अपराधिनी: भाग 2- क्या था उसका शैली के लिए उसका अपराध

लेखिका-  रेणु खत्री

मेरे लिए कार कंपनी के मालिक, बेहद आकर्षक रोहित का रिश्ता आया. वे मुझे देखने आ रहे थे. मेरी मां, दादी और चाची तो थीं ही मेहमानों की खातिरदारी हेतु, परंतु मैं ने शैली और उस की मां को भी बुलवा लिया. सभी ने मिल कर बहुत अच्छी रसोई बनाई. देखनेदिखाने की रस्म, खानापीना सब अच्छे से संपन्न हो गया. अगले सप्ताह तक जवाब देने को कह कर लड़के वाले विदा ले चले गए.

मधुर पवन की बयार, बादलों की लुकाछिपी, वर्षा की बूंदें, प्रकृति की छुअन के हर नजारे में मुझे अपने साकार होते स्वप्नों की राहत का एहसास होता. लेकिन उस दिन मानो मुझ पर वज्रपात हो गया जब रोहित ने मेरे स्थान पर शैली को पसंद कर लिया. वादे के अनुसार, एक सप्ताह बाद रोहित के मामा ने हमारे यहां आ कर शैली का रिश्ता मांग लिया.

एक बार तो हम सभी हैरान रह गए और परेशान भी हुए. बस, एक मेरी अनुभवी दादी ने सब भांप लिया कि यहां बीच राह में समय खड़ा है. मेरी मां का तो यह हाल था कि वे मुझे ही डांटने लगीं कि तुम ने ही शैली को बुलाया था न, अब भुगतो. पर मेरी दादी रोहित के मामाजी को शैली के घर ले कर गईं. उन्हें समझाया. दादी शैली की शादी से भी खुश थीं.

तनाव दोनों घरों में था. मेरे तो सपने टूट गए. इतना अच्छा रिश्ता शैली की झोली में जाने से मेरी मां का स्वार्थ जाग उठा. वे शैली व उस की मां को भलाबुरा कहने लगीं और मैं ने अपनेआप को एकांत के हवाले कर दिया.

इस घटना से मेरे अंदर न जाने क्या दरक गया कि मेरे जीवन का सुकून खो गया और मेरी मित्रता मेरे अविश्वास की रेत बन कर मेरे हाथों से यों ढह गई मानो हमारी दोस्ती एक छलावा मात्र हो जिसे किसी स्वार्थ के लिए ही ओढ़ा हो.

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उधर, शैली नहीं चाहती थी कि हमारी दोस्ती इस रिश्ते की वजह से समाप्त हो. मेरी दादी ने इस बीच पुल का काम किया. उन्होंने पापा को समझाया, ‘शैली भी हमारी ही बेटी है. बचपन से हमारे यहां आतीजाती रही है. हम उसे अच्छी तरह जानतेसमझते हैं. फिर क्यों नहीं सोचते कि वह स्वार्थी नहीं है. वह हमारी प्रिया के मुकाबले ज्यादा सूबसूरत है, गुणी भी है. क्या हुआ जो रोहित ने उसे पसंद कर लिया. अरे, अपनी प्रिया के लिए रिश्तों की कमी थोड़े ही है.’

पापा दादी की बात से सहमत हो गए. मैं दादी की वजह से इस शादी में बेमन से शरीक हुई थी. विदाई के समय शैली मेरे गले लग कर इस कदर रोई मानो वह मुझ से आखिरी विदाई ले रही हो.

शैली की शादी के बाद उस की मां से मैं ने बोलना छोड़ दिया. लगभग 2 महीने बाद शैली मायके आई. वह मुझ से मिलने आई. मेरी दादी ने उसे बहुत लाड़ किया. पर मैं ने और मेरी मां ने उस के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया. मेरी मां तो उसे अनदेखा कर बाजार चली गईं और मैं ने उस का हालचाल पूछने के बजाय उस से गुस्से में कह दिया, ‘अब तो खुश हो न मुझे रुला कर. मेरे हिस्से की खुशियां छीनी हैं तुम ने. तुम कभी सुख से नहीं रह पाओगी.’

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वह रोती हुई बाहर निकल गई और उस के बाद मुझ से कभी नहीं मिली. इस तरह की भाषा बोलना हमारे संस्कारों में नहीं था. और फिर, वह तो मेरी जान थी. फिर भी, पता नहीं कैसे मैं उस के साथ ऐसा व्यवहार कर गई जिस का मुझे उस वक्त कोई पछतावा नहीं था.

दादी को मेरा इस तरह बोलना बहुत बुरा लगा. उन्होंने मुझे बहुत डांटा और उसे मनाने के लिए कहा. पर मैं अपनी जिद पर अड़ी थी. मुझे अपने किए का पछतावा तब हुआ जब शैली का परिवार दिल्ली को ही अलविदा कह कर न जाने कहां बस गया.

वक्त बहुत बड़ा मरहम भी होता है और सबक भी सिखाता है. वह तो निर्बाध गति से चलता रहता है और हर किसी को अपने हिसाब से तोहफे बांटता रहता है. मुझे भी शशांक के रूप में वक्त ने ऐसा तोहफा दिया जो मेरे हर वजूद पर खरा उतरा. इन 19 वर्षों में उन्होंने मुझे शिकायत का कोई अवसर नहीं दिया. मोटर पार्ट्स की कंपनी में मैनेजर के पद पर विराजित शशांक ने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अच्छे से अच्छे विद्यालय में पढ़ाना और घर पर भी हम सभी को हमेशा भरपूर समय दिया है उन्होंने.

वक्त के साथ मैं बहुतकुछ भूल चुकी थी. पर आज शैली के साथसाथ दादी भी बहुत याद आने लगीं. सही कहती थीं दादी, ‘बेटा, कभी ऐसा कोई काम मत करो कि तुम अपनी ही नजरों में गिर जाओ.’ आज मेरा मन बहुत बेचैन था. मैं शैली से मिल अर अपने किए की माफी मांगना चाहती थी. मेरे व्यवहार ने उसे उस समय कितना आहत किया होगा, इसे मैं अब समझ रही थी. यादों के समंदर में गोते खाते वह समय भी नजदीक आ गया जब हमें उस से मिलने जाना था.

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हैदराबाद की राहों पर कदम रखते ही मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं. अपनेआप में शर्मिंदगी का भाव लिए बस यही सोचती रही कि कैसे उस का सामना कर पाऊंगी. हमारी आपसी कहानी से शशांक अनभिज्ञ थे. एक बार तो मैं शैली से अकेले ही मिलना चाहती थी. सो, मैं ने शशांक से कहा, ‘‘आप अपने औफिस की मीटिंग में चले जाइए, मैं टैक्सी ले लूंगी, शैली से मिल आऊंगी.’’ उन्हें मेरा सुझाव ठीक लगा.uyj7

अब मैं बिना किसी पूर्व सूचना के शैली के बताए पते पर पहुंच गई. उसी ने दरवाजा खोला. उस का शृंगारविहीन सूना चेहरा देख कर मेरा दिल बैठने लगा. हम दोनों ही गले लग कर जीभर रोए मानो आंसुओं से मैं अपने किए का पश्चात्ताप कर रही थी और वह उस पीड़ा को नयनों से बाहर कर रही थी जिस से मैं अब तक अनजान थी. मैं उस के घर में इधरउधर झांकने लगी कि बच्चे वगैरह हैं या नहीं, मैं पूछ ही बैठी, ‘‘रोहितजी कहां हैं? कैसे हैं? और बच्चे…?’’

मेरा कहना भर था कि उस की आंखें फिर भीग गईं. अब शैली ने बीते 20 वर्षों से, दामन में समाए धूपछांव के टुकड़ों को शब्दों में कुछ यों बयां किया, ‘‘रोहित से मेरा विवाह होने के 4 माह बाद ही एक सड़क दुर्घटना में वे हमें रोता छोड़ कर हमेशा के लिए हम से बिछुड़ गए. सुसराल वालों ने इस का दोष मेरे सिर पर मढ़ा.

अगले भाग में पढ़ें- अब लगता है शायद नियति ने ही ऐसा तय कर रखा था.

Neil Bhatt Interview: असल जिंदगी में ‘पाखी’ के दिवाने हैं ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ के विराट, ऐसी है लव स्टोरी

हमेशा से एक अच्छा परफ़ॉर्मर बनने की कोशिश करने वाले अभिनेता नील भट्ट को उनके माता-पिता दोनों ने सहयोग दिया, क्योंकि वे उनके इस पैशन को करीब से देख चुके थे. उनके सुझाव पर उन्होंने एक्टिंग क्लास ज्वाइन किया और पहला ब्रेक धारावाहिक ‘रूप – मर्द का नया स्वरुप’ था, इसके बाद उन्हें बड़ी ब्रेक ‘गुम है किसी के प्यार में’ मिला, जिसमें उन्होंने आईपीएस विराट चव्हाण की भूमिका निभा रहे हैं.

इस शो के दौरान वे अभिनेत्री ऐश्वर्या शर्मा से मिले जो उस शो में पत्रलेखा सालुंके की भूमिका निभा रही है. प्यार हुआ और मंगनी हो चुकी है. कुछ दिनों में शादी भी होने वाली है. नील शादी के रिश्ते को जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते है और सालों तक निभाना चाहते है.

हंसमुख और दृढ़ प्रतिज्ञ नील का शो स्टार प्लस पर हिट चल रहा है, जिससे वे बहुत खुश है, इसका श्रेय वे लेखक और निर्देशक को देना चाहते है, जिन लोगों ने उनके व्यक्तित्व को ध्यान में रखकर लिखा है. उनसे बात हुई, जो रोचक थी. पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-इस शो से जुड़ने की खास वजह क्या है?

‘गुम है किसी की प्यार है’ में काम करने की खास वजह है, इसकी पूरी टीम, जो एक अच्छी शो मेहनत से बनाना चाहती है और उन्होंने दर्शकों की मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए इस शो को बनाया है, जिसे दर्शकगण पसंद कर रहे है और शो हिट भी हुई है. इसके अलावा मुझे इस शो में आईपीएस विराट चव्हाण की भूमिका निभाने का मौका मिलना भी मेरे लिए बड़ी बात है.

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सवाल-इस भूमिका से आप कितना रिलेट कर पाते है?

