Hindi Drama Story: मुंबई की वर्सोबा मार्केट में सुबहसुबह काफी भीड़ रहती है. मौर्निंग वाक कर के लौटते हुए मानव कुमार और उन की पत्नी नताशा सब्जी खरीदने लगे. ताजाताजा सब्जी देख कर नताशा अपने को नहीं रोक पाई. टमाटरों के मोलभाव में व्यस्त थीं. मानव इधरउधर का नजारा देख रहे थे. सामने से एक लंबी सी लड़की को आते देखा. चेहरा जानापहचाना सा लग रहा था. दीपिका जैसी लग रही थी, मगर इस के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं. मिनी फ्रौक पहनी थी, मगर सिलवटें इतनी मानो यों ही उठ कर चली आई है. नजदीक आई तो उस के घुंघराले वालों ने पुष्टि की कि यह दीपिका ही है.
दीपिका रांची से आई है, बौलीवुड में स्ट्रगल कर रही है. मानव कुमार फिल्म डाइरैक्टर हैं. जब से फिल्मों का दौर बदला है, ओटीटी के लिए फिल्में बनने लगी हैं, उन में बोल्ड सीन और गालीगलौज ने मर्यादाओं की सारी सीमाएं लांघ डाली हैं. मानव ने ऐसी फिल्मों से अपनेआप को अलग कर लिया है. जाहिर है, मानव की आर्थिक स्थिति दिनबदिन खराब होने लग गई. पत्नी ने समझया भी कि आज का दौर ही ऐसा है, सभी कर ही रहे हैं, आप भी कर लीजिए न. मगर मानव टस से मस नहीं हुए.
उन का मानना था कि मन की गवाही के बिना, कला की ‘मुजस्सिमा’ का निर्माण कभी नहीं हो सकता है.’ मानव अपने इसी आदर्श पर डटे रहे. समाज का उत्थान नहीं कर सकते तो पतन में कदापि भागीदार नहीं बनना चाहिए. नताशा सब्जी चुनने में व्यस्त थीं. मानव भी मदद करने लगे.
वे दीपिका से नहीं मिलना चाहते थे. जब दीपिका उन के पीछे से कास कर के आगे बढ़ गई तो मानव ने चैन की सांस ली. 2 कारणों से वे दीपिका से नहीं मिलना चाह रहे थे. एक तो वे अपने से आधी उम्र की इस मौडर्न कपड़ों वाली लड़की से बातें करेंगे तो लोगों की नजरें बारबार उन पर उठेंगी और दूसरा कि साथ में पत्नी थीं. वैसे तो ये बहुत ही ‘ब्रौडमाइंडेड’ औरत हैं, मगर कहीं न कहीं शक की गुंजाइश तो मन में पैदा हो ही जाएगी. पति जवान हो या बूढ़ा, पत्नी उस के प्रति प्रोजेसिच होती ही है. मानव भी तो 50 के हो ही चले थे.
तो क्या, व्यक्ति तो आकर्षक है ही. ‘‘सर जी…’’ अचानक पीछे से आवाज आई तो मानव और नताशा दोनों चौक कर पीछे मुड़े. ‘‘पहचाना सर, आप ने… मैं दीपिका… आप से जमशेदपुर में मिली थी… वह शूटिंग में.’’ ‘‘हां… हां… कैसी हो… मीट माई वाइफ नताशा,’’ बड़ी मुश्किल से पहचान पाने का नाटक करते हुए मानव ने कहा. ‘‘कैसी हो? ठीक हो न?’’ ‘‘हैलो मैडम…’’ दीपिका ने सहजता से कहा. ‘‘ठीक हूं सर, स्ट्रगल कर रही हूं. 1-2 सीन के किरदार मिल जाते हैं. 2 हजार रुपए पर डे मिल जाते हैं, उन में से 1 तो वे कास्टिंग वाले रख लेते हैं. किसी तरह लाइफ खींच रही हूं.
मैं 4 महीनों में ही इतना जान गई हूं कि यह लाइन नौट मेड फौर मी,’’ मुंह बनाते हुए दीपिका ने कहा. मानव का मन चाह रहा था किसी तरह दीपिका की मदद कर दें. वे चाहते थे कि वह उन की पूरी कहानी सुने और कुछ उपयोगी टिप्स दे, मगर यह भी जानते थे कि अनायास ही नताशा की भृकुटियां तन जाएंगी कि मैं उस के लिए इतना जिज्ञासु क्यों हो रहा हूं और प्रश्नों की भरमार हो जाएगी. सच कहा जाता है पुरुष सुलभ मन बड़ा ही लोभी होता है, बारबार मन करता, उस का मोबाइल नंबर मांग लिया जाए. मगर पत्नी थीं. खामोश रहे. नताशा सब्जी ले चुकी थीं.
