family story in hindi
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सवाल-
मैं 25 वर्षीय महिला हूं. मेरे पिता 38 वर्ष की उम्र से हीमोक्रोमैटोसिस से पीडि़त हैं. यह आनुवंशिक बीमारी है. भले ही मेरा स्वास्थ्य अभी अच्छा है, फिर भी मुझे यह बीमारी होने का डर है. मैं व्यायाम करती हूं और संतुलित आहार लेती हूं. यह बीमारी मुझे न हो, इस के लिए मुझे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब-
हीमोक्रोमैटोसिस को ले कर आप की चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि यह आप के जींस में है. लेकिन इस बीमारी के कारण महिलाओं के अंगों को नुकसान जीवन के काफी बाद के चरणों में पहुंचता है, क्योंकि हर महीने माहवारी के जरीए उन के शरीर से खून निकल जाता है. अंग खराब होने के सभी संकेत एवं लक्षण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में 10 वर्ष बाद देखे जाते हैं. यदि आप के पूरे शरीर में बिना किसी चोट के रक्त के थक्के दिखाई देते हैं, तो फौरन डाक्टर से जांच करवाएं. आप इस बीमारी से बचने के लिए आयरन चीलेशन थेरैपी, थेरैप्यूटिक फ्लीबोटोमी करा सकती हैं, साथ ही आहार में भी कुछ बदलाव कर सकती हैं.
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गर्भ से ही कुछ बच्चों में उन के शरीर के अंगों में विकृतियां आने से ले कर उन की ऐक्टिविटीज और ऊर्जा तक बदलने आदि की समस्याएं शुरू हो जाती हैं. वे बच्चे जब इन स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जन्म लेते हैं तो उन्हें हम जन्मदोष कहते हैं. जन्मदोष के 4,000 से अधिक विभिन्न प्रकार हैं. इन में वे भी हैं जिन्हें ठीक करने के लिए किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती और दूसरे वे गंभीर बीमारियां भी हैं, जिन के लिए शल्य चिकित्सा की जरूरत पड़ती है, जिस के न होने से बच्चे के अपंगता के शिकार होने की भी संभावना रहती है. एक सर्वे के अनुसार, हर 33 में से 1 बच्चा जन्मदोष के साथ पैदा होता है. उस में भी अगर कोई बच्चा कुरूप हो कर जन्म ले या उस बच्चे के शरीर का कोई अंग गायब हो, तो उसे भी संरचनात्मक जन्मदोष ही कहा जाता है. हार्ट डिफैक्ट भी संरचनात्मक जन्मदोष का एक प्रकार है, तो हड्डियों का विस्थापित होना भी.
जो लोग मातापिता बनना चाहते हैं उन्हें यह जानना जरूरी है कि कुछ जन्मदोषों को होने से रोका जा सकता है. इस के लिए गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयोडीन तथा फौलिक ऐसिड का सेवन करना फायदेमंद रहता है. इस से बच्चे को काफी हद तक जन्मदोषों से बचाया जा सकता है.
कारण
जन्मदोष का एक कारण तो वातावरण से संबंधित होता है यानी गर्भ के दौरान बच्चा किन कैमिकल या वायरस के संपर्क में था, तो दूसरा कारण भू्रण के जीन में कोई समस्या होना हो सकता है या हो सकता है कि दोनों ही कारण हों. अगर गर्भावस्था के दौरान महिला को किसी प्रकार का संक्रमण है तो भी बच्चा जन्मदोष के साथ पैदा हो सकता है. अन्य कारण, जिन की वजह से जन्मदोष हो सकते हैं, वे हैं रुबेला और चिकन पौक्स. अच्छी बात यह है कि ज्यादातर लोगों को इन के संक्रमण से बचने के लिए टीके लगा दिए जाते हैं, इसीलिए इस प्रकार के संक्रमण होने के खतरे कम होते हैं. गर्भवती महिला के द्वारा शराब पीने से फीटल अल्कोहल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है. इस के अलावा कुछ ऐसी दवाएं भी हैं जिन्हें लेने से बच्चे में जन्मदोष की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. डाक्टर ज्यादातर ऐसी दवाएं गर्भावस्था के दौरान देने से बचते हैं. शरीर की हर कोशिका में क्रोमोसोम्स होते हैं, जो जीन से बने होते हैं. ये किसी इंसान की अद्वितीय विशेषताओं का निर्धारण करते हैं. गर्भधारण के दौरान बच्चा मातापिता से 1-1 क्रोमोसोम जीन के साथ ग्रहण करता है. इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की गलती बच्चे में क्रोमोसोम की मात्रा को बढ़ा या घटा सकती है या इस से क्रोमोसोम्स को क्षति भी पहुंच सकती है. डाउन सिंड्रोम एक ऐसा जन्मदोष है जो क्रोमोसोम की समस्या के कारण ही होता है. यह बच्चे में 1 क्रोमोसोम के ज्यादा आने की वजह से होता है. बाकी जैनेटिक डिफैक्ट भी मातापिता के गलत जीन के मौजूद होने के कारण ही होते हैं. इस प्रक्रिया को रिसेसिव इन्हैरिटैंस कहते हैं. जन्मदोष केवल एक व्यक्ति के जीन के कारण भी संभव है जिसे डौमिनैंट इन्हैरिटैंस कहते हैं.
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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे… गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
कहते हैं जीवन का असली सुख विवाह में है पर कभीकभी विवाहित जीवन में आई कुछ गलतफहमियां परिवार उजाड़ कर रख देती हैं. अगर विवाह को सफल बनाना है तो पतिपत्नी दोनों को छोटीछोटी बातों को भूल कर अपनी गृहस्थी को खुशहाल बनाना चाहिए. शादी से पहले हर लड़के या लड़की के मन में जीवनसाथी की एक छवि होती है, जो जरूरी नहीं कि हकीकत से मेल खाए. वैसे भी जब 2 भिन्न विचारधाराओं के लोग एकदूसरे के साथ रहते हैं तो उन में मतभेद होना आम बात है. इन मतभेदों को मिटा कर ही विवाह की नींव मजबूत की जा सकती है.
