Ramayana के रावण Arvind Trivedi ने कहा दुनिया को अलविदा तो ‘लक्ष्मण’ और ‘सीता’ ने दी श्रद्धांजलि

टीवी इंडस्ट्री से बीते दिनों बुरी खबरों का सिलसिला जारी है. वहीं अब खबर है कि टीवी के पौपुलर सीरियल रामायण (Ramayana) में लंकापति रावण का किरदार निभाने वाले एक्टर अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का बीते दिन निधन हो गया है, जिसके बाद फिल्मी और टीवी सितारे उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दोस्तों ने दी श्रद्धांजलि

 

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दरअसल, 2-3 दिन से बीमार चल रहे 83 साल के अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का निधन बीती रात हुआ, जिसकी खबर उनके भतीजे कौस्तुभ ने फैंस को दी. वहीं खबर मिलते ही कई फिल्मी सितारों ने शोक व्यकत किया. वहीं रामायण में अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) संग स्क्रीन शेयर कर चुके लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले एक्टर सुनील लहरी ने सोशलमीडिया पर अपनी श्रद्धांजलि दी. सुनील ने लिखा, ‘बहुद दुखद समाचार है कि हमारे सबके प्यारे अरविंद भाई (रामायण के रावण) अब हमारे बीच नहीं रहे. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. मैं कुछ नहीं बोल पा रहा हूं. मैंने अपने पिता समान व्यक्ति, मेरे गाइड और शुभचिंतक को खो दिया है.’ सुनील के अलावा शो में साथ काम कर चुके अशोक पंडित, दीपिका चिखलिया ने भी अरविंद के निधन पर शोक प्रकट करते हुए पोस्ट शेयर किया है, जिस पर फैंस अपना रिएक्शन दे रहे हैं.

 

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रामायण से बटोरी थीं सुर्खियां

बीते साल 2020 में रामायण की दोबारा प्रस्तुति से फैंस का जबरदस्त रिस्पौंस देखने को मिला था. वहीं सोशलमीडिया पर शो से जुड़े कई मीम्स भी वायरल हुए थे. बात करें  अरविंद त्रिवेदी के काम की तो वह करीब 300 हिंदी और गुजराती फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं. इसी के चलते साल 2002 में उन्हें सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी नॉमिनेट किया गया था.

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वनराज के इल्जाम से टूटा अनुज, Anupama से कहेगा शाह हाउस छोड़ने की बात

स्टार प्लस के टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. दरअसल, अनुज की एंट्री के बाद जहां अनुपमा के सपने पूरे होते नजर आ रहे हैं तो वहीं वनराज उसके सपनों पर ग्रहण की तरह मंडराता नजर आ रहा है. इसी बीच अनुपमा एक बड़ा फैसला लेने वाली है, जिससे अपकमिंग एपिसोड में सीरियल की कहानी में दर्शकों को और भी मजा आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज ने तोड़ी हदें

अब तक आपने देखा कि अनुपमा के सपने पूरा होने का एक बड़ा दिन आ चुका है. जहां वह अनुज के साथ अपनी पार्टनरशिप की नींव रखने वाली होती है. लेकिन एक बार फिर वनराज उसकी खुशियों पर नजर लगा देता है. दरअसल, भूमि पूजन के दौरान वनराज बखेड़ा खड़ा कर देता है. साथ ही अनुज-अनुपमा के रिश्ते पर वनराज इल्जाम लगाता है, जिसके जवाब में अनुपमा (Anupama) और अनुज साथ में वनराज पर चीखते नजर आते हैं. और अनुज, वनराज की हरकतें देखकर उसे अपने घर से निकलने के लिए कहता है.

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वनराज के कारण टूटे अनुज-अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे वनराज (Sudhanshu Pandey) के हदें पार करने के बाद अनुपमा (Anupama) भागकर कारखाने में जाकर रोने लगेगी, जिसे देखकर अनुज (Anuj Kapadia) उसे चुप कराएगा और वह खुद भी इमोशनल हो जाएगा. इसके साथ ही वह अनुपमा को संभालते हुए अनुज, अनुपमा को समझाएगा कि वो जहर के घूंट पीने की बजाय अब अपने अस्तित्व के लिए फैसला ले और शाह हाउस छोड़ दे.

वनराज के खिलाफ खड़ी होगी अनुपमा

दूसरी तरफ अनुज, अनुपमा (Anupama) समझाएगा कि बापूजी, किंजल, पाखी, समर और नंदिनी उसकी बात को समझेंगे और उसका साथ देंगे. इसलिए वह रोना बंद करे और अपने लिए और सपने के लिए कदम उठाए. वहीं अनुज की बातों से अनुपमा वनराज का सामना करने के लिए तैयार होगी. हालांकि देविका, अनुज को समझाएगी कि अनुपमा शाह हाउस और अपने परिवार को कभी नहीं छोड़ेगी.

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फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट हैं Bigg Boss 15 की Akasa Singh के ये लुक्स

कलर्स का पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस 15 की शुरुआत हो चुकी है. वही शो में सितारों की लड़ाइयां और प्लानिंग भी दर्शकों का दिल जीत रही हैं. हालांकि सोशलमीडिया पर कई कंटेस्टेंट को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं, जिनमें सिंगर अकासा सिंह का नाम भी शामिल है. अकासा सिंह इन दिनों बिग बौस 15 में काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. वहीं सोशलमीडिया पर उनके लुक्स भी काफी वायरल हो रहे हैं. इसीलिए आज हम आपको अकासा सिंह के कुछ लुक्स दिखाएंगे, जिन्हें आप गरबा या फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

फेस्टिव सीजन में सिंपल हो लुक

 

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अकासा सिंह का फैशन काफी सिंपल है. वह हैवी और लाउड लुक की बजाय सिंपल लुक में फैंस का दिल जीतती हैं. वहीं फेस्टिव सीजन में सिंपल लुक कैरी करना चाहती हैं तो अकासा सिंह की ये ड्रैस आप ट्राय कर सकती हैं. ये मल्टीकलर ड्रैस आपके लुक को फेस्टिव सीजन में चार चांद लगा देगी.

 

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लहंगा है परफेक्ट 

 

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अगर आप मल्टी कलर आउटफिट की जगह वाइट औप्शन तलाश कर रही हैं तो अकासा सिंह का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट रहेगा. हैवी ब्लाउज के साथ प्लेन वाइट लहंगा परफेक्ट औप्शन आपके लिए फेस्टिव सीजन में बेस्ट रहेगा.

सूट भी है खास

 

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अगर आप लहंगे की जगह फेस्टिव सीजन में सूट ट्राय करना चाहती हैं तो अकासा सिंह के सिंपल सूट के साथ हैवी और प्रिंटेड दुपट्टे वाले ये सूट बेस्ट औप्शन रहेंगे. पंजाबी फुल्कारी को या प्रिंटेड दुपट्टा अकासा सिंह के पास सूट के कलेक्शन बेहद खूबसूरत हैं, जिसे आप फेस्टिव सीजन में आसानी से कैरी कर सकती है.

