जानें कितनी जुटाएं घर से जुड़ी सुख-सुविधाएं

अपने मकान के लिए सुविधाएं जुटाने से पहले ज्यादा सोचविचार की आवश्यकता नहीं होती, परंतु यदि किराए के मकान में रह रहे हैं, तो कोई भी सामान लेने से पहले माथापच्ची करना जरूरी होता है. किराए के मकान में यदि समझदारी के साथ सुविधाएं जुटाई जाएं, तो शिफ्ंिटग के समय आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है. जरूरी नहीं कि हर मकान एक जैसा ही हो, इसलिए फर्नीचर से ले कर इलैक्ट्रौनिक सामान तक सब कुछ ऐसा होना चाहिए कि किसी भी मकान में फिट हो सके और शिफ्ंिटग के समय टूटफूट का खतरा भी कम रहे.

1. सजावटी सामान

झूमर, लाइट्स एवं कंदील आदि बहुत नाजुक होते हैं. घर को सजाने के लिए इस सामान से परहेज करें, क्योंकि शिफ्ंिटग के समय इस के टूटने का खतरा सब से ज्यादा रहता है. कांच या चीनीमिट्टी के गमलों के बजाय मिट्टी के गमले लेना उचित रहता है, क्योंकि ये जल्दी टूटते नहीं और अगर टूट भी जाएं तो ज्यादा नुकसान नहीं होता.

2. बिजली के उपकरण

फ्रिज, टीवी, कंप्यूटर, पंखा व कूलर जैसे बिजली के आवश्यक उपकरणों के अलावा अन्य सामान, जैसे ए.सी., माइक्रोवेव, गीजर इत्यादि बहुत आवश्यकता पड़ने पर ही खरीदें. शिफ्ंिटग के दौरान ये महंगे उपकरण जल्दी खराब होते हैं और इन को ठीक करवाने में पैसा भी ज्यादा खर्च करना पड़ता है. इस के अलावा बिजली का बिल बढ़ाने में भी इन उपकरणों का खासा योगदान होता है.

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3. वाहन

अपना मकान लेने तक यदि बहुत ज्यादा आवश्यकता न हो तो चौपहिया वाहन लेने से परहेज करें, क्योंकि अधिकतर किराए के मकानों में पार्किंग की सुविधा नहीं होती और पब्लिक पार्किंग पहले से ही बुक होती है. ऐसे में यदि आप वाहन गली में या सड़क के किनारे खड़ा करेंगे, तो वह गैरकानूनी होने के साथसाथ असुरक्षित भी रहेगा.

4. पालतू जानवर

किराए के मकान में पालतू जानवर रखने का शौक न ही पालें तो बेहतर होगा, क्योंकि अधिकतर मकानमालिक इस की इजाजत नहीं देते. इस के अलावा दूसरा सब से बड़ा कारण यह है कि यदि आप को मकान ग्राउंड फ्लोर के बजाय ऊपर की किसी मंजिल पर मिला है, तो पालतू जानवर को समयसमय पर बाहर ले जाना आप के लिए सिरदर्द बन सकता है.

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10 लेटैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स

आज के दौर में तकनीक ने हमें ऐसेऐसे तरीकों से रूबरू कराया है जिन से हम हमेशा जवां और खूबसूरत नजर आ सकते हैं. ऐंटीएजिंग प्रोसीजर के जरीए न सिर्फ त्वचा पर पड़ने वाले बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि इस से एजिंग से त्वचा पर होने वाले असर की मुख्य वजह पर भी टारगेट किया जाता है ताकि दोबार एजिंग का प्रभाव न दिखे.

10 कौस्मैटिक प्रोसीजर आप की हमेशा जवां दिखने की चाहत को पूरा कर सकते हैं:

1. कैमिकल पील से हटाएं डैड सैल्स

चेहरे के ढलने व त्वचा की चमक के लगातार कम होने की एक वजह डैड होते स्किन सैल्स भी हैं. ऐसे में कुछ खास किस्म के ट्रीटमैंट जैसे कि माइक्रोडर्माबे्रसन और कैमिकल पील्स के जरीए चेहरे के डैड सैल्स को हटाया जा सकता है. इस के अलावा डायमंड पौलिशिंग के जरीए भी डैड सैल्स, स्कार्स और टैनिंग को दूर किया जा सकता है.

2. चेहरे के लिए मैसोबोटोक्स

यह चेहरे के फेशियल का एक अलग तरीका है, जिस में चेहरे पर माइक्रोबोटोक्स इंजैक्ट कराए जाते हैं. इस में बोटोक्स के कम डोज फेस के अलगअलग हिस्सों में लगाए जाते हैं. इस से फेस की स्किन चमकदार और  झुर्रियांरहित नजर आती है.

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3. लेजर थेरैपी

अगर चेहरे के पोर्स फैल जाएं, तो ये आप के लुक को खराब कर देते हैं. ऐसे में लेजर थेरैपी के जरीए फेस के पोर्स को टाइट करा सकती हैं.

4. बोटोक्स ट्रीटमैंट

बढ़ती उम्र के चलते माथे पर पड़ी लकीरें और झुर्रियां थकान, तनाव और उम्रदराज होने के संकेत देती नजर आती हैं. इन्हें बोटोक्स के जरीए आसानी से दूर किया जा सकता है. बोटुलिनम टौक्सिटी जिसे आमतौर पर बोटोक्स के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा नौनसर्जिकल प्रोसीजर है, जिस में बोटोक्स को इंजैक्ट कर के मसल्स को रिलैक्स मोड पर लाया जाता है. इस प्रक्रिया द्वारा चेहरे की झुर्रियों और लकीरों को खत्म किया जाता है. जैसे ही मसल्स में बोटोक्स को इंजैक्ट किया जाता है, यह एक खास मसल को अन्य मसल्स के साथ कौंटैक्ट करने को रोक देता है. जिस मसल पर बोटोक्स का असर होता है वह रिलैक्स हो जाती है. इसे चेहरे के अलगअलग हिस्सों पर इंजैक्ट करा कर फेस को बिलकुल फ्रैश लुक दिया जाता है. बोटोक्स का इस्तेमाल ब्रो लिफ्ट के लिए भी किया जाता है. इस में कुछ ही मिनटों के अंदर आईब्रोज को हाईलाइट कर के आकर्षक शेप में बदला जा सकता है. इस से चेहरा बिलकुल नए लुक में नजर आता है.

5. ओजोन थेरैपी

बालों की ग्रोथ और रिपेयर के लिए शरीर के किसी भी हिस्से में औक्सीजन के प्रवाह को ओजोन थेरैपी के नाम से जाना जाता है. औक्सीजन के ये फ्री रैडिकल्स शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर करने में सहायक होते हैं. ऐसे ही तत्त्व सिर की सतह पर भी होते हैं, जो ओजोन थेरैपी के जरीए सतह से बाहर निकल जाते हैं. इस थेरैपी के असर से बालों का गिरना पूरी तरह बंद हो जाता है और नए बाल उगने शुरू हो जाते हैं.

