‘दीया और बाती हम’ की ‘संध्या’ ने इसलिए छोड़ी थी TV इंडस्ट्री

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘दीया और बाती हम’ आज भी दर्शकों के दिलों पर राज करता है. वहीं इस सीरियल की लीड एक्ट्रेस दीपिका सिंह गोयल (Deepika Singh) भी फैंस के बीच काफी पौपुलर हैं. हालांकि अब वह टीवी की दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं. लेकिन अब उनके टीवी इंडस्ट्री छोड़ने की वजह सामने आई है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सीरियल छोड़ने की थी यह वजह

सीरियल ‘दीया और बाती हम’ में संध्या के किरदार से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस दीपिका सिंह (Deepika Singh Goyal) अपनी फिटनेस से फैंस को प्रेरणा देती हुई नजर आती हैं. वहीं हाल ही के एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने अपने टीवी इंडस्ट्री छोड़ने की वजह का खुलासा करते हुए कहा है कि ‘मैंने अपनी हेल्थ के चलते टीवी पर काम ना करने का फैसला लिया था. मैं दो साल से टीवी से दूर हूं. दरअसल काम के चलते मेरी बिगड़ती लाइफस्टाइल की वजह से काफी सारी हेल्थ प्रौब्लम होने लगी थी, जिसे मैनेज करना बहुत मुश्किल हो रहा था. इसीलिए मैंने तय कर लिया था कि मैं डेली सोप्स नहीं करूंगी. मैं तो बस प्रार्थना यही करती हूं कि शो सालों तक चले और हमें प्रॉफिट भी हो. लेकिन मैंने काफी समय इसमें निवेश किया है. ‘

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ये था हेल्थ प्रौब्लम का कारण

डेली सोप के चलते हेल्थ प्रौब्लम के लिए एक्ट्रेस ने कहा कि टीवी सीरियल्स के काम में आपको ये तक नहीं पता होता है कि आपको छुट्टी कब मिलेगी. इसीलिए मेरे लिए ये फैसला करना बिल्कुल भी आसान नहीं था. शुरुआत में मैने सोचा कि मैं कोई दूसरा प्रोजेक्ट शुरू करती हूं, जिससे शायद मैं हेल्थ प्रौब्लम मैनेज कर पाऊं. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मैं अपने वेट को सिर्फ डाइटिंग से कंट्रोल नहीं कर सकती. वहीं ‘कवच’ सीरियल के दौरान मैंने नोटिस किया कि मैं अपनी हेल्थ पर ध्यान नहीं दे पा रही हूं. डाइट वगैरह के चक्कर में वर्कआउट भी नहीं हो पा रहा था. मैंने देखा कि इन वजहों से मेरा बीपी लो रहने लग गया. इन सबके चलते मैंने काफी दिक्कतों को सामना किया. फिर मैंने सोचा कि मुझे एक्टिंग छोड़ देनी चाहिए. हालांकि मैं शुक्रगुजार हूं कि टीवी इंडस्ट्री छोड़ने के बाद सोशल मीडिया ने मेरी लाइफ में पैसों की दिक्कत नहीं होने दी.’

बता दें, एक्ट्रेस दीपिका सिंह पांच साल तक ‘दीया और बाती हम’ सीरियल का हिस्सा रहीं, जिसे दर्शकों ने बेहद प्यार दिया. हालांकि साल 2016 में एक्ट्रेस ने शो को अलविदा कह दिया. वहीं तीन साल बाद यानी साल 2019 में ‘कवच महाशिवरात्रि’ से एक बार फिर दीपिका सिंह ने टीवी पर वापसी की.

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Anupama ने किया अनुज से शादी का ऐलान, वनराज हुआ शॉक्ड

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी ने दर्शकों को परेशान कर दिया है, जिसके चलते शो के मेकर्स ट्रोलिंग का शिकार होते नजर आ रहे हैं. हालांकि मेकर्स ने शो की अपकमिंग कहानी को दिलचस्प बना दिया है, जिसके चलते नए प्रोमो में अनुपमा (Rupali Ganguly), अनुज (Gaurav Khanna) से शादी का ऐलान करती हुई नजर आ रही है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

पुलिस को मिलती है बौडी

 

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अब तक आपने देखा कि अनुज के ना आने के कारण अनुपमा परेशान होती है, जिसे देखकर समर घबरा जाता है. हालांकि देविका और समर, अनुपमा की मदद करते नजर आएंगे. वहीं वनराज, बा और राखी, अनुज के ना आने से खुश नजर आते हैं. दूसरी तरफ पुलिस को अनुज की कार और बौडी मिलती है और वह उसके परिवार को बुलाने की बात कहते हैं.

 

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शादी का ऐलान करेगी अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपने परफॉर्मेंस के लिए तैयार होगी. हालांकि देविका और समर के पास अनुज की मौत की खबर आएगी, जिसे सुनकर वह हैरान रह जाएंगे. लेकिन यह एक गलतफहमी साबित होती नजर आएगी. दरअसल, अनुज बच जाएगा और वह जैसे तैसे कौम्पिटिशन में पहुंचेगा. जहां अनुपमा डांस करती हुई नजर आएगी. इसी के साथ वह पूरे शाह परिवार और समाज के सामने शादी का ऐलान करती नजर आएगी, जिसे सुनकर पूरा परिवार बेहद खुश नजर आएगा. लेकिन बा, राखी और वनराज गुस्से में नजर आएंगे.

 

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बता दें, हाल ही में अनुज की मौत के सीन के कारण सीरियल अनुपमा के मेकर्स को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि मेकर्स वनराज के ट्रैक को बढ़ाकर और अनुपमा-अनुज को अलग करके कहानी को बिगाड़ रहे हैं, जिसके कारण फैंस शो को बॉयकौट करने के लिए तैयार हो गए हैं.

