एक्सपर्ट से जाने पंपकिन के बीज से कैसे करें स्किन की देखभाल

महिलाएं खुद को सजाने- संवारने और निखारने में कई जतन करती हैं. इसके लिए वो मार्केट में मिलने वाले तरह-तरह के महंगे ब्यूटी प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं. जिसमें उनके पैसे तो खर्च होते ही है साथ ही इन ब्यूटी प्रॉडक्ट्स से साइड इफेक्ट होने का खतरा भी बना रहता है. वहीं अगर आप अपनी  ब्यूटी को निखारने के लिए नेचुरल  चीजे इस्तेमाल करती हैं तो इनके इस्तेमाल से खुद को निखारा जा सकता है.

ऐसे में आप पंपकिन यानी कद्दू के बीज  से भी अपनी ब्यूटी निखार सकती है. वो कैसे इस बारे में बता रहे हैं डॉ. अजय राणा, डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

पंपकिन के बीज से स्किन बने चमकदार

ऑयली स्किन का इलाज –

अगर आपकी ऑयली स्किन है, तो 1 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर में 1 बड़ा चम्मच पम्पकिन प्यूरी मिलाकर फेस पैक  पर लगाए और 30 मिनट के लिए इसे सूखने के लिए छोड़ दें. इसके बाद पहले गुनगुने पानी से कुल्ला और फिर ठंडे पानी से कुल्ला करें. इसके बाद, आप अपनी स्किन के प्रकार के लिए एक उपयुक्त मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें .

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एंटी-एजिंग लाभ –

पम्पकिन विटामिन सी का एक अच्छा सॉर्स है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है और इसमें बीटा-कैरोटीन भी होता है जो यूवी नुकसान को दूर करने और स्किन की बनावट में सुधार करने में मदद करता है. यह कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है, इस प्रकार आपकी स्किन की टोन और इलास्टिसिटी में सुधार होता है. यह स्किन को रेडिकल डैमेज से बचाता है जो  रिंकल्स और यहां तक ​​कि स्किन कैंसर के लिए जिम्मेदार है.

डार्क स्पॉट को भी ठीक करें-

पम्पकिन विटामिन बी का एक अच्छा स्रोत है जैसे नियासिन, राइबोफ्लेविन, बी 6 और फोलेट. नियासिन सर्कुलेशन में सुधार करता है, और इसलिए, एक्ने के ईलाज के लिए सबसे फायदेमंद माना जाता है.

पम्पकिन बॉडी मास्क –

हाफ कप कुक्ड पम्पकिन प्यूरी में हाफ कप कोकोनट और हाफ टेबल स्पून दालचीनी मिलाकर बॉडी मास्क तैयार कर सकते है. इस बॉडी मास्क को अपने बॉडी में लगाए और मालिश करें. इस मास्क को लगभग 10 मिनट के लिए छोड़ दें. इसके बाद गर्म पानी से इस मास्क को साफ करें. यह आपकी स्किन को तरोताजा रखता है और निखार देता है.

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पम्पकिन स्किन को चमकदार बनाने में मदद करता है. पम्पकिन में फल एंजाइम और अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड (एएचए) होते हैं, जो सेल टर्नओवर को बढ़ाते हैं. इससे स्किन में चमक आती है. इसके अलावा ड्राई स्किन के लिए भी पंपकिन बहुत फायदेमंद होता है.

दरार: भाग 3- रमेश के कारण क्यों मजबूर हो गई थी विभा

रमेश ने सोचा क्यों न सब से पहले विभा के आशिक की पत्नी को सच बताया जाए. जब उस की पत्नी को अपने पति की करतूतों के बारे में पता चलेगा तो वह अपने पति के विरुद्ध कठोर कदम उठाएगी. हो सकता है इस से विभा और उस के आशिक के संबंध टूट जाएं. नहीं भी टूटते, तो कम से कम जो तकलीफ मैं ने सही है, यही उस के आशिक को भी भुगतनी पड़ेगी. उस ने मेरा घर तोड़ने की कोशिश की, मैं उस का घर तोड़ कर कुछ तसल्ली तो महसूस करूंगा. और वह जासूस के दिए पते पर विभा के आशिक के घर पहुंचा.

विभा के आशिक का नाम सुमेरचंद था. कालेज में वह विभा के साथ पढ़ता था. उस की पत्नी घरेलू महिला थी. उस की 2 बेटियां थीं. वह कालेज में प्रोफैसर था. विभा से उस का प्रेम कालेज में था. शादी के बहुत बाद फेसबुक के जरिए यह प्रेम, अवैध संबंधों में परिणत हो चुका था. रमेश को टाइगर द्वारा दी गई जानकारी से यह भी पता चला था कि दोपहर में सुमेरचंद कालेज में या उस के घर में होता है. बैंक में एक घंटे काम करने के बाद रमेश सुमेरचंद के घर पहुंचा.

दरवाजा सुमेरचंद की पत्नी ने खोला. रमेश ने अपना परिचय दे कर थोड़ा समय मांगा. इस थोड़े से समय में उस ने सीडी दिखाई और सारी जानकारी दी. सुमेरचंद की पत्नी विभा से अधिक सुंदर और शिक्षित थी. रमेश द्वारा दी गई जानकारी से उस का चेहरा उदास और गुस्से में बदल गया.रमेश और रमन वापस आ गए. दूसरे दिन रमेश टाइगर को अपना मित्र बना कर घर ले गया. उस की पत्नी विभा जब किचन में गई, तब टाइगर ने खुफिया कैमरा लगा दिया. दूसरे दिन की शाम को रमेश ने कैमरा टाइगर को सौंप दिया. तीसरे दिन टाइगर ने सुबूत बना कर रमेश को सीडी सौंप दी. उस के आशिक का नाम, कामधाम सब का ब्योरा बना कर दिया. रमेश ने बकाया 30 हजार रुपए धन्यवाद सहित जासूस टाइगर को सौंपे. सुबूत और जानकारी हाथ लगते ही रमेश को अंदर ही अंदर तसल्ली मिली और साथ में ताकत भी.

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‘‘जैसे आप बैंक में मैनेजरी करते हैं. अरे भाई, मेरा यही तो काम है. यही मेरा पेशा है. आप मु झे अपने घर किसी बहाने से ले जाएंगे. मैं घर में, तुम्हारे बैडरूम में कैमरा लगा दूंगा, गोपनीय तरीके से. फिर दूसरे दिन तुम्हें कैमरा निकाल कर मु झे वापस करना है. मैं तुम्हें, तुम्हारी पत्नी और उस के आशिक की पूरीपूरी जानकारी दूंगा. इस सुबूत के आधार पर तुम्हें जो कदम उठाना हो, उठा सकते हो. तलाक लेना हो, चाहे पत्नी को सुबूत दे कर सुधरने के लिए एक मौका देना हो.’’

‘‘एक बात पूछूं टाइगर भाई,’’ रमेश ने दीनता से कहा, ‘‘ऐसा कोई कानून नहीं है जिस में पत्नी को चरित्रहीनता के आधार पर सजा दिलवाई जा सके?’’

