डेंचर से अपनी खूबसूरत मुस्कान वापस पाएं!

पिछले कुछ दशकों में दांतो का गिरना दुनिया में लोगों की एक बड़ी समस्या बना हुआ है. ओरल हैल्थ की स्थिति जानने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है क्योंकि इससे मुंह की बीमारियों के प्रभाव, दांतों की हाईज़ीन के प्रति व्यक्ति के व्यवहार, डेंटल सेवाओं की उपलब्धता तथा ओरल हैल्थ के बारे में लोगों के विश्वास/सांस्कृतिक मूल्यों का पता चलता है.

दांतों का गिरना लोगों को सदमा देता है और इसे जीवन का एक बड़ा नुकसान माना जाता है, जिसके लिए सामाजिक व मनोवैज्ञानिक रूप से काफी समायोजन करने की जरूरत पड़ती है. दांतों का रिप्लेसमेंट एक कला है, जिसमें टूटे हुए दांत की जगह कृत्रिम दांत लगा दिया जाता है या डेंटल प्रोस्थेसिस किया जाता है. टूटे हुए दांत की जगह दूसरा दांत लगाना जरूरी क्यों है, इसके अनेक कारण हैंः

आपके मुंह में पूरे दांत होने से आपमें आत्मविश्वास आता है. आपको चिंता नहीं रहती कि आपका टूटा दांत लोगों की नजर में आएगा.

दांत टूटने पर जबड़े का वो हिस्सा, जिस पर दांत लगा होता है, उसका आकार कम हो जाता है. डेंटल इंप्लांट सपोटेर्ड प्रोस्थेसिस से हड्डी बचाए रखने और अपने जबड़े का आकार बनाए रखने में मदद मिलती है.

दांत टूटने से आपके बोलने के तरीके में परिवतर्न आ जाता है.

दांत टूटने से आपकी चबाने तथा विभिन्न तरह की खाद्य वस्तु को खाने की क्षमता बदल जाती है. ऐसा आम तौर पर देखा जाता है कि चबाना मुश्किल हो जाने से लोग कुछ चीजें खाने से परहेज करने लगते हैं, इसलिए जिन लोगों के दांत टूटे हुए होते हैं, उनका पोषण खराब होता है और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

दांतों के टूटने से आपके द्वारा काटने तथा आपके दांत किस प्रकार आपस में मिलते हैं, उसका तरीका बदल जाता है, जिससे जबड़े के जोड़ में समस्या पैदा हो सकती है.

यद्यपि डेंचर बाजार में उपलब्ध सबसे किफायती रिमूवेबल डेंटल प्रोस्थेसिस में से एक हैं. अधिकांश लोग अपने दांतों की जगह डेंचर लगवाना ही पसंद करते हैं. आज भारत में 45 साल से अधिक उम्र के हर 7 में से 1 व्यस्क डेंचर लगाता है. ये डेंचर संपूणर् या आंशिक हो सकते हैं.

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संपूर्ण डेंचर –

संपूर्ण डेंचर प्लास्टिक आधार के बने होते हैं, जो मसूढ़ों के रंग का होता है और प्लास्टिक या पोसेर्लीन के दांतों का पूरा सेट इस पर लगा होता है.

आंशिक डेंचर –

आंशिक डेंचर या तो प्लास्टिक बेस या फिर मैटल फ्रेमवकर् का बना होता है, जो रिप्लेस किए जाने वाले दांतों की संख्या को सपोटर् करता है. इसे मुंह के अंदर क्लैस्प एवं रेस्ट द्वारा लगाकर रखा जाता है, जो आपके प्राकृतिक दांतों के चारों ओर स्थित हो जाते हैं.

इंप्लांट सपोटेर्ड डेंचर –

इंप्लांट रिटेंड ओवरडेंचर एक रिमूवेबल डेंटल प्रोस्थेसिस है, जिसे बचे हुए ओरल टिश्यू सपोटर् करते हैं और इसे लगाए रखने के लिए डेंटल इंप्लांट किया जाता है.

डेंचर व्यक्ति का रूप बनाए रखते हैं. ये दिखाई नहीं देते. डेंचर फिक्सेटिव या एधेसिव डेंचर पहनने वालों को अच्छा फिट एवं आराम देता है. डेंचर फिक्सेटिव से निम्नलिखित आराम मिलता हैः

डेंचर का कम मूवमेंट एवं चबाने की क्रिया में सुधार.

बाईटिंग (काटने) के लिए सवार्धिक बल, रिटेंशन व स्थिरता.

डेंटल प्लाक कम या फिर बिल्कुल नहीं होने से डेंचर पहनने वालों की ओरल हाईज़ीन में सुधार.

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डेंचर बेस के नीचे खाने के कम अटकने के चलते म्यूकोसल इरीटेशन कम होना.

डेंचर पहनने वाले की मनोवैज्ञानिक सेहत में सुधार.

हालांकि दांतों का रिप्लेसमेंट तभी सफल होता है, जब मरीज उत्साहित हो एवं विभिन्न तरह के प्रोस्थेसिस, उनके उपयोग एवं मेंटेनेंस के बारे में जानता हो. ओरल हाईज़ीन, क्लीनिंग एवं डेंचर का सही उपयोग, डेंचर फिक्सेटिव/एधेसिव का उपयोग आजीवन चलने वाली प्रक्रियाएं हैं. शुरुआत में यह मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह आपके चेहरे की मुस्कुराहट वापस लेकर आ जाएगा.

डॉ अनंत राज, मुंबई से बातचीत पर आधारित

औकात से ज्यादा: भाग 1- सपनों की रंगीन दुनिया के पीछे का सच जान पाई निशा

लड़कियों को काम कर के पैसा कमाते देख निशा के अंदर भी कुछ करने का जोश उभरा. सिर्फ जोश ही नहीं, निशा के अंदर ऐसा आत्मविश्वास भी था कि वह दूसरों से बेहतर कर सकती थी. निशा कुछ करने को इसलिए भी बेचैन थी क्योंकि नौकरी करने वाली लड़कियों के हाथों में दिखलाई पड़ने वाले आकर्षक व महंगे टच स्क्रीन मोबाइल फोन अकसर उस के मन को ललचाते थे और उस की ख्वाहिश थी कि वैसा ही मोबाइल फोन जल्दी उस के हाथ में भी हो. निशा के सपने केवल टच स्क्रीन मोबाइल फोन तक ही सीमित नहीं थे.  टच स्क्रीन मोबाइल से आगे उस का सपना था फैशनेबल कीमती लिबास और चमचमाती स्कूटी. निशा की कल्पनाओं की उड़ान बहुत ऊंची थी, मगर उड़ने वाले पंख बहुत छोटे. अपने छोटे पंखों से बहुत ऊंची उड़ान भरने का सपना देखना ही निशा की सब से बड़ी भूल थी. वह जिस उम्र में थी, उस में अकसर लड़कियां ऐसी भूल करती हैं. वास्तव में उन को इस बात का एहसास ही नहीं होता कि सपनों की रंगीन दुनिया के पीछे की दुनिया कितनी बदसूरत व कठोर है.