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चमकें बर्तन चमाचम

हमारे स्वास्थ्य का सीधा संबंध हाइजीन से होता है. बारिश के मौसम में तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि शरीर के साथसाथ घर भी हाइजीनप्रूफ रहे, क्योंकि बरसाती मौसम में संक्रमण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में साफसफाई के मामले में छोटी सी चूक भी कभीकभी बड़ी मुसीबत का सबब बन जाती है. उदाहरण के लिए पेट के संक्रमण की समस्या ही लें.

यह संक्रमण सिर्फ दूषित भोजन, पानी और गंदे हाथों से नहीं फैलता, वरन कई बार इस की वजह वह प्लेट भी हो सकती है जिस में भोजन किया गया. पर हमारा ध्यान इस तरफ नहीं जाता और हम इस के लिए खाने में इस्तेमाल होेने वाले पदार्थों की क्वालिटी या उन के ठीक से न बन पाने को दोष देते हैं. यह नहीं सोचते कि ऐसा बरतनों के गंदे रह जाने से भी हो सकता है.

भोजन की स्वच्छता बनाए रखने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि बरतनों की साफसफाई का पूरा खयाल रखा जाए, क्योंकि भोजन पकाने और परोसने के दौरान बरतन सीधे तौर पर इन के संपर्क में रहते हैं. यदि ढंग से इन्हें साफ न किया जाए, तो ये कीटाणुओं को स्थानांतरित करने का माध्यम बन जाते हैं.

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका में बरतन धुलाई की प्रभावशीलता के बारे में एक स्टडी की गई, जिस में पाया गया कि बरतनों में छूटा भोजन बैक्टीरिया पनपने की वजह बन जाता है. इस के अलावा 2 और तथ्य इस सर्वेक्षण में सामने आए:

– चम्मच, चाकू और फोर्क के कांटों में पुराने भोजन के कण फंसे रह जाते हैं, जिस से रोगाणु पनपते हैं.

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– दूध के सूखे गिलासों में रोगाणु सब से ज्यादा पनपते हैं.

सीनियर मैडिसिन कंसल्टैंट, डा. सुशीला कटारिया कहती हैं कि बरतनों में बैक्टीरिया रह जाने के चांस काफी होते हैं. खासतौर पर तब जब बरतनों की सफाई ठीक से न की जाए या फिर संक्रमित व्यक्ति द्वारा बरतन साफ किए जाएं. ऐसे व्यक्ति के हाथों में बैक्टीरिया होते हैं, जो बरतनों में चले जाते हैं.

रखें कुछ बातों का खयाल

– बरतनों को खाने के बाद ज्यादा देर तक न छोड़ें. सूखने से पहले ही उन्हें धो दें, ताकि उन में बैक्टीरिया अपना डेरा न जमाएं.

– बरतनों पर साबुन लगाने से पहले उन में मौजूद खाद्यपदार्थों को साफ कर डस्टबिन में डाल दें.

– स्पंज के बजाय बरतनों को कपडे़ से रगड़ कर धोएं, क्योंकि स्पंज में कीटाणु फंसे रह जाते हैं.

– बरतन साफ करने के बाद उन्हें कैमिकल सैनिटाइजर में डुबोएं, क्योंकि साधारण साबुन से बरतनों की चिकनाई तो उतर जाती है पर बैक्टीरिया नहीं मरते.

– बाजार में इस तरह के कई डिश वाशिंग एजेंट उपलब्ध हैं, जिन में मौजूद प्रभावशाली, रोगाणुनाशक तत्त्व बरतनों की बेहतर सफाई करते हैं. अच्छा यही होगा कि आप ऐसा ही कोई ऐजेंट लें.

– नैशनल फूड सर्विस मैनेजमैंट इंस्टिट्यूट के मुताबिक, बरतन धोने की प्रक्रिया 3 चरणों में पूरी की जानी चाहिए और इन्हें पूरा करने में किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए. ये तीनों चरण हैं- वाशिंग, रिंसिंग और सैनिटाइजिंग.

– पहले चरण में पानी में डिटर्जैंट/साबुन मिला कर बरतनों को धोएं. दूसरे चरण में उन्हें साफ पानी से खंगालें और तीसरे चरण में कैमिकल सैनिटाइजर से इन्हें डिसइन्फैक्ट करें.

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4 Tips: अब न हों दो मुंहे बालों से परेशान

आजकल हम अपने काम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि खुद का ख्याल नहीं रख पाते. अगर बालों की बात करें तो हर लड़की का सपना होता है कि उसके लम्बे बाल हो. कईं लोगो के बाल नही बढ़ते जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे खान-पान पर न ध्यान देना, और दो मुंहे  बाल. हर महिला बालों के दो मुंहे होने से और रूखेपन से परेशान है और कई तरह के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं.

इन प्रोडक्ट्स से साइडइफेक्ट होने का भी डर रहता है. बालों के न बढ़ने की एक वजह दो मुंहे के बाल हो सकते है जो कि हमारे बालों को बढ़ने नही देते. समय-समय पर बालों को कटवाकर हम कुछ समय के लिए इन दो मुंहे बालों से छूटकारा पा लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद यह फिर से उग आते हैं.

यदि आप हमेशा के लिए इन दो मुंहे बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ घरेलू उपाय हैं जिनकी मदद से आप इनसे निजात पा सकती हैं.  जानते हैं क्या हैं यह उपाय:

1. केला और अंडा करेगा बाल सॉफ्ट

एक केला लें और इसे अच्छी तरह मैश करें. अब इसमें अंडे की सफेदी मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें. आपका पैक तैयार है. आप सप्ताह में एक दिन इस पैक को बालो पर लगाएं . इस पैक के इस्तेमाल करने से आपके रूखे बाल साफ्ट हो जाएंगे.

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2. केला और नारियल रोके दो मुंहे बाल

एक गहरा बर्तन लें. अब इसमें एक केले को अच्छी तरह फेंट लें. फिर इसमें दो चम्मच नारियल का तेल मिला लें. ये पैक तैयार है. आप इसे स्कैल्प और बालों की पूरी लम्बाई पर लगाएं इससे आपके बाल दो मुंहे होने से बचेंगे.

