Udaariyaan: जैस्मिन के सामने आएगा कैंडी का सच, क्या तेजो को कर देगी घरवालों से दूर?

कलर्स का टीवी सीरियल ‘उड़ारियां’ (Udaariyaan) इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. दो बहनों की कहानी दर्शकों का दिल जीत रही है, जिसके चलते मेकर्स सीरियल में और भी कई नए ट्विस्ट लाने वाली है, जिसके चलते सीरियल की कहानी और भी दिलचस्प हो जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

तेजो को पता चला सच

 

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अब तक आपने देखा कि खुद की बहन तेजो से नफरत करने वाली जैस्मीन एग्जाम पेपर ऑनलाइन लीक कर देती है. लेकिन फतेह की मदद से तेजो इस मुसीबत से निकल जाती है. हालांकि जैस्मिन की करतूत का तेजो को पता लग जाता है और वह उसे चांटा मारेगी. साथ ही वार्निंग देती नजर आती है, जिसके चलते जैस्मिन गुस्से में नजर आती है.

 

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कैंडी पर होगा जैस्मीन को शक

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि तेजो के कारण जैस्मिन गुस्से में जा रही होगी. जहां पर कैंडी को भूख लगी होगी और वो जैस्मीन के हाथ में चॉकलेट देखकर ललचाने लगेगी. लेकिन उसे चौकलेट नहीं देगी. लेकिन कैंडी जैस्मिन के हाथ से छीन कर भाग जाएगा और घर की एक फैमिली फोटो को गिरा देगा. इसी बीच कैंडी वह फोटो देखकर जैस्मीन को बताएगा कि वह फोटो उसके घर में भी है. लेकिन उसी वक्त तेजो वहां आ जाएगी. हालांकि जैस्मिन के मन में शक आ जाएगा.

जैस्मिन को पता चलेगा सच

 

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चालाक जैस्मिन, तेजो से कैंडी को लेकर सवाल पूछती नजर आएगी और खुद ही सच जानने की ठानेगी. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में जैस्मिन को पता चलेगा कि कैंडी, सिमरन का बेटा है, जिससे बाउजी नफरत करते हैं क्योंकि सिमरन घर से भाग गई थी. वहीं जैस्मिन इसी बात का फायदा उठाकर तेजो को घर से निकालने का प्लान और पूरी फैमिली को कैंडी का सच बताने की कोशिश करेगी.

 

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वनराज की जलन देख भड़केगी काव्या तो बा सुनाएगी अनुपमा को खरी खोटी

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां वनराज और अनुज आमने सामने आ गए हैं तो वहीं अनुपमा के सपनों की उड़ान पर परिवार का दबाव आ खड़ा हुआ है, जिसके चलते अब सीरियल की कहानी में कई नए मोड़ आने वाले हैं.

अनुज ने दी अनुपमा को हिम्मत

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा की जिंदगी के सबसे बड़े दिन पर वनराज, अनुज की बेइज्जती करता है. साथ ही वह अनुपमा और अनुज के रिश्ते को लेकर सवाल भी उठाता है, जिससे अनुपमा टूट जाती है वहीं अनुज उसे संभालता है. इसके साथ ही वह अनुपमा को समझाता है कि अब वह घुट-घुट कर जीना बंद कर दे और शाह हाउस से निकलकर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करे.

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बा करेगी वनराज को सपोर्ट

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज के कारण अनुपमा हिम्मत करके वनराज के खिलाफ खड़ी नजर आएगी दरअसल, बापूजी वनराज को अनुपमा से माफी मांगने के लिए कहते हैं. लेकिन बा अपने बेटे की साइड लेते हुए उससे माफी नहीं मांगने की बजाय अनुपमा को वनराज से माफी मांगने के लिए कहेगी. साथ ही उसे अनुज के साथ काम भी छोड़ने के लिए कहेगी. इसी के साथ अनुपमा को धमकी देते हुए बा कहेगी कि अगर उसने अनुज के साथ अपना काम नहीं छोड़ा तो वह उसे धक्के मार कर शाह हाउस से बाहर निकाल देगी.

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वनराज को सबक सिखाएगी अनुपमा

दूसरी तरफ अनुपमा हिम्मत करके वनराज से कहेगी कि अब वह उससे वो नहीं डरती, जिसे सुनते ही वनराज उसे थप्पड़ मारने की कोशिश करेगा. लेकिन अनुपमा उसे धक्का मार देगी, जिसके कारण वह नीचे गिर जाएगा. वहीं अनुपमा का ये बदला रुप देखकर बा और काव्या समेत पूरा परिवार हैरान रह जाएगा.

काव्या को आएगा गुस्सा

 

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अनुज से जलन के कारण वनराज का बदला रुप देखकर काव्या अपना आपा खो बैठेगी. वहीं पूरे परिवार के सामने खरी खोटी सुनाएगी, जिसे सुनकर बा एक बार फिर अनुपमा को कहेगी कि मर्द और औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते.

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एनिवर्सरी गिफ्ट: कैसा था दिनेश और सुधा का परिवार

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Drugs से कम नहीं दूध की लत

एक दशक पहले, जब सरकार ने शाकाहारी और मांसाहारी खाद्य पदार्थों के लिए क्रमश: हरे और लाल रंग के डौट्स लगाने का प्रावधान किया, तब दूध उद्योग और सैकड़ों पढ़े-लिखे लोगों ने जोर डाला कि दूध एक शाकाहारी उत्पाद है (हालांकि इस का स्रोत पशु है), इसलिए इस पर हरे रंग का डौट लगाया जाना चाहिए. हमें झुकना पड़ा.

वहीं ऐसे लोग जो विशुद्ध रूप से शाकाहारी हैं, अकसर वे भी मानते हैं कि चीज उन की कमजोरी है. कहते हैं चीज से किसी गंदे मोजे सी बदबू आती है, ऐसा क्यों? दरअसल, फैट सोडियम और कोलैस्ट्रौल होने के कारण चीज एक हाईकैलोरी दुग्ध उत्पाद है. एक आम चीज में 70 फीसदी फैट होता है और जिस तरह का फैट होता है, वह मुख्यतया सैचुरेटेड यानी खराब किस्म का फैट होता है. इस से दिल की बीमारी और डायबिटीज का खतरा होता है. पाश्चात्य डाइट में चीज सैचुरेटेड फैट का सब से बड़ा स्रोत है. अमेरिका में एकतिहाई वयस्क और 12.5 मिलियन बच्चे व किशोर मोटापे के शिकार हैं.

हमारे यहां बड़े पैमाने में लोग शाकाहारी हैं और हमारी रुचि घर के सेहतमंद खाने में है. इसीलिए हमें इन से काफी दूर होना चाहिए था. लेकिन हम भी मोटापा ग्रस्त देशों की सूची में शामिल हो चुके हैं. दिल संबंधी बीमारियों, डायबिटीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण मोटापा ही है.

दूध में नशा

औसतन 12 इंच के चीज पिज्जा के एकचौथाई हिस्से में लगभग 6 ग्राम सैचुरेटेड फैट और 27 मिलीग्राम कोलैस्ट्रौल के साथ 13 ग्राम फैट होता है. एक आउंस चीज में 6 ग्राम सैचुरेटेड फैट समेत 9 ग्राम फैट होता है. आंशिक रूप से स्किम्ड दूध में फैट की मात्रा कम होती है.

लेकिन हम दूध पीना और चीज/पनीर खाना जारी रखेंगे. बहुत सालों के बाद मैं ने जाना कि लोग आखिर दूध क्यों पीते हैं या चीज व पनीर क्यों खाते हैं. इसलिए नहीं कि यह उन के लिए जरूरी है या इसलिए कि कृष्ण पीते थे. लोग यह इसलिए लेते हैं, क्योंकि इस में नशे का पुट हुआ करता है.

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पनीर के प्रति लोगों की कमजोरी होती है, इस का वैज्ञानिक कारण है. दूध हाजमे में सहायक होता है, क्योंकि इस में हलका सा मादक तत्त्व होता है, जो कैसोमौर्फिन कहलाता है. 1981 में एली हाजुम और उन के सहयोगियों ने वैलकम रिसर्च लैबोरेटरी में पाया कि दूध में रासायनिक मौर्फिन होता है, जो एक तरह का मादक पदार्थ है. कैसिन सभी स्तनधारियों के दूध में पाया जाने वाला प्रमुख प्रोटीन है. कैसोमौर्फिन की एक खासीयत यह है कि इस का मादक या नशीला असर होता है. दूसरे शब्दों में यह दुनिया सब से पुराने किस्म के ज्ञात ड्रग्स में से एक है. इस किस्म के नशीले पदार्थों में अच्छा महसूस करने और में एक तरह की खुशी के एहसास और शांतचित बनाने की क्षमता के साथ नींद से भी बोझिल हो जाने का एहसास जगाने की क्षमता होती है. इस की लत भी लग जाती है. अगर एकाएक इस का सेवन बंद कर दिया तो इस से दूसरों पर निर्भरता बढ़ जाती है और ‘विड्रौल सिंड्रोम’ का सामना करना पड़ता है.