 

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जब खरीदें औनलाइन फर्नीचर

आज के समय में जहां एक तरफ कोरोना का डर है तो दूसरी तरफ जिंदगी में बढ़ती व्यस्तता का आलम है. ऐसे में बाजार की भीड़भाड़ में जा कर सामान खरीदने की अपेक्षा घर बैठेबैठे औनलाइन शौपिंग करना बहुत सुविधाजनक और आसान विकल्प है. आज लोग इलैक्ट्रौनिक आइटम्स से ले कर घरेलू सामान तक सबकुछ औनलाइन खरीदने को ही प्राथमिकता देते हैं. वैसे भी अब औनलाइन हर चीज मिल जाती है.

जब हम छोटीमोटी वस्तुओं जैसे जूते, कपड़े या ब्यूटी प्रोडक्ट्स आदि की शौपिंग के लिए औनलाइन प्लेटफौर्म का प्रयोग करते हैं तो ज्यादा नहीं सोचते, लेकिन जब बात महंगी आइटम जैसे फर्नीचर वगैरह की हो तो हमें ज्यादा सोचना पड़ता है क्योंकि इन में एक बार में ही काफी पैसे लग जाते हैं.

वैसे फर्नीचर न सिर्फ जरूरी सामान है बल्कि घर के लुक में भी चार चांद लगाता है. ऐसे में अगर आप औनलाइन फर्नीचर खरीद रही हैं तो सिर्फ उस के डिजाइन पर ही ध्यान न दें. ऐसी कई चीजें हैं जिन पर औनलाइन फर्नीचर खरीदते समय ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है.

जरूरत हो तभी खरीदें

कई बार औनलाइन शौपिंग के दौरान हमें कोई अच्छा सा, कम कीमत का डिजाइनर फर्नीचर नजर आता है तो हम उसे बिना सोचेसम  झे खरीद लेते हैं. मगर घर में जगह कम होने की वजह से घर काफी कंजस्टेड लगने लगता है. इसलिए औनलाइन फर्नीचर लेने से पहले अपनी जरूरत पर ध्यान दें.

विश्वसनीय साइट पर जाएं

बेहतर होगा कि आप फर्नीचर हमेशा सुरक्षित साइट से ही खरीदें. यों तो औनलाइन मार्केट प्लेटफौर्म बहुत से हैं जो आप को आकर्षक फर्नीचर देने का दावा करेंगे. लेकिन महत्त्वपूर्ण यह है कि आप किसी विश्वसनीय साइट का औप्शन ही चुनें. साइट की सिक्यूरिटी जानने के लिए आप लाक आईकान पर क्लिक करें, प्रोडक्ट से जुड़े रिव्यूज पढ़ें और कंपनी को ईमेल या फोन के द्वारा कौंटैक्ट करने की कोशिश करें ताकि आप को उस की औथेंटिसिटी का पता चल सके. यह भी ध्यान दीजिए कि क्या साइट रैग्युलरली अपडेट हो रही है.

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मेजरमैंट पर दें ध्यान

हर फर्नीचर अलगअलग साइज और पैटर्न में मिल जाता है. उस का मैटीरियल भी अलगअलग होता है. फर्नीचर के बारे में औनलाइन दी गई जानकारी को ठीक से पढ़ें. डिजाइन के साथसाथ घर में मौजूद स्पेस पर भी ध्यान दें. यह तय करें कि आप को फर्नीचर कहां रखना है और वहां कितनी जगह है ताकि घर कंजस्टेड न हो जाए.

कई बार हम बैड, सोफा या दूसरा बड़ा फर्नीचर खरीद जरूर लेते हैं, लेकिन वह जब घर आता है तो हमारे रूम में फिट नहीं होता. ऐसे में बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. इसलिए रूम का मेजरमैंट लेना न भूलें. साथ ही फर्नीचर का साइज भी सही चुनें. कुछ साइट्स में इंटीरियर स्पैशलिस्ट कस्टमर के घर भेजा जाता है जो कस्टमर को सही फिटिंग वाला फर्नीचर लेने में मदद करते हैं.

यह पता करना भी जरूरी है कि क्या फर्नीचर आप को असैंबल कर के भेजा जाएगा क्योंकि ऐसे में आप को यह भी ध्यान देना होगा है कि प्रोडक्ट की चौड़ाई कहीं दरवाजे से बड़ी तो नहीं? मतलब उसे दरवाजे से हो कर कमरे में पहुंचाया जा सकेगा या नहीं? अगर उसे सीढि़यों से ले जाना है तो क्या यह संभव हो पाएगा?

औफर्स का फायदा उठाएं

ज्यादातर कंपनियां अकसर अपने प्रोडक्ट्स पर औफर देती रहती हैं खासकर किसी स्पैशल दिन या त्योहारों पर काफी औफर रहते हैं. विशेष त्योहार के दिन तो और भी ज्यादा डिस्काउंट मिल सकता है. ऐसे में आप औनलाइन प्रोडक्ट खरीदने से पहले सभी साइट्स पर औफर चैक करें. आप को इस का लाभ मिल सकता है.

टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर ध्यान दें

औनलाइन फर्नीचर खरीदने से पहले उस से जुड़े डिस्क्रिप्शन में टर्म्स ऐंड कंडीशन को ठीक से पढ़ें. कई बार जरूरी जानकारी भी काफी छोटे शब्दों में लिखी जाती है ताकि उस पर नजर न पड़े. बाद में विवाद होने पर वेंडर के पास खुद को बचाने का औप्शन रहता है. इस के अलावा आप फर्नीचर  फाइनलाइज करने से पहले कस्टमर रिव्यूज भी पढ़ें. इस से काफी कुछ पता चल जाता है. मैटीरियल, उस के कलर आदि के बारे में भी डिटेल से पढ़ें. इस में आप को थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है, लेकिन इस तरह आप किसी गलत प्रोडक्ट को चुनने से बच जाएंगी.

डिलिवरी चार्ज को न करें इग्नोर

कई बार औनलाइन शौपिंग के समय हम डिलिवरी चार्ज पर ध्यान नहीं देते हैं.

आप इस गफलत में रहते हैं कि आप ने महंगी आइटम खरीदी है, इसलिए प्रोडक्ट की फ्री डिलिवरी होगी. लेकिन ऐसा होता नहीं. आप को शिपिंग चार्ज भी देना पड़ता है. तब आप ठगा सा महसूस करते हैं क्योंकि तब आप को फर्नीचर और भी महंगा पड़ता है.

