Anupmaa: बा पर हुकुम चलाएगी काव्या तो अनुपमा को नया घर देगा अनुज!

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. दरअसल, अनुज के साथ मीटिंग में गई अनुपमा पर वनराज गंदे इल्जाम लगाता नजर आ रहा है, जिसके चलते शाह हाउस को छोड़ अनुपमा अपने नए सफर पर निकल गई है. लेकिन अब मेकर्स सीरियल में कई और नए ट्विस्ट लाने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

बा ने छोड़ा अनुपमा का साथ

 

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अब तक आपने देखा कि शाह हाउस पहुंचने के बाद बा, अनुपमा को बहुत बुरा भला, चरित्रहीन, बदजलन कहती हैं, जिसके कारण अनुपमा अपने बच्चों के सामने हुई बेइज्जती सह नहीं पाती और घर छोड़ने का फैसला लेती है. वहीं बापूजी इसमें अनुपमा का साथ देते हैं और उसे अपने लिए सही कदम उठाने के लिए कहते हैं. साथ ही समर भी अपनी मां का साथ देता नजर आता है.

 

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मायके पहुंचेगी अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपनी मां और भाई के घर जाएगी. जहां दोनों उसके इस फैसले में साथ देते नजर आएंगे, जिसके बाद समर अपनी मां अनुपमा को खुश करने की कोशिश करेंगे. दूसरी तरफ, वनराज को काव्या भड़काएगी, जिसके चलते वह अनुपमा की सारी निशानियां मिटाएगा और कहेगा कि वह उसे अपनी जिंदगी में नहीं रखना चाहता.

 

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अनुपमा की जिंदगी में आएगा नया ट्विस्ट

 

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खबरों की मानें तो अनुपमा के चले जाने के बाद काव्या शाह हाउस की मालकिन बन जाएगी और घरवालों पर राज चलाएगी. वहीं काव्या, बा को घर की नौकरानी बना देगी, जिसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाएगा. दूसरी तरफ अनुज, अनुपमा के घर छोड़ने के फैसले से बेहद खुश होगा और अनुपमा को एक अपार्टमेंट गिफ्ट में देने की योजना बनाएगा. साथ ही वह ये ध्यान रखेगा कि किसी को इस बात का ना पता चल पाए ताकि वह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर सके.

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Top 10 Diwali Fashion Tips In Hindi: इस दिवाली ट्राय करें ये टॉप 10 फैशन टिप्स

Diwali Fashion Tips In Hindi: Diwali Celebration का दौर शुरु हो चुका है. अब हर कोई सेफ्टी के साथ फैमिली गैदरिंग और पार्टी का लुत्फ उठा रहा है. लेकिन इस साल त्योहार मनाने के तरीके के साथ फैशन में भी बदलाव देखने को मिला है. जहां लोग Diwali Fashion में इंडियन लुक्स कैरी करते नजर आते थे. वहीं कुछ लोग वेस्टर्न लुक का तड़का लगाते हुए भी नजर आते हैं. तो इसीलिए आज हम आपको टीवी एक्ट्रेसेस के लुक्स की झलक दिखाएंगे, जिसे आप Diwali 2021 Fashion के लिए ट्राय कर सकती हैं.

1. Diwali Special: शादी के बाद नुसरत जहां के ये लुक करें ट्राय

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बशीरहाट से तृणमूल कांग्रेस सांसद और बंगाली एक्ट्रेस नुसरत जहां एक बार फिर अपनी खूबसूरती के चलते सोशल मीडिया पर छा गई हैं. हाल ही में नुसरत जहां के हौट लुक की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसे आप भी ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको बताते हैं नुसरत जहां के कुछ लुक्स, जिसे आप किसी भी पार्टी, फंक्शन में औफिस में ट्राय कर सकती हैं.

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2. DIWALI 2019: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ये फैशन ट्रेंड

diwali tips in hindi

दिवाली में हम सभी चीज़ो पर खास ध्यान देते है. दिवाली में हम सभी को मौका मिलता है की हम अपनी सुंदरता पर खास ध्यान दे सकते, और ट्रेंडी कपडे पहनकर दिवाली को यादगार बनाये. आज हमारे साथ फैशन डिज़ाइनर सान्या गुलाटी , ब्रांड ओनर ऑफ़ लेबल सान्या गुलाटी है जो हमें दिवाली के लिए कुछ खास टिप्स देंगी की हम इस दिवाली किस तरह का फैशन कर सकते है.

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3. Diwali Special: प्रैग्नेंसी में अटैंड करनी है दिवाली पार्टी तो ट्राय करें अनुष्का शर्मा के ये लुक्स

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फैस्टिव सीजन का दौर शुरु हो चुका है. अब हर कोई सेफ्टी के साथ फैमिली गैदरिंग और पार्टी का लुत्फ उठा रहा है. लेकिन इस साल त्योहार मनाने के तरीके के साथ फैशन में भी बदलाव देखने को मिला है. जहां लोग फैस्टिव सीजन में इंडियन लुक्स कैरी करते नजर आते थे. वहीं कुछ लोग वेस्टर्न लुक का तड़का लगाते हुए भी नजर आते हैं. इसीलिए आज हम आपको प्रैग्नेंसी के दौरान अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) की तरह कैसे अपने लुक को चार चांद लगाएं इसके कुछ औप्शन्स के बारे में आपको बताएगें….

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4. Diwali Special: फैस्टिव सीजन में ट्राय करें आमना शरीफ का ज्वैलरी क्लेक्शन

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सीरियल कहीं तो होगा से अपने करियर की शुरूआत करने वाली एक्ट्रेस आमना शरीफ बीते दिनों कोमोलिका के रोल में फैंस को काफी पसंद आई थीं. वहीं उनका लुक और ज्वैलरी भी फैंस को काफी पसंद आया था. लेकिन क्या आप जानते हैं आमना कपड़ों के अलावा इंडियन ज्वैलरी की काफी शौकीन हैं. झुमके से लेकर बालियों का कलेक्शन आमाना के पास मौजूद हैं, जिसको वह सोशलमीडिया के जरिए फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं.

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5. Diwali Special: इस दीवाली ट्राय करें ‘धक-धक गर्ल’ माधुरी के ये ट्रेडिशनल लुक

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बौलीवुड में डांसिंग क्वीन के रूप में फेमस 52 साल की उम्र में भी एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित जितना अपने डांस और एक्टिंग के लिए फेमस है उतना ही अपने फिटनेस और इंडियन फैशन के लिए भी जानी जाती हैं. माधुरी दो बच्चों की मां हैं फिर भी वह अपने फैशन और फिटनेस का ख्याल रखती हैं. माधुरी का इंडियन फैशन लड़कियां और महिलाएं ट्राय कर सकती हैं. ये आपको अलग लुक के साथ फैशनेबल भी बनाएगा. इसीलिए आज हम आपको माधुरी के कुछ इंडियन फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप चाहें किसी पार्टी या शादी में ट्राय कर सकती हैं.

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6. Diwali Special: इस फैस्टिव सीजन ट्राय करें काजल अग्रवाल के 5 लुक्स

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बीते दिनों साउथ की फिल्मों से बौलीवुड की फिल्मों में धूम मचाने वाली सिंघम एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने व्यापारी गौतम किचलू संग शादी की थी, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं. जहां शादी के लहंगे को लेकर काजल ने सुर्खियां बटोरीं थीं. तो वहीं उनके वेडिंग फंक्शन के हर लुक को फैंस ने काफी पसंद किया था. इसीलिए आज हम काजल अग्रवाल के कुछ लुक्स बताने जा रहे हैं, जिसे नई दुल्हनें फेस्टिव हो या वेडिंग सीजन, हर ओकेशन पर ट्राय कर सकती हैं.

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7. Diwali Special: हेल्दी गर्ल्स के लिए परफेक्ट है ‘मिशन मंगल’ एक्ट्रेस के ये आउटफिट

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साउथ की सुपरहिट हीरोस के साथ काम कर चुकी एक्ट्रेस नित्या मेनन की बौलीवुड फिल्म मिशन मंगल के साथ बौलीवुड में एंट्री हो गई. नित्या ने अक्षय कुमार जैसे एक्टर के साथ काम करके अपनी पहचान बना ली है. पर आज हम निथ्या मेनन के स्टाइल स्टेटमेंट की बात करेंगे. हेल्दी होने के बावजूद नित्या का स्टाइल स्टेटमेंट लेडिज को इंस्पायर करने वाला है. आज हम आपको नित्या के कुछ फैशन बताएंगे, जिन्हें आप पार्टी हो या आउटिंग कहीं भी आसानी से ट्राय कर सकते हैं.

