जब सताने लगे अकेलापन

रंजना का अपने पति से तलाक हो गया सुन कर धक्का लगा. 45 वर्षीय रंजना भद्र महिला है. पति, बच्चे सब सुशिक्षित. भला सा हंसताखेलता परिवार. फिर अचानक यह क्या हुआ? बाद में पता चला कि रंजना ने दूसरी शादी कर ली. दूसरा पति हर बात में उन के पहले पति से उन्नीस ही है. किसी ने बताया रंजना की मुलाकात उस व्यक्ति से फेसबुक पर हुई थी और उन्हीं के बेटे ने उन्हें बोरियत से बचाने के लिए उन का फेसबुक पर अकाउंट बनाया था. प्रारंभिक जानपहचान के बाद उन की घनिष्ठता बढ़ती गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. वह व्यक्ति भी उसी शहर का था. कभीकभी होने वाली मुलाकात एकदूसरे के बिना न रह सकने में तबदील हो गई. वह भी शादीशुदा था. इस शादी के लिए उस ने अपनी पत्नी को बड़ी रकम दे कर उस से छुटकारा पा लिया.

कुछ साल पहले तक ऐसे समाचार अखबारों में पढ़े जाते थे और वे सभी विदेशों के होते थे. तब अपने यहां की संस्कृति पर बड़ा मान होता था. लेकिन आज हमारे देश में भी यह आम बात हो गई है. हमारा सामाजिक व पारिवारिक परिवेश तेजी से बदल रहा है. इन परिवर्तनों के साथ आ रहे हैं मूल्यों और पारिवारिक व्यवस्था में बदलाव. आज संयुक्त परिवार तेजी से खत्म होते जा रहे हैं. सामाजिक व्यवस्था नौकरी पर टिकी है जिस के लिए बच्चों को घर से बाहर जाना ही होता है. पति के पास काम की व्यस्तता और बच्चों की अपनी अलग दुनिया. अत: महिलाओं के लिए घर में अकेले समय काटना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उन का सहारा बनती है किट्टी पार्टी या फेसबुक पर होने वाली दोस्ती.

आइए जानें कुछ उन कारणों को जिन के चलते महिलाएं अकेलेपन की शिकार हो कर ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं:

संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं. एकल परिवार के बढ़ते चलन से पति व बच्चों के घर से चले जाने के बाद महिलाएं घर में अकेली होती हैं. तब उन का समय काटे नहीं कटता.

अति व्यस्तता के इस दौर में रिश्तेदारों से भी दूरी सी बन गई है. अत: उन के यहां आनाजाना, मिलनाजुलना कम हो गया है. साथ ही सहनशीलता में भी कमी आई है. इसलिए  रिश्तेदारों का कुछ कहना या सलाह देना अपनी जिंदगी में दखल लगता है, जिस से उन से दूरी बढ़ा ली जाती है.

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विश्वास की कमी के चलते सामाजिक दायरा बहुत सिमट गया है. अब पासपड़ोस पहले जैसे नहीं रह गए. पहले किस के घर कौन आ रहा है कौन जा रहा है की खबर रखी जाती थी. दिन में महिलाएं एकसाथ बैठ कर बतियाते हुए घर के काम निबटाती थीं. इस का एक बड़ा कारण दिनचर्या में बदलाव भी है. सब के घरेलू कामों का समय उन के बच्चों के अलग स्कूल टाइम, ट्यूशन की वजह से अलगअलग हो गया है.

पति की अति व्यस्तता भी इस का एक बड़ा कारण है. अब पहले जैसी 10 से 5 वाली नौकरियां नहीं रहीं. अब दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है, जो सब के जाने तक भागता ही रहता है. इस से पतिपत्नी को इतमीनान से साथ बैठ कर पर्याप्त समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता. कम समय में जरूरी बातें ही हो पाती हैं.

ऐसे ही पुरुषों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ गई है. सुबह का समय भागदौड़ में और रात घर पहुंचतेपहुंचते इतनी देर हो जाती है कि कहनेसुनने के लिए समय ही नहीं बचता. इसलिए आजकल पुरुष भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं और औफिस में या फेसबुक पर उन की भी दोस्ती महिलाओं से बढ़ रही है जिन के साथ वे अपने मन की सारी बातें शेयर कर सकें.

यदि अकेले रहने की वजह परिवार से मनमुटाव है, तो ऐसे में पति का उदासीन रवैया भी पत्नी को आहत करने वाला होता है. उसे लगता है कि उस का पति उसे समझ नहीं पा रहा है या उस की भावनाओं की उसे कतई कद्र नहीं है. इस से पतिपत्नी के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो रहा है.

टीवी सीरियलों में आधुनिक महिलाओं के रूप में जो चारित्रिक हनन दिखाया जा रहा है उस का असर भी महिलाओं के सोचनेसमझने पर हो रहा है. अब किसी पराए व्यक्ति से बातचीत करना, दोस्ती रखना, कभी बाहर चले जाना जैसी बातें बहुत बुरी बातों में शुमार नहीं होतीं, बल्कि आज महिलाएं अकेले घर का मोरचा संभाल रही हैं. ऐसे में बाहरी लोग आसानी से उन के संपर्क में आते हैं.

पति परमेश्वर वाली पुरानी सोच बदल गई है.

इंटरनैट के द्वारा घर बैठे दुनिया भर के लोगों से संपर्क बनाया जा रहा है. ऐसे में अकेलेपन, हताशानिराशा को बांट लेने का दावा करने वाले दोस्त महिलाओं की भावनात्मक जरूरत में उन के साथी बन कर आसानी से उन के फोन नंबर, घर का पता हासिल कर उन तक पहुंच बना रहे हैं.

नौकरीपेशा महिलाएं भी घरबाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए इतनी अकेली पड़ जाती हैं कि ऐसे में किसी का स्नेहस्पर्श या  भावनात्मक संबल उन्हें उस की ओर आकर्षित करने के लिए काफी होता है.

अत्यधिक व्यस्तता और तनाव की वजह से पुरुषों की सैक्स इच्छा कम हो रही है. सैक्स के प्रति पुरुषों की अनिच्छा स्त्रियों में असंतोष भरती है. ऐसे में किसी और पुरुष द्वारा उन के रूपगुण की सराहना उन में नई उमंग भरती है और वे आसानी से उस की ओर आकर्षित हो जाती हैं. लेकिन क्या ऐसे विवाहेतर संबंध सच में महिलाओं या पुरुषों को भावनात्मक सुकून प्रदान कर पाते हैं? होता तो यह है कि जब ऐसे संबंध बनते हैं दिमाग पर दोहरा दबाव पड़ता है. एक ओर जहां उस व्यक्ति के बिना रहा नहीं जाता तो वहीं दूसरी ओर उस संबंध को सब से छिपा कर रखने की जद्दोजेहद भी रहती है. ऐसे में यदि कोई टोक दे कि आजकल बहुत खुश रहती हो या बहुत उदास रहती हो तो एक दबाव बनता है.