अपने सपनों की दुनिया को हासिल करने को निशा इतनी बेचैन और बेसब्र थी कि मम्मी और पापा के समझाने के बावजूद 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उस ने आगे की पढ़ाई के लिए कालेज में दाखिला नहीं लिया. वह बोली, ‘‘नौकरी करने के साथसाथ आगे की पढ़ाई भी हो सकती है. बहुत सारी लड़कियां आजकल ऐसा ही कर रही हैं. कमाई के साथ पढ़ाई करने से पढ़ाई बोझ नहीं लगती.’’ ‘‘जब हमें तुम्हारी पढ़ाई बोझ नहीं लगती तो तुम को नौकरी करने की क्या जल्दी है?’’ मम्मी ने निशा से कहा. ‘‘बात सिर्फ नौकरी की ही नहीं मम्मी, दूसरी लड़कियों को काम करते और कमाते हुए देख कई बार मुझ को कौंप्लैक्स  महसूस होता है. मुझे ऐसा लगता है जैसे जिंदगी की दौड़ में मैं उन से बहुत पीछे रह गई हूं,’’ निशा ने कहा. ‘‘देख निशा, मैं तेरी मां हूं. तुम को समझाना और अच्छेबुरे की पहचान कराना मेरा फर्ज है. दूसरों को देख कर कुछ करने की बेसब्री अच्छी नहीं. देखने में सबकुछ जितना अच्छा नजर आता है, जरूरी नहीं असलियत में भी सबकुछ वैसा ही हो. इसलिए मेरी सलाह है कि नौकरी करने की जिद को छोड़ कर तुम आगे की पढ़ाई करो.’’

‘‘जमाना बदल गया है मम्मी, पढ़ाई में सालों बरबाद करने से फायदा नहीं.  बीए करने में मुझे जो 3 साल बरबाद करने हैं, उस से अच्छा इन 3 सालों में कहीं जौब कर के मैं अपना कैरियर बनाऊं,’’ निशा ने कहा. मम्मी के लाख समझाने के बाद भी निशा नौकरी की तलाश में निकल पड़ी. उस के अंदर जबरदस्त जोश और आत्मविश्वास था. उस के पास ऊंची पढ़ाई के सर्टिफिकेट और डिगरियां नहीं थीं, लेकिन यह विश्वास अवश्य था कि अगर अवसर मिले तो वह बहुतकुछ कर के दिखा सकती है. वैसे देखा जाए तो लड़कियों के लिए काम की कमी ही कहां? मौल्स, मोबाइल और इंश्योरैंस कंपनियों, बड़ीबड़ी ज्वैलरी शौप्स और कौस्मैटिक स्टोर आदि पर ज्यादातर लड़कियां ही तो काम करती नजर आती थीं. ऐसी जगहों पर काम करने के लिए ऊंची क्वालिफिकेशन से अधिक अच्छी शक्लसूरत की जरूरत थी जोकि निशा के पास थी. सिर्फ अच्छी शक्लसूरत कहना कम होगा, निशा तो एक खूबसूरत लड़की थी. उस में वह जबरदस्त चुंबकीय खिंचाव था जो पुरुषों को विचलित करता है. कहने वाले इस चुंबकीय खिंचाव को सैक्स अपील भी कहते हैं.

निशा उत्साह और जोश से भरी नौकरी की तलाश में निकली अवश्य, मगर जगह- जगह भटकने के बाद मायूस हो वापस लौटी. नौकरी का मिलना इतना आसान नहीं जितना लगता था. निशा 3 दिन नौकरी की तलाश में घर से निकली, मगर उस के हाथ सिर्फ निराशा ही लगी. इस पर मम्मी ने उस को फिर से समझाने की कोशिश की, ‘‘मैं फिर कहती हूं, यह नौकरीवौकरी की जिद छोड़ और आगे की पढ़ाई कर.’’ निशा अपनी मम्मी की कहां सुनने वाली थी. उस पर नौकरी का भूत सवार था. वैसे भी, बढ़े हुए कदमों को वापस खींचना अब निशा को अपनी हार की तरह लगता था. वह किसी भी कीमत पर अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी. फिर एक दिन नौकरी की तलाश में निकली निशा, घर आई तो उस के चेहरे पर अपनी कामयाबी की चमक थी. निशा को नौकरी मिल गई थी. नौकरी के मिलने की खुशखबरी निशा ने सब से पहले अपनी मम्मी को सुनाई थी. निशा को नौकरी मिलने की खबर से मम्मी उतनी खुश नजर नहीं आईं जितना कि निशा उन्हें देखना चाहती थी.

मम्मी शायद इसलिए एकदम से अपनी खुशी जाहिर नहीं कर सकीं क्योंकि एक मां होने के नाते जवान बेटी की नौकरी को ले कर दूसरी तरह की कई चिंताएं थीं. इन चिंताओं को अपनी रंगीन कल्पनाओं में डूबी निशा नहीं समझ सकती थी. बेटी की नौकरी की खबर से खुश होने से पहले मम्मी कई बातों को ले कर अपनी तसल्ली कर लेना चाहती थीं.

‘‘किस जगह पर नौकरी मिली है तुम को?’’ मम्मी ने पूछा.

‘‘शहर के एक बहुत बड़े शेयरब्रोकर के दफ्तर में. वहां पहले भी बहुत सारी लड़कियां काम कर रही हैं.’’

‘‘तनख्वाह कितनी होगी?’’

‘‘शुरू में 20 हजार रुपए, बाद में बढ़ जाएगी,’’ इतराते हुए निशा ने कहा. नौकरी को ले कर मम्मी के ज्यादा सवाल पूछना निशा को अच्छा नहीं लग रहा था. तनख्वाह के बारे में सुन मम्मी का माथा जैसे ठनक गया. उन को सबकुछ असामान्य लग रहा था.  बेटी की योग्यता को देखते हुए 20 हजार रुपए तनख्वाह उन की नजर में बहुत ज्यादा थी. एक मां होने के नाते उन को इस में सब कुछ गलत ही गलत दिख रहा था. वे जानती थीं कि मात्र 7-8 हजार रुपए की नौकरी पाने के लिए बहुत से पढ़ेलिखे लोग इधरउधर धक्के खाते फिर रहे थे. ऐसे में अगर उन की इतनी कम पढ़ीलिखी लड़की को इतनी आसानी से 20 हजार रुपए माहवार की नौकरी मिल रही थी तो इस में कुछ ठीक नजर नहीं आता था. निशा की मम्मी ने दुनिया देखी थी, इसलिए उन को मालूम था कि अगर कोई किसी को उस की काबिलीयत और औकात से ज्यादा दे तो इस के पीछे कुछ मतलब होता है, और औरत जात के मामले में तो खासकर. लेकिन निशा की उम्र शायद अभी इस बात को समझने की नहीं थी. उजालों के पीछे की अंधेरी दुनिया के सच से वह अनजान थी. सोचने और विचार करने वाली बात यह थी कि मात्र दरजा 10+2 तक पढ़ी हुई अनुभवहीन लड़की को शुरुआत में ही कोई इतनी मोटी तनख्वाह कैसे दे सकता था. मम्मी को हर बात में सबकुछ गलत और संदेहप्रद लग रहा था, इसलिए उन्होंने निशा को उस नौकरी के लिए साफसाफ मना किया, ‘‘नहीं, मुझ को तुम्हारी यह नौकरी पसंद नहीं, इसलिए तुम वहां नहीं जाओगी.’’