शुरुआत में तो काफी हद तक इस भूमिका से मैं खुद को रिलेट कर पाता था, क्योंकि तब मैं इस चरित्र को बना रहा था, जिसमें विराट की चाल-चलन, हाँव-भाँव, गुस्सा होना, खुश होना  आदि सब मेरी नार्मल जिंदगी से मैच हो रही थी, लेकिन ये एकड्रामा सीरीज है और लेखक एक चरित्र को माइंड में रखते हुए इसे लिखता है, जिसमें कुछ चीजों से मैं खुद रिलेट नहीं कर पाता. मैंने अपनी बिहैवियर पैटर्न को चरित्र ‘विराट’में ढाला, जिसे दर्शक पसंद कर रहे है, पर इस शो में मुझे वह सब भी करना पड़ा,जिसे मैंनिजी जिंदगी में कभी करने के बारें में सोच नहीं सकता. हाँ इतना जरुर है कि मैं इस चरित्र के इमोशन के साथ खुद को रिलेट कर पाता हूं.

सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली और परिवार का सहयोग कितना रहा?

मैं बचपन से ही एक परफ़ॉर्मर और डांसर के रूप में दर्शकों के आगे रहा. जब मैं छोटा था तो सपने में भी शाहरुख़ खान और आमिर खान नजर आते थे. 90 के दशक के हीरों की तरह मैं बनना चाहता था, ऐसा एक अनफिनिश्ड ड्रीम मेरे अंदर पनप रही थी. जब पेरेंट्स ने इसे देखा कि मुझे दर्शकों के सामने डांस परफॉर्म करना पसंद है, तो उन्होंने खुद अभिनय के क्षेत्र में कोशिश करने की सलाह दी. माता-पिता की इस सुझाव से मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और मैंने अभिनय को मेरा प्रोफेशन बनाने की कोशिश करने लगा.

सवाल-आप और एश्वर्या दोनों की जोड़ी ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन पर चर्चित है, आपने उनमे क्या खास देखा, जिससे आप प्रभावित हुए?

ऐश्वर्या मेरी मंगेतर है और मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऑन स्क्रीन पार्टनर रियल लाइफ में भी पार्टनर बन जायेगी. पहले प्रोफेशनली मैं ऐश्वर्या से मिला था और जब मैंने पहले उसके साथ मॉक शूट किया, तो उसने हर काम को बड़ी सहजता से किया. इससे मैं बहुत प्रभावित हुआ, क्योंकि कई बार पहले से बहुत अधिक सोच-विचार करने के बाद भी मुझे सही डेलिवर नहीं कर पाते. इसके बाद प्रोड्यूसर की ऑफिस में मीटिंग, रीडिंग आदि किये, मैंने तब उसकी पारदर्शिता और ग्रोथ को अभिनय में देखा, जो मुझे बहुत अच्छा लगा.पर्सनल फ्रंट पर वह बहुत चुलबुली और पारदर्शी है, वह जो सोचती और बोलती है, उसमें एक ईमानदारी रिश्ते को निभाने की है, उसका प्यार उसकी आँखों में दिखता है. इससे अधिक मुझे कुछ नहीं चाहिए.

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सवाल-क्या मंगनी के बाद आप दोनों के रिश्ते में किसी प्रकार का बदलाव आया है?

किसी प्रकार की बदलाव हम दोनों के रिश्ते में नहीं आया है, पहले भी हम जैसे थे, अभी भी वैसे ही प्रोफेशनल तरीके से काम करते है. हाँ जब समय मिलता है, तो थोड़ी बातचीत हो जाती है, ऐसे में इतना कहना चाहता हूं कि हम दोनों अपने रिश्ते से खुश है.

सवाल-प्यार करना और उसे निभाने में, खासकर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कितनाअंतर होता है?

ये सही है कि मनोरंजन की दुनिया में लोग प्यार में आसानी से पड़ जाते है, लेकिन उसे निभाना मुश्किल होता है. ऐश्वर्या और मैंने जब पहले बात की थी, तो शुरू में ही इस रिश्ते को एक ट्रायल बेसिस पर नहीं रखा. बार-बार शो की वजह से मिलने पर एक दूसरे को काफी हद तक जान चुके थे और हम दोनों का प्यार पुख्ता हो चुका था. दोनों ने ही इस रिश्ते को लम्बे समय निभाने के बारें में सोचा है और कुछ दिनों में हम दोनों शादी भी करने वाले है. निभाना तब मुश्किल होता है, जब दो व्यक्ति एक दूसरे की खामी को सहना नहीं चाहते,बल्कि उसे अपने अनुसार बदलने की कोशिश करते है. एक दूसरे की कमी को समझकर आगे बढ़ने से ही रिश्ता टिक पाता है. मैं और ऐश्वर्या एक दूसरे को हर दिन समझ रहे है. असल में प्यार को महसूस किया जाता है, जबकि रिश्ता निभाने के लिए एक दूसरे को समझना पड़ता है.

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सवाल-क्या आगे आप किसी हिंदी फिल्म या वेब सीरीज में आने की इच्छा रखते है?

हर कलाकार को हिंदी फिल्म और वेब सीरीज में काम करने की इच्छा होती है. मैं अधिक प्लानिंग नही करता और वर्तमान में जीता हूं. इस समय मैं इस शो पर ध्यान केन्द्रित कर खुश हूं.

सवाल-कोई मेसेज जो आप देना चाहते है?

मैं महिलाओं से आत्मनिर्भर होने के लिए कहता हूं, क्योंकि आत्मनिर्भर होने से आत्मशक्ति बढती है और वे अपनी इच्छा के अनुसार रास्ता तय कर पाती है.

5 स्टाइलिश मौनसून फैशन ट्रैंड्स

मौनसून का मौसम आते ही मन खुशी से  झूम उठता है, क्योंकि चिलचिलाती गरमी से राहत जो मिलती है. चारों तरफ घिरे काले बादल और  झमा झम बारिश मन को सुकून पहुंचाती है. मगर जहां ये मौसम सुहावना होता है, वहीं बारिश के कारण स्टाइल बिगड़ने का डर भी रहता है.

ऐसे में अमेजन फैशन के क्रिएटिव डाइरैक्टर नरेंद्र कुमार बताते हैं कि इस मौसम में कुछ टिप्स व ट्रिक्स का ध्यान रख कर खुद को स्टाइलिश दिखा सकते हैं:

 फैशन ट्रैंड इन मौनसून

मौनसून कुछ स्टाइलिश लेकिन फंक्शनल कपड़ों का ट्रैंड लाता है. ऐसे में इस सुहावने मौसम में महिलाएं ब्राइट सौलिड या कुछ फ्लोरल और क्विर्की प्रिंट्स के आरामदायक टौप के साथ मिड्डी ड्रैस और क्रोप पैंट का विकल्प चुन सकती हैं. किमोनो और श्रग जैसे जल्दी सूखने वाले परिधानों को चुन कर वे खुद को स्टाइलिश भी दिखा सकती हैं.

यदि आप सेमी कैजुअल लुक चाहती हैं तो इस के लिए आप प्रिंटेड ब्लाउज के साथ फ्लेयर्ड पैंट के लुक को कैरी कर सकती हैं, जो आप के लुक को अमेजिंग बनाने का काम करेगा. एक कंटैंपरेरी ऐथनिक लुक के लिए सिगरेट पैंट के साथ स्लीवलैस स्ट्रैपी कुरती भी पहन सकती हैं.

इस मौसम में वाइब्रैंट कलर्स और अनूठे प्रिंट वाले कपड़े बच्चों के लिए एकदम उपयुक्त हैं. इस मौसम में ऐसे फैब्रिक्स का चयन करें, जो हलके व जल्दी सूखने वाले हों. आप टीशर्ट या शर्ट के साथ शौर्ट्स व फ्लोरल सैंडल के साथ प्रिंटेड ड्रैस पहन सकती हैं. ब्राइट कलर के रेनकोट्स और गमबूट्स हमेशा आप के पास होने चाहिए. ये मौनसून के फैशन ट्रैंड में चार चांद लगाने का काम करते हैं.

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1. ऐक्सैसरीज व फुटवियर

आप के आउटफिट्स की खूबसूरती को बढ़ाने में ऐक्सैसरीज महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इस मौसम में अगर आप ज्वैलरी कैरी करें तो हलकी ज्वैलरी ही वियर करें. आप स्टड इयररिंग्स के साथ सिलिकौन वाटरपू्रफ बैंड वाच या फिर मैटल स्टैप वाली घड़ी और मैटेलिक शेड्स में ओपन टो का उपयोग आप के लिए इस सीजन में उपयुक्त है.

अगर बात करें फुटवियर की, तो आप को ऐसे फुटवियर का चुनाव करना चाहिए, जिस की ग्रिप मजबूत होने के साथसाथ जल्दी से सूख भी जाए. लैदर बैग व जूतों का उपयोग करने से आप को बचना चाहिए. बच्चों को अच्छी तरह से फिट होने वाले फ्लोटर सैंडल या क्लोग्स पहनाए जा सकते हैं. बच्चों के लिए बरसात के मौसम को और अधिक खूबसूरत बनाने के लिए चमकीले रंग के छाते व क्विर्की पैटर्न वाले गम बूट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये लुक बढ़ाने का भी काम करेंगे.

2. कूल कलर कौंबिनेशन फौर कूल मौसम

मौनसून के मौसम का आनंद उठाने के लिए वाइब्रैंट कलर्स का चुनाव करना चाहिए. इन रंगों के साथ पुरुषों के लिए प्रिंट, प्लेन व माइक्रो जिओमैट्रिक प्रिंट वाले कपड़े व महिलाओं के लिए फ्लोरल व कलर ब्लोकैड डिजाइन के कपड़ों को शामिल किया जा सकता है. ये रंग व कौंबिनेशन इस मौसम के लिए काफी उपयुक्त रहता है.

3. मौनसून वार्डरोब क्या इन क्या आउट

आप को हलके और ढीले कपड़ों का चयन करना चाहिए, जो जल्दी सूखने के साथसाथ आप के शरीर से चिपकें भी नहीं. लैगिंग्स या डैनिम से दूर रहें. ऐसे प्रिंट का चयन करें, जो दागों को छिपाता हो. साथ ही ऐसे कपड़ों का चयन करें, जिन में सिलवटें न पड़ती हों. ऐक्सैसरीज के मामले में आप स्टड और यूनिक शेप या कलरफुल जैमस्टोन वाली हलकी ज्वैलरी का इस्तेमाल कर सकती हैं. मोनोक्रोम फुटवियर का चयन न करें. इन की जगह चमकीले रंग और पैटर्न चुन सकती हैं.