चीज, पनीर, आइसक्रीम, मिल्क चौकलेट जैसे गाढ़े दुग्ध उत्पादों में सघन मात्रा में नशीला पदार्थ होता है. (डेयरी फ्री वीगन चीज में भी कभीकभी कैसोमौर्फिन मिलाया जाता है) लगभग 10 लिटर दूध से एक किलोग्राम चीज मिलता है. जब दूध चीज में तब्दील होता है, तो इस में निहित पानी अलग कर लिया जाता है और जो बचता है वह सघन फैट यानी वसा होता है. इसी कारण चीज जैसे डेयरी प्रोडक्ट ऊंचे दर्जे के नशीले पदार्थ माने जाते हैं. जाहिर है इस में जितनी बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ कैसिन होता है, उतना ही वह मन में अच्छा अहसास जगाता है. इसीलिए रात में सोने से पहले बहुत से लोग दूध पीते हैं.

जरा सोचिए, सुहागरात में नए-नवेले जोड़े के लिए दूध का गिलास क्यों रखा जाता है. अब सवाल है कि स्तनधारियों के दूध में आखिर नशीलापन क्यों होता है? इस बारे में फिजिशियन कमेटी फौर रिसपौंसिबल मैडिसिन के संस्थापक और अध्यक्ष डा. नील बर्नाड कहते हैं, ‘‘हो सकता है कि यह मां-बच्चे के बीच एक अनोखा संबंध स्थापित करने का एक उम्दा उपाय हो. मानसिक जुड़ाव हमेशा शारीरिक मजबूती प्रदान करता है. पसंद हो या न हो, मां का दूध नवजात के दिमाग में नशे की तरह काम करता है, जो मांबच्चे के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करता है. इसी कारण मां अपने बच्चे का पालनपोषण जीजान से करती है और नवजात बच्चे को मां की देखभाल की जरूरत भी होती है. हेरोइन या कोकीन की ही तरह कैसोमौर्फिन बहुत ही धीमी गति से आंतों में पहुंचता है और अतिसार को रोकने का काम करता है. दर्द निवारक दवाओं की तरह ही शायद चीज में निहित नशीला तत्त्व भी वयस्कों में कब्ज पैदा करता है.’’

क्या कहती है रिसर्च

बहुत सारे अध्ययनों और जनस्वास्थ्य को देखते हुए 2009 में द यूरोपियन फूड सैफ्टी एजेंसी ने वैज्ञानिक साहित्य की समीक्षा यह देखने के लिए की कि लत के लिए कैसोमौर्फिन आखिर किस हद तक जिम्मेदार होता है? साथ में यह भी कि कैसोमौर्फिन आंतों की दीवार को पार कर रक्तनालिकाओं से होते हुए दिमाग तक भी पहुंचता है या नहीं? क्या औटिज्म का कैसोमौर्फिन से कुछ लेनादेना है? अभी तक वे इन सवालों से जूझ रहे हैं, क्योंकि मानवदेह के लिए यह अच्छा है या नहीं, इस नतीजे तक वे अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं.

बहरहाल, अभी तक हम यह जान गए हैं कि नशीले पदार्थ का और इस की मात्रा का हरेक इनसान पर अलगअलग असर होता है. साथ में सामान्य तौर पर यह स्वीकार भी किया जा चुका है कि किसी भी नशीले पदार्थ को हर रोज लेना हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है, भले ही वह बहुत थोड़ी मात्रा में लिया जाए. फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डा. रौबर्ट कैड ने ध्यान भटकाने वाले विकार के संभावित कारण के रूप में कैसोमौर्फिन की पहचान की है. डा. कैड ने सिजोफ्रेनिया और औटिज्म के मरीजों के रक्त और पेशाब में उच्च सघनता वाला बेटाकैसोमौर्फिन 7 नामक तत्त्व पाया है.

नार्वे के डा. कार्ल रिचेट द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि औटिस्टिक व्यवहार, सीलिएक बीमारी, मानसिक असंतुलन जैसे विकारों में दुग्ध उत्पाद का बहुत बड़ा हाथ होता है. अमेरिका के इलिनोइस के स्टेट विश्वविद्यालय के एक शोध पत्र के अनुसार, ‘‘कैसोमौर्फिन में ओपिओइड या नशाग्रस्त करने की क्षमता हाती है. ओपिओइड शब्द का इस्तेमाल मौर्फिन या अफीम जैसे नशीले पदार्थ के असर के लिए किया जाता है, जिस के असर से नशा होता है. यह सहनशक्ति की क्षमता को बढ़ा देता है, गहरी नींद सुला देता है, लेकिन अवसाद भी पैदा करता है.’’

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नवजात पर असर

हाल ही में जर्नल औफ पैडियाटिक गैस्ट्रोइंट्रोलौजी ऐंड न्यूट्रिशन में ‘काउज मिल्कइंड्यूज्ड इंफैट एपनिया विद इंक्रिज्ड सेरम कंटैंट औफ बोवाइन बेटाकैसोमौर्फिन 5’ नाम से प्रकाशित एक केस स्टडी में कहा गया है कि इंफैंट एपनिया उस स्थिति को कहते हैं जब कोई नवजात सांस लेना बंद कर देता है. शोधकर्ता ने रिपोर्ट में कहा है कि एक स्तनपान करने वाले नवजात में बारबार एपनिया का दौरा पड़ने के मामले में पाया गया कि मां हमेशा गाय का ताजा दूध पीने के बाद नवजात को स्तनपान कराती थी. प्रयोगशाला में हुई जांच में बच्चे के खून में बहुत अधिक मात्रा में कैसोमौर्फिन पाया गया. इस के बाद शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि इस ओपिओइड स्थिति का कारण स्नायुतंत्र में श्वसन केंद्र में दबाव हो सकता है. यह स्थिति मिल्क ओपिओइड कहलाती है.

शोधपत्र आगे यह भी कहता है कि इस हालिया रिपोर्ट का मकसद शोधकर्ताओं का ध्यान इस ओर खींचना है कि संभवतया गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के कारण नवजात शिशुओं में दैहिक प्रक्रिया के तौर पर एपनिया के लक्षण उभरते हैं. हम मानते हैं कि इस तरह की भावशून्य स्थिति कभीकभार ही देखने को मिलती है. हालांकि सही माने में नवजात शिशु के जीवन के लिए यह खतरा भी बन सकता है. जबकि एक बहुत ही सहज परहेजी उपाय डेयरीफ्री आहार, जोकि महंगा भी नहीं है, से इस स्थिति से बचा भी जा सकता है. हर 10 में से एक नवजात शिशु एपनिया का शिकार होता है और उसे बचाया नहीं जा सकता है. और वह सडन इंफैंट डैथ सिंड्रोम या (संक्षेप में एसआईडीएस) या नवजात शिशु की आकस्मिक मौत का मामला बन कर रह जाता है.

कैलिफोर्निया बेवर्ली हिल्स के इम्युनोसाइंस लैब के सीईओ और इम्युनोलौजिस्ट शोधकर्त्ता अरिस्टो वोजडानी का कहना है कि ग्लूटेन और डेयरी प्रोडक्ट बहुत सारे लोगों में किसी ड्रग की तरह काम करते हैं. जिस तरह हेरोइन या दर्द निवारक दवा की लत लग जाती है, उसी तरह ग्लूटेन या कैसिन से दूर जाने पर इन का तुरंत असर निर्लिप्तता के लक्षण विड्रौल सिमटम्स के रूप में सामने आता है. इस निर्लिप्तता में गुस्सा और अवसाद भी शामिल होता है.

वैसे कैसिन जब शरीर के अंदर पेट में जा कर रासायनिक क्रिया करता है तो यह हिस्टामाइन रिलीज करता है. हिस्टामाइन वह पदार्थ है, जो ऐलर्जी समेत रक्तवाहिकाओं के फैलने और इन की दीवारों को झीना यानी पतला करने में बड़ी भूमिका अदा करता है. हिस्टामाइन का स्राव तब होता है, जब ऐलर्जी पैदा करने वाले किसी बाहरी तत्त्व (मसलन सर्दीजुकाम की दवा, जिस में ऐंटीहिस्टामाइन होता है) की मौजूदगी होती है. इसी कारण दुनिया की 70% आबादी को डेयरी प्रोडक्ट से ऐलर्जी है.

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नवजात के लालनपालन का सुखद तरीका प्रकृति ने तय किया है. यही व्यवस्था दूध छुड़ाने में आड़े आती है. यही कारण है कि बहुत सारे वयस्क दूध की लत से अपना पीछा कभी नहीं छुड़ा पाते. क्या आप को भी इस की लत है?

Festive Season में घर सजाएं ऐसे

त्योहारों के शुरू होते ही लोगों में उत्साह भर जाता है. वे अपने घरों की सजावट को एक नया पारंपरिक और आधुनिक रूप देना चाहते हैं ताकि अपने मेहमानों के साथ इन्हें दोगुने उत्साह से मना सकें.

अपने घर की सजावट को नया रूप देने के लिए कई चीजें हैं. तरह तरह के सजावट के सामान सहित और कई तरह से घर की सजावट कर सकते हैं. अपने घर को निखार सकते हैं और अपने प्रियजनों की प्रशंसा पा सकते हैं.