मम्मी की बात को सुन निशा जैसे हैरानी में पड़ गई और बोली, ‘‘इस में नापसंद वाली कौन सी बात है, मम्मी? इतनी अच्छी सैलरी है. किसी प्राइवेट नौकरी में इतनी बड़ी सैलरी मिलना बहुत मुश्किल है.’’ ‘‘सैलरी इतनी बड़ी है, इस कारण ही तो मुझ को यह नौकरी नापसंद है,’’ मम्मी ने दोटूक लहजे में कहा.

‘‘सैलरी इतनी बड़ी है इसलिए तुम को यह नौकरी पसंद नहीं?’’

‘‘हां, क्योंकि मैं नहीं मानती सही माने में तुम इतनी बड़ी सैलरी पाने के काबिल हो. जो कोई भी तुम को इतनी सैलरी देने जा रहा है उस की मंशा में जरूर कुछ खोट होगी,’’ मम्मी ने अपने मन की बात निशा से कह दी. मम्मी की बात को निशा ने सुना तो गुस्से से उत्तेजित हो उठी, ‘‘आप पुरानी पीढ़ी के लोगों को न जाने क्यों हर अच्छी चीज में कुछ गलत ही नजर आता है. वक्त बदल चुका है मम्मी, अब काबिलीयत का पैमाना सर्टिफिकेटों का पुलिं?दा नहीं बल्कि इंसान की पर्सनैलिटी और काम करने की उस की क्षमता है.’’

‘‘मैं इस बात को नहीं मानती.’’

‘‘मानना न मानना तुम्हारी मरजी है मम्मी, मगर ऐसी बातों का खयाल कर के मैं इतनी अच्छी नौकरी को हाथ से जाने नहीं दे सकती. मैं बड़ी हो गई हूं, इसलिए अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने का मुझे हक है,’’ निशा के तेवर बगावती थे. उस के बगावती तेवरों को देख मम्मी एकाएक जैसे ठिठक सी गईं, ‘‘एक मां होने के नाते तुम को समझाना मेरा फर्ज था, मगर लगता है तुम मेरी बात मानने के मूड में नहीं हो. अब इस मामले में तुम्हारे पापा ही तुम से कोई बात करेंगे.’’

‘‘मैं पापा को मना लूंगी,’’ निशा ने लापरवाही से कहा. मम्मी के विरोध को दरकिनार कर के निशा ने जैसा कहा, वैसे कर के भी दिखलाया और नौकरी पर जाने के लिए पापा को मना लिया. लेकिन मम्मी निशा से नाराज ही रहीं. मम्मी की नाराजगी की परवा नहीं कर के निशा नौकरी पर चली गई. एक नौकरी उस के कई सपनों को पूरा करने वाली थी, इसलिए वह रुकती तो कैसे रुकती. मगर उस को यह नहीं मालूम था कि कभीकभी अपने कुछ सपनों की अप्रत्याशित कीमत भी चुकानी पड़ती है. संजय शहर का एक नामी शेयरब्रोकर था. पौश इलाके में स्थित उस का एअरकंडीशंड औफिस काफी शानदार था और उस में कई लड़कियां काम करती थीं. शेयरब्रोकर संजय की उम्र तकरीबन 40 वर्ष थी. उस का सारा रहनसहन और जीवनशैली एकदम शाही थी. ऐसा क्यों नहीं होता, एक ब्रोकर के रूप में वह हर महीने लाखों की कमाई करता था. संजय के औफिस में एक नहीं, कई कंप्यूटर थे जिन के जरिए वह दुनियाभर के शेयर बाजारों के बारे में पलपल की खबर रखता था.

आगे पढ़ें- निशा के सपनों का संसार और बड़ा हो रहा था….

दो युवतियां: भाग 3- क्या हुआ था प्रतिभा के साथ

मेरी समझ में अच्छी तरह आ गया है कि मेरी सुंदरता प्रियांशी के सामने बिलकुल वैसी ही है, जैसी पूर्णिमा की रात को उस के अगलबगल रहने वाले तारों की होती है, जो चांद की चमक के सामने किसी को दिखाई नहीं देते. मैं ने मन बना लिया है कि यदि मुझे अपने अस्तित्व को बचाए रखना है, तो प्रियांशी से दूर जाना होगा.

वह अच्छी युवती है, अच्छी दोस्त है, सलाहकार है, लेकिन इस उम्र में मुझे एक अच्छी दोस्त की नहीं बल्कि एक अच्छे प्रेमी की आवश्यकता है. मेरे बदन में जो आग है उसे प्रेमी की ठंडी फुहारें ही बुझा सकती हैं. मैं प्रियांशी से धीरेधीरे किनारा कर रही हूं और उसे इस बात का आभास भी हो गया है, लेकिन मुझे उस की चिंता नहीं करनी है. उस की चिंता करूंगी तो मैं कभी किसी युवक का प्यार हासिल नहीं कर पाऊंगी.

सौंदर्य और प्रेम के बीच एक अनोखा विरोधाभास मैं ने अनुभव किया. अधिक सुंदर युवती अति साधारण रंगरूप और कदकाठी वाले युवक के साथ प्यार के रंग में रंग जाती है, तो दूसरी तरफ अति साधारण युवती अति सुंदर और अमीर युवक को फंसाने में कामयाब हो जाती है. इस में अपवाद भी हो सकते हैं, परंतु विरोधाभास बहुत है और यह एक परम सत्य है.

मेरे सौंदर्य पर कई युवक मरने लगे थे. अत: मैं ने किसी एक युवक को चुना. प्रियांशी के ठुकराए प्रेमी ही मेरा शिकार बन सकते थे, क्योंकि घायल की गति घायल ही जान सकता था. मैं ने प्रवीण की तरफ ध्यान दिया. वह अमीर युवक था और कार से कालेज आता था. उस से बात करने में कई दिन लग गए. जब वह एकांत में मिला तो मैं ने हलके से मुसकरा कर उस की तरफ देखा. उस के होंठों पर भी एक टूटी हुई मुसकराहट बिखर गई. मैं ने अपनी शर्म त्याग दी थी, संकोच को दबा दिया था. प्यार के लिए यह दोनों ही दुश्मन होते हैं. मैं ने कहा, ‘‘कैसे हैं?’’