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8. DIWALI 2019: ट्राय करें ये हेयर स्टाइल्स

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फेस्टिवल में कपड़ों के बाद हेयरस्टाइल जरूरी होता है. हर को कोई चाहता है कि वह नया हेयरस्टाइल ट्राय करके खूबसूरत दिखे अगर आप भी अपने बालों को दिवाली पर खूबसूरत लुक देना चाहती हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. आज हम आपको बन हेयरस्टाइल फैशन के कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप आसानी से ट्राय कर सकते हैं.

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9. DIWALI 2019: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ये साड़ी लुक

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दिवाली पर अगर कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो ये साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट है. ये साड़ी आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन रहेंगे. त्यौहारों का सीजन आ गया है और साडि़यों का चलन आजकल उफान पर है. साड़ी एक स्टेटस सिंबल है, क्योंकि सादा और सरल लुक काफी आकर्षक लगता है. पेश हैं, त्यौहारों में साड़ी पहनने के नएनए तरीके:

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10. DIWALI 2019: ‘किन्नर बहूू’ के ये स्टाइलिश ब्लाउज, हर लड़की के लिए हैं परफेक्ट

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फेस्टिवल में इन दिनों लहंगा साड़ी के साथ फैशनेबल ब्लाउज लोगों को काफी अट्रेक्ट कर रहा है. अगर आप भी फेस्टिवल में ट्रेंडी दिखना चाहते हैं तो ये ब्लाउज आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. आजकल शादी हो कोई भी पार्टी हर कोई अपने आप को खूबसूरती बनाने के लिए हर कोशिश करते हैं, जिसके लिए बौलीवुड या टीवी एक्ट्रैसेस बेस्ट औप्शन होते हैं. आजकल डिजाइनर ब्लाउज के साथ लहंगा हो या साड़ी सभी के लिए फैशन ट्रैंड में हैं. आपने देखा होगा कि ‘किन्नर बहू’ के रोल से फेमस टीवी एक्ट्रेस रुबीना दिलाइक अपने सीरियल शक्ति-अस्तित्व के एहसास की के हर एक एपिसोड में नए-नए डिजाइन के ब्लाउज पहनती हैं, जिसे आप भी ट्राई करना चाहती होंगी. आज हम रुबीना दिलाइक के कुछ ब्लाउज के ट्रैंडी फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप शादी हो या औफिस कहीं भी ट्राय कर सकती हैं.

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हिमालय की पहाडिय़ों का नुकसान

शहरी लोगों की अब से छुटकारा पाने की इच्छा और धर्म के दुकानदारों की भक्ति के नाम पर लूटने की लालची आदत का मिलाजुला असर हिमालय में विकास के नाम पर बनती सडक़ें और पेड़ों की कटाई है जिस में जरा सी ज्यादा बारिश में भूस्खलन हो जाते है और पहाड़ों की ढलानों  को काट कर बनाई सडक़ें बंद हो जाती है. टूरिज्म को डेवेलप करने की इच्छा हर पहाड़ी राज्य की है क्योंकि इस से अतिरिक्त आय होती है जो पहाड़ी इलाकों की खेती या छोटे धंधों से संभव नहीं है.

आज का टूरिस्ट चाहे सैरसपार्ट के लिए आए धर्म प्रचार के चलते पाप धोने और पुण्य कमाने के लिए आए, हजार तरह की सुविधाएं चाहता है. उसे अपने होटल तक भी सडक़ चाहिए और धर्म की हर साल आलीशान और फैलती दुकान के दरवाजे तक भी. नतीजा यह है कि पेड़ काट कर, जमीन समतल कर के निरंतर पहाड़ों की शक्ल खराब की जा रही है. जहां पहले रात को पहाड़ों पर घना अंधकार होता था अब सब जगह बिजली की रोशनी दिखती है. पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य तो अब सिर्फ पुराने फोटोग्राफी में मिलेगा.

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शिमला, नैनीताल, मसूरी, दाजीङ्क्षलग अब दिल्ली, मुंबई जैसे लगने लगे है जिन से भाग कर लोग इन पर्यटन स्थलों में पहुंचते हैं. इसी का लाभ उठाने के लिए धर्म के दुकानदारों ने वैष्णोदेवी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चारधाम यात्रा, गंगोत्री जमुनोत्री डेवलप कर दिया ताकि शहरी थकान से भागे लोगों से धर्म के नाम पर मोटी दक्षिणा वसूली जा सके. भारतीय जनता पार्टी परिवार इस दुकानदारी को बढ़ावा देने के लिए वहां भी सडक़ें बनवा रहा है, जहां नहीं बननी चाहिए, उन पहाड़ों में सुरंगे बनवा रहा है, जो कमजोर हैं, वहां पेड़ कटवा रहा है, जहां से पीने को पानी साल भर मैदानी इलाकों को मिला करता था. अब नतीजा यह है कि पर्यटन के केंद्र शहरी इलाके ठसाठस भर गए हैं और पहाड़ों में रिजौर्ट बनने लगे हैं. मंदिर भी ढूंढ़े जाने लगे हैं और पहाड़ी देवीदेवताओं को ठोकपीट कर पैसा उगलने वाली मशीन बनाया जाने लगा है.

भाजपा परिवार की सरकारें मंदिर मठ पर्यटन के नाम पर हिमालय की पहाडिय़ों को जो नुकसान पहुंचा रही हैं, प्रकृति उस का बदला लेने लगी है. वर्षा अब रिकार्ड तोड़ होने लगी है और बारिश अपने साथ पहाड़ों को ढहाने लगी है. जहां पतली नाली सीजनल नदी का रास्ता बना कर वहां समुद्र का सा तूफान आने लगा है.

पर्यटन अच्छा है. घर से निकल कर कहीं जाना सेहत के लिए जरूरी है पर अब पर्यटन केंद्र सेहत के लिए नुकसानदेय और जान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. सडक़ों पर जाना, होटलों का अभाव और ऊपर से बारिश की मार का डर.

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DIWALI 2021: शादी के बाद पहली दीवाली ऐसे बनाएं यादगार

शादी के बाद सृष्टि की पहली दीवाली थी. उस के सासससुर और जेठजेठानी पास ही दूसरे फ्लैट में रहते थे. सृष्टि के पति मनीष को कंपनी की तरफ से अलग मकान दिया गया था जिस में दोनों पतिपत्नी अकेले रहते थे. सृष्टि भी जौब करती थी इसलिए घर में दिन भर ताला लगा रहता था.

औफिस में दीवाली की छुट्टी एक दिन की ही थी पर सृष्टि ने 2 दिनों की छुट्टी ले ली. वह अपनी पहली दीवाली यादगार बनाना चाहती थी. दीवाली वाले दिन मनीष को जरूरी मीटिंग के लिए बाहर जाना पड़ा. मीटिंग लंबी खिंच गई. लौटतेलौटते शाम हो गई. मनीष ने सृष्टि को फोन किया तो उस ने उठाया नहीं. घर लौटते वक्त मनीष यह सोचसोच कर परेशान था कि जरूर आज सृष्टि उस की खिंचाई करेगी या नाराज बैठी होगी.

असमंजस के साथ उस ने घंटी बजाई. दरवाजा खुला पर अंदर अंधेरा था. वह पल भर में ही तनाव में आ गया और जोर से चिल्लाया, ‘‘सृष्टि कहां होयार, आई एम सौरी.’’  तभी अचानक सृष्टि आ कर उस से लिपट गई और धीमे से बोली, ‘‘आई लव यू डियर हब्बी, हैप्पी दीवाली.’’

