आर्यन और Imlie के बीच होगी हाथापाई, मालिनी और अनु करेगी ये काम

सीरियल इमली (Imlie) की कहानी दिलचस्प होती जा रही है. जहां आदित्य, मालिनी से दूर होता नजर आ रहा है तो वहीं आर्यन और इमली की नजदीकियों ने फैंस का दिल जीत लिया है. इसी बीच सीरियल के नए आदित्य की एंट्री को देखने के लिए बेताब हैं. हालांकि इससे पहले सीरियल में लड़ाई देखने को मिलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

आदित्य की मदद करेगी मीठी

अब तक आपने देखा कि आर्यन, इमली को डांस के लिए कहता है क्योंकि वह उसकी पार्ट्नर होती है. लेकिन इमली आदित्य की चिंता में खोई नजर आती है, जिसके चलते आर्यन उसे जबरदस्ती डांस के लिए लेकर जाता है. हालांकि मौका मिलते ही इमली, मीठी को फोन करके आदित्य के बारे में पता लगाने को कहती है, जिसके बाद मीठी, आदित्य के घर जाकर देखती है कि वह नशे में है और उसकी मदद करती है.

 

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अनु करेगी ये काम

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनु, मालिनी को आदित्य की चिंता करते हुए देखेगी और कहेगी कि वह चिंता न करे क्योंकि आदित्य, इमली से दूर है. लेकिन मालिनी कहेगी कि इमली जरुर आदित्य से बात करने की कोशिश करेगी. हालांकि अनु कहेगी कि वह इमली को आदित्य से बात नहीं करने देगी. इसी के चलते वह कारपेट पर आग लगा देगी. वहीं आग देखकर अर्पिता घबरा जाएगी, जिसके चलते आर्यन और नर्मदा बचाने के लिए भागेंगे. हालांकि इमली उन्हें रोक देगी और आर्यन से लड़ती नजर आएगी.

इमली और आर्यन के बीच होगी हाथापाई

 

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आगे आप देखेंगे कि आर्यन को अर्पिता की मदद करने से रोकने के लिए इमली उसे फूलदान से मारेगी. लेकिन आर्यन नहीं रुकेगा. इसी के चलते दोनों के बीच हाथापाई हो जाएगी. दूसरी तरफ मालिनी दोनों की लड़ाई देखकर खुश होती नजर आएगी.

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गर्भपात की गोलियां: औरत की आजादी की निशानी

बीते 20 सालों में औरत होने के माने काफी बदल गए हैं. इस का एक अहम और सीधा नाता गर्भधारण की स्वतंत्रता और इच्छा से भी है. निजी और सरकारी क्षेत्र में कई दशकों से औरतों का नौकरियों में आने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है.

अब हर कहीं औरत दिख रही है तो इस की बड़ी वजह उस की आर्थिक निर्भरता की सम?ा है. जब तक वह पैसों और जीवनयापन के लिए पुरुषों की मुहताज थी तब तक उसे पुरुष की मरजी से किए गए सैक्स संबंध के परिणामस्वरूप हुए गर्भ को धारण करना पड़ता ही था.

इस दबाव में धर्म की भूमिका भी अहम रही है जिस के तहत स्त्री बच्चा पैदा करना अपना फर्ज सम?ाती रही. गर्भधारण से बचने के पहले ज्यादा उपाय नहीं थे और ऐसी कोई सहूलियत भी उपलब्ध नहीं थी कि वह अपनी मरजी से उस से बच सके. आज अमीर और गरीब सभी वर्गों की औरतों ने गर्भधारण को नियंत्रित करने के उपाय जान लिए हैं और इसीलिए जनसंख्या वृद्धि तेजी भी से घट रही है.

दिलचस्प इत्तफाक

यह बेहद दिलचस्प इत्तफाक है कि गर्भधारण से बचने या गर्भपात करने के लिए गोलियों का चलन भी 90 के दशक से ही शुरू हुआ. शुरुआती दौर में हिचकने के बाद औरतें इन्हें बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रही हैं और उन्हें रोकने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा. सहमति से स्थापित हुए यौन संबंधों को लोग व्यभिचार के दायरे के बाहर रखने लगे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दे कर बहुतों की उल?ान को दूर कर दिया है. एक दबी सामाजिक क्रांति अब स्वीकृत हो चुकी है कि औरत को गर्भधारण करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता उलटे गर्भपात के लिए उसे प्रोत्साहित किया जा रहा है. जिन समाजों में गर्भपात को ईश्वर की मरजी के खिलाफ सम?ा जाना है, जिन में अमेरिका के गोरे कट्टरपंथी चर्च जाने वाले भी हैं, औरतें बेहद तनाव में रहने को मजबूर हैं.

समाज तेजी से बदल रहा है. शारीरिक संबंधों के मामले में पूर्वाग्रह भी छोड़े जा रहे हैं, जिस की बड़ी वजह आज की औरत में आती जागरूकता है. अपने स्वास्थ्य, कैरियर और अधिकारों के प्रति वह सचेत है और कोई सम?ौता करने को तैयार नहीं है तो इस के पीछे उन गोलियों और उपचारों का बड़ा योगदान है जो उसे बेहद सरलतापूर्वक गर्भधारण से बचाते हैं.

लापरवाही की सजा

बात विवाहितों की ही नहीं है बल्कि युवतियों की भी है. भोपाल की एक वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञा के अनुसार बड़ी संख्या में युवतियां गर्भपात कराने के लिए नर्सिंगहोम्स में आती हैं. उन में छात्राएं भी हैं और नौकरीपेशा भी होती हैं जो मां नहीं बनना चाहतीं. इन में से अधिकांश ने लापरवाही वक्त पर कौंट्रासैप्टिव पिल्स न लेने की की थी पर उस की पहले की तरह उन्हें कीमत बहिष्कृत या शर्मिंदा हो कर नहीं चुकानी पड़ती.

बकौल क्षमा अगर गर्भनिरोधक और गर्भपात वाली गोलियां बड़े पैमाने पर नहीं अपनाई जातीं तो प्रसव से कई गुना ज्यादा मामले गर्भपात के आते.