टाइगर ने रमेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘नहीं, दोस्त. ऐसा कोई कानून नहीं है जिस में शादीशुदा स्त्री की चरित्रहीनता पर कानून की कोई धारा लग सके.’’

‘‘आप अपने पति को क्या सजा देंगी, मैडम?’’ रमेश ने मासूमियत से पूछा.

कुछ देर शांत रह कर सुमेरचंद की पत्नी रीमा ने कहा, ‘‘घरवालों की मरजी के खिलाफ मैं ने लवमैरिज की थी. अब किस मुंह से अपने पति की करतूत बताऊंगी. शादी के कुछ समय बाद ही मु झे अपने पति के चरित्र के बारे में पता चल गया था, लेकिन मैं क्या कर सकती थी और अभी भी क्या कर सकती हूं. मेरी 2 बेटियां हैं. मु झे अपना घर भी बचाना है.’’

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‘‘आप तलाक दे सकती हैं,’’ रमेश ने कहा.

‘‘मैं अपने पति को तलाक की गोली से मारूं या बंदूक की गोली से, घर तो मेरा ही टूटना है. मेरा विवेक तो यही कहता है कि सुबह का भूला शाम को घर आ ही जाएगा. ज्यादा से ज्यादा मैं कुछ दिन नाराज रह सकती हूं, पति को मार तो नहीं सकती. तलाक के बाद मैं क्या करूंगी? 2 बेटियों को अकेले पालना संभव नहीं है मेरे लिए. किंतु आप तो मर्द हैं. अच्छीखासी नौकरी है आप के पास. आप क्यों नहीं छोड़ देते अपनी पत्नी को.’’

‘‘मेरा भी एक बेटा है,’’ रमेश ने कहा.

‘‘जब आप पुरुष हो कर सह सकते हैं अपने बेटे की खातिर, तो मैं तो स्त्री हूं.’’

बातचीत का जो नतीजा रमेश चाहता था, वह नहीं निकला. रमेश इस वादे के साथ विदा हुआ कि उन के मध्य जो बातचीत हुई, उस के जिक्र में रमेश का नाम न आए, क्योंकि उसे कुछ तो करना ही है अपनी पत्नी को सजा देने के लिए. मालूम पड़ने पर कहीं वे सतर्क और बेरहम न बन जाएं उस के प्रति.

रमेश जैसे लोग बंदूक चलाने के लिए दूसरे का कंधा तलाशते हैं. ऐसे लोग प्रत्यक्ष हमला करने से डरते हैं चाहे उस की जान पर क्यों न बन आए. सुमेरचंद की पत्नी रीमा से उस के मिलने की यही वजह थी कि रीमा कुछ ऐसा करे पति की बेवफाई से नाराज हो कर सुमेरचंद का घर टूट जाए. लेकिन रीमा के उत्तर से उस का यह दांव खाली गया. अब उस ने दूसरा तरीका यह अपनाया कि वह अपने ससुर लखनपाल से इस बाबत बात करने पहुंचा. सब से पहले उस ने सीडी की एक कौपी थमा कर कहा, ‘‘बाबूजी, यह रहा विभा के विरुद्ध ठोस सुबूत. आप की बेटी ने मु झे धोखा दिया है. मेरे साथ विश्वासघात किया है. आप बताइए, मैं क्या करूं?’’

अगले भाग में पढ़ें- ‘‘क्या तुम मु झ से शादी कर सकते हो?’’

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Raksha Bandhan Special: Makeup करते वक्त रखें इन बातों का ख्याल

क्यूटिस स्किन स्टूडियो की स्किन विशेषज्ञा डाक्टर अप्रतिम गोयल कहती हैं कि मेकअप करना तकरीबन हर महिला जानती है, लेकिन उसे आकर्षक बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है ताकि आप सब से अलग और खूबसूरत दिखें:

1. स्किन टोन के हिसाब से चुनें मेकअप

– सही मेकअप का चुनाव अपनी स्किन टोन के हिसाब से करना आसान नहीं होता. कुछ प्रयोगात्मक काम करने पड़ते हैं, क्योंकि कोई भी आप की स्किन टोन के लिए सही उत्पाद नहीं बता सकता. आप जिस ब्रैंड को पसंद करती हैं उस के कई शेड्स ले कर चेहरे पर लगा कर सही उत्पाद चुनें.

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2. स्किन को पहले करें मौइस्चराइज

– मेकअप से पहले स्किन को मौइस्चराइज जरूर करें. प्राइमर को बेस के रूप में मेकअप से पहले लगाएं, इस में इंस्टाफिल जैल अधिक अच्छा रहता है, यह कुछ समय के लिए आप के चेहरे के रोमछिद्रों को बंद कर देता है, जिस से मेकअप चेहरे पर समान रूप से बैठने के साथसाथ स्किन को भी सुरक्षा मिलती है.

3. कंसीलर का रखें ध्यान

– आजकल बाजार में कई प्रकार के कंसीलर्स मिलते हैं. ग्रीन कलर का कंसीलर चेहरे की पतलीपतली कोशिकाओं को ढकने में सहायक होता है, जबकि ब्राउन कलर का कंसीलर ब्राउन पिगमैंटेशन और झांइयों को ढक देता है तो नौर्मल स्किन कलर कंसीलर आंखों के चारों ओर के डार्क सर्कल्स को ढक देता है. यानी कंसीलर किसी मैट फिनिश कंसीलर औयली स्किन के लिए बहुत ही अच्छा रहता है.

4. फाउंडेशन का करें सही इस्तेमाल

फाउंडेशन से चेहरे की कंटूरिंग करना भी एक अच्छा मेकअप ट्रैंड है. इस में 3 अलगअलग तरह की फाउंडेशन स्टिक्स को मिला कर एक स्टिक में कर लिया जाता है, जिस में एक स्टिक स्किन टोन के अनुसार जबकि 2 स्टिक्स स्किन टोन से 2 शेड गहरी ले कर साथ में लगाने से एक अलग कलर निकल आता है, जो कंटूरिंग के लिए अच्छा विकल्प है.

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5. छोटी चीजों का भी रखें खास ख्याल

स्टिक आईशैडो का इस्तेमाल आंखों के लिए करें. यह आसानी से चेहरे पर लगाया जा सकता है और इसे कलर आई पैंसिल के रूप में भी प्रयोग कर सकती हैं. काजल और स्मज ब्रश का प्रयोग भी आंखों के लिए करें. स्मोकी लुक के लिए आईलैशेज के ऊपर नीचे सजाएं. लुक को नयापन देने के लिए गालों पर फेस टिंट लगाएं. इस बार डार्क और मैट लिपस्टिक ट्रैंड में हैं. इन्हें अपने परिधान के अनुसार ही लगाएं.

जानें क्या हैं Married Life के 9 वचन

समय के साथसाथ परिवर्तन भी जरूरी है. आज के युग में दंपतियों विशेषकर नवविवाहित जोड़ों को अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए अपने विचारों, अपनी भावनाओं का नजरिया थोड़ा बदलना ही चाहिए. पहले विवाह का मतलब सिर्फ प्यार और समर्पण था, जिस में ज्यादातर पत्नियां ही पति और उस के घरपरिवार के लिए समर्पित रहने में अपने जीवन की सार्थकता मानती थीं और त्याग व कर्तव्य की प्रतिमा बनीं सारा जीवन खुशीखुशी गुजार देती थीं. घरपरिवार में इसी से उन्हें इज्जत भी मिला करती थी.

