शाह परिवार से दूर हुई Anupama में घुसा भूत, देखें वीडियो

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में वनराज और बा के इल्जामों ने अनुपमा को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है, जिसके कारण वह अपने मायके चली गई है. हालांकि अभी भी उसकी जिंदगी में प्रौब्लम खत्म नहीं हुई है. लेकिन अब अनुज, अनुपमा का साथ देने के लिए खड़ा होने वाला है. लेकिन इसी बीच अनुपमा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें अनुपमा का अलग रुप सामने आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो

Halloween में भूत बनीं अनुपमा

 

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अनुपमा यानी रुपाली गांगुली की एक वीडियो में वह आत्मा की तरह अपने घर के चक्कर लगा रही है. दरअसल रुपाली गांगुली Halloween का जश्न मनाते हुए अंधेरे में मोमबत्ती लेकर घूमती नजर आ रही हैं, जिसके बाद वह खुद को क्रेजी बताती नजर आ रही हैं. वीडियो देखने के बाद जहां कुछ फैंस डर गए हैं तो वहीं कुछ फैंस के मजेदार रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं.

 

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तलाकशुदा का टैग लाएगा अनुपमा की जिंदगी में मुसीबत

 

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सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो अनुपमा (Anupama) अपनी मां के घर से निकलकर अपने लिए नया घर ढूंढेगी. लेकिन इस सफर में भी उसके लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी होगी. दरअसल, अनुपमा अपने लिए किराए का घर ढूंढेगी. लेकिन तलाकशुदा होने की बात जानते ही मकानमालिक अनुपमा को घर देनें से मना कर देंगे. दूसरी तरफ काव्या, बा से अनुपमा के नाम की प्रौपर्टी अपने नाम करवाने की बात करेगी.

 

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काव्या को मिलेगी शाह परिवार की जिम्मेदारी

 

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अब तक आपने देखा कि शाह हाउस से निकलने के बाद अनुपमा (Anupama) अपनी मां के घर पहुंची. जहां उसके भाई औऱ मां ने फैसले पर अपनी सहमति जताई. वहीं अनुपमा के जाने के बाद बापूजी की तबीयत खराब देखने को मिली. हालांकि वनराज, काव्या को परिवार का ख्याल रखने की जिम्मेदारी देते हुए नजर आता है.

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दोनों ही काली: भाग 4- क्यों पत्नी से मिलना चाहता था पारस

लेखक- जीतेंद्र मोहन भटनागर

 राबर्ट पारस के ठीक सामने खड़ा हो कर उस की आंखों में अपनी आंख डालता हुआ बोला, ‘‘तू मुझे मार डालना चाहता है तो ले मैं तेरे सामने खड़ा हूं… मार डाल मुझे. लेकिन जिस कारण से तेरी आंखों में खून उतर आया है, उस का जिम्मेदार तेरे भीतर उपजा शक का बीज है.

‘‘जब से दोनों जुड़वां बच्चियां मेरे काले रंग से मिलतीजुलती पैदा हुई हैं तुझे लगता है कि वह मेरे और नलिनी के बीच अवैध संबंधों का नतीजा है. इसी कारण तुम ने नलिनी और बच्चों को मां के पास पटक

कर अपने बैंक क्वार्टर में रहने की ठान ली और मिलनाजुलना तक बंद कर दिया.’’

‘‘हां मेरी सोच गलत नहीं है. नलिनी की कोख में अगर तुम्हारा बीज न गया होता तो इतने काले बच्चे पैदा ही नहीं होते. क्या यह गलत है कि मेरी अनुपस्थिति में तुम हर दूसरे दिन उस से मिलने चले आते थे?’’

‘‘यह सच है कि तुम्हारा बैंक क्वार्टर मेरी वैलफैयर सोसाइटी के औफिस जाने के मार्ग में पड़ता था तो मैं नलिनी के हाथ से बनी काफी पीने और हाल चाल लेने के लिये तुम्हारे घर जाकर बैठ जाता था.’’

‘‘लेकिन तुम्हारी नियत सही नहीं थी.’’

अब मेरी नियत सही थी या गलत ये तो या नलिनी जानती है या मेरा जमीर.

‘‘इस की परख तो डीएनए टेस्ट से हो सकती है क्योंकि मैं ने कभी इस एंगिल से सोचा ही नहीं कि तुम्हारा नलिनी से भी संबंध कायम हो सकता है. फिर दोनों बच्चों का तुम्हारे रंग का होना भी एक सवाल तो खड़ा करता ही है. पारस भाईसाहब अगर न आए होते तो मै पत्र पढ़ कर नलिनी से यही सचाई जानने का प्रयास कर रही थी और वो कुछ बताने ही जा रही थी तभी.

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‘‘इसलिए हम सब के साथ तुम्हारा डीएनए टेस्ट होना बहुत

जरूरी है क्योंकि एकांत के क्षणों में 2 विपरीत लिंगी लोगों में सैक्स की इच्छा उठना और उस का क्रिया मे तब्दील हो जाना कोई नई बात नहीं है.’’

‘‘ठीक है अगर तुम भी मुझ पर शक कर रही हो तो मैं अपना भी डीएनए टैस्ट करवाने को तैयार हू. पर इस बार में स्टैम्प पेपर पर लिखित शर्त तुम सब से लगाता हूं.’’

‘‘इस में शर्त की क्या बात है?’’

‘‘बिलकुल शर्त की बात है और वह भी लिखित, जिस पर सब के हस्ताक्षर होंगे और यह मांजी पर निर्भर करेगा कि वह जीतने वाले के साथ कैसा जस्टिस करती हैं और हारने वालों को क्या सजा देती हैं… बोलो पारस तुम्हें यह शर्त मंजूर है?’’

‘‘राबर्ट तुम ज्यादा सयाने न बनों शर्त बताओ,’’ पारस का नशा कम हो चुका था.

वह पास पड़ी कुरसी पर बैठ कर राबर्ट को घूर रहा था.

राबर्ट बोला, ‘‘मेरी डीएनए रिपोर्ट अगर बच्चियों से मैच नहीं करी तो 2 में से 1 बच्ची कानूनीरूप से मेरी और अगर मैच कर गईं तो दोनों बच्चियां मेरी. उन्हें पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाने की जिम्मेदारी मेरी.’’

राबर्ट की बात सुन कर सब को सोच में डूबा देख कर मां बोल पड़ी, ‘‘क्या यह शर्त लगाना जरूरी है?’’

‘‘हां मां केवल मेरे ही मानसम्मान का सवाल नहीं है. आप के ऊपर भी इस बात को ले कर कोई कटाक्ष करे इसे मैं बरदाश्त नहीं कर सकता और आज यह मेरा दोस्त मुझे मारने चले था उसे देख कर हारने की दशा में मेरा इन बच्चियों को ले कर इस शहर से बहुत दूर चला जाना ठीक रहेगा,’’ कह कर राबर्ट उठ खड़ा हुआ. उस ने मैस्सी को अपने घर चलने का इशारा किया. फिर नलिनी से पारस का ध्यान रखने की कहता हुआ बच्चियों के पालने के पास खड़ा हो कर उन्हें प्यारभरी नजरों से देखने लगा.

इस के बाद मां के पास जा कर बोला, ‘‘मां मैं चलता हूं, कल सवेरे वकील और स्टांप पेपर ले कर शर्त की लीगल फौर्मैलिटी करवाने आऊंगा उस के बाद हम डीएनए टैस्ट के लिए जाएंगे.’’

मैस्सी को ले कर राबर्ट जब चला गया तब नलिनी पारस को वहां से उठा कर अपने कंधे का सहारा देती हुई कमरे में ले गई और बैड पर लिटा दिया.

‘‘तुम आराम से लेट जाओ, तुम मेरे चरित्र को ले कर और बच्चियों के काले रंग से जीजाजी का रंग मैच हो जाने के कारण अंदर ही अंदर इतना घुटने के बजाय अपने मन की बात मुझ से शेयर कर लेते तो यह नौबत ही न आती.

‘‘उन्हें मार डालने की बात तुम्हारे मन में आई ही कैसे? अगर तुम्हें बच्चियों के पैदा

होने के बाद शक हुआ ही था तो दोष और इलजाम मुझ पर लगाते, मुझे गालियां देते, मेरा गला घोंट देते.’’