जाहिर है, यह वाकई हाहाकार वाली स्थिति होती. एक अंदाजे के मुताबिक भोपाल जैसे बी श्रेणी के शहर में 12 से 19 आयुवर्ग की 100 और दिल्ली में 1000 लड़कियां रोजाना गर्भपात कराती हैं. अधिकांश अबौर्शन बगैर किसी खतरे के हो जाते हैं क्योंकि पहली के बाद दूसरी गलती लड़कियां नहीं करतीं.

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असुरक्षित सहवास के बाद पहली माहवारी वक्त पर न आने के बाद वे खुद प्रैंगनैंसी टैस्ट कराती हैं और बिना वक्त गवाएं गर्भपात करा लेती हैं. उन का बौयफ्रैंड साथ दे न दे उन्हें फर्क नहीं पड़ता यानी सहूलियत युवकों को भी हुई है कि उन पर कोई पारिवारिक, नैतिक या कानूनी दबाव नहीं पड़ता, जिस से पुरुष सदियों से कतराते रहे हैं.

शुचिता बीते कल की बात

लड़के या पुरुष जेब में कंडोम रखें न रखें पर युवतियां और औरतें पर्स में लिपस्टिक और फेस पाउडर के साथसाथ गर्भ से बचाने वाली गोलियां जरूर रखती हैं. यौन शुचिता बीते कल की बात हो गई है. विवाहित और अविवाहित का फर्क सहवास के मामले में कहने भर को रह गया है.

यह हालत किसी के लिए चिंतनीय नहीं है सिवा धर्म और संस्कृति के ठेकेदारों के जिन की औरत को गुलाम बनाए रखने की दलीलें और टोटके इन गोलियों के आगे दम तोड़ रहे हैं. हिंदू राष्ट्र की बात करने वाले और जनसंख्या नियंत्रण की वकालत करने वाले लोग एक ही हैं जो विरोधाभासी बातें करते हैं.

तनाव और अवसाद

यह ठीक है कि अब आप किसी महिला को सहवास से रोक नहीं सकते. भोपाल की एक ब्यूटीशियंस कहती हैं कि नए जमाने की स्त्री की सोच को सम?ाना होगा और मुद्दा कतई सहवास की स्वतंत्रता न हो कर एक ऐसी जिम्मेदारी को बेवक्त न उठाने का है जिस में कोई बेईमानी औरत नहीं कर सकती. जब वह अपनी मरजी से मां बनती है तो पूर्णता के साथ बनती है.

वह बच्चे की परवरिश में कोई कोताही नहीं बरतती उलटे पहले की स्त्री के मुकाबले ज्यादा गंभीरता से इसे निभाती है. मगर अविवाहिताओं के मामले में मैं गर्भपात की विरोधी हूं. वजह लड़कियों को ही सारे तनाव और अवसाद का सामना करना पड़ता है. भ्रूण हत्या या गर्भ न ठहरने देना हमारी संस्कृति के खिलाफ है.

इस विरोधाभासी कथन के माने भी बेहद  साफ हैं कि अब औरत अपनी मरजी से सहवास कर मां बनना चाहती है पुरुष की मरजी से नहीं और इस के लिए मैडिकल अबौर्शन पिल्स मौजूद हैं तो कोईर् खास दिक्कत भी उसे पेश नहीं आती. मगर उसे सावधान भी रहना चाहिए.

गर्भपात की आजादी हरज की बात नहीं पर यह किन शर्तों पर मिल रही है इस पर बहस की खासी गुंजाइश मौजूद है.

कुंआरी मांओं को मान्यता

अनाथाश्रमों में आने वाले लावारिस बच्चे अधिकांश लापरवाही से पैदा हुए लगते हैं. वजह कोई भी स्त्री बच्चा यों छोड़ देने के लिए या शर्त पर मां नहीं बनती. एक मां ने स्वीकारा था कि वह पिल्स लेना भूल गई थी, इसलिए मजबूरी में जन्म देना पड़ा. गर्भ का पता उसे देर से चला. अभी समाज इतना भी आधुनिक नहीं हुआ है कि कुंआरी मांओं को मान्यता देने लगे. अनवैड मदर्स को आज भी कोई मकान किराए पर नहीं देगा, कोई नौकरी नहीं देगा, कोई भाई अपने घर नहीं रखेगा.

ऐसी हालत से बचने के लिए गर्भपात कराने में देर नहीं करनी चाहिए. सहवास के पहले या 72 घंटों बाद तक गोलियों का कोर्स पूरा करने से 99% मामलों में गर्भ नहीं ठहरता. आमतौर पर 20 सप्ताह तक का गर्भ गिराया जा सकता है पर भ्र्रूण को बढ़ने न दिया जाए तो खतरा भी कम होता है. उस से भी ज्यादा बेहतर है गोलियों का सेवन और जानकारी जो विज्ञापनों में बिस्तार से बताई जाती है. 13-14 वर्ष की लड़कियों को यह जानकारी पूरी तरह सम?ा लेनी चाहिए क्योंकि सैक्स उत्तेजक मैटीरियल आज ज्यादा सुलभ है.

निहायत व्यक्तिगत बात

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन हारमोंस से बनी ये गोलियां जो विभिन्न नामों से बाजार में उपलब्ध हैं वीर्य को गाढ़ा कर देती हैं जिस से वह गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाता. शुक्राणु और अंडाणु नहीं मिलते तो गर्भ नहीं ठहरता. ये गोलियां सुरक्षित हैं और कोई शंका होने पर डाक्टर से सलाह लेने में हरज नहीं. भ्रूण बड़ा होता है तो कई बार उस के अंश गर्भाशय में रह जाते हैं जो रक्तस्राव की वजह बनते हैं.

ऐसा तभी होता है जब समय पर गोलियां न ली जाएं. एक अविवाहित सरकारी अधिकारी की मानें तो इन गोलियों ने उन जैसी महिलाओं को जो पारिवारिक जिम्मेदारियों या दूसरी वजहों के चलते शादी नहीं कर पातीं आजादी से जीना और सम्मानजनक तरीके से रहना सिखाया है. इस में हरज क्या है? इस कथन से जाहिर है गर्भधारण निहायत व्यक्तिगत बात है और ये गोलियां एक अनुशासित स्वतंत्रता देती हैं.

पुरुष की तरह सहवास महिला का भी अधिकार और जरूरत है. पर चूंकि गर्भधारण महिला को ही कराना होता है, इसलिए इस से बचाव भी उस का प्राकृतिक अधिकार है.

