दो युवतियां: भाग 2- क्या हुआ था प्रतिभा के साथ

प्रतिमा नाम है उस का. वह बहुत खूबसूरत तो नहीं है. पहली नजर में कोई युवक उसे पसंद नहीं करेगा, लेकिन बारबार देखने और मिलने से कोई न कोई उस की तरफ आकर्षित हो सकता है. मैं ने उसे आधुनिक ढंग से सजनेसंवरने और कपड़े पहनने के कुछ टिप्स दिए, जिस से अब वह कुछ सुंदर दिखने लगी है. किसी न किसी दिन कोई युवक उस की तरफ अवश्य आकर्षित होगा. प्रतिमा भोली है. मुझे बस एक ही डर लगता है कि यदि वह किसी युवक के प्यार में गिरफ्तार हो गई तो कहीं वासना के दलदल में न फंस जाए.

आजकल के युवक प्यार के बदले सीधे शरीर मांगते हैं. अब पुराने जमाने की तरह महीनों चोरीचोरी देखना, फिर पत्र लिख कर अपनी भावनाओं को एकदूसरे तक पहुंचाना, उस के बाद मिलने के लिए तड़पना… और सालों बाद जब मुलाकात होती थी, तो पकड़े जाने के डर से कुछ कर भी नहीं पाते थे और आज तो प्यार हो चाहे न हो, शरीर का मिलन तुरंत हो जाता है. फिर कुछ दिन बाद एकदूसरे से अलग भी हो जाते हैं, जैसे यात्रा में 2 व्यक्ति अचानक मिले हों और कुछ पल साथ बिता कर अपने गंतव्य पर जुदा हो कर चल दिए हों. आजकल प्यार नहीं होता, लेनदेन होता है… शरीर और महंगे उपहारों का आदानप्रदान होता है.

मैं यह नहीं कहती कि प्रतिमा दोस्ती और प्यार में फर्क करना नहीं जानती. वह युवा है. कसबे से शहर आई है. ग्रैजुएशन कर रही है. प्यार से तो अनभिज्ञ नहीं होगी, क्योंकि प्यार के खेल तो हर जगह होते हैं. गांव, गली और शहर… सब जगह. कौन इस से अछूता है. क्या पता प्रतिमा भी किसी न किसी को प्यार करती हो. हालांकि उस के हावभाव से लगता नहीं है.

कसबाई युवती…

मेरे हावभाव से किसी को मेरे स्वभाव का जल्दी पता नहीं चलता. मैं बहुत संकोची और शर्मीली हूं. संभवत: कसबाई संस्कृति और संस्कारों ने मेरे अंदर एक स्वाभाविक संकोच भर दिया है. अब मैं 18 वर्ष की आयु में शहर पढ़ने के लिए आई हूं, तो स्वाभाविक तौर पर मुझे अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना होगा.

मैं होस्टल में रहती हूं, जहां एक से एक बदमाश, शैतान और चालू युवतियां रहती हैं. उन सब ने मुझे कितना परेशान किया, कमरे में बंद कर के नंगा नाच करवाया, गाना गवाया और बहुत से ऐसे कृत्य करवाए, जिन का मैं यहां वर्णन नहीं कर सकती. ये सब करवाने के पीछे उन युवतियों का क्या मकसद था, यह आज तक मेरी समझ में नहीं आया. यदाकदा अब भी सीनियर युवतियां मुझ से वैसा ही दुर्व्यवहार करती रहती हैं, लेकिन मैं न तो उन के जैसी बदमाश और चालू बन सकी, न उन में से किसी के साथ मेरी दोस्ती हो सकी.

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मेरी दोस्ती है तो प्रियांशी से, जो मेरी होस्टलमेट नहीं, क्लासमेट है. हम दोनों कक्षा में साथसाथ बैठती हैं और कक्षा के बाहर लाइब्रेरी से ले कर कैंटीन तक साथ रहती हैं. हम दोनों में बहुत सी बातें होती हैं, लेकिन हम दोनों का स्वभाव बिलकुल अलग है. वह खुले विचारों की आधुनिका है, तो मैं संकोची और संस्कारवान रूढि़वादी युवती, लेकिन मैं रूढि़वादी संस्कारों के बंधन में घुटन महसूस कर रही हूं. मैं शहर में आ कर अपने बंधन तोड़ देना चाहती हूं, पंख फैला कर खुले आसमान में उड़ना चाहती हूं.

मैं खुल कर किसी से बातें नहीं कर पाती. युवकों के सामने पड़ते ही मेरे संस्कार मेरे पैरों को जकड़ लेते हैं, हाथों को बांध देते हैं और जबान पर ताला लगा देते हैं. मैं किसी युवक से अपने मन की बात कह नहीं पाती. लेकिन अगर मैं किसी तरह साहस कर के कुछ कहना चाहूं तो कहूं किस से? कोई युवक मेरी तरफ निगाह उठा कर भी नहीं देखता.

सचाई तो यह है कि हर युवक आवारा भंवरे की तरह सुगंधित और सुंदर फूल का रस चूसने के लिए लालायित ही नहीं बेचैन भी रहता है. वह एक सौंदर्यहीन, असुगंधित जंगली फूल की तरफ कभी आकर्षित नहीं होता. मैं अकसर हीनभावना से ग्रस्त हो जाती हूं. प्रियांशी मेरी घनिष्ठ सहेली है, लेकिन उस के साथ रहते हुए मुझे हीनभावना का एहसास होता है और मैं उस के सौंदर्य से ईर्ष्या करने लगती हूं. वह असीम सौंदर्य की धनी है, शायद मेरे हिस्से का सौंदर्य भी उस के ही खाते में चला गया.

वह इतनी सुंदर और मैं सौंदर्यहीन, दबे हुए रंग की युवती. हालांकि शारीरिक सौष्ठव और अंगों की पुष्टता के मामले में मैं उस से किसी तरह कमतर नहीं हूं, लेकिन युवती की सुंदरता का मापदंड उस का चेहरा होता है, उस का दमकता हुआ माथा, बड़ीबड़ी काली आंखें, सुंदर लंबी नाक, कश्मीरी सेब की तरह गाल, भरे हुए संतरे की फांक जैसे गुलाबी होंठ और लंबी गरदन, यह एक युवती की सुंदरता के मापदंड होते हैं. इन में मैं प्रियांशी के सामने कहीं नहीं ठहरती.

कालेज का हर युवक प्रियांशी की तरफ आकर्षित है, उस के साथ दोस्ती करना चाहता है. दोस्ती क्या, दोस्ती की आड़ में प्यार का नाटक कर के उस को हासिल करने का प्रयास करता है, लेकिन प्रियांशी उन के साथ केवल दोस्ती करती है. मेरे सामने तो वैसे ही दिखाती है, अकेले में मिल कर कैसी बातें करती है, मुझे नहीं पता.