उन्होंने इशारा किया कि अब चलना चाहिए. दीपिका कुछ कहना चाह रही थी. सीधे पौइंट पर आई, ‘‘सर, मुझे कुछ पैसे दे सकते हैं? सर सौ रुपए.’’ ‘‘रुपए…’’ मानव की कशमकश साफ झलक रही थी. ‘‘सर, कल से कुछ खाया नहीं है. भूख लगी है… वह सिगनल के पास बड़ा पाउ बनाता है, वही खा लूंगी.’’ ‘‘हां… हां…’’ नताशा ने अपना निर्णय सुना दिया, ‘‘दे दीजिए न…’’ धीरे से कहा. ‘‘ठीक है…’’ मानव ने अपने कुरते की जेब में हाथ डाला और तभी उन के दिमाग में एक आइडिया कौंधा. उन्होंने पौकेट से रुपए निकालने की जगह अपना मोबाइल निकाला, ‘‘ठीक है… अपना ‘जीपे’ नंबर दे दो. भेज दूंगा. आजकल कैश कहां कोई रखता है. तुम जब तक सिगनल पहुंचोगी पैसा तुम्हें मिल जाएंगे.’’ ‘‘थैंक्स सर… मेरे पास आप का नंबर है, उसी पर मैं आप को ‘रिक्वैस्ट’ भेज देती हूं. थैंक्स सर, बाय मैम…’’ और वह चली गई.
नताशा की आंखों में उभरे प्रश्नों का अंबार भांप कर मानव ने रुख क्लीयर किया कि कैश इसलिए नहीं दिया कि लोग देखेंगे तो तरहतरह की बातें करेंगे जो उन के लिए अच्छा नहीं था. मानव ने बताया कि जमशेदपुर में जिस शूटिंग में गए थे, वहीं यह मिली थी. ये फिल्मों में काम करना चाहती थी, मानव का एक असिस्टैंड डाइरैक्टर विकास बड़ा शातिर है, अपनी बातों के जाल में फंसा लिया.
हीरोइन बनाने का पूर्ण आश्वासन दे कर मुंबई ले आया. गौतम, जो दीपिका का बचपन का दोस्त था ने मना किया, पर नहीं मानी. हीरोइन बनने के सपने में अंधी हो कर दीपिका अपनी मां के गहनों की पोटली चुपके से उठा कर विकास के पास मुंबई आ पहुंची. उस के बाद मुझे कुछ पता नहीं. विकास का भी कोई अतापता नहीं था. आज काफी अरसे बाद मिली है. अगले ही दिन मानव की पुरुष सुलभ उत्सुकता ने उसे फोन घुमाने पर विवश कर दिया. उस के बाद मानव और दीपिका अकसर मिलने लगे. इन्हीं मुलकातों के दौरान दीपिका ने अपनी पूरी कहानी सुना दी. सचमुच करुण कहानी है. दीपिका जब मुंबई आई थी अपने वादे के अनुसार एडी विकास कुमार दादर स्टेशन पर प्रतीक्षा करता मिला. दौड़ कर हग किया, दीपिका के हाथों से बैग ले लिया.
टैक्सी की और अंधेरी के होटल ‘मिड टाउन डी लक्स’ पहुंचा. सजासजाया कमरा, मिठाई के डब्बे के साथ एक फूलों का वुके भी था, जिस में लिखा था, ‘दीपिका वैलकप टू बौलीवुड.’ दीपिका की खुशियों का ठिकाना नहीं था. वह मन ही मन आकाश में उड़ने लगी. उस का हीरोइन बनने का सपना उसे पूरा होता साफ नजर आ रहा था. विकास और उस के 2 दोस्त दीपिका को ऊंचेऊंचे सपने दिखा रहे थे. मगर हुआ वही जो होता आया है. दीपिका के साथ भी वही हुआ. धोखा जो हर ‘स्ट्रगलर’ के साथ होता आया है. रात में कोल्डड्रिंक में नशे की गोली मिला दी और रात में वही गलती जो किसी भी औरत के लिए मौत से भी बदतर हुआ करती है. तीनों वही करने की योजना बना चुके थे.