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लेने से पहले एक विशलिस्ट बनाएं

औनलाइन फर्नीचर खरीदना इतना आसान भी नहीं. आप को अच्छी तरह रिसर्च कर के ही कोई चीज फाइनल करनी चाहिए. इसलिए बेहतर होगा कि आप किसी प्रोडक्ट को लेने का फैसला करने से पहले एक विशलिस्ट तैयार करें. इस में आप पसंद आ रहे फर्नीचर की एक लिस्ट बना लें. अंत में सभी विकल्पों पर गौर करने के बाद आखिरी में आप के लिए यह फैसला लेना अधिक आसान हो जाएगा कि आप के घर के लिए कौन सा फर्नीचर सब से उपयुक्त रहेगा.

कीमत की तुलना करें

इंटरनैट पर बहुत सारी औनलाइन शौपिंग साइटें हैं. अलगअलग साइट पर कई बार एक ही प्रोडक्ट के अलगअलग रेट मिलते है. इसलिए कोई भी फर्नीचर खरीदने से पहले दूसरी साइटों से कीमत की तुलना करना न भूलें. अलगअलग साइट पर एक ही प्रोडक्ट की कीमत में क्व1 हजार से क्व10 हजार तक का अंतर हो सकता है. लेकिन यह चैक करना न भूलें कि कहीं कम कीमत के चक्कर में आप लोकल या घटिया लकड़ी का प्रोडक्ट तो नहीं ले रहे. इसलिए कीमत के साथसाथ क्वालिटी की भी तुलना जरूर करें.

कैश औन डिलिवरी है बेहतर औप्शन

नकली माल या किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए जरूरी है कैश औन डिलिवरी का विकल्प चुनना. इस को ष्टहृष्ठ भी कहते हैं. इस विकल्प में उपयोगकर्ता अपना प्रोडक्ट प्राप्त करने के बाद उस की पेमैंट करता है. इस से आप कई तरह की समस्याओं से बच जाते हैं.

रिटर्न पौलिसी

औनलाइन शौपिंग में हम अकसर रिटर्न पौलिसी का खयाल नहीं रखते हैं. लेकिन ऐसा करने से आप मुश्किल में पड़ सकते हैं. कई बार फर्नीचर की डिलिवरी होने के बाद वह चीज आप को पसंद नहीं आती या सामान में टूटफूट अथवा दूसरी कोई कमी नजर आ सकती है. यह हमें प्रोडक्ट के आने के बाद ही पता चलता है. ऐसे में यदि कंपनी की नो रिटर्न पौलिसी है तो उसे वापस करना भी मुश्किल हो जाता है और आप को मन मसोस कर वह फर्नीचर रखना पड़ता है. इसलिए ऐसी साइट से ही और्डर करें जहां सामान पसंद न आने पर रिटर्न करने का औप्शन हो.

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यदि आइटम डैमेज है तो बेहतर होगा कि आप उस की डिलिवरी लें ही नहीं. आप डैमेज पीस के फोटो ले कर भेज सकते हैं. यह आप के पास एक पू्रफ के रूप में रहेगा कि भेजने के दौरान यानी डिलिवरी होने से पहले ही फर्नीचर का कोई हिस्सा डैमेज हो गया था. इस से प्रोडक्ट वापस करने में आप को कोई रुपए यानी रिटर्न की कौस्ट नहीं देनी पड़ेगी और वह वापस हो जाएगा.

Festive Special: मूंग से बनाएं ये टेस्टी स्नैक्स

आमतौर पर मूंग दाल को पसन्द नहीं किया जाता, कुछ लोग तो इसे मरीजों वाली दाल कहते हैं परन्तु अनेकों विटामिन, फाइबर, आयरन और प्रोटीन के प्रचुर स्रोत वाली यह दाल बहुत सेहतमंद और सुपाच्य होती है तभी तो बीमारी में डॉक्टर इसका सेवन करने की सलाह देते हैं. आज हम मूंग दाल से बनाये जाने वाले दो ऐसे स्नैक्स बनाना बता रहे हैं जिन्हें बनाना तो बहुत आसान है ही साथ ही ये सेहतमंद भी हैं. तो देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है.

-मूंग मठरी

कितने लोंगों के लिए          4

बनने में लगने वाला समय    30 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

छिल्के वाली मूंग दाल          1 कटोरी

मैदा                                   1 कटोरी

आटा                                1/2 कटोरी

हींग                                 चुटकी भर

नमक                                स्वादानुसार

अदरक, हरी मिर्च, लहसुन पेस्ट  1 टीस्पून

अजवाइन                           1/4 टीस्पून

मैदा                                    2 टेबलस्पून

घी                                       1 टेबलस्पून

तलने के लिए तेल         पर्याप्त मात्रा में

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विधि

मूंग दाल को साफ सूती कपड़े से पोंछकर मिक्सी में दरदरा पीस लें. ध्यान रखें कि यह बहुत मोटी न रहे और न ही एकदम पाउडर फॉर्म में हो जाये. अब इसे एक बाउल में डालकर 2 कप पानी से धो लें. चलनी से पानी निकाल दें. धुली दाल में आटा, मसाले, मैदा और अदरक हरी मिर्च, 2 टीस्पून तेल व  लहसुन पेस्ट अच्छी तरह मिलाएं. अब इसे 15 मिनट के लिए ढककर रख दें. 15 मिनट बाद तैयार आटे में से रोटी के बराबर लोई लेकर रोटी जैसा पतला बेल लें. इसी प्रकार 3 रोटी तैयार कर लें. मैदा और घी को मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें. अब एक रोटी को चकले पर फैलाएं और उसके ऊपर ब्रश से मैदा और घी का पेस्ट अच्छी तरह लगाएं. इसी प्रकार मैदा और घी लगाते हुए तीनों रोटियां एक दूसरे के ऊपर रख लें. सबसे ऊपर वाली रोटी पर भी घी लगाएं और इन्हें अंदर की तरफ दबाते हुए रोल कर लें. तैयार रोल में से 1-1 इंच के पीस काट लें. कटे पीसेज को हथेली से दबाकर चपटा कर दें. अब इन्हें गर्म तेल में मद्धिम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें.

-मूंगलेट

कितने लोंगों के लिए               6

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

धुली मूंग दाल                    1 कप

चावल का आटा                 1 टीस्पून

बारीक कटा प्याज             1

बारीक कटी शिमला मिर्च     1

बारीक कटी गाजर               1

कॉर्न के दाने                        1/4 कप

बारीक कटी हरी मिर्च           4

बारीक कटी हरी धनिया         1 टेबलस्पून

अदरक                                 1 छोटी गांठ

हींग                                     चुटकी भर

जीरा                                  1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर               1/2 टीस्पून

नमक                                 स्वादानुसार

ईनो फ्रूट साल्ट                    1 सैशे

तेल                                   1 टेबलस्पून

मक्खन                               1 टिक्की

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विधि

मूंग दाल को धोकर 2 घण्टे के लिए दोगुने पानी में भिगो दें. दो घण्टे बाद पानी निथारकर दाल को अदरक के साथ मिक्सी में बारीक पीस लें. पल्स मोड पर पीसें और यदि पीसने में परेशानी हो तो 1 टीस्पून पानी डाल लें. पिसे मिश्रण को एक बाउल में पलट लें. अब इसमें सभी मसाले और सब्जियां और कॉर्न भली भांति मिलाएं. ईनो फ्रूट सॉल्ट डालकर चलाएं. एक नॉनस्टिक पैन में 1 टीस्पून तेल डालें और तैयार मूंग के मिश्रण को डाल दें. इसे कलछी से फैलाकर एकसार कर दें. ढककर 5 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं. 5 मिनट बाद पलट दें और चाकू से क्रॉस बनाकर काट लें. बीच में मक्खन रख दें और ढककर पुनः सुनहरा होने तक पकाएं. तैयार मूँगलेट को टोमेटो सॉस या हरी चटनी के साथ परोसें.

