Sidharth Shukla Death: 40 साल की उम्र में बिग बॉस विनर सिद्धार्थ शुक्ला का निधन

बीते साल 2020 में कई सेलेब्स को फैंस ने अलविदा कहा है. इसी बीच खबर है कि बौलीवुड और टीवी के पौपुलर एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का निधन हो गया है. इसी के चलते पूरी इंडस्ट्री सदमे में है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

हार्ट अटैक से हुआ निधन

गुरुवार की सुबह सिद्धार्थ शुक्ला का मुंबई के कूपर अस्पताल में निधन हो गया है. अस्पताल ने 40 साल के एक्टर के निधन की पुष्टि की है. बिग बॉस के विनर रह चुके सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक से निधन हो गया है. कहा जा रहा है कि अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला ने सोने से पहले कुछ दवाई खाई थीं, जिसके बाद वह सुबह उठे नही औऱ उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जहां अस्पताल ने दिल का दौरा पड़ने से एक्टर के मौत की जानकारी दी है.

 

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बिग बौस ओटीटी में आए थे नजर

सिद्धार्थ शुक्ला के काम की बात करें तो हाल ही में वह करण जौहर के बिग बौस ओटीटी में शहनाज गिल के साथ आए थे, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. वहीं सिद्धार्थ के निधन की खबर ने सभी को चौंका दिया है, जिसके कारण इंडस्ट्री और उनके फैंस सदमे में हैं.

बता दें, सिद्धार्थ शुक्ला बौलीवुड फिल्म के साथ-साथ बिग बौस 13 का खिताब जीत चुके हैं. वहीं शो में शहनाज गिल के साथ उनकी कैमेस्ट्री फैंस को काफी पसंद आई थी. वहीं सीरियल बालिका वधू से सिद्धार्थ शुक्ला की फैन फौलोइंग काफी बढ़ गई थी, जिसके बाद वह वरुण धवन और आलिया भट्ट की फिल्म में भी स्क्रीन शेयर करते हुए नजर आए थे. इसके अलावा हाल ही में उनकी वेब सीरीज ब्रोकन बट ब्यूटीफुल 3 रिलीज हुई थी, जिसमें वह किसिंग सीन को लेकर सुर्खियों में थे.

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सावधान : हार्ट अटैक का बड़ा कारण है ज्यादा तनाव

बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

ज्यादा तनाव आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. कई रिपोर्ट्स ने दावा किया कि जब कोई भी व्यक्ति अपने काम को लेकर बेहद दबाव महसूस करता है तो उसकी वजह से वह तनाव के गहरे चपेट आ जाता है. यह तनाव आपके दिमाग पर बहुत गहरा असर डालते हैं.  अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि जब तनाव दिमाग में दस्तक देता है तो इसका दिल की बीमारी से क्या रिश्ता है? क्या ज्यादा तनाव लेने से दिल का दौरा पड़ सकता है? आखिर वो कौन से कारक हैं जो तनाव और दिल की बीमारी को जोड़ते हैं? आइये जानें क्या है इन सभी सवालों के जवाब.

तनाव से दिल की बीमारी का खतरा कैसे?

मेडिकल शोधकर्ता अभी इस बात पर एकमत नहीं है कि तनाव दिल का दौरा पड़ने के खतरे को बढ़ाता है. उनका कहना है कि स्ट्रेस यानी कि तनाव अपने आप में ही एक खतरा है जो कई तरह की अन्य घातक समस्याओं को जन्म दे सकता है. अत्यधिक तनाव लेने की वजह से कौलेस्ट्रौल और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. तनाव में ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ आपकी पूरी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है. ऐसे में आप खानपान पर सही से ध्यान नहीं दे पातीं. आप व्यायाम नहीं करतीं.

बहुत सी महिलाएं ज्यादा तनाव होने पर स्मोकिंग शुरू कर देती हैं. तनाव के वक्त शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स एड्रेनेलिन और कोर्टिसोल का स्राव बढ़ जाता है. यह सब दिमाग के साथ दिल की सेहत पर भी असर डालते हैं. कुछ अध्ययनों में यह कहा गया है कि तनाव रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है. जो बाद में हार्ट अटैक की वजह बनती है.

कैसे दूर करेंगे तनाव

तनाव से दिल का दौरा पड़ने का खतरा हो या न हो लेकिन यह सेहत के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है. ऐसे में जब भी कभी आपको जीवन में तनाव की दस्तक मिले उससे निजात पाने की कोशिश शुरू कर दीजिए. आइये जानें कुछ उपायों के बारे में जो तनाव से निजात दिलाने में मददगार हो सकते हैं.

तनाव से बचना है तो एल्कोहल और सिगरेट का सेवन करना बंद कर दीजिए. लोगों को लगता है कि यह तनाव कम करता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है, यह तनाव कम नहीं बल्कि उसे बढ़ाने का काम करता है. इसकी वजह से तनाव के लक्षण और पुख्ता हो जाते हैं. साथ ही इसकी वजह से अन्य बीमारियां भी आपको घेर सकती हैं.

दिमाग में हमेशा सकारात्मकता रखें और खूब आराम करें. नींद में कमी न रखें और हमेशा व्यस्त रहने की कोशिश करें.

नियमित व्यायाम करें. प्राणायाम और ध्यान आपको तनाव से पूरी तरह छुटकारा दिला सकते हैं.

जो चीज आपको परेशान कर रही है उससे दूर रहे और अपना ध्यान किसी अन्य काम पर लगाएं. ज्यादा अकेले न रहे और नए नए लोगों से मिलते रहे.

GHKKPM: विराट को जलाने के लिए सम्राट के साथ होने का नाटक करेगी पाखी

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में आए दिन विराट और सई की जिंदगी में मुश्किलें देखने को मिल रही हैं. जहां पाखी, विराट से अपने प्यार का इजहार कर चुकी है तो वहीं सम्राट, सई को विराट के लिए उसके प्यार का एहसास कराने की कोशिश कर रहा है. इस बीच विराट से रिजेक्ट होने के बाद पाखी नई चाल चलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सई को आता है गुस्सा

अब तक आपने देखा कि पाखी, विराट से कैफे में मिलकर अपने प्यार का इजहार करती है, जिसे सई देख लेती है. हालांकि विराट, पाखी के इजहार को ठुकरा देता है. दूसरी तरफ सई को सम्राट समझाता है. लेकिन वह नही सुनती, जिसके चलते विराट पूरे चौह्वाण परिवार को बताता है कि पाखी और वह कैफे में साथ मिले थे. इसी के चलते पूरा परिवार पाखी से सवाल करने लगता है.

 

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पाखी बनाएगी नया प्लान

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पूरे परिवार को खुद के खिलाफ जाता देख पाखी नया प्लान बनाएगी. वह कोशिश करेगी कि सम्राट को दोबारा अपनी जिंदगी में ला सके, जिसके चलते वह सम्राट से तलाक लेने के लिए मना कर देगी. हालांकि पाखी का असली मकसद विराट को जलन फील कराना होगा. दरअसल, पाखी पूरे परिवार को बताएगी कि वह सम्राट के साथ मिलकर घर में पूजा रखना चाहती है ताकि विराट को उसके लिए प्यार का एहसास करवा सके.

