महिलाओं के लिए अलग से बने पिंक बूथ

यूपी पुलिस व्य वस्थाट में जो बदलाव बरसों से नहीं हो सके उसे प्रदेश सरकार ने मात्र साढ़े 04 सालों में करके दिखा दिया. प्रदेश की महिलाओं के लिए अलग से पिंक बूथ और पुलिस लाइन स्थित खस्ताकहाल भवनों का नवीनीकरण कर पुलिस कर्मियों को नए आवास दिए गए हैं. सरकार ने यूपी के कई शहरों में कमिश्नआरेट सिस्ट म लागू कर पुलिसिंग को नई दिशा दी है. राज्य में यूपी पुलिस आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण आयोग का गठन किया गया और पुलिस रिफार्म के लिए बेहतर कदम उठाए गए.

साढ़े 4 सालों में प्रदेश सरकार ने पुलिस का चेहरा ही बदल कर रख दिया. सरकार ने संकल्प पत्र में यूपी पुलिस को आधुनिक बनाने के जो वादे किए उससे अधिक करके दिखाया. यूपी पुलिस को मॉडर्न पुलिस बनाने के लिए उनको अत्याकधुनिक वाहनों व हथियारों से लैस किया. साथ ही 18 नई विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं का निर्माण कराया. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॅारेंसिक साइंसेज का निर्माण भी लखनऊ में शुरू हो चुका है. जिससे जटिल अपराधों की जांच आसानी से हो सकेगी. पॉक्सो एक्ट में त्वरित न्याय दिलाने के लिए 218 नये फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन क‍िया. पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में एफ.आई.आर. काउन्टर स्थापित किए. महिलाओं की सुरक्षा के लिए वूमेन पावर लाइन-1090 चलाई गई.

पुलिस विभाग में हुई रिकार्ड भर्ती

कानून व्यावस्थाक को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश में 214 नए थानों की स्थानपना की गई. उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के द्वारा 1 लाख 43 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों की भर्ती व 76 हजार से अधिक अराजपत्रित पुलिसकर्मियों की पदोन्नति की गई. महिलाओं के लिए प्रदेश के सभी 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई. यू.पी.-112 हेल्पलाइन से 6 लाख 46 हजार जरूरतमंद को मदद दिलाई. इसके अलावा ‘सवेरा’ कार्यक्रम में 7 लाख 33 हजार 770 लाख बुजुर्ग पंजीकृत किए गए हैं.

काव्या को नौकरी देंगें Anuj-Anupama, क्या होगा वनराज का रिएक्शन

इन दिनों टीवी का नंबर वन सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) दर्शकों का दिल जीत रहा है. जहां फैंस को अनुज कपाड़िया और अनुपमा की दोस्ती देखकर बेहद खुशी हो रही है तो वहीं सीरियल में वनराज की जलन बढ़ती जा रही है, जिसे देख फैंस गुस्से में हैं. इसी बीच सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा के बाद काव्या भी वनराज के खिलाफ जाने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज- काव्या के रिश्ते में बढ़ी कड़वाहट

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज की जलन अनुज कपाड़िया के लिए बढ़ती जा रही है, जिसके कारण उसकी और काव्या की शादीशुदा जिंदगी पर भी असर पड़ने लगा है. इसी के चलते दोनों के बीच परिवार के सामने बहस देखने को मिलती है. वहीं बा इन सब का जिम्मेदार अनुपमा को बताती है और उससे कहती है कि एक मर्द और औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते.

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वनराज का बढ़ा मेल ईगो

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज और बा की नाराजगी के बावजूद अनुपमा और अनुज अपने बिजनेस की प्लानिंग करेंगे. दूसरी तरफ अनुपमा के इस फैसले को देखकर वनराज का गुस्सा काव्या पर निकलेगा और वह उसे अपना मेल ईगो दिखाने की कोशिश करेगा. इतना ही नहीं वनराज, काव्या को अपने रेस्टोरेंट में आने से मना कर देगा.

अनुपमा के बाद काव्या होगी अनुज के साथ

 

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दूसरी तरफ वनराज के साथ हुई लड़ाई के बाद काव्या अपने भविष्य के लिए फैसला लेती नजर आएगी. अपकमिंग एपिसोड में वनराज के लाख मना करने के बावजूद काव्या उसे बिना बताए अनुज कपाड़िया के ऑफिस जाएगी. जहां पर वह अनुपमा के सामने अनुज से जॉब ऑफर को एक्सेप्ट करने की बात कहेगी. वहीं इस बात से अंजान वनराज को इसका अंदाजा होगा कि काव्या, अनुज से मिलने गई है. काव्या की जौब को लेकर अनुज, अनुपमा से बात करेगा कि काव्या को रखना चाहिए या नहीं, जिस पर अनुपमा काव्या को जौब देने की बात कहेगी. वहीं ये बात जानने के बाद वनराज अपना आपा खो देगा कि अब काव्या भी उसके खिलाफ हो गई है.

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कानूनी दांव-पेंच में बुरे फंसे किंग खान के बेटे Aryan Khan

2 अक्तूबर को अभिनेता शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan ) को मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज में चल रही ड्रग्स पार्टी (Drugs Party) मामले में एनसीबी (NCB) (नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो) ने गिरफ्तार किया. मामले में आर्यन के अलावा गिरफ्तार दो अन्य अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को मुंबई के किला कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीनों को 7 अक्टूबर तक कस्टडी में रखने का फैसला सुनाया गया. पता चला है कि आर्यन के पास भी ड्रग्स मिले है. इस मामले में इन तीनों के अलावा 5 अभियुक भी गिरफ्तार किये गए है, जिनसे पूछताछ जारी है. आज आर्यन खान को बेल मिलेगी या नहीं इसपर कोर्ट में बहस चल रही है. इस मामले की चर्चा में आने के बाद देशभर में रेव पार्टी की जमकर आलोचना हो रही है. लोग जानना चाहते है, आखिर रेव पार्टी में कई बार मॉडल्स और सेलेब्रिटी किड्स ही क्यों पकडे जाते है और इसमें होता क्या है? आइये जाने रेव पार्टी की शुरुआत कहाँ और कैसे हुई.