‘‘ठीक हूं. आप कैसी हैं?’’

‘‘बस, ठीक ही हूं. आप तो हम जैसे साधारण लोगों की तरफ ध्यान ही नहीं देते कि कभी हालचाल ही पूछ लें.’’

वह संकोच से दब गया, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.’’

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फिर वह चुप हो कर ध्यान से मेरा चेहरा देखने लगा. मैं एकटक उसे ही देख रही थी. मैं ने बिना हिचक कहा, ‘‘केवल गुलाब के फूल ही खुशबू नहीं देते, दूसरे फूलों में भी खुशबू होती है. कभी दूसरी तरफ भी नजर उठा कर देख लिया कीजिए.’’

प्रवीण के चेहरे पर हैरानी के भाव दिखाई दिए. मैं लगातार मुसकराते हुए उसे देखे जा रही थी. वह मेरे मनोभाव समझ गया. थोड़ा पास खिसक आया और बोला, ‘‘प्रियांशी के साथ रहते हुए कभी ऐसा नहीं लगा कि आप के मन में ऐसा कुछ है. आप तो सीधीसादी, साधारण सी चुप रहने वाली युवती लगती थीं. कभी आप को हंसतेमुसकराते या बात करते नहीं देखा. ऐसी नीरस युवती से कैसे प्यार किया जा सकता है.’’

‘‘नहीं, यह बात नहीं है. आप प्रियांशी के सौंदर्य की चमक में खोए हुए थे, तभी तो आप को उस के पास जलता हुआ चिराग दिखाई नहीं दिया. लेकिन यह सत्य है कि चांद सब का नहीं होता और चांद की चमक घटतीबढ़ती रहती है. उस के जीवन में अमावस भी आती है, लेकिन चिराग तो सब के घरों में होता है और यह सदा एक जैसा ही चमकता है.’’

‘‘वाह, बातें तो आप बहुत सुंदर कर लेती हैं. आप का दिल वाकई बहुत खूबसूरत है. मैं समुद्र में पानी तलाश रहा था, जबकि खूबसूरत मीठे जल की झील मेरे सामने ही लहरा रही है.’’

‘‘आप उस झील में डुबकी लगा सकते हैं.’’

‘‘सच, मुझे विश्वास नहीं होता,’’ उस ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया.

मैं ने लपक कर उस का हाथ थाम लिया, ‘‘आप विश्वास कर सकते हैं. मैं प्रियांशी नहीं प्रतिमा हूं.’’

‘‘उसे भूल गया मैं,’’ कह कर उस ने मुझे अपने आगोश में ले लिया.

‘‘आग दोनों तरफ लगी थी और उसे बुझाने की जल्दी भी थी. पहले तो हम उस की कार में घूमे, फिर पार्क के एकांत कोने में बैठ कर गुफ्तगू की, हाथ में हाथ डाल कर टहले. प्यार की प्राथमिक प्रक्रिया हम ने पूरी कर ली, पर इस से तो आग और भड़क गई थी. दोनों ही इसे बुझाना चाहते थे. मैं इशारोंइशारों में उस से कहती, कहीं और चलें?’’

‘‘कहां?’’ वह पूछता.

‘‘कहीं भी, जहां केवल हम दोनों हों, अंधेरा हो और…’’

फिर हम दोनों शहर के बाहर एक रिसोर्ट में गए. प्रवीण ने वहां एक कौटेज बुक कर रखा था. वहां हम दोनों स्वतंत्र थे. दिन में खूब मौजमस्ती की और रात में हम दोनों… वह हमारा पहला मिलन था, बहुत ही अद्भुत और अनोखा… पूरी रात हम आनंद के सागर में गोते लगाते रहे. पता ही नहीं चला कि कब रात बीत गई.

फिर यह सिलसिला चल पड़ा.

प्यार के इस खेल से मैं ऐसी सम्मोहित हुई और उस में इस तरह डूब गई कि पढ़ाई की तरफ से अब मेरा ध्यान एकदम हट गया. वार्षिक परीक्षा में मैं फेल होतेहोते बची. प्रियांशी हैरान थी. उसे पता चल चुका था कि मैं कौन सा खेल खेल रही हूं. उस ने मुझे समझाने का प्रयास किया, लेकिन मैं ने उस पर ध्यान नहीं दिया. प्यार में प्रेमीप्रेमिका को किसी की भी सलाह अच्छी नहीं लगती.

गरमी की छुट्टियों में मैं अपने घर भी नहीं गई. प्रवीण के प्यार ने मुझे इस कदर भरमा दिया कि मैं पूरी तरह उसी के रंग में रंग गई. मांबाप का प्यार पीछे छूट गया. उन से पढ़ाई का झूठा बहाना बनाया और गरमी की छुट्टियों में भी होस्टल में ही रुकी रही. पूरी गरमी प्रवीण के साथ मौजमस्ती में कट गई. पढ़ाई के नाम पर कौपीकिताबों पर धूल की परतें चढ़ती रहीं.

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प्रियांशी को पता था कि मैं शहर में ही हूं, उस ने कई बार मिलने का प्रयास किया, पर मैं बहाने बना कर टालती रही. उस से अब दोस्ती केवल हायहैलो तक ही सीमित रह गई थी. मुझे मेरी चाहत मिल गई थी, उस में डूब कर अब बाहर निकलना अच्छा नहीं लग रहा था. देहसुख से बड़ा सुख और कोई नहीं होता. मैं जिस उम्र में थी, उस में इस का चसका लगने के बाद, अब मुझे किसी और सुख की चाह नहीं रह गई थी.

एक दिन प्रियांशी ने कहा, ‘‘प्रतिमा, मुझे नहीं पता तुम क्या कर रही हो, लेकिन मुझे जितना आभास हो रहा है, उस से यही प्रतीत होता है कि तुम पतन के मार्ग पर चल पड़ी हो.’’

‘‘मुझे नहीं लगता कि आज हर युवकयुवती यही कर रहे हैं.’’

‘‘हो सकता है, पर इस राह की मंजिल सुखद नहीं होती.’’

‘‘जब कष्ट मिलेगा, तब यह राह छोड़ देंगे.’’

‘‘तब तक बहुत देर हो जाएगी,’’प्रियांशी के शब्दों में चेतावनी थी. मैं ने ध्यान नहीं दिया. जब आंखों में इंद्रधनुष के रंग भरे हों, तो आसमान सुहाना लगता है, धरती पर चारों तरफ हरियाली ही नजर आती है. प्रवीण के संसर्ग से मैं कामाग्नि में जलने लगी थी. हर पल उस से मिलने का मन करता, लेकिन रोजरोज मिलना उस के लिए भी संभव नहीं था. मिल भी जाएं, तो संसर्ग नहीं हो पाता. मैं कुढ़ कर रह जाती. उस के सीने को नोचती सी कहती, ‘‘यह तुम ने कहां ला कर खड़ा कर दिया मुझे. मैं बरदाश्त नहीं कर सकती. मुझे कहीं ले कर चलो.’’