सई को होगा प्यार का एहसास

 

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दूसरी तरफ सई औऱ विराट के बीच बढती गलतफहमियां उन्हें एक दूसरे के करीब ले आएंगी. दरअसल, विराट के ट्रांसफर की बात से सई परेशान नजर आएगी, जिसके चलते उसे विराट से प्यार का एहसास होगा. वहीं सम्राट उसकी इस बात पर हेल्प करता नजर आएगा.

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अनुपमा-अनुज को साथ देख वनराज ने थामा काव्या का हाथ, किया रोमांटिक डांस

सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है, जो औडियंस को काफी पसंद आ रहा है. दरअसल, अनुपमा (Rupali Ganguly) की जिंदगी में अनुज कपाड़िया (Gaurav Khanna) की एंट्री हो गई है, जिसके चलते वनराज का खून खौलता नजर आ रहा है. इसी बीच काव्या और वनराज का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें दोनों रोमांटिक गाने में डांस करते नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

वनराज-काव्या ने की किया रोमांटिक डांस

हाल ही में सीरियल अनुपमा में वनराज और काव्या का किरदार निभाने वाले एक्टर सुधांशू पांडे और मदालसा शर्मा का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें दोनों फिल्म गैंगस्टर के रोमांटिक गाने पर रोमांटिक डांस करते नजर आ रहे हैं. वहीं फैंस इस वीडियो में मजेदार रिएक्शन देते दिख रहे हैं.

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अनुपमा भी नही रहेगी पीछे

सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो अनुपमा अपनी दोस्त के साथ कौलेज की रियूनियन पार्टी में जाती है. जहां वह अनुज कपाड़िया से मिलती है. अपकमिंग एपिसोड में अनुज कपाड़िया अपने साथ अनुपमा को डांस करने के लिए कहेगा, जिसके चलते दोनों अंखियो के गोली मारे डांस करते नजर आएंगे. इस दौरान पार्टी में वनराज और काव्या की एंट्री होगी, जो दोनों को साथ देख लेंगे. वहीं अनुपमा दोनों को देखकर चौंक जाएंगे.

 

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बता दें, हाल ही में सीरियल अनुपमा के सेट से कुछ फोटोज वायरल हुई थीं, जिसमें गौरव खन्ना नजर आ रहे थे. वहीं फैंस उनकी एंट्री से काफी खुश हैं, जिसके चलते सीरियल में और भी कई नए ट्विस्ट लाने के लिए मेकर्स तैयार हैं.

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बनारस की चाट, जिसे खाने के बाद आप उसका स्वाद भूल नहीं पाएंगे

बनारस वाराणसी काशी ना जाने कितने नामो से हम पुकारते है, इसे.  बनारस में ना जाने ऐसे क्या है जो टूरिस्टों को काफी आकर्षित कर यहाँ तक खींच ही लाती है.  बनारस में देखने समझने को ना जाने कितने चीजें है.  बनारसी साड़ी, ऐतिहासिक घाट, प्राचीन मंदिर, बनारसी पान, और लस्सी आदि के अलावा यहां के कई ऐसे पकवान और खाने की चीजें भी खूब पसंद की जाती हैं.  बात अगर यहाँ के स्ट्रीट फूड की करें तो चाट के बिना यह लिस्ट अधूरी है.  बनारस में चाट की कई वैरायटी आपको मिल जाएगी, जिसे खाने के बाद आप उसका स्वाद  भूल नहीं पाएंगे.  महिलाओं को गोलगप्पे और चाट काफी पसंद होते हैं, ऐसे में अगर आप बनारस गई हैं तो यहां कि इन मशहूर जगहों पर मिलने वाली चाट को खाना न भूलें.

चाट के अलावा इन जगहों पर मिलने वाली ऐसे कई डिश हैं, जो आपका दिल आसानी से जीत लेंगी.  हालांकि बनारसी लोगों की तरह बनारसी खाने की भी अपनी एक खासियत है, जो लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बना लेती हैं.  देसी खाना अगर आपको बेहद पसंद है, तो आप यहां की फेमस डिश को ट्राई कर सकती हैं.  यही नहीं सुबह से लगने वाली भीड़ देख आप खुद भी अंदाजा लगा सकती हैं कि  यहां के लोग खाने के कितने दीवाने हैं.

काशी चाट भंडार

बनारस का सबसे पुराना और फेमस चाट रेस्टोरेंट है काशी चाट भंडार, जो गोदौलिया पर  है.  इस चाट भंडार की  लोकेशन घाट और काशी विश्ननाथ मंदिर के आसपास होने की वजह से यहां हमेशा भीड़ लगी रहती है.  यहां आपको बिना लहसुन और प्याज के चाट या फिर अन्य पकवान परोसे जाते है.   आपको यहां अलग-अलग तरीके की चाट मिलेगी, जिसमें टमाटर चाट, आलू टिक्की, पानी बताशे/ गोलगपा आदि शामिल हैं.  अगर आप बिना लहसुन प्याज के चटपटे पकवानों को टेस्ट करना चाहती हैं तो यहां आकर जरूर  एक्सप्लोर करें.

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राम भंडार

बनारस के ठठेरी बाजार के गली में अगर आप घूम रही हैं तो एक बार राम भंडार के पकवानों का स्वाद जरूर चखे.   हालांकि यहां कि चाट काफी फेमस है,  चाट ही नहीं यहाँ चाट के अलावा भी यहां मिलने वाली कई तरह के  ऐसी पकवान हैं, जिसे देखने के बाद आपके मुंह में पानी आने लगेगा.  चाट के अलावा यहां समोसे, कचौड़ी सब्जी जैसी कई और भी चीजें हैं जो एक बार आपको जरूर ट्राई करनी चाहिए.  खास बात है कि राम भंडार में सभी चीजों को तैयारी देसी घी से की जाती है, जिससे इसका स्वाद दोगुना बढ़ जाता है.  100 रुपये में आप यहां कई फूड आइटम टेस्ट कर सकती हैं.

दीना चाट भंडार

बनारस में दशाश्वमेध घाट बेहद प्रचलित घाट है.  यहां सुबह-सुबह ही लोगों की भीड़ लग जाती है.  सुबह-सुबह गंगा स्नान करने के बाद लोग अपने खाने का इंतजाम भी घाट पर ही करते हैं, लेकिन आप चाट की दीवाने या दीवानी हैं तो दीनानाथ चाट भंडार की चाट को टेस्ट करना न भूलें.  यहां आपको अलग-अलग तरीके की चाट मिल जाएँगी, लेकिन यहाँ सबसे ज्यादा टमाटर चाट खाना पसंद की जाती है, जिसमें मसाले और पालक के अलावा ड्राई टमाटर भी मिक्स होते हैं.  इसके अलावा यहां के गोलगप्पे, आलू टिक्की, और गुलाब जामून भी खूब पसंद किए जाते हैं.