प्रियांशी की दोस्ती कालेज के कई युवकों से है. मैं भी चाहती हूं कि मेरा कोई दोस्त बने. प्रियांशी के कहने पर मैं ने अपने गैटअप में कई परिवर्तन किए और अब मैं पहले से ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हूं. फिर भी कोई युवक मेरी तरफ मुंह उठा कर नहीं देखता. इस का प्रमुख कारण है, प्रियांशी. मैं हर वक्त उस के साथ रहती हूं. उस के सामने मुझे कौन देखेगा, कौन चाहेगा. उस के सुंदर व्यक्तित्व के सामने मेरा थोड़ा सा सौंदर्य बुझे हुए चिराग जैसा हो जाता है.

मुझे अपनी अलग पहचान बनानी होगी. यदि मुझे नए जमाने के साथ चलना है, तो मुझे खुद ही कुछ करना होगा. प्रियांशी के साथ रहते हुए कोई युवक मेरा दोस्त नहीं बनने वाला. मुझे उस से कट कर अकेले रहना होगा. जब मैं अकेली रहूंगी तभी कोई युवक मुझ से बात करने का प्रयास करेगा, तभी मैं उसे अपनी बातों और नयनों के तीर से घायल कर पाऊंगी. फिर मैं उस के घायल दिल पर अपने प्यार का मरहम लगा कर उसे वश में कर लूंगी.

लेकिन मैं किस युवक को अपने वश में करूं, क्योंकि कक्षा के अधिकांश युवक तो प्रियांशी को ही चाहते हैं. मेरी तरफ कोई भूल कर भी नहीं देखता. कैंपस के दूसरे युवक भी किसी न किसी युवती के साथ अटैच्ड हैं. मैं किस को अपनी तरफ आकर्षित करूं?

मैं यह सोच कर परेशान हो जाती हूं, एक अजीब बेचैनी मेरे अंदर घर करती जा रही है. मैं जवान हूं, लेकिन कोई भी युवक मेरा दोस्त नहीं है. सभी युवतियों के दोस्त हैं, बौयफ्रैंड हैं, प्रेमी हैं और एक मैं हूं, जिस की कोई जानपहचान तक किसी युवक से नहीं है. मेरी जैसी युवतियां आज बैकवर्ड मानी जाती हैं.

एक प्रियांशी ही मुझ से दोस्ती का रिश्ता कायम किए हुए है, लेकिन कब तक? जब उस का मन किसी युवक से अकेले में बात करने का होगा, तो वह भी मुझ से किनारा कर लेगी? तब क्या मैं हताश और निराश नहीं हो जाऊंगी. कहते हैं न किसी जवान युवती को अगर सही समय पर प्यार नहीं मिलता और उस की इच्छाएं, कामनाएं और भावनाएं दबी रह जाती हैं, तो वह हताशा की शिकार हो जाती है. उसे दौरे पड़ने लगते हैं और वह हताशा के अतिरेक में आत्महत्या तक कर लेती है.

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लेकिन मैं आत्महत्या नहीं करूंगी. मैं इतनी सुंदर नहीं हूं, पर इतनी बुरी भी नहीं कि कोई युवक मुझे प्यार ही न करे. प्रयास करने से क्या नहीं होता? आज अगर कोई युवक मेरी तरफ प्यार भरी नजर से नहीं देखता, तो यह केवल प्रियांशी के कारण. अब मैं उस के घर में सेंध लगाऊंगी. हां, आप नहीं समझे?

मैं उसी के दोस्तों में से किसी एक को पटाऊंगी और वे सब प्राप्त कर के दिखाऊंगी, जो एक पुरुष से स्त्री को प्राप्त होता है. मैं अधूरी नहीं रहना चाहती. मैं जवान हूं, मेरी कामनाएं हैं और मेरी भी भावनाएं मचलती हैं, मुझे प्यार चाहिए, भरपूर प्यार… एक पुरुष का प्यार… हर तरफ वसंत के फूल खिले हैं. प्यार का रस टपक रहा है. मैं किसी को अकेला नहीं देखती. कैंपस का हर युवक किसी न किसी के प्यार में गिरफ्तार है, तो मैं अकेली पतझड़ की गरम हवा क्यों बरदाश्त करूं? इसी वसंत में कोई मेरे लिए भी प्यार के गीत गाएगा, हवा मेरे लिए भी खुशबू ले कर आएगी. पतझड़ के गीत गाने का मौसम अभी मेरे जीवन में नहीं आया है.

शहरी युवती…

वसंत का आगमन हो चुका है. फूलों ने पेड़ों पर एक अनोखी छटा बिखेरी हुई है. हवा में अनोखी सुगंध है, जो मन को मुग्ध कर देती है. तन और मन दोनों ही मचलते हैं. कुछ करने का मन करता है, लेकिन मैं अपने मन को रोक लेती हूं. तन को बहकने नहीं देती.

मेरे सभी दोस्तों ने वैलेंटाइन डे पर मुझे गुलाब के साथ महंगे गिफ्ट भेंट किए हैं. साथ ही उन्होंने प्रेम निवेदन भी किया है, लेकिन मैं ने बहुत विनम्रता से उन के प्रेम को ठुकरा दिया है. उन सब के चेहरों पर खिले हुए वसंत के फूल मुरझा गए हैं. उन की आंखों के सामने पतझड़ के सुर्ख पत्ते उड़ने लगे. ऐसा लगा, जैसे उन के चेहरे का सारा खून सूख कर पानी बन गया हो. उन के चेहरे एकदम सफेद पड़ गए, लेकिन इस से मुझे क्या? यह उन की समस्या थी. जो प्यार करता है, वह विरह का दुख भी सहता है. मैं ने तो उन्हें प्रेम के लिए उत्प्रेरित नहीं किया था. मैं अगर उन से प्यार नहीं करती तो इस में मेरा क्या दोष? प्यार उन्होंने किया, तो उस का परिणाम भी वही भुगतेंगे.

इस के बाद मैं ने महसूस किया कि सारे युवक मुझ से दूरदूर रहने की कोशिश करने लगे हैं, तो मैं ने भी उन से दोटूक बात कर के उन के मन की बात जाननी चाही और उन से बातें करने के बाद जो सचाई उभर कर सामने आई उस में एक बात पूरी तरह सत्य साबित हो गई कि युवकयुवतियों के बीच की सीमा शारीरिक मिलन पर जा कर समाप्त होती है. यही उस की पूर्णता है. यही शाश्वत सत्य है.

‘‘क्या बात है, आजकल तुम मुझ से दूरदूर रहते हो.’’

‘‘क्या करूं ? पत्थर से सिर टकराने से क्या फायदा? उस में फूल कभी नहीं खिलते,’’ युवक ने मायूसी से कहा.

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘तुम्हारे पास एक युवती का दिल नहीं है. तुम किसी युवक को प्यार नहीं कर सकती.’’