सुबह दीपिका को जब होश आया उस का सबकुछ लुट चुका था. सूटकेस पर नजर पड़ी तो वह खुला था. उस में रखे सारे पैसे गायब थे. दीपिका के पैरों तले की जमीन खिसक गई. अंगूठी, गले की सोने की चेन सभी गायब थे. मां की अलमारी से चुराए गहने सब गायब हो चुके थे. दीपिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था. पहले तो खूब रोई फिर शांत हुई, तो पंखे से लटक कर खुदकुशी करनी चाही, मगर हिम्मत नहीं हुई. तीसरी मंजिल से कूदना चाहा, पर साहस नहीं जुटा पाई… न तो जीना चाहती थी, न मर ही पा रही थी. शाम होतेहोते जब दीपिका का मन थोड़ा शांत हुआ तो जमशेदपुर में गौतम को फोन लगाया गौतम को दीपिका के लिए शुरू से ‘क्रश’ था. मगर दीपिका उसे हमेशा इग्नोर करती रहती थी.
फोन मिलते ही गौतम रांची भागा और पहली फ्लाइट पकड़ कर सीधा मुंबई पहुंच गया. गौतम को देख कर दीपिका ने लौटने को कहा, मगर दीपिका किस मुंह से वापस जा सकती थी, मां के गहने चोरी कर के, बिना किसी को बताए चली आई था. किस मुंह से मां, पापा को फेस करेगी. गौतम जानता था, दीपिका को मनाना नामुमकिन है. अंतत: गौतम ने अपने हथियार डाल दिए और दीपिका के सैटल होने के बारे में सोचना शुरू कर दिया. गौतम के एक दोस्त का कजन रहमान अली मुंबई में डांस डाइरैक्टर था. फोन नंबर ले कर उस से बात की और संयोग से उसी के यहां पीजी मिल गया.
होटल की पेमैंट कर के, कुछ रुपए दीपिका के हाथ में दे कर गौतम वापस रांची लौट गया. एक ही दिन की छुट्टी मिली थी. दीपिका रहमान अली के यहां पीजी बन कर रहने लगी. वहीं से स्ट्रगल करना शुरू कर दी. ‘मेरी छोटी बहना’ की हमेशा रट लगाने वाले रहमान भाई की नजर इतनी गंदी थी कि उस के स्पर्श मात्र से ही घिन आ जाती थी. वह तो उस की बीवी शहनाज भाभी इतनी दबंग थीं कि रहमान भाई दीपिका से दूर ही रहता था. दीपिका घर में शहनाज भाभी के आसपास ही रहना चाहती थी. सेफ फील करती.
4 महीने तो दीपिका ने संभाल लिया, मगर अब शहनाज भाभी की मैटरनिटी लीव खत्म हो रही है और सोमवार से वह अपनी ड्यूटी जौइन करने वाली है और वह भी नाइट शिफ्ट है. शहनाज ने जब दीपिका को बताया तो वह कांप उठी. 2 दिन तो वह, आउट डोर शूटिंग का बहाना कर के स्टेशन पर रात बिताई. मगर कब तक ऐसा चल सकता था. एक सहेली के यहां एक लड़की की जरूरत भी थी, मगर वहां डिपौजिट के रूप में 10 हजार देने पड़ते. गौतम से मांगना नहीं चाहती थी. ‘‘तुम्हारे पास कितने हैं?’’ मानव ने पूरी कहानी सुन कर पूछा. ‘‘2 हजार हैं सर, क्राइम पैट्रोल का चैक आज ही आया है.’’
अगले ही मिनट मानव ने उसे 8 हजार जीपे कर दिया. दीपिका की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई. दौड़ीदौड़ी रहमान के घर जा पहुंची और अपना जरूरी सामान बैग में भर कर आउट डोर शूटिंग का बहाना कर के रहमान को हमेशाहमेशा के लिए अलविदा कह के चली आई. वहां दिए हुए डिपौजिट की भी चिंता नहीं की. अपनी सहेली के घर आ कर 10 हजार पकड़ाए और अपने बैड पर लेट गई. उसे लग रहा था सारी दुनिया जीत ली है. रहमान की गंदी छुअन और 24 घंटों के उस डर के माहौल से बाहर आ गई. लगा एक आजाद परिंदे की तरह आकाश में उड़ रही है. दीपिका ने फिल्मों के औफिसों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. छोटेछोटे, 1-2 सीन के रोल मिलने लगे. थोड़े पैसे भी मिल जाते. कहीं काम मिलता तो कहीं पर अनुभव.