विश्वनाथ चाट भंडार

अगर आप कुल्हड़ में चाट का स्वाद लेना चाहती हैं तो यहां आ सकती हैं.  यहां आपको अलग-अलग वैरायटी में चाट और कई स्ट्रीट फूड मिल जाएंगे.  हालांकि बनारसी समय के पाबंद नहीं होते हैं, ऐसे में वह खाते वक्त पूरा जायका लेना पसंद करते हैं.  कुछ ऐसी ही दीवानगी आपको यहां देखने को मिल जाएगी.  इसलिए अगर आप चाट एक्सप्लोर करना चाहती हैं तो आपके पास अधिक समय होना चाहिए, क्योंकि यहां लगने वाली लाइन से आप परेशान भी हो सकती हैं.

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कचौड़ी गली

अलग-अलग स्ट्रीट फूड से भरपूर है, बनारस की  कचौड़ी गली.  कचौड़ी गली में मिलने वाले कई ऐसे पकवान है, जिसका स्वाद आपका दिल जीत लेंगे.  चाट के अलावा यहां ब्लू लस्सी भी काफी मशहूर है.  अगर आपको अपने डेली रूटीन में किसी एक दिन ऑयली और चटपटा  खाना खाने का मन करे तो कचौड़ी गली जरूर घूम आएं.  कहते है की, बनारसी जिस दिन घर का खाना खाने से बोर हो जाते हैं तो वह ब्रेकफास्ट, लन्च और डिनर तीनों कचौड़ी गली से खाना पसंद करते हैं.  इस गली में चाट और अन्य पकवानों को एक्सप्लोर करने के लिए सुबह-सुबह इस जगह पर जाएं.  आपको बता दें की बनारस की सैर  इस गली को घूमे बिना अधूरी रहेगी.

Top 10 Best Party Makeup Tips In Hindi: पार्टी मेकअप के 10 बेस्ट टिप्स हिंदी में

Party Makeup Tips Stories in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Party Makeup Tips Stories in Hindi 2021. इन मेकअप टिप्स के आप फेस्टिवल में अने लुक को चार चांद लगा सकती हैं और  फैमिली और फ्रैंडस की तारीफें बटोर सकती हैं. इन Makeup Stories से आप घर बैठे अपना मेकअप कैसे करें और मेकअप हटाने के बाद स्किन की केयर कैसे करें इस बारे में जानेंगे. अगर आपको भी है मेकअप कौ शौक और फेस्टिव में मेकअप करके लोगों की तारीफ पाना चाहते हैं तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Party Makeup Tips Stories in Hindi.

1. न्यूड मेकअप लुक के 11 ट्रिक्स

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कम से कम मेकअप प्रोडक्ट्स के साथ ही मेकअप के लाइट शेड्स से बहुत कम समय में आप न्यूड मेकअप लुक पा सकती हैं. यह काफी क्लासी और सौफिस्टिकेटेड नजर आता है. खास मौकों के साथ ही औफिशियल मीटिंग्स और रैग्युलर डेज में भी न्यूड मेकअप लुक कैरी किया जा सकता है. जानते हैं न्यूड मेकअप लुक के कुछ खास ट्रिक्स.

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2. डस्की स्किन के लिए ट्राय करें मेकअप टिप्स

 Makeup Story in Hindi

खूबसूरत दिखने के लिए सब से जरूरी है स्वस्थ, चमकती स्किन न कि गोरा रंग. चमकती स्किन के लिए स्वस्थ जीवनशैली और खानपान, अच्छा स्वास्थ्य, गहरी नींद और मन की शांति जरूरी है. आइए, जानें आश्मीन मुंजाल से सावंली सूरत के लिए मेकअप टिप्स: – सब से पहले यह देखें कि आप के चेहरे पर अनचाहे बाल न रह जाएं. आइब्रोज, अपर लिप्स, लोअर लिप्स, फोरहैड, चीकबोन जैसी जगहों पर आने वाले अनचाहे बालों को साफ रखें. जरूरी लगे तो उन्हें कंसील कर लें ताकि आप का लुक उभर कर सामने आए.

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3. मेकअप से ऐसे पायें नेचुरल निखार

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आज के समय में हर लड़की नेचुरली खूबसूरत दिखना चाहती है. जिसका सबसे बेस्ट तरीका है न्यूड मेकअप. आज के ब्यूटी ट्रेंड की बात करे तो न्यूड मेकअप लुक को ज्यादा पसंद किया जा रहा है. टीनेजर्स से लेकर ब्राइड तक इस लुक को बखूबी पसंद कर रही हैं. न्यूड मेकअप लुक में आपका चेहरा बहुत नैचुरल और ग्लोइंग दिखता है. इस लुक की खास बात है दिन हो या रात आप इस न्यूड मेकअप लुक को कभी-भी कैरी कर सकती हैं. न्यूड मेकअप लुक आपको न सिर्फ नेचुरल ब्यूटीफुल बल्कि यंग लुक भी देता है. अगर आप भी न्यूड मेकअप लुक चाहती हैं, तो आजमाएं ये कुछ खास टिप्स.

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4. मेकअप में वैसलीन का कैसे करें इस्तेमाल

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वैसलीन जो बजट फ्रैंडली होने के कारण ये आपको हर घर में मिल जाएगी. ये मिनरल और ऑयल्स से बनी होने के कारण ये बॉडी को मॉइस्चराइज करने का काम करती है. फिर चाहे बात हो फटे होठों को सोफ्ट बनाने की या फिर स्किन की डॉयनेस को दूर करने की, जो सर्दियों में शूष्षक हवाएं चुरा लेती हैं. लेकिन क्या आप जानती हैं कि वैसलीन सिर्फ बोडी को मोइस्चराइज ही नहीं करती बल्कि इसे आप अपने मेकअप के दौरान भी इस्तेमाल करके खूबसूरत लुक पा सकती हैं. तो जानते हैं कैसे करें मेकअप के दौरान इसका इस्तेमाल.

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5. फैस्टिव मेकअप टिप्स से बनाएं लुक को खास

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फैस्टिव सीजन के शुरू होते ही लोगों के दिलों में उत्साह और ऊर्जा का संचार होने लगता है. ऐसे समय में हर लड़की चाहती है कि उस का मेकअप कुछ खास हो ताकि वह दूसरों से अलग दिखे. आइए, एल्पस ब्यूटी क्लीनिक ऐंड ऐकैडमी की डाइरैक्टर भारती तनेजा से जानते हैं फैस्टिव मेकअप के डीआईवाई टिप्स:

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6. फेस्टिवल्स पर आई मेकअप से दिखें ग्लैमरस

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त्योहारों का सीजन हो और सजना सवारना न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. क्योंकि त्योहार जहां मन में उमंग लाते हैं , वहीं त्योहार सजने सवरने का भी मौका देते हैं. खासकर महिलाओं को, क्योंकि मेकअप महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाने का काम जो करता है. ऐसे में त्योहारों पर मेकअप की बात हो और आई मेकअप न किया जाए तो सारे मेकअप पर पानी फिर जाता है. इसलिए इन त्योहारों मेकअप से अपनी आंखों को खूबसूरत बनाकर करें त्योहारों को एंजोय.

