में औरतों को हक मिले पर उन का भी खमियाजा औरतों को भुगतना पड़ता है क्योंकि हर हक भोगने के लिए पुलिस और अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है और भाई या पिता को उस के साथ जाना पड़ता है तो वे उस दिन को कोसते हैं जब बेटी पैदा हुई थी. हर औरत के अवचेतन मन में इन पौराणिक कहानियों और औरतों के व्रतों, त्यौहारों से यही सोच बैठी है कि वे कमतर हैं और उन्हें ही अपने सुखों का बलिदान करना है.

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रोचक बात है कि लगभग सारे सभ्य समाज में, जहां धर्म का बोलवाला है, औरतें एक न एक अत्याचार की शिकार रहती हैं. पश्चिमी अमीर देशों में भी औरतों की स्थिति पुरुषों के मुकाबले कमजोर है और बराबर की योग्यता के बावजूद वे खास बिलिंग की शिकार रहती हैं और एक स्वर के बाद उन की पदोन्नति रूक जाती है. जब पूरे विश्व में पुरुषों का बोलबाला हो तो क्या आश्चर्य कि दिल्ली के चिराग दिल्ली गांव की नई मां को बेटे के जन्म पर अपना दोष दिखना लगा हो और गलती को सुधारने के लिए उसे मार ही डाला हो.

अब इस औरत को सजा देने की जगह मानसिक रोगी अस्पताल में कुछ दिन रखा जाना चाहिए. वह अपराधी है पर उस के अपहरण पर उसे जेल भेजा गया तो उस के पति और बेटे का जीवन दुश्वार हो जाएगा. पति न तो दूसरी शादी कर सकता है, न घर अकेले चला सकता है.

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Summer Special: लंच में परोसें वेजिटेबल बिरयानी

अपने घर में जब भी महिलाएं खाना बनाने के बारे में सोचती हैं तो उस वक्त उन्हें कुछ समझ में नहीं आता कि क्या बनाए और क्या नहीं. इस चक्कर में वह अपने घरवालों से पूछती हैं कि क्या बनाया जाए आज. उनसे भी कोई संतुष्ट जवाब न मिलने पर वे सोच में पड़ जाती हैं. तो यदि आपको कुछ और नहीं सूझ रहा बनाने के लिए तो आइए हम आपको आज बताते हैं कुछ अलग बनाना जिसे आप अपने परिवार के साथ मिलकर खा सकती हैं और रोज के खाने में बदलाव भी कर सकती हैं. आज हम बताते हैं आपको वेजिटेबल बिरयानी बनाना.

सामग्री

1. बासमती चावल – 350 ग्राम

2. कटी हुई गोभी – डेढ़ कप

3. घी या तेल – 4 टेबल स्पून

4. कटे हुए प्याज – 2

5. कटे और उबले हुए अंडे – 2

6. कटे हुए टमाटर – 3

7. धनिया पाउडर – 1 छोटा चम्मच

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8. आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

9. हल्दी – 1 छोटा चम्मच

10. कटे हुए मशरुम – 2

11.1 कटा हुआ बैंगन

12. बींस – 1 कप, 2 हरी मिर्च

13.कटी हुई हरी धनिया

14. आधा कप काजू

15. आधा चमम्च जीरा

16. लहसुन की कली – 2

17. एक छोटी अदरक

विधि:

सबसे पहले कड़ाही में तेल डालकर गर्म करें. फिर उसमें कटे हुए प्याज़ डालकर भूनें जबतक की वो लाल न हो जाए. अब इसमें बारीक कटा हुआ लहसुन, अदरक और बाकी मसाले डालकर इसे अच्छी तरह से भूनें. जब मसाला लाल हो जाए तब इसमें टमाटर, बैंगन डालें और अच्छी तरह से चलाते रहें. थोड़ी देर के बाद इसमें लाल मिर्च पाउडर डालकर तब तक पकाएं जब तक की इसका पानी न सूख जाए. अब एक अलग बड़ा बर्तन लें और इसमें चावल, बींस, गोभी और मशरुम डालकर 15 मिनट तक पकाते रहें. जब यह पक जाए तो इस चावल में पहले तैयार किया गया मसाला मिश्रण लेकर इसमें मिलाएं. इसके साथ ही इसमें काजू भी डाल दें और कुछ देर तक चलाते रहें. अब आपका वेजिटेबल बिरयानी तैयार है. इसे कटे हुए अंडे और कटी हुई हरी धनिया से सजाकर सर्व करें.

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फूड सप्लिमैंट भी है जरूरी

आज की व्यस्त और भागदौड़ भरी जिंदगी ने हमारी लाइफस्टाइल को बहुत प्रभावित किया है. इसलिए आज एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए संतुलित व पौष्टिक आहार सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए बहुत जरूरी हो गया है.

अपने जीवन की बुनियाद स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और अच्छे फैटी ऐसिड होते हैं जो हमारी सेहत को बेहतर बनाते हैं.

कैसा हो आहार

पौष्टिक आहार में कैलोरी, विटामिन और वसा की पर्याप्त मात्रा हमारी शारीरिक गतिविधियों के लिए बहुत जरूरी है. इन तत्त्वों वाला संतुलित आहार शरीर को मजबूत बनाता है तथा रोगों से लड़ने के लिए उस की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. एक स्वस्थ संतुलित आहार में सभी खाद्य समूहों से खाद्यपदार्थ शामिल होते हैं. लेकिन वह भोजन जिस में संतृप्त वसा, ट्रांसफैट और कोलैस्ट्रौल की मात्रा अधिक होती है, वह शरीर के कोलैस्ट्रौल के स्तर में वृद्धि करता है और स्वस्थ आहार की श्रेणी में नहीं आता.

खासतौर पर महिलाओं में अन्य शारीरिक क्रियाओं के साथसाथ दिल और दिमाग को सुचारु रूप से चलाने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड बेहद जरूरी है. शरीर में इस की पूर्ति के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड वाले खाद्यपदार्थों के अलावा डाक्टर की सलाह से न्यूट्रिलाइट सालमन ओमेगा 3 अपने आहार में शामिल कर सकती हैं.

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अमेरिकन डायटेटिक ऐसोसिएशन के मुताबिक, पौष्टिक आहार में शामिल हैं- फलसब्जियां, गेहूं, कम चिकनाई या कम मलाई वाला दूध, अंडे और ड्राईफ्रूट्स. ऐसे आहार में सैचुरेटेड फैट कम होता है.

नोवा हौस्पिटल की डाइट और न्यूट्रिशियन कंसल्टैंट शीला कृष्णा स्वामी का कहना है कि सेहत भरा आहार ही आप की लंबी और स्वस्थ जिंदगी की चाबी है.

ऐसा आहार जिस में पोषक तत्त्व हों, आप के हृदय के लिए अच्छा होता है और आप के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है.

विटामिन और सप्लिमैंट्स

अकसर हम सुबह का नाश्ता, दोपहर और रात का खाना ठीक तरह से न खा कर विटामिन और प्रोटीन की उचित मात्रा से वंचित रह जाते हैं. यों तो सब्जियां, फल और दालें हमारे शरीर के लिए जरूरी तत्त्वों का अच्छा स्रोत हैं. लेकिन इस के अलावा शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का संतुलन बनाए रखने के लिए आप न्यूट्रिलाइट प्रोटीन और डेली को चिकित्सकीय परामर्श से अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं.

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