क्या फिर दूर हो जाएंगे Anupama और Anuj? पाखी बनेगी वजह

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर बना हुआ है. फैंस को अनुज-अनुपमा की जोड़ी काफी पसंद आ रही है. वहीं वनराज और काव्या की जलन भी बढ़ती जा रही है. लेकिन सीरियल में कुछ ऐसा होने वाला है कि वनराज और अनुपमा एक बार फिर साथ खड़े होंगे. वहीं अनुज-काव्या साथ में नजर आएंगे. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे…

काव्या की नौकरी से भड़का वनराज

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज की परवाह किए बिना काव्या, अनुज के पास नौकरी मांगने जाती है. वहीं अनुज, अनुपमा से पूछता है कि क्या वह काव्या के साथ काम करने के लिए तैयार है, जिसके चलते अनुपमा, काव्या की जौब के लिए हां कर देती है. वहीं वनराज को जब काव्या ये बात बताती है तो वह भड़क जाता है और काव्या पर बरसता है. हालांकि अनुपमा उसे बीच में आकर समझाने की कोशिश करती है. लेकिन वनराज उसे धक्का दे देता है, जिसे पाखी देख लेती है और वनराज औऱ अनुपमा को लड़ते देख टूट जाती है.

 

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वनराज को मिला पाखी का साथ

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा और वनराज, पाखी को समझाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद पाखी परेशान होकर वहां से भागेगी और सीढ़ियों से गिर जाएगी. ये देखकर अनुपमा और वनराज परेशान हो जाएंगे और पाखी से मांफी मांगगे. वहीं अनुपमा, वनराज से कहेगी कि वह अपने गिले शिकवे मिटाकर बच्चों के लिए साथ खड़े रहेंगे. हालांकि वनराज इस बात का फायदा उठाता नजर आएगा. खबरों की मानें तो वनराज, पाखी को अनुज के खिलाफ धीरे-धीरे भड़काने की कोशिश करेगा, जिसके चलते अनुपमा और अनुज की दोस्ती में दरार आएगी.

 

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काव्या भी बनाएगी प्लान

 

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दूसरी तरफ वनराज और अनुपमा के बच्चों के कारण उनका करीब आना काव्या को पसंद नहीं आएगा. इसी लिए वह अनुज को अनुपमा के खिलाफ भड़काती नजर आएगी. वहीं पूरी कोशिश करेगी कि अनुपमा को सबक सिखा सके. इसी बीच अनुज भी पाखी के सोशलमीडिया पर वनराज और अनुपमा की साथ में फोटो देखकर परेशान हो जाएगा.

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YRKKH: ऐसा होगा कार्तिक-नायरा का आखिरी मिलन, सामने आया प्रोमो

टीवी का पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) सालों से दर्शकों के दिल पर राज कर रहा है. वहीं अब सीरियल मे एक बार फिर नए किरदार नजर आने वाले हैं. वहीं कुछ किरदार सीरियल को अलविदा कहने वाले हैं, जिनमें नायरा- कार्तिक यानी शिवांगी जोशी और मोहसिन खान का नाम भी शामिल है. वहीं मेकर्स के नए प्रौमो ने इस बात पर मोहर लगा दी है. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल के नए प्रोमो की झलक…

नायरा-कार्तिक का होगा मिलन

हाल ही में सीरियल के मेकर्स ने एक नया प्रौमो रिलीज किया है, जिसमें नायरा से कार्तिक का मिलन होता नजर आ रहा है. वहीं दोनों नए पीढ़ी के आने की बात भी करते नजर आ रहे हैं. प्रोमो देखकर फैंस बेहद खुश हैं. वहीं इंतजार कर रहे हैं कि कब सीरियल के नए किरदारों की एंट्री होगी. हालांकि नायरा-कार्तिक की जोड़ी खत्म होने से सभी बेहद दुखी भी हैं.

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ऐसे होगी कार्तिक की कहानी खत्म

 

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खबरों की मानें तो सीरत को लेकर मुकेश से लड़ाई होने के चलते कार्तिक के गहरी चोट लग जाती है और उसे अस्पताल में एडमिट कराना पड़ता है. वहीं चोट गहरी होने के कारण औपरेशन की नौबत आ जाती है. अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि कार्तिक का औपरेशन होने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं होगा. वहीं उसकी तबीयत बिगड़ जाएगी औऱ कार्तिक की जान चली जाएगी.

बता दें, सीरियल में जल्द ही नई एंट्री होने वाली है. वहीं खबरों की मानें तो नई एंट्री के लिए टीवी एक्टर हर्षद चोपड़ा और बैरिस्टर बाबू की सौदामिनी यानी प्रणति का नाम भी शामिल है. हालांकि अब देखना है कि ये नई कहानी दर्शकों को कितना पसंद आएगी और क्या वह नायरा-कार्तिक की जगह नई जोड़ी को दे पाएंगे.

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Anik Ghee के साथ बनाएं चटपटी लौकी व आलू टिक्की

फेस्टिवल में कभी-कभी चटपटे कुछ ऐसे स्नैक्स खाने को मन करता है जो स्वाद में अलग हों. तो पेश है ऐसा ही चटपटा स्नैक लौकी व आलू टिक्की, जिसे खा कर आप तारीफ किए बगैर नहीं रह सकेंगी.

सामग्री

250 ग्राम आलू उबले

1/2 छोटा लौकी बारीक कद्दूस की

1 बड़ा चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

1 छोटा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

जरुरतानुसार अनिक घी फ्राई करने के लिए

थोड़ा सा अनिक दही सर्विंग के लिए

1 छोटा चम्मच सेंधा नमक

सामग्री कोटींग की

2 बड़े चम्मच साबूदाना पाउडर

सामग्री भरावन की

10-12 किशमिश

50 ग्राम अनिक पनीर

2 बड़े चम्मच मूंगफली भुनी व कुटी

1 बड़ा चम्मच अदरक व हरीमिर्चे बारीक कटी

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

सेंधा नमक स्वादानुसार

विधि

आलुओं को मैश करें व उसमें कद्दूकस की लौकी व बाकी सभी मसाले मिला लें. साबूदाने के पाउडर को एक चौथाई कप पानी में आधे घंटे के लिए भिगो दें. आलू मिश्रण के लगभग 7 गोले बना लें. भरावन की सामग्री को मिलाएं और उसके भी 7 छोटे गोले बनाएं. आलू के प्रत्येक गोले को थपथपाएं और बीच में भरावन एक गोला रख कर बंद कर दें टिक्की का आकार दें. प्रत्येक टिक्की को इसी तरह बना कर साबूदाने के मिश्रण में कोट कर के अनिक घी में शैलो फ्राई या डीप फ्राई कर लें. व्रत वाली चटनी, सोंठ व दही डाल कर सर्व करें.