वह संशय भरी निगाहों से देखता हुआ कहता, ‘‘प्रतिमा, रोजरोज यह संभव नहीं है. तुम अपने को संभालो, प्यार में केवल सैक्स ही नहीं होता.’’

‘‘लेकिन मैं अपने को संभाल नहीं सकती. मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही है. इसे बुझाने के लिए कुछ करो.’’

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क्या फिर दूर हो जाएंगे Anupama और Anuj? पाखी बनेगी वजह

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर बना हुआ है. फैंस को अनुज-अनुपमा की जोड़ी काफी पसंद आ रही है. वहीं वनराज और काव्या की जलन भी बढ़ती जा रही है. लेकिन सीरियल में कुछ ऐसा होने वाला है कि वनराज और अनुपमा एक बार फिर साथ खड़े होंगे. वहीं अनुज-काव्या साथ में नजर आएंगे. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे…

काव्या की नौकरी से भड़का वनराज

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज की परवाह किए बिना काव्या, अनुज के पास नौकरी मांगने जाती है. वहीं अनुज, अनुपमा से पूछता है कि क्या वह काव्या के साथ काम करने के लिए तैयार है, जिसके चलते अनुपमा, काव्या की जौब के लिए हां कर देती है. वहीं वनराज को जब काव्या ये बात बताती है तो वह भड़क जाता है और काव्या पर बरसता है. हालांकि अनुपमा उसे बीच में आकर समझाने की कोशिश करती है. लेकिन वनराज उसे धक्का दे देता है, जिसे पाखी देख लेती है और वनराज औऱ अनुपमा को लड़ते देख टूट जाती है.

 

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वनराज को मिला पाखी का साथ

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा और वनराज, पाखी को समझाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद पाखी परेशान होकर वहां से भागेगी और सीढ़ियों से गिर जाएगी. ये देखकर अनुपमा और वनराज परेशान हो जाएंगे और पाखी से मांफी मांगगे. वहीं अनुपमा, वनराज से कहेगी कि वह अपने गिले शिकवे मिटाकर बच्चों के लिए साथ खड़े रहेंगे. हालांकि वनराज इस बात का फायदा उठाता नजर आएगा. खबरों की मानें तो वनराज, पाखी को अनुज के खिलाफ धीरे-धीरे भड़काने की कोशिश करेगा, जिसके चलते अनुपमा और अनुज की दोस्ती में दरार आएगी.

 

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काव्या भी बनाएगी प्लान

 

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दूसरी तरफ वनराज और अनुपमा के बच्चों के कारण उनका करीब आना काव्या को पसंद नहीं आएगा. इसी लिए वह अनुज को अनुपमा के खिलाफ भड़काती नजर आएगी. वहीं पूरी कोशिश करेगी कि अनुपमा को सबक सिखा सके. इसी बीच अनुज भी पाखी के सोशलमीडिया पर वनराज और अनुपमा की साथ में फोटो देखकर परेशान हो जाएगा.

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YRKKH: ऐसा होगा कार्तिक-नायरा का आखिरी मिलन, सामने आया प्रोमो

टीवी का पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) सालों से दर्शकों के दिल पर राज कर रहा है. वहीं अब सीरियल मे एक बार फिर नए किरदार नजर आने वाले हैं. वहीं कुछ किरदार सीरियल को अलविदा कहने वाले हैं, जिनमें नायरा- कार्तिक यानी शिवांगी जोशी और मोहसिन खान का नाम भी शामिल है. वहीं मेकर्स के नए प्रौमो ने इस बात पर मोहर लगा दी है. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल के नए प्रोमो की झलक…

नायरा-कार्तिक का होगा मिलन

हाल ही में सीरियल के मेकर्स ने एक नया प्रौमो रिलीज किया है, जिसमें नायरा से कार्तिक का मिलन होता नजर आ रहा है. वहीं दोनों नए पीढ़ी के आने की बात भी करते नजर आ रहे हैं. प्रोमो देखकर फैंस बेहद खुश हैं. वहीं इंतजार कर रहे हैं कि कब सीरियल के नए किरदारों की एंट्री होगी. हालांकि नायरा-कार्तिक की जोड़ी खत्म होने से सभी बेहद दुखी भी हैं.

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ऐसे होगी कार्तिक की कहानी खत्म

 

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खबरों की मानें तो सीरत को लेकर मुकेश से लड़ाई होने के चलते कार्तिक के गहरी चोट लग जाती है और उसे अस्पताल में एडमिट कराना पड़ता है. वहीं चोट गहरी होने के कारण औपरेशन की नौबत आ जाती है. अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि कार्तिक का औपरेशन होने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं होगा. वहीं उसकी तबीयत बिगड़ जाएगी औऱ कार्तिक की जान चली जाएगी.

बता दें, सीरियल में जल्द ही नई एंट्री होने वाली है. वहीं खबरों की मानें तो नई एंट्री के लिए टीवी एक्टर हर्षद चोपड़ा और बैरिस्टर बाबू की सौदामिनी यानी प्रणति का नाम भी शामिल है. हालांकि अब देखना है कि ये नई कहानी दर्शकों को कितना पसंद आएगी और क्या वह नायरा-कार्तिक की जगह नई जोड़ी को दे पाएंगे.

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Anik Ghee के साथ बनाएं चटपटी लौकी व आलू टिक्की

फेस्टिवल में कभी-कभी चटपटे कुछ ऐसे स्नैक्स खाने को मन करता है जो स्वाद में अलग हों. तो पेश है ऐसा ही चटपटा स्नैक लौकी व आलू टिक्की, जिसे खा कर आप तारीफ किए बगैर नहीं रह सकेंगी.

सामग्री

250 ग्राम आलू उबले

1/2 छोटा लौकी बारीक कद्दूस की

1 बड़ा चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

1 छोटा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

जरुरतानुसार अनिक घी फ्राई करने के लिए

थोड़ा सा अनिक दही सर्विंग के लिए

1 छोटा चम्मच सेंधा नमक

सामग्री कोटींग की

2 बड़े चम्मच साबूदाना पाउडर

सामग्री भरावन की

10-12 किशमिश

50 ग्राम अनिक पनीर

2 बड़े चम्मच मूंगफली भुनी व कुटी

1 बड़ा चम्मच अदरक व हरीमिर्चे बारीक कटी

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

सेंधा नमक स्वादानुसार

विधि

आलुओं को मैश करें व उसमें कद्दूकस की लौकी व बाकी सभी मसाले मिला लें. साबूदाने के पाउडर को एक चौथाई कप पानी में आधे घंटे के लिए भिगो दें. आलू मिश्रण के लगभग 7 गोले बना लें. भरावन की सामग्री को मिलाएं और उसके भी 7 छोटे गोले बनाएं. आलू के प्रत्येक गोले को थपथपाएं और बीच में भरावन एक गोला रख कर बंद कर दें टिक्की का आकार दें. प्रत्येक टिक्की को इसी तरह बना कर साबूदाने के मिश्रण में कोट कर के अनिक घी में शैलो फ्राई या डीप फ्राई कर लें. व्रत वाली चटनी, सोंठ व दही डाल कर सर्व करें.

