romantic story in hindi
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Zee TV के सीरियल ‘कुंडली भाग्य’ (Kundali Bhagya) की प्रीता (Preeta) यानी एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) ने 16 नवंबर को शादी कर ली है, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. बीते दिन मेहंदी की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें एक्ट्रेस अपनी मेहंदी (Shraddha Arya mehendi ceremony) के साथ डायमंड रिंग फ्लौंट करती नजर आईं. वहीं फैंस को शादी की फोटोज का भी इंतजार रहा. लेकिन अब उनके शादी के लुक की भी फोटोज आ गई है, जिसपर सेलेब्स और फैंस जमकर प्यार लुटा रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं श्रद्धा आर्या की फोटोज की झलक…
दुल्हन बनीं श्रद्धा
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आखिरकार श्रद्धा आर्या के फैंस का इंतजार खत्म हो गया है. कुंडली भाग्य की प्रीता यानी एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या ने दिल्ली के रहने वाले एक नेवी अफसर राहुल शर्मा से शादी की है. वहीं इस शादी में लुक की बात करें तो श्रद्धा (Shraddha Arya Wedding Look)
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मेहंदी में कुछ ऐसा था लुक
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‘कुंडली भाग्य’ (Kundali Bhagya) एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya)के मेहंदी लुक की बात करें तो वह ग्रीन और यैलो के कौम्बिनेशन वाले खूबसूरत लहंगे में नजर आ रही हैं. वहीं इस लहंगे के साथ महंगी ज्वैलरी और हाथों पर लगाई खूबसूरत मेहंदी बेहद खूबसूरत लग रहा था.
तिलक की वीडियो हुई वायरल
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हाल ही एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) की प्री-वेडिंग के सेलिब्रेशन का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें तिलक किया जा रहा है एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) का. वहीं इस वीडियो में श्रद्धा के होने वाले पति की भी झलक नजर आई थी. वहीं तिलक में लुक की बात करें तो श्रद्धा पिंक कलर के लुक को कैरी करते नजर आईं.
हल्दी में कुछ यूं था अंदाज
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श्रद्धा आर्या के हल्दी लुक की बात करें तो वह यैलो के कौम्बिनेशन में नजर आईं. मिरर वर्क वाले शरारा कौम्बिनेशन लुक में श्रद्धा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस लुक के साथ फ्लावर ज्वैलरी चार चांद लगा रही थीं. इस लुक में वह अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए नजर आईं.
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शीतल निकम, ड्रैस डिजाइनर
आत्मविश्वास से चमकता चेहरा, बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल, ठाणे निवासी शीतल निकम ने अपने सुंदर, सजे बुटीक में गरमजोशी से स्वागत किया. उन से बात करने के लिए मैं उन से समय ले कर गई थी. इस क्षेत्र में उन का बुटीक दिनोंदिन अपनी नईनई ड्रैसेज के कारण खूब सुर्खियां बटोर रहा है.
अपने घर के एक कोने से बुटीक तक के सफर में उन्होंने जो मेहनत की, जिस लगन से यहां तक पहुंचीं, वह सराहनीय है. पेश हैं, उन से बातचीत के कुछ अंश:
आप की इस काम में रुचि कैसे हुई?
मैं दर्जी परिवार की लड़की थी और यह काम मुझे बहुत क्रिएटिव लगता था. दादी तो इतनी होशियार थीं कि एक बार सामने वाले इंसान पर नजर डालतीं और उस की नाप का कपड़ा काट कर रख देतीं. मैं खूब मूवीज देखती थी. मैं ने अपना पहला कपड़ा एक पीले रंग का सूट सिला था. एक मूवी देख कर पटियाला स्टाइल का सिला था जो मुझे आज भी याद है.
मैं कभी मम्मी से पूछपूछ कर मोतियों के सैट्स बनाती. कपड़ों पर कई तरह की पेंटिंग्स करना सीखा, घर के परदों, चादरों पर कुछ भी पेंट करती, उन्हें सजाती रहती. धीरेधीरे पापा ठेकेदारी का काम करने लगे, जिस से उन्हें थोड़ी सफलता मिलनी शुरू हुई, आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और फिर जब एक दिन हम लोग घर में बासमती चावल खा रहे थे, वह दिन हमारे लिए बहुत बड़ा था. लगा, हां अब उतने गरीबी के दिन नहीं रहे. पापा का काम चलने लगा था.
5वीं से 10वीं तक मैं ने कई चीजें सीखीं, कई कोर्स किए. 10वीं के नंबरों पर पापा से साइकिल मिली जो उन की तरफ से गिफ्ट के रूप में मिली पहली चीज थी. 12वीं के बाद मैं ने टेलरिंग की क्लास ली. मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, मैं कई घंटे लगातार पढ़ा करती. नवापुर से फिर मैं ने 2 साल का डीएड किया. बीए के दूसरे साल में ठाणे के विनोद निकम से मेरी शादी हो गई. बीए की पढ़ाई मैं ने शादी के बाद पूरी की. मुझे कुछ करना ही था, मैं खाली बैठ ही नहीं सकती थी. मैं ने ऐरोली में 1 साल एक स्कूल में टीचिंग भी की.
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आप के पति कब मिले और शादी कैसे हुई?
‘‘अरेंज्ड मैरिज है, ससुरजी आए थे सब से पहले मुझे देखने, फिर वही हुआ जैसाकि रस्मोरिवाज चलता रहता है. हमारे गांव में अरेंज्ड मैरिज ज्यादा होती हैं.’’
पति क्या करते हैं?
‘‘नौकरी करते हैं. पति को औफिस में बहुत काम रहता था. घर आ कर भी वे उस में काफी व्यस्त रहते. मुझे लगा कि मैं खाली क्यों बैठी रहूं, मुझे भी कुछ करना चाहिए.
अत: मैं ने अपने पति से कहा कि मैं टैक्सेशन का कोर्स कर लूं? फिर तुम्हारी हैल्प भी कर दिया करूंगी.
‘‘पति ऐसे मिले हैं जिन्होंने हमेशा कुछ करने के लिए प्रेरित ही किया, कभी रोका नहीं. फिर मैं ने 1 साल का टैक्सेशन में डिप्लोमा किया. तब एक बेटा हो चुका था. मैं उस की परवरिश में कुछ समय काफी व्यस्त रही. वह कुछ बड़ा हुआ तो मैं ने एलएलबी भी कर ली. फिर एलएलएम भी कर लिया, 2 साल जौब भी कर ली पर इतना सब सीखनेकरने के बाद भी मेरा मन खुश नहीं था. मुझे लगता कि मुझे इतना सब कर के भी मजा नहीं आ रहा है, मैं खुश नहीं हूं, मुझे कुछ और करना है.’’
जौब कहां की और किस तरह की थी?