Festive Special: कम बजट में करें स्मार्ट शॉपिंग

कम बजट में ट्रेंडी आउटफिट्स और एक्सेसरीज खरीदकर आप भी बन सकती हैं स्मार्ट शॉपर. कम बजट में कैसे करें स्मार्ट शॉपिंग? आइए, हम आपको बताते हैं.

बजट फ्रेंडली फेस्टिव वेयर

स्मार्ट शॉपिंग के लिए मिक्स एंड मैच फॉर्मूला बेस्ट है, जैसे, आप यदि दीपावली के लिए महंगा आउटफिट नहीं खरीदना चाहतीं, लेकिन ट्रेंडी भी दिखना चाहती हैं, तो सिर्फ एक लॉन्ग जैकेट खरीदें और उसे अपने पुराने लहंगे के साथ पहनें.

इसी तरह आप अपनी पुरानी हैवी चोली को प्लेन स्कर्ट, साड़ी आदि के साथ पहन सकती हैं.

अगर आप फेस्टिव सीजन में साड़ी पहननना चाहती हैं, तो अपने किसी हेवी ब्लाउज के साथ पहनने के लिए कोई प्लेन साड़ी खरीद लें. इसके साथ हेवी या ट्रेंडी एक्सेसरीज पहनकर आप फेस्टिव लुक पा सकती हैं.

अपनी रेग्युलर जीन्स के साथ एथनिक कुर्ती, ट्यूनिक, कॉर्सेट आदि पहनकर आप फेस्टिव लुक पा सकती हैं.

बजट फ्रेंडली कैजुअल वेयर

कैजुअल वेयर के लिए हॉट पैंट, कार्गो, केप्री, स्कर्ट आदि बॉटम वेयर अपने कलेक्शन में जरूर रखें. इनके साथ आप कोई भी स्टाइलिश टॉप पहनकर न्यू लुक पा सकती हैं.

इसी तरह डेनिम की शर्ट, जैकेट, शॉर्ट कुर्ती आदि को भी आप कई आउटफिट्स के साथ मिक्स एंड मैच करके पहन सकती हैं.

प्लेन टीशर्ट, स्पेगेटी, शर्ट आदि को जैकेट, स्टोल या फिर ट्रेंडी नेकपीस के साथ पहनकर न्यू लुक पा सकती हैं.

अपने कैजुअल कलेक्शन में स्मार्ट बेल्ट, हेयर एक्सेसरीज, नेकपीस, ईयररिंग, ट्रेंडी शूज आदि जरूर रखें. ये भी आपके मिक्स एंड मैच फॉर्मूले में बहुत काम आएंगे.

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बजट फ्रेंडली ऑफिस वेयर

यदि आप सेल में शॉपिंग कर रही हैं और आपको फॉर्मल आउटफिट खरीदने हैं, तो व्हाइट, ब्लैक, बेज, पीच, पिंक आदि कलर की प्लेन शर्ट, ट्राउजर और स्कर्ट खरीद सकती हैं. इन्हें आप मिक्स एंड मैच करके कई बार रिपीट कर सकती हैं.

इसी तरह आप ब्लैक, बेज, व्हाइट जैसे बेसिक कलर के ट्रेंडी कलर के बैग और शूज खरीदकर अपने फॉर्मल कलेक्शन को फैशनेबल बना सकती हैं.

ऑफिस में यदि इंडियन वेयर पहनती हैं, तो अलग-अलग कलर की प्लेन लेगिंग्स और कुर्ती को स्टोल, नेकपीस आदि के साथ मिक्स एंड मैच करके रोजाना न्यू लुक पाया जा सकता है.

इसी तरह ब्लैक, व्हाइट, रेड, ब्लू जैसे रेग्युलर कलर के कुछ ब्लाउज सिलवाकर उन्हें कई साड़ियों के साथ पहन सकती हैं.

स्मार्ट आइडियाज

बजट फ्रेंडली शॉपिंग का सबसे जरूरी टिप यही है कि फिजूलखर्च से बचें और वही चीज खरीदें जिसकी आपको वाकई जरूरत हो.

शॉपिंग के लिए घर से निकलने से पहले एक लिस्ट बनाएं, जिसमें उन सभी स्टाइलिश ड्रेसेस और ट्रेंडी एक्सेसरीज को नोट करें, जो आपके वॉर्डरोब और ऑफिस के लिए जरूरी हैं.

अच्छे ब्रांड की सेल लगी है, तो वहां से अच्छी फिटिंग वाली जीन्स, जैकेट, बेसिक शर्ट, ट्राउजर, स्कर्ट आदि जरूर खरीदें.

वेडिंग या फेस्टिव सीजन के लिए जरूरत से ज्यादा महंगा आउटफिट खरीदना पैसे की बर्बादी है, थोड़ी-सी समझदारी से आप कम बजट में भी ट्रेंडी और गॉर्जियस नजर आ सकती हैं.

ऑनलाइट शॉपिंग करते समय उस चीज की कीमत अलग-अलग साइट्स पर चेक कर लें. हो सकता है, दूसरी साइट पर सेल, डिस्काउंट, कूपन आदि के चलते वही चीज आपको कम दाम में मिल जाए.

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विंडो शॉपिंग के बहाने आप अलग-अलग स्टोर्स में जाकर डिस्काउंट या स्पेशल ऑफर के बारे में जानकारी हासिल कर सकती हैं.

शॉपिंग करते समय क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने की बजाय कैश पेमेंट करें, इससे आप बजट के बाहर शॉपिंग नहीं कर सकेंगी और फिजूलखर्च से बच जाएंगी.

ऐसे आउटफिट्स खरीदने से बचें, जिन्हें बार-बार ड्राईक्लीन करवाना पड़े. सेल में शॉपिंग करते समय मटेरियल, फैब्रिक और क्वालिटी से समझौता न करें. हर चीज अच्छी तरह देख-परखकर ही खरीदें.

ऐसे लोकल स्टोर्स जहां स्टाइलिश आउटफिट व एक्सेसरीज कम दाम में मिल जाते हैं, वहां से शॉपिंग करके आप अपने पैसे बचा सकती हैं.

Technology तरक्की के जरिए दर्द से राहत

दर्द की जटिलताओं की सच्चाई यही है कि सर्जरी या गोलियां लंबे समय तक सभी तरह के दर्द से निजात नहीं दिला सकतीं. हालांकि बिना जांच कराए या बिना इलाज कराए असह्य दर्द में जी रहे कुछ लोगों में अविश्वसनीय रूप से दर्द की वापसी होती है, जिसका हमारे शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ता है. दर्द को जीवन और ढलती उम्र का हिस्सा मान लेने से लोग इलाज के आधुनिक तौर—तरीकों की जानकारी भी नहीं रखते और इसका नकारात्मक असर जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है. कुछ लोगों में दर्द का स्तर बहुत ज्यादा होता है और सच तो यह है कि दर्द में जीते पांच में से एक व्यक्ति सही इलाज कराए बिना लंबे समय तक इसे झेलते रहते हैं.