पुरुष भी ऐसी पत्नी पा कर खुश होते थे. उन की सोच भी औरतों के लिए बस यही थी. पर आज हालात बदल गए हैं. स्त्रीपुरुष दोनों इस बात को समझ चुके हैं. आज औरतें भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर हर क्षेत्र में काम कर रही हैं, आगे बढ़ रही हैं. आज प्यार और समर्पण की शक्ल प्यार और साझेदारी ने ले ली है, जो व्यावहारिक भी है.

वरवधू शादी के समय रस्म के तौर पर 7 वचन लेते हैं और शायद बहुत जल्दी भूल भी जाते हैं पर दंपती सर्वेक्षण के आधार पर निष्कर्ष स्वरूप निकले इन वचनों को शादी के बाद भी लें, इन्हें याद रखें और निभाएं भी. विवाह का यह प्यारा बंधन प्यार, विश्वास और साझेदारी का ही तो है, जहां पतिपत्नी दोनों ही घरबाहर के काम करते हैं, तो दोनों को ही एकदूसरे के काम में सहयोग द्वारा तालमेल बैठा कर चलने की जरूरत है, जिस में ये सब के विचार मंथन से निकले निम्न वचन बड़े काम के हैं:

जो मेरा है वह तुम्हारा भी

लखनऊ के आर्किटैक्ट सुहास और उन की पत्नी सीमा में शुरूशुरू में छोटीछोटी बातों को ले कर अकसर अनबन हो जाती थी. सीमा कहती है, ‘‘जैसे मायके से मिले महंगे बैड कवर, क्रौकरी आदि को अगर सुहास अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के लिए इस्तेमाल करते, तो मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता. इसी तरह इन्हें भी मेरे रिश्तेदारों, सहेलियों द्वारा इन के म्यूजिक सिस्टम, नौवलों से छेड़छाड़ एकदम नागवार गुजरती. फिर एक दिन हम ने तय किया कि हम एक हैं, तो एकदूसरे की चीजों का इस्तेमाल क्यों न करें? उस दिन से सारा परायापन दूर हो गया.’’

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जैसे मुझे अपने मम्मीपापा, भाईबहन, दोस्तरिश्तेदार प्यारे हैं वैसे ही तुम्हें भी अपने

जयपुर के डा. राजेश और उन की होममेकर पत्नी ईशा ने इस बात का खुलासा किया कि पतिपत्नी दोनों के परिवारों का, रिश्तेदारों का घर में बराबर का सम्मान जरूरी है. राजेश ने अपनी बहन रीमा के घर में अपने व अपने मातापिता के बारबार अपमानित होने की घटना बताई. बहन अपने पति के इस अपमानित व्यवहार से आहत रहती है.

इस से उन के आपसी रिश्ते कभी मधुर नहीं हो पाए. यह तो गलत अपेक्षा है कि केवल पत्नी पति के घर वालों को पलकों पर बैठाए और पति उस के पीहर के लोगों को सम्मान न दे कर जबतब अपमानित करता फिरे. पति का भी उतना ही फर्ज है. पत्नी अर्धांगिनी है, सहचरी है कोई गुलाम नहीं.

जैसे मेरी जरूरतें जरूरी वैसे तुम्हारी भी

सुजाता एक कौरपोरेट औफिस में काम करती है. अकसर उसे घर आने में देर हो जाती है. घर पर भी कभीकभी उसे औफिस का काम निबटाना पड़ता है. इस पर पति विशाल चिड़चिड़ करता था. एक दिन सुजाता ने उसे बैठा कर अच्छी

तरह समझाया कि विशाल मैं ने शादी के पहले ही तुम्हें बता दिया था. तब तो तुम्हें मेरे अच्छे पैकेज के आगे सब मंजूर था. जब तुम अपनी बिजनैस मीटिंग से लेट आते हो तब मुझे तो कोई आपत्ति नहीं होती. फिर तुम क्यों नहीं समझते? मैं नौकरी नहीं छोड़ सकती. मां का हर महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन मैं नहीं रोक सकती. बेशक तुम मुझे छोड़ सकते हो. मुझे इस में भी कोई आपत्ति नहीं. मैं तलाक के लिए तैयार हूं.

मैं कल ही कहीं और शिफ्ट हो जाती हूं. पर सोचो मेरी मां की जगह तुम्हारी मां होती तो भी तुम यही कहते? अपनीअपनी जौब, जरूरत व जिम्मेदारी पूरी करने में एकदूसरे का सहयोग होगा तभी संबंधों में मधुरता आएगी और संबंध बना रहेगा वरना अपनेअपने रास्ते जाना ही बेहतर है.

उस दिन से विशाल समझ गया. अब बड़ीबड़ी क्या मेरी भूखप्यास, नींद जैसी छोटी जरूरतों को भी तवज्जो देने लगा है. मेरा दर्द, मेरी थकान उसे सब समझ आता है. लाइफ पार्टनर बने हैं तो यह जरूरी भी है.

अपनी आदतें, शौक, संस्कार जैसे मेरे वैसे तुम्हारे

पतिपत्नी अलग परिवारों से अलग परवरिश से आते हैं पर दूसरे से अपने जैसा व्यवहार, रहनसहन की ही अपेक्षा रखते हैं या अलग देख मखौल उड़ाते हैं तो वह ठीक नहीं, बल्कि हल ढूंढ़ना उचित है. स्कूल टीचर दीप्ति अपने बैंक मैनेजर पति शिखर के नंगे पांव घर में घूमने के बाद बिस्तर में घुसने से परेशान रहती थी, तो शिखर उस के कहीं से आने के बाद कपड़े चैंज कर बिस्तर पर छोड़ देने से परेशान रहता था. आखिर एक दिन बैठ कर दोनों ने समस्या का हल निकाला. अब पैरों की गंदगी से बचने के लिए शिखर ने कारपेट बिछा दिया तो दीप्ति ने भी शिखर की देखादेखी कपड़े सलीके से हैंग करने शुरू कर दिए. उन की जिंदगी फिर से गुनगुनाने लगी है.

दूसरों के सामने एकदूसरे की मीनमेख या मखौल नहीं

दिल्ली के ग्रेटर कैलाश की माला पहली बार विवाह के बाद हवाईयात्रा कर रही थी. पति अंश पेशे से चार्टर्ड अकाउंटैंट था. उस का एक दोस्त भी सपत्नीक उन के साथ था. सब किसी तीसरे दोस्त की शादी में जा रहे थे. बैल्ट बांधने की घोषणा हुई तो माला ने जल्दी से बगल वाली सीट की बैल्ट उठा ली और लगाने की कोशिश करने लगी. यह देख अंश हंस पड़ा, ‘‘अकल घास चरने गई है क्या? इतना भी नहीं आता क्या?’’ यह देख सब मुसकराने लगे तो माला को बहुत बुरा लगा. अत: बोली, ‘‘तुम्हें हंसने के बजाय मेरी मदद करनी चाहिए थी या इन की तरह अमीर घर की पत्नी लाते.’’