4. फैब्रिक सलैक्शन में किन बातों का रखें ध्यान

रेयान, विस्कोस और क्रेप जैसे हलके कपड़े मौनसून के मौसम के लिए एकदम उपयुक्त होते हैं. बदबू या किसी भी प्रकार की स्किन ऐलर्जी से बचने के लिए सिंथैटिक कपड़ों से बचना चाहिए. हलके या जल्दी सूखने वाले फैब्रिक से बने परिधान इस मौसम में अच्छा काम करते हैं. इस मौसम में हमेशा वाटरपू्रफ शूज, बैग्स व ऐक्सैसरीज का ही इस्तेमाल करना सही रहता है.

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5. मौनसून में स्टाइल न हो कैसे कम

आप कंट्रास्ट कलर के साथ प्रिंट के फैशन को फौलो कर सकती हैं. न्यूनतम ऐक्सैसरी का इस्तेमाल कर के आप अपने स्टाइल को अलग लुक दे सकती हैं. ऐसी किसी भी ऐक्सैसरी के इस्तेमाल से बचें, जिस में जंग व दाग पड़ने की संभावना हो. इस मौसम में आप जो भी पहनें व खरीदें, उस का कलर, स्टाइल, फैब्रिक मौसम के अनुसार हो.

अस्त व्यस्त नहीं व्यवस्थित रहें

सरकार ने हाल ही में नए संसद भवन के निर्माण का आदेश जारी किया है और उस पर तेजी से काम हो रहा है. एक बार आप राजपथ घूम कर आएं . सब कुछ बिखरा हुआ सा दिखेगा. जगहजगह नो एंट्री के बोर्ड लगे हैं. सड़कें दूरदूर तक खुदी हुई हैं. जगहजगह मलबे का ढेर और अस्तव्यस्त सा आलम है. गाड़ियों को घुमा घुमा कर ले जाना पड़ रहा है. जनता परेशान हो रही है और यह दोचार दिनों की बात नहीं . अभी महीनों यही हाल रहने वाला है. ऐसा ही या फिर कहें कि इस से भी बदतर नजारा होता है जब किसी इलाके में नई मेट्रो लाइन या फ्लाईओवर आदि का निर्माण कार्य शुरू होता है. हर तरफ मलवों का ढेर, लोहे की छड़ें और क्रेन जैसी बड़ीबड़ी गाड़ियां बेतरतीब सी सड़कों पर नजर आती हैं.

मिट्टी और पानी से सड़कों पर कीचड़ की भरमार हो जाती है और इस वजह से लोगों का उन रास्तों से आनाजाना मुहाल हो जाता है. ट्रैफिक जाम और गाड़ियों के शोर से जिंदगी बद से बदतर हो जाती है. सवाल उठता है कि इस तरह के निर्माण कार्यों में जब मनचाहा पैसा कमाया जा रहा है तो भी सब कुछ व्यवस्थित क्यों नहीं है? जनता को तकलीफ क्यों सहनी पड़ती है ? कोई देखने वाला क्यों नहीं है? यदि थोड़ा सा ख्याल रखा जाए और पूर्व योजना और व्यवस्था के साथ काम किया जाए तो जनता की तकलीफों को बहुत सहजता से कम किया जा सकता है.

दरअसल यह भारतीय मनोवृति है. देश हो, समाज हो या छोटा सा घर, हर तरफ लोगों को अस्तव्यस्त रहने की आदत है. घरों में हर जना अपने सामान इधरउधर पटकने का आदी होता है. पति हो या बच्चे, स्कूल /ऑफिस से घर आते ही अपना बैग टेबल/बेड /सोफे पर पटकते हैं और मोबाइल में लग जाते हैं. बच्चे एक जूता एक कमरे में तो दूसरा दूसरे कमरे में उतार कर और मोजों को कहीं दूर फेंकते हुए बिस्तर पर आ गिरते हैं. बाहर से आ कर अपने कपड़े भी बाथरूम या बिस्तर पर छोड़ कर अपनी दुनिया में मगन हो जाते हैं.

सामान्यतया यह काम गृहिणी का माना जाता है कि वह सब के सामान व्यवस्थित कर के रखे. अगर गृहिणी कहीं से चूक जाए तो सुबह भागमभाग मच जाती है. साधारणतः ऐसे घरों में सुबह का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है. पति टाई/ फाइल वगैरह ढूंढते दिखते हैं तो बच्चे मोज़े और किताबें. मां टिफिन बनाने के बीचबीच में सामान खोजने के लिए दौड़ती है. ऐसे में कभी रोटी जल जाती है, तो कभी बस छूट जाती है और कभी ऑफिस पहुंचने में देर हो जाती है. यह सब नतीजा है अस्तव्यस्त रहने की आदत का. जीवन की आपाधापी और परेशानियों से बचना है तो जीवन में व्यवस्थित करने की आदत बहुत जरूरी है. यह आदत घर के हर सदस्य में होनी चाहिए वरना किसी एक की बेपरवाही के कारण दूसरे घरवालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

व्यवस्थित रहने की आदत डालें

ज़्यादातर लोगों को व्यवस्थित रहना बिल्कुल भी आसान नहीं लगता है. याद रखिए व्यवस्थित रहने की आदत डालने में वक्त लग सकता है लेकिन एक बार जब आप ऐसा करना शुरू करते हैं तो फिर यह आप की आदत में शुमार हो जाता है. इस से आप की जिंदगी काफी आसान बन जाती है. अपने रहने की जगह को व्यवस्थित करने के साथ ही आप को हर काम व्यवस्थित तरीके करने की आदत बनाना होगी. ताकि आप कम वक़्त में भी काफी सारे काम पूर्णता के साथ कर पाएँ. व्यवस्थित रहने से आप के तनाव और चिंताएं भी कम हो जाती हैं.

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वक्त के साथ चलें

सब से पहले अपने वक्त को व्यवस्थित करें. एक कैलेंडर लें और सभी महत्वपूर्ण तारीखों जैसे घरवालों या दोस्तों के बर्थडे, एनिवर्सरीज आदि को नोट कर लें.  इसे अपने किचन में, बेड के सामने या अपने होम ऑफिस की दीवार जैसी किसी ऐसी जगह पर लगा लें जहां आप की नजर उस पर रोजाना पड़े. आप चाहें तो कंप्यूटर डेस्कटॉप पर भी एक कैलेंडर लगा कर रख सकती हैं. रोजाना दूसरी जरूरी तारीखों, अपोइंटमेंट्स और मीटिंग्स डेट्स भी टिक करती जाएं ताकि यह लगातार अपडेटेड रहे और आप को आसानी हो.

अब एक समय निश्चित करें और रोज उस समय जैसे सुबह उठने के बाद या फिर सोने से पहले इस कैलेंडर को चेक करने की आदत बना लें. आप चाहें तो जरूरी डेट्स को रेड कलर से हाइलाइट कर सकती हैं. आप फोन पर कैलेंडर ऐप का प्रयोग कर रिमाइंडर भी सेट कर सकती हैं. इस से आप वक्त पर हर जगह मौजूद रह सकेंगी और रिश्ते हों या करियर, हर जगह बिना किसी टेंशन खुद को आगे रख सकेंगी. इन सब के साथ खुद को वक्त के हिसाब से अनुशासित रखना भी जरुरी है. हर काम का समय निश्चित रखें. सुबह जल्दी उठें और फिर शांति से अपने काम करें.

जरूरी कामों की लिस्ट बनाएं

कई दफा हम कोई जरुरी काम करना भूल जाते हैं और फिर बाद में पछताते हैं कि इतना अर्जेंट काम भूल कैसे गए. इस टेंशन से बचने के लिए लिस्ट बनाना शुरू करें. हर रोज सुबह में उस दिन जो काम करने हैं उन की एक लिस्ट बनाएं.

इसे दो हिस्सों में विभाजित करें. पहला हिस्सा घर के कामों की लिस्ट का हो और दुसरे हिस्से में उन कामों की लिस्ट बनाएं जिन्हें आप को ऑफिस में करने हैं या फिर ऑफिस से घर लौटते समय रास्ते में निबटाने हैं. पहले लिस्ट को किचन या बैडरूम में रखें और दूसरे लिस्ट को ऑफिस बैग में. जो काम निबटता जाए उस पर क्रॉस लगाती जाएं.

घर को व्यवस्थित करें

सब से पहले अपने बेडरूम को व्यवस्थित करें. इसे साफ़ और सजा कर रखें. यहां मौजूद हर एक आइटम को सही जगह पर रखें तभी बाहर निकलें और तब घर के दूसरे काम करें. अपने बेडरूम में मौजूद सामान जितना हो सके कम करती रहें.

इस के बाद अपने होम ऑफिस और डेस्कटॉप को व्यवस्थित करें. अपनी डेस्क पर मौजूद सारे पेपर्स और बिल्स को देखें. इन चीजों को किसी फोल्डर में या एक फाइलिंग कैबिनेट में रख दें. उन सारे पेपर्स को हटा दें जिन की आप को जरूरत नहीं पड़ने वाली है. ऑफिस फाइल्स को ड्रायर या कैबिनेट में रख दें. सारे पेन, पेंसिल, स्टेपलर और हाइलाइटर आदि को एक पेन होल्डर में रखें.

अपने किचन को ऑर्गेनाइज करें

किचन आप के घर का सब से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट एरिया होता है. यहाँ के हर एक आइटम को चेक करें. यूज न होने वाले या एक्सपायर आइटम्स को बाहर करें. टूटे हुए किचन टूल्स या पुराने बर्तनों को भी बाहर निकाल दें. बेकार की भीड़ न बढ़ाएं. रखने वाली चीज़ों को साफ कर लें और फिर व्यवस्थित रूप से रखें. एक तरह के आइटम्स एक जगह रखें ताकि ढूंढने में सुविधा हो. चाहें तो डिब्बों पर कागज़ चिपका दें जिन में अंदर रखी चीज़ का नाम लिखा हो. इस से कोई और शख्स भी किचन में कुछ काम करने को आए तो उसे चीज़ें ढूंढने में सहूलियत हो.