अंधेरी रात का जुगनू

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पति की जबरदस्ती से कैसे बचें

श्वेता खाना खा कर सोने चली गई थी. उस का पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले रात के खाने पर श्वेता पति का देर रात तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आए तो खाने पर उस का इंतजार न किया करे. इस के बाद प्रदीप के आने में देर होने पर श्वेता खाना खा कर लेट जाती थी. उस दिन भी वह लेट तो गई थी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधों के बारे में सोच रही थी. उसे लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात घर लौटता था. इस के बाद कभी सो जाता था, तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुंच चुकी श्वेता को तब संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. श्वेता को कभीकभी लगता जैसे पति प्यार न कर के बलात्कार कर रहा हो.

श्वेता अपने को यह सोच कर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही शादी होती है, इसलिए उसे केवल पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. इस जोरजबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में 1-2 बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ संबंध बना सकता है, ज्यादातर श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इस का प्रभाव उस के ऊपर कुछ इस तरह पड़ा कि वह शारीरिक संबंधों से चिढ़ने लगी. श्वेता और प्रदीप का 1 बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली शालिनी से मिलती तो उसे पता चलता कि उन का पतिपत्नी का रिश्ता मजे में चल रहा है. एक दिन जब श्वेता ने अपनी परेशानी शालिनी को बताई, तो वह उसे सैक्स काउंसलर के पास ले गई.

पति से करें बात

काउंसलर ने बातचीत कर के यह जानने की कोशिश की कि श्वेता की परेशानी क्या है? श्वेता ने काउंसलर को बताया कि उस का पति उस समय उस से सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करता है जब उस का मन नहीं होता है. कई बार जब वह इस के लिए मना करती है, तो वह जोरजबरदस्ती पर उतर आता है. इस से श्वेता का सैक्स संबंधों से मन उचट गया है. काउंसलर रेखा पांडेय ने श्वेता को सलाह देते हुए कहा कि इस बारे में पति से आराम से बात करें और यह बातचीत सैक्स संबंधों के समय न कर के बाद में की जाए. इस के लिए प्यार से पति को मनाने की कोशिश की जाए. अगर पति कभी नशे की हालत में सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करे तो उस समय कुछ न कह कर नशा उतरने के बाद बात करें. नशे की हालत में बात समझ में नहीं आती उलटे कभीकभी लड़ाईझगड़े से मामला बिगड़ जाता है.

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पति हर समय गलत होता है, यह भी नहीं मान लेना चाहिए. उसे इस के लिए हमेशा टालना सही नहीं होता है. हो सकता है कि कभी आप का मन न हो, बावजूद इस के आप को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैक्स पति और पत्नी दोनों की जरूरत होती है. इसलिए इस से जुड़ी किसी भी परेशानी को हल करने के लिए पतिपत्नी दोनों को मिल कर सोचना चाहिए. जब आप खुल कर एकदूसरे से बात करेंगे तो सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.

क्यों करनी पड़ती जबरदस्ती

सैक्स दांपत्य जीवन की सब से अहम चीज होती है, यह बात पतिपत्नी दोनों को पता होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि तब सैक्स संबंध के लिए जबरदस्ती क्यों करनी पड़ती है? कई बार कभी पति या पत्नी को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है, जिस से सैक्स संबंधों से मन उचट जाता है. ऐसे में बहुत ही धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. सब से पहले अपने साथी की जरूरत को समझने की कोशिश करें. अगर कोई शारीरिक परेशानी है, तो उस का इलाज किसी योग्य डाक्टर से कराएं. सैक्स की ज्यादातर बीमारियों की वजह मानसिक ही होती है. इस के लिए आपस में बात करें. अगर बात न बने तो मनोरोगचिकित्सक से भी बातचीत कर सकती हैं.

सैक्स के प्रति पत्नी की नकारात्मक सोच ही पति को कभीकभी जबरदस्ती करने के लिए मजबूर करती है. कुछ पत्नियां सैक्स को गंदा काम मान कर उस से संकोच करती हैं. अगर आप भी इसी तरह के विचार रखती हैं, तो यह सही नहीं है. आप के इस तरह के विचार पति को जबरदस्ती करने के लिए उकसाते हैं  पति की जबरदस्ती से बचने के लिए इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए. इस मानसिकता के चलते न तो आप स्वयं कभी खुश रह सकती हैं और न ही पति को खुश रख पाएंगी. ऐसा कर के आप कभी सैक्स का आनंद न स्वयं ले पाएंगी और न कभी अपने पति को ही यह सुख दे पाएंगी. जबरदस्ती से बचने के लिए सैक्स के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं.

बहाने बनाने से बचें

आमतौर पर पतियों को यह शिकायत होती है कि पत्नियां बहाने बनाती हैं, जिस के चलते जबरदस्ती करनी पड़ती है. इन शिकायतों में बच्चों के बड़े होने, मूड ठीक न होने और घर में एकांत की कमी होना मुख्य कारण होते हैं. रमेश प्रधान का कहना है कि मैं जब भी अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने की पहल करता था, वह बच्चों और परिवार का बहाना कर टाल जाती थी. इस का मैं ने हल यह निकाला कि सप्ताह में 1 बार पत्नी को ले कर आउटिंग पर जाने लगा. इस के बाद हमारे संबंध सही रूप से चलने लगे. अब पत्नी को यह अच्छा लगने लगा है. हमारे संबंध अब सहज हो गए हैं. पत्नी के बहाना बनाने का असर यह होता है कि जब कभी पत्नी को हकीकत में कोई परेशानी होगी तब भी पति को लगेगा कि वह बहाना बना रही है.