जब संबंध नएनए बनते हैं तब तो सब कुछ भलाभला सा लगता है, लेकिन समय के साथ इस में भी रूठनामनाना, बुरा लगना, दुख होना जैसी बातें शामिल होती जाती हैं. बाद में स्थिति यह हो जाती है कि न इस से छुटकारा पाना आसान होता है और न बनाए रखना, क्योंकि तब तक इतनी अंतरंग बातें सामने वाले को बताई जा चुकी होती हैं कि इस संबंध को झटके से तोड़ना कठिन हो जाता है. हर विवाहेतर संबंध की इतिश्री तलाक या दूसरे विवाह में नहीं होती. लेकिन इतना तो तय है कि ऐसे संबंध जब भी परिवार को पता चलते हैं विश्वास बुरी तरह छलनी होता है. फिर चाहे वह पति का पत्नी पर हो या पत्नी का पति पर अथवा बच्चों का मातापिता पर. बच्चों पर इस का सब से बुरा असर पड़ता है. एक ओर जहां उन का अपने मातापिता के लिए सम्मान कम होता है वहीं परिवार के टूटने की आशंका भी उन में असुरक्षा की भावना भर देती है, जिस का असर उन के भावी जीवन पर भी पड़ता है और वे आसानी से किसी पर विश्वास नहीं कर पाते.

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यदि परिवार और रिश्तेदार इसे एक भूल समझ कर माफ भी कर दें तो भी आगे की जिंदगी में एक शर्मिंदगी का एहसास बना रहता है, जो सामान्य जिंदगी बिताने में बाधा बनता है. विवाहेतर संबंध आकर्षित करते हैं, लेकिन अंत में हाथ लगती है हताशा, निराशा और टूटन. इन से बचने के लिए जरूरी है कि अकेलेपन से बचा जाए. खुद को किसी रचनात्मक कार्य में लगाया जाए. अपने पड़ोसियों से मधुर संबंध बनाए जाएं, रिश्तेदारों से मिलनाजुलना शुरू किया जाए. अपने पार्टनर से अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बात की जाए और अपने पूर्वाग्रह को भुला कर उन की बातें सुनी और समझी जाएं. हमारी सामाजिक व पारिवारिक व्यवस्था बहुत मजबूत और सुरक्षित है. इसे अपने बच्चों के लिए इसी रूप में संवारना हमारा कर्तव्य है. आवेश में आ कर इसे तहसनहस न करें.

टैक्नोलौजी और धर्म

आजकल बहुत सा पैसा टैक्नोलौजी सो चल रही पढ़ाई में लगाया जा रहा है और इस का अर्थ है कि सिमैंट और इंटों से बने स्कूलकालेजों में 40-50 साल पहले तय की गई शिक्षा अब अपना मतलब खोती जा रही है. जैसे फेक्ट्रियों में मजदूरों को नई टैक्नोलौजी बुरी तरह निकाल रही है, उसी तरह टैक्नोलौजी न जानने वाले युवाओं का भविष्य और ज्यादा धूमिल होता जा रहा है.

जिस तरह का पैसा बैजू जैसी कंपनियों में लग रहा है उस से साफ है कि कंप्यूटर पर बैठ कर ऊंची शिक्षा पाने वाले ही अब देशों और दुनिया में छा जाएंगे पर यह शिक्षा बहुत मंहगी है और साधारण घर इसे अफोर्ड भी नहीं कर पाएंगे.

अमेरिका में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 3000 डौलर (लगभग 18,00,000 लाख रुपए) कमाने वाले परिवारों में से 64′ के पास स्मोर्ट फोन, एक से ज्यादा कंप्यूटर वाईफाई, ब्रौडबैंड कनेक्शन स्मार्ट टीवी हैं. जबकि 3000 डौलर से कम वाले घरों में 16′ के पास ही ये सुविधाएं हैं. इस का अर्थ है कि गरीब मांबाप के बच्चे गरीबी में ही रहने को मजबूर रहेंगे क्योंकि न तो वे महंगे स्कूलकालेजों में जा पाएंगे न मंहगी चीजें खरीद पाएंगे. आज हाल यह है कि पिछले सालों में कम तकनीक जानने वालों के वेतनों में 2-3′ की वृद्धि हुई है जबकि ऊंची तकनीक जानने वालों का वेतन 20-25′ बड़ा है.

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भारत में यह स्थिति और ज्यादा उग्र हो रही है क्योंकि यहां भेदभाव को जन्म व जाति से भी जोड़ा हुआ है. यहां जिस तरह पूरे रोज के विज्ञापन कोचिंग क्लास चलाने वाले अखबारों में लेते हैं, उस से साफ है कि नौन टैक्नोलौजी शिक्षा भी मंहमी हो गई है, टैक्नोलौजी की शिक्षा तो न जाने कहां से कहां जाएगी.

टैक्नोलौजी से चलने वाली शिक्षा का एक बड़ा असर औरतों की शिक्षा पर पढ़ रहा है. उन्हें ऊंची पोस्ट मिलने में कठिनाई होने लगी हैं. क्योंकि सारी पढ़ाई का खर्च लडक़ों पर किया जा रहा है जो अब और ज्यादा हो गया है. हाल यह है कि भारत के विश्वविद्यालयों और कालेजों में ही, जहां पर अभी तक टैक्नोलौजी का राज नहीं है, केवल 7′ प्रमुख पोस्ट औरतों के पास है और इन में से भी ज्यादा ऐसे संस्थानों में हैं जहां केवल लड़कियां पढ़ रही हैं.

टैक्नोलौजी न केवल गरीब और अमीर का भेद बड़ा रही है, अमीरों में भी यह जेंडर यानी लडक़ेलडक़ी का भेद बढ़ा रही है. टैक्नोलौजी को समाज और दुनिया को बचाने वाला समझा जाता है पर यह बुरी तरह से कुछेक के हाथों में पूरी ताकत सौंप रहा हैं. अमीर घरों के लडक़े खर्चीली पढ़ाई कर के ऊंची कमाई करेंगे और मनचाही लडक़ी से शादी करेंगे पर उस लडक़ी पर मनचाहे ढंग से राज भी करेंगे. घर, कपड़ों, छुट्टियों, गाड़ी के लालच में पत्नियों की दशा राजाओं की रानियों की तरह हो जाएगी जो गहनों से लदी होती थीं पर राजा की निगाह में बस आनंद देने वाली गुडिय़ां होंगी.

इस समस्या का निदान आसान नहीं है और धर्म की मारी, अपने भाग्य पर निर्भर लड़कियां तो न भारत में न दुनिया में कहीं कभी इस स्थिति में लड़़ पाएंगी. वे टैक्नो गुलाम रहेंगी और टैक्नो गुलामों से काम कराने में फक्र करेंगी.

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इस फैस्टिव सीजन Amazon Fashion & Beauty से ट्राय करें सभी लेटेस्ट Trends

Amazon Great Indian Festival की शुरुआत हो चुकी है, जो एक महीने तक चलने वाला है. हर साल की तरह अमेजन लेकर आया है ब्यूटी और फैशन के टौप ब्रैंड्स पर आकर्षक औफर्स, जिसमें आपको फेस्टिव सीजन में घर बैठे मिलेंगे वेस्टर्न- एथनिक वियर से लेकर मेकअप तक के कई प्रौडक्ट्स. तो फैस्टिवल्स के लिए हो जाइए तैयार Amazon Fashion & Beauty के साथ…

फैस्टिव सीजन में खरीदें नए फैशनेबल कलेक्शन

मैक्सी ड्रैस

अगर आप सूट और साड़ी की बजाय कुछ ट्रैंडी औप्शन की तलाश कर रही हैं तो अमेजन के ये मैक्सी ड्रैस कलेक्शन ट्राय कर सकती हैं.