सारे जरूरी आइटम्स को ड्रायर या कबर्ड में रखें. अक्सर यूज किए जाने वाले आइटम्स जैसे मसाले आदि को काउंटर पर मौजूद मसाले के रैक जैसी किसी आसान जगह पर रख सकती हैं. एक सामान की 2 -3 बोतल या केन है तो एक्सपायरी डेट के हिसाब से उन्हें बाहर से अंदर की तरफ रखें ताकि जल्द खराब होने वाली चीज़ें पहले यूज़ कर सकें.

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कपड़ों की अलमारी को ऑर्गेनाइज रखें

अक्सर ऑफिस या कहीं और जाने की जल्दी में हम कई कपड़े निकालते हैं और फिर एक को सेलेक्ट कर बाकी ऐसे ही वापस ठूंस देते हैं. न उन्हें फोल्ड करने की जहमत उठाते हैं और न ही करीने से लगाते हैं. यह आदत बहुत खराब है क्योंकि फिर हमेशा ही एक कपड़े निकालने की कोशिश में आप को सारे कपड़ों की भीड़ निकाल कर अपनी पसंद ढूंढनी होती है. इस में समय भी बर्बाद होता है और कपड़ों की भी ऐसीतैसी हो जाती है. इसलिए इसे व्यवस्थित रखना बहुत जरुरी है.

अगर आप के पास काफी सारे कपड़े मौजूद हैं तो पहले गैरजरूरी या आप के द्वारा अब नहीं पहने जाने वाले / छोटे हो चुके कपड़ों को हटा कर बाहर कर दें. अगर आप ने किसी ड्रैस को एक साल से नहीं पहना है तो आप को उसे बाहर निकाल देनी चाहिए. अब अपनी अलमारी को ऑर्गेनाइज करें. कपड़ों के आइटम्स को ग्रुप में रखें, जैसे कि एक शेल्फ में सारी जीन्स को रख दें. इसी तरह जैकेट्स, टॉपस या सूट वगैरह एक जगह पर रखें.

अपनी अलमारी में मौजूद आइटम्स को रोटेट करती रहें ताकि आप हमेशा अलगअलग आइटम्स को पहनती रह सकें और आप के सारे कपड़े भी यूज होते रहें. सारे शूज और सैंडल्स को एक शू रैक में या लेबल किए हुए बॉक्स में एकसाथ रखें. इस तरह से आप हर एक पेयर को देख पाएंगी और आप को यह भी मालूम रहेगा कि आप के पास क्याक्या मौजूद है.

बैंक के और दूसरे जरूरी कागजात

आधार कार्ड, पैन कार्ड, क्रेडिट कार्ड्स , एटीएम कार्ड्स , रेंट एग्रीमेंट, बैंक एफडीज, लोन पेपर्स जैसे  कितने ही जरूरी कागजात होते हैं जिन्हें संभाल कर रखना और समय पर तुरंत निकालना आवश्यक होता है. आप को इन्हें अलग फाइल में करीने से रखना सीखना चाहिए. कोई भी कागज़ बाहर निकालें तो बाद में उसी जगह वापस रखें. हर कागज़ की फोटोकॉपीज भी अलग से रखें ताकि जरुरत पड़ने पर फोटोकॉपी कराने दौडना न पड़े.

अपने काम की जगह को नियमित रूप से साफ़ करें

अपने बेडरूम, होम ऑफिस, डेस्क, किचन और आलमारियों की रेगुलर सफाई करें. हफ्ते के एक खास दिन जैसे सैटरडे या संडे को सफाई करने के दिन के तौर पर रखें. ऐसा करने से आप के घर के किसी भी हिस्से में कचरा जमा नहीं होगा. साथ ही ये आप के लिए अपने घर के हर एक हिस्से में चीजों को ऑर्गेनाइज बनाए रखना आसान हो जाएगा. यही नहीं हर रोज एक बार अपने घर की हल्की सी डस्टिंग करें. ऐसे हर उन पेपर्स या बिल्स को निकाल दें जिन की अब आप को जरूरत नहीं पड़ने वाली है.

इस तरह की छोटी छोटी सावधानियों और प्रयासों से आप अपने जीवन को ज्यादा व्यवस्थित और खूबसूरत बना सकती हैं और जीवन में सफलता का स्वाद चख सकती हैं.

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मकई के आटे से बनाएं ये टेस्टी डिशेज

सुबह का नाश्ता और इवनिंग स्नैक्स रोज की ही समस्या होती है. बाजार से हर रोज नाश्ता न तो लाया जा सकता है और न ही उसे खाना सेहतमंद होता है. आज हम आपको मक्के के आटे से बनने वाली 2 डिशेज बता रहे हैं. मकई अर्थात मक्का उत्तर भारत में पाया जाने वाला प्रमुख मोटा अनाज है. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर मक्के में विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. भुट्टे के रूप में प्रयोग करने के साथ साथ इसके दानों को सुखाकर पिसवाकर आटे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. भुट्टे के ताजे दानों को ही फ्रीज में रखकर फ्रोजन कॉर्न के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. तो आइए देखते हैं कि मकई के आटे से ये दो डिशेज कैसे बनतीं हैं-

-कॉर्न अप्पे

कितने लोंगों के लिए                4

बनने में लगने वाला समय         25 मिनट

मील टाइप                              वेज

कॉर्न अप्पे

सामग्री

फ्रोजन या ताजे कॉर्न                1 कप

सूजी                                     1 कप

दही                                       1 कप

नमक                                     1 टीस्पून

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हरी मिर्च कटी                          4

हरा धनिया कटा                    1 टेबलस्पून

बारीक कटा प्याज                  1

किसा अदरक                         1 इंच

बारीक कटा टमाटर                 1

बारीक कटी शिमला मिर्च         1

किसी गाजर                           1

बारीक कटा हरा धनिया         1 टेबलस्पून

चिली फ्लैक्स                          1 टीस्पून

जीरा                                   1/4 टीस्पून

ईनो फ्रूट साल्ट                      1 पाउच

तेल                                  पर्याप्त मात्रा में

विधि

कॉर्न के दानों को दही के साथ पीस लें. अब इसमें सूजी, सभी मसाले तथा सभी कटी सब्जियां मिलाकर 15 मिनट के लिए ढककर रख दें. 15 मिनट बाद ईनो फ्रूट सॉल्ट डालकर अच्छी तरह चलाएं. तैयार मिश्रण में से 1 चम्मच मिश्रण अप्पे के सांचे में डालकर ढक दें. धीमी आंच पर उलट पलट कर सुनहरा होने तक सेंकें. तैयार अप्पे को हरी चटनी या टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

-मकई परांठा

कितने लोंगों के लिए                4

बनने में लगने वाला समय          30 मिनट

मील टाइप                              वेज

सामग्री

मकई का आटा                       1 कटोरी

गेहूं का आटा                         1/2कटोरी

किसी लौकी                          1/4 कटोरी

अदरक, लहसुन पेस्ट             1टीस्पून

कसूरी मैथी                           1 टीस्पून

नमक                                  1चम्मच

जीरा                                   1/4 टीस्पून

तिल                                     1/2 टीस्पून

तेल अथवा घी                    पर्याप्त मात्रा में

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विधि

एक बड़े बाउल में तेल को छोड़कर समस्त सामग्री को एक साथ अच्छी तरह मिलाएं. इसे गुनगुने पानी की सहायता से कड़ा गूंथ लें. इसे हल्के हाथ से ही गूंथे. तैयार आटे से एक छोटी सी लोई लेकर चकले पर रोटी जैसा बेल लें. अब इसमें कांटे से छेद कर दें ताकि यह फूल नहीं और क्रिस्प सिंके. तेल लगाकर इसे दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेक लें. चटनी अचार या चाय काफी के साथ इसे प्रयोग करें.

प्रेग्नैंसी में स्किन केयर

जब आप प्रैगनैंसी प्लान कर रही होती हैं और इसी बीच आप को जब पता चलता है कि आप ने कंसीव कर लिया है तो आप की खुशी का ठिकाना नहीं रहता. ऐसा लगने लगता है जैसे पूरी दुनिया ही बदलने वाली हो.

यही बात स्किन केयर प्रोडक्ट्स पर भी लागू होती है. भले ही आप की कैबिनेट मेकअप के सामान से भरी हुई हो, जो आप की स्किन को खूबसूरत व ग्लोइंग बनाने का काम करता हो, लेकिन प्रैगनैंट होते ही आप के शरीर की तरह आप की स्किन में भी कई तरह के बदलाव आने शुरू हो जाते हैं, हारमोंस का संतुलन बिगड़ने की वजह से स्किन में नमी कम होने के साथसाथ स्किन ज्यादा सैंसिटिव जो होने लगती है.

इसलिए अब न तो आप पहले की तरह अपने रूटीन को फौलो कर पाती हैं और न ही स्किन केयर रूटीन को. अब आप को जरूरत होती है अपने स्किन केयर रूटीन में उन ब्यूटी प्रोडक्ट्स को शामिल करने की, जो प्रैगनैंसी में आप के व आप के बच्चे के लिए सही व सेफ हो.

अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि प्रैगनैंट महिला को प्रैगनैंसी के दौरान कैमिकल्स से दूरी बना कर रखना बहुत जरूरी है. तो जानते हैं उन कैमिकल्स के बारे में कौस्मैटोलौजिस्ट पूजा नागदेव से:

रैटिनौइड्स

अच्छी त्वचा, प्रजनन संबंधी व आंखों की अच्छी हैल्थ के लिए विटामिन ए बहुत ही आवश्यक तत्त्व माना जाता है. लेकिन जब हम इसे लेते हैं या फिर स्किन के जरीए अवशोषित करते हैं तो हमारा शरीर इसे रैटिनोल में बदल देता है. बहुत सारे ऐंटीएजिंग स्किन केयर प्रोडक्ट्स में रैटिनौइड्स होते हैं, जो एक तरह का रैटिनोल होता है, जिस में ऐक्ने व झुर्रियों से लड़ने की क्षमता होती है. रैटिनौइड्स डैड स्किन को ऐक्सफौलिएट कर के तेजी से कोलेजन के निर्माण में मदद करता है.

लेकिन ओवर द काउंटर मैडिसिंस की तुलना में प्रैसक्राइब्ड मैडिसिन में काफी ज्यादा मात्रा में रैटिनौइड्स होते हैं. लेकिन जब जरूरत से ज्यादा इन का इस्तेमाल किया जाता है तो ये बच्चे में कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं. इसलिए इन का इस्तेमाल प्रैगनैंसी के दौरान स्किन केयर प्रोडक्ट्स में करने से बचना चाहिए.