एक इंजीनियरिंग कालेज की छात्रा बेहिचक जरूरत पड़ने पर इन गोलियां के सेवन को स्वीकारते हुए कहती हैं, ‘‘मैं अभी 5 साल और शादी नहीं करना चाहती. मेरा बौयफ्रैंड भी नामी कंपनी में नौकरी करता है. हम दोनों अलगअलग पैसा इकट्ठा कर रहे हैं. माह में 2-3 बार शारीरिक संबंध स्थापित हो ही जाते हैं और ऐसा 2-3 दफा ही हुआ कि हम कंडोम का इस्तेमाल नहीं कर पाए. तब अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मैं ने गर्भनिरोधक गोलियां लीं.

ऐसी युवतियां इन गोलियों की वजह से आजादी की जिंदगी जी रही हैं और यह आजादी खुद के भविष्य और सुरक्षा के लिए है. विलासिता के लिए नहीं जैसाकि आमतौर पर सोचा और प्रचारित किया जाता है.

आज परिवारिक संरचना बेहद तेजी से बदल रही है. हमें उस में बच्चों को ढालना होगा. खतरा या मुद्दा शारीरिक संबंध नहीं रह जाता है बल्कि नादानी में गर्भ ठहर जाना है. ऐसे में घर से दूर या घर में ही रहते अभिभावकों से दूर होती लड़कियों को मालूम होना चाहिए कि वे कैसे गर्भधारण से बच सकती हैं. ये गोलियां काफी प्रचारित हो चुकी हैं और शादीशुदा औरतों के लिए भी वरदान हैं जो पति की जिद या जोरजबरदस्ती के कारण खुला विरोध नहीं कर पातीं.

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औरत की आजादी

भारतीय सामाजिक परिवेश बड़ा दिलचस्प है और मर्यादित भी. भाई या पिता जानता है कि बहन या बेटी सैनिटरी नैपकिन की तरह अबौर्शन पिल्स का इस्तेमाल करती होगी पर इस बाबत न वह कुछ पूछ सकता न टोकने का जोखिम बगावत के डर से मोल ले सकता.

परिवार बने रहें यह हर शर्त पर सभी को मंजूर है. औरत की आजादी इन में से एक है, इसलिए अबौर्शन पिल्स के नाम पर नाकभौं सिकोड़ने वालों की तादाद कम हो रही है. औरत अपनी पहचान बना रही है, पैसा कमा रही है और तमाम वे काम कर रही है जिन पर कल तक मर्दों का दबदबा था तो अब उस पर गर्भ थोपा नहीं जा सकता. अबौर्शन या कौंट्रासैप्टिव पिल्स ने उसे सहूलियत और मजबूती ही दी है. होना तो यह चाहिए कि इन पिल्स को ओटीसी घोषित कर के इन के प्रचार की इजाजत दी जाए.

चुकंदर से बनाएं ये हैल्दी रेसिपीज

सुर्ख लाल रंग के चुकंदर आजकल बाजार में भरपूर मात्रा में मिल रहे हैं. न केवल इसकी जड़ें बल्कि इसके पत्ते भी आयरन, फायबर और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं. चुकंदर में विटामिन बी, विटामिन सी, फॉस्फोरस, कैल्शियम, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.  चुकंदर मानव शरीर में  एनीमिया को दूर करके खून को बढ़ाने में सहायक होते हैं. चुकंदर को जूस के अलावा सलाद तथा विभिन्न रेसिपीज के द्वारा भी अपनी डायट में शामिल किया जा सकता है. आज हम आपको ऐसी ही कुछ रेसिपीज को बनाना बता रहे हैं जिनके माध्यम से आप चुकंदर को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.  तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं.

-चुकंदर का खट्टा मीठा अचार

कितने लोंगों के लिए        6

बनने में लगने वाला समय  30 मिनट

मील टाइप                    वेज

सामग्री

ताजे चुकंदर               500 ग्राम

काला नमक               1/4 टीस्पून

शकर                        1 कप

पानी                        1 कप

सफेद सिरका            1 कप

किशमिश                1 टेबलस्पून

काली मिर्च पाउडर    1/4 टीस्पून

विधि

चुकंदर को छीलकर मनचाहे टुकड़ों में काट लें. 1 लीटर पानी को गर्म करके उबलते पानी में चुंकदर के कटे टुकड़े डालकर हल्का सा नरम होने तक पकाएं. इन नरम हुए टुकड़ों को छलनी में छानकर पानी अलग कर दें. शकर को पानी घुलने तक पकाकर छलनी से छान लें. जब शुगर सीरप पूरी तरह ठंडा हो जाये तो इसे एक कांच के जार में डालकर ऊपर से उबले चुकंदर के टुकड़े , काला नमक , सिरका, काली मिर्च पाउडर और किशमिश डाल दें. फ्रिज में रखकर आप इसे 10 से 15 दिन तक बड़ी आसानी से प्रयोग कर सकतीं हैं.

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-चुकंदर के स्वादिष्ट लड्डू

कितने लोगों के लिए               8

बनने में लगने वाला समय        20 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

किसा चुकंदर                     2 कप

मिल्क पाउडर                   1/2 कप

फुल क्रीम दूध                  1 कप

नारियल बुरादा                1 कटोरी

इलायची पाउडर              1/4 टीस्पून

घी                                  1/2 टीस्पून

बारीक कटी मेवा              1 टेबलस्पून

शकर                             1 टेबलस्पून

विधि

एक नॉनस्टिक पैन में घी गरम करके इलायची पाउडर और चुकंदर डालकर 2 से 3 मिनट तक चलाते हुए भूनें. अब दूध डालकर मध्यम आंच पर चुकंदर के पूरी तरह नरम होने तक पकाएं. अब शकर, मिल्क पाउडर और कटी मेवा डालकर अच्छी तरह भूनकर गैस बंद कर दें. जब मिश्रण ठंडा हो जाये तो नारियल बुरादा मिलाकर छोटे छोटे लड्डू बनाएं. नारियल बुरादा में लपेटकर सर्व करें.