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टौप

डैनिम के साथ अगर आप टौप ब्रैंड्स के टौप कैरी करना चाहती हैं तो यहां क्लिक करके शौपिंग करें.

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ज्वैलरी और गोटा सलवार सूट का बनाएं कौम्बिनेशन

फैस्टिव सीजन में सलवार सूट के नए डिजाइन मार्केट में आ गए हैं. गोटे की कारीगरी वाला सूट आपके लुक पर चार चांद लगाने के लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा. इसके साथ आप मैचिंग ज्वैलरी के कलेक्शन को भी आसानी से खरीद सकती है.

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मैन्स & वूमन के फुटवियर कलेक्शन पर डालें नजर

अगर आप घर बैठें ढेरों ब्रैंड्स के फुटवियर कलेक्शन देखना और खरीदना चाहते हैं तो अमेजन की साल की इस सबसे बड़े इवेंट का हिस्सा बनना ना भूलें.

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मेकअप ब्रैंड्स पर मिलेगी भारी छूट

अगर आप फैस्टिव सीजन में टौप मेकअप के प्रौडक्ट्स खरीदना चाहती हैं तो Amazon Great Indian Festival में पाएं आकर्षक औफर्स.

फाउंडेशन

फैस्टिव सीजन हो या पार्टी, फाउंडेशन की जरुरत हर किसी को पड़ती है. लेकिन अगर किसी अच्छे ब्रैंड का फाउंडेशन मिल जाए तो ये आपके लुक को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है.

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Eye shadow Palette

आंखों को स्मोकी लुक देना हो या सिंपल, इसके लिए जरुरी है एक अच्छा आईशैडो पैलेट. पर महंगे और ब्रैंडेड होने के कारण हर कोई इन्हें खरीद नहीं पता. लेकिन Amazon Great Indian Festival में आपको टौप ब्रैंडेड प्रौडक्ट्स मिल जाएंगे Amazon Fashion & Beauty से.

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तो हो जाइए तैयार Amazon Great Indian Festival में अपने मनपसंद फैशन और ब्यूटी ब्रैंड्स का फायदा उठाने के लिए. 

नारकोटिक्स की समस्या है बड़ी और विशाल

शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एक शिप क्रूज में खाना होने से पहले नारकोटिक्स विभाग वालों द्वारा पकड़ लेना एक तमाशा बन गया है. जब देश की मुसीबतों का अंत दिख नहीं रहा है, एक छोटे से मामले को जिस तरह जनमानस में तूल दी गई उस से लगता है कि हम लोग हमेशा से वास्तविक खतरों को भुला कर निरर्थक कामों में दिल बहलाने के पूरी तरह आदी हो गए हैं.

दुकान नहीं चल रही हो, पत्नी को बिमारी हो गई हो, बेटे के अच्छे अंक नहीं आ रहे हो, कर्ज भारी बड़ रहा हो, टैक्स वालों का हमला हो रहा हो. हमारे यहां हवन, मां की चौकी, तीर्थ यात्रा आदि एक आम बात है. ये सक असल समस्या से क्षणिक घुटकारा तो दिला देते हैं पर समस्या वहीं रहती है. ये सब बहुत सा धन व समय ले लेती हैं जो समस्या सुलझाने में लग सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए जहां उन्हें न राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ज्यादा भाव दिया न उपराष्ट्रपति भारतीय खून वाली कमला हैरिस ने और आस्ट्रेलिया व जापान के नेता अपने में मगन रहे. उस खिन्नता को देश की समस्याओं से दूर करने की जगह मोदी जी तुरंत रात देर को संसद भवन के नए निर्माण के कैमरों की टीम के साथ पहुंच गए जहां एक कुशल अनुभवी आर्कीटैक्ट की तरह ब्लूङ्क्षप्रट देखते हुए नजर आए. यह फोटोशूट निरर्थक था. देश के किसान अंादोलन से जूझना है, बढ़ती बेरोजगारी और मंहगाई से जूझना है, कोयला संकट से जूझना है पर एक आम नागरिक की तरह हम धाॢमक स्टंटबाजी में लगे रहते है.

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किसान बेबात में अपने खेत छोड़ कर देश भर में सडक़ों पर नहीं उतरे हैं. भारत सरकार जिन 3 कृषि कानूनों को थोपने में लगी है वे किसी समस्या का हल नहीं हैं. किसानों की ओर से न तो मंडियां भंग करने की मांग हो रही  थी, न कांट्रेक्ट पर जमीन देने की. किसान तो मिनिमम सपोर्ट प्राइस मांग रहे थे क्योंकि उन्हें आज खुले भाव में बिचौलियों की मेहरबानी से सही दाम नहीं मिल रहे. खेती की अर्थव्यवस्था सरकारी दखलअंदाजी से डगमगा रही है और बजाए इसे ठीक करने के पहले अमेरिकी दौरा किया गया और वहां से खिन्न हो कर लौटने पर संसद निर्माण देखने निकल पड़े.

नारकोटिक्स की समस्या बड़ी और विशाल है. पहले अमेरिका, अफगानिस्तान से ही आफीम के उत्पादन पर रोकटोक लगा कर इस व्यापार पर अंकुश लगाए रखना था पर अब तालिबानियों के राज में अमेरिका की कुछ नहीं चलेगी. ऐसे में एक मुसलिम सितारे के बेटे को ले कर हो हल्ला मचाया और सरकारी मशीनरी का उपयोग केवल जनता का दिल बहलाने के लिए करना है. यह ध्यान बंटा सकता है पर खंडहर होते देश को नहीं बना सकता. दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका जैसे देशों से भी बुरे हालत में जा रहे देश को भटकाने की जिम्मेदारी उन्हीं लोगों की है जो सही समस्याओं को नहीं देख पा रहे.

तथा बुरा है, गलत है, व्यापार जानलेवा है पर सितारों के बच्चों को आड़ में ङ्क्षहदूमुसलिम स्कोर करना और जानलेवा है.

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Anupama को दूसरी शादी के लिए कहेगा अनुज, एक्सीडेंट का शिकार होगें दोनों!

स्टार प्लस के टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी जल्द नया मोड़ लेने वाली है, जिसका हाल ही में प्रोमो रिलीज किया गया था. दरअसल, अनुज के साथ रिश्ते में उठे सवाल के चलते अनुपमा घर छोड़ने के लिए तैयार है. लेकिन इससे पहले ही सीरियल में कुछ ऐसा होने वाला है, जिससे दर्शकों को झटका लगने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आने वाला ट्विस्ट…

बापूजी देते हैं अनुपमा का साथ

अब तक आपने देखा कि अनुज, काव्या को नौकरी से निकाल देता है, जिसके कारण वह घर जाकर हंगामा करती है और वनराज, अनुपमा पर गुस्सा करते हुए नजर आता है. लेकिन वनराज को करारा जवाब देते हुए कान में से रुई निकालते हुए कहती है कि वह रोज रोज गुस्सा करने की बजाय उसे वौइस नोट भेजा करे ताकि न उसका बीपी बढ़े औऱ न ही घर में रोज रोज ड्रामा हो. वहीं बापूजी, अनुपमा का इसमें साथ देते नजर आते हैं.