एक दिन दीपिका एक धार्मिक सीरियल ‘जय श्री गणेश’ में छोटा किरदार के लिए फोन आया. हीरोइन की सहेली का किरदार था, 10 हजार पर डे की राशि सुन कर दीपिका ने लपक लिया. शूटिंग के दिन समय से सैट पर पहुंच कर, मेकअप करवा कर रैडी बैठी थी. हीरोइन का नामोनिशान नहीं था. पूरी यूनिट रैडी बैठी थी. बारबार हीरोइन को फोन करने पर भी कोई फोन नहीं उठा रहा था. 2 घंटे बीत गए तो उस का फोन आया. मैनेजर ने पैसे बढ़ाने को कहा. प्रोड्यूसर के लिए संभव ही नहीं था.
मानमन्नौअल के बाद भी जब हीरोइन नहीं मानी तो प्रोड्यूसर सिर पकड़ कर बैठ गया. एक दिन का पूरा पैसा उसे बरबाद होता नजर आ रहा था. लाखों का नुकसान. तभी एक असिस्टैंड डाइरैक्टर दौड़ा हुआ प्रोड्यूसर के पास आया और धीरे से कहा, ‘‘सर… एक बात कहूं…’’ प्रोड्यूसर ने उस की ओर देखा तो उस की हिम्मत बढ़ी, ‘‘सर, ये दीपिका है न, वह जो वहां बैठी है. बहुत अच्छी ऐक्ट्रैस है. मैं ने ‘क्राइम पैट्रोल’ के एक ऐपिसोड में उसे देखा है,’’ थोड़ा रुक कर फिर बोला. ‘‘सर… और सर यह उसी रेट में मान भी जाएगी, सर…’’ प्रोड्यूसर की नजरें दीपिका पर टिकी हुई थीं. दूर से वह लगातार दीपिका को एकटक देखता जा रहा था और पार्वती के रूप में कल्पना कर रहा था, उसे वह पावर्ती के रूप में एकदम जंच रही थी. प्रोड्यूसर ने मन ही मन तय कर लिया कि दीपिका ही हीरोइन बनेगी. समय की पाबंद है और अपने वजट में भी है. यही दीपिका कीजिंदगी का पहला खूबसूरत मोड था. टीवी सीरियल ‘जय श्री गणेश’ सुपर हिट हो गया. लोगों ने सीरियल और दीपिका के अभिनय दोनों को खूब पसंद किया, खूब तारीफ बटोरी. टीआरपी हर सप्ताह छलांग लगाती जा रही थी. प्रोड्यूसर के पास पैसे बरसने लगे. दीपिका के पास धार्मिक सीरियल के औफर आने लगे. जल्द ही वह धार्मिक सीरियल की सुपर स्टार बन गई. कुदरत जब देती है तो छप्पर फाड़ कर देती है. दीपिका पर दोनों हाथों से आशीर्वाद बरसा रहा था.
दीपिका के समय ने ऐसी करवट ली कि फिर उस ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. दीपिका अपनी सुघड़ अभिनय क्षमता, विनम्रता और वक्त का सम्मान कर के जल्द ही टौप पर पहुंच गई. उस दिन तो मानो चमत्मकार ही हो गया, जब एक बड़े बैनर की तरफ से दीपिका को औफर आया, फिल्म ‘नया संसार’ के मेन लीड के लिए. 25 लाख साइनिंग अमाउंट देख दीपिका को यकीन नहीं हो रहा था. सैकड़ों दफा अपनेआप को चुटकी काटी कहीं कोई सपना तो नहीं देख रही है. फिर बैग उठा सीधे मानव के घर जा पहुंची. मानव सर को देखते ही वह दौड़ कर उन से लिपट गई.