‘‘1 साल देशपांडे फर्म में की, ला डिपार्टमैंट में. 1 साल नायर ऐंड कंपनी में की. ला की पढ़ाई में तो मन खूब लगा पर जौब में मन नहीं लग रहा था.’’
अपने खुद के बुटीक का आइडिया कैसे आया?
‘‘अब तक दूसरा बेटा भी हो गया था, मैं ने धीरेधीरे सोसाइटी के ही टेलर से ब्लाउज वगैरह में हुक लगाने का काम लेना शुरू कर दिया, कभी साडि़यों में फौल लगाती. मैं व्यस्त तो रहती पर मेरा मन कुछ और करने के लिए छटपटाता. मुझे हर समय यही लगता कि मुझे यह ला केस की बातें नहीं करनी हैं, मुझे इन से खुशी नहीं मिल रही है, बहुत कन्फ्यूज्ड थी, तब मैं ने एक कोर्स और किया, पर्सनल डैवलपमैंट का. उस के बाद मुझे अपने ऊपर अचानक से कौन्फिडैंस आया. लगा कि मैं अच्छी तरह से सोच लूंगी कि मुझे किस चीज में अब खुशी मिलेगी.
मैं ने अपनी जौब छोड़ दी. लोकल ट्रेन के रोज के सफर से मैं बहुत थकने भी लगी. 2 साल घर से ही सिलाई करती रही. अपने कपड़े खुद सिलने लगी. समझ आने लगा कि मुझे कपड़ों के रंगबिरंगे कलर्स में खुशी मिलती है. अब मैं बहुत उत्साह से अपना काम करती रहती. हमारी बिल्डिंग में नीचे छोटेछोटे सामान रखने के कमरे हैं. मैनेजमैंट ने सोसाइटी में रहने वालों से कहा कि किराया दे कर अगर कोई उन में अपना सामान रखना चाहे तो रख सकता है. पति ने यह बात सुनी तो आकर कहा कि छोटी सी जगह है, अगर वह तुम्हारे काम की हो तो उसे ले सकते हैं. मुझे तो जैसे कोई खजाना मिल गया. मैं ने उस छोटी सी जगह में बैठ कर अपना काम शुरू कर दिया. खूब काम किया. ग्राहक आने लगे, साथसाथ फिर फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया.
उस के बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. 3 फैशन शोज कर चुकी हूं. एशिया का फैशन शो किया जिन के 20 डिजाइनर्स में से एक मैं हूं. सोलो फैशन शो भी किया है. अपने खुद के ब्रैंड का किड्स शो भी किया है.’’
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लौकडाउन के समय कैसे समय बिताया?
‘‘खाली तो कभी नहीं बैठती. इन दिनों मनीष मल्होत्रा का 5 दिन का इलस्ट्रेशन का औनलाइन वर्कशौप किया, बहुत सारी चीजें सीखती रही, किताबें पढ़ीं.’’
स्टाफ कितना है?
पहले 15 लोग थे, अब बुटीक पर 7 लोग हैं, बाहर से काम करने वाले 3 लोग हैं.’’
और क्या क्या शौक हैं?
‘‘मूवीज खूब देखती हूं, घूमने जाना पसंद है, खाली समय में फ्रैंड्स से मिलतीजुलती हूं, पार्टीज करती हूं, फ्रैंड्स खूब हैं, नएनए फ्रैंड्स बनाती हूं.’’
‘जहां चाह, वहां राह,’ कहावत को चरितार्थ करती शीतल कहती हैं, ‘‘अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर लेनी चाहिए, कोई भी शौक हो, उसे पूरा करने में अगर बहुत मेहनत भी हो, तो भी पीछे नहीं हटना चाहिए. अपने सपने सच होने पर जो खुशी मिलती है, उस का आनंद ही कुछ और होता है.’’\
आखिर वह कौन था? सेल्विना का बौयफ्रैंड? मगर क्यों? कनैक्शन क्यों जमा आखिर? अचानक अंधेरे में रोशनी की तरह अपना नेपाली दोस्त अनादि याद आया, कालेज में 3 साल हम अच्छे ही दोस्त थे. अब वह कोलकाता में ही रहता है और सिक्यूरिटी गार्ड सप्लाई संस्थान चलाता है. बैचलर है, घरपरिवार का झंझट नहीं, मेरी मदद कर पाएगा.
हमारे कालेज के वाल्सअप गु्रप में हम सभी जुड़े हैं और इस लिहाज से उस के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी मुझे थी. शाम के 6 बज रहे थे. मैं चल पड़ी उस के ठिकाने की ओर.
पहली मंजिल में उस का औफिस और दूसरी मंजिल में उस का घर था.
वह औफिस में ही मिल गया मुझे.
मुझे देख वह इतना खुश हुआ कि मुझे कुछ हद तक यह भी लगा कि मैं पहले ही इस से अपनी दोस्ती जारी रख सकती थी.
थोड़ी देर की बातचीत और कुछ स्नैक्सकौफी के बाद मैं मुद्दे पर आ गई. मैं ने उस से कहा, ‘‘अनादि, बात उतनी खतरनाक न सही, चिंता वाली तो है. मैं प्रोफैशनल तरीका अपना कर ज्यादा होहल्ला नहीं मचाना चाहती. बस जीजी की खुराफात बंद हो. मैं जानती हूं उस में बदले की भावना बचपन से ही कुछ ज्यादा है. अगर किसी पर उस ने टारगेट बना लिया तो उस की खैर नहीं.’’
मैं ने अपनी शादी और उस लड़के के इनकार की घटना बताई ताकि कुछ सूत्र मिल
सके अनादि को. सारी बातें सुन कर उस की दिलचस्पी जगी, कहा, ‘‘चलो कुछ तो खास
करने का मौका मिला वरना यह बिजनैस ऊबाने वाला है.’’
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‘‘देखो, हमारे पास 2 पौइंट हैं. एक बदला जीजी का, दूसरा जीजू से पीछा छुड़ा कर किसी सुंदर लड़के के प्रेम में पड़ कर अपनी जिंदगी को अपनी मरजी से जीना, तो इन 2 बातों में से कौन सी के लिए जीजी इतनी डैस्परेट है?’’
‘‘आज रात को वह सेल्विना के बौयफ्रैंड को बुला रही है. सेल्विना के स्कूल में जीजी पेंटिंग्स सिखाती है.’’
‘‘बाप रे काफी मसले हैं. हमें क्या
करना है?’’
‘‘समस्या यह है कि जीजी के पास उस वक्त कैसे पहुंचा जाए जब जीजी का बुलाया व्यक्ति वहां मौजूद हो क्योंकि मुझे घर में
देखते ही वह पैतरा बदल देगी और विश्वास में
न लूं तो गेम डबल कर के मुझे उलझएगी.
बेहतर यही होगा कि उसे विश्वास दिलाया जाए कि हम से उसे कोई खतरा नहीं. तो एक बात
हो सकती है तुम मेरे बौयफ्रैंड बन कर मेरे साथ घर चलो.