 

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 अनुज संग जाएगी अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा (Anupama) पूरे परिवार को शहर से बाहर मीटिंग के लिए जाने की बात बताएगी, जिसे सुनकर बा और वनराज गुस्से में नजर आएंगे. लेकिन बापूजी अनुपमा का साथ देते हुए कहेंगे कि वह इन बातों को दिल पर ना ले क्योंकि अब ये रोज की बात होगी. दूसरी तरफ वनराज, अनुपमा को अहमदाबाद के दूर मीटिंग के लिए जाने से रोकेगा और कहेगा कि वो जा रही है तो लौटकर घर वापस न आए. लेकिन वनराज की बातों को नजरअंदाज करते हुए अनुपमा दीवार कूदकर अनुज से मिलेगी और उसके साथ चली जाएगी.

 

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अनुपमा-अनुज का होगा एक्सीडेंट

 

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दूसरी तरफ आप देखेंगे कि अनुज और अनुपमा मंदिर में बैठकर बाते करेंगे. इस दौरान जहां अनुपमा, अनुज से शादी का सवाल करेगी तो वहीं अनुज उससे दोबारा शादी करने की बात कहेगा, जिससे अनुपमा शौक्ड हो जाएगी. इस दौरान अनुज और अनुपमा का तेज बारिश में एक्सीडेंट हो जाएगा. वहीं पूरा परिवार अनुपमा के घर न लौटने से परेशान होगा.

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Bigg Boss 15: टास्क में हुआ कुछ ऐसा, तेजस्वी ही हालत देख करण हुए बेहाल किया ये काम!

टीवी के पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस 15 (Bigg Boss 15)में प्यार पनपता नजर आ रहा है. ईशान – माईशा के अलावा बीते एपिसोड में करण कुंद्रा (Karan Kundrra) ने अकासा सिंह (Akasa Singh) को तेजस्वी सिंह(Tejaswi Prakash) के लिए अपने प्यार के बारे में बताया है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में कुछ ऐसा देखने को मिलने वाला है, जिसे देखकर सभी घरवाले जहां हैरान होंगे तो वहीं करण कुंद्रा की सांसे थम जाएंगे. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

तेजस्वी की होगी तबीयत खराब

 

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दरअसल, शो में नौमिनेशन के बाद कैप्टनसी टास्क होगा, जिसमें घरवाले टीम में बाटें जाएंगे. टीम ए में अकासा, अफसाना, उमर, जय, ईशान और विशाल होंगे तो दूसरी टीम में तेजस्वी, माईशा, सिम्बा, प्रतीक और राजीव होंगे.  वहीं करण कुंद्रा और शमिता शेट्टी इस टास्क का संचालन करते नजर आएंगे. टास्क में सभी घरवालों को सहनशक्ति दिखानी होगी, जिसके चलते टीम ए को हराने के लिए टीम बी पूरी कोशिश करते नजर आएंगे.इसी दौरान तेजस्वी उमर को अपनी जगह से हटाने के लिए तबीयत खराब होने का नाटक करेगी, जिसके चलते करण कुंद्रा घबरा जाते हैं.

 

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तेजस्वी की करेगा मदद

 

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तबीयत खराब होते देख करण फिर तेजू को अपनी गोद में उठाकर मेडिकल रूम ले जाता है. लेकिन तेजस्वी ने बताती है कि मैं ठीक हूं तो फिर तेजू को गोद में लेकर सोफे में ही बैठ गया और तेजा ने करण को गले लगा लेती है. वहीं इस दौरान तेजस्वी ने काफी शार्ट ड्रेस पहनी थी तो करण ने उसे ऊप्स मोमेंट से बचाने के लिए उसकी गोद में पिलो भी रख दिया. तेजस्वी और करण का ये स्वीट मोमेंट देखकर फैंस काफी खुश हैं. इसी के चलते एक बार फिर सोशलमीडिया पर #tejran वायरल हो रहा है.

 

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बता दें, हाल ही में करण कुंद्रा ने अपनी फिलिग्स को लेकर अकासा सिंह को बताया था कि वह तेजस्वी को पसंद करने लगे हैं. वहीं अकासा उनके इस प्यार को आगे बढ़ाने की कोशिश करती नजर आ रही है. लेकिन तेजस्वी इस पूरी बात से बेखबर हैं.

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रिश्ते को बना लें सोने जैसा खरा

पतिपत्नी के बीच मतभेद होना बहुत ही स्वाभाविक सी बात है, क्योंकि दोनों अलगअलग सोच, धारणाओं और परिवारों के होते हैं. एक में धैर्य है तो दूसरे को बहुत जल्दी क्रोध आ जाता है और एक मिलनसार है तो दूसरा रिजर्व रहता है. ऐसे में लोहे और पानी की तरह उन के मतभेदों का औक्सीडाइज्ड होना बहुत आम बात है. लोहे और पानी के मिलने का अर्थ ही है जंग लगना. नतीजा रिश्ते में बहुत जल्दी कड़वाहट का जंग लग जाता है.

ऐसा न हो इस के लिए जानिए कुछ उपाय:

हो सोने जैसा ठोस

अगर हम अपने रिश्ते को सोने जैसा बना लें और सोने की खूबियों को अपने जीवन में ढाल लें, तो मतभेद रूपी जंग कभी भी वैवाहिक जीवन में लगने ही न पाए. सोने की सब से बड़ी खूबी यह होती है कि वह ठोस होता है, इसलिए उस में कभी जंग नहीं लगता और न ही उस के टूटने का खतरा रहता है. अपने वैवाहिक रिश्ते को भी आपसी समझ, प्यार और विश्वास की नींव पर खड़ा करते हुए इतना ठोस बना लें कि वह भी सोने की तरह मजबूत हो जाए.

आपसी विश्वास, सम्मान और साथी के साथ संवाद स्थापित कर आसानी से रिश्ते में आए खोखलेपन को दूर किया जा सकता है. सोना न तो अंदर से खोखला होता है न ही इतना कमजोर कि उसे हाथ में लो तो वह टूट जाए या उस में दरार आ जाए. आप का साथी, जो कह रहा है उसे मन लगा कर सुनें और यह जताएं कि आप को उस की परवाह है. बेशक आप को उस की बात ठीक न लगती हो, पर उस समय उस की बात काटे बिना सुन लें और बाद में अपनी तरह से उस से बात कर लें. ऐसा होने से मतभेद होने से बच जाएंगे और आप के रिश्ते की नींव भी खोखली नहीं होगी. सोने जैसी ठोस जब नींव होगी, तो जीवन में आने वाले किसी भी तूफान के सामने न तो आप का रिश्ता हिलेगा न टूटेगा. सच तो यह है कि आप का रिश्ता सोने की तरह हर दिन मजबूत होता जाएगा.