6. रैस्टिलेन ट्रीटमैंट

दिल्ली की डर्मैटोलौजिस्ट डा. इंदू बालानी, बताती हैं कि बेजान त्वचा और आंखों के नीचे काले घेरों की समस्या को ह्यालुरोनिक ऐसिड से भरपूर रैस्टिलेन जैसे डर्मल फिलर्स के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है. यह त्वचा को मौइश्चराइज करता है और इस का असर 1 साल तक रहता है.

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7. डायमंड पौलिशिंग

डा. चिरंजीव छाबड़ा, डर्मैटोलौजिस्ट (स्किन अलाइव क्लीनिक, दिल्ली) कहते हैं कि इस तकनीक में डायमंड को टिप्स पर फिक्स कर के इसे इलैक्ट्रौनिकली चेहरे पर मूव कराया जाता है. यह तकनीक चेहरे से डैड सैल्स, स्कार्स, टैनिंग के अलावा स्किन के ग्लो और कौंप्लैक्शन से जुड़ी कई कमियों को भी दूर करती है. डायमंड एमडीबी तकनीक के क्षेत्र में नया विकास है, जिस का पूरे विश्व में चेहरे की रंगत निखारने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

8. स्किन सर्कुलेशन थेरैपी

इस थेरैपी से चेहरे की त्वचा का ब्लडसर्कुलेशन इंप्रूव किया जाता है. इस से चेहरे का कौंप्लैक्शन और ग्लो बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पुरानी थेरैपी से छुटकारा मिल जाता है. यह ऐक्ने, स्कार्स, डार्कसर्कल्स, स्किन में पैचीनैस आदि को दूर करने में भी इस्तेमाल की जाती है.

9. स्टेम सैल थेरैपी

इस ट्रीटमैंट में विटामिंस, अमीनोऐसिड्स व पेप्टाइड्स के मिक्स्चर को दूसरे ऐक्टिव इनग्रैडिएंट के साथ मिला कर सिर की सतह के स्टेम सैल्स को ऐक्टिव करते हैं. इस से बालों की ग्रोथ तेज हो जाती है. यह ट्रीटमैंट वीकली इंटरवल में कई सैशनों में पूरा होता है. जल्दी रिकवरी के लिए हेयर लेजर एलईडी थेरैपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

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10. कूलस्कल्पटिंग

यह अतिरिक्त चरबी या मोटापा दूर करने की सब से कारगर तकनीक है, जो शरीर को मनचाहा आकार देती है. इस में शरीर की चरबी अथवा मोटापे के अनुसार सिटिंग्स होती हैं. तो नए साल में खूबसूरत दिखने के ये आधुनिक उपाय आजमाएं और पाएं बेदाग सुंदरता.

ऐसे बनें स्मार्ट मदर

मौडर्न होने का अर्थ है बदलते वक्त के साथ सही तालमेल बैठाते हुए आगे बढ़ना. आज की गृहिणी ने भी कुछ ऐसा ही किया है, इसलिए वह गृहिणी नहीं बल्कि मौडर्न वाइफ कही जा रही है. बदलते समय में वह सिर्फ घर के प्रति अपने सारे दायित्व नहीं निभा रही, बल्कि बाहर जा कर नौकरी भी कर रही है. इस नए जमाने में उस की जिंदगी पुराने समय की गृहिणी से बिलकुल भिन्न है. दोहरी भूमिका में आज की गृहिणी ने साबित कर दिया है कि वह मौडर्न जमाने की मौडर्न वाइफ है. बच्चों के लालनपालन व परिवार की सेहत का खयाल रखना प्राय: मां की ही जिम्मेदारी कही जाती है. आज जिस तेजी से समय व परिस्थितियां बदल रही हैं, उसी तेजी के साथ बच्चों की खानपान संबंधी आदतें भी बदल रही हैं. आज वे रोटी और परांठे की जगह बर्गर, सैंडविच और पिज्जा को तवज्जो दे रहे हैं. इस का सीधा असर उन की सेहत पर पड़ रहा है. उन्हें मोटापे व अन्य कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए आज की मौडर्न गृहिणी ने भी समय के अनुरूप खुद को ढालते हुए भोजन के साथ नएनए एक्सपेरिमैंट कर नए तरीकों से बच्चों और परिवार वालों की पौष्टिक जरूरतें पूरी करना शुरू कर दिया है. वहीं पति के स्वास्थ्य व अपनी देखभाल की जिम्मेदारी भी उसी के कंधों पर है.

सेहत से समझौता नहीं

मौडर्न वाइफ अपने परिवार की सेहत के साथ किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं होती. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में समय पर खानेपीने को भी समय नहीं मिलता, लेकिन जब तक अच्छी सेहत नहीं होगी तब तक अच्छा काम नहीं होगा. बच्चों को अंदर से चुस्तदुरुस्त व तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए वह बच्चों के भोजन में ऐसे खाद्यपदार्थ शामिल करती है, जिस से स्वाद व सेहत दोनों एकसाथ मिल सकें. आज बाजार में अनेक ऐसे रेडी टु कुक, रेडी टु ईट फूड प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, जो बच्चों को बेहद पसंद आते हैं व बनाने में भी आसान होते हैं. बच्चों को रोजरोज एक ही तरह का खाना खाने से जल्दी ही बोरियत हो जाती है. इसलिए मौडर्न गृहिणी कोल्ड ड्रिंक्स की जगह बच्चों को फू्रट व वैजीटेबल जूस व शेक्स बना कर सर्व करती है, जिस से बच्चों के संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास के लिए सभी पौष्टिक तत्त्वों का समावेश हो सके. वह बाजार में मिलने वाले ऐसे फूड प्रोडक्ट्स को घर लाती है जिन में प्रचुर मात्रा पौषक तत्त्व हों, क्योंकि वह इस बात की पूरी जानकारी रखती है कि पति व बच्चे को कितनी कैलोरीज की जरूरत है. उसी के मुताबिक वह उन का खाने का चार्ट तैयार करती है. यानी पति व बच्चों की सेहत से कोई समझौता नहीं. अपने बच्चों के लिए सुबह के नाश्ते से ले कर रात को 1 गिलास नियमित दूध तक वह कहीं भी लापरवाही नहीं बरतती. हैल्दी ब्रेकफास्ट बच्चे को स्कूल में अच्छी परफार्मैंस में मदद देता है.

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मौडर्न वाइफ नाश्ते में वे चीजें शामिल करती है, जिन से बच्चे को भरपूर ऐनर्जी मिल सके. तैयार करने में आसान नाश्ते में लो फैट मिल्क, टोस्ट विद पीनट बटर, अनाज या दाल से बनी कोई चीज व जूस आदि शामिल किए जा सकते हैं. इसी तरह लंच में वे चीजें पैक करती है, जिन्हें बच्चा देखते ही खाना चाहे. यही नहीं, बचपन से ही वह बच्चों में खानपान संबंधी अच्छी आदतें विकसित करती है, ताकि वे हमेशा चुस्तदुरुस्त बने रहें. परीक्षाओं के दिनों में बच्चों के खानपान की जरूरतें उन की पूरी दिनचर्या के अनुसार सारे प्रबंध करती है, उन्हें मानसिक सपोर्ट प्रदान कर मजबूत बनाती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.