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7. 10 टिप्स: फैस्टिव मेकअप दिखे खूबसूरत

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भारतीय त्योहारों में सजनेसंवरने का काफी चलन है. कई दिनों पहले से तैयारियां शुरू होने के साथसाथ सब से ज्यादा महिलाओं में इस बात को ले कर क्रेज देखा जाता है कि क्या पहनेंगी, ट्रैडिशनल या वेस्टर्न ड्रैस के साथ ज्वैलरी कैसी होगी. पार्लर में कैसे खुद का मेकअप करवाएंगी ताकि सब अलग दिखें और खुद को देख कर खुद से प्यार हो जाए.

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8. परफेक्ट लुक के लिये स्टेप बाई स्टेप मेकअप

कविता बहुत मेहनत से अपना मेकअप करती थी इसके बाद भी वह खुद कभी अपने मेकअप से खुष नही रहती थी. उसको लगता था कि मेकअप करने के बाद उसकी खूबसूरती छिप जाती है. कविता ने अपनी ब्यूटी एक्सपर्ट को यह परेषानी बतायी. तब उसे पता चला कि मेकअप एक कला है. खूबसूरती से किया गया मेकअप आपको ग्लैमरस और दिलकष बनाता है. जिससे एक परफेक्ट लुक मिलता है. जिसे देखकर हर कोई यही कहता है क्या हसीन लग रही हो. मेकअप को अगर सिलसिलेवार समझदारी से किया जाये तो यह सवाल कोई नहीं करेगा कि आपने किस ब्यूटी पार्लर से मेकअप कराया है ?

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9. बरसते सावन में भी निखरता मेकअप

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बचपन में एक बुढ़िया की कहानी सुनी थी जिस में उस गरीब औरत को अंधियारी बरसती रात में अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठे शेर से ज्यादा बारिश के उस टपके का डर था जो उस की झोंपड़ी को भारी नुकसान पहुंचा सकता था. आज के समय में घर पक्के हो गए हैं और जंगल सिमट गए हैं तो टपके और शेर का डर अब ज्यादा रहा नहीं, पर नए तरह के डर महिलाओं में घर कर गए हैं. मेकअप को ही ले लो. हाल यह है कि महिलाओं को किसी पार्टी में देर से पहुंचने का कोई गम नहीं होता है, पर अगर उन का मेकअप जरा सा बिगड़ जाए तो आफत आ जाती है. बारिश के रिमझिम मौसम में तो उन के मेकअप पर खराब होने की तलवार हमेशा लटकती रहती है.

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10. फेस्टिवल में ऐसा हो मेकअप जो निखारे आपका लुक

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फेस्टिवल्स का सीजन आ गया है और ऐसे में हर महिला खुद को स्टाइलिश व गौर्जियस दिखाना चाहती है. इन मौकों पर अलग दिखने के लिए अगर आप लहंगा, गाउन व साड़ी वियर करना चाहती हैं तो उसके साथ मेकअप करना भी बहुत जरूरी होता है ताकि लुक और निखर कर आ सके. क्योंकि एक महिला की खूबसूरती उसके रूप श्रृंगार के बाद ही निखरती है. लेकिन इस सच्चाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मौसम भी अपना रुख कभी भी बदल रहा है. ऐसे में चाहे कोई भी मौका क्यों न हो हमें उसी के हिसाब से अपनी स्किन को तैयार करना होगा ताकि हमारी मेहनत पर पानी न फिरे. आइए जानते हैं इस सम्बंध में डौ निववेदिता से कि कैसे मेकअप भी अच्छा हो और उसके खराब होने का भी डर न रहे.

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अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो

आज हर जगह अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे की कहानियाँ हैं . सोशल मीडिया पर लगातार ख़ौफ़नाक वीडियो वायरल हो रहे हैं . खून खराबे से लबरेज़ ये सच बेहद डरावना सा लगता है . इसी बीच जब महिलाओं की बोली लगने वाले या घरों से खींचकर ले जाने वाले वीडियो सामने आए तो मन दहशत से भर उठता है . इस बार तालिबानियों ने महिलाओं की सुरक्षा करने का दावा भले ही किया हो पर महज़ बीस साल पुराना तालिबानी शासन का जो इतिहास रहा है उस से इन दावों पर विश्वास किया जाना बहुत ही मुश्किल है . सच तो ये है कि चाहे किसी भी देश पर किसी सेना का कब्ज़ा हो या कोई भी छोटा बड़ा युद्ध औरत हमेशा या तो जीत का ईनाम होती है या फिर एक हार की टूटी फूटी अपमानित तस्वीर. किसी भी युद्ध में अगर धरती के बाद किसी को पैरों तले रौंदा जाता है तो वो औरत ही होती है . युद्ध की विभीषिका हो या दंगों का दौर उसके सबसे बुरे परिणाम हमेशा से औरत ही भोगती आई है .

अगर किसी तरह औरत की जान बच भी जाये तो उसकी आत्मा सदियों के लिए छलनी हो जाती है.  जब 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन था तब वहाँ के किस्से सुनकर कमज़ोर दिल वाले अपने कानों को कसकर बंद कर लिया करते थे. शरिया कानून लागू होने के कारण वहाँ कोई औरत काम पर नही जा सकती थी बिना किसी मर्द के साथ कोई बाहर नहीं निकल सकती थी. मोटी चादर में लिपटी औरतें ही घर से बाहर निकल सकती थीं वो भी किसी मर्द के साथ. एक लड़की को सिर्फ इसलिए गोली मार दी गयी कि उसने इत्र लगाया था . एक औरत को खचाखच भरे स्टेडियम में सबके सामने गोली मार दी जाती है . आज अफगानिस्तान में औरतों की हालत पर रोष जताने वाले अमेरिका की दास्तान भी कुछ अलग नहीं है वियतनाम से युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने भी वहाँ की औरतों पर कम कहर नहीं ढाया था . घर के पुरुषों को मारकर उस घर की लड़कियाँ और औरतें उठा ली जाती थीं. कम उम्र की कई वियतनामी लड़कियों को हार्मोन्स के इंजेक्शन्स लगाए गए जिस से उनका बदन भर जाए और वो अमेरिकी सैनिकों का मन अच्छे से बहला सकें. खूबसूरत वियतनामी लड़कियों के पास दो ही विकल्प थे या तो खुद को अमेरिकी सैनिकों के हवाले कर दें या फिर बलात्कार के लिए तैयार रहें. अमेरिकी सैनिकों के लिए यहाँ एक पूरी सेक्स इंडस्ट्री खड़ी हो गयी थी.