3. केले और शहद का पैक

दो मुंहे होने की सबसे बड़ी वजह बालों का रूखापन होता है ऐसे में ये पैक बालों को षोषण देता है. केला फेंट लें और इसमें शहद मिलाएं अब इसका इस्तेमाल बालों पर करें. इससे आपके बालों का गिरना कम हो जाएगा.

4. केला और जैतून दें बालों को लम्बाई

केले और जैतून का ये पैक आपके बालों को षोषण देता है. एक केले को अच्छी तरह मैश कर लें और उसमें दो चम्मच जैतून का तेल मिला लें. अब इस पैक को बालों की जड़ों में लगाएं. ये उपाय आपके लिए फायदेमंद है.

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घर-परिवार के लिए कुरबान नौकरियां

ब्राह्मण स्मार्ट युवक 30 वर्ष, 5 फुट 8 इंच बीटैक (आईआईटी) दिल्ली, एचसीएल में कार्यरत, 10 एलपीए हेतु अच्छे परिवार की सुंदर, लंबी, प्रोफैशनली क्वालिफाइड, गृहकार्य में दक्ष वधू चाहिए. अपना मकान, गाड़ी, पिता क्लास-1 राजपत्रित अधिकारी. संपर्क करें +919810333333.

यह एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूजपेपर में शादी के लिए दिया गया विज्ञापन है. शादी हमारे समाज में सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण, धार्मिक, पारिवारिक और सामाजिक कार्य है और ऐसे विज्ञापन हमारे समाज की सचाई को सामने लाते हैं.  कुछ लोग भले ही विज्ञापन में सुंदर, शिक्षित बहू की डिमांड करें, पर असल में वे घर के काम, पोता जनने और कम बोलने वाली बहू ही चाहते हैं. इस विज्ञापन में बहू क्वालिफाइड मांगी गई है पर वह गृहकार्य में भी दक्ष होनी चाहिए तभी बात आगे बढ़ेगी. अरे, जब घरेलू ही चाहिए तो क्वालिफाइड क्यों? क्वालिफाइड होगी तो वह अपना कैरियर दांव पर क्यों लगाए? वैसे तो आजकल नौकरीपेशा बहुओं की ही डिमांड है, पर कुछ लोग आज भी लड़के के लिए बहू ढूंढ़ते हैं तो पहला सवाल यही होता है कि शादी के बाद परिवार या कैरियर किसे ज्यादा वरीयता दोगी? अगर उस लड़की ने कैरियर का चुनाव किया तो सामने बैठे बुजुर्ग मुंह बिचका सकते हैं और अगर परिवार कहा तो समझो सवालों का पहला पड़ाव पार हो गया.

घर में शिक्षित व नौकरीपेशा आ गई और भले ही मियांबीवी मैट्रोसिटी में काम करने लगें,  शादी के 1 या 2 साल बाद ही ससुरालपक्ष से बच्चे की डिमांड होने लगेगी कि अरे बहू 30 के बाद बच्चा होने में दिक्कतें आती हैं. अब पोते का मुंह दिखा ही दो. कहने का मतलब यहां यह है कि 2 से 3 होने के लिए भी परिवार वालों का दबाव रहता है. लो बच्चा तो हो गया, पर अब उसे संभालेगा कौन? बीवी ने 3 महीने की तो मैटरनिटी लीव ली पर बाद में ससुरालपक्ष से कोई नहीं आया उस के पास रुकने. अब बीवी बच्चा संभाले या नौकरी करे? घर में खुशियां तो आईं पर पढ़ीलिखी क्वालिफाइड एमबीए बहू का कैरियर खत्म हो गया. बच्चा पालने की खातिर उसे अपने कैरियर की कुरबानी देनी पड़ी. भारत में विकास के मुद्दे पर बात व बहस जारी है. आंकड़ों के ढेर पर बैठ कर कल्पना करना आसान है कि देश की आर्थिक प्रगति हो रही है. देश हर दिन तरक्की कर रहा है. उद्योग व्यापार और अन्य क्षेत्रों के आंकड़े भविष्य के लिए काफी अच्छे संकेत दे रहे हैं. लेकिन इन तथ्यों के पीछे झांक कर देखें तो पाएंगे कि आर्थिक आजादी और विकास में महिलाओं की भूमिका अब भी वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए थी. इस मामले में देश ने आत्मनिर्भर और आजाद होने के 68 वर्षों में भी ज्यादा प्रगति नहीं की है.

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नैशनल सैंपल सर्वे और्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1999-2000 में करीब 5-6% का इजाफा हुआ. वहीं 2009-10 में 47 फीसदी महिलाएं होममेकर थीं. ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार व बच्चों की देखभाल के लिए अपना कैरियर खत्म कर रही हैं. इस की बड़ी वजह न्यूक्लियर फैमिली का बढ़ता चलन है. न्यूक्लियर फैमिली में एक अन्य सर्वे के मुताबिक करीब 15 से 17 फीसदी महिलाएं सामाजिक व पारिवारिक दबाव में होममेकर रहती हैं. वहीं लगभग 10 फीसदी महिलाएं घरेलू काम इसलिए करती हैं कि वे मेड का खर्च नहीं उठा सकतीं.

बच्चों पर कुरबान कैरियर

2015 के मदर्सडे पर देश भर की महिलाओं पर हुए एक सर्वे में उन के परिवार के लिए कैरियर को त्यागने के मामले सामने आए हैं. एसोचैम के स्पैशल डैवलपमैंट फाउंडेशन द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ, अहमदाबाद, बैंगलुरु, हैदराबाद, इंदौर व जयपुर में 25 से 30 वर्ष की आयुवर्ग की 400 महिलाओं की राय को शामिल किया गया. इस में कुछ ऐसी महिलाएं भी शामिल थीं, जो हाल में ही मां बनी थीं. सर्वेक्षण के दौरान करीब 30 फीसदी महिलाओं ने अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद उस की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी तो 20 फीसदी ने कहा कि बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने नौकरी पूरी तरह से छोड़ने का फैसला किया. बड़ी संख्या में महिलाओं ने कहा कि बच्चों के स्कूल जाने लगने के बाद वे दोबारा कैरियर शुरू करना चाहेंगी.