पारस अब तक खामोश था. बोला, ‘‘नलिनी मेरा मन ऐसा करने का भी हुआ पर मैं ने सोचा तुम्हें मारने पर मैं तुम्हारे साथ इन बच्चियों का भी हत्यारा कहलाऊंगा और तुम्हें मार डालना सब से सरल था. इसी उधेड़बुन में मैं 5 दिन तक बदहवास सा इस शहर के बाहरी सुनसान इलाकों में भटकता रहा.

‘‘एक बार को तो मैं ने यह भी सोच

लिया कि ये सब करने के बजाय क्यों न अपनी लीला ही समाप्त कर लूं. फिर मन ने कहा तू अपनेआप को समाप्त करने की क्यों सोच रह है. सारा दोष तो राबर्ट का है. ये काली बच्चियां उसी की तो देन हैं.

‘‘बस मैं इसी हालत में बार में गया.

खूब शराब पी फिर उठ कर सीधा राबर्ट के घर गया. उस का घर लौक देख कर सीधा यहां

चला आया.’’

‘‘और ये सब तुम ने इसलिए किया कि दोनों बच्चियां काले रंग की पैदा हुई थीं. काश, तुम ने उन्हें सीने से लगा कर नन्हीनन्ही धड़कनें सुनी होतीं. अब तुम्हें कैसे विश्वास दिलाऊं कि ये हमारेतुम्हारे प्यार की ही निशानी हैं.’’

‘‘वह तो हम सब के डीएनए टैस्ट का रिजल्ट बता ही देगा.’’

‘‘लेकिन उस से पहले जीजाजी जो कानूनी शर्तनामा बनवा कर ला रहे हैं उस के अनुसार

शर्त जीतने पर भी हमारी ही हार है. हम एक बच्ची से हाथ धो बैठेंगे और शर्त हार गए तो

दोनों से.’’

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‘‘उस से क्या फर्क पड़ता है. कम से कम टैस्ट की रिपोर्ट आने पर दूध का दूध और पानी का पानी तो हो जाएगा.’’

‘‘मतलब तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है.’’

पारस कुछ बोला नहीं. करवट बदल कर उस ने मुख दूसरी तरफ कर लिया. नलिनी कुछ देर चुप रही फिर उसे अपनी तरफ वापस करवट दिलाने के बाद बोली, ‘‘आज रातभर के लिए  मेरी एक विनती मानोगे पारस?’’

‘‘कैसी विनती?’’

‘‘आज रातभर इसी पलंग पर दोनों बच्चियां हमारे बीच सोएंगी.’’

‘‘इस से क्या होगा?’’

‘‘मुझे नहीं पता कि इस से क्या होगा, पर  आप इस दोष से तो बच जाएंगे कि पैदा होने के बाद एक दिन भी अपने पिता के पास बच्चियां नहीं रह पाईं.’’

‘‘ठीक है एक दिन के लिए मैं ने मानी तुम्हारी बात.’’

और उस रात जबजब नन्हे हाथ पारस के बदन से टकराए, उसे एक मखमली

अनुभूति हुई और भावावेश में आ कर उस ने बच्चियों की तरफ करवट ले कर जब उन्हें सीने से लगाया तो उन नन्ही धड़कनों के मधुर स्पंदन ने उस से न जाने कितने संवाद कर डाले.

सवेरे राबर्ट मैस्सी के साथ कानूनी शर्तनामा टाइप करा कर लाया तो स्वभाव से हट कर उस के चेहरे पर गंभीरता थी. साथ आए वकील ने अपने सामने सब के दस्तखत लिए.

जब डीएनए टैस्ट की रिपोर्ट आई तो दूरदूर तक कहीं बच्चों की रिपोर्ट से राबर्ट की रिपोर्ट मैच नहीं कर रही थी, जबकि पारस का डीएनए बच्चियों से पूरी तरह मैच कर रहा था.

शर्त के अनुसार पारस और नलिनी को उन में से एक बच्ची राबर्ट और मैस्सी को देनी पड़ी. मैस्सी ने नाम रख दिया था रातिका.

देखते ही देखते पारस से दूर जाती हुई, मानसी की गोद से पीछे की ओर देख कर रोती हुई रातिका जैसे अपने पिता से पूछ रही हो,

‘‘पापा क्या कुसूर था मेरा जो आप ने मुझे

अपनी मां से तो दूर करा ही बहन से भी दूर

कर दिया,’’

आज इस घटना को घटे 1 साल हो गया है. राबर्ट और मैस्सी शिमला जा कर सैटल हो गए. मां भी नहीं रहीं. पारस का प्रमोशन के साथ मुंबई हैड औफिस में ट्रांसफर हो गया और वह नलिनी तथा दिनिका के साथ वहीं रह रहा है.

रातिका के हिस्से का दूध अभी भी नलिनी के स्तनों में भर आता है और तब वह दर्द से तड़प उठती है.

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DIWALI 2021: इस दीवाली ट्राय करें ये 9 रंगोली

बाजार में मिलने वाली पाउडरनुमा रंगोली से आप ने कई बार रंगोली बनाई होगी, लेकिन इस बार कुछ नया ट्राई करें ताकि घर आए मेहमानों की नजर आप की रंगोली पर ठहर जाए. आइए, जानें तरह-तरह की रंगोली बनाना:

1. कुंदन रंगोली

डिजाइनर कपड़ों की तरह अगर आप डिजाइनर रंगोली से अपने आंगन को सजाना चाहती हैं तो बाजार में उपलब्ध रैडीमेड कुंदन रंगोली से बढि़या विकल्प और कोई नहीं. चूंकि इसे बनाने के लिए रंगबिरंगे कुंदन इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए यह देखने में काफी आकर्षक नजर आती है.

2. फ्लोटिंग रंगोली

पानी में तैरती रंगोली भी इन दिनों डिमांड में है, लेकिन घबराएं नहीं इसे आप को बनाने की जरूरत नहीं है. यह बाजार में रैडीमेड मिलती है. इसे घर ला कर पानी से भरे बाउल में बस डालना होता है. यह पानी में तैरने लगती है. मुख्यद्वार, आंगन के साथ ही ऐसी रंगोली टेबल डैकोरेशन के भी काम आती है. इस के लिए पानी से भरा बाउल टेबल पर रख कर उस में फ्लोटिंग रंगोली डाल दें.

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3. स्टीकर रंगोली

अगर आप के पास रंगोली बनाने का समय नहीं है या आप को रंगोली बनानी नहीं आती है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. आप स्टीकर रंगोली का चुनाव कर सकती हैं. इस के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती. बस जगह के अनुसार छोटीबड़ी जैसी चाहें वैसी रंगोली का स्टीकर खरीद कर घर ले जाएं और उसे मुख्यद्वार के सामने या आंगन में चिपका दें. दूसरी रंगोली जहां अगले दिन ही बिखर जाती है वहीं स्टीकर रंगोली कई महीनों तक ज्यों की त्यों रहती है.

4. चौक से बनी रंगोली

अगर आप की ड्राइंग अच्छी है तो आप फर्श पर चौक से भी रंगोली बना सकती हैं. इस के लिए अलगअलग रंग की चौक खरीदें और प्रयोग से पहले पानी में कुछ देर के लिए भिगो दें. फिर धीरेधीरे रंगोली बनाती जाएं. जैसेजैसे भारी चौक से बनी डिजाइन सूखेगी वैसेवैसे रंगोली का रंग और भी गहरा नजर आएगा.

5. ग्लास पेंटिंग रंगोली

ग्लास पर पेंटिंग ब्रश से बनाई गई रंगबिरंगी रंगोली भी काफी खूबसूरत नजर आती है. इन दिनों ग्लास पेंटिंग रंगोली काफी डिमांड में है. आप चाहें तो इसे अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. बाजार में यह छोटी, बड़ी और मध्यम हर आकार और कई रंगों में मिलती है.

6. फूलों की रंगोली

मेहमानों का ध्यान आकर्षित करने के लिए रंगबिरंगे फूलों की रंगोली बनाई जा सकती है. इसे बनाने के लिए खासकर गुलाब, कमल, गेंदा, एस्टर के फूलों की पंखुडि़यों का इस्तेमाल किया जाता है. फूलों के साथ पत्तों का इस्तेमाल कर और भी आकर्षक बनाया जा सकता है. रंगों के साथ खुशबू भी फूलों की रंगोली की खासीयत है. इन दिनों पानी में तैरती फूलों की रंगोली भी काफी पसंद की जा रही है.