-चुकंदर का गुड़म्मा

कितने लोगों के लिए           8

बनने में लगने वाला समय     30मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

किसा चुकंदर                 2 टेबलस्पून

किसी कच्ची हल्दी         1 टेबलस्पून

किसा अदरक               1टेबलस्पून

किसा गुड़                    250 ग्राम

काला नमक               1/4 टीस्पून

काली मिर्च पाउडर      1/4 टीस्पून

जायफल पाउडर         1/8 टीस्पून

लौंग पाउडर               1/8 टीस्पून

घी                            1 टेबलस्पून

बारीक कटी मेवा       1 टेबलस्पून

विधि

गरम घी में चुकंदर, हल्दी और अदरक को नमक डालकर नरम होने तक पकाएं. अब गुड़ डालकर मिश्रण के गाढ़ा होने तक पकाएं. जब मिश्रण पूरी तरह गाढ़ा हो जाये तो समस्त मसाले और मेवा डालकर अच्छी तरह चलाएं और गैस बंद कर दें.तैयार गुड़म्मा को कांच के जार में भरकर रखें. पूरी या परांठे के साथ सर्व करें.

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-चुकंदर का चटपटा रायता

कितने लोगों के लिए             6

बनने में लगने वाला समय       20 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

ताजा दही                        250 ग्राम

किसा चुकंदर                  1/2 कप

बारीक कटी पुदीना पत्ती    1/2 टेबलस्पून

बारीक कटी हरी मिर्च        1/4 टीस्पून

काली मिर्च पाउडर           चुटकी भर

काला नमक                   स्वादानुसार

बारीक कटा हरा धनिया    1 टीस्पून

विधि

किसे चुकंदर को निचोड़कर उसका जूस निकाल दें. अब दही को फेंटकर उसमें चुकंदर, हरी मिर्च, हरा धनिया, काली मिर्च पाउडर, पोदीना,  शकर और नमक अच्छी तरह मिलाएं. कटे हरा धनिया से सजाकर सर्व करें.

वजन कम करने के कारण स्ट्रैच मार्क्स हो गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं ने अपना वेट काफी कम किया है. मगर मेरे पेट और टांगों पर स्ट्रैच मार्क्स हो गए हैं. बताएं क्या करूं?

जवाब-

जब हम वेट कम करते हैं तो स्किन पहले की तरह टाइट नहीं हो पाती और स्ट्रैच मार्क्स हो ही जाते हैं. घर में आप विटामिन ई के कैप्सूल लें. उन्हें तोड़ कर स्ट्रैच मार्क्स पर लगाएं. इस से कुछ हद तक स्ट्रैच मार्क्स में फर्क आ सकता है. आप किसी क्लीनिक से लेजर की सिटिंग्स भी ले सकती हैं. इस से स्ट्रैच मार्क्स काफी हद तक कम हो सकते हैं.

आजकल स्ट्रैच मार्क्स के लिए कई तरह के औयल भी उपलब्ध हैं, जिन्हें लगाने से काफी हद तक फर्क पड़ जाता है. आप घर पर ऐलोवेरा जैल भी लगा सकती हैं. ताजा ऐलोवेरा ले कर उसे तिरछा काट कर कुछ देर के लिए रख दें. उस से पीले रंग का एक लिक्विड निकलता है जिसे निकलने दें. फिर उसे सैंटर से काट कर चाकू से

जल को निकाल लें. फिर हर रोज इस जैल से स्ट्रैच मार्क्स की मसाज करें. इस से भी स्ट्रैच मार्क्स कम होते हैं.

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स्ट्रैच मार्क्स यानी त्वचा पर खिंचाव के निशान. यों तो महिलाओं में गर्भावस्था के बाद होने वाली यह एक आम परेशानी है, लेकिन कई बार देखा गया है कि वजन कम करने के बाद भी इस तरह के निशान त्वचा पर देखे जाते हैं. यही नहीं महिलाओं के साथसाथ पुरुषों में भी स्ट्रैच मार्क्स एक आम समस्या बनते जा रहे हैं. स्टैच मार्क्स कई तरह के होते हैं, जिन के होने की कुछ अलगअलग वजहें हो सकती हैं. लेकिन इन से घबराने की जरूरत नहीं है.

महिलाएं और पुरुष इस तरह के निशानों को कुछ साधारण घरेलू उपायों से दूर कर सकते हैं. इस के अलावा कुछ खास क्रीमों और औयल आदि की नियमित मालिश से भी इन निशानों से छुटकारा पाया जा सकता है.

क्यों होते हैं स्ट्रैच मार्क्स

शरीर के अलगअलग हिस्सों पर हमारी त्वचा अलगअलग प्रकार की यानी कहीं सख्त तो कहीं मुलायम होती है. लेकिन मुख्य तौर पर त्वचा की 3 परतें होती हैं- पहली परत यानी बाहरी त्वचा को ऐपिडर्मिस, दूसरी परत को डर्मिस और सब से निचली यानी अंतिम परत को हाइपोडर्मिस कहते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- स्ट्रैच मार्क्स से ऐसे पाएं छुटकारा

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Winter Special: सर्दियों में बेहद खास है गुड़, जानिए फायदे

सर्दियों का मौसम अब कुछ दिनों का ही बचा है. पर इसकी शुरुआत में और अंत में सबसे ज्यादा लोगों को ये प्रभावित करती है. इस लिए ठंड से बचने के सारे उपाय आप कर के रखें. इसी क्रम में हम आपको बताएंगे कि इस मौसम में गन्ने की रस से बना गुड़ कितना गुणकारी है. खानपान में इसका अगल ही महत्व है. ये शरीर में खून की होने वाली कमी को रोकता है इसके अलावा ये एक प्रभावशाली एंटीबायोटिक है. खासकर सर्दी के मौसम में इसका प्रयोग सभी उम्र के लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है.

आइए जाने कि सर्दी में गुण से होने वाले फायदों के बारे में-

1. अस्थमा को रखे दूर

अस्थमा में गुड़ बेहद लाभकारी होता है. एक कप घिसी हुई मूली में गुड़ और नींबू का रस मिला कर करीब 20 मिनट तक पकाएं. इस मिश्रण को रोजोना एक चम्मच खाएं. इससे अस्थमा में काफी फायदा होगा.

2. नाक की एलर्जी में है फायदेमंद

जिन लोगों को नाक की एलर्जी है उन्हें रोज सबेरे भूखे पेट 1 चम्मच गिलोय और 2 चम्मच आंवले के रस के साथ गुड़ का सेवन करना चाहिए. ऐसा रोजाना करने से नाक की एलर्जी में फायदा मिलता है.