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सैलिसिलिक ऐसिड

ज्यादा मात्रा में सैलिसिलिक ऐसिड में एस्पिरिन की तुलना में ऐंटीइन्फ्लैमेटरी प्रौपर्टीज होती हैं, जो आमतौर पर हमेशा ऐक्ने को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इसलिए डाक्टर के बिना पूछे सैलिसिलिक ऐसिड युक्त क्रीम्स का इस्तेमाल प्रैगनैंसी के दौरान न करें क्योंकि अकसर डाक्टर जरूरत पड़ने पर 2% से कम वाले सैलिसिलिक ऐसिड का इस्तेमाल करने की ही सलाह देते हैं. अत: अगर आप ज्यादा मात्रा में इस का इस्तेमाल करती हैं तो यह नुकसान ही पहुंचाने का काम करेगा.

फैथलेट्स

फैथलेट्स एक ऐसा तत्त्व है, जो हारमोंस के संतुलन को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इस का इस्तेमाल ढेरों कौस्मैटिक्स व पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में किया जाता है. रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जानवरों की प्रजनन क्षमता व हारमोंस के संतुलन को बिगाड़ने के लिए इसे जिम्मेदार माना जाता है. इसलिए इस कैमिकल से दूरी बनाने में ही समझदारी है.

कैमिकल सनस्क्रीन

सनस्क्रीन में सब से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला अल्ट्रावायलेट फिल्टर औक्सीबेंजोन व इस के विभिन प्रकार हैं. हालांकि यह स्किन को प्रोटैक्ट करने का काम करता है. लेकिन औक्सीबेंजोन स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए सही नहीं माना जाता क्योंकि यह एक ऐंडोक्राइन डिसरूपटर है. इसलिए यह आशंका रहती है कि प्रैगनैंसी के दौरान यह हारमोंस का संतुलन बिगाड़ने के साथसाथ मां व बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.

हेयर डाई

हेयर कलर्स में अमोनिया और पैरौक्साइड होता है जो स्कैल्प के जरीए शरीर में जा कर जलन, ऐलर्जी व कई अन्य नकारात्मक प्रभाव डालने का काम करता है.

ब्लीच

ब्लीच में हाइड्रोजन पैरौक्साइड होता है, जो स्किन को डैमेज करने के साथसाथ आंखों के टिशू को भी नुकसान पहुंचाने का काम करता है. इसलिए प्रैगनैंसी में तो इस का इस्तेमाल करने से बचना ही चाहिए.

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अब जानते हैं अल्टरनेटिव  सेफ स्किन केयर इंग्रीडिएंट्स के बारे में:

ऐक्ने ऐंड हाइपरपिगमैंटेशन

अगर आप प्रैगनैंसी के दौरान ऐक्ने व स्किन पिगमैंटेशन की समस्या से परेशान हैं, तो रैटिनौइड बेस्ड कौस्मैटिक्स की जगह, जिस में ग्लाइकोलिक ऐसिड इन्ग्रीडिएंट हो, उस का इस्तेमाल करें क्योंकि यह हैल्दी स्किन सैल्स को प्रमोट कर के आप के प्रैगनैंसी के ग्लो को भी बनाए रखने का काम करता है.

ऐंटीएजिंग

विटामिन सी जिस तरह से आप की इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है, उसी तरह से विटामिन सी जैसा ऐंटीऔक्सीडैंट कोलेजन को बनाए रखने व स्किन को फ्री रैडिकल्स से बचाए रखने का भी काम करता है. इसी के साथ आप प्रैगनैंसी के दौरान अन्य ऐंटीऔक्सीडैंट्स जैसे विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी-3 व ग्रीन टी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

ड्राई स्किन ऐंड स्ट्रैच मार्क्स

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि प्रैगनैंसी के दौरान शरीर पर काफी दबाव व भार पड़ता है और गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी समय पानी की जरूरत होती है, तो वह आप से ही इसकी पूर्ति करता  है. इस से स्किन ड्राई हो जाती है. रूखी त्वचा इस का व हारमोंस के असंतुलन का ही परिणाम है. ऐसे में अगर आप स्ट्रैच मार्क्स से बचना चाहती हैं तो आप को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप की स्किन ड्राई न हो.

इस के लिए आप स्वीट औलमंड औयल, सीसम या ओलिव औयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. आप लैवेंडर औयल, रोज औयल, जैसमिन औयल का भी बिना डरे इस्तेमाल कर के ड्राई स्किन व स्ट्रैच मार्क्स की समस्या से छुटकारा पा सकती हैं.

सन प्रोटैक्शन

स्किन को धूप से बचाना बहुत जरूरी होता है. अगर आप की स्किन धूप से बची रहेगी तो स्किन कैंसर के साथसाथ झुर्रियों का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाएगा. ऐसे में आप प्रैगनैंसी के दौरान नैचुरल सनस्क्रीन के तौर पर रसभरी सीड औयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. प्रैगनैंसी के दौरान कैमिकल वाले सनस्क्रीन की जगह मिनरल बेस्ड सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करें.

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फ्लर्ट नहीं है गंदी बात

शुभम कुछ दिनों से महसूस कर रहा था कि पड़ोस में रहने वाले गिरिजा शंकर की पत्नी अपनी बालकनी से अकसर उसे देखती है.

एक दिन शुभम ने उस के घर के सामने से गुजरते हुए उसे मुयकरा कर नमस्ते कहा तो उस ने भी  झेंप कर नमस्ते का जवाब दिया और फिर नजरें नीची कर के अंदर चली गई. इस के बाद वह जब भी अपनी बालकनी में आती और शुभम दिखाई देता तो वह हलके से मुसकरा देती.

फिर एक दिन वह बाजार में सब्जी खरीदते हुए दिख गई. शुभम को देखते ही उस के चेहरे पर मुसकान खिल गई. उस की नजरों ने शुभम को आमंत्रित किया तो शुभम ने भी आगे बढ़ कर उस के हाथों से सब्जी का थैला लिया. उस ने शुभम को धन्यवाद और फिर दोनों घर तक बातें करते आए.

उस का नाम नीलिमा है. उस का पति पोस्ट औफिस में हैड क्लर्क. पति सुबह 9 बजे औफिस चला जाता और देर रात लौटता तो अकसर नशे में होता. वह आता और खाना खा कर सो जाता. नीलिमा सारा दिन अकेली होती. इस शहर में उन का कोई रिश्तेदार या दोस्त नहीं था. जब से शुभम उस के पड़ोस में रहने आया था तभी से नीलिमा उस से अट्रैक्ट थी.

नीरस जिंदगी में रंग

शुभम और नीलिमा के बीच शुरू हुआ फ्लर्ट का सिलसिला अब दोस्ती और प्यार में तबदील हो चुका है. दोनों आपस में अपने सुखदुख बांटते हैं. नीलिमा की नीरस जिंदगी में रंग भर गए हैं. वह अब सजतीसंवरती है, बढि़या खाना बनाती है, जिस का एक हिस्सा शुभम के घर भी जाता है. नीलिमा अब अपने घर को खूब साफसुथरा और व्यवस्थित रखने लगी है क्योंकि शुभम अकसर वहां आने लगा है.

इस बदलाव के चलते अब नीलिमा का पति भी उस की तारीफ करता है, उस में आए बदलाव को महसूस करता है और उस की सुंदरता भी अब उसे नजर आने लगी है. दोनों के रिश्ते भी खुशनुमा रहने लगे हैं. अब वह कभीकभी औफिस से जल्दी आ कर उसे घुमाने भी ले जाता है.

इधर नीलिमा से दोस्ती के बाद शुभम भी काफी व्यवस्थित और स्मार्ट तरीके से रहने लगा है. रोज शेव करता है, प्रैस किए कपड़े पहनता है, जिम जाने लगा है. कुछ खास खाने का मन होता है तो नीलिमा से कह देता है और वह फटाफट बना कर ले आती है यानी एक फ्लर्ट ने 3 जिंदगियों में रंग भर दिए हैं.

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आमतौर पर हमारा समाज फ्लर्ट को गलत और अमर्यादित चीज मानता है, मगर फ्लर्ट के भी अपने फायदे हैं. अगर कुछ तय सीमारेखा के अंदर फ्लर्ट किया जाए तो यह नीरस जिंदगी में रोमांच और उत्साह पैदा कर देता है. इंसान को अवसाद से निकाल कर जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण दे सकता है. इस कल्पना से ही मन में लड्डू फूटने लगते हैं कि कोई है जो आप को पसंद करता है, आप का दीदार करना चाहता है. कोई है जिस की नजरों को आप की एक  झलक का इंतजार है.

फ्लर्टिंग का मतलब

फ्लर्टिंग का मतलब है किसी को यह दिखाना कि आप उस की तरफ आकर्षित हैं. अगर आप किसी के साथ फ्लर्ट करने के लिए तैयार हैं, तो इस का मतलब है कि आप उसे काफी ज्यादा पसंद करते हैं और आप का आकर्षण उस के लिए काफी तीव्र है.

फ्लर्टिंग की शुरुआत करने में पहलेपहल चिंता होती है, पर घबराएं नहीं जिस को आप सच में पसंद करते हैं उस के सामने नर्वस होना आम बात है, लेकिन आत्मविश्वास से किसी के साथ फ्लर्ट करने के कई तरीके हैं. चाहे आप टैक्स्ट, औनलाइन या व्यक्तिगत तौर पर फ्लर्ट कर रहे हैं आप को अपनी भावनाएं व्यक्त करने और दूसरे व्यक्ति को उन के बारे में शक में रहने के बीच एक तालमेल बैठाना होगा.

फ्लर्ट और प्यार में फर्क को भी सम झना होगा. कभीकभी फ्लर्ट सिर्फ फ्लर्ट ही रह जाता है और कभीकभी फ्लर्ट करने वाले एकदूसरे से मुहब्बत भी करने लग जाते हैं और आकर्षण का खेल मजबूत रिश्ते में भी बदल सकता है.