प्यार और विश्वास की मजबूत नींव
पतिपत्नी का रिश्ता खून का नहीं होता, लेकिन दोनों का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बढ़ कर होता है. इस रिश्ते में प्यार, समर्पण और विश्वास होता है. इस रिश्ते की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए. हमेशा अपने प्यार को खुल कर दर्शाएं. कभी भी प्यार का इजहार करने के लिए हिचकिचाएं नहीं. प्यार के साथ एकदूसरे पर विश्वास करना भी इस रिश्ते की सफलता के लिए काफी अहम है. विवाह को सफल बनाने के लिए एकदूसरे पर अटूट विश्वास करें. किसी की भी बातों में आ कर अपना विश्वास नहीं तोड़ें.
जीवनसाथी भी दोस्त भी
दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता नहीं है. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के दोस्त बन जाएं तो जीवन की कठिन राहें भी आसान हो जाती हैं. प्यार, विश्वास और दोस्ती के साथ रह कर जिंदगी को और भी खूबसूरती से जिया जा सकता है. यह मानना है हाउसवाइफ रंजना सक्सेना का. उन की मानें तो पतिपत्नी छोटीछोटी बातों को भूलना सीखें और हर बात पर टोकाटाकी न करें. इस से जीवन में तनाव आ जाता है. अपनी सभी महत्त्वपूर्ण बातों में एकदूसरे को राजदार बनाएं. इस से आपसी भरोसा बढ़ता है.
समझें एकदूसरे की भावनाओं को
पतिपत्नी को एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए. दोनों को पहले एकदूसरे को जानना जरूरी है. कोई भी ऐसी बात न कहें जिस से पति या पत्नी आहत हो. अपनी कमियों और भूलों को स्वीकार करना चाहिए. इस से दोनों का रिश्ता मजबूत होगा. लड़कियों को हर समय अपने मायके की तारीफ नहीं करनी चाहिए, इसे ससुराल वाले अपना अपमान मान सकते हैं. कुछ घरों में पति अपनी पत्नी से असम्मानजनक व्यवहार करते हैं, ऐसा कर के वे अपनी पत्नी के दिल में अपने प्यार और समर्पण की जगह नफरत पैदा करते हैं. एकदूसरे की भावनाओं को समझ कर अच्छा व्यवहार करें.
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पैसों को न दें अहमियत
अगर घर में सिर्फ पति कमाते हैं तो उन्हें कभी भी इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि मैं कमाता हूं और मेरी पत्नी आराम से घर में रहती है और न ही पति से ज्यादा कमाने वाली पत्नी इस बात को मन में लाए कि वह पति से ज्यादा कमाती है. पति ध्यान रखें कि अगर पत्नी हाउसवाइफ है तो भी घरगृहस्थी चलाने के लिए जीतोड़ मेहनत करती है. याद रखिए, घर बसाना किसी एक के बस की बात नहीं है. इसलिए एकदूसरे का सम्मान करें.
परिवार का महत्त्व
एकदूसरे के परिवार को हमेशा सम्मान दें. पति या पत्नी के परिवार के सदस्योें को प्यार और इज्जत दें. साथ ही ध्यान रखें कि आप के परिवार की छोटीछोटी बातें बाहर वालों को पता न चलें. अगर मामला गंभीर हो तो शांति से उस पर विचार करेें और जरूरत पड़ने पर अपने किसी विश्वसनीय मित्र की सहायता लें. कोई भी फैसला करने से पहले पति को अपनी पत्नी और पत्नी को अपने पति से राय जरूर ले लेनी चाहिए.
थोड़ा फौर्मल हो जाएं
एकदूसरे की तारीफ करने में कंजूसी न करें. अपनी तारीफ सुनना पति और पत्नी दोनों को ही अच्छा लगता है. इस के अलावा समयसमय पर एकदूसरे को सरप्राइज गिफ्ट दे कर भी अपनी भावनाएं और प्यार प्रकट करना चाहिए. भले ही यह सब आप को औपचारिकता लगे, पर ये छोटीछोटी बातें जीवन में खुशियां भर देती हैं.
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बचें इन बातों से
आप एकदूसरे को प्यार तो करें, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर अपनी शारीरिक हरकतों पर नियंत्रण रखें.
एकदूसरे की बातें सुनने का प्रयास करें, न कि अपनी ही बात को ले कर हावी हो जाएं.
अपने साथी से किसी भी विषय पर बात करें, लेकिन बातचीत को बहस में न बदलने दें.
तनाव के क्षणों में आप एकदूसरे के पास रह कर तनाव का कारण समझने और समाधान करने का प्रयास करें.
व्यस्त दिनचर्या में भी एकदूसरे के पास बैठने, गपशप करने और योजनाएं बनाने के लिए वक्त निकालें.
पत्नियां पति के घर पहुंचते ही समस्याओं का रोना न रोएं और पतियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे भी अपनी पत्नियों को यह बात न सुनाएं कि मैं तो घर के खर्च से तंग आ गया हूं.
एकदूसरे की आलोचना न करें.
काम के दौरान बेवजह बारबार फोन कर के एकदूसरे को डिस्टर्ब न करें.
किसी भी एक के प्यार में बनावटीपन या औपचारिकता दूसरे से दूर कर सकती है.
छुट्टी का दिन एकदूसरे के साथ बिताना चाहिए पर कभीकभी अलगअलग समय बिताना भी अच्छा होता है.
आप भले ही एकदूसरे से बहुत प्यार करते हों पर घरपरिवार के समारोह या किसी भी पार्टी में हर पल एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर घूमना ठीक नहीं है.
पति या पत्नी दूसरे को अपनी जागीर समझ कर उस पर हर वक्त हक न जमाए.