दम मारो दम…….’ वर्ष 1971 की इस गाने को शायद सभी जानते होंगे, क्योंकि उस दौर की इस गाने को यूथ ने बहुत पसंद किया था. ये गाना फिल्म ‘हरे कृष्ण हरे राम’ की रेव पार्टी का ही है, जिसमें सभी यूथ ड्रग्स लेते हुए मौज-मस्ती करते हुए दिख रहे है और अभिनेता देवानंद अपनी बहन और अभिनेत्री जीनत अमान को वहां से घर ले जाने की कोशिश कर रहे है. दरअसल रेव पार्टी होती ही ऐसी है, जहाँ आने वाले लोग सब भूलकर मौज मस्ती में डूब जाते है और वहां उन्हें एक अनुभूति होती है.

कब हुई शुरुआत

रेव पार्टी (Rave Party) की शुरुआत यूरोप के देशों में 60 के दशक में होने वाली पार्टियां शराब और शवाब तक सीमित थी, लेकिन 80 के दशक में इसका स्वरूप बदलने लगा और इसने रेव पार्टी का रूप ले लिया. 90 के दशक के शुरुआत में कई देशों में रेव पार्टियां होने लगी.‘रेव’ शब्द का अर्थ एक डांस पार्टी से है, जो रातभर चलती रहती है. इसमें एक डीजे गाना बजाता है और उसमे लोग संगीत की धुन पर थिरकने के साथ-साथ खूब मौज-मस्ती करते है. ये पार्टिया अधिकतर बंद कमरे में कम रौशनी में चलती है. इसकी जानकारी केवल उसमे आने वाले चंद लोगों को ही होती है.

 

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अमेरिकी कानून विभाग कहता है कि 80 के दशक की डांस पा​र्टीज से ही रेव पार्टी की शुरुआत हुई. डांस पार्टीही धीरे-धीरे रेव पार्टी में बदल गई. इसमें संगीत की धुन के साथशौक और ड्रग्‍स जुड़ते चले गए, इससे यूथ में रेव पार्टियों की लोकप्रियता बढ़ती गई.

भारत में इसकी शुरुआत गोवा से हुई, जहाँ हिप्पियों ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब ये हिमाचल की कुल्लू घाटी, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई आदि कई शहर रेव हॉटस्पॉट बनकर उभरे है.

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रेव पार्टी में होता क्या है

रेव पार्टियों में डांस, मस्ती, धमाल, शराब, ड्रग्स आदि की पूरी छूट होती है. ये पार्टियां रात-रात भर चलती हैं. इन पार्टियों में जाने वाले लोगों को मोटा फीस के तौर पर मोटा पैसा देना पड़ता है. पार्टियों में अंदर लाऊड संगीत बजते रहते हैं और युवा मस्ती और नशे में चूर होते है. खाना-पीना, ड्रिंक्स, शराब, सिगरेट आदि के अलावा कोकीन, हशीश, चरस, एलएसडी(लिसर्जिक एसिड डाईएथिलेमाइड)आदि ड्रग्‍स का इंतजाम रहता है.

कुछ रेव पार्टियों में सेक्स के लिए ‘चिल रूम्‍स’ भी होते है. एनसीबी के अधिकारियों की मानें तो रेव पार्टियां केवल पार्टी सर्किट से जुड़े हुए कुछ चुनिंदा लोगों के लिए आयोजित की

 

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क्या है रिश्ता दोनों से

आर्यन के साथ दो नाम जिनकी कस्टडी 7 अक्तूबर तक है, उसमें मुनमुन धमेचा और अरबाज़ मर्चेंट का नाम जुड़ा है, आखिर ये दोनों है कौन और आर्यन के साथ इनका रिश्ता क्या है?

39 वर्षीय मुनमुनधमेचा फैशन जगत की एक चर्चित मॉडल है, जो मध्यप्रदेश के सागर जिले की है, लेकिन सागर में उनके परिवार का कोई भी नहीं रहता. व्यवसायी परिवार की मुनमुन ने पिछले साल अपनी माँ और इससे पहले अपनी पिता को खो चुकी है. उनका एक भाई प्रिंस धमेचा है, जो नौकरी की वजह से दिल्ली में रहते है. इस मॉडल की इन्स्टाग्राम पर 70 हज़ार से अधिक फैन फोलोवर्स है, जबकि अरबाज़ खान एक अभिनेता है और फिल्मों में काम के लिए संघर्ष कर रहा है उसकी पहचान आर्यन खान और सुहाना खान दोनों के अलावा कई स्टार किड्स के साथ है,इन्स्टाग्राम पर अरबाज़ की तस्वीरें कई बार अभिनेत्री पूजा बेदी की बेटी अलाया फ़र्निचरवाला के साथ देखी गयी, जिन्हें वह डेटिंग कर रहा था. अरबाज़ के पिता असलम मुंबई में एक वकील है और लकड़ी की व्यवसाय भी सम्हालते है. उनके नाना मुंबई हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज है, जो बांद्रा में रहते है. आर्यन खान और अरबाज़ मर्चेंट दोनों स्कूल फ्रेंड है.

फिल्मों में आने की थी तैयारी

ये सही है कि ये पार्टियाँ काफी महँगी होती है, इसलिए इसमें आने वाले सभी पैसे वाले घरों से होते है. हालाँकि अभिनेता शाहरुख़ खान ने अपने बेटे को अच्छी परवरिश के लिए इंडस्ट्री से दूर विदेश में रखा था, लेकिन गलत संगत और नशे के आदी होने की वजह से जेल की हवा खानी पड़ रही है. बॉलीवुड सितारे या उनके बच्चे कानून और पुलिस के लिए सॉफ्ट टारगेट होते है, इसलिए इन्हें पकड़ने पर लोगों में चर्चा अधिक होती है और उन्हें इसका हर्जाना भुगतना पड़ता है. इसके कई सबूत है, जिसकी वजह से बॉलीवुड के कई सितारे बदनाम हुए, उनका कैरियर बर्बाद हो गया. आर्यन खान अब फिल्मों में उतरने के लिए तैयार हो रहे है, ऐसे में इस तरह की बदनामी उनकी फ़िल्मी कैरियर पर असर अवश्य डालेगी.