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अत: मूड न होने पर भी साथी को सहयोग देने की कोशिश करें. इस से उस की जबरदस्ती से बच सकती हैं. पति का समीप आना पत्नी की अंदर की भावनाओं को जगा देता है. इस से पत्नी भी उत्तेजित हो जाती है. पति जबरदस्ती करने से बच जाता है. आप का मूड न हो तो भी उसे बनाया जा सकता है. आप को पति को बताना पड़ेगा कि मूड बनाने के लिए वह क्या करे. अगर कभी पति जबरदस्ती करे तो आप को उसे सहयोग दे कर जबरदस्ती से बचना चाहिए. पति जबरदस्ती करने लगे और आप भी संबंध न बनाने पर अड़ गईं, तो इस से संबंधों में दरार पड़ सकती है.

पीठ और कमर की देखभाल के लिए ज़रूरी टिप्स

लेखक- तोषी व्यास

पीठ, हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा.  मगर परेशानी तब शुरू होती है जब इसी हिस्से के दर्द को शुरुवात में हल्के में लिया जाता है. रही सही कसर टीवी पर आने वाले  तरह-तरह के मरहम के विज्ञापन पूरी कर देते हैं.  कमर दर्द या पीठ का दर्द कई वजहों से हो सकता है जैसे रीढ़ की हड्डियों की कमजोरी या वहां पनप रही कोई समस्या, मांसपेशियों का मजबूत ना होना, किसी प्रकार की कोई नई अथवा पुरानी चोट आदि.

वजह छोटी हो या बड़ी जरूरी यह है कि बिना देर किए समय पर चिकित्सा सलाह लें.

कुछ छोटी-छोटी बातों को अगर ध्यान में रखेंगे तो कमर या पीठ की तकलीफ से बचा जा सकता है.

 पोश्चर – 

पोश्चर यानी आपके उठने, बैठने, सोने का सही तरीका.

अक्सर देखने में आता है जब भी हम किसी को सीधे बैठने के लिए कहते हैं  तो वो तन के बैठ जाते हैं और 5 से 10 मिनट बाद ही थक कर झुक जाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी मांसपेशियां तनी हुई होने के कारण ज्यादा काम कर रही होती हैं और जल्दी ही थक जाती हैं.  सीधे बैठने का अर्थ है सीधी पर आरामदायक अवस्था में पीठ का होना.

पिछले 1 साल में कमर दर्द के मरीजों में इजाफा हुआ है. कई लोग वर्क फ्रम होम होने के बाद से कमर दर्द से परेशान थे .

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पोश्चर का सही ना होना है. आप जब भी लंबे समय के लिए बैठे ध्यान  रखें कि आपकी कुर्सी आरामदायक हो. एर्गोनॉमिकली डिजाइन की गई कुर्सी आसानी से बाजार में उपलब्ध है, और अगर वह नहीं है तो बैठते वक्त एक तकिया आपकी कमर के पीछे लगाएं, ध्यान रखें कि तकिया ना तो बहुत कठोर हो ना ही मुलायम.  इसके अलावा एक टॉवल को रोल कर के अपनी गर्दन के पीछे रखें .

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पैरों को नीचे लटकाने की बजाय उन्हें किसी स्टूल या पटे पर रखें.  दोनों पैरों के बीच में कंधे जितनी  दूरी रखें.

 लिफ्टिंग पोश्चर –

जब भी आपको कोई सामान नीचे से उठाना हो चाहे छोटा सा हो या बड़ा, आप कभी भी कमर को ना झुकाएं.  झुकना कमर के लिए घातक हो सकता है, इसके बजाय दोनों घुटनों को मोड़कर  बैठते हुए फिर उठाएं.  यदि कोई सामान नीचे से उठाना है और घुटनों में तकलीफ है तो कोई छोटे बाथरूम स्टूल वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं, उस पर बैठे और फिर उठाएं. झुक कर कभी भी कोई भी चीज ज़मीन से ना उठाएं.

फ्रिज के निचले हिस्से से बार बार कुछ निकालना हो तो भी छोटे स्टूल का इस्तेमाल करें.

एक्सरसाइज-

एरोबिक एक्सरसाइज जैसे तेज़ चलना, तैराकी, साइकिल चलाना आदि और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने वाली यानी मसल्स स्ट्रैंथनिंग एक्सरसाइज,  दोनों ही प्रकार के व्यायाम आपकी पीठ के लिए जरूरी हैं. आप मसल स्ट्रैंथनिंग में केवल पीठ के व्यायाम ना करते हुए पीठ और पेट दोनों के  लिए व्यायाम करिए.  लचीलापन बना रहे इसलिए स्ट्रेचिंग ज़रूर करें.  ब्रीदिंग एक्सरसाइज को भी अपने रूटीन में  शामिल करें. एक्सरसाइज शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

 डायट- 

हाई प्रोटीन डाइट और हाई कैलशियम डायट का उपयोग करें . दही, मट्ठा, छाछ या अन्य डेयरी पदार्थ और प्रोटीन से भरपूर जैसे साबुत अनाज, अंडे आदि जरूर अपनी डाइट में शामिल करें.

स्लीपिंग पोश्चर –

6 से 8 घंटे की भरपूर नींद लें और ध्यान रखें सोते वक्त आपका गद्दा आरामदायक हो  और आपकी कमर को अच्छी तरह से सपोर्ट करता हों.  गद्दा ना बहुत मुलायम रखें ना ही बहुत कड़क.  जितना गद्दा फर्म होगा उतना ही आपकी कमर के लिए अच्छा है.

रूटीन मेडिकल चेकअप –

समय-समय पर अपना मेडिकल चेकअप ज़रूर  करवाते रहें और खासकर आपका सीरम कैल्शियम और विटामिन डी का टेस्ट समय समय पर जरूर करवाते रहें ताकि समय रहते आप किसी भी कमी को पूरा कर सकें.

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नशे से दूरी बनाएं-

किसी भी तरह के नशे से दूर रहें. अल्कोहल या शराब, सिगरेट, तंबाकू आदि के नशे से जितना हो सके दूर रहें.

ध्यान रखें कि आपका शरीर एक ही अवस्था में लंबे समय तक ना रहे. यदि बैठ कर लंबे समय काम करते हैं तो छोटे छोटे ब्रेक लें जैसे हर 40 से 50 मिनिट पर अपनी कुर्सी से उठें, स्ट्रेचिंग करें, पानी पिएं और फिर काम शुरू करें.

ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखने के बाद भी यदि कमर दर्द होता है तो बिना देर किए विशेषज्ञ  की सलाह लें.

  डॉ. तोषी व्यास

  सीनियर फ़िज़ियोथैरेपिस्ट

  भोपाल

नीड़: भाग 2- सिद्धेश्वरीजी क्या समझ आई परिवार और घर की अहमियत

धीरेधीरे स्वाति ने उन से बात करना कम कर दिया. वह उन से दूर ही छिटकी रहती. वे कुछ कहतीं तो उन की बातें एक कान से सुनती, दूसरे कान से निकाल देती. पोती के बाद उन का विरोध अपनी बहू से भी था. उसे सीधेसीधे टोकने के बजाय रमानंदजी से कहतीं, ‘बहुत सिर चढ़ा रखा है बहू ने स्वाति को. मुझे तो डर है, कहीं उस की वजह से इन दोनों की नाक न कट जाए.’ रमानंदजी चुपचाप पीतल के शोपीस चमकाते रहते. सिद्धेश्वरीजी का भाषण निरंतर जारी रहता, ‘बहू खुद भी तो सारा दिन घर से बाहर रहती है. तभी तो, न घर संभल पा रहा है न बच्चे. कहीं नौकरों के भरोसे भी गृहस्थी चलती है?’