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हो प्यार की चमक

सोने का ठोस होना ही नहीं, उस की चमक भी सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. पास से ही नहीं दूर से भी देखने पर सोने की चमक वैसी ही लगती है और उसे पाने की चाह महिला हो या पुरुष दोनों में बराबर रूप से बलवती हो उठती है. वैवाहिक रिश्ते में केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि वैचारिक व संवेदनशील रूप से भी यह चमक बरकरार रहनी चाहिए. सोने जैसा चमकीलापन पाने के लिए पतिपत्नी में प्यार और समर्पण की भावना समान रूप से होनी चाहिए. सोने की चमक पानी है तो वह सिर्फ प्यार से ही पाई जा सकती है और केवल प्यार होना ही काफी नहीं है, उसे जताने में भी पीछे न रहें. वैसे ही जैसे सोने का आभूषण जब आप पहनती हैं तो उसे बारबार दिखाने का प्रयास करती हैं और लोगों को उस के बारे में बढ़चढ़ कर बताती हैं. तो फिर आप अपने साथी को प्यार करती हैं, तो उसे बढ़चढ़ कर कहने में हिचकिचाहट क्यों? तभी तो चमकेगा आप का रिश्ता सोने की तरह.

जैसा चाहो ढाल लो

सोना महिलाओं की खूबसूरती में अगर चार चांद लगाता है, तो उस की दूसरी सब से बड़ी खासीयत है उस का पिघल कर किसी भी रूप में ढल जाना. ठोस होने के बावजूद सोना पिघल जाता है और फिर हम जैसा चाहते हैं वैसा उसे आकार देते हैं. अगर आप विवाह के बाद सोने की ही तरह स्वयं को पति के परिवार वालों या पति के अनुरूप ढाल लेती हैं, तो रिश्ता सदा सदाबहार रहता है और उस में जंग लगता ही नहीं. अपने को ढाल लेने का मतलब अपनी खुशियों या इच्छाओं की कुरबानी देना या अपना अस्तित्व खो देना नहीं होता, बल्कि इस का मतलब तो दूसरों की खुशियों और इच्छाओं का मान करना होता है. एक पहल अगर आप करती हैं तो यकीन मानिए दूसरे भी पीछे नहीं रहते. विवाह होने के बाद आप केवल पत्नी ही नहीं बनती हैं, वरन आप को बहुत सारे रिश्तों में अपने को ढालना होता है. अहंकार और इस भावना से खुद को दूर रखते हुए कि साथी की बात मानना झुकना होता है, उस के अनुरूप एक बार ढल जाएं. फिर देखें वह कैसे आप के आगे बिछ जाता है.

उपहार दें

सोना एक ऐसी चीज है जिसे उपहार में मिलना हर कोई पसंद करता है. उस के सामने अन्य चीजें फीकी पड़ जाती हैं. आज जब हम सोने की कीमत पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि वह निरंतर महंगा होता जा रहा है. फिर भी न तो विभिन्न मौकों पर सोना खरीदने वालों में कमी आई है और न ही उसे गिफ्ट में देना बंद हुआ है. वजह साफ है कि सोना शानोशौकत का प्रतीक है और व्यक्ति की हैसियत, उस के रहनसहन को समाज में उजागर करता है. आप जितना सोना पहन कर कहीं जाती हैं, उस से आप की हैसियत का भी अंदाजा लगाया जाता है.

सोने की ही तरह अपने रिश्ते में भी एक शानोशौकत को बरकरार रखें. अपने वैवाहिक जीवन की छोटीछोटी बातों का आनंद लें और साथी को गिफ्ट देना न भूलें. अपने घर की सज्जा और अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें और पूरी मेहनत करें ताकि सोने की तरह आप के जीवन में भी शानोशौकत बनी रहे.

प्रशंसा करें

सोने के गहने हों या उस से बनी कोई नक्काशी या उस से किया कपड़ों पर काम, आप प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाती हैं. ठीक वैसे ही आप साथी की भी प्रशंसा करने में कोताही न बरतें. इस से उसे महसूस होगा कि आप उस से प्यार करती हैं, उस को पसंद करती हैं. प्रशंसा करने के लिए बड़ीबड़ी बातों का इंतजार न करें. उस की छोटीछोटी बातों की भी तुरंत प्रशंसा कर दें. इस से उस के चेहरे पर खुशी आ जाएगी. इसी तरह अगर पति अपनी पत्नी की झूलती लटों की प्रशंसा कर दे, तो वह खुश हो अपना सारा प्यार उस पर लुटा देगी.

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सुरक्षा है सदा के लिए

महंगा होने पर भी लोग सोना इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मुसीबत के समय यही काम आएगा. सोना जहां सौंदर्य का प्रतीक है, वहीं वह यह मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करता है कि कभी जीवन में कठिनाइयों ने घेरा तो उसे बेच कर काम चला लेंगे. सोना एक सुरक्षा का एहसास देता है, इसलिए उस के पास होने से हम निश्चिंत रहते हैं. सोने जैसा स्थायित्व, मानसिक संतुष्टि और राहत का एहसास वैवाहिक जीवन में भी पाया जा सकता है. युगल को केवल आर्थिक ही नहीं, हर पहलू से यह आश्वासन चाहिए होता है कि मुसीबत के समय उस का साथी उस का साथ देगा. उसे वह मझधार में नहीं छोड़ेगा. अपने साथी को सुरक्षित होने का एहसास कराना आवश्यक है. उस के सुखदुख में साथ दे कर, उस की परेशानियों को समझ कर आप ऐसा कर सकते हैं. अगर जीवन में मानसिक संतुष्टि हो और एक स्थायित्व की भावना तो वह बहुत सुगमता और मधुरता से आगे बढ़ सकता है, वह भी तमाम हिचकोलों के बीच.

Judiciary और एजेंसी के जाल में फंसे Aryan Khan, पढ़ें खबर

बुरी लत चाहे ड्रग्स की हो या किसी दूसरे चीज की….कानून के हिसाब से सबकुछ होने की जरुरत है…… नामचीन व्यक्ति……क्रिकेट और हिंदी सिनेमा जगत के सेलेब्रिटी को जनता का प्यार बहुत मिलता है……उन्हें एक घड़ी पहनने का ब्रांड 5 करोड़ देती है……क्यों दे रही है?….जनता के लिए ही दे रही है, क्योंकि जनता उसे ही पहनना चाहेगी….और ब्रांड का काम बन जाता है ……एक आम इंसान को कोई ब्रांड5 करोड़ तो क्या 5 रुपये तक नहीं देती ….. अगर ब्रांड का फायदा सेलेब्रिटी को मिलता है, तो आपके बारें में जनता जानना भी चाहती है….इसे टाला नहीं जा सकता…क्योंकि आपने अगर इंडोर्समेंट का फायदा उठाया है, तो आपके जीवन में किसी का हस्तक्षेप न हो, ऐसा संभव नहीं. ऐसे ही कुछ बातों को कह रही थी, मुंबई हाईकोर्ट की वकील, सोशल एक्टिविस्ट और फॉर्मर ब्यूरोक्रेट आभा सिंह. व्यस्त दिनचर्या के बावजूद उन्होंने बात की और कहा कि कोर्ट का आर्यन खान को बेल न देना,मेरी समझ से बाहर है.

अंधा नहीं है कानून

आभा सिंह कहती है कि कानून कभी अंधा नहीं होता, जो सबूत सही ढंग से पेश न कर तोड़-मरोड़ कर रख दिया जाता है और जज उसी सबूत के आधार पर अपना निर्णय देता है. कई बार न्याय देने में देर हो जाती है, क्योंकि 50 प्रतिशत सीट कोर्ट में खाली है, जिसे अभी तक भरा नहीं गया. कानून अंधे होने की बात के बारें में गौर करें, तो आर्यन खान के पास से न तो ड्रग मिली और न ही उसके ब्लड टेस्ट में भी ड्रग लेने की कोई सबूत मिला, लेकिन 20 दिनों से वह जेल में है. इसलिए अबसबको लगने लगाहै कि सरकारी तंत्र किसी को कभी भी फंसा सकता है. अगर न्यायतंत्र इन एजेंसियों के आगे हल्की पड़ जाती है और एजेंसी की बातों को सही ढंग से नहीं परखती, तब लोग समझने लगते है कि कानून वाकई अंधा है.