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रहना पड़ेगा जेल में

आर्यन खान की एनसीबी कस्टडी आज 7 अक्टूबर को खत्म होने वाली थी. आज उनके वकील उनकी जमानत के लिए अर्जी भी दी थी,लेकिन आज देर शाम फैसला आया है कि आर्यन जेल जाएंगे, हालांकि बेल के लिए उनके वकील ने अर्जी दी थी, पर जज ने आर्यन खान और 7 अभियुक्तों को जेल भेजने को कहा है, लेकिन परिवार वालों को सभी अभियुक्तों से मिलने की अनुमति भी दी है, जिसके परिणामस्वरुप गौरी खान अपने बेटे आर्यन से मिलने एनसीबी दफ्तर पहुंची है. आज रात ये सभी 8 अभियुक्त एन सी बी के दफ्तर के लॉकअप में न्यायायिक हिरासत में रहेंगे, क्योंकि इन सभी ने कोविड 19 का टेस्ट नहीं करवाया है और जेल अधिकारी ने इन्हें जेल में रखने से इनकार कर दिया है.

कितनी घातक होती है ये पार्टियाँ

ड्रग का ये धंधा विश्वव्यापी है, इसमें फंसने वाले अधिकतर यूथ ही होते है. बॉलीवुड ही नहीं, देश के अधिकतर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में खासकर होस्टल में रहने वाले यूथ इसकी चपेट में आते है, जिन्हें पेरेंट्स काफी पैसे खर्च कर उच्च शिक्षा के लिए भेजते है, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं होती. इस धंधे का फायदा इन ड्रग्स माफियाओं को होता है और नशे की आदी से यूथ खुद को नहीं निकाल पाते और इस दलदल में फंसते जाते है, इससे उनकी शिक्षा उनका भविष्य सब बेकार हो जाती है, क्योंकि ये बदनाम हो जाते है और आम लोगों के बीच अपनी जिंदगी नहीं बिता पाते, जिससे असामयिक मृत्यु और कई जानलेवा बीमारी के शिकार हो जाते है. ड्रग्स के विरुद्ध हर देश में कानून सख्त है, लेकिन इन ड्रग सप्लायरों का काम चलता रहता है, वजह समझना मुश्किल है, पर एक यूथ का भविष्य बेकार हो जाता है.

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Instagram Credit- Viral Bhayani

फैशन के मामले में ‘नायरा’ से कम नहीं है ‘बैरिस्टर बाबू’ की ‘सौदामिनी’, हो सकती है ‘ये रिश्ता’ में एंट्री

स्टार प्लस (Star Plus) का पौपुलर टीवी शो ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) इन दिनों में सुर्खियों में बना हुआ है, जिसकी वजह कार्तिक यानी मोहसिन खान और सीरत यानी शिवांगी जोशी की शो से अलविदा होने के चलते है. वहीं खबरे हैं कि शो से जुड़ने वाली स्टारकास्ट भी चुन ली गई है, जिसमें बैरिस्टर बाबू की सौदामिनी यानी एक्ट्रेस प्रणाली राठौर (Pranali Rathod) का नाम भी शामिल है. लेकिन आज हम प्रणाली राठौर (Pranali Rathod) के किसी शो की नहीं बल्कि उनके लुक्स की बात करेंगे, जिसे आप फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकती हैं. ये लुक्स आपके फैशन पर चार चांद लगा देंगे. तो आइए आपको बताते हैं प्रणाली राठौर (Pranali Rathod) के फेस्टिव लुक्स की झलक…

नायरा को देती हैं टक्कर

सीरत हो या नायरा हर रोल में शिवांगी जोशी ने अपने फेस्टिव लुक्स से फैंस का दिल जीता है. लेकिन बैरिस्टर बाबू की सौदामिनी यानी प्रणाली ठाकुर का भी फैशन किसी से कम नही हैं. हौट अवतार से लेकर इंडियन लुक में फैंस का दिल जीतती हैं. उनका हर लुक फैंस को इंस्पायर करता है.

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लहंगे में जीता फैंस का दिल

हाल ही में प्रणाली ठाकुर अपना लहंगा फ्लौंट करती नजर आईं थीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. ग्रीन कलर का लहंगा पहने प्रणाली अपनी अदाओं से फैंस को दिवाना बनाती नजर आईं थीं. उनका लुक देख फैंस प्यार कमेंट्स की बरसात करने लगे थे.

साउथ इंडियन लुक में लगती हैं कमाल


फेस्टिव सीजन में हर कोई नया नया लुक ट्राय करता है और अगर आप भी फेस्टिव सीजन में अपने लुक पर चार चांद लगाना चाहती हैं तो प्रणाली ठाकुर का साउथ इंडियन लुक ट्राय करना ना भूलें.

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Married Life पर पड़ता परवरिश का असर

आप जब विवाह के बंधन में बंधते हैं, तो जीवन में ढेर सारे बदलाव आते हैं. जिंदगी में प्यार के साथसाथ जिम्मेदारियों का भी समावेश होता है. जब आप अपने जीवनसाथी के साथसाथ उस के परिवार के सदस्यों को भी दिल से स्वीकारते हैं, तो आप के जीवन से कभी न जाने वाली खुशियों का आगमन होता है.

पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है, जिस में प्यारदुलार के साथसाथ एकदूसरे की अच्छीबुरी बातों को स्वीकार करने की भावना भी होती है. आप चाहे इस बात को मानें या न मानें कि आप के संबंधों पर आप के मातापिता का संबंध एकदूसरे के साथ कैसा था, इस का प्रभाव पड़ता है. सच तो यह है कि आप के व्यक्तित्व पर कहीं न कहीं आप के पेरैंट्स की छाप होती है. जीवन के प्रति आप के नजरिए में काफी हद तक आप के पेरैंट्स का असर दिखता है.

कई बार न चाहते हुए भी आप अपने पेरैंट्स की गलत आदतों को सीख लेते हैं, जो जानेअनजाने आप के संबंधों को प्रभावित करती हैं.