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3. फेफड़ों के लिए है फायदेमंद

गुड़ में सेलेनियम नाम का एक तत्व पाया जाता है जो एक एंटीऔक्सिडेंट है. ये हमारे गले और फेफड़े को इंफेक्शन से बचाता है और शरीर को स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है.ॉ

4. सर्दी जुकाम का इलाज है गुड़

गुड़ तिल की बर्फी खाने  से जुकाम की परेशानी खत्म हो जाती है. इसे खाने से सर्दी में भी गर्मी बनी रहती है.

5. कफ में है असरदार

सर्दी में कफ की परेशानी से लोग परेशान रहते हैं. सर्दियों से होने वाली परेशानियों में गुड़ बेहद असरदार होता है. इन परेशानियों में आप गुड़ की चाय पी सकती हैं. ठंड के दिनों में अदरक, गुड़ और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर पीना सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है.

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Trends और Fashion के बारें में बता रहे है सेलेब्रिटी डिज़ाइनर राहुल मिश्रा

हर दुल्हन सुंदर होती है, हर दुल्हन अपनी वेडिंग ऑउटफिट देखकर खिल उठती है, इसमें किसी रंग, रूप, का कोई महत्व नहीं होता. कुछ ऐसा ही सोच रखते है प्रसिद्ध सेलेब्रिटी डिज़ाइनर राहुल मिश्रा, जिन्होंने डिजनी प्लस पर ब्राइडल क्लोदिंग इन ए न्यू लेंथ में शामिल होकर किसी लड़की के ड्रीम में योगदान देने को बहुत ही एक्साईटिंग मानते है.उनकी पत्नी दिव्या भी फैशन जगत से है, दोनों ने साथ पढाई की, प्यार हुआ और शादी की. दोनों की एक बेटी आरना, 6 साल की है. राहुल के अनुसार फैशन एक सुपर मैजिकल पॉवर है, जो किसी खराब दिन को भी अच्छे में बदल सकता है. इसे एक लाइफ भी कहा जा सकता है, जो हर उम्र में जीने का मकसद बताती है.

मिली प्रेरणा आर्टिस्ट बनने की

 

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फैशन की इंडस्ट्री में आने की प्रेरणा के बारें में पूछने पर डिज़ाइनर राहुल कहते है कि मेरी रूचि हमेशा से आर्ट में जाने की थी, लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं डॉक्टर या इंजीनियर के लिए आईआईटी जाऊं, पर मैं डिज़ाइनर नहीं, बल्कि आर्टिस्ट बनना चाहता था. मैने साइंस से पढाई की उसके बाद एनआईडी अहमदाबाद में डिज़ाइनर के रूप सेलेक्ट हुआ और वहां मैंने डिजाईनिंग की पढाई पूरी करते ही तुरंत मिलान में स्कॉलरशिप मिलने की वजह से वहां भी पढाई करने का मौका मिला. साल 2009-10 में मैंने अपना ब्रांड खोला और कई फैशन शो में भाग लेने लगा, करीब 4 से 5 साल में मुझे अवार्ड भी मिल गया. साल 2014 में मुझे ग्लोबल अवार्ड मिला. इसके बाद पेरिस में पेरिस फैशन वीक, इंडिया की फैशन वीक आदि कई करता रहा. उस दौरान मुझे बड़े-बड़े डिज़ाइनर्स भारत और विदेश के सभी के साथ काम करने का मौका मिला. इससे सीखने को बहुत मिला और ब्रांड का ग्रोथ बहुत जल्दी हुआ. मैं स्वीकारता हूं कि मुझे बहुत जल्दी अपनी ब्रांड को स्थापित करने का मौका मिल गया. मार्केट वाइज भी और बिजनेस ग्रोथ बहुत अच्छी रही. इस समय मेरी टीम में काफी लोग है और करीब 1000 लोगों को मैंने नौकरी दी है.

 

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दुनिया है खुबसूरत

 

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केवल डिजाइनिंग ही नहीं, कला से जुडी सबकुछकरने का शौक राहुल को है, जिसमें फोटोग्राफी, फिल्म मेकिंग, फर्नीचर बनाने, इंटीरियर करने आदि सब पसंद करते है और धीरे-धीरे सभी फील्ड को वे एक्सप्लोर करना चाहते है. फैशन को अपडेट करने के बारें में राहुल मिश्रा कहते है कि कभी गार्डन में बैठकर भी आईडिया आ जाता है. इतनी सुंदर दुनिया और उसकी नेचर होने की वजह से फ्रेश आईडिया सोचने में समय नहीं लगता. आईडिया को एक्सीक्यूट करने में समय लगता है, जिसकी कमी हमेशा रहती है. इनदिनों कोविड की वजह से सारे कारीगर प्रोडक्शन में लगे है,क्योंकि मेरे कपड़ो की डिमांड बहुत अधिक है. ये लोग एक टीम की तरह काम करते है. क्रिएटिव सोच के अलावा मल्टीप्ल चीजों पर ध्यान देना पड़ता है, जिसमें कपडे को नम्बर वन बनाने के लिए एक लम्बे प्रोसेस से गुजरना पड़ता है और ये काम किसी अकेले की बस की नहीं होती.

 

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हो धीमा फैशन

 