न्यायतंत्र को परखने की है जरुरत

वकील आभा का कहना है कि इस देश में तो अब ये लगता है कि अगर आप एक नामचीन इंसान है, तो कुछ भी गलत किसी के साथ होने पर पूरा परिवार उसे भुगतता है. एजेंसी सही ढंग से कानून नहीं लगाती, इसलिए न्यायतंत्र को परखने की जरुरत है. कोई भी एजेंसी अगर गलत कानून लगाती है, तो उनपर कार्यवाई की जानी चाहिए, ताकि जनता को लगे कि कानून उनको सुरक्षा देने के लिए है, न कि दुरूपयोग कर अत्याचार करने की है.

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पोलिटिसाइज़ हो गई है एजेंसिया

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वी एम कनाडे, जो मुंबई की लोकायुक्त है और पिछले 40 साल से कानून के क्षेत्र में काम कर रहे है. उन्होंने आर्यन के बेल के बारें में कहा कि आर्यन के वकील ने हाई कोर्ट में फिर से एप्लीकेशन दिया है, जो हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी. कानून के बारें आज जनता का विश्वास क्यों उठने लगा है पूछने पर न्यायमूर्ति कनाडे कहते है कि अगर आशा के अनुसार न्याय नहीं मिलता, तो लोग कानून में विश्वास नहीं रखते और आशा के अनुसार न्याय मिलने पर लोग न्याय पर विश्वास जताते है, लेकिन ये भी सही है कि जुडीशियरी लास्ट रिसोर्ट होती है और लोग उसपर सबसे अधिक विश्वास रखते है. मेरा अनुभव ये कहता है कि आज पोलिटिकल लड़ाई बहुत चल रही है. किसी भी निर्णय को पॉलिटिक्स के हिसाब से देखी जा रही है, यह सही नहीं है. मैं 16 साल जज रहा हूँ. नॉर्मली हम राजनीति में नहीं जाते, कानून के हिसाब से निर्णय देते है. इसके अलावा आज न्यायालयों में जजों और वकीलों की संख्या बहुत कम है, खाली स्थानों को जल्दी भरने की बहुत जरुरत है.

न्यायतंत्र पर विश्वास कम होने की वजह लॉयर आभा सिंहबताती है कि 84 वर्ष के स्टेन स्वामी की मृत्यु जेल में ही हो गयी, लेकिन उन्हें बेल नहीं मिला. मुझे लगता है कि पुलिस और कई एजेंसियां राजनीतिकरण का हिस्सा बन चुकी है. ये इस तरह के केस बनाती है. पिछले कुछ दिनों पहले एक बात सामने आई थी कि प्रधानमंत्री मोदी को किसी ने जान से मारने की धमकी दी है, फिर पता चला कि लैपटॉप पर ये मेसेज आया है.सबको पता है कि आज लोग मेल हैक कर क्या-क्या कर लेते है. ये बातें कितनी झूठी और बनावटी हो सकती है, ऐसे में आर्यन के व्हाट्स एप मेसेज को इतनी तवज्जों क्यों दी जा रही है? राईट टू लिबर्टी को बचाने केलिए सुप्रीम कोर्ट को नयी गाइडलाइन्स लानी पड़ेगी. आज देश के सारे हाई नेटवर्क वाले लोग देश छोड़कर चले जा रहे है,ऐसे में देश, एक अच्छा देश कैसे बन सकता है? हर नेता चाहते है कि पुलिस उनके सामने घुटने टेके, लेकिन न्यायतंत्र को देखना चाहिए कि पुलिसवाला क्या गलत कर रहा है? अगर अरेस्ट करने का पॉवर पुलिस को मिला है, तो कोर्ट बेल दे सकती है, लेकिन जुडीशियरी अगर अपने कानून को न देखकर दूसरी तरफ देखने लगे, तो अराजकता फैलती है.

सहानुभूति की है जरुरत

इसके आगे आभा का कहना है कि आर्यन को बिना किसी प्रूफ के जेल में डाले हुए है. असल में नारकोटिक ड्रग्स एंड साईकोट्रोपिक सबस्टेन्स (NDPS) एक्ट 1985 के तहत बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस कोतवाल ने रिया चक्रवर्ती को बेल तो दिया था, लेकिन उस समय NDPSएक्ट को उन्होंने नॉन बेलेबल कहा था. इसलिए आर्यन को बेल नहीं मिल रही है, लेकिन ये भी सच है कि पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई छोटा अमाउंट पर्सनल यूज़ के लिए कंज्यूम करता है, तो उसे बेल दे दी जाय, क्योंकि आपको उस इन्सान से सहानुभूति रखनी है, उसके एडिक्शन को छुड़ावाना, इलाज करवाना आदि की जरुरत है. यहाँ आर्यन के पास केवल 13 ग्राम ड्रग ही मिला है,जबकि हमारे देश में होली पर लोग चरस, गांजा आदि के प्रयोग कर ठंडाई बनाते है. अगर ड्रग को रोकना है, तो उन्हें ड्रग बेचने वाले पेडलर और  ड्रग सिंडिकेट को पकड़ने की जरुरत है. उन्हें पकड़ न पाने की स्थिति में बॉलीवुड और कॉलेज के बच्चों को पकड़ रहे है, जो सॉफ्ट टारगेट होते है और उन्हें पकड़कर मीडिया में तमाशा कर रहे है. जबकि ये बच्चे ड्रग सिंडिकेट के शिकार है और उनका परिवार बच्चों की इन आदतों से परेशान है. इंडिया में ड्रग, दवाइयों और कुछ खास चीजों के लिए लीगल है, जबकि कई देशों में इसे लीगल कर दिया गया है. इस तरह से अगर बच्चे अरेस्ट होने लगे, तो आधी जनता जेल में होगी. मेरा सुझाव है कि जब आर्यन के बेल की बात आगे हाई कोर्ट में सुना जाएँ, तो जस्टिस कोतवाल के बात को अलग रखकर, उस बच्चे को बेल दी जाय. NDPS एक्ट 1985 की सेक्शन 39 में लिखा हुआ है कि बच्चे के उम्र और पिछले आचरण को देखते हुए,उसे बेल दीजिये. नॉन बेलेबल का कोई सवाल नहीं उठता.