सताता है भेदभाव का डर

हालांकि कई महिलाएं बच्चा बड़ा होने के बाद अपना कैरियर फिर से संवारना चाहती हैं, लेकिन दोबारा या कहें रीजौइन करने पर उन्हें पुरानी पोजिशन और पुरानी सैलरी पर ही रखा जाता है. कंपनियों में डोंट आस्क और डोंट टेल (कुछ मत पूछो और कुछ मत बताओ) का कल्चर विकसित हो गया है. ऐसे में महिलाएं कुछ भी पूछने से घबराती हैं और अपने पांव पीछे खींच लेती हैं. ब्रिटेन की लौ फर्म क्वालिटी सौलिसिटर ने 100 कामकाजी महिलाओं पर सर्वे किया और पाया कि महिलाओं को अपने मैटरनिटी राइट्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. यही नहीं उन्हें यह भी डर लगता है कि अगर उन्होंने कंपनी से इस पौलिसी के बारे में कुछ पूछा तो इस से उन का कैरियर प्रभावित हो सकता है. ऐसे में प्रैगनैंट होने पर आधी से ज्यादा महिलाएं इस बारे में अपने बौस को कुछ नहीं बताती हैं. इसी डर के कारण काफी महिलाओं ने नौकरी न करने की बात कही है. एसोचैम सर्वे में महिलाओं ने कहा कि वे नौकरी कर अपने बच्चों के यादगार पलों को मिस करना नहीं चाहतीं, इसलिए घर में ही कोई काम शुरू कर वे काम और बच्चे दोनों के साथ न्याय कर सकेंगी. एसोचैम के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि न्यूक्लियर परिवार की महिलाओं को अपने बच्चे की परवरिश और कैरियर के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होती है.

जिंदगी से जुड़े स्ट्रैस और भावनात्मक पसोपेश के साथ ही पारिवारिक और सामाजिक कारणों की वजह से उन्हें नौकरी छोड़ने का फैसला करना पड़ता है. वहीं संयुक्त परिवारों में इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. टीवी पर प्रसारित आप ने मैटरीमोनियल साइट का एक विज्ञापन जरूर देखा होगा, जिस में लड़कालड़की एकदूसरे को साइट से पसंद कर शादी कर लेते हैं पर ससुर को बहू का बाहर का काम करने जाना नहीं भाता. वे कह उठते हैं कि हमारे घर की बहुएं काम पर नहीं जातीं. तब उन का बेटा कहता है कि पापा, वह घर चलाने के लिए काम नहीं करती. उसे अच्छा लगता है इसलिए करती है. वैसे यह सिर्फ टीवी में ही नहीं दिखाया जाता. ऐसा कई परिवारों में भी होता है. सासससुर या पति है यह कहता है कि हमारे यहां लड़कियां काम नहीं करतीं. काम वही करती हैं, जिन्हें आर्थिक तंगी होती है. ऐसे में अगर आप के पति आप के फैसले में साथ हों, तो स्ट्रैस अपनेआप दूर हो जाएगा.

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महिलाओं को लेने पड़ते हैं कई ब्रेक

पहला ब्रेक: युवतियां शादी से पहले अपना कैरियर शुरू करती हैं और शादी होने के बाद जरूरी नहीं कि उन की जौब स्मूथली चलेगी ही. कई महिलाओं को जहां पति या ससुराल पक्ष के दबाववश नौकरी को बायबाय कहना पड़ता है, तो वहीं शहर बदलने की वजह से भी कई बार जौब का ब्रेक हो जाता है. दूसरा ब्रेक: सैकंड और बड़ा ब्रेक महिलाएं मां बनने पर लेती हैं. करीब 35 फीसदी महिलाएं दूसरा ब्रेक लेने के बाद दोबारा काम पर नहीं लौटतीं. अगर लौटना भी चाहें तो वे अपने कैरियर में पिछड़ चुकी होती हैं, इसलिए भी वे उस दौरान तालमेल बैठा पाने में असमर्थ पाई जाती हैं.

परिवार, बच्चा महिला की जिम्मेदारी

दरअसल, हमारे समाज में बचपन से ही लड़की को पराया कहा जाता है. फिर थोड़ा बड़ी होने पर उसे बताया जाता है कि शर्म लड़की का गहना होती है इसलिए वह ऊंची आवाज में बात न करे. इस दौरान घर के माहौल के अनुसार उस की डिमांड कम बेटे की ज्यादा पूरी होती है. इस के अलावा लड़की घर से बाहर जाते समय लौटने का टाइम बता कर जाए ताकि उस पर पहरा रखा जा सके. यानी एक लड़की त्याग की देवी बचपन से बन जाती है. पारंपरिक दकियानूसी सोच है कि शादी के बाद बेटी ससुराल डोली में जाती है और वहां से वह अरथी में ही उठती है. बेटी ससुराल में सब का खयाल रखना यह कहने के साथ शादी के वक्त लड़की के घर वाले हाथ जोड़ कर उस के ससुराल वालों से यह कहना नहीं भूलते कि बेटी से कोई गलती हो जाए तो उसे माफ कर देना. लड़की की मां व रिश्तेदार भी लड़की से यह भी कहना नहीं भूलते कि शादी से पहले की लाइफ अलग और शादी के बाद की अलग होती है. इसलिए भी लड़कियां शादी और बच्चों को अपनी ही जिम्मेदारी समझ कर काम करती हैं. लेकिन क्या परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ लड़की के कंधों पर डालना सही है?

क्या करें लड़कियां

शादी के बाद अगर युवतियां फुलटाइम काम नहीं कर सकतीं तो वे पार्टटाइम काम का औप्शन चुन सकती हैं. इस के अलावा ट्यूशन व खुद सरकारी नौकरी के लिए कोचिंग ले कर फौर्म भर परीक्षा भी दे सकती हैं. घर से व्यापार करना भी अच्छा औप्शन है. टेलरिंग आदि का काम भी कर सकती हैं.