फ्लर्ट करें जरा एहतियात से

फ्लर्ट करने का पहला स्टैप है आंखों का आंखों से मिलना. आप जिसे आप पसंद करने लगे हैं उस से आई कौंटैक्ट बनाने की कोशिश करें. आई कौंटैक्ट बनाना सब से सहज और उत्तम

रास्ता है. आप उस व्यक्ति की आंखों में गहराई से  झांक सकते हैं, लेकिन बीचबीच में नजर हटा लें नहीं तो मामला सीरियस हो सकता है. इसे कुछ इस तरह से करें:

देखते हुए पकड़े जाएं कहने का मतलब यह है कि आप उस को घूरें नहीं, बल्कि थोड़ीथोड़ी देर में नजर डालते रहें. ऐसा तब तक करते रहें जब तक वह आप को ऐसा करते पकड़ नहीं ले. एक पल के लिए देखते रहें, मुसकराएं और फिर नजर फेर लें.

जब आप उस से बात कर रहे हों तो उस की आंखों में देखें खासतौर से बातचीत के प्रमुख मौकों पर जैसे जब आप उसे कौंप्लिमैंट दे रहे हों.

लड़कियां भी लड़कों को देख सकती हैं यानी फ्लर्ट की पहल कर सकती हैं. लड़की आप को देख कर पलकें  झुका ले और फिर  झुकी हुई पलकों से आप को देखे. आप की बगल से हो कर आगे बढ़ जाए और कुछ दूर जा कर पलट कर देखे तो सम झ लें आप उस के फेंके जाल में बस फंसने ही वाले हैं.

छोटी सी मुसकान और बड़ा काम

फ्लर्ट का दूसरा हथियार है मोहक मुसकान. आप जिस की तरफ आकर्षित हैं अगर उसे देख कर आप अपने होंठों पर मधुर मुसकान ले आएं तो वह इस का जवाब मुस्कान से ही देने को मजबूर होगी. कई बार आप बात शुरू होने से पहले ही अपनी मुसकराहट का फायदा उठा सकते हैं. आप तब भी मुसकरा सकते हैं जब आप हाल में उस के पास से गुजरें या फिर कमरे में आसपास खड़े हों.

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आप को एक बड़ी मुसकराहट देने की जरूरत नहीं है. बस एक छोटी सी मुसकराहट काम कर जाएगी. धीरे से मुसकराएं. अगर आप किसी की तरफ देख रहे हैं पर बात नहीं कर रहे हैं, तो जोर से हंसने के बजाय धीरे से मुसकराहट को अपने चहरे पर फैलने दें. हलकी, धीमी मुसकराहट को अकसर सैक्सी माना जाता है.

जब भी आप आई कौंटैक्ट करें, तब मुसकराएं. ज्यादा असर के लिए अगर आप किसी की आंखों में देख रहे हैं, तो अचानक मुसकरा दें. अगर यह एक वास्तविक मुसकराहट है, तो व्यक्ति को आप के मुंह की तरफ देखे बिना उस का अंदाजा हो जाएगा. अपने मुंह के बजाए  अपनी आंखों से मुसकराने की कोशिश करें.  आप जब मुसकराएं तो आप का पूरा चेहरा चमक जाना चाहिए.

धीरेधीरे बात बढ़ाएं

आप जिस के साथ फ्लर्ट करना चाह रहे हैं और उसे पहले से नहीं जानते हैं, तो इंट्रोडक्शन भी फ्लर्टिंग शुरू करने का अच्छा तरीका है. बेकार की लफ्फाजी के बजाय सिर्फ हैलो कह कर अपना परिचय देना या एक सीधा सा सवाल ज्यादा असर छोड़ता है. अगर आप इसे एक चुनौती की तरह ले रहे हैं, तो अपनी पहचान को कुछ देर के लिए राज रखें. अगर वह सच में आप को जानना चाहती है, तो वह पूछेगी या फिर आप पर अपना परिचय बताने के लिए दबाव डालेगी. चाहे आप किसी व्यक्ति को जानते हो या नहीं, बातचीत फ्लर्टेशन को आगे बढ़ाने का सब से आसान तरीका है. ऐसा करने से वह आप की हिम्मत और आत्मविश्वास से प्रभावित होगा.

उस के साथ बात करने के लिए कोई आम विषय चुनें. अगर आप उस से पहले मिले हुए हैं तो आप दोनों के बीच किसी आम रुचि या अनुभव पर बात करें. मसलन, आप कोई साथ में क्लास ले रहे हों, या उस बस के अन्य यात्रियों के बारे में बात करें जिस बस में आप उनसे हर दिन टकराते हैं.

दरअसल विषय महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि ये अहम है कि आप उसे अपने से बात करने के लिए न्योता दे रहे हैं. उस के दिए जवाब को सम झें. अगर दूसरा व्यक्ति प्रेम से बात का जवाब देता है, तो ही बात को आगे बढाएं. अगर वो जवाब नहीं देता है या फिर उल झा हुआ लग रहा है, तो शायद वो आप के साथ फ्लर्टिंग करने में इंटरेस्टेड नहीं है. ऐसे में बेहतर है कि आप भी थोड़ा पीछे हट जाएं.

हलकीफुलकी बात करें

जब बातचीत शुरू करें तो ज्यादा निजी बातें नहीं करें. अपने आसपास के वातावरण के बारे में, या फिर आप ने अगर कोई शो देखा है उस के बारे में बात करें. अगर वह व्यक्ति बिना परेशान हुए आप के साथ विषयों पर बात करने में रुचि दिखाए तो ठीक, नहीं तो निजी जानकारी, धर्म, पैसा, रिश्ते, पढ़ाई इत्यादि को बीच में नहीं लाएं. आमतौर पर, ऐसे मुद्दों से दूर रहें, जिनसे आप निजी तौर पर जुड़े हैं जैसे आप का या उस का धर्म. ऐसे विषयों पर बात करें जिन में आप दोनों का निजी हिस्सा नहीं हो.

हलके विषयों जैसे, पेट्स, रियलिटी टेलीविजन शो, या आप के पसंदीदा वेकेशन स्पाट्स पर बात करेंगे तो फ्लर्ट करना आसान होगा. इस का मतलब ये नहीं की आप को फ्लर्ट करने के लिए बेवकूफ दिखना चाहिए, पर इस का मतलब है कि गहराई वाली बातें करके कहीं आप उन के अहम को चोट ना पहुंचा दें. इसलिए हंसी मजाक करें. बात को ज्यादा संजीदा नहीं बनाएं, कभी मजाक में अपने क्रश को थपथपाएं, या किसी अलग से विषय पर अचानक बात करने लगें. वो जो बातें कर रही है उसे ध्यान से सुनें और तारीफ भी करें.

टच बैरियर को तोड़ दें

धीरे से उस व्यक्ति के हाथ को छूने की कोशिश करें या फिर उस के पास से निकलते समय उससे हलके से टकराएं. पहले एकदो बार जब आप अपने क्रश को छुएं, तो ये ध्यान रहे कि आप उसको ट्रैप नहीं करें. स्थान के मुताबिक वह टच एक्सीडेंटल होनी चाहिए, उस से ज्यादा नहीं. सीधे उस का हाथ या बांह पकड़ने का प्रयत्न न करें, ऐसे कुछ करें जैसे आप उन के हाथ पर से कोई काल्पनिक वस्तु हटा रहे हैं.

आप की यह टच की कोशिश बिना बुरा माने ठुकराई भी जा सकती है, यानी अगर आप का क्रश इस प्रकार के संपर्क के लिए तैयार नहीं है, आप उसे अपने को पूरी तरह ठुकराने के लिए मजबूर न करें.

कौंप्लिमैंट दें

कौंप्लिमैंट पाना हर किसी को पसंद होता. वाह, आज तो आप बहुत अच्छी दिख रही हैं या वाह, आज तो आप बहुत स्मार्ट लग रहे हैं. ये ऐसे वाक्य हैं जो सामने वाले के दिल में आप के लिए प्यार पैदा कर ही देंगे. इसलिए आत्मविश्वास जगाएं और उन की जो चीज आप को आकर्षित कर रही हो तुरंत उस की तारीफ कर दें. मौके को हाथ से न छूटने दें. क्या पता दूसरा मौका कब मिले.

लुक्स पर कौंप्लिमैंट देने से पहले थोड़ा ध्यान रखें. अगर आप किसी लड़की की आंखों की तारीफ करेंगे, तो उसे अच्छा लगेगा, लेकिन अगर आप छूटते ही उस की फिगर की तारीफ करेंगे तो वह डर सकती है, आप की नीयत पर उसे शक हो सकता है और आप की बात बनतेबनते बिगड़ सकती है.

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कौंप्लिमैंट देते समय आई कौंटैक्ट बनाए रखें. यदि आप ने नजर हटाई तो आप की नीयत पर भरोसा करना कठिन होगा. अपनी आवाज की टोन और वौल्यूम दोनों को हलका सा कम कर लें. अपनी सामान्य आवाज से थोड़ी हलकी आवाज में कौंप्लिमैंट देने से थोड़ी सैक्सी और इंटिमेट फीलिंग आती है. इस के अलावा आप की हलकी आवाज सुनने के लिए उसे आप के नजदीक भी जाना पड़ेगा.

अपनी बातों को छोटा और मधुर रखें. यह याद रखें कि डिमांड बढ़ाने के लिए सप्लाई कम करना जरूरी होता है, इसलिए उस व्यक्ति से थोड़ी ही बात करें. उस से रोज बात न करें. बातचीत को 5 से 10 मिनट से ज्यादा लंबा नहीं होने दें. जितनी ज्यादा देर बात होगी, उतनी ही यह संभावना होगी कि आप की बातें समाप्त हो जाएंगी.

उसे अपने पास आने दें. एक बार आप ने बातचीत शुरू कर एक इंटरैस्ट दिखा दिया, फिर पीछे हट जाएं और देखें कि क्या वह भी आप से बात करने की इच्छुक है. यह उस की आप के प्रति रुचि को सम झने और टैंशन बढ़ाने का अच्छा तरीका है.

ज्यादा संजीदा न हों

याद रहे फ्लर्टिंग मस्ती का दूसरा नाम है और अगर आप की कोशिश सफल नहीं होती है तो हिम्मत न हारें. पौजिटिव रहें और किसी और के साथ कोशिश करें. किसी और चीज की तरह ही फ्लर्टिंग भी प्रैक्टिस के साथ बेहतर होती है. यह भी जरूरी नहीं कि हर फ्लर्टिंग के अंत में कुछ हो, हर फ्लर्टेशन के अंत में डेट हो, प्यार हो या शादी हो जाए यह जरूरी नहीं है. कई बार अंत में कुछ होगा इस के बजाय लोग सिर्फ मस्ती के लिए फ्लर्ट करते हैं.