अगर आप में अपने पेरैंट्स की कोई ऐसी आदत है, जिस की वजह से जीवनसाथी के साथ आप के संबंधों में टकराहट आ रही है, तो उसे छोड़ने का प्रयास करें.

कभी प्यार कभी तकरार

रिलेशनशिप काउंसलर डा. निशा खन्ना के अनुसार, पतिपत्नी का रिश्ता बेहद संवेदनशील होता है, जिस में प्यारदुलार के साथसाथ तकरार भी होती है. लेकिन जब यह तकरार जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो दोनों के संबंधों में दरार आते देर नहीं लगती. सच तो यह है कि पतिपत्नी अपने संबंध को बिलकुल ही वैसा बना देना चाहते हैं, जैसा संबंध उन के पेरैंट्स का एकदूसरे से था. इस की वजह से दोनों के संबंधों में दूरी आने लगती है. जब पतिपत्नी एकदूसरे पर अपनी बातें थोपना शुरू करते हैं, तो उन के संबंधों से प्रेम समाप्त होने लगता है और वे एकदूसरे से छोटीछोटी बातों पर भी लड़ना शुरू कर देते हैं. आमतौर पर पत्नी को शिकायत होती है कि पति उसे समय नहीं देता है और पति को यह शिकायत रहती है कि पत्नी औफिस से आते ही उस के सामने शिकायतों की पिटारा खोल कर बैठ जाती है.

आमतौर पर पतिपत्नी में यह आदत उन के पेरैंट्स से आती है. अगर आप के पेरैंट्स की आदत अपनी गलतियों को एकदूसरे के ऊपर थोपने की रही है, तो न चाहते हुए भी आप उस आदत का शिकार हो जाते हैं. सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को उस की हर अच्छाईबुराई के साथ स्वीकार करें. कोशिश करें कि आप के जीवन में वैसी नकारात्मक बातें न हों जैसी आप के पेरैंट्स के जीवन में थीं.

जिन दंपतियों के पेरैंट्स की आदत संबंधों को फौर ग्रांटेड लेने की रही है, उन के बच्चे भी अपने जीवनसाथी के साथ उसी तरह का संबंध स्थापित करते हैं. इस तरह की सोच दोनों के संबंधों को पनपने नहीं देती है.

सच तो यह है कि पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक हैं. जब दोनों एकसाथ मिल कर चलते हैं, तो जीवन की गाड़ी सहजता से आगे बढ़ती है, लेकिन जब दोनों में टकराव होता है, तो संबंधों की डोर को टूटते देर नहीं लगती. अपने रिश्ते को सहजता से चलाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी को टेकन फौर ग्रांटेड लेने की भूल न करें. उसे अपना दोस्त, अपना हमसफर समझ कर उस के साथ अपने सुखदुख को साझा करें.

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जरूरी नहीं आप ही सही हों

अगर आप के पेरैंट्स की आदत यह रही है कि मैं ही सही हूं, तो यकीनन कहीं न कहीं आप के अंदर भी वही बात होगी. अपनी इस तरह की सोच को बदलें. आजकल पतिपत्नी एकदूसरे के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. घरपरिवार की जिम्मेदारियों को साथ मिल कर निभा रहे हैं. ऐसे में दोनों की बात माने रखती है. अगर आप के अंदर अपनी बात को ही ऊपर रखने की आदत है, तो इस आदत को छोड़ कर अपने साथी की बात को भी मानें. जरूरी नहीं कि हर बार आप ही सही हों. आप का साथी जो सोच रहा है, कर रहा है. वह भी सही हो सकता है.

साझी जिम्मेदारी साझा पैसा

आमतौर पर हम में से बहुत सारे लोगों की परवरिश ऐसे माहौल में होती है, जहां पति का काम पैसा कमाना और पत्नी का घर की जिम्मेदारियों को निभाना था. आप के पिता मां को पैसा दे कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते थे और मां जरूरत पड़ने पर भी अपने संचित पैसे पिता को देने से गुरेज करती थीं.

अगर आप की सोच इस तरह की है, तो इस में बदलाव लाने की जरूरत है, क्योंकि बदलते परिवेश में जब पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, तो ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि संबंधों में मजबूती के लिए पतिपत्नी दोनों ही एकदूसरे की जिम्मेदारियों में सहयोग दें. पति यह न सोचे कि घर का काम करना पत्नी की जिम्मेदारी है. इसी तरह पत्नी को भी इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है कि घर के खर्चे चलाना तो पति का काम है.

जमाना बदल गया है

जीवनसाथी के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप पुरानी चीजों से बाहर निकलें. यह जरूरी नहीं है कि जिस तरह से आप की मां साड़ी पहनती थीं या फिर घूंघट निकालती थीं ठीक उसी तरह आप की पत्नी भी करेगी. आप की मां मंदिर जाती थीं पूजा करती थीं, तो इस का यह अर्थ नहीं है कि आप की पत्नी भी वैसा ही करेगी. उसे अपनी तरह से जीने की आजादी दें. पत्नी के लिए भी यह समझना जरूरी है कि घर से संबंधित बाहर के कामों की जिम्मेदारी पति की ही नहीं है. यह जरूरी नहीं है कि आप के पिता घर से बाहर के सारे काम करते थे, तो आप के पति को भी वैसा ही करना चाहिए. बदलते परिवेश में अपनी सोच को बदल कर ही आप अपने संबंधों में प्यार और दुलार का समावेश कर सकते हैं.

लड़ाई झगड़ा न बाबा न

आप के पेरैंट्स आपस में छोटीछोटी बातों पर उलझ जाते थे, तो इस का अर्थ यह नहीं है कि यह बहुत अच्छी बात है और आप भी बातबात पर अपने जीवनसाथी से उलझने लगें.

सच तो यह है कि आप दोनों एकदूसरे की भावनाओं की कद्र कर के और एकदूसरे का सम्मान कर के अपने संबंधों को ज्यादा बेहतर तरीके से जी सकते हैं.