मास्टर औफ वन

मास्टर औफ वन का कौंसैप्ट अगर लड़कियां पहले से ले कर चलें तो अपना कैरियर वे आगे भी चला सकती हैं, क्योंकि कोई ऐसा कोर्स जिस में उन्होंने स्पैशलाइजेशन किया हो तो आगे उन्हें कोई मात नहीं दे सकता. स्पैशल कोर्स कर के आप गैप के बाद भी उसे पुन: जौइन कर सकती हैं. ऐसे कोर्स का फायदा आप के लंबे गैप को भी भर देगा. आप अपने कैरियर को खत्म होने से रोक पाएंगी.

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ऐसे बनें गुड Husband-Wife

आज की जीवनशैली में घर और औफिस की बढ़ती जिम्मेदारियों को निभाना यों तो आसान लगता है किंतु वास्तव में आसान है नहीं. स्वस्थ मानसिकता के अभाव में इस रिश्ते को निभाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आइए, उन बातों का अध्ययन करें जो कमजोर पड़ते रिश्तों को और अधिक कमजोर बनाती हैं.

विवाह के बाद के पहले 5 वर्ष

  • पतिपत्नी के लिए पहले 5 वर्ष बहुत अहमियत रखते हैं. शुरू के 5 वर्षों में जो गलतियां करते हैं वे हैं:
  • खुद को बदलने की जगह पार्टनर से बदलने की चाह रखना.
  • य लाइफपार्टनर से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखना.
  • छोटीछोटी बातों को मुद्दा बना कर लड़ाईझगड़ा करना. न खुद चैन से रहना, न दूसरे को चैन से रहने देना.
  • एकदूसरे के दोषों को ढूंढ़ढूंढ़ कर आलोचना और ताने मारने की प्रवृत्ति रखना.

इन कारणों से पतिपत्नी में दूरी बढ़ती जाती है और वक्त रहते अगर सूझबूझ से अपनी समस्याओं का समाधान पतिपत्नी नहीं कर पाते हैं तो अलगाव होना और फिर तलाक की संभावना बढ़ जाती है. अत: दोनों को इस बात का आभास होना चाहिए कि रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं. इन्हें अथक प्रयास द्वारा, स्वस्थ मानसिकता के साथ संभालना बहुत जरूरी होता है.

गलतियों को मानें

सब से विचित्र बात यह है कि पतिपत्नी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं कर पाते जबकि जीवन से संबंधित ये गलतियां जीवन को अधिक सीमा तक प्रभावित करती हैं. इन्हें छोटी गलतियां मानना ही मूलरूप से गलत है. रिश्ते को हर हाल में टूटने से बचाने की जिम्मेदारी पति और पत्नी दोनों की होती है. मुश्किलें पतिपत्नी की हैं, तो समाधान भी उन के द्वारा ही ढूंढ़ा जाना चाहिए.

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दिल खोल कर प्रशंसा करें

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट मानते हैं कि एकदूसरे के प्रति तारीफ के शब्द न केवल पार्टनर्स को एकदूसरे के नजदीक लाते हैं, बल्कि टूटने के कगार पर आ गए रिश्तों में ताजगी भरने की भी संभावना रखते हैं. वैवाहिक जीवन की कामयाबी बहुत सीमा तक इस बात पर निर्भर करती है कि पतिपत्नी एकदूसरे की प्रशंसा कर के जीवन को आनंदपूर्ण बनाए रखें.

रिलेशनशिप टिप्स

ऐक्सपर्ट स्टीव कपूर ने अपनी पुस्तक में हैल्दी रिलेशनशिप के निम्न टिप्स दिए हैं:

पतिपत्नी को सैंस औफ ह्यूमर रखना चाहिए. चीजों और समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए, जब यह स्थिति और समस्या की मांग हो.

पतिपत्नी को एकदूसरे की ड्रैस सैंस की तारीफ करनी चाहिए. अच्छी बातों के लिए तारीफ करने में कंजूसी बिलकुल नहीं करनी चाहिए.

एकदूसरे को कौंप्लिमैंट दें. विश्वास के आधार पर रिश्ते में मिठास भरें.

यदि पतिपत्नी में से कोई एकदूसरे की बात मानने को तैयार नहीं है तो इस के कारण को जानने की कोशिश करें न कि उस के साथ विवाद कर उसे परेशान करें और खुद भी परेशान हों.

सरे की भावनाओं से खिलवाड़ ठीक नहीं होता है. एकदूसरे को ब्लैकमेल करने से या उस की कमजोरी पर फोकस करने की आदत आत्मघाती होती है. भावनात्मक स्तर पर एकदूसरे के साथ जुड़ाव के लिए वक्त निकाल कर घूमने अवश्य जाएं. भूल कर भी अपने प्यार का प्रदर्शन लोगों के सामने न करें.

बहसबाजी अच्छी आदत नहीं है. जब भी ऐसा अवसर आए अपने संवाद को कट शौर्ट कर के सुखद मोड़ देते हुए अपने रिश्ते को बचाएं और संवारें.