‘‘कल तक तो मेरे पास सबकुछ था आज मैं ने तुम्हारा प्रेम निवेदन ठुकरा क्या दिया कि मैं युवती ही नहीं रही. वाह, क्या दोस्ती में प्यार नहीं होता.’’

‘‘नहीं, वैसा प्यार नहीं होता, जैसा एक युवकयुवती के बीच होना चाहिए.’’

‘‘यह कैसा प्यार होता है? क्या मुझे समझाने का प्रयत्न करोगे?’’ प्रियांशी ने थोड़ा तल्खी से पूछा.

‘‘तुम सब समझती हो, तभी तो हमारे प्यार को ठुकरा दिया है.’’

‘‘फिर भी बताओ न, तुम्हारे मुख से भी तो सुनूं.’’

‘‘यही न जैसे कि कहीं एकांत में बैठना, प्यार भरी बातें करना, एकदूसरे को स्पर्श करना, चुंबन करना और… और…’’

‘‘और फिर तनबदन में आग लगे, तो वासना के दरिया में डूब कर अपनी प्यास बुझाना, क्यों यही चाहते हो न तुम एक युवती से?’’

‘‘हां, और क्या? सभी ऐसा करते हैं, हम दोनों करेंगे तो कौन सा धरतीआसमान फट जाएंगे.’’

‘‘लेकिन ये सब करने की हमारे संस्कार अनुमति कहां देते हैं. इस के लिए तो शादी जैसा पवित्र रिश्ता बना है. ये सब यदि हम तभी करें तो क्या ज्यादा उचित नहीं होगा. अभी तो हमारी पढ़ाई की उम्र है.’’

‘‘हुंह, पढ़ाई की उम्र… और जो एकदूसरे के प्रति आकर्षण होता है, स्वाभाविक खिंचाव होता है, भावनाएं मचलती हैं, उन का क्या किया जाए. शारीरिक क्रियाएं अपना काम करना बंद नहीं करतीं, समझी, प्रियांशीजी,’’ लड़के के स्वर में तल्खी थी, ‘‘तुम हठी और जिद्दी हो. जानबूझ कर अपनी भावनाओं को कुचल कर दबाने का प्रयास करती हो. देख लेना, अगर यही स्थिति रही तो एक दिन हिस्टीरिया की शिकार हो जाओगी.’’

‘‘उस की फिक्र तुम मत करो दोस्त, ऐसी स्थिति आने से पहले ही मैं शादी कर लूंगी. लेकिन तुम्हारे जैसे किसी लंपट से तो शादी बिलकुल नहीं करूंगी.’’

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इस के बाद मेरी दोस्ती उन युवकों से खत्म हो गई. उन के प्यार का रंग बदरंग हो गया. इस से एक बात प्रमाणित हो गई कि युवकयुवती आपस में कभी दोस्त बन कर नहीं रह सकते. उन के बीच जो कुछ होता है, वह मात्र शारीरिक आकर्षण होता है, जो आखिर में शारीरिक मिलन पर जा कर समाप्त होता है.

कहते हैं, दुनिया में कुछ भी टिकाऊ नहीं है… रिश्ते और नाते भी नहीं, स्वार्थ पर आधारित कोई भी चीज टिकाऊ नहीं हो सकती. लेकिन मुझे हैरानी होती है, प्रतिमा और मेरे बीच स्वार्थ का कोई आधार नहीं था, फिर भी आजकल वह मुझ से खिंचीखिंची रहती है. पता नहीं उस के मन में क्या है? वह आजकल मुझ से कम बात करती है. कक्षा में साथ बैठती है, पर ऐसे जैसे दो दुश्मन गलती से अगलबगल बैठ गए हों. मैं उस से कुछ पूछती हूं, तो वह कुछ बताती नहीं है. कक्षा के बाहर भी मेरे साथ नहीं रहती. न साथ लाइब्रेरी जाती है, न कैंटीन. मैं ने अपनी तरफ से प्रयास किया कि उस के साथ मेरे रिश्ते सामान्य बने रहें, लेकिन वह अडिग चट्टान की तरह अपने मन को कठोर बनाए हुए है, तो मैं क्या कर सकती हूं. ऐसी स्थिति में दोस्ती के तार कांच की तरह झनझना कर टूट जाते हैं. मेरा भी मन उस से खट्टा होने लगा है.

Anik Ghee के साथ बनाएं मेवा खीर

अगर आप फेस्टिवल में कुछ टेस्टी और हेल्दी ट्राय करना चाहती हैं तो आज हम आपको मेवा खीर की टेस्टी रेसिपी बताएंगे. मेवा खीर की इस रेसिपी को आप अपनी फैमिली के लिए बनाकर तारीफें पाएंगी. आइए आपको बताते हैं मेवा खीर की खास रेसिपी

सामग्री

1/4 कप साभक चामल

1/2 लिटर अनिक फुल क्रीम मिल्क

10-12 दाने किशमिश

2 छोटे चम्मच चिरौंजी

1 छोटा चम्मच बादाम की कतरन

1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

1 छोटा चम्मच काजू पाउडर

3 बड़े चम्मच अनिक घी

चीनी स्वादानुसार

विधि

चावल को अच्छी तरह से पानी में धोकर 1 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. फिर गैस पर एक भारी तले के पैन में अनिक घी गरम करें. चावल का पानी निथार कर उसमें डालें व भूनें. 2 मिनट बाद धीरेधीरे कर के दूध डालें. धीमी आंच पर चावलों के गलने व दूध के गाढ़ा होने तक पकाएं, खीर बारबार चलाते रहें. गाढ़ा होने पर स्वादानुसार चीनी डालें और 2 मिनट पकाएं, गैस बंद कर दें, थोड़ा ठंडा होने पर सर्विंग बाउल में पलटे और इलायची चूर्ण व सभी मेवा मिक्स करें, बढिया खीर तैयार है.

मौत को बांध रखा था

लेखक- प्रेम बजाज

करनाल में नामी फर्नीचर शोरूम, “लाल फर्नीचर” जिसकी करनाल, कुरूक्षेत्र, लाडवा, समालखा में कई ब्रांच थी.

शोरूम के मालिक शाह जी के नाम से जाने जाते, शाह जी का एक छोटा भाई अतुल इंग्लैंड रहता था.

यहां इंडिया में शाह जी का पत्नी और एक बेटी के अलावा और कोई रिश्तेदार नहीं था.

शाह जी बहुत बार छोटे भाई अतुल को इंडिया आने को कहते मगर अतुल एक ही जवाब देता,” भाई यहां इन्सान की कद्र उसके हुनर से है, उसकी पहचान उसकी काबलियत से है, इंडिया में इन्सान को केवल प्रापर्टी, धन-दौलत, जायदाद से ही अच्छा और बड़ा समझा जाता है, उसके हुनर की कोई कद्र नहीं, फिर ऐसे में कैसा भविष्य होगा इन्सान का? ”

और शाह जी चुप हो जाते, ऐसा नहीं वो ये बातें मानते थे, मगर वो बहस ना करना चाहते, वो समझते थे कि इन्सान की कीमत उसके गुणों से है.