‘बहू की नौकरी ही ऐसी है. दिन में 2 घंटे उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ता है. अब काम चाहे 2 घंटे का हो या 4 घंटे का, आवाजाही में भी समय निकलता है.’

‘जरूरत क्या है नौकरी करने की? समीर अच्छा कमाता ही है.’

‘अब इस उम्र में बहू मनकों की माला तो फेरने से रही. पढ़ीलिखी है. अपनी प्रतिभा सिद्ध करने का अवसर मिलता है तो क्यों न करे. अच्छा पैसा कमाती है तो समीर को भी सहारा मिलता है. यह तो हमारे लिए गौरव की बात है.’ इधर, रमानंदजी ने अपनेआप को सब के अनुसार ढाल लिया था. मजे से पोतापोती के साथ बैठ कर कार्टून फिल्में देखते, उन के लिए पिज्जा तैयार कर देते. बच्चों के साथ बैठ कर पौप म्यूजिक सुनते. पासपड़ोस के लोगों से भी उन की अच्छी दोस्ती हो गई थी. जब भी मन करता, उन के साथ ताश या शतरंज की बाजी खेल लेते थे.

बहू के साथ भी उन की खूब पटती थी. रमानंदजी के आने से वह पूरी तरह निश्चिंत हो गई थी. अनिरुद्ध को नियमित रूप से भौतिकी और रसायनशास्त्र रमानंदजी ही पढ़ाते थे. उस की प्रोजैक्ट रिपोर्ट भी उन्होंने ही तैयार करवाई थी. बच्चों को छोड़ कर शालिनी पति के साथ एकाध दिन दौरे पर भी चली जाती थी. रमानंदजी को तो कोई असुविधा नहीं होती थी पर सिद्धेश्वरीजी जलभुन जाती थीं. झल्ला कर कहतीं, ‘बहू को आप ने बहुत छूट दे रखी है.’

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रमानंदजी चुप रहते, तो वे और चिढ़ जातीं, ‘अपने दिन याद हैं? अम्मा जब गांव से आती थीं तो हम दोनों का घूमनाफिरना तो दूर, साड़ी का पल्ला भी जरा सा सिर से सरकता तो वे रूठ जाती थीं.’

‘अपने दिन नहीं भूला हूं, तभी तो बेटेबहू का मन समझता हूं.’

‘क्या समझते हो?’

‘यही कि अभी इन के घूमनेफिरने के दिन हैं. घूम लें. और फिर बहू हमारे लिए पूरी व्यवस्था कर के जाती है. फिर क्या परेशानी है?’

‘परेशानी तुम्हें नहीं, मुझे है. बुढ़ापे में घर संभालना पड़ता है.’

‘जरा सोचो, बहू तुम्हारे पर विश्वास करती है, इसीलिए तो तुम्हारे भरोसे घर छोड़ कर जाती है.’

सिद्धेश्वरीजी को कोई जवाब नहीं सूझता था. उन्हें लगता, पति समेत सभी उन के खिलाफ हैं.

दरअसल, वे दिल की इतनी बुरी नहीं हैं. बस, अपने वर्चस्व को हमेशा बरकरार रखने की, अपना महत्त्व जतलाने की आदत से मजबूर थीं. उन की मरजी के बिना घर का पत्ता तक नहीं हिलता था. यहां तक कि रमानंदजी ने भी कभी उन से तर्क नहीं किया था. बेटे के यहां आ कर उन्होंने देखा, सभी अपनीअपनी दुनिया में मगन हैं, तो उन्हें थोड़ी सी कोफ्त हुई. उन्हें ऐसा महसूस होने लगा जैसे वे अब एक अस्तित्वविहीन सा जीवन जी रही हों. पिछले हफ्ते से एक और बात ने उन्हें परेशान कर रखा था. स्वाति को आजकल मार्शल आर्ट सीखने की धुन सवार हो गई थी. उन्होंने रोकने की कोशिश की तो वह उग्र स्वर में बोली, ‘बड़ी मां, आज के जमाने में अपनी सुरक्षा के लिए ये सब जरूरी है. सभी सीख रहे हैं.’

पोती की ढिठाई देख कर सिद्धेश्वरीजी सातवें आसमान से सीधी धरातल पर आ गिरीं. उस से भी अधिक गुस्सा आया अपने बहूबेटे पर, जो मूकदर्शक बने सारा तमाशा देख रहे थे. बेटी को एक बार टोका तक नहीं. और अब, इस हरिया माली की, गुलाब का फूल न तोड़ने की हिदायत ने आग में घी डालने जैसा काम किया था. एक बात का गुस्सा हमेशा दूसरी बात पर ही उतरता है, इसीलिए उन्होंने घर छोड़ कर जाने की घोषणा कर दी थी.

‘‘मां, हम बाहर जा रहे हैं. कुछ मंगाना तो नहीं है?’’

सिद्धेश्वरीजी मुंह फुला कर बोलीं, ‘‘इन्हें क्या मंगाना होगा? इन के लिए पान का जुगाड़ तो माली, नौकर यहां तक कि ड्राइवर भी कर देते हैं. हमें ही साबुन, क्रीम और तेल मंगाना था. पर कहें किस से? समीर भी आजकल दौरे पर रहता है. पिछले महीने जब आया था तो सब ले कर दे गया था. जिस ब्रैंड की क्रीम, पाउडर हम इस्तेमाल करते हैं वही ला देता है.’’

‘‘मां, हम आप की पसंदनापसंद का पूरा ध्यान रखते हैं. फिर भी कुछ खास चाहिए तो बता क्यों नहीं देतीं? समीर से कहने की क्या जरूरत है?’’

बहू की आवाज में नाराजगी का पुट था. पैर पटकती वह घर से बाहर निकली, तो रमानंदजी का सारा आक्रोश, सारी झल्लाहट पत्नी पर उतरी, ‘‘सुन लिया जवाब. मिल गई संतुष्टि. कितनी बार कहा है, जहां रहो वहीं की बन कर रहो.  पिछली बार जब नेहा के पास मुंबई गई थीं तब भी कम तमाशे नहीं किए थे तुम ने. बेचारी नेहा, तुम्हारे और जमाई बाबू के बीच घुन की तरह पिस कर रह गई थी. हमेशा कोई न कोई ऐसा कांड जरूर करती हो कि वातावरण में सड़ी मच्छी सी गंध आने लगती है.’’ पछता तो सिद्धेश्वरीजी खुद भी रही थीं, सोच रही थीं, बहू के साथ बाजार जा कर कुछ खरीद लाएंगी. अगले हफ्ते मेरठ में उन के भतीजे का ब्याह है. कुछ ब्लाउज सिलवाने थे. जातीं तो बिंदी, चूडि़यां और पर्स भी ले आतीं. बहू बाजार घुमाने की शौकीन है. हमेशा उन्हें साथ ले जाती है. वापसी में गंगू चाट वाले के गोलगप्पे और चाटपापड़ी भी जरूर खिलाती है.