प्रकाश

घर को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न लाइट्स का प्रमुख स्थान है. दीवाली, क्रिसमस, गुरु नानक जयंती आदि पर मोमबत्तियों के प्रकाश का अपना महत्त्व है. चमकीले रंगों की शानदार मोमबत्तियों का विभिन्न आकारों में उपलब्ध आकर्षक मोमबत्ती स्टैंड, टी लाइट स्टैंड, ग्लास वोटिव के संग्रह के इस्तेमाल से आप अपने त्योहारों को उज्जवल कर सकते हैं. भारतीय घरों में अगर तांबे के दीपक का प्रयोग न हो, तो त्योहार कुछ अधूरा सा लगता है. ऐसे में तांबे के दीपक का अपना अलग महत्त्व है. घर के दरवाजों पर लालटेन के आकार के वोटिव या लौन में मोमबत्ती टी लाइट होल्टर्स के जरीए घर को शानदार रूप दे सकते हैं. सुगंधित मोमबत्तियों का इस्तेमाल आप को सम्मोहित कर सकता है. शानदार लैंप शेड्स के द्वारा अपने इंटीरियर को नया लुक दे सकते हैं. कोने में रखा एक लंबा लैंप शेड आप के कमरे को रोशनी से भर कर बैडरूम की सुंदरता में चार चांद लगा सकता है.

सैंटर पीसेज

सैंटर पीसेज के बिना देशी डैकोर अधूरा है. इन का उपयोग करते हुए अपने घर को पारंपरिक रूप दे सकते हैं. आजकल विभिन्न रूपों में उपलब्ध पारंपरिक या आधुनिक शैली की मूर्तियां सब से अधिक पसंद की जाती हैं. आप इन्हें पारंपरिक प्राकृतिक रंगों में उपलब्ध पुष्पों जैसे लाल, संतरी आदि का प्रयोग कर जीवंत कर सकते हैं.

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सजावटी वास या फूलदान

फूलों का भारतीय संस्कृति में खासा महत्त्व है. घर आए मेहमान का गर्मजोशी से स्वागत करने, घर को सुगंधित और सुंदर दिखाने के लिए फूलों का उपयोग करते हैं. सुंदर लिली, ट्यूलिप और आर्किड के फूल घर को सुगंधित रखते हैं. आप इन्हें बाजार में उपलब्ध सुंदर फूलदानों में रख सकते हैं. फूलदान निश्चित रूप से आप के घर के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं.

रग्ज और कालीन

आप अपने फर्श को रग्ज और कालीनों का उपयोग कर सजा सकते हैं. अपने घर के बाहरी हिस्सों जैसे आंगन और बरामदों में हाथों से बुने सुंदर कालीनों और रग्ज का उपयोग कर के महमानों पर छाप छोड़ सकते हैं.

चादरें/कुशन कवर/रुफुस

त्योहारों में बिस्तर पर वाइब्रैंट रंगीन चादरों के खूबसूरत संग्रह से आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं. कमरों में रखे शानदार डिजाइन वाले कुशन कवर्स भी सब का ध्यान आकर्षित करते हैं. बगीचे में सुंदर रुफुस का इस्तेमाल भी आप के बगीचे को और भी सुंदर बना सकता है.

ऐक्सैंट फर्नीचर

ऐक्सैंट फर्नीचर अपने अनोखे डिजाइन से सब का ध्यान आकर्षित करता है. आजकल बाजार में ऐक्सैंट कुरसियों, वुडन चैस्ट, साइड टेबल्स से ले कर सुंदर काउचेज तक की भरमार है. इन त्योहारों में ऐसे फर्नीचर का इस्तेमाल हम घर की शोभा बढ़ाने के साथसाथ आप की सूझबूझ का परिचय भी देता है.

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डैकोरेटिव आईने

डैकोरेटिव आईनों का इस्तेमाल घर में अतिरिक्त जगह का भ्रम बनाता है और प्रवेश के चित्र को प्रतिबिंबित करता है, जो घर में गुडलुक और चार्म का प्रवेश भी करता है. इन छोटी कलात्मक चीजों से आप अपने घर की सुंदरता बढ़ा सकते हैं.

दस्तकारी आईनों का इस्तेमाल घर को खास सुंदरता प्रदान करता है. आप बाजार में उपलब्ध आईनों जैसे बाथरूम दर्पण, विंटेज दर्पण या सजावटी दीवार दर्पण में से अपने लिए सही विकल्प चुन सकते हैं.

– नितीश चंद्रा, मैडहोम डौट कौम

Festive Season दिखें कांफिडेंट एंड स्टाइलिश

त्यौहार हमारे सांस्कृतिक महत्व को प्रकट करते हैं और लोगों के मन में परंपराओं को जीवित रखने के लिए प्रेरित करते है. या यूँ कहे की ये हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गए है. यह एक ऐसा समय है जब हर कोई परफेक्ट और स्टाइलिश दिखना चाहता है.

मैं निश्चित रूप से ये महसूस कर सकती हूं क्योंकि यह वह सार्वभौमिक विचार है जो किसी भी त्यौहार या अवसर के पास होने पर हर लड़की के दिमाग में आता है और सभी त्यौहारों में जो सबसे कॉमन सोच है वह है ऑउटफिट ,ज्वेलरी और परफेक्ट हेयर स्टाइल चुनने की .

पर सच कहूं तो त्योहारों के लिए परफेक्ट ऑउटफिट चुनना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. बस जरूरत है तो अपने पसंद -नापसंद के साथ-साथ अपने कम्फर्ट को ध्यान में रखने की.

वैसे ये तो हम सभी जानते है की भारतीय परिधान निस्संदेह पूरी दुनिया में सबसे बहुमुखी पोशाक है. यहाँ के पारंपरिक परिधान न केवल महिलाओं , बल्कि पुरुषों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं. पुरुषों की तुलना में निस्संदेह महिलाओं के पास पारंपरिक परिधानों की अधिक विविधता और विकल्प हैं. और विकल्पों की अधिकता के कारन अक्सर महिलायें असमंजस में रहती हैं.

इसलिए आपके इस असमंजस को दूर करने के लिए यहाँ हम फैशन की दुनिया के कुछ डिफरेंट आउटफिट्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप त्यौहारी सीज़न के लिए चुन सकती हैं-

1- फ्यूज़न साड़ी-

न केवल भारत में बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फ्यूजन पहनने का चलन अब जोरो पर है. फैशन के बदलते ट्रेंड के साथ-साथ साड़ियों के स्टाइल और डिजाईन में भी काफी बदलाव आये है.आजकल मार्किट में इंडो-वेस्टर्न साड़ियाँ एक फ्यूज़न स्टाइल स्टेटमेंट के साथ बहुत ही आसानी से उपलब्ध है.जैसे पैंट स्टाइल साड़ी, कुर्ती साड़ी, ब्लेज़र साड़ी, धोती साड़ी और उत्कृष्ट प्लाजो साड़ी.
इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है की इन्हें पहनना बहुत आसान है और ये शादी और त्योहारों के लिए शानदार विकल्प है. आप चाहे तो आप इसके साथ oxidised ज्वेलरी कैर्री कर सकती हैं.

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2-प्लाजो पैंट के साथ लंबी जैकेट

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यदि आप पूरी तरह से देशी लुक नहीं चाहते तो आप प्लाजो को एक लाइट कलर के टॉप और लम्बी जैकेट वाले कॉम्बो के साथ ट्राई कर सकते है.ये आपको एक इंडो-वेस्टर्न लुक देगा.
आप चाहे तो आप इसके साथ हार्ट शेप के Multipearl Earrings भी ट्राई कर सकती है.

3-धोती पैंट के साथ कुर्ती

 

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Kurta Fabric: Rayon Bottomwear Fabric: Rayon Sleeve Length: Three-Quarter Sleeves Set Type: Kurta With Bottomwear Bottom Type: Dhoti Pants Pattern: Printed Multipack: single Sizes: XL (Bust Size: 42 in, Kurta Length Size: 35 in, Bottom Waist Size: Free Size (Upto 38 in ), Bottom Length Size: 39 in) L (Bust Size: 40 in, Kurta Length Size: 35 in, Bottom Waist Size: Free Size (Upto 38 in ), Bottom Length Size: 39 in) M (Bust Size: 38 in, Kurta Length Size: 35 in, Bottom Waist Size: Free Size (Upto 38 in ), Bottom Length Size: 39 in) #dhotipants #dhoti #dhotikurta #dhotisalwar #dhotidress #dhotistyle #dhotikurti #dhotisuit #dhotiwithkurti #dhotiwithtop #rayon #rayonkurti #dhotiwithkurta #allinonestore #allinonestorey

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धोती स्टाइल वाले सलवार के साथ कुर्ता या टॉप एक ट्रेडिशनल आउटलुक के लिए बिल्कुल सही है और ये ऑउटफिट आकर्षक होने के साथ-साथ कम्फ़र्टेबल भी रहेगा. शादी या त्योहारों में आप इसे स्टाइलिश ब्लाउज या एक पेप्लम टॉप या एक डिजाइनर कुर्ता के साथ पेयर कर सकते हैं.
आप चाहे तो इसे साथ स्टोन ड्रॉप्स एअर्रिंग कैरी कर सकती हैं.