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7. वुडन रंगोली

लकड़ी के बेस पर स्टोन, मोती, स्पार्कल आदि की सहायता से बनाई गई रंगोली पहली नजर में ही सब का मन मोह लेती है. बाजार में यह अलगअलग भागों (पत्ते अलग, फूल अलग) में रैडीमेड मिलती है. बस इसे घर ला कर सैट करने की जरूरत होती है. वुडन रंगोली वुडन फ्लोरिंग वाले कमरे में ज्यादा जंचती है. दीवाली के बाद इसे दीवार पर टांग कर वाल डैकोरेशन भी की जा सकती है.

8. अनाज की रंगोली

दाल, चावल, गेहूं, सूजी के अलावा आटे से भी रंगोली बनाई जा सकती है. इस के लिए अलगअलग रंग की साबूत दाल जैसे मूंग, मसूर, तुअर, चना, मटर का प्रयोग करें. इसी तरह चावल को हलदी से रंग कर या कुमकुम लगा कर पीला और लाल रंग दें और फिर चावल का इस्तेमाल करते हुए रंगोली बनाएं. बेसन, मैदा, गेहूं और चावल के आटे से भी रंगोली बनाई जा सकती है.

9. मिलीजुली रंगोली

चाहें तो फूल, अनाज और दीयों का प्रयोग कर के भी बेहद खूबसूरत रंगोली बना सकती हैं. इस के लिए पहले चौक की सहायता से जमीन पर बड़ी डिजाइन बना लें. अब इस के कुछ हिस्सों में फूलों की पंखुडि़यां, कुछ में पत्ते, कुछ में रंगे चावल तो कुछ में हरीपीली दालें डाल कर इसे सुंदर रूप दें. जब रंगोली तैयार हो जाए, तो उस पर जलते हुए कुछ दीए रख दें.

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दादी अम्मा : आखिर कहां चली गई थी दादी अम्मा

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दूर रहें या पास, जगे रहें एहसास

विवाह का मकसद ही है लंबी दूरी तक एकसाथ चलते जाना, पर दूरी से विवाह और अपने फूलतेफलते कैरियर को क्यों प्रभावित होने दें? आजकल कई लड़कियां अपने लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को अपने कैरियर के बीच में नहीं आने देना चाहतीं. इस विषय पर कुछ पत्नियों से बात की गई. उन के विचार जान कर समाज में आता बदलाव साफ दिखाई देता है.

अलग अलग रहना आसान नहीं

मुंबई की कविता टीवी सीरियल्स में काम करती हैं. 7 साल पहले उन का विवाह दिल्ली के एक बिजनैसमैन से हुआ था. वे बताती हैं, ‘‘अलगअलग रहना आसान नहीं है. बहुत धैर्य रखना पड़ता है. एकदूसरे पर विश्वास रखना पड़ता है और एकदूसरे को समझना पड़ता है. हम अकसर फोन पर ही रहते हैं. वीडियो कौल चलती रहती है. हम अपने रिश्ते को अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. रोज हमें एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. 2-3 महीनों बाद ही मिलना होता है. बीचबीच में काम नहीं होता तो साथ रहना होता है. जब भी हम लंबे समय बाद मिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे खोया प्यार मिल गया हो. यहां मुंबई में मैं अपने मातापिता के साथ रहती हूं. जब मुंबई में होती हूं पति और ससुराल की हर चीज याद आती है. दिल्ली में होती हूं तो पेरैंट्स याद आते हैं.’’

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रिश्ते में विश्वास जरूरी

अंधेरी, मुंबई निवासी सीमा बंसल ने दुबई निवासी अनिल मेहरा से विवाह किया. जैसे ही सीमा ने वहां जा कर घरगृहस्थी संभाली, उन्हें मुंबई में ड्रैस डिजाइनिंग का एक नया काम मिला. तब से वे हर महीने 15 दिनों के लिए मुंबई आती हैं. सीमा ने अपने अनुभव के बारे में बताया, ‘‘अब जीवन खूबसूरत लगता है. मैं दुबई शिफ्ट कर चुकी थी, क्योंकि मुझे अपनी घरगृहस्थी पर पूरा ध्यान देना था पर मैं यह औफर लेने से खुद को रोक नहीं पाई. मेरी ससुराल वाले आधुनिक और विकसित सोच वाले हैं. वे मुझ से पारंपरिक बहू बनने की उम्मीद भी नहीं करते. अनिल मेरे सब से अच्छे दोस्त हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे मेरे लिए सब से महत्त्वपूर्ण हैं और वे मेरी दुनिया हैं. हमारा अफेयर 2 साल चला था. तब भी ये लौंग डिस्टैंस रिलेशन ही था. असल में दूर रहने से हम एकदूसरे को और अच्छी तरह जान गए. हमारे शौक भी एकजैसे हैं और हम एकदूसरे की स्पेस का सम्मान करते हैं. हमारे रिश्ते में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग 2 ठोस चीजें हैं. जब मैं मुंबई में होती हूं, उन्हें बहुत याद करती हूं.’’

एक नया अनुभव

गीता देसाई दिल्ली में एक मौडल हैं. उन्होंने यू.एस. में रहने वाले वौलेंटियों से विवाह किया है. वे भी अब वहीं रहती हैं पर जब उन्हें कोई शो औफर होता है वे दिल्ली आ जाती हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस विवाह ने मुझे एक ताकत, एक संतुलन दिया है. अब मैं ज्यादा सेफ, रिलैक्स्ड और तनावमुक्त रहती हूं. वे बहुत अंडरस्टैंडिंग हैं. मैं अपनी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ कैसे बैलेंस करती हूं यह देख कर वे हमेशा खुश होते हैं. बहुत दिनों के बाद मिलना हमेशा एक नया अनुभव होता है. विश्वास और सम्मान लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप की 2 महत्त्वपूर्ण चीजें हैं. मैं स्वयं को खुशहाल समझती हूं. मैं कई तरह के कल्चर, परंपराओं, लोगों और लाइफस्टाइल का अनुभव कर रही हूं.’’

आपसी प्यार और सहयोग जरूरी

मुंबई की ही अभिनेत्री नीता बंसल का कहना है, ‘‘मेरे पति कोलकाता में रहते हैं. मैं ने बे्रक लेने का फैसला किया था पर मेरे पति और सासूमां ने 6 महीनों बाद काम करने की छूट दे दी. उन्होंने मुझे अपनी मरजी से काम करने के लिए कहा. उन्हीं दिनों एक सीरियल का औफर मिला तो मैं फिर मुंबई आ गई. वीडियो चैट होती रहती है. मेरे पति का भी काम से मुंबई आना होता रहता है. कभी मैं चली जाती हूं तो कभी सब को बुला लेती हूं.’’

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इन सब के विचार जानने के बाद लंबी दूरी के विवाह में सब से जरूरी चीजें हैं, आपस में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग. वैसे देखा जाए तो ये हर विवाह में जरूरी है, पर कई बार रोज साथ रह कर भी रिश्ते में खटास आ जाती है और कई बार दूर रह कर भी प्यार बना रहता है. आजकल लड़कियां भी कैरियर में कम मेहनत नहीं करतीं. ऐसे में विवाह के बाद सारी मेहनत पर पानी फिर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. ऐसी स्थिति में जीवनसाथी और ससुराल वालों का थोड़ा सहयोग मिल जाए तो वे भी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ में सफल हो कर जीवन का आनंद उठा सकती हैं. बात बस आपसी प्यार और सहयोग पर ही निर्भर करती है.

आत्मनिर्भर होना है जरुरी – जय भारती (बाइक राइडर)

पिछले कुछ सालों से ट्रेवल करना मेरे लिए जरुरी हो गया था. आर्किटेक्ट होने की वजह से मुझे जॉब के साथ ही बहुत ट्रावेल करना पड़ता था. मैं हर साल किसी न किसी क्षेत्र में ट्रेवल करती रही. जब मैं हैदराबाद वापस आई, तो मुझे GoUNESCO चैलेंज में भाग लेने के लिए कहा गया, जिसमें पूरे भारत में 28 UNESCO साइट्स को एक साल में पूरा करना था. मैने इस चैलेज को लिया और इसे जीतने के बाद ट्रेवलिंग की उत्कंठा और अधिक बढ़ गयी. इन बातों को हंसती हुई कह रही थी,39 वर्ष की हैदराबाद की‘मोवो संस्था’ की संस्थापक बुलेट बाइकर जय भारती.