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यही नहीं इस युद्ध के समाप्त होने के कुछ महीनों बाद लगभग 50000 अमेरिकन वियतनामी बच्चे पैदा हुए जो युद्ध के दौरान हुए बलात्कार का परिणाम थे.  इनकी माएँ भी इन बच्चों की आँखों में आंसू देखकर रोती थीं पर इन बच्चों के लिए नहीं बल्कि उस बलात्कार को याद करके जिसका परिणाम ये बच्चे थे. इन बच्चों को बुई दोई कहकर पुकारा जाता था जिसका मतलब होता है जीवन की गंदगी.  इसी तरह सन 1919 में हुआ आयरिश युद्ध भी इन अत्याचारों की एक कड़ी था. ये लगभग ढाई साल चला था. यहाँ सैनिकों ने एक नया तरीका खोज लिया था वो ये कि दुश्मन औरत को गंजी कर दिया जाता था और सिर ढँकने की मनाही होने के कारण जब भी कोई सिर मुढाई औरत कही से भी निकलती तो उसे देखकर अश्लील फब्तियाँ कसी जाती उसे न जाने कितने लोग दबोचते . कई बार तो उसे पकड़कर अपने साथ ले जाया जाता. कई बार घर की जरूरत का सामान खरीदने निकली औरत घर ही नहीं लौटती थी. पुरुष लेबर केम्प में होते थे घर मे बच्चे अपनी माँ और दीदी का इंतजार ही करते रह जाते पर वो नहीं लौटती. द्वितीय विश्व युद्ध का इतिहास पलट के देखें तो जर्मनों द्वारा गर्भवतीं औरतों तक को इतनी क्रूरता से मारा कि अच्छे अच्छे मजबूत दिल वाले का भी दिल दहल जाए. वैसे इतिहास में नाजियों को सबसे क्रूर माना जाता है पर जर्मन औरतें भी सुरक्षित नहीं रह पाई.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सोवियत की सेना ने पूर्वी प्रूशिया पर अपना कब्जा कर लिया . घरों के अंदर से जर्मन लड़कियाँ बाहर निकाली गईं और एक एक जर्मन लड़की से दस दस सैनिकों ने बलात्कार किया. इस बलात्कार का यौन संतुष्टि से कोई लेना देना नहीं होता ये केवल पुरुष के गर्व को तोड़ने का एक तरीका मात्र है. किसी पुरुष का दम्भ तोड़ने का इस से बेहतर कोई तरीका नही होता कि उसकी औरत से बलात्कार कर लिया जाए. इस तरह के बलात्कार बहुत ही बर्बर होते हैं. सोवियत सेना के युवा कैप्टन की लिखी एक किताब में उसने ये स्वीकार किया कि जर्मन पर फतेह के बाद जर्मन औरतें रूस के लिए किसी बड़े ईनाम से कम नहीं थीं. युद्ध के बहुत बाद तक हजारों जर्मन औरतें साइबेरिया में कैद रहीं. वहाँ थके रूसी सैनिक आते और इन जर्मन औरतों की नग्न परेड करवाते . अगर इनमें से कोई औरत किसी सैनिक को पसन्द आ जाती तो वो उसे अपने साथ ले जाता और मन भरने के बाद फिर वहीं छोड़ जाता. कुछ ही महीनों में वहाँ की सारी औरतें खत्म हो गईं. इसी तरह कट्टरपन की मिसाल इस्लामिक स्टेट के लड़ाके यजीदी लड़कियों के नाम लिखकर एक कटोरदान में डाल देते फिर जिस लड़ाके के पास जिस के नाम की पर्ची आती वो लड़की उसे तोहफे के रूप में दी जाती चाहे वो उस से यौन सुख भोगे या हल में उसे जोते.

पूर्वी बोस्निया में एक रिसोर्ट है जो घने जंगलों में है यहाँ एक समय चीड़ के पत्तों के साये में प्रेमी जोड़े विहार करते थे . इसे हेल्थ रिसोर्ट भी कहा जाता था लेकिन वोल्कन युद्ध के बाद इस जगह का रूप ही बदल गया. ये एक तरह से बलात्कार का केम्प बन गया. यहाँ बोस्निया की औरतों का सर्बियन सैनिकों ने महीनों तक सामूहिक बलात्कार किया जिसके बाद कुछ तो संक्रमित होकर मर गईं कुछ बलात्कार के सदमे से ही मर गईं और कुछ ने छत के कूद कर आत्महत्या कर ली. बाद में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में ये सच सामने आया लेकिन तब तक बलात्कारी भीड़ में गुम हो चुके थे और मरी हुई औरतें गवाही नहीं दे सकीं सो न्याय का कोई रास्ता न था. इस से भी क्रूरतम सच ये है कि जिंदा औरतें तो युद्ध के दौरान बलात्कार की शिकार होती ही हैं उनके शव भी सुरक्षित नहीं रहते .

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कई लड़ाके नेक्रोफीलिया नामक बीमारी से ग्रसित होते हैं जो शव के साथ भी बलात्कार करने से बाज़ नहीं आते . आखिर क्या कारण था कि इजिप्ट की राजकुमारी क्लियोपेट्रा ने शत्रु से लड़ने के बजाय नग्न अवस्था में एक जहरीले साँप से खुद को डसवाना और मर जाना बेहतर समझा इसका सीधा सा जवाब है कि उसको ये अंदेशा था कि दुश्मन उसकी मृत देह के साथ कुछ भी कर सकता है पर संक्रमण के डर से ऐसा कुछ नहीं होगा परंतु ऐसा कहा जाता है कि इस सबके बावज़ूद उसकी मृत देह के साथ 3000 बार बलात्कार किया गया इसमें कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है पर फिर भी औरतों की स्थिति बताने के लिए इतना काफी है. युद्ध के दौरान यौन हिंसा एक कड़वा सच है. आप ये कल्पना कीजिये कि आपके घर मे हथियारबंद लोग घुसकर आपके घर के सदस्यों को उठा कर ले जाते हैं बच्चों और औरतों को सेक्स गुलाम बना लिया जाता है आप ये सब झेलने के लिए विवश हैं.

या आप के आस पास कई औरतों को वैश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है आप बंदूकों की नोक के बीच जीवन जी रहे हैं और इस मानसिक त्रास में जीवन जी रहे हैं. ये सोचकर भी आपकी रूह कांप जाएगी कि बलात्कारी आपके आस पास खुले घूम रहे हैं परंतु युद्ध क्षेत्र में रहने वाले यौन हिंसा झेलने वालों का यही सच है. बार बार हर बार हर बड़े छोटे युद्ध मे बलात्कार को युद्ध मे एक हथियार की तरह प्रयोग किया गया जिसका एकमात्र उद्देश्य मानसिक आघात पहुँचाना और दुश्मन को नीचा दिखाना होता है. इसके लिए औरतें और कम उम्र की बच्चियाँ सबसे सरल निशाना होती हैं.  ये इस तरह का अपराध होता है कि इसे झेलने वाला शारीरिक और मानसिक तौर  पर खत्म हो जाता है. इस से पीड़ित जीवन भर बहिष्कार का अपमान झेलने को अभिशप्त होती हैं. इसका दंश एक पूरी पीढ़ी को भुगतना होता है. कुछ देशों में तो ऐसे बलात्कार पीड़ितों को वैश्या की तरह देखा जाता है इनसे पैदा हुए बच्चे भी जीवन भर अपमान झेलते हैं . इन बच्चों का भविष्य पूरी तरह खराब हो जाता है.