4- कुर्ते के साथ लहंगा

 

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यदि पूरी तरह से एथनिक पहनना पसंद करते हैं तो लहंगा और कुर्ता कॉम्बो शायद आपके लिए सबसे अच्छा है. यह चलन पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है, लेकिन अभी भी इसका क्रेज लोगों के बीच कायम है. थोड़ा अलग दिखने के लिए आप लॉन्ग कुर्ता या शॉर्ट कुर्ता भी पहन सकती हैं. आप चाहे तो आप इसके साथ रंगीन दुपट्टे को कैरी कर सकती हैं.  हो सके तो इस कॉम्बो को हाई हील्स और कुछ स्टाइलिश झुमके के साथ पेयर करें.

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Top 10 Crime Story in hindi : गृहशोभा मे पढ़िये धोखे और जुर्म की टॉप क्राइम

Crime Story in Hindi. इस लेख में आज हम आपको गृहशोभा की Top 10 Crime Story in Hindi की कहानियां बताएंगे. इन Crime Story में आपको समाज, परिवार और रिश्तों की आड़ में हुए धोखे और जुर्म की कहानी के बारे में बताएंगे, जिसे पढ़कर आपको थ्रिलर का एहसास होगा. साथ ही रिश्तों को लेकर सीख मिलेगी. इन Crime Stories को पढ़कर आप जीवन के कई पहलुओं से परिचित होंगे. तो अगर आप भी Crime Stories पढ़ने के शौकिन हैं तो पढ़िए गृहशोभा की Top 10 Crime Story in Hindi.

1. कर्णफूल: क्यों अपनी ही बहन पर शक करने लगी अलीना

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जब मैं अपने कमरे के बाहर निकली तो अन्नामां अम्मी के पास बैठी उन्हें नाश्ता करा रही थीं. वह कहने लगीं, ‘‘मलीहा बेटी, बीबी की तबीयत ठीक नहीं हैं. इन्होंने नाश्ता नहीं किया, बस चाय पी है.’’

मैं जल्दी से अम्मी के कमरे में गई. वह कल से कमजोर लग रही थीं. पेट में दर्द भी बता रही थीं. मैं ने अन्नामां से कहा, ‘‘अम्मी के बाल बना कर उन्हें जल्द से तैयार कर दो, मैं गाड़ी गेट पर लगाती हूं.’’

अम्मी को ले कर हम दोनों अस्पताल पहुंचे. जांच में पता चला कि हार्टअटैक का झटका था. उन का इलाज शुरू हो गया. इस खबर ने जैसे मेरी जान ही निकाल दी थी. लेकिन यदि मैं ही हिम्मत हार जाती तो ये काम कौन संभालता? मैं ने अपने दर्द को छिपा कर खुद को कंट्रोल किया. उस वक्त पापा बहुत याद आए.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

2. जरूरी सबक- हवस में अंधे हो कर जब लांघी रिश्तों की मर्यादा

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हा को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. दरवाजे की झिर्री से आंख सटा कर उस ने ध्यान से देखा तो जेठजी को अपनी ओर देखते उस के होश फाख्ता हो गए. अगले ही पल उस ने थोड़ी सी ओट ले कर दरवाजे को झटके से बंद किया, मगर थोड़ी देर बाद ही चर्ररर…की आवाज के साथ चरमराते दरवाजे की झिर्री फिर जस की तस हो गई. तनिक ओट में जल्दी से कपड़े पहन नेहा बाथरूम से बाहर निकली. सामने वाले कमरे में जेठजी जा चुके थे. नेहा का पूरा शरीर थर्रा रहा था. क्या उस ने जो देखा वह सच है. क्या जेठजी इतने निर्लज्ज भी हो सकते हैं. अपने छोटे भाई की पत्नी को नहाते हुए देखना, छि, उन्होंने तो मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ लीं…नेहा सोचती जा रही थी.

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3. तंत्र मंत्र का खेला: बाबा के जाल से निकल पाए सुजाता और शैलेश

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‘यह क्या है शैलेश? तुम्हें मना किया था न कि अगली बार लेट होने पर क्लास में एंट्री नहीं मिलेगी,’’ प्रोफैसर महेंद्र सिंह गुस्से से चीख उठे.

‘‘सौरी सर, आज आखिरी दिन था मजार में हाजिरी लगाने का, आज 40 दिन पूरे हो गए हैं, कल से मैं समय से पहले ही हाजिरी दर्ज करा लूंगा.’’

‘‘यह क्या मजार का चक्कर लगाते रहते हो? इतना पढ़नेलिखने के बाद भी अंधविश्वासी बने हो,’’ प्रोफैसर ने व्यंग्य किया.

‘‘सर, ऐसा न कहिए,’’ एक छात्र बोल उठा. ‘‘सर, आप को रेलवे स्टेशन पर बनी मजार की ताकत का अंदाजा नहीं है,’’ दूसरे छात्र ने हां में हां मिलाई. ‘‘सर, आप ने देखा नहीं, मजार 2 प्लेटफौर्म्स के बीच में बनी है, तीसरे, चौथे, 5वें प्लेटफौर्म्स जगह छोड़ कर बनाए गए हैं,’’ एक कोने से आवाज आई.

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4. Serial Story: किसी से नहीं कहना

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मध्यवर्ग के विवेक और विनीता अपनी इकलौती बेटी उर्वशी और वृद्ध मातापिता के साथ बहुत ही सुकून के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे. परिवार छोटा ही था, घर में जरूरत की सभी सुखसुविधाएं उपलब्ध थीं. ज्यादा की लालसा उन के मन में बिलकुल नहीं थी. यदि कोई चाहत थी तो केवल इतनी कि अपनी बेटी को खूब पढ़ालिखा कर बहुत ही अच्छा भविष्य दे पाएं.

उर्वशी भी अपने मातापिता की इस चाह पर खरा उतरने की पूरी कोशिश कर रही थी. 10 वर्ष की उर्वशी पढ़ने में होशियार होने के साथ ही खेलकूद में भी बहुत अच्छी थी और जीत भी हासिल करती थी. वह स्कूल में सभी टीचर्स की चहेती बन गई थी.

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5. शैतान : रानिया के साथ कौनसा खेल खेल रहा था अरलान

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8 महीने पहले रानिया जब उस शानदार कोठी में नौकरी के लिए आई थी, तब उस ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वह उस कोठी की मालकिन भी बन सकती है. दरअसल अखबार में 3 साल की एक बच्ची की देखभाल के लिए आया के लिए एक विज्ञापन छपा था. रानिया को काम की जरूरत थी, इसलिए वह आया की नौकरी के लिए उस कोठी पर पहुंच गई थी, जिस का पता अखबार में छपे विज्ञापन में दिया था. कोठी के गेट के पास बने केबिन में बैठे गार्ड ने रानिया को रोक कर कहा, ‘‘तुम्हारे आने की खबर मेमसाहब को दे आता हूं, जब वह बुलाएंगी, तब तुम अंदर चली जाना.’’

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6. विश्वास: अमित के सुखी वैवाहिक जीवन में क्यों जहर घोलना चाहती थी अंजलि?

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करीब 3 साल बाद अंजलि और अमित की मुलाकात शौपिंग सैंटर में हुई तो दोनों एकदूसरे का हालचाल जानने के लिए एक रेस्तरां में जा कर बैठ गए.

यह जान कर कि अमित ने पिछले साल शादी कर ली है, अंजलि उसे छेड़ने से नहीं चूकी, ‘‘मैं बिना पूछे बता सकती हूं कि वह नौकरी नहीं करती है. मेरा अंदाजा ठीक है?’’

‘‘हां, वह घर में रह कर बहुत खुश है, अंजलि,’’ अमित ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

‘‘और वह तुम से लड़तीझगड़ती भी नहीं है न, अमित?’’

‘‘ऐसा अजीब सा सवाल क्यों पूछ रही हो?’’ अमित के होंठों पर फैली मुसकराहट अचानक गायब हो गई.

‘‘तुम्हारी विचारधारा औरत को सदा दबा कर रखने वाली है, यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं, माई डियर अमित.

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7. फरेब : बौस और पति दोनों ने कैसे उठाया मुसकान का फायदा

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जब प्रोग्राम खत्म होने को होता, तो उसे फूलों का एक खूबसूरत गुलदस्ता भेंट कर चुपचाप लौट जाता.

शुरूशुरू में तो मुसकान ने उस की ओर ध्यान नहीं दिया, पर जब वह उस के हर प्रोग्राम में आने लगा, तो उस के मन में उस नौजवान के लिए एक जिज्ञासा जाग उठी कि आखिर वह कौन है? वह उस के हर प्रोग्राम में क्यों होता है? उसे उस के हर अगले प्रोग्राम की तारीख और जगह की जानकारी कैसे हो जाती है? वगैरह.

नट जाति से ताल्लुक रखने वाली मुसकान एक कुशल नाचने वाली थी. अपने बौस के आरकैस्ट्रा ग्रुप के साथ वह आएदिन नएनए शहरों में अपना प्रोग्राम देने जाती रहती थी.