मिली प्रेरणा

जय भारती ने छोटी अवस्था से ही पिता प्रसाद रावकी छोटी लूना मोपेड चलाना सीख लिया था. उनका कहना है कि मेरे भाई और मुझमें, पिता ने कभी अंतर नहीं समझा. इसके बाद से मुझे गाडी चलाने का शौक बढ़ा और जो भी मोटरसाइकिल मेरे घर आती थी, मैं उसे चलाती थी. पहले मैंने शौक से चलाया, लेकिन पिछले 10 सालों से मैं सीरियसली बाइक चला रही हूँ, जिसमें केवल भारत ही नहीं इंडोनेशिया, वियतनाम, अमेरिका आदि कई जगहों पर एक मिशन के साथ बाइक चला चुकी हूँ. ये सही है कि मैंने बाइक चलाना फैशन के रूप में सीखा, लेकिन बहुत सारी महिलाओं को भी गाड़ी चलने का शौक होता है,पर उन्हें कोई सीखाने वाला नहीं होता. मैंने अपनी संस्था की तरफ से कम आय वाली 1500 महिलाओं को गाड़ी चलाना मुफ्त में सिखाया है. कुछ प्राइवेट गाडी चलाती है, तो कुछ रोज की चीजों को मार्केट से लाकर बेचती है या फिर कहीं आने जाने के लिए चलाती है. इसमें मैं उन्हें लाइसेंस अपने पैसे से लेने के लिए कहती हूँ, ताकि परिवार के लोग इसमें शामिल हो, क्योंकि कई बार लड़कियां घर पर बिना बताये गाडी सिखती है, इसलिए ऐसा करना पड़ा. मेरी इस टीम में 10 संस्था की और 10 फ्री लांस काम करते है. इसके अलावा मेरी कोशिश रहती है कि महिला को महिला इंस्ट्रक्टर ही सिखाएं, इससे वे अधिक जल्दी सीख लेती है, क्योंकि उनका कम्फर्ट लेवल अधिक अच्छा होता है.

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मिलता है कॉन्फिडेंस

बाइक राइडिंग सीखने के बाद जीवन में आये परिवर्तन के बारें में जय भारती कहती है कि मैं कई सालों से बाइक चला रही हूँ. मैने देखा है कि बाइक पर बैठते ही मुझे एक कॉन्फिडेंस आ जाता है, क्योंकि किसी भी गाडी को चलाना, उसे कंट्रोल करना आसान नहीं होता, इसे कंट्रोल कर लेने के बाद व्यक्ति बहुत अधिक आत्मविश्वास पा लेता है, जो आगे चलकर उनके जीवन की किसी भी कठिनाई को सॉल्व कर सकती है.कैम्पेन ‘मूविंग बाउंड्रीज’भी एक ऐसी ही मिशन है, जिसमें दुनियाभर में महिलाओं को अपने आवागमन को लेकर कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है. वे अच्छी पढ़ाई या किसी कामके लिए घर से ज्यादा दूर नहीं जा पातीं, क्योंकि वे गाड़ी चला नहीं सकती और असुरक्षित यात्रा नहीं करना चाहती, ऐसे में उनके पास रोज़गार के काफी सीमित मौके ही रह जाते है, मैंअपनी मोटरबाइक पर इन 40 दिनों की यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हूँ. इस दौरान मुझे देश भर में सभी वर्गों की महिलाओं से मिलने और वर्कशॉप करने का मौका मिलेगा. जहां मैं उन्हें यह बता सकती हूं कि ड्राइविंग एक ऐसा काम है, जो न सिर्फ उनके लिए संभव है, बल्कि वे इसे रोज़गार के रूप में चुन सकती है. एक सुरक्षित माहौल निर्माण करना बेहद ज़रूरी है, जहां महिलाओं को न सिर्फ यात्रा करने के लिए भरोसेमंद ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिले, बल्कि वे अपने वाहन खरीदकर आजीविका भी कमा सकें. यह एक शानदार तरीका है, जिसमें रोजगार के साथ-साथ सुरक्षा की भी गारंटी होती है और महिलाओं को पुरुषों पर निर्भर होना कम हो सकेगा. मेरे यहाँ तक पहुँचने में मेरी पिता का सबसे बड़ा हाथ है, उन्होंने कभी मुझे किसी काम से मना नहीं किया, इसके बाद मेरी दो भाइयों ने भी सपोर्ट दिया.

होते है आश्चर्य चकित

क्या महिला होकर बाइक चलाने को लेकर किसी प्रकार के ताने सुनने पड़े, पूछे जाने पर जय भारती कहती है कि शुरू में कई बार ताने सुनने पड़ते थे. इसके अलावा मोटरसाइकिल चलाते वक्त सबको ड्रेस पहनने पड़ते है, हेलमेट लगाना पड़ता है, इससे वे अच्छी तरह से पहचान नहीं पाते है कि लड़की है या लड़का. हाँ ऐसा जरुर होता है कि जब मैं बाइक रोकती हूँ, तो लोग मुझे देखकर चौक जाते है. कुछ लोग उसे पोजिटिव रूप में भी लेते है और खुश होकर अपनी बेटियों को भी सिखाने की इच्छा जाहिर करते है. 40 दिन की ये सफ़र 11 अक्तूबर कोयानि ‘इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे’ के दिन हैदराबाद से शुरू होकर बंगलुरु, चेन्नई,कोचीन, गोवा, पुणे, मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, श्रीनगर आदि जगहों पर होते हुए हैदराबाद में अंत हो जाएगा. ये सफ़र पूरे भारतवर्ष का है. इसमें मुझे सनराइज सेशुरू कर, सनसेट के बाद कही रुकना पड़ता है. इसमें 4 या 5 महिलाएं मेरे साथ भाग लेती है, जो उनकी व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है.इस दौरान मैं हर जगह की महिला ट्रेनिंग सेंटर्स सेमिलने की कोशिश करुँगी और कुछ महिलाओं की कहानियों को दूसरे शहरों में फैलाना चाहती हूँ, क्योंकि चेन्नई में 200 से अधिक ऑटो ड्राईवर महिला है, स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के पास 50 प्रतिशत से अधिक महिला इलेक्ट्रिक ऑटो ड्राईवर है. इसलिए मैं दूसरे शहर की महिलाओं को प्रेरित करना चाहती हूँ, क्योंकि अगर मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, दिल्ली आदि शहरों में महिलाये पब्लिक ट्रांसपोर्ट चला सकती है, तो बाकी शहरों में क्यों नहीं चला सकती. अधिक से अधिक महिला ड्राईवर देश में होने चाहिए.

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जरुरी है आत्मनिर्भर होना

जय भारती को इस काम में मुश्किल अधिक कुछ भी नहीं लगता है, क्योंकि बाइक चलाना मुश्किल नहीं होता, लेकिन सही संस्था के साथ जुड़ना आवश्यक है, क्योंकि हमारे देश में कई संस्थाएं है, जहाँ महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है, पर वे इसे रोजगार के रूप में नहीं ले पाती, इन संस्थाओं में अधिक से अधिक महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. इसके लिए इच्छुक महिलाओं को ढूढ़ निकालना भी बहुत मुश्किल होता है.

अनदेखा न करें ट्राफिक नियम

पेशे से मैं आर्किटेक्ट हूँ, लेकिन 2 साल पहले मैंने इसे छोड़ सोशल काम करना शुरू किया. इस काम में उम्र सीमा नहीं होती, पहले तो महिलाएं किसी की बाइक लेकर सीखती थी. पिछले 10 सालों में बहुत बदलाव आया है. आज तो किसी के बर्थडे पर बाइक गिफ्ट की जाती है. बाइक चलाना सीखते वक्त सबका सहयोग होता है, लेकिन सबसे अधिक सपोर्ट पुणे में मिला है. कुछ जगहों पर महिलाएं बिना बताये ड्राइविंग सीखने आ जाती है और कॉंफिडेंट होने पर घरवालों को बताती है. ड्राइविंग में सबसे जरुरी है, ट्राफिक के नियमों का पालन करना, लाइसेंस लेना, स्पीड लिमिट सही रखना, ताकि आप सुरक्षित ड्राइव कर सकें.

पैठनी साड़ी से महाराष्ट्रियन लुक में लगाएं चार चांद, पढ़ें खबर

साड़ी में हर नारी के आभा ऐसी खिलती जैसे किसी कुम्भार ने मिट्टी में आभा उकेरी साड़ी किसी भी औरत या लड़की की किसी भी तरह के त्योहार या किसी फंगस में पहनने जाने वाली पहली पसंद होती है वैसे तो हर औरत के वॉडरोब में सिल्क, बनारसी, बांधनी, चंदेरी, कॉटन के साड़ियों का संग्रह मिल जाता है. पर कुछ और भी पारम्परिक और डिजाइन की साड़ी महिलाओं की पसंद बन सकती है.