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अंश को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था.

इसी तरह बरेली निवासी गीता के भैयाभाभी उस से मिलने आए तो पति दीपक बोतल से ही पानी पी रहा था. उस ने भैया को भी पानी की वही बोतल औफर कर दी.

‘‘रुकिए, मैं गिलास लाती हूं. हमारे यहां कोई गंवारों जैसे नहीं पीता,’’ गीता बोली.

दीपक को उस की बात चुभ गई. बोला, ‘‘और हमारे यहां भी पति से ऐसे कोई बात नहीं करता.’’

‘‘भैया ने गीता को टोक कर बात संभाली. बाद में दोनों ने एकदूसरे को सौरी बोला और दूसरों के सामने एकदूसरे का मखौल न उड़ाने और मीनमेख न निकालने का वादा किया.’’

जैसी मेरी सोशल बौंडिंग वैसी तुम्हारी भी

दीपांकर की पत्नी जया शादी से पहले के ही बड़ी सोशल रही है. सब के दुखसुख, उत्सवत्योहार इत्यादि में शामिल होती आई है. औफिस हो या पड़ोसरिश्तेदार सब से निभाती आई है और अब भी निभा रही है. दीपांकर भी उसे सहयोग करता है, सो जया भी दीपांकर के सामाजिक रिश्तों को निभाने में कोई गुरेज नहीं करती.

जैसे मुझे कुछ स्पेस चाहिए वैसे ही तुम्हें भी

पारुल ने बताया सारा दिन तो वह पति रवि के सिर पर सवार नहीं रहती. कुछ वक्त उसे अकेला छोड़ देती है ताकि वह अपना कुछ काम कर सके. पति भी इस बात का ध्यान रखता है कि मुझ को स्पेस मिलता रहे. दोनों में इस बात को ले कर कभी कोई तकरार नहीं होती. अगले दिन के लिए अपना होमवर्क भी आसानी से कर लेते हैं. साथ होते हैं तो खूब छनती है.

जैसी मेरी कुछ सीक्रेट्स न बताने की मेरी इच्छा वैसी ही तुम्हारी भी

शादी के पहले क्या हुआ था पति के साथ या पत्नी के साथ या उन के घरखानदान में. यदि यह बात कोई नहीं बताना चाहता है तो ठीक है, कुरेदकुरेद कर पूछना क्यों? शक में रहना बेकार है. कालेज के अंगरेजी के व्याख्याता डा. नगेंद्र और उन की हिंदी की व्याख्याता पत्नी नीलम का यही मानना है. उन के अनुसार रिश्ते की प्रगाढ़ता के लिए यह आवश्यक है. वर्तमान को देखें, एकदूसरे का आत्मसम्मान बना रहने दें.

पौकेट मनी खर्च पर नो रोकटोक

‘‘अपन दोनों की मस्त लाइफ का यही तो सीधा फंडा है. घर खर्च में हम सहमति से बराबर शेयर करते हैं और पौकेट मनी पर एकदूसरे की नो टोकाटोकी,’’ स्टेट बैंक कर्मी प्रिया और उन के असिस्टैंट मैनेजर पति करण ने अपनी मजेदार बातों में एक और महत्त्वपूर्ण वचन भी बता दिया.

तो अब देर किस बात की. शादी के समय 7 वचन लिए हैं, तो शादी के बाद पतिपत्नी दोनों इन वचनों को आत्मसात कर लें और फिर प्रेमपूर्वक निभाएं यह रिश्ता.

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Budget Friendly है इन जगहों पर घूमना

भागती दौड़ती जिन्दगी में कई बार हम खुद को खोने लगते हैं. ऐसे में हमें खुद अपने लिए टाइम नहीं मिलता और न ही हमारे कल्पनायें उड़ान भर पाती हैं. अगर आप भी कुछ दिनों के लिए अपने आप को समय देना चाहते हैं तो आप भी हमारे लिस्ट में से कोई जगह सेलेक्ट करें और निकल जाइए जिन्दगी को एन्जॉय करने. सबसे खास बात ये है कि ये सारे ट्रिप्स आपके बजट में हैं, और आप 5000 रुपए में इन जगहों पर घूमने जा सकते हैं.

1.कसोल, हिमाचल प्रदेश

कसोल हिमाचल में आपको हिप्पी वाली फिलिंग आएगी. यहां आपको खूबसूरत वादियों के बीच गोवा जैसे बार और रेस्त्रां मिलेंगे. ये जगह दिल्ली से दूर है, पर आप केवल 800 रुपए के किराए में यहां पहुंच सकते हैं. ऊंची पहाड़ीयों और घनी वादियां से ज्यादा एक्साइटिंग और क्या होगा?

2. जयपुर, राजस्थान

राजस्थान के इस खूबसूरत शहर तक की यात्रा दिल्ली से बहुत आसान है. आप इस शहर में किसी भी होटल में ओवरनाइट स्टे कर सकते हैं. शहर घूमने के लिए आप किसी गाइड की मदद ले सकते हैं, जो महज 500 रुपए में आपको शहर घूमा देगा. खाने पीने के लिए 500 रुपए, और आपकी जेब में अब भी 2000 रुपए बचेंगे. कोई भी ऐतिहासिक जगह इससे सस्ती नहीं हो सकती.

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3. लैंसडाउन, उत्तराखण्ड

आधुनिकता के इस दौर में भी लैंसडाउन ने अपना खूबसूरती बरकरार रखी है. दिल्ली से यहां पहुंचने के लिए आप कोटद्वार तक की बस ले सकते हैं, यह लैंसडाउन से 50 किमी की दूरी पर है. उसके बाद लोकल बस लेकर शहर घूम सकते हैं, जिसमें 1000 रुपए से अधिक खर्च नहीं होंगे. ठहरने के लिए यहां बहुत से होटल हैं, जिसमें सबसे शानदार होटल भी 1500 से अधिक चार्ज नहीं करेंगे. आपके पास अभी भी 2500 रुपए बचे रहेंगे.

4. तवांग, अरुणाचल प्रदेश

यह खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा एक रिलीजियस डेस्टिनेशन है. कमर्शियलाइजेशन से अछूता यह स्थान आपके लिए पॉकेट फ्रेंडली है. यहां आपको प्रकृति का मेजिक देखने को मिलेगा और होट्लस भी अधिक चार्ज नहीं करते.

5. ऋषिकेश,उत्तराखण्ड

ऋषिकेश और वहां कि रिवर राफटिंग के बारे में तो आपने सूना ही होगा. ये शहर आस्था और एडवेंचर दोनों का केन्द्र है. दिल्ली से बस से आसानी से ऋषिकेश पहुंचा जा सकता है. वन-वे बस फेयर 200 से शुरू होकर 1400 तक हो सकते हैं. ऋषिकेश में कई आश्रम हैं जहां आप 150 प्रतिदिन के हिसाब से आराम से रुक सकते हैं.