‘‘जीजू के घर मम्मीपापा को छोड़ जब आ रही थी तो तुम से मुलाकात हुई और कालेज के दिनों से मुझ से प्रेम करने वाले तुम अब मुझे पा कर खोना नहीं चाहते, जीजी हमारी शादी में मदद करे, मम्मीपापा और रिश्तेदारों को समझने में मदद करे. तो हम भी उन की करतूतों पर आंख मूंदे ही साथ रहे हैं,’’ मैं ने प्लान बताया जो जीजी से कहना था.
‘‘ऐसा क्या?’’ नेपाली बाबू ने मेरी ओर बड़ी गहरी दृष्टि डाली.
मुझे कुछ अटपटा लगा. फिर भी मैं ने
सहज रह कर बाकी बातें पूरी की, ‘‘जब
जानेगी कि हमें उस की जरूरत है तो वह हमारा भी फायदा उठाना चाहेगी, और वक्तवक्त पर हमें भी अपनी कारगुजारियों से अनजाने ही अवगत करा देगी. इस के लिए वह कुछ हद तक हमारी ओर से निश्चिंत रहेगी. वह मेरे इस प्रेम वाले कमजोर पक्ष की वजह से मेरी ओर से लापरवाह हो जाएगी क्योंकि उसे लगेगा कि अब मैं ही
खुद अपनी जरूरत के लिए उस के सामन
झकी रहूंगी.’’
अनादि सामान्य दिख रहा था. बोला, ‘‘ग्रेट आइडिया, लैट्स प्रोसीड.’’
रात 9 बजे जब मैं और अनादि घर पहुंचे अपनी चाबी से दरवाजा खोल हम अंदर गए, जीजी के कमरे में लाइट जल रही थी. दोनों बिस्तर पर व्यस्त थे.
लड़का मेरी ही उम्र का लगभग 27 के आसपास, गोरा स्मार्ट और बहुत खूबसूरत था.
हम ने अपना वीडियो कैमरा औन कर लिया.
हमें प्रमाण चाहिए था और इस के लिए ग्रिल वाली खिड़की और परदे की आड़ हमारे लिए काफी थी. जीजी बीचबीच में लड़के से बातें भी करती जाती.
‘‘सेल्विना को वापस जाने को कब कहोगे?’’
‘‘रहने दो न उसे, बेचारी का बहुत पैसा लगा है स्कूल में.’’
‘‘तो मैं तुम्हें कैसे पा सकूंगी. शादी कैसे होगी हमारी?’’
‘‘तुम बड़ी हो उस से 4 साल, मां नहीं मानेगी.’’
‘‘अच्छा तो सिर्फ मजे के लिए मैं?’’ जीजी होश खो रही थी.
जीजी ने आगे कहा, ‘‘और वह नैकलैस लाए?’’
‘‘हां.’’
‘‘हीरे की लौकेट वाला न?’’
‘‘हां बाबा.’’
‘‘कल, 20 हजार ट्रांसफर करने को बोला था बैंक में. किए?’’
‘‘करता हूं.’’
‘‘अभी करो.’’
‘‘इतनी जल्दी क्या है?’’
‘‘फिर इस वीडियो को देखो, सेल्विना तो क्या हर जगह पहुंच जाएगा. अच्छा लगेगा?
तुम्ही बताओ?’’
तनय वीडियो देख कर तनाव में आ कर उठ बैठा, ‘‘तुम मुझे ब्लैकमेल कर रही हो?’’
‘‘नहीं तनय. मैं तो बस सावधान कर रही हूं, सुख मुझे अकेले नहीं मिल रहा है, तुम्हें भी मिल रहा है, तो कुछ तो चुकाओगे न?’’
तनय ने मोबाइल से तुरंत रुपए ट्रांसफ र कर दिए. जीजी शातिर गेम खेल सकती है, मैं जानती नहीं थी. मैं उलझती ही जा रही थी.
हम ने कैमरा बंद कर दरवाजा खटखटाया. दोनों संभल गए. कुछ देर बाद जीजी ने कमरे का दरवाजा खोला.
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हम ने अपनी तय बातें उन के सामने रखीं. जैसाकि पहले से मालूम था वह भी इसी शर्त पर हमारी शादी में मदद को राजी हुई कि घर पर वे कुछ भी करें, हम उस के मामले में न दखल दें, न ही किसी से कुछ कहें.
हम ने उस का आभार माना और अपने कमरे में चले आए. 10 मिनट में अनादि चला गया. तनय भी थोड़ी देर बाद चला गया.
जीजू यानी निहार का संदेश मिला, ‘‘कब आओगी ईशा? साथ ही फोटो भी लाना. वाकई, जीजू ने कमाल किया. बेहद स्मार्ट और स्लिम हो गए. सच प्यार में बड़ी शक्ति है. उन की तसवीर देख चकित थी.’’
पता कर लिया था कि उन्होंने पार्कस्ट्रीट की एक कालोनी में सेल्विना के साथ मिल कर फ्लैट खरीदा था और सेल्विना के साथ तब तक लिवइन में था, जब तक न सेल्विना को भारतीय नागरिकता मिले और उस से कानूनी प्रक्रिया के तहत शादी हो जाए.
अनादि ने मुझे पता करने को कहा कि जीजी का इस तनय के साथ पहले से फेसबुक और चैटिंग का कोई रिश्ता है क्या?
जीजी से यह पूछने की फिराक में थी कि अनादि का संदेश आया, ‘‘ईशा क्या
मेरी बनोगी? बड़ा मिस करने लगा हूं यार तुम्हें.’’
‘‘यह क्या? जीजी के केस के बीच यह नया गेम क्या है?’’
5 फुट 7 ईंच का अनादि देखनेभालने में गोरा, सीधा, सरल नेपाली नहीं. कहती कि मुझे
5 फुट 7 ईंच की हाइट की लड़की के साथ बिलकुल नहीं जमेगा. लेकिन मैं तो…
मैं मन ही मन झल्ला गई. पर कोई जवाब नहीं दिया. क्या पता नहीं क्यों उसे दुखी कर
पाई. उस का हंसता सा चेहरा मेरी आंखों के आगे घूम गया.
आगे पढें- तनय समझ गया था कि वह ..
‘‘मेरीनानी की चचिया सास की बेटी के बेटे ने मेरी बहन से शादी करने को इनकार किया? मेरी बहन से? क्या कमी है तुझ में? मैं उसे छोड़ूंगी नहीं. मैं ने कहा था इस रिश्ते के लिए. मुझे मना करेगा? 2-4 बार उस से इस बाबत पूछ क्या लिया, कहता है कि आप मेरे
पीछे क्यों पड़ी हैं? उस की इतनी हिम्मत?