ऐसे में औरंगाबाद के पैठन से हाथ कारीगरों के द्वारा बुनी हुई साड़ी को पैठानी साड़ी का नाम दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पैठनी साड़ी बुनने की शुरुआत पैठन से ही हुई थी, लेकिन मौजूदा समय मे महाराष्ट्र के नाशिक शहर के येवला में सबसे ज्यादा पैठनी साड़ियों को बनाया जाता है. रेशम के धागों से बुनी हुई यह सुंदर साड़ी महराष्ट्रियन शादी का एक एहम हिसा है. दुल्हन के लिए खास लाल और हरे रंग की पैठनी साड़ी का चुनाव किया जाता है. सिर्फ शादी ही नहीं बल्कि किसी भी शुभ अवसर के लिए महाराष्ट्र में पैठनी साड़ी का चलन सबसे अधिक है. लेकिन अब ये सिर्फ महाराष्ट्र नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में इस रेशमी साड़ी को पहना जाता है. वजह है इसकी सुंदरता और रंगों का चुनाव.

काली पैठनी साड़ी

पैठनी साड़ीयो के इस सुंदर संग्रह की शुरुआत हम सबसे पहले काले रंग की पैठनी के साथ करते है, इस पैठनी साड़ी पर आपको एक बेहतरीन डिज़ाइनर ब्लाउज़ भी मिलेगा. काले रंग में सुनहरे और लाल रंग की जाने वाली कारीगरी साड़ी को खूबसूरत बनाती है.

पीली पैठनी

त्यौहारों के इस मौसम में पीला रंग पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. पीले रंग में हल्के सुनहरे रंग की बॉर्डर के साथ की जाने वाली कारीगरी साड़ी को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है. इसके पल्लू और बॉर्डर पर आपको रंग-बिरंगे फूलों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

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गुलाबी पैठनी

यह गुलाबी पैठान बिलकुल ऐसी है जैसे रेशम पर किसी खूबसूरत सी कारीगरी को बुन दिया गया हो. हेवी बॉर्डर पल्लू होने के कारण आप इसे फ्रंट पल्लू स्टाइल में भी आराम से पहन सकती हैं. इसके संग दिये हुए ब्लाउज़ पर आपको सुनहरी बूटियों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

गुलाबी हरी पैठनी

दिवाली हो या और कोई खास त्यौहार, यह पैठनी साड़ी हर मौके के लिए एकदम पर्फेक्ट चॉइस है. गुलाबी रंग को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. वजह है आप इस पैठनी को किसी भी खास और आम अवसर पर पहन सकती हैं. इस साड़ी के संग दिए हुए इसके विपरीत रंग के ब्लाउज़ ने इस साड़ी की शोभा को दुगना कर देता है.

लाल हरा पैठनी

लाल और हरे रंग का संगम हमेशा ही शानदार दिखाई देता है. लेकिन जब लाल रंग में ऐसी सुनहरी डिज़ाइन देखने को मिले तो साड़ी और भी खास हो जाती है. और इस संगम में सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि आपको ब्लाउज़ भी डिज़ाइनर ही मिलेगा.

नीली पैठनी

इस पैठनी साड़ी की सबसे अच्छी बात यह है कि यह डार्क ब्लू रंग में है. गहरा नीला रंग हर महिला पर सुंदर दिखाई देता है. इसकी बॉर्डर की डिज़ाइन को बैंगनी और गुलाबी रंग की कारीगरी से सजाया गया है.

हाफ वाइट पैठनी

सौम्य और खूबसूरत पैठनी साड़ी पहनने की इच्छा हो तो आप यह ऑफ व्हाइट रंग की पैठनी साड़ी को आराम से पसंद कर सकती हैं. इसके ऑफ व्हाइट रंग को संतुलित करने के लिए इसकी बॉर्डर में सुनहरे और कई सारे रंगों का प्रयोग किया गया है.

स्ट्राबेरी लाल पैठनी

स्ट्रॉबेरी रंग की यह पैठनी साड़ी युवतियों में सबसे ज्यादा चर्चित है. इसका रंग संयोजन बेहद ही कमाल का है. इसकी कारीगरी में भी आपको सुंदर फूलों का आकार दिखाई देगा.

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ग्रे पैठनी

अगर आप पैठनी के आम रंगों से हटकर किसी रंग में पैठनी पहनना चाहती है तो यह साड़ी केवल आपके लिए है. ग्रे रंग में प्रस्तुत यह साड़ी पर गोल्ड रंग की बॉर्डर शानदार लूक दे रही है.

चेक डिजाइन पैठनी

जितनी खूबसूरत यह चेक्स पैटर्न में पैठनी साड़ी है उससे कई ज्यादा सुंदर इसका ब्लाउज़ है. इस ब्लाउज़ को आप अपनी दूसरी रेशमी और पैठनी साड़ियों के संग पहन
सकती हैं.

हीट ट्रीटमेंट और हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट से बेजान हो गए हैं बाल तो करिए ये काम

मौजूदा दौर में हर लड़की परफेक्ट दिखना चाहती है. इसके लिए वो अपनी स्किन के साथ साथ बालों के साथ भी कई एक्सपेरीमेंट करती हैं. नए नए हेयर स्टाइल, हेयर कर्ल और हेयर स्ट्रेटनिंग का सहारा लेती है, जिसके लिए कई बार बालों को बहुत ज्यादा हीट ट्रीटमेंट भी सहना पड़ता है. ये कुछ वक्त के लिए तो अच्छा लगता है लेकिन इसका असर बालों पर काफी लंबे समय तक रहता है.

जी हां, बालों की हद से ज्यादा स्टाइलिंग करने और हेयर ट्रीटमेंट यूज करने से इसका सीधा असर उनकी जड़ों पर पड़ता है और वो कमजोर होकर टूटने लगते हैं. इसके लिए अलावा वो ड्राय और बेजान हो जाते हैं जिससे बालों की नेचुरल चमक खत्म हो जाती है और इसका असर हमारे पूरे लुक पर पड़ता है. इसीलिए आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे आर्युवेदिक ट्रीटमेंट के बारे में जो आपके बालों की देखभाल भी करेगा और उन्हें बढ़ने में भी मदद करेगा.

केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर से बाल बनेंगे शानदार

अब वक्त आ गया है कि आप हेयर स्ट्रेटनिंग और हीट ट्रीटमेंट की वजह से झड़ते हुए या रूखे और मुरझाए बालों का सही से इलाज करें. इसके लिए आपको हफ्ते में 3 बार केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करना होगा, जिससे बालों का झड़ना होगा कम और केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर से बाल बनेंगे शानदार.

ज्यादा हेयर स्टाइलिंग और हीट ट्रीटमेंट की वजह से बेजान हुए बालों के लिए केश किंग ऑयल, शैंपू और कंडीशन एक बेहतरीन ऑप्शन है क्योंकि इसमें है भृंगराज, आंवला और ब्राह्मी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जो बालों से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करती है. साथ ही एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां जो आपके बालों को फ्रिज़ीनेस से बचाने के साथ उन्हें मुलायम व खूबसूरत बनाने का काम करती है. इन प्रौडक्ट्स की खास बात ये है कि ये केमिकल्स से फ्री है , जिससे आपके बाल पूरी तरह से सेफ हैं. ये तेल इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड है और जिससे लाखों लोगों को फायदा मिला है.

आइए जानते हैं इसके 3 स्टेप हेयर केयर रूटीन के बारे में जो आपके बालों के लिए बेहद फायदेमंद होगा….

  1. हेयर ऑयलिंग और मसाज

जड़ी बूटी से युक्त ये आयुर्वेदिक तेल बालों के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है और बालों को जड़ों तक पोषण देता है, जिससे बाल मजबूत और घने होते हैं. सप्ताह में 3 बार बालों में Kesh King तेल से मसाज करने से बाल हैल्दी रहते हैं और इसके लगातार इस्तेमाल से बाल झड़ना भी बंद हो जाते हैं ये बालों को असमय सफेद होने से भी बचाता है.