रमानंदजी को तो ऐसा कोई शौक है नहीं. लेकिन अब तो सब उलटापुलटा हो गया. क्यों उन्होंने बहू का मूड उखाड़ दिया? न जाने किस घड़ी में उन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई और घर छोड़ने की बात कह दी? सब से बड़ी बात, इस घर से निकल कर जाएंगी कहां? लखनऊ तो कब का छोड़ चुकीं. आज तक गांव में एक हफ्ते से ज्यादा कभी नहीं रहीं. फिर, पूरा जीवन कैसे काटेंगी? वह भी इस बुढ़ापे में, जब शरीर भी साथ नहीं देता है. शुरू से ही नौकरों से काम करवाने की आदी रही हैं. बेटेबहू के घर आ कर तो और भी हड्डियों में जंग लग गया है.

सभी चुपचाप थे. शालिनी रसोई में बाई के साथ मिल कर रात के खाने की तैयारी कर रही थी. और स्वाति, जिस की वजह से यह सारा झमेला हुआ, मजे से लैपटौप पर काम कर रही थी. सिद्धेश्वरीजी पति की तरफ मुखातिब हुईं और अपने गुस्से को जज्ब करते हुए बोलीं, ‘‘चलो, तुम भी सामान बांध लो.’’

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‘‘किसलिए?’’ रमानंदजी सहज भाव से बोले. उन की नजरें अखबार की सुर्खियों पर अटकी थीं.

‘‘हम, आज शाम की गाड़ी से ही चले जाएंगे.’’

रमानंदजी ने पेपर मोड़ कर एक तरफ रखा और बोले, ‘‘तुम जा रही हो, मैं थोड़े ही जा रहा हूं.’’

‘‘मतलब, तुम नहीं जाओगे?’’

‘‘नहीं,’’ एकदम साफ और दोटूक स्वर में रमानंदजी ने कहा, तो सिद्धेश्वरीजी बुरी तरह चौंक गईं. उन्हें पति से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी. मन ही मन उन का आत्मबल गिरने लगा. गांव जा कर, बंद घर को खोलना, साफसफाई करना, चूल्हा सुलगाना, राशन भरना उन्हें चांद पर जाने और एवरेस्ट पर चढ़ने से अधिक कठिन और जोखिम भरा लग रहा था. पर क्या करतीं, बात तो मुंह से फिसल ही गई थी. पति के हृदयपरिवर्तन का उन्हें जरा भी आभास होता तो यों क्षणिक आवेश में घर छोड़ने का निर्णय कभी न लेतीं. हिम्मत कर के वे उठीं और अलमारी में से अपने कपड़े निकाल कर बैग में रख लिए. ड्राइवर को गाड़ी लाने का हुक्म दे दिया. कार स्टार्ट होने ही वाली थी कि स्वाति बाहर निकल आई. ड्राइवर से उतरने को कह कर वह स्वयं ड्राइविंग सीट पर बैठ गई और सधे हाथों से स्टीयरिंग थाम कर कार स्टार्ट कर दी. सिद्धेश्वरीजी एक बार फिर जलभुन गईं. औरतों का ड्राइविंग करना उन्हें कदापि पसंद नहीं था. बेटा या पोता, कार ड्राइव करे तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती थी. वे यह मान कर चलती थीं कि ‘लड़कियों को लड़कियों की तरह ही रहना चाहिए. यही उन्हें शोभा देता है.’

इसी उधेड़बुन में रास्ता कट गया. कार स्टेशन पर आ कर रुकी तो सिद्धेश्वरीजी उतर गईं. तुरतफुरत अपना बैग उठाया और सड़क पार करने लगीं. उतावलेपन में पोती को साथ लेने का धैर्य भी उन में नहीं रहा. तभी अचानक एक कार…पीछे से किसी ने उन का हाथ पकड़ कर खींच लिया. और वे एकदम से दूर जा गिरीं. फिर उन्हीं हाथों ने सिद्धेश्वरीजी को सहारा दे कर कार में बिठाया. ऐसा लगा जैसे मृत्यु उन से ठीक सूत भर के फासले से छू कर निकल गई हो. यह सब कुछ दो पल में ही हो गया था. उन का हाथ थाम कर खड़ा करने और कार में बिठाने वाले हाथ स्वाति के थे. नीम बेहोशी की हालत से उबरीं तो देखा, वे अस्पताल के बिस्तर पर थीं. रमानंदजी उन के सिरहाने बैठे थे. समीर और शालिनी डाक्टरों से विचारविमर्श कर रहे थे. और स्वाति, दारोगा को रिपोर्ट लिखवा रही थी. साथ ही वह इनोवा कार वाले लड़के को बुरी तरह दुत्कारती भी जा रही थी. ‘‘दारोगा साहब, इस सिरफिरे बिगड़ैल लड़के को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइएगा. कुछ दिन हवालात में रहेगा तो एहसास होगा कि कार सड़क पर चलाने के लिए होती है, किसी की जान लेने के लिए नहीं. अगर मेरी बड़ी मां को कुछ हो जाता तो…?’’

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क्यों जरुरी है खुश रहना बता रहे है? ‘Sarabhai vs. Sarabhai’ फेम Actor सुमित राघवन

हँसना और हसाना मेरी जिंदगी की सबसे अहम् पहलू है….. अगर इसे हुनर के द्वारा कहने को मिले……तो ख़ुशी होती है….मैं कई बार कुछ सालों तक अच्छी स्क्रिप्ट के लिए इंतज़ार कर सकता हूँ…..पर किसी भी चरित्र को निभा नहीं सकता.

ऐसी ही कुछ बातों को हँसते हुए कहने वाले अभिनेता सुमित राघवन सोनी सब टीवी शो ‘बागले की दुनिया नई पीढ़ी नये किस्से’ में काम कर रहे है. उन्होंने डबिंग, थिएटर, फिल्मों और टीवी शो, सभी में काम किया है, उनकी सबसे चर्चित शो ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ थी, जिसकी वजह से वे घर-घर जाने गए, इस शो को आज भी सुमित की दिल के करीब मानते है. सुमित का अभिनय में आना एक इत्तफाक था, लेकिन अब वे इसे एन्जॉय करते है. थिएटर में काम के दौरान उनकी मुलाकात मराठी थिएटर, फिल्म और धारावाहिक आर्टिस्ट चिन्मयी सुर्वे से हुई. सुमित को उनकी सादगी पसंद आई, दोनों में प्यार हुआ और शादी की. इसके बाद दोनों नीरद सुमित और दिया सुमीत के पेरेंट्स बने. बात-बात में हंसने वाले सुमित ने खास गृहशोभा के लिए बात की, पेश है, कुछ खास अंश.