रिलेशनशिप की समस्याओं की पृष्ठभूमि

आइए, रिलेशनशिप की समस्याओं को नीतिपूर्वक तरीके से निबटने के बारे में जानें:

  • आप अपने पार्टनर को बेहद प्यार करते हैं, लेकिन जब बात आती है इगो को बैलेंस करने की तो चुपचाप सहन करते हुए कभी खुल कर एकदूसरे के सामने नहीं आ पाते हैं. चुप रहना एक बहुत बड़ी कमजोरी बन जाती है. बेहतर होगा कि अपनी तरफ से आप स्पष्ट रूप से पार्टनर का सहयोग कर विवाहित जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोचें.
  •  रिलेशनशिप का सारा दारोमदार क्रिया और प्रतिक्रिया का है. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में जल्दबाजी न करें. सोचसमझ कर व सूझबूझ के साथ सही प्रतिक्रिया दें. एक सिंगल वार्तालाप से हमेशा समस्या सुलझ जाने की आशा न करें.
  • अपनी रिलेशनशिप को बेहतर बनाए रखने के लिए एकदूसरे से सुझाव मांगें और अध्ययन करने के बाद उन सुझावों को अमल में लाएं जो रिलेशनशिप के लिए कारगर और उपयोगी हैं. यह काम धैर्यपूर्वक समस्या को खुले दिल से स्वीकार करने के बाद ही हो सकता है.
  •   कार का वादविवाद न करें और न ही दूसरे लोगों को उस का हिस्सा बनाएं. कम से कम शब्दों में समस्या को परिभाषित करें. एकदूसरे को उचित समय दें. ऐसा माहौल बनाएं जिस में आप खुले दिल और दिमाग से समस्या का निवारण करने की जिम्मेदारी पूरी लगन और सचाई के साथ कर सकें.
  • हर समस्या के समाधान पर एकदूसरे को पार्टी, लंच, डिनर दे कर यह एहसास कराएं कि जो कुछ हुआ बहुत अच्छा हुआ.

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ऐसे निकालें समस्याओं के हल

पतिपत्नी का रिश्ता जब विवाह के बाद प्रारंभिक चरण में होता है तो सब रिश्तेदारों की अपेक्षाएं वास्तविक आधार पर नहीं होतीं. संबंधी नई बहू से आशा करते हैं कि वह हर रिश्ते को दिल से सम्मान दे. अपनी सुविधा को नजरअंदाज कर वह रिश्ते का निर्वाह इस तरह करे जैसे वह उन्हें बरसों से जानती है. अधिकतर पत्नियां जन्मदिन या शादी की वर्षगांठ पर यह उम्मीद रखती हैं कि पति उपहार में डायमंड या गोल्ड के आभूषण, डिजाइनर वस्त्र आदि उसे गिफ्ट करे. दोनों पार्टनर जीवन के लिए प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाएं तो वे जीवन को क्रोध, तानों और दोषारोपण की मौजूदगी में भी उत्तम तरीके से बिता सकते हैं.

मनोवैज्ञानिक जौन गोटमैन का सुझाव है कि पतिपत्नी का महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है कि वे एकदूसरे पर कीचड़ न उछालें. एकदूसरे के प्रशंसक बनें. एकदूसरे के लिए चिंता तो करें, लेकिन रचनात्मक सोच के साथ. उन का हर फैसला सहयोग के आधार पर होना चाहिए. हर विवाह की स्थिति ऐसी होती है कि अगर आप खूबियां ढूंढ़ेंगे तो आप को सब कुछ अच्छा नजर आएगा. अगर एकदूसरे की कमियों पर फोकस करना चाहेंगे तो बहुत कमियां नजर आएंगी. इसलिए बेहतर होगा कि अच्छाई पर फोकस रखें व पौजिटिव नजरिया अपनाएं. आप में वे सब गुण और काबिलीयत हैं, जो आप को ‘विन विन’ स्थिति में रख कर विजयी घोषित कर सकते हैं. प्यार मांगने से नहीं मिलता है. प्यार के लिए डिजर्व करना पड़ता है. जीवन का हर लमहा आनंद से सराबोर होना चाहिए. यह पतिपत्नी का जन्मसिद्ध अधिकार है.

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जेनेटिक टेस्टिंग है मददगार 

मां बनने का सुख दुनिया में सबसे बड़ा सुख होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं में गर्भधारण के मामलों में करीब 20 फीसदी महिलाओं में गर्भपात की समस्या देखने को मिलती है. दुर्भाग्य से 5 फीसदी मैरिड कपल्स को दो या दो से अधिक बार गर्भपात की समस्या को फेस करना पड़ता है. जिसके कारण वे मायूस हो जाते हैं. और वे इसके कारणों को जानना चाहते हैं , ताकि अगली प्रेगनेंसी में इससे बचा जा सके और उन्हें पेरेंट्स बनने का सुख मिल सके. लेकिन देखने में आया है कि अकसर प्रेगनेंसी लोस के पीछे गर्भ में पल रहे बच्चे में जेनेटिक प्रोब्लम होती है. जिसे अगर समय रहते जान लिया जाता है तो गर्भपात की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है.

जीन्स2मी में वैज्ञानिक मामलों की वरिष्ठ प्रबंधक डाक्टर साइमा नाज बताती हैं कि बारबार होने वाले गर्भपात के मामले अधिकतर  जेनेटिक प्रोब्लम की वजह से होते हैं. इन गड़बड़ियों को क्रोमोसोमल या मोनोजेनिक में बांटा जा सकता है. यह सुनने में थोड़ा भयभीत करने वाला जरूर है, लेकिन आप यकीन मानिए कि इस तरह की पीड़ा से गुजर चुकी कई महिलाओं ने दोबारा गर्भधारण किया और उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.

बारबार होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए आनुवंशिक परीक्षण

बारबार होने वाले गर्भपात के मामलों को रोकने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग एक बेहद उपयोगी माध्यम है. इस तरह के मामलों में मरीज के क्रोमोसोम्स का टेस्ट करवाने की जरूरत होती है. गर्भपात के इस तरह के मामलों को समझने के लिए भ्रूण के नमूने सीधे इकट्ठे किए जाते हैं और उनका डाईग्नोस्टिक लैब में परीक्षण किया जाता है.

क्रोमोसोम के परीक्षण से गुणसूत्रों की संख्या और बनावट पर निर्भर रहते हुए क्रोमोसोम टेस्ट से कई अनियमितताओ के होने या न होने की पुष्टि की जा सकती है. आमतौर पर गर्भपात का सबसे बड़ा क्रोमोसोम से जुड़ा हुआ कारण ट्राइसोमी हो सकता है. गर्भपात होने के अन्य कारणों में ट्रिपलोईडी , मोनोसोमी , ट्रेटाफ्लोइडी या ट्रांसलोकेशन जैसी संरचनात्मक गड़बड़ियां शामिल हैं. ये जेनेटिक गड़बड़ियां मातापिता से प्राप्त होने की जगह शुक्राणु या अंडे की अनियमितयो के कारण होती है.