Festive Special: कम बजट में करें स्मार्ट शॉपिंग

कम बजट में ट्रेंडी आउटफिट्स और एक्सेसरीज खरीदकर आप भी बन सकती हैं स्मार्ट शॉपर. कम बजट में कैसे करें स्मार्ट शॉपिंग? आइए, हम आपको बताते हैं.

बजट फ्रेंडली फेस्टिव वेयर

स्मार्ट शॉपिंग के लिए मिक्स एंड मैच फॉर्मूला बेस्ट है, जैसे, आप यदि दीपावली के लिए महंगा आउटफिट नहीं खरीदना चाहतीं, लेकिन ट्रेंडी भी दिखना चाहती हैं, तो सिर्फ एक लॉन्ग जैकेट खरीदें और उसे अपने पुराने लहंगे के साथ पहनें.

इसी तरह आप अपनी पुरानी हैवी चोली को प्लेन स्कर्ट, साड़ी आदि के साथ पहन सकती हैं.

अगर आप फेस्टिव सीजन में साड़ी पहननना चाहती हैं, तो अपने किसी हेवी ब्लाउज के साथ पहनने के लिए कोई प्लेन साड़ी खरीद लें. इसके साथ हेवी या ट्रेंडी एक्सेसरीज पहनकर आप फेस्टिव लुक पा सकती हैं.

अपनी रेग्युलर जीन्स के साथ एथनिक कुर्ती, ट्यूनिक, कॉर्सेट आदि पहनकर आप फेस्टिव लुक पा सकती हैं.

बजट फ्रेंडली कैजुअल वेयर

कैजुअल वेयर के लिए हॉट पैंट, कार्गो, केप्री, स्कर्ट आदि बॉटम वेयर अपने कलेक्शन में जरूर रखें. इनके साथ आप कोई भी स्टाइलिश टॉप पहनकर न्यू लुक पा सकती हैं.

इसी तरह डेनिम की शर्ट, जैकेट, शॉर्ट कुर्ती आदि को भी आप कई आउटफिट्स के साथ मिक्स एंड मैच करके पहन सकती हैं.

प्लेन टीशर्ट, स्पेगेटी, शर्ट आदि को जैकेट, स्टोल या फिर ट्रेंडी नेकपीस के साथ पहनकर न्यू लुक पा सकती हैं.

अपने कैजुअल कलेक्शन में स्मार्ट बेल्ट, हेयर एक्सेसरीज, नेकपीस, ईयररिंग, ट्रेंडी शूज आदि जरूर रखें. ये भी आपके मिक्स एंड मैच फॉर्मूले में बहुत काम आएंगे.

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बजट फ्रेंडली ऑफिस वेयर

यदि आप सेल में शॉपिंग कर रही हैं और आपको फॉर्मल आउटफिट खरीदने हैं, तो व्हाइट, ब्लैक, बेज, पीच, पिंक आदि कलर की प्लेन शर्ट, ट्राउजर और स्कर्ट खरीद सकती हैं. इन्हें आप मिक्स एंड मैच करके कई बार रिपीट कर सकती हैं.

इसी तरह आप ब्लैक, बेज, व्हाइट जैसे बेसिक कलर के ट्रेंडी कलर के बैग और शूज खरीदकर अपने फॉर्मल कलेक्शन को फैशनेबल बना सकती हैं.

ऑफिस में यदि इंडियन वेयर पहनती हैं, तो अलग-अलग कलर की प्लेन लेगिंग्स और कुर्ती को स्टोल, नेकपीस आदि के साथ मिक्स एंड मैच करके रोजाना न्यू लुक पाया जा सकता है.

इसी तरह ब्लैक, व्हाइट, रेड, ब्लू जैसे रेग्युलर कलर के कुछ ब्लाउज सिलवाकर उन्हें कई साड़ियों के साथ पहन सकती हैं.

स्मार्ट आइडियाज

बजट फ्रेंडली शॉपिंग का सबसे जरूरी टिप यही है कि फिजूलखर्च से बचें और वही चीज खरीदें जिसकी आपको वाकई जरूरत हो.

शॉपिंग के लिए घर से निकलने से पहले एक लिस्ट बनाएं, जिसमें उन सभी स्टाइलिश ड्रेसेस और ट्रेंडी एक्सेसरीज को नोट करें, जो आपके वॉर्डरोब और ऑफिस के लिए जरूरी हैं.

अच्छे ब्रांड की सेल लगी है, तो वहां से अच्छी फिटिंग वाली जीन्स, जैकेट, बेसिक शर्ट, ट्राउजर, स्कर्ट आदि जरूर खरीदें.

वेडिंग या फेस्टिव सीजन के लिए जरूरत से ज्यादा महंगा आउटफिट खरीदना पैसे की बर्बादी है, थोड़ी-सी समझदारी से आप कम बजट में भी ट्रेंडी और गॉर्जियस नजर आ सकती हैं.

ऑनलाइट शॉपिंग करते समय उस चीज की कीमत अलग-अलग साइट्स पर चेक कर लें. हो सकता है, दूसरी साइट पर सेल, डिस्काउंट, कूपन आदि के चलते वही चीज आपको कम दाम में मिल जाए.

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विंडो शॉपिंग के बहाने आप अलग-अलग स्टोर्स में जाकर डिस्काउंट या स्पेशल ऑफर के बारे में जानकारी हासिल कर सकती हैं.

शॉपिंग करते समय क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने की बजाय कैश पेमेंट करें, इससे आप बजट के बाहर शॉपिंग नहीं कर सकेंगी और फिजूलखर्च से बच जाएंगी.

ऐसे आउटफिट्स खरीदने से बचें, जिन्हें बार-बार ड्राईक्लीन करवाना पड़े. सेल में शॉपिंग करते समय मटेरियल, फैब्रिक और क्वालिटी से समझौता न करें. हर चीज अच्छी तरह देख-परखकर ही खरीदें.

ऐसे लोकल स्टोर्स जहां स्टाइलिश आउटफिट व एक्सेसरीज कम दाम में मिल जाते हैं, वहां से शॉपिंग करके आप अपने पैसे बचा सकती हैं.