सवाल-‘बागले की दुनिया नयी पीढ़ी नए किस्से’ में आपकी भूमिका से आप कितने संतुष्ट है?

मुझे राजेश बागले की भूमिका करने में बहुत अच्छा मजा आ रहा है, जिसे शब्दों में बताना संभव नहीं. मैंने हमेशा गिने चुने काम करना पसंद किया है. इससे पहले मैंने ‘बड़ी दूर से आये है’, शो किया था, इसके बाद मैंने 4 साल तक काम नहीं किया. कुछ अच्छा और ढंग के शो आने पर मैं काम करता हूँ. जब पहली बार इस शो को करने के लिए कहा गया था तो मैंने इसे करने के लिए सौ प्रतिशत तैयार हो गया, क्योंकि ये एक अनोखा और चर्चित शो है. आज से 32 साल पहले मैं जब कॉलेज में था, तो मैंने इस शो को देखा था और मुझे इसमें नई जेनरेशन को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है, इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती. इसके अलावा इसमें मैं पुरानी शो के दिग्गज कलाकार भारती सिंह और अंजन श्रीवास्तव की जोड़ी के साथ अभिनय करना मेरे लिए अद्भुत है. इसे केवल मैं ही नहीं, मेरे माता-पिता भी इस शो को देख रहे है, क्योंकि उन्होंने पहली शो ‘बागले की दुनिया’ देखी है. इस शो की हर एपिसोड अलग विषय है, जिसमें चाइल्ड मोलेस्टेशन, चाइल्ड ट्राफिकिंग आदि कई विषयों पर बन रहे है, जिसे दर्शक सराह रहे है.

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सवाल-आपने डबिंग से लेकर एक्टिंग फिल्मों, वेब और धारावाहिकों में काम किया है, किसे करते हुए आपको अच्छा लगता है?

मैं हमेशा से गिने चुने काम करता हूँ. एक कलाकार के लिए उसका नाम होना, जिससे वह पोपुलर हो जाय, सबसे जरुरी होता है. ये नाटक, फिल्म और टीवी शो सभी में मिल सकता है, लेकिन मुझे नाम, पैसा और काम सब टीवी में मिला है. डिजिटल आने के बाद आज भी टीवी के दर्शक है और उसे हिलाना संभव नहीं.

सवाल-मनोरंजन की दुनिया में आपने एक लम्बा समय बिताया है, क्या कोई मलाल रह गया है?

कोई मलाल नहीं है, क्योंकि मैंने जो चाहा धीरे-धीरे पूरा हुआ और मुझे बहुत ख़ुशी मिली है. मैं मानता हूँ कि अगर किसी काम से आप खुश नहीं है, तो आप दूसरों को किसी प्रकार की ख़ुशी नहीं दे सकते. ये बातें सुमित राघवन के साथ भी लागू होती है. मेरा खुश रहना जरुरी है, ताकि मैं अपने पेरेंट्स, पत्नी और बच्चों को ख़ुशी दे सकूँ.

सवाल-आप के दिल के करीब कौन सी शो है और क्यों ?

साराभाई वर्सेज साराभाई शो मेरे दिल के करीब है, क्योंकि इस शो की कहानी और ह्यूमर बहुत ही सुंदर तरीके से पेश किया गया था. मजे की बात यह है कि 16 साल पहले ये शो एकदम नहीं चली, जबकि सभी ने इसके लिए काफी मेहनत की थी. दर्शकों को पसंद नहीं आ रही थी, इसलिए यह शो सप्ताह में केवल एक दिन आता था. इसके बाद जब इस शो की एक दिन की एपिसोड को बार-बार रिपीट किया जाने लगा और लोगों ने देखा, तो सबको पसंद आने लगा. ये सही है कि मेहनत से किया गया कोई भी काम हमेशा सफल होता है.

सवाल-एक्टिंग में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था? परिवार का सहयोग कितना रहा? 

36 साल की इस जर्नी में एक्टिंग, एक इत्तफाक ही था. 13 साल की उम्र में स्कूल की छुट्टियों में पेरेंट्स ने एक्टिंग क्लास में डाल दिया, ताकि मैं कुछ समय के लिए व्यस्त रहूँ. वहां मुझे एक्टिंग का चस्का लग गया. किसी भी सिचुएशन को दिए जाने के बाद उसे एक्ट करना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभूति थी. थोड़े दिनों बाद मुझे एक धारावाहिक में काम मिला और मेरी एक्टिंग शुरू हो गयी.

मेरे माता-पिता ने मुझे पहले ही कह दिया था कि उनके पास अधिक पैसे और इंडस्ट्री की कोई पहचान नहीं है, इसलिए जो भी काम मैं करूँ ,सोच समझ कर करूँ. लेकिन उन्होंने और बड़े भाई की वजह से मैं यहाँ तक पहुँच पाया.

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सवाल-आप चिन्मयी सुर्वे से कैसे मिले, उनकी किस बात से आप आकर्षित हुए?

मैं उनसे थिएटर में मिला था, हमारी लव मैरिज हुई है. मुझे उसकी बातचीत रहन-सहन सब अच्छा लगता था, कुछ दिनों तक हम मिले फिर शादी का प्रस्ताव दिया. परिवार वाले मान गए और शादी हो गयी.

सवाल-आप दोनों के काम को बच्चे कितना सराहते है?

नया काम आने पर हम दोनों बच्चों से डिस्कस करते है, उनकी राय लेते है, क्योंकि बेटा 24 और बेटी 19 वर्ष की है. बच्चों की राय लेने से उनकी रिएक्शन कहानी के बारें में पता चलता है. इसके अलावा बेटा म्यूजिशियन और बेटी फोटोग्राफी सीख रही है.

सवाल-आगे की योजनाएं क्या है? हिंदी फिल्मों में आगे कब आने वाले है?

अधिक से अधिक हिंदी फिल्मों में अभिनय करने की बहुत इच्छा है और अच्छे स्क्रिप्ट का इंतज़ार कर रहा हूँ. मुझे रिश्तें और कॉमेडी पर आधारित फिल्मे करने की इच्छा है, क्योंकि मैने सालों से कॉमेडी में काम करता आया हूँ और कॉमेडी के साथ रिश्तों को दिखाना मुझे पसंद है.

सवाल-जीवन जीने का मन्त्र क्या है?

चिंता न करें, जो मिला है, उसी में खुश रहना सीखे. इसके अलावा जो भी काम मिलता है, उसे मेहनत और लगन से करें.

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