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बारबार होने वाले गर्भपात के कारणों को समझने के लिए क्रोमोसोमल टेस्ट 

गड़बड़ी मुख्य रूप से अतिरिक्त क्रोमोसोम की मौजूदगी या किसी क्रोमोसोम या गुणसूत्रों के गायब होने से होती है. इसकी पहचान के लिए आनुवांशिक विश्लेषण किया जाता है. आनुवांशिक परीक्षण के क्षेत्र में मायकोएरे टेक्नोलोजी सबसे आधुनिक ताकतवर बायोटेक्नोलोजी की तकनीक बन गई है, जो एक साथ हजारों डीएनए नमूनों का विश्लेषण कर सकती है. इन तकनीकों में डीएनए को निकालने के लिए सीधे भ्रूण के नमूनों का उपयोग किया जा सकता है. इसमें जीवित कोशिकाओं की जरूरत नहीं  पड़ती. हाई रेजोल्यूशन क्रोमोसोम विश्लेषण से क्रोमोसोम की बारीक़ से बारीक गड़बड़ियां भी पकड़ में आ जाती है, जो पारम्परिक तरीके से गुणसूत्रों का विश्लेषण करने पर छूट सकती है. परंपरागत कार्योटाइपिंग की अपेक्षा क्रोमोसोम का विश्लेषण करने में  क्रोमोसोमल  माइक्रोएरे जबरदस्त माध्यम बन गया है.

आप गर्भपात के कारणों का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्ट की मदद ले सकते हैं. कई डाईग्नोस्टिक लैब सहज या स्वाभाविक गर्भावस्था के लिए इस तरह के जेनेटिक टेस्ट की सुविधा प्रदान करता है. इसी तरह की एक कंपनी जीन्स2मी है, जो बच्चे के जन्म की प्लानिंग कर रहे पेरेंट्स को मदर एंड केयर प्रेगनेंसी टेस्ट की पूरी सीरीज उपलब्ध करवाती है. जीन्स2मी की सीइओ रितु गुप्ता कहती है, ‘ पहली तिमाही में गर्भपात के कई शुरुआती मामले भ्रूण में पाई जाने आनुवंशिक गड़बड़ियों के कारण होते हैं. मनुष्य में सामान्य रूप से 46 क्रोमोसोम होते हैं , जिसमें सामान्य विकास के जीन्स होते हैं , लेकिन गर्भावस्था के शुरुवाती चरण में इस तरह के गर्भपात भ्रूण में अतिरिक्त या कम गुणसूत्र होने के कारण होते हैं. क्रोमोसोम माइक्रोएरे टेस्ट बारबार होने वाले गर्भपात के कारणों को समझने में दंपतियों की मदद कर सकता है, जिससे वह अपने डॉक्टर से बातचीत करने के बाद एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की प्लानिंग कर सकते हैं.

बच्चे को जन्म देने की भावी योजना बनाते समय 

अगर आपके जेनेटिक टेस्ट से ये पता चलता है कि गर्भपात की समस्या आनुवांशिक गड़बड़ियों की वजह से आ रही है तो आपके मन में इस बारे में कई सवाल हो सकते हैं. आप भविष्य में बच्चे के जन्म की योजना बनाते समय अपने जेनेटिक काउंसलर या फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से बात कर सकते हैं.

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आप क्रोमोसोमल माइक्रोएरे टेस्टिंग से पता चलता है कि उनके गर्भपात के कारणों के पीछे अनियमितता थी तो इसकी काफी ज्यादा संभावना है कि यह केवल एक बार की समस्या हो. इसका मतलब यह नहीं कि भविष्य में जन्म लेने वाले आपके बच्चे में आनुवांशिक  गड़बड़ियां होने की संभावना ज्यादा है. लेकिन गर्भपात से होने वाला दर्द न झेलना पड़े , इसके लिए दम्पतियों को हमेशा जेनेटिक टेस्ट करवाना चाहिए.

क्रोमोसोम की गड़बड़ियों के कारण बारबार का दर्द झेलने वाले दंपति अन्य प्रक्रियाओं से गर्भधारण करने का विकल्प आजमा सकते हैं. इसमें प्री इनप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस के साथ इनविट्रो फर्टिलाइजेशन शामिल है. इसके द्वारा पेरेंट्स बच्चों को उनसे होने वाली अनुवांशिक बीमारियों से बचा सकते हैं और पेरेंट्स बनने का सुख भी ले सकते हैं .

21 सालों में बदला ‘मोहब्बतें’ की ‘किरण’ का अंदाज, देखें फोटोज

शाहरुख खान की हिट फिल्मों में से एक ‘मोहब्बतें’ आज भी फैंस के दिलों में है. वहीं इस फिल्म में नजर आए सितारे भी फैंस को आज भी याद हैं. बीते दिनों जहां  ‘मोहब्बतें’ के एक्टर का बदला रुप देखने को मिला था तो वहीं अब ‘मोहब्बतें’ में किरण के रोल में नजर आ चुकी बौलीवुड एक्ट्रेस प्रीति झंगियानी (Preeti Jhangiani) का ट्रांसफौर्मेशन फैंस को हैरान कर रहा है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

 सादगी से फैशनेबल बनीं एक्ट्रेस

 

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‘मोहब्बतें’ में सिंपल विधवा के रोल में नजर आ चुकीं प्रीति झंगियानी 21 सालों में काफी बदल चुकी हैं. जहां सादगी से वह फैंस का दिल जीत चुकी हैं तो वहीं इन दिनों वह अपने ग्लैमरस लुक को फ्लौंट करके सुर्खियां बटोर रही हैं. हाल ही में एक कार्यक्रम में पहुंची एक्ट्रेस प्रीति झंगियानी महरुन कलर की थाई स्लिट ड्रैस पहनकर पहुंची, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं फैंस उनकी तारीफ करते नजर आ रहे हैं.