मुंबई पढ़ने गया था तो प्राइवेट होस्टल में रहने के लिए कैसे मेरी जानपहचान का फायदा लिया.
अब विदेश में नौकरी हो गई, अच्छी सैलरी
मिल गई तो मेम भा रही है उसे. मुझे इनकार. बताऊंगी उसे.’’
‘‘अरे जीजी छोड़ न. मुझे ऐसे भी पसंद नहीं था वह. तुम भी तो हाथ धो कर उस के पीछे पड़ी थी, सभ्य तरीके से मना करने के बाद भी जब तुम साथ नहीं रही थी, तभी उस ने कहा ऐसा. बात समझेगी नहीं तो क्या करे वह और तब जब पहले से ही वह किसी के प्यार में है. अब तो मैं ने भी जौब जौइन की है, कहां उस के साथ विदेश जाऊंगी. फिर मांपिताजी की तबीयत भी ऐसी कि उन्हें अकेला छोड़ा न जाए.’’
‘‘तू चुप कर. रिश्ता सही था या नहीं यह अलग बात है, पर मेरी बात को वह टालने वाला होता कौन है? आज तक किसी ने बात नहीं
टाली मेरी.’’
‘‘अरे जीजी गुस्सा क्यों होती है जब मुझे करनी ही नहीं थी शादी?’’
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‘‘तु चुप करे. एक मेम के लिए मुझे ‘न’ कहा. मैं छोड़ूंगी नहीं उसे और तेरे लिए तो कभी लड़का न देखूं. कुंआरी ही रह.’’
‘‘दीदी क्यों खून जलाती है अपना? देखो 30 साल की उम्र में ही तुम कितनी चिड़चिड़ी
हो गई हो. वीपी हाई हो जाएगा. बीमार पड़ोगी
तो कंसीव नहीं कर पाओगी. जीजू कुछ कहते नहीं तुम्हें?’’
‘‘तु चुप कर. क्या कहेगा वह? उस की मम्मीपापा के भरोसे चलती थी उस की जिंदगी, अब दोनों गए ऊपर तो मेरा ही मुंह ताकता है. औफिस से घर और घर से औफिस, आता ही क्या है उसे? मुझे कहेगा?’’
जीजी को लगता कि दुनियाजहान का सारा भार जीजी के ही कंधों पर है. पहले हम दोनों
का साझ कमरा था. 3 साल हुए इधर जीजी की शादी हुई और दादादादी भी इहलोक सिधार गए. तब से उन लोगों का कमरा जीजी के नाम किया गया है.
ज्यादातर जीजी अपने भोलेभाले जरा गोलमटोल पति को रसोइए के जिम्मे छोड़ यहां आ जाती. यहां हम सब पर राज करने की पुरानी आदत उस की गई नहीं थी. जीजी के कमरे से फोन पर बात करने की आवाजें आ रही थीं.
‘‘क्यों, छोड़े क्यों? ऐसे ही छोड़ दें? निकालती हूं हवा उस की.’’
उधर शायद जीजी की वह सहेली थी जिन के पति वकील थे. बात नहीं बनी शायद. जीजी ने फोन रख दिया.
बड़ी उतावली हो वह ऐसे किसी सज्जन
को ढूंढ़ रही थी जो जीजी की बात न मान कर जीजी को अपमानित करने वाले दुर्जन की हवा निकाल सके. कौन मिलेगा ऐसा. जीजी सोच में पड़ी थी.
मैं जीजी के कमरे में गई. उसे शांत करने का प्रयास किया, ‘‘जीजी, यह कोई इशू नहीं
है, तुम ईगो पर क्यों लेती हो? तुम अब इस प्रकरण को बंद करो. मुझे नहीं करनी थी कोई शादी… अभी बहुत जल्दीबाजी होगी शादी की बात करना.’’
‘‘मत कर शादी. मैं तेरे लिए लड़ भी नहीं रही. मेरी बात टाल जाए, मुझ से ही काम निकाल कर वह भी विदेशी मेम के लिए? यह गलत है. मैं होने नहीं दूंगी.’’
‘‘बड़ी अडि़यल और बेतुकी है जीजी.’’
‘‘हूं. तुझे उस से क्या तू अपने काम से
काम रख.’’
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इस के 2 दिन बाद शाम को जीजी अपना फोन लाई. मुझ से कहा इन तसवीरों में सब से अच्छी वाली कौन सी है?
‘‘क्यों?’’
‘‘तु बता न.’’
‘‘यह वाली. मगर यह तो 4 साल पुरानी तसवीर है, करोगी क्या इस का?’’
‘‘एक दूसरी एफबी प्रोफाइल खोल कर उस में मेरी सारी पुरानी पेंटिंग्स डालूंगी.’’
‘‘अरे वाह. सच जीजी. यह हुई न बात. यह प्लान बढि़या है.’’
जीजी ने नया प्रोफाइल खोला और अपनी पुरानी पेंटिंग्स की तसवीरें खींच कर उस में डालती रही. वैसे समझ नहीं पाईर् कि पेंटिंग्स पुराने एफबी प्रोफाइल में क्यों नहीं डालीं? जीजी को यहां आए 20 दिन तो हो ही चुके थे. जीजू के लिए हम सब को चिंता होती. वहां अकेले उन्हें दिक्कत होती थी. लेकिन जीजी से इस बारे में कुछ कहो तो उस का उत्तर होता, ‘‘हांहां, मैं तो हूं ही पराई. अब तू ही यहां राज कर. यहां रहने के खर्च देने पड़ेगा क्या? यह मेरा भी घर है. मेरा इस पर हक है.’’
महीनाभर हो गया तो जीजू ही आ गए. मुहतरमा ने वापस जाने को ठेंगा दिखा दिया. जीजू वापस चले गए. जीजी को लगातार फोन पर व्यस्त देखती. कोलकाता के जिस मार्केटिंग एरिया में हम रहते हैं वहां शाम होते ही बाजार और दुकानों में गहमागहमी रहती है. पहले जीजी के साथ अकसर मैं भी मार्केटिंग को निकला करती थी. लेकिन अब तो जीजी का फोन ही सबकुछ था. कुछ दिनों बाद जीजी ने निर्णय सुनाया कि वह एक जगह पेंटिंग्स सिखाने को जाना चाहती है. कह दिया और शुरू हो गई.
जीजू के लिए वाकई मैं चिंतित थी. एक सीधासरल इंसान इस तरह बेवजह रिश्ते की उलझन में फंस जाए. अफसोस की बात थी. जीजू को एक दिन मैं ने फोन किया और उन से जीजी के बारे में बातें कीं.
‘‘मैं क्या कह सकता हूं? मेरी बातों को वह मानती नहीं, न ही इन 3 सालों में उस का अपनों से कोई लगाव देखा.