जागरूकता, जानकारी का अभाव और गलत जानकारी के कारण कई लोगों के लिए दर्द उस स्थिति में पहुंच जाता है जो इससे जुड़ी असली बीमारी से भी बदतर हो जाती है. सितंबर में अंतरराष्ट्रीय दर्द जागरूकता माह मनाया जाता है जिसका उद्देश्य सभी लोगों में इसे लेकर जागरूकता बढ़ाना है. वैश्विक स्तर पर  उम्रदराज लोगों की आबादी और बदलती जीवनशैली के कारण आज के समय में इन दो दशकों की अहमियत बढ़ गई है. अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञ प्रशिक्षण की मदद से दुनिया के पेन मैनेजमेंट से जुड़े चिकित्सक हर तरह के दर्द से निजात दिलाने का प्रयास कर रहे हैं. चूंकि हर किसी के दर्द का अनुभव और स्तर अलग—अलग होता है इसलिए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें व्यक्तिग आधारित, बहु—आयामी और कई मॉडल आधारित दर्द प्रबंधन इलाज की जरूरत पड़ती है.  मैक्स हॉस्पिटल में पेन मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रमुख , डॉ. आमोद मनोचा, बताते हैं कि

आपके दर्द का इलाज संभव है

लगातार दर्द बने रहने से न सिर्फ जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है, बल्कि कई बार मरीज भ्रमित हो जाते हैं या इस दर्द के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं. दर्द का कोई ठोस कारण जब पता नहीं चलता तो मरीज में इलाज का असंतुष्टि भाव, कुंठा, मूड खराब होने का भाव पनपता है और डॉक्टर—मरीज संबंध भी प्रभावित होता है.

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तकनीकी तरक्की और नई पारंपरिक तकनीकों की उपलब्धता हमारी सदियों पुरानी समस्याओं को देखने के तरीके को बदल रही है कि हम अपने रोगियों को दर्द से राहत दिलाने के लिए क्या उपाय करते हैं. ये नए विकल्प लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत के बगैर न्यूनतम शल्यक्रिया और कम समय की प्रक्रियाओं के लाभ देते हैं और लंबे समय तक चलने वाले दर्द से राहत दिलाते हैं.

रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन

यह न्यूनतम शल्यक्रिया तकनीक उन मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनी है जिन्हें गर्दन, कमर, कूल्हा, घुटना और कंधे जैसे जोड़ों में दर्द रहता है. इस पद्धति का फोकस दर्द का सिग्नल देने वाली नसों को निष्क्रिय करना होता है जिससे मरीज की कायर्यक्षमता बढ़ती है और दवाइयों की जरूरत भी कम पड़ती है. विकसित देशों में अपनाई जा रही इस सामान्य पद्धति के प्रति भारत के लोगों में भी जागरूकता बढ़ रही है. यह विकल्प सुरक्षित, प्रभावी, नॉन—सर्जिकल प्रक्रिया और ज्यादातर मामलों में उपचार के एक—दो साल में ही नसों की नई कोशिकाएं बनाने की पेशकश करता है जिस कारण जरूरत पड़ी तो यह पद्धति दोहराई भी जा सकती है.

क्रायोएब्लेशन

यह टेक्नोलॉजी पिछले कई वर्षों से अहम तरक्की कर चुकी है और इसे कैंसर के दर्द, घुटने, कूल्हे और कंधे, रीढ़ के जोड़, सैक्रोइलिक जोड़, नसों का दर्द, सर्जरी के बाद दर्द, पसलियां टूटने के बाद आदि जैसे बड़े जोड़ों की अर्थराइटिस समेत हर तरह के दर्द की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है. क्रायोब्लेशन इलाज का मुख्य लक्ष्य दर्द के सिग्नल देने वाली नसों को निष्क्रिय बनाना होता है और इसके लिए 80 डिग्री से भी कम तापमान में नियंत्रित तरीके से इन नसों को जमा दिया जाता है. इस इलाज पद्धति में कहीं कोई कट या चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और तत्काल एवं लंबे समय तक दर्द से राहत मिलती है. कम दर्द होने से मरीज की कार्यक्षमता बढ़ती है, दर्दनिवारक दवाइयों की जरूरत कम होती है और मरीज में विकलांगता की नौबत भी कम होती है. इसके अलावा इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होने के कारण इसे दोहराया भी जा सकता है.

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पोर्टेबल हाई

डेफिनिशन अल्ट्रासाउंड, नई चिकित्सा पद्धतियों, इंट्राथेकल पंप इंप्लांट, स्पाइनल कॉर्ड स्टिमुलस आदि की उपलब्धता जैसी प्रौद्योगिकी तरक्की ने दर्द प्रबंधन संबंधी डायग्नोस्टिक और इलाज में आश्चर्यजनक सुधार लाया है और हमें मरीजों की अपेक्षाओं के अनुरूप इलाज करने में सक्षम बना रही है. जेनेटिक और मोलेकुलर टेस्ट हमारी समझ को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं और उम्मीद है कि निकट भविष्य में दर्द से निजात दिलाने के लिए ये हमें नए लक्ष्य देंगे.

शादी के बाद तुरंत उठाएं ये 5 स्‍टेप

बैचलर लाइफ में आपके लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन आपकी शादी के बाद आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. ऐसे में आपके लिए आगे की लाइफ के लिए प्‍लानिंग करना जरूरी हो जाता है. हम आपको पांच टिप्‍स बता रहे हैं जिनको फॉलो करके आप हैप्पी मैरिड लाइफ जी सकते हैं और आपको कोई फाइनेंशियल क्राइसिस भी नहीं होगी.

1. लाइफ पार्टनर के साथ साझा करें पैसे को लेकर अपना नजरिया

फाइनेंस या पैसे को लेकर हर आदमी का नजरिया अलग-अलग होता है. ऐसे में अगर आपको फ्यूचर के लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करनी है तो जरूरी है कि आप पैसों को लेकर अपने लाइफ पार्टनर का नजरिया समझें. अगर आप दोनों की सोच या नजरिया अलग-अलग है तो बातचीत करके सामंजस्‍य बनाएं. इससे फ्यूचर में आपके और आपके लाइफ पार्टनर के बीच पैसे या फाइनेंशियल पलानिंग को लेकर विवाद की आशंका नहीं रहेगी.

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2. शार्ट, मीडियम और लांग टर्म के लिए तय करें गोल

आप कहां रहना चाहते हैं. आप किराए के घर में रहे हैं तो क्‍या आप अपना घर खरीदना चाहेंगे. आने वाले समय कैरियर के मोर्चे पर खुद को कहां देख रहे हैं. गोल तय करना और लाइफ को प्‍लान करना सक्‍सेजफुल मैरिज के अहम है. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका लाइफ पार्टनर एक दूसरे के गोल को समझे. इससे इसके अनुरूप फाइनेंशियल प्‍लानिंग करने में आसानी होगी.