क्वालिटी लव है जरूरी

अगर आप के मन में अपने पेरैंट्स को देख कर यह सोच घर कर गई है कि पेरैंट्स बनने के बाद एकदूसरे के साथ रोमांस करना एकदूसरे से प्यार जताना गलत है, तो अपनी इस सोच को अपने मन से बाहर निकालें.

आमतौर पर मां बनने के बाद पत्नी का पूरा ध्यान अपने बच्चे पर रहता है, जिस की वजह से पति फ्रस्टे्रट होता है. पेरैंट्स बनने के बाद भी एकदूसरे के साथ समय बिताएं. कभीकभार एकदूसरे के साथ घूमने जाना और एकदूसरे से अपना प्यार जताना आप के संबंधों की मजबूती देगा. बच्चे की जिम्मेदारी मिलजुल कर उठाएं. इस सोच को परे करें कि बच्चे की जिम्मेदारी सिर्फ मां की है.

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इन बातों का भी रखें ध्यान

– अगर आप के पिता आप के ननिहाल के लोगों की कद्र नहीं करते थे, तो इस का यह अर्थ बिलकुल भी नहीं है कि आप भी अपनी पत्नी के मायके वालों से वैसा ही व्यवहार करें. अपनी ससुराल के लोगों की कद्र करें, उन को पूरा सम्मान देंगे तो आप की पत्नी के मन में आप के प्रति प्यार का भाव और बढ़ेगा फिर वह भी आप के परिवार के सदस्यों को पूरा मानसम्मान देगी.

– अगर आप की आदत बातबात पर चिल्लाने की है, तो उसे भूल जाएं. घर में प्रेमपूर्ण माहौल बनाए रखें.

– घरपरिवार की जिम्मेदारियों को मिलजुल कर निभाएं.

– अपने जीवनसाथी को पूरा स्पेस दें.

– अगर किसी बात पर मनमुटाव हो गया है, तो तेज आवाज में एकदूसरे से लड़ने के बजाय चुप बैठ जाएं.

– सुखमय दांपत्य के लिए एकदूसरे पर गलतियां थोपने के बजाय एकदूसरे की गलतियों को स्वीकार करना सीखें.

तो छोटा घर भी दिखेगा बड़ा

घर कितना भी छोटा हो, छोटेछोटे प्रयासों से उसे सुंदर बनाया जा सकता है. लेकिन सुंदरता के साथ घर स्पेशियस भी लगे इस के लिए कुछ इनोवेटिव आइडियाज की जरूरत पड़ती है.

दीवारों का रंग हो कैसा

इस बाबत लिपिका सूद इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड की डायरैक्टर लिपिका सूद बताती हैं कि दीवारों पर सही पेंट कराने से घर के इंटीरियर को एक बड़ा सपोर्ट मिलता है. इस से घर का लुक तो बेहतर होता ही है, साथ ही यह अपने रिफ्लैक्शन से घर के आकार पर भी प्रभाव डालता है. अगर आप का घर छोटा है तो निम्नलिखित टिप्स पर जरूर गौर करें.

– छोटे कमरे में हमेशा हलके रंग का पेंट करवाना चाहिए. क्योंकि हलका रंग कमरे को स्पेशियस बनाता है. दरअसल, हलके रंग बहुत कम लाइट ऐब्जौर्ब करते हैं, जिस से कमरा स्पेशियस लगता है.

– यदि कमरा कम ऊंचा है तो उसे ज्यादा ऊंचा दिखाने के लिए सीलिंग पर फ्लोरोसैंट कलर के स्टिकर लगा दें या फिर वालपेपर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस से कमरा ऊंचा दिखने लगता है.

– सिर्फ दीवारें ही नहीं बल्कि छोटे कमरे की फर्श भी हलके रंग की होनी चाहिए. इस के लिए हलके रंग के पत्थर या फिर टाइल्स लगवाने चाहिए.

– यदि छोटे कमरों की दीवारों में भी टाइल्स लगवाने की सोच रहे हैं, तो उन का रंग भी हलका ही होना चाहिए.

– वन वाल डार्क का फैशन भले ही इन हो, लेकिन छोटे कमरों में इस फैशन को लागू न करें. हां, यदि आप कुछ अलग ही करना चाहते हैं तो एक ही कलर के दूसरे शेड का इस्तेमाल करें. लेकिन चुनें लाइट शेड ही.

स्टाइलिश फर्नीचर और उन की सैटिंग

लिपिका सूद ने फर्नीचर सिलैक्शन एवं सैटिंग पर निम्नलिखित टिप्स बताए.

– छोटे कमरे के लिए स्टेटमैंट फर्नीचर का चुनाव करें. यानी कमरे को छोटेछोटे फर्नीचर से भरने की जगह कोई ऐसा फर्नीचर चुनें जो कम जगह घेरे और जरूरत को भी पूरा करे. जैसे 1 काउच से यदि आप की जरूरत पूरी हो रही है, तो पूरा सोफासैट रखने की आवश्यकता नहीं है.

– फर्नीचर के साइज के साथ ही उस की सैटिंग का भी विशेष ध्यान रखें. कभी भी फर्नीचर को दीवार से सटा कर इसलिए न रखें कि कमरे की कुछ जगह बच जाएगी. ऐसा करने पर दीवारें खराब होने के साथ ही भरीभरी भी लगती हैं. हमेशा फर्नीचर को दीवार से कुछ इंच छोड़ कर ही रखें.

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– छोटे घरों में फर्नीचर सिर्फ उठनेबैठने या सजावट के ही नहीं बल्कि स्टोरेज के भी काम आ सकते हैं. बाजार में सोफा कम बैड व बैड बौक्स तो पहले से ही आ रहे हैं, लेकिन अब डाइनिंग टेबल, सोफासैट और कुछ मौड्यूलर फर्नीचर ऐसे आने लगे हैं, जो जगह भी कम घेरते हैं और स्टोरेज का भी काम करते हैं.

– आजकल बाजार में डिजाइनर फोल्डिंग फर्नीचर भी उपलब्ध हैं. ऐसे फर्नीचर जरूरत पड़ने पर असेंबल कर लिए जाते हैं और जगह बनाने के लिए इन्हें डीअटैच भी किया जा सकता है.