आप सोचिए कि हमने युद्ध मे शहीद होने वालों के या लड़ने वालों के तो बड़े बड़े स्मारक बनाये हैं फिर इन पीड़ितों के लिए यदि कोई स्मारक बनाया जाए तो जगह कम पड़ जाएगी. लेकिन इनके साथ अलग तरह का व्यवहार किया जाता है. अपने इस दुख से उबरने के लिए इन्हें कोई मदद नहीं मिलती है. इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास होने चाहिए कि युद्ध के दौरान होने वाली यौन हिंसा रोकी जा सके. कोई भी राष्ट्र जो ये दावा करता है कि वो मानवाधिकारों के लिए जागरूक है और इसमें उसका विश्वास है वो कभी भी युद्ध के दौरान होने वाली यौन हिंसा पर चुप नही रह सकता. जब इन अपराधियों को कोई दंड नहीं मिलता तो स्वतः ही ये धारणा बन जाती है कि इसके लिए कोई सज़ा नही है चाहे वो यौन हिंसा नाइजीरिया की स्कूली छात्राओं पर हो या सीरिया के शरणार्थियों पर. इस के लिए विलियम हेग और एंजेलिना जोली ने काफी काम किया है . उन्होंने युद्ध के दौरान यौन हिंसा की जाँच और डॉक्यूमेंशन के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल शुरू किया . सैकड़ों विशेषज्ञों की साल भर की मेहनत और कार्य से तैयार ये प्रोटोकॉल युद्ध के बाद जाँचकर्ताओं को सूचना और साक्ष्य संरक्षित करने में मदद करता है. उन्होंने अपील की कि बलात्कार और यौन हिंसा सबंधी अपने कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार बनाएँ. सैनिकों और शांतिरक्षकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए कि वो युद्धक्षेत्र में इस तरह के कृत्यों की रोकथाम कर सकें. यौन हिंसा के अपराधियों को खुला न छोड़ा जाए उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. आखिर कब तक औरतें युद्ध के भयावह परिणाम झेलने को अभिशप्त रहेंगी.

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बहरहाल अभी तो खूबसूरत अफगानी लड़कियों को किसी खजाने की तरह घरों में छुपाया जा रहा है कि कहीं कोई तालिबानी उन्हें उठा कर न ले जाये. जब से तालिबानियों ने 14 से 40 साल तक कि औरतों की फेहरिस्त माँगी है तब से अफगानी ख़ौफ़ज़दा हैं खासकर औरतें दहशत में हैं. अफगानिस्तान एक बार फिर बीस साल पीछे चला गया है. ये दौर भी ख़त्म होगा कुछ इस सबके बाद बच भी निकलेंगी पर उनकी आँखों में एक सवाल होगा होठों पर चुप्पी होगी. सुनाने को उनके पास परियों की कहानियाँ नहीं होंगी होगा बस एक भयावह सच जो दुनिया के बड़े से बड़े खून खराबे को भी शर्मसार कर देगा. कभी तो ये परिदृश्य बदलेगा कभी तो औरत को अपने औरत होने की कीमत नहीं चुकानी होगी. इनके साथ साहसी सैनिकों जैसा बर्ताव किया जाएगा. वो सुबह कभी तो आएगी.

कर्फ्यू: क्या हुआ था सांची के साथ

लेखिका- सुरभि शर्मा

मुझे पूरे चौबीस घंटे हो चुके थे उस दुकान में छिपे हुए. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था. इतनी शांति थी कि हवा की आवाज साफ सुनाई दे रही थी जो आम दिनों में दोपहर के इस वक्त सुनाई देना नामुमकिन था. बस, बीचबीच में दंगाइयों का शोर आता था और जैसेजैसे आवाजें पास आती जातीं, दिल की धड़कनें बढ़ने लगतीं और लगता जीवन का अंत अब बस करीब ही है. फिर, वे आवाजें दुकान के सामने से होते हुए दूर निकल जातीं.

हमारा शहर हमेशा ऐसा नहीं था या यह कहें कि कभी ऐसा नहीं था. पर चौबीस घंटे पहले हुई छोटी सी बात यह विकराल रूप ले लेगी, यह तो सोच से भी परे है.

मैं अपने घर से दुकान से सामान लाने के लिए निकली थी जो सिर्फ 5 मिनट की दूरी पर है. दुकान पहुंचने पर पता चला कि मेन मार्केट में झगड़ा हुआ है और एक लड़के की मौत हो गई है. पूरी बात पता करने पर यह बात सामने आई कि 2 लड़कों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो रहा था. धीरेधीरे बात इतनी बढ़ गई कि हाथापाई होने लगी. भीड़ इकट्ठी होने लगी और 2 गुटों में बंट गई. उन्हीं में से एक लड़का इतना लहूलुहान हुआ कि उस की मौके पर ही मौत हो गई. उस लड़के को मरा देख दूसरे गुट के लोग वहां से भाग निकले. तब से ही दंगाई उन सब को ढूंढ़ रहे हैं और बीच में आने वाले हर किसी को मार रहे हैं.

मैं दुकान पर खड़ी बातें सुन ही रही थी कि कहीं से शोर सुनाई दिया, जिस की आवाज बढ़ती जा रही थी. दुकानदार को लगा कि दंगाई हैं. उस ने बाहर खड़े लोगों को दुकान के अंदर ले कर शटर बंद कर दिया. मैं भी तेजी से दुकान के अंदर घुस गई और तब से इसी इंतजार में हूं कि यह सब कब खत्म होगा और हम सब अपने घर जा सकेंगे.

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तब से कभी दंगाइयों की आवाजें आती हैं तो कभी फौजियों की जो आगाह करते हैं कि जो जहां है वहीं रहे, बाहर न निकले. और ऐसे ही बैठेबैठे चौबीस घंटे निकल गए पर हालात में कोई सुधार नहीं हुआ.

घरवालों के बारे में सोचती, तो चिंता बढ़ जाती. न मुझे उन की खबर थी, न उन्हें मेरी. जब घर से निकली थी तो घर पर कोई नहीं था. सब अपनेअपने काम से बाहर गए हुए थे. पता नहीं कोई घर लौटा भी होगा या नहीं. कहां होंगे सब, उन्हें कुछ हो न गया हो, ऐसी बातें सोच कर मैं सहम जाती. मन होता,  अभी घर जा कर उन्हें देख लूं, ज्यादा दूर तो है नहीं, पर जान की सलामती की सोच कर जहां की तहां बैठी रही.