एकदूसरे की हरकतों पर नजर रखना, शक करना, आप के बीच दूरियां बढ़ा सकता है.
सप्ताह के अंत में कुछ नयापन लाएं, जिस से इस भागदौड़ की जिंदगी में कुछ चैन और सुकून मिले.
रोमांसपूर्ण आकर्षण के लिए अपने पहनावे पर पूरा ध्यान दें. वही कपड़े पहनें, जो एकदूसरे को अच्छे लगते हों.
प्यारभरा एक स्पर्श अपनेपन के एहसास को और भी बढ़ा देता है.
समर में जहां फैशन में पेस्टल कलर्स का ट्रेंड चल रहा है, वहीं होम डेकोर की अगर बात करें तो कूल और न्यूट्रल कलर व्हाइट और ऑफ व्हाइट का चलन है. वैसे भी व्हाइट और ऑफ व्हाइट रंगों की दीवारें किसी कैनवास से कम नहीं होती.
गर्मियों में घर को कूल लुक देने के लिए सफेद दीवारों को कुछ इस अंदाज में सजाएं और गर्मी से भी निजात पाएं. लिविंग रूम में सफेद दीवार होतो तो यहां फर्नीचर भर कर उसे गंदा न करें, सिर्फ एक सोफा रखें, लिविंग रूम खुला-खुला लगेगा, दीवार में लाइट शेड में एक बड़ी-सी तस्वीर टांग सकते हैं. एक बुक शेल्फ भी रखी जा सकती है. तस्वीर में आप पारिवारिक तस्वीर का चयन भी कर सकते हैं. वहीं दूसरी ओर घर में आप किसी भी कमरे में एक दीवार को पेस्टल या न्यूट्रल कलर करवा सकते हैं.
उस पर पारिवारिक तस्वीरें लगा लें. ये तस्वीरें छुट्टियों की हो सकती हैं या मस्ती के मूड की. इन तस्वीरों को ब्रास फ्रेम करवाकर एथनिक टच दिया जा सकता है. चौकोर, त्रिकोण, अंडाकार किसी भी आकार की फ्रेमिंग करवा सकती हैं.
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यदि आपकी सफेद दीवारों वाले घर में सीढियां हैं तो आप इनके साथ क्रिएटिविटी कर सकते हैं. हर स्टेप को अलग-अलग रंग में रंगवा दें या फिर दो-तीन रंगों का प्रयोग करके ड्रामेटिक लुक दिया जा सकता है.
सफेद दीवारों वाले घर में रंगों के साथ खेला जा सकता है. आप चाहें तो रंग-बिरंगे परदों, चादर, कुशन आदि का इस्तेमाल कर सकती हैं. ड्राइंग रूम में लाल, पीले, नीले रंग के कुशन्स कमाल के दिखते हैं और घर को एथनिक टच भी देते हैं. इसी तरह बेडरूम में गुलाबी, पीच रंग के परदे और चादरें अच्छी लगती हैं.
गर्मी के मौसम में फ्लोरल पैटर्न सबसे ज्यादा जंचता है. इस पैटर्न को आप परदे के साथ चादरों पर भी आजमा सकती हैं. सफेद रंग के घर में लाल, पीले रंग के फूल वाले परदे और चादरें खूबसूरत दिखेंगी. ड्राइंग रूम में सेंट्रल टेबल पर फूलदान में ताजे फूल भला किसे अच्छे नहीं लगेंगे. चाहें तो साथ में कुछ हरे पत्ते भी रख दें.
बाहर की हरियाली घर में उतर आएगी. यदि आपके घर में बालकनी है या खिड़कियों के पास थोड़ी जगह बची रहती है तो छोटे गमले को सफेद रंग में करवाकर इनमें हरे पौधे लगाए जा सकते हैं. कुछ फूल सिर्फ गर्मियों में होते हैं, इन्हें भी आप इन गमलों में लगा सकती हैं.
वार्निंग का अर्थ है किसी आने वाले खतरे की निशानी. हम अपने आसपास होने वाली हर हरकत का ध्यान रखते हैं और यदि हमें किसी चीज की हलकी सी भी वार्निंग मिलती है, तो हम उस से दूर हो जाते हैं ताकि हमें किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. लेकिन जब यही बात जुड़ी होती है हमारी सेहत से तो हम कई वार्निंग सिग्नल्स यानी खतरे की निशानियों को अनदेखा कर देते हैं. अगर सीने में हलका सा दर्द हो तो हम यह सोच कर उसे अनदेखा कर देते हैं कि शायद गैस का दर्द हो. हम यह सोचना भी नहीं चाहते कि यह दिल से जुड़ी किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. हमारी यही असावधानियां हमें बीमारी की ओर धकेल देती हैं. प्राइमस सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल के डा. अनुराग सक्सेना के अनुसार हमारा शरीर हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी हर बीमारी का हमें वार्निंग सिग्नल देता है और दिल से जुड़ी बीमारियों के कई वार्निंग सिग्नल्स होते हैं जैसे:
चिंता: अधिक चिंता दिल से जुड़ी बीमारी का एक मुख्य कारण है. ऐसी स्थिति में कभीकभी इंसान को इतनी तकलीफ होती है कि उस से उसे मृत्यु होने का आभास होने लगता है.
सीने में बेचैनी: सीने में बेचैनी और दर्द का आभास खतरे की घंटी है. यह दिल से जुड़ी बीमारी का एक लक्षण है. परंतु हर किसी के मामले में नहीं. जो दर्द हृदयरोग से संबंधित होता है वह अकसर छाती की बाईं ओर होता है. उस समय मनुष्य को ऐसा महसूस होता है मानों सीने पर भारी सामान रख दिया हो.
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खांसी: अधिक खांसी दिल के दौरे का एक मुख्य लक्षण है. इस का मुख्य कारण है फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमा होना. कुछ मामलों में दिल की विफलता के साथ खून की उलटी भी होती है.