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फैशन इंडस्ट्री में सबसे अधिक वेस्ट प्रोडक्ट निकलता है और क्लाइमेट चेंज की दिशा में इसे  कम करने की कोशिश में जुटेडिज़ाइनर राहुल कहते है कि मेरा काम सस्टेनेबल फैशन की दिशा में हो रहा है, क्योंकि मैं स्लो फैशन में विश्वास करता हूं,कपडे जितना धीरे बनाई जाय, उतना ही पृथ्वी के लिए लाभदायक होता है . बाहर मिलने वाले कपडे 20 से 25 मिनट की टेलरिंग में बनते है,ऐसी फ़ास्ट फैशन प्लेनेट के लिए अच्छा नहीं है, जो जरुरत से अधिक आज बन रही है. मैं कपडे स्लो माध्यम से बनाता हूं, जिसमें सारा काम हाथ से बनता है. मेरा एक ड्रेस बनने में एक महिना लगता है, ऐसे में नेचर को काफी समय खुद को उसी रिसोर्स में बहाल करने का मिल जाता है, क्योंकि हाथ से इतनी सारी कढाई करने में काफी समय लगता है. 5 मीटर सिल्क को प्रयोग करने  में मुझे एक महीने का समय लगता है,क्योंकि उसपर अलग-अलग तरीके की कढाई होती है और प्रकृति को काफी समय खुद के लिए मिल जाता है. जबकि मशीनों पर बनने वाले सिल्क बहुत जल्दी बन जाते है. मेरी कोशिश होती है कि साल दर साल मेरे ऑउटफिट फैशन में रहे और नेक्स्ट जेनरेशन को पासऑन किया जाय. सस्ते कपडे खरीदने पर व्यक्ति आसानी से फेंक देता है और वह लैंड फिल में जाता है. महंगे और अच्छे कपडे कोई भी आसानी से नहीं फेंक पाता. इसके अलावा मैं गारमेंट तब बनाता हूं, जब मुझे आर्डर मिलता है, लेकिन मॉल में बने हुए सभी कपडे अलग-अलग साइज़ में पहले से ही बना दिए जाते है.

 

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सस्टेनेबल फैशन

 

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राहुल किसी अवसर या वेडिंग पर ही किसी को आमंत्रित करते है,ताकि प्यार से ख़रीदे गए कपड़ों को कोई ऐसे ही नहीं फेंक सकता, क्योंकि कभी भी पहन लेंगे, सोचकर ख़रीदा गया कपडा पहनने का समय कभी भी नहीं मिलता. डिज़ाइनर का कहना है कि मेहनत और प्यार से खरीदी गयी कोईभी चीज व्यक्ति सावधानी से रखता है. सस्टेनेबल कोई भी चीज जो ह्यूमन रिदम ऑफ़ कॉनजम्पशन एंड प्रोडक्शन में चलेगी, वह सस्टेनेबल होगी. जबकि कोई भी चीज मशीन से बनाने पर जल्दी बनती है और वह सस्टेनेबल नहीं हो सकती.

 

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बचाना है कारीगर और कारीगरी

कई सारी ऐसी कला है, जो मृत प्राय हो चुकी है, उसे बचाना जरुरी है, इसके लिए क्या करना जरुरी है?राहुल कहते है कि बिना सही पारिश्रमिक के मैं सारी बोझ कारीगरों पर नहीं डाल सकता. मेरे कारीगर अधिकतर औसतन 30 साल के है, क्योंकि उन्हें पैसा अच्छा मिलता है. कारीगर को कारीगरी का एक अच्छा मेहनताना देना पड़ता है, ताकि वह अपने घर परिवार की देखभाल कर सकें. उस क्राफ्ट की कोई महत्व नहीं अगर कारीगर भूखा रहे.हमारी 70 प्रतिशत काम महिलाएं अच्छी वेतन के साथ करती है. आगे पैरिस में शो है, जिसे कोविड के चलते अटेंड नहीं कर रहा हूं. उसमे  बेस्ट और अलग कारीगरी को दिखाना है. कोरोना ने सभी को किसी न किसी रूप में काम करने से रोका है,लेकिन फैशन की इंडस्ट्री में कारीगरी अधिक करनेवाली टीमअच्छा कर रही है. जो मशीन से पोशाक बनाते है, उन लोगों ने काफी नुकसान भुगता है.कोरोना के बाद सबको समझ में आया है कि जरुरत के बिना सामान न ख़रीदे. विंडो शोपिंग में थोड़ी कमी आई है. पहले शोपिंग बैग बिना जरुरत के भर रहे थे.

स्मार्ट है ब्राइड्स

ब्राइडल ट्रेंड्स के बारें में राहुल का कहना है कि इस बार ब्राइडल पोशाक में ट्रेंड पेस्टल कलर का है. आज की ब्राइड अपना सही चुनाव करने में एकदम स्मार्ट है, उन्हें पता है कि लाल लहंगा अधिक दिनों तक पहना नहीं जा सकता है. इसलिए दुपट्टा, ब्लाउज और लहंगा को बाद में पहनने का आप्शन पहले देखती है. जान्हवी कपूर , कैटरिना कैफ सभी ने मेरे कपड़ों को पहना है. मैं फिल्म से थोड़ी दूरी बनाकर चलता हूं, क्योंकि फिल्म में निर्देशक के लिए काम करना पड़ता है, इससे क्रिएटिविटी की आज़ादी चली जाती है. मेरे कपडे हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड के सभी कलाकार पहनते है. अभी मैं मॉस में पहुँचने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन मेरा काम सस्टेनेबल ही रहेगा.

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GHKKPM: श्रुति को लेकर विराट से सवाल करेगी पाखी, मिलेगा करारा जवाब

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में नया मोड़ लेने के लिए तैयार है. जहां सई (Aishwarya Sharma) के घर छोड़कर जाने से पूरा चौह्वाण परिवार नाराज है तो वहीं विराट (Neil Bhatt)की श्रुति के लिए चिंता सई को खल रही है. इसी बीच सीरियल में कई नए ट्विस्ट आने वाले हैं आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

सई ने मारा ताना

 

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अब तक आपने देखा कि अस्पताल में सई की मुलाकात श्रुति से होती है. जहां वह सई को पता चलता है कि श्रुति ही विराट की पत्नी है, जिसके बाद वह टूट जाती है. हालांकि डौक्टर होने चलते वह पुलकित को श्रुति के औपरेशन के लिए मनाती है और वह सफल भी हो जाते हैं. वहीं सई एक बार फिर विराट को ताना देती हुई नजर आती है कि उसकी आंखों में श्रुति के लिए चिंता साफ नजर आती है, जिसके जवाब में विराट उसे भरोसा ना करने की बात कहता है.

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पाखी करेगी विराट से सवाल

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि श्रुति के औपरेशन के बाद विराट घर लौटेगा. जहां पाखी, विराट से श्रुति को लेकर सवाल करती नजर आएगी कि वह क्यों थका हुआ है. लेकिन विराट उससे कहेगा कि वह उसके मामले में दखल ना दे, जिसके चलते निनाद और अश्विनी आकर विराट से सवाल पूछते नजर आएंगे. वहीं बात इतनी बढ़ जाएगी कि भवानी, विराट से सई को घर लाने या फिर खुद घर छोड़ने की बात कहेगी.