शाह जी की बेटी निहारिका, शाह जी की ही तरह, किसी से कोई फालतू बात ना करनी, बस केवल अपने काम से काम रखना.

निहारिका ने जब कालिज में एडमिशन लिया, उसी की क्लास में सौरभ नाम का एक लड़का सुन्दर, सजीला जवान,  जब वो निहारिका को देखता है तो देखता ही रह जाता है, बेशक निहारिका साधारण सी, ना कोई मेकअप, ना कोई स्टाइलिश कपड़े.

फिर भी ना जाने उसमें क्या कशिश थी, वो निहारिका की तरफ खिंचने लगा, उसने कई बार कोशिश की, कि निहारिका से बात करे, और भी बहुत से लड़के निहारिका से बात करने की कोशिश करते, यहां तक कि कोई -कोई तो धमकी भी देता कि उससे बात करें, वरना वो उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.

कालिज ऐसा स्थान होता है जहां जोड़ियां बनते देर नहीं लगती. लेकिन निहारिका किसी को भी बात करने का अवसर तक ना देती. बस सुबह एक गाड़ी आती जिसमें एक अधेड़ उम्र का शख्स दिखने में ड्राइवर जैसा वो गाड़ी उसे छोड़ कर जाती और क्लास खत्म होते ही गाड़ी आ जाती और निहारिका चुपचाप उस गाड़ी में बैठ कर चली जाती.

ग्रेजुएशन के बाद  सौरभ ने  इंटिरियर डिजाइनर का कोर्स चुना जब सेंटर में गया तो देखा इत्तेफ़ाकन निहारिका भी इंटिरियर डिजाइनर का कोर्स करने आई है.

दोनों में हाए हैलो होती है, लेकिन इतना समय साथ रहने के बावजूद भी निहारिका ने किसी को भी अभी तक अपना फोन नंबर नही दिया था, किसी से अगर बात करनी हो तो केवल इंटरनेट से ही करती थी मैसेज द्वारा. इंटिरियर डिजाइनर का कोर्स दो साल का था, सौरभ को खुशी हुई कि इस बहाने दो साल निहारिका के साथ और रहने का मौका मिला.

इधर शाह जी की तबीयत कुछ खराब रहने लगी थी, कितनी बार पत्नी और बेटी ने डाक्टर को दिखाने को कहा, लेकिन शाह जी टालते रहे, उन्हें लगा शायद काम की अधिकता से थकावट हो जाती है.

लेकिन एक दिन निहारिका, ” पापा आज मैं क्लास नहीं जा रही, आप  जल्दी से तैयार हो जाएं, हम डाक्टर के पास चल रहे हैं”

शाह जी,” अच्छा बाबा मैं आज, अभी डाक्टर के पास जाऊंगा मगर तुम अपनी क्लास मिस मत करो”

निहारिका पापा से प्रोमिस लेकर क्लास चली गई और शाह जी चले बेटी से किया वादा निभाने डाक्टर के पास.

डाक्टर चैकअप करने के बाद कुछ टैस्ट करवाते हैं और रिपोर्ट आने पर शाह जी को पता चलता है कि उन्हें गुर्दे का कैंसर है, जो काफी ज्यादा फैल चुका है. शाह जी दवाई लेकर आते हैं, मगर यह बात किसी को नहीं बताते, बस इतना कहते हैं कि हल्का सा किडनी इनफैक्शन है जो डायलिसिस के बाद ठीक हो जाएगा. लेकिन   अब उन्हें निहारिका की चिंता सताती है, निहारिका का इंटिरियर का दूसरा साल चल रहा है, शाह जी उसे साथ-साथ एडवांस कम्प्यूटर कोर्स भी  करवाते हैं और उसकी सरकारी नौकरी की कोशिश करते हैं लेकिन यहां किस्मत साथ नहीं देती.

कहीं अगर शादी की बात करते हैं तो इकलौती बेटी होने की वजह से सबका ध्यान उनकी प्रोपर्टी की ओर जाता है. अक्सर यही सुनने में मिलता है कि निहारिका बहुत साधारण सी है लेकिन चलो प्रोपर्टी तो अच्छी खासी है इसलिए अच्छी जगह रिश्ता हो सकता है, अर्थात जो भी देखता प्रोपर्टी ही देखता.

इन‌सब बातों से शाह जी का मन खिन्न हो गया उन्होंने इंग्लैंड में अपने भाई से बात की तो उन्होंने कहा कि आइलेट का कोर्स करवा दें निहारिका को और यहां इंग्लैंड भेज दें वहां इन्सान की दौलत की नहीं,  इन्सान की कद्र है, उसके हुनर की कद्र है.

शाह जी निहारिका को आइलट्स का कोर्स करवा देते हैं, जिसमें निहारिका अच्छा रैंक लाती है.

शाह जी के पास समय बहुत कम रह गया है लेकिन किसी को भी इस बात की भनक नहीं. एक महीने बाद ही निहारिका को इंग्लैंड जाना है.

निहारिका पापा से बार-बार किडनी चेंज कराने को कहती हैं, लेकिन शाह जी नहीं मानते, क्योंकि वो जानते हैं ये कैंसर है किडनी चेंज भी होगा तो भी कैंसर फिर से होगा, इसलिए कहते हैं,” बस थोड़ी सी डायलिसिस और उसके बाद हमेशा के लिए छुट्टी, बिल्कुल ठीक”

धीरे-धीरे निहारिका के जाने का दिन नज़दीक आ रहा है, निहारिका पैकिंग करते हुए, ईश्वर से प्रार्थना भी कर रही है कि पापा को जल्द ठीक कर दें, और बार-बार पापा को भी देखती है. उसके पापा खुश हैं कि उनकी बेटी दहेज के कलंक से बच गई. यहां तो बेटियों को दहेज के खर्चे की लिस्ट और लड़कों को घर बैठे कमाई का जरिया माना जाता है.

आज निहारिका की फ्लाइट है और शाह जी की डायलिसिस की टर्न भी.

निहारिका, ” पापा आप जाईए अस्पताल, मैं एअरपोर्ट खुद चली जाऊंगी”

” ठीक है बेटा जाओ, खुश रहो”

निहारिका को आशीर्वाद देते हुए शाह जी अस्पताल के लिए चल दिए, लेकिन ना जाने क्यों निहारिका का मन बैचैन था, उसे ऐसा लगा जैसे वो पापा को आखिरी बार मिल रही है, शायद फिर कभी मेल ना हो.