तभी दोनों के ऊपर फूलों की बारिश होने लगी. पूरे कमरे में रंगबिरंगी कैंडल्स जल उठीं और मनमोहक खुशबू से सारा वातावरण महक उठा. सामने बेहद आकर्षक कपड़ों और पूरे श्रृंगार के साथ सृष्टि खड़ी मुसकरा रही थी. मनीष ने लपक कर उसे बाहों में उठा लिया. सारा घर खूबसूरती से सजा हुआ था. टेबल पर ढेर सारी मिठाइयां और फायरक्रैकर्स रखे थे. सृष्टि मंदमंद मुसकरा रही थी. दोनों ने 1-2 घंटे आतिशबाजी का मजा लिया. तब तक मनीष के मातापिता, भाईभाभी और उन के बच्चे भी आ गए, सृष्टि ने सभी को पहले ही आमंत्रित कर रखा था. पूरे परिवार ने मिल कर दीवाली मनाई. यह दीवाली मनीष और सृष्टि के जीवन की यादगार दीवाली बन गई.

दिलों को भी रोशन करें

इसे कहते हैं पहली दीवाली की रौनक जो घरआंगन के साथसाथ दिलों को भी रोशन कर जाए. शादी के बाद की पहली दीवाली का खास महत्त्व होता है. यदि इस दिन को लड़ाईझगड़ों या तनातनी में गंवा दिया तो समझिए आप ने बेशकीमती लमहे यों ही लुटा दिए. जिंदगी खुशियों को सैलिब्रेट करने का नाम है तो फिर दीवाली जैसे रंग और रोशनी के त्योहार के दिन अपना मनआंगन क्यों न जगमगाएं?

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अक्सर शादी के बाद जब लड़की ससुराल में पहली दीवाली मनाती है तो उसे होम सिकनैस और घरवालों की कमी महसूस होती है. ऐसा होना स्वाभाविक है पर इस का मतलब यह नहीं कि दीवाली जैसे मौके का मजा किरकिरा कर  दें. बेहतर होगा कि नए माहौल और नए लोगों के साथ दीवाली इतने प्यार से मनाएं कि आप का आने वाला समय भी नई खुशियों से रोशन  हो जाए.

इनलौज के साथ करें शौपिंग

मौके को यादगार बनाना है तो अपनी सास या ननद के साथ जी भर कर शौपिंग करें. पूरे परिवार के लिए तोहफे खरीदें. किस के लिए क्या खरीदना है, इस की एक लिस्ट पहले ही बना कर रख लें. इस काम में अपनी सास की सहायता ले सकती हैं. वह आप को पूरे परिवार की पसंदनापसंद बता सकेंगी. सारे गिफ्ट्स खूबसूरती से रैप कर के सरप्राइज के लिए सुरक्षित जगह  पर रख दें. गिफ्ट्स के अलावा मिठाइयां, चौकलेट्स, फायरक्रैकर्स और सजावटी सामानों की शौपिंग भी कर लें.

रोशन करें घर का कोनाकोना

दीवाली रोशनी का त्योहार है इसलिए पूरे घर को दीपों मोमबत्तियों और दूसरे डिजाइनर बल्बस से सजा दें. लाइटिंग अरैंजमैंट ऐसी करें कि आप का घर अलग ही जगमगाता नजर आए.

घर में बनाएं मिठाइयां

यह एक पुरानी मगर सटीक कहावत है कि किसी के दिल तक पहुंचने का रास्ता उस के पेट से हो कर जाता है. शादी के बाद अपने इनलौज व हसबैंड के दिल तक इसी रास्ते पहुंचा जा सकता है. आप को अपनी पाक कला में निखार लाना होगा. स्वादिष्ठ फैस्टिव मील्स और स्वीट्स तैयार करने होंगे. ज्यादा नहीं जानतीं तो अपनी मां या सास की सहायता लेने से हिचकें नहीं. पत्रिकाओं में भी हर तरह की रैसिपीज छपी होती हैं. उन की सहायता लें और सब को खुश कर दें.

दीवाली पार्टी

अपनी पहली दीवाली यादगार बनाने आसपड़ोस के लोगों व रिश्तेदारों को जाननेसमझने व रिश्तों को प्रगाढ़ करने का इस से बेहतर मौका नहीं मिलेगा. घर में दीवाली पार्टी और्गनाइज करें और लोगों को बुला कर खूब मस्ती करें.

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एकल परिवार

यदि आप शादी के बाद किसी वजह से इनलौज से अलग रह रही हैं तो आप की चुनौतियां कुछ अलग होंगी. आप को ध्यान रखना होगा कि जिस प्रकार आप होमसिकनैस महसूस कर रही हैं वैसे ही आप के पति भी परिवार से दूर पहली दफा दीवाली मना रहे हैं. ऐसे में आप को प्रयास करना होगा कि पति को खास महसूस कराएं और उन के लिए खास सरप्राइज तैयार कर के रखें.

इस संदर्भ में आप अपनी मां से यह पूछ सकती हैं कि उन्होंने अपनी पहली दीवाली में क्या खास किया था? अपनी सास को फोन करें और बताएं कि आप ने दीवाली के लिए क्या स्पैशल सरप्राइजेज तैयार किए हैं. उन से कहिए कि वह आप के पति को ज्यादा बेहतर जानती हैं इसलिए आप की सहायता करें. आप की सास यह जान कर स्पैशल महसूस करेंगी कि आप उन के बेटे के जीवन में उन की खास जगह को स्वीकार करती हैं और महत्त्व देती हैं. वह आप की सहायता कर के खुश होंगी.

अपने पति के लिए एक खास दीवाली तोहफा खरीदें. यह कोई गैजेट हो सकता है या नई ड्रैस या फिर अपनी बजट के हिसाब से कुछ और खरीदें. उन की पसंद की मिठाइयां तैयार करें, फैवरिट डिश बनाएं और फिर खास उन के लिए सजें. रात में घर का कोनाकोना रोशन करें. आज के समय में आप स्काइप या फेसबुक आदि की सहायता से इस खास मौके को यादगार बनाते हुए इन लमहों को दूसरों से शेयर भी कर सकती हैं.

खुद के लिए एक दिन

कोरोनाकाल में घर और दफ्तर की भागतीदौड़ती जिंदगी में थोड़ा सा ठहरती हुई मैं रिश्तों के जाल में फंसी हुई खुद से ही खुद का परिचय कराती हुई मैं. एक बेटी, एक बहू, एक पत्नी, एक मां और एक कर्मचारी की भूमिका निभाते हुए खुद को ही भूलती हुई मैं, इसलिए सोचा चलो आज खुद के साथ ही 1 दिन बिताती हूं मैं.

अब आप लोग सोच रहे होंगे कि कोरोनाकाल में भी अगर मुझे खुद के लिए समय नहीं मिला तो फिर ताउम्र नहीं मिलेगा. पर अगर सच बोलूं तो शायद कोरोनाकाल में हम लोगों की अपनी प्राइवेसी खत्म हो गई है.

हम चाहें या न चाहें हम सब परिवाररूपी जाल में बंध गए हैं. घर में कोई भी एक ऐसा कोना नहीं है जहां खुद के साथ कुछ समय बिता सकूं. सब से पहले अगर यह बात सीधी तरह किसी को बोली जाए तो अधिकतर लोगों को समझ ही नहीं आएगा कि खुद के साथ समय बिताने के लिए 1 दिन की आवश्यकता ही क्या है?

आज का समय तो जब तक जरूरी न हो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए पर क्या हर इंसान को भावनात्मक और मानसिक आजादी की आवश्यकता नहीं होती है? लोग माखौल उड़ाते हुए बोलेंगे कि यह नए जमाने की नई हवा है जिस के कारण यह फितूर मेरे दिमाग मे आया है. कुछ लोग यह जुमला उछालेंगे कि जब कोई काम नहीं होता न तो ऐसे ही खुद को पहचानने का कीड़ा दिमाग को काटता है. यह मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि शायद मैं भी उन लोगों मे से ही हूं जो ऐसे ही प्रतिक्रिया करेगा.

अगर कोई मुझ से भी बोले कि आज मैं खुद के साथ समय बिताना चाहती या चाहता हूं, तो ऐसे लोगों को हम स्वार्थी या बस अपने तक सीमित या बस केवल अपनी खुशी देखने वाला और भी न जाने क्याक्या बोलते हैं.