6. कसौली, हिमाचल प्रदेश

कसौली शिमला के पास एक छोटा सा हिल स्टेशन है. कसौली तक पहुंचने के लिए आप दिल्ली से काल्का तक की ट्रेन लें और फिर कसौली के लिए टैक्सी शेयर कर लें. इसमें अधिक से अधिक 1500 रुपए खर्च होंगे. कसौली में आपको 1000 या उससे भी कम में होटल मिल जायेंगे. इसके बाद घूमने फिरने के लिए भी आपके पास 2500 रुपए बच जायेंगे.

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7. मसूरी, उत्तराखण्ड

मसूरी शहर अपने में प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ ब्रिटिश-अधीन भारत का इतिहास भी बताता है. मसूरी तक पहुंचने का सबसे अच्छा रास्ता है एक रोड ट्रिप. इससे आप प्रकृति के सौंदर्य का मजा भी ले पायेंगे. ओवरनाइट स्टे करने के लिए आपको 600 तक अच्छा होटल मिल जाएगा.

8. बिन्सर, उत्तराखण्ड

दिल्ली से 9 घंटे की दूरी पर है बिन्सर. यह जगह अपने वाइल्ड लाइफ के लिए फेमस है. दिल्ली से काठगोदाम के लिए आप ट्रेन से सकते हैं. उसके बाद लोकल बस से आप बिन्सर पहुंच सकते हैं.

Office में लेडीज टॉयलेट ज्यादा गंदे क्यों रहते हैं?

ग्वालियर,मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री, प्रधुमन सिंह तोमर जब मोती महल संभागायुक्त्त से चर्चा कर वापस लौटने लगें, तो उसी  समय कार्यालय की कुछ महिला कर्मचारियों ने उनसे शिकायत की कि कार्यालय में उनके लिए बनाए गए टॉयलेट की साफ-सफाई नियमित रूप से नहीं होती तथा शौचालय गंदे होने के कारण उन्हें काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है.  महिलाओं की शिकायत सुन जब वे खुद शौचालय की व्यवस्था देखने गए, तो शौचालय गंदे पाए गए.  हालांकि, वे खुद शौचालय की साफ-सफाई में जुट गए, जिससे वे चर्चा में भी बने हुए हैं.  लेकिन सच्चाई तो यही है कि महिला टॉयलेट ज्यादा गंदे रहते हैं.

एक महिला अफसर की पोस्टिंग ऐसे सरकारी दफ्तर में कर दी गई, जिसमें महिलाओं के लिए टॉयलेट ही नहीं था. ज्वाइनिंग के बाद उन्होंने जब टॉयलेट  के बारे में पूछा, तो उन्हें ये सुविधा नहीं होने की बात बताई गई.  इस वजह से परेशान लेडी अफसर को दिन में दो-तीन बार अपने घर जाना पड़ता था.  कई दिनों तक तो ऐसा ही चला.  समस्या का कोई हल न निकलता देख अफसर ने दूसरे दफ्तर में बैठना शुरू कर दिया.  जब इस मामले की शिकायत कलेक्टर तक पहुंची तो उन्होंने कहा कि बजट मिलेगा तो लेडीज टॉयलेट  बनवा दिया जाएगा.

वुमेन पॉवर की बात करने वाले पुलिस महकमे में ही महिला पुलिस कर्मियों को एक बड़ी समस्या से गुजरना पड़ता है.  आठ से दस घंटे की ड्यूटी के दौरान उन्हें शौचालय जाने के लिए जुगाड़ तलाशनी पड़ती है.  कुछ महिला पुलिस से जब बात की गई तो उनका दर्द भी सामने आ गया.  उन्होंने बताया कि शौचालय की व्यवस्था न होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.  कुछ तो थाने के आसपास के घरों में मदद लेती है, तो कुछ को ग्रामीण इलाकों में खुले में जाना पड़ता है.  विपरीत परिस्थियों में महिला पुलिसकर्मियों को मजबूरी में पुरुष शौचालय का ही उपयोग करना पड़ता है.  इस दौरान पुरुष शौचालय के बाहर एक महिला पुलिसकर्मी पहरा देती है.  यहाँ फरियाद लेकर आने वाली महिलाओं को भी इस समस्या से गुजरना पड़ता है.

शहर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सफाई के कई दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत तो यह है कि आज भी कई दफ्तरों में महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है, जहां है भी उसकी इतनी गंदी हालत हो चुकी है कि हाइजीन का खतरा है. इन दफ्तरों में काम करने वाली महिलाओं को भटकना पड़ता है.  एनबीटी ने शहर में कुछ सरकारी दफ्तर में जाकर इसकी पड़ताल की तो ये हकीकत सामने आई.

टॉयलेट की समस्या से डॉक्टर कर देते हैं मना

ओल्ड फरीदाबाद के शहरी स्वास्थ्य केंद्र में 15 कर्मचारी हैं, जिनमें 7 महिला कर्मचारी हैं.  2 टॉयलेट बने हुए हैं जिसमें से एक पर ताला जड़ा हुआ है, जबकि दूसरे में पानी नहीं आता है.  यहाँ की महिला स्टाफ पास के गर्ल्स स्कूल के टॉयलेट में जाती हैं, वहीं महिला मरीज टॉयलेट जाने के लिए भटकती रहती हैं.  एक महिला कर्मचारी ने बताया कि टॉयलेट  की कमी की वजह से वह कई बार ड्यूटी आने से परहेज करती है.  आलम यह है कि पिछले कई साल से इस स्वास्थ्य केंद्र पर महिला डॉक्टर की तैनाती नहीं है और इसका सबसे बड़ा कारण है महिला टॉयलेट नहीं होना.  इस वजह से कोई महिला डॉक्टर आने को तैयार नहीं होती.  हालांकि, विभाग के कर्मचारी खुलकर यह बात नहीं बोलते हैं.

एनआईटी-2 स्थित उपमंडल अधिकारी के कार्यालय में हर रोज 200 लोगों का आना-जाना होता है.  टोटल स्टाफ में से 4 महिला कर्मचारी हैं.  महिला व पुरुष कर्मचारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के भी एक ही टॉयलेट  है.  एक महिला कर्मचारी ने बताया कि कई बार स्थिति यह होती है महिला व पुरुष को एक साथ शौच जाना पड़ता है.  लेकिन एक ही टॉयलेट होने के कारण एक ही अंदर जा सकते हैं.

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दुर्गन्ध से महिला नहीं जा पाती टॉयलेट

मथुरा रोड बिजली सबडिविजन कार्यालय में बेशक महिला व पुरुष कर्मचारियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट  बने हुए हैं, लेकिन महिला टॉयलेट  का बुरा हाल है.  वह अक्सर बंद  रहता है. टॉयलेट  के अंदर झाड़ू, ब्रश, व अन्य सामना पड़ा रहता है. टॉयलेट  की साफ-सफाई नहीं होती.  ऐसे में महिला कर्मचारी को पुरुष टॉयलेट  में जाना पड़ता है.  वहीं दूसरी ओर कई दफ्तरों में महिलाएं,टॉयलेट  की बदबू से परेशान रहती हैं.