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8. बेरुखी : आखिर कौन था रमेश का हत्यारा

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नरेश की लाश 2 दिनों बाद एक कुएं से बरामद हुई थी. दुर्गंध फैली थी, तब लोगों को पता चला था कि कुएं में लाश पड़ी है. उस के बाद पुलिस को सूचना दी गई थी. नरेश की पत्नी ऐश्वर्या ने उस की गुमशुदगी दर्ज करा रखी थी. नरेश शहर का जानामाना व्यवसायी था. पिता की मौत के बाद सारा कारोबार वही संभाल रहा था, जिस की वजह से वह काफी व्यस्त रहता था. वह सुबह घर से निकलता था तो रात 10 बजे से पहले लौट नहीं पाता था.

नरेश की पत्नी ऐश्वर्या को परिवार वालों ने स्वीकार नहीं किया था, इसलिए वह उसे ले कर शहर के सब से महंगे इलाके में फ्लैट ले कर अलग रह रहा था. ऐश्वर्या बेहद खूबसूरत थी. शादी के अभी एक साल ही बीते थे कि यह हादसा हो गया था. लाश बरामद होने के बाद पुलिस ऐश्वर्या से पूछताछ करने पहुंची तो पहला सवाल यही किया, ‘‘आप को किसी पर शक है?’’

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9. पानी चोर : कल्पना उस रात ठाकुर के घर से क्या चुरा कर लाई

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रात के तकरीबन 2 बजे थे. कल्पना ने अपना कई दिनों से खाली पड़ा घड़ा उठाया और उसे साड़ी के पल्लू से ढक कर दबे पैर घर से चल पड़ी. करीब 15 मकानों के बाद वह एक कोठी के सामने रुक गई.

कल्पना को कोठी की एक खिड़की अधखुली नजर आई. उस ने धीरे से पल्ला धकेला, तो खिड़की खुल गई. उस की आंखें खुशी से चमक उठीं. वह उस खिड़की को फांद कर कोठी में घुस गई. कोठी के अंदर पंखों व कूलरों की आवाजों के अलावा एकदम खामोशी थी. लोग गहरी नींद में सो रहे थे.

कल्पना एक कमरा पार कर के दूसरे कमरे में पहुंची. वहां अलमारी अधखुली थी, जिस में से नोटों की गड्डियां व सोने के गहने साफ दिखाई दे रहे थे. कल्पना उन्हें नजरअंदाज करती हुई आगे बढ़ गई और तीसरे कमरे में पहुंची. वहां कई टंकियों में पानी भरा हुआ था.

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10. कुरसी का करिश्मा : कैसे अपने ही बुने जाल में उलझ गए राजेश बाबू

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दीपू के साथ आज मालिक भी उस के घर पधारे थे. उस ने अंदर कदम रखते ही आवाज दी, ‘‘अजी सुनती हो?’’

‘‘आई…’’ अंदर से उस की पत्नी कलावती ने आवाज दी.

कुछ ही देर बाद कलावती दीपू के सामने खड़ी थी, पर पति के साथ किसी अनजान शख्स को देख कर उस ने घूंघट कर लिया.

‘‘कलावती, यह राजेश बाबू हैं… हमारे मालिक. आज मैं काम पर निकला, पर सिर में दर्द होने के चलते फतेहपुर चौक पर बैठ गया और चाय पीने लगा, पर मालिक हालचाल जानने व लेट होने के चलते इधर ही आ रहे थे.

‘‘मुझे चौक पर देखते ही पूछा, ‘क्या आज काम पर नहीं जाना.’

‘‘इन को सामने देख कर मैं ने कहा, ‘मेरे सिर में काफी दर्द है. आज नहीं

जा पाऊंगा.’

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लड़कियों में न निकालें मीनमेख

सुश्रुत अपने परिवार के साथ दिल्ली के राजौरी गार्डन में लड़की देखने गया. वह बड़े जोश में था और दोस्तों को भी बता कर आया था कि लड़की देखने जा रहा हूं. लड़की वालों के घर जब उस का पूरा परिवार पहुंचा तो उन्होंने आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. अच्छा खाना खिलाया. सभी रिश्तेदारों ने उन का खुले दिल से स्वागत किया.

अब आई लड़की दिखाने की बारी. सौम्य सी लड़की वंदना जब सामने बैठी तो सुश्रुत समेत उस के घर वाले इस तरह से सवाल दागने लगे मानो वंदना उन की कंपनी में इंटरव्यू देने आई हो.

कितनी उम्र है? अब तक कितने लड़के देख चुके हैं तुम्हें? कहां जौब करती हो औफिस में किसी से अफेयर तो नहीं है? बौस पुरुष है या महिला? हाइट कितनी है तुम्हारी? सैलरी कितनी मिलती है? इन्हैंड कितनी है और पेपर में कितनी है? तुम्हारी हाईट बिना हाई हील्स के कितनी है? तुम्हारा कलर ही इतना फेयर है या मेकअप किया है? कपड़े कैसे पहनती हो? वैस्टर्न का भी शौक है? इतनी ज्यादा उम्र हो गई है, अभी तक कोई लड़का नहीं मिला या कोई कमी थी?

ऐसे ही सवालों की झड़ी लगा दी उन्होंने, जिस से वंदना घबरा गई और बिना कुछ कहे रोते हुए अंदर चली गई. इस पर भी सुश्रुत का परिवार नहीं माना. लड़की हकली है क्या? कुछ बीमारी तो नहीं है? कुछ बोल क्यों नहीं रही थी? कुछ छिपा रही थी क्या? जैसे सवाल दागते रहे. जाहिर है लड़की और उन के परिवार वालों को उन की इन हरकतों से बहुत शर्मिंदा होना पड़ा.

लड़की राशन का सामान नहीं

यह ऐसी अकेली घटना नहीं है. लगभग हर घर में लड़की देखने आए लोग ऐसा ही व्यवहार करते हैं. बड़े बुजुर्ग ऐसा व्यवहार करते हैं तो समझ में आता है, लेकिन जब आज के युवा लड़की देखते वक्त इतनी मीनमेख निकालते हैं, तो लगता है उन्हें लड़की नहीं कोई स्मार्ट फीचर वाला फोन चाहिए, जिस का एकएक स्पैसिफिकेशन चैक करना जरूरी हो. अरे भाई, लड़की है कोई खानेपीने का सामान नहीं, जो इतना मोलभाव किया जाए.

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हर इंसान में कुछ कमियां और कुछ खूबियां होती हैं. ऐसे में सिर्फ युवती में ही कमी निकालना गलत है. आज युवाओं को सोचना चाहिए कि युवतियां आत्मनिर्भर हो कर अपना जीवन जीना चाहती हैं.

इसलिए वे आत्मसम्मान से समझौता नहीं करतीं ऐसे में क्या कोई युवा चाहेगा कि उस की होने वाली वाइफ के साथ इस तरह की मीनमेख निकाल कर शादी हो. होना तो यह चाहिए कि युवक अपनी होने वाली पत्नी के साथ अलग से बात कर के अपनी पसंदनापसंद, हौबीज, आइडियोलौजी और जीवन में वरीयता देने वाली बातों पर चर्चा करे और जब मन मिल जाएं तब शादी के लिए हां करे.

शक्लसूरत और धनसंपदा न होने के कारण लड़की में कमी निकालना मूर्खता है. शरीर और पैसा तो बदलता रहता है, लेकिन इंसान के विचार नहीं बदलते. जरा सोचिए जो युवक शादी से पहले युवतियों में इतनी मीनमेख निकाल कर उन्हें शर्मिंदा करते हैं, अगर उन की बहन को देखने आए लड़के वाले भी ऐसी ही हरकत करें तो उन्हें कितना बुरा लगेगा? जाहिर है सब की भावना और आत्मसमान का आदर करना चाहिए.

अपने गिरेबान में भी झांकें

हमारी संस्कृति और रीतिरिवाज ऐसे हैं जहां लड़की को लड़के वालों के सामने झुकना पड़ता है. लड़का लड़की को ब्याह कर यह समझता है कि वह उस पर एहसान कर रहा है जबकि दुनिया में दो लड़कालड़की शादी करते वक्त एकदूसरे का बराबरी से सामना करते हैं और कोई बिना किसी के सामने झुके व आपस में बात कर शादी तय करते हैं, लेकिन हमारे यहां युवक समझते हैं कि अगर वे शादी करने जा रहे हैं तो लड़की की क्लास ले कर आएंगे. उस का अगलापिछला सब चैक कर फिर उसे पास करेंगे.

दरअसल, वे अपने गिरेबान में झांकना भूल जाते हैं. जरा सोचिए, युवती यदि आप के शरीर, लंबाई और हैसियत का मजाक बना कर शादी के दौरान आप को कमतर आंके तो कैसा लगेगा?

युवा प्रश्न करने से पहले यह भूल जाते हैं कि पहले वे अपनी खूबियां भी तो बताएं. जब उन से सिर्फ लड़के के बारे में पूछा जाता है तो कहते हैं कि लड़का ज्यादा पढ़ा तो नहीं है, लेकिन बाप का बिजनैस देखेगा.