नताशा के भी गले लगी और अपना पैसों से भरा बैग देते हुए कहा, ‘‘सर, आज मैं ने नीलकंठ प्रोडक्शन की फिल्म साइन की है, हिंदी फिल्म है, बड़े बजट की फिल्म है. यह 25 लाख मुझे साइनिंग अमाउंट भी मिला है. यह लीजिए मेरी पहली बड़ी फिल्म का साइनिंग अमाउंट सर, आप के लिए. प्लीज न मत बोलिएगा. प्लीज.’’ ‘‘अरे… यह तुम्हारी पहली फिल्म की पहली राशि है, तुम्हारे लिए है, न? इसे तुम्हें ही रखना होगा.’’ ‘‘नहीं सर. आप ने मेरे लिए कितना कुछ किया है, सर, आज मैं जो कुछ भी हूं, सब आप की वजह से ही तो हूं. आप ने अभी तक कुछ भी नहीं लिया है सर. आप को लेना ही होगा. ‘‘यह क्या बात हुई. ये 25 लाख हैं. मान जाओ.’’ ‘‘नहीं सर… मैं ने कहा न… अब आप इनकार नहीं कर सकते… लीजिए.’’ ‘‘ठीक है, तुम से भला बहस कर के कौन जीत सकता है…’’ मानव ने बैग उठा लिया तो दीपिका बच्चों की तरह उछलउछल कर तालियां बजाने लग गई. नताशा भी हैरान थीं, मानव ऐसे तो नहीं थे. नताशा की ओर देख कर बोले., ‘‘अरे, देखो न, इस ने दे दिए तो मैं क्या करता.’’ दीपिका उल्लासित थी, मगर नताशा कुछ भी नहीं समझ पा रही थीं. तभी मानव ने एक बम फोड़ दिया, ‘‘मैं ने तुम्हारी बात मान ली, अब खुश हो न…’’ ‘‘बहुत खुश सरजी,’’ दीपिका ने कहा. ‘‘अब यह बैग लो… अब तुम्हें मेरी बता माननी होगी,’’ मानव ने कहा तो दीपिका भौचक्क रह गई.
‘‘नहीं सर… नो यह चीटिंग है,’’ ठुनकती हुई दीपिका मुंह फुला कर कोने में जा बैठी. ‘‘तुम्हारे मानव सर ऐसे ही हैं. आओ मैं ने गरमगरम पकौडि़यां बनाई हैं. आओ… कौफी भी बना ली है. बारिश की रिमझिम में पकोडि़यां और गरम कौफी का मजा ही कुछ और होता है.’’ कौफी का सिप लेते हुए मानव ने कहा, ‘‘अब तुम्हें अपना नया नाम रखना होगा क्योंकि एक दीपिका आलरैडी बौलीवुड में है.’’ ‘‘हां… हां. दीपिका, इन्होंने भी अपना नाम मानव कुमार रख लिया था क्योंकि राकेश पहले से ही बौलीवुड से था.’’ ‘‘सर, आप ही कोई अच्छा सा नाम दीजिए न,’’ दीपिका ने कहा. तब मानव कागजपैन ले कर कैलकुलेशन करने लग गए, ‘‘5 अगस्त है न तुम्हारी जन्मतिथि?’’ ‘‘जी सर, आप को याद है?’’ दीपिका चौंक गई. ‘‘तुम्हारे अर्थ के हिसाब से ‘अ’ अक्षर आता है… अ से कोई नाम?’’ मानव ने कहा. ‘‘सर आप ही बताइए न?’’ दीपिका बोली.
‘‘अ से अनामिका.’’ उसी दिन से दीपिका ‘अनामिका’ बन गई. कौन सी पत्रिका या पत्र होगा, जिस में अनामिका की तसवीर या न्यूज न छपती. टीवी, यूट्यूब, सोशल मीडिया, हर जगह अनामिका की ही चर्चा होती रहती. तरहतरह की गौसिप और स्कैंडल भी अनामिका के बारे में सुनने को मिलते. शहर के मशहूर उद्योगपति केशव के युवा बेटे रोहित के साथ अनामिका के अफेयर के चर्चे अकसर हैडलाइन में छपने लगे. अनामिका का नाम आज टौप के 3 सुपर स्टार्स में गिना जाता है. अनामिका को जब भी वक्त मिलता मानव सर के पास आ धमकती. एक दिन अनामिका मानव के घर आई. सोफे पर पांव चढ़ा कर बैठ गई और नताशा से बोली, ‘‘मैमजी, मुझे आप के हाथ की बनी सेवइयां खानी हैं. खिलाइए न मैम.’’ नताशा मुसकरा कर श्योर बोलीं और रसोई में घुस गईं.