कहानी में आएगा नया ट्विस्ट

खबरों की मानें तो अपकमिंग एपिसोड में श्रुति चौह्वाण हाउस में एंट्री लेते हुए नजर आएगी. वहीं अपने बच्चे को विराट का ना देगी, जिसके चलते भवानी उसे घर में रखने से मना नहीं करेगी. हालांकि पाखी को इस बात से बेहद गुस्सा करती हुई नजर आएगी. वहीं पाखी की शादीशुदा जिंदगी में ध्यान न देने के चलते सम्राट परेशान नजर आएगा और घर छोड़ने का फैसला लेगा.

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Anupama: शाह परिवार से दूर जाने का फैसला करेगी पाखी, देगी फैमिली को झटका

सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी आए दिन नया मोड़ ले रही है. जहां अनुज (Gaurav Khanna) और वनराज (Sudhanshu Panday), मालविका (Aneri Vajani) की मदद करने के लिए साथ आ गए हैं तो वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly), मालविका के डिप्रेशन को दूर करने का रास्ता ढूंढती नजर आ रही है. इसी बीच अनुपमा की जिंदगी में पाखी (Muskan Bamne) का एक फैसला तूफान लाने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

समर और पाखी के बीच हुआ झगड़ा

अब तक आपने देखा कि अनुपमा, एक्टिंग करती है और मालविका को बाहर ले आती है. जहां पर अनुज और शाह परिवार मस्ती करता हुआ नजर आता है और नए साल का जश्न मनाते हुए नजर आते हैं. दूसरी तरफ, समर, पाखी को किसी से बात करते हुए देखता है पूछता है कि वह किससे बात कर रही है. लेकिन पाखी उसे अपने काम से काम रखने के लिए कहती है. हालांकि समर कहता है कि उसने इतनी गलतियां की हैं कि वह नहीं चाहता कि उसकी वजह से परिवार को परेशानी हो. इसी के चलते दोनों के बीच झगड़ा हो जाता है.

 

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पाखी देगी अनुपमा को झटका

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां काव्या, वनराज को छोड़कर नौकरी के लिए मुंबई जाएगी तो वहीं बापूजी, वनराज को जिम्मेदारियों का एहसास ना होने के लिए बा के साथ झगड़ेंगे. दूसरी तरफ, पाखी, अनुपमा को झटका देते हुए कहेगी कि वह पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती है, जिसके लिए वह अपनी मां को परिवार को मनाने के लिए कहती नजर आएगी.

अनुज और वनराज का होगा झगड़ा

 

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पाखी के झटके बीच, अनुज, मालविका और वनराज की बढ़ती नजदीकियों को देखकर गुस्सा होता हुआ नजर आएगा, जिसके चलते वह वनराज पर गुस्सा निकालते हुए कहेगा कि उसे अपना काम नहीं पता है. वहीं वनराज भी अनुज की बात सुनकर चुप रहने के लिए कहेगा. हालांकि अनुज गुस्से में वनराज को घर से चले जाने के लिए कहेगा, जिसे सुनकर मालविका और अनुपमा हैरान रह जाएंगे.

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दीवानगी जब हद से जाए गुजर

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्यार से सुंदर कुछ नहीं पर जिद या ग्रांटेड ले कर प्यार करना बेकार है. प्यार को प्यार की नजर से करना ही सही है. कई बार व्यक्ति प्यार समझ नहीं पाता. प्यार अचानक होता है और इस में ऐज फैक्टर, कास्ट, क्रीड आदि कोई माने नहीं रखते.

1. प्रेम बन सकता है तनाव का सबब

प्यार किसी के लिए दवा का काम करता है तो किसी के लिए तबाही और बदले का सबब भी बन जाता है. हर इंसान अपने व्यतित्त्व और परिस्थितियों के हिसाब से प्यार को देखता है. प्यार अंधा होता है पर कितना यह बाद में पता चलता है. इसीलिए फौल इन लव कहते हैं यानी आप प्यार में गिर जाते हैं. गिर जाना यानी अपनी आईडैंटिटी, अपना सबकुछ भूल जाते हैं. इस के अंदर आप खुद को भूल कर दूसरे को सिर पर चढ़ा लेते हैं. इसलिए प्यार में बहुत से लोग पागल हो जाते हैं, तो कुछ आत्महत्या तक कर लेते हैं.

प्यार किस तरह की पर्सनैलिटी वाले शख्स ने किया है इस पर काफी कुछ डिपैंड करता है. इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी के लिए प्यार हमेशा डिपैंडैंट फीचर रहता है. उस की सोच होती है कि दूसरा शख्स उस का ध्यान रखेगा, उसे प्यार करेगा, उसे संभालेगा. इस तरह के लोग काफी कमजोर होते हैं. वे बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं तो बहुत जल्दी डिप्रैशन में भी आ जाते हैं.

प्यार में 3 फैक्टर्स बहुत हाई लैवल पर रहते हैं- पहला त्याग, दूसरा कंपैटिबिलिटी और तीसरा दर्द. दूसरा बंदा आप को किस तरह से देख रहा है, आप को कितने अंकों पर आंक रहा है यह भी काफी महत्त्वपूर्ण है. वह आप से किस लैवल तक क्या चाहता है, यह देखना भी जरूरी होता है.

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2. हारमोंस का लोचा

प्यार में कई तरह के हारमोंस निकलते हैं जिन का असर हमारी पूरी पर्सनैलिटी पर पड़ता है. प्यार से व्यक्ति को एक तरह की किक मिलती है. कोई सामने वाला जब आप की मनपसंद, प्यारभरी बातें कर रहा होता है तो आप खुश हो जाते हैं. प्यार का कनैक्शन एक तरह के ऐंजाइम से रहता है, जो आप को खुश और दुखी दोनों रख सकता है. इस में जब खुशी मिलती है तो डोपामाइन हारमोंस सीक्रेट होते हैं. इस से कई बार आप बहुत ज्यादा वेट गेन कर लेते हैं और प्यार में आप फिट भी हो जाते हैं, क्योंकि आप को सामने वाले को खुश भी करना होता है. प्यार में कई तरह के पर्सनैलिटी चेंजेज होते रहते हैं.