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सरकार की दोहरी नीति

23 साल के आर्यन को बेल न मिल पाने की वजह से फेंस और हिंदी सिनेमा जगत से जुड़े सभी लोग परेशान और दुखी है. एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ कहते है कि ड्रग्स कई प्रकार के होते है और क्राइम भी उसी हिसाब गिना जाता है. चरस और गांजा दो हज़ार सालों से साधु संत, व्यापारी और मेहनत करने वाले किसान,बदन दर्द को कम करने के लिए, सोने से पहले एक चिलम मारते है,उसे  ड्रग्स नहीं कहा जा सकता. जो नैचुरल पदार्थ ओपियम को प्रोसेस कर बनाया जाता है,वह ड्रग कहलाता है. ऐसे कई गांजा और चरस के ठेके को सरकार लाइसेंस देती है. फिर ये ड्रग कैसे हो सकती है?ये एक प्रकार की हिपोक्रेसी हुई. एक हाथ से सरकार गांव खेड़े में, साधु संत और अखाड़े वालों को मादक पदार्थों के सेवन की पूरी छूट देती हैऔर दूसरी तरफ कॉलेज जाने वाले एक बच्चे के पॉकेट से 10 ग्राम की कुछ भी मिलने पर पोलिटिकल एफिलियेशन के अनुसार छोड़ते है या जेल भेज देते है. इस प्रकार कानून की कोई पॉवर नहीं है. इससे जो कोई भी पॉवर में आएगा, वह दूसरे के पीछे पड़ेगा. यहाँ आर्यन खान से अधिक शाहरुख़ खान के पीछे सब पड़े है.ये एक प्रकार की दुश्मनी है,जिसे वे इस तरीके से निकाल रहे है,क्योंकि जिस चीज को 2 हज़ार साल से लोग प्रयोग करते आ रहे है, उसे गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता.एनसीबी और सीबीआई सब सरकार के टट्टू है. एक 23 साल के बच्चे को जेल में डाल दिया और जो रियल में क्रिमिनल है, जिसने 4 लोगों को कुचल दिया, वह आराम से घूम रहा है. बिगड़ी हुई न्याय व्यवस्था को जनता महसूस कर रही है, क्योंकि सरकार दोहरी निति पर चल रही है, अपनों के लिए अलग कानून और दूसरों के लिए अलग कानून बनाए है.

बिके हुए है न्यूज़ चैनल्स

न्यूज़ चैनेल टीआर पी के लिए कुछ भी तमाशा कर रही है. आर्यन एडल्ट है, उसने जो किया, खुद से किया है. शाहरुख़ का नाम क्यों आ रहा है, जबकि अरबाज़ मर्चेंट और मुनमुन धमेचा के पेरेंट्स को कोई सामने नहीं ला रहे है. उन्होंने भी तो अपराध किया है. इसका अर्थ ये हुआ की मिडिया भी इसी गेम में फंसी हुई है, बिकीहुई है, तभी किसी पर कीचड़ उछाल रही है. मिडिया को सही बातें रखने की आवश्यकता है. जब दो हज़ार करोड़ ड्रग के साथ अदानी पोर्ट पर पकड़ा गया, उसे एक छोटी सी जगह पर पेज में छुपा हुआ न्यूज़ आइटम दिखा. जबकि आर्यन खान के साथ शाहरुख़ को जोड़कर न्यूज़ चैनेल हेड लाइन बनाती है. मुझे दुःख इस बात से है कि देश की न्यायतंत्र आज सरकार के टट्टू बन चुके है, जबकि उन्हें कानून के अनुसार निर्णय देना चाहिए. कानून के सामने सब बराबर है, टीआरपी के लिए टीवी चैनेल्स फेवरिटीज्म नहीं दिखा सकती.

इस प्रकार तथ्य यह है कि क्रूज ड्रग्स पार्टी मामले में आर्यन खान अभी भी जेल में है. सेशंस कोर्ट ने बुधवार 20 अक्तूबर को आर्यन की जमानत याचिका खारिज कर दी. आर्यन के साथ ही अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत याचिका खारिज कर दिया गया है. दरअसल आर्यन को 2 अक्टूबर को मुंबई से गोवा जा रही क्रूज पर रेव पार्टी में छापेमारी के बाद एनसीबी ने पहले हिरासत में लिया और फिर गिरफ्तार कर लिया. इसमें आर्यन के साथ 8 लोगों को भी ग‍िरफ्तार किया गया. आर्यन फिलहाल मुंबई के आर्थर रोड जेल में 14 दिनों की न्‍याय‍िक हिरासत में कैद है.अगली सुनवाई 26 अक्तूबर को होगी, अब देखना है कि आर्यन खान को बेल मिलेगी या नहीं.

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मेरे चेहरे पर बहुत झांइयां हैं, इसे दूर करने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

मैं 35 वर्षीय महिला हूं. मेरे चेहरे पर बहुत झांइयां हैं. मैं ने कई उपाय कर लिए पर कोई फायदा नहीं हुआ. कोई घरेलू उपाय बताएं जिस से मेरे चेहरे की झांइयां कम हो जाएं?

चेहरे पर झांइयां होने का कारण खानपान में पौष्टिक तत्त्वों की कमी के अलावा धूप में अधिक घूमना भी हो सकता है. आप अपने भोजन में आयरन की मात्रा अधिक से अधिक लें. हरी पत्तेदार सब्जियां भोजन में शामिल करें. इस के अलावा घरेलू उपाय के तौर पर सब को कद्दूकस कर के चेहरे पर लगाएं और फिर सूखने पर धो लें. अगर सेब न मिले तो केले का पैक भी चेहरे पर लगा सकती हैं. इस पैक को रोजाना चेहरे पर लगाएं. धीरेधीरे झांइयां हलकी पड़ जाएंगी.

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सर्दियों के आते ही ठंड को एन्जॉय करने के लिए लोग ऊनी कपड़ों का प्रयोग करना शुरू कर देते है, क्योंकि गरमा गरम खाना इस मौसम को और अधिक बेहतर बना देती है, लेकिन ठंड में चारो तरफ ठंडी हवाएं चलने की वजह से त्वचा रुखी और बेजान होने लगती है,ऐसे में अगर त्वचा की रूटीन देखभाल की जाय, तो पुरस्कार के रूप में चमकदार त्वचा और गुलाबी ग्लो चेहरे पर आ जाती है.

इस बारें में द एस्थेटिक क्लिनिक्स की कॉस्मेटिक डर्मेटोलोजिस्ट & डर्मेटो-सर्जन डॉ. रिंकी कपूर कहती है कि जाड़े के दिनों में दूसरे मौसम की अपेक्षा त्वचा का अधिक ध्यान देने की जरुरत है, क्योंकि इस समय ठंडी और सूखी हवाएं त्वचा से नमी को सोख लेती है. इससे स्किन ड्राईनेस, खुजली, परतदार स्किन आदि की संभावना रहती है, जिससे स्किन रफ, ड्राई और डिहाइड्रेटेड हो जाती है. कुछ सरल और आसान तरीके से स्किन की देखभाल की जा सकती है , जो निम्न है,

• अधिक हैवी या मोयस्चर युक्त क्रीम न चुने, क्योंकि इससे त्वचा के रोम छिद्र बंद हो सकते है, स्किन के लिए हाइड्रेटिंग प्रोडक्ट्स, जो त्वचा की नेचुरल आयल और नमी को बनाये रखने में सहायक हो, उसे लें. ठंड में मास्क, पील्स और अल्कोहल बेस्ड प्रोडक्ट्स खरीदने से बचें.