रेलवे स्टेशनों पर भी महिला टॉयलेट की समस्या

ए श्रेणी की गिनती में आने वाले स्टेशनों पर महिला टॉयलेट  की अलग से व्यवस्था नहीं है.  उन्हें भी जनरल टॉयलेट  में जाना पड़ता है.  जिसकी सफाई नहीं होने के कारण बदबू के मारे टॉयलेट  जाना मुश्किल हो जाता है.  यहाँ तक की टॉयलेट  में पानी तक की व्यवस्था नहीं होती है.  शराब की बोतलें टॉयलेट  में पड़ी होती हैं.  शराबी टॉयलेट  में जाकर शराब पीते हैं जिससे महिलाओं की सुरक्षा भी खतरे में है.  अगर किसी आला अधिकारी दफ्तरों में महिला व पुरुष टॉयलेट  अलग-अलग होते भी हैं तो उनमें दरवाजे व कुंडियाँ टूटे हुए और बहुत गंदे होते हैं.

बढ़ जाता है यूरिन इन्फेक्शन का खतरा

सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली एक शिक्षिका का कहना है कि स्कूल में एक टॉयलेट है लेकिन दिखाने के लिए.  न तो उसमें थी से दरवाजा लगता है, न ही पानी की व्यवस्था है और न ही साफ-सफाई रहती है और तो और बच्चों से लेकर पुरुष व महिला टीचर सब को उसी टॉयलेट में जाना होता है.  कभी-कभी तो समस्या इतनी बढ़ जाती है कि हमें अपना यूरिन रोके रहना पड़ता है या बगल के खेत या झाड़ियों में जाकर टॉयलेट करना पड़ता है.  बाथरूम न जाना पड़े, इसलिए हम पानी कम या नहीं पीते हैं.

महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट न होना और उसमें टिश्यू पेपर की सुविधा  न होने से यूरिन इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.  हालत ये है कि वर्क प्लेस पर महिलाएं पानी कम पीती हैं, ताकि उन्हें बार-बार वॉशरूम न जाना पड़े.  इससे किडनी पर प्रभाव पड़ता है.  यूरिन इन्फेक्शन से किडनी फेल होने की आशंका बढ़ जाती है.

टॉयलेट  न होने की समस्या पर जब से विद्यावालन ने फिल्म ‘जहां शौच, वहाँ शौचालय’ और मोदी की शौचालयों को लेकर मुहिम चर्चा में आई है लड़कियों ने बिना टॉयलेट  वाले गाँवों में शादी करने से इंकार करना शुरू कर दिया.  अब यह पीड़ा शहर और बाजार में आने-जाने वाली लड़कियों में भी तेजी से उभरने लगी है.  देखने-सुनने में मामूली यह समस्या महिलाओं के लिए बेहद गंभीर है, यह मैं एक महिला होने के नाते अच्छे से समझ पाती हूँ.  प्रधान मंत्री मोदी की सफाई पसंदगी के दौर में अक्षय कुमार की फिल्म का टाइटल ‘टॉयलेट-एक-प्रेमकथा हो सकता है, लेकिन कई घनी आबादी और भीड़भाड़ वाले इलाकों में टॉयलेट बेबसी की दास्तां है .  नेताओं और अफसरों को लोगों की सहूलियत का कितना ख्याल है,  आज दफ्तरों में महिलाओं के लिए ढंग का टॉयलेट  नहीं होना बताता है.

कुछ सालों पहले तक कई दफ्तरों में टॉयलेट  तक नहीं होते थे, क्योंकि महिलकर्मियों की इस अहम जरूरत पर कंपनियाँ पैसा खर्च करना फिजूलखर्ची समझती थी.  अलग से महिला टॉयलेट  बनाने के लिए मुहिम छेड़ी गई तब जाकर कुछ काम हुआ.  लेकिन अभी भी दफ्तरों में लेडीज,टॉयलेट की समस्या से परेशान है.

सिर्फ दफ्तरों या स्कूलों में ही नहीं,, बल्कि घर से बाहर निकलने पर भी महिलाओं को इस समस्या से जूझना पड़ता है. महिलाओं को बाजार में ज्यादा देर तक रुकना पड़े तो दुर्दशा हो जाती है.  पुरुष तो फिर भी जहां चाहे खड़े होकर निपट लेते हैं, लेकिन महिलाओं को ऐसी पीड़ा से गुजरना पड़ता है जिसे वह व्यक्त भी नहीं कर पातीं.

जानी-मानी पत्रकार राधिका का इस बारे में कहना है कि ‘मैं दौरे पर जाती हूँ तो बड़ी मुश्किल होती है.  रास्ते में कोई टॉयलेट नहीं मिलता है.  यूपी, बिहार की हालत तो और खराब है.  बाथरूम आने पर आप या तो सड़क पर कीजिये या फिर रोके रहिए.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की मानें, तो भारत में टॉयलेट कम और मोबाइल फोन ज्यादा है.  दिल्ली में 2007 के आंकड़ों के अनुसार, 3192 टॉयलेट थे जिसमें से मात्र 132 टॉयलेट महिलाओं के लिए थे.  समस्या टॉयलेट की गंदगी की और साइकोलॉजी की भी है.

पत्रकार राधिका कहती हैं कि ‘मैं तो जब सुबह रिपोटिंग के लिए निकलती हूँ दूरदराज़ के गाँवों की तरफ तो पानी कम पीती हूँ.  चाय नहीं पीती हूँ.  कंट्रोल करना पड़ता है.  पता नहीं कब मुश्किल आ जाए.  अधिक दिक्कत होती है तो जंगल में जाती हूँ क्या करूँ तो.

 सहनी पड़ती है कंट्रोल करने की पीड़ा

एक महिला का कहना है कि वह घर से मानसिक रूप से तैयार होकर निकलती है कि बाहर टॉयलेट  नहीं मिलेगा.  रोडवेज का टॉयलेट  बहुत गंदा होता है, जिसे वह इमरजेंसी  में यूज करती है.  वहीं एक  लड़की पुजा का कहना है कि अक्सर ऐसे वाकये होते हैं कि जब इमरजेंसी में टॉयलेट  नहीं मिलने और आधा काम छोड़कर घर लौटना पड़ता है.  एक शोरूम में काम करने वाली मोनिका का कहना है कि इमरजेंसी होने पर उसे डीआईओएस परिसर के टॉयलेट  को यूज करना पड़ता है.  बैंक की तैयारी कर रही है एक लड़की का कहना है कि जरूरत पड़ने पर उसे मॉल का टॉयलेट  यूज करना पड़ता है.  यह पीड़ा वह किसी से कह नहीं सकती.

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महिलाओं की आपबीती

एक महिला का कहना है कि वह जिस दफ्तर में काम करती है वहाँ का टॉयलेट बहुत गंदा होता है. टॉयलेट  गंदा होने के कारण वह उसे इस्तेमाल करने से बचती है.  वह घर से पानी पीकर नहीं निकलती, दफ्तर में भी कम पानी पीती है कि कहीं उन्हें बाथरूम जाने की जरूरत न पड़ जाए.  वह कहतीं हैं कि  कम पानी पीने से उन्हें पित्त की थैली में पथरी की समस्या हो गई है.