सौरभ को रात को बुखार था  इसलिए रात भर अच्छे से नींद नहीं आई, सुबह जब कुछ बुखार कम हुआ तो नींद की झपकी आ गई, लेकिन अचानक मोबाइल की घररर-घरररर से नींद खुली तो देखा मैसेंजर काॅल था.

जैसे ही फोन उठाया हैलो बोलने से पहले ही उधर से आवाज़ आई,” पापा चले गए छोड़कर हमेशा के लिए”

सौरभ कुछ ना बोल सका, केवल सोचता रहा उस शख्स के बारे में जिसने अपनी बेटी को एक अच्छा भविष्य देने के लिए अपनी मौत को बांध कर रख लिया था. अपनी बेटी का सुनहरा भविष्य बनाकर अब वो फ्री हो गया, मुक्त हो गया हर चिंता से.

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड अपने अदम्य साहस व शौर्य के लिए पूरे भारत में जाना जाता है : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत आज यहां ‘1090’ चैराहे पर ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (ब्लैक कैट कार रैली) को झण्डी दिखाकर रवाना किया. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एन0एस0जी0) अपने अदम्य साहस व शौर्य के लिए पूरे भारत में जाना जाता है. भारत की सुरक्षा, स्वाभिमान व सम्मान को बनाये रखने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि एन0एस0जी0 ने सदैव संवेदनशील स्थिति में जब भी समाज में भय और असुरक्षा का माहौल रहा, तब वहां सुरक्षा व राहत देने का कार्य किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 15 अगस्त, 2022 को जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तब प्रत्येक देशवासी के लिए वह अत्यन्त गौरव का वर्ष होगा. आजादी की क़ीमत क्या होती है, यह वर्तमान पीढ़ी को बताने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आजादी अचानक नहीं मिली है. इसके लिए अनगिनत बलिदान दिये गये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में आजादी के अमृत महोत्सव को पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है. समाज का प्रत्येक वर्ग इससे जुड़ा है. देश को लम्बे संघर्ष और आन्दोलनों के बाद 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली. देश की स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाये रखने में पैरामिलिट्री, आम्र्ड फोर्स व सिविल पुलिस ने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि विगत दिनों सशस्त्र सेना बल (एस0एस0बी0) का एक दल प्रदेश आया था, जिसका उन्हें स्वागत करने का अवसर मिला था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गृह मंत्री, भारत सरकार श्री अमित शाह जी द्वारा 02 अक्टूबर, 2021 को ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ का शुभारम्भ लाल किला, दिल्ली से किया गया. उन्होंने कहा कि यह रैली 03 अक्टूबर, 2021 को आगरा पहुंची. यह रैली आज लखनऊ से वाराणसी को प्रस्थान कर रही है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश के अध्यात्मिक गौरव की वृद्धि में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है. उत्तर प्रदेश भारत की स्वाधीनता आन्दोलन का प्रमुख केन्द्र बिन्दु भी रहा है. प्रदेश में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम की अलख बलिया, गोरखपुर, मेरठ में जली थी. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष को विस्मृत नहीं किया जा सकता है. मंगल पाण्डेय के नेतृत्व मंे वर्ष 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम का बिगुल बजाया गया था. उन्होंने कहा कि मेरठ में धनपाल सिंह कोतवाल के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी गयी थी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है. 04 फरवरी, 1922 को जनपद गोरखपुर के चैरी-चैरा में देश की स्वाधीनता के लिए स्थानीय नागरिकों, किसानों व श्रमिकों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन किया था. प्रदेश सरकार ने अमृत महोत्सव और चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव को एक साथ जोड़ते हुए यह व्यवस्था बनाई है कि इन दोनों आयोजनों से जुड़े प्रदेश के प्रत्येक शहीद स्थल व स्वाधीनता से जुड़े पवित्र स्थलों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.

ज्ञातव्य है कि ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ कार रैली देश के 12 राज्यों के लगभग 18 शहरों से होते हुए 7500 किलोमीटर की यात्रा 29 दिनों (02 अक्टूबर से 30 अक्टूबर, 2021 तक) में तय करेगी. ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ लखनऊ से वाराणसी, बोधगया, जमशेदपुर, कोलकाता, भुवनेश्वर, बेहरामपुर, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, हैदराबाद, ओंगोल, चेन्नई, बंगलुरु, हुबली, मुम्बई, अहमदाबाद, जयपुर होते हुए नई दिल्ली वापस आएगी. यह रैली अपनी यात्रा के दौरान स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण कर देशभक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करेगी.

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल व महानिदेशक एन0एस0जी0 श्री एम0ए0 गणपति सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

दो युवतियां: भाग 1- क्या हुआ था प्रतिभा के साथ

वर्षों पहले एक बड़े शहर में 2 युवतियों की मुलाकात एक कालेज में हुई. एक उसी शहर की थी जबकि दूसरी किसी छोटे कसबे से शहर में पढ़ने आई थी. दोनों युवतियां अलगअलग परिवेश की थीं. दोनों का आर्थिक स्तर और विचारधारा भी अलग थी. दोनों के विचार आपस में बिलकुल नहीं मिलते थे, लेकिन दोनों में एक समानता थी और वह यह कि दोनों ही युवतियां थीं और एक ही कक्षा की छात्राएं थीं.

कक्षा में दोनों साथसाथ ही बैठती थीं, इसलिए विपरीत सोच और स्तर के बावजूद दोनों में दोस्ती हो गई थी. धीरेधीरे उन की यह दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गई कि वे दो जिस्म एक जान हो गई थीं.

शहरी युवती अत्याधुनिक और खूबसूरत थी. उस का पिता एक बड़ा अफसर था इसलिए वह बड़े बंगले में रहती थी. उस के पास सारी सुखसुविधाएं मौजूद थीं. वह कार से कालेज आतीजाती और महंगा मोबाइल इस्तेमाल करती थी. वह काफी खुले विचारों की थी इसलिए उस की दोस्ती भी कालेज के कई युवकों से थी. ऐसा लगता था, जैसे वह कालेज के हर युवक से प्रेम करती थी. कालेज का हर छात्र उस का दीवाना था. उस का खुलापन और युवकों के साथ उस की मित्रता देख कर कोई भी यह सहज अनुमान लगा सकता था कि वह उन युवकों में से ही किसी एक के साथ शादी करेगी.

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दूसरी तरफ कसबाई युवती इतनी सीधीसादी थी कि वह युवकों से बात करते हुए भी घबराती थी. वह होस्टल में रहती थी लेकिन अपनी कसबाई संस्कृति और संस्कारों से बाहर नहीं निकल पाई थी. उस के पास एक सस्ता सा मोबाइल था, जिस में उस के किसी बौयफ्रैंड का नंबर नहीं था. उस में केवल उस के मांबाप और कुछ रिश्तेदारों के नंबर थे. सुबहशाम वह केवल अपने मांबाप से ही बात करती थी.