3. ज्‍वाइंट स्‍पेंडिंग और सेविंग के लिए बनाएं प्‍लान

आप कहां रहना चाहते हैं. आप किराए के घर में रहे हैं तो क्‍या आप अपना घर खरीदना चाहेंगे. आने वाले समय कैरियर के मोर्चे पर खुद को कहां देख रहे हैं. गोल तय करना और लाइफ को प्‍लान करना सक्‍सेजफुल मैरिज के अहम है. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका लाइफ पार्टनर एक दूसरे के गोल को समझे. इससे इसके अनुरूप फाइनेंशियल प्‍लानिंग करने में आसानी होगी.

4. अपनी क्रेडिट हिस्‍ट्री करें साझा

शादी के पहले अगर आपने क्रेडिट हिस्‍ट्री पर ठीक से गौर नहीं किया है तो अब इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें. आप दोनों की क्रेडिट हिस्‍ट्री आपकी फ्यूचर प्‍लानिंग में अहम रोल निभाने वाली है. अगर किसी भी वजह से आप दोनों में से किसी की क्रेडिट हिस्‍ट्री खराब या क्रेडिट स्‍कोर कम है तो इसे सुधारने के उपायों पर डिस्‍कर करें या किसी कंसलटेंट की मदद लें.

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5. मिल कर करें इन्वेस्‍टमेंट के फैसले

पैसे मैनेज करने को लेकर पुरुष और महिलाओं की स्‍ट्रेंथ अलग अलग होती है. पुरुष आम तौर तेजी से फैसले करते हैं और परिवार के खर्च पर कंट्रोल करना पसंद करते हैं. वहीं महिलाओं में ज्‍यादा धैर्य होता है और वे कोई फैसला लेने से पहले ज्‍यादा सोच विचार करतीं हैं. ऐसे में अगर इन्‍वेस्‍टमेंट से जुड़े फैसले आप दोनों मिल कर करते हैं तो इसमे दोनों की स्‍ट्रेंथ का फायदा उठाया जा सकता है.

Festive Special: बिना डैमेज के करें Hair Straight

आज कल मार्केट में ढेर सारे हेयर स्‍ट्रेटनर मौजूद हैं, जो कर्ली बालों को स्‍ट्रेट करने में लाजवाब होते हैं. लेकिन अगर आपको इन्‍हें ठीक प्रकार से यूज करना नहीं आता, तो यह आपके बालों को काफी डैमेज भी कर सकते हैं.

कई लड़कियां अपने गीले बालों पर हेयर स्‍ट्रेटनर का प्रयोग करने लगती हैं, जिससे उनके बाल जल जाते हैं और ठीक प्रकार से सीधे नहीं हो पाते. तो आगे से ऐसा ना हो, इसके लिये हम आपको बताएंगे कि हेयर स्‍ट्रेटनर को कैसे यूज करें कि बालों को नुकसान ना पहुंचे.

हमेशा हाई क्‍वालिटी का आयरन ही खरीदें

बेसिक चीज जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह है कि हमेशा अव्‍वल दर्जे का फ्लैट आयरन ही खरीदें. हां यह आपको थोड़ा महंगा पड़ सकता है, लेकिन बालों से कीमती थोड़ी है.

स्‍ट्रेटनिंग आयरन में होनी चाहिये ये क्‍वालिटी

अगल अलग तापमान के लिये सेरेमिक प्‍लेट्स वाली आयरन लें, ऑटो शट-ऑफ भी होना चाहिये, तापमान के समायोजन के लिये कई हीट सेटिंग होनी चाहिये, सरल विधि से यूज़ कर सकने वाला होना चाहिये, लाइटवेट और लंबे समय तक चलने वाला होना चाहिये.

अपने बालों को इनके लिये तैयार करें

बालों पर आयरन यूज करने से पहले बालों को शैंपू से धोएं, फिर उसमें कंडीशनिंग करें और फिर बालों को ब्‍लो ड्राय कर के आयरन करें.

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एक अच्‍छे हीट प्रोटेक्‍टर का यूज करें

बालों में एक अच्‍छे हीट प्रोटेक्‍टर का प्रयोग करें जिससे बाल गरम हॉट आयरन की वजह से खराब ना हों. इसे खरीदते वक्‍त ध्‍यान रखें कि इसमें तेल या ज्‍यादा मात्रा में सिलिकॉन नहीं होना चाहिये. इसकी केवल एक बूंद ही काफी रहेगी.

सही तरीके से ब्‍लो ड्राय करें

गीले बालों में कभी भी स्‍ट्रेटनिंग नहीं की जाती है इसलिये पहले बालों को ब्‍लो ड्रायर से सुखा लें. बालों को बीच बीच में ठंडी हवा से भी ब्‍लो ड्राय करें, नहीं तो बाल जलने का डर रहता है.

बालों में पहले पार्टिंग करें

क्‍या आप ढेर सारे बालों को इकठ्ठे ले कर उसे स्‍ट्रेट करने लगती हैं? तो ऐसा ना करें क्‍योंकि इससे बालों को काफी डैमेज होता है. अपने बालों को दो कानों के बीचे से अलग करें. फिर इन दोनों सेक्‍शन के बीच में से दो और भाग करें. इन सभी बालों में क्‍लिप लगा लें जिससे ये एक साथ मिक्‍स ना हों.

सही प्रकार की हीट सेटिंग चुनें

अगर बाल बहुत पतले और डैमेज हैं तो शुरुआत लो सेटिंग से करें. अगर बाल कर्ली और मोटे हैं तो हाई सेटिंग पर जाएं.

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सही तरीका क्‍या है

बालों को सीधा करने का सही तरीका है कि बालों के हर सेक्‍शन को एक एक कर के सीधा किया जाए. हीटिंग आयरन के साथ आपको उंगलियों या कंघी की आवश्‍यकता पड़ेगी. सबसे पहले बालों की जड़ से शुरु कर के बालों के अंत तक जाएं. आयरन को एक ही सेक्‍शन पर बार बार ना घुमाएं.

ऐसे करें काम खत्म

बालों को स्‍ट्रेट करने के बाद उन्‍हें ठंडा होने दें और फिर उनमें डी-फ्रिज सीरम लगाएं या फिर ऐसी क्रीम जो उसे पॉलिश लुक दे. आप उन पर हेयरस्‍प्रे कर के मन चाहा लुक बना सकती हैं.

दो युवतियां: भाग 2- क्या हुआ था प्रतिभा के साथ

प्रतिमा नाम है उस का. वह बहुत खूबसूरत तो नहीं है. पहली नजर में कोई युवक उसे पसंद नहीं करेगा, लेकिन बारबार देखने और मिलने से कोई न कोई उस की तरफ आकर्षित हो सकता है. मैं ने उसे आधुनिक ढंग से सजनेसंवरने और कपड़े पहनने के कुछ टिप्स दिए, जिस से अब वह कुछ सुंदर दिखने लगी है. किसी न किसी दिन कोई युवक उस की तरफ अवश्य आकर्षित होगा. प्रतिमा भोली है. मुझे बस एक ही डर लगता है कि यदि वह किसी युवक के प्यार में गिरफ्तार हो गई तो कहीं वासना के दलदल में न फंस जाए.