– यह जरूरी नहीं की घर में लकड़ी के भारीभरकम फर्नीचर ही हों, बाजार में प्लास्टिक और फाइबर के डिजाइनर फर्नीचर भी उपलब्ध हैं, जो फर्नीचर की कमी को भी पूरा करते हैं और इन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखा भी जा सकता है. यानी जब भी इंटीरियर में थोड़ा भी बदलाव करने का मन करे, तो फर्नीचर के स्थान में बदलाव कर के इसे अंजाम दिया जा सकता है.

सजावट करें कम

लिपिका कहती हैं कि छोटे घर के इंटीरियर में तो आप को खासतौर से इन बातों पर ध्यान देना चाहिए.

– छोटे कमरे में ड्रैमैटिक पेंटिंग, जो कमरे की कलर थीम से भी मैच करती हुई हो, को लगाया जा सकता है. यह कमरे की रौनक बढ़ाएगी और पेंटिंग का कमरे की कलर थीम से मैच होने से कमरा भराभरा नहीं लगेगा.

– कमरे में रखी टेबल पर फ्लावरवास रखना पुराना ट्रैंड हो गया है. अब टेबल को फ्री रखें और कमरे की किसी साइड में एक सुंदर और आकार में बड़ा टैराकोटा, चीनी मिट्टी या किसी धातु से बना पौट, वास या आर्टिकल सजा दें.

– मिरर डैकोरेशन वैसे तो काफी पुराना आइडिया है, लेकिन छोटे घरों के लिए एकदम परफैक्ट है. यदि मिरर डैकोरेशन को इनोवेटिव तरीके से किया जाए, तो यह घर की रौनक के साथ ही घर को स्पेशियस दिखाने का भ्रम भी बना देता है. लिपिका बताती हैं कि आजकल कमरे की एक दीवार को मिरर पैनल से कवर करना ट्रैंड में है. खासतौर पर घर के ड्राइंगरूम में इस तरह का इनोवेशन किया जा सकता है. क्योंकि यह कमरा हर घर का ऐंट्रैंस पौइंट होता है. इस कमरे की साइज से ही कोई घर के छोटेबड़े होने का अंदाजा लगा सकता है.

– डिजाइनर कारपेट इंटीरियर का बहुत महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन छोटे घरों में स्ट्रिप कारपेट का इस्तेमाल करना चाहिए. इस से कमरा लंबा दिखता है.

– यदि आप स्टूडियो फ्लैट में रह रहे हैं तो जाहिर है कि आप को एक ही कमरे में ही थोड़ेथोड़े स्थान पर हर कमरे की जरूरत का सामान रखना होता है. ऐसे में कारपेट सैपरेटर का काम कर सकता है. इस के लिए आप छोटे  कारपेट का इस्तेमाल कर एक ही कमरे में अलगअलग काम के लिए ऐरिया डिवाइड कर सकते हैं.

– वैसे मार्केट में आ रहे डिवाइडर्स भी छोटे आशियाने के लिए अच्छा विकल्प हैं. इन्हें एक ही कमरे में अलगअलग काम करने के लिए या प्राइवेसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

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– ओवरहैड कैबिनेट भी डैकोरेशन का ही हिस्सा हैं. यदि कमरा छोटा है और सामान ज्यादा है तो ओवरहैड कैबिनेट स्टोरेज के साथ जगह की भी बचत करते हैं. यदि ओवरहैड कैबिनेट न बनवा सकें तो फाल्स सीलिंग भी एक अच्छा विकल्प है.

खिड़की और दरवाजों पर करें गौर

लिपिका ने बताया कि घर में खिड़की और दरवाजों का काम सिर्फ 2 कमरों को सैपरेट करने का नहीं होता बल्कि अब ये घर के इंटीरियर में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. खासतौर पर जब घर छोटा हो तो इन की भूमिका और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है. साथ ही इनोवेशन के कई विकल्प भी खुल जाते हैं.

– कमरा छोटा है तो खिड़कियों को हर वक्त भारीभरकम परदों से कवर कर के न रखें. हो सके तो उन्हें अनकवर्ड रखें. इस से कमरे में रोशनी भी आएगी और कमरा भराभरा नहीं लगेगा.

– यदि परदे लगाने ही हैं तो आजकल बाजार में शिमरी करटेंस आ रहे हैं. ये पारदर्शी होते हैं लेकिन बहुत अट्रैक्टिव लगते हैं. इन में भी हलके रंग के परदों का इस्तेमाल करें.

– आजकल बाजार में डिजाइनर दरवाजे आ रहे हैं. जिन में ग्लास डोर्स इन ट्रैंड हैं. इसलिए वुडेन डोर्स की जगह सेमी ग्लास डोर्स घर में लगवाएं. इस से कमरा सैपरेट हो जाएगा और बंदबंद सा भी नहीं लगेगा.

लाइट्स की सैटिंग भी हो नई

छोटे घरों में लाइट्स इंटीरियर को फोकस करने के साथ उस की स्पेस पर भी प्रभाव डालती हैं. आइए जानते हैं कैसे.

– ओवरहैड लाइट्स का फैशन तो एवरग्रीन है, लेकिन कुछ नया ट्राय करना है तो आप अपने घर में बिलो हैडलाइट्स की सैटिंग कराएं. इस के लिए आप फ्लोर लाइट्स, डिजाइनर लैंप्स, हैंगिंग लाइट्स का विकल्प चुन सकते हैं.

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– वैसे घर में नैचुरल लाइट्स का अच्छा सोर्स भी होना चाहिए. इस के लिए खिड़कियों पर वुडेन वर्क कराने की जगह उन पर ग्लास वर्क कराएं. इस से सूर्य की रोशनी घर के अंदर आ सकेगी.

– कमरे में कितनी रोशनी की आवश्यकता है, उस हिसाब से लाइट अरैंजमेंट होने चाहिए. जैसे, बैडरूम में मीडियम लाइट्स के लिए वौल लैंप्स से भी काम चल सकता है. वहीं स्टडी रूम के लिए ज्यादा रोशनी की जरूरत होती है. इस लिए यहां ओवरहैड लाइट्स ही होनी चाहिए.