ऐसे करें इस्तेमाल…

  • रात में सोने से पहले इस तेल की मसाज करने से आपको ज्यादा फायदा मिलेगा.
  • केश किंग के Deep Root Comb से बालों में मसाज करें, जो बालों की जड़ों तक तेल से पोषण देने में मदद करेगा.
  • इसके बाद बालों की हल्की चोटी बनाकर उन्हें रात भर के लिए छोड़ दे जिसे वो पूरी तरह बालों की जड़ों में पहुंच जाएगा और उन्हें पोषण देगा.
  • कभी भी किसी भी तेल को सख्ती से सर पर नहीं लगाए और न हीं रगड़े वरना इससे आपके बाल कमजोर होकर उखाड़ सकते हैं.

Kesh King Ayurvedic Medicinal Oil के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें… 

तेल की खासियत

  • हेयर फॉल के लिए नंबर 1 तेल
  • बालों को गहरा पोषण देता है
  • इस तेल में हैं बालों के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं.
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड क्रुएलिटी, पैराबेन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त
  1. शैंपू

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी-हेयरफॉल शैम्पू एक अनूठा और शक्तिशाली फॉर्मूला है, जो एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से भरा है. ये बालों को रेशमी, चमकदार और चिकना बनाता है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के.

केश किंग शैंपू लगाने का तरीका

  • बालों को धोने से पहले कंघी जरूर करें ताकि वो उलझ कर टूटे न.
  • बाल धोने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का प्रयोग करें.
  • बालों को गीला करें और फिर हल्के हाथों से केश किंग शैंपू को पूरे बालों में लगाएं.
  • 3-4 मिनट के बाद अच्छी तरह से धोले.
  • बालों को सुखाने के लिए तौलिये से न रगड़ें, बल्कि किसी मुलायम कपड़े या टीशर्ट से बालों को कवर करें और उन्हें नेचुरल तरीके से सुखाने की कोशिश करें.
  • केश किंग शैंपू को अपने बालो के हिसाब से हफ्ते में 3 या 2 बार इस्तेमाल करें.

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी हेयर फॉल शैंपू की खासियत

  • बाल टूटने की वजह से हो रहे हेयरफॉल को 80% तक कम करता है.
  • बालों को सिल्की, शाइनी और सौफ्ट बनाता है.
  • इसके इस्तेमाल से मिलेंगे हेल्दी और पोषित स्कैलप
  • पूरे परिवार के लिए उपयुक्त
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड
  • क्रुएलिटी, पैराबिन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त
  1. कंडीशनिंग

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी-हेयरफॉल कंडीशनर आपके बालों को बिना किसी भारीपन के फ्रिज़-फ्री, मुलायम, चिकना और चमकदार बनाता है. इसके अनूठे फॉर्मूले में एलोवेरा और 21 दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं जो बालों के झड़ने को कम करने और फ्रिज़ी बालों को संभालने में मदद करती हैं.

कंडीशनर लगाने का तरीका

  • बालों को शैंपू से अच्छे से धोएं.
  • अगर ऑइल लगाया है तो दो बार धोते हुए स्कैल्प और बालों को साफ करें ताकि कंडीशनर का असर हो सके.
  • बालों को टॉवल से हल्का सुखा लें, ऐसा नहीं करने पर बालों से पानी के साथ कंडीशनर भी बह जाएगा.
  • बालो की लंबाई के हिसाब से कंडीशन लें और दोनों हथेलियों पर मल लें.
  • बालों को एक साइड पर लें और हथेली पर लगे कंडीशनर को मिड लेंथ से टिप तक लगाएं.
  • कंडीशनर लगाने के दौरान हाथों से ज्यादा प्रेशर न दें नहीं तो हेयरफॉल ज्यादा होगा.
  • ध्यान रहे कि कंडीशनर को कभी भी स्कैल्प पर न लगाएं.
  • 1-2 मिनट तक कंडीशनर को बालों पर रहने दें फिर उन्हें हल्के हाथ से धो लें.
  • बालों को टॉवल से रगड़कर न सुखाएं नहीं तो कंडीशनर का कोई फायदा नहीं होगा और बाल फ्रिजी हो जाएंगे

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी हेयर फॉल कंडिशनर की खासियत

  • फ्रिजी बालों को संभालने में मदद करता है.
  • बालों का झड़ना कम करता है.
  • एलोवेरा और 21 दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड
  • क्रुएलिटी, पैराबिन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त

बालों के लिए आजमाएं ये खास टिप्स

लगातार बढ़ता प्रदूषण बालों को कमजोर और बेजान बना देता है. ऐसे में ये टिप्स अपना कर बना सकती हैं अपने बालों को सुंदर और घना:

हेल्दी डाइट है बहुत जरूरी

-अपने खानें में प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, बी कॉम्प्लेक्स, आयोडीन, फॉस्फोरस, कॉपर, सिलिकॉन, आयरन, मेग्निशियम, पोटेशियम जैसे तत्वों को शामिल करें. अंडे, पनीर, शकरकंद, पालक, मछली, केला, दूध, अनाज और साइट्रस फ्रूटस रोजाना खाएं.

-हेल्दी डाइट के साथ साथ आप केश किंग आयुर्वेदिक हेयर ग्रोथ कैप्सूल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो बालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा.

-केश किंग आयुर्वेदिक कैप्सूल एक संपूर्ण आयुर्वेदिक फार्मूला है, जो प्रकृति में पाई जाने वाली 6 चुनी हुई जड़ी-बूटियों का उपयोग करके तैयार किया जाता है.

– बालों को पोषण देने के लिए नारियल के दूध का इस्तेमाल करें. नारियल का दूध बालों को पोषण तो देता ही है, साथ ही यह बालों को लंबा और चमकदार भी बनाता है. यदि आप के बाल ज्यादा रूखें हैं तो आप नारियल के दूध का इस्तेमाल जरूर करें. इस से आप के बाल सौफ्ट और सिल्की नजर आएंगे.

– बालों को चमकदार बनाने के लिए सिरके का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सिरके में पोटैशियम और गुणकारी ऐंजाइम होते हैं जो खुजली और रूसी से राहत दिलाते हैं. सेब का सिरका बालों को नई जान दे सकता है. बालों में सेब का सिरका महज 5 मिनट लगाने से ही बालों में नई चमक आ जाती है.

-इसके अलावा बालों की जड़ों से रूसी को हटाने के लिए 3 चम्मच दही में थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर मिला कर लगाएं. आधे घंटे बाद इसे धो लें. इसे हफ्ते में 2 बार करें.

– गीले बालों में कंघी न करें, इस से बाल कमजोर हो जाते हैं.

– बाल धोने के लिए हॉट वॉटर इस्तेमाल न करें. महीने में 2 बार स्पा जरूर लें. यदि पार्लर नहीं जा सकती तो घर पर ही स्पा कर लें.

-बालों को स्टीम जरूर दें. अगर आप के पास स्टीमर नहीं है तो आप गरम तौलिए से भी बालों को स्टीम दे सकती हैं.

– बालों की देखभाल के लिए प्रोटीन ट्रीटमैंट जरूर लेना चाहिए. बालों को प्रोटीन ट्रीटमैंट देने के लिए 1 अंडे को फेंट कर गीले बालों में लगाएं. इसे 15 मिनट तक लगे रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें. इसके बाद एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां वाले केश किंग शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें.

-अगर आपको धूप में बाहर जाना है तो पहले बालों को हमेशा अच्छे से ढककर कवर करें. धूप के अलावा बारिश, तेज हवा और ठंडा मौसम भी बालों की प्राकृतिक नमी को सोखते हैं जिससे उन्हें नुकसान पहुंचता और उनकी चमक कम हो जाती है.

दोनों ही काली: भाग 2- क्यों पत्नी से मिलना चाहता था पारस

लेखक- जीतेंद्र मोहन भटनागर

 वहां से उठ कर तीनों प्राइवेट रूम में आए. लंबी डिलिवरी के बाद की थकान,

लेकिन आसपास बच्चियों के नन्हे दिलों की धड़कन और छोटेछोटे मुलायम हाथपैरों की हलचल ने नलिनी को गहरी नींद न सोने दिया था. इसलिए पारस को नलिनी के बैड के पास रखी कुरसी पर बैठा कर राबर्ट को साथ लिए मैस्सी कल फिर मौर्निंग वाली औनलाइन क्लास निबटाने के बाद आने की कह कर चली गई.

उस के बाद के दिनों में राबर्ट तो क्रिश्चियन वैलफेयर सोसाइटी का चेयरमैन होने के कारण अगले माह होने वाले सोसायटी के सालाना फंक्शन के आयोजन में व्यस्त हो गया, लेकिन मैस्सी नलिनी के डिस्चार्ज होने तक लगातार हौस्पिटल के चक्कर लगाती रही और डिस्चार्ज

के बाद वही उसे अपनी कार से ले कर मां के

घर आई.