चक्कर आना: चक्कर आना भी दिल के दौरे के लक्षण है. इस से चेतना की हानि होती है.
थकान: विशेष रूप से महिलाओं के बीच असामान्य थकान दिल का दौरा पड़ने के दौरान होने वाला एक लक्षण है. ऐसे समय पर डाक्टर से जरूर मिलें, क्योंकि जरूरी नहीं है कि थकान का सिर्फ यही कारण हो. अपनी दिनचर्या का भी खास खयाल रखें.
शरीर के अन्य भागों में दर्द: कुछ दिल के दौरों में दर्द सीने में शुरू होता है और कंधे, हाथ, कुहनी, पीठ, गरदन, जबड़े या पेट तक फैल जाता है. मगर कई बार सीने में दर्द नहीं होता. 1 या दोनों हाथों या कंधों के बीच के हिस्सों में दर्द होता है. अनियमित दिल की धड़कन: दिल की धड़कन के अनियमित होने के कई कारण हैं जैसे रक्तचाप बढ़ना, तेज चलना आदि. परंतु दिल की धड़कन का अनियमित होने का एक कारण दिल का दौरा भी है. इस के कई और भी लक्षण हैं जैसे सांस फूलना, पसीना आना, सूजन, दुर्बलता का एहसास होना आदि. कई ऐसी और बीमारियां भी हैं जो हमें वार्निंग सिग्नल्स देती हैं. उन में पैरालाइसिस भी एक है.
पैरालाइसिस का अर्थ है शरीर में हिलनेडुलने की क्षमता का खत्म हो जाना. पैरालाइसिस की बीमारी कई प्रकार की होती है. यह शरीर के अलगअलग भाग को प्रभावित करती है जैसे किसी के हाथों को तो किसी के पैरों को. किसीकिसी केस में पैरालाइसिस चेहरे को भी प्रभावित करता है.
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प्राइमस हौस्पिटल के मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डा. के.के. चौधरी के अनुसार पैरालाइसिस का मुख्य कारण ऐक्सीडैंट, शौक या ट्रामा होता है. ब्लडप्रैशर बढ़ने से भी इस का खतरा होता है. मस्तिष्क से जुड़ी और भी कई बीमारियां होती हैं, जिन का खास खयाल रखना चाहिए. इस के मुख्य लक्षण हैं ध्यान न लगा पाना, सिरदर्द, याददाश्त में कमी, व्यवहार में बदलाव, मांसपेशियों पर नियंत्रण की कमी आदि.
– डा. अनुराग सक्सेना प्राइमस सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल
रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः समीर नायर, दीपक सहगल, समीर गोगाटे
निर्देशकः शाद अली
कलाकारः जयदीप अहलावत, मो. जीशान अयूब, असरानी, श्रुति सेठ, जीतेंद्र जोशी , सतीश कौशिक, माया अलघ, सारवरी देशपांडे, इंद्रनील सेनगुप्ता , प्रेशा भारती, निपुन धर्माधिकारी, अरविंद कुपलीकर, टीना देसाई, मुग्धा गोड़से व अन्य.
अवधिः लगभग तीन घंटे 45 मिनट, 32 से 49 मिनट के छह एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5 पर 18 मार्च से स्ट्रीम
2019 की चर्चित ब्रिटिश डार्क कौमेडी वेब सीरीज ‘‘गिल्ट’’का हिंदी रीमेक ‘‘ब्लडी ब्रदर्स’’ भाईचारे, रिश्ते, अविश्वास के साथ रिश्तों में आती दरार, प्रेम, लालच, वासना और अपराध मिश्रित एक बोर करने वाली कथा है. जो कि 18 मार्च से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर स्ट्रीम हो रही है.
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कहानीः
कहानी शुरू होती है उटी में सखी (सारवरी देशपांडे) की शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी से, जिसमें सखी का पूर्व प्रेमी व किताब की दुकान चलाने वाले दलजीत ग्रोवर (मो. जीशान अयूब)के साथ उसका बड़ा भाई व वकील जगजीत ग्रोवर (जयदीप अहलवात) जो पेशे से वकील है, और दूसरे तमाम लोग मौजूद हैं. सभी जमकर शराब पीते हैं. फिर जगजीत और दलजीत दोनोे भाई जगजीत की कार से निकलते हैं, मगर कार दलजीत चला रहा होता है. शराब के नशे में उनकी कार एक बूढ़े इंसान साम्युअल अल्वारेज (असरानी) को टक्कर मार देती है. दोनों भाई कार से उतर कर साम्युअल को उनके घर के अंदर ले जाते हंै. दलजीत अपनी पर्स सैम्युअल के घर मंे ही भूल जाते हैं. पर जगजीत वहां पर मौजूद कागज से यह जान जाता है कि सैम्युअल कैंसर के मरीज थे. दोनों भाई वहां से चले जाते हैं. मगर दलजीत इस हादसे को नही भूल पाता. उसे लगता है कि कभी भी उसके गले में फंदा लग सकता है. पर जगजीत उसे आश्वस्त करता रहता है कि सब कुछ ठीक होगा. दूसरे दिन दोनों भाई फिर से साम्युअल के घर के पास जाते हैं, तो देखते हैं कि पुलिस साम्युअल की मृतदेह को एम्बूलेंस मंे डालकर ले जा रही है. दूसरे दिन अखबार में खबर छप जाती है कि सैम्युअल की मौत कैंसर की बीमारी से स्वाभाविक मौत हो गयी. पर दलजीत के पास साम्युअल के वकील जयंत मेहरा (नरेंद्र सचर) का फोन आता है कि उनका पर्स सैम्युअल के घर पर है, जाकर ले आएं. साम्युअल की प्रेअर मीटिंग के वक्त दलजीत व जगजीत दोनो जाते हैं, जहां उनकी मुलाकात साम्युअल की भतीजी सोफी (टीना देसाई )से होती है, जो मंुबई से आयी है. सोफी की मदद