3. असुरक्षा की भावना

प्यार में असुरक्षा की भावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. आप सामने वाले पर हमेशा नजर रखते हैं कि वह किसी और को तो नहीं देख रहा, किसी और से तो बातें नहीं कर रहा, किसी और के करीब तो नहीं हो रहा, दूसरा व्यक्ति कहीं मुझ से मेरे प्यार को तो छीन नहीं लेगा जैसी बातें आप के दिमाग में चलती रहती हैं. प्यार में हम डिपैंडैंट हो जाते हैं. अपना चोला बदल लेते हैं. अपना सबकुछ भूल जाते हैं, यहां तक कि अपना काम भी. हमारा पूरा ध्यान एक ही बंदे पर केंद्रित हो जाता है. इस से हमारा काम, हमारा शेड्यूल सबकुछ प्रभावित हो जाता है.

4. डिपैंडैंसी

आप किसी पर पूरी तरह डिपैंडैंट हो जाते हैं तो आप की अपनी पर्सनैलिटी खो जाती है. आप किसी और का चोला पहन लेते हैं. उसे खुश करने के लिए आप उस की पसंद की बात करते हैं, उस की पसंद के कपड़े पहनते हैं, दूसरों से भी उसी की बातें करते रहते हैं, उसी को समझने का प्रयास करते हैं. सारा दिन उसी के खयालों में खोए रहने लगते हैं. दिनभर उस से फोन पर बातें कर टच में रहने की कोशिश में रहते हैं. एक समय आता है जब वह कहीं न कहीं आप को यूज करने लगता है. आप उस के लिए फौर ग्रांटेड हो जाते हैं. साइकोलौजिकली आप ड्रैंड आउट हो जाते हैं. आप की जिंदगी में भारी परिवर्तन होने लगता है. कोई व्यक्ति आप के सिस्टम में घुस जाता है.

5. जब टूटता है नशा

प्यार का नशा जब टूटता है तो हम कहते हैं कि हमारी आंखों पर पट्टी बंधी थी. हम प्यार में अंधे हो गए थे. सचाई से अवगत होने पर इस चीज को बरदाश्त नहीं कर पाते कि हम कहीं न कहीं ऐसे आदमी से जुड़े थे जो डबल डेटिंग कर रहा था. आप के साथसाथ किसी और के भी क्लोज था. अकसर लड़कियां स्मार्टनैस या पैसे देख कर फंस जाती हैं. प्यार एक बहुत ही मिसअंडरस्टुड शब्द है. प्यार में कभी भी आप को 100% वापस नहीं मिलता. फिर आप को इस बात का डिपै्रशन होता है कि आप उसे जितना प्यार करती हैं वह उतना आप का खयाल क्यों नहीं रखता? आप को पूछता क्यों नहीं? आप उस के लिए अपने मांबाप, दोस्तों और यहां तक कि जिम्मेदारियों को भी भूल जाती हैं पर संभव है कि वह आप को ही छोड़ दे.

प्यार में धर्म की वजह से अकसर ओनर किलिंग्स के केसेज होते हैं. सुसाइड होते हैं, वैबसुसाइड होते है, व्हाट्सऐप पर ही इंसान दूसरे को दिखाते हुए आत्महत्या कर लेता है. प्यार में फ्रौड केसेज भी काफी होते हैं. कई बार जिस से आप प्यार कर रही होती हैं वही व्यक्ति एकसाथ कई लड़कियों के साथ डेट कर रहा होता है.

कई बार मुसलिम युवक हिंदू लड़की को मुसलिम बनाने के लिए प्यार का नाटक करते हैं. कई बार बदला लेने के लिए भी लोग किसी को अपने प्रेमजाल में फंसा कर आप की जिंदगी को खतरे में डाल सकते हैं. इसी तरह के मामलों में ऐसिड अटैक या मर्डर की घटनाएं होती हैं.

वन साइडेड लव है, तो साइको लवर्स पैदा हो जाते हैं. सामने वाले पर ऐसिड अटैक कर देने या मार डालने की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. अपने साथी के साथ मिल कर पुराने प्रेमी को खत्म करना जैसे क्राइम ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की वजह से जन्म लेते हैं.

6. कैसे बचें

– कभी भी किसी इंसान को अपना सबकुछ मान कर अपना पूरा वक्त न दें. हमेशा एक सीमा में रह कर ही किसी से प्यार करें.

– कभी भी किसी के लिए अपनी आईडैंटिटी खत्म न करें. अपनी आईडैंटिटी हमेशा बचा कर रखें, क्योंकि आप की पहचान आप से है किसी और से नहीं.

– अपनी पसंद का काम करते रहें ताकि आप जीवन से किसी के जाने पर बिलकुल खाली और बरबाद न हो जाएं.

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क्या कहता है कानून

रिस्ट्रिक्शन आर्डर: यदि कोई ऐसा शख्स आप से प्यार करने का दावा करता है, जिस के प्रति आप के मन में कोई सौफ्ट कौर्नर नहीं और वह जबरदस्ती पीछे पड़ा है व बेवजह परेशान करने लगा है तो आप उस पर रिस्ट्रिक्शन और्डर लगवा सकती हैं. इस के तहत वह व्यक्ति 100 मीटर की दूरी तक आप के आसपास भी नहीं दिख सकता. इस के अलावा आप दूसरे कई कानूनों का सहारा ले सकती हैं. मसलन, आईपीसी की धाराएं जैसे-

धारा 509: यदि कोई बातों और हावभाव से आप को परेशान कर रहा हो जबकि आप का रुझान उस की तरफ  नहीं है.

धारा 506: यदि कोई भी व्यक्ति धमकी देता है जैसेकि जान से मारने की धमकी, रेप करने की धमकी तो इस तरह की धमकियां देने पर आईपीसी की धारा 506 लगती है.

धारा 376: यदि रेप हुआ हो तो यह धारा लग सकती है.

धारा 354: सैक्सुअल हैरसमैंट और स्टौकिंग आदि के केसेज में धारा 354 लगती है.

धारा 302: कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है.

धारा 366: विवाह के लिए विवश करने के मकसद से किडनैप किए जाने पर धारा 366 लगाई जा सकती है.

धारा 326: यह धारा ऐसिड अटैक के केसेज में लगाई जाती है.

-क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट अनुजा कपूर

से गरिमा पंकज द्वारा की गई बातचीत पर आधारित

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