Technology तरक्की के जरिए दर्द से राहत

दर्द की जटिलताओं की सच्चाई यही है कि सर्जरी या गोलियां लंबे समय तक सभी तरह के दर्द से निजात नहीं दिला सकतीं. हालांकि बिना जांच कराए या बिना इलाज कराए असह्य दर्द में जी रहे कुछ लोगों में अविश्वसनीय रूप से दर्द की वापसी होती है, जिसका हमारे शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ता है. दर्द को जीवन और ढलती उम्र का हिस्सा मान लेने से लोग इलाज के आधुनिक तौर—तरीकों की जानकारी भी नहीं रखते और इसका नकारात्मक असर जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है. कुछ लोगों में दर्द का स्तर बहुत ज्यादा होता है और सच तो यह है कि दर्द में जीते पांच में से एक व्यक्ति सही इलाज कराए बिना लंबे समय तक इसे झेलते रहते हैं.

जागरूकता, जानकारी का अभाव और गलत जानकारी के कारण कई लोगों के लिए दर्द उस स्थिति में पहुंच जाता है जो इससे जुड़ी असली बीमारी से भी बदतर हो जाती है. सितंबर में अंतरराष्ट्रीय दर्द जागरूकता माह मनाया जाता है जिसका उद्देश्य सभी लोगों में इसे लेकर जागरूकता बढ़ाना है. वैश्विक स्तर पर  उम्रदराज लोगों की आबादी और बदलती जीवनशैली के कारण आज के समय में इन दो दशकों की अहमियत बढ़ गई है. अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञ प्रशिक्षण की मदद से दुनिया के पेन मैनेजमेंट से जुड़े चिकित्सक हर तरह के दर्द से निजात दिलाने का प्रयास कर रहे हैं. चूंकि हर किसी के दर्द का अनुभव और स्तर अलग—अलग होता है इसलिए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें व्यक्तिग आधारित, बहु—आयामी और कई मॉडल आधारित दर्द प्रबंधन इलाज की जरूरत पड़ती है.  मैक्स हॉस्पिटल में पेन मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रमुख , डॉ. आमोद मनोचा, बताते हैं कि

आपके दर्द का इलाज संभव है

लगातार दर्द बने रहने से न सिर्फ जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है, बल्कि कई बार मरीज भ्रमित हो जाते हैं या इस दर्द के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं. दर्द का कोई ठोस कारण जब पता नहीं चलता तो मरीज में इलाज का असंतुष्टि भाव, कुंठा, मूड खराब होने का भाव पनपता है और डॉक्टर—मरीज संबंध भी प्रभावित होता है.

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तकनीकी तरक्की और नई पारंपरिक तकनीकों की उपलब्धता हमारी सदियों पुरानी समस्याओं को देखने के तरीके को बदल रही है कि हम अपने रोगियों को दर्द से राहत दिलाने के लिए क्या उपाय करते हैं. ये नए विकल्प लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत के बगैर न्यूनतम शल्यक्रिया और कम समय की प्रक्रियाओं के लाभ देते हैं और लंबे समय तक चलने वाले दर्द से राहत दिलाते हैं.

रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन

यह न्यूनतम शल्यक्रिया तकनीक उन मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनी है जिन्हें गर्दन, कमर, कूल्हा, घुटना और कंधे जैसे जोड़ों में दर्द रहता है. इस पद्धति का फोकस दर्द का सिग्नल देने वाली नसों को निष्क्रिय करना होता है जिससे मरीज की कायर्यक्षमता बढ़ती है और दवाइयों की जरूरत भी कम पड़ती है. विकसित देशों में अपनाई जा रही इस सामान्य पद्धति के प्रति भारत के लोगों में भी जागरूकता बढ़ रही है. यह विकल्प सुरक्षित, प्रभावी, नॉन—सर्जिकल प्रक्रिया और ज्यादातर मामलों में उपचार के एक—दो साल में ही नसों की नई कोशिकाएं बनाने की पेशकश करता है जिस कारण जरूरत पड़ी तो यह पद्धति दोहराई भी जा सकती है.

क्रायोएब्लेशन

यह टेक्नोलॉजी पिछले कई वर्षों से अहम तरक्की कर चुकी है और इसे कैंसर के दर्द, घुटने, कूल्हे और कंधे, रीढ़ के जोड़, सैक्रोइलिक जोड़, नसों का दर्द, सर्जरी के बाद दर्द, पसलियां टूटने के बाद आदि जैसे बड़े जोड़ों की अर्थराइटिस समेत हर तरह के दर्द की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है. क्रायोब्लेशन इलाज का मुख्य लक्ष्य दर्द के सिग्नल देने वाली नसों को निष्क्रिय बनाना होता है और इसके लिए 80 डिग्री से भी कम तापमान में नियंत्रित तरीके से इन नसों को जमा दिया जाता है. इस इलाज पद्धति में कहीं कोई कट या चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और तत्काल एवं लंबे समय तक दर्द से राहत मिलती है. कम दर्द होने से मरीज की कार्यक्षमता बढ़ती है, दर्दनिवारक दवाइयों की जरूरत कम होती है और मरीज में विकलांगता की नौबत भी कम होती है. इसके अलावा इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होने के कारण इसे दोहराया भी जा सकता है.

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पोर्टेबल हाई

डेफिनिशन अल्ट्रासाउंड, नई चिकित्सा पद्धतियों, इंट्राथेकल पंप इंप्लांट, स्पाइनल कॉर्ड स्टिमुलस आदि की उपलब्धता जैसी प्रौद्योगिकी तरक्की ने दर्द प्रबंधन संबंधी डायग्नोस्टिक और इलाज में आश्चर्यजनक सुधार लाया है और हमें मरीजों की अपेक्षाओं के अनुरूप इलाज करने में सक्षम बना रही है. जेनेटिक और मोलेकुलर टेस्ट हमारी समझ को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं और उम्मीद है कि निकट भविष्य में दर्द से निजात दिलाने के लिए ये हमें नए लक्ष्य देंगे.

शादी के बाद तुरंत उठाएं ये 5 स्‍टेप

बैचलर लाइफ में आपके लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन आपकी शादी के बाद आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. ऐसे में आपके लिए आगे की लाइफ के लिए प्‍लानिंग करना जरूरी हो जाता है. हम आपको पांच टिप्‍स बता रहे हैं जिनको फॉलो करके आप हैप्पी मैरिड लाइफ जी सकते हैं और आपको कोई फाइनेंशियल क्राइसिस भी नहीं होगी.

1. लाइफ पार्टनर के साथ साझा करें पैसे को लेकर अपना नजरिया

फाइनेंस या पैसे को लेकर हर आदमी का नजरिया अलग-अलग होता है. ऐसे में अगर आपको फ्यूचर के लिए फाइनेंशियल प्‍लानिंग करनी है तो जरूरी है कि आप पैसों को लेकर अपने लाइफ पार्टनर का नजरिया समझें. अगर आप दोनों की सोच या नजरिया अलग-अलग है तो बातचीत करके सामंजस्‍य बनाएं. इससे फ्यूचर में आपके और आपके लाइफ पार्टनर के बीच पैसे या फाइनेंशियल पलानिंग को लेकर विवाद की आशंका नहीं रहेगी.