आजकल के युवक प्यार के बदले सीधे शरीर मांगते हैं. अब पुराने जमाने की तरह महीनों चोरीचोरी देखना, फिर पत्र लिख कर अपनी भावनाओं को एकदूसरे तक पहुंचाना, उस के बाद मिलने के लिए तड़पना… और सालों बाद जब मुलाकात होती थी, तो पकड़े जाने के डर से कुछ कर भी नहीं पाते थे और आज तो प्यार हो चाहे न हो, शरीर का मिलन तुरंत हो जाता है. फिर कुछ दिन बाद एकदूसरे से अलग भी हो जाते हैं, जैसे यात्रा में 2 व्यक्ति अचानक मिले हों और कुछ पल साथ बिता कर अपने गंतव्य पर जुदा हो कर चल दिए हों. आजकल प्यार नहीं होता, लेनदेन होता है… शरीर और महंगे उपहारों का आदानप्रदान होता है.

मैं यह नहीं कहती कि प्रतिमा दोस्ती और प्यार में फर्क करना नहीं जानती. वह युवा है. कसबे से शहर आई है. ग्रैजुएशन कर रही है. प्यार से तो अनभिज्ञ नहीं होगी, क्योंकि प्यार के खेल तो हर जगह होते हैं. गांव, गली और शहर… सब जगह. कौन इस से अछूता है. क्या पता प्रतिमा भी किसी न किसी को प्यार करती हो. हालांकि उस के हावभाव से लगता नहीं है.

कसबाई युवती…

मेरे हावभाव से किसी को मेरे स्वभाव का जल्दी पता नहीं चलता. मैं बहुत संकोची और शर्मीली हूं. संभवत: कसबाई संस्कृति और संस्कारों ने मेरे अंदर एक स्वाभाविक संकोच भर दिया है. अब मैं 18 वर्ष की आयु में शहर पढ़ने के लिए आई हूं, तो स्वाभाविक तौर पर मुझे अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना होगा.

मैं होस्टल में रहती हूं, जहां एक से एक बदमाश, शैतान और चालू युवतियां रहती हैं. उन सब ने मुझे कितना परेशान किया, कमरे में बंद कर के नंगा नाच करवाया, गाना गवाया और बहुत से ऐसे कृत्य करवाए, जिन का मैं यहां वर्णन नहीं कर सकती. ये सब करवाने के पीछे उन युवतियों का क्या मकसद था, यह आज तक मेरी समझ में नहीं आया. यदाकदा अब भी सीनियर युवतियां मुझ से वैसा ही दुर्व्यवहार करती रहती हैं, लेकिन मैं न तो उन के जैसी बदमाश और चालू बन सकी, न उन में से किसी के साथ मेरी दोस्ती हो सकी.

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मेरी दोस्ती है तो प्रियांशी से, जो मेरी होस्टलमेट नहीं, क्लासमेट है. हम दोनों कक्षा में साथसाथ बैठती हैं और कक्षा के बाहर लाइब्रेरी से ले कर कैंटीन तक साथ रहती हैं. हम दोनों में बहुत सी बातें होती हैं, लेकिन हम दोनों का स्वभाव बिलकुल अलग है. वह खुले विचारों की आधुनिका है, तो मैं संकोची और संस्कारवान रूढि़वादी युवती, लेकिन मैं रूढि़वादी संस्कारों के बंधन में घुटन महसूस कर रही हूं. मैं शहर में आ कर अपने बंधन तोड़ देना चाहती हूं, पंख फैला कर खुले आसमान में उड़ना चाहती हूं.

मैं खुल कर किसी से बातें नहीं कर पाती. युवकों के सामने पड़ते ही मेरे संस्कार मेरे पैरों को जकड़ लेते हैं, हाथों को बांध देते हैं और जबान पर ताला लगा देते हैं. मैं किसी युवक से अपने मन की बात कह नहीं पाती. लेकिन अगर मैं किसी तरह साहस कर के कुछ कहना चाहूं तो कहूं किस से? कोई युवक मेरी तरफ निगाह उठा कर भी नहीं देखता.

सचाई तो यह है कि हर युवक आवारा भंवरे की तरह सुगंधित और सुंदर फूल का रस चूसने के लिए लालायित ही नहीं बेचैन भी रहता है. वह एक सौंदर्यहीन, असुगंधित जंगली फूल की तरफ कभी आकर्षित नहीं होता. मैं अकसर हीनभावना से ग्रस्त हो जाती हूं. प्रियांशी मेरी घनिष्ठ सहेली है, लेकिन उस के साथ रहते हुए मुझे हीनभावना का एहसास होता है और मैं उस के सौंदर्य से ईर्ष्या करने लगती हूं. वह असीम सौंदर्य की धनी है, शायद मेरे हिस्से का सौंदर्य भी उस के ही खाते में चला गया.

वह इतनी सुंदर और मैं सौंदर्यहीन, दबे हुए रंग की युवती. हालांकि शारीरिक सौष्ठव और अंगों की पुष्टता के मामले में मैं उस से किसी तरह कमतर नहीं हूं, लेकिन युवती की सुंदरता का मापदंड उस का चेहरा होता है, उस का दमकता हुआ माथा, बड़ीबड़ी काली आंखें, सुंदर लंबी नाक, कश्मीरी सेब की तरह गाल, भरे हुए संतरे की फांक जैसे गुलाबी होंठ और लंबी गरदन, यह एक युवती की सुंदरता के मापदंड होते हैं. इन में मैं प्रियांशी के सामने कहीं नहीं ठहरती.

कालेज का हर युवक प्रियांशी की तरफ आकर्षित है, उस के साथ दोस्ती करना चाहता है. दोस्ती क्या, दोस्ती की आड़ में प्यार का नाटक कर के उस को हासिल करने का प्रयास करता है, लेकिन प्रियांशी उन के साथ केवल दोस्ती करती है. मेरे सामने तो वैसे ही दिखाती है, अकेले में मिल कर कैसी बातें करती है, मुझे नहीं पता.

प्रियांशी की दोस्ती कालेज के कई युवकों से है. मैं भी चाहती हूं कि मेरा कोई दोस्त बने. प्रियांशी के कहने पर मैं ने अपने गैटअप में कई परिवर्तन किए और अब मैं पहले से ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हूं. फिर भी कोई युवक मेरी तरफ मुंह उठा कर नहीं देखता. इस का प्रमुख कारण है, प्रियांशी. मैं हर वक्त उस के साथ रहती हूं. उस के सामने मुझे कौन देखेगा, कौन चाहेगा. उस के सुंदर व्यक्तित्व के सामने मेरा थोड़ा सा सौंदर्य बुझे हुए चिराग जैसा हो जाता है.