अगर लड़का लड़की देखने जा रहा है तो बिना लड़की देखे कोई राय न बनाएं. अकसर लोग पहले से ही नकारात्मक विचार मन में बना लेते हैं. जिस वजह से उन्हें हर चीज में यही भाव दिखाई देता है. लड़की वालों को ऐसा महसूस न कराएं कि आप को लड़की नापसंद है. सिर्फ लड़की की कमियां न गिनवाएं. इतना ही नहीं यदि लड़की या लड़के में कोई कमी या विकार है तो उसे उजागर करें.

लड़की वालों के यहां रिश्तेदारों की पूरी फौज ले कर न जाएं. अगर युवक ज्यादा कमाता है या परिवार आर्थिक रूप से लड़की वालों से मजबूत भी हो, तो भी लड़की वालों पर अपने पैसे का रोब दिखा कर उन्हें छोटा होने का एहसास न होने दें.

अंधविश्वासी न बनें

शादी के समय पंडेपुरोहित लड़के के घर वालों को अंधविश्वास में फंसा कर अपनी जेब भर लेते हैं. युवक को भी लड़की की खूबसूरती से जुड़े टोटके बता कर भटकाने का काम करते हैं.

वे भाग्य को चमकाने वाले चिह्न बता कर युवक के मन में शारीरिक और नस्लीय भेदभाव का बीज रोप देते हैं. कभी भी अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर शादी के दौरान लड़की देखते हुए ऐसे रिवाजों में न पड़ें. तन की नहीं मन की सुंदरता भी देखें.

लड़की को करें सहज

जब कोई युवा किसी लड़की को देखने जाता है तो उसे यह बात समझनी चाहिए कि यह समय लड़की के लिए बड़ा नर्वस होने वाला होता है. उस पर कई तरह के दबाव रहते हैं. मातापिता का दबाव होता है कि ठीक ढंग से तैयार हो कर लड़के के सामने जाना. किसी भी तरह की कोई चूक नहीं होनी चाहिए, जबकि लड़के के सामने किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता. उलटे वह सीना चौड़ा कर यह सोच कर जाता है कि उसे तो लड़की सिलैक्ट या रिजैक्ट करनी है.

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यह मानसिकता गलत है. युवक को चाहिए कि लड़की से बात कर उसे सहज करे. जाहिर सी बात है इस दिन आप दोनों अच्छे कपड़े पहन कर गए होंगे, लेकिन बात की शुरुआत के लिए कपड़ों की तारीफ करना अच्छा रहेगा. इस से उस लड़की को लगेगा कि आप ने उसे नोटिस किया.

लड़की को अच्छा लगेगा अगर आप अपनी संभावित पत्नी से उन के घरपरिवार के बारे में पूछें. कैरियर के बारे में उस से बातें करना भी एक अच्छा विकल्प है. कुछ न समझ आए तो चुपचाप उस की पसंद के बारे में पूछ लें. ऐसा करने से लड़की काफी सहज हो जाएगी और आप की बातों का उचित और तार्किक जवाब दे पाएगी.

जरा सोचिए, आप एक परिवार के साथ जीवनभर का रिश्ता जोड़ने के इरादे से जाते हैं ऐसे में अगर वे भी आप के परिवार व आप को ले कर मीनमेख निकालें तो जाहिर है बुरा लगेगा. जो व्यवहार आप को बुरा लग सकता है उसे दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए. रीतिरिवाज या रिश्तेदारों के दबाव में आ कर लकड़ी की या उस के परिवार वालों की मीनमेख निकालने के चक्कर में हो सकता है आप के हाथ से एक अच्छा रिश्ता निकल जाए. शादी को सौदेबाजी का खेल बनाना निहायत ही गलत है.

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ऐसे ही सही: भाग 3- क्यों संगीता को सपना जैसा देखना चाहता था

अगले दिन सुबह ही मैं उन की पत्नी और उन की 20 साल की बेटी को ले कर जाने लगा. उसी समय मुझे अचानक याद आ गया कि उन की फोटो मैं घर से लाना भूल गया जो कल रात ही मैं ने बनवाई थी. मैं जैसे ही घर पहुंचा तो संगीता ने पूछा, ‘‘आज इतनी जल्दी कैसे आ गए…मुझ पर तरस आ गया क्या?’’

मैं कुछ नहीं बोला और अपनी अलमारी से फोटो निकाल कर चला गया. उत्सुकतावश वह भी मेरे पीछेपीछे बाहर आ गई. मेरे कार में बैठने से पहले ही पूछने लगी, ‘‘कौन हैं और इस समय इन के साथ कहां जा रहे हो? कार कहां से मिल गई?’’

‘‘यह हमारे साहब की पत्नी हैं और पीछे उन की बेटी बैठी है. मैं इन के ही काम से जा रहा हूं.’’

‘‘ऐसा तो मैं ने पहले कभी नहीं सुना कि साहब अपनी खूबसूरत पत्नी और बेटी को कार सहित तुम्हारे साथ भेज दें. कहीं कुछ तो है. शक तो मुझे पहले से ही था. तुम ने सोचा घर पर मैं नहीं होऊंगी तो यहीं रंगरलियां मना ली जाएं और अगर मिल गई तो साहब का बहाना बना देंगे.’’

उन के सामने ऐसी बातें सुन कर मैं बेहद परेशान हो गया और शर्मिंदा भी. मैं ने बहुत कोशिश की कि वह  चुप हो जाए पर उसे तो जैसे लड़ने का नया बहाना मिल गया था. साहब की पत्नी भी संगीता को लगातार समझाने का प्रयत्न करती रहीं. मुझे ऐसी बेइज्जती महसूस हुई कि मेरी आंखों में आंसू आ गए. मेरे लिए वहां खड़ा हो पाना अब बेहद मुश्किल हो गया. मैं जैसे ही कार में बैठा तो वह अपनी चिरपरिचित तीखी आवाज में बोली, ‘‘मैं अब इस घर में एक मिनट भी नहीं रहूंगी.’’

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शाम को मैं जल्दी घर आ गया और जो होना चाहिए था वही हुआ. संगीता की मां और बहन बैठी मेरा इंतजार कर रही थीं. मैं उन्हें इस समय वहां देख कर चौंक गया पर खामोश रहा. अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का विरोध करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी क्योंकि मेरे विरोध करने का मतलब उन तीनों की तीखी और आक्रामक आवाज से अपने ही महल्ले में जलील होना.

‘‘मैं अपना हक लेना जानती हूं और कभी यहां वापस नहीं लौटूंगी,’’ कह कर वे तीनों वहां से चली गईं. सारा सामान वे ले गईं. स्त्रीधन और सारा सामान उस के हिस्से आया और मानसिक पीड़ा मेरे हिस्से में. अब मेरे लिए वहां रुकने का कोई प्रयोजन नहीं था. उसी शाम अपनी जरूरत भर की वस्तुओं को ले कर मैं अपने मातापिता के यहां आ गया.

मुझे इस वेदना से उभरने में काफी समय लग गया. इन्हीं दिनों 2-3 बार सपना के फोन आए थे जो मैं ने व्यस्त होने का बहाना बना कर टाल दिए.

अपने को व्यस्त रखने के लिए मैं ने सब से पहला काम शर्माजी का विज्ञापन स्थानीय अखबार में दे दिया. पासपोर्ट से ले कर सभी सुविधाओं का विवरण था. एलआईसी का एजेंट  होने के नाते मुझे दिन में 2 घंटे ही आफिस जाना होता था.

इस विज्ञापन के प्रकाशित होते ही मेरे पास आशाओं से अधिक फोन आने लग गए. मैं बहुत उत्साहित था. लोग अपनी समस्याओं को सुनाते और मैं उस से संबंधित पेपर ले कर शाम को शर्माजी के पास पहुंच जाता. इस प्रकार हफ्ते में 2 बार जा कर अपना काम सौंप कर पुराना काम ले आता.

दिन बीतते गए. मैं जब भी घर पहुंचता, सपनाजी अपनी कई बातें मुझ से कहतीं. अपना कोई न कोई काम मुझे देती रहतीं. शाम को कई बार ऐसा संयोग होता कि वह रास्ते में ही मुझ से मिल जातीं और मेरे साथ ही घर आ जातीं. कभीकभी उन का कोई ऐसा काम फंस जाता जो वह नहीं कर सकतीं तो उसे मुझे ही करना पड़ता था.

एक दिन दोपहर को मुझे किसी जरूरी काम से शर्माजी के घर जाना पड़ा. मैं ने देखा बड़ी तल्लीनता से वह सब कागज फैला कर अपना काम करने में व्यस्त थे. मुझे बड़ी खुशी हुई कि शायद उन की जीवन के प्रति नकारात्मक सोच में बदलाव हो गया. सपनाजी पास ही बैठी उन्हें पैड पकड़ा रही थीं. मेरे वहां पहुंचते ही वह हंस कर बोलीं, ‘‘जानते हो, इन दिनों यह बहुत खुश रहते हैं. मुझे तो पूछते भी नहीं.’’

‘‘तुम ऐसा मौका ही कहां देती हो. बस, सवेरे उठ कर तैयार हो जाती हो और चल देती हो. दोपहर तक स्कूल में फिर शाम को बाहर घूमने चली जाती हो.’’

‘‘यह तो आप भी अच्छी तरह जानते हैं कि कितना काम हो जाता है.’’