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2. शार्ट, मीडियम और लांग टर्म के लिए तय करें गोल

आप कहां रहना चाहते हैं. आप किराए के घर में रहे हैं तो क्‍या आप अपना घर खरीदना चाहेंगे. आने वाले समय कैरियर के मोर्चे पर खुद को कहां देख रहे हैं. गोल तय करना और लाइफ को प्‍लान करना सक्‍सेजफुल मैरिज के अहम है. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका लाइफ पार्टनर एक दूसरे के गोल को समझे. इससे इसके अनुरूप फाइनेंशियल प्‍लानिंग करने में आसानी होगी.

3. ज्‍वाइंट स्‍पेंडिंग और सेविंग के लिए बनाएं प्‍लान

आप कहां रहना चाहते हैं. आप किराए के घर में रहे हैं तो क्‍या आप अपना घर खरीदना चाहेंगे. आने वाले समय कैरियर के मोर्चे पर खुद को कहां देख रहे हैं. गोल तय करना और लाइफ को प्‍लान करना सक्‍सेजफुल मैरिज के अहम है. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका लाइफ पार्टनर एक दूसरे के गोल को समझे. इससे इसके अनुरूप फाइनेंशियल प्‍लानिंग करने में आसानी होगी.

4. अपनी क्रेडिट हिस्‍ट्री करें साझा

शादी के पहले अगर आपने क्रेडिट हिस्‍ट्री पर ठीक से गौर नहीं किया है तो अब इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें. आप दोनों की क्रेडिट हिस्‍ट्री आपकी फ्यूचर प्‍लानिंग में अहम रोल निभाने वाली है. अगर किसी भी वजह से आप दोनों में से किसी की क्रेडिट हिस्‍ट्री खराब या क्रेडिट स्‍कोर कम है तो इसे सुधारने के उपायों पर डिस्‍कर करें या किसी कंसलटेंट की मदद लें.

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5. मिल कर करें इन्वेस्‍टमेंट के फैसले

पैसे मैनेज करने को लेकर पुरुष और महिलाओं की स्‍ट्रेंथ अलग अलग होती है. पुरुष आम तौर तेजी से फैसले करते हैं और परिवार के खर्च पर कंट्रोल करना पसंद करते हैं. वहीं महिलाओं में ज्‍यादा धैर्य होता है और वे कोई फैसला लेने से पहले ज्‍यादा सोच विचार करतीं हैं. ऐसे में अगर इन्‍वेस्‍टमेंट से जुड़े फैसले आप दोनों मिल कर करते हैं तो इसमे दोनों की स्‍ट्रेंथ का फायदा उठाया जा सकता है.

Festive Special: बिना डैमेज के करें Hair Straight

आज कल मार्केट में ढेर सारे हेयर स्‍ट्रेटनर मौजूद हैं, जो कर्ली बालों को स्‍ट्रेट करने में लाजवाब होते हैं. लेकिन अगर आपको इन्‍हें ठीक प्रकार से यूज करना नहीं आता, तो यह आपके बालों को काफी डैमेज भी कर सकते हैं.

कई लड़कियां अपने गीले बालों पर हेयर स्‍ट्रेटनर का प्रयोग करने लगती हैं, जिससे उनके बाल जल जाते हैं और ठीक प्रकार से सीधे नहीं हो पाते. तो आगे से ऐसा ना हो, इसके लिये हम आपको बताएंगे कि हेयर स्‍ट्रेटनर को कैसे यूज करें कि बालों को नुकसान ना पहुंचे.

हमेशा हाई क्‍वालिटी का आयरन ही खरीदें

बेसिक चीज जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह है कि हमेशा अव्‍वल दर्जे का फ्लैट आयरन ही खरीदें. हां यह आपको थोड़ा महंगा पड़ सकता है, लेकिन बालों से कीमती थोड़ी है.

स्‍ट्रेटनिंग आयरन में होनी चाहिये ये क्‍वालिटी

अगल अलग तापमान के लिये सेरेमिक प्‍लेट्स वाली आयरन लें, ऑटो शट-ऑफ भी होना चाहिये, तापमान के समायोजन के लिये कई हीट सेटिंग होनी चाहिये, सरल विधि से यूज़ कर सकने वाला होना चाहिये, लाइटवेट और लंबे समय तक चलने वाला होना चाहिये.

अपने बालों को इनके लिये तैयार करें

बालों पर आयरन यूज करने से पहले बालों को शैंपू से धोएं, फिर उसमें कंडीशनिंग करें और फिर बालों को ब्‍लो ड्राय कर के आयरन करें.

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एक अच्‍छे हीट प्रोटेक्‍टर का यूज करें

बालों में एक अच्‍छे हीट प्रोटेक्‍टर का प्रयोग करें जिससे बाल गरम हॉट आयरन की वजह से खराब ना हों. इसे खरीदते वक्‍त ध्‍यान रखें कि इसमें तेल या ज्‍यादा मात्रा में सिलिकॉन नहीं होना चाहिये. इसकी केवल एक बूंद ही काफी रहेगी.

सही तरीके से ब्‍लो ड्राय करें

गीले बालों में कभी भी स्‍ट्रेटनिंग नहीं की जाती है इसलिये पहले बालों को ब्‍लो ड्रायर से सुखा लें. बालों को बीच बीच में ठंडी हवा से भी ब्‍लो ड्राय करें, नहीं तो बाल जलने का डर रहता है.

बालों में पहले पार्टिंग करें

क्‍या आप ढेर सारे बालों को इकठ्ठे ले कर उसे स्‍ट्रेट करने लगती हैं? तो ऐसा ना करें क्‍योंकि इससे बालों को काफी डैमेज होता है. अपने बालों को दो कानों के बीचे से अलग करें. फिर इन दोनों सेक्‍शन के बीच में से दो और भाग करें. इन सभी बालों में क्‍लिप लगा लें जिससे ये एक साथ मिक्‍स ना हों.

सही प्रकार की हीट सेटिंग चुनें

अगर बाल बहुत पतले और डैमेज हैं तो शुरुआत लो सेटिंग से करें. अगर बाल कर्ली और मोटे हैं तो हाई सेटिंग पर जाएं.

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सही तरीका क्‍या है

बालों को सीधा करने का सही तरीका है कि बालों के हर सेक्‍शन को एक एक कर के सीधा किया जाए. हीटिंग आयरन के साथ आपको उंगलियों या कंघी की आवश्‍यकता पड़ेगी. सबसे पहले बालों की जड़ से शुरु कर के बालों के अंत तक जाएं. आयरन को एक ही सेक्‍शन पर बार बार ना घुमाएं.

ऐसे करें काम खत्म

बालों को स्‍ट्रेट करने के बाद उन्‍हें ठंडा होने दें और फिर उनमें डी-फ्रिज सीरम लगाएं या फिर ऐसी क्रीम जो उसे पॉलिश लुक दे. आप उन पर हेयरस्‍प्रे कर के मन चाहा लुक बना सकती हैं.

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