– आप का डाइनिंग ऐरिया कितना ही छोटा क्यों न हो, आप डाइनिंग टेबल पर हैंगिंग लाइट लगा कर सिर्फ उतने पोर्शन को फोकस करेंगे तो कमरे का साइज छोटा है या बड़ा ज्यादा पता नहीं चलेगा.

Anik Ghee के साथ बनाएं फलाहारी चावल के क्यूब्स

नवरात्रि में या किसी फेस्टिवल में अगर आप चटपटी डिश बनाना चाहते हैं तो अनिक घी के साथ ट्राय करें ये फलाहारी चावल के क्यूब्स की ये रेसिपी.

सामग्री

1 कप चावल का आटा

2 बड़े चम्मच गाजर बारीक कद्दूकस की

2 बड़े चम्मच अदरक व हरीमिर्चें बारीक कटी

1/4 कप मूंगफली भुनी व कुटी

1 छोटी चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

2 बड़े चम्मच अनिक घी

थोड़ा सा अनिक घी शैलो फ्राई करने के लिए

सेंधा नमक स्वादानुसार

विधि

एक नौनस्टिक कड़ाही में 1 या 1/4 कप पानी गरम करने के लिए रखें. उस में नमक व घी डाल दें. जब थोड़ा अच्छा गरम हो जाए, तब उसमें धीरे-धीरे नमक, चावल का आटा और कद्दूकस की गाजर, अदर, हरीमिर्चें डाल दें. धीमी आंच पर बराबर चलाते रहें. जब मिश्रण गोले का आकार लेकर जमने जैसा होने लगे, तब उसमें कुटी मूंगफली व धनियापत्ती मिला दें. एक चिकनाई लगी थाली में जमाएं. ठंडा कर के टुकड़े काटें. फिर नौनस्टिक तवे पर थोड़ा अनिक घी लगाकर उलटपलट कर सेंक लें. चटनी के साथ सर्व करें.

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समय पर करवाएं Uterus के कैंसर का इलाज

गर्भाशय (Uterus ) का Cancer आज देश में तेजी से महिलाओं में फैलती जा रही है. इसकी वजह पहले दिखाई नहीं पड़ती और महिलाएं खुद के बारें में इतना नहीं सोचती. भारत में गर्भाशय के कैंसर की घटना 3.8 से बढ़कर एक लाख में 5 महिलाओं को होता है. यह डेटा गर्भाशय के कैंसर को महिलाओं में 5वां सबसे आम कैंसर बताता है. इस बारें में चेन्नई की अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर की स्त्री रोग ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कुमार गुब्बाला कहती है कि भारत में यह डेटा गर्भाशय के कैंसर की महिलाओं में 5वां सबसे आम कैंसर की श्रेणी में आता है. अधिकांश गर्भाशय के कैंसर के कारणोंका पता लगाना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ ऐसे कारक है, जो इसे विकसित होने के जोखिम को बढ़ाते है.यह अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब और पेरिटोनियम से उत्पन्न होने वाले कैंसर की एक बड़ी संख्या है. यह आमतौर पर 75 प्रतिशत रोगियों में विकसित अवस्था में दिखाई देता है, क्योंकि तब ये अन्य अंगो में भी फ़ैल गया होता है.

गर्भाशय के कैंसर बढ़ने की वजह

  • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा बढ़ता जाता है. गर्भाशय के कैंसर के ज्यादातर मामले उन महिलाओं में होते है, जिनका मासिक धर्म आना बंद हो चुका होता है.
  • आनुवंशिक दोषपूर्ण जीनगर्भाशय के कैंसर के कारण होते है, जो एक महिला के जीवन के दौरान विकसित होते हैऔर विरासत में नहीं मिलते है, लेकिन 100 में से 5 से 15 गर्भाशय के कैंसर 5 से 15 प्रतिशतआनुवंशिक दोषपूर्ण जीन के कारण होते है. विरासत में मिले दोषपूर्ण जीन जो गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ाते है, उनमें BRCA1 और BRCA2 शामिल है, ये जीन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ाते है.
  • गर्भनिरोधक गोली लेना, बच्चे पैदा करना और स्तनपान कराना.

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प्रारंभिक लक्षण

अक्सर गर्भाशय के कैंसर के लक्षण अन्य बीमारियों की तरह दिखता है, लेकिन सूक्ष्म परिक्षण के द्वारा इसे पता लगाया जा सकता है.

सबसे आम लक्षण सूजन, पेट में दर्द, मासिक धर्म में बदलाव, दर्दनाक संभोग, खाने में परेशानी या जल्दी से पेट भरा हुआ महसूस करना, थकान आदि है, जिसे समय रहते किसी  स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ले और इलाज करवाएं.

गर्भाशय के कैंसर के प्रकार

एपिथेलियल गर्भाशय कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है. दुर्लभ प्रकारों में जर्म सेल ट्यूमर,स्ट्रोमल ट्यूमर और सार्कोमा शामिल है. प्राथमिक पेरिटोनियल कैंसर गर्भाशय के कैंसर की तरह होता है और उसी तरह से इलाज किया जाता है.

जांच

अल्ट्रा साउंड स्कैन, सीए 125 ब्लड टेस्ट, एमआरआई, सीटी या पैट सीटी स्कैन ये 4 प्रकार के टेस्ट से इस कैंसर का पता लगाया जा सकता है. दरअसल इसके ग्रोथ चार चरण में होता है,पहली चरण में अगर कैंसर अंडाशय तक सीमित है, चरण 2में पेट के निचले हिस्से में कैंसर होना,3 और 4होने पर कैंसर का पेट के अन्य अंगों में फैल जाना है.

गर्भाशय के कैंसर का इलाज

इसके आगे डॉ. कुमार गुब्बाला कहती है कि गर्भाशय के कैंसर के निदान और उपचार के लिए एक अनुशासनिक टीम की आवश्यकता होती है, जो मुख्य डॉक्टर के साथ मीटिंग कर उस टीम का साथ देती है. इसके अलावा उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कहाँ, कितना बड़ा, शरीर में कहीं दूसरी जगह पर फैल गया है या नहीं और रोगी की सामान्य स्वास्थ्य पर उसका प्रभाव क्या है.