शाम के 5 बज रहे थे. 28 घंटे हो चुके थे. पर बाहर के हालात में कोई सुधार नहीं था. बढ़ते वक्त के साथ मन भी ज्यादा विचलित होता जा रहा था. दुकान वाले भैया से जब शहर के हालात पता करने को कहा, तो उन्होंने फिर वही जवाब दिया, ‘‘बेटी, फोन अभी चालू नहीं हुए हैं, सारी लाइनें बंद हैं.’’

‘‘पर, यहां पर कब तक ऐसे ही बैठे रहेंगे?’’ एक ग्राहक ने दुकानदार से कहा.

‘‘बाहर जाना तो मौत को बुलाना है, ऐसा करने की तो सोच भी नहीं सकते,’’ एक महिला ने कहा जो मेरी मां की उम्र की होंगी. बीचबीच में अपने घरवालों के बारे में याद कर के रो लेतीं, फिर थोड़ी देर में चुप हो जातीं. सब अपने में इतना खोए हुए थे कि किसी ने किसी को चुप कराने का जतन नहीं किया.

‘‘पर अब तो सड़कों पर फौज आ गई है, अब तक तो सब ठीक हो गया होगा,’’ मैं ने कहा.

‘‘जल्दबाजी ठीक नहीं है, कहीं रास्ते में दंगाई मिल गए तो जान जा सकती है,’’ दुकान वाले भैया ने आगे कहा, ‘‘जैसे ही लाइनें चालू होंगी, मैं तुम्हारे घर फोन कर दूंगा. तब तक तुम यहां रहो. तुम यहां पूरी तरह महफूज हो.’’

‘‘मुझे घरवालों से मिलना है, पता नहीं किस हाल में होंगे, घर पहुंचे भी होंगे या नहीं,’’ मैं फफकफफक कर रोने लगी.

शाम को 6 बजे मैं ने तय कर लिया कि कुछ भी हो, मुझे अब घर पहुंचना ही होगा. मैं ने सब को समझाया कि मुझे जाने दें, मैं अब और हालात सुधरने का इंतजार नहीं कर सकती. सब से विदा ले कर और दुकान वाले भैया को धन्यवाद कर के मैं वहां से निकल कर सड़क पर आ गई. दुकान के बाहर आते ही सड़क पर पसरे सन्नाटे को देख कर एक बार तो मेरी सांसें रुक गईं और मैं जहां की तहां खड़ी रह गई. समझ नहीं आया कि कदम आगे बढ़ाऊं या नहीं. फिर घरवालों को याद कर के आंखें नम हो गईं.

सड़क पर हर तरफ ईंट, पत्थर और कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे. मैं दुकानों के सहारे चलते हुए चुपके से गली के कोने तक आई. मैं ने चारों तरफ ध्यान से देखा, हर गली में एक ही मंजर था. अंधेरा भी थोड़ाथोड़ा घिरने लगा था.

मैं ने कदम आगे बढ़ाए और दूसरी गली में पहुंच गई. मैं ने  झांक कर देखा, वह गली भी खाली थी. मैं उस गली में आगे बढ़ गई और गली के दूसरे कोने पर पहुंच कर आगे का जायजा ले ही रही थी कि मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरे पीछे कोई है. मैं ने शायद किसी के पैरों की आवाज सुनी है. मैं इतना डर गई कि पीछे मुड़ कर देखने की भी मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. बुत सी बन वहीं खड़ी रह गई. वह आवाज मेरे और पास आई. अब मुझे यकीन हो चला था कि मेरे पीछे कोई तो है. में ने डरते हुए पीछे देखा. वहां वाकई कोई था.

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‘‘डरना मत, चिल्लाना मत, मैं कुछ नहीं करूंगा.’’

वह मेरी ही हमउम्र लड़का था. लंबा, अच्छी कदकाठी का, काली आंखों वाला. चिल्लाने की मुझ में हिम्मत थी भी नहीं. डर से मेरे हाथपैर ठंडे हो चुके थे.

‘‘मैं दंगाई नहीं हूं. मैं बाजार में फंसा था. घर जाना चाहता हूं. क्या तुम भी घर जा रही हो?’’

मुझ से कुछ भी बोलते नहीं बना, तो उस ने फिर पूछा.

‘‘कुछ तो बोलो. डरो मत. मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा.’’

मैं जवाब में सिर्फ ‘हां’ कह पाई.

‘‘तुम्हारा घर कहां है. मेरे साथ चलो. इस तरह अकेले पकड़ी जाओगी,’’ कह कर उस ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ पकड़ना चाहा. मैं ने अपना हाथ पीछे खींच लिया.

‘‘अच्छा ठीक है. बस, मेरे साथ रहो,’’ वह बोला.

पहली बार मैं ने हिम्मत कर के, बस, इतना कहा, ‘‘मैं खुद से चली जाऊंगी.’’ और अगली गली में जाने के इरादे से नजर डाली.

‘‘तुम जहां जाने की सोच रही हो वहां से मैं बड़ी मुश्किल से बच कर आया हूं, वहां लोग खड़े हैं, पकड़ी गई तो मारी जाओगी. बेहतर यही है कि मेरे साथ चलो. मैं तुम्हें घर पहुंचा दूंगा, भरोसा रखो.’’

मैं ने एक नजर उस की आंखों में डाली, क्या वह सच बोल रहा है? क्या उस पर भरोसा किया जा सकता है? मुझे इस तरह अपनी तरफ देखते हुए उस ने कहा, ‘‘मैं मनसुख चाचा की दुकान के बाद 2 दुकानें छोड़ कर जो घर है, उस में रहता हूं. तुम कहां रहती हो?’’

मनसुख चाचा की दुकान सब से मशहूर हलवाई की दुकान है. मैं समझ नहीं पाई कि जवाब दूं या नहीं, जवाब न पा कर उस ने दोबारा पूछा, ‘‘तुम कहां रहती हो?’’ तो मैं ने बता दिया, ‘‘तुम दरी वालों का घर जानते हो, वह घर हमारा है. मनसुख चाचा की दुकान के 2 गली पीछे. हमारे घर में दरी बनाने का काम किया जाता है, इसलिए सब दरीवालों का घर कहते हैं.’’

‘‘हां, जानता हूं, मैं तुम्हें पहुंचा दूंगा. बस मेरे साथ रहो.’’

डर से मेरे सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई थी. सहीगलत समझ नहीं आ रहा था. बस, इतना समझ आया कि वह मुझे मेरे घर पहुंचाने की बात कह रहा था.