एक महिला, जिनके पति की मौत हो चुकी है.  बच्चे दूसरे शहरों में पढ़ रहे हैं.  जरूरी चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर है.  कारण बताती है कि उम्र बढ़ने के बाद उनमें नेचर कॉल रोकने की ताकत नहीं रही.  लिहाजा बाहर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती.

साथ रखना पड़ता है टॉयलेट पेपर

पेशे से सीए, शालिनी बताती है कि जिन जगहों पर इंगलिश टॉयलेट बने हैं वहाँ बड़ी समस्या उनकी सीट गंदी होने की होती है.  इसलिए बाहर कहीं टॉयलेट यूज करने के लिए वह टॉयलेट पेपर पर्स में लेकर चलती हैं ताकि सीट के इस्तेमाल से पहले पेपर से उसे साफ कर सके या उस पर बिछा सके.  महिलाएं पेपर सोप और सेनीटाइजर भी साथ लेकर चलती है, क्योंकि ज़्यादातर टॉयलेट में साबुन या हैंड लिक्विड की व्यवस्था नहीं होती है.

डॉक्टरों का कहना है कि नेचर कॉल को नजर अंदाज करने से कई समस्याएँ होती है सबसे प्रमुख समस्या तो संक्रमण की है जो अधिकतर सामने आती है.  एक-दो बार में कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर रूटीन में यही होता है तो समस्याएँ होने लगती है.  गुर्दे पर भी यह असर करता है.  इसलिए गंदा टॉयलेट  महिलाओं को बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.  डॉक्टर का कहना है कि गंदा शौचालय इस्तेमाल करने से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में 60 फीसदी अधिक संक्रमण होता है.

कई शोधों में ये बात सामने आ चुकी है कि गंदा बाथरूम या पब्लिक टॉयलेट  के इस्तेमाल से अक्सर महिलाओं को यूटीआई जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है.

आज ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों की एक वजह खुले में शौच करना भी है.  कई ऐसी घटनाएँ हुईं जहां रात को महिलाएं बाहर खेत में शौच करने गई और उसका बलात्कार कर हत्या कर दी गई.  हालांकि, इस बाबत देशभर में कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन यूपी पुलिस दावा करती है कि वहाँ ज़्यादातर घटनाएँ शौचालय न होने के कारण होती है.

भारत के कई गाँवों में आज भी लोग खुले में शौच करते हैं.  खुले में शौच का जो लैंगिक पहलू है, उसे गहराई से समझने की जरूरत है.  महिलाएं दिन में खुले में शौच नहीं जाती.  वे अलसुबह या रात के अंधेरे में टोला बनाकर शौच करने जाती है.  उस वक़्त लड़के व पुरुष टॉर्च से उन पर फ्लैश मारते हैं.  ऐसा करते उन्हें जरा भी शर्म नहीं आती.

देश बदल रहा है.  आज महिलाएं कई क्षेत्रों में पुरुष से आगे हैं. तो क्या उनके लिए पर्याप्त शौचालयों की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए?  स्थिति पहले से बहुत सुधरी है पर अभी भी बहुत कुछ होना बाँकी है.  शौचालय के नाम पर आज लोग पैसा कमाना चाहते हैं जबकि इसे स्वच्छता से जोड़कर देखना चाहिए.  ये पैसे कमाने का साधन नहीं है.

ऐसे समय में जब गाँवों से शहरों को खुले में शौच से मुक्त्त घोषित किया जा रहा है और सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को इसके लिए श्रेय दिया जा रहा है, तो अभी भी भारत के ग्रामीण स्कूलों बहुत कुछ करना बाँकी है.  स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छ विधालय पहल शुरू करने के बावजूद, 11.5 प्रतिशत ग्रामीण स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं है.  जबकि कुछ स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय तो बने हैं पर उनमें से 10.5 प्रतिशत बंद थे और 11.7 प्रतिशत लॉक और अनुपयोगी है.  2011 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार, करीब 50 मिलियन टॉयलेट ‘मिसिंग’ है.  यानि वे राज्य व्यय रिपोर्ट में दर्ज़ तो थे, पर घरों में बनाए नहीं गए.

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Raksha Bandhan Special: फैमिली को पराठों के साथ परोसें पंजाबी छोले

पंजाबी छोले आपने सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी घर पर ट्राय किया है. लोगों का कहना है कि पंजाबी छोले सिर्फ पंजाब में बने हुए ही टेस्टी होते हैं. पर आज हम आपको पंजाबी छोले की ऐसी आसान रेसिपी बताएंगे, जिसे आप घर पर ट्राय कर सकते हैं और गरमागरम अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को परांठों के साथ परोस सकते हैं. इससे आप लोगों की वाहवाही भी लूट सकेंगी. तो आइए जानते हैं पंजाबी छोले की खास रेसिपी…

हमें चाहिए

काबुली चने (सफेद चने) – 01 कटोरी,

पनीर – 100 ग्राम (क्यूब्स में कटा हुआ),

टमाटर– 3-4 (मीडियम साइज),

प्याज – 01 नग,

हरी मिर्च – 3-4 नग,

रिफाइंड तेल – 02 बड़े चम्मच,

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अदरक पेस्ट – 01 छोटा चम्मच,

धनिया पाउडर – 01 छोटा चम्मच,

जीरा – 1/2 छोटा चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर – 1/2 छोट चम्मच,

गरम मसाला – 1/2 छोटाचम्मच,

अमचूर पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच,

खाने का सोडा़ – 1/4 छोटी चम्मच,

हरा धनिया – 02 बड़े चम्मच (बारीक कतरा हुआ),

नमक – स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

सबसे पहले काबुली चनों को रात भर के लिये भिगो दें. भीगने के बाद चनों को धो कर कुकर में रखें. कुकर में एक छोटा गिलास पानी, खाने का सोडा़ और नमक मिला दें. इसके बाद कुकर का ढक्कन बन्‍द कर दे और उसे गैस पर तेज आंच में उबालें. जब कुकर में 1 सीटी आ जाए, गैस की आंच धीमी कर दें. 5 मिनट पकने के बाद गैस औफ कर दें और कुकर की गैस अपने आप निकलने दें.

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जब तक छोले ठंडे हो रहे हैं, एक पैन में 2 छोटे चम्मच तेल डाल कर गरम करें. तेल गरम होने पर उसमें पनीर के टुकड़े डाले और उन्हें हल्का सा तल लें. इसके बाद पैन में गरम मसाला और आधा हरा धनिया मिला दें और चलाकर इसे उतार कर अलग रख दें. अब मिक्सर में टमाटर, हरी मिर्च, अदरक को बारीक पीस लें. कढ़ाई में तेल गर्म करें. गरम तेल में जीरा डालें और भून लें. जीरा भुनने के बाद उसमें प्याज मिक्‍स करें और भून ले. प्याज भुन जाने के बाद कढ़ाई में अमचूर पाउडर, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और टमाटर अदरक का पेस्ट डाल कर भून लें.