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चलिए, अब रबरबैंड की तरह बात को न खींचते हुए मैं अपने अनुभव को साझा करना चाहती हूं. खैर लौकडाउन खत्म हुआ और मेरा दफ्तर चालू हो गया पर बच्चों और पति का अभी भी घर से स्कूल और दफ्तर जारी था. छुट्टी का दिन मेरे लिए और अधिक व्यस्त होता है क्योंकि जिन कार्यों की अनदेखी मैं दफ्तर के कारण कर देती थी वे सब कार्य ठुनकते हुए कतार में सिर उठा कर खड़े रहते थे कि उन का नंबर कब आएगा? बच्चे अगर सामने से नहीं पर आंखों ही आंखों में यह जरूर जता देते हैं कि मैं हर दिन कितनी व्यस्त रहती हूं, उन को जब मेरी जरूरत होती है तो मैं दफ्तर के कार्यों में अपना सिर डाल कर बैठी रहती हूं.

पति महोदय का बस यही वाक्य होता है कि तुम्हें ही सारा काम क्यों दिया जाता है? जरूर तुम ही भागभाग कर हर काम के लिए लपकती होंगी. अरे, वर्कफ्रौम होम के लिए बात क्यों नहीं करती हो? पर फिर जब हर माह की 5 तारीख को जब वेतन आता है तो वे सारी चीजें भूल जाते हैं और नारीमुक्ति या उत्थान के पुजारी बन जाते हैं.

ऐसे ही एक ठिठुरते हुए रविवार में सब के लिए खाना परोसते हुए मेरे दिमाग में यह खयाल आया कि क्यों न दफ्तर से छुट्टी ले ली जाए और बस लेटी रहूं. घर पर तो यह मुमकिन नहीं था. पहले तो बिना किसी कारण छुट्टी लेना किसी को हजम नहीं होगा. दूसरा, अगर ले भी ली तो सारा समय घर के कामों में ही निकल जाना है. कहने को तो मेरे जीवन में बहुत सारे मित्र हैं पर ऐसा कोई नहीं है जिस के साथ मैं यह दिन साझा कर सकूं. पर न जाने क्यों मन ने कुछ नया करने की ठानी थी, खुद के साथ समय बिताने की दिल ने की मनमानी थी.

जब से यह खयाल मन में आया तो कुछ जिंदगी में रोमांच सा आ गया साथ ही साथ एक अनजाना डर भी था कि कहीं मैं इस वायरस की चपेट में न आ जाऊं पर फिर अंदर की औरत बोल उठी,’अरे तो रोज दफ्तर भी तो जाती हो. उस में भी तो इतना ही जोखिम है. मेरे पास भी कुछ ऐसा होना चाहिए जो मेरा बेहद निजी हो.’

पूरा रविवार पसोपेश में बीत गया. ‘करूं या न करूं…’ सोचते हुए सांझ हो गई. मुझे कहीं घूमने नहीं जाना था, न ही किसी दर्शनीय स्थल के दर्शन करने थे, कारण था कोरोना. मुझे तो अपने अंदर की औरत को पहचाना था कि क्या इस कोरोना की आपाधापी में उस में थोड़ी सी चिनगारी अभी भी बाकी है?

दफ्तर में तो छुट्टी की सूचना दे दी थी पर अब सवाल यह था कि खुद को कहां पर ले जाऊं? क्या होटल सेफ रहेगा या मौल के किसी कैफे में? तभी फेसबुक पर ओयो रूम दिखाई पड़े. यहां पर घंटों के हिसाब से कमरे उपलब्ध थे. किराया भी बस ₹1,000 तक था. कोरोना के कारण घर से ही चेकइन करने की सुविधा थी पर फिर दिमाग में आया कि कहीं पुलिस की रेड न पड़ जाए क्योंकि ऐसे माहौल में कमरे घंटों के हिसाब से क्यों लिए जाते हैं यह सब को पता है तो ऐसे कमरों में ठहरना क्या सुरक्षित रहेगा?

इधरउधर होटल खंगाले तो कोई भी होटल ₹5,000 से कम नहीं था. पति महोदय मेरी समस्या को चुटकी में ही हल कर सकते थे पर यह तो मेरी खुद के साथ की डेट थी फिर उन से मदद कैसे ले सकती थी? और अगर सच बोलूं तो मुझे अपने पति से कोई लैक्चर नहीं सुनना था. यह बात नहीं सुननी थी कि मैं मिडऐज क्राइसिस से गुजर रही हूं इसलिए ऐसी बचकानी हरकतें कर रही हूं.

माह की 27 तारीख थी. बहुत अधिक शाहीखर्च नहीं हो सकती थी इसलिए धड़कते दिल से एक ओयो रूम ₹900 में 8 घंटों के लिए बुक कर दिया. वहां से कन्फर्मेशन में भी आ गया. फिर शाम के 5 बजे से मैं अपने मोबाइल को ले कर बेहद सजग हो गई जैसे मेरी कोई चोरी छिपी हो उस में.

बेटे ने जैसे ही हमेशा की तरह मेरे मोबाइल को हाथ लगाया, मैं फट पड़ी,”मैं तुम्हारे मोबाइल को हाथ नहीं लगाती हूं तो तुम्हें क्या जरूरत पड़ी है?”

बेटा खिसिया कर बोला,”मम्मी, मेरे एक फ्रैंड ने मुझे ब्लौक कर रखा है या नहीं, बस यही देखना चाहता था.”

पति और घर के अन्य सदस्य मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे. मैं बिना कोई उत्तर दिए रसोई में घुस गई. फिर रात को मैं ने अपने कार्ड्स और आईडी सब अपने पर्स में रख लिए. सुबह दफ्तर के समय ही घर से निकली और धड़कते दिल से कैब बुक करी. कैब ड्राइवर ने कैब उस गंतव्य की तरफ बढ़ा दी और फिर करीब आधे घंटे के बाद हम वहां पहुंच गए.

मुझे उतरते हुए कैब ड्राइवर ने पूछा,”मैम, आप को यहीं जाना था न?”

मुझे पता था वह बाहर ओयो रूम का बोर्ड देख कर पूछ रहा होगा. मैं कट कर रह गई पर ऊपर से खुद को संयत करते हुए बोली,”हां, पर तुम क्यों पूछ रहे हो?” वह कुछ न बोला पर उस के होंठों पर व्यंगात्मक मुसकान मुझ से छिपी न रही.

मैं अंदर पहुंची पर कोई रिसैप्शन नहीं दिखाई दिया, फिर भी मैं अंदर पहुंच गई तो एक ड्राइंगरूम दिखाई दिया. 2 बड़े बड़े सोफे पड़े हुए थे और एक डाइनिंग टेबल भी थी. 2 लड़के सोए हुए थे. मुझे देखते हुए आंखे मलते हुए उठने ही वाले थे कि मैं तीर की गति से बाहर निकल गई. खुद पर गुस्सा आ रहा था कि एक भी ऐसा कोना नहीं है मेरे इस शहर में.शहर में ही क्यों, मेरा निजी कुछ भी नहीं है मेरे जीवन में.

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अब खुद के साथ समय बिताना भी मुश्किल हो गया था. जो फोन नंबर वहां पर अंकित था, वह मिलाया तो पता लगा कि वह नंबर आउट औफ सर्विस है. यह स्थान एक घनी आबादी में स्थित था इसलिए सड़क पर आतेजाते लोगों में से कुछ मुझे आश्चर्य से और कुछ बेशर्मी से देख रहे थे. मैं बिना कुछ सोचे तेजतेज कदमों से बाहर निकल गई. नहीं समझ आ रहा था कि कहां जाऊं?

ऐसे ही चलती रही. एक मन किया कि किसी मौल मैं चली जाऊं पर फिर वहां पर मैं क्या खुद से गुफ्तगू कर पाऊंगी? करीब 1 किलोमीटर चलतेचलते फिर से एक इमारत दिखाई दी. ओयो रूम का बोर्ड यहां भी मौजूद था. न जाने क्या सोचते हुए मैं उस इमारत की ओर बढ़ गई. वहां पर देखा कि रिसैप्शन आरंभ में ही था. उस पर बैठे हुए पुरूष को देख कर मैं ने बोला,”सर, कमरा मिल जाएगा?”

रिसैप्शनिस्ट बोला,”जरूर मैडम, कितने लोगों के लिए?”

मैं ने कहा,”बस मैं…”

उस ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा और फिर बोला,”मैडम, कोई मेहमान या दोस्त आएगा आप से मिलने?”