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ज्वैलरी की शौकीन हैं एक्ट्रेस

 

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एक्ट्रेस प्रीति के सोशलमीडिया को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह ज्वैलरी की काफी शौकीन हैं. इसीलिए वह इंडियन आउटफिट के साथ अक्सर हैवी इयरिंग्स कैरी करते हुए नजर आती हैं. वहीं इन ज्वैलरी की बात करें तो आप इन्हें वेडिंग सीजन में आसानी से कैरी कर सकते हैं.

 

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इंडियन लुक में लगती हैं खूबसूरत 

 

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एक्ट्रेस प्रीति झंगियानी इंडियन से लेकर वेस्टर्न, हर लुक को कैरी करती हुई नजर आती हैं. हालांकि फैंस उनके इंडियन लुक की काफी तारीफ करते हुए नजर आते हैं. सूट हो साड़ी. हर आउटफिट में फैंस एक्ट्रेस के कायल हो जाते हैं. हालांकि मोह्ब्बते फिल्म का सादगी भरा अंदाज आज भी फैंस के दिलों पर छाया हुआ है.

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Ranbeer के गाने से TV डेब्यू करेंगी Neetu Kapoor, देखें वीडियो

बौलीवुड के कई सेलेब्स टीवी की दुनिया में डेब्यू कर चुके हैं, जिसमें परीणिति चोपड़ा से लेकर माधुरी दीक्षित जैसी अदाकाराओं का नाम शामिल है. वहीं अब इस लिस्ट में पौपुलर एक्ट्रेस नीतू कपूर (Neetu Kapoor) का नाम भी शामिल होने वाला है, जिसकी झलक हाल ही में रिलीज हुए डांस दीवाने जूनियर के प्रोमो में नजर आई है.

बेटे के गाने पर थिरकीं नीतू

 

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दरअसल, एक्ट्रेस नीतू कपूर जल्द ही डांस दीवाने जूनियर में बतौर जज के रुप में डेब्यू करने वाली हैं. वहीं एंट्री में वह अपने बेटे एक्टर रणबीर कपूर (Ranbeer Kapoor) के गाने ‘बदतमीज दिल’ पर डांस करती नजर आ रही हैं, जिसका वीडियो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वहीं इस परफौर्मेंस में नीतू कपूर के साथ मशहूर कोरियोग्राफर मर्जी भी थिरकते नजर आ रहे हैं. नीतू कपूर का ये वीडियो देखकर फैंस उन्हें बधाई देने के साथ-साथ तारीफ करते नजर आ रहे हैं.

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गेस्ट अपीरियंस दे चुकी हैं नीतू कपूर

 

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नीतू कपूर के टीवी पर काम की बात करें तो वह कई रियलिटी शोज में मेहमान के तौर पर आ चुकी हैं. लेकिन यह पहली बार है जब वह किसी रियलिटी शो को जज करती हुई नजर आएंगी. वहीं टीवी पर डेब्यू के लिए कई सेलेब्स उन्हें बधाई दे रहे हैं. वहीं उनकी एंट्री का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिसमें बिग बौस 15 फेम राजीव अदातिया, मनीष पॉल जैसे सितारों का नाम शामिल हैं.

 

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बता दें, साल 2020 में नीतू कपूर के पति और पौपुलर एक्टर ऋषि कपूर का निधन हो गया था, जिसके बाद उनके बच्चे रिद्धिमा और रणबीर कपूर ने उनका पूरा साथ दिया. वहीं अब खबरे हैं कि जल्द ही रणबीर कपूर और उनकी गर्लफ्रैंड आलिया भट्ट की शादी होने वाली है.

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तीसरी बार मां बनेंगी राहुल महाजन की एक्स वाइफ Dimpy Ganguly

राहुल महाजन की एक्स वाइफ यानी कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 8 (Bigg Boss 8)’ का हिस्सा रह चुकीं डिंपी गांगुली (Dimpy Ganguly) एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं. एक्ट्रेस जल्द ही तीसरे बच्चे की मां बनने वाली हैं, जिसके बाद फैंस उन्हें बधाई देते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

मां बनने की जाहिर की खुशी

 

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दो बच्चों की मां होने के बाद अब डिंपी गांगुली ने अपनी तीसरी प्रेग्नेंसी (Dimpy Ganguly third Pregnancy) का ऐलान कर दिया है, जिसके चलते उन्होंने सोशलमीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि  मेरे लिए, सबसे अधिक संतोषजनक और पूरा करने वाला प्यार, जो मैंने कभी एक्सपीरियंस नहीं किया, वह प्यार है मुझे अपने बच्चों से मिला है. अंधेरे समय में भी दुनिया को आशा भरी निगाहों से देखने के लिए, जो कुछ भी दर्दनाक है उसे जाने देने के लिए और बस खुश रहें कि दुनिया मेरे बारे में चाहे जो भी फैसला करे, मैं हमेशा उनकी “मां” रहूंगी.” नोट के आखिरी में ऐक्ट्रेस ने लिखा, “मैं यह कैसे जानती हूं? क्योंकि मैं अब भी अपने साथ वैसी ही हूं; विश्वास नहीं होता कि यह प्यार बहुत जल्द 3 गुना हो जाएगा!”

 

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राहुल महाजन से हो चुकी है शादी

बता दें, बिग बौस फेम राहुल महाजन (Rahul Mahajan) के साथ स्वयंवर के बाद से डिंपी गांगुली फेमस हो गई थीं. वहीं कलर्स के पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बॉस 8 (Bigg Boss 8)’ में आने के बाद उनकी पौपुलैरिटी भी बढ़ गई. हालांकि कुछ समय बाद ही डिंपी गांगुली का राहुल महाजन से तलाक हो गया है, जिसके बाद डिंपी ने बिजनेसमैन रोहित रॉय से शादी कर ली.

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