जब मसाला तेल छोड़ दे, उसमें एक कप पानी डाल कर उबाल आने तक पकायें. उबाल आने पर कढ़ाई में उबले हुए छोले डाल दें और चला दें. अगर आपको छोले की तरी ज्यादा गाढ़ी लग रही हो, तो इसमें आवश्यकतानुसार और पानी मिला दें और उसे पका लें. इसके बाद कढ़ाई में तले हुए पनीर के मिश्रण को कढ़ाई में डालें और चला दें. 2 मिनट तक पकने दें, फिर गैस बंद कर दें और बची हुई हरी धनिया कढ़ाई में डाल कर चला दें. अब इसे गरमागरम नान या परांठों के साथ अपनी फैमिली और फ्रेंडस को परोसें.

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Bigg Boss OTT: पौलीथिन ड्रैस में उर्फी जावेद का लुक हुआ वायरल, एक से बढ़कर हैं लुक्स

बीते हफ्ते शुरु हुए रियलिटी शो बिग बॉस OTT (Biggg Boss OTT) का पहला एलिमनेशन हो चुका है, जिसके चलते कंटेस्टेंट उर्फी जावेद (Urfi Javed)  शो से बाहर हो गई हैं. हालांकि सोशलमीडिया पर इन दिनों वह अपने फैशन सेंस को लेकर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. दरअसल, शो के एक टास्क को जीतने के लिए उर्फी जावेद ने कूड़े वाली पॉलीथीन से ड्रेस बनाकर पहनी थी, जिसे देखने के बाद सोशमलीडिया पर फैंस उनके इस लुक पर अपना रिएक्शन दे रहे हैं. हालांकि शो के पूरे हफ्ते में उनका अलग-अलग फैशन काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं उर्फी जावेद के फैशन की झलक…

पौलीथिन ड्रैस में बटोर रही हैं सुर्खियां

 

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हाल ही में पौलीथिन ड्रेस में शानदार परफॉर्मेंस देने वाली उर्फी का लुक देखकर फैंस मजेदार रिएक्शन दे रहे हैं. दरअसल, उर्फी ने पौलीथिन ड्रेस को बैकलेस हॉट्लर नेक शॉर्ट ड्रेस का लुक दिया था. इसके साथ ही उन्होंने व्हाइट पर्ल वाले नेकलेस औक पौनी टेल के साथ पेयर किया था, जिसमें वह बेहद कमाल की लग रही थीं.

 

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साड़ी में दिखा था हौट अवतार

 

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शो के पूरे हफ्ते में उर्फी जावेद के कई अवतार देखने को मिले, जिसमें साड़ी में वह बेहद हौट लुक में नजर आईं. उनका ये लुक फैंस के बीच छाया हुआ है. प्रिंटेड साड़ी के साथ ट्रैंडी ब्लाउज उनके लुक को और भी खूबसूरत बना रहा था. उर्फी जावेद का हौट अवतार देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नही थक रहे हैं.

ड्रैसेस के हैं अलग कलेक्शन

 

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उर्फी जावेद के ड्रैसेस कलेक्शन की बात करें तो उनके पास एक से बढ़कर एक कलेक्शन हैं, जिसे वह सोशलमीडिया के जरिए फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं.

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Social Story In Hindi: मैं कमजोर नहीं हूं- मां और बेटी ने किसे सिखाया सबक

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बालों में डैंड्रफ होने से बेहद परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 29 वर्षीय युवती हूं. बालों में डैंड्रफ होने से बेहद परेशान हूं. सिर में खुजली होती रहती है और शाम होने तक गरदन, कंधे और शर्टब्लाउज डैंड्रफ से भर जाते हैं. यह समस्या पिछले 1 साल से बनी हुई है. कई प्रकार के शैंपू आजमा कर देख चुकी हूं पर आराम नहीं मिल रहा. कुछ समय से बाल भी अधिक संख्या में गिरने लगे हैं. क्या डैंड्रफ, रूसी, डैंड्रफ सभी एक ही मर्ज है या उन में कोई अंतर होता है? मुझे कोई घरेलू समाधान बताएं जिस से कि मैं इस परेशानी से छुटकारा पा सकूं?

जवाब-

डैंड्रफ, रूसी, डैंड्रफ तीनों एक ही मर्ज के नाम हैं, जिस में सिर की चमड़ी के छोटेछोटे छिलके उतर कर डैंड्रफ की शक्ल में गिरते रहते हैं. यह ठीकठीक कह पाना मुश्किल है कि यह समस्या किस कारण होती है. पर व्यक्तिगत तौर पर जेनैटिक कारण और मौसम का डैंड्रफ पर प्रभाव होता देखा गया है. कुछ परिवारों में यह सभी को परेशान करती है. सर्दियों के मौसम में यह समस्या बढ़ जाती है. समझा जाता है कि सिर की चमड़ी की तैलीय ग्रंथियों में बनने वाले सीबम में कुछ खास बैक्टीरिया और फफूंद की प्रजातियों के बस जाने से यह समस्या उपजती है. किसीकिसी में समस्या थोड़ी अधिक गंभीर होती है जब इस का संबंध सोरायसिस से होता है.डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए आप सप्ताह में 2 बार प्रोटार के शैंपू से सर को धोएं. रोजाना बालों की जड़ों में डिप्रोवैट लोशन लगाएं. इस से रूसी दूर होगी और सिर में खुजलाहट भी बंद हो जाएगी. पर इन उपायों से काम न चले तो किसी चर्मरोग विशेषज्ञ से मिल कर इलाज शुरू करना अच्छा रहेगा.

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रुसी कई प्रकार की होती है, जिसमें से तेलीय रुसी यानी की औयली डैंड्रफ एक आम समस्‍या है. यह त्‍वचा की समस्‍या है जिसमें सिर की त्‍वचा से तेल ज्‍यादा मात्रा में निकलता है जिस कारण त्‍वचा पर यीस्‍ट जम जाती है जिसको मैलेसेजिया कहते हैं.

औयली डैंड्रफ की समस्‍या किसी को भी हो सकती है जो कि वंशानुगत होती है. इसके कारण पल्‍यूशन, तनाव, मोटापा और मौसम होता है. आइये जानते हैं इसको दूर करने का घरेलू उपचार.

घरेलू उपचार

कुछ बूंदे टी ट्री औयल,सिरका, लहसुन पेस्‍ट और नीम पाउडर यीस्‍ट के संक्रमण को ठीक कर के रुसी दूर करता है.

अपने सिर पर एलो वेरा की पत्‍ती को रगड़े या फिर उसमें हल्‍का सा नींबू भी मिला लें. इसको सिर पर रात में लगाएं ओर सुबह बालों को धो लें.

गुडहल के फूल की पत्‍तियों का जेल लगाने से औयली त्‍वचा से छुटकारा मिल जाता है. इसको मेथी के पेस्‍ट के साथ हर रोज लगाने से काफी लाभ मिलता है.

सेब का सिरका तेलीय रुसी को खतम करता है इसलिए जब भी नहाने जाएं उससे कुछ घंटे पहले अपने बालों को इससे जरुर मसाज करें.

अगर आपके बाल तेलीय हैं तो उस पर हिना लगा सकती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- औयली डैंड्रफ को हटाने का ये है आसान तरीका

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