मैं बोली,”नहीं, दरअसल घर की चाबी नहीं मिल रही है,” न जाने क्यों एक झूठ जबान पर आ गया खुद को सामान्य दिखाने के लिए. मुझे मालूम था कि अगर उसे पता चलेगा कि मैं ऐसे ही समय बिताने आई हूं तो शायद वह मुझे पागल ही करार कर देता.

आज पहली बार मन ही मन कोरोना को धन्यवाद दिया. मास्क के पीछे मुझे बेहद सुरक्षित महसूस हो रहा था. रूम नंबर 202 के अंदर घुसते ही मैं ने देखा एक छोटा सा बैड है, साफसुथरी रजाई भी रखी हुई थी. मेरे सामने ही रूम को दोबारा सैनिटाइज करा गया था. मैं ने राहत की सांस ली और अपना मास्क निकाला और फिर दोबारा से हाथ सैनिटाइज कर लिए थे. टीवी चलाने की कोशिश करी तो जाना मुझे तो पता ही नहीं यह नए जमाने के स्मार्ट टीवी कैसे चलाते हैं. थोड़ीबहुत कोशिश करी और फिर नीचे से लड़का बुला कर टीवी को चलवाया गया.

एक म्यूजिक चैनल औन किया तो जाना कि न जाने कितने साल हाथों से फिसल गए. न कोई गाना पहचान पा रही थी और न ही कोई अभिनेता या अभिनेत्री. फिर भी कुछ झिझक के साथ रजाई ओढ़ते हुए मैं लेट गई. मन में यह सोचते हुए कि न जाने कितने जोड़ों ने इस को ओढ़ कर प्रेमक्रीड़ा करी होगी.

टनटन करते हुए व्हाट्सऐप के दफ्तर वाले ग्रुप पर कार्यों की बौछार हो रही थी. मैं ने तुरंत डेटा बंद किया और मन ही मन मुसकराने लगी.

कुछ आधे घंटे बाद एक असीम शांति महसूस हुई. ऐसी शांति जो कभी योगा में भी लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हुई थी. लेटे हुए मैं यही सोच रही थी कि कौनकौन से मोड़ से जिंदगी गुजर गई और मुझे पता भी नहीं चला. फिर गुसलखाने जा कर अपनेआप को निहारने लगी. घर पर न तो फुरसत थी और न ही इजाजत, जैसे ही देखना चाहती कि एकाएक एक जुमला उछाला जाता,”अब क्या देख रही हो? कौनसा 16 साल की हो….” जैसे सुंदर दिखना बस युवाओं का मौलिक अधिकार है. 40 वर्ष की महिला तो महिला नहीं एक मशीन है.

आईना देखते हुए मेरी त्वचा ने चुगली करी कि कब से पार्लर का मुंह नहीं देखा? शायद पहले तो फिर भी माह में 1 बार चली जाती थी पर अब तो 9 माह से भी अधिक समय हो गया था. बाल भी बेहद रूखे और बेजान लग रहे थे. झिझकते हुए रूम से बाहर निकली तो देखा सामने ही पार्लर भी था. बिना कुछ सोचे कमरे में ताला लगाया और पार्लर चली गई. हेयर स्पा और फेसियल कराया तो बहुत मजा आया. ऐसा लगा जैसे खुद के लिए कुछ करना अंदर से असीम शांति और खुशी भर देता है.

जब 3 घंटे बाद कमरे में पहुंची तो कस कर भूख लग गई थी. इंटरकौम से खाना और्डर किया. बहुत दिनों बाद बिना किसी ग्लानि के अपना पसंदीदा तंदूरी रोटी और बेहद तीखा कोल्हापुरी पनीर खाया.

अब कोरोना का डर काफी हद तक दिमाग से निकल गया था. जब पूरे 8 घंटे बिताने के बाद मैं घर पहुंची तो देखा चारों ओर घर में तूफान आया हुआ है. अभीअभी दोनों बच्चे लड़ाई कर के बैठे थे. पर यह क्या मुझे बिलकुल भी गुस्सा नहीं आया. गुनगुनाती हुई मैं रसोई में घुस गई और गरमगरम पोहे बनाने में जुट गई.

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अंदर बैठी हुई खूबसूरत महिला फिर से दिल के दरवाजे पर दस्तख दे रही थी कि मैं अगली डेट पर कब जा रही हूं? शायद दूसरों को खुश करने से पहले खुद को खुश करना जरूरी है. इस कोरोनाकाल में मेरे अंदर चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ गया था, जो आज काफी हद तक कम हो गया था.

बात तो समझ आ गई कि खुद के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है. लेकिन एक डेट के बाद यह भी समझ में अवश्य आ गया कि ऐसा कौंसैप्ट हमारे समाज मे अभी प्रचिलित नहीं है. अभी यह रचना लिखते हुए भी मेरे दिमाग मे यह बात आ रही है कि अगर उस दिन मुझे किसी जानपहचान वालों ने देख लिया होता तो शायद मैं भी उन के लिये एक अनसुलझी कहानी बन जाती. पर हम सब को तो मालूम है न कि हर प्रेमकहानी में थोड़ाबहुत जोखिम तो होता ही है और यह जोखिम मैं अब लेने के लिए तैयार हूं.

ऐसी है ‘कार्तिक-नायरा की बेटी , मिलिए ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की नई ‘अक्षरा’ प्रणाली राठौर से

पिछले बारह वर्षों से भी अध्किा समय से ‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित हो रहा राजन शाही का अति लोकप्रिय सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ अब लंबा लीप लेने जा रहा है.इस बार सीरियल की कहानी कुछ वर्ष आगे बढ़ने के साथ ही कई किरदारों के कलाकार भी एकदम नए आ जाएंगे. मसलन- अब तक हिना खान,अक्षरा के किरदार में नजर आ रही थीं, लेकिन लीप के बाद अक्षरा के किरदार में प्रणाली राठौर नजर आने वाली हैं.

सर्वाधिक लोकप्रिय व लंबे समय से प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’ से जुड़ने को लेकर उत्साहित अभिनेत्री प्रणाली राठौर कहती हैं-‘‘सर्वाधिक सफल सीरियल की विरासत को आगे ले जाना एक सम्मान और सौभाग्य की बात है. मैं जिस सीरियल को देखते हुए बड़ी हुई हूं,उसी का हिस्सा बनना मेरे लिए गौरव की बात हैं. हिना खान से प्यार करने से लेकर सीरियल के सार को समझने तक, यह एक ऐसा एहसास है जिसे मैं सरल शब्दों में परिभाषित नहीं कर पाऊंगी.”

 

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प्रणाली की अक्षरा मस्ती पसंद है और सकारात्मकता से भरी है,जो उसके विचारों और भावनाओं में झलकती है.वह अपने परिवार से प्यार करती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी खा सकती है.वह कहती हैं-“मैं चरित्र से इतना संबंधित हूं कि मुझे तुरंत जिस तरह से लिखा गया है उससे प्यार हो गया. साथ ही, असल जिंदगी में भी मैं अक्षरा की तरह ही फ्री-स्पिरिटेड हूं.मुझे अपने परिवार से प्यार है. वह वही हैं जिन्होंने मुझे और इसके माध्यम से समर्थन दिया है.’’

 

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राजन शाही और निर्देशकों कुट प्रोडक्शन की टीम के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए वह कहती हैं-“राजन सर के साथ काम करना एक खुशी की बात है.क्योंकि हम सभी को उनके अनुभव से सीखने को मिलता है.जिस तरह से वह हमारा समर्थन करते हैं, बताते हैं कि चीजें बिल्कुल शानदार हैं.कंटेंट किंग है और वह दर्शकों की नब्ज को भी अच्छी तरह समझते हैं.इन दिनों बदलाव का हिस्सा बनना बहुत महत्वपूर्ण है कि दर्शक भी बुद्धिमान कथाओं को स्वीकार करने और उम्मीद करने के लिए तैयार हैं जहां से वह वापस लेने के लिए कुछ लेते हैं. ”

 

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सीरियल ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’एक मानवीय मूल्यों और रिश्तों का प्रतीक है.और राजन शाही अपनी कुरकुरी कहानी के लिए जाने जाते हैं.इससे सहमति जताते हुए प्रणाली राठौर कहती हैं-‘‘रिश्ते और मानवीय मूल्य इस ग्रह पर दो सबसे मूल्यवान चीजें हैं और मेरा मानना है कि हम एक ऐसे उद्योग में हैं,जो हमारी कहानियों के माध्यम से दर्शकों को व्यक्त करने के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है.राजन सर जो कुछ भी करते हैं,उसमें उस्ताद हैं.क्योंकि वह कहानी के हर विवरण में आते हैं और प्रत्येक विवरण को स्वयं परिष्कृत करते हैं.मुझे लगता है कि यह सब उन्हें आज हमारे उद्योग में सबसे अच्छे श्रोताओं में से एक बनाते हैं.’’