‘‘दुनिया रुकती नहीं है ईशा, मेरी भी दुनिया चल रही है. उसे मेरी फिक्र नहीं है… कुछ बोलूं तो खाने को दोड़ती है…’’
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जीजी पार्क स्ट्रीट के ड्राइंग पेंटिग स्कूल में क्लास लेने जाने लगी थी. जीजी ने एक विदेशी बाला से मिलवाया. 26-27 की होगी. गोल्डन बालों में वह एशियन लड़की भारतीय सलवार सूट बड़े शौक से पहने थी.
जीजी ने इंग्लिश में परिचय कराया तो रशियन लड़की मुझ से गले मिली. फिर उस ने टूटीफूटी हिंदी में जो भी कहा उस का सार यही था कि वह अपने होने वाले पति के लिए सब छोड़ आईर् थी. लड़का अभी कोलकाता के किसी मल्टीनैशनल ग्राफिक्स डिजाइनिंग ऐंड कंपनी में काम करता है.
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करीब 35 वर्षों से मौडलिंग और थिएटर से कैरियर की शुरुआत कर टीवी सीरियलों व फिल्मों में अपनी एक अलग मौजूदगी दर्ज करा चुकी अदाकारा किट्टू गिडवाणी ने हिंदी के अलावा इंगलिश व फ्रेंच भाषा में भी अभिनय किया है. इन दिनों वे वैब सीरीज ‘पाटलक’ में नजर आ रही हैं.
प्रस्तुत हैं, किट्टू गिडवाणी से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:
अपनी अब तक की अभिनय यात्रा को किस तरह से देखती हैं?
मेरी अभिनय यात्रा काफी रोचक व रचनात्मक रही. मैं ने थिएटर, टीवी, फिल्म व ओटीटी प्लेटफौर्म सहित हर प्लेटफौर्म पर बेहतरीन काम किया. मुझ पर कोई इमेज चस्पा नहीं हो सकी. मैं वर्सेटाइल कलाकार हूं. मुझे सदैव रंगमंच पर काम करने में आनंद की अनुभूति होती है. मुझे बेहतरीन टीवी कार्यक्रमों में काम करना पसद है. फिल्में करना पसंद है. जहां मैं ने ‘फैशन’ सहित कुछ फिल्में करते हुए ऐंजौय किया, तो वहीं मैं ने ‘तृष्णा,’ ‘स्वाभिमान,’ ‘जुनून,’ ‘एअरहोस्टेस’ और ‘खोज’ जैसे सीरियल करते हुए काफी ऐंजौय किया. मुझे नहीं लगता कि मेरी तरह सभी कलाकार हर माध्यम में काम करने में सहज हों. मैं ने लंदन व पैरिस जा कर फिल्म व रंगमंच पर काम किया. मैं ने लंदन में एक इंगलिश नाटक में अभिनय किया. फ्रांस में मैं ने 2 फ्रेंच फिल्मों में अभिनय किया.
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1985 में कैरियर शुरू किया था. उन दिनों जिस तरह के सीरियल किए थे, उन से इस में क्या अंतर पाती हैं?
‘‘‘स्वाभिमान’ 1995 में किया था. उस से पहले ‘एअरहोस्टेस’ सहित कई सीरियल किए थे. वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता है. लोगों की सोच बदलती है. ऐक्सपोजर जितना अधिक होता है, उस के अनुसार बहुत कुछ बदलता है. जैसेकि हम ने ‘पाटलक’ में अप्पर मिडल क्लास परिवार को लिया है. इसलिए ‘पाटलक’ के साथ ‘स्वाभिमान’ को जोड़ कर नहीं देख सकते. ‘स्वाभिमान’ उच्चवर्ग की कहानी है. उन दिनों हम सारे संवाद हिंदी में बोलते थे. अब तो हम हिंदी व इंगलिश मिश्रित संवाद बोलते हैं. हर जमाने में रचनात्मकता बदलती रहती है. हर जमाने में अच्छाई व बुराई भी होती है. ऐसे में एक वक्त के सीरियल की तुलना दूसरे वक्त के सीरियल से करना ठीक नहीं है. पहले जब हम वीकली सीरियल करते थे तो उन दिनों बजट कम होता था, जबकि अब बजट काफी बढ़ गया है.’’
मेरा सवाल कलाकार के तौर पर संतुष्टि को ले कर है?
देखिए, कलाकार के तौर पर मुझे संतुष्टि ‘स्वाभिमान’ में भी मिली थी और ‘जुनून’ में भी. मैं ने काम करते हुए काफी ऐंजौय किया था. अब ‘पाटलक’ कर के भी काफी संतुष्टि मिली. मेरे लिए प्रोजैक्ट अच्छा होना चाहिए, तभी मैं उस के साथ जुड़ती हूं. फिर वह प्रोजैक्ट चाहे फिल्म हो, थिएटर हो या सीरियल हो अथवा वैब सीरीज हो, हर प्रोजेक्ट की अपनी एक जान होती है. मेरी राय में हर कलाकार संतुष्टि के पीछे ही भागता रहता है.
वैब सीरीज ‘पाटलक’ से जुड़ने के लिए आप को किस बात ने प्रेरित किया?
इस की पटकथा काफी सुंदर है. निदेशक काफी समझदार हैं. वे पूरे 10 वर्षों तक अमेरिका में रहने के बाद भारत वापस आई हैं. संवादों का स्टाइल काफी नैचुरल/स्वाभाविक है. इस में हास्य के पल भी हैं. इन सारी बातों ने मुझे इस के साथ जुड़ने के लिए आकर्षित किया.
‘पाटलक’ में आप का किरदार?
निजी जीवन में मेरी अपनी कोई संतान नहीं है. मगर वैब सीरीज ‘पाटलक’ में मैं ने प्रमिला शास्त्री का किरदार निभाया है, जिन के 2 बेटे व
1 बेटी है. बेटों की शादी हो चुकी है, पर बेटी की शादी की उसे चिंता है. इस में सिचुएशनल कौमेडी है, जो आजकल कम देखने को मिलती है.
आप ने कई बेहतरीन फिल्में व सीरियल किए पर बीच में काफी समय तक गायब रहीं?
ऐसा न कहें. मैं गायब तो नहीं हुई. देखिए, जब मुझे अच्छी फिल्म या सीरियल करने का अवसर मिलता है, तो मैं करती हूं. महज संख्या गिनाने के लिए कोई भी फिल्म या सीरियल नहीं करती. मैं अच्छा काम नहीं मिलता तो नहीं करती. मैं जबरन खुद को व्यस्त रखने में यकीन नहीं करती.
यह सच है कि मैं ने लंबे समय से टीवी करना बंद कर रखा है. मैं ने पिछले 15 वर्षों से सीरियल नहीं किए हैं. इस की मूल वजह यह है कि अब टीवी का कंटैंट ही अच्छा नहीं है. सच कह रही हूं. और आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगे कि अब टीवी का कंटैंट काफी बुरा हो गया है. मैं अपने कैरियर के इस मुकाम पर ‘सासबहू मार्का’ सीरियल नहीं कर सकती. मैं किचन पौलीटिक्स वाले सीरियलों में फिट ही नहीं होती. ऐसे सीरियलों में कलाकार के तौर पर मेरे लिए कोई जगह ही नहीं है.