करने के बहाने दोनो भाइयों का साम्युअल के घर आना जाना शुरू होता है. इधर तान्या ( मुग्धा गोड़से ) के जिम में कसरत कसरत करते करते जगजीत की पत्नी प्रिया ग्रोवर ( श्रुति सेठ ) तान्या के साथ घूमना शुरू करती है. तान्या लेसबियन है और वह प्रिया ग्रोवर से प्यार करने लगती है. पर प्रिया को तान्या से रिश्ते बनाने की इच्छा नही है. मगर एक दिन अपने पति की व्यस्तता के चलते अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए तान्या के पास जाती है. दोनों के बीच समलैंगिक संबंध बनते हैं. इधर जगजीत व दलजीत खुद को साम्युअल की मौत मामले में निर्दोष बचाए रखने के लिए चालेे चलते हैं. जगजीत अपने दोस्त व जासूस दुश्यंत (जीतेंद्र जोशी ) को लेकर सोफी के पास जाते हैं. उधर साम्युअल ने अपना बंगला पड़ोसी शीला डेविड (माया अलघ) के नाम और अपनी किताबें अपनी भतीजी सोफी के नाम लिख रखी हैं. शीला डेविड ने इस तरह से सीसीटी लगवा रखा है कि सड़क व साम्युअल के घर की हर घटना नजर आती है. इसी का सहारा लेकर शीला डेविड मुंह बंद रखने के लिए जगजीत से पचास लाख रूपए लेती है. उधर दुश्यंत की जांच से खुद पर आंच आती देख जगजीत उसके साथ इस तरह से पेश आता है कि उनके बीच रिश्ते में खटास आ जाती है. फिर दुश्यतं अपने तरीके से जासूसी करना जारी रखता है. तो पता चलता है कि जगजीत तो अपरोक्ष रूप से माफिया डॉन हांडा (सतीश कौशिक)के लिए काम करता है. हांडा की तीन सौ कंपनियां दलजीत की किताबों की दुकान के पते पर रजिस्टर्ड है. यहां से कहानी कई मोड़ लेती हैं. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. पता चलता है कि तान्या, हांडा के इशारे पर काम कर रही है. शीला डेविड और हांडा एक ही हैं. सोफी से दलजीत को प्यार हो गया, पर वह असली सोफी नही है. वह तो शीला की ही मोहरा है. जगजीत की पत्नी प्रिया ग्रोवर, जगजीत को घर से निकाल देती है, जगजीत और दलजीत के बीच खाई बढ़ जाती है. दुश्यंत , शीला व दलजीत एक साथ खड़े नजर आते हैं. जगजीत को पुलिस ले जाती है,
लेखन व निर्देशनः
पटकथा काफी सुस्त और कमजोर है. लिखावट अति बचकानी है. लेखक के ज्ञान का अंदाजा इसी बात से किया जा सकता है कि सीरीज के मुख्य पात्र जगजीत जो कि जाने माने वकील हैं, उन्हें यह नही पता कि दुर्घटना के बाद मृत इंसान को उसके घर छोड़ते हुए उसके घर के सामानों पर भी अपने हाथ व पैरी के निशाने नही छोड़ना चाहिए. इता नही नही दलजीत या जगजीत के चेहरे पर कभी पसीना नही आता. इतना ही नही वेब सीरीज में बेवजह लेस्बियन प्रेम कहानी ठॅूंसना तो नियम सा बन गया है. इसमें भी प्रिया व तान्या के बीच की लेस्बियन प्रेम कहानी व संबंध जबरन ठॅूसे हुए ही नजर आते हैं.
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लेखक व निर्देशक को खुद नही पता कि उन्हे किस किरदार से क्या करवाना है?सभी किरदार कैरीकेचर के अलावा कुछ नही. कहानी वर्तमान व अतीत के बीच हिचकोले लेते हुए चलती है. पहले पांच एपीसोड तक दर्शक उटी की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं. कहानी में जो भी मोड़ आते हैं, जो भी खुलासे होते हैं, वह सब छठे एपीसोड में ही हैं. रोमांच का घोर अभाव है. लेखक ने भ्रमित करने वाली कहानी को उलझाने के अलावा कुछ नही किया. अपराध कथा में अचानक डॉन वाला एंगल ठूंसने की क्या जरुरत थी, यह तो लेखक व निर्देशक ही जाने.
अभिनयः
जब किरदार सही ढंग से न लिखे गए हों और पटकथा में दमखम न हो तो बेहतरीन कलाकार भी अपने अभिनय में कुछ खास नही कर पाता. फिर भी जयदीप अहलवात और मोहम्मद जीशान अयूब की मेहनत नजर आती है. अपराध के सरगना हांडा के छोटे किरदार में सतीश कौशिक अपनी छाप छोड़ जाते हैं. जीतेंद्र जोशी, टीना देसाई, माया अलघ, श्रुतिज सेठ का अभिनय प्रभावशाली नही है.
मीरा अपनी बात पूरी कर पाती उस से पहले ही विजय बोल उठा, ‘‘2 लोग नहीं मीरा… मैं तो ज्यादातर दादादादी के पास ही रहता हूं… मुझे वहां अच्छा नहीं लगता. कभीकभार ही वहां जाता हूं.’’
‘‘कभीकभार जाने का मतलब?’’ मीरा ने हैरानी से पूछा, ‘‘कभीकभार जाओगे तो उस घर में रचोगेबसोगे कैसे?’’
‘‘मुझे वहां रचबस कर क्या करना है मीरा? मेरे अपने पिता का घर है न मेरे पास… मेरी मां का घर है वह, उन्हें वहां रचनाबसना है और वह पूरी तरह रचबस भी गई हैं वहां. इस का प्रमाण यह है कि मैं अगर 2-4 दिन मिलने न भी जाऊं तो भी उन्हें पता नहीं चलता. इतनी व्यस्त रहती हैं वे अपनी नई गृहस्थी को सजानेसंवारने में कि मुझ से पूछती भी नहीं कि इतने दिन से मैं आया क्यों नहीं मिलने? दादाजी और मैं यही तो चाहते थे कि मां को जीवनसाथी मिल जाए और वे अकेली न हों.’’