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प्रेम त्रिकोण और सीरियल के शीर्षक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रणाली कहती हैं-“मुझे लगता है कि प्रेम त्रिकोण कहानी को वास्तव में दिलचस्प बनाते हैं. लेकिन मेरा यह भी मानना है कि किसी भी चीज के प्रति प्यार शुद्ध होना चाहिए और जो ऐसा महसूस करता है वह विजयी होता है.जहां तक शीर्षक का सवाल है, मुझे लगता है कि यह सवाल है कि हम सभी को खुद से पूछना चाहिए कि आप अपने जीवन में जो रिश्ता कमाते हैं, वह आपके और साथी व्यक्ति के लिए क्या मायने रखता है. मुझे लगता है कि जब हम इसका उत्तर जान लेंगे, तो दुनिया मानव जाति के लिए एक बेहतर जगह होगी.‘‘

तेजो और फतेह की जिंदगी में एंट्री मारेगा ये हैंडसम हंक, Udaariyaan में आएगा नया ट्विस्ट

इन दिनों अनुपमा के अलावा टीवी सीरियल ‘उड़ारियां’ (Udaariyaan) फैंस का दिल जीत रहा है, जिसके चलते सीरियल टौप 5 में आ गया है. वहीं सीरियल की कहानी की बात करें तो तेजो और फतेह की कहानी में आज भी जैस्मिन चाल चलती नजर आ रही है. लेकिन जल्द ही सीरियल में एक नए एक्टर की एंट्री होने वाली है, जिसके चलते सीरियल में नया ट्विस्ट आता नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

#fatejo की लाइफ में होगी नई एंट्री

 

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खबरों की मानें तो उड़ारियां में पौपुलर एक्टर करण वी ग्रोवर की एंट्री होने वाली है, जिसका एक वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दिवाली सेलिब्रेशन के मौके पर करण वी ग्रोवर, फतेह और तेजो संग डांस करते नजर आ रहे हैं. वहीं उड़ारियां में करण वीर ग्रोवर का रोल काफी अहम साबित होने वाला है, जिसका फैंस इंतजार कर रहे हैं.

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तेजो औऱ फतेह रखेंगे एक दूसरे के लिए व्रत

सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो तेजो, फतेह के लिए करवाचौथ का व्रत रखने के लिए मना कर देगी. लेकिन वह चोरी छिपे व्रत रखेगी. दूसरी तरफ फतेह भी तेजो के लिए व्रत रखेगा. लेकिन जैस्मिन समझेगी कि उसने उसके लिए व्रत रखा है. वहीं जैस्मिन अपना व्रत तोड़ देगी. इसी के साथ ही फतेह, तेजो को देखकर अपना व्रत तोड़ता नजर आएगा, जिसे देखकर जैस्मिन का सपना चकनाचूर हो जाएगा.

 

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लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो हाल ही में तेजो ने अपने एक्स हस्बैंड जस से छुटकारा पाया है और उसे पुलिस के हवाले कर दिया है, जिसके बाद जैस्मिन का सच फतेह के सामने आ चुका है.

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आदित्य से दूर होने का फैसला करेगी Imlie, मां के साथ मिलकर मालिनी बनाएगी नया प्लान

स्टार प्लस के सीरियल ‘इमली’ (Imlie) में आए दिन नए मोड़ आ रहे हैं, जिसके चलते शो टीआरपी चार्ट्स में कमाल कर रहा है. दरअसल, मालिनी की हर चाल को इमली नाकामयाब करके त्रिपाठी परिवार का दिल जीत रही है. वहीं इमली आदित्य के भी करीब आ रही है. लेकिन मालिनी ने अपनी चालों से हार नहीं मानी है. जल्द ही वह कुछ ऐसा करने वाली है, जिसका सीधा असर इमली और आदित्य के रिश्ते पर पड़ेगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अपर्णा ने दिया बहू का अधिकार

 

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अब तक आपने देखा कि अपर्णा, इमली (Imlie) को अपनी बहू के तौर पर स्वीकार कर लेती है. साथ ही अपनी बहू इमली को सरप्राइज देने की तैयारी करती है और घर के सभी लोग मिलकर डांडिया नाइट सेलिब्रेट करते नजर आए, जिसे देखकर जहां इमली बेहद खुश नजर आई तो वहीं मालिनी जलन के मारे गुस्से में नजर आई. वहीं डांडिया में भी मालिनी ने आदित्य के साथ डांस करने का सोचा तो भी इमली ने नई चाल चली और प्रैग्नेंसी के कारण उसे आराम करने के लिए कहा.

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मालिनी करेगी इमली की खुशी में नाटक

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि डांडिया में जहां इमली-आदित्य की रोमांटिक कैमेस्ट्री देखने को मिलेगी तो वहीं त्रिपाठी परिवार इमली का स्वागत आदित्य के कमरे में करेगा, जिसके लिए अपर्णा तैयारियां करती है. वहीं मालिनी अपनी नई चाल चलते हुए इमली का स्वागत करने का नाटक करेगी और परिवार का दिल जीतेगी. हालांकि इमली उसे अकेले में कहेगी कि अब वह उसकी किसी चाल में नही फंसेगी.

मालिनी का ये होगा नया प्लान

दूसरी तरफ आप देखेंगे कि मालिनी अपनी मां अनु से कहेगी कि वह इमली के साथ रहेगी और जो कुछ भी वह उसके खिलाफ कर सकती है वह करेगी. साथ ही वह आदित्य के परिवार के सामने अच्छा काम करेगी और उसे और इसके परिवार को इमली के खिलाफ कर देगी. हालांकि इमली, आदित्य से कहेगी कि वह उसके साथ एक ही बिस्तर पर तब तक नहीं सो सकती जब तक कि उसे दोबारा अपने रिश्ते पर विश्वास नहीं हो जाता.

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प्यार साथी के घरवालों से

प्यार की परिधि व्यापक होती है. जिस से प्यार होता है उस से संबंधित लोगों, चीजों और बातों आदि तमाम पक्षों से प्यार हो जाता है. प्यार विवाहपूर्व हो तो प्रिय को पाने के लिए उस के घर वालों से भी प्यार उस राह को आसान और सुगम बना देता है और जहां तक विवाह के बाद की बात है, वहां भी साथी के घर वालों से प्यार रिश्तों में मजबूत जुड़ाव और परिवार का अटूट अंग बनाने में सहायक होता है. हमारे यहां विवाह संबंध 2 व्यक्तियों के बजाय 2 परिवारों का संबंध माना जाता है, इसलिए उस में सिर्फ व्यक्ति के बजाय समूह को प्रधानता दी जाती है. केवल प्रिय या अपने बच्चों तक ही प्यार को स्वार्थ माना जाता है. केवल अपने लिए जिए तो क्या जिए? उस तरह तो हर प्राणी जीता है.

दरअसल, बहू हमारे यहां परिवार की धुरी है, उसी पर हमारे वंश का जिम्मा है, इसलिए उसे परिवार की भावना को अगली पीढ़ी में सुसंस्कार डालने वाली माना जाता है.

क्या कहते हैं अनुभव

राजेश्वरी आमेटा ससुराल में काफी लोकप्रिय हैं. उन के पति डाक्टर हैं और उन्हें भी ससुराल पक्ष व उन के परिचितों से बहुत स्नेह मिला. डा. आमेटा कहते हैं, ‘‘मैं स्वभाव से संकोची और कम बोलने वाला था पर बड़े परिवार में शादी होने से मुझे अपने से छोटेबड़ों का इतना मानसम्मान तथा प्यार मिला कि मुझे जो सामाजिकता पसंद न थी, वह भी अच्छी लगने लगी. राजेश्वरी कहती हैं, ‘‘शादी का मतलब ही प्रेम का विस्तार है. मेरी ससुराल में ससुरजी के 3 भाइयों का परिवार एक ही मकान में रहता था, इसलिए दिन भर घर में रौनक व चहलपहल का माहौल रहता था.’’