मुझे अपनी अलग पहचान बनानी होगी. यदि मुझे नए जमाने के साथ चलना है, तो मुझे खुद ही कुछ करना होगा. प्रियांशी के साथ रहते हुए कोई युवक मेरा दोस्त नहीं बनने वाला. मुझे उस से कट कर अकेले रहना होगा. जब मैं अकेली रहूंगी तभी कोई युवक मुझ से बात करने का प्रयास करेगा, तभी मैं उसे अपनी बातों और नयनों के तीर से घायल कर पाऊंगी. फिर मैं उस के घायल दिल पर अपने प्यार का मरहम लगा कर उसे वश में कर लूंगी.

लेकिन मैं किस युवक को अपने वश में करूं, क्योंकि कक्षा के अधिकांश युवक तो प्रियांशी को ही चाहते हैं. मेरी तरफ कोई भूल कर भी नहीं देखता. कैंपस के दूसरे युवक भी किसी न किसी युवती के साथ अटैच्ड हैं. मैं किस को अपनी तरफ आकर्षित करूं?

मैं यह सोच कर परेशान हो जाती हूं, एक अजीब बेचैनी मेरे अंदर घर करती जा रही है. मैं जवान हूं, लेकिन कोई भी युवक मेरा दोस्त नहीं है. सभी युवतियों के दोस्त हैं, बौयफ्रैंड हैं, प्रेमी हैं और एक मैं हूं, जिस की कोई जानपहचान तक किसी युवक से नहीं है. मेरी जैसी युवतियां आज बैकवर्ड मानी जाती हैं.

एक प्रियांशी ही मुझ से दोस्ती का रिश्ता कायम किए हुए है, लेकिन कब तक? जब उस का मन किसी युवक से अकेले में बात करने का होगा, तो वह भी मुझ से किनारा कर लेगी? तब क्या मैं हताश और निराश नहीं हो जाऊंगी. कहते हैं न किसी जवान युवती को अगर सही समय पर प्यार नहीं मिलता और उस की इच्छाएं, कामनाएं और भावनाएं दबी रह जाती हैं, तो वह हताशा की शिकार हो जाती है. उसे दौरे पड़ने लगते हैं और वह हताशा के अतिरेक में आत्महत्या तक कर लेती है.

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लेकिन मैं आत्महत्या नहीं करूंगी. मैं इतनी सुंदर नहीं हूं, पर इतनी बुरी भी नहीं कि कोई युवक मुझे प्यार ही न करे. प्रयास करने से क्या नहीं होता? आज अगर कोई युवक मेरी तरफ प्यार भरी नजर से नहीं देखता, तो यह केवल प्रियांशी के कारण. अब मैं उस के घर में सेंध लगाऊंगी. हां, आप नहीं समझे?

मैं उसी के दोस्तों में से किसी एक को पटाऊंगी और वे सब प्राप्त कर के दिखाऊंगी, जो एक पुरुष से स्त्री को प्राप्त होता है. मैं अधूरी नहीं रहना चाहती. मैं जवान हूं, मेरी कामनाएं हैं और मेरी भी भावनाएं मचलती हैं, मुझे प्यार चाहिए, भरपूर प्यार… एक पुरुष का प्यार… हर तरफ वसंत के फूल खिले हैं. प्यार का रस टपक रहा है. मैं किसी को अकेला नहीं देखती. कैंपस का हर युवक किसी न किसी के प्यार में गिरफ्तार है, तो मैं अकेली पतझड़ की गरम हवा क्यों बरदाश्त करूं? इसी वसंत में कोई मेरे लिए भी प्यार के गीत गाएगा, हवा मेरे लिए भी खुशबू ले कर आएगी. पतझड़ के गीत गाने का मौसम अभी मेरे जीवन में नहीं आया है.

शहरी युवती…

वसंत का आगमन हो चुका है. फूलों ने पेड़ों पर एक अनोखी छटा बिखेरी हुई है. हवा में अनोखी सुगंध है, जो मन को मुग्ध कर देती है. तन और मन दोनों ही मचलते हैं. कुछ करने का मन करता है, लेकिन मैं अपने मन को रोक लेती हूं. तन को बहकने नहीं देती.

मेरे सभी दोस्तों ने वैलेंटाइन डे पर मुझे गुलाब के साथ महंगे गिफ्ट भेंट किए हैं. साथ ही उन्होंने प्रेम निवेदन भी किया है, लेकिन मैं ने बहुत विनम्रता से उन के प्रेम को ठुकरा दिया है. उन सब के चेहरों पर खिले हुए वसंत के फूल मुरझा गए हैं. उन की आंखों के सामने पतझड़ के सुर्ख पत्ते उड़ने लगे. ऐसा लगा, जैसे उन के चेहरे का सारा खून सूख कर पानी बन गया हो. उन के चेहरे एकदम सफेद पड़ गए, लेकिन इस से मुझे क्या? यह उन की समस्या थी. जो प्यार करता है, वह विरह का दुख भी सहता है. मैं ने तो उन्हें प्रेम के लिए उत्प्रेरित नहीं किया था. मैं अगर उन से प्यार नहीं करती तो इस में मेरा क्या दोष? प्यार उन्होंने किया, तो उस का परिणाम भी वही भुगतेंगे.

इस के बाद मैं ने महसूस किया कि सारे युवक मुझ से दूरदूर रहने की कोशिश करने लगे हैं, तो मैं ने भी उन से दोटूक बात कर के उन के मन की बात जाननी चाही और उन से बातें करने के बाद जो सचाई उभर कर सामने आई उस में एक बात पूरी तरह सत्य साबित हो गई कि युवकयुवतियों के बीच की सीमा शारीरिक मिलन पर जा कर समाप्त होती है. यही उस की पूर्णता है. यही शाश्वत सत्य है.

‘‘क्या बात है, आजकल तुम मुझ से दूरदूर रहते हो.’’

‘‘क्या करूं ? पत्थर से सिर टकराने से क्या फायदा? उस में फूल कभी नहीं खिलते,’’ युवक ने मायूसी से कहा.

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘तुम्हारे पास एक युवती का दिल नहीं है. तुम किसी युवक को प्यार नहीं कर सकती.’’

‘‘कल तक तो मेरे पास सबकुछ था आज मैं ने तुम्हारा प्रेम निवेदन ठुकरा क्या दिया कि मैं युवती ही नहीं रही. वाह, क्या दोस्ती में प्यार नहीं होता.’’

‘‘नहीं, वैसा प्यार नहीं होता, जैसा एक युवकयुवती के बीच होना चाहिए.’’

‘‘यह कैसा प्यार होता है? क्या मुझे समझाने का प्रयत्न करोगे?’’ प्रियांशी ने थोड़ा तल्खी से पूछा.