इन दिनों नारी स्वतंत्रता, फैमेनिजम आदि की काफी चर्चा हो रही है. आप के लिए फैमेनिजम क्या है?
फैमेनिजम को परिभाषित नहीं किया जा सकता. हर औरत की अपनी एक यात्रा होती है, हर औरत के लिए फैमेनिजम की अपनी परिभाषा होती है. फैमेनिज्म के बारे में हर किसी का एक सिद्धांतवादी दृष्टिकोण होता है. मुझे नहीं लगता कि किसी को मुझे बताने की जरूरत है कि फैमेनिजम क्या है. मेरे लिए फैमेनिजम की परिभाषा यह है कि मैं एक औरत होने के नाते जो करना चाहूं, वह कर सकूं. जो मुझे सही लगता है, उसे ले कर मैं किसी को भी उस का फायदा लेने नहीं दूंगी. मैं अपनी क्षमता के अनुरूप काम करती रहूंगी. किसी भी संस्था को अधिकार नहीं है कि वह फैमेनिजम को परिभाषित करे.
स्टार प्लस के टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी दिलचस्प मोड़ लेने को तैयार है. जहां एक तरफ सई और विराट की नजदीकियां बढ़ रही है तो वहीं पाखी की जलन भी कम नही हो रही है, जिसके चलते वह विराट-सई के बीच गलतफहमियां बढ़ाने की कोशिश कर रही है. लेकिन अब सई और विराट की जिंदगी में एक नया शख्स आने वाला है, जिससे दोनों की जिंदगी बदल जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
सई मानेगी भवानी की बात
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अब तक आपने देखा कि पाखी और सोनाली के भड़काने पर भवानी, अश्विनी के फैसले के खिलाफ बड़ा कदम उठाती है और सई को विराट के साथ एक कमरे में रहने के लिए कहती है. साथ ही उसे अगली दीवाली तक वारिस देने की भी बात कहती है, जिसे सुनकर सई टूट जाती है. लेकिन विराट उसे समझाता है कि एक कमरे में रहने के बाद भी उनकी दोस्ती नही टूटेगी. वहीं विराट की बात सुनने के बाद भवानी की बात मान जाएगी.
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विराट का लौटेगा पहला प्यार
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अपकमिंग एपिसोड की बात करें तो हाल ही में एक प्रोमो जारी किया गया है, जिसमें विराट कहता नजर आ रहा है कि बरसों बाद उसका प्यार जिंदगी में वापस आने वाला है. हालांकि सई के साथ वह अपने नए रिश्ते की शुरुआत करने के लिए तैयार है. लेकिन उस शख्स के आने से क्या दोनों का रिश्ता पहले जैसा रह पाएगा. इसे सुनकर सभी परेशान हैं.
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पाखी का प्लान होगा फेल
दूसरी तरफ आप देखेंगे कि सई और विराट को एक बार फिर अलग करने के लिए प्लान बनाती नजर आएगी और विराट के कमरे में बुरे सपने का बहाना बनाकर आ जाएगी और विराट उसे अकेले न रहने की सलाह देगा, जिसके चलते वह उसे सई के साथ रहने के लिए कहेगा, जिसे सुनकर पाखी के सारे सपने टूट जाएंगे.
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पूनम मेटकर
ब्यूटीशियन व मेकअप आर्टिस्ट
कभी दीवारों पर अपने हाथ से एक पेपर पर लिख कर अपने पार्लर का ऐड करने वाली पूनम मेटकर से जब इस इंटरव्यू को करने के लिए समय मांगा तो उन्होंने खुशीखुशी अपने बेहद व्यस्त रूटीन को मैनेज कर ठाणे स्थित अपने खूबसूरत बड़े से पार्लर ‘चार्मी हेयर ऐंड ब्यूटी सैलून’ में आने के लिए कहा.
पेश हैं, उन से हुए कुछ सवालजवाब:
सब से पहले अपनी पढ़ाईलिखाई और परिवार के बारे में बताएं?
मैं मालेगांव, महाराष्ट्र से हूं, मायके में मम्मीपापा और हम 2 भाई, 3 बहनें हैं, मैं दूसरे नंबर की संतान हूं, पापा की ग्रौसरी की शौप थी. खाने वाले ज्यादा, कमाने वाले एक पापा. आर्थिक स्थिति ऊपरनीचे होती रहती थी. मुझे हर चीज को सजानेसंवारने का बचपन से ही बहुत शौक था. मैं पेंटिंग्स बनाती थी. पेंटिंग्स बेचने पर कुछ आमदनी हो जाती. मुझे यह धुन बचपन से थी कि मुझे कुछ करना है, कोई बिजनैस करना है. घर में खाली नहीं बैठूंगी. मैं ने इंग्लिश में एमए किया है. मेरी स्पोर्ट्स में भी बहुत रुचि थी. मैं अपनी यूनिवर्सिटी की फुटबाल टीम की कप्तान रही हूं. पापा ने कभी रोका नहीं, जो करना चाहा करने दिया.
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शादी कैसे हुई, पति क्या करते हैं और ससुराल से कैसा सपोर्ट मिला?
अरैंज्ड मैरिज थी. पति जीएसटी में असिस्टैंट कमिश्नर हैं. एमए करते ही शादी हो गई थी. मुझे कुछ करना ही था, मैं ने एयर होस्टेस बनने के लिए 1 साल का कोर्स भी किया, पर मैं प्रैंगनैंट हो गई तो इस काम के बारे में मुझे सोचना बंद करना पड़ा. फिर मैं ने मेकअप का 6 महीने का बेसिक कोर्स किया. 9 महीने के बच्चे के साथ 6 महीने का कोर्स करने में मुझे डेढ़ साल लग गया. पति ने हमेशा मुझे बहुत सपोर्ट किया.
फिर मैं ने घर में ही अपने बैडरूम में ही 1 साल ब्यूटीपार्लर का काम किया. बहुत लेडीज आने लगीं. किसीकिसी को मैं ने फ्री सर्विस भी दी. मैं चाहती थी कि एक बार लोग आएं और मेरा काम देखें. मुझे पता था कि कोई लेडी एक बार मुझ से अपना फेशियल करवा लेगी तो वह जरूर दोबारा मेरे पास आएगी.
मुझे अपने काम करने के ढंग पर पूरा भरोसा था. वही हुआ, जो एक बार आई वह दोबारा अपनेआप आई. उन दिनों की मेरी क्लाइंट्स आज भी मुझ से ही फेशियल करवाती हैं. मैं कितनी भी बिजी रहूं, वे मेरा इंतजार करती हैं. 20 साल हो गए वे मेरे पास ही आती हैं.