शहरी युवती जब भी कालेज कैंपस में होती, उसे देख कर लगता जैसे चांद दिन में निकल कर अपनी शीतल चमक से सब को जगमग कर रहा है. युवक तारों की तरह उस के इर्दगिर्द लटक जाते और टिमटिमाने का प्रयास करते. कसबाई युवती उस के साथ बिलकुल वैसे ही लगती, जैसे एलईडी बल्ब के सामने जीरोवाट का बल्ब जल रहा हो. वह यदि अकेला जलता तो शायद थोड़ीबहुत रोशनी भी देता, लेकिन उस शहरी युवती के सौंदर्य के सामने उस की रोशनी बिलकुल फीकी लगती और ऐसा लगता जैसे दिन की रोशनी में शमा की रोशनी घुलमिल गई हो.

दोनों युवतियों की अपनीअपनी जिंदगी थी, उन की अपनीअपनी सोच थी और वे एकदूसरे के बारे में क्या सोचती थीं, यह अब उन्हीं की जबानी…

शहरी युवती…

जब से कालेज आई हूं, जीवन में एक अद्भुत परिवर्तन आया है. स्वच्छंदता है, उच्छृंखलता है, मस्ती और जोश है. इतनी सारी खुशियां पहली बार जीवन में आई हैं. समझ नहीं आता, उन्हें किस प्रकार समेट कर अपने दामन में भरूं. अगर समेट लूं, तो उन्हें सहेज कर कहां रखूंगी. डर भी लगता है कि कहीं एक दिन यह खुशियों का संसार टूट कर बिखर न जाए. कहते हैं, ‘खुशियों के दिन कम होते हैं.’ जीवन में जब ज्यादा खुशियां आती हैं, तो दुखों का अंधेरा उन से ज्यादा लंबा और घना होता है, लेकिन आगे आने वाले दुखों के बारे में सोच कर क्यों परेशान हुआ जाए. जब चारों तरफ फूल खिले हों, तो पतझड़ की कल्पना बेमानी लगती है. खुशियों का इंद्रधनुष जब आसमान में खिला हो तो काली घटाओं का आना बुरा लगता है.

ऐसी आजादी कहां मिलेगी? इतने सारे दोस्त और खुला वातावरण… युवकों के साथ दोस्ती करना कितना अच्छा लगता है. पहले कितने प्रतिबंध थे, अब तो कोई रोकनेटोकने वाला नहीं है. चाहे जिस से दोस्ती कर लो. युवक भी पतंगे की तरह युवतियों की तरफ खिंचे चले आते हैं. कितना शौक होता है युवकों को भी जल कर मर जाने का. समझ में नहीं आता, युवक इतने उतावले क्यों होते हैं युवतियों का प्यार हासिल करने के लिए. युवती को देखते ही उन का दिल बागबाग होने लगता है. वे लपक कर पास आ जाते हैं, जैसे युवती किसी विश्वसुंदरी से कमतर नहीं है और युवती के सामने उन की वाणी में कालिदास का मेघदूत आ विराजता है.

मेरी दोस्ती कई युवकों से है. सभी हैंडसम, स्मार्ट और अमीर घरों के हैं. वे मुझ पर मरते हैं. सभी ने मुझ से प्रेम निवेदन किया है, लेकिन मैं जानती हूं, ये सभी झूठे हैं. वे मेरे सौंदर्य पर मोहित हैं और येनकेन प्रकारेण मेरे शरीर को भोगने के लिए मेरे आगेपीछे भंवरे की तरह मंडराते रहते हैं, यह सोच कर कि कभी न कभी तो फूल का रस चूसने को मिलेगा.

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लेकिन मैं भी इतनी बेवकूफ नहीं हूं और न ही इतनी नादान कि एकसाथ कई युवकों से प्यार करूं. दोस्ती तक तो ठीक है, लेकिन इतने युवकों का प्यार ले कर मैं कहां रखूंगी? किसी एक से प्यार करना तो संभव हो सकता है, पर इन में से कोई भी युवक मुझे सच्चा प्यार नहीं करता. सब की बातें झूठी हैं, वादे खोखले हैं, बस मुझे लुभा कर वे मेरे सौंदर्य को पाना चाहते हैं. यदि मैं ने हंसीमजाक में किसी से शादी की बात कर ली, तो वह दूसरे दिन ही कालेज छोड़ कर भाग जाएगा, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी. भुलावे में रख कर उन को बेवकूफ बनाया जा सकता है. कम से कम कैंटीन में ले जा कर भरपेट खिलातेपिलाते तो हैं.

युवकों को विश्वास है कि मैं उन्हें दिल से प्यार करती हूं, लेकिन वे भुलावे में जी रहे हैं. मेरा झुकाव किसी की तरफ नहीं है, मैं उन में से किसी के साथ प्यार करने का जोखिम नहीं उठा सकती हूं. प्यार में खुशी के दिन कम और दुख के ज्यादा होते हैं. मिलन के बाद विरह बहुत दुखदायी होता है. मिलन तो क्षणिक होता है, लेकिन विरह की घडि़यां इतनी लंबी होती हैं कि काटे नहीं कटतीं. बिलकुल जाड़े की तरह काली अंधेरी, सिहरती रातों की तरह.

मेरी कोशिश है कि मैं किसी युवक के प्यार में न पड़ूं, इसलिए मैं उन से अकेले में मिलने से बचती हूं. एकांत दो दिलों को ज्यादा करीब ला देता है. एकदूसरे को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का मौका मिलता है. भावुकता भरी बातें होती हैं. ऐसी बातें सुन कर दिल पिघलने लगता है और जब दो दिल साथसाथ पिघलते हैं, तो घुलमिल कर चाशनी की तरह एक हो जाते हैं. मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहती.

मगर युवकों का चरित्र भी बड़ा विरोधाभासी होता है. एक तरफ तो वे युवती को प्यार करने का दम भरते हैं और दूसरी तरफ उस पर शंका भी करते हैं, उस के ऊपर एकाधिकार चाहते हैं. जब मैं एक युवक से बात करती हूं, तो दूसरा क्रोध से लालपीला हो जाता है. मेरे ऊपर नाराजगी प्रकट करता है. मुझे दूसरे युवकों से बात करने, उन से मिलनेजुलने और उन के साथ घूमनेफिरने पर मना करता है. तब मैं उस से साफसाफ शब्दों में कह देती हूं, ‘‘मेरे ऊपर हुक्म चलाने की जरूरत नहीं है. मैं तुम्हारी दोस्त हूं, कोई खरीदी हुई वस्तु नहीं, समझे.’’