‘‘तुम सब समझती हो, तभी तो हमारे प्यार को ठुकरा दिया है.’’

‘‘फिर भी बताओ न, तुम्हारे मुख से भी तो सुनूं.’’

‘‘यही न जैसे कि कहीं एकांत में बैठना, प्यार भरी बातें करना, एकदूसरे को स्पर्श करना, चुंबन करना और… और…’’

‘‘और फिर तनबदन में आग लगे, तो वासना के दरिया में डूब कर अपनी प्यास बुझाना, क्यों यही चाहते हो न तुम एक युवती से?’’

‘‘हां, और क्या? सभी ऐसा करते हैं, हम दोनों करेंगे तो कौन सा धरतीआसमान फट जाएंगे.’’

‘‘लेकिन ये सब करने की हमारे संस्कार अनुमति कहां देते हैं. इस के लिए तो शादी जैसा पवित्र रिश्ता बना है. ये सब यदि हम तभी करें तो क्या ज्यादा उचित नहीं होगा. अभी तो हमारी पढ़ाई की उम्र है.’’

‘‘हुंह, पढ़ाई की उम्र… और जो एकदूसरे के प्रति आकर्षण होता है, स्वाभाविक खिंचाव होता है, भावनाएं मचलती हैं, उन का क्या किया जाए. शारीरिक क्रियाएं अपना काम करना बंद नहीं करतीं, समझी, प्रियांशीजी,’’ लड़के के स्वर में तल्खी थी, ‘‘तुम हठी और जिद्दी हो. जानबूझ कर अपनी भावनाओं को कुचल कर दबाने का प्रयास करती हो. देख लेना, अगर यही स्थिति रही तो एक दिन हिस्टीरिया की शिकार हो जाओगी.’’

‘‘उस की फिक्र तुम मत करो दोस्त, ऐसी स्थिति आने से पहले ही मैं शादी कर लूंगी. लेकिन तुम्हारे जैसे किसी लंपट से तो शादी बिलकुल नहीं करूंगी.’’

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इस के बाद मेरी दोस्ती उन युवकों से खत्म हो गई. उन के प्यार का रंग बदरंग हो गया. इस से एक बात प्रमाणित हो गई कि युवकयुवती आपस में कभी दोस्त बन कर नहीं रह सकते. उन के बीच जो कुछ होता है, वह मात्र शारीरिक आकर्षण होता है, जो आखिर में शारीरिक मिलन पर जा कर समाप्त होता है.

कहते हैं, दुनिया में कुछ भी टिकाऊ नहीं है… रिश्ते और नाते भी नहीं, स्वार्थ पर आधारित कोई भी चीज टिकाऊ नहीं हो सकती. लेकिन मुझे हैरानी होती है, प्रतिमा और मेरे बीच स्वार्थ का कोई आधार नहीं था, फिर भी आजकल वह मुझ से खिंचीखिंची रहती है. पता नहीं उस के मन में क्या है? वह आजकल मुझ से कम बात करती है. कक्षा में साथ बैठती है, पर ऐसे जैसे दो दुश्मन गलती से अगलबगल बैठ गए हों. मैं उस से कुछ पूछती हूं, तो वह कुछ बताती नहीं है. कक्षा के बाहर भी मेरे साथ नहीं रहती. न साथ लाइब्रेरी जाती है, न कैंटीन. मैं ने अपनी तरफ से प्रयास किया कि उस के साथ मेरे रिश्ते सामान्य बने रहें, लेकिन वह अडिग चट्टान की तरह अपने मन को कठोर बनाए हुए है, तो मैं क्या कर सकती हूं. ऐसी स्थिति में दोस्ती के तार कांच की तरह झनझना कर टूट जाते हैं. मेरा भी मन उस से खट्टा होने लगा है.

Anik Ghee के साथ बनाएं मेवा खीर

अगर आप फेस्टिवल में कुछ टेस्टी और हेल्दी ट्राय करना चाहती हैं तो आज हम आपको मेवा खीर की टेस्टी रेसिपी बताएंगे. मेवा खीर की इस रेसिपी को आप अपनी फैमिली के लिए बनाकर तारीफें पाएंगी. आइए आपको बताते हैं मेवा खीर की खास रेसिपी

सामग्री

1/4 कप साभक चामल

1/2 लिटर अनिक फुल क्रीम मिल्क

10-12 दाने किशमिश

2 छोटे चम्मच चिरौंजी

1 छोटा चम्मच बादाम की कतरन

1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

1 छोटा चम्मच काजू पाउडर

3 बड़े चम्मच अनिक घी

चीनी स्वादानुसार

विधि

चावल को अच्छी तरह से पानी में धोकर 1 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. फिर गैस पर एक भारी तले के पैन में अनिक घी गरम करें. चावल का पानी निथार कर उसमें डालें व भूनें. 2 मिनट बाद धीरेधीरे कर के दूध डालें. धीमी आंच पर चावलों के गलने व दूध के गाढ़ा होने तक पकाएं, खीर बारबार चलाते रहें. गाढ़ा होने पर स्वादानुसार चीनी डालें और 2 मिनट पकाएं, गैस बंद कर दें, थोड़ा ठंडा होने पर सर्विंग बाउल में पलटे और इलायची चूर्ण व सभी मेवा मिक्स करें, बढिया खीर तैयार है.

मौत को बांध रखा था

लेखक- प्रेम बजाज

करनाल में नामी फर्नीचर शोरूम, “लाल फर्नीचर” जिसकी करनाल, कुरूक्षेत्र, लाडवा, समालखा में कई ब्रांच थी.

शोरूम के मालिक शाह जी के नाम से जाने जाते, शाह जी का एक छोटा भाई अतुल इंग्लैंड रहता था.

यहां इंडिया में शाह जी का पत्नी और एक बेटी के अलावा और कोई रिश्तेदार नहीं था.

शाह जी बहुत बार छोटे भाई अतुल को इंडिया आने को कहते मगर अतुल एक ही जवाब देता,” भाई यहां इन्सान की कद्र उसके हुनर से है, उसकी पहचान उसकी काबलियत से है, इंडिया में इन्सान को केवल प्रापर्टी, धन-दौलत, जायदाद से ही अच्छा और बड़ा समझा जाता है, उसके हुनर की कोई कद्र नहीं, फिर ऐसे में कैसा भविष्य होगा इन्सान का? ”

और शाह जी चुप हो जाते, ऐसा नहीं वो ये बातें मानते थे, मगर वो बहस ना करना चाहते, वो समझते थे कि इन्सान की कीमत उसके गुणों से है.

शाह जी की बेटी निहारिका, शाह जी की ही तरह, किसी से कोई फालतू बात ना करनी, बस केवल अपने काम से काम रखना.

निहारिका ने जब कालिज में एडमिशन लिया, उसी की क्लास में सौरभ नाम का एक लड़का सुन्दर, सजीला जवान,  जब वो निहारिका को देखता है तो देखता ही रह जाता है, बेशक निहारिका साधारण सी, ना कोई मेकअप, ना कोई स्टाइलिश कपड़े.