ससुराल में जौइंट फैमिली है. ससुर डाक्टर हैं. आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी है. मैं 7 बहुओं में छठे नंबर पर हूं. जब मैं ने अपने पार्लर की इच्छा बताई तो किसी ने सपोर्ट नहीं किया, सब का कहना था कि क्या जरूरत है, आराम से रहो. मुझ पर तो अपने पैरों पर खड़े होने की धुन सवार थी. मैं नहीं रुकी. पति ने बहुत साथ दिया. बहुत काम किया, खूब कोर्स किए, बहुत काम सीखा. जावेद हबीब के हेयर कट का कोर्स किया.
आज भी जहां भी कोई कोर्स, वर्कशौप होती है, मैं अटैंड करने की पूरी कोशिश करती हूं. बौलीवुड के मेकअप आर्टिस्ट पंडरी दादा जुकर से मैं ने बहुत कुछ सीखा है. सिम्मी मकवाना के साथ काम किया है. कुछ अरसा पहले अहमदाबाद में इंडिया की टौप मेकअप आर्टिस्ट ऋ चा दवे से 10 दिन की ट्रेनिंग ली. यह फील्ड ऐसी है जहां पढ़ाई कभी खत्म नहीं होती, रोज कुछ न कुछ नया आता रहता है, बहुत कुछ सीखने के लिए रहता है.’’
लौकडाउन में कैसा समय बीता?
औनलाइन क्लासेज कीं. घर में ही प्रैक्टिस की. वर्कहोलिक हूं, खाली नहीं बैठ सकती. मेकअप करने का तो इतना शौक है कि कोई रात में नींद से उठा कर भी कहे कि मेकअप कर दो तो भी खुशीखुशी करूंगी. बहुत ऐंजौय करती हूं मेकअप फील्ड का.
कितना स्टाफ है?
पहले 7-8 लड़कियां थीं, अब लौकडाउन के बाद 4 ही हैं. मेरे यहां जो मेड्स हैं, मैं उन की लड़कियों को भी पार्लर में बुला कर कोई न कोई काम सिखाती हूं ताकि वे जब चाहें अपना कोई काम कर सकें. वे घरघर बरतन धोने जाएं, उस से अच्छा मैं उन्हें छोटीछोटी चीजें सिखा दूं. उन्हें साफसुथरी जगह रह कर पैसे मिल जाते हैं और मुझे यह संतोष रहता है कि मैं ने किसी गरीब लड़की को कोई चीज सिखा दी. लौकडाउन के टाइम पूरे स्टाफ के घर राशनपानी भेजती रही.
मुझे लड़कियों, महिलाओं को आगे बढ़ते हुए देख बड़ी खुशी होती है. मैं चाहती हूं कि सब कुछ न कुछ करें, खाली बैठ कर अपना टाइम खराब न करें.
टाइम के साथ इतना सब सीखते हुए, इतनी मेहनत से आगे बढ़ते हुए, इतने खूबसूरत पार्लर में व्यस्त रह कर लाइफ में कितना चेंज आया है?
एक टाइम था जब ठाणे से मुंबई की कितनी ही जगहों पर अपने पार्लर का सामान लेने लोकल ट्रेन में आयाजाया करती थी. मेरे 2 बेटे हैं. एक बार तो प्रैगनैंसी टाइम में मैं लोकल ट्रेन से दोनों हाथों में सामान भर कर वापस आ रही थी. इतनी भीड़ थी कि मैं ठाणे स्टेशन पर उतर ही नहीं पाई. डोंबिवली चली गई. उस दिन की परेशानी नहीं भूलती. आज जब अपनी कार और ड्राइवर ले कर बाहर निकलती हूं तो कई बार वे दिन भी याद आ ही जाते हैं. ऐसा लगता है जैसे अपने बैडरूम से एक पार्लर तक का लंबा सफर तय किया है. अभी यहां रुकना थोड़े ही है. अभी बहुत कुछ है जिसे सीख कर आगे बढ़ती रहूंगी.
ससुराल के जिन लोगों ने उस समय सपोर्ट नहीं किया, वे आज क्या कहते हैं?
अब वे घर की बाकी बहुओं से कहते हैं कि देखो पूनम को. ऐसे अपना शौक पूरा करना चाहिए. देखो कितनी मेहनत से आज भी अपने काम में व्यस्त है, उस से सीखो कुछ. सब बहुत तारीफ करते हैं. मेरे बारे में सब को गर्व से बताते हैं.
आप अपने फ्यूचर को कहां देखती हैं?
बहुत आगे, अभी अपने पार्लर की ब्रांचेज खोलूंगी, अभी तो मुझे यही सब जानते हैं, एक दिन ऐसा होगा कि मेरे सेमीनार हो रहे होंगे और 100-200 लोग सीखने के लिए आएंगे. मैं रातदिन एक कर रही हूं, -पूनम अहमद द
सवाल-
मेरा उम्र 25 साल है और मुझे लंबे बालों का बहुत शौक है पर ये लंबे ही नहीं होते. मैं काफी तेल लगा चुकी हूं पर कोई असर नहीं होता?
जवाब-
बालों को लंबा करने के लिए सब से पहले खाने में ध्यान देने की जरूरत है. बाल हार्ड प्रोटीन से बने होती हैं यानी कैराटिन से. इसलिए खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ानी बहुत जरूरी है. दालों को अंकुरित करने से प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है.
लंबे बालों के लिए बादाम, फूलगोभी, मशरूम और अंडे में मिलने वाला बायोटिन एक जरूरी विटामिन है जो बालों को लंबा करने में फायदेमंद साबित होता है. बालों को लंबा करने के लिए हैड मसाज करना भी जरूरी है जिस के लिए कोई अरोमा थेरैपी औयल जिस में रोजमैरी, लैवेंडर सम्मिलित हों. इस से मसाज करने से बाल जल्दी लंबे होने लगते हैं. मसाज करने के बाद बालों को स्टीम दें तो औयल जल्दी अंदर चला जाता है. स्टीम के लिए एक टौवेल को गरम पानी में डाल कर निचोड़ लें और फिर उस से सिर को तब तक ढक लें जब तक वह ठंडा न हो जाए. अगर जल्दी से बालों को लंबा दिखाना चाहती हैं तो हेयर ऐक्सटैंशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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अगर आप भी लंबे बालों की ख्वाहिश रखती हैं तो इसके लिए आज हम आपको कुछ घरेलू उपाय बताएंगे. इसे आप आजमा कर सुन्दर और लंबे बाल पा सकती हैं. इससे आपके बालों को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा. आप बेझिझक इन घरेलू उपायों को अपना सकती हैं. आइए बताते हैं.