‘‘तुम ने तो पहले कभी नहीं बताया कि तुम वहां नहीं रहते? मैं तो सोचती थी कि तुम साल भर से वहीं रह रहे हो.’’
‘‘पूरे साल में कुछ ही दिन रहा हूं वहां. सच पूछो तो वह घर मेरा नहीं लगता मुझे.’’
‘‘नए पापा भी कुछ नहीं कहते? तुम्हें रोकते नहीं?’’
‘‘शुरूशुरू में कहते थे. मोनू भैया के साथ वाला कमरा भी मुझे दे दिया था. मगर कमरे का लालच नहीं मुझे. दादा दादी का पूरा घर है मेरे पास. सवाल अधिकार का नहीं है न. सवाल स्नेह और सम्मान का है. घर या कमरा वजह नहीं है मेरे वहां न रहने की. मैं वहां रहता हूं तो मुझे लगातार ऐसा महसूस होता रहता है कि मोनू मेरी मां का सम्मान नहीं करता. यह मुझे कचोटता है. शायद मेरा रिश्ता ही ऐसा है… तुम यह भी कह सकती हो कि मैं छोटे दिल का मालिक हूं. हो सकता है कुछ बातों को पचा
पाना मेरे बस में नहीं है. फिर भी बहुत कुछ पचा रहा हूं न मैं. मेरी मां जो सिर्फ मेरी थी आज उस पुरुष के साथ खुश हैं, जो मेरा पिता नहीं है.
अगर मैं अपनी मां पर अपना अधिकार छोड़ रहा हूं तो मोनू को मां तो इस रिश्ते का सम्मान करना चाहिए न?’’
‘‘उस का मन तुम्हारी तरह बड़ा नहीं होगा न विजय.’’
‘‘हां, यह भी हो सकता है कि उस के पास मीरा जैसी दोस्त नहीं होगी?’’
क्षणिक मुसकरा कर बात को रफादफा कर मैं ने विषय को मोड़ तो दिया, मगर सत्य यह था कि जिस तरह एक पिता अपनी बेटी को ले कर चिंतित रहता है उसी तरह मैं भी अपनी मां को ले कर परेशान रहने लगा हूं. कहीं पुनर्विवाह उस के लिए मुसीबत तो नहीं बनता जा रहा?
नए पापा मां का पूरापूरा खयाल रखते हैं और वे अपना सजासंवरा घर, संभली गृहस्थी देख कर प्रसन्न भी नजर आते हैं. उन के चेहरे पर मां के प्रति आभार भी नजर आता है.
मां की तरफ से मुझे चिंता नहीं. बस मोनू भैया का व्यवहार अशोभनीय है. मां का चेहरा पढ़ता रहता हूं मैं. मुझे पता है उन में भी सहने का काफी माद्दा है. बस सोचता हूं किस दिन यह हद समाप्त होगी और जिस दिन यह हद समाप्त होगी उस दिन कैसा लावा फूटेगा पता नहीं. मैं वहां नहीं रहता. एक तरह से वहां किसी भी हद के टूट जाने का कारण मैं नहीं बनना चाहता. फूंकफूंक कर पैर रखता हूं ताकि मेरी मां का घर बसा रहे. उन्हें किसी संकट में न डालूं, यही सोच मिलने से मां बचता रहता हूं. दादादादी भी उठतेबैठते मेरा चेहरा पढ़ते रहते हैं. मैं अपनी मां से मिलता रहता हूं या नहीं वे अकसर पूछते रहते हैं. कभी कह देता हूं नहीं मिला हूं और कभी झूठ भी कह देता हूं कि मिल आया हूं. कभीकभी अजीब सी घुटन होने लगती है.
‘‘विजय, क्या सोच रहे हो?’’ मीरा जब भी मिलती है बस अब यही पूछती है. ‘‘फाइनल इम्तिहान सिर पर है… कुछ पढ़ भी पा रहे हो या नहीं?’’
मेरी दुखती रग पर जैसे उस का हाथ पड़ा था. मैं क्या कहूं? वह भलीभांति समझ रही है मेरी मनोस्थिति. मैं नहीं पढ़ पा रहा हूं, वह यह जानती है.
मोनू का खयाल ही हर वक्त दिमाग में रखोगे तो कब पढ़ोगे? मां अगर मोनू की वजह से परेशान हैं तो क्या तुम मां को और परेशान करोगे? यह सब तो चलता रहेगा… तुम अपना समय तो बरबाद मत करो. जीवन है तो समस्याएं भी होंगी. तुम कुछ बनोगे तो ही मां को भी सहारा दे पाओगे न?
मीरा का यह सवाल काफी था मुझे जगाने को. मैं जीजान से अपनी पढ़ाई में जुट गया. सच कह रही है मीरा कि अगर कुछ कर नहीं पाया तो मां को भी क्या सहारा दे पाऊंगा.
अब मैं अपने कमरे में ही रहता. दादी मेरा खानापीना सब देख रही थीं. दादाजी कभी फल काट कर ले आते तो कभी बादाम छील कर खिलाते. मेरे सारे काम वही करने लगे थे.
‘‘तू अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई में लगा… कोई चिंता मत कर… हम दोनों हैं न तेरे पास.’’
मां से फोन पर बात कर लेता. वे ठीकठाक हैं, यही आश्वासन मेरे बुझते दीए में तेल का काम करता.