फ्लर्टिंग का सब से सकारात्मक पहलू यह है कि इस से आप नए लोगों से घुलनामिलना और खुश रहना सीख सकते हैं. आप को उस को परफैक्ट बनाने के लिए अपनेआप पर प्रैशर डालने की जरूरत नहीं है.

ध्यान रखें

फ्लर्टिंग के समय शिकायत न करें. याद रहे कि दुनिया सिर्फ आप के इर्दगिर्द नहीं घूमती है. अगर आप ज्यादा शिकायत करेंगे तो सामने वाला आप को अवसादग्रस्त सम झेगा और आप से दूर हो जाएगा.

जब आप किसी के साथ फ्लर्ट कर रहे हों तो उस समय फोन का इस्तेमाल न करें. इस से ऐसा लगता है कि आप किसी और से बात करने में ज्यादा इंटरैस्टेड हैं या फिर आप किसी और के साथ रिलेशन में हैं.

अगर आप किसी लड़की के साथ फ्लर्ट कर रहे हैं और टच बैरियर तोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, तो थोड़ा तमीज से पेश आएं. मसलन, जब वह अपना संतुलन खो रही हो तो आप उसे सहारा दें जैसे जब वह गाड़ी से उतर या चढ़ रही हो या जब वह किसी उबड़खाबड़ स्थान से गुजर रही हो इस बात पर भी गौर करें कि जब आप उसे सहारा देने के लिए अपना हाथ देते हैं तो वह किस प्रकार जवाब देती है? क्या वह जल्दी हाथ में हाथ देती है या फिर हाथ छुड़ाने की जल्दी में है?

फ्लर्टिंग हर जगह सही नहीं रहती. मसलन, किसी के अंतिम संस्कार में फ्लर्ट नहीं कर सकते. वर्कप्लेस में भी आप फ्लर्टिंग नहीं कर सकते. अगर आप वर्कप्लेस पर फ्लर्ट करते हैं, तो अपना सब से बेहतरीन व्यवहार पेश करें और यदि व्यक्ति इंटरैस्टेड नहीं है तो बात को आगे न बढ़ाएं.

स्थान के मुताबिक फ्लर्टिंग करें. लाइब्रेरी या डांस हौल में मिलने पर शायद ज्यादा बातचीत न हो पाए. ऐसी स्थिति में मुसकराएं, रुचि दिखाएं और उस के बाद कहीं मिलने का कार्यक्रम तय कर लें.

अगर आप को उस का फोन नंबर मांगने में शर्म आ रही है, तो उसे अपना नंबर दे दें. अगर वह आप में इंटरैस्टेड है तो आप को कौल करेगी. आप उसे अपना ईमेल पता भी दे सकते हैं.

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युद्ध में औरतें होतीं हैं जीत का पुरुस्कार

आज हर जगह अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे की कहानियाँ हैं. सोशल मीडिया पर लगातार ख़ौफ़नाक वीडियो वायरल हो रहे हैं. खून खराबे से लबरेज़ ये सच बेहद डरावना सा लगता है. इसी बीच जब महिलाओं की बोली लगने वाले या घरों से खींचकर ले जाने वाले वीडियो सामने आए तो मन दहशत से भर उठता है. इस बार तालिबानियों ने महिलाओं की सुरक्षा करने का दावा भले ही किया हो पर महज़ बीस साल पुराना तालिबानी शासन का जो इतिहास रहा है उस से इन दावों पर विश्वास किया जाना बहुत ही मुश्किल है.

सच तो ये है कि चाहे किसी भी देश पर किसी सेना का कब्ज़ा हो या कोई भी छोटा बड़ा युद्ध औरत हमेशा या तो जीत का ईनाम होती है या फिर एक हार की टूटी फूटी अपमानित तस्वीर. किसी भी युद्ध में अगर धरती के बाद किसी को पैरों तले रौंदा जाता है तो वो औरत ही होती है. युद्ध की विभीषिका हो या दंगों का दौर उसके सबसे बुरे परिणाम हमेशा से औरत ही भोगती आई है. अगर किसी तरह औरत की जान बच भी जाये तो उसकी आत्मा सदियों के लिए छलनी हो जाती है.

जब 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन था तब वहाँ के किस्से सुनकर कमज़ोर दिल वाले अपने कानों को कसकर बंद कर लिया करते थे. शरिया कानून लागू होने के कारण वहाँ कोई औरत काम पर नही जा सकती थी बिना किसी मर्द के साथ कोई बाहर नहीं निकल सकती थी. मोटी चादर में लिपटी औरतें ही घर से बाहर निकल सकती थीं वो भी किसी मर्द के साथ. एक लड़की को सिर्फ इसलिए गोली मार दी गयी कि उसने इत्र लगाया था. एक औरत को खचाखच भरे स्टेडियम में सबके सामने गोली मार दी जाती है. आज अफगानिस्तान में औरतों की हालत पर रोष जताने वाले अमेरिका की दास्तान भी कुछ अलग नहीं है वियतनाम से युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने भी वहाँ की औरतों पर कम कहर नहीं ढाया था. घर के पुरुषों को मारकर उस घर की लड़कियाँ और औरतें उठा ली जाती थीं. कम उम्र की कई वियतनामी लड़कियों को हार्मोन्स के इंजेक्शन्स लगाए गए जिस से उनका बदन भर जाए और वो अमेरिकी सैनिकों का मन अच्छे से बहला सकें.

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खूबसूरत वियतनामी लड़कियों के पास दो ही विकल्प थे या तो खुद को अमेरिकी सैनिकों के हवाले कर दें या फिर बलात्कार के लिए तैयार रहें. अमेरिकी सैनिकों के लिए यहाँ एक पूरी सेक्स इंडस्ट्री खड़ी हो गयी थी.  यही नहीं इस युद्ध के समाप्त होने के कुछ महीनों बाद लगभग 50000 अमेरिकन वियतनामी बच्चे पैदा हुए जो युद्ध के दौरान हुए बलात्कार का परिणाम थे.  इनकी माएँ भी इन बच्चों की आँखों में आंसू देखकर रोती थीं पर इन बच्चों के लिए नहीं बल्कि उस बलात्कार को याद करके जिसका परिणाम ये बच्चे थे. इन बच्चों को बुई दोई कहकर पुकारा जाता था जिसका मतलब होता है जीवन की गंदगी.  इसी तरह सन 1919 में हुआ आयरिश युद्ध भी इन अत्याचारों की एक कड़ी था. ये लगभग ढाई साल चला था. यहाँ सैनिकों ने एक नया तरीका खोज लिया था वो ये कि दुश्मन औरत को गंजी कर दिया जाता था और सिर ढँकने की मनाही होने के कारण जब भी कोई सिर मुढाई औरत कही से भी निकलती तो उसे देखकर अश्लील फब्तियाँ कसी जाती उसे न जाने कितने लोग दबोचते.

कई बार तो उसे पकड़कर अपने साथ ले जाया जाता. कई बार घर की जरूरत का सामान खरीदने निकली औरत घर ही नहीं लौटती थी. पुरुष लेबर केम्प में होते थे घर मे बच्चे अपनी माँ और दीदी का इंतजार ही करते रह जाते पर वो नहीं लौटती. द्वितीय विश्व युद्ध का इतिहास पलट के देखें तो जर्मनों द्वारा गर्भवतीं औरतों तक को इतनी क्रूरता से मारा कि अच्छे अच्छे मजबूत दिल वाले का भी दिल दहल जाए. वैसे इतिहास में नाजियों को सबसे क्रूर माना जाता है पर जर्मन औरतें भी सुरक्षित नहीं रह पाई. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सोवियत की सेना ने पूर्वी प्रूशिया पर अपना कब्जा कर लिया. घरों के अंदर से जर्मन लड़कियाँ बाहर निकाली गईं और एक एक जर्मन लड़की से दस दस सैनिकों ने बलात्कार किया. इस बलात्कार का यौन संतुष्टि से कोई लेना देना नहीं होता ये केवल पुरुष के गर्व को तोड़ने का एक तरीका मात्र है. किसी पुरुष का दम्भ तोड़ने का इस से बेहतर कोई तरीका नही होता कि उसकी औरत से बलात्कार कर लिया जाए. इस तरह के बलात्कार बहुत ही बर्बर होते हैं.

सोवियत सेना के युवा कैप्टन की लिखी एक किताब में उसने ये स्वीकार किया कि जर्मन पर फतेह के बाद जर्मन औरतें रूस के लिए किसी बड़े ईनाम से कम नहीं थीं. युद्ध के बहुत बाद तक हजारों जर्मन औरतें साइबेरिया में कैद रहीं. वहाँ थके रूसी सैनिक आते और इन जर्मन औरतों की नग्न परेड करवाते. अगर इनमें से कोई औरत किसी सैनिक को पसन्द आ जाती तो वो उसे अपने साथ ले जाता और मन भरने के बाद फिर वहीं छोड़ जाता. कुछ ही महीनों में वहाँ की सारी औरतें खत्म हो गईं. इसी तरह कट्टरपन की मिसाल इस्लामिक स्टेट के लड़ाके यजीदी लड़कियों के नाम लिखकर एक कटोरदान में डाल देते फिर जिस लड़ाके के पास जिस के नाम की पर्ची आती वो लड़की उसे तोहफे के रूप में दी जाती चाहे वो उस से यौन सुख भोगे या हल में उसे जोते. पूर्वी बोस्निया में एक रिसोर्ट है जो घने जंगलों में है यहाँ एक समय चीड़ के पत्तों के साये में प्रेमी जोड़े विहार करते थे. इसे हेल्थ रिसोर्ट भी कहा जाता था लेकिन वोल्कन युद्ध के बाद इस जगह का रूप ही बदल गया.