1. लंबे बालों के लिए सप्ताह में दो बार हेड मसाल लेना न भूलें. इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. ब्लड सर्कुलेशन का बेहतर होना, बालों की ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है.
2. दो केले ले लें. इन्हें अच्छी तरह से मैश करके एक पेस्ट बना लें. इस पेस्ट में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला लें. आप चाहें तो अंडे की जर्दी भी इसमें डाल सकती हैं. इसे अच्छी तरह फेंट लें. इस पेस्ट को स्कैल्प में अच्छी तरह लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें. कुछ देर बाद हल्के गुनगुने पानी से बाल धो लें. कुछ सप्ताह नियमित रूप से ऐसा करने पर आपको फर्क साफ नजर आने लगेगा.
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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे… गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
सुमति जब नींद से उठी, तो उसकी आँखों के आगे दिवार पर कुछ काले-काले धब्बे दिखाई पड़ रही थी, ऐसा लग रहा था मानों आँखों में कुछ डाला गया हो. सुमति को कुछ पता नहीं चल पा रहा था और हर चीज उसे धुंधली दिख रही थी.सुमति ने घर में पड़ी ऑय ड्राप दो से तीन बार डाली, जिससे धीरे-धीरे आँख कुछ ठीक हुआ, लेकिन फिर आँखों में खून के थक्के दिखाई पड़ने लगी. मोबाइल की बटन भी धुंधली थी. अब उसे चिंता सताने लगी और वह आंख के डॉक्टर के पास गयी, जहाँ उसे डॉक्टर ने जांच की और उसे कुछ जांच करवाने की सलाह दी. जांच के बाद पता चला कि उसकी शुगर लेवल 204 थी, जिसे काफी अधिक माना जाता है. सुमति अब डायबिटीज की डॉक्टर के पास गयी, जहाँ उसे नियमित मधुमेह की दवा लेने की सलाह दी गयी, लेकिन तब भी सुमति अपनी आँखों को लेकर चिंतित थी, क्योंकि आज हर काम के लिए मोबाइल का प्रयोग करना पड़ता है, ऐसे में आँखों पर अधिक जोर पड़ने से उसकी आँखों में दर्द भी होता था, लेकिन नियमित डॉक्टर की सलाह और दवा से वह कुछ ठीक हुई है.
असल में डायबिटीज रोगी की आँखों में सामान्य व्यक्ति की तुलना में रौशनी गवाने की आशंका 20 गुना अधिक होती है. इसलिए समय रहते अगर इसे काबू में न किया जाय, तो आँखों की समस्या बढती जाती है. डायबिटीज की वजह से होने वाली आँखों की इस समस्या को रेटिनोपैथी कहा जाता है. इस बीमारी के लगातार बढ़ने और जागरूकता को बढ़ाने के लिए हर साल 14 नवम्बर को‘वर्ल्ड डायबिटीज डे’ मनाया जाता है.
इस बारें में ‘साईटसेवर्स’ संस्था की ऑय एक्सपर्ट डॉ. संदीप बूटान कहते है कि भारत में मधुमेह के रोगी तेजी से बढ़ता जा रहा है और अब तक यह6.5 करोड़ वयस्कों को प्रभावित कर चुका है. इस रोग से प्रभावित होने वाली रोगियो की संख्या वर्ष2045तक बढ़कर 13 करोड़ से अधिक होने की संभावना है. डायबिटीज के सभी केसेज में लगभग हर पाँचवे व्यक्ति को आँखों से संबंधित कुछ गंभीर समस्याएँ विकसित होने की संभावना होती है, इन सभी समस्याओं में से सबसे ज्यादा होने वाली समस्या डायबिटिक रेटिनोपैथी की है. डायबिटिक रेटिनोपैथी पहले से ही दक्षिण एशिया में कम दृष्टि और अंधेपन का एक महत्वपूर्ण कारण रहा है. यह रोग तब तक बढेगा, जबतक डायबिटिक रेटिनोपैथी के मामलों को कम करने और इसके इलाज को प्रभावी तरीके से अपनाया नहीं जाता.
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शुरूआती लक्षण
ज्यादातर शुरुआती केसेज में आँखोंपर किसी प्रकार के महत्वपूर्ण लक्षण नहीं दिखाई देते. कुछ मामलों में, आँखों के सामने छोटे-छोटे काले धब्बे दिखाई दे सकते है और केवल कुछ रोगियों को ही धुंधली दृष्टि की शिकायत हो सकती है, क्योंकि ये शुरूआती मैकुलर एडीमा (आँखों के पीछे की तरफ सूजन) के लक्षण है.
रोकने के उपाय
डॉ संदीप का आगे कहना है कि शुरूआती दिनों में, आँखों की गंभीर समस्याओं के विकास और इसे फैलने से रोकने के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर पर सख्त नियंत्रण रखना बहुत ही महत्वपूर्ण है. आँखों में शुरुआती बदलावों (आँखों के पीछे की ओर छोटी रक्त वाहिकाओं से रिसाव) का उपचार लेजर थेरेपी से किया जा सकता है और रेटिना (मैक्यूलर ऐडिमा) के केंद्रीय भाग में सूजन आने की स्थिति में, इंट्रा-विट्रियल इंजेक्शन की आवश्यकता पड़ सकती है.अधिक गंभीर मामलों में, बड़ी रेटिनल सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन इसके द्वारा रोग का सफलतापूर्वक निदानहोने की संभावना बहुत ही कम होती है. डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए किसी भी उपचार का परिणाम काफी हद तक उस चरण पर निर्भर करता है, जिसमें इसका इस्तेमाल किया जाता है, खासकर शुरूआती चरणों में इसके सफल होने की संभावनाएँ अधिक होती है.
रोगियों की बढती संख्या
डायबिटीज के रोगियों में, रोग की बढ़ती अवधि के दौरान रेटिनोपैथी के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है. डायबिटीज के लगभग 10 से 25 प्रतिशतरोगियों में रेटिना में परिवर्तन होने की संभावना होती है और इनमें से लगभग दसवें भाग तक के रोगियों में एडवांस्ड स्टेज में होती है, जिन्हें जल्दी उपचार कराने की जरुरत होती है.
क्या है सही इलाज
डॉ. संदीप कहते है कि डायबिटिक रेटिनोपैथी की सही ट्रीटमेंट इसे जल्दी पता कर औरमेटाबोलिज्म को कंट्रोल कर इलाज करवाना है. इसके अलावा नियमित और विस्तृत नेत्र परिक्षण हर साल करवाने से इसका जल्दी पता चल जाता है. मुख्य बीमारी को नियंत्रण में रखने के लिए उचित आहार,सही आदतें और जीवनशैली में बदलाव भी इस बीमारी की गति को रोकने में सफल होती है, साथ ही समय पर रोज डायबिटीज की दवा लेना और शुगर लेवल चेक करना भी जरुरी है, खासकर महिलाओं को इस बारें में अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है.
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