वह जानती थी कि अपनी मां के पास रह कर ही नलिनी की सही देखभाल हो पाएगी.

उस के बाद मां के घर में जब भी मैस्सी नलिनी से मिलने पहुंची तो पारस को उस ने बहुत ही गंभीर और अपने में ही खोया हुआ पाया.

पारस ने अपना ज्यादातर समय बैंक में बिताना शुरू कर दिया था. मैनेजर पद के दायित्व का निर्वहन करने के बाद जब वह घर लौटता तो मैस्सी को नलिनी के पास ही पाता. बच्चियों को गोद में लेना तो दूर उसे उन के पास बैठना तक गवारा नहीं था.

समय एक एक दिन कर के बीत रहा था. दोनों बच्चियां भी मैस्सी के स्पर्श को पहचानने लगी थीं और पहचानती भी क्यों नहीं. आखिर मैस्सी उन की सगी मौसी थी, जो बचपन में मानसी के नाम से पुकारी जाती थी. यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में एमए करने के दौरान हंसमुख काला राबर्ट उस के जीवन में आया और मां तथा बड़े ताऊ के तमाम विरोध के बाद मानसी ने राबर्ट से शादी कर के क्रिश्चियन धर्म स्वीकार कर लिया.

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पिता तो बहुत पहले ही इस जगत को छोड़ गए थे. उस के बाद संयुक्त परिवार में एकमात्र बच्चे के विदेश जा कर बस जाने के गम में ताई भी ज्यादा समय तक जिंदा न रही. अपनी दोनों बच्चियों के साथ ही अब उन्हें अकेले बूढे़ जेठ का भी खयाल रखना पड़ता.

इस का एक कारण यह भी था कि नलिनी और मानसी के पिता की मृत्यु के बाद से उन्होंने भी बिना किसी लागलपेट के अपने दायित्व का निर्वहन बखूबी किया था. इसलिए मानसी का मैस्सी बन जाना उन्हें शुरू में तो बहुत अखरा

पर जब अपने अल्सर के औपरेशन के लिए नलिनी ने मैस्सी से परामर्श लिया तो राबर्ट ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपनी सोसाइटी के चैरिटेबल हौस्पिटल में स्वयं ले जा कर उन का सफल औप्ररेशन करवा दिया तब से मैस्सी और राबर्ट का इस घर में आनाजाना बढ़ गया. हालांकि उस के बाद ताऊजी भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहे.

पारस बैंक में प्रोविशनरी औफिसर चयनित होने के बाद शुरू के दिनों में राबर्ट की वैलफेयर सोसाइटी के गैस्टहाउस में ही रहता रहा.

एक दिन जब राबर्ट मैस्सी के साथ नलिनी को एमएससी

की डिगरी हासिल करने की बधाई देने आया तो मैस्सी की मां ने कहा, ‘‘मैस्सी बेटी, तू नलिनी के लिए भी राबर्ट जैसा कोई लड़का ढूृंढ़ दे ताकि मेरी जब आंखें मुंदें तो उस समय कोई ख्वाहिश न हो वरना सुना है कि मरते समय अगर मन में कोई इच्छा रह जाती है तो मन भटकता रहता है.’’

यह सुन कर राबर्ट जोर से हंसा फिर बोला, ‘‘मांजी मैं शर्त लगा सकता हूं कि जीव मरने के बाद अपने मन को भी साथ ले जाता है फिर जब मन भी साथ चला गया तो भटकेगा कौन?’’

‘‘अरे तुम तो मां से भी शर्त लगाने में जुट गए… तुम्हारी नजर में कोई लड़का हो तो बताओ.’’

जब मैस्सी ने कहा तो राबर्ट ने नलिनी की तरफ गौर से देखा.

अपनी ओर यों घूरते देख नलिनि बोली, ‘‘जीजाजी आप मुझे ऐसे क्यों घूर रहे हैं?’’

‘‘मैं इसलिए घूर रहा हूं कि इतनी सुंदर और गोरीचिट्टी होने के बाद भी कोई बांका छोरा तुम्हें फंसा क्यों नहीं पाया.’’

‘‘मेरा नाम नलिनी है, मानसी नहीं जिसे कोई भी फंसा ले.’’

‘‘ठीक, एक लड़का तो है मेरी नजर में. अच्छे घर का है बैंक में पीओ है और वह भी यही कहता है कि उसे कोई भी लड़की फंसा नहीं सकती, जबकि मजेदार बात यह है कि वह बेहद स्मार्ट है, गुड लुकिंग है. मैस्सी उसे अच्छी तरह जानती है.’’

‘‘तो उस से बात कर के देखो शायद उसे नलिनी पसंद आ जाए,’’ मां प्रसन्न होते हुए बोली.

‘‘मांजी मुझे पूरा विश्वास है कि नलिनी को वह रिजैक्ट कर ही नहीं सकता.’’

और यही सच भी हुआ. पारस को नलिनी पहली भेंट में पसंद भी आ गई. दोनों की शादी कराने में राबर्ट ने अपनी भूमिका बड़ी कुशलता से निभाई और शादी के बाद नलिनी कुछ दिन तो अपने सासससुर के पास रही, फिर पारस उसे अपने बैंक से मिले औफिसर्स फ्लैट में ले आया.

राबर्ट और मैस्सी का अकसर मिलनेजुलने आना हो ही जाता था. कभीकभी राबर्ट अकेला ही अपनी साली के हाथ से बनी कौफी पीने चला आता था.

बातबात पर किसी से भी शर्त लगाने को तैयार हंसमुख स्वभाव वाले राबर्ट से जीजासाली वाला तो रिश्ता था ही और जब से राबर्ट ने पारस से शादी करवाने में नलिनी की मां के साथ उस पर भी एक उपकार किया था तब से वह उन का और ज्यादा सम्मान करने लगी थी.

समय बीता नलिनी की कोख भारी हुई और डाक्टर डिसूजा ने शुरुआती परीक्षण में ही नलिनी के साथ आए पारस को बता दिया कि योर वाइफ इज कैरिंग ट्विंस.’’

तब से ही पारस एक अजीब सी मिश्रित प्रक्रिया से गुजर रहा था. नलिनी उसे

समझाती, ‘‘अरे तुम तो ऐसे घबरा रहे हो जैसे कोख मेरी नहीं तुम्हारी भारी हो गई हो.’’

‘‘तुम्हें मजाक सूझ रहा है और मैं चितिंत हूं कि तुम इकहरे बदन की हो… यह 2-2 कैसे तुम्हारी छोटी सी कोख संभाल पाएगी.’’

‘‘कोख के बारे में मैं बस इतना जानती हूं कि जरूरत के हिसाब से वह अपना आकार एडजस्ट कर लेती है, फिर मैं इस संसार में अकेली थोड़े ही हूं जो जुड़वां बच्चों की मां बनूंगी.’’

9 महीने कब में पूरे हो गए पारस को पता ही न चला. हां नलिनी ने 1-1 दिन अपने गर्भ में होने वाली हलचल और मीठीमीठी पीड़ा का अनुभव करा.

अब नतीजा सामने था. दोनों नन्ही किलकारियों को साथ ले कर वह अपनी अनुभवी मां के पास आ गई थी. मैस्सी रोज चक्कर लगा लेती.

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बच्चियों के शरीर का आकार बढ़ना शुरू हो गया. मां की देखरेख में नलिनी और रातिकादिनिका पलनेबढ़ने लगीं.

राबर्ट भी आ कर सब का मन बहला जाता. पर जबतब नलिनी से पूछता, ‘‘पारस बैंक से कब लौटता है?’’

उस का उतरा चेहरा देख कर वह मां से पूछता, ‘‘मां इधर जब भी मिलने आया हूं पारस से मुलाकात नहीं हुई.’’

‘‘हां बेटे वह हफ्ताभर पहले जब आया था तो बता रहा था कि आजकल बैंकों में वर्क प्रैशर बहुत बढ़ गया है. सरकार की इतनी फाइनैंस स्कीमें आ गई हैं कि लोन वितरण करने और लाभार्थियों के खाते में सरकारी अनुदान का लेनदेन स्टाफ से करवाने के बाद इतना थक जाता हूं कि वहीं पास में अपने बंगले में सो जाता हूं.’’

‘‘और खाना वगैरह?’’