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• महंगे उत्पाद खरीदने के वजाय सही और वेटलेस हाइड्रेटिंग ब्रांडेड प्रोडक्ट्स ,जो एक लेयर्स में मिलें, उसे लें और ध्यान दें कि ये प्रोडक्ट त्वचा को जरुरत के अनुसार पोषक तत्व दे सकें और उसकी चमक को बिना किसी समस्या के बनाए रखें. इस सीरीज में क्लींज-टोन-सीरम-मोयास्चराइजर- सनस्क्रीन होनी चाहिए. लाइटवेट फार्मूला स्किन को मुलायम और बेजान होने से पूरे दिन बचाती है.

नाखून की साफ़-सफाई: कोविड के दौरान और बाद में नाख़ून की स्वच्छता का महत्व

केएआई इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री राजेश यू पांड्या द्वारा इनपुट

भले पूरी दुनिया कोरोनोवायरस महामारी के दंश से उबर रही है, लेकिन हमें फिर भी अपने सुरक्षा को कम नहीं करना चाहिए. घातक कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने हाथों की स्वच्छता के प्रति सतर्क रहना चाहिए. लेकिन क्या हम अपने नाखूनों की स्वच्छता पर पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं?  हमारे नाखून हमारे पूरे शरीर के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत होते हैं. कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने की संभावना गंदे नाखूनों से होती है. अपने नाखूनों की सफाई के प्रति साफ़-सफाई न होने से नाखूनों के नीचे  हानिकारक जीवाणुओं के पैदा होने का स्थान  बन जाता है. ये कीटाणु हमारे हाथों के जरिये मुंह से होते हुए हमारे शरीर के अंदर जाते हैं. चूँकि भारत में नंगे हाथ से खाना खाने की प्रथा है इसलिए नाखून की साफ़-सफाई रखना काफी महत्वपूर्ण है और इसके बिना हाथ की स्वच्छता अधूरी है.

बेहतर नाखून की साफ़-सफाई की आदत का पालन करने से  हमारे नाखून के स्वास्थ्य की उम्र  काफी लम्बी होती है. साफ़ सफाई की इन आदतों में यह शामिल होता है कि खाने के कण, गंदगी, धूल हमारे नाखूनों से चिपके न हो और नाखून के नीचे बैक्टीरिया का निर्माण न हो. शुक्र है नाखून की बेहतर स्वच्छता तथा सफाई बनाए रखना इतना मुश्किल नहीं है. थोड़ी सी लगन, जागरूकता और ध्यान हमारे नाखूनों को स्वस्थ रखने के लिए काफी है.

नाखून की साफ़-सफाई को नज़रअंदाज करने से वायरल इन्फेक्शन से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा

नाखूनों की साफ-सफाई के प्रति लगातार लापरवाही बरतने से बैक्टीरिया और वायरल इंफेक्शन जैसी कई गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं. अक्सर इनकी वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याए हमें घेर लेती हैं. जब तक हम नियमित रूप से हाथ धोने के अलावा अपने नाखूनों के नीचे के हिस्से को साफ नहीं करेंगे, तब तक हमारे हाथ की साफ़-सफाई पूरी नहीं मानी जायेगी. अधिकांश लोग दूसरों के साथ नेल क्लिपर शेयर करने से गुरेज नहीं करते हैं. हालांकि यह एक बेहद गन्दी आदत (अनहेल्दी प्रैक्टिस) है. जब हम अपने पर्सनल हाइजीन प्रोडक्ट्स (व्यक्तिगत स्वच्छता उत्पादों) को किसी से शेयर नहीं करते हैं तो हम अपने नेलकटर को क्यों शेयर करते हैं? इसलिए नेल क्लिपर को भी शेयर न करें, नाखून में प्रचुर मात्रा में कीटाणुओं, जीवाणुओं और वायरसों का जमाव हो सकता है जोकि नेलकटर शेयर करने की वजह से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा सकते हैं.

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नेलकटर को सूखा और साफ़ रखें

ऐसा करने से हमारे नाखूनों के नीचे बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन को बढ़ने से रोका जा सकता है. यह देखा गया है कि लंबे समय तक पानी के संपर्क में रहने से नाखून टूट सकते हैं. बर्तन धोते समय, सफाई करते समय या कठोर केमिकल का उपयोग करते समय हमेशा कॉटन-लाइनेड रबर दस्ताने पहनने की सलाह दी जाती है. बेहतर नाखून की साफ-सफाई की आदत का पालन करने के लिए हमें अपने नाखून देखभाल प्रोडक्ट के बारे में सावधान तथा सतर्क रहना चाहिए. ग्रिम रिमूवर के साथ एक तेज स्टेनलेस-स्टील नेल क्लिपर का उपयोग करें, जो नाखूनों के नीचे छिपे कीटाणुओं और जमी हुई मैल को हटा सके. नाखूनों को सीधा काटें, फिर इन्हें एक कोमल कर्व में गोल करें. नाखून काटने के बाद हमेशा हाथों और नाखूनों के नीचे साबुन और पानी से धोएं.

क्यूटिकल्स को बढ़ने से बचाने के लिए हाथों और नाखूनों को नम बनाये रखें. नेल पेंट रिमूवर, हैंड सैनिटाइज़र और हार्श साबुन का बार-बार इस्तेमाल करने से नाखूनों के साथ-साथ क्यूटिकल्स के सूखने का कारण बन सकते हैं. नाखून कम से कम रखें, उन्हें नियमित रूप से ट्रिम करें और कम से कम 20 सेकंड के लिए हाथ धोएं और फिर इसे मॉइस्चराइज़ करें, इससे  बीमारियों की संभावना को कम तथा किसी भी तरह के वायरस से बचा सकता है. केएआई इंडिया नेल क्लिपर में 100% स्टेनलेस स्टील, नेल फाइलर, ग्रिम रिमूवर, नेल ट्रे और नॉन-क्रोमियम कोटिंग जैसी अनूठी विशेषताएं होती हैं, जो उन्हें उचित नाखून स्वच्छता बनाए रखने के लिए सुरक्षित और सबसे प्रभावी बनाती हैं.

यहां कुछ और तरीके दिए गए हैं जिनके माध्यम से हम अपने नाखूनों की स्वच्छता बरकरार रख सकते हैं, और नाखूनों को डैमेज होने से बचा सकते हैं.

नाखून चबाने से बचें:

इससे नाखून के मामूली कट के रूप में नुकसान होने की क्षमता होती है, जिससे इन्फेक्शन हो सकता है . इसके अलावा जब हम अपने नाखून मुंह से काटते हैं, तो कीटाणु सीधे हमारे मुंह में शरीर में अंदर चले जाते हैं.

हैंगनेल के प्रति सतर्क रहें:

अपने लटकते हुए नाखूनों को कभी भी न हटाएं. बल्कि उनके प्रति सावधानी बरतें और उन्हें अच्छे से काटें . उन प्रोडक्ट का उपयोग करना बंद कर दें जो नाखूनों पर नकारात्मक असर डालते हैं. हमेशा एसीटोन मुक्त प्रोडक्ट ही खरीदें.

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नियमित रूप से नेल चेकअप करवाएं:

अगर आपको लगातार नाखून की समस्या है, तो जांच कराने के लिए डॉक्टर या त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें.

नेल क्लिपर शेयर न करें:

कोशिश करें कि अपने नेल क्लिपर को शेयर न करें, क्योंकि उनमें कीटाणु होते हैं. नेल क्लिपर को गुनगुने पानी से धोएं और इसके बाद पानी और एक मुलायम कपड़े से पोछें.

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