फिर भी ना जाने उसमें क्या कशिश थी, वो निहारिका की तरफ खिंचने लगा, उसने कई बार कोशिश की, कि निहारिका से बात करे, और भी बहुत से लड़के निहारिका से बात करने की कोशिश करते, यहां तक कि कोई -कोई तो धमकी भी देता कि उससे बात करें, वरना वो उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.

कालिज ऐसा स्थान होता है जहां जोड़ियां बनते देर नहीं लगती. लेकिन निहारिका किसी को भी बात करने का अवसर तक ना देती. बस सुबह एक गाड़ी आती जिसमें एक अधेड़ उम्र का शख्स दिखने में ड्राइवर जैसा वो गाड़ी उसे छोड़ कर जाती और क्लास खत्म होते ही गाड़ी आ जाती और निहारिका चुपचाप उस गाड़ी में बैठ कर चली जाती.

ग्रेजुएशन के बाद  सौरभ ने  इंटिरियर डिजाइनर का कोर्स चुना जब सेंटर में गया तो देखा इत्तेफ़ाकन निहारिका भी इंटिरियर डिजाइनर का कोर्स करने आई है.

दोनों में हाए हैलो होती है, लेकिन इतना समय साथ रहने के बावजूद भी निहारिका ने किसी को भी अभी तक अपना फोन नंबर नही दिया था, किसी से अगर बात करनी हो तो केवल इंटरनेट से ही करती थी मैसेज द्वारा. इंटिरियर डिजाइनर का कोर्स दो साल का था, सौरभ को खुशी हुई कि इस बहाने दो साल निहारिका के साथ और रहने का मौका मिला.

इधर शाह जी की तबीयत कुछ खराब रहने लगी थी, कितनी बार पत्नी और बेटी ने डाक्टर को दिखाने को कहा, लेकिन शाह जी टालते रहे, उन्हें लगा शायद काम की अधिकता से थकावट हो जाती है.

लेकिन एक दिन निहारिका, ” पापा आज मैं क्लास नहीं जा रही, आप  जल्दी से तैयार हो जाएं, हम डाक्टर के पास चल रहे हैं”

शाह जी,” अच्छा बाबा मैं आज, अभी डाक्टर के पास जाऊंगा मगर तुम अपनी क्लास मिस मत करो”

निहारिका पापा से प्रोमिस लेकर क्लास चली गई और शाह जी चले बेटी से किया वादा निभाने डाक्टर के पास.

डाक्टर चैकअप करने के बाद कुछ टैस्ट करवाते हैं और रिपोर्ट आने पर शाह जी को पता चलता है कि उन्हें गुर्दे का कैंसर है, जो काफी ज्यादा फैल चुका है. शाह जी दवाई लेकर आते हैं, मगर यह बात किसी को नहीं बताते, बस इतना कहते हैं कि हल्का सा किडनी इनफैक्शन है जो डायलिसिस के बाद ठीक हो जाएगा. लेकिन   अब उन्हें निहारिका की चिंता सताती है, निहारिका का इंटिरियर का दूसरा साल चल रहा है, शाह जी उसे साथ-साथ एडवांस कम्प्यूटर कोर्स भी  करवाते हैं और उसकी सरकारी नौकरी की कोशिश करते हैं लेकिन यहां किस्मत साथ नहीं देती.

कहीं अगर शादी की बात करते हैं तो इकलौती बेटी होने की वजह से सबका ध्यान उनकी प्रोपर्टी की ओर जाता है. अक्सर यही सुनने में मिलता है कि निहारिका बहुत साधारण सी है लेकिन चलो प्रोपर्टी तो अच्छी खासी है इसलिए अच्छी जगह रिश्ता हो सकता है, अर्थात जो भी देखता प्रोपर्टी ही देखता.

इन‌सब बातों से शाह जी का मन खिन्न हो गया उन्होंने इंग्लैंड में अपने भाई से बात की तो उन्होंने कहा कि आइलेट का कोर्स करवा दें निहारिका को और यहां इंग्लैंड भेज दें वहां इन्सान की दौलत की नहीं,  इन्सान की कद्र है, उसके हुनर की कद्र है.

शाह जी निहारिका को आइलट्स का कोर्स करवा देते हैं, जिसमें निहारिका अच्छा रैंक लाती है.

शाह जी के पास समय बहुत कम रह गया है लेकिन किसी को भी इस बात की भनक नहीं. एक महीने बाद ही निहारिका को इंग्लैंड जाना है.

निहारिका पापा से बार-बार किडनी चेंज कराने को कहती हैं, लेकिन शाह जी नहीं मानते, क्योंकि वो जानते हैं ये कैंसर है किडनी चेंज भी होगा तो भी कैंसर फिर से होगा, इसलिए कहते हैं,” बस थोड़ी सी डायलिसिस और उसके बाद हमेशा के लिए छुट्टी, बिल्कुल ठीक”

धीरे-धीरे निहारिका के जाने का दिन नज़दीक आ रहा है, निहारिका पैकिंग करते हुए, ईश्वर से प्रार्थना भी कर रही है कि पापा को जल्द ठीक कर दें, और बार-बार पापा को भी देखती है. उसके पापा खुश हैं कि उनकी बेटी दहेज के कलंक से बच गई. यहां तो बेटियों को दहेज के खर्चे की लिस्ट और लड़कों को घर बैठे कमाई का जरिया माना जाता है.

आज निहारिका की फ्लाइट है और शाह जी की डायलिसिस की टर्न भी.

निहारिका, ” पापा आप जाईए अस्पताल, मैं एअरपोर्ट खुद चली जाऊंगी”

” ठीक है बेटा जाओ, खुश रहो”

निहारिका को आशीर्वाद देते हुए शाह जी अस्पताल के लिए चल दिए, लेकिन ना जाने क्यों निहारिका का मन बैचैन था, उसे ऐसा लगा जैसे वो पापा को आखिरी बार मिल रही है, शायद फिर कभी मेल ना हो.

सौरभ को रात को बुखार था  इसलिए रात भर अच्छे से नींद नहीं आई, सुबह जब कुछ बुखार कम हुआ तो नींद की झपकी आ गई, लेकिन अचानक मोबाइल की घररर-घरररर से नींद खुली तो देखा मैसेंजर काॅल था.

जैसे ही फोन उठाया हैलो बोलने से पहले ही उधर से आवाज़ आई,” पापा चले गए छोड़कर हमेशा के लिए”

सौरभ कुछ ना बोल सका, केवल सोचता रहा उस शख्स के बारे में जिसने अपनी बेटी को एक अच्छा भविष्य देने के लिए अपनी मौत को बांध कर रख लिया था. अपनी बेटी का सुनहरा भविष्य बनाकर अब वो फ्री हो गया, मुक्त हो गया हर चिंता से.

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