उस दिन बातोंबातों में ही नताशा ने पूछ लिया, ‘‘रोहित के साथ आर यू सीरियस?’’ ‘‘प्लीज मैम…’’ मुंह बनाते हुए अनामिका बोली. ‘‘अरे, मैगजीन में पढ़ा है कि तुम दोनों शादी करने जा रहे हो.’’ ‘‘अरे ये मैगजीन वाले एकदम पागल हैं, कुछ भी…’’ ‘‘उस में तो छपा है कि तुम उस के प्राइवेट जैट में घूमती है?’’ ‘‘उफ… मैम… एक बार, बस एक बार मम्मी की तबीयत सीरियस थी और उधर मेरी शूटिंग ‘डेनाइट’ चल रही थी तो रोहित ने अपना जैट दिया था, मैं शूटिंग कर के शाम को रांची गई थी, वहां से जमशेदपुर बाई रोड गई. मम्मी से मिल कर सुबह मुंबई आ गई थी. बस इसी बात का मीडिया बालों ने बतगंड़ बना दिया. मैम, स्टार बनने की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी न.
शादी और रोहित से… नो… नो,’’ अनामिका ने मुंह बिचका कर कहा. नताशा बोलीं, ‘‘क्यों, रोहित युवा है, स्मार्ट है. करोड़पति नहीं बल्कि अरबपति है, खूबसूरत है,’’ नताशा ने सफाई दी. ‘‘मैम… अपने जीवनसाथी के लिए जो एक काल्पनिक इमेज है मेरे मन में उस में रोहित बिलकुल फिट नहीं बैठता,’’ अनामिका ने अपनी बात साफ कर दी. नताशा बोलीं, ‘‘अच्छा तो वह जमशेदपुर वाला, क्या नाम है उस का… गौतम है न?’’ ‘‘नो मैम… वह मेरा बैस्ट फ्रैंड है, बस, बैस्ट फ्रैंड,’’ अनामिका बोली. ‘‘अरे बाबा तो शादी के लिए तुम्हें कैसा पति चाहिए?’’ ‘‘मैम… वह…’’ अनामिका कुछ बोलना चाह रही थी. फिर मानव को देखा तो उस के शब्द उस के होंठों में ही उलझ कर रह गए. ‘‘पागल छोकरी… दिमाग खराब हो गया है इस का,’’ मानव बड़बडा़या. मानव के होंठों से निकले हर शब्द से खिन्नता झलक रही थी. ‘‘ठीक कह रहे हैं आप…’’ नताशा ने भी हां में हां मिलाई. ‘‘इतने अच्छेअच्छे औफर्स ठुकरा रही हो बेटा?’’ अनामिका के कंधे पर प्यार से हाथ रखती हुई नताशा बोली. ‘‘मैम… जीवनसाथी का मतलब सिर्फ पति नहीं होता है.
एक प्रेमी भी जो गुदगुदाए… एक दोस्त की तरह जो पारदर्शी हो. पिता की तरह प्रोटैक्ट भी करे और एक भाई की तरह हमेशा साथ खड़ा मिले. ‘आदर्श’ हो, ‘आइडल’ हो. ऐसा इंसान, जिस की आंखों से सम्मान छलकता हो, उस के माथे पर ईमानदारी का झिलमिलाता मुकुट चमकता हो, ऐसा इंसान मैम… ऐसी ‘पर्सनैलिटी’, जिसे बस निहारते रहने का मन करता हो. मगर…’’ ‘‘मगर क्या?’’ अनामिका की बात को बीच में ही काट कर नताशा बोलीं, ‘‘ऐसे इंसान तो सिर्फ किताबों के पन्नों या फिल्मों में ही दिखाई पड़ते हैं. फिर भी अगर तुम्हारी नजर में ऐसा कोई इंसान मिल जाए तो मुझे बताना, मैं चल कर उस से तेरा ब्याह करवा दूंगी, मेरी बच्ची.’’ ‘‘नहीं मैम, रीयल लाइफ में भी ऐसे इंसान होते हैं,’’ अनामिका बोली, ‘‘मैं जो चाहती हूं वह न मिले तो मैं वैसे ही रह लूंगी.’’