अगर मन में यह बात रखी जाए कि पारिवारिकता से आप को प्यार देने के साथसाथ उस की प्राप्ति का सुख भी मिलता है, पारिवारिकता आप के मन को विस्तार देती है, समायोजन में सहूलियत पैदा करती है, तो साथी के घर वालों से भी सहज ही प्यार हो जाता है. मनोवैज्ञानिक सलाहकार डा. प्रीति सोढ़ी इस तरह के संबंधों पर मनोवैज्ञानिक रोशनी डालते हुए बताती हैं कि साथी के घर वालों या संबंधियों से प्यार सपोर्टेड रिलेशनशिप कहलाता है. इस से भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है, आत्मीयता और एकदूसरे के प्रति हमदर्दी में बहुत सपोर्ट मिलता है और लड़ाईझगड़े कम होते हैं. नकारात्मक सोच के लिए कोई मौका नहीं मिलता.

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मिलती सकारात्मक ऊर्जा

हमारे यहां परिवारों में ज्यादातर झगड़े पक्षपात, कमज्यादा लेनदेन व स्नेहभाव कमज्यादा होने पर होते हैं. इसलिए साथी के संबंधियों से प्यार आप का मानसम्मान, हौसला और अहमियत बढ़ाने वाला होता है. लेखिका शिवानी अग्रवाल कहती हैं, ‘‘शुरूशुरू में यह प्यार आप को जतानाबताना पड़ता है, लेकिन धीरेधीरे यह सहज हो जाता है. मसलन, आप उन को बुलाएं, उन का इंतजार करें, उन की पसंदनापसंद का खयाल रखें, उन की जन्मतिथि, शादी की वर्षगांठ आदि याद रखें. यानी भावनात्मक रूप से जुड़ें. फिर ये सब दोनों तरफ से होने लगता है, तो आप अपनेआप पर फख्र करते हैं.’’ आभा माथुर कहती हैं, ‘‘केवल बातों की बादशाही से काम नहीं चलता, उन्हें मूर्त रूप दिया जाना जरूरी होता है. अविवाहित ननद है, तो उस की सहेली बनें. देवर या ननद के छोटेछोटे काम कर दें. साथ खाना खाएं. बाजार से पति बच्चों के लिए कुछ लाएं तो उन्हें न भूलें जैसे सैकड़ों कार्य हैं इस प्यार की अभिव्यक्ति के.’’

सच भी है, साथी के घर वालों से प्यार करने से घरपरिवार में सकारात्मक ऊर्जा रहती है. उन्हें नहीं लगता कि उन का भाई, बेटा, पोता या बहन, बेटी, पोती किसी ने छीन ली या दूर कर ली है. कई बार लगता है एक व्यक्ति से जुड़ कर कई लोगों से रिश्ते बने. अपने घरपरिवार वालों से साथी के बारे में अच्छी प्रतिक्रिया से मन बहुत खुश रहता है. लगता है हमें अच्छा साथी मिला. जिस के साथी की निंदा होती हो, वह अच्छा भी हो, तो भी लगता है जैसे उस व्यक्ति के चयन में कोई गड़बड़ी या गलती हो गई है. एक प्रेमविवाह करने वाला जोड़ा कहता है, ‘‘शुरूशुरू में हम दोनों एकदूसरे में ही खोए हुए थे. इस वजह से हमें किसी और का ध्यान ही नहीं आया. पर संबंधियों से हमें इतना प्यार मिला कि हमें एकदूसरे के घर वालों से बहुत प्यार हो गया और अब बढ़ता जा रहा है. हमारे घर वालों ने हमारी पुरानी बातें भुला कर अच्छा ही किया, वरना तनातनी होती व बढ़ती. अब हमें जिंदगी जीने का मजा आ रहा है.’’ कुछ लोगों को लगता है साथी के घर वालों को ज्यादा भाव देने से वे हमारे घर में दखल करेंगे. उन का हस्तक्षेप हमारे जीवन के सुख को कम कर सकता है, व्यावहारिकता से देखासोचा जाए तो सचाई तो यह है प्यार से रिश्तों को पुख्ता बनाने में मदद मिलती है. हारीबीमारी के वक्त, परिस्थिति को जानना, झेलना आसान हो जाता है. हम किसी के साथ हैं तो कोई हमारे साथ भी है, छोटेछोटे परिवार होने पर भी बड़े परिवार का लाभ मिल जाता है.

जहां नहीं होती आत्मीयता

चिरंजी लाल की 6 बहनें हैं. वे कहते हैं, ‘‘माफ कीजिएगा, हम पुरुष जितनी आसानी से ससुराल वालों को मान देते हैं, उतना हमारी पत्नियां हमारे घर वालों को मान नहीं देतीं. मैं पत्नी के भाइयों की खूब खातिर करता हूं, पर मेरी पत्नी मेरे भाईबहनों का उतना आदरसम्मान नहीं करतं, बल्कि मुझे उन से सावधान रहने जैसी बातें कह कर भड़काती रहती हैं. मेरी पत्नी बेहद सुंदर है फिर भी वह मन से भी उतनी ही सुंदर होती, तो मेरे दिल के और करीब होती.’’ जो एकदूसरे के घर वालों से जुड़ नहीं पाते उन्हें मलाल रहता है. इस का कहीं न कहीं उन के अपने प्यार पर भी प्रभाव पड़ता है. प्यार के शुरुआती दिनों में तो यह चल जाता है पर बाद में यह बात आपसी रिश्तों में खींचतान व खटास का कारण भी बनती है. प्रेमविवाह हो या परंपरागत विवाह, साथी के घर वालों से प्यार करने से सुख बढ़ता ही है, अपना भी व दूसरों का भी. यार से हस्तक्षेप बढ़ता है यह भ्रम ही है. मौके पर अच्छी सलाह और मदद अलादीन के चिराग का काम करती है. आज हम किसी के सुखदुख में खड़े हैं, तो कल को कोई हमारे साथ खड़ा होगा. जीवन हमेशा एक जैसा नहीं चलता.

मेरी बचपन की एक सहेली को विवाह के बाद गुपचुप दूसरा विवाह कर के उस के पति ने धोखा दिया. उस के ससुराल वालों ने अपने बेटे का बहिष्कार कर के कानूनन तलाक करवा कर उसे अपनी बेटी बना कर, उस का अपने घर से ही दूसरा विवाह कराया. यदि उस का पति के घर वालों से लगावजुड़ाव नहीं होता, तो यह कभी संभव ही नहीं था.

देखें अपने आसपास

साथी के घर वालों से जुड़ाव का नतीजा आसपास आसानी से देखा जा सकता है. जो ऐसा करते हैं, वे औरों की अपेक्षा ज्यादा मान और भाव पाते हैं. 3 बहुओं व बेटों के होने पर भी ऐसा करने वाला एक व्यक्ति उन पर भारी पड़ता है, उस की पूछ ज्यादा होती है. विवाह और प्यार के मूल में पारिवारिकता है, जो इसे नहीं समझ पाते वे कटेकटे व अलगथलग पड़ जाते हैं. दूसरों से जुड़ कर और अपने से जोड़ कर ही तो हम भी खुल कर कुछ कह सकते हैं और अपनी बात बता सकते हैं. इस जुड़ाव से बहुत से कठिन मौके आसान हो जाते हैं. साथी के घर वालों से जुड़ कर साथी से जुड़ी शिकायतें भी दूर की जा सकती हैं. मसलन, नशा, जुआ या ऐसे ही तमाम ऐबतथा गैरजिम्मेदारी भरे रवैए. जहां यह पारिवारिक जुड़ाव नहीं, वहां तनाव भी पसरता है. साथी एकदूसरे को खुदगर्ज व अपनों से दूर करने वाला भी समझते हैं. तमाम सुखसुविधाओं के बीच भी आधाअधूरापन अनुभव होता है. बच्चों में भी स्वत: यह प्रवृत्ति आती जाती है.