अगर गर्भाशय द्रव्यमान (mass) को हटाने और निदान के लिए, गर्भाशय के कैंसर के संदेह के लिए जो पेट के अन्य भागों में फैल चुका हो,जिसमें ओमेंटम, पेरिटोनियम, लिम्फ ग्रंथियों को हटाना शामिल होता है, तब ऑपरेशन की आवश्यकता होती है, जहाँ आंत के करीब या उसके पास काम करना पड़ सकता है.

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यदि कोई व्यापक बीमारी है या ऑपरेशन के बाद सर्जरी से पहले कभी-कभी कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है. पहले कीमोथेरेपी का उपयोग करने की वजह कैंसर की मात्रा को कम करना है और ऑपरेशन के बाद कैंसर सेल की थोड़ी भी मात्रा शरीर में न रहे न रहे को न छोड़ने के इरादे से कम व्यापक ऑपरेशन करना संभव बनाना है.सही और समय पर इलाज से लगभग 90 प्रतिशतरोगी ठीक हो सकते है.

गर्भाशय के कैंसर का पता चलने के बाद लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं कम से कम 5 साल तक बीमारी से जीवित रहती है. प्रारंभिक स्टेज में पता चलने पर20से 40 प्रतिशत महिलायें, जो एडवांस स्टेज में इलाज होने पर जीवित रहती है, जबकि थोड़ी देर में कैंसर का पता चलने पर एडवांस की तुलना में 90 प्रतिशत महिलाएं कम से कम 5 साल तक जीवित रहती है.

घर पर मिनटों में Anik Ghee के साथ तैयार करें नारियल की बर्फी

चाहे शादी ब्याह हो या पूजा पाठ,पार्टी या कोई अन्य फंक्शन मिठाइयों के बिना पूरा हो ही नहीं सकता. मिठाई किसी भी अवसरों की जान होती है. और अगर इन अवसरों पर अच्छी क्वालिटी की मिठाई न मिले तो समझ लीजिए कि अवसर का का मजा किरकिरा हो गया.

भारतीय खाने की तरह भारतीय मिठाइयों में भी बहुत विविधता है. बंगाली मिठाइयों में छेने की प्रमुखता है तो पंजाबी मिठाइयों में खोये की. उत्तर भारत की मिठाइयों में दूध की प्रमुखता है तो दक्षिण भारत की मिठाइयों में अन्न और नारियल की. बेशक त्योहारों व दूसरे अनुष्ठानों में मिठाई का बहुत महत्व होता है और हममे से अधिकतर लोग बाहर की मिलावटी मिठाइयों को उसके नकारात्मक परिणाम को जाने बिना खरीदकर घर लाते हैं, और बच्चे व परिवार के सभी लोग उसे स्वाद से खाते भी हैं.

पर क्या आप जानते है त्योहार के समय मिलावट चरम पर होती है, क्योंकि दूध, मावे की मांग काफी होती है और इससे व्यापारियों को मुनाफा होता है. इसलिए वो अक्सर मिठाईयों को मिलावटी मावे के साथ-साथ सस्ते और हानिकारक रंगों का इस्तेमाल कर, बाजार में सजाकर और आकर्षक बनाकर बेचते है .जिसका परिणाम आपके और आपके परिवार के लिए बेहद घातक साबित हो सकता हैं.

तो क्यों न हम इन मिठाइयों को घर पर बनाने की कोशिश करे.हो सकता है वो बाहर की मिठाइयों की तुलना में देखने में ज्यादा आकर्षक न लगे लेकिन उनसे हमे और हमारे अपनों को कोई नुक्सान नहीं होगा.

तो चलिए आज हम बनायेंगे बिना मावे के नारियल की बर्फी वो भी बहुत आसान तरीके से. ये बर्फी जितनी आसानी से बन जाते है उतने ही ज्यादा ये स्वादिष्ट भी लगते है और इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है की ये जल्दी खराब भी नहीं होते . तो चलिए जानते है इसके लिए हमें क्या-क्या चाहिए-

कितने बर्फी बनेंगे-15 से 20 मध्यम आकार के
कितना समय-20 से 25 मिनट
मील टाइप-वेज

हमें चाहिए-

सूखे नारियल का बुरादा- 300 gm
चीनी -100 gm
फुल क्रीम पका हुआ दूध -200 ml
घी -1 छोटा चम्मच
इलाइची पाउडर – ½ छोटी चम्मच (ऑप्शनल)
मिल्क पाउडर-1 टेबल स्पून (ऑप्शनल)

बादाम- 100 ग्राम

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले एक पैन में Anik Ghee घी गर्म करे.इसके बाद इसमें नारियल का बुरादा या घिसा हुआ नारियल डाल कर उसे 4 से 5 मिनट माध्यम आंच पर भून ले.

2-अब इसमें दूध डाल कर इसे अच्छे से मिलाये .जब दूध पूरा अच्छे से मिलकर सूख जाये तब उसमे चीनी डाल दे और उसको करीब 7 से 8 मिनट गल जाने तक मिलाये.

3-जब चीनी गल जाये तब उसमे मिल्क पाउडर दाल कर फिर से मिलाये.अब आप देखेंगे की मिश्रण सूख सा गया है .तब आप चाहे तो इसमें पिसी हुई इलाइची डाल सकते है .

4-अब गैस को बंद करके मिश्रण को एक प्लेट में निकाल ले और हल्का ठंडा होते ही इसके गोल -गोल लड्डू बना ले.ये बहुत ही आसानी से बन जायेंगे . (बस एक चीज़ याद रखियेगा की मिश्रण को ज्यादा ठंडा नहीं होने देना है.)

5-अब एक दूसरी प्लेट में नारियल का बुरादा निकाल कर बने हुए लड्डू को उसमे हल्का सा घुमा ले.इससे नारियल का बुरादा लड्डू में अच्छे से चिपक जायेगा और ये देखने में भी अच्छे लगेंगे. इसी तरह से सारे लड्डू बना ले.

6- तैयार है instant नारियल की बर्फी . इन्हें फ्रिज में स्टोर करे.आप इसे आराम से कुछ दिन खा सकते है.

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