वह सड़क के दूसरी तरफ जाने लगा और मैं उस के पीछे चल दी. चलतेचलते उस ने बताया कि उस का नाम अखिल है. उस ने कहा, ‘‘कल से मेन बाजार में फंसा हुआ था. वहां हालात इस से बदतर हैं. आज हिम्मत कर के घर के लिए निकला हूं.’’ फिर बोला, ‘‘देखो, मेरा घर तुम्हारे घर से पहले आएगा, इसलिए मैं अपने घरवालों को सूचित कर के कि मैं सहीसलामत हूं, फिर तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आऊंगा. तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘सांची.’’ मैं हां या न कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थी. बस, इतना ही कह पाई और चुपचाप पीछे चलती रही.

कुछ दूर छिपतेछिपाते गलियों से निकलते हुए हम एक घर के सामने रुके. उस ने दरवाजे पर दस्तक दी. अंदर से कोई जवाब नहीं आया. उस ने फिर से दस्तक दी. और अपना नाम बताया. जैसे ही दरवाजा खुला, हम तूफान के जैसे अंदर दाखिल हुए और दरवाजा बंद हो गया. अंदर अखिल का परिवार था. सब उसे सहीसलामत देख कर बहुत खुश थे. फिर सब ने मेरी तरफ देखा. अखिल ने सारी कहानी कह सुनाई.

‘‘तुम आज रात यहीं रुक जाओ. अंधेरा भी हो गया है. कल सुबह हम तुम्हें छोड़ आएंगे,’’ अखिल की मां ने कहा.

‘‘जी शुक्रिया, मेरा घर अब पास ही है, मैं चली जाऊंगी,’’ मैं ने कहा और चलने के लिए दरवाजे की तरफ मुड़ी.

मैं चाहती थी कि अखिल मेरे साथ जाए पर जब उस की मां ने रात रुकने के लिए कहा तो मैं कुछ कह नहीं पाई.‘‘नहीं, अकेले मत जाओ. अखिल तुम्हें छोड़ आएगा,’’ अखिल के पिता ने कहा.

हम ने घरवालों से विदा ली और फिर से सड़क पर आ गए.

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हम कुछ दूर चले ही थे कि अखिल ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं ने गुस्से से उस की तरफ देखा, तो उस ने समझते हुए कहा, ‘‘तुम पीछे रह जाती हो, इसलिए. और अब हमें सड़क पार करनी है, पीछे रह गई, तो हम अलग हो जाएंगे.’’

मैं ने चुप रहना ही बेहतर समझा. हम ने कुछ कदम आगे बढ़ाए ही थे कि हमें हमारी तरफ आती हुई कुछ आवाजें सुनाई दीं. हम ने अपने कदम वापस लिए और भाग कर एक टूटी हुई कार के पीछे शरण ली. अखिल ने मेरा हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था और मैं अपना चेहरा उस के सीने में छिपाए बैठी थी. वे 3-4 लोग थे जो भाग रहे थे. उन के पीछे 3-4 पुलिस वाले भाग रहे थे.

अखिल के मैं इतना करीब बैठी थी कि मुझे उस की धड़कनें साफ सुनाई दे रही थीं. उस का दिल जोरों से धड़क रहा था और सांसें बहुत तेज चल रही थीं. यह अखिल की जिम्मेदारी नहीं थी कि वह मुझे  घर पहुंचाए, पर फिर भी न जाने क्यों उस ने अपनी जान का जोखिम लिया. मैं पहली बार अपनेआप को महफूज महसूस कर रही थी.

वे आवाजें दूर चली गईं. फिर सुनाई देना बंद हो गईं. हम ने एकदूसरे की तरफ देखा और हमारी नजरें उलझ कर रह गईं.

अपनेआप को संयत कर के उस ने कहा, ‘‘चलो, हमें निकलना होगा.’’ पर अब मुझे पहुंचने की जल्दी नहीं थी.

वे आवाजें फिर नहीं आईं और हम छिपतेछिपाते, रुकतेरुकाते हुए घर पहुंचे. घर के दरवाजे पर मैं ने धीरे से मां को आवाज लगाई. कुछ ही पलों में दरवाजा खुल गया. हम अंदर चले गए. सब सहीसलामत घर पर ही थे. उन्हें सिर्फ मेरी फिक्र थी. मैं ने उन्हें बताया कि किस तरह अखिल ने अपनी परवा न करते हुए मुझे घर तक पहुंचाया.

सब अखिल के बहुत शुक्रगुजार थे. अखिल हम से उसी वक्त विदा ले कर अपने घर के लिए निकल गया. हम उसे रोक नहीं पाए. खाना खा कर मैं सोने चली गई. घर में सब बहुत खुश थे. पर मुझे फिक्र थी अखिल की, क्या वह ठीक से घर पहुंचा होगा? क्या वे दंगाई फिर आए होंगे? मेरे सामने अखिल का चेहरा घूम रहा था. मेरा मन उसी की फिक्र कर रहा था. मन बारबार सोच रहा था कहीं उसे कुछ हो न गया हो. लगता था उस से कोई अनकहा रिश्ता जुड़ गया था.

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बच्चों के लिए बनाएं गरमागरम ‘मैगी समोसा’

अगर आप Monsoon में घर पर कुछ टेस्टी बनाना चाहते हैं तो मैगी समोसा आपके लिए बेस्ट Recipe है. मैगी समोसा आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप अपने बच्चों को स्नैक्स में परोस सकते हैं.

हमें चाहिए:

– मैगी नूडल्स (डेढ़ कप)

– मैदा (2 कप)

– अजवाइन (1 चम्मच)

– रिफांइड औयल (1 कप)

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– पानी (आवश्यकतानुसार)

– नमक 1 चम्मच

बनाने का तरीका :

– सबसे पहले एक बड़े बर्तन में मैदा, नमक और अजवाइन को मिक्स करें.

– और ऊपर से थोड़ा सा पानी छिड़कें और कड़ा आटा गूंद लें.

– तैयार आटे को कुछ देर के लिए ढक कर अलग रख दें.

– अब एक अलग बर्तन में मैगी नूडल्स को पका लें.

– जब मैगी पक जाए तो उसे एक बाउल में निकालकर ठंडा होने के लिए रख दें.

– अब एक बड़ी कढ़ाई लें और उसमें तेल डालकर मध्यम आंच पर तेल को गर्म होने दें.

– अब गूंदे हुए आटे से छोटे-छोटे गोले बनाकर पूरी की तरह पतला गोल बेल लें.

– अब इसे बीच से काट दें और कोन बनाकर पानी की कुछ बूंदों का इस्तेमाल कर किनारों को सील कर दें.

– अब इस कोन में तैयार मैगी नूडल्स को भरें और इसका मुंह बंद कर समोसे का शेप दें.

– बाकी के आटे के साथ भी इसी तरह समोसा बना लें.

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– जब समोसे की फिलिंग तैयार हो जाए तो इसे कढ़ाई में डालें और डीप फ्राई करें.

– जब समोसे गोल्डन ब्राउन कलर के हो जाएं तो इन्हें तेल से बाहर टीशू पेपर पर निकालें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए.

– तैयार समोसे को चटनी के साथ गर्मा गर्म सर्व करें.

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