ये एक तरह से बलात्कार का केम्प बन गया. यहाँ बोस्निया की औरतों का सर्बियन सैनिकों ने महीनों तक सामूहिक बलात्कार किया जिसके बाद कुछ तो संक्रमित होकर मर गईं कुछ बलात्कार के सदमे से ही मर गईं और कुछ ने छत के कूद कर आत्महत्या कर ली. बाद में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में ये सच सामने आया लेकिन तब तक बलात्कारी भीड़ में गुम हो चुके थे और मरी हुई औरतें गवाही नहीं दे सकीं सो न्याय का कोई रास्ता न था. इस से भी क्रूरतम सच ये है कि जिंदा औरतें तो युद्ध के दौरान बलात्कार की शिकार होती ही हैं उनके शव भी सुरक्षित नहीं रहते.  कई लड़ाके नेक्रोफीलिया नामक बीमारी से ग्रसित होते हैं जो शव के साथ भी बलात्कार करने से बाज़ नहीं आते. आखिर क्या कारण था कि इजिप्ट की राजकुमारी क्लियोपेट्रा ने शत्रु से लड़ने के बजाय नग्न अवस्था में एक जहरीले साँप से खुद को डसवाना और मर जाना बेहतर समझा इसका सीधा सा जवाब है कि उसको ये अंदेशा था कि दुश्मन उसकी मृत देह के साथ कुछ भी कर सकता है पर संक्रमण के डर से ऐसा कुछ नहीं होगा परंतु ऐसा कहा जाता है कि इस सबके बावज़ूद उसकी मृत देह के साथ 3000 बार बलात्कार किया गया इसमें कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है पर फिर भी औरतों की स्थिति बताने के लिए इतना काफी है.

युद्ध के दौरान यौन हिंसा एक कड़वा सच है. आप ये कल्पना कीजिये कि आपके घर मे हथियारबंद लोग घुसकर आपके घर के सदस्यों को उठा कर ले जाते हैं बच्चों और औरतों को सेक्स गुलाम बना लिया जाता है आप ये सब झेलने के लिए विवश हैं. या आप के आस पास कई औरतों को वैश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है आप बंदूकों की नोक के बीच जीवन जी रहे हैं और इस मानसिक त्रास में जीवन जी रहे हैं. ये सोचकर भी आपकी रूह कांप जाएगी कि बलात्कारी आपके आस पास खुले घूम रहे हैं परंतु युद्ध क्षेत्र में रहने वाले यौन हिंसा झेलने वालों का यही सच है. बार बार हर बार हर बड़े छोटे युद्ध मे बलात्कार को युद्ध मे एक हथियार की तरह प्रयोग किया गया जिसका एकमात्र उद्देश्य मानसिक आघात पहुँचाना और दुश्मन को नीचा दिखाना होता है. इसके लिए औरतें और कम उम्र की बच्चियाँ सबसे सरल निशाना होती हैं.  ये इस तरह का अपराध होता है कि इसे झेलने वाला शारीरिक और मानसिक तौर  पर खत्म हो जाता है. इस से पीड़ित जीवन भर बहिष्कार का अपमान झेलने को अभिशप्त होती हैं. इसका दंश एक पूरी पीढ़ी को भुगतना होता है. कुछ देशों में तो ऐसे बलात्कार पीड़ितों को वैश्या की तरह देखा जाता है इनसे पैदा हुए बच्चे भी जीवन भर अपमान झेलते हैं.

इन बच्चों का भविष्य पूरी तरह खराब हो जाता है. आप सोचिए कि हमने युद्ध मे शहीद होने वालों के या लड़ने वालों के तो बड़े बड़े स्मारक बनाये हैं फिर इन पीड़ितों के लिए यदि कोई स्मारक बनाया जाए तो जगह कम पड़ जाएगी. लेकिन इनके साथ अलग तरह का व्यवहार किया जाता है. अपने इस दुख से उबरने के लिए इन्हें कोई मदद नहीं मिलती है. इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास होने चाहिए कि युद्ध के दौरान होने वाली यौन हिंसा रोकी जा सके. कोई भी राष्ट्र जो ये दावा करता है कि वो मानवाधिकारों के लिए जागरूक है और इसमें उसका विश्वास है वो कभी भी युद्ध के दौरान होने वाली यौन हिंसा पर चुप नही रह सकता. जब इन अपराधियों को कोई दंड नहीं मिलता तो स्वतः ही ये धारणा बन जाती है कि इसके लिए कोई सज़ा नही है चाहे वो यौन हिंसा नाइजीरिया की स्कूली छात्राओं पर हो या सीरिया के शरणार्थियों पर. इस के लिए विलियम हेग और एंजेलिना जोली ने काफी काम किया है.

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उन्होंने युद्ध के दौरान यौन हिंसा की जाँच और डॉक्यूमेंशन के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल शुरू किया. सैकड़ों विशेषज्ञों की साल भर की मेहनत और कार्य से तैयार ये प्रोटोकॉल युद्ध के बाद जाँचकर्ताओं को सूचना और साक्ष्य संरक्षित करने में मदद करता है. उन्होंने अपील की कि बलात्कार और यौन हिंसा सबंधी अपने कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार बनाएँ. सैनिकों और शांतिरक्षकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए कि वो युद्धक्षेत्र में इस तरह के कृत्यों की रोकथाम कर सकें. यौन हिंसा के अपराधियों को खुला न छोड़ा जाए उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. आखिर कब तक औरतें युद्ध के भयावह परिणाम झेलने को अभिशप्त रहेंगी.

बहरहाल अभी तो खूबसूरत अफगानी लड़कियों को किसी खजाने की तरह घरों में छुपाया जा रहा है कि कहीं कोई तालिबानी उन्हें उठा कर न ले जाये. जब से तालिबानियों ने 14 से 40 साल तक कि औरतों की फेहरिस्त माँगी है तब से अफगानी ख़ौफ़ज़दा हैं खासकर औरतें दहशत में हैं. अफगानिस्तान एक बार फिर बीस साल पीछे चला गया है. ये दौर भी ख़त्म होगा कुछ इस सबके बाद बच भी निकलेंगी पर उनकी आँखों में एक सवाल होगा होठों पर चुप्पी होगी. सुनाने को उनके पास परियों की कहानियाँ नहीं होंगी होगा बस एक भयावह सच जो दुनिया के बड़े से बड़े खून खराबे को भी शर्मसार कर देगा. कभी तो ये परिदृश्य बदलेगा कभी तो औरत को अपने औरत होने की कीमत नहीं चुकानी होगी. इनके साथ साहसी सैनिकों जैसा बर्ताव किया जाएगा. वो सुबह कभी तो आएगी.

मिल्कमेड से बनी मिठाइयां : मुंह में डालते ही मक्खन की तरह घुल जाएं


फैस्टिवल के खास मौके के लिए मिल्कमेड से तैयार मिठाइयों से बेहतर क्या हो सकता है. छोटे बच्चे हों या मांबाबूजी, घर के हर उम्र के लोगों को यह बहुत ही पसंद आते हैं. फिर घर की बनी मिठाइयों की शुद्धता की पूरी गारंटी होती
है, यहां दी जा रही दो तरह की मिठाइयों की रैसेपी को आसानी से घर में  तैयार करें, खुद खाएं और गेस्ट को भी परोसें.

 

कलाकंद : कमाल की मिठास 

इस मिठाई की सामग्री  –

  • 1 कैन मिल्कमेड कंडेंस्ड मिल्क
  • 250 ग्राम पनीर 
  • 2 टेबलस्पून शुद्ध देसी घी
  • 1/4 टीस्पून इलायची पाउडर
  • कुछ केसर के धागे 
  • सजावट के लिए पिस्ता की कतरनें 

मिठाई बनाने का आसान तरीका 

स्टैप 1

  • सब से पहले पनीर को क्रंबल कर लें. कई बार बाजार से लाया हुआ पनीर सख्त होता है इसलिए बाहर से लाए हुए पनीर को जरूर कद्दूकस कर लें.
  • कलाकंद सेट करने के लिए एक ट्रे को घी से अच्छी तरह ग्रीस कर लें.

स्टैप 2

  •  एक नौन  स्टिक पैन में घी काे धीमी आंच पर गर्म करें.
  • इस में मसले हुए पनीर को डालें और 2-3 मिनट तक भूनते रहें, जब तक कि यह भून कर हल्की न हो जाए.

स्टैप 3

  • पैन में कंडेंस्ड मिल्क डाल कर मिलाएं, इसे लगातार चलाते रहें ताकि यह पैन में चिपके नहीं.
  • मिश्रण को उस समय तक पकाएं जब तक यह गाढ़ा न हो जाए, गाढ़ा होते ही यह किनारों को छोड़ना शुरू कर देगा इस में लगभग 10-12 मिनट लगेंगे.
  • अब इस में इलायची का पाउडर और कैसर डाल कर मिलाएं.
  • इस तैयार मिश्रण को पहले से ग्रीस की हुई ट्रे में डालें और एक समान रूप से फैलाएं.
  • अच्छी तरह फैला लेने के बाद इस पर कटे हुए पिस्ता को छिड़क दें.

    स्टैप 4 

  • इसे ठंडा होने दें और 2-3 घंटे के लिए सेट होने के लिए छोड़ दें.
  • ठंडा होने के बाद स्क्वायर शेप में काट लें और प्यार से परोसें. 

 

काजू कतली  :  स्वाद का रस

इस मिठाई की सामग्री –  

  • 1 कप पिसा हुआ काजू
  • 1/2 कप मिल्कमेड कंडेंस्ड मिल्क
  • 1/4 कप चीनी
  • 1/4 टीस्पून इलायची पाउडर
  • 1 टेबलस्पून घी
  • चांदी का वर्क 

मिठाई बनाने का आसान तरीका 

स्टैप

  • काजू का पेस्ट तैयार करने के लिए काजू को मिक्सी में पीस कर बारीक पाउडर तैयार कर लें. 
  • ध्यान रहे कि पीसते समय काजू का तेल न निकले इसलिए मिक्सर को बारबार बंद करें और चलाएं.

    स्टैप  2

  • एक नौन-स्टिक पैन में घी गर्म करें. इस में काजू पाउडर डाल कर 2-3 मिनट तक भूनें, जब तक रंग हल्का गोल्डन नहीं  हो जाए. 
  • अब इस में चीनी और कंडेंस्ड मिल्क डालें, अच्छी तरह मिलाते हुए पकाएं.

     स्टैप 3 

  • मिश्रण को धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक यह गाढ़ा न हो जाए और पैन के किनारों से अलग न होने लगे.  इस में इलायची पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. 
  • तैयार मिश्रण को घी से ग्रीस की हुई प्लेट में डालें और एक समान रूप से फैला लें. 
  • ठंडा होने के बाद इस पर चांदी का वर्क लगाएं. 
  • इसे बरफी के शेप में काट लें फिर सब का मुंह मीठा कराएं . 

 

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