परीक्षा खत्म हो गई. मुझे संतोष था कि मैं ने जो किया अच्छा किया. आखिरी पेपर दे कर घर आया. घर पर मां और पापा सामने खड़े थे. सुखद आश्चर्य हुआ कि आखिर मां को मेरी याद आ ही गई. मां का चेहरा गौर से देखा. उन के माथे पर ढेर सारे बल थे. पापा ने पास आ कर मेरा कंधा थपथपाया.
‘‘पेपर अच्छे हो गए न बेटे… हम तुम्हें लेने आए हैं… अब अपने घर चलो बच्चे.’’
जैसे कुछ अनचाहा कह दिया हो उन्होंने, ‘‘अरे नहींनहीं… अपने घर से क्या मतलब… वह मेरा घर थोड़े है? मैं यहीं ठीक हूं… मेरा घर तो यही है,’’ अनायास मेरे मुंह से निकल गया.
‘‘इतने दिन हम चुप रहे तो सिर्फ इसलिए कि तुम्हारे पेपर थे… लेकिन अब और नहीं.’’
‘‘नहीं पापा मुझे वहां नहीं जाना. कृपया मुझे मजबूर न करें.’’
‘‘मोनू से तुम्हारा कोई झगड़ा हुआ है क्या? वह कह रहा था तुम ने उस की मां का नाम ले कर उसे बदनाम किया है,’’ सहसा मां ने ऊंचे स्वर में पूछा.
सीरियल अनुपमा में इन दिनों होली सेलिब्रेशन देखने को मिल रहा है. हालांकि इस सेलिब्रेशन के बाद सीरियल में हंगामा होता हुआ नजर आने वाला है. दरअसल, जहां अनुज, अनुपमा से शादी का ऐलान करेगा तो वहीं बा और अनुपमा के बीच बहस देखने को मिलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
शादी का ऐलान करता है अनुज
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अब तक आपने देखा कि अनुपमा ने अनुज के साथ बिताए पलों को याद करती है, जिस पर समर उसे चिढ़ाता हुआ नजर आता है. इसी बीच अनुज भांग के नशे में धुत होकर पानी की टंकी पर चढ़ जाता है और पूरे परिवार के सामने अपने प्यार का ऐलान करता है, जिसे सुनकर पूरा शाह परिवार हैरान रह जाता है. इसी के साथ वह अनुपमा से शादी का भी ऐलान करता है.
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समाज उठाएगा अनुपमा पर सवाल
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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज के शादी के ऐलान के बाद पूरा समाज अनुपमा पर आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि अब वह दादी बनकर शादी करेगी. वहीं बा इस बात को सुनकर गुस्से में नजर आएगी. दूसरी तरफ अनुज टंकी से नीचे उतर जाएगा और हंसमुख से शादी की बात करता नजर आएगा. इसी के साथ वह वनराज को कहेगा कि वह बुद्धिमान है. लेकिन अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता.
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राखी करेगी अनुपमा की बेइज्जती
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इसके अलावा आप देखेंगे कि शादी की खबर के बाद किंजल की मां राखी अनुपमा के चरित्र पर सवाल उठाते हुए उसकी बेइज्जती करेगी, जिसे सुनने के बाद बा भी अनुपमा को खरीखोटी सुनाएगी और अनुपमा से कहेगी कि उनके रहते हुए वह अनुज से शादी नहीं कर पाएगी. अब देखना होगा कि बा और राखी दवे की नाराजगी के बाद क्या अनुपमा और अनुज की शादी हो पाएगी.
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वैसे तो बालों को सुखाने के लिए धूप ही सबसे बेहतर विकल्प है, लेकिन यदि मौसम ठंडा या बारिश का हो, तो बालों को सुखाने के लिए ड्रायर का इस्तेमाल किया जा सकता है. हां, अगर आप नियमित तौर पर हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको इसके नुकसान और सावधानियों के बारे में जरूर जान लेता चाहिए.
बालों को नया हेयर स्टाइल देने के लिए भी हेयर ड्रायर का इस्तेमाल होता है. लेकिन इसके नुकसान भी जल्द ही दिखाई दे सकते हैं. हेयर ड्रायर का अत्यधिक इस्तेमाल बालों की प्राकृतिक सुंदरता छीन सकता है. वहीं इसके रोजाना इस्तेमाल से बालों में डैंड्रफ, क्लीडेंट, डल एंड ड्राइनेस जैसी समस्याएं बढ़ सकती है और बाल रूखे व बेजान होकर टूटने लगते हैं. हेयर ड्रायर के नुकसान का एक प्रमुख कारण इससे निकलने वाली हीट ही है, जो बालों की जड़ों को नुकसान पहुंचाती है और बालों को दो मुंहा भी बनाती है.
सावधानियां
1. हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रखें कि बालों से इसकी दूरी 6-9 इंच की जरूर हो. ऐसा न होने पर बालों में रूखापन बढ़ जाएगा और वे जल्दी टूटने भी लगेंगे.
2. हेयर ड्रायर प्रयोग करने से पहले बालों में सीरम लगा लें, ताकि ड्रायर की हीट से बालों को ज्यादा नुकसान भी न पहुंचे और बाल मुलायम हो सकें.
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3. आपके बालों के प्रकार के अनुसार ही हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करना बेहतर होगा. जैसे कि बाल कर्ली हैं, रूखे हैं, सॉफ्ट हैं या सिल्की हैं, इसके अनुसार आपको तापमान या फिर समय की आवश्यकता होगी.
4. ड्रायर के इस्तेमाल करने से पहले बालों की कंडीशनिंग करना न भूलें. कई बार सही तरीके से इस्तेमाल न किए जाने पर बाल ड्राय होने के साथ-साथ उलझ भी जाते हैं, जो इनके टूटने का कारण बनता है.
5. रूखे बालों में जितना हो सके कम ड्रायर का इस्तेमाल करें. कोल्ड ड्रायर का इस्तेमाल करें क्योंकि इसमें आयन ज्यादा होते हैं जो पॉजिटिव होते हैं और हवा में हीट कम होती है.