‘‘वहीं बैंक कैंटीन में खा लेते है,’’ इस बार नलिनी बोल पड़ी.

‘‘अच्छा,’’ कहते हुए उस ने दोनों बच्चियों को बारीबारी से गोद में उठा कर प्यार किया

और फिर नलिनी के हाथ से बनी कौफी पी कर चला गया.

आगे पढ़ें- 10 दिन पहले ही तो मैस्सी से…

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अच्छी Married Life के लिए स्नेह और समझदारी है जरूरी 

लेखिका- स्नेहा सिंह

विवाह में वर-वधू को भले ही और कोई दान न ददिया जाए, पर समझदारी का दान देना बहुत जरूरी है. नवविवाहित जोड़े के शुरू के 2 साल उनके आगे के संबंधों में तालमेल बैठाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगें. वैसे तो यह भी कहा जाता है कि समय के साथ व्यक्ति और संबंध, दोनों ही परिपक्व होते हैं, परंतु शादी होने के तुरंत बाद अगर संबंधों को ले कर लापरवाही बरती जाए तो उस समय संबंधों में आई खटास लंबे समय तक नहीं जाती. एक समय था, जब महिलाओं को सब सहन कर लेने की सलाह दी जाती थी. शादी के तुरंत बाद पति अपने संबंधों को ले कर तथा अपनी पत्नी के बारे में केयरलेस होता था. तब कहा जाता था कि “बेटा स्त्री जाति को सब सहना पड़ता है. जैसा चल रहा है, चलने दो. समय के साथ सब ठीक हो जाएगा.” इस तरह की सलाह दी जाती थी. जबकि अब समय बदल गया है. अब महिलाएं सब कुछ सहन करने के बजाय अपनी भावनाओं को अधिक महत्व देती हैं. फिर भी गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में अभी खास फर्क नहीं पड़ा है.

खैर, बात यहां इस बात की हो रही है कि नई-नई शादी हुई हो तो कपल को शुरुआत के समय का सदुपयोग कर के संबंधों को मजबूत बनाना चाहिए. किसी भी अच्छी चीज को पाने के लिए मेहनत जरूरी है. इसी तरह संबंध भी मेहनत मांगता है. चाहे अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज, विवाह के बाद शुरुआत का समय बहुत नाजुक होता है. इसी समय परस्पर भावनाओं की डोर मजबूत हो, इस तरह का रास्ता अपनाना चाहिए.

 एकदूसरे को समय दें

Time is the Ultumate precious gift… यह वाक्य एकदम सही है. अपने प्रिय साथी को ज्यादा से ज्यादा समय दे कर साथ रहें. शुरूआत का समय शादीशुदा जोड़े के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. अलबत्ता, काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच भी तालमेल बैठाना पड़ता है. फिर भी कपल्स को एकदूसरे को कुछ समय तो देना ही चाहिए. शादी के बाद कुछ दिनों का ब्रेक ले कर कहीं न कहीं घूमने जरूर जाएं. अभी कोरोना महामारी की वजह से लंबे टूर पर न जा कर छोटे टूर के लिए अपने शहर में ही किसी अच्छे होटल में एक-दो रात गुजारी जा सकती है. यहां मूल बात अकेलेपन की है. शादी के बाद कुछ समय ऐसा निकालें, जिसमें परिवार से दूर अकेले में रहने का मौका मिले. यह मौका आपके प्रिय साथी को नजदीक लाने में मदद करेगा. हनीमून खत्म होने के बाद आफिस से घर आने के बाद कमरे में सोने के लिए आने से पहले पति-पत्नी दोनों वाॅक पर जाएं. आधे घंटे की यह वाॅक पूरे दिन की थकान दूर करने वाली साबित होगी. इस वाॅक के दौरान एकदूसरे को मिला एकदूसरे के लिए समय एकदूसरे की प्रायोरिटी का अनुभव कराएगी. अगर वर्क फ्राम होम चल रहा हो तो उसमें से कुछ मिनट निकाल कर पत्नी के उस के काम में सहायक बनें. ऐसे छोटेछोटे क्षणों में इन्वेस्ट किया गया समय लंबे समय तक संबंध को मजबूत रखने की वजह बन सकता है.

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बातचीत से “मैं” में से “हम” बनें 

महिला नए वातावरण में सेट होने में इतनी नर्वस हो जाती है कि वह अपने मन की बात कह नहीं पाती. परिणाम स्वरूप अंदर ही अंदर घुटती रहती है. दूसरी ओर पुरुष में भी ऐसा ही होता है. सेक्स संबंध तो बना लेता है, पर बातचीत करने के लिए उसके पास शब्द कम पड़ते हैं. बातचीत का अभाव संबंध में गैप लाता है. ऐसे तमाम पुरुष हैं, जिनकी शांत रहने की आदत होती है या उनके घर में क्या हो रहा है, यह वे पत्नी से नहीं बताते. यहां छुपाने का इरादा नहीं होता, भुलक्कण स्वभाव की वजह से वे ऐसा करते हैं. ऐसे में जब पत्नी को पता चलता है तो उसे लगता है कि पति बात छुपा रहा है. इसका मतलब वह उसे पूरी तरह स्वीकार नहीं कर सका. इसलिए बातचीत का अभाव न रहे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. बातचीत की डोर मजबूत रहेगी तो व्यक्तिगत जीवन में कोई समस्या नहीं रहेगी. सेक्स में होने वाली दिक्कत भो पार्टनर से शेयर कर सकेंगे. आप क्या सोच रही हैं, यह भुता कर सामने वाला क्या सोच रहा है, यह जान लेने पर संबंध और अधिक मजबूत होगा. बातचीत की डोर पति-पत्नी को “मैं” में से कब ‘हम’ तक पहुंचा देगी, पता ही नहीं चलेगा.

मेरा-तेरा नहीं, हमारा परिवार 

जब भी आप किसी के साथ विवाह करती हैं, तब उसका परिवार भी आप का परिवार हो जाता है. यह बात पति-पत्नी, दोनों पर लागू होती है. मात्र लड़कियों को ही ससुराल जा कर लड़के के परिवार को अपना नहीं करना होता. लड़का भी लड़की के परिवार को उतना ही महत्व देगा तो लड़की के मन में अपने आप पति के लिए सम्मान और लगाव पैदा होगा. याद रखिए कि हर आदमी का रहनसहन अलग होता है. उस रहनसहन में सेट होने के लिए खोने की भावना और समझ होनी चाहिए. दोनों ही पक्षों पर यह बात लागू होती है. साथ रहने वाले लोगों में कोई न कोई समस्या आती ही रहती है. इस समस्या का हल नाराजगी के बजाय बातचीत से लाएं. अगर समझदारी से काम लिया जाएगा तो हर सवाल का जवाब मिल जाएगा.

 अक्सीर दवा है प्रशंसा

प्रशंसा के मामले में लड़के शादी के बाद एकदम कंजूस हो जाते हैं. शादी के पहले लड़कियों की प्रशंसा के पुल बांधने वाले लड़के शादी के बाद शर्म का अनुभव करने लगते हैं. इस सोच को बदलना चाहिए. हर व्यक्ति के लिए उसकी प्रशंसा बहुत ही महत्वपूर्ण और उत्साह बढाने वाली होती है. फिर अपने सब से प्रिय पात्र की प्रशंसा करने में कैसी झिझक? हम भले यहां लड़कों की बात कर रहे हैं, पर यह बात दोनों पर लागू होती है. वैसे तो शादी के बाद हमेशा प्रशंसा करनी चाहिए, शुरुआत में कुछ समय तक इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए. जिस दिन पत्नी अच्छी लग रही हो, उस दिन बिना किसी झिझक के दिल खोल कर बखान कर लेना चाहिए. इसी तरह अच्छा भोजन बनाया हो तो बखान करना चाहिए. बखान के रूप में आप उपहार दे सकते हैं. पत्नी भी अपने पति का बखान कर के, पति कोई गिफ्ट लाया हो तो पत्नी उसके बारे में खुशी व्यक्त कर के बखान करे. पति आफिस जाने के लिए तैयार हो तो बखान करें. इस तरह करने से उत्साह बढ़ता है. बखान करने से उत्साह बढ़ता है और आगे भी उसी तरह काम करने की इच्छा होती है, जिससे बखान हो. व्यक्तिगत समय में भी बखान करते रहना चाहिए. व्यक्तिगत समय में प्रशंसा या बखान सेक्स में अधिक उत्तेजना पैदा करता है.

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