तनावमुक्त जीवन

शहरों के लोग तो तनाव के बीच ही जीते हैं. किसी के पास समय नहीं, जो एकदूसरे के घर जा कर हालचाल पूछे. आज एसएमएस और ईमेल का जमाना है. ऐसे में मौडर्न वाइफ कोशिश करती है कि उसे व परिवार को तनावमुक्त माहौल मिल सके. इसलिए घर की हर छोटीबड़ी जिम्मेदारी को वह अच्छी तरह निभाने का प्रयास करती है. आज पढ़ीलिखी मौडर्न वाइफ परिवार के हर तरह दायित्व को पूरा करने में सक्षम है. और यही नहीं, नई तकनीकों की जानकारी रखने के साथ ही वह अपने बच्चों क ो भी नई तकनीकों का ज्ञान देती है. जिस से वे विकास की दौड़ में किसी से पीछे न रह जाएं.

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इंडियन लुक में हौटनेस दिखाती नजर आईं Nikki Tamboli

कलर्स के रियलिटी ‘बिग बॉस’ (Bigg Boss) के कंटेस्टेंट रहे सितारे सुर्खियों में रहते हैं. वहीं उनसे जुड़ी अपडेट के लिए फैंस हमेशा तैयार रहते हैं. इसी बीच Bigg Boss 14 फेम निक्की तंबोली (Nikki Tamboli) अपने लुक को लेकर चर्चा में हैं, जिसका कारण वेस्टर्न नहीं बल्किन एक्ट्रेस का इंडियन फैशन है. आइए आपको बताते है पूरी खबर…

लहंगे में दिखीं निक्की

 

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हमेशा अपने वेस्टर्न लुक को लेकर चर्चा में रहने वाली एक्ट्रेस निक्की तम्बोली  (Nikki Tamboli) हाल ही में लहंगे में नजर आईं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. दरअसल, हाल ही में एक फोटोशूट में निक्की हैवी लहंगा पहने नजर आईं. वहीं औफशोल्डर ब्लाउज में निक्की तम्बोली बेहद हौट लग रही थीं. फैंस निक्की तम्बोली के इस लुक की तारीफें करते नजर आ रहे हैं.

 

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लुक्स को लेकर बटोरती हैं सुर्खियां

 

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लहंगे के अलावा निक्की तम्बोली  (Nikki Tamboli) अपने वेस्टर्न लुक फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. एक से बढ़कर एक ड्रैस में निक्की तम्बोली अपने एब्स फ्लौंट करती नजर आती हैं. फैंस को निक्की तम्बोली का फैशन काफी पसंद आता है, जिसके चलते उनकी फोटोज सोशलमीडिया पर अक्सर वायरल होती रहती हैं.

 

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प्रतीक संग कैमेस्ट्री है खास

 

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निक्की तंबोली (Nikki Tamboli) इन दिनों अपनी और बिग बौस 15 फेम प्रतीक सहजपाल की कैमेस्ट्री के चलते सुर्खियों में हैं. हालांकि शो में आकर निक्की, प्रतीक के लिए अपना सपोर्ट दिखा चुकी हैं, जिसके बाद फैंस दोनों को साथ देखने के लिए बेताब नजर आते हैं. वहीं इसी के चलते दोनों को साथ देखने के लिए फैंस गुजारिश करते हुए नजर आते हैं.

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बता दें, हाल ही में निक्की तम्बोली (Nikki Tamboli) म्यूजिक वीडियो के अलावा टीवी शो खतरा-खतरा में प्रतीक सहजपाल संग नजर आ चुकी हैं. फैंस दोनों की जोड़ी को देखकर बेहद खुश हुए थे.

पतिपत्नी के बीच खलनायक कौन

शहरी पढ़ीलिखी औरतों को तो अपने अधिकारों की काफी बातें मालूम हैं और इतनी कि वे चाहें तो पति की जिंदगी खराब कर दें. 12 साल पहले हुई शादी को हाईकोर्ट ने दिल्ली के एक युगल का तलाक मंजूर कर दिया क्योंकि पत्नी ने शादी के 2 साल घर से अलग रहने के बाद पति पर झूठा सैक्सुअल हेरेंसमैंट और क्रूएलिटी का मामला पुलिस में दर्ज कराया. हाईकोर्ट का मानना था कि झूठा मुकदमा खुद क्रुएलिटी है.

वैसे असल में पतिपत्नी विवाह में खलनायक कानून है, न पति, न पत्नी. पति और पत्नी तो कू्रूर कानून का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि कानून उन्हें एकदूसरे को परेशान करने को उकसाता है. पति और पत्नी दोनों को बताया जाता है कि कानून के सहारे दूसरे का बैंड बजाना कितना आसान है पर यह नहीं बताया जाता कि इस चक्कर में दोनों पिस जाते हैं.

तलाक के लंबे खिंचते मामलों में आमतौर पर दोनों में से एक इसे अहम की लड़ाई मान लेता है. उसे लगता है कि उस की जिंदगी तो तलाक के बाद बर्बाद होती ही है तो दूसरे को क्यों खुश रहने का मौका दिया जाए. यह परपीडऩ दंड देने समय देने वाला भूल जाता है कि वह खुद पूरे प्रोसेस की जहालत का शिकार बनता है. जो तलाक नहीं देना चाहता उस के भी जूते और सैंडल अदालतों और वकीलों के चक्कर लगातेलगाते घिस जाते हैं और जिंदगी अधर में लटकी रह जाती है.

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एक गलतफहमी औरतों के पाल रखी है कि अगर तलाक मिल जाएगा तो पुरुष तुरंत दूसरी शादी कर लेगा. असलियम यह है कि तलाकशुदा के साथ विवाह करते वालियां कम ही होती हैं. हरेक को डर लगता है. यदि किसी तीसरी की वजह से तलाक हुआ हो तो बात दूसरी वर्ना तलाक लेने के बाद जो जीवन साथी ढूंढने निकलते हैं उन्हें धक्के ज्यादा खाने पड़ते हैं.

अदालतों का वर्तमान खौफ असल में उस भारतीय संस्कृति के नगाड़ों के कारण है जिस में हर पुरानी बात को स्वयं सिद्ध माना जाता है. िहदू मैरिज एक्ट 1956 के बावजूद निचली अदालतें सोचती हैकि तलाक लेना तो पाप है चाहे पतिपत्नी दोनों साथ न रहे सकें और दोनों के अवैध संबंध हो या अलग घरों में रह रहे हो. कुछ उदार जज उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में बैठ कर चाहे व्यावहारिक, नैतिक निर्णय दे दें पर निचली सेशन कोर्ट उन्हें इग्नोर करते हुए पतिपत्नी को तब तक तलाक नहीं देती जब तक दोनों में सहमति न हो. उन का बस चले तो सहमति वाले मामलों में भी अड़चन लगाए. अभी भी सहमति वाली पिटीशन पर फिर सोचने को कह कर जज साल 2 साल निकाल ही देते हैं.