अनामिका के शब्द वेदना में गुंथे हुए थे और क्रोध से ओतप्रोत थे, जो अश्क बन कर आंखों के रास्ते बह जाना चाहते थे. अनामिका ने तिरछी नजर से मानव को देखा और फिर पर्स उठा कर पैर पटकती चली गई. नताशा कुछ भी समझ नहीं पा रही थीं. अनामिका तो चली गई, मगर मानव और नताशा बैठ कर घंटों शून्य, आकाश में इस का उत्तर तलाशते रहे. अंतत: मानव ने ही मौन तोड़ा, ‘‘पागल है यह छोकरी. दिमाग खराब हो गया है इस का….’’ नताशा शून्य में ताकती जा रही थी, मौन थीं.
अचानक उन की सिक्स्थ सैंस ने दस्तक दी, उन की आंखों में चमक आ गई. आंखों के सामने कई दृश्य किसी फिल्म के सीन की तरह आतेजाते रहे, वे उठ खड़ी हुईं. वे अनामिका की कई बातों को बातों से मिलाने लगीं. नताशा आ कर मानव की बगल में बैठ गईं. उन का चेहरा अपने दोनों हाथों के बीच ले कर गौर से, प्यार से निहारने लगीं. नताशा सोचने लगीं कि सच ही तो बोल रही थी अनामिका. कुदरत ने आजकल ऐसे सच्चे पीस बनाना बंद कर दिए हैं. मानव… मानव तुम कितने अच्छे हो, कितनी लड़कियों के आइडल हो. गौर से देखती रहीं वे मानवजी को. न
ताशा आगे सोचने लगी कि सच ही तो है, मानव ने उसे पगपग पर मदद की, वह भी निस्स्वार्थ भाव से. हमेशा महिलाओं को सम्मान दिया है. फिर चाहे स्ट्रगल हो या सैलिब्रिटी और हां, खुद गुरबत से रहते हुए भी 25 लाख से भरा बैग बिना कुछ सोचे लौटा दिया. अनामिका का शादी का प्रपोजल भी बड़ी विनम्रता से मानव ने लौटा दिया था. वह तो उस के लिए भी तैयार थी कि धर्म बदल कर धर्मेंद्र और हेमामालिनी की तरह शादी रचा ले, मगर मानव ने मुसकरा कर इनकार कर दिया था और कैसी होती है आइडल छवि और कैसा होता है आदर्श व्यक्तित्व. इतनी सारी खूबियां इंसान में कहां, देवपुरुषों में ही पाई जाती है और मैं रही मूर्ख की मूर्ख. घर की मुरगी दाल बराबर.
नताशा अपनी तिरछी नजरों से मानव को देखती जा रही थीं और मुसकरा रही थीं. ‘‘यार, आप तो इस 60+ में भी डिमांड में हैं,’’ मानव के लिए नताशा के दिल में इज्जत और बढ़ गई. 10 साल बीत गए. अनामिका ने नया बंगला खरीद लिया. हौल की पूरी अलमारी ट्रौफियों और शील्ड्स से भर गई थी. इधर मानव अपने घर में गरीबी के दिन गुजार रहे थे. मानव जान गए थे कि अनामिका उन से प्रेम करनेलगी है. वह अपने मन में मानव को बसा कर मन द्वारा की कुंडी बंद कर दी है.
प्यार न तो धर्म देखता है, न उम्र की चिंता करता है… बस भावनाओं के राडार में किसी के कुछ गुण पसंद आ जाने चाहिए. मन पर से अपना अंकुश खो देता है और प्रेम की डोर उसे अपने बाहूपाश से बांध लेती है. मानव भी अनामिका के इस सत्य से अवगत हो चुके थे. वे चाहते थे कि अनामिका अपने काम में ध्यान दे और किसी अच्छे लड़के के साथ शादी कर के अपना घर बसा ले. यही कारण था कि मानव अनामिका को अपने घर आनेजाने को मना कर चुके थे. अपने गानों की रौयल्टी से मिले पैसों से मियांवीबी का किसी तरह गुजारा हो रहा था. अनामिका स्टार बन चुकी थी. कईर् शहरों में उस ने मकान खरीद लिए थे.
आज अनामिका के पास मकान तो कई थे, मगर घर… जो उस का अपना था वह मानव का था जहां वह नताशा के बुलाने पर बिना गाड़ी के औटो में आती और पूरा दिन घर में रह कर तृप्त हो कर जाती. उस का यह घर अच्छेअच्छे फिल्मी पत्रकारों को भी नहीं मालूम था.