एक ही डांट में युवक को अपनी औकात समझ आ जाती है. वह सहम कर कहता है, ‘‘ऐसी बात नहीं है. मैं तो बस तुम्हें सचेत कर रहा था. वह युवक अच्छा नहीं है. वह तुम्हें बरगला कर तुम्हारी इज्जत के साथ खिलवाड़ कर सकता है.’’

‘‘अच्छा,’’ मैं मुसकरा कर कहती हूं, ‘‘लेकिन यही बात वह युवक भी तुम्हारे बारे में कहता है.’’

इस के आगे युवक की जबान बंद हो जाती है.

कालेज में युवकों से दोस्ती के दौरान मैं ने एक बात अनुभव की कि युवक हर युवती से अपनी दोस्ती को प्यार समझते हैं और इसी प्यार का वास्ता दे कर वे उस के शरीर को भोगना चाहते हैं. जब तक वे उस के शरीर को भोग नहीं लेते, तब तक उस के आगेपीछे मंडराते रहते हैं. जब उसे भोग लेते हैं तो उस के प्रति उन का प्यार कम होने लगता है और फिर किसी दूसरी युवती की तरफ देखना शुरू कर देते हैं.

यह मेरा ही नहीं बल्कि मेरी अन्य सहेलियों का भी व्यक्तिगत अनुभव है. मैं ने देखा है कि ऐसी युवतियां अकसर दुखी रहती हैं, क्योंकि एक बार अपना सबकुछ लुटा देने के बाद उन के पास कुछ नहीं बचता. फिर भी वे युवकों के प्रति पूरी तरह समर्पित रहती हैं, जबकि युवक भंवरे की तरह दूसरी युवती रूपी तितली के ऊपर मंडराने लगता है. मैं ने इन अनुभवों से यही सीख ली है कि कालेज में युवकों के प्यार में कोई स्थायित्व नहीं होता. यह केवल मौजमस्ती के लिए होता है. असली प्यार वही होता है, जिस में बंधन होता है, दायित्व होता है.

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सहेलियों की बात चली तो मैं बता दूं, मेरी एक सहेली है, जो मेरी अन्य सहेलियों से कुछ अलग है, लेकिन मेरी अभिन्न मित्र है. वह मेरी ही कक्षा में है और हम दोनों साथसाथ बैठती हैं, इसलिए दोनों में काफी लगाव है. वह किसी कसबेनुमा गांव की है

और यहां होस्टल में रहती है. बहुत आधुनिक नहीं है, लेकिन बुद्धिमान है. थोड़ी संकोची स्वभाव की है, ज्यादा बोलती नहीं है और युवकों के सामने तो वह शर्म के मारे निगाहें फेर लेती है. मेरे साथ रहती है, लेकिन मेरे किसी दोस्त से बात तक नहीं करती.

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आदित्य और Imlie को करीब आते देख मालिनी चलेगी नई चाल, होगी नई एंट्री

टीवी सीरियल इमली (Imlie) की कहानी में आए दिन नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ मालिनी की आदित्य को पाने की चाहत कम नहीं हो रही तो वहीं इमली के खिलाफ मालिनी की चालें उलटी पड़ रही हैं. इसी बीच सीरियल की कहानी नया मोड़ लेने वाली है जहां आदित्य और इमली की जिंदगी में एक नया शख्स दस्तक देगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

मालिनी की चाल हुई नाकाम

अब तक आपने देखा कि मालिनी (Mayuri Deshmukh) की मां अनु जानबूझकर नकली पूजा रखती है, जिसकी भनक इमली (Sumbul Touqeer Khan) को लग जाती है. इसी के चलते इमली और आदित्य डेट पर नहीं जा पाते, जिस पर मालिनी बेहद खुश होती है. हालांकि इमली उसे सबक सिखाने की ठानती है, जिसके चलते वह मालिनी के लिए घर पर डौक्टर को बुलाती है. हालांकि मालिनी चालाकी से बात बदल देती है.

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आदित्या के नए बौस की होगी एंट्री

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली और मालिनी को छोड़कर आदित्य औफिस जाएगा. जहां उसे पता चलेगा कि कंपनी में कोई नया बौस आया है, जो अखबार को एंटरटेनमेंट अड्डा बनाना चाहता है. दरअसल, आदित्य का नया बौस उसकी खबर को पहले पेज पर लाने से मना कर देगा, जिसके बाद उसे पता चलेगा कि पहले नंबर पर किसी की डेटिंग लाइफ की खबर छपेगी, जिसे सुनकर आदित्य का पारा बढ़ जाएगा. हालांकि देखना होगा कि नया बौस कौन है और वह आदित्य इमली की जिंदगी में कौनसा नया खेल खेलेगा.

इमली के खिलाफ मालिनी बनाएगी प्लान

दूसरी तरफ अपने बच्चे की परवाह ना करते हुए मालिनी का ध्यान आदित्य पर नजर आएगी. वहीं अपकमिंग एपिसोड में वह इमली और आदित्य पर नजर रखेगी. दरअसल, इमली रात में आदित्य के कमरे में जाएगी. जहां वह दोनों बेहद खुश होंगे वहीं मालिनी दोनों को साथ देख नई चाल चलेगी और तबीयत खराब होने का नाटक करती हुए नजर आएगी.

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अनुज को Anupama की कठपुतली कहेगा वनराज तो पाखी का बढ़ेगा गुस्सा

एक्ट्रेस रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और सुधांशू पांडे (Sudhanshu Pandey) स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. दरअसल, अनुज कपाडिया की एंट्री के बाद से जहां अनुपमा की जिंदगी बदल गई है तो वहीं वनराज और काव्या के रिश्ते में दरार आनी शुरु हो गई है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में वनराज के खिलाफ उसकी बेटी पाखी भी होने वाली है, जिसके चलते वनराज टूट जाएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या ने उठाया वनराज के खिलाफ कदम

 

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अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़िया से जलन के चलते वनराज जहां अनुपमा को ताने मारता नजर आ रहा है तो वहीं काव्या उसकी हरकतें देखकर परेशान नजर आ रही है. इसी के चलते काव्या (Madalsa Sharma) अपनी प्रोफेशनल लाइफ के लिए फैसला लेकर बिना वनराज को बताए अनुज और अनुपमा से मिलने जाती है. जहां वह दोनों के साथ काम करने के लिए राजी होती है. वहीं अनुज, अनुपमा से पूछता है कि वह काव्या को नौकरी पर रखे या नहीं, जिसके बाद अनुपमा, काव्या संग काम करने को राजी हो जाती है.

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अनुज रखेगा शर्त

 

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अनुपमा का फैसला जानने के बाद अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज कपाड़िया, काव्या के सामने शर्त रखेगा. दरअसल, अनुज, काव्या से कहेगा कि अनुपमा ने उसे ये जॉब देने का फैसला किया है और वनराज को लेकर चेतावनी देते हुए कहेगा कि उसे गारेंटी लेनी होगी कि उसका पति वनराज ऑफिस में आकर कोई तमाशा नहीं करेगा. पर्सनल लाइफ का उनके बिजनेस पर कोई असर नहीं होगा. वहीं अगर ऐसा हुआ तो वह उसे नौकरी से निकाल देगा.