पति को बदनाम कर के पतिपत्नी क्या कभी एक साथ कभी रह सकते हैं? जब यह साफ है तो पति पर क्रूरता का झूठा मुकदमा करने के बावजूद हाईकोर्ट तक मामला 12 साल क्यों लंबा रहा. यदि पत्नी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई तो और 5-7 साल लग सकते हैं और तलाक मिलेगा तो तब जब दोनों बूढ़े हो जाएंगे. महान हिंदू संस्कृति की रक्षा अवश्य हो जाएगी जो विवाह को 7 जन्मों का साथ मानती है. इस दौरान औरत भी अकेले भाईबहनों के रहम पर रहती है और पुरुष शराब और नशे में डूबा रहता है. शास्त्रों की बात सिर माथे, कानून तो गंगा में.

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प्रैग्नैंसी के समय मेरे चेहरे झाइयां हो गई हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी उम्र 30 साल है. प्रैगनैंसी के समय मेरे चेहरे पर झांइयां हो गई थीं. 2 साल हो गए. कई तरह के ट्रीटमैंट किए, कुछ घरेलू नुसखे भी आजमाए पर कोई असर नहीं हो रहा है. बताएं, क्या करूं?

जवाब-

आप डाक्टर से मिल कर कैल्सियम, आयरन और हारमोन लैवल चैक करवाएं. फिर डाक्टर की सलाह पर ही अपनी डाइट में कैल्सियम, आयरन, विटामिन सी और प्रोटीन युक्त खाद्यपदार्थों की मात्रा बढ़ाएं. इस के अलावा धूप में जाने से पहले चेहरे व अन्य खुले भागों पर सनस्क्रीन लोशन जरूर लगाएं. यदि और कोई हैल्थ प्रौब्लम हो तो चैकअप कराएं.

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उम्र बढने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इसमें बाहरी से लेकर अंदरूनी समस्याएं भी होती हैं. सबसे ज्यादा आसानी से लोग आपकी स्किन या स्किन को देखकर अंदाजा लगाते है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन का ध्यान रखें और खुद को काॅन्फिडेंट महसूस करें.

एक्सपर्ट सौमाली अधिकारी ब्यूटी एंड लाइफ़स्टाइल एक्सपर्ट की मानें तो 30 के बाद स्किन पर समस्याएं दिखने लगती हैं. इनमें

सुस्त स्किन (स्किन डलनेस)

फाइन लाइंस

अर्ली एजिंग (जल्दी बुढापा)

झाइयां

झुर्रियां

मॉइश्चराइजर लगाएं

यदि आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं तो सबसे पहले स्किन को पहचानें कि ये ऑयली है या ड्राई. घर से बाहर या धूप में निकलने से पहले स्किन के हिसाब से फेसवॉश चुनें. इसके बाद मॉइश्चराइजर लगाएं. मॉइश्चराइजर के बाद चाहें तो आप अपनी पसंद की कोई भी क्रीम लगा सकती हैं. मॉइश्चराइजर लगाने से स्किन को नमी मिलती है. इससे झु्र्रियां कम दिखाई देती है. विटामिन सी और बायो-ऑयल्स से भरे मॉइश्चराजर का इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी.

आंखों की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी

उम्र बढने के साथ ही सबसे पहले आंखों के आसपास वाली स्किन पर असर दिखने लगता है. बहुत बारीक रेखाएं इसके आसपास दिखने लगती है, जो उम्र बढने का संकेत देती हैं. इसीलिए आंखों की क्रीम का इस्तेमाल करें, इससे आंखों के आसपास मौजूद स्किन हमेशा नम रहेगी और इससे आंखों की थकान भी दूर होगी. साथ ही ध्यान रखें कि आंखों को बार-बार न रगड़ें और न ही बार-बार पानी का छींटा मारें. इससे आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- 30 की उम्र में Skin की देखभाल – हमेशा रहेेंगी जवान

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

रोड सेफ्टी: #BeTheBetterGuy

दिल्ली के कनॉट प्लेस का एक लेट नाईट दृश्य है, जिस में एक महिला जाने माने कैफे से हाथ में काफी का कप लेकर निकलती है. और इधरउधर देखे बिना अपनी गाड़ी में बैठ जाती है. हाथ में कॉफी का कप लेकर ही गाड़ी को स्टार्ट करती है. न सीट बेल्ट पहनती है और न चेहरे पर मास्क लगाती है. और सैकंडों में तेज स्पीड में गाड़ी को लेकर निकल जाती है. ये नजारा देख मैं घबरा जाती हूं. क्योंकि मेरी कार में मेरे साथ मेरे हस्बैंड व बच्चे जो थे. एक महिला होने के नाते जब मैं रोड सेफ्टी के बारे में अच्छे से समझ कर उस के नियमों का पालन करती हूं तो फिर इस महिला को भी इसे समझना चाहिए. क्योंकि इन की छोटी सी लापरवाही इन के साथसाथ दूसरों के लिए भी बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है. बात सिर्फ एक महिला या फिर एक पुरुष की ही नहीं है, बल्कि देश के हर नागरिक को रोड सेफ्टी के नियमों का पालन करना चाहिए. ऐसे में थैंक गाड टु हुंडई मोटर इंडिया, जिस ने रोड सेफ्टी के अंतर्गत ‘बी द बेटर गाई’ अवेयरनेस कैंपेन चलाया है ताकि किसी की सेफ्टी के नियमों को समझ कर उस का पालन करें.

‘मेरा नाम पुष्पा है, मुझे शुरुआत में गाड़ी चलाने का कोई अनुभव नहीं था. लेकिन मेरे हस्बैंड को जॉब के कारण बहुत जल्दी-जल्दी बाहर जाना पड़ता था, ऐसे में कभी स्कूल वैन नहीं आने के कारण बच्चों को स्कूल से लाने के लिए कभी कैब का लंबा इंतजार करना पड़ता था तो कभी हड़बड़ी में मेरे साथ हादसा होतेहोते बचा. ऐसे में मुझे एहसास हुआ कि कब तक इस के लिए दूसरों पर निर्भर करूंगी, मुझे अब खुद ड्राइव करना सीखना होगा. क्योंकि घर में कार, स्कूली सब है, लेकिन हस्बैंड के बिना ये वाहन बस खड़े के खड़े ही हैं और काम के वक्त पर भी किसी काम के नहीं हैं. ऐसे में मैं ने एक्सपर्ट से ड्राइव करनी सीखी और आज मैं सडक़ों पर आराम से ड्राइव कर रही हूं. बस इस बीच मन में यही डर रहता है कि मैं तो आराम से सब का ध्यान रख कर गाड़ी चला रही हूं, लेकिन सडक़ पर अपनेअपने वाहनों से निकले कुछ लोग इस बात का जरा भी ध्यान नहीं रखते, जिस से हर समय मन में बस हादसे का डर बना रहता है.’

एक सडक़ हादसे की शिकार शिखा भी हुई. उस का हंसताखेलता परिवार बिखर गया. असल में एक दिन वह पास की मार्केट में अपनी गाड़ी से घर का सामान लेने गई. वह मार्केट के काफी निकट ही थी कि पीछे से तेज रफ्तार में आती गाड़ी ने उस की गाड़ी को टक्कर मार दी. उस ने सीट बेल्ट यह सोच कर नहीं पहनी थी कि पास ही तो जो रही हूं. इस हादसे में दिमाग में चोट लगने के कारण उस ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया. वह क्या सोच कर घर से निकली थी और क्या से क्या हो गया. एक लापरवाही भरे सडक़ हादसे से उस की िजदगी क्या से क्या हो गई. यही नहीं बल्कि हर रोज न जाने कितने लोग सडक़ दुर्घटना का शिकार होते हैं. ऐसे में हुंडई का ‘बी द बेटर गाई’ कैंपेन लोगों को रोड सेफ्टी नियमों के बारे में जागरूक कर के हादसों में कमी लाने में मददगार साबित होगा.

रेखा जो रोज ऑफिस अपनी गाड़ी से जाती थी, लेकिन रास्ते की ढेरों परेशानियों का सामना करते हुए. कभी कोई तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए उसे डरा जाता था, तो कभी गलत तरीके से वाहन चलाने के कारण रास्ते में जाम के कारण घंटों इंतजार करना पड़ता था.

एक दिन तो रेखा ने जो अपनी नजरों से देखा, उसे देख आज भी उस का दिल सहम उठता है. असल में एक महिला अपने छोटे बच्चे के साथ रेड लाइट होने पर रोड क्रॉस कर रही थी कि अचानक से पीछे से रेड लाइट होने के बावजूद भी बिना हॉर्न मारे एक बाइक वाला महिला व बच्चे को रौंद कर चला गया. ये सब देख वह पूरी तरह से कांप उठी. और तब से आज तक उसके मन में डर बैठ गया है. और ये कोई पहली आखिरी घटना नहीं है, बल्कि इस तरह की घुटनाएं आए रोज घटित होती हैं. ऐसे में ये कैंपेन लोगों को नई सीख देने का काम करेगा.

इस संबंध में फरीदाबाद के एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के इमरजेंसी सॢवसेज के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. सतीश चाकू बताते हैं कि लोगों के द्वारा रोड सेफ्टी नियमों का पालन नहीं करने की वजह से एम्बुलेंस को भी समय पर मरीज तक पहुंचने व उसे हॉस्पिटल पहुंचाने में देरी का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से स्थिति को संभालना कई बार काफी मुश्किल हो जाता है. और बहुत बार तो लोग एम्बुलेंस को सीरियस लेते ही नहीं है. उन्हें लगता है कि हम क्यों रास्ता दें, जो बिलकुल गलत धारणा है. ऐसे में रोड सेफ्टी नियमों के तहत जागरूकता की बहुत जरूरत है.

ऐसे में हुंडई के स्पैशल कैंपेन के अंतर्गत कौन सी बातें हैं, जिन्हें रोड सेफ्टी नियमों के अंतर्गत अमल में लाना चाहिए, आइए जानते हैं –

ऑलवेज वियर सीट बेल्ट

गाड़ी में चाहे शार्ट ड्राइव पर जाने की बात हो या फिर लौंग ड्राइव पर, सीट बेल्ट को नजरअंदाज न करें. फिर चाहे आप ड्राइव कर रहे हों या फिर साथ वाली सीट पर बैठे हों. ये सोच कर हमेशा सीट बेल्ट पहनें कि ये हमें सेफ्टी नियमों का पालन करने के साथ साथसाथ हमें व हमारे अपनों को सुरक्षित भी रखने का काम करेगी, क्योंकि जब किसी कारणवश गाड़ी अचानक से किसी चीज से टकरा जाती है, तो वाहन के अंदर बैठे व्यक्तियों को तेजी से आगे की ओर झटका लगने के कारण व्यक्ति के सिर में भी चोट लग सकती है. ऐसे मेंं सीट बेल्ट बड़े हादसे से काफी हद तक बचाने का काम करती है.

अवोइड डिस्ट्रैक्शन

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी, ये तो आपने सुना ही होगा. ऐसे में वाहन चलाते वक्त ज्यादा एन्जॉयमेंट में न आएं. जैसे गाड़ी चलाते हुए फोन पर बात करना, गाड़ी चलाने से ज्यादा आसपास के लोगों से बातें करना इत्यादि. क्योंकि जरा सा ध्यान हटने से बड़ी दुर्घटना घटने में समय नहीं लेता है. हो सकता है कि आप की इस लापरवाही का खामियाजा दूसरे को अपनी जान गवां कर देना पड़े. इसलिए सेफ्टी नियमों के तहत वाहन चलाते वक्त किसी भी तरह के डिस्ट्रैक्शन को अवोइट करें.

डोंट ड्रिंक एंड ड्राइव

हमारी गाड़ी है तो फैसला भी हमारा होगा कि हमें कैसे अपनी गाड़ी को चलाना है. पीकर ड्राइव करनी है या बिना पीए. बता दें कि भले ही गाड़ी आप की है, लेकिन रोड सेफ्टी नियमों के अंतर्गत अगर आप शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं तो आप पर जुर्माना लगने के साथसाथ आप को सजा भी हो सकती है. इसलिए खुद भी सेफ रहें और दूसरों को भी सेफ रखें. इस के लिए जरूरी है इस बात पर अमल करने की कि डोंट ड्रिंक एंड ड्राइव.

रोंग वे ड्राइिवग

हमारे हाथ में गाड़ी क्या आ गई या फिर हम गाड़ी के मालिक क्या बन गए कि हम अब सडक़ पर चलने वाले वाहनों या फिर लोगों को अपने आगे कुछ नहीं समझेंगे. अगर आप ऐसा सोचते हैं तो खुद को बदल डालें. क्योंकि आपकी रोंग वे ड्राइिवग मुसीबत का कारण बन सकती है. इसलिए ओवर स्पीड गाड़ी न चलाएं. इपनी धुन में गाड़ी न चलाएं बल्कि सडक़ पर चलने वाले लोगों को ध्यान में रख कर स्पीड को मैंटैन रख कर गाड़ी चलाएं, अपनी लेन का ध्यान रखें, लाइट को क्रॉस न करें. इस से आप खुद के साथसाथ औरों की सुरक्षा का भी ध्यान रख पाएंगे.

कम उम्र में ड्राइिवग को प्रोत्साहित न करें

हमारे पास तो पैसों की कोई कमी नहीं है, इसलिए हमारे बच्चों के एक कहने भर से कई बार उन्हें छोटी उम्र में ही उन के स्पेशल डे पर उन्हें गाड़ी गिफ्ट कर देते हैं. जिस से बच्चों के हाथ तो मानो ऐसा खजाना लग जाता है, जिस की कल्पना भी उन्होंने नहीं की होती. ऐसे में जवानी के जोश के चक्कर में ये रैश ड्राइिवग करने में पीछे नहीं रहते और बाकी सेफ्टी नियमों का पालन करने की तो बहुत ही बहुत दूर की होती है. उन्हें तो बस टशन दिखाने के लिए सब करना है, भले ही उन का ये टशन दूसरों पर भारी पड़ जाए. ऐसे में आप कम उग्र में ड्राइिवग को प्रोत्साहित न करें. बल्कि सही उम्र आने पर ही उन्हें ड्राइिवग करने दें.

पैदल चलने वालों का खयाल रखना

हम तो गाड़ी में है, इसलिए पैदल चलने वालों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता. हम तो बस तेज स्पीड में गाड़ी को दौड़ाते हैं, कभी टशन में भी स्पीडब्रेकर पर गाड़ी को लेकर चड़ जाते है. हमारी गाड़ी की तेज रफ्तार पैदल चलने वालों को भी कई बोर चोटिल कर देती है. उन में हमेशा खौफ रहता है कि सडक़ पर चलते हुए कहीं हमें कोई तेज रफ्तार गाड़ी रौंद कर न चली जाए. इसलिए आप गाड़ी में बैठ कर खुद को शहंशाह न समझें बल्कि अपनों की केयर करने की तरह ही पैदल चलने वालों को भी ख्याल रखें.

वियर मास्क

गाड़ी में है तो मास्क क्यों लगाना, अगर हर कोई ऐसा ही सोचेगा तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है. इसलिए जरूरी है हैल्थ और हाइजीन वे से, मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की.

कार सैनिटाइजेशन

आज समय की डिमांड है कि खुद को बीमारियों से बचाने के लिए समयसमय पर कार को सैनिटाइज करने की ताकि आप व आपके अपने सेफ रहें.

ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि अगर हर कोई ‘बी द बेटर गाई’ अवेयरनेस कैंपेन के अनुसार ड्राइिवग करने की कोशिश करेगा तो रोड एक्सीडेंट्स में निश्चित ही कमी देखने को मिलेगी.

इन बातों का रखें ध्यान

जब भी आप की गाड़ी में आपका बच्चा बैठा हो, तो आप चाइल्ड लॉक जरूर लगाएं. ताकि आपके बच्चे की सुरक्षा पर आंच न आए. इस बात का भी ध्यान रखें कि जब भी गाड़ी से आप उतरें तो एक बार पीछे जरूर देख लें कि कोई पीछे से या पास से तो नहीं आ रहा है ताकि हादसा होने से बच सके. साइड व्यू मिरर और रियर व्यू मिरर को ठीक से सेट कर के रखें ताकि आप को पीछे व साइड से आने वाले लोगों के बारे में पता चल सके.

कब क्या जरूरत पड़ जाए, कहां नहीं जा सकता. ऐसे में अगर आप प्रैगनैट हैं और आप को किसी कारणवश ड्राइव करनी पड़ रही है तो आप अपनी गाड़ी पर ‘प्रैगनैंट ऑन बोर्ड’ नामक स्टीकर लगा लें. जिससे आसपास वाले ध्यान रख कर गाड़ी चलाएं. ठीक इसी तरह अगर आप लर्नर हैं तो ध्यान रखें कि आप किसी एक्सपर्ट के साथ ही गाड़ी चलाएं और आपकी गाड़ी पर लर्नर का स्टीकर भी हो. ताकि आसपास वाले लोग संभल कर चलें. आप भी संभल कर गाड़ी चलाएं.

पति को बचाने के लिए Bhabhi Ji Ghar Par Hain में होगी ‘नई गोरी मेम’ की एंट्री

टीवी के पौपलुर कौमेडी शो ‘भाभी जी घर पर हैं’ (Bhabhi Ji Ghar Par Hain) इन दिनों सुर्खियों में हैं, जिसका कारण शो में होने वाली नई ‘अनीता भाभी’ (Anita Bhabi) की एंट्री है. एक्ट्रेस सौम्या टंडन और नेहा पेंडसे के बाद अनीता भाभी के रोल में एक्ट्रेस विदिशा श्रीवास्तव (Vidisha Srivastava) नजर आने वाली हैं, जिसके चलते फैंस एक्साइटेड हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ऐसी होगी अनिता भाभी की एंट्री

दो एक्ट्रेसेस के अनीता भाभी के किरदार को छोड़ने के बाद एक्ट्रेस विदिशा श्रीवास्तव नजर आने वाली है, जिसके चलते मेकर्स ने सारी तैयारी कर ली है. वहीं एक्ट्रेस की शो में ग्रैंड एंट्री के लिए शो में नया ट्विस्ट लाने के लिए तैयार हैं. दरअसल, मेकर्स ने नई अनिता भाभी की एंट्री के लिए शो में सस्पेंस बनाने की तैयारी की है, जिसके चलते विभूति नारायण को मर्डर के इल्जाम में फंसाया जाएगा. वहीं फैंस शो में इस ट्विस्ट के लिए बेसब्री से तैयार नजर आ रहे हैं.

रोल को निभाने के लिए एक्साइटेड हैं एक्ट्रेस

 

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होली के शूट में एंट्री करने वाली विदिशा ने रोल को लेकर एक इंटरव्यू में कहा है  कि ‘मैं अनीता भाभी का किरदार निभाने के लिए एक्साइटेड हूं. शो के किरदारों के साथ काम करना एक शानदार अनुभव होगा, होली मेरा सबसे पसंदीदा त्योहार है. अनीता भाभी के लिए शो में एंट्री मारने का इससे बढ़िया मौका नहीं हो सकता. मैं ऑडियंस का रिएक्शन देखने के लिए बेसब्र हूं. मैं थोड़ा नर्वस भी हूं लेकिन एक्साइटेड भी ज्यादा हूं.’

बता दें, विदिशा से पहले एक्ट्रेस सौम्या टंडन और नेहा पेंडसे इस किरदार को निभा चुके हैं, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया था. हालांकि अपने निजी कारणों के चलते एक्ट्रेसेस ने शो को अलविदा कहने का फैसला किया था, जिसके चलते फैंस काफी निराण हुए थे. वहीं अब देखना होगा कि क्या नई अनिता भाभी फैंस का दिल जीत पाती हैं कि नहीं.

मां बनने से पहले भारती सिंह ने कराया फोटोशूट, देखें फोटोज

कौमिडियन भारती सिंह (Bharti Singh) जल्द ही मां बनने वाली हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई हुई हैं. हालांकि वह प्रैग्नेंसी के दौरान भी होस्टिंग करती हुई नजर आ रही हैं. इसी बीच भारती सिंह ने पति हर्ष लिंबाचिया (Harsh Limbachiyaa) के साथ अपने मैटरनिटी फोटोशूट की झलक फैंस को दिखाई है. आइए आपको दिखाते हैं भारती सिंह के प्रैग्नेंसी फोटोशूट की झलक…

भारती सिंह ने कराया फोटोशूट

 

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दरअसल, अप्रैल के पहले हफ्ते में भारती सिंह (Bharti Singh Pregnancy) अपने बच्चे को जन्म देने वाली हैं, जिसके चलते हाल ही में उन्होंने अपनी प्रैग्नेंसी फोटोशूट (Bharti Singh Maternity Photoshoot) करवाया है. वहीं इन फोटोज में भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया की खुशी देखते बन रही है. फोटो की बात करें तो भारती पिंक कलर के रफल गाउन में नजर आईं और वहीं अपने बेबी बंप को सहलाती हुई दिखीं.

 

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फैंस ने लुटाया प्यार

 

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सोशलमीडिया पर फोटोज शेयर करते ही भारती सिंह की फोटोज वायरल हो गई हैं. जहां फैंस उनकी तारीफें कर रहे हैं तो वहीं सेलेब्स उन्हें बधाई देते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं भारती सिंह के लुक को पसंद करते हुए नजर आ रहे हैं.

 

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प्रैग्नेंसी में भी कर रही हैं काम

 

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प्रैग्नेंसी के 9वें महीने में भी भारती सिंह काम करती हुई नजर आ रही हैं. भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया इन दिनों हुनरबाज को होस्ट करते हुए नजर आ रहे हैं, जिसके चलते भारती सिंह बिजी नजर आ रही हैं.

घटा चुकी हैं वजन

 

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बीते दिनों भारती सिंह ने खुलासा किया था कि वह 15 किलो वजन घटा चुकी हैं, जिसके चलते उन्हें ढाई महीने तक प्रैग्नेंसी के बारे में पता नहीं चला था. हालांकि वह अपनी प्रैग्नेंसी को लेकर काफी एक्साइटेड नजर आ रही हैं.

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हिजाब घूंघट, धर्म की धौंस

कर्नाटक की बुरका बनाम भगवा की लड़ाई ने देश में सांप्रदायिक बवाल पैदा कर दिया है. वहां कालेज में बुरका पहन कर आने वाली मुसलिम लड़कियां भगवाधारियों के निशाने पर हैं. वे उन का अपमान कर रहे हैं, उन को धर्मसूचक गालियां दे रहे हैं और इस तरह सांप्रदायिक भावना भड़का कर धु्रवीकरण के जरीए एक राजनितिक पार्टी को चुनाव में मदद की कोशिश हो रही है.

ये भगवाधारी कभी लड़कियों के जींसटौप पहनने पर आसमान सिर पर उठा लेते हैं, तो कभी हिजाब पहनने पर. लड़कियां आसान टारगेट हैं. उन पर हमला कर के पूरी कौम को उद्वेलित किया जा सकता है. संदेश दूर तक जाएगा और पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस से कुछ फायदा पहुंचेगा.

धर्म बना राजनीतिक हथियार

हालांकि कर्नाटक सरकार ने वहां स्कूलकालेज बंद कर दिए हैं और यह मामला भी कोर्ट में है कि बुरका पहन कर लड़कियों को स्कूलकालेज में आने दिया जाए या नहीं. मगर बीते 8 सालों में धर्म को जिस तरह राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है उस से बुरका, परदा, घूंघट, धार्मिक प्रोपोगंडा कर्मकांड, व्रतत्योहार की वर्जनाएं जिन से औरतें धीरेधीरे उबर रही थीं, फिर उसी अंधकूप में जा गिरी हैं. कौन नहीं जानता कि धर्म ने सब से ज्यादा नुकसान औरत का किया है.

धर्म ने सब से ज्यादा बेडि़यां औरत के पैरों में डाली हैं. यह बात औरत को खुद सम  झनी होगी और खुद इस से निकलने के तरीके ढूंढ़ने होंगे.

‘‘मुंह क्यों छिपाना? किस से छिपाना? बचपन से जिस पिता की गोद में खेलखेल कर बड़ी हुई, जिस भाई के साथ लाड़प्यार,   झगड़ालड़ाई करती रही, 15 बरस की उम्र पर आ कर उसी पिता और भाई से मुंह छिपाने लगूं? क्यों? क्या उन की नीयत मेरे शरीर पर खराब होगी? मैं अपने पिता और भाई की नीयत पर शक करूं? क्या ऐसा किसी सभ्य घर में होता है?’’ तबस्सुम आरा बुरके के औचित्य के सवाल पर तमक कर बोलीं.

तबस्सुम एक नर्सरी स्कूल टीचर हैं. बुरका नहीं ओढ़तीं. उन की मां ने भी कभी बुरका नहीं ओढ़ा. उन्हें कभी यह बात सम  झ में नहीं आयी कि मुंह छिपाने की जरूरत क्यों है?

वे कहती हैं कि छिपी हुई चीज के प्रति तो आकर्षण और तीव्र हो जाता है. सिद्धार्थ जिन्हें गौतम बुद्ध कहते हैं, वे जब छोटे बालक थे तो किसी पंडित ने उन के पिता से कहा था कि बच्चा बड़ा हो कर या तो राजा बनेगा या संन्यासी हो जाएगा. पिता ने सोचा संन्यासी क्यों हो, इसे तो राजा ही होना चाहिए, तो उन्होंने जवान होते पुत्र सिद्धार्थ का महल सुंदरसुंदर कन्याओं, मदिरा और ऐशोआराम की वस्तुओं से भर दिया.

छोटी उम्र में उस का विवाह भी कर दिया. इतना सब छोटी उम्र में ही देख कर सिद्धार्थ का दिल भर गया और 29 साल की अवस्था में वे सब त्याग कर बुद्ध हो गए. दुनिया को ज्ञान बांटने लगे.

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मर्द की कमजोरी

इस कहानी से साफ है कि देख लो तो जिज्ञासा खत्म हो जाती है, मन स्थिर हो जाता है. अगर सिद्धार्थ के पिता ने सब औरतों के चेहरे ढक दिए होते तो औरतों के प्रति सिद्धार्थ की जिज्ञासा और आकर्षण जीवनभर बना रहता. एक स्त्री का चेहरा देखने के बाद दूसरी स्त्री में उन की जिज्ञासा उत्पन्न हो जाती. दूसरी के बाद तीसरी में और फिर चौथी में. मगर उन के सामने सब के चेहरे खुले हुए थे. लिहाजा जिज्ञासा ही नहीं हुई. अगर हिन्दू समाज और मुसलिम समाज इस छोटी सी बात को सम  झ ले और घूंघट और बुरके की प्रथा को समाप्त कर दे तो देश में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध 50% खुदबखुद कम हो जाएंगे.

औरत का मुंह देखने से अगर मर्द की नीयत खराब होती है तो यह मर्द की कमजोरी है, औरत की नहीं. अगर मर्द कमजोर है तो उसे मजबूत करने की कवायद होनी चाहिए. मर्द अगर अपराधी प्रवृत्ति का है तो उसे ठीक रास्ते पर लाने के उपक्रम होने चाहिए, लेकिन समाज ने उलटे नियम गढ़ रखे हैं. सारी पाबंदियां औरतों की आजादी पर लगा दी हैं और ये बातें उन्हें बचपन से घुट्टी की तरह पिलाई जाती हैं कि मर्द से सबकुछ छिपा कर रखना है.

औरत पर ही क्यों पाबंदियां

घूंघट या हिजाब से लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास रुकता है. जवान होती हुई लड़की पर इस तरह की पाबंदियां उस को भविष्य में एक कमजोर औरत के रूप में विकसित करती हैं. 15-16 साल की उम्र से हिजाब या परदा करने वाली लड़की न तो कोई खेल खेलती है ना व्यायाम करके अपने शरीर को तंदुरुस्त और ताकतवर बनाती है जैसेकि इस उम्र के अधिकांश लड़के करते हैं. वहीं ऐसी लड़कियां वादविवाद प्रतियोगिताओं से भी दूर अपने में ही सिमटी रहती हैं. लिहाजा आवाज उठाने की ताकत खत्म हो जाती है.

ऐसी महिलाएं भविष्य में अपने साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं के खिलाफ भी कभी आवाज नहीं उठा पातीं और हिंसा का शिकार बनती हैं. अपराध खबरों पर नजर डालें तो वही लड़कियां बलात्कार और हिंसा की शिकार ज्यादा होती हैं, जो परदानशीं रहती हैं. चाहे वे हिंदू हो या मुसलमान. औरत को परदे या घूंघट में कैद कर के दुनिया में कहीं भी उस का अपहरण, बलात्कार या हत्या नहीं रोकी जा सकती है. यदि पुरुष में चरित्र दोष है तो वह उस स्त्री पर पहले हमला करेगा जो दबीढकी, सकुचाई सी नजर आएगी. समाज में अपराध और बर्बरता न बढ़े इस के लिए पुरुषों पर पाबंदियां लगाए जाने की जरूरत है न कि स्त्री पर.

1935 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक पुरुष मुसलिम न्यायाधीश ने अपने एक फैसले में कहा था कि बुरका पहनना या न पहनना मुसलिम औरतों का अधिकार है और किसी भी पुरुष को कोई अधिकार नहीं है कि वह उसे धार्मिक कारणों से भी उस की मरजी के खिलाफ बुरका पहनने को बाध्य करे. लेकिन इस प्रगतिशील फैसले के 87 साल बाद भी इस आदिम प्रथा में कोई बदलाव नहीं आया है, उलटे अब यह प्रथा हिंदुत्व और भगवापन के उछाल के साथ क्रियाप्रतिक्रिया नियम के तहत और मजबूत हो रही है.

समर्थन और विरोध

कर्नाटक की घटना के बाद एक बार फिर हिजाब और परदे पर चर्चा गरम है और सोशल मीडिया पर परदे के समर्थन और विरोध में लाखों पोस्ट आ रही हैं.

इन प्रथाओं के विरुद्ध आवाज बुलंद करने वाली बंग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन लिखती हैं, ‘‘कोई एक हजार वर्ष पहले किसी एक आदमी द्वारा अपने निजी कारणों से यह निर्णय किया गया था कि औरतें परदा करें और तब से करोड़ों मुसलिम औरतें सारी दुनिया में इसे भुगत रही हैं. अनगिनत पुरानी परंपराएं समय के साथ खत्म हो गईं, लेकिन परदा जारी है. उलटा कुछ समय से इसे पुन: प्रतिष्ठित करने का एक पागलपन चला हुआ है.’’

अपनी किताब ‘औरत के हक में’ तस्लीमा नसरीन लिखती हैं, ‘‘नारी को स्वावलंबी होना चाहिए, मजबूत होना चाहिए, व्यक्तित्व प्रधान होना चाहिए. मैं स्त्री के मन मुग्धकारी शरीर के उत्तेजक प्रदर्शन कर के वाहवाही लेने के पक्ष में नहीं हूं. मैं चाहती हूं स्त्री अपने रूप से नहीं, गुण के बल पर प्रतिष्ठित हो. कट्टरपंथियों का नजरिया बिलकुल भिन्न है. वे स्त्री को उजाले में आने ही नहीं देते. वे स्त्री को मनुष्य के रूप में स्वीकृति ही नहीं देते.’’

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बंद हो महिलाओं का उत्पीड़न

स्वयंसेवी कार्यकर्ता नाइश हसन कहती हैं, ‘‘बुरका पुरुषों की बनाई चीज है जो अपनी सत्ता कायम रखने के लिए उस ने औरतों पर थोपी है. इस के जरीए वे औरतों की मोबैलिटी को कंट्रोल कर पाते हैं.’’

वहीं मशहूर अदाकारा शबाना आजमी का कहना है, ‘‘कुरान बुरका पहनने के बारे में कुछ नहीं कहती.’’

सोशल मीडिया पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कहा है, ‘‘यह फैसला करना महिलाओं का अधिकार है कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं. पहनावे को ले कर महिलाओं का उत्पीड़न बंद होना चाहिए. चाहे वह बिकिनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब हो, यह फैसला करने का अधिकार महिलाओं का है कि उन्हें क्या पहनना है. इस अधिकार की गारंटी भारतीय संविधान ने दी है. महिलाओं का उत्पीड़न बंद करो.’’

परदे पर बहस सदियों से जारी है. जरूरत इस बात की है कि इसलाम में जिस परदे की बात कही गई है उसे ठीक से सम  झा जाए. इसलाम ‘नजर के परदे’ की बात कहता है और यह परदा मर्द एवं औरत दोनों पर लागू होता है.

समाजसेवी नाइश हसन कहती हैं, ‘‘परदा एक अलग चीज है और बुरका एक अलग. कुरान में कहीं ऐसा नहीं कहा गया है कि औरत अपने हाथ, पैर या चेहरा ढके. इसलाम ने औरत को आदमी से ज्यादा आजादी दी है. औरत किस तरह का लिबास पहने यह उस की अपनी मरजी पर निर्भर है. बुरका पुरुषों की बनाई चीज है जो अपनी सत्ता कायम रखने के लिए पुरुषों द्वारा औरतों पर थोपी गई है.

‘‘इस के जरीए वे औरतों की ‘मोबैलिटी’ को कंट्रोल कर पाते हैं. कुरान में जिस परदे की बात है वह है ‘नजर का परदा’ अर्थात हम एकदूसरे से व्यवहार करते समय किस तरह से पेश हों. इसलिए आप देखेंगे की बुरके का चलन सब मुसलिम मुल्कों में नहीं है. अगर सऊदी अरब की बात की जाए तो एक गरम रेतीला इलाका होने के कारण वहां मर्द और औरत दोनों ही पूरे शरीर को ढकने वाले लंबेचौड़े लिबास पहनते हैं. उन की नकल करने की जरूरत हमें नहीं है क्योंकि यहां का मौसम सऊदी अरब के मौसम से अलग है.’

स्पष्ट है कि बलात्कार या छेड़छाड़ से बचने का उपाय परदा या बुरका नहीं है. जरूरत इस बात की है कि औरत को बंधनमुक्त कर के संकट के समय अपना बचाव करने के तरीके सिखाए जाएं और औरत को निशाना बनाने वाले मर्दों, भगवाधारियों, बलात्कारियों के लिए कानून और सजा को सख्त किया जाए.

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