‘‘मैं सब जानता हूं कि तुम क्या करती हो.’’

कहतेकहते अपने सारे कागज एक तरफ रख कर मुझे घूरने लगे, जैसे भीतर उठी खीज को दबा लिया हो. वह जिन नजरों से मुझे देख रहे थे, मुझे बड़ी बेचैनी महसूस होने लगी. मैं ने विज्ञापन देने से पहले ही सपनाजी  को पता और फोन नंबर देने के लिए कहा था. सपनाजी भी अपनी जगह ठीक थीं. कहने लगीं कि घर पर आने वाले सभी व्यक्तियों को शर्माजी की हालत के बारे में पता चल जाएगा. घर पर मैं और बेटी ही रहती हैं तो कोई कुछ भी कर सकता है. मैं चुप रहा था.

मैं ने औपचारिकता निभाते हुए नया काम दिया और जाने लगा तो सपनाजी बोलीं, ‘‘कहां तक जा रहे हैं आप?’’

‘‘अब तो आफिस ही जाऊंगा,’’ मैं ने सरलता से कहा.

‘‘क्या आप मुझे सिविल लाइंस तक छोड़ देंगे?’’ उन्होंने पूछा.

मैं इनकार नहीं कर सका. शर्माजी टीवी पर मैच देखने में व्यस्त हो गए.

सपनाजी तैयार हो कर आईं और अपना बैग उठा कर बोलीं, ‘‘मैं ममता के घर जा रही हूं. उस के बेटे का जन्मदिन है. आप का उस तरफ का कोई काम हो तो…’’

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‘‘जाओजाओ. तुम्हें तो बस, घूमने का बहाना चाहिए. मैं घर पर पड़ा सड़ता रहूं पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है,’’ कहतेकहते उन की आवाज तेज और मुद्रा आक्रामक हो गई, ‘‘तुम क्या समझती हो. मैं कुछ जानता नहीं हूं. तुम्हें बाहर जाने की छूट क्या दी तुम ने तो इस का नाजायज फायदा उठाना शुरू कर दिया…मुझे तुम्हारा इस तरह गैर मर्दों के साथ जाना एकदम अच्छा नहीं लगता.’’

सपनाजी  एकदम सहम गईं. आंखों में आंसू भर कर चुपचाप भीतर चली गईं. शर्माजी का ऐसा रौद्र रूप मैं ने कभी नहीं देखा था.

अचानक वातावरण में भयानक सन्नाटा पसर गया. मैं पाषाण बना चुपचाप वहीं बैठा रहा. नारी शायद हर संबंधों को सीमाओं में रह कर निभा लेती है पर पुरुष इतना सहज और सरल नहीं होता. शक की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी

डर कहीं मेरे भीतर भी बैठ गया था. मौका देख कर मैं ने कहा, ‘‘सर, अब रोजरोज मेरा आना संभव नहीं है. और अब तो आप भी सभी कामों को अच्छी तरह समझ गए हैं. फिर बहुत जल्दी मेरा तबादला भी होने वाला है. आगे से सभी लोगों को मैं आप के पास ही भेज दिया करूंगा,’’ वह मुझे अजीब सी नजरों से देखने लगे पर कहा कुछ नहीं.

वहां से उठतेउठते ही मैं ने कहा, ‘‘साहब, मेरा कहासुना माफ करना. मुझ से जो बन पड़ा, मैं ने किया.’’

मैं दबे पांव वहां से निकल जाना चाहता था. गेट खोल कर जैसे ही स्कूटर स्टार्ट किया, सपनाजी धीरे से दूसरे कमरे से निकल कर मेरे पास आ गईं और बेहद कोमल स्वर में बोलीं, ‘‘आप ने हमारे लिए जो कुछ भी किया है उस का एहसान तो नहीं चुका सकती पर भूलूंगी भी नहीं. शर्माजी की बातों का बुरा मत मानना,’’ कहतेकहते वह अपराधी मुद्रा में तब तक खड़ी रहीं जब तक मैं चला नहीं गया. मैं भारी मन और उदास चेहरे से वहां से चला गया.

सच, अपने हिस्से की पीड़ा तो स्वयं ही भोगनी पड़ती है. झूठे आश्वासनों के अलावा हम कुछ नहीं दे सकते. कोई किसी की पीड़ा को बांट भी नहीं सकता. उस के बाद मैं उस घर में कभी नहीं गया. यह जीवन का एक ऐसा यथार्थ था जिसे मैं नजरअंदाज नहीं कर सकता. यदि इस दुनिया में यही जीने का ढंग और संकीर्ण मानसिकता है तो ऐसे ही सही.

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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को पक्के मकान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में देश की आजादी के अमृत महोत्सव पर ‘न्यू अर्बन इण्डिया थीम’ के साथ केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय तथा नगर विकास विभाग, उ0प्र0 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय आजादी@75 कॉन्फ्रेन्स-कम-एक्सपो का शुभारम्भ किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने डिजिटल रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पी0एम0ए0वाई0-यू) के तहत बनाये गये आवासों की चाबी उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के 75 हजार लाभार्थियों को सौंपी. उन्होंने इस योजना के तहत लाभान्वित आगरा की श्रीमती विमलेश, कानपुर की श्रीमती रामजानकी पाल तथा ललितपुर की श्रीमती बबिता से संवाद भी किया.

प्रधानमंत्री जी ने स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत आगरा, अलीगढ़, बरेली, झांसी, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, सहारनपुर, मुरादाबाद एवं अयोध्या में इंटीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कन्ट्रोल सेन्टर, इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम एवं नगरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा अमृत मिशन के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न शहरों में उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा निर्मित पेयजल एवं सीवरेज की कुल 4,737 करोड़ रुपए की 75 विकास परियोजनाओं का लोकर्पण/शिलान्यास किया. साथ ही, उन्होंने जनपद लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, झांसी, प्रयागराज, गाजियाबाद और वाराणसी के लिए 75 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का डिजिटल फ्लैग ऑफ भी किया. उन्होंने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के विभिन्न प्रमुख मिशनों के तहत क्रियान्वित 75 परियोजनाओं के ब्यौरे वाली एक कॉफी-टेबल बुक भी जारी की. प्रधानमंत्री जी ने लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में श्री अटल बिहारी वाजपेयी पीठ का डिजिटल शुभारम्भ किया. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित की गयी दो लघु फिल्मों का अवलोकन भी किया.
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को बड़ी संख्या में पक्के मकान उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वंचित वर्गाें के लोगों को पक्का आवास उपलब्ध कराने की यह विश्व की सबसे बड़ी योजना है. इस योजना के तहत निर्मित 80 प्रतिशत घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर की जा रही है या वे उसकी संयुक्त स्वामी हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पहले की तुलना में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित घरों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में 01 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण को मंजूरी दी है. इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है.
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मेरे जो साथी, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, उनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को लखपति बनने का अवसर मिला है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित आवासों में बिजली, पानी, शौचालय इत्यादि की सुविधा दी जा रही है. उज्ज्वला योजना के तहत परिवार को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जा गया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक देश में लगभग 03 करोड़ घर बनाए गये हैं. इनकी कीमत करोड़ों रुपये में है. एक मकान की कीमत लाखों रुपये में है. इस प्रकार यह मकान पाने वाले लोग अब लखपति बन गये हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मौजूदा सरकार से पहले, उत्तर प्रदेश की पहले की सरकारों ने योजनाओं को लागू करने के लिए अपने पैर पीछे खींचे थे. उन्होंने कहा कि पिछली उत्तर प्रदेश सरकार को 18,000 से अधिक घरों को मंजूरी दी गई थी, किंतु उस समय 18 घरों का निर्माण भी नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी की वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद, 9 लाख से अधिक आवास इकाइयां शहरी गरीबों को सौंप दी गईं और 14 लाख इकाइयां निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. ये घर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2014 से पूर्व गरीबों के लिए निर्मित किये जाने वाले घरों के आकार की कोई स्थायी नीति नहीं थी. वर्ष 2014 में केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद गरीबों के लिए निर्मित किये जाने वाले आवासों के आकार के सम्बन्ध में एक स्पष्ट नीति बनायी गयी. इस नीति में यह निर्धारित किया गया कि गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों का आकार 22 वर्गमीटर से कम नहीं होगा. आज गरीबों को अपना घर निर्मित करने और उसका डिजाइन अपने ढंग से बनाने की आजादी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यकाल के दौरान पी0एम0ए0वाई0 के तहत 01 लाख करोड़ रुपये की धनराशि गरीबों के बैंक खातों में ट्रांसफर की गयी है. उन्होंने कहा कि शहरों में मजदूरों को किराए के आवास उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्यवाही की गयी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने काफी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानि (रेरा) कानून ऐसा एक बड़ा कदम रहा है. इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है, सभी हितधारकों की मदद की है तथा उन्हें सशक्त बनाया है.

एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट के उपयोग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इनके लगने से शहरी निकायों के हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में उपयोग में लाई जा रही है. उन्होंने कहा कि एल0ई0डी0 ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन प्रौद्योगिकी से आया है. उन्होंने कहा कि देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है. उन्होंने अपनी संस्कृति के लिए मशहूर लखनऊ शहर का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ की ‘पहले आप पहले आप’ की तहजीब की तर्ज पर आज हमें ‘प्रौद्योगिकी पहले’- टेक्नोलॉजी फर्स्ट’ कहना होगा.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को, स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों से जोड़ा जा रहा है. इस योजना के माध्यम से 25 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दी गई है. इसमें भी उत्तर प्रदेश के 07 लाख से ज्यादा लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का लाभ लिया है. कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में स्ट्रीट वेण्डर्स को इस योजना का भरपूर लाभ मिला. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत आज उत्तर प्रदेश के 02 जनपद लखनऊ एवं कानपुर देश में टॉप पर हैं. उन्होंने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए वेण्डरों की सराहना की.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज मेट्रो सर्विस का देश भर के प्रमुख शहरों में तेजी से विस्तार हो रहा है. वर्ष 2014 में, मेट्रो सेवा 250 किलोमीटर से कम रूट की लंबाई पर चलती थी, आज मेट्रो लगभग 750 किलोमीटर रूट की लंबाई में चल रही है. उन्होंने कहा कि देश में अभी लगभग 1,050 किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो ट्रैकों पर काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के 06 शहरों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के रूप में एक विजनरी, मां भारती के लिए समर्पित राष्ट्रनायक देश को दिया है. उन्होंने कहा कि आज उनकी स्मृति में, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में अटल बिहारी वाजपेयी पीठ की स्थापना की जा रही है. उन्होंने कहा कि अटल जी ने देश के त्वरित विकास के लिए अवस्थापना एवं सड़कों के विकास पर विशेष बल दिया. उनकी अवधारणा थी कि प्रदेश के सभी जनपदों को अच्छे सड़क मार्गाें से जोड़ा जाए.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश के लिए शहरीकरण बहुत ही महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश में गतिमान विभिन्न विकास योजनाओं से शहरी परिवेश को बदलने एवं प्रत्येक नागरिक के जीवन में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफलता प्राप्त हुई है. प्रदेश सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षाें में शहरीकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में नए भारत का नया उत्तर प्रदेश अपनी पहचान स्थापित कर रहा है. प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों के विकास पर निरन्तर बल दे रही है. मार्च, 2017 से पूर्व उत्तर प्रदेश में 654 नगरीय निकाय थे. प्रदेश सरकार ने 25 हजार से अधिक आबादी के राजस्व ग्रामों को नगरीय क्षेत्र में शामिल करते हुए नगरीय निकायों की संख्या बढ़ाकर 734 कर दी है. ताकि अधिक से अधिक जनसंख्या को शहरी विकास की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.

वर्ष 2014 से प्रारम्भ स्वच्छ भारत मिशन नारी गरिमा की रक्षा के साथ ही स्वस्थ भारत की परिकल्पना को साकार करने में मील का पत्थर साबित हुआ है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर कार्य किये हैं. प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 02 करोड़ 61 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हुआ है. इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश शत-प्रतिशत ओ0डी0एफ0 हो गया. केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा 6,73,649 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय तथा 51,524 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय निर्मित किये गये. वर्ष 2017 के पूर्व प्रदेश में ओ0डी0एफ0 शहरों की संख्या मात्र 15 थी. जबकि वर्तमान में 652 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0, 595 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0 प्लस तथा 30 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0 प्लस-प्लस घोषित किये जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के बाद हर गरीब का यह सपना था कि उसका खुद का एक पक्का मकान हो. प्रधानमंत्री जी की संवेदनशीलता व उनके नेतृत्व का परिणाम है कि आज देश में गरीब व्यक्ति बिना भेदभाव के पारदर्शी व्यवस्था के साथ पक्के मकान प्रदान किये जा रहे हैं. प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के 42 लाख परिवारों को निःशुल्क पक्के आवास उपलब्ध कराये हैं. प्रदेश के शहरी क्षेत्र के 17 लाख परिवारों को पक्के आवास की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जिसमें 09 लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं और आज प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में 75 हजार आवासों में गृह प्रवेश कराया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाने वाली लाइट हाउस परियोजना के लिए देश के 06 चयनित नगरों में प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी शामिल है. लाइट हाउस परियोजना के तहत नवीन तकनीक से सस्ते व अच्छे आवास निर्मित कराये जा रहे हैं. लखनऊ में गतिमान लाइट हाउस परियोजना के कार्याें को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. इस परियोजना के ज्यादातर आवासों को आवंटित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि अमृत योजना के तहत 60 नगरीय निकायों में 11,421 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं.

इसके तहत पेयजल, सीवरेज, हरित क्षेत्र और पार्क विकसित किये गये हैं. इन परियोजनाओं से एक बड़ी शहरी आबादी को सुगम एवं अच्छे जीवन स्तर को प्राप्त करने में मदद मिलेगी. केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के 17 नगर निगमों में से 10 नगर निगमों को स्मार्ट सिटी मिशन में चयनित किया गया है. शेष 07 नगर निगमों को प्रदेश सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का कार्य कर रही है. इस प्रकार प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में स्मार्ट सिटी मिशन के कार्य क्रियान्वित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं प्रभावी मार्गदर्शन में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को प्रदेश सरकार ने राज्य में नियंत्रित किया है. वैश्विक जगत ने आपके कोरोना नियंत्रण एवं प्रबन्धन की भूरि-भूरि प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 11 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं और लगभग 08 करोड़ लोगों के कोविड टेस्ट सम्पन्न कर चुके हैं. प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से 07 लाख से अधिक स्ट्रीट वेण्डर्स को बैंकों से लोन उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त की है. आने वाले समय में 1.5 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को और जोड़ा जाएगा. इस योजना के लाभार्थियों के चयन तथा उन्हें ऋण उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की सदैव यह मंशा रही है कि देश में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था बेहतर हो. इसी क्रम में, प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से आज प्रदेश के 07 जनपदों के लिए 75 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस के परिचालन की शुरुआत की गयी है. इस प्रकार, प्रदेश में वर्तमान में 115 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. आने वाले दिनों प्रदेश के 14 नगरीय निकायों में 700 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की कार्यवाही आगे बढ़ायी जाएगी. उन्होंने कहा कि मेट्रो रेल सार्वजनिक परिवहन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. आज प्रदेश के 04 बड़े शहरों-लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में मेट्रो का संचालन हो रहा है. कानपुर में नवम्बर, 2021 तक मेट्रो का संचालन हो जाएगा. आगरा मेट्रो का निर्माण कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है. रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत प्रदेश में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर का निर्माण प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बड़े नगरीय निकायों के विकास के साथ-साथ छोटे नगरीय निकायों में भी अवस्थापना सुविधाओं का समुचित विकास किया जा रहा है. छोटे नगर निकायों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2018 में ‘पं0 दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत योजना’ की शुरुआत की गयी है. नगरीय क्षेत्रों में अल्पविकसित तथा मलिन बस्तियों में आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के लिए ‘मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना’ संचालित की जा रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रयागराज कुम्भ-2019 की दिव्यता एवं भव्यता को देश व दुनिया ने देखा है. प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था का एक मानक प्रस्तुत किया है. प्रयागराज कुम्भ को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश ने प्रमुख भूमिका निभायी थी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रयागराज में कुम्भ के दौरान इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सेण्टर को विकसित करते हुए वहां की ट्रैफिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने का काम किया गया. इससे 24 करोड़ श्रद्धालुओं को सुव्यवस्था प्राप्त हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 01 अक्टूबर, 2021 को स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) एवं अमृत योजना के द्वितीय चरण का शुभारम्भ किया है. द्वितीय चरण में नगरीय क्षेत्रों को कचरे से पूरी तरह मुक्त रखा जाए. प्रदेश के नगरों को पूरी तरह कचरामुक्त करने, शहरों को जल सुरक्षित बनाने और यह सुनिश्चित करने कि कहीं भी सीवेज का गन्दा नाला नदियों में न गिरे, इसके लिए प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ मिशन मोड पर कार्य करेगी.

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने न्यू इण्डिया का जो सपना देखा है, उसे पूरा करने के लिए वे मिशन मोड में कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रांे के समन्वित विकास के लिए प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहरों का नियोजित नगरीय विकास भारत की प्राचीन परम्परा है. आज समय की मांग के अनुसार देश के नगरों का तेजी से विकास हो रहा है. लोगों को ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस का लाभ नगरीय विकास के कारण मिल रहा है.

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में स्वच्छ भारत मिशन तथा अमृत योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. वर्ष 2015 से 2021 में नगरीय विकास के क्षेत्र में निवेश 07 गुना तक बढ़ा है. केन्द्र सरकार द्वारा लोगों को बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वच्छ भारत मिशन 2.0 तथा अमृत 2.0 प्रारम्भ किये गये हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी का विस्तार हुआ है. आज उत्तर प्रदेश में 08 हवाई अड्डे काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों के विकास के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2,000 करोड़ रुपये की धनराशि का प्राविधान किया गया है.

इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री डॉ0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय, केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ0 दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नगर विकास राज्य मंत्री श्री महेश चन्द्र गुप्ता, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव नगर विकास डॉ0 रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

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