 पिता पर बरसेगी पाखी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या की नौकरी की बात जानने के बाद वनराज बौखला जाएगा और उसे जमकर सुनाते हुए कहेगा कि पहले अनुज, अनुपमा की कठपुतली था अब वह भी हो गई है, जिसे सुनकर काव्या उल्टा जवाब देते हुए कहेगी कि उसे खुद को डौक्टर को दिखाना चाहिए. वहीं वनराज के गुस्से को देखकर अनुपमा बीच में आएगी, जिसके चलते वनराज उसे धक्का मार देगा. इन सब को देखकर पाखी का पारा चढ़ जाएगा और वह पूछेगी कि अगर पति-पत्नी एक दूसरे से परेशान होते हैं तो तलाक लेते हैं अगर बच्चे अपने माता-पिता से परेशान हो जाएं तो वह क्या करें? , जिसे सुनकर वनराज और अनुपमा इमोशनल हो जाएंगे.

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तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार.

जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती.

पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय: इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

– यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

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– यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और

सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

– आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

– यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

– यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

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Anik Ghee के साथ बनाएं पनीरी फिरनी

अगर आप डेजर्ट में कुछ हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो पनीरी फिरनी ट्राय करना न भूलें. पनीरी फिरनी टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी होती है, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को डेजर्ट के तौर पर परोस सकते हैं. तो आइए जानते हैं इसकी रेसिपी…

सामग्री

100 ग्राम अनिक पनीर

1 कप फुल क्रीम अनिक दूध

1/4 कप अनिक मिल्क पाउडर

10-12 धागे केसर

1/4 छोटा चम्मच इलायची  चूर्ण

थोड़े काजू, बादाम, पिस्ता कटा

विधि

दूध उबालने रख दें. उबले दूध में  1 छोटे चम्मच दूध में केसर के धागे डाल दें.

दूध धीमी आंच पर उबलने दें. पनीर को अच्छी तरह मैश करें.

मिल्क पाउडर और पनीर उबलते दूध में डाल कर गाढा होने तक चलाते रहें.

केसर को दूध में घोट कर मिश्रण में डाले और चीनी भी.

ठंडा कर के इलायची  पाउडर, काजू, बादाम, पिस्ता की कतरनों से सजा कर सर्व करें.

जानें क्या है HIV होने के 12 लक्षण

एच आई वी यानि ह्यूमन इम्‍युन डिफिशिएंशी वायरस एक विषाणु है जो बॉडी के इम्‍यून सिस्‍टम पर नकारात्‍मक प्रभाव ड़ालता है और व्‍यक्ति के शरीर में उसकी प्रतिरोधक क्षमता को दिनोंदिन कमजोर कर देता है.

भारत की बात करें तो यहां एड्स के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. यहां सबसे ज्‍यादा एचआईवी एड्स के केस (13107) महाराष्‍ट्र में दर्ज हुए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है.

अगर पिछले वर्षों से तुलना करें तो संख्‍या लगातार बढ़ रही है. 2009-10 में 246,627 केस पूरे देश में आये, जबकि 2010-11 में यह संख्‍या बढ़कर 320,114 रही.

सही तरीके से देखभाल न करने की दशा में यह बीमारी बढ़कर एड्स का रूप धारण कर लेती है. एक सर्वे के अनुसार, एच आई वी के शुरूआती स्‍टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्‍यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है. इसीलिए आपको एच आई वी के शुरूआती 12 लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है.

1. बार-बार बुखार आना: हर दो तीन दिन में बुखार महसूस होना और कई बार तेजी से बुखार आना, एच आई वी का सबसे पहला लक्षण होता है.

2. थकान होना: पिछले कुछ दिनों से पहले से ज्‍यादा थकान होना या हर समय थकावट महसूस करना एच आई वी का शुरूआती लक्षण होता है.

3. मांसपेशियों में खिचावं: आपने किसी प्रकार का भी भारी काम नहीं किया या फिर आप शारीरिक मेहनत का कोई काम नहीं करते , फिर भी मांसपेशियों में हमेशा तनाव और अकड़न रहती है. यह भी एच आई वी का लक्षण होता है.

4. जोड़ों में दर्द व सूजन: ढ़लती उम्र से पहले ही अगर आपके जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है तो आपको एच आई वी टेस्‍ट करवाने की जरूरत है.

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5. गला पकना: अक्‍सर कम पानी पीने की वजह से गला पकने की शिकायत होती है लेकिन अगर आप पानी पर्याप्‍त मात्रा में पीते हैं और फिर भी आपके गले में भयंकर खराश और पकन महसूस हो, तो यह लक्षण अच्‍छा नहीं

6. सिर में दर्द: सिर में हर समय हल्‍का – हल्‍का दर्द रहना, सुबह के समय दर्द में आराम और दिन के बढ़ने के साथ दर्द में भी बढ़ोत्‍तरी एच आई वी का सबसे बड़ा लक्षण है.

7. धीरे-धीरे वजन का कम होना: एच आई वी में मरीज का वजन एकदम से नहीं घटता है. हर दिन धीरे – धीरे बॉडी के सिस्‍टम पर प्रभाव पड़ता है और वजन में कमी होती है. अगर पिछले दो महीनों में बिना प्रयास के आपके वजन में गिरावट आई है तो चेक करवा लें.

8. स्‍कीन पर रेशैज होना: शरीर में हल्‍के लाल रंग के चक्‍त्‍ते पड़ना या रेशैज होना भी एच आई वी का लक्षण है.

9. बिना वजह के तनाव होना: आपके पास कोई प्रॉब्‍लम नहीं है लेकिन फिर भी आपको तनाव हो जाता है, बात-बात पर रोना आ जाता है तो नि:संदेह आपको एच आई वी की जांच करवाना जरूरी है.

10. मतली आना: हर समय मतली आना या फिर खाना खाने के तुरंत बाद उल्‍टी होना भी शरीर में एच आई वी के वायरस का होना इंडीकेट करते हैं.

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11. हमेशा जुकाम रहना: मौसम आपके बेहद अनुकूल है लेकिन उस हालत में भी नाक बहती रहती है. हर समय छींक आती है और रूमाल का साथ हमेशा चाहिए होता है.

12. ड्राई कफ: आपको भयंकर खांसी नहीं हुई थी लेकिन हमेशा कफ आता रहता है. कफ में कोई ब्‍लड़ नहीं आता. मुंह का जायका खराब रहता है. अगर आपको इनमें से अधिकाशत: लक्षण अपने शरीर में लगते हैं तो आप एच आई वी टेस्‍ट जरूर करवाएं.

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