जब हम किसी से जुड़ाव और प्यार रखते हैं, तो औपचारिकता में कड़वी लगने वाली बातें भी आत्मीयता के कारण सहजस्वाभाविक लगती हैं. एकदूसरे के प्रति स्नेह बढ़ता है व रिश्तों की समझ पैदा भी होती है. व्यर्थ के गिलेशिकवे, ताने, तनातनी, लड़ाईझगड़े हो नहीं पाते. जैसे बिखरे पन्नों को बाइंडर किताब के रूप में जोड़ देता है, जिस से लगता ही नहीं कि वे अलगअलग भी थे. यही काम साथी के घर वालों से प्यार पर किसी रिश्ते का होता है.

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Health से जुड़ी इन समस्याओं का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 32 साल की विवाहित स्त्री हूं. मुझे कुछ सालों से डायबिटीज है. दवा लेने से ब्लडशुगर कंट्रोल में रहता है. लेकिन मुझे बारबार वैजाइना में कैंडिडियासिस हो जाता है. दही जैसी सफेद पपड़ी जम जाती है. वैजाइना में खुजली होती है. इतना ही नहीं, सैक्स में भी परेशानी होती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

डायबिटीज में वैजाइना में कैंडिडा का इन्फैक्शन भी हो सकता है. पर इन्फैक्शन अगर बारबार हो तो समझ लें कि ब्लडशुगर कंट्रोल में नहीं है. अपने डायबिटोलौजिस्ट से मिलें. शुगर की जांच कराएं और फिर डाक्टर की सलाह से डायबिटीजरोधी दवा में परिवर्तन लाएं.

साथ ही कैंडिडियासिस से छुटकारा पाने के लिए किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें. उन की सलाह के अनुसार वैजाइनल कैंडिडारोधक क्रीम या पेसरी (जैसे माइकोस्टेटिन, निस्टेटिन) का प्रयोग करें. ध्यान रखें कि कोर्स पूरा होने तक दवा लें. दवा लेना बीच में न छोड़ें. और हां, यह इलाज आप के पति को भी लेना होगा वरना इन्फैक्शन दोबारा हो सकता है.

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सवाल-

मैं 24 साल की युवती हूं. इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर ऐप्लिकेशंस में मास्टर्स कर रही हूं. इधर कई दिनों से अपनी आंखों को ले कर परेशान हूं. आंखें ड्राई रहने लगी हैं. कभीकभी नजर धुंधली पड़ जाती है. मेरे एक सहपाठी का कहना है कि उसे भी यह समस्या हुई थी. जब वह आई स्पैशलिस्ट के पास गया तो उन्होंने ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ डायग्नोज करते हुए उसे कुछ आई ड्रौप्स डालने के लिए कहा था, जिस से कुछ ही दिनों में आराम आ गया था. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं?

जवाब-

अच्छा होगा कि आप कम से कम 1 बार अपनी आंखें किसी आई स्पैशलिस्ट को दिखा लें. बहुत मुमकिन है कि आप के सहपाठी का अनुमान ठीक हो. ऐसे लोग जिन्हें रोजाना घंटों कंप्यूटर पर काम करना होता है, उन्हें ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ होने का रिस्क बना रहता है.

सच यह है कि आंखों का नम रहना उन की तंदुरुस्ती के लिए जरूरी है. इसीलिए प्रकृति ने हमें अश्रुग्रंथियां दी हैं. जबजब हम पलकें झपकते हैं, इन ग्रंथियों से आंसू की बूंदें रिस कर आंखों की सतह को नम कर देती हैं. हमारे जानेअनजाने हमारी अश्रुग्रंथियों से आए आंसू हमारी आंखों पर बहुत महीन फिल्म बिछाए रखते हैं और इसी नमी से आंखें शुष्क होने से बची रहती हैं. लेकिन हम जैसेजैसे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, वैसेवैसे आंखों के इस सुरक्षाकवच में सेंध लगती जा रही है. बड़े शहरों में प्रदूषण बढ़ने, कंप्यूटर पर घंटों काम करने, आसपास बीड़ीसिगरेट का धुआं छाए रहने, चौबीसों घंटे शुष्क एयरकंडिशंड हवा में रहने से आंखों पर बिछी रहने वाली नमी की हलकी परत सूख जाती है. महानगरों में इसी से ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ के भुक्तभोगियों की संख्या बढ़ रही है.

कुछ छोटेछोटे उपायों से हम इस मुश्किल को नियंत्रण में ला सकते हैं, जैसे कंप्यूटर पर काम करते हुए पलकों को बारबार झपकाने की आदत बना लें. कंप्यूटर मौनिटर पर एकटक आंखें गड़ा कर न रखें. बीचबीच में आंखों को आराम दें. बाल धोने के बाद उन्हें अगर हेयरड्रायर से सुखाएं तो आंखों को ड्रायर की हवा से बचाएं. स्कूटर या मोटरसाइकिल पर बैठी हों तो गौगल्स लगा लें. अगर डाक्टर सलाह दें तो नियम से दिन में आर्टिफिशियल टियर ड्रौप्स और रात में सोने से पहले नेत्र ओएंटमैंट डाल कर आंखों की नमी बनाई रखी जा सकती है.

सवाल-

मेरी पीठ के बिलकुल निचले छोर से बारबार पस का रिसाव होता है. ऐसा लगता है जैसे कोई जख्म बन गया है. पट्टी कराकरा कर थक गया हूं, पर यह रिसाव बंद नहीं हो रहा. डाक्टर के अनुसार मुझे पाइलोनाइडल साइनस हो गया है. उन की राय है कि मुझे इस का औपरेशन कराना पड़ेगा. मैं ने सुना है कि औपरेशन के बाद यह साइनस दोबारा हो जाता है. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं? पाइलोनाइडल साइनस होता क्या है इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

जैसे चूहा जमीन को खोद कर अंदर ही अंदर लंबी पतली सुरंग बना लेता है. वैसे ही रीढ़ के बिलकुल निचले हिस्से में कभीकभी बाल के पोर से शुरू हो कर पतली सुरंग जैसी बन जाती है, जिसे पाइलोनाइडल साइनस कहते हैं. यह आम विकार किसी भी उम्र में पनप सकता है. यह उठतेबैठते, चलतेफिरते, खड़े होते वक्त कूल्हों के बीच सक्शन पैदा होने से होता है. सक्शन के कारण बाल सतही खाल और उस के नीचे के ऊतकों को बेधते हुए नीचे तक महीन दरार पैदा कर देते हैं. इस क्षेत्र में चूंकि पसीना इकट्ठा होता रहता है, साफसफाई पर ध्यान नहीं रहता, इसी से दरार में संक्रमण पैदा हो जाता है और मवाद बनने लगता है. पाइलोनाइडल साइनस का इलाज औपरेशन ही है. यह सर्जरी आप किसी भी अनुभवी सर्जन से करा सकते हैं.

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सवाल-

मैं 23 साल की युवती हूं. मेरी समस्या विचित्र सी है. जैसे ही मैं घर से बाहर सूर्य की रोशनी में निकलती हूं चेहरे और बदन पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं और खुजली शुरू हो जाती है. कृपया बताएं कि मुझे यह परेशानी किस कारण से हो रही है. इस से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

सूर्य के प्रकाश में अल्ट्रावायलेट किरणें पाई जाती हैं. कुछ लोगों की त्वचा इन किरणों के प्रति जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होती है. धूप में निकलते ही चेहरे और बदन पर लाल चकत्ते उभरना और खुजली होना इस बात का द्योतक है कि आप भी सोलर अर्टिकेरिया की ऐलर्जिक समस्या से प्रभावित हैं.

इस परेशानी से बचने के लिए धूप में कम से कम निकलें. अगर निकलना ही हो तो चेहरे जिस्म के अन्य अनढके अंगों पर सनस्क्रीन लोशन लगा लें. यह लोशन कम से कम 15 एस.पी.एफ. वाला हो. इस के अलावा समस्या से उबरने के लिए स्किन स्पैशलिस्ट की सलाह से ऐलर्जीरोधी दवा और स्टेराइड क्रीम लगाने से भी आराम मिलेगा.

– डा. यतीश अग्रवाल

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