6. अगर आपके लिए हेयर ड्रायर का इस्तेमाल जरूरी है तो बालों की रेगुलर ऑयलिंग करें, ताकि बालों को पर्याप्त पोषण मिल सके. ड्रायर का अधिक इस्तेमाल बालों का पोषण छीन लेता है.
7. बालों का मजबूत व पोषित रखने के लिए खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें. आंवला, हरी सब्जी, जूस, दही आदि को अपने खाने में शामिल कर भी बालों को पोषण प्रदान किया जा सकता है.
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खुशहाल वर्तमान व सुख और सुकून भरे भविष्य के लिए किए गए उचित प्रयास ही फायदे का सौदा साबित होते हैं. सिर्फ कमानेखाने व बेहिसाब खर्च करने का नाम ही जिंदगी नहीं है. जीवन में भविष्य की प्लानिंग भी करनी पड़ती है और इस में सब से महत्त्वपूर्ण है फाइनैंशियल प्लानिंग. समयसमय पर आने वाली बड़ी जरूरतों या जिम्मेदारियों को पूरा करने में पहले से बचत कर के जमा की हुई राशि एक मजबूत सहारा होती है. यह आर्थिक सुरक्षा का एहसास कायम रख कर जीवन को आसान बना देती है.
सुरक्षित भविष्य के लिए जानिए कुछ आवश्यक बातें:
1. बचत की आदत डालें
हर महीने अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत खाते में डालें और उस के बाद बचे हुए पैसे से पूरे महीने का बजट तैयार करें. हो सके तो बचत के पैसे से रिकरिंग डिपौजिट कराते रहें. राशि कम हो या ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता. बचत की आदत पड़ते ही आप बड़ी रकम जोड़ना शुरू कर देंगे. धीरेधीरे इसे अपनी आदत बना लें. जैसेजैसे आप की बचत राशि बढ़ती जाएगी, आप को खुशी मिलने के साथसाथ और बचत करने की प्रेरणा मिलती रहेगी व आप की आर्थिक स्थिति मजबूत होती जाएगी.
2. उचित योजना बनाएं
भविष्य की आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक है कि उचित योजना बनाएं. अपने व घर के तमाम खर्चों का हिसाब लगाएं व अपनी कुल आमदनी भी जोड़ लें. खर्च और आमदनी की तुलना करें. अब देखें कि जितना पैसा बच रहा है, उस से भविष्य की जरूरतें पूरी हो सकेंगी या नहीं. आवश्यक हो तो गैरजरूरी खर्चों में कटौती करें.
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3. बेतहाशा खर्च करने की आदत से बचें
आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’ वाली कहावत उस वक्त चरितार्थ होने लगती है जब गैरजरूरी चीजों या शौकिया तौर पर पैसे खर्च करते हुए इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता कि हम अपनी आय से अधिक खर्च करते हुए पिछली जमा राशि को भी लुटाते जा रहे हैं. अत: अपने दैनिक खर्चों पर नजर डालें और प्रतिदिन के खर्चों का हिसाब रखें. आप स्वयं पर और घर पर कितना खर्च करते हैं, घर में एक दिन का खर्च कितना है, इन सब बातों को ध्यान में रखें. बाजार में जाने से पहले खरीदारी के सामान की एक लिस्ट तैयार करें. बाजार में सामान खरीदते वक्त मोलभाव करें. ऐसा करने से निश्चित रूप से बचत होगी. जहां तक संभव हो भुगतान कैश से ही करें. क्रैडिट कार्ड पर निर्भर न रहें. इस का इस्तेमाल केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करें, क्योंकि क्रैडिट कार्ड के कारण अनावश्यक खर्च भी हो जाते हैं.
4. अलग अलग सेविंग अकाउंट्स
बचत की राशि को सैलरी अकाउंट में रखने के बजाय उस के लिए अलग से सेविंग अकाउंट खोलें. बचत के लिए पैसे को अलगअलग जगह इन्वैस्ट करें. पोस्ट आफिस व बैंकों द्वारा चलाई जाने वाली सेविंग स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. एनएससी, केवीपी, एमआईएस आदि स्कीम पैसों के निवेश में अच्छे विकल्प हैं. स्माल सेविंग स्कीम लेना बेहतर होता है. इस के अलावा ‘पीपीएफ’ में भी पैसा डाल कर फायदा हो सकता है. इस से पैसा सुरक्षित रहने के साथसाथ टैक्स में भी छूट मिलती है. इस के साथ ही इंश्योरैंस भी कराएं.
5. उपयुक्त इन्वैस्टमैंट
इन्वैस्टमैंट के मामले में सोचसमझ कर फैसला लें. इन्वैस्टमैंट का जो भी विकल्प चुनें वे आप की जरूरतों के मुताबिक ही हों. इस मामले में आप की आवश्यकताएं, आप की उम्र, फाइनैंशियल रिसोर्स, रिक्स प्रोफाइल, इन्वैस्टमैंट के लक्ष्य आदि पर निर्धारित होती हैं. इन्वैस्टमैंट प्लान लेते वक्त यह भी ध्यान रखें कि आप कितने समय बाद, कितने रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं.
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6. फाइनैंशियल लक्ष्य
सब से पहले यह जरूरी है कि आवश्यकतानुसार शौर्ट टर्म या लांग टर्म फाइनैंशियल प्लान बनाया जाए. जैसे कि आप कोई बिजली का उपकरण खरीदना चाहते हैं या फिर कार अथवा मकान. बिजली का उपकरण या ऐसी कोई अन्य चीज खरीदने के लिए आप को ज्यादा लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. ये चीजें 1 या 2 महीने में खरीदने का इंतजाम किया जा सकता है, लेकिन कार या मकान के लिए एक लंबी अवधि तक बचत की आवश्यकता पड़ती है तभी आप इसे खरीद सकते हैं, जिस के लिए बहुत